8 संबंधों: परिमित समुच्चय, रिक्त समुच्चय, समुच्चय सिद्धान्त, समुच्चय संकेतन, सर्वनिष्ठ (समुच्चय सिद्धान्त), वेन आरेख, अपरिमित समुच्चय, उपसमुच्चय।
परिमित समुच्चय
वह समुच्चय जिसके अवयवों की संख्या परिमित हो उसे परिमित समुच्चय (Finite set) कहते हैं। .
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रिक्त समुच्चय
वह समुच्चय जिसमें कोई अवयव न हो उसे रिक्त समुच्चय (Empty or void set) कहते हैं। .
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समुच्चय सिद्धान्त
वेन-आरेख द्वारा दो समुच्चयों के सर्वनिष्ठ का सरल प्रदर्शन समुच्चय सिद्धान्त (set theory), गणित की एक शाखा है जो समुच्चयों का अध्ययन करती है। वस्तुओं के संग्रह (collection) को समुच्चय कहते हैं। यद्यपि समुच्चय के अन्तर्गत किसी भी प्रकार की वस्तुओं का संग्रह सम्भव है, किन्तु समुच्चय सिद्धान्त मुख्यतः गणित से सम्बन्धित समुच्चयों का ही अध्ययन करता है। स्थूल रूप से अंग्रेजी समुच्चय के पर्याय 'सेट' (set), ऐग्रिगेट (aggregate), क्लास (class), डोमेन (domain) तथा टोटैलिटी (totality) हैं। समुच्चय में अवयवों का विभिन्न होना आवश्यक है। प्रथम श्रेणी के तर्क (first-order logic) से सुव्यवस्थित (formalized) किया हुआ समुच्चय सिद्धान्त आज गणित का सर्वाधिक प्रयुक्त आधारभूत तन्त्र है। समुच्चय सिद्धान्त की भाषा गणित के लगभग सभी वस्तुओं (यथा- फलन) को परिभाषित करने के काम आती है। समुच्चय सिद्धान्त के आरम्भिक कांसेप्ट इतने सरल हैं कि इन्हें प्राथमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम में भी पढाया जा सकता है। .
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समुच्चय संकेतन
समुच्चय संकेतन (Set notation) समुच्चय को निरुपित करने का तरिका होता है। चूँकि समुच्चय इसके अवयवों का समाहर है। इसे निरूपित करने के लिए अंग्रेज़ी के बड़े अक्षर A, B, C,...., X, Y, Z काम में लिए जाते हैं और इसके अवयवों को सामान्यतः अंग्रेज़ी के छोटे अक्षरों (a, b, c,..., x, y, z) अथवा संख्याओं (1, 2, 3..) से निरुपित किया जाता है। अवयवों को परिभाषा से भी लिखा जाता है जैसे A.
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सर्वनिष्ठ (समुच्चय सिद्धान्त)
समुच्चयों का सर्वनिष्ठ अथवा प्रतिच्छेद (Intersection) दो या दो से अधिक समुच्चयों के उभयनिष्ठ अवयवों के समुच्चय को कहते हैं। समुच्चय A और B के सर्वनिष्ठ को A ∩ B से निरुपित किया जाता है एवं इसे 'A सर्वनिष्ठ B' पढ़ा जाता है। यदि दो समुच्चयों का सर्वनिष्ठ समुच्चय रिक्त समुच्चय है तो उन समुच्चयों को असंयुक्त समुच्चय कहा जाता है। .
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वेन आरेख
वेन आरेख (Venn diagram) वह आरेख हैं जो समुच्च्यों (या कुलकों) के परिमित संग्रहों (चीजों का समूह) के बीच सभी परिकाल्पनिक (आनुमानिक) रूप से संभव तार्किक संबंधों को दर्शाते हैं। वेन आरेख का आविष्कार 1880 के आसपास जॉन वेन द्वारा किया गया था। इनका कई क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है, जैसे समुच्च्य सिद्धांत, प्रायिकता, तर्क, सांख्यिकी और कंप्यूटर विज्ञान। उदाहरण के लिए, तीन समुच्चय A, B और C दिये हों, तो उनका वेन आरेख नीचे दर्शाया गया है-.
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अपरिमित समुच्चय
गणित में अपरिमित समुच्चय उस समुच्चय को कहते हैं जो परिमित समुच्चय नहीं है अर्थात जिसमें अवयवों की संख्या परिमित नहीं हो अर्थात अपरिमित या अनन्त हो। .
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उपसमुच्चय
यदि कोई दो समुच्चय ऐसे हों कि एक का प्रत्येक अवयव दूसरे का भी अवयव हो तो प्रथम समुच्चय को द्वितीय का उपसमुच्चय (subset) कहते हैं। इसे ⊂ और ⊃ से निरुपित किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि समुच्चय A का प्रत्येक अवयव B का भी अवयव है तो इसे A ⊂ B से निरुपित करते हैं और 'A उपसमुच्चय है B का' पढ़ते हैं एवं B को A का अधिसमुच्चय कहते हैं। .
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