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भारतीय गणित का इतिहास

सूची भारतीय गणित का इतिहास

सभी प्राचीन सभ्यताओं में गणित विद्या की पहली अभिव्यक्ति गणना प्रणाली के रूप में प्रगट होती है। अति प्रारंभिक समाजों में संख्यायें रेखाओं के समूह द्वारा प्रदर्शित की जातीं थीं। यद्यपि बाद में, विभिन्न संख्याओं को विशिष्ट संख्यात्मक नामों और चिह्नों द्वारा प्रदर्शित किया जाने लगा, उदाहरण स्वरूप भारत में ऐसा किया गया। रोम जैसे स्थानों में उन्हें वर्णमाला के अक्षरों द्वारा प्रदर्शित किया गया। यद्यपि आज हम अपनी दशमलव प्रणाली के अभ्यस्त हो चुके हैं, किंतु सभी प्राचीन सभ्यताओं में संख्याएं दशमाधार प्रणाली पर आधारित नहीं थीं। प्राचीन बेबीलोन में 60 पर आधारित संख्या-प्रणाली का प्रचलन था। भारत में गणित के इतिहास को मुख्यता ५ कालखंडों में बांटा गया है-.

3 संबंधों: भारतीय गणित, राधा चरण गुप्त, अनन्त की यात्रा

भारतीय गणित

गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारम्भिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ। गणित-विज्ञान न केवल औद्योगिक क्रांति का बल्कि परवर्ती काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है। बिना गणित के विज्ञान की कोई भी शाखा पूर्ण नहीं हो सकती। भारत ने औद्योगिक क्रांति के लिए न केवल आर्थिक पूँजी प्रदान की वरन् विज्ञान की नींव के जीवंत तत्व भी प्रदान किये जिसके बिना मानवता विज्ञान और उच्च तकनीकी के इस आधुनिक दौर में प्रवेश नहीं कर पाती। विदेशी विद्वानों ने भी गणित के क्षेत्र में भारत के योगदान की मुक्तकंठ से सराहना की है। .

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राधा चरण गुप्त

राधा मोहन गुप्त (जन्म: १९३५ झांसी) भारत के गणितज्ञ हैं। भारतीय गणित के इतिहास पर उन्होने उल्लेखनीय कार्य किया है। .

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अनन्त की यात्रा

अनन्त की यात्रा: भारतीय केरल का मध्ययुगीन गणित तथा इसका प्रभाव (A Passage to Infinity: Medieval Indian Mathematics from Kerala and Its Impac) जी जी जोजेफ (George Gheverghese Joseph) द्वारा लिखित एक पुस्तक है जिसमें केरलीय गणित सम्प्रदाय के सामाजिक एवं गणितीय उद्भव का इतिहास वर्णित है। इसमें इस सम्प्रदाय की उपलब्धियों का रेखांकित किया गया है और इसके द्वारा सृजित गणितीय ज्ञान के यूरोप जाने की सम्भावना पर तर्कपूर्ण विचार है। .

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