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हृदयाघात

सूची हृदयाघात

रोधगलन (MI) या तीव्र रोधगलन (AMI) को आमतौर पर हृदयाघात (हार्ट अटैक) या दिल के दौरे के रूप में जाना जाता है, जिसके तहत दिल के कुछ भागों में रक्त संचार में बाधा होती है, जिससे दिल की कोशिकाएं मर जाती हैं। यह आमतौर पर कमजोर धमनीकलाकाठिन्य पट्टिका के विदारण के बाद परिहृद्-धमनी के रोध (रूकावट) के कारण होता है, जो कि लिपिड (फैटी एसिड) का एक अस्थिर संग्रह और धमनी पट्टी में श्वेत रक्त कोशिका (विशेष रूप से बृहतभक्षककोशिका) होता है। स्थानिक-अरक्तता के परिणामस्वरूप (रक्त संचार में प्रतिबंध) और ऑक्सीजन की कमी होती है, अगर लम्बी अवधि तक इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो हृदय की मांसपेशी ऊतकों (मायोकार्डियम) की क्षति या मृत्यु (रोधगलन) हो सकती है। तीव्र रोधगलन के शास्त्रीय लक्षणों में अचानक छाती में दर्द, (आमतौर पर बाएं हाथ या गर्दन के बाएं ओर), सांस की तकलीफ, मिचली, उल्टी, घबराहट, पसीना और चिंता (अक्सर कयामत आसन्न भावना के रूप में वर्णित) शामिल हैं.

33 संबंधों: चयापचय की अंतर्जात त्रुटि, एंजियोग्राफी, तारिक़ अज़ीज़, नरेन्द्र झा, नाभिकीय चिकित्सा, परिधीय संवहिनी रोग, पुर्तगाली समुद्री कुत्ता, प्रभु लाल भटनागर, प्रिया तेंडुलकर, मनोविदलता, मछली का तेल, मैग्नीसियम, मेसोथेलियोमा, रागेश अस्थाना, लिपिड, लेबर पार्टी, श्याम बहादुर वर्मा, श्वास कष्ट (डिस्पनिया), स्टेम कोशिका उपचार, हरीश चंद्र, हृदय धमनी बाईपास सर्जरी, हृदय रोग, हृदयाघात, हृदयवाहिका रोग, वृद्धि हार्मोन, ओम पुरी, आहारीय मैग्नेशियम, कृत्रिम पेसमेकर, कोलेस्टेरॉल, अलिंद विकम्‍पन, उच्च रक्तचाप, उत्तम कुमार, २०१४ में निधन

चयापचय की अंतर्जात त्रुटि

आनुवंशिक रोग जिस में चयापचय संबंधी विकार शामिल है के संक्या के भीतर, '''चयापचय की अंतर्जात त्रुटियों ''' का एक बड़ा वर्ग गिना जाता है। अधिकांश, एकल जीन दोष के कारण होते हैं, जो एंजाइम की कोड में सहायता करता है - ताकि विभिन्न पदार्थ (सब्सट्रेट) के रूपांतरण कोई दूसरे (उत्पाद) में हो जाय.

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एंजियोग्राफी

जाँघ से किये गये एक एन्जियोग्राफ के ट्रान्स्वर्स प्रोजेक्शन में वर्टीब्रो बेसीलर तथा पोस्टीरियर सेरेब्रल एंजियोग्राफी (अंग्रेजी: Angiography), वाहिकाचित्रण अथवा वाहिकालेख रक्त वाहिनी नलिकाओं धमनी व शिराओं का एक प्रकार का एक्सरे जैसा चिकित्सकीय अध्ययन है, जिसका प्रयोग हृदय रोग, किडनी संक्रमण, ट्यूमर एवं खून का थक्का जमने आदि की जाँच करने में किया जाता है। एंजियोग्राफ में रेडियोधर्मी तत्व या डाई का प्रयोग किया जाता है, ताकि रक्त वाहिनी नलिकाओं को एक्स रे द्वारा साफ साफ देखा जा सके। डिजिटल सबस्ट्रेक्शन एंजियोग्राफी नामक एक नयी तकनीक में कंप्यूटर धमनियों की पृष्ठभूमि को गायब कर देता है जिससे चित्र ज्यादा साफ दिखने लगते हैं। यह तकनीक रक्त वाहिकाओं में अवरोध होने की स्थिति में ही की जाती है। इससे हृदय की धमनी में रुकावट एवं सिकुड़न की जानकारी का तत्काल पता चल जाता है। एंजियोग्राफी के बाद बीमारी से ग्रसित धमनियों को एंजियोप्लास्टी द्वारा खोला जाता है। इस उपचार के बाद रोगी के हृदय की रक्तविहीन मांसपेशियों में खून का प्रवाह बढ़ जाता है और उसे तत्काल आराम मिल जाता है। यही नहीं, हृदयाघात की सम्भावना में भी भारी कमी आ जाती है। याहू जागरण सितंबर, २००८ एंजियोग्राफी दो यूनानी शब्दों ‘एंजियॉन’ यानी वाहिकाओं और ‘ग्रेफियन’ यानी रिकॉर्ड करने से मिलकर बना है। यह तकनीक १९२७ में पहली बार एक पुर्तगाली फिज़ीशियन व न्यूरोलॉजिस्ट इगास मोनिज ने खोजी थी। इगास मोनिज को१९४९ में इस उल्लेखनीय कार्य के लिये नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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तारिक़ अज़ीज़

तारिक़ अज़ीज़ (जन्म मिखाइल यौहानन, Syriac: ܡܝܟܐܝܠ ܝܘܚܢܢ,, इसाई नाम मैनुयल क्रिस्टो; 28 अप्रैल 1936 – 5 जून 2015) इराक के विदेश मंत्री (1983–1991) और उप प्रधानमंत्री (1979–2003) और तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के सलाहकार थे। वो एक दूसरे के सहयोगी 1950 के दशक में हुये जब दोनों उस समय प्रतिबन्धित अरब समाजवादी बाथ पार्टी के कार्यकर्ता थे। हालांकि वो एक अरब राष्ट्रवादी थे एवं वो कलडीन थे और कलडीन कैथोलिक चर्च के सदस्य भी थे। सुरक्षा कारणों से सद्दाम हुसैन ने शायद ही कभी इराक़ छोड़ा हो अतः उच्च-स्तरीय राजनयिक शिखर सम्मेलनों में अज़ीज़ ही इराक़ का प्रतिनिधित्व करते थे। उनके अनुसार अमेरिका इराक में "शासन परिवर्तन" नहीं बल्कि "क्षेत्र परिवर्तन" चाहता था। उनके अनुसार बुश प्रशासन का युद्ध करने का कारण "तेल और इजरायल" थे। 24 अप्रैल 2003 को अमेरिकी सेना के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद अज़ीज़ को पहले अमेरिकी सेना द्वारा जेल में रखा गया और उसके बाद इराकी सरकार द्वारा पश्चिमी बगदाद के कैम्प क्रोपर में बन्दी रखा गया। उन्हें 1 मार्च 2009 को कुछ अपराधों से मुक्त कर दिया गया लेकिन 11 मार्च 2009 को, 1992 में  42 व्यापारियों को प्राणदण्ड देने में दोषी पाये जाने के लिए 15 वर्षों की जेल की सजा तथा कुर्दों को स्थानान्तरित करने के लिए सात वर्ष जेल की सजा सुनायी गयी। 26 अक्टूबर 2010 को उन्हें इराक़ी उच्च न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई जिसका क्षेत्रिय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इराकी और गैर इराकी धर्माध्यक्षों ने निंदा की। इसके अतिरिक्त वेटिकन, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और मानवाधिकार संगठनों एमनेस्टी इण्टरनेशनल सहित रूस जैसी अन्य सरकारों ने भी मृत्युदण्ड का विरोध किया 28 अक्टूबर 2010 को प्रतिवेदित किया गया कि तारिक़ अज़ीज़ सहित उनके साथी अन्य 25 कैदी भी कुछ माँगों को लेकर भूख हड़ताल आरम्भ की। 17 नवम्बर 2010 को यह प्रतिवेदित किया गया कि इराक़ी राष्ट्रपति जलाल तालाबानी ने घोषित किया कि वो अज़ीज़ के प्राणदण्ड के आदेश पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे जिससे उनकी सजा जीवनभर कारावास में बदल जाये। अज़ीज़ का 5 जून 2015 को 79 वर्ष की आयु में नासिरियाह नगर की कारावास में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। .

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नरेन्द्र झा

नरेन्द्र झा (2 सितम्बर 1962 - 14 मार्च 2018) एक भारतीय अभिनेता थे। यह कई धारावाहिक और फिल्मों में अभिनय किया। उन्होंने हवन में हरी ओम बापजी, हमने ली है शपथ में एसीपी करणवीर, थेफ्ट ऑफ बगदाद में शीर्षक किरदार और इसके अलावा उन्होंने कैप्टन हाउस, जय हनुमान आम्रपल्ली रावण आदि धारावाहिक में काम किया। उन्होंने फिल्म हैदर, शोरगुल, रईस में भी काम किया। 14 मार्च 2018 को नरेंद्र झा का 55 वर्ष की आयु में निधन हो गया। नरेंद्र झा के निधन की वजह कार्डियक अरेस्ट को बताया गया। .

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नाभिकीय चिकित्सा

सामान्य पूर्ण शरीर स्कैन, कैंसरhttp://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/2641976.cms कैंसर के खिलाफ जंग में नई मशीन कारगर।हिन्दी चिह्न।नवभारत टाइम्स।२१ दिसंबर, २००७।लखनऊ आदि में उपयोगी नाभिकीय चिकित्सा (अंग्रेज़ी:न्यूक्लियर मेडिसिन) एक प्रकार की चिकित्सकीय जाँच तकनीक होती है। इसमें रोग चाहे आरंभिक अवस्था में हों या गंभीर अवस्था में, उनकी गहन जाँच और उपचार संभव है।। याहू जागरण।१४ मई, २००८ कोशिका की संरचना और जैविक रचना में हो रहे परिवर्तनों पर आधारित इस तकनीक से चिकित्सा की जाती है। इस पद्धति को न्यूक्लियर मेडिसिन भी कहा जाता है। वर्तमान प्रचलित चिकित्सा पद्धति में रोगों का मात्र अंदाजा या अनुमान ही लगाते हैं और उपचार करते हैं, जबकि नाभिकीय चिकित्सा में न केवल रोग को बहुत आरंभिक अवस्था में पकड़ा जाता है, वरन यह प्रभावशाली ईलाज और दवाइयों के बारे में भी स्पष्टता से बहुत कुछ बता पाने में सक्षम है। इससे किसी भी बीमारी की विस्तृत जानकारी, उसके प्रभाव और उसके उपचार निपटने के प्रभावशाली उपायों आदि के बारे में पता चलता है। इतना ही नहीं, इससे बीमारी के आगे बढ़ने के बारे में यानी भविष्य में इसके फैलने की गति, दिशा और तरीके का भी ज्ञान हो जाता है।।। हिन्दी मिलाप।६ अप्रैल, २००८ यह तकनीक सुरक्षित, कम खर्चीली और दर्द रहित चिकित्सा तकनीक है।।। याहू जागरण।१२ मार्च, २००८। डॉ॰मुकेश जैन:डी.एन.बी, न्यूक्लियर मेडिसिन) सामान्यतः किसी प्रकार का रोग होने के बाद ही सी. टी. स्कैन, एम.आर.आई और एक्स-रे आदि से परीक्षण करने से प्रभावित अंगो की स्थिति का पता चल पाता है। इस पद्धति में रोगी को एक रेडियोधर्मी समस्थानिक को दवाई के रूप में इंजेक्शन के रास्ते शरीर में दिया जाता है। फिर उसके रास्ते को स्कैनिंग के जरिये देख्कर पता लगाय़ा जाता है, कि शरीर के किस भाग में कौन सा रोग हो रहा है। इसके साथ ही इनकी स्कैनिंग के कुछ दुष्प्रभाव (साइड इफैक्ट) की भी संभावना होती है। हाइपरथायरॉएडिज़्म आकलन हेतु आयोडीन-१२३ स्कैन नाभिकीय चिकित्सा में रोगी के शरीर में इंजेक्शन द्वारा बहुत ही कम मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व प्रविष्ट करा दिये जाते हैं, जिसे शरीर में संक्रमित या प्रभावित कोशिका इसे अवशोषित कर लेती है। इससे होने वाले विकिरण को एक विशेष प्रकार के गामा कैमरे में उतार कर रोग की सटीक और विस्तृत जाँच की जाती है। न्यूक्लियर मेडिसिन स्कैनिंग से मिले अलग फिल्म में प्रभावित अंग की विस्तृत जानकारी मिलती है। नाभिकीय चिकित्सा तकनीक में रेडियो धर्मी तत्व का प्रयोग इतनी कम मात्र में किया जाता है कि इससे होने वाले विकिरण का प्रभाव कोशिकाओं पर नहीं पड़ता है। नाभिकीय चिकित्सा द्वारा कैंसर।। छत्तीसगढ़ न्यूज़।, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़ा, थायरॉइड अपटेक स्कैन और बोन स्कैन किए जाते हैं। इसके अलावा अन्य रोगों का ईलाज भी नाभिकीय चिकित्सा द्वारा किया जाता है। अवटु ग्रंथि में आई खराबी और हड्डी में लगातार हो रहे दर्द का इलाज इसी तकनीक से होता है। .

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परिधीय संवहिनी रोग

परिधीय संवहिनी रोग (अंग्रेज़ी:पेरिफेरल वैस्कुलर डिज़ीज़, लघु:पीवीडी (PVD), जिसे परिधीय धमनी रोग (पेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़, PAD) या पेरिफेरल आर्टरी ऑक्ल्यूसिव डिज़ीज़ (PAOD) भी कहते हैं, हाथों व पैरों में बड़ी धमनियों के संकरा होने से पैदा होने वाली रक्त के बहाव में रुकावट के कारण होने वाली सभी समस्याओं को कहते हैं। इसका परिणाम आर्थेरोस्क्लेरोसिस, सूजन आदि जिनसे स्टेनोसिस, एम्बोलिज़्म, या थ्रॉम्बस गठन हो सकती है।। हिन्दुस्तान लाइव। १३ अप्रैल २०१० इससे विकट या चिरकालिक एस्केमिया (रक्त आपूर्ति में कमी), विशेषकर पैरों में हो सकती है। यह रोग होने की संभावना उन लोगों में अधिक होती है, जो उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, उच्च कॉलेस्ट्रॉल और निष्क्रिय जीवनशैली के रोगी होते हैं या उनके रक्त में वसा या लिपिड की मात्रा अधिक होती है। साथ ही धूम्रपान ज्यादा करने वालों को भी ये समस्या होती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ४ अगस्त २०१० इसके अलावा, रक्त का थक्का जमने के कारण रक्त-शिराएं अवरोधित हो जाती हैं। इस रोग में रक्त धमनियों की भीतरी दीवारों पर वसा जम जाती है। ये हाथ पाँवों के ऊतकों में रक्त के प्रवाह को रोकता है। रोग के प्राथमिक चरण में चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर पैरों और कूल्हों में थकान या दर्द महसूस होता है। इस समय रोगी इन लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं। समय के साथ-साथ इसके अलावा अन्य लक्षणों में दर्द, सुन्न होना, पैर की माँसपेशियों में भारीपन आते हैं। शारीरिक काम करते समय मांसपेशियों को अधिक रक्त प्रवाह चाहिए होता है। यदि नसें संकरी हो जाएं तो उन्हें पर्याप्त रक्त नहीं मिलता। आराम के समय रक्त प्रवाह की उतनी आवश्यकता नहीं होती इसलिए बैठ जाने से दर्द भी चला जाता है। .

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पुर्तगाली समुद्री कुत्ता

अमेरिकी केनेल क्लब द्वारा कामकाजी कुत्ते की नस्ल को पुर्तगाली समुद्री कुत्ता के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पुर्तगाली समुद्री कुत्ते मूल रूप से पुर्तगाल के अल्गार्वे क्षेत्र के हैं, जहां से उनकी नस्ल पुर्तगाल के समुद्र तटीय इलाकों के आसपास फैलती चली गयी, यहां उन्हें मछुआरों के जाल में मछलियों को एकत्रित करना सिखाया गया; साथ ही जाल से निकल गयी मछलियों को फिर से प्राप्त करना और एक जहाज से दूसरे जहाज में या जहाज से किनारे तक कुरियर के रूप में काम करना भी सिखाया गया। पुर्तगाली समुद्री कुत्ते मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर पर सवार होकर पुर्तगाल के अटलांटिक महासागर के गर्म पानी से आइसलैंड के बहुत अधिक ठंडे पानी में जाकर मछली पकड़ने के काम में मदद करने का काम किया करते हैं, जहां कॉड मछलियां पकड़ी जाती हैं। पुर्तगाली खोजों के दौरान पुर्तगाली समुद्री कुत्तों को नाविकों के साथ अक्सर ही ले जाया जाता था। पुर्तगाल में, इस नस्ल को काओ डि अगुआ (Cão de Água) (कोव-डी-अह-ग्वा (Kow-dee-Ah-gwa) उच्चारण किया जाता है; जिसका शाब्दिक अर्थ है "जल कुत्ता") कहा जाता है। इसकी स्थानीय भूमि में इसे अल्गार्वियन समुद्री कुत्ता ("काओ डि अगुआ अल्गार्वियो" (Cão de Água Algarvio)), या पुर्तगाली मच्छीमार कुत्ता (काओ पेस्काडोर पोर्तुगुएस (Cão Pescador Português)) के नाम से भी जाना जाता है। लहराते बालों की किस्म के लिए काओ डि अगुआ डि पेलो ओंडूलाडो (Cão de Água de Pêlo Ondulado) और घुंघराले बालों के किस्म के लिए काओ डि अगुआ डि पेलो एन्काराकोलाडो (Cão de Água de Pêlo Encaracolado) नाम दिये गये। पुर्तगाली समुद्री कुत्ता एक बहुत ही दुर्लभ नस्ल है; 2002 में इंग्लैंड की क्रफ्ट्स (Crufts) प्रतिस्पर्धा में पुर्तगाली समुद्री कुत्तों के केवल 15 प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया था। कुछ प्रजनकों का दावा है कि वे हाइपोअलेर्जेनिक (hypoallergenic) नस्ल के कुत्ते हैं, हालांकि हाइपोअलेर्जेनिक नस्ल के कुत्तों के अस्तित्व के दावों के समर्थन में कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं। "...

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प्रभु लाल भटनागर

प्रभुलाल भटनागर, (8 अगस्त, 1912 - 5 अक्टूबर, 1976) विश्वप्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे। इन्हें गणित के लैटिस-बोल्ट्ज़मैन मैथड में प्रयोग किये गए भटनागर-ग्रॉस-क्रूक (बी.जी.के) कोलीज़न मॉडल के लिये जाना जाता है।। इंडियन मैथ सोसायटी। ऑब्सोल्यूट एस्ट्रॉनोमी .

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प्रिया तेंडुलकर

भारत की पहली टीवी स्टार प्रिया तेंडुलकर ने अनेक फिल्मों व टीवी धारावाहिकों में भूमिका निभाई पर संभवतः वे संपूर्ण जीवन अपने सबसे पहले टीवी अवतार "रजनी" के नाम से ही बेहतर पहचानी जाती रहीं। 1985 में निर्मित व बासू चटर्जी द्वारा निर्देशित इस धारावाहिक में उन्होंने भ्रष्टाचार और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ बेखौफ आवाज़ उठाने वाली एक साधारण गृहणी का किरदार निभाया था। वह लेखिका भी थी। प्रिया प्रसिद्ध नाटककार विजय तेंडुलकर की सुपुत्री थीं। उनका जन्म 19 अक्टुबर, 1954 को हुआ, उनकी दो बहनें और एक भाई था। प्रिया का विवाह अभिनेता व लेखक करण राजदान से 1988 में हुआ। पर यह विवाह सात साल ही चल सका और इसके बाद उनका संबंध विच्छेद हो गया। करण व प्रिया ने "रजनी" और "किस्से मियाँ बीवी के" धारावाहिकों में पती पत्नी के वास्तविक जीवन के किरदार भी निभाये। 1974 में श्याम बेनेगल की फिल्म अंकुर में निभाई भूमिका के कारण प्रिया के अभिनेता अनंत नाग से भी संबंध जोड़े जाते रहे। प्रिया का प्रारंभ से ही अभिनय की और झुकाव था। 1939 में जब वे स्कूल में थीं, उन्होंने सत्यदेव दुबे के निर्देशन तले गिरीश कर्नाड के लिखे पौराणिक नाटक "हयवदन" में गुड़िया की भूमिका निभाई। इस नाटक में निर्देशिका कल्पना लाज़मी उनकी सह कलाकार थीं। इसके बाद पिग्मेलियन, अंजी, कमला, कन्यादान, सखाराम बाइंडर, ती फूलराणी, एक हठी मुलगी जैसे अनेकों मराठी नाटकों में उन्होंने भूमिकायें कीं। प्रिया ने टीवी पर जहाँ गुलज़ार निर्देशित स्वयंसिद्ध जैसे नारीवादी धारावाहिक में काम किया वहीं "हम पाँच" जैसे हास्य धारावाहिक में फोटो फ्रेम से बोलती मृत बीवी की भूमिका भी अदा की और "द प्रिया तेंडुलकर शो" और "ज़िम्मेदार कौन" जैसे सफल टॉक शो भी किये जिसमें वे काफी आक्रामक तेवर के लिये जानी जाती थीं। अंकुर, मोहरा और त्रिमूर्ती जैसी कुछ हिन्दी फिल्मों में भी उन्होंने काम किया पर कोई उल्लेखनीय भूमिकायें नहीं। शायद "रजनी" के किरदार और अपने पिता का ही प्रभाव था कि प्रिया सामाजिक मुद्दों के प्रति सदा जागरूक रहीं। उनका व्यक्तित्व खुला और साहसी था। "द प्रिया तेंडुलकर शो" की बुलंदी पर शिवसेना समेत कई राजनीतिक दलों ने उन्हें अपने दल में शामिल करने का प्रयास किया पर वे मन नहीं बना पाईं। वे स्वयं लघु कथायें लिखती रहती थीं। ज्याचा त्याचा प्रश्न, जन्मलेला प्रत्येकला, असंही व पंचतारांकित उनकी कुछ कृतियाँ हैं, जिनमें से कुछ पुरस्कृत भी हुईं। 19 सितंबर, 2002 में 47 वर्ष की अल्पायु में उनका हृदयाघात से देहांत हो गया। वे कुछ समय कैंसर से भी लड़ती रहीं। उनकी असमय मृत्यु पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा, "रजनी के रूप में उनकी जिहादी भूमिका ने अनेक सामाजिक मुद्दों को मुखरित किया"। .

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मनोविदलता

मनोविदलता (Schizophrenia/स्किज़ोफ्रेनिया) एक मानसिक विकार है। इसकी विशेषताएँ हैं- असामान्य सामाजिक व्यवहार तथा वास्तविक को पहचान पाने में असमर्थता। लगभग 1% लोगो में यह विकार पाया जाता है। इस रोग में रोगी के विचार, संवेग तथा व्यवहार में आसामान्य बदलाव आ जाते हैं जिनके कारण वह कुछ समय लिए अपनी जिम्मेदारियों तथा अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है। 'मनोविदलता' और 'स्किज़ोफ्रेनिया' दोनों का शाब्दिक अर्थ है - 'मन का टूटना'। .

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मछली का तेल

मछली के तेल के कैप्सूल मछली के ऊतकों से निर्मित तेल मछली का तेल (Fish oil) कहलाता है। मछली के तेल में ओमेगा-३ वसा अम्ल (EPA तथा DHA) होते हैं जो शरीर के शोथ (inflammation) को कम करते हैं। इनके अन्य स्वास्थ्य लाभ भी हैं। किन्तु यह बात अभी तक सिद्ध नहीं की जा सकी है कि मछली के तेल के सेवन से हृदयाघात नहीं होता। श्रेणी:मत्स्य उत्पाद श्रेणी:खाद्य पूरक.

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मैग्नीसियम

मैग्नेशियम एक रासायनिक तत्त्व है, जिसका चिह्न है Mg, परमाणु संख्या १२ एवं सामान्य ऑक्सीडेशन संख्या +२ है। है। यह कैल्शियम और बेरियम की तरह एक एल्केलाइन अर्थ धातु है एवं पृथ्वी पर आठवाँ बहुल उपलब्ध तत्त्व है तथा भार के अनुपात में २% है, और पूरे ब्रह्माण्ड में नौंवा बहुल तत्त्व है। इसके बाहुल्य का संबंध ये तथ्य है, कि ये सुपरनोवा तारों में तीन हीलियम नाभिकों के कार्बन में शृंखलागत तरीके से जुड़ने पर मैग्नेशियम का निर्माण होता है। मैग्नेशियम आयन की जल में उच्च घुलनशीलता इसे सागर के जल में तीसरा बहुल घुला तत्त्व बनाती है। मैग्नीशियम सभी जीव जंतुओं के साथ मनुष्य के लिए भी उपयोगी तत्त्व है। यह प्रकाश का स्नोत है और जलने पर श्वेत प्रकाश उत्सर्जित करता है। यह मानव शरीर में पाए जाने वाले पांच प्रमुख रासायनिक तत्वों में से एक है। मानव शरीर में उपस्थित ५०% मैग्नीशियम अस्थियों और हड्डियों में होता है जबकि शेष भाग शरीर में हाने वाली जैविक कियाओं में सहयोगी रहता है। left एक स्वस्थ आहार में इसकी पर्याप्त मात्रा होनी चाहिये। इसकी अधिकता से अतिसार और न्यूनता से न्यूरोमस्कुलर समस्याएं हो सकती है। मैग्नीशियम हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है।|हिन्दुस्तान लाईव। २४ मई २०१० इसकी खोज सर हंफ्री डेवी ने १८०८ में की थी। असल में डेवी ने वास्तव में धातु के एक ऑक्साइड को खोजा था, जो बाद में एक तत्व निकला। एक अन्य मान्यता अनुसार कि मैग्नीशियम की खोज १८वीं शताब्दी के मध्य में हुई थी। वैसे इसके एक यौगिक एप्सम लवण की खोज १७वीं शताब्दी में हो चुकी थी और वह आज भी प्रयोग में आता है। इसका एक अन्य यौगिक मिल्क ऑफ मैग्नीशिया कहलाता है। मैग्नीशियम अन्य तत्वों के साथ सरलता से अभिक्रिया कर यौगिक बना लेता है, जिस कारण यह प्रकृति में सदा यौगिकों के रूप में उपस्थित होता है। सागर का जल मैग्नीशियम का एक बड़ा स्रोत है, अतः कई धातु-शोधक कंपनियां इसे सागर से शोधित कर इसका औद्योगिक प्रयोग करती हैं। विलयन पर यह चांदी जैसा सफेद और भार में अपेक्षाकृत हल्का हो जाता है। धातु रूप में यह विषैला (टॉक्सिक) नहीं होता, किन्तु जलाने पर यह विषैला प्रभाव छोड़ता है। इसीलिए गर्म मैग्नीशियम का प्रयोग करते समय नाक को सावधानी से बचाकर काम करना चाहिए। मैग्नीशियम हल्का तत्व होने पर भी काफी मजबूत होता है। इस कारण ही इसे मिश्र धातुओं और अंतरिक्ष उद्योग के लिए उपयोगी माना जाता है। कुछ उच्च क्षमता वाले स्वचालित यंत्रों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। .

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मेसोथेलियोमा

मेसोथेलियोमा, अधिक स्पष्ट रूप से असाध्य मेसोथेलियोमा (Malignant Mesothelioma), एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है, जो शरीर के अनेक आंतरिक अंगों को ढंककर रखनेवाली सुरक्षात्मक परत, मेसोथेलियम, से उत्पन्न होता है। सामान्यतः यह बीमारी एस्बेस्टस के संपर्क से होती है। प्लुरा (फेफड़ों और सीने के आंतरिक भाग का बाह्य-आवरण) इस बीमारी का सबसे आम स्थान है, लेकिन यह पेरिटोनियम (पेट का आवरण), हृदय, पेरिकार्डियम (हृदय को घेरकर रखने वाला कवच) या ट्युनिका वेजाइनलिस (Tunica Vaginalis) में भी हो सकती है। मेसोथेलियोमा से ग्रस्त अधिकांश व्यक्ति या तो ऐसे स्थानों पर कार्यरत थे जहां श्वसन के दौरान एस्बेस्टस और कांच के कण उनके शरीर में प्रवेश कर गये या फिर वे अन्य तरीकों से एस्बेस्टस कणों और रेशों के संपर्क में आए.

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रागेश अस्थाना

रागेश अस्थाना (१७ मई १९६२ – २० मार्च २०१४) एक भारतीय अभिनेता थे जिन्होंने विभिन्न भारतीय टेलीविजन धारावाहिकों में अभिनय किया। उनके द्वारा अभिनीत धारावाहिकों में प्रमुख अगले जनम मोहे बिटिया ही किजो, पालमपुर एक्सप्रेस, कठपुतली और चैनल वी पर गुमराह हैं। .

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लिपिड

शरीर में लिपिड लिपिड एक अघुलनशील पदार्थ हैं, जो कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन के साथ मिलकर प्राणियों एवं वनस्पति के ऊतक का निर्माण करते है। लिपिड को सामान्य भाषा मे कई बार वसा भी कहा जाता है परंतु दोनो मे कुछ अंतर होता है। लिपिड प्राकृतिक रूप से बने अणु होते हैं, जिनमें वसा, मोम, स्टेरॉल, वसा-घुलनशील विटामिन (जैसे विटामिन ए, डी, ई एवं के) मोनोग्लीसराइड, डाईग्लीसराइड, फॉस्फोलिपिड एवं अन्य आते हैं। इनका प्रमुख कार्य शरीर में उर्जा संरक्षण करना, ऊतकों की कोशिका झिल्ली बनाना और हार्मोन और विटामिन के अभिन्न अवयव निर्माण करना होता है। शरीर में कोलेस्ट्रोल तथा ट्राईग्लीसराईड की मात्रा ज्ञात करने हेतु लिपिड प्रोफाईल नामक परीक्षण करवाया जाता है। इसकी जांच से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि रोगी की धमनियों मे कोलेस्ट्राल जमा होने और रक्त प्रवाह अवरुद्ध होने की कितनी सम्भावना है? लिपिड अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे कि कोलेसटेरोल, काईलोमाईक्रोन इत्यादि। इनका भिन्न प्रकार से उपयोग होता है। कुछ लिपिड आहार के द्वारा प्राप्त होते हैं, तो कुछ लिपिड शरीर में निर्मित होते हैं। फोस्फैटीडाईकोलाइन हैं।स्ट्रायर ''et al.'', पृ. ३३० लिपिड को सारे शरीर में रक्त द्वारा भेजा जाता है। शरीर में पूरे लिपिड का एक संतुलन रहता है और अत्याधिक लिपिड को भविष्य प्रयोग हेतु जमा कर लिया जाता है, या फिर मल त्याग के द्वारा निकाल दिया जाता है। यदि रक्त में किसी कारण से बहुत अधिक लिपिड हो तो, तो यह रक्तवाहिकाओं में जमा होकर उसे संकुचित कर देता है या फिर अवरोधित भी कर देता है। इसको एथ्रोसक्लेरोसिस कहते हैं और यह समय के साथ और बढते जाता है। अंत में यह विभिन्न अंगों में रक्त-प्रवाह को कम करके हानि पहुँचाता है, जैसे कि हृदयाघात या पक्षाघात आदि। .

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लेबर पार्टी

लेबर पार्टी ब्रिटेन की एक सेंटर - लेफ्ट यानि (उदार वामपंथी विचारधारा वाली) राजनीतिक पार्टी है। इसका जन्म उन्नीसवीं शताब्दी के मजदूर संगठनो के आंदोलन और समाजवादी राजनैतिक दलों के उदय के साथ हुआ जिसे उदार गिरिजाघर (ब्रॉड चर्च) कह के परिभाषित किया गया। इस दल की विचारधारा बहुत विस्तृत है जिसमें प्रखर समाजवाद से लेकर उदारवादी समाजवादी लोकतंत्र की विचारधारा शामिल हैं। १९०० में बनने के बाद लेबर पार्टी ने शुरुवाती १९२० के आम चुनावों में उस समय की लिब्रल पार्टी की जगह ले ली और रामसे मैक्डोनाल्ड के नेतृत्व में १९२४ और १९२९-३१ के दौरान अल्पमत की सरकारें बनाईं। १९४०-४५ के दौरान यह दल चर्चिल युद्ध मंत्रालय (Churchill war ministry) का हिस्सा रहा जिसके बाद इसने क्लीमेंट ऐट्टली के नेतृत्व में बहुमत की सरकार बनाई। लेबर दल १९६४-७० के दौरान हैरॉल्ड विल्सन के नेतृत्व वाले पहले विल्सन मंत्रीमंडल का भी हिस्सा रहा। इसके बाद 1974 से 1979, पहले विल्सन और फिर जेम्स कैलेघन के नेतृत्व में सरकार में रही। लेबर पार्टी 1997 और 2010 के दौरान टोनी ब्लेयर और गौर्डन ब्राउन के नेतृत्व में १७९ सीटों से घटकर २००१ के आम चुनावों में १६७ और फिर २००५ के चुनावों में ६६ सीटों के साथ अंतिम स्थान पर आती रही। २०१० के आम चुनावों में २५८ सीटें और २०१५ के आम चुनावों में २३२ सीटें जीतकर यह पार्टी अब ब्रिटेन की संसद में आधिकारिक विपक्ष की भूमिका निभा रही है। वेल्श के सदन में लेबर पार्टी की अल्पमत की सरकार है जबकि स्कॉटिश संसद में यह मुख्य विपक्ष की भूमिका में है और यूरोपीय संसद में इसके २० सांसद हैं जो प्रोग्रेसिव एलाएंस ऑफ सोसलिस्ट्स एंड डेमोक्रेट्स समूह के साथ बैठते हैं। लेबर दल यूरोपीय समाजवादी दल और प्रोग्रेसिव एलाएंस (अंतर्राष्ट्रीय) का एक पूर्णकालिक सदस्य है। और सोशलिस्ट इंटरनैशनल में पर्यवेक्षक की भूमिका निभा रहा है। दल के वर्तमान नेता हैरिएट हर्मन हैं जो ८ मई २०१५ को एड मिलिबैंड के त्यागपत्र देने के बाद चुने गए हैं। .

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श्याम बहादुर वर्मा

श्याम बहादुर वर्मा (जन्म: 10 अप्रैल 1932 बरेली मृत्यु: 20 नवम्बर 2009 दिल्ली) हिन्दी के उद्भट विद्वान थे। उन्होंने विवाह नहीं किया। पुस्तकें ही उनकी जीवन संगिनी थीं। तीन कमरों वाले फ्लैट में श्याम बहादुर अकेले रहते थे। उनके प्रत्येक कमरे में फर्श से लेकर छत तक पुस्तकें ही पुस्तकें नज़र आती थीं। उन्होंने हिन्दी साहित्य को कई शब्द कोश प्रदान किये। दिल्ली विश्वविद्यालय से विजयेन्द्र स्नातक के मार्गदर्शन में उन्होंने हिन्दी काव्य में शक्तितत्व विषय पर शोध करके पीएच॰डी॰ की और डी॰ए॰वी॰ कॉलेज में प्राध्यापक हो गये। परन्तु अध्ययन का क्रम फिर भी न टूटा। गणित में एम॰एससी॰ से लेकर अंग्रेजी, संस्कृत, हिन्दी और प्राचीन भारतीय इतिहास जैसे अनेकानेक विषयों में उन्होंने एम॰ए॰ की परीक्षाएँ न केवल उत्तीर्ण कीं अपितु प्रथम श्रेणी के अंक भी अर्जित किये। बौद्धिक साधना के साक्षात् स्वरूप थे। उनकी सम्पूर्ण साहित्यिक सेवाओं के लिये हिन्दी अकादमी, दिल्ली ने वर्ष 1997-98 में साहित्यकार सम्मान प्रदान किया। 20 नवम्बर 2009 को नई दिल्ली में उनका निधन हुआ। .

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श्वास कष्ट (डिस्पनिया)

डिस्पनिया (Dyspnea) (जिसकी अंग्रेज़ी वर्तनी dyspnoea भी है) या (श्वास की लघुता (एसओबी), श्वास क्षुधा), श्वासल्पता का व्यक्तिपरक लक्षण है। यह अत्यधिक श्रम का एक आम लक्षण होता है तथापि यदि यह अप्रत्याशित स्थिति में उत्पन्न हो तो यह एक रोग बन जाता है। 85% मामलों में इसका कारण होता है: अस्थमा, निमोनिया, हृदय इशेमिया, छिद्रपूर्ण फेफड़ों के रोग, रक्तसंलयी हृदय विफलता, क्रोनिक प्रतिरोधी फेफड़े का रोग, या कुछ कारण साइकोजेनिक होते हैं। आमतौर पर इसका उपचार अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करता है। .

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स्टेम कोशिका उपचार

स्टेम कोशिका उपचार एक प्रकार की हस्तक्षेप इलाज पद्धति है, जिसके तहत चोट अथवा विकार के उपचार हेतु क्षतिग्रस्त ऊतकों में नयी कोशिकायें प्रवेशित की जाती हैं। कई चिकित्सीय शोधकर्ताओं का मानना है कि स्टेम कोशिका द्वारा उपचार में मानव विकारों का कायाकल्प कर पीड़ा हरने की क्षमता है। स्टेम कोशिकाओं में, स्वंय पुनर्निर्मित होकर अलग-अलग स्तरों में आगामी नस्लों की योग्यताओं में आंशिक बदलाव के साथ निर्माण करने की क्षमता के चलते, ऊतकों को बनाने की महत्वपूर्ण खूबी तथा शरीर के विकार युक्त एवं क्षतिग्रस्त हिस्सों को अस्वीकरण होने के जोखिम एवं दुष्प्रभावों के बगैर बदलने की क्षमता है। विभिन्न किस्मों की स्टेम कोशिका चिकित्सा पद्धतियां मौजूद है, किंतु अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के उल्लेखनीय अपवाद को छोड़ अधिकांश प्रायोगात्मक चरणों में ही हैं और महंगी भी हैं। चिकित्सीय शोधकर्ताओं को आशा है कि वयस्क और भ्रूण स्टेम कोशिका शीघ्र ही कैंसर, डायबिटीज प्रकार 1, पर्किन्सन रोग, हंटिंग्टन रोग, सेलियाक रोग, हृदय रोग, मांसपेशियों के विकार, स्नायविक विकार और अन्य कई रोगों का उपचार करने में सफल होगी.

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हरीश चंद्र

---- हरीश चंद्र महरोत्रा (११ अक्टूबर १९२३ - १६ अक्टूबर १९८३) भारत के महान गणितज्ञ थे। वह उन्नीसवीं शदाब्दी के प्रमुख गणितज्ञों में से एक थे। इलाहाबाद में गणित एवं भौतिक शास्त्र का प्रसिद्ध केन्द्र "मेहता रिसर्च इन्सटिट्यूट" का नाम बदलकर अब उनके नाम पर हरीशचंद्र अनुसंधान संस्थान कर दिया गया है। 'हरीश चंद्र महरोत्रा' को सन १९७७ में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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हृदय धमनी बाईपास सर्जरी

'''कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी''' का आपरेशन तीन हृदय धमनी बाईपास ग्राफ़्ट हृदय धमनी बाईपास शल्य-क्रिया (अंग्रेज़ी:कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी, सी.ए.बी.जी.), बाईपास सर्जरी, हृदय बाईपास, आदि नामों से प्रसिद्ध ये शल्य क्रिया हृदय को रक्त पहुंचाने वाली 3 धमनियों की शल्य क्रिया को कहते हैं।हृदय की धमनी (कोरोनरी आर्टरी) में कुछ रुकावट होने को हृदय धमनी रोग (कोरोनरी आर्टरी डिजीज; सीएडी) कहते हैं। यह रुकावट वसा के जमाव होने से होती है, जिससे धमनी कठोर हो जाती है व रक्त के निर्बाध बहाव में रुकावट आती है। हृदय के वाल्व खराब होने, रक्तचाप बढ़ने, हृदय की मांसपेशी बढ़ने और हृदय कमजोर होने से हृदयाघात हो जाता है। यदि समय पर इलाज हो तो बचा जा सकता है। धमनी के पूर्ण बंद होने की स्थिति में हृदयाघात की आशंका बढ़ जाती हैं। हृदय की तीन मुख्य धमनियों में से किसी भी एक या सभी में अवरोध पैदा हो सकता है। ऐसे में शल्य क्रिया द्वारा शरीर के किसी भाग से नस निकालकर उसे हृदय की धमनी के रुके हुए स्थान के समानांतर जोड़ दिया जाता है। यह नई जोड़ी हुई नस धमनी में रक्त प्रवाह पुन: चालू कर देती है। इस शल्य-क्रिया तकनीक को बाईपास सर्जरी कहते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। प्रायः छाती के अंदर से मेमेरी आर्टरी या हाथ से रेडिअल आर्टरी या पैर से सफेनस वेन निकालकर हृदय की धमनी से जोड़ी जाती है। इस क्रिया में पुरानी रुकी हुई धमनी को हटाते नहीं है, बल्कि उसी धमनी में ब्लाक या रुकावट के आगे नई नस जोड़ दी जाती है, इसी से रक्त प्रवाह पुन: सुचारु होता है। धमनी रुकावट के मामले में बायपास सर्जरी सर्वश्रेष्ठ विकल्प होत है। इसका दूसरा और अपेक्षाकृत सस्ता विकल्प है एंजियोप्लास्टी। .

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हृदय रोग

हृदय रोग हृदय शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। मानवों मेंयह छाती के मध्य में, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है और एक दिन में लगभग एक लाख बार एवं एक मिनट में 60-90 बार धड़कता है। यह हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को धकेलता करता है। हृदय को पोषण एवं ऑक्सीजन, रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियों द्वारा प्रदान किया जाता है। यह अंग दो भागों में विभाजित होता है, दायां एवं बायां। हृदय के दाहिने एवं बाएं, प्रत्येक ओर दो चैम्बर (एट्रिअम एवं वेंट्रिकल नाम के) होते हैं। कुल मिलाकर हृदय में चार चैम्बर होते हैं। दाहिना भाग शरीर से दूषित रक्त प्राप्त करता है एवं उसे फेफडों में पम्प करता है और रक्त फेफडों में शोधित होकर ह्रदय के बाएं भाग में वापस लौटता है जहां से वह शरीर में वापस पम्प कर दिया जाता है। चार वॉल्व, दो बाईं ओर (मिट्रल एवं एओर्टिक) एवं दो हृदय की दाईं ओर (पल्मोनरी एवं ट्राइक्यूस्पिड) रक्त के बहाव को निर्देशित करने के लिए एक-दिशा के द्वार की तरह कार्य करते हैं। हृदय में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार से हैं.

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हृदयाघात

रोधगलन (MI) या तीव्र रोधगलन (AMI) को आमतौर पर हृदयाघात (हार्ट अटैक) या दिल के दौरे के रूप में जाना जाता है, जिसके तहत दिल के कुछ भागों में रक्त संचार में बाधा होती है, जिससे दिल की कोशिकाएं मर जाती हैं। यह आमतौर पर कमजोर धमनीकलाकाठिन्य पट्टिका के विदारण के बाद परिहृद्-धमनी के रोध (रूकावट) के कारण होता है, जो कि लिपिड (फैटी एसिड) का एक अस्थिर संग्रह और धमनी पट्टी में श्वेत रक्त कोशिका (विशेष रूप से बृहतभक्षककोशिका) होता है। स्थानिक-अरक्तता के परिणामस्वरूप (रक्त संचार में प्रतिबंध) और ऑक्सीजन की कमी होती है, अगर लम्बी अवधि तक इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो हृदय की मांसपेशी ऊतकों (मायोकार्डियम) की क्षति या मृत्यु (रोधगलन) हो सकती है। तीव्र रोधगलन के शास्त्रीय लक्षणों में अचानक छाती में दर्द, (आमतौर पर बाएं हाथ या गर्दन के बाएं ओर), सांस की तकलीफ, मिचली, उल्टी, घबराहट, पसीना और चिंता (अक्सर कयामत आसन्न भावना के रूप में वर्णित) शामिल हैं.

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हृदयवाहिका रोग

कोई विवरण नहीं।

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वृद्धि हार्मोन

वृद्धि हार्मोन (जीएच (GH)) एक प्रोटीन पर आधारित पेप्टाइड हार्मोन है। यह मनुष्यों और अन्य जानवरों में वृद्दि, कोशिका प्रजनन और पुनर्निर्माण को प्रोत्साहित करता है। वृद्धि हार्मोन एक 191-अमाइनो अम्लों वाला, एकल-श्रंखला का पॉलिपेप्टाइड है जिसे अग्र पीयूष ग्रंथि के पार्श्विक कक्षों के भीतर सोमेटोट्रॉपिन (कायपोषी) कोशिकाओं द्वारा संश्लेषित, संचयित और स्रावित किया जाता है। सोमेटोट्रॉपिन (कायपोषी) से मतलब जानवरों में प्राकृतिक रूप से उत्पादित वृद्धि हार्मोन 1 से है, जबकि पुनःसंयोजी डीएनए (DNA) तकनीक से उत्पादित वृद्धि हार्मोन के लिये सोमाट्रॉपिन शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसका संक्षिप्त रूप मनुष्यों में "एचजीएच (HGH)" है। वृद्धि हार्मोन का प्रयोग चिकित्सा-विज्ञान में बच्चों के वृद्धि विकारों और वयस्क वृद्धि हार्मोन अल्पता के उपचार के लिये नुस्खे में लिखी जाने वाली औषधि के रूप में किया जाता है। युनाइटेड स्टेट्स में यह कानूनी रूप से केवल डाक्टर के नुस्खे पर दवाई की दुकानों में उपलब्ध है। पिछले कुछ वर्षों में, युनाइटेड स्टेट्स में कुछ डाक्टरों ने जीएच-अल्पताग्रस्त (लेकिन स्वस्थ लोगों में नहीं) अधिक उम्र के रोगियों में जीवनशक्ति बढ़ाने के लिये वृद्धि हार्मोन के नुस्खे लिखना शुरू कर दिया है। कानूनन सही होते हुए भी, एचजीएच (HGH) के इस प्रयोग की प्रभावशीलता और सुरक्षा को किसी चिकित्सकीय प्रयोग में नहीं परखा गया है। इस समय, एचजीएच (HGH) को अभी भी एक अत्यंत जटिल हार्मोन माना जाता है और इसके कार्यों में से कई के बारे में अब तक जानकारी नहीं है। उपचय-प्रोत्साहक एजेंट के रूप में, एचजीएच (HGH) का प्रयोग 1970 के दशक से खेलों में प्रतिस्पर्धियों द्वारा किया जाता रहा है और इसे आईओसी (IOC) और एनसीएए (NCCA) द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है। चूंकि पारम्परिक मूत्र विश्लेषण से एचजीएच (HGH) की उपस्थिति का पता नहीं लगाया जा सकता था, इसलिये इस प्रतिबंध को 2000 के दशक के प्रारंभ तक लागू नहीं किया जा सका, जिस समय प्राकृतिक और कृत्रिम एचजीएच (hGH) का अंतर पहचानने वाले रक्त परीक्षणों का विकास शुरू हो रहा था। एथेंस, ग्रीस में 2004 ओलिम्पिक खेलों में ‘वाडा (WADA)’ द्वारा किये गए रक्त के परीक्षणों का उद्देश्य मुख्यतः एचजीएच (HGH) का पता लगाना था। इस दवा का यह उपयोग एफडीए (FDA) द्वारा अनुमोदित नहीं है और युनाइटेड स्टेट्स में कानूनन जीएच (GH) केवल डाक्टरी नुस्खे पर ही उपलब्ध है। जीएच का अध्ययन औद्योगिक कृषि में पशुधन का अधिक बेहतर तरीके से विकास करने हेतु प्रयोग के लिये किया गया है और पशुधन के उत्पादन में जीएच के प्रयोग के लिये सरकारी अनुमोदन प्राप्त करने के लिये कई प्रयत्न किये गए हैं। ये प्रयोग विवादास्पद रहे हैं। युनाइटेड स्टेट्स में, जीएच (GH) का केवल एक एफडीए-अनुमोदित उपयोग है और वह है, डेरी की गायों में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिये गोवंशीय सोमेटोट्रॉपिन नामक जीएच के एक गाय-विशिष्ट प्रकार का प्रयोग.

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ओम पुरी

ओम पुरी हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। इनका जन्म 18 अक्टूबर 1950 में अम्बाला, पंजाब (अब हरियाणा) में हुआ। इन्होने ब्रिटिश तथा अमेरिकी सिनेमा में भी योगदान किया है। ये पद्मश्री पुरस्कार विजेता भी हैं, जोकि भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में चौथा पुरस्कार है। दिल का दौरा पड़ने के कारण 6 जनवरी 2017 को 66 साल की उम्र में इनका निधन हो गया। - नवभारत टाइम्स - 6 जनवरी 2016 .

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आहारीय मैग्नेशियम

मैग्नेशियम के कुछ अच्छे स्रोत मैग्नेशियम का एक भाग मानव-शरीर की प्रत्येक कोशिका में होता है। यह भाग अतिसूक्ष्म हो सकता है, किंतु महत्त्वपूर्ण अवश्य होता है। सम्पूर्ण शरीर में मैग्नेशियम की मात्रा ५० ग्राम से कम होती है। शरीर में कैल्शियम और विटामिन सी का संचालन, स्नायुओं और मांसपेशियों की उपयुक्त कार्यशीलता और एन्जाइमों, को सर्किय बनाने के लिये मैग्नेशियम आवश्यक है। कैल्शियम-मैग्नेशियम सन्तुलन में गड़बड़ी आने से स्नायु-तंत्र दुर्बल हो सकता है।|हिन्दुस्तान लाइव। १४ अप्रैल २०१० इसीलिये फ़्रांस में कैंसर की अधिकता का मुख्य कारण स्थानीय मिट्टी में मैग्नेशियम का कम अंश पाया गया है। मैग्नेशियम के निम्न स्तरों और उच्च रक्तचाप में स्पष्ट अंतर्संबंध स्थापित हो चुका है। निम्न मैग्नेशियम स्तर से मधुमेह भी हो सकता है। यूरोलोजी जर्नल की एक रिर्पोट के अनुसार मैग्नेशियम और विटामिन बी६ गुर्दे और पित्ताशय की पथरी के खतरे को कम करने में प्रभावी थे। कठोर दैहिक व्यायाम शरीर के मैग्नेशियम की सुरक्षित निधि को क्षय कर देते है और संकुचन को कमजोर कर देते है। व्यायाम एवं शारीरिक मेहनत करने वाले लोगों को मैग्नेशियम सम्पूरकों की आवश्यकता है। एक गिलास भारी जल मैग्नेशियम के लियें खाघ-संपूरक है। भारी जल में निरपवाद रूप से उच्च मैग्नेशियम का अंश होता है। भारी जल का प्रयोग करने वाले क्षेत्रों में हृदयाघात न्य़ूनतम होते हैं। इसके अन्य महत्वपूर्ण स्रोत है सम्पूर्ण अनाज, दाल, गिरीदार फ़ल, हरी पत्तीदार सब्जियां, डेरी उत्पाद और समुद्र से प्राप्त होने वाले आहार। .

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कृत्रिम पेसमेकर

एक पेसमेकर, सेंटीमीटर में पैमाना ट्रांसवेनस प्रविष्टि के लिए इलेक्ट्रोड युक्त एक कृत्रिम पेसमेकर (सेंट जुड मेडिकल से).उपकरण का ढांचा लगभग 4 सेंटीमीटर लम्बा है, इलेक्ट्रोड की माप 50 और 60 सेंटीमीटर के बीच (20 से 24 इंच) है। दिल की धड़कन को नियंत्रित रखने के लिए पेसमेकर (या कृत्रिम पेसमेकर, ताकि दिल का प्राकृतिक पेसमेकर मानकर भ्रमित न हुआ जाय) एक चिकित्सा उपकरण है, जो दिल की मांसपेशियों से संपर्क करने के लिए इलेक्ट्रोड द्वारा प्रदत्त विद्युत आवेगों का उपयोग करता है। दिल अर्थात् हृदय के मूल पेसमेकर का पर्याप्त तेजी से काम नहीं करने या फिर दिल की विद्युत चालन प्रणाली में अवरोध आ जाने की वजह से पेसमेकर का प्राथमिक प्रयोजन पर्याप्त हृदय गति को बनाये रखने का है। आधुनिक पेसमेकर बाह्य रूप से प्रोग्रामयोग्य होते हैं और अलग-अलग मरीजों के लिए अनुकूलतम पेसिंग मोड का चयन करने की हृदय रोग विशेषज्ञ को अनुमति देते हैं। कुछ में एक ही इम्प्लांटयोग्य उपकरण में पेसमेकर और वितंतुविकंपनित्र (डिफाइबरीलेटर) सयुक्त रूप से होते हैं। दूसरों में, दिल के निचले कक्षों के संकालन (सिंक्रोनाइजेशन) में सुधार के लिए दिल के अंतर्गत भिन्न अंग-विन्यास के उद्दीप्तिकारक के बहुत सारे इलेक्ट्रोड होते हैं। .

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कोलेस्टेरॉल

कोलेस्ट्रॉल क्रिस्टल का सूक्ष्मदर्शी दर्शन, जल में। छायाचित्र ध्युवीकृत प्रकाश में लिया गया है। कोलेस्ट्रॉल या पित्तसांद्रव मोम जैसा एक पदार्थ होता है, जो यकृत से उत्पन्न होता है। यह सभी पशुओं और मनुष्यों के कोशिका झिल्ली समेत शरीर के हर भाग में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल कोशिका झिल्ली का एक महत्वपूर्ण भाग है, जहां उचित मात्रा में पारगम्यता और तरलता स्थापित करने में इसकी आवश्यकता होती है। कोलेस्ट्रॉल शरीर में विटामिन डी, हार्मोन्स और पित्त का निर्माण करता है, जो शरीर के अंदर पाए जाने वाले वसा को पचाने में मदद करता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल भोजन में मांसाहारी आहार के माध्यम से भी पहुंचता है यानी अंडे, मांस, मछली और डेयरी उत्पाद इसके प्रमुख स्रोत हैं। अनाज, फल और सब्जियों में कोलेस्ट्रॉल नहीं पाया जाता। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लगभग २५ प्रतिशत उत्पादन यकृत के माध्यम से होता है। कोलेस्ट्रॉल शब्द यूनानी शब्द कोले और और स्टीयरियोज (ठोस) से बना है और इसमें रासायनिक प्रत्यय ओल लगा हुआ है। १७६९ में फ्रेंकोइस पुलीटियर दी ला सैले ने गैलेस्टान में इसे ठोस रूप में पहचाना था। १८१५ में रसायनशास्त्री यूजीन चुरवेल ने इसका नाम कोलेस्ट्राइन रखा था। मानव शरीर को कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता मुख्यतः कोशिकाओं के निर्माण के लिए, हारमोन के निर्माण के लिए और बाइल जूस के निर्माण के लिए जो वसा के पाचन में मदद करता है; होती है। फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में नैशनल पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट के प्रमुख रिसर्चर डॉ॰ गांग हू के अनुसार कोलेस्ट्रॉल अधिक होने से पार्किंसन रोग की आशंका बढ़ जाती है। .

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अलिंद विकम्‍पन

अलिंद इसके नाम से आता है (यानी, तंतुविकसन स्पंदन) प्रांगण के दिल की मांसपेशियों की, के बजाय एक समन्वित संकुचन.

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उच्च रक्तचाप

(HTN) हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन (सिस्टोल) हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता (डायस्टोल) हो रही है। आराम के समय पर सामान्य रक्तचाप 100-140 mmHg सिस्टोलिक (उच्चतम-रीडिंग) और 60-90 mmHg डायस्टोलिक (निचली-रीडिंग) की सीमा के भीतर होता है। उच्च रक्तचाप तब उपस्थित होता है यदि यह 90/140 mmHg पर या इसके ऊपर लगातार बना रहता है। हाइपरटेंशन प्राथमिक (मूलभूत) उच्च रक्तचाप तथा द्वितीयक उच्च रक्तचाप के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 90-95% मामले "प्राथमिक उच्च रक्तचाप" के रूप में वर्गीकृत किये जाते हैं, जिसका अर्थ है स्पष्ट अंतर्निहित चिकित्सीय कारण के बिना उच्च रक्तचाप। अन्य परिस्थितियां जो गुर्दे, धमनियों, दिल, या अंतःस्रावी प्रणाली को प्रभावित करती हैं, शेष 5-10% मामलों (द्वितीयक उच्च रक्तचाप) का कारण होतीं हैं। हाइपरटेंशन स्ट्रोक, मायोकार्डियल रोधगलन (दिल के दौरे), दिल की विफलता, धमनियों की धमनी विस्फार (उदाहरण के लिए, महाधमनी धमनी विस्फार), परिधीय धमनी रोग जैसे जोखिमों का कारक है और पुराने किडनी रोग का एक कारण है। धमनियों से रक्त के दबाव में मध्यम दर्जे की वृद्धि भी जीवन प्रत्याशा में कमी के साथ जुड़ी हुई है। आहार और जीवन शैली में परिवर्तन रक्तचाप नियंत्रण में सुधार और संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं। हालांकि, दवा के माध्यम से उपचार अक्सर उन लोगों के लिये जरूरी हो जाता है जिनमें जीवन शैली में परिवर्तन अप्रभावी या अपर्याप्त हैं। .

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उत्तम कुमार

उत्तम कुमार (3 सितंबर 1926 - 1980) (बांग्ला: উত্তম কুমার) एक बांग्ला और हिन्दी फ़िल्मों का एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। .

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२०१४ में निधन

निम्नलिखित सूची २०१४ में निधन हो गये लोगों की है। यहाँ पर सभी दिनांक के क्रमानुसार हैं और एक दिन की दो या अधिक प्रविष्टियाँ होने पर उनके मूल नाम को वर्णक्रमानुसार में दिया गया है। यहाँ लिखने का अनुक्रम निम्न है.

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