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अश्लेषा

सूची अश्लेषा

अश्लेषा आश्लेषा नक्षत्र में जन्मा जातक प्रत्येक कार्य में सफल होता है। आश्लेषा नक्षत्र नौवाँ नक्षत्र है। यह कर्क राशि के अंतर्गत आता है। इसके चरणानुसार नाम डी डू डे डो है। इस नक्षत्र का स्वामी बुध है। इन नक्षत्र में जन्म लेने वालों को बुध व चंद्र का प्रभाव पड़ता है। बुध ज्ञान का कारक है। यह वणिक ग्रह भी माना गया है। सूर्य के नजदीक होने से इसे प्रातः देखा जा सकता है। यह सूर्य के एक घर आगे या एक घर पीछे रहता है व सूर्य के साथ होता है। इसकी महादशा 17 वर्ष चलती है। बुध का रंग हरित होने से इसका रत्न पन्ना है। बुध प्रधान जातक सफल व्यापारी, अधिवक्ता, भाषण कला में निपुण होते हैं। ऐसे जातक बोलने में चतुर, चालाक, काम निकालने में माहिर होते है। बुध प्रधान जातक स्वार्थी किस्म के भी हो सकते हैं। यह नपुंसक ग्रह होने से दूसरे ग्रहों के साथ हो तो उत्तम फलदायक होते है। सिंह राशि पर स्वतंत्र होकर केंद्र में हो तो भी शुभ फलदायक होते है। बुध जिस राशि में होगा उसका भी प्रभाव जातक के जीवन पर पड़ेगा। .

1 संबंध: नक्षत्र

नक्षत्र

आकाश में तारा-समूह को नक्षत्र कहते हैं। साधारणतः यह चन्द्रमा के पथ से जुड़े हैं, पर वास्तव में किसी भी तारा-समूह को नक्षत्र कहना उचित है। ऋग्वेद में एक स्थान पर सूर्य को भी नक्षत्र कहा गया है। अन्य नक्षत्रों में सप्तर्षि और अगस्त्य हैं। नक्षत्र सूची अथर्ववेद, तैत्तिरीय संहिता, शतपथ ब्राह्मण और लगध के वेदांग ज्योतिष में मिलती है। भागवत पुराण के अनुसार ये नक्षत्रों की अधिष्ठात्री देवियाँ प्रचेतापुत्र दक्ष की पुत्रियाँ तथा चन्द्रमा की पत्नियाँ हैं। .

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