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संख्या

सूची संख्या

समिश्र संख्याओं के उपसमुच्चय संख्याएं हमारे जीवन के ढर्रे को निर्धरित करती हैं। जीवन के कुछ ऐसे क्षेत्रों में भी संख्याओं की अहमियत है जो इतने आम नहीं माने जाते। किसी धावक के समय में 0.001 सैकिंड का अंतर भी उसे स्वर्ण दिला सकता है या उसे इससे वंचित कर सकता है। किसी पहिए के व्यास में एक सेंटीमीटर के हजारवें हिस्से जितना फर्क उसे किसी घड़ी के लिए बेकार कर सकता है। किसी व्यक्ति की पहचान के लिए उसका टेलीफोन नंबर, राशन कार्ड पर पड़ा नंबर, बैंक खाते का नंबर या परीक्षा का रोल नंबर मददगार होते हैं। .

48 संबंधों: एक विमीय समष्टि, देवनागरी, नवरोहण, प्रतीक, प्रागनुभविक संख्या, पूर्णांक (संगणक विज्ञान), भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी, भारतीय संख्या प्रणाली, भारतीय गणित, भारतीय गणित का इतिहास, भारतीय गणितज्ञों की सूची, भिन्न, भूतसंख्या पद्धति, मुस्तफा इशक-बौशकी, मेसोअमेरिकी, योग, लेखाचित्र (चार्ट), लेखांकन का इतिहास, शून्य, समीकरण का हल, सराक, संख्या सिद्धान्त, संख्यांक उपसर्ग, संख्याओं की सूची, स्थानिक मान, सीता माता वन्यजीव अभयारण्य, हिन्दी की गिनती, विश्लेषी संख्या सिद्धान्त, गुणनखण्ड, क्वीन्स पार्क, लंदन, अपरिमेय संख्या, अंश, अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी, अक्षर कोडन, , , १ (संख्या), १०, १७२९ (संख्या), , , , , , , , , SAT (सैट)

एक विमीय समष्टि

गणित और भौतिक विज्ञान में n-संख्याओं के एक अनुक्रम को n-विमीय समष्टि के रूप में मान सकते हैं। जब n.

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देवनागरी

'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .

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नवरोहण

नवरोहण नियुक्ति के लिए किसी योग्य व्यक्ति लुभाना (आकर्षित करना), जाँच करना, चयन करना और पदनियुक्ति की एक प्रक्रिया है। सामरिक स्तर पर यह नियोक्ता ब्राण्ड के विकास में शामिल हों जिसमें कर्मचारी भेण्ट भी शामिल है। .

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प्रतीक

प्रतीक; किसी वस्तु, चित्र, लिखित शब्द, ध्वनि या विशिष्ट चिह्न को कहते हैं जो संबंध, सादृश्यता या परंपरा द्वारा किसी अन्य वस्तु का प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के लिए, एक लाल अष्टकोण (औक्टागोन) "रुकिए" (स्टॉप) का प्रतीक हो सकता है। नक्शों पर दो तलवारें युद्ध क्षेत्र का संकेत हो सकती हैं। अंक, संख्या (राशि) के प्रतीक होते हैं। सभी भाषाओं में प्रतीक होते हैं। व्यक्तिगत नाम, व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतीक होते हैं। .

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प्रागनुभविक संख्या

गणित में, प्रागनुभविक संख्या (transcendental number) उन संख्याओं को कहते हैं जो परिमेय गुणांकों वाले किसी भी अशून्य बहुपद समीकरण की मूल न हों। π (पाई) और e दो प्रमुख प्रागनुभविक संख्याएँ हैं। यह सिद्ध करना कि कोई दी हुई संख्या प्रागनुभविक है, आसान नहीं है। फिर भी प्रागनुभविक संख्याएँ विरल (rare) नहीं हैं। सभी वास्तविक प्रागनुभविक संख्याएँ अपरिमेय हैं जबकि सभी अपरिमेय संख्याएँ प्रागनुभविक नहीं होतीं। उदाहरण के लिए '2 का वर्गमूल' एक अपरिमेय संख्या है किन्तु प्रागनुभविक संख्या नहीं है क्योंकि यह बहुपद समीकरण x2 − 2 .

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पूर्णांक (संगणक विज्ञान)

संगणक विज्ञान में पूर्णांक (integer) एक एक विशेष अर्थ है। यह एक प्रकार का 'डेटा टाइप' है जो पूर्णांक का एक सीमित उपसमुच्चय (finite subset) होता है। उदाहरण के लिये १६ बिट कम्प्यूटर के लिये यह समुच्चय 0000 (हेक्स में, .

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भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी

भारत के प्रथम रिएक्टर '''अप्सरा''' तथा प्लुटोनियम संस्करण सुविधा का अमेरिकी उपग्रह से लिया गया चित्र (१९ फरवरी १९६६) भारतीय विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में एक है। भारत में विज्ञान का उद्भव ईसा से 3000 वर्ष पूर्व हुआ है। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त सिंध घाटी के प्रमाणों से वहाँ के लोगों की वैज्ञानिक दृष्टि तथा वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोगों का पता चलता है। प्राचीन काल में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चरक और सुश्रुत, खगोल विज्ञान व गणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट द्वितीय और रसायन विज्ञान में नागार्जुन की खोजों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। इनकी खोजों का प्रयोग आज भी किसी-न-किसी रूप में हो रहा है। आज विज्ञान का स्वरूप काफी विकसित हो चुका है। पूरी दुनिया में तेजी से वैज्ञानिक खोजें हो रही हैं। इन आधुनिक वैज्ञानिक खोजों की दौड़ में भारत के जगदीश चन्द्र बसु, प्रफुल्ल चन्द्र राय, सी वी रमण, सत्येन्द्रनाथ बोस, मेघनाद साहा, प्रशान्त चन्द्र महलनोबिस, श्रीनिवास रामानुजन्, हरगोविन्द खुराना आदि का वनस्पति, भौतिकी, गणित, रसायन, यांत्रिकी, चिकित्सा विज्ञान, खगोल विज्ञान आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान है। .

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भारतीय संख्या प्रणाली

भारतीय संख्या प्रणाली भारतीय उपमहाद्वीप की परम्परागत गिनने की प्रणाली है जो भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश और नेपाल में आम इस्तेमाल होती है। जहाँ पश्चिमी प्रणाली में दशमलव के तीन स्थानों पर समूह बनते हैं वहाँ भारतीय प्रणाली में दो स्थानों पर बनते हैं। .

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भारतीय गणित

गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारम्भिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ। गणित-विज्ञान न केवल औद्योगिक क्रांति का बल्कि परवर्ती काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है। बिना गणित के विज्ञान की कोई भी शाखा पूर्ण नहीं हो सकती। भारत ने औद्योगिक क्रांति के लिए न केवल आर्थिक पूँजी प्रदान की वरन् विज्ञान की नींव के जीवंत तत्व भी प्रदान किये जिसके बिना मानवता विज्ञान और उच्च तकनीकी के इस आधुनिक दौर में प्रवेश नहीं कर पाती। विदेशी विद्वानों ने भी गणित के क्षेत्र में भारत के योगदान की मुक्तकंठ से सराहना की है। .

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भारतीय गणित का इतिहास

सभी प्राचीन सभ्यताओं में गणित विद्या की पहली अभिव्यक्ति गणना प्रणाली के रूप में प्रगट होती है। अति प्रारंभिक समाजों में संख्यायें रेखाओं के समूह द्वारा प्रदर्शित की जातीं थीं। यद्यपि बाद में, विभिन्न संख्याओं को विशिष्ट संख्यात्मक नामों और चिह्नों द्वारा प्रदर्शित किया जाने लगा, उदाहरण स्वरूप भारत में ऐसा किया गया। रोम जैसे स्थानों में उन्हें वर्णमाला के अक्षरों द्वारा प्रदर्शित किया गया। यद्यपि आज हम अपनी दशमलव प्रणाली के अभ्यस्त हो चुके हैं, किंतु सभी प्राचीन सभ्यताओं में संख्याएं दशमाधार प्रणाली पर आधारित नहीं थीं। प्राचीन बेबीलोन में 60 पर आधारित संख्या-प्रणाली का प्रचलन था। भारत में गणित के इतिहास को मुख्यता ५ कालखंडों में बांटा गया है-.

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भारतीय गणितज्ञों की सूची

सिन्धु सरस्वती सभ्यता से आधुनिक काल तक भारतीय गणित के विकास का कालक्रम नीचे दिया गया है। सरस्वती-सिन्धु परम्परा के उद्गम का अनुमान अभी तक ७००० ई पू का माना जाता है। पुरातत्व से हमें नगर व्यवस्था, वास्तु शास्त्र आदि के प्रमाण मिलते हैं, इससे गणित का अनुमान किया जा सकता है। यजुर्वेद में बड़ी-बड़ी संख्याओं का वर्णन है। .

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भिन्न

एक केक के चार भाग दर्शाए गये हैं। उसमें से एक भाग को निकाल दिया गया है। इसी को दूसरे शब्दों में कहेंगे कि केक का \tfrac14भाग काटकर निकाल दिया गया है और \tfrac34 भाग बचा है। भिन्न (Fraction) एक संख्या है जो पूर्ण के किसी भाग को दर्शाती है। भिन्न दो पूर्ण संख्याओं का भागफल है। भिन्न का एक उदाहरण है \tfrac जिसमें 3 अंश कहलाता है और 5 हर कहलाता है। .

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भूतसंख्या पद्धति

भूतसंख्या पद्धति संख्याओं को शब्दों के रूप में अभिव्यक्त करने की एक प्राचीन भारतीय पद्धति है जिसमें ऐसे साधारण शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो किसी निश्चित संख्या से संबन्धित हों। यह पद्धति प्राचीन काल से ही भारतीय खगोलशास्त्रियों एवं गणितज्ञों में प्रचलित थी। यहाँ 'भूत' का अर्थ है - 'सृष्टि का कोई जड़ या चेतन, अचर या चर पदार्थ या प्राणी'। उदाहरण के लिये संख्या २ के लिये 'नयन' का उपयोग भूतसंख्या का एक छोटा सा उदाहरण है। नयन (.

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मुस्तफा इशक-बौशकी

प्रोफेसर मुस्तफा इशक-बौशकी एक अल्जीरियाई खगोल जो समझ के महान योगदान ब्रह्मांडीय त्वरण और गुरुत्वाकर्षक लेंस हैैं। Ishak-Boushaki भी वैज्ञानिक अनुसंधान के एक प्रमोटर है। .

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मेसोअमेरिकी

350 पीएक्स (px) 350 पीएक्स (px) 350 पीएक्स (px) 350 पीएक्स (px) पैलेंकी के क्लासिक माया शहर का दृश्य, जो 6 और 7 सदियों में सुशोभित हुआ, मेसोअमेरिकी सभ्यता की उपलब्धियों के कई उदाहरणों में से एक है ट्युटिहुकन के मेसोअमेरिकी शहर का एक दृश्य, जो 200 ई. से 600 ई. तक सुशोभित हुआ और जो अमेरिका में दूसरी सबसे बड़ी पिरामिड की साइट है माया चित्रलिपि पत्रिका में अभिलेख, कई मेसोअमरिकी लेखन प्रणालियों में से एक शिलालेख.दुनिया में मेसोअमेरिका पांच स्थानों में से एक है जहां स्वतंत्र रूप से लेखन विकसित हुआ है मेसोअमेरिका या मेसो-अमेरिका (Mesoamérica) अमेरिका का एक क्षेत्र एवं सांस्कृतिक प्रान्त है, जो केन्द्रीय मैक्सिको से लगभग बेलाइज, ग्वाटेमाला, एल सल्वाडोर, हौंड्यूरॉस, निकारागुआ और कॉस्टा रिका तक फैला हुआ है, जिसके अन्दर 16वीं और 17वीं शताब्दी में, अमेरिका के स्पैनिश उपनिवेशवाद से पूर्व कई पूर्व कोलंबियाई समाज फलफूल रहे थे। इस क्षेत्र के प्रागैतिहासिक समूह, कृषि ग्रामों तथा बड़ी औपचारिक व राजनैतिक-धार्मिक राजधानियों द्वारा वर्णित हैं। यह सांस्कृतिक क्षेत्र अमेरिका की कुछ सर्वाधिक जटिल और उन्नत संस्कृतियों जैसे, ऑल्मेक, ज़ैपोटेक, टियोतिहुआकैन, माया, मिक्सटेक, टोटोनाक और एज़्टेक को शामिल करता है। .

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योग

पद्मासन मुद्रा में यौगिक ध्यानस्थ शिव-मूर्ति योग भारत और नेपाल में एक आध्यात्मिक प्रकिया को कहते हैं जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। यह शब्द, प्रक्रिया और धारणा बौद्ध धर्म,जैन धर्म और हिंदू धर्म में ध्यान प्रक्रिया से सम्बंधित है। योग शब्द भारत से बौद्ध धर्म के साथ चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्री लंका में भी फैल गया है और इस समय सारे सभ्य जगत्‌ में लोग इससे परिचित हैं। इतनी प्रसिद्धि के बाद पहली बार ११ दिसंबर २०१४ को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष २१ जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी है। भगवद्गीता प्रतिष्ठित ग्रंथ माना जाता है। उसमें योग शब्द का कई बार प्रयोग हुआ है, कभी अकेले और कभी सविशेषण, जैसे बुद्धियोग, संन्यासयोग, कर्मयोग। वेदोत्तर काल में भक्तियोग और हठयोग नाम भी प्रचलित हो गए हैं पतंजलि योगदर्शन में क्रियायोग शब्द देखने में आता है। पाशुपत योग और माहेश्वर योग जैसे शब्दों के भी प्रसंग मिलते है। इन सब स्थलों में योग शब्द के जो अर्थ हैं वह एक दूसरे के विरोधी हैं परंतु इस प्रकार के विभिन्न प्रयोगों को देखने से यह तो स्पष्ट हो जाता है, कि योग की परिभाषा करना कठिन कार्य है। परिभाषा ऐसी होनी चाहिए जो अव्याप्ति और अतिव्याप्ति दोषों से मुक्त हो, योग शब्द के वाच्यार्थ का ऐसा लक्षण बतला सके जो प्रत्येक प्रसंग के लिये उपयुक्त हो और योग के सिवाय किसी अन्य वस्तु के लिये उपयुक्त न हो। .

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लेखाचित्र (चार्ट)

एक पाई चार्ट. एक लेखाचित्र (चार्ट), आंकड़ों का आलेखीय प्रस्तुतीकरण है, जिसमें "आंकड़ों को प्रतीक द्वारा दर्शाया जाता है, जैसे बार चार्ट में बार के रूप में, रेखा चार्ट में रेखाओं के रूप में, या पाइ चार्ट में टुकड़ों के रूप में".

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लेखांकन का इतिहास

भारत में लेखांकन का इतिहास भारत के वेदों से जानकारी मिलती है के विश्व को लिखांकन का ज्ञान भारत ने दिया | अथर्वेद में विक्रय शब्द हा जिसका मतलब सलेस होता है तथा शुल्क भी ऋग्वेद से लिया हुआ शब्द है जिस का भाव कीमत होता है | धर्म सूत्र का मतलब टैक्स होता है .

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शून्य

शून्य (0) एक अंक है जो संख्याओं के निरूपण के लिये प्रयुक्त आजकी सभी स्थानीय मान पद्धतियों का अपरिहार्य प्रतीक है। इसके अलावा यह एक संख्या भी है। दोनों रूपों में गणित में इसकी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्णांकों तथा वास्तविक संख्याओं के लिये यह योग का तत्समक अवयव (additive identity) है। .

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समीकरण का हल

गणित में, 'समीकरण के हल' का अर्थ है, ऐसी संख्याएँ, फलन या समुच्चय खोजना जो उस दिये गये समीकरण को सन्तुष्ट करते हैं। जब हम समीकरण के हल की बात करते हैं तो उसमें आये हुए एक या अधिक चर राशियों को 'अज्ञात' (unknowns) माना गया होता है। उदाहरण के लिए, समीकरण 4.x3 + x2 - 36 .

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सराक

समाज क एक जैनधर्मावलंवी समुदाय है। इस समुदाय के लोग बिहार, झारखण्ड, बंगाल एवं उड़ीसा के लगभग १५ जिलों में निवास करते हैं। इनकी संख्या लगभग १५ लाख है। सराक संस्कृत के शब्द श्रावक का अपभ्रंश रूप है। जैनधर्म में आस्था रखने वाले श्रद्धालु को श्रावक कहते है। सराक जैनधर्म के २३वें तीर्थंकर, पार्श्वनाथ के तीर्थकाल के प्राचीन श्रावकों की वंश परंपरा के उत्तराधिकारी हैं। सराक जाति पिछले दो हज़ार वर्षों से देश में व्यवस्थित शासन के अभाव, अराजकता, नैतिक अस्थिरता आदि परिस्थितियों में धर्मद्रोहियों से बचने के लिए जंगलों में भटकती रही है। समय की मार, क्रूर शासको के अत्याचारों के साथ-साथ अनेक झंझावातों एवं विपरीत परिस्थितियों को झेलते हुए भी उन्होंने अपने मूल संस्कारों जैसे-नाम/ गोत्र/ भक्ति/ उपासना/ पुजपध्दति/ जलगालन/ रात्रिभोजन त्याग/ अहिंसा की भावना को नहीं छोड़ा। निर्ग्रन्थ साधुयों का साथ न मिलने के कारण वे जैन समाज की मूलधारा से कटकर आदिवासी और जनजाति की श्रेणी में आ गए l श्रेणी:जैन धर्म श्रेणी:भारतीय जनजाति.

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संख्या सिद्धान्त

यह लेख संख्या पद्धति (number system) के बारे में नहीं है। ---- लेमर चलनी (A Lehmer sieve), जो 'आदिम कम्प्यूटर' कही जा सकती है। किसी समय इसी का उपयोग करके अभाज्य संख्याएँ प्राप्त की जातीं थीं तथा सरल डायोफैण्टीय समीकरण हल किए जाते थे। संख्या सिद्धांत (Number theory) सामान्यत: सभी प्रकार की संख्याओं के गुणधर्म का अध्ययन करता है किन्तु विशेषत: यह प्राकृतिक संख्याओं 1, 2, 3....के गुणधर्मों का अध्ययन करता है। पूर्णता के विचार से इन संख्याओं में हम ऋण संख्याओं तथा शून्य को भी सम्मिलित कर लेते हैं। जब तक निश्चित रूप से न कहा जाए, तब तक संख्या से कोई प्राकृतिक संख्या, धन, या ऋण पूर्ण संख्या या शून्य समझना चाहिए। संख्यासिद्धांत को गाउस (Gauss) 'गणित की रानी' कहता था। संख्या सिद्धान्त, शुद्ध गणित की शाखा है। 'संख्या सिद्धान्त' के लिये "अंकगणित" या "उच्च अंकगणित" शब्दों का भी प्रयोग किया जता है। ये शब्द अपेक्षाकृत पुराने हैं और अब बहुत कम प्रयोग किये जाते हैं। .

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संख्यांक उपसर्ग

संख्यांक या संख्या उपसर्ग संख्यांकों या कभी-कभी अन्य संख्याओं से व्युत्पन्न उपसर्ग होते हैं। Category:उपसर्ग Category:संख्यांक पद्धति.

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संख्याओं की सूची

यह संख्याओं के बारे में लेखों की सूची हैं, न कि संख्यांकों के बारे में। .

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स्थानिक मान

स्थानिक मान पद्धति (place-value notation) या स्थिति-चिह्न (Positional notation) संख्याओं को निरूपित करने की वह प्रणाली जिसमें किसी संकेत (अंक) का मान इस बात पर निर्भर करता है कि संख्या में उस अंक का स्थान कहाँ है। उदाहरण के लिये ३२५ (तीन सौ पचीस) में ५ का स्थानीय मान पांच है किन्तु ५२३ में ५ का स्थानीय मान 'पाँच सौ' है। इस तरह संख्याओं के निरूपण की यह पद्धति रोमन अंक पद्धति आदि अन्य निरूपण पद्धतियों से भिन्न है। स्थानीय मान पर आधारित संख्या निरूपण से बहुत सी अंकगणितीय संक्रियाएँ बहुत सरलता से की जाने लगीं और इस कारण यह पद्धति शीघ्र ही पूरे संसार में अपना ली गयी। आजकल स्थानीय मान पर आधारित बहुत सी पद्धतियाँ प्रचलित हैं जिनमें दस आधार वाली हिन्दू अंक पद्धति सबसे पुरानी और सर्वाधिक प्रयुक्त पद्धति है। इसके अतिरिक्त द्विआधारी संख्या पद्धति (बाइनरी नम्बर सिस्टम), अष्टाधारी संख्या पद्धति (ऑक्टल नम्बर सिस्टम) तथा षोडशाधारी संख्या पद्धति (हेक्साडेसिमल नम्बर सिस्टम) भी प्रयुक्त होते हैं (मुख्यत: संगणकीय गणित में)। स्थानीय मान पद्धति में दशमलव बिन्दु का प्रयोग करके भिन्नात्मक संख्याओं (fractions) को भी निरूपित करने की क्षमता रखती है। अर्थात यह पद्धति सभी वास्तविक संख्याओं को निरूपित करने की क्षमता रखती है। .

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सीता माता वन्यजीव अभयारण्य

सीता माता वन्यजीव अभयारण्य एक वन्यजीव अभयारण्य है जो दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित प्रतापगढ़ जिला,राजस्थान,भारत में स्थित है। 2 नवम्बर 1979 को राजस्थान अधिसूचना संख्या एफ सरकार द्वारा एक संरक्षित वन क्षेत्र के रूप में घोषित कर दिया गया। यहाँ बहुत घने जंगल है इस विकासशील ज़िले की कुल भूमि क्षेत्र लगभग 40% है, जो 422.95 वर्ग किलोमीटर है। यह प्रतापगढ़ ज़िले का मुख्य आकर्षण है। यहाँ की भूमि क्योंकि तीन अलग अलग संरचनाओं के संगम की लहरदार है - मालवा पठार,विंध्याचल हिल्स और अरावली श्रृखला। .

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हिन्दी की गिनती

हिन्दी की गिनती, संस्कृत की गिनती से अपभ्रंश होकर पैदा हुई है। उदाहरण के लिये हिन्दी का 'साठ' संस्कृत के 'षष्ठि' से उत्पन्न है; 'अस्सी' संस्कृत के 'असीति' से। इसी प्रकार देख सकते हैं कि हिन्दी की गिनती के सभी शब्द संस्कृत से व्युत्पन्न हैं। ० - शून्य १ - एक २ - दो ३ - तीन ४ - चार ५ - पाँच ६ - छः / छह ७ - सात ८ - आठ ९ - नौ १० - दस ११ - ग्यारह १२ - बारह १३ - तेरह १४ - चौदह १५ - पन्द्रह १६ - सोलह १७ - सत्रह १८ - अट्ठारह १९ - उन्नीस २० - बीस २१ - इक्कीस २२ - बाइस २३ - तेइस २४ - चौबीस २५ - पच्चीस २६ - छब्बीस २७ - सत्ताइस २८ - अट्ठाइस २९ - उनतीस ३० - तीस ३१ - इकत्तीस ३२ - बत्तीस ३३ - तैंतीस ३४ - चौंतीस ३५ - पैंतीस ३६ - छत्तीस ३७ - सैंतीस ३८ - अड़तीस ३९ - उन्तालीस ४० - चालीस ४१ - इकतालीस ४२ - बयालीस ४३ - तिरालीस/तैंतालीस ४४ - चवालीस ४५ - पैंतालीस ४६ - छियालीस ४७ - सैंतालीस ४८ - अड़तालीस ४९ - उन्चास ५० - पचास ५१ - इक्यावन ५२ - बावन ५३ - तिरपन ५४ - चौवन ५५ - पचपन ५६ - छप्पन ५७ - सत्तावन ५८ - अट्ठावन ५९ - उनसठ ६० - साठ ६१ - इकसठ ६२ - बासठ ६३ - तिरसठ ६४ - चौंसठ ६५ - पैंसठ ६६ - छाछठ/छियासठ ६७ - सड़सठ ६८ - अड़सठ ६९ - उन्हत्तर ७० - सत्तर ७१ - इकहत्तर ७२ - बहत्तर ७३ - तिहत्तर ७४ - चौहत्तर ७५ - पचहत्तर ७६ - छिहत्तर ७७ - सतहत्तर ७८ - अठहत्तर ७९ - उन्यासी ८० - अस्सी ८१ - इक्यासी ८२ - बयासी ८३ - तिरासी ८४ - चौरासी ८५ - पचासी/पिच्यासी ८६ - छियासी ८७ - सतासी ८८ - अट्ठासी ८९ - नवासी ९० - नब्बे ९१ - इक्यानबे ९२ - बानबे ९३ - तिरानबे ९४ - चौरानबे ९५ - पनचानबे/पिच्यानबे ९६ - छियानबे ९७ - सनतानबे/सत्तानबे ९८ - अट्ठानबे ९९ - निन्यान्बे १०० - सौ (एक सौ) १२० - एक सौ बीस १००० - एक हजार १३४० - एक हजार तीन सौ चालीस १०००० - दस हजार १००००० - एक लाख १०००००० - दस लाख १००००००० - एक करोड १०००००००० - दस करोड १००००००००० - एक अरब १०००००००००० - दस अरब १००००००००००० - एक खरब १०००००००००००० - दस खरब १००००००००००००० - एक नील १०००००००००००००० - दस नील १००००००००००००००० - एक पदम १०००००००००००००००० - दस पदम १००००००००००००००००० - एक शंख १०००००००००००००००००० - दस शंख अनन्त - infinite, infinty असंख्य, अनगिनत - innuberable, uncountable नगण्य - negligible १/२ - एक बटा दो; आधा १/३ - एक बटा तीन; तिहाई; एक तिहाई १/४ - एक बटा चार; चौथाई; एक चौथाई; एक पाव ३/४ - तीन बटा चार; तीन चौथाई; पौन २/३ - दो तिहाई क/ख - क बटा ख १०% - दस प्रतिशत १+१/४ - सवा (सवा एक, नहीं) १+१/२ - डेढ (साढे एक, नहीं) १+३/४ - पौने दो २+१/४ - सवा दो २+१/२ - ढाई (साढे दो, नहीं) ३+१/२ - साढे (सार्ध) तीन ४+१/२ - सार्ध चार १२.५७ - बारह दशमलव पाँच सात ५८७.७५९ पाँच सौ सत्तासी दशमलव सात पाँच नौ .

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विश्लेषी संख्या सिद्धान्त

विश्लेषी संख्या सिद्धान्त गणितीय विश्लेषण से शब्दार्थ के अनुसार गणित को सरलतम तत्वों में विघटित करने का तात्पर्य होता है। ये तत्व अंततोगत्वा संख्याएँ ही हैं। क्रॉनेकर ने भी कहा है: ईश्वर ने धन पूर्णांकों की रचना की है, तथा अन्य सभी संख्याएँ मनुष्य द्वारा बनाई हुई हैं। .

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गुणनखण्ड

किसी वस्तु (जैसे - संख्या, बहुपद या मैट्रिक्स) को अन्य वस्तुओं के गुणनफल (product) के रूप में तोडने की क्रिया को गणित में गुणनखण्ड (factorization या factorisation) कहते हैं। किसी वस्तु के गुणनखण्डों को परस्पर गुणा करने पर वह मूल वस्तु पुनः प्राप्त हो जाती है। उदाहरण के लिये: १५ .

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क्वीन्स पार्क, लंदन

क्वीन्स पार्क (अंग्रेज़ी: Queen's Park) एक केन्द्रीय लंदन में सिटी ऑफ़ वेस्टमिंस्टर बरो का जिला है। क्वीन पार्क पार्क और वेस्टमिंस्टर के शहर लंदन बरो के बीच की सीमा पर स्थित उत्तर पश्चिमी लंदन का एक क्षेत्र और नागरिक पल्ली है। .

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अपरिमेय संख्या

गणित में, अपरिमेय संख्या (irrational number) वह वास्तविक संख्या है जो परिमेय नहीं है, अर्थात् जिसे भिन्न p /q के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है, जहां p और q पूर्णांक हैं, जिसमें q गैर-शून्य है और इसलिए परिमेय संख्या नहीं है। अनौपचारिक रूप से, इसका मतलब है कि एक अपरिमेय संख्या को एक सरल भिन्न के रूप में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिये २ का वर्गमूल, और पाई अपरिमेय संख्याएँ हैं। यह साबित हो सकता है कि अपरिमेय संख्याएं विशिष्ट रूप से ऐसी वास्तविक संख्याएं हैं जिन्हें समापक या सतत दशमलव के रूप में नहीं दर्शाया जा सकता है, हालांकि गणितज्ञ इसे परिभाषा के रूप में नहीं लेते हैं। कैंटर प्रमाण के परिणामस्वरूप कि वास्तविक संख्याएं अगणनीय हैं (और परिमेय गणनीय) यह मानता है कि लगभग सभी वास्तविक संख्याएं अपरिमेय हैं। शायद, सर्वाधिक प्रसिद्ध अपरिमेय संख्याएं हैं π, e और √२.

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अंश

अंश भिन्न के समान भागों की संख्या को निरूपित करता है। आम तौर पर भिन्न का उपरी भाग अंश होता है। उदाहरण स्वरूप - \tfrac भिन्न में 3 अंश है। .

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अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी

अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी या डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स इलेक्ट्रॉनिक्स की एक शाखा है जिसमें विद्युत संकेत अंकीय होते हैं। अंकीय संकेत बहुत तरह के हो सकते हैं किन्तु बाइनरी डिजिटल संकेत सबसे अधिक उपयोग में आते हैं। शून्य/एक, ऑन/ऑफ, हाँ/नहीं, लो/हाई आदि बाइनरी संकेतों के कुछ उदाहरण हैं। जबसे एकीकृत परिपथों (इन्टीग्रेटेड सर्किट) का प्रादुर्भाव हुआ है और एक छोटी सी चिप में लाखों करोंड़ों इलेक्ट्रॉनिक युक्तियाँ भरी जाने लगीं हैं तब से डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक बहुत महत्वपूर्ण हो गयी है। आधुनिक व्यक्तिगत कम्प्यूटर (पीसी) तथा सेल-फोन, डिजिटल कैमरा आदि डिजिटल इलेक्ट्रॉनिकी की देन हैं। लकडी की तख्ती पर हाथ से बुनी हुई एक द्विआधारी घड़ी एक औद्योगिक अंकीय नियंत्रक इनटेल 80486DX2 माइक्रोप्रोसेसर अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी, या सूक्ष्माड़विक आंकिक पद्धति ऐसी प्रणाली है जो विद्युत संकेतों को, रेखीय स्तर के एक निरंतर पट्टियों के बजाए एक अलग अलग पट्टियों की श्रृंखला के रूप में दर्शाती है। इस पट्टी के सभी स्तर संकेतों की एक ही अवस्था को दर्शाते हैं। संकेतो की इस पृथकता की वजह से निर्माण सहनशीलता के काऱण रेखीय संकेतो के स्तर में आये अपेक्षाकृत छोटे बदलाव अलग आवरण नहीं छोड़ते है। जिसके परिणाम स्वरुप संकेतो की अवस्था को महसूस करने वाला परिपथ इन्हे नजरअंदाज कर देता है। ज्यादातर मामलों में संकेतो की अवस्था की संख्या दो होती है और इन दो अवस्थाओं को दो वोल्टेज स्तरों द्वारा दर्शाया जाता है: प्रयोग में आपूर्ति वोल्टेज के आधार पर एक व दूसरा (आमतौर पर "जमीनी" या शून्य वोल्ट के रूप में कहा जाता है)| 1 उच्च स्तर पर होता है व 0 निम्न स्तर पर। अक्सर ये दोनों स्तर "लो" और "हाई" के रूप में प्रतिनिधित्व करते हैं। आंकिक तकनीक का मूल लाभ इस तथ्य पर आधारित है कि संकेतो की एक सतत श्रृंखला को पुनरुत्पादित करने के बजाए, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को संकेतो की ० या १ जैसे किसी ज्ञात अवस्था में भेजना ज्यादा आसान होता है। डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स आम तौर पर लॉजिक गेट्स के वृहद संयोजन व बूलियन तर्क प्रकार्य के सरल इलेक्ट्रोनिक्स से बनाया जाता है। .

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अक्षर कोडन

अक्षर कूटन या संप्रतीक कूटन (character encoding) के अन्तर्गत किसी लेखन पद्धति में प्रयुक्त सभी अक्षरों एवं प्रतीकों के लिये अलग-अलग संख्याएँ निर्धारित कर दी जाती हैं। उदाहरण के लिये आस्की (ASCII) में लैटिन अक्षर A को निरूपित करने के लिये संख्या 65 निर्धारित की गयी है; B के लिये 66, C के लिये 67 आदि। इन्हीं संख्याओं को 'कूट' या 'संप्रतीक कूट' कहा जाता है। कम्प्युटर के अन्दर किसी टेक्स्ट को सहेजने या निरुपित करने के लिये इन्हीं संख्याओं का प्रयोग होता है। मोर्स कोड, आस्की और नवीनतम यूनिकोड, 'अक्षर कूटन' के कुछ प्रकार हैं। 'अक्षर कूटन' के स्थान पर 'संप्रतीक सेट', 'संप्रतीक मैप' और 'कूट पृष्ट' आदि शब्दों का प्रयोग भी किया जाता है। कभी-कभी 'अक्षर कूटन' से सीमित अर्थ लगाया जाता है। यूनिकोड के आने के बाद पुराने अक्षर कोडिंग को 'लिगेसी कोडिंग' कहा जाने लगा है। देवनागरी के लिये कृतिदेव, सुशा, चाणक्य आदि पुराने कोडिंग प्रयोग होते थे। .

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० देवनागरी लिपि में प्रयुक्त होने वाली एक संख्या है। इसको शुन्य कहते हैं। अंग्रेज़ी भाषा में इसे जीरो (Zero) या 0 लिखते हैं। एक गणित उदहारण के तौर पे ० को ० से घटाने पर ० मिलता है। ० - ० .

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१ एक संख्या, संख्यांक और ग्लिफ़ है। इसको एक कहते है। अंग्रेज़ी भाषा में इसे वन (One) या 1 लिखते है। वह प्राकृतिक संख्याओं के अनंत अनुक्रम में पहला आता है, और उसके बाद २ आता है। .

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१ (संख्या)

एक देवनागरी लिपि में प्रयुक्त होने वाली एक संख्या है। इसको एक कहते हैं। अंग्रेज़ी भाषा में इसे वन (One) या 1 लिखते है। एक गणित उदहारण के तोर पे १ को २ में से घटाने पर १ बचता है। २ - १ .

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१०

१० या 10 एक सम प्राकृतिक संख्या है जो ९ के बाद आती है और ११ के पहले। १० दशमलव संख्यांक प्रणाली का आधार है, और अब तक की संख्याओं को अंकित करने की सबसे आम प्रणाली है, लिखित और मौखिक रूप में। दस की पसंद का कारण माना जाता है कि इंसानों की दस उंगलियां (अंक) हैं। .

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१७२९ (संख्या)

संख्या 1729 को रामानुजन संख्या या हार्डी-रामानुजन संख्या कहा जाता है। यह वह संख्या है जिसे दो संख्याओं के घनों के योग के बराबर लिखा जा सकता है। इस प्रकार का गुण रखने वाली बहुत ही कम अन्य संख्याएँ हैं। श्रीनिवास रामानुजन् एक प्रकार से संख्याओं के जादूगर थे। संख्याओं के साथ उनका गहरा संबंध था। हम कह सकते हैं कि वे संख्याओं के साथ खेलते थे। श्रीनिवास रामानुजन जब इंग्लैंड में थे तो अक्सर बीमार रहते थे। उनके परामर्शदाता जी.एच.

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२ एक संख्या, संख्यांक और ग्लिफ़ है। यह एक प्राकृतिक संख्या है, जो १ के बाद आती है और ३ के पहले। श्रेणी:देवनागरी श्रेणी:संख्या als:0er#Johr 2.

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३ देवनागरी लिपि में प्रयुक्त होने वाली एक संख्या है.

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४ देवनागरी लिपि में प्रयुक्त होने वाली एक संख्या है। इसको चार कहते हैं। अंग्रेज़ी भाषा में इसे फोर (Four) या 4 लिखते हैं। एक गणित उदहारण के तौर पे १ को ४ से घटाने पर ३ मिलता है। १ - ४ .

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५ देवनागरी लिपि में प्रयुक्त होने वाली एक संख्या है.

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६ देवनागरी लिपि में प्रयुक्त होने वाली एक संख्या है। इसको छह कहते है। अंग्रेज़ी भाषा में इसे सिक्स (Six) या 6 लिखते है। एक गणित उदहारण के तोर पे २ को ६ से घटाने पर ४ मिलता है। ६ - २ .

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७ देवनागरी लिपि में प्रयुक्त होने वाली एक संख्या है। इसको सात कहते हैं। अंग्रेज़ी भाषा में इसे सेवेन (Seven) या 7 लिखते हैं। एक गणित उदहारण के तौर पे ५ को ७ से घटाने पर २ मिलता है। ५ - ७ .

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८ देवनागरी लिपि में प्रयुक्त होने वाली एक संख्या है.

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९ देवनागरी लिपि में प्रयुक्त होने वाली एक संख्या है.

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SAT (सैट)

SAT रिजनिंग टेस्ट (सैट तर्क परीक्षा) संयुक्त राज्य अमेरिका में कॉलेज में प्रवेश के लिए एक मानकीकृत परीक्षा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में SAT एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो कॉलेज बोर्ड के स्वामित्व में है और उसके द्वारा प्रकाशित और विकसित किया गया है। और, यह पहले एडुकेशनल टेस्टिंग सर्विस (ETS) द्वारा विकसित, प्रकाशित किया जाता था और उसीके द्वारा अंक दिए जाते थे। ETS अब परीक्षा का प्रबंध करता है। कॉलेज बोर्ड का दावा है कि परीक्षा निर्धारित कर सकती हैं कि कोई व्यक्ति कॉलेज के लिए तैयार है या नहीं है। वर्तमान SAT रिजनिंग टेस्ट में तीन घंटे पैंतालीस मिनट लगते हैं और इसमें विलंब फीस के अलावा 45 डॉलर (71 डॉलर अंतर्राष्ट्रीय) का खर्च आता है। 1901 में SAT की शुरूआत से, इसके नाम और अंक दिए जाने के तरीके कई बार बदल चुके हैं। 2005 में, 800 नंबर के तीन विभाग (गणित, विवेचनात्मक पठन और लेखन) को मिलाकर परीक्षा परिणाम में 600 से 2400 तक संभाव्य अंक प्राप्त करने के साथ दूसरे उप-विभागों में भी अलग से प्राप्त किए गए अंक मिलाकर इस परीक्षा का फिर से नामकरण "SAT रिजनिंग टेस्ट" किया गया। .

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