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सचिव

सूची सचिव

हिन्दू राजाओं के इसी कार्यालय प्रधान को सचिव कहा जाता था। मराठा साम्राज्य के दफ़तरों (कार्यालय के कर्मचारियों) को सचिव कहते थे। श्रेणी:मराठा साम्राज्य आजकल किसी बड़े अधिकारी या विभाग का वह व्यक्ति जो अभिलेख आदि सुरक्षित रखता हो। और मुख्य रूप से पत्र व्यवहार आदि की व्यवस्था करता हो। (सेक्रेटरी) विशेष—प्राचीन भारत में, मंत्री और सचिव प्रायः समानार्थक शब्द माने जाते थे, परंतु आजकल सचिव से मंत्री पद भिन्न होता है। मंत्री का काम मंत्रणा या परामर्श देना होता है। परंतु सचिव को कोई ऐसा अधिकार नहीं होता है।.

10 संबंधों: दक्षेस गान, नूतन ठाकुर, पंकज सिंह (राजनेता), प्रतीक भारद्वाज, बांग्लादेश की मंत्रिसभा, लाला हरदयाल, शिवाजी, हितकारिणी सभा, कर्म एवं उद्यमों की सूची, अष्टप्रधान

दक्षेस गान

दक्षेस गान जो आठ दक्षिण एशियाई देशों के लिए एक प्रस्तावित क्षेत्रीय गान है। अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका इस दक्षेस के सदस्य हैं। इस गान रचनाकार भारतीय राजनयिक और कवि अभय कुमार हैं। वें नेपाल स्थित भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव (प्रेस, सूचना एवं संस्कृति) के रूप में तैनात हैं। अभय कुमार ने दक्षेस गान को मूलत: हिंदी में लिखा है लेकिन अब इसका अनुवाद सात अन्य दक्षेस राष्ट्रों की मातृभाषा में किया हैं। इस गान को लिखकर अभय कुमार ने दक्षेस देशों में परस्पर सहयोग की भावना को और पुष्ट करने की कोशिश की हैं। गान में दक्षेस के सभी आठ देशों- नेपाल, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मालदीव, श्रीलंका और भूटान की भाषाओं का इस्तेमाल किया गया है। दक्षेस गान को सर्वप्रथम नेपाल से प्रकाशित हिन्दी मासिक ‘हिमालिनी’ नामक वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया। .

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नूतन ठाकुर

डॉ॰ नूतन ठाकुर (जन्म: ११ जुलाई १९७३) एक सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, व लेखिका हैं। वें आई.पी.एस. अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी हैं। .

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पंकज सिंह (राजनेता)

पंकज सिंह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वर्त्तमान चंदोली जिले (पहले वाराणसी) की चकिया तहसील के एक छोटे से ग्राम भाभोरा के रहने वाले है। पंकज सिंहका जन्म अपने ननिहाल झारखंड के पलामू जिले के डाल्टनगंज में (जन्म: 12 दिसम्बर 1978)को हुआ था। वे भारतीय जनता पार्टी के राजनेता हैं। वर्त्तमान में उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के महासचिव हैं। भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र हैं। .

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प्रतीक भारद्वाज

प्रतीक भारद्वाज (जन्म: १५ जनवरी, १९८९) एक भारतीय उद्यमी हैं। वह संयुक्त रोजगार परीक्षा के पूर्व निदेशक एवं सचिव और लीडर्सप्रो लर्निंग नामक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। .

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बांग्लादेश की मंत्रिसभा

बांग्लादेश की मंत्रीमंडल अथवा बांग्लादेश की मंत्रिसभा(বাংলাদেশের মন্ত্রিসভা, सटीक उच्चारण:बाड़्लादेशेर मोन्त्रीशाॅभा), बांग्लादेश की उच्चतम् शासनिक एवं निर्णयात्मक निकाय हैं। इसे बांग्लादेशी लहजे में, मंत्रिसभा(মন্ত্রিসভা) या कैबिनेट कहते हैं। प्रधानमंत्री व मंत्री परिषद सम्मिलित रूप से देश को प्रशासित एवं सरकारी तंत्र को नियंत्रित करते हैं। प्रधानमंत्री, मंत्रीपरिषद के प्रमुख होते हैं जो सम्मिलित रूप से शासन का परिचालन व सरकार की नीति निर्धारित करती है। इसके अतिरिक्त, सरकार के मंत्री, राष्ट्रीय संसद के समक्ष निर्वाचित सरकार की नीतियों की प्रस्तुती एवं सदन में सरकार की योजना व नीतियों के बचाव के लिए भी जिम्मेदार होती है। .

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लाला हरदयाल

लाला हरदयाल (१४ अक्टूबर १८८४, दिल्ली -४ मार्च १९३९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के उन अग्रणी क्रान्तिकारियों में थे जिन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी की लडाई में योगदान के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित किया। इसके लिये उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। वहाँ उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना जागृत की। काकोरी काण्ड का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मई, सन् १९२७ में लाला हरदयाल को भारत लाने का प्रयास किया गया किन्तु ब्रिटिश सरकार ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद सन् १९३८ में पुन: प्रयास करने पर अनुमति भी मिली परन्तु भारत लौटते हुए रास्ते में ही ४ मार्च १९३९ को अमेरिका के महानगर फिलाडेल्फिया में उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गयी। उनके सरल जीवन और बौद्धिक कौशल ने प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए कनाडा और अमेरिका में रहने वाले कई प्रवासी भारतीयों को प्रेरित किया। .

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शिवाजी

छत्रपति शिवाजी महाराज या शिवाजी राजे भोसले (१६३० - १६८०) भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने १६७४ में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन १६७४ में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और छत्रपति बने। शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध (Gorilla War) की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की। उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में बहुत से लोगों ने शिवाजी के जीवनचरित से प्रेरणा लेकर भारत की स्वतन्त्रता के लिये अपना तन, मन धन न्यौछावर कर दिया। .

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हितकारिणी सभा

हितकारिणी सभा मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित एक ऐतिहासिक, शैक्षणिक संस्था है। यह संस्था इस क्षेत्र के कुछ सबसे पुराने शिक्षण संस्थान संचालित करती है। इसकी स्थापना १८६८ में राज बलवन्त राव खेर, दीवान बिहारीलाल खजांची, तथा श्री अम्बिका चरण बनर्जी ने की थी। सेठ गोविन्ददास के अनुरोध पर हितकारिणी सभा ने राष्ट्रवादी विचारों को पोषण देना आरम्भ किया। इसके द्वारा संचालित विद्यालयों के विद्यार्थियों ने स्वराज आन्दोलन में बढ़चढ़कर भाग लिया। इस सभा ने हिन्दी भाषा के विकास में महती भूमिका निभायी। 1871 में हुई एक बैठक में सभा ने न्यायालयों में प्रयुक्त भाषा के प्रश्न पर विचार किया। १० में से ८ सदस्यों ने माना कि इस कार्य के लिये उर्दू की अपेक्षा हिन्दी अधिक उपयुक्त है। संस्था ने कुछ समय तक एक साहित्यिक पत्रिका का भी प्रकाशन किया तथा प्रमुख हिन्दी लेखकों के सम्मेलन भी आयोजित किये।सेठ गोविन्ददास इस सभा के ट्रस्टी के थे। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी इस सभा की सेवा करते आ रहे हैं। रविशंकर शुक्ल, रजनीश, महर्षि महेश योगी, गजानन माधव मुक्तिबोध आदि विद्वान इस सभा द्वारा संचालित संस्थाओं से ही निखरे थे। .

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कर्म एवं उद्यमों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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अष्टप्रधान

मराठा शासक शिवाजी के सलाहकार परिषद को अष्ट प्रधान कहा जाता था। शिवाजी महाराज थे उनके राज्याभिषेक में भी कई समस्याएं आईं। प्रथम पेशवा जो की स्वयं ब्राहमण था, ने शिवाजी के क्षत्रिय होने का सार्वजनिक रूप से विरोध किया। उसने शिवाजी से कहा उनका राज्याभिषेक एक क्षत्रिय के रूप में नहीं वरन शुद्र के रूप में हो सकता हे और कुछ ब्राहमण इसके लिए तैयार हे। ब्राहमणों ने शिवाजी के द्वारा किये गए जाने-अनजाने पापों की सूची बनाई जिसमे भूलवश युद्ध के दौरान गोवध भी शामिल था इसके आधार पर दंड निर्धारण किया गया और यह दंड उन को देना पड़ा। इस प्रकार 11000 ब्राहमणों को परिवार् सहित भोज्य वस्त्र और अन्यसामग्री 4 महीने तक दी गयी। उन्होंने इसे अपना अपमान समझा शिवाजी के राज तिलक के समय पर उन्हें स्वर्ण मुकुट पहनाया गया और बहुमूल्य रत्नों और स्वर्ण पुष्पों की वर्षा की गई। ब्राह्मणों को दिए गए उपहारों के कारण उन लोगो ने अपने विरोध को दबाये रखा। शिवाजी का शुद्धिकरण शुद्र से क्षत्रिय, गंगा भट्ट नामक ब्राहमण ने वैदिक मन्त्र सिखा कर किया। ब्राहमणों ने कहा इस समय सिर्फ ब्राहमण ही द्विजाति हे और कोई भी क्षत्री जाती वास्तविक नहीं हे अपनी समाज के इस मंतव्य पर गनगा भट्ट अपना आप खो बता और उसने एक अनुष्टान को छोड़ दिया। जिसे बाद में रायगढ़ में किया गया। गंगा भट्ट को एक लाख रुपया दिया गया। शिवाजी तिलक को सूरत में अंग्रेजी फैक्ट्री मुख्य हेनरी ओक्सेंदेंग ने अपनी आँखों से देखा। इस दोरान इस बात को भी बताया जाता हे की सिवाजी ने अपना हिरन्य गर्भ संस्कार कराया था जिससे वे शुद्ध क्षत्र्य बन जाये। इतना शक्तिशाली योधा भी जातिवाद का शिकार होकर क्षत्रियत्व को प्राप्त करने को प्रलोभित किया गया। उसने अपना राजकोष सिर्फ इस कार्य के लिए खली कर दिया और सैनिक तयारी पर कुछ भी खर्च नहीं किया । अंतत: बहुत सा धन देकर असंतुष्ट ब्राहमणों को प्रसन्न किया गया। कुल मिला कर 460 लाख रुपया खर्च हुआ। किन्तु पुणे के ब्राहमण लोग अभी भी संतुष्ट नहीं हुए और शिवाजी महारज को राजा मानने से इंकार कर दिया। तब अष्ट प्रधान मंडल की स्थापना की गयी। जिसमे सात सदस्य ब्राह्मण थे। इसका विवरण इस प्रकार है -.

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