2 संबंधों: रिचर्ड पिशेल, विश्वमित्र (पत्र)।
रिचर्ड पिशेल
रिचर्ड पिशेल (Richard Pischel; 18 जनवरी 1849 - 26 दिसम्बर 1908) जर्मनी के भारतविद थे। उनकी पुस्तक 'Grammatik der Prakrit-Sprachen' (प्राकृत भाषाओं का इतिहास) बहुत प्रसिद्ध है। श्री हेमचन्द जोशी ने इसका हिन्दी अनुवाद किया है। श्रेणी:भारतविद.
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विश्वमित्र (पत्र)
विश्वमित्र हिन्दी का एक समाचार पत्र है। `विश्वमित्र का प्रकाशन बाबू मूलचन्द अग्रवाल ने १९१६ ई। में कलकत्ता से प्रारम्भ किया। प्रथम अंक पर पत्र का नाम था `विश्वामित्र' बाद में मित्रों के कहने पर उसे `विश्वमित्र' कर दिया गया। हिन्दी पत्रकारिता में विश्वमित्र ने अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया। नये लोगों के लिए वह पत्रकार-कला का प्रवेश द्वार भी बना। १९४१ में `विश्वमित्र' बम्बई (मई) और दिल्ली (अक्टूबर) से भी निकलने लगा। बाद में कानपुर और पटना से भी `दैनिक विश्वमित्र' प्रकाशित हुआ। `विश्वमित्र' हिन्दी का पहला दैनिक पत्र था जो एक साथ पांच महानगरों से प्रकशित होता था। इस पत्र का सौभाग्य रहा कि इसे सर्वश्री माता सेवक पाठक, श्रीकांत ठाकुर, डॉ हेमचन्द जोशी, इलाचन्द जोशी, ठाकुर रामाशीष सिंह, बाबू राम मिश्र जैसे वर्चस्वी सहयोगियों का सहयोग मिला। वर्तमान में कलकत्ता, बम्बई (१९७१) और कानपुर (१९४८) से विश्वमित्र का प्रकाशन हो रहा है। मुख्य संस्करण कलकत्ता का है। इसके सम्पादक श्री कृष्ण चन्द अग्रवाल हैं। `विश्वमित्र' मारवाड़ी क्षेत्रों में विशेष लोकप्रिय है। `विश्वमित्र' के प्रबन्ध सम्पादक सुन्दरलाल त्रिपाठी हैं। .
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