लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

आधुनिकतावाद

सूची आधुनिकतावाद

हंस होफ्मन, "द गेट", 1959–1960, संग्रह: सोलोमन आर. गुगेन्हीम म्यूज़ियम होफ्मन केवल एक कलाकार के रूप में ही नहीं, बल्कि एक कला शिक्षक के रूप में भी मशहूर थे और वे अपने स्वदेश जर्मनी के साथ-साथ बाद में अमेरिका के भी एक आधुनिकतावादी सिद्धांतकार थे। 1930 के दशक के दौरान न्यूयॉर्क एवं कैलिफोर्निया में उन्होंने अमेरिकी कलाकारों की एक नई पीढ़ी के लिए आधुनिकतावाद एवं आधुनिकतावादी सिद्धांतों की शुरुआत की.ग्रीनविच गांव एवं मैसाचुसेट्स के प्रोविंसटाउन में स्थित अपने कला विद्यालयों में अपने शिक्षण एवं व्याख्यान के माध्यम से उन्होंने अमेरिका में आधुनिकतावाद के क्षेत्र का विस्तार किया।हंस होफ्मन की जीवनी, 30 जनवरी 2009 को उद्धृत आधुनिकतावाद, अपनी व्यापक परिभाषा में, आधुनिक सोच, चरित्र, या प्रथा है अधिक विशेष रूप से, यह शब्द उन्नीसवीं सदी के अंत और बीसवीं सदी के आरम्भ में मूल रूप से पश्चिमी समाज में व्यापक पैमाने पर और सुदूर परिवर्तनों से उत्पन्न होने वाली सांस्कृतिक प्रवृत्तियों के एक समूह एवं सम्बद्ध सांस्कृतिक आन्दोलनों की एक सरणी दोनों का वर्णन करता है। यह शब्द अपने भीतर उन लोगों की गतिविधियों और उत्पादन को समाहित करता है जो एक उभरते सम्पूर्ण औद्योगीकृत विश्व की नवीन आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्थितियों में पुराने होते जा रहे कला, वास्तुकला, साहित्य, धार्मिक विश्वास, सामाजिक संगठन और दैनिक जीवन के "पारंपरिक" रूपों को महसूस करते थे। आधुनिकतावाद ने ज्ञानोदय की सोच की विलंबकारी निश्चितता को और एक करुणामय, सर्वशक्तिशाली निर्माता के अस्तित्व को भी मानने से अस्वीकार कर दिया.

81 संबंधों: चार्ल्स डार्विन, चित्रकला, टेलीग्राफ, एलेन गिन्सबर्ग, एंडी वारहोल, तथ्यवाद, तमाशा, द बीटल्स, दर्शनशास्त्र, दृश्य कला, दूरभाष, नाज़ी जर्मनी, नग्नता, न्यूयॉर्क, पहला विश्व युद्ध, पाब्लो पिकासो, पुनर्जागरण, प्रभाववाद, प्राचीन मिस्र, पूंजीवाद, पेंगुइन, फ़ासीवाद, फ्रेडरिक नीत्शे, बिम्बवाद, बिस्मार्क, बॉब डिलन, भौतिक शास्त्र, मध्ययुग, महामन्दी, मार्क्सवाद, म्यूनिख, मोटरवाहन, यथार्थवाद, राजनीति, रंग, रूढ़िवाद, लेनिनवाद, शीतयुद्ध, सामाजिक विज्ञान, साम्यवाद, साहित्य, संगीतकार, सोवियत संघ, हॉलीवुड, जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल, जॉन मेनार्ड कीन्स, जॉन रस्किन, जोसेफ़ स्टालिन, ईसाई धर्म, घोड़ा, ..., वास्तविक संख्या, वास्तुकला, विभाजन, विलियम बटलर येट्स, विलियम कार्लोस विलियम्स, विज्ञापन, विकास, गगनचुम्बी इमारत, औद्योगीकरण, आध्यात्मिकता, आपेक्षिकता सिद्धांत, आकृति, कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र, कला, कलाकृति, कार्ल मार्क्स, काव्य, क्रान्ति, कृषि, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, अतियथार्थवाद, अनुभववाद, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अर्थशास्त्र, अर्न्स्ट माक, अर्नेस्ट हेमिंग्वे, अस्तित्ववाद, उत्तर आधुनिकतावाद, उदात्त, छायाचित्र, १९०५ की रूसी क्रांति सूचकांक विस्तार (31 अधिक) »

चार्ल्स डार्विन

चार्ल्स डार्विन चार्ल्स डार्विन (१२ फरवरी, १८०९ – १९ अप्रैल १८८२) ने क्रमविकास (evolution) के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उनका शोध आंशिक रूप से १८३१ से १८३६ में एचएमएस बीगल पर उनकी समुद्र यात्रा के संग्रहों पर आधारित था। इनमें से कई संग्रह इस संग्रहालय में अभी भी उपस्थित हैं। डार्विन महान वैज्ञानिक थे - आज जो हम सजीव चीजें देखते हैं, उनकी उत्पत्ति तथा विविधता को समझने के लिए उनका विकास का सिद्धान्त सर्वश्रेष्ठ माध्यम बन चुका है। संचार डार्विन के शोध का केन्द्र-बिन्दु था। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक जीवजाति का उद्भव (Origin of Species (हिंदी में - 'ऑरिजिन ऑफ स्पीसीज़')) प्रजातियों की उत्पत्ति सामान्य पाठकों पर केंद्रित थी। डार्विन चाहते थे कि उनका सिद्धान्त यथासम्भव व्यापक रूप से प्रसारित हो। डार्विन के विकास के सिद्धान्त से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार विभिन्न प्रजातियां एक दूसरे के साथ जुङी हुई हैं। उदाहरणतः वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि रूस की बैकाल झील में प्रजातियों की विविधता कैसे विकसित हुई। .

नई!!: आधुनिकतावाद और चार्ल्स डार्विन · और देखें »

चित्रकला

राजा रवि वर्मा कृत 'संगीकार दीर्घा' (गैलेक्सी ऑफ म्यूजिसियन्स) चित्रकला एक द्विविमीय (two-dimensional) कला है। भारत में चित्रकला का एक प्राचीन स्रोत विष्णुधर्मोत्तर पुराण है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और चित्रकला · और देखें »

टेलीग्राफ

१८६१ में निर्मित एक टेलीग्राफ मशीन किसी भौतिक वस्तु के विनिमय के बिना ही संदेश को दूर तक संप्रेषित करना टेलीग्राफी (Telegraphy) कहलाता है। विद्युत्‌ धारा की सहायता से, पूर्व निर्धारित संकेतों द्वारा, संवाद एवं समाचारों को एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजनेवाला तथा प्राप्त करनेवाला यंत्र तारयंत्र (telegraph) कहलाता है। वर्तमान में यह प्रौद्योगिकी अप्रचलित (obsolete/आब्सोलीट) हो गयी है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और टेलीग्राफ · और देखें »

एलेन गिन्सबर्ग

इर्विन एलेन गिन्सबर्ग (Irwin Allen Ginsberg; 3 जून 1926 – 5 अप्रैल 1997), अमेरिका के बीटनिक आंदोलन के प्रख्यात कवि हैं। इनके द्वारा लिखित लंबी कविता हाउल (१९५६) को बीट आंदोलन की महाकविता कहा जाता है। इस कविता को पूंजीवाद और नियन्त्रणवाद के खिलाफ अमेरिकी की नयी पीढ़ी की आवाज माना जाता है जिस समय अमेरिकी समाज को साम्यवादी भय ने जकड़ लिया था। प्रकाशित होते ही इसकी हजारों प्रतियां बिक गयीं और गिंसबर्ग रातों रात नयी पीढ़ी के मसीहा बन गये, जिस पीढ़ी को आज बीटनिक पीढ़ी कहा जाता है। आज तक इस काव्यग्रन्थ की लाखों प्रतियां बिक चुकी हैं। गिंसबर्ग द्वारा निवेदित हाउल की वीसीडी, सीडी और डीवीडी भी खूब बिकी हैं और आज तक उनकी यह पुस्तक और डीवीडी बिक रही हैं। अपनी इस कविता के लिये उन्होने एक नयी लेखन प्रणाली अपनायी जो सांस लेने और सांस छोड़ने के समय पर आधारित थी। यद्यपि उनके पिता एक गीतकार थे, पर गिंसबर्ग ने अपने पिता द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलना उचित नहीं समझा क्योंकि उन्हें महसूस हुआ कि अमेरिकी समाज बदल चुका है। गिंसबर्ग की माता नायोमी गिंसबर्ग का मानसिक सन्तुलन ठीक नहीं था और इसका प्रभाव किशोर गिंसबर्ग पर भी रहा। हाउल प्रकाशित होने के बाद उन्होने अपनी मां के याद मे कैडिश नाम की एक लंबी कविता हाउल के ही अनुरूप लिखी थी। ख्याति मिलने के बाद उन्हें बहुत सारे देशों में कविता पढ़ने के लिये आमंत्रित किया गया और वह भारत भी आये। भारत आकर वह दो साल तक यहीं रहे। बनारस, पटना, कोलकाता, चाइबासा आदि जगहों पर इन्होने कई दिन बिताये एवं यह स्थानीय कवियों से काफी घुलमिल गये। वह हिन्दु और बौद्ध साधुओं से भी मिले। अमेरिका लौटने के बाद गिंसबर्ग ने बौद्धधर्म अपना लिया। भारत से लौटने के बाद जो कवितायें इन्होने लिखीं उन पर भारतीय प्रभाव साफ झलकता है, यहां तक की उनकी किताबों-दस्तावेजों में दिये गये प्रतीक चिह्न असल में अकबर के मकबरे में अंकित तीन मछलियों का चित्र है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और एलेन गिन्सबर्ग · और देखें »

एंडी वारहोल

एंडी वारहोल संयुक्त राज्य अमेरिका के महान चित्रकार माने जाते हैं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और एंडी वारहोल · और देखें »

तथ्यवाद

प्रत्यक्षवाद या तथ्यवाद (positivism) के दर्शन के अनुसार केवल वही ज्ञान प्रामाणिक ज्ञान (authentic knowledge) है जो ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त अनुभव पर आधारित हो। .

नई!!: आधुनिकतावाद और तथ्यवाद · और देखें »

तमाशा

तमाशा महाराष्ट्र का प्रसिध्द लोकनाटक है। श्रेणी:महाराष्ट्र के लोक नृत्य.

नई!!: आधुनिकतावाद और तमाशा · और देखें »

द बीटल्स

द बिटल्स का प्रतीक चिह्न द बीटल्स १९६० का एक अन्ग्रेज़ी रॉक बैन्ड था जिसका निर्माण लिवरपूल में किया गया था। जॉन लेनन, पॉल मेकारटनि, जोर्ज हैरिसन और रिंगो स्टार के साथ वे व्यापक प्रभावशाली कलाकार के रूप मे माने जाते है। १९५० के दशक के रॉक एन्ड ऱोल के शैलि मे शुरु किया था और उस्के बाद बीटल्स ने कई सारे शैलियों के साथ प्रयोग किया। पॉप गाथगीत से साइकेडेलिक् रॉक को लेकर वह अक्सर शास्त्रीय ततवो को अपनाकर, अभिनव तारीके से इन ततवो को अपने संगीत मे शामिल करते। १९६० के काल मे बीटल्स को बहुत लोकप्रियता मिलि। जब वह "बीटलमेनिया" के रूप मे उभरे। लेकिन जैसे उन्के गीत लेखन कि व्रिधि हुइ वे सामाजिक और सांस्कृतिक क्रितियो के द्वारा अपने आदर्शें के अवतार के रूप से माना जाने लगे। १९६० मे सथापित हुए बीटल्स ने अप्नि ख्याति लिवरपूल और हैम्बर्ग मे कल्ब खोल्कर तीन साल कि अवधि मे लोकप्रियताअर्जित कि। प्रबन्धक बरायन एप्स्तटाईण एक पेशवर अधिनियम मे डाला और निर्माता जार्ज मार्टीन उन्के संगीत की क्शम्ता बडाई। १९६२ मे "लव मी डू: उन्का पहला हिट होने के बाद ब्रिटेन मे प्रसिधि हासिल की। वे "बीटल्मैनिया" के नाम से माने जाने लगे। वह उप्नाम "फैब फोर" के रूप से माने जाने लगे। जल्दि १९६४ मे प्रमुख अन्तरासश्ट्ऱीय सितारे बन गए जो अमेरिका पॉप बाज़ार के "ब्रिटीश आक्रमण" के संयुक्त बने। पर १प६५ से बीटल्स कई प्रभावशालि एल्बम बनाए जैसे रबर सोल (१९६५), रिवाल्वर (१९६६), सार्जिट पेपर्स लोनली हार्टस कल्ब बैन्ड (१९६७), द बीटल्स (सफेद एल्बम) (१९६८) और अभय रोड (१९६९)। १९७० मे उन्के टूट्ने के बाद वे एकल वयवसाय का आनन्द लिया। लेनन को दिसम्बर १९८० मे गोलि मार दिया गया और हैरिसन को नवम्बर २०११ मे फेफड़ों के कैनसर के कारण म्र्त्यु हो गई। मेकारटनि और स्टार, बाकी सदस्य अपने संगीत को जारि रखा। RIAA के अनुसार बीटल्स प्रमाणीत इकाइयो के साथ, सयुन्क्त रज्य अमेरिका मे सब्से ज़्यादा बिक्ने वाला बैन्ड था। वे ब्रिटिश चार्ट पर अधिक सन्ख्या मे सबसे अवल एलब्म था। २००८ मे समुह के सबसे सफल "हाट १००" कलाकारो मे बिलबोर्ड पत्रिका की सूची मे सबसे उपर रहे। २०१४ के रूप मे वे सबसे अधिक सन्ख्या मे एक २० के साथ हाट १०० चार्ट पर रेकार्ड पकडा रखा। वे दस ग्रैमी पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ मूल स्कोर के लिए एक अकादमि पुरस्कार और १५ इवोर नोवेलो पुरस्कार प्राप्त किए है। सामुस्टोनहिक रूप से २०वी सदि के १०० सबसे प्रभाव्शालि लोगो की टाइम पत्रिका के सन्कलन मे शामिल है। वे EMI रिकार्ड्स मे अरसे से ज़्यादा इकाइयों की बिक्री के आकलन के साथ मे इतिहास मे अधिक बिकने वाला बैन्ड है। २००४ मे रोलिंग स्टोन सभी समय के महान्तम कलाकार के रूप मे बीटल्स स्थान पर रहे। .

नई!!: आधुनिकतावाद और द बीटल्स · और देखें »

दर्शनशास्त्र

दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, अर्थात प्रकृति तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। दर्शनशास्त्र सामाजिक चेतना के रूपों में से एक है। दर्शन उस विद्या का नाम है जो सत्य एवं ज्ञान की खोज करता है। व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है। इसका जन्म अनुभव एवं परिस्थिति के अनुसार होता है। यही कारण है कि संसार के भिन्न-भिन्न व्यक्तियों ने समय-समय पर अपने-अपने अनुभवों एवं परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के जीवन-दर्शन को अपनाया। भारतीय दर्शन का इतिहास अत्यन्त पुराना है किन्तु फिलॉसफ़ी (Philosophy) के अर्थों में दर्शनशास्त्र पद का प्रयोग सर्वप्रथम पाइथागोरस ने किया था। विशिष्ट अनुशासन और विज्ञान के रूप में दर्शन को प्लेटो ने विकसित किया था। उसकी उत्पत्ति दास-स्वामी समाज में एक ऐसे विज्ञान के रूप में हुई जिसने वस्तुगत जगत तथा स्वयं अपने विषय में मनुष्य के ज्ञान के सकल योग को ऐक्यबद्ध किया था। यह मानव इतिहास के आरंभिक सोपानों में ज्ञान के विकास के निम्न स्तर के कारण सर्वथा स्वाभाविक था। सामाजिक उत्पादन के विकास और वैज्ञानिक ज्ञान के संचय की प्रक्रिया में भिन्न भिन्न विज्ञान दर्शनशास्त्र से पृथक होते गये और दर्शनशास्त्र एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में विकसित होने लगा। जगत के विषय में सामान्य दृष्टिकोण का विस्तार करने तथा सामान्य आधारों व नियमों का करने, यथार्थ के विषय में चिंतन की तर्कबुद्धिपरक, तर्क तथा संज्ञान के सिद्धांत विकसित करने की आवश्यकता से दर्शनशास्त्र का एक विशिष्ट अनुशासन के रूप में जन्म हुआ। पृथक विज्ञान के रूप में दर्शन का आधारभूत प्रश्न स्वत्व के साथ चिंतन के, भूतद्रव्य के साथ चेतना के संबंध की समस्या है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और दर्शनशास्त्र · और देखें »

दृश्य कला

दृश्य कला (visual arts), कला का वह रूप है जो मुख्यत: 'दृश्य' (visual) प्रकृति की होती हैं। जैसे - रेखाचित्र (ड्राइंग), चित्रकला, मूर्तिकला, वास्तुकला (architecture), फोटोग्राफी, विडियो, चलचित्र आदि। किन्तु आजकल दृष्यकला में ललित कलाएँ तथा हस्तकलाएँ शामिल मानी जातीं हैं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और दृश्य कला · और देखें »

दूरभाष

टच टोन, एकल लाइन, व्यापारिक दूरभाष दूरभाष या टेलीफोन, दूरसंचार का एक उपकरण है। यह दो या कभी-कभी अधिक व्यक्तियों के बीच बातचीत करने के काम आता है। विश्व भर में आजकल यह सर्वाधिक प्रचलित घरेलू उपकरण है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और दूरभाष · और देखें »

नाज़ी जर्मनी

नाज़ी जर्मनी, नाट्सी जर्मनी या तीसरा राइख (Drittes Reich, "द्रीत्तेस रय्ख़्") १९३३ और १९४५ के बीच जर्मनी के लिए इतिहासकारों द्वारा सामान्य नाम दिया गया है, जब जर्मनी पर अडोल्फ़ हिटलर के नेतृत्व वाली नेशनल सोशलिस्ट जर्मन कार्यकर्ता पार्टी (NSDAP) का एकछत्र राज्य था। इसके अतिरिक्त इसे - नाजीवादी जर्मनी (Das nazistische Deutschland "दस नत्सीस्तिशे दोय्च्लन्द्") तथा सहस्रवर्षीय साम्राज्य (Das Tausendjähriges Reich "दस थाउज़ेन्द्येरिगेस रय्ख़्") भी कहा जाता है। तृतीय साम्राज्य वैमार गणराज्य के बाद सत्ता में आया, जब 4 मार्च 1933 को राष्ट्रीय-समाजवादी जर्मन श्रमिकों की पार्टी ने (NSDAP "एन-एस-दे-आ-पे", Die Nationalsozialistische Deutsche Arbeiterpartei "दी नत्सिओनाल-सोत्सिअलीस्तिशे दोय्चे आर्बाय्तेर्पर्ताय") हिटलर के नेतृत्व में राजसत्ता हथिया ली। ३० जनवरी १९३३ को अडोल्फ़ हिटलर जर्मनी का चांसलर बना और जल्दी ही सारे विरोध को ख़त्म करके वह उस देश का इकलौता नेता बन बैठा। देश ने उसे फ़्युअरर (जर्मन भाषा में लीडर) कहकर पूजना शुरु कर दिया और सारी ताक़त उसके हाथ में सौंप दी। इतिहासकारों ने बड़ी सभाओं में उसके वाक्चातुर्य और कमरे में हुयी बैठकों में उसकी आँखों से होने वाले मंत्रमुग्ध लोगों का ज़ोर देकर बताया है। शनैः शनैः यह बात प्रचलन में आ गई कि फ़्युअरर का वचन विधि से भी ऊपर है। दरअसल यह मत लोगों के बीच हिटलर के मतप्रचालन (propaganda) मंत्री गॅबॅल्स ने रखा था जिसे प्रथम विश्वयुद्ध और वर्साय की संधि से सताई गई जनता ने दोनों हाथों से हड़प लिया। सरकार के शीर्षस्थ अधिकारी केवल हिटलर को रिपोर्ट देते थे और उसी की नीतियों का अनुसरण भी करते थे, हालांकि उनकी कार्यशैली में कुछ हद तक स्वायत्ता बरक़रार थी। .

नई!!: आधुनिकतावाद और नाज़ी जर्मनी · और देखें »

नग्नता

नग्नता या निवस्त्रता कपड़े न पहनने को कहते हैं। इसमें पूरी तरह या आधे कपड़े न पहनने को भी इसी श्रेणी में लाया जाता है। लगभग सभी देशों में यह अपराध की श्रेणी में आता है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और नग्नता · और देखें »

न्यूयॉर्क

यह लेख न्यूयॉर्क प्रांत के बारे में है। शहर के लिए देखे - न्यूयॉर्क शहर, अन्य विकल्प के लिए देखे न्यूयॉर्क (बहुविकल्पी) न्यूयॉर्क (New York) पूर्वोत्तर संयुक्त राज्य अमेरिका में एक राज्य है। न्यूयॉर्क उन तेरह उपनिवेश में से एक था जिसने संयुक्त राज्य का गठन किया था। राज्य के सबसे बड़े शहर न्यूयॉर्क शहर, में राज्य की 40% से अधिक आबादी रहती हैं। राज्य की दो-तिहाई जनसंख्या न्यू यॉर्क महानगरीय क्षेत्र में रहती है, और करीब 40% लोग लांग आईलैंड में रहते हैं। राज्य और शहर का नाम 17 वीं सदी के ड्यूक ऑफ यॉर्क यानी के इंग्लैंड के भावी राजा जेम्स द्वितीय के ऊपर रखा गया है। न्यूयॉर्क शहर संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और एक वैश्विक शहर है। न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय है। इसे दुनिया के सांस्कृतिक, वित्तीय और मीडिया राजधानी के रूप में वर्णित किया गया है और साथ ही यह दुनिया का आर्थिक रूप से सबसे शक्तिशाली शहर है। अन्य बड़े शहर हैं बफ़ेलो, रोचेस्टर, योंकर्स, और सिरैक्यूज़, जबकि राज्य की राजधानी अल्बानी है। राज्य की सीमा न्यू जर्सी और पेन्सिलवेनिया से दक्षिण में और कनेक्टिकट, मैसाचुसेट्स और वरमॉण्ट से पूर्व में लगती है। न्यूयार्क में यूरोपीय लोगों के आगमन से पहले कई सौ वर्षों तक अल्गोनक्वियन और इरक़ुओअन बोलने वाले मूल अमेरिकी जनजातियां बसी हुई थी। आने वाले पहले यूरोपीय लोग फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों थे। 1609 में इस क्षेत्र पर डच के लिए हेनरी हडसन द्वारा दावा किया गया, जिन्होंने एक न्यू नीदरलैंड नाम से कॉलोनी बसाई। 1664 में इंग्लैंड ने डच से कॉलोनी लेकर उस पर का कब्जा कर लिया। 2016 के अनुमान के मुताबिक राज्य की जनसंख्या 1,97,45,289 हैं। इस हिसाब से इसका सभी राज्यों में चौथा स्थान हुआ। क्षेत्र के मामले में इसका स्थान 27वां है। लगभग 70% जनता सिर्फ अंग्रेजी बोलती है, 15% स्पेनी, 3% चीनी, बाकी अन्य। श्रेणी:संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य.

नई!!: आधुनिकतावाद और न्यूयॉर्क · और देखें »

पहला विश्व युद्ध

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और समुंदर, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। पहला विश्व युद्ध लगभग 52 माह तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। क़रीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अंदाज़न एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति ' बन कर उभरा। .

नई!!: आधुनिकतावाद और पहला विश्व युद्ध · और देखें »

पाब्लो पिकासो

पाब्लो पिकासो पाब्लो पिकासो (1881-1973) स्पेन के महान चित्रकार थे। वे बीसवीं शताब्दी के सबसे अधिक चर्चित, विवादास्पद और समृद्ध कलाकार थे। उन्होंने तीक्ष्ण रेखाओं का प्रयोग करके घनवाद को जन्म दिया। पिकासो की कलाकृतियां मानव वेदना का जीवित दस्तावेज हैं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और पाब्लो पिकासो · और देखें »

पुनर्जागरण

फ्लोरेंस पुनर्जागरण का केन्द्र था पुनर्जागरण या रिनैंसा यूरोप में मध्यकाल में आये एक संस्कृतिक आन्दोलन को कहते हैं। यह आन्दोलन इटली से आरम्भ होकर पूरे यूरोप फैल गया। इस आन्दोलन का समय चौदहवीं शताब्दी से लेकर सत्रहवीं शताब्दी तक माना जाता है।.

नई!!: आधुनिकतावाद और पुनर्जागरण · और देखें »

प्रभाववाद

क्लॉड मोनेट, इम्प्रेशन, सोलेल लेवांट (इम्प्रेशन, सनराइज़), 1872, कैनवास पर तेल, म्यूज़ी मारनोटान प्रभाववाद 19वीं सदी का एक कला आंदोलन था, जो पेरिस-स्थित कलाकारों के एक मुक्‍त संगठन के रूप में आरंभ हुआ, जिनकी स्‍वतंत्र प्रदर्शनियों ने 1870 और 1880 के दशकों में उन्‍हें प्रतिष्ठा दिलवाई.

नई!!: आधुनिकतावाद और प्रभाववाद · और देखें »

प्राचीन मिस्र

गीज़ा के पिरामिड, प्राचीन मिस्र की सभ्यता के सबसे ज़्यादा पहचाने जाने वाले प्रतीकों में से एक हैं। प्राचीन मिस्र का मानचित्र, प्रमुख शहरों और राजवंशीय अवधि के स्थलों को दर्शाता हुआ। (करीब 3150 ईसा पूर्व से 30 ई.पू.) प्राचीन मिस्र, नील नदी के निचले हिस्से के किनारे केन्द्रित पूर्व उत्तरी अफ्रीका की एक प्राचीन सभ्यता थी, जो अब आधुनिक देश मिस्र है। यह सभ्यता 3150 ई.पू.

नई!!: आधुनिकतावाद और प्राचीन मिस्र · और देखें »

पूंजीवाद

पूंजीवाद (Capitalism) सामन्यत: उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी स्वामित्व होता है। इसे कभी कभी "व्यक्तिगत स्वामित्व" के पर्यायवाची के तौर पर भी प्रयुक्त किया जाता है यद्यपि यहाँ "व्यक्तिगत" का अर्थ किसी एक व्यक्ति से भी हो सकता है और व्यक्तियों के समूह से भी। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि सरकारी प्रणाली के अतिरिक्त निजी तौर पर स्वामित्व वाले किसी भी आर्थिक तंत्र को पूंजीवादी तंत्र के नाम से जाना जा सकता है। दूसरे रूप में ये कहा जा सकता है कि पूंजीवादी तंत्र लाभ के लिए चलाया जाता है, जिसमें निवेश, वितरण, आय उत्पादन मूल्य, बाजार मूल्य इत्यादि का निर्धारण मुक्त बाजार में प्रतिस्पर्धा द्वारा निर्धारित होता है। पूँजीवाद एक आर्थिक पद्धति है जिसमें पूँजी के निजी स्वामित्व, उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत नियंत्रण, स्वतंत्र औद्योगिक प्रतियोगिता और उपभोक्ता द्रव्यों के अनियंत्रित वितरण की व्यवस्था होती है। पूँजीवाद की कभी कोई निश्चित परिभाषा स्थिर नहीं हुई; देश, काल और नैतिक मूल्यों के अनुसार इसके भिन्न-भिन्न रूप बनते रहे हैं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और पूंजीवाद · और देखें »

पेंगुइन

पेंगुइन (पीढ़ी स्फेनिस्कीफोर्मेस, प्रजाति स्फेनिस्कीडाई) जलीय समूह के उड़ने में असमर्थ पक्षी हैं जो केवल दक्षिणी गोलार्द्ध, विशेष रूप से अंटार्कटिक में पाए जाते हैं। पानी में जीवन के लिए अत्याधिक अनुकूलित, पेंगुइन विपरीत रंगों, काले और सफ़ेद रंग के बालों वाला पक्षी है और उनके पंख हाथ (फ्लिपर) बन गये हैं। पानी के नीचे तैराकी करते हुए अधिकांश पेंगुइन पकड़ी गयी छोटी मछलियों, मछलियों, स्क्विड और अन्य जलीय जंतुओं को भोजन बनाते हैं। वे अपना लगभग आधा जीवन धरती पर और आधा जीवन महासागरों में बिताते हैं। हालांकि सभी पेंगुइन प्रजातियां दक्षिणी गोलार्द्ध की मूल निवासी हैं, लेकिन ये केवल अंटार्कटिक जैसे ठंडे मौसम में ही नहीं पाई जातीं. वास्तव में, पेंगुइन की कुछ प्रजातियों में अब केवल कुछ ही दक्षिण में रहती हैं। कई प्रजातियां शीतोष्ण क्षेत्र में पाई जाती हैं और एक प्रजाति गैलापागोस पेंगुइन भूमध्य रेखा के पास रहती है। सबसे बड़ी जीवित प्रजाति एम्परर पेंगुइन (एप्टेनोडाईट्स फ़ोर्सटेरी): है - वयस्क की उंचाई औसतन 1.1 मी (3 फुट 7 इंच) लंबा और वजन 35 किलोग्राम (75 पौंड) होता है। सबसे छोटी प्रजाति लिटिल ब्लू पेंगुइन (यूडिपटुला माइनर), फेयरी पेंगुइन के नाम से भी जानी जाती है, की उंचाई लगभग 40 सेमी (16 इंच) और वजन 1 किलोग्राम (2.2 पौंड) होता है। वर्तमान में पाए जाने वाले पेंगुइनों में, बड़े पेंगुइन ठंडे क्षेत्रों में निवास करते हैं, जबकि छोटे पेंगुइन आम तौर पर शीतोष्ण या उष्णकटिबंधीय जलवायु में भी पाए जाते हैं (इसे भी देखें बर्गमैन'ज़ रूल). कुछ प्रागैतिहासिक प्रजातियां आकार में व्यस्क मानव जितनी उंची तथा वजनी थीं (अधिक जानकारी के लिए नीचे देखें). ये प्रजाति अंटार्कटिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं थी; बल्कि इसके विपरीत, अंटार्कटिक उपमहाद्वीप के क्षेत्रों में ज्यादा विविधता मिलती थी और कम से कम एक विशाल पेंगुइन उस क्षेत्र में मिला है जो भूमध्य रेखा के 35 से 2000 किमी दक्षिण से ज्यादा दूर नहीं था तथा जहां का वातावरण आज के अपेक्षाकृत ज्यादा गरम था। .

नई!!: आधुनिकतावाद और पेंगुइन · और देखें »

फ़ासीवाद

नेशनल फैसिस्ट पार्टी का लोगो फासीवाद या फ़ासिस्टवाद (फ़ासिज़्म) इटली में बेनितो मुसोलिनी द्वारा संगठित "फ़ासिओ डि कंबैटिमेंटो" का राजनीतिक आंदोलन था जो मार्च, 1919 में प्रारंभ हुआ। इसकी प्रेरणा और नाम सिसिली के 19वीं सदी के क्रांतिकारियों- "फासेज़"-से ग्रहण किए गए। मूल रूप में यह आंदोलन समाजवाद या साम्यवाद के विरुद्ध नहीं, अपितु उदारतावाद के विरुद्ध था। .

नई!!: आधुनिकतावाद और फ़ासीवाद · और देखें »

फ्रेडरिक नीत्शे

फ्रेडरिक नीत्शे फ्रेडरिक नीत्शे (Friedrich Nietzsche) (15, अक्टू, 1844 से 25, अगस्त 1900) जर्मनी का दार्शनिक था। मनोविश्लेषणवाद, अस्तित्ववाद एवं परिघटनामूलक चिंतन (Phenomenalism) के विकास में नीत्शे की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। व्यक्तिवादी तथा राज्यवादी दोनों प्रकार के विचारकों ने उससे प्रेरणा ली है। हालाँकि नाज़ी तथा फासिस्ट राजनीतिज्ञों ने उसकी रचनाओं का दुरुपयोग भी किया। जर्मन कला तथा साहित्य पर नीत्शे का गहरा प्रभाव है। भारत में भी इक़बाल आदि कवियों की रचनाएँ नीत्शेवाद से प्रभावित हैं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और फ्रेडरिक नीत्शे · और देखें »

बिम्बवाद

बिम्बवाद २०वीं सदी की आंग्ल-अमेरिकी कविता का एक आंदोलन था जिसमें बिम्ब अर्थात् इमेजरी की परिशुद्धता तथा स्पष्ट, तेज भाषा को महत्वपूर्ण माना जाता है। बिम्बवाद को अंग्रेजी कविता में पूर्व-राफ़ेलीय (Raphaelites) आंदोलन के बाद सबसे प्रभावशाली आंदोलन के रूप में वर्णित किया गया है। एक काव्य शैली के रूप में इसने २०वीं सदी की शुरूआत में आधुनिकतावाद का पथ-प्रदर्शन किया। अंग्रेजी भाषा के साहित्य में में इसे पहला संगठित आधुनिकतावादी साहित्यिक आंदोलन माना जाता है।  बिम्बवाद पर एज़रा पाउण्ड का कथन है, "ऐसी कविता जिसमें चित्रकला और शिल्पकला मानों संवाद के लिये एकत्र हुए हों।" बिम्बवाद को कभी-कभी विकास की निरंतर या सतत अवधि के बजाय रचनात्मक क्षणों के एक सिलसले के रूप में देखा जाता है। रेने टॉपिन ने टिप्पणी की है कि, बिम्बवाद को एक सिद्धांत और एक काव्य संप्रदाय के रूप न समझ कर कुछ कवियों, जो एक निश्चित समय के लिए एक छोटी संख्या के महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर एकमत थे, की एक एसोसिएशन के रूप में समझना अधिक सटीक है। हिन्दी साहित्य में बिम्ब का नवीन अर्थ-प्रतिपादन रामचन्द्र शुक्ल की आलोचना द्वारा हुआ और उन्होंने अर्थ-ग्रहण पर बिम्ब-ग्रहण को वरीयता दी। .

नई!!: आधुनिकतावाद और बिम्बवाद · और देखें »

बिस्मार्क

250px ओटो एडुअर्ड लिओपोल्ड बिस्मार्क (1 अप्रैल 1815 - 30 जुलाई 1898), जर्मन साम्राज्य का प्रथम चांसलर तथा तत्कालीन यूरोप का प्रभावी राजनेता था। वह 'ओटो फॉन बिस्मार्क' के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। उसने अनेक जर्मनभाषी राज्यों का एकीकरण करके शक्तिशाली जर्मन साम्राज्य स्थापित किया। वह द्वितीय जर्मन साम्राज्य का प्रथम चांसलर बना। वह "रीअलपालिटिक" की नीति के लिये प्रसिद्ध है जिसके कारण उसे "लौह चांसलर" के उपनाम से जाना जाता है। वह अपने युग का बहुत बड़ा कूटनीतिज्ञ था। अपने कूटनीतिक सन्धियों के तहत फ्रांस को मित्रविहीन कर जर्मनी को यूरोप की सर्वप्रमुख शक्ति बना दिया। बिस्मार्क ने एक नवीन वैदेशिक नीति का सूत्रपात किया जिसके तहत शान्तिकाल में युद्ध को रोकने और शान्ति को बनाए रखने के लिए गुटों का निर्माण किया। उसकी इस 'सन्धि प्रणाली' ने समस्त यूरोप को दो गुटों में बांट दिया। .

नई!!: आधुनिकतावाद और बिस्मार्क · और देखें »

बॉब डिलन

बॉब डिलन और उसकी प्रेमिका जोआन बाएज़ बॉब डिलन एक अमेरिकी गीतकार, गायक, कलाकार, और लेखक है। वह अमेरिकी लोक संगीत के अलावा पॉप म्यूज़िक में भी काफी नाम कमा चुका है। बॉब 24 मई, 1941 को मिनेसोटा में पैदा हुआ था। उसका असली नाम रोबर्ट ऐलन ज़िमरमैन है। उसके दादा-दादी रूसी साम्रज्य (अब यूक्रेन) से अमरीका आये थे, और उनके सबसे प्राचीनतम ज्ञात पूर्वज तुर्की के यहूदी थे। उसके नाना-नानी लिथुआनिया के यहूदी थे। बॉब का बाप अब्राम ज़िम्मरमैन एक बिजली एप्लायंस की दुकान चलता था, और उसकी मैया का नाम बीट्राइस स्टोन थी। बड़ा हो कर बॉब न्यू यॉर्क में जा पहुंचा, जहाँ पर न्यू यॉर्क टाइम्स अख़बार ने उसके एक शो को रिव्यु किया। इसके बाद उसे जॉन हैमंड नाम के एक रिकॉर्ड प्रोड्यूसर ने ब्रेक दिया। बॉब की पहली एल्बम की सिर्फ 5000 कॉपी बिकी, पर धीरे-धीरे उसकी लोकप्रियता काफी बढ़ गयी। 1960 के दशक में उसने अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन में हिस्सा लिया। 1966 में एक मोटरसाइकिल एक्सीडेंट में बॉब की हड्डी-पसली टूट गयी। पर जल्दी ही उसने दुबारा गाना-बजाना शुरू कर दिया। 1970 के दशक में बॉब का ईसाइयत की तरफ रुख हुआ, और उसने धार्मिक गॉस्पेल संगीत बजाना शुरू कर दिया। 1980 में उसने पॉप म्यूजिक के ओर रुख किया। 2000 में उसे ऑस्कर अवार्ड मिला, और 2016 में उसने गीतकार के रूप में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीता। .

नई!!: आधुनिकतावाद और बॉब डिलन · और देखें »

भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और भौतिक शास्त्र · और देखें »

मध्ययुग

रोमन साम्राज्य के पतन के उपरांत, पाश्चात्य सभ्यता एक हजार वर्षों के लिये उस युग में प्रविष्ट हुई, जो साधारणतया मध्ययुग (मिडिल एजेज) के नाम से विख्यात है। ऐतिहासिक रीति से यह कहना कठिन है कि किस किस काल अथवा घटना से इस युग का प्रारंभ और अंत होता है। मोटे तौर से मध्ययुग का काल पश्चिमी यूरोप में पाँचवीं शताब्दी के प्रारंभ से पंद्रहवीं तक कहा जा सकता है। तथाकथित मध्ययुग में एकरूपता नहीं है और इसका विभाजन दो निश्चित एवं पृथक् युगों में किया जा सकता है। 11वीं शताब्दी के पहले का युग सतत संघर्षों, अनुशासनहीनता, तथा निरक्षरता के कारण 'अंधयुग' कहलाया, यद्यपि इसमें भी यूरोप को रूपांतरित करने के कदम उठाए गए। इस युग का प्रारंभ रोमन साम्राज्य के पश्यिमी यूरोप के प्रदेशों में, बर्बर गोथ फ्रैंक्स वैंडल तथा वरगंडियन के द्वारा स्थापित जर्मन साम्राज्य से होता है। यहाँ तक कि शक्तिशाली शार्लमेन (742-814) भी थोड़े ही समय के लिये व्यवस्था ला सका। शार्लमेन के प्रपौलों की कलह तथा उत्तरी स्लाव और सूरासेन के आक्रमणों से पश्चिमी यूरोप एक बार फिर उसी अराजकता को पहुँचा जो सातवीं और आठवीं शताब्दी में थी। अतएव सातवीं और आठवीं शताब्दी का ईसाई संसार, प्रथम शताब्दी के लगभग के ग्रीक रोम जगत् की अपेक्षा सभ्यता एवं संस्कृति की निम्न श्रेणी पर था। गृहनिर्माण विद्या के अतिरिक्त, शिक्षा, विज्ञान तथा कला किसी भी क्षेत्र में उन्नति नहीं हुई थी। फिर भी अंधयुग उतना अंध नहीं था, जितना बताया जाता है। ईसाई भिक्षु एवं पादरियों ने ज्ञानदीप को प्रज्वलित रखा। 11वीं शताब्दी के अंत से 15वीं शताब्दी तक के उत्तर मध्य युग में मानव प्रत्येक दिशा में उन्नतिशील रहा। राष्ट्रीय एकता की भावना इंग्लैंड में 11वीं शताब्दी में, तथा फ्रांस में 12वीं शताब्दी में आई। शार्लमैन के उत्तराधिकारियों की शिथिलता तथा ईसाई चर्च के अभ्युदय ने, पोप को ईसाई समाज का एकमात्र अधिष्टाता बनने का अवसर दिया। अतएव, पोप तथा रोमन सम्राट् की प्रतिस्पर्धा, पावन धर्मयुद्ध, विद्या का नियंत्रण तथा रोमन केथोलिक धर्म के अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप इत्यादि में इस प्रतिद्वंद्विता का आभास मिलता है। 13वीं शताब्दी के अंत तक राष्ट्रीय राज्य इतने शक्तिशाली हो गए थे कि चर्च की शक्ति का ह्रास निश्चित प्रतीत होने लगा। नवीं शताब्दी से 14वीं शताब्दी तक, पश्चिमी यूरोप का भौतिक, राजनीतिक तथा सामाजिक आधार सामंतवाद था, जिसके उदय का कारण राजा की शक्तियों का क्षीण होना था। समाज का यह संगठन भूमिव्यवस्था के माध्यम से पैदा हुआ। भूमिपति सामंत को अपने राज्य के अंतर्गत सारी जनता का प्रत्यक्ष स्वामित्व प्राप्त था। मध्ययुग नागरिक जीवन के विकास के लिये उल्लेखनीय है। अधिकांश मध्ययुगीन नगर सामंतों की गढ़ियों, मठों तथा वाणिज्य केंद्रों के आस पास विकसित हुए। 12वीं तथा 13वीं शताब्दी में यूरोप में व्यापार की उन्नति हुई। इटली के नगर विशेषतया वेनिस तथा जेनोआ पूर्वी व्यापार के केंद्र बने। इनके द्वारा यूरोप में रूई, रेशम, बहुमूल्य रत्न, स्वर्ण तथा मसाले मँगाए जाते थे। पुरोहित तथा सामंत वर्ग के समानांतर ही व्यापारिक वर्ग का ख्याति प्राप्त करना मध्ययुग की विशेषताओं में है। इन्हीं में से आधुनिक मध्यवर्ग प्रस्फुटित हुआ। मध्ययुग की कला तथा बौद्धिक जीवन अपनी विशेष सफलताओं के लिये प्रसिद्ध है। मध्ययुग में लैटिन अंतरराष्ट्रीय भाषा थी, किंतु 11वीं शताब्दी के उपरांत वर्नाक्यूलर भाषाओं के उदय ने इस प्राचीन भाषा की प्राथमिकता को समाप्त कर दिया। विद्या पर से पादरियों का स्वामित्व भी शीघ्रता से समाप्त होने लगा। 12वीं और 13वीं शताब्दी से विश्वविद्यालयों का उदय हुआ। अरस्तू की रचनाओं के साथ साथ, कानून, दर्शन, तथा धर्मशास्त्रों का अध्ययन सर्वप्रिय होने लगा। किंतु वैज्ञानिक साहित्य का सर्वथा अभाव था। भवन-निर्माण-कला की प्रधानता थी, जैसा वैभवशाली चर्च, गिरजाघरों तथा नगर भवनों से स्पष्ट है। भवननिर्माण की रोमन पद्धति के स्थान पर गोथिक पद्धति विकसित हुई। आधुनिक युग की अधिकांश विशेषताएँ उत्तर मध्ययुग के प्रवाहों की प्रगाढ़ता है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और मध्ययुग · और देखें »

महामन्दी

इतिहास में महामंदी या भीषण मन्दी (द ग्रेट डिप्रेशन) (१९२९-१९३९) के नाम से जानी जाने वाली यह घटना एक विश्वव्यापी आर्थिक मंदी थी। यह सन १९२९ के लगभग शुरू हुई और १९३९-४० तक जारी रही। विश्व के आधुनिक इतिहास में यह सबसे बड़ी और सर्वाधिक महत्व की मंदी थी। इस घटना ने पूरी दुनिया में ऐसा कहर मचाया था कि उससे उबरने में कई साल लग गए। उसके बड़े व्यापक आर्थिक व राजनीतिक प्रभाव हुए। इससे फासीवाद बढ़ा और अंतत: द्वितीय विश्वयुद्ध की नौबत आई। हालांकि यही युद्ध दुनिया को महामंदी से निकालने का माध्यम भी बना। इसी दौर ने साहित्यकारों और फिल्मकारों को भी आकर्षित किया और इस विषय पर कई किताबें लिखी गईं। अनेक फिल्में भी बनीं और खूब लोकप्रिय भी हुईं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और महामन्दी · और देखें »

मार्क्सवाद

सामाजिक राजनीतिक दर्शन में मार्क्सवाद (Marxism) उत्पादन के साधनों पर सामाजिक स्वामित्व द्वारा वर्गविहीन समाज की स्थापना के संकल्प की साम्यवादी विचारधारा है। मूलतः मार्क्सवाद उन आर्थिक राजनीतिक और आर्थिक सिद्धांतो का समुच्चय है जिन्हें उन्नीसवीं-बीसवीं सदी में कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स और व्लादिमीर लेनिन तथा साथी विचारकों ने समाजवाद के वैज्ञानिक आधार की पुष्टि के लिए प्रस्तुत किया। .

नई!!: आधुनिकतावाद और मार्क्सवाद · और देखें »

म्यूनिख

म्यूनिख म्यूनिख (अन्ग्रेजी: Munich, जर्मनः München) जर्मनी का तीसरा सबसे बड़ा नगर है। यह जर्मनी के बवेरिया राज्य की राजधानी है। इसकी जनसंख्या लगभग १३ लाख है। यह नदी इसार पर स्थित है (बावेरिया के एल्प्स पहाड़ों के उत्तर में)। सन् ११५८ से पहले का कोई भी दस्तावेज ना मिलने के कारण यह मान लिया गया है की इस नगर की स्थापना भी इसी सन् में हुई होगी। कई सालों से म्यूनिख जर्मनी का सबसे अच्छा शहर माना जा रहा है। शहर की मूलभूत संरचना अच्छी है और वहां के जीवन का स्तर भी बढ़िया है। बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियों ने शहर का वैभव और ख्याति बढ़ाई है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और म्यूनिख · और देखें »

मोटरवाहन

कार्ल बेन्ज़'स "वेलो"मॉडल (1894) -सबसे पहले गाड़ियों के होड़ में आई right विश्व मानचित्र प्रति 1000 लोग गाड़ी, मोटरवाहन, कार, मोटरकार या ऑटोमोबाइल एक पहियों वाला वाहन है, जो यात्रियों के परिवहन के काम आता है; और जो अपना इंजन या मोटर भी स्वयं उठाता है। इस शब्द की अधिकांश परिभाषाओं के अनुसार मोटरवाहन मुख्य रूप से सड़कों पर चलाने के लिए हैं, एक से आठ लोगों कों बैठाने के लिए हैं, आमतौर पर जिनके चार पहिये होते हैं, जिनका निर्माण मुख्य रूप से सामान के उपेक्षा लोगों के परिवहन के लिए किया जाता है। मोटरकार शब्द का प्रयोग विद्युतिकृत रेल प्रणाली के सन्दर्भ में, एक ऐसी कार के लिए प्रयुक्त होता है, जो एक छोटा लोकोमोटिव होने के साथ ही, इसमे लोगों और सामान के लिए जगह भी होती है। ये लोकोमोटिव कार उपनगरीय मार्गों में अंतर्नगरीय रेल प्रणालियों में इस्तेमाल की जाती हैं। 2002 तक, 590 मिलियन यात्री करें दुनिया भर में थी (मोटे तौर पर एक कार प्रति ग्यारह लोग).

नई!!: आधुनिकतावाद और मोटरवाहन · और देखें »

यथार्थवाद

यथार्थवाद, यथार्थपरक या यथार्थवादी का संबंध निम्नांकित संदर्भों से हो सकता है.

नई!!: आधुनिकतावाद और यथार्थवाद · और देखें »

राजनीति

नागरिक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई विशेष प्रकार का सिद्धान्त एवं व्यवहार राजनीति (पॉलिटिक्स) कहलाती है। अधिक संकीर्ण रूप से कहें तो शासन में पद प्राप्त करना तथा सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है। राजनीति में बहुत से रास्ते अपनाये जाते हैं जैसे- राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाना, कानून बनाना, विरोधियों के विरुद्ध युद्ध आदि शक्तियों का प्रयोग करना। राजनीति बहुत से स्तरों पर हो सकती है- गाँव की परम्परागत राजनीति से लेकर, स्थानीय सरकार, सम्प्रभुत्वपूर्ण राज्य या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर। .

नई!!: आधुनिकतावाद और राजनीति · और देखें »

रंग

रंग प्रकाश का गुण है। इसके तीन गुण होते है- रंगत,मान,सघनता।वर्ण, चाक्षुक या आभासी कला के महत्वपूर्ण अंग हैं। वर्ण या रंग होते हैं, आभास बोध का मानवी गुण धर्म है, जिसमें लाल, हरा, नीला, इत्यादि होते हैं। रंग, मानवी आँखों की वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से से उत्पन्न होते हैं। रंग की श्रेणियाँ एवं भौतिक विनिर्देश जो हैं, जुड़े होते हैं वस्तु, प्रकाश स्त्रोत, इत्यादि की भौतिक गुणधर्म जैसे प्रकाश अन्तर्लयन, विलयन, समावेशन, परावर्तन या वर्णक्रम उत्सर्ग पर निर्भर भी करते हैं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और रंग · और देखें »

रूढ़िवाद

रूढ़िवाद सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत व्यवहृत एक ऐसी विचारधारा है जो पारंपरिक मान्यताओं का अनुकरण तार्किकता या वैज्ञानिकता के स्थान पर केवल आस्था तथा प्रागनुभवों के आधार पर करती है। यह सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक मान्यताओं का समुच्चय है जो चिरकाल से प्रचलित मान्यताओं और व्यवस्था के प्रति सम्मान को बढ़ावा देती है। यह विचारधारा नए और बिना आज़माए हुए विचारों और संस्थाओं को अपनाने के बजाय पुराने और आज़माए हुए विचारों और संस्थाओं को क़ायम रखने का समर्थन करती है। डेविड ह्यूम और एडमंड बर्क रूढ़िवाद के प्रमुख उन्नायक माने जाते हैं। समकालीन विचारकों में माइकेल ओकशॉट को रूढ़िवाद का प्रमुख सिद्धांतकार माना जाता है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और रूढ़िवाद · और देखें »

लेनिनवाद

लेनिनवाद साम्राज्यवाद और सर्वहारा क्रांति के युग का मार्क्सवाद है। विचारधारा के स्तर पर यह सर्वहारा क्रांति की और विशेषकर सर्वहारा की तानाशाही का सिद्धांत और कार्यनीति है। लेनिन ने उत्पादन की पूँजीवादी विधि के उस विश्लेषण को जारी रखा जिसे मार्क्स ने पूंजी में किया था और साम्राज्यवाद की परिस्थितियों में आर्थिक तथा राजनीतिक विकास के नियमों को उजागर किया। लेनिनवाद की सृजनशील आत्मा समाजवादी क्रांति के उनके सिद्धांत में व्यक्त हुई है। लेनिन ने प्रतिपादित किया कि नयी अवस्थाओं में समाजवाद पहले एक या कुछ देशों में विजयी हो सकता है। उन्होंने नेतृत्वकारी तथा संगठनकारी शक्ति के रूप में सर्वहारा वर्ग की दल विषयक मत को प्रतिपादन किया जिसके बिना सर्वहारा अधिनायकत्व की उपलब्धि तथा साम्यवादी समाज का निर्माण असम्भव है। वस्तुतः लेनिनवाद एक लेनिन के बाद की वैचारिक परिघटना है। लेनिन का देहांत 1924 में हुआ। अपने जीवन में उन्होंने ख़ुद न तो 'लेनिनवाद' शब्द का प्रयोग किया, और न ही उसके प्रयोग को प्रोत्साहित किया। वे अपने विचारों को मार्क्सवादी, समाजवादी और कम्युनिस्ट श्रेणियों में रख कर व्यक्त करते थे। लेनिन के इस रवैये के विपरीत उनके जीवन के अंतिम दौर में (1920 से 1924 के बीच) सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष कम्युनिस्ट नेताओं और सिद्धांतकारों ने लेनिन के प्रमुख सिद्धांतों, रणनीतियों और कार्यनीतियों के इर्द-गिर्द विभिन्न राजनीतिक और रणनीतिक परिप्रेक्ष्य विकसित किये जिनके आधार पर आगे चल कर लेनिनवाद का विन्यास तैयार हुआ। इन नेताओं में निकोलाई बुखारिन, लियोन ट्रॉट्स्की, जोसेफ़ स्तालिन, ग्रेगरी ज़िनोवीव और लेव कामेनेव प्रमुख थे। उत्तर-लेनिन अवधि में हुए सत्ता-संघर्ष में स्तालिन की जीत हुई जिसके परिणामस्वरूप बाकी नेताओं को जान से हाथ धोना पड़ा। अतः आज लेनिनवाद का जो रूप हमारे सामने है, उस पर प्रमुख तौर पर स्तालिन की व्याख्याओं की छाप है। स्तालिन ने 1934 में दो पुस्तकें लिखीं: "फ़ाउंडेशंस ऑफ़ लेनिनिज्म" और "प्रॉब्लम्स ऑफ़ लेनिनिज्म" जो लेनिनवाद की अधिकारिक समझ का प्रतिनिधित्व करती हैं। अगर स्तालिन द्वारा दी गयी परिभाषा मानें तो लेनिनवाद साम्राज्यवाद और सर्वहारा क्रांति के युग का मार्क्सवाद होने के साथ-साथ सर्वहारा की तानाशाही की सैद्धांतिकी और कार्यनीति है। स्पष्ट है कि स्तालिन इस परिभाषा के द्वारा लेनिनवाद को एक सार्वभौम सिद्धान्त की तरह पेश करना चाहते थे। उन्हें अपने इस लक्ष्य में जो सफलता मिली, उसके पीछे लेनिन द्वारा सोवियत क्रांति के बाद 1919 में स्थापित कोमिंटर्न (कम्युनिस्ट इंटरनेशनल) की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता। स्तालिन की सफलता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि दुनिया के अधिकतर मार्क्सवादी कार्यकर्त्ता और नेता मार्क्सवाद को लेनिनवाद के बिना अपूर्ण समझते हैं। दरअसल, लेनिनवाद क्लासिकल मार्क्सवाद में कुछ नयी बातें जोड़ता है। पहली बात तो यह है कि वह केवल क्रांतिकारी सर्वहारा पर निर्भर रहने के बजाय क्रांतिकारी मेहनतकशों यानी मज़दूरों और किसानों के गठजोड़ की मुख्य क्रांतिकारी शक्ति के रूप में शिनाख्त करता है। अपने इस योगदान के कारण लेनिनवाद, मार्क्सवाद को विकसित औद्योगिक पूँँजीवाद की सीमाओं से निकाल कर अल्पविकसित और अर्ध-औपनिवेशिक देशों के राष्ट्रीय मुक्ति संग्रामों के लिए उपयोगी विचारधारा बना देता है। लेनिनवाद ऐसे सभी देशों के कम्युनिस्टों और अन्य रैडिकल तत्त्वों के लिए क्रांति करने की व्यावहारिक विधि का प्रावधान बन कर उभरा है। लेनिनवाद के इस आयाम के महत्त्व का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि मजदूरों और किसानों के क्रांतिकारी मोर्चे की अवधारणा चीन, वियतनाम, कोरिया और लातीनी अमेरिका में कम्युनिस्ट क्रांति को अग्रगति देने में सफल रही है। जिन देशों में कम्युनिस्ट क्रांतियाँ नहीं भी हो पायीं (जैसे भारत), वहाँ के कम्युनिस्ट भी लेनिनवाद की इसी केंद्रीय थीसिस पर अमल करते हैं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और लेनिनवाद · और देखें »

शीतयुद्ध

नाटो तथा वार्सा संधि के देश द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के काल में संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत रूस के बीच उत्पन्न तनाव की स्थिति को शीत युद्ध के नाम से जाना जाता है। कुछ इतिहासकारों द्वारा इसे 'शस्त्र सज्जित शान्ति' का नाम भी दिया गया है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने कंधे से कन्धा मिलाकर धूरी राष्ट्रों- जर्मनी, इटली और जापान के विरूद्ध संघर्ष किया था। किन्तु युद्ध समाप्त होते ही, एक ओर ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका तथा दूसरी ओर सोवियत संघ में तीव्र मतभेद उत्पन्न होने लगा। बहुत जल्द ही इन मतभेदों ने तनाव की भयंकर स्थिति उत्पन्न कर दी। रूस के नेतृत्व में साम्यवादी और अमेरिका के नेतृत्व में पूँजीवादी देश दो खेमों में बँट गये। इन दोनों पक्षों में आपसी टकराहट आमने सामने कभी नहीं हुई, पर ये दोनों गुट इस प्रकार का वातावरण बनाते रहे कि युद्ध का खतरा सदा सामने दिखाई पड़ता रहता था। बर्लिन संकट, कोरिया युद्ध, सोवियत रूस द्वारा आणविक परीक्षण, सैनिक संगठन, हिन्द चीन की समस्या, यू-2 विमान काण्ड, क्यूबा मिसाइल संकट कुछ ऐसी परिस्थितियाँ थीं जिन्होंने शीतयुद्ध की अग्नि को प्रज्वलित किया। सन् 1991 में सोवियत रूस के विघटन से उसकी शक्ति कम हो गयी और शीतयुद्ध की समाप्ति हो गयी। .

नई!!: आधुनिकतावाद और शीतयुद्ध · और देखें »

सामाजिक विज्ञान

सामाजिक विज्ञान (Social science) मानव समाज का अध्ययन करने वाली शैक्षिक विधा है। प्राकृतिक विज्ञानों के अतिरिक्त अन्य विषयों का एक सामूहिक नाम है 'सामाजिक विज्ञान'। इसमें नृविज्ञान, पुरातत्व, अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास, विधि, भाषाविज्ञान, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और संचार आदि विषय सम्मिलित हैं। कभी-कभी मनोविज्ञान को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और सामाजिक विज्ञान · और देखें »

साम्यवाद

साम्यवाद, कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा प्रतिपादित तथा साम्यवादी घोषणापत्र में वर्णित समाजवाद की चरम परिणति है। साम्यवाद, सामाजिक-राजनीतिक दर्शन के अंतर्गत एक ऐसी विचारधारा के रूप में वर्णित है, जिसमें संरचनात्मक स्तर पर एक समतामूलक वर्गविहीन समाज की स्थापना की जाएगी। ऐतिहासिक और आर्थिक वर्चस्व के प्रतिमान ध्वस्त कर उत्पादन के साधनों पर समूचे समाज का स्वामित्व होगा। अधिकार और कर्तव्य में आत्मार्पित सामुदायिक सामंजस्य स्थापित होगा। स्वतंत्रता और समानता के सामाजिक राजनीतिक आदर्श एक दूसरे के पूरक सिद्ध होंगे। न्याय से कोई वंचित नहीं होगा और मानवता एक मात्र जाति होगी। श्रम की संस्कृति सर्वश्रेष्ठ और तकनीक का स्तर सर्वोच्च होगा। साम्यवाद सिद्धांततः अराजकता का पोषक हैं जहाँ राज्य की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। मूलतः यह विचार समाजवाद की उन्नत अवस्था को अभिव्यक्त करता है। जहाँ समाजवाद में कर्तव्य और अधिकार के वितरण को 'हरेक से अपनी क्षमतानुसार, हरेक को कार्यानुसार' (From each according to her/his ability, to each according to her/his work) के सूत्र से नियमित किया जाता है, वहीं साम्यवाद में 'हरेक से क्षमतानुसार, हरेक को आवश्यकतानुसार' (From each according to her/his ability, to each according to her/his need) सिद्धांत का लागू किया जाता है। साम्यवाद निजी संपत्ति का पूर्ण प्रतिषेध करता है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और साम्यवाद · और देखें »

साहित्य

किसी भाषा के वाचिक और लिखित (शास्त्रसमूह) को साहित्य कह सकते हैं। दुनिया में सबसे पुराना वाचिक साहित्य हमें आदिवासी भाषाओं में मिलता है। इस दृष्टि से आदिवासी साहित्य सभी साहित्य का मूल स्रोत है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और साहित्य · और देखें »

संगीतकार

संगीत की धुनों को बनाने या संवारने वाले कलाकार को संगीतकार कहते है। श्रेणी:संगीतकार.

नई!!: आधुनिकतावाद और संगीतकार · और देखें »

सोवियत संघ

सोवियत संघ (रूसी भाषा: Сове́тский Сою́з, सोवेत्स्की सोयूज़; अंग्रेज़ी: Soviet Union), जिसका औपचारिक नाम सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ (Сою́з Сове́тских Социалисти́ческих Респу́блик, Union of Soviet Socialist Republics) था, यूरेशिया के बड़े भूभाग पर विस्तृत एक देश था जो १९२२ से १९९१ तक अस्तित्व में रहा। यह अपनी स्थापना से १९९० तक साम्यवादी पार्टी (कोम्युनिस्ट पार्टी) द्वारा शासित रहा। संवैधानिक रूप से सोवियत संघ १५ स्वशासित गणतंत्रों का संघ था लेकिन वास्तव में पूरे देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था पर केन्द्रीय सरकार का कड़ा नियंत्रण रहा। रूसी सोवियत संघीय समाजवादी गणतंत्र (Russian Soviet Federative Socialist Republic) इस देश का सबसे बड़ा गणतंत्र और राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था, इसलिए पूरे देश का गहरा रूसीकरण हुआ। यही कारण रहा कि विदेश में भी सोवियत संघ को अक्सर गलती से 'रूस' बोल दिया जाता था। .

नई!!: आधुनिकतावाद और सोवियत संघ · और देखें »

हॉलीवुड

हॉलीवुड में एक पहाड़ी पर प्रसिद्ध चिह्न हॉलीवुड संयुक्त राज्य अमरीका के फ़िल्म उद्योग का नाम है। इसका नाम कैलिफ़ोर्निया में लॉस एंजेलेस के एक जिले पर रखा गया है जहाँ पर बहुत सारे फ़िल्म स्टूडियो स्थापित हैं। 19वीं सदी में थॉमस ऐल्वा ऐडिसन ने काइनेटोस्कोप ईजाद किया और इसके पेटेन्ट के सहारे फ़िल्म निर्माताओं से बहुत बड़ी-बड़ी फ़ीस माँगीं। इनसे बचने के लिए कई फ़िल्म कम्पनियाँ कैलिफ़ोर्निया के हॉलीवुड जिले में आकर स्थापित हो गईं। आजकल अधिकतर फ़िल्म उद्योग पास ही में बुर्बैंक और वेस्टसाइड में चला गया है, लेकिन बहुत से काम अब भी हॉलीवुड में ही होते हैं। हॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध पुरस्कार अकादमी पुरस्कार हैं, जिन्हें ऑस्कर पुरस्कार के नाम से भी जाना जाता है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और हॉलीवुड · और देखें »

जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल

जार्ज विलहेम फ्रेड्रिक हेगेल (1770-1831) सुप्रसिद्ध दार्शनिक थे। वे कई वर्ष तक बर्लिन विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे और उनका देहावसान भी उसी नगर में हुआ। .

नई!!: आधुनिकतावाद और जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल · और देखें »

जॉन मेनार्ड कीन्स

जोन मेनार्ड केन्स मार्शल के शिष्य जान मेनार्ड कीन्स (1883) का 'रोजगार, ब्याज एवं मुद्रा का सामान्य सिद्धांत' (सन्‌ 1936) नामक ग्रंथ अर्थशास्त्र की विशेष महत्वपूर्ण पुस्तक है। वास्तव में इस ग्रंथ ने पाश्चात्य अर्थशास्त्रियों की विचारधारा को आमूल परिवर्तित कर दिया है। इसी पर हेराड डोमर का सुप्रसिद्ध विकास माडल, लियोंतिफ का इन-पुट आउटपुट माडल आदि कई महत्वपूर्ण सिद्धांत उद्भूत हुए हैं। प्रो॰ सैम्युलसन मानते हैं कि कोई भी व्यक्ति या अर्थशास्त्री एक बार कीन्स के विश्लेषण से प्रभावित होने के बाद पुरानी विचारधाराओं की ओर नहीं लौटा। कीन्स के प्रभाव के कारण ही उनके पूर्ववर्ती आलोचक भी उनके समर्थक हो गए। वे बहुत स्पष्टवादी रहे और इसी कारण उनके आर्थिक विचार सुलझे हुए हैं। उन्होंने व्यावहारिक क्षेत्र में भी यथेष्ट योगदान दिया था। अमेरिका की न्यू डील, अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष तथा अंतराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (विश्व बैंक) आदि की स्थापना में उनका सक्रिय योगदान रहा है। कीन्स व्यष्टि अर्थशास्त्र के जन्मदाता रहे हैं। इसी हेतु उनका ग्रंथ 'सामान्य सिद्धांत' इतना लोकप्रिय हुआ। वैसे भी इस ग्रंथ में उन्होंने व्यापक आर्थिक विश्लेषण को स्पष्ट किया। उन्होंने अर्थशास्त्र को कुल आय तथा प्रभावी मांग का सिद्धांत दिया। उनके अनुसार रोजगार प्रभावी माँग पर निर्भर करता है। प्रभावी माँग स्वयं उपयोग तथा विनियोग पर निर्भर करती है। उपभोग का निर्धारण आय के आकार और समाज की उपभोग प्रवृत्ति के अनुसार होता है। अत: यदि रोजगार बढ़ाना है तो उपभोग तथा विनियोग दोनों में वृद्धि करना चाहिए। कीन्स ने मार्शल, पीगू, फिशर द्वारा दी गई आय की स्थैतिक परिभाषाओं में से किसी को भी स्वीकार नहीं किया क्योंकि कीन्स कें अनुसार वे उन तत्वों पर कोई प्रकाश नहीं डालतीं जो किसी विशेष समय में अर्थव्यवस्था में रोजगार और आय के स्तर को निर्धारित करते हैं। कीन्स ने सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की परिभाषा इस प्रकार दी जिससे उसे समाज में रोजगार का निर्धारण करने में सहायता मिले। मार्शल के मूल्य सिद्धांत का आधार जिस प्रकार 'कीमत' है, वैसे ही कीन्स के रोजगार सिद्धांत का आधार 'आय' है। उनके अनुसार 'कुल आय.

नई!!: आधुनिकतावाद और जॉन मेनार्ड कीन्स · और देखें »

जॉन रस्किन

जॉन रस्किन (8 फ़रवरी 1819 - 20 जनवरी 1 9 00) विक्टोरियन युग की प्रमुख अंग्रेजी कला आलोचक थे।, साथ ही एक आर्ट संरक्षक, ड्राफ्ट्समैन, वॉयल कॉरोलिस्ट, एक प्रमुख सामाजिक विचारक और परोपकारी थे। उन्होंने भूविज्ञान, वास्तुकला, मिथक, पक्षीविज्ञान, साहित्य, शिक्षा, वनस्पति विज्ञान और राजनीतिक अर्थव्यवस्था के रूप में विभिन्न विषयों पर लिखा था। उनकी लेखन शैलियों और साहित्यिक रूप समान रूप से भिन्न थे। उन्होंने निबंध और ग्रंथ, कविता और व्याख्यान, यात्रा गाइड और मैनुअल, पत्र और यहां तक ​​कि एक परियों की कहानी भी लिखी। उन्होंने विस्तृत स्केच और चट्टानों, पौधों, पक्षियों, परिदृश्य, और स्थापत्य संरचनाओं और अलंकरण के पेंटिंग भी बनाए। उनकी विस्तृत शैली, जिसने कला पर उनके शुरुआती लेखन को चित्रित किया, उन्होंने अपने विचारों को और अधिक प्रभावी ढंग से संवाद करने के लिए तैयार की गई सरल भाषा में समय दिया। अपने सभी लेखन में उन्होंने प्रकृति, कला और समाज के बीच संबंधों पर जोर दिया। वह 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में और प्रथम विश्व युद्ध तक बेहद प्रभावशाली थे। सापेक्ष गिरावट की अवधि के बाद, 1960 से अपने काम के कई शैक्षिक अध्ययनों के प्रकाशन के साथ उनकी प्रतिष्ठा में लगातार सुधार हुआ है। आज, उनके विचार और चिंताओं को पर्यावरणवाद, स्थिरता और शिल्प में अनुमानित रुचि के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और जॉन रस्किन · और देखें »

जोसेफ़ स्टालिन

जोज़ेफ विसारिओनोविच स्टालिन (रूसी: Ио́сиф Виссарио́нович Джугашвили) (1878-1953) सोवियत संघ का १९२२ से १९५३ तक नेता था। स्टालिन का जन्म गोरी जॉर्जिया में हुआ था। .

नई!!: आधुनिकतावाद और जोसेफ़ स्टालिन · और देखें »

ईसाई धर्म

'''ईद्भास/क्रॉस''' - यह ईसाई धर्म का निशान है ईसाई धर्म (अन्य प्रचलित नाम:मसीही धर्म व क्रिश्चियन धर्म) एक इब्राहीमीChristianity's status as monotheistic is affirmed in, amongst other sources, the Catholic Encyclopedia (article ""); William F. Albright, From the Stone Age to Christianity; H. Richard Niebuhr; About.com,; Kirsch, God Against the Gods; Woodhead, An Introduction to Christianity; The Columbia Electronic Encyclopedia; The New Dictionary of Cultural Literacy,; New Dictionary of Theology,, pp.

नई!!: आधुनिकतावाद और ईसाई धर्म · और देखें »

घोड़ा

घोड़ा, घोड़ी और उसका बच्चा घोड़े भी खेल में इस्तेमाल किया जाता है। घोड़ा या अश्व (Equus ferus caballus; ऐक़्वस फ़ेरस कैबेलस) ऐक़्वस फ़ेरस (Equus ferus) की दो अविलुप्त उपप्रजातियों में से एक हैं। वह एक विषम-उंगली खुरदार स्तनधारी हैं, जो अश्ववंश (ऐक़्वडी) कुल से ताल्लुक रखता हैं। घोड़े का पिछले ४५ से ५५ मिलियन वर्षों में एक छोटे बहु-उंगली जीव, ऐओहिप्पस (Eohippus) से आज के विशाल, एकल-उंगली जानवर में क्रम-विकास हुआ हैं। मनुष्यों ने ४००० ईसा पूर्व के आसपास घोड़ों को पालतू बनाना शुरू कर दिया, और उनका पालतूकरण ३००० ईसा पूर्व से व्यापक रूप से फैला हुआ माना जाता हैं। कैबेलस (caballus) उपप्रजाति में घोड़े पालतू बनाएँ जाते हैं, यद्यपि कुछ पालतू आबादियाँ वन में रहती हैं निरंकुश घोड़ो के रूप में। ये निरंकुश आबादियाँ असली जंगली घोड़े नहीं हैं, क्योंकि यह शब्द उन घोड़ो को वर्णित करने के लिए प्रयुक्त होता हैं जो कभी पालतू बनाएँ ही नहीं गएँ हो, जैसे कि विलुप्तप्राय शेवालस्की का घोड़ा, जो एक अलग उपप्रजाति हैं और बचा हुआ केवल एकमात्र असली जंगली घोड़ा हैं। वह मनुष्य से जुड़ा हुआ संसार का सबसे प्राचीन पालतू स्तनपोषी प्राणी है, जिसने अज्ञात काल से मनुष्य की किसी ने किसी रूप में सेवा की है। घोड़ा ईक्यूडी (Equidae) कुटुंब का सदस्य है। इस कुटुंब में घोड़े के अतिरिक्त वर्तमान युग का गधा, जेबरा, भोट-खर, टट्टू, घोड़-खर एवं खच्चर भी है। आदिनूतन युग (Eosin period) के ईयोहिप्पस (Eohippus) नामक घोड़े के प्रथम पूर्वज से लेकर आज तक के सारे पूर्वज और सदस्य इसी कुटुंब में सम्मिलित हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ईक्वस (Equus) लैटिन से लिया गया है, जिसका अर्थ घोड़ा है, परंतु इस कुटुंब के दूसरे सदस्य ईक्वस जाति की ही दूसरों छ: उपजातियों में विभाजित है। अत: केवल ईक्वस शब्द से घोड़े को अभिहित करना उचित नहीं है। आज के घोड़े का सही नाम ईक्वस कैबेलस (Equus caballus) है। इसके पालतू और जंगली संबंधी इसी नाम से जाने जातें है। जंगली संबंधियों से भी यौन संबंध स्थापति करने पर बाँझ संतान नहीं उत्पन्न होती। कहा जाता है, आज के युग के सारे जंगली घोड़े उन्ही पालतू घोड़ो के पूर्वज हैं जो अपने सभ्य जीवन के बाद जंगल को चले गए और आज जंगली माने जाते है। यद्यपि कुछ लोग मध्य एशिया के पश्चिमी मंगोलिया और पूर्वी तुर्किस्तान में मिलनेवाले ईक्वस प्रज़्वेलस्की (Equus przwalski) नामक घोड़े को वास्तविक जंगली घोड़ा मानते है, तथापि वस्तुत: यह इसी पालतू घोड़े के पूर्वजो में से है। दक्षिण अफ्रिका के जंगलों में आज भी घोड़े बृहत झुंडो में पाए जाते है। एक झुंड में एक नर ओर कई मादाएँ रहती है। सबसे अधिक 1000 तक घोड़े एक साथ जंगल में पाए गए है। परंतु ये सब घोड़े ईक्वस कैबेलस के ही जंगली पूर्वज है और एक घोड़े को नेता मानकर उसकी आज्ञा में अपना सामाजिक जीवन व्यतीत करतेे है। एक गुट के घोड़े दूसरे गुट के जीवन और शांति को भंग नहीं करते है। संकटकाल में नर चारों तरफ से मादाओ को घेर खड़े हो जाते है और आक्रमणकारी का सामना करते हैं। एशिया में काफी संख्या में इनके ठिगने कद के जंगली संबंधी 50 से लेकर कई सौ तक के झुंडों में मिलते है। मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुसार उन्हे पालतू बनाता रहता है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और घोड़ा · और देखें »

वास्तविक संख्या

गणित में, वास्तविक संख्या सरल रेखा के अनुदिश किसी राशी को प्रस्तुत करने वाला मान है। वास्तविक संख्याओं में सभी परिमेय संख्यायें जैसे -5 एवं भिन्नात्मक संख्यायें जैसे 4/3 और सभी अपरिमेय संख्यायें जैसे √2 (1.41421356…, 2 का वर्गमूल, एक अप्रिमेय बीजीय संख्या) शामिल हैं। वास्तविक संख्याओं में अप्रिमेय संख्याओं को शामिल करने से इन्हें वास्तविक संख्या रेखा के रूप में एक रेखा पर निरुपित किये जा सकने वाले अनन्त बिन्दुओं से प्रस्तुत किया जा सकता है। श्रेणी:गणित *.

नई!!: आधुनिकतावाद और वास्तविक संख्या · और देखें »

वास्तुकला

'''अंकोरवाट मंदिर''' विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक संरचना है भवनों के विन्यास, आकल्पन और रचना की, तथा परिवर्तनशील समय, तकनीक और रुचि के अनुसार मानव की आवश्यकताओं को संतुष्ट करने योग्य सभी प्रकार के स्थानों के तर्कसंगत एवं बुद्धिसंगत निर्माण की कला, विज्ञान तथा तकनीक का संमिश्रण वास्तुकला (आर्किटेक्चर) की परिभाषा में आता है। इसका और भी स्पष्टकीण किया जा सकता है। वास्तुकला ललितकला की वह शाखा रही है और है, जिसका उद्देश्य औद्योगिकी का सहयोग लेते हुए उपयोगिता की दृष्टि से उत्तम भवननिर्माण करना है, जिनके पर्यावरण सुसंस्कृत एवं कलात्मक रुचि के लिए अत्यंत प्रिय, सौंदर्य-भावना के पोषक तथा आनंदकर एवं आनंदवर्धक हों। प्रकृति, बुद्धि एवं रुचि द्वारा निर्धारित और नियमित कतिपय सिद्धांतों और अनुपातों के अनुसार रचना करना इस कला का संबद्ध अंग है। नक्शों और पिंडों का ऐसा विन्यास करना और संरचना को अत्यंत उपयुक्त ढंग से समृद्ध करना, जिससे अधिकतम सुविधाओं के साथ रोचकता, सौंदर्य, महानता, एकता और शक्ति की सृष्टि हो से यही वास्तुकौशल है। प्रारंभिक अवस्थाओं में, अथवा स्वल्पसिद्धि के साथ, वास्तुकला का स्थान मानव के सीमित प्रयोजनों के लिए आवश्यक पेशों, या व्यवसायों में-प्राय: मनुष्य के लिए किसी प्रकार का रक्षास्थान प्रदान करने के लिए होता है। किसी जाति के इतिहास में वास्तुकृतियाँ महत्वपूर्ण तब होती हैं, जब उनमें किसी अंश तक सभ्यता, समृद्धि और विलासिता आ जाती है और उनमें जाति के गर्व, प्रतिष्ठा, महत्वाकांक्षा और आध्यात्मिकता की प्रकृति पूर्णतया अभिव्यक्त होती है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और वास्तुकला · और देखें »

विभाजन

विभाजन से इनमें से कोई तात्पर्य हो सकता है.

नई!!: आधुनिकतावाद और विभाजन · और देखें »

विलियम बटलर येट्स

विलियम बटलर येट्स एक आयरिश कवि और 20 वीं सदी के साहित्य के अग्रणी नेताओं में से एक था। वह एक साहित्य का नोबेल पुरस्कार विजयता भी था। दोनों आयरिश और ब्रिटिश साहित्यिक प्रतिष्ठानों का एक स्तंभ, उसने एबे रंगमंच की नींव डालने में मदद की, और उसके बाद के वर्षों में दो कार्यकालों के लिए एक आयरिश सीनेटर के रूप में सेवा और लेडी ग्रेगरी, एडवर्ड मार्टिन और दूसरों के साथ आयरिश साहित्यिक पुनरुद्धार के पीछे एक प्रेरणा शक्ति थी। .

नई!!: आधुनिकतावाद और विलियम बटलर येट्स · और देखें »

विलियम कार्लोस विलियम्स

अमेरिका का राष्ट्रिय पुस्तक पुरस्कार विजेता श्रेणी:अमेरिकी लेखक श्रेणी:1883 में जन्मे लोग श्रेणी:१९६३ में निधन.

नई!!: आधुनिकतावाद और विलियम कार्लोस विलियम्स · और देखें »

विज्ञापन

400000000 ही विज्ञापन (टाइम्स स्क्वायर) किसी उत्पाद अथवा सेवा को बेचने अथवा प्रवर्तित करने के उद्देश्य से किया जाने वाला जनसंचार विज्ञापन (Advertising) कहलाता है। विज्ञापन विक्रय कला का एक नियंत्रित जनसंचार माध्यम है जिसके द्वारा उपभोक्ता को दृश्य एवं श्रव्य सूचना इस उद्देश्य से प्रदान की जाती है कि वह विज्ञापनकर्ता की इच्छा से विचार सहमति, कार्य अथवा व्यवहार करने लगे। औद्योगिकीकरण आज विकास का पर्याय बन गया है। उत्पादन बढ़ने के कारण यह आवश्यक हो गया है कि उत्पादित वस्तुआें को उपभोक्ता तक पहुँचाया ही नहीं जाय बल्कि उसे उस वस्तु की जानकारी की दी जाय। वस्तुतः मनुष्य को जिन वस्तुआें की आवश्यकता होती है व उन्हें तलाश ही लेता इसके ठीक विपरीत उसे जिसकी जरूरत नहीं होती वह उसके बारे में सुनकर अपना समय खराब नहीं करना चाहता। इस अर्थ में विज्ञापन वस्तुआें को ऐसे लोगों तक पहुँचाने का कार्य करता है जो यह मान चुके होते है कि उन वस्तुआें की उसे कोई जरूरत नहीं है। आशय यह कि उत्पादित वस्तु को लोकप्रिय बनाने तथा उसकी आवश्यकता महसूस कराने का कार्य विज्ञापन करता है। विज्ञापन अपने छोटे से संरचना में बहुत कुछ समाये होते है। वह बहुत कम बोलकर भी बहुत कुछ कह जाते है। आज विज्ञापन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। सुबह आंख खुलते ही चाय की चुस्की के साथ अखबार में सबसे पहले दृष्टि विज्ञापन पर ही जाती है। घर के बाहर पैर रखते ही हम विज्ञापन की दुनिया से घिर जाते है। चाय की दुकान से लेकर वाहनों और दिवारों तक हर जगह विज्ञापन ही विज्ञापन दिखाई देते हैं। किसी भी तथ्य को यदि बार-बार लगातार दोहराया जाये तो वह सत्य प्रतीत होने लगता है - यह विचार ही विज्ञापनों का आधारभूत तत्व है। विज्ञापन जानकारी भी प्रदान करते है। उदाहरण के लिए कोई भी वस्तु जब बाजार में आती है, उसके रूप - रंग - सरंचना व गुण की जानकारी विज्ञापनों के माध्यम से ही मिलती है। जिसके कारण ही उपभोक्ता को सही और गलत की पहचान होती है। इसलिए विज्ञापन हमारे लिए जरूरी है। जहाँ तक उपभोक्ता वस्तुओं का सवाल है, विज्ञापनों का मूल उद्देश्य ग्राहको के अवचेतन मन पर छाप छोड़ जाता है और विज्ञापन इसमें सफल भी होते है। यह 'कहीं पे निगाहें, कही पे निशाना' का सा अन्दाज है। विज्ञापन सन्देश आमतौर पर प्रायोजकों द्वारा भुगतान किया है और विभिन्न माध्यमों के द्वारा देखा जाता है जैसे समाचार पत्र, पत्रिकाओं, टीवी विज्ञापन, रेडियो विज्ञापन, आउटडोर विज्ञापन, ब्लॉग या वेब्साइट आदि। वाणिज्यिक विज्ञापनदाता अक्सर उपभोक्ताओं के मन में कुछ गुणों के साथ एक उत्पाद का नाम या छवि जोड़ जाते हैं जिसे हम "ब्रान्डिग" कहते है। ब्रान्डिग उत्पाद या सेवा की बिक्री बढाने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। गैर-वाणिज्यिक विज्ञापनों का उपयोग राजनीतिक दल, हित समूह, धार्मिक संगठन और सरकारी एजेंसियाँ करतीं हैं। 2015 में पूरे विश्व में विज्ञापन पर कोई 529 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये जाने का अनुमान है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और विज्ञापन · और देखें »

विकास

विकास नाम से कई लेख हैं:-.

नई!!: आधुनिकतावाद और विकास · और देखें »

गगनचुम्बी इमारत

एक गगनचुम्बी ईमारत बेहद ऊँची, लंबी और कई मंज़िला ईमारत होती है जिसे मुख्यतः रहने या व्यावसाइक इस्तमाल के लिए बनाई जाती है। गगनचुम्बी ईमारत की कोई आधिकृत परिभाषा नहीं है ना ही कोई ऊंचाई की की न्यूनतम सीमा है जिसके उपर बनी इमारतों को गगनचुम्बी कहा जा सकता है। इनकी मुख्य विशेषता यह होती है की इनमे लोहे के ढांचे का प्रयोग किया जाता है जिनपर दीवारें बनाई जाती है बजाए साधारण इमारतों की तरह जिनमे लोड-बेयरिंग की प्रकार का उपयोग किया जाता है। *.

नई!!: आधुनिकतावाद और गगनचुम्बी इमारत · और देखें »

औद्योगीकरण

सन् १८६० के आस-पास जर्मनी के एक औद्योगिक कारखाने का दृष्य औद्योगीकरण एक सामाजिक तथा आर्थिक प्रक्रिया का नाम है। इसमें मानव-समूह की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बदल जाती है जिसमें उद्योग-धन्धों का बोलबाला होता है। वस्तुत: यह आधुनीकीकरण का एक अंग है। बड़े-पैमाने की उर्जा-खपत, बड़े पैमाने पर उत्पादन, धातुकर्म की अधिकता आदि औद्योगीकरण के लक्षण हैं। एक प्रकार से यह निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने के हिसाब से अर्थप्रणाली का बड़े पैमाने पर संगठन है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और औद्योगीकरण · और देखें »

आध्यात्मिकता

हेलिक्स नेब्युला, कभी-कभी इसे "भगवान की आंख" कहा जाता है आध्यात्मिकता, मूर्तिपूजा शब्द के समान ही कई अलग मान्यताओं और पद्धतियों के लिए प्रयुक्त शब्द है, यद्यपि यह उन लोगों के साथ विश्वासों को साझा नहीं करती है जो मूर्तिपूजक हैं अथवा अनिवार्यतः आत्मा के अस्तित्व में विश्वास या अविश्वास से निर्मित नहीं है। आध्यात्मिकता की एक सामान्य परिभाषा यह हो सकती है कि यह ईश्वरीय उद्दीपन की अनुभूति प्राप्त करने का एक दृष्टिकोण है, जो धर्म से अलग है। आध्यात्मिकता को, ऐसी परिस्थितियों में अक्सर धर्म की अवधारणा के विरोध में रखा जाता है, जहां धर्म को संहिताबद्ध, प्रामाणिक, कठोर, दमनकारी, या स्थिर के रूप में ग्रहण किया जाता है, जबकि अध्यात्म एक विरोधी स्वर है, जो आम बोलचाल की भाषा में स्वयं आविष्कृत प्रथाओं या विश्वासों को दर्शाता है, अथवा उन प्रथाओं और विश्वासों को, जिन्हें बिना किसी औपचारिक निर्देशन के विकसित किया गया है। इसे एक अभौतिक वास्तविकता के अभिगम के रूप में उल्लिखित किया गया है; एक आंतरिक मार्ग जो एक व्यक्ति को उसके अस्तित्व के सार की खोज में सक्षम बनाता है; या फिर "गहनतम मूल्य और अर्थ जिसके साथ लोग जीते हैं।" आध्यात्मिक व्यवहार, जिसमें ध्यान, प्रार्थना और चिंतन शामिल हैं, एक व्यक्ति के आतंरिक जीवन के विकास के लिए अभिप्रेत है; ऐसे व्यवहार अक्सर एक बृहद सत्य से जुड़ने की अनुभूति में फलित होती है, जिससे अन्य व्यक्तियों या मानव समुदाय के साथ जुड़े एक व्यापक स्व की उत्पत्ति होती है; प्रकृति या ब्रह्मांड के साथ; या दैवीय प्रभुता के साथ.

नई!!: आधुनिकतावाद और आध्यात्मिकता · और देखें »

आपेक्षिकता सिद्धांत

सामान्य आपेक्षिकता में वर्णित त्रिविमीय स्पेस-समय कर्वेचर की एनालॉजी के का द्विविमीयप्रक्षेपण। आपेक्षिकता सिद्धांत अथवा सापेक्षिकता का सिद्धांत (अंग्रेज़ी: थ़िओरी ऑफ़ रॅलेटिविटि), या केवल आपेक्षिकता, आधुनिक भौतिकी का एक बुनियादी सिद्धांत है जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने विकसित किया और जिसके दो बड़े अंग हैं - विशिष्ट आपेक्षिकता (स्पॅशल रॅलॅटिविटि) और सामान्य आपेक्षिकता (जॅनॅरल रॅलॅटिविटि)। फिर भी कई बार आपेक्षिकता या रिलेटिविटी शब्द को गैलीलियन इन्वैरियन्स के संदर्भ में भी प्रयोग किया जाता है। थ्योरी ऑफ् रिलेटिविटी नामक इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले सन १९०६ में मैक्स प्लैंक ने किया था। यह अंग्रेज़ी शब्द समूह "रिलेटिव थ्योरी" (Relativtheorie) से लिया गया था जिसमें यह बताया गया है कि कैसे यह सिद्धांत प्रिंसिपल ऑफ रिलेटिविटी का प्रयोग करता है। इसी पेपर के चर्चा संभाग में अल्फ्रेड बुकरर ने प्रथम बार "थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी" (Relativitätstheorie) का प्रयोग किया था। .

नई!!: आधुनिकतावाद और आपेक्षिकता सिद्धांत · और देखें »

आकृति

आकृति एक हिन्दी शब्द है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और आकृति · और देखें »

कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र

साम्यवादी घोषणापत्र का प्रथम पृष्ठ कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र (जर्मन: Manifest der Kommunistischen Partei) वैज्ञानिक कम्युनिज़्म का पहला कार्यक्रम-मूलक दस्तावेज़ है जिसमें मार्क्सवाद और साम्यवाद के मूल सिद्धान्तों की विवेचना की गयी है। यह महान ऐतिहासिक दस्तावेज़ वैज्ञानिक कम्युनिज़्म के सिद्धान्त के प्रवर्तक कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स ने तैयार किया था और २१ फ़रवरी सन् १८४८ को पहली बार जर्मन भाषा में प्रकाशित हुआ था। इसे प्राय: साम्यवादी घोषणापत्र (Communist manifesto) के नाम से जाना जाता है। यह संसार की सबसे प्रभावशाली राजनैतिक पाण्डुलिपियों में से एक है। इसमें (वर्तमान एवं आधुनिक) वर्ग संघर्ष तथा पूंजी की समस्यों की विश्लेषणात्मक विवेचन किया गया है (न कि साम्यवाद के भावी रूपों की भविष्यवाणी)। लेनिन के शब्दों में, यह छोटी-सी पुस्तिका अनेकानेक ग्रन्थों के बराबर है; उसकी आत्मा सभ्य संसार के समस्त संगठित और संघर्षशील सर्वहाराओं को प्रेरणा देती रही है और उनका मार्गदर्शन करती रही है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र · और देखें »

कला

राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित 'गोपिका' कला (आर्ट) शब्द इतना व्यापक है कि विभिन्न विद्वानों की परिभाषाएँ केवल एक विशेष पक्ष को छूकर रह जाती हैं। कला का अर्थ अभी तक निश्चित नहीं हो पाया है, यद्यपि इसकी हजारों परिभाषाएँ की गयी हैं। भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित हो। यूरोपीय शास्त्रियों ने भी कला में कौशल को महत्त्वपूर्ण माना है। कला एक प्रकार का कृत्रिम निर्माण है जिसमे शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और कला · और देखें »

कलाकृति

कलाकृति (work of art या artwork) ऐसी भौतिक वस्तु को कहते हैं जिनका कला या सौन्दर्य की दृष्टि से मूल्य हो। यह आमतौर पर मानव-कृत होती हैं। चित्रकला, शिल्पकला, आभूषण, आंतरिक डिज़ाइन की वस्तुएँ, इत्यादि सभी कलाकृति के उदाहरण हैं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और कलाकृति · और देखें »

कार्ल मार्क्स

कार्ल हेनरिख मार्क्स (1818 - 1883) जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक समाजवाद का प्रणेता थे। इनका जन्म 5 मई 1818 को त्रेवेस (प्रशा) के एक यहूदी परिवार में हुआ। 1824 में इनके परिवार ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया। 17 वर्ष की अवस्था में मार्क्स ने कानून का अध्ययन करने के लिए बॉन विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। तत्पश्चात्‌ उन्होंने बर्लिन और जेना विश्वविद्यालयों में साहित्य, इतिहास और दर्शन का अध्ययन किया। इसी काल में वह हीगेल के दर्शन से बहुत प्रभावित हुए। 1839-41 में उन्होंने दिमॉक्रितस और एपीक्यूरस के प्राकृतिक दर्शन पर शोध-प्रबंध लिखकर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा समाप्त करने के पश्चात्‌ 1842 में मार्क्स उसी वर्ष कोलोन से प्रकाशित 'राइनिशे जीतुंग' पत्र में पहले लेखक और तत्पश्चात्‌ संपादक के रूप में सम्मिलित हुआ किंतु सर्वहारा क्रांति के विचारों के प्रतिपादन और प्रसार करने के कारण 15 महीने बाद ही 1843 में उस पत्र का प्रकाशन बंद करवा दिया गया। मार्क्स पेरिस चला गया, वहाँ उसने 'द्यूस फ्रांजोसिश' जारबूशर पत्र में हीगेल के नैतिक दर्शन पर अनेक लेख लिखे। 1845 में वह फ्रांस से निष्कासित होकर ब्रूसेल्स चला गया और वहीं उसने जर्मनी के मजदूर सगंठन और 'कम्युनिस्ट लीग' के निर्माण में सक्रिय योग दिया। 1847 में एजेंल्स के साथ 'अंतराष्ट्रीय समाजवाद' का प्रथम घोषणापत्र (कम्युनिस्ट मॉनिफेस्टो) प्रकाशित किया 1848 में मार्क्स ने पुन: कोलोन में 'नेवे राइनिशे जीतुंग' का संपादन प्रारंभ किया और उसके माध्यम से जर्मनी को समाजवादी क्रांति का संदेश देना आरंभ किया। 1849 में इसी अपराघ में वह प्रशा से निष्कासित हुआ। वह पेरिस होते हुए लंदन चला गया जीवन पर्यंत वहीं रहा। लंदन में सबसे पहले उसने 'कम्युनिस्ट लीग' की स्थापना का प्रयास किया, किंतु उसमें फूट पड़ गई। अंत में मार्क्स को उसे भंग कर देना पड़ा। उसका 'नेवे राइनिश जीतुंग' भी केवल छह अंको में निकल कर बंद हो गया। कोलकाता, भारत 1859 में मार्क्स ने अपने अर्थशास्त्रीय अध्ययन के निष्कर्ष 'जुर क्रिटिक दर पोलिटिशेन एकानामी' नामक पुस्तक में प्रकाशित किये। यह पुस्तक मार्क्स की उस बृहत्तर योजना का एक भाग थी, जो उसने संपुर्ण राजनीतिक अर्थशास्त्र पर लिखने के लिए बनाई थी। किंतु कुछ ही दिनो में उसे लगा कि उपलब्ध साम्रगी उसकी योजना में पूर्ण रूपेण सहायक नहीं हो सकती। अत: उसने अपनी योजना में परिवर्तन करके नए सिरे से लिखना आंरभ किया और उसका प्रथम भाग 1867 में दास कैपिटल (द कैपिटल, हिंदी में पूंजी शीर्षक से प्रगति प्रकाशन मास्‍को से चार भागों में) के नाम से प्रकाशित किया। 'द कैपिटल' के शेष भाग मार्क्स की मृत्यु के बाद एंजेल्स ने संपादित करके प्रकाशित किए। 'वर्गसंघर्ष' का सिद्धांत मार्क्स के 'वैज्ञानिक समाजवाद' का मेरूदंड है। इसका विस्तार करते हुए उसने इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या और बेशी मूल्य (सरप्लस वैल्यू) के सिद्धांत की स्थापनाएँ कीं। मार्क्स के सारे आर्थिक और राजनीतिक निष्कर्ष इन्हीं स्थापनाओं पर आधारित हैं। 1864 में लंदन में 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' की स्थापना में मार्क्स ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संघ की सभी घोषणाएँ, नीतिश् और कार्यक्रम मार्क्स द्वारा ही तैयार किये जाते थे। कोई एक वर्ष तक संघ का कार्य सुचारू रूप से चलता रहा, किंतु बाकुनिन के अराजकतावादी आंदोलन, फ्रांसीसी जर्मन युद्ध और पेरिस कम्यूनों के चलते 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' भंग हो गया। किंतु उसकी प्रवृति और चेतना अनेक देशों में समाजवादी और श्रमिक पार्टियों के अस्तित्व के कारण कायम रही। 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ' भंग हो जाने पर मार्क्स ने पुन: लेखनी उठाई। किंतु निरंतर अस्वस्थता के कारण उसके शोधकार्य में अनेक बाधाएँ आईं। मार्च 14, 1883 को मार्क्स के तूफानी जीवन की कहानी समाप्त हो गई। मार्क्स का प्राय: सारा जीवन भयानक आर्थिक संकटों के बीच व्यतीत हुआ। उसकी छह संतानो में तीन कन्याएँ ही जीवित रहीं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और कार्ल मार्क्स · और देखें »

काव्य

काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है। इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है। कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है। काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो। अर्थात् वहजिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। रसगंगाधर में 'रमणीय' अर्थ के प्रतिपादक शब्द को 'काव्य' कहा है। 'अर्थ की रमणीयता' के अंतर्गत शब्द की रमणीयता (शब्दलंकार) भी समझकर लोग इस लक्षण को स्वीकार करते हैं। पर 'अर्थ' की 'रमणीयता' कई प्रकार की हो सकती है। इससे यह लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं है। साहित्य दर्पणाकार विश्वनाथ का लक्षण ही सबसे ठीक जँचता है। उसके अनुसार 'रसात्मक वाक्य ही काव्य है'। रस अर्थात् मनोवेगों का सुखद संचार की काव्य की आत्मा है। काव्यप्रकाश में काव्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र। ध्वनि वह है जिस, में शब्दों से निकले हुए अर्थ (वाच्य) की अपेक्षा छिपा हुआ अभिप्राय (व्यंग्य) प्रधान हो। गुणीभूत ब्यंग्य वह है जिसमें गौण हो। चित्र या अलंकार वह है जिसमें बिना ब्यंग्य के चमत्कार हो। इन तीनों को क्रमशः उत्तम, मध्यम और अधम भी कहते हैं। काव्यप्रकाशकार का जोर छिपे हुए भाव पर अधिक जान पड़ता है, रस के उद्रेक पर नहीं। काव्य के दो और भेद किए गए हैं, महाकाव्य और खंड काव्य। महाकाव्य सर्गबद्ध और उसका नायक कोई देवता, राजा या धीरोदात्त गुंण संपन्न क्षत्रिय होना चाहिए। उसमें शृंगार, वीर या शांत रसों में से कोई रस प्रधान होना चाहिए। बीच बीच में करुणा; हास्य इत्यादि और रस तथा और और लोगों के प्रसंग भी आने चाहिए। कम से कम आठ सर्ग होने चाहिए। महाकाव्य में संध्या, सूर्य, चंद्र, रात्रि, प्रभात, मृगया, पर्वत, वन, ऋतु, सागर, संयोग, विप्रलम्भ, मुनि, पुर, यज्ञ, रणप्रयाण, विवाह आदि का यथास्थान सन्निवेश होना चाहिए। काव्य दो प्रकार का माना गया है, दृश्य और श्रव्य। दृश्य काव्य वह है जो अभिनय द्वारा दिखलाया जाय, जैसे, नाटक, प्रहसन, आदि जो पढ़ने और सुनेन योग्य हो, वह श्रव्य है। श्रव्य काव्य दो प्रकार का होता है, गद्य और पद्य। पद्य काव्य के महाकाव्य और खंडकाव्य दो भेद कहे जा चुके हैं। गद्य काव्य के भी दो भेद किए गए हैं- कथा और आख्यायिका। चंपू, विरुद और कारंभक तीन प्रकार के काव्य और माने गए है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और काव्य · और देखें »

क्रान्ति

क्रान्ति (Revolution) अधिकारों या संगठनात्मक संरचना में होने वाला एक मूलभूत परिवर्तन है जो अपेक्षाकृत कम समय में ही घटित होता है। अरस्तू ने दो प्रकार की राजनीतिक क्रान्तियों का वर्णन किया है.

नई!!: आधुनिकतावाद और क्रान्ति · और देखें »

कृषि

कॉफी की खेती कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है। तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक खेती (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है। आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि हॉर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं। प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक, और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांस। रेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और सन (फ्लैक्स) शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तम्बाकू, शराब, अफ़ीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं मिथेन, जैवभार (बायोमास), इथेनॉल और बायोडीजल। कटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं। 2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और कृषि · और देखें »

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस (CUP) कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का प्रकाशन व्यवसाय है। 1534 में हेनरी अष्ठम द्वारा इसे लेटर्स पेटेंट दिया गया था। यह दुनिया का सबसे पुराना पब्लिशिंग हाउस और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी प्रेस (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के बाद) है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस · और देखें »

अतियथार्थवाद

मैक्स अर्न्स्ट की रचना - 'द एलिफैण्ट सेलिबिस' (सन् १९२१) अतियथार्थवाद (सर्रियलिज्म / Surrealism), कला और साहित्य के क्षेत्र में प्रथम महायुद्ध के लगभग प्रचलित होने वाली शैली और आंदोलन था। चित्रण और मूर्तिकला में तो (चित्रपट के चित्रों में भी) यह आधुनिकतम शैली और तकनीक हैं। इसके प्रचारकों और कलाकारों में चिरिको, दालों, मोरो, आर्प, ब्रेतों, मासं आदि प्रधान हैं। कला में इस सृष्टि का दार्शनिक निरूपण 1924 में आंद्रे ब्रेतों ने अपनी अतियथार्थवादी घोषणा (सर्रियलिस्ट मैनिफेस्टो) में किया। अतियथार्थवाद कला की, सामाजिक यथार्थवाद के अतिरिक्त, नवीनतम शैली है और इधर, मनोविज्ञान की प्रगति से प्रभावित, प्रभूत लोकप्रिय हुई है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और अतियथार्थवाद · और देखें »

अनुभववाद

अनुभववाद (एंपिरिसिज्म) एक दार्शनिक सिद्धांत है जिसमें इंदियों को ज्ञान का माध्यम माना जाता है और जिसका मनोविज्ञान के संवेदनवाद (सेंसेशनलिज़्म) का विकास अनुभववाद में हुआ। इस वाद के अनुसार प्रत्यक्षीकरण संवेदनाओं और प्रतिमाओं का साहचर्य हैं। हॉब्स और लॉक की परंपरा के अनूभववादियों ने स्थापना की कि मन स्थिति जन्मजात न होकर अनुभवजन्य होती हैं। बर्कले ने प्रथम बार यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि मूलत: अनुभव में स्पर्श और दृश्य संस्कारों के साथ सहचरित हो जानेवाले पदार्थों की गति का प्रत्यक्ष आधारित रहता हैं। अनुभववाद के प्रमुख समथर्क हॉक, बर्कले, ह्मम तथा हार्टले हैं। फ्रांस मे कांडीलिक, लामेट्री और बीने, स्काटलैंड में रीड,डेविड ह्यूम और थामस ब्राउन तथा इंग्लैड में जेम्स मिल,जान स्टूअर्ट मिल एवं बेन का समर्थन इस वाद को मिला। सर चार्ल्स बुल, जोहनेस मिलर, हैलर, लॉट्ज और वुंट इत्यादि उन्नीसवीं शती के दैहिक मनोवैज्ञानिकों ने अनुभववाद को दैहिकी रूप प्रदान किया। अंतत: शरीरवेत्ताओं की दैहिकी व्याख्या और दार्शनिकों के संवेदनात्मक मनोविज्ञान का समन्वय हो गया। इस समन्वय का प्रतिनिधित्व ब्राउन, लॉट्ज, हेल्महोलत्ज तथा वुंट का अनुभववादी मनोविज्ञान करता है जिसमें सहजज्ञानवाद का स्पष्ट खंडन है। बीसवीं शताब्दी के मनोविज्ञान में प्राकृत बोधवाद तथा अनुभववाद की समस्याएँ नहीं है। प्राकृत बोधवाद की समस्या ने घटना-क्रिया-विज्ञान (फिनॉमिनॉलॉजी) एवं अनुभववाद मं व्यवहारवाद (बिहेवियरिज़्म) तथा संक्रियावाद (आपरेशनिज्म) का रूप ले लिया हैं। .

नई!!: आधुनिकतावाद और अनुभववाद · और देखें »

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

किसी सूचना या विचार को बोलकर, लिखकर या किसी अन्य रूप में बिना किसी रोकटोक के अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (freedom of expression) कहलाती है। अत: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हमेशा कुछ न कुछ सीमा अवश्य होती है। भारत के संविधान के अनुच्छेद १९(१) के तहत सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गयी है। अभिव्‍यक्‍ित की स्‍वतंत्रता अपने भावों और विचारों को व्‍यक्‍त करने का एक राजनीतिक अधिकार है। इसके तहत कोई भी व्‍यक्ति न सिर्फ विचारों का प्रचार-प्रसार कर सकता है, बल्कि किसी भी तरह की सूचना का आदान-प्रदान करने का अधिकार रखता है। हालांकि, यह अधिकार सार्वभौमिक नहीं है और इस पर समय-समय पर युक्‍ितयुक्‍त निर्बंधन लगाए जा सकते हैं। राष्‍ट्र-राज्‍य के पास यह अधिकार सुरक्षित होता है कि वह संविधान और कानूनों के तहत अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता को किस हद तक जाकर बाधित करने का अधिकार रखता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे- वाह्य या आंतरिक आपातकाल या राष्‍ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अभिव्‍यक्‍ित की स्‍वंतत्रता सीमित हो जाती है। संयुक्‍त राष्‍ट्र की सार्वभौमिक मानवाधिकारों के घोषणा पत्र में मानवाधिकारों को परिभाषित किया गया है। इसके अनुच्‍छेद 19 में कहा गया है कि किसी भी व्‍यक्ति के पास अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता का अधिकार होगा जिसके तहत वह किसी भी तरह के विचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान को स्‍वतंत्र होगा। .

नई!!: आधुनिकतावाद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता · और देखें »

अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

नई!!: आधुनिकतावाद और अर्थशास्त्र · और देखें »

अर्न्स्ट माक

अर्न्स्ट माक ऑस्ट्रिया के भौतिक विज्ञानी और दार्शनिक थे। .

नई!!: आधुनिकतावाद और अर्न्स्ट माक · और देखें »

अर्नेस्ट हेमिंग्वे

अर्नेस्ट हेमिंग्वे (1899-1961) अमेरिकन उपन्यासकार तथा कहानीकार थे। 1954 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता। अपने संघर्षपूर्ण जीवन के बहुविध अनुभवों का इन्होंने सफलतम सर्जनात्मक उपयोग किया तथा अनेक ऐसी रचनाएँ दीं जो आत्म-अनुभवजन्य होने का संकेत देती हुई भी कलात्मकता के शिखर को छूती है। अर्नेस्ट हेमिंग्वे .

नई!!: आधुनिकतावाद और अर्नेस्ट हेमिंग्वे · और देखें »

अस्तित्ववाद

किर्कगार्द, दास्त्रावस्की, नीत्शे तथा सार्त्र (बाएँ से दाएँ, ऊपर से नीचे) अस्तित्ववाद (एग्जिस्टेशन्शिएलिज़्म / existentialism) एक ऐसी विचारधारा है जिसमें अस्तित्व को तत्व से ऊपर समझा जाता है। इसके अनुसार मानव अपने पर्यावरण की निर्जीव वस्तुओं से आत्मबोध का उत्तरदायित्व पूर्णतया स्वयं लेता है। अतः उसे अपने पर्यावरण में तत्वज्ञान की अपेक्षा नहीं होती। 1940 व 1950 के दशक में अस्तित्ववाद पूरे यूरोप में एक विचारक्रांति के रूप में उभरा। यूरोप भर के दार्शनिक व विचारकों ने इस आंदोलन में अपना योगदान दिया है। इनमें ज्यां-पाल सार्त्र, अल्बर्ट कामू व इंगमार बर्गमन प्रमुख हैं। कालांतर में अस्तित्ववाद की दो धाराएं हो गई।.

नई!!: आधुनिकतावाद और अस्तित्ववाद · और देखें »

उत्तर आधुनिकतावाद

उत्तर आधुनिकतावाद (Postmodernism) २०वीं शताब्दी के दूसरे भाग में दर्शनशास्त्र, कला, वास्तुशास्त्र और आलोचना के क्षेत्रों में फैला एक सांस्कृतिक आंदोलन था जिसने अपने से पहले प्रचलित आधुनिकतावाद को चुनौती दी और सांस्कृतिक वातावरण बदल डाला। इस नई विचारशैली में विचारधाराओं, एक निर्धारित दिशा वाले सामाजिक विकास और वस्तुनिष्ठावाद के विरुद्ध, और संशयवाद, व्यक्तिपरकता (subjectivity) और व्यंगोक्ति की ओर रुझान प्रचलित हो गया। .

नई!!: आधुनिकतावाद और उत्तर आधुनिकतावाद · और देखें »

उदात्त

वैदिक स्वर-चिह्न 'उदात्त', अनुदात्त आदि के लिये वैदिक स्वराघात पर जाँय। ---- उदात्त (Sublime) काव्याभिव्यंजना के वैशिष्ट्य एवं उत्कर्ष का कारणतत्व है जिसका प्रतिपादन लोंगिनुस (लांजाइनस) ने अपनी कृति "पेरिइप्सुस" (काव्य में उदात्त तत्व) में किया है। इसके अनुसार उदात्त तत्व शैली की वह महत्वपूर्ण एंव महत्तम विशेषता है जो विभिन्न व्यंजनाओं के माध्यम से किसी घटना अथवा व्यक्तित्व के रोमांटिक, आवेशपूर्ण तथा भयंकर पक्ष की अभिव्यक्ति के लिए प्रयुक्त होती है। सच्चे औदात्य के स्पर्श मात्र से मानवात्मा सहज ही उत्कर्ष को प्राप्त हो जाती है, सामान्य धरातल से ऊपर उठकर आनंद और उल्लास से आप्लावित होने लगती है और श्रोता अथवा पाठक को महसूस होने लगता है कि जो कुछ उसने श्रवण किया या पढ़ा है, वह स्वयं उसका अपना भोगा हुआ है। इसके विपरीत किसी कृति को बार-बार पढ़ने या सुनने के बाद भी यदि व्यक्ति की आत्मा उन्नत विचारों की ओर प्रवृत्त नहीं होती तो स्पष्ट ही उक्त कृति में प्रतीयमान अर्थ से अधिक विचारोत्तेजक सामग्री का अभाव रहता है और उसे उदात्त-तत्व-समन्वित नहीं माना जा सकता। उदात्त-गुण-युक्त कृति न केवल सभी को सर्वदा आनंदित करती है, अपितु विसंवादी तत्वों के संयोग से एक ऐसे वातावरण का निर्माण भी करती है कि उसके प्रति पाठक अथवा श्रोता की आस्था और भी गहरी एवं अमिट हो जाती है। .

नई!!: आधुनिकतावाद और उदात्त · और देखें »

छायाचित्र

किसी भौतिक वस्तु से निकलने वाले विकिरण को किसी संवेदनशील माध्यम (जैसे फोटोग्राफी की फिल्म, एलेक्ट्रानिक सेंसर आदि) के उपर रेकार्ड करके जब कोई स्थिर या चलायमान छबि (तस्वीर) बनायी जाती है तो उसे छायाचित्र (फोटोग्रफ) कहते हैं। छायाचित्रण (फोटोग्राफी) की प्रकिया कुछ सीमा तक कला भी है। इस कार्य के लिये यो युक्ति प्रयोग की जाती है उसे कैमरा कहते हैं। व्यापार, विज्ञान, कला एवं मनोरंजन आदि में छायाचित्रकारी के बहुत से उपयोग हैं। thumb SLR. Nikon F of 1959 — the first 35mm film system camera. Late Production Minox B camera with later style "honeycomb" selenium light meter .

नई!!: आधुनिकतावाद और छायाचित्र · और देखें »

१९०५ की रूसी क्रांति

सन १९०५ में रूसी साम्राज्य के एक विशाल भाग में राजनीति एवं सामाजिक जनान्दोलन हुए जिन्हें १९०५ की रूसी क्रान्ति कहते हैं। यह क्रान्ति कुछ सीमा तक सरकार के विरुद्ध थी और कुछ सीमा तक दिशाहीन। श्रमिकों ने हड़ताल किये, किसान आन्दोलित हो उठे, सेना में विद्रोह हुआ। इसके फलस्वरूप कई संवैधानिक सुधार किये गये जिसमें मुख्य हैं- रूसी साम्राज्य के ड्युमा की स्थापना, बहुदलीय राजनीतिक व्यवस्था, १९०६ का रूसी संविधान। .

नई!!: आधुनिकतावाद और १९०५ की रूसी क्रांति · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

आधुनिकतावादी

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »