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हम्बोल्ट बर्लिन विश्वविद्यालय

सूची हम्बोल्ट बर्लिन विश्वविद्यालय

हम्बोल्ट बर्लिन विश्वविद्यालय (अंग्रेज़ी: Humboldt University of Berlin, जर्मन: Humboldt-Universität zu Berlin) बर्लिन के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। इसकी स्थापना १८१० में प्रुशियाई शिक्षा-सुधारक और भाषावैज्ञानिक विल्हेल्म फ़ॉन​ हम्बोल्ट (Wilhelm von Humboldt) ने 'बर्लिन विश्वविद्यालय' के नाम से की थी। इसके तौर-तरीक़े अन्य यूरोपीय और पश्चिमी विश्वविद्यालयों के लिए बहुत प्रभावशाली रहे। १८२८ में यह 'फ़्रेडेरिक विलियम विश्वविद्यालय' के नाम से जाना जाता था हालांकि बर्लिन के 'उन्टर डेन लिन्डेन​' (unter den Linden, अर्थ: लिंडन के पेड़ों की छाँव में) नामक इलाक़े में होने की वजह से इसे अनौपचारिक रूप से 'उन्टर डेन लिन्डेन​ विश्वविद्यालय' के नाम से भी बुलाया जाने लगा। १९४९ में अपने संस्थापक विल्हेल्म और उनके भाई आलेक्सान्डर फ़ॉन​ हम्बोल्ट के सम्मान में इसका नाम बदलकर 'हम्बोल्ट विश्वविद्यालय' कर दिया गया। २०१२ में इसे जर्मन राष्ट्रीय सरकार से जर्मनी के ग्यारह सर्वोत्तम विश्वविद्यालयों में से एक होने का सम्मान प्राप्त हुआ। .

25 संबंधों: थियोडोर मोम्मसेन, भीमराव आम्बेडकर, मानस शास्त्र, माक्स लीबरमान, मिखाइल बाकूनिन, राममनोहर लोहिया, रॉबर्ट कोच, सेबस्टियन बीएनिएक, हरमन एमिल फिशर, हेमचन्द जोशी, हेलमट नेस्पिटल, हेगेल का दर्शन, जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल, जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ, वर्नर हाइजनबर्ग, विलहेम राब, विलियम मॉरिस डेविस, गुस्ताव किरचॉफ, ओटो वारबर्ग, आलब्रेख्ट थेर, इरावती कर्वे, कार्ल रिटर, कार्ल वाईश्ट्रास, कासिमिर फुन्क, अडॉल्फ वॉन बेयर

थियोडोर मोम्मसेन

थियोडोर मोम्मसेन थ्योडोर मामसन (३० नवंबर, सन् १८१७ ई० -- १ नवंबर, सन् १९०३ ई०।) जर्मन के पुरालेखविद् और इतिहासकार थे। १९ वीं शताब्दी के यूरोपीय विद्याजगत् में मामसन उस जाज्वल्यमान नक्षत्र की भाँति है जिसने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से अनेक क्षेत्रों को उद्भासित किया। सन् १९०२ ई० में उसे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। कील विश्वविद्यालय में न्यायशास्त्र और भाषाविज्ञान के विद्यार्ही थे। सन् १८४२ ई० में डाक्टर की उपाधि प्राप्त की। १८४८ ई० में लाइपजिंग में रोमन विधि का प्राचार्य नियुक्त हुआ। १८५८ ई० से जीवनपर्यन्त बर्लिन विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास का प्राचार्य रहा। १८७२ ई० से १८८२ ई० तक प्रशा की पार्लिमेंट का भी सदस्य रहा और वहाँ उसने बिस्मार्क की गृहनीति की तीव्र आलोचना की। वह ने केवल महान् इतिहासकार था अपितु उच्च कोटि का पुरालेखविद्, न्यायवेत्ता, भाषाशास्त्रविद्, मुद्राशास्त्रज्ञ तथा साहित्यिक भी था। इतिहास में उसकी परम देन उसका ग्रंथ, 'रोम का इतिहास' है जो पाँच विशाल खंडो में प्रकाशित हुआ (१८५४-१८५६ ई०)। इसके अतिरिक्त रोमन विधि तथा अन्य विषयों पर भी उसने कई उच्च कोटि के ग्रंथों का प्रणयन किया। उसके समकालीन आंग्ल विद्वान् फ्रीमैन के अनुसार मामसन न केवल अपने ही काल का, परंतु सार्वकालिक दृष्टि से भी चरम कोटि का विद्वान् था।.

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भीमराव आम्बेडकर

भीमराव रामजी आम्बेडकर (१४ अप्रैल, १८९१ – ६ दिसंबर, १९५६) बाबासाहब आम्बेडकर के नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की। जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता; वह भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। .

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मानस शास्त्र

साइकोलोजी या मनोविज्ञान (ग्रीक: Ψυχολογία, लिट."मस्तिष्क का अध्ययन",ψυχήसाइके"शवसन, आत्मा, जीव" और -λογία-लोजिया (-logia) "का अध्ययन ") एक अकादमिक (academic) और प्रयुक्त अनुशासन है जिसमें मानव के मानसिक कार्यों और व्यवहार (mental function) का वैज्ञानिक अध्ययन (behavior) शामिल है कभी कभी यह प्रतीकात्मक (symbol) व्याख्या (interpretation) और जटिल विश्लेषण (critical analysis) पर भी निर्भर करता है, हालाँकि ये परम्पराएँ अन्य सामाजिक विज्ञान (social science) जैसे समाजशास्त्र (sociology) की तुलना में कम स्पष्ट हैं। मनोवैज्ञानिक ऐसी घटनाओं को धारणा (perception), अनुभूति (cognition), भावना (emotion), व्यक्तित्व (personality), व्यवहार (behavior) और पारस्परिक संबंध (interpersonal relationships) के रूप में अध्ययन करते हैं। कुछ विशेष रूप से गहरे मनोवैज्ञानिक (depth psychologists) अचेत मस्तिष्क (unconscious mind) का भी अध्ययन करते हैं। मनोवैज्ञानिक ज्ञान मानव क्रिया (human activity) के भिन्न क्षेत्रों पर लागू होता है, जिसमें दैनिक जीवन के मुद्दे शामिल हैं और -; जैसे परिवार, शिक्षा (education) और रोजगार और - और मानसिक स्वास्थ्य (treatment) समस्याओं का उपचार (mental health).

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माक्स लीबरमान

माक्स लीबरमान माक्स लीबरमान (Max Liebermann; १८४७-१९३५) जर्मन चित्रकार और खुदाई कला (Impressionism) का कारीगर था। .

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मिखाइल बाकूनिन

मिखाइल बाकूनिन मिखाइल अलेक्जेंद्रोविच बाकूनिन (रूसी: Михаил Александрович Бакунин; IPA.

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राममनोहर लोहिया

डॉ॰ राममनोहर लोहिया डॉ॰ राममनोहर लोहिया (जन्म - मार्च २३, इ.स. १९१० - मृत्यु - १२ अक्टूबर, इ.स. १९६७) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक तथा समाजवादी राजनेता थे। .

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रॉबर्ट कोच

रॉबर्ट कोच सूक्ष्मजैविकी के क्षेत्र में युगपुरूष माने जाते हैं। इन्होंने कॉलेरा, ऐन्थ्रेक्स तथा क्षय रोगों पर गहन अध्ययन किया। अंततः कोच ने यह सिद्ध कर दीया कि कई रोग सूक्ष्मजीवों के कारण होते हैं। इसके लिए सन 1905 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कोच ने रोगों एवं उनके कारक जीवों का पता लगाने के लिए कुछ परिकल्पनाएं की थी जो आज भी इस्तेमाल होती हैं। दसवी दिसम्बर, २०१७ के दिन गूगल के डूडल पर जर्मन वैज्ञानिक डॉ.

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सेबस्टियन बीएनिएक

सेबस्टियन बीएनिएक एक जर्मन निर्देशक, कलाकार, फोटोग्राफर और लेखक है। .

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हरमन एमिल फिशर

हरमन एमिल लूई फिशर (9 अक्टूबर 1852 - 15 जुलाई 1919) एक जर्मन रसायनशास्त्री थे जिन्हें 1902 में रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था। उन्होंने फिशर एस्टरीफिकेशन की खोज की एवं असममित कार्बन परमाणुओं को प्रतीकात्मक रूप से चित्रित करने की विधि, फिशर प्रोजेक्शन का भी विकास किया। श्रेणी:रसायनशास्त्री श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक.

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हेमचन्द जोशी

हेमचंद जोशी (२१ जून सन् १८९४ ई. -) हिंदी के प्रमुख भाषाशास्त्री तथा इतिहासज्ञ थे। इनका जन्म नैनीताल में २१ जून सन् १८९४ ई. को हुआ। शिक्षा दीक्षा अल्मोड़ा, प्रयाग तथा वाराणसी में हुई। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.

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हेलमट नेस्पिटल

हेलमट नेस्पिटल बर्लिन की फ़्री युनिवर्सिटी में भारतविद्या और आधुनिक एशियाई भाषाओं और साहित्य के प्रोफ़ेसर रह चुके थे। .

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हेगेल का दर्शन

सुप्रसिद्ध दार्शनिक जार्ज विलहेम फ्रेड्रिक हेगेल (1770-1831) कई वर्ष तक बर्लिन विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे और उनका देहावसान भी उसी नगर में हुआ। उसके लिखे हुए आठ ग्रंथ हैं, जिनमें प्रपंचशास्त्र (Phenomelogie des Geistes), न्याय के सिद्धांत (Wissenschaft der Logic) एवं दार्शनिक सिद्धांतों क विश्वकोश (Encyclopedie der phiosophischen Wissenschaften), ये तीन ग्रंथ विशेषतया उल्लेखनीय हैं। हेगेल के दार्शनिक विचार जर्मन-देश के ही काँट, फिक्टे और शैलिंग नामक दार्शनिकों के विचारों से विशेष रूप से प्रभावित कहे जा सकते हैं, हालाँकि हेगेल के और उनके विचारों में महत्वपूर्ण अंतर भी है। .

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जार्ज विल्हेम फ्रेड्रिक हेगेल

जार्ज विलहेम फ्रेड्रिक हेगेल (1770-1831) सुप्रसिद्ध दार्शनिक थे। वे कई वर्ष तक बर्लिन विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे और उनका देहावसान भी उसी नगर में हुआ। .

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जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ

जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ, जूनियर (30 अगस्त 1852 - 1 मार्च 1911) एक डच भौतिक और जैविक रसायनज्ञ और रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार के पहले विजेता थे। उन्हें रासायनिक गतिकी, रासायनिक साम्य, आसमाटिक दबाव और त्रिविम रसायन के क्षेत्रों में खोजों के लिए जाना जाता है। श्रेणी:रसायनशास्त्री श्रेणी:नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक.

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वर्नर हाइजनबर्ग

वर्नर हाइजनबर्ग (जर्मन: Werner Heisenberg), जन्म: ५ दिसम्बर १९०१, देहांत: १ फ़रवरी १९७६) एक जर्मन सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी थे, जो क्वांटम यांत्रिकी में अपने मूलभूत योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनके दिए गए अनिश्चितता सिद्धान्त को अब क्वांटम यांत्रिकी की एक आधारशिला माना जाता है। .

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विलहेम राब

जर्मन उपन्यासकार '''विलहेम राब''' विलहेम राब (Wilhelm Raabe, १८३१ - १९१०), जर्मन उपन्यासकार और कवि था। उसकी आरम्भिक कृतियाँ 'जेकब कार्विनस' (Jakob Corvinus) उपनाम से प्रकाशित हुईं थी। .

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विलियम मॉरिस डेविस

विलियम मॉरिस डेविस (Davis, William Morris, सन् १८५०-१९३४) अमरीकी भूगोलवेत्ता तथा भूवैज्ञानिक थे। डेविस ने भू-आकृतिविज्ञान के क्षेत्र में गवेषणाओं और सिद्धान्तों पर कई पुस्तकें तथा कई सौ शोधपत्र लिखे थे। वह अपरदनचक्र के सिद्धान्त का जन्मदाता था। विलियम मॉरिस डेविस का जन्म संयुक्त राज्य अमेरीका के पेन्सलवानिया राज्य में फिलाडेल्फिया नगर में २ फरवरी १८५० में हुआ। १८६९ ई० में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा समाप्त करके सन् १७७० से ७३ तक अज्रेटीना की कार्बोना स्थित राष्ट्रीय वेधशाला में ज्योतिर्विद् के रूप में इन्होंने कार्य किया। १८७६ ई० में इन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययपन कार्य प्रारंभ किया और १८९० ई० में भौतिक भूगोल के आचार्य नियुक्त हुए। तत्पश्चात् १८९९-१९१२ ई० तक इन्होंने वहीं पर भौताकृतिकतत्व (physiography) के आचार्य के रूप में कार्य किया। १९०३, १९०४ तथा १९०९ ई० में ये अमरीकी भूगोलवेत्ताओं के संस्थान के अध्यक्ष रहे। सन् १९११ में इन्हें अमरीकी भूविज्ञान का भी अध्यक्ष बनाया गया। इन्होंने बर्लिन विश्वविद्यालय तथा सारबॉन (फ्राँस) में भी अध्यापन कार्य किया। डेविस अमरीकी भौताकृतिकत्तत्व विज्ञान के जनक माने जाते हैं। इन्होंने उपर्युक्त विज्ञान में पहले किए गए कार्यो को सैद्धांतिक प्रतिरूप दिया तथा वैज्ञानिक शब्दावली प्रदान की। इन्होंने भौताकृतिक तत्वों के विकास के अध्ययन में संरचना, प्रक्रिया तथा अवस्था (structure, process and stage) को महत्वपूर्ण बताया है और अपक्षरण चक्र (erosion cycle) के प्रकरण में भौताकृतिक तत्वों के आद्योपांत विकास के क्रमों को किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धावस्था की संज्ञाएँ दी हैं। इनके अनुसार इस क्रमिक विकासचक्र का कभी अंत नहीं होता। अत: उत्तर वृद्धावस्था में समतल सद्दृश्य जिस भौताकृति का विकास होता है, उसे इन्होंने प्राय: समभूमि तल (peneplain) की संज्ञा दी। इन्होंने जल अपक्षरण के अतिरिक्त हिमनदियों (glaciers) तथा शुद्ध प्रदेशीय भौताकृतिक तत्वों पर भी शोधपूर्ण निबंध लिखे और प्रवालनिर्माण (Formation of coral reef) के प्रकरण में महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रतिपादित किए। अपने जीवन के लंबे काल में इन्होंने लगभग ४०० पुस्तकें तथा निबंध लिखे। भौताकृतिक तत्व विज्ञान के अतिरिक्त, जिसे वे भूगोल की एक शाखा मानते थे, भूगर्भ विज्ञान में भी इन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए। भैम्याकृति सिद्धांत पर उनकी प्रथम पुस्तक जर्मन भाषा में प्रकाशित (१९१२ ई०) हुई। इसके अतिरिक्त उनकी रचनाओं में "भौगोलिक निबंध" (१९०९ ई०), "प्रारभिक ऋतु विज्ञान" (१८९४ई०) भौतिक भूगोल (१८९८ ई०) तथा कोरल रीफ प्रॉब्लेम (१९२८ई०) महत्वपूर्ण हैं। .

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गुस्ताव किरचॉफ

गुस्ताव रॉबर्ट किरचॉफ़ (१२ मार्च १८२४ - १७ अक्टूबर १८८७) एक जर्मन भौतिकशास्त्री थे। श्रेणी:1824 में जन्मे लोग श्रेणी:भौतिक विज्ञानी श्रेणी:१८८७ में निधन.

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ओटो वारबर्ग

हेनरिक ओटो वारबर्ग (जन्म – 8 अक्टूबर 1883 फ्रायबर्ग, बेडन, जर्मनी निधन – 1 अगस्त 1970 बर्लिन, पश्चिमी जर्मनी) जर्मनी के जीवरसायन शास्त्री और शोधकर्ता थे। इनकी माँ का नाम एलिजाबैथ गार्टनर और पिता का नाम ऐमिल वारबर्ग था, जो बर्लिन विश्वविद्यालय में भौतिकशास्त्री थे। ऐमिल आइन्सटीन के मित्र थे और इन्होंने मेक्स प्लैंक के साथ भी काम किया था। ओटो ने 1906 में बर्लिन विश्वविद्यालय से रसायनशास्त्र में डॉक्ट्रेट की और 1911 में हाइडलबर्ग विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ मेडीसिन की डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद कुछ समय वे हाइडलबर्ग में ही शोध करते रहे। लेकिन 1913 में उन्हें बर्लिन के प्रतिष्ठित विल्हेम इन्स्टिट्यूट फोर बॉयोलाजी में नियुक्ति मिल गई। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने सेना में भी काम किया और उन्होंने आयरन क्रॉस पदक प्राप्त किया। लेकिन आइन्सटीन ने उन्हें सेना छोड़ने पर विवश किया और अपनी प्रतिभा और अमूल्य समय को मानव कल्याण हेतु शोध कार्यों में लगाने की प्रेरणा दी। सन् 1931 में वे विल्हेम इन्स्टिट्यूट के निर्देशक के पद से सम्मानित किये गये। वे अपनी मृत्यु तक इस संस्थान के प्रभारी बने रहे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसका नाम बदल कर मेक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट रख दिया गया। बीसवें दशक के प्रारंभ में डॉ॰ ओटो ने जीवित कोशिकाओं द्वारा ऑक्सीजन का उद्ग्रहण करने की क्रिया (कोशिकीय श्वसन- क्रिया) पर शोध शुरू किया था। सन् 1923 में इसके लिए उन्होंने एक विशेष दबाव-मापक यंत्र विकसित किया जिसे उन्होंने वारबर्ग मेनोमीटर नाम दिया। यह मेनोमीटर जैविक ऊतक की पतली सी तह द्वारा भी ऑक्सीजन के उद्ग्रहण की गति को नापने में सक्षम था। उन्होंने श्वसन-क्रिया को उत्प्रेरित करने करने वाले तत्वों पर बहुत शोध की और तभी ऑक्सीजन-परिवहन एन्जाइम साइटोक्रोम की खोज की, जिसके लिए उन्हें 1931 में नोबेल पुरस्कार मिला। ओटो ने पहली बार बतलाया था कि कैंसर कोशिका सामान्य कोशिका की तुलना में बहुत ही कम ऑक्सीजन ग्रहण करती है। उन्होंने हाइड्रोजन सायनाइड और कार्बन-मोनो-ऑक्साइड पर भी शोध की और बताया कि ये श्वसन-क्रिया को बाधित करते हैं। उन्होंने की जीवरसायन क्रियाओं के लिए सहायक उपघटक निकोटिनेमाइड और डिहाइड्रोजिनेज एन्जाइम आदि का बहुत अध्ययन किया। उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि कैंसर कोशिका के पीएच और ऑक्सीजन उपभोग में सीधा संबन्ध होता है। यदि पीएच ज्यादा है तो कोशिका में ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा होगी। उन्होंने यह भी बतलाया कि कैंसर कोशिका में लेक्टिक एसिड और कार्बन-डाई-ऑक्साइड बनने के कारण पीएच बहुत कम लगभग 6.0 होता है। उनकी शोध के अन्य विषय माइटोकोन्ड्रिया में होने वाली इलेक्ट्रोन-परिवहन श्रंखला, पौधों में होने वाली प्रकाश-संश्लेषण क्रिया, कैंसर कोशिका का चयापचय आदि थे। सन् 1963 के बाद से जर्मनी में जीरसायन शास्त्र और आणविक जीवविज्ञान में अच्छी शोध करने वाले वैज्ञानिकों को ओटो वारबर्ग मेडल से सम्मानित किया जाता है और 2007 के बाद से 25000 यूरो का नकद पुरस्कार भी दिया जाता है। इस पुरस्कार को प्राप्त करना वैज्ञानिकों के लिए बहुत सम्मानजनक माना जाता है। डॉ॰ ओटो ने 1931 में द मेटाबोलिज्म ऑफ ट्यूमर्स नामक पुस्तक का संपादन किया और अपने शोध कार्यों को इसमें प्रकाशित किया। 1962 में उन्होने न्यू मेथड्स ऑफ सैल फिजियोलाजी नामक पुस्तक लिखी थी। इन्होंने 178 शोधपत्र भी प्रकाशित किये थे। इनकी प्रयोगशाला में शोध करने वाले हन्स अडोल्फ क्रेब्स और दो अन्य वैज्ञानिकों ने भी नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया था। वे हमेशा अध्ययन और मानव सेवा को सर्वोपरि मानते थे और वे आजीवन अविवाहित रहे। डॉ॰ ओटो जीवन के अंतिम पड़ाव में थोड़े चिड़चिड़े और सनकी हो गये थे। वे समझने लगे थे कि सारी बीमारियाँ प्रदूषित चीजें खाने से ही होती हैं, इसलिए वे ब्रेड भी अपने खेत में पैदा हुए जैविक गैंहूं की बनी हुई खाना पसन्द करते थे। कई बार तो वे रेस्टॉरेन्ट में चाय पीने जाते थे, पैसे भी पूरे देते थे परन्तु बदले में सिर्फ गर्म पानी लेते थे और अपने साथ लाई हुई जैविक चाय प्रयोग करते थे। .

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आलब्रेख्ट थेर

आलब्रेख्ट थेर (Albrecht Daniel Thaer; सन् १७५२ - १८२८), जर्मनी के सुविख्यात कृषिवेत्ता, आचार्य एवं लेखक थे। आलब्रेख्ट का जन्म सेले (Celle) नामक स्थान में हुआ। १८ वर्ष की अवस्था में इन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई के लिये गॉटिंजन विश्वविद्यालय में प्रवेश किया और परीक्षा के बाद सेले में ही रहने लगे। सन् १७७८ में सेले स्थित रॉयल ऐग्रिकल्चरल सोसायटी के सदस्य चुने गए तथा अपने अवकाश के क्षणों को कृषि संबंधी अनुसंधानों में लगाने लगे। सन् १८०२ में इन्होंने अपनी समस्त संपत्ति कृषि विद्यालय में लगा दी। यह अपनी कोटि का प्रथम विद्यालय था, जिसमें थेर कृषि पर व्याख्यान भी देते थे। सन् १८०४ में ये प्रिवी काउंसिलर, बर्लिन ऐकैडेमी ऑव सायंसेज़ के सदस्य तथा मोगलिन स्थित, नवीन स्टेट ऐग्रिकल्चरल इंस्टिट्यूट के प्रधान के पद पर नियुक्त हुए। इन्होंने कृषि रसायन पर जर्मन भाषा में एक पुस्तक 'खेती के सिद्धांत' लिखी। यह चार भागों में है। इनमें से द्वितीय भाग अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें फसलों के भोज्य पदार्थों से संबंधित सिद्धांतों का सविस्तार वर्णन है और यही थेर की ख्याति का मुख्य कारण है। थेर ने फसलों के हेर फेर द्वारा फसलों में आशातीत वृद्धि प्राप्त की और ऊन की प्राप्ति के लिये मरीना (merino) भेड़ों की नस्ल में सुधार किए। आचार्य एवं लेखक के रूप में भी थेर का नाम अमर रहेगा। ये नवनिर्मित बर्लिन विश्वविद्यालय के भी प्रोफेसर नियुक्त हुए और मोगलिन स्थित इनका कृषि विद्यालय रॉयल ऐकैडेमी बना दिया गया। एक ओर जहाँ इनकी शिक्षाओं से लाभ हुआ वहीं इनकी शिक्षाओं से एक हानि भी हुई। इनके द्वारा परंपरागत कतिपय रूढ़ियों को प्रधानता मिली, जिससे कृषिरसायन की उन्नति में बाधा पहुँची। श्रेणी:कृशि वैज्ञानिक.

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इरावती कर्वे

इरावती कर्वे (15 दिसम्बर 1905 - 11 अगस्त 1970) भारत की शिक्षाशास्त्री, लेखिका एवं नृवैज्ञानिक (एंथ्रोपोलोजिस्ट) थीं। .

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कार्ल रिटर

कार्ल रिटर का रेखाचित्र कार्ल रिटर (जर्मन:Karl Ritter; 7 अगस्त, 1779 ई॰ - 28 सितम्बर 1859 ई॰) विश्वविख्यात जर्मन भूगोलवेत्ता थे। ये आधुनिक भूगोल के संस्थापक तथा भूगोल के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र तुलनात्मक भूगोल के जनक माने जाते हैं। .

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कार्ल वाईश्ट्रास

जर्मन गणितज्ञ कार्ल वाइश्ट्रास कार्ल वाईश्ट्रास (Karl Weierstrass, 1815 ई. - १८९७ ई.) जर्मन गणितज्ञ थे। वाईश्ट्रास का जन्म ३१ अक्टूबर, १८१५ ई. को बेस्टफ़ालिया के ऑस्टनफेल्ड ग्राम में हुआ था। आरंभ में ये मुंस्टर, दयट्श्चक्रोने और ब्राउन्सबेर्ख में अध्यापक रहे। ब्राउन्सबेर्ख में इन्होंने 'आबेल के फलनों' का अध्ययन आरंभ किया और यहाँ पर लिखित शोधपत्रों पर क्येनिग्सवेर्ख विश्वविद्यालय ने इन्हें ससम्मान पी-एच.

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कासिमिर फुन्क

कैसिमिर फुंक (Casmir Funk; २३ फ़रवरी १८८४ - १९ नवम्बर १९६७) पोलैण्ड के जीवरसायनज्ञ (बायोकेमिस्ट) थे। इनका जन्म वारसा में २३ फरवरी, १८८४ ई. को हुआ। इन्होंने स्विट्जरलैंड के बर्न विश्वविद्यालय, पेरिस के पैस्टर इंस्टिट्यूट और बर्लिन विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। जीवरसायनज्ञ के रूप में इन्होंने अस्पतालों में कार्य किया। ये सन् १९१५ में अमरीका गए और इन्होंने वहाँ की कई अनुसंधानशाओं में विभिन्न पदों पर कार्य किया। विटामिन का अन्वेषण और उसकी उपयोगिता को सिद्ध करने के कारण इन्हें प्रसिद्धि मिली। इन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में ऐड्रैनेलिन यौगिक का व्यापारिक स्तर पर उत्पादन किया तथा मछली के तेल से व्यापारिक स्तर पर विटामिन निकालने की विधि निकाली। १९१७ से १९२३ ई. तक ये एच.ए. मेत्ज़ अनुसंधानशाला के निर्देशक और न्यूयार्क में कोलंबिया के काय-शल्य-चिकित्सा कॉलेज में प्रवक्ता रहे। १९३६ ई. में संयुक्त राज्य विटामिन कारपोरेशन के सलाहकार पद पर नियुक्त हुए। १९४७ ई. में इन्होंने न्यूयॉर्क में फुंक फाउंडेशन चिकित्सा अनुसंधान की स्थापना की। .

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अडॉल्फ वॉन बेयर

जोहान फ्रेडरिक विल्हेम एडॉल्फ वॉन बेयर (31 अक्टूबर 1835 - 20 अगस्त 1917) एक जर्मन रसायनज्ञ थे जिन्होंने पहली बार इंडिगो का संश्लेषण किया। उन्हें 1905 में रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।Adolf von Baeyer: Winner of the Nobel Prize for Chemistry 1905 Armin de Meijere Angewandte Chemie International Edition Volume 44, Issue 48, Pages 7836 – 7840 2005 .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बर्लिन विश्वविद्यालय

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