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शिव कुमार बटालवी

सूची शिव कुमार बटालवी

शिव कुमार 'बटालवी' (ਸ਼ਿਵ ਕੁਮਾਰ ਬਟਾਲਵੀ) (1936 -1973) पंजाबी भाषा के एक विख्यात कवि थे, जो उन रोमांटिक कविताओं के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, जिनमें भावनाओं का उभार, करुणा, जुदाई और प्रेमी के दर्द का बखूबी चित्रण है। वे 1967 में वे साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के साहित्यकार बन गये। साहित्य अकादमी (भारत की साहित्य अकादमी) ने यह सम्मान पूरण भगत की प्राचीन कथा पर आधारित उनके महाकाव्य नाटिका लूणा (1965) के लिए दिया, जिसे आधुनिक पंजाबी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है और जिसने आधुनिक पंजाबी किस्सागोई की एक नई शैली की स्थापना की। आज उनकी कविता आधुनिक पंजाबी कविता के अमृता प्रीतम और मोहन सिंह जैसे दिग्गजों के बीच बराबरी के स्तर पर खड़ी है,जिनमें से सभी भारत- पाकिस्तान सीमा के दोनों पक्षों में लोकप्रिय हैं।.

9 संबंधों: पंजाबी साहित्य, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार, रतन पंडोरवी, रब्बी शेरगिल, लूणा, साहित्य अकादमी पुरस्कार पंजाबी, जसलीन कौर रॉयल, जगजीत सिंह, उड़ता पंजाब

पंजाबी साहित्य

पंजाबी साहित्य का आरंभ कब से होता है, इस विषय में विद्वानों का मतैक्य नहीं है। फरीद को पंजाबी का आदि कवि कहा जाता है; किंतु यदि इस बात को स्वीकार किया जाय कि जिन फरीद की बाणी "आदि ग्रंथ" में संगृहीत है वे फरीद सानी ही थे तो कहना पड़ेगा कि 16वीं शती से पहले का पंजाबी साहित्य उपलब्ध नहीं है। इस दृष्टि से गुरु नानक को ही पंजाबी का आदि कवि मानना होगा। "आदि ग्रंथ" पंजाबी का आदि ग्रंथ है। इसमें सात गुरुओं और 16 भक्तों की वाणियाँ संगृहीत हैं। पदों की कुल संख्या 3384 है। गुरु नानक की रचनाओं में सर्वप्रसिद्ध "जपुजी" है; इसके अतिरिक्त "आसा दी वार," "सोहिला" और "रहिरास" तथा लगभग 500 फुटकर पद और है। भाव और अभिव्यक्ति एवं कला और संगीत की दृष्टि से यह बाणी अत्यंत सुंदर और प्रभावपूर्ण है। भक्ति में "सिमरन" और जीवन में "सेवा" नानक की वाणी के दो प्रमुख स्वर हैं। परवर्ती सिक्ख गुरुओं ने गुरु नानक के भावों की प्राय: अनुकृति और व्याख्या की है। गुरु रामदास (1534-1581 ई.) की कविता में काव्यगुण अधिक है। गुरु अर्जुनदेव (1561-1606 ई.) की वाणी में ज्ञान और विचार की प्रधानता है। "आदि" ग्रंथ में सबसे अधिक पद (1000 से कुछ ऊपर) इन्हीं के हैं। यह बात विशेषत: उल्लेखनीय है कि पूरे ग्रंथ में कुल मिलाकर 350-400 पद पंजाबी के होंगे। गुरु गोविंदसिंह के "दशम ग्रंथ" में भी "चंडी दी वार" एकमात्र पंजाबी की कृति है, जो सिरखंडी छंद में रचना है। इसमें दुर्गा देवी और दैत्यों के युद्ध का वर्णन है। सिक्ख गुरुओं के अतिरिक्त भाई गुरुदास (1558-1637 ई.) की वाणी को गुरुमत साहित्य के अंतर्गत मान्यता दी जाती है। उनके कवित्त और सवैए ब्रजभाषा में हैं, वारें और गीत शुद्ध साहित्यिक पंजाबी में हैं। सूफी कवियों में फरीद के बाद लुत्फ अली का नाम आता है। इनकी रचना "सैफलमलूक" संवेदना, वैराग्य भावना और सरसता के लिए बहुत प्रसिद्ध है। परवर्ती सूफियों पर इसका बहुत अधिक प्रभाव रहा है। प्रेम, विरह और वैराग्य से भरे शाह हुसेन लाहौरी (1538-1599 ई.) के गीत बड़े प्रभावोत्पादक और कवित्वपूर्ण हैं। इनकी काफियों में निरपेक्ष प्रेम का स्वर है। इस्लाम की शरअ से विद्रोह करनेवाला दूसरा कवि सुल्तान बाहू (1629-1690 ई.) हुआ है। इसने अपनी "सीहर्फियों" में अहंकार के त्याग, गुरु की कृपा और सहायता, अंतर्निरीक्षण और आत्मचिंतन पर बल दिया है और उस दुनिया में रहने की आकांक्षा प्रकट की है जहाँ "मैं" और "मेरे" का बखेड़ा नहीं है। शाह शरफ की काफियों में रूपकों द्वारा इश्क हकीकी के रहस्य समझाए गए हैं। पंजाबी सूफी साहित्य के प्रसिद्धतम कवि बुल्लेशाह कसूरी प्रेम, साधना और मिलन के साधक हैं। उनकी कविता की सबे बड़ी विशेषता है भाषा का ओज और प्रभाव। अली हैदर (1690-1785 ई.) की सीहफिंयाँ और काफियाँ कुछ दुरूह और दार्शनिक होने के कारण सर्वप्रिय नहीं हैं। परवर्ती सूफियों में वजीद, फरीद (1720-90 ई.), गुलाम जीलानी (1749-1819), हाशिम (1753-1823), बहादुर (1750-1850 ई.) आदि प्रसिद्ध हैं। पंजाबी सूफी साहत्य प्राय: गेय मुक्तक काव्य है। इस युग का लौकिक साहित्य विशेषतया वारों और शृंगाररसप्रधान किस्सों के रूप में उपलब्ध है। हीर राँझा का किस्सा सबसे अधिक पुरातन और प्रसिद्ध है। सबसे श्रेष्ठ रचना बारिस शाह (1738-1798 ई.) की "हीर" है। वारिस शाह बड़े अनुभवी, प्रतिभाशाली और बहुज्ञ कवि थे। भाषा पर उनका पूर्ण अधिकार था। "मिरजा साहिबाँ" की प्रेमकथा को भी कई कवियों ने काव्यबद्ध किया, पर सबसे पुरातन और उत्तम किस्सा जहाँगीर और शाहजहाँ के राज्यकाल में पीलू ने लिखा। पीलू के बाद हाफिज बरखुरदार ने भी मिरजासाहिबाँ का किस्सा लिखा। उसने "यूसूफ-जुलेखा" और "सस्सी पुन्नू" की प्रेमकथाएँ भी लिखीं। सस्सी और पुन्नू बिलोचिस्तन के एवं जुलेखा और यूसुफ मिस्र के थे। हाशिम (1753-1823 ई.) की "सस्सी" इस नाम के किस्सों में सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसके अतिरिक्त उनकी "सोहनी महीवाल," "शीरीं फरहाद" और "लैला मजनूँ" प्रबंध कृतियाँ हैं। पिछले दो किस्से फारसी से लिए गए हैं और "सोहनी महीवाल" गुजरात (पंजाब) की लोकवार्ता से। भावों की सूक्ष्म अभिव्यक्ति के लिए हाशिम अद्वितीय है। अहमदयार (1768-1845) ने 40 किस्से लिखे, जिनमें "हीर राँझा," "सस्सी पुन्नू," "कामरूप", "राजबीबी," "चंदरबदन" उच्च कोटि के हैं। इनके काव्य की विशेषता है वैचित्र्यपूर्ण घटनाओं का तारतम्य, संयत वर्णन एवं आलंकारिक भाषा शैली: किंतु विषय की मैलिकता कम है। अमामबख्श की कृतियों में "बहराम गोर" उत्तम काव्य के अंतर्गत गिना जाता है। इसी समय का एक और कवि कादरयार हुआ है। उसकी प्रसिद्धि "पूरनभगत" और "राजा रसालू" के किस्सों के कारण है। पूरन और रसालू दोनों स्यालकोट के राजा शालिवाहन के पुत्र थे। पंजाबी का वीर साहित्य बहुत समृद्ध है। इसके अंतर्गत गुरु गोविंदसिंह की "चंडी दी वार" शिरोमणि रचना है। नजाबत की "नादरशाह दी हीर" और शाह मुहम्मद (1782-1862 ई.) की अपने आश्रयदाता महाराजा रणजीतसिंह की कथा भी उल्लेखनीय है। मुकबल (1696 ई.) का "जगनामा", जिसमें हसन हुसैन और यजीद के युद्धों का मार्मिक वर्णन है, शिया मुसलमानों में बड़े चाव से पढ़ा जाता है। प्रारंभिक काल का पंजाबी गद्य साहित्य महापुरुषों की जन्मसाखियों, गोष्ठों और टीकाओं के रूप में प्राप्त होता है। भाई बालाकृत गुरु नानक की जन्मसाखी (1535 ई.) सबसे प्राचीन है। बाद में सेवासिंह (1588 ई.) और मनीसिंह (1737 ई.) ने भी गुरुनानक का जीवनचरित लिखा। भाई मनीसिंह की "ग्यान रतनावली" पंजाबी गद्य की उत्तम कृति है। उन्हीं की एक दूसरी गद्यरचना "भगत रतनावली" है जिसमें पहले पाँच गुरुओं के समकालीन कुछ प्रेमी भक्तों की कथाएँ है। इनके अतिरिक्त "पारसभाग," "भरथरी", "मैनावत," हजरत मुहम्मद साहब, कबीर और रविदास की जीवनियाँ, "सतयुग कथा," "पकी रोटी," "गीतासार", "लवकुश संवाद," "जपु परमार्थ" "सिंहासनबत्तीसी" और "विवेक" आदि छोटी बड़ी गद्यकृतियाँ उल्लेखनीय हैं। अमृता प्रीतम आधुनिक पंजाबी साहित्य मुख्यत: सिक्खों की देन हैं और उसमें सिक्खपन का अधिक स्थान मिला है। किंतु जीवन की एकांगिता रहते हुए भी साहित्य प्राय: लौकिक है। इस युग के आदि कवि भाई वीरसिंह (1872-1957 ई.) माने जाते हैं। उनका "राण सूरतसिंह" (1915) 35 सर्गों का अतुकांत प्रबंध काव्य है। इसका उद्देश्य सिक्ख सिद्धांतों की प्रतिष्ठा है। उनकी "लहराँ दे हार" रहस्यवादी रचना है। "मटक हुलारे" में प्रकृतिचित्रण और "बिजलियाँ दे हार" में देशप्रेम मिलता है। प्रो॰ पूर्ण सिंह (1882-1932 ई.) की कविता में वेदांती बौद्ध और पाश्चात्य विचारों का गूढ़ प्रभाव है। इनके विचारों और अलंकारों में अपनी मौलिकता भी स्पष्टत: लक्षित होती है। धनीराम चात्रिक (जन्म 1876 ई.) यथार्थवादी किंतु निराशावादी कवि हैं। उनके "भरथरी हरि" और "नल दमयंती" में शैली और विचारधारा पुरानी है, बाद की कविताओं में शहरी जीवन का चित्रण मौलिक ढंग से हुआ है। पंजाबी काव्य को नए मोड़ देनेवाले कवियों में प्रो॰ मोहनसिंह (जन्म 1905 ई.) सर्वविदित हैं। ईश्वर, जीवन, प्रेम, समाज और प्रकृति के प्रति उनकी नवीन और मौलिक दृष्टि है। "सावे पत्तर" "कसुंभड़े" में वे शरीरवादी और मानववादी हैं तो "अधवाटे" में समाजवादी और छायावादी बनकर आए हैं। मोहनसिंह गीतकार भी है और शैलीकार भी। काव्य में उन्होंने कई नए प्रयोग चलाए हैं। अमृता प्रीतम (जन्म 1909) के अनेक कवितासंग्रह प्रकाशित हैं। ये बड़ी सफल गीतकार हैं। इनकी कविता की प्रेरक शक्ति प्रेम है जो अब मानव प्रेम में परिवर्तित होता जा रहा है। गोपालसिंह दर्दी का "हनेरे सवेरे" काव्य संग्रह उल्लेखनीय है। वे समाज के पापों का चित्रण करने में दक्ष हैं। .

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फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार

फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार फ़िल्मफ़ेयर पत्रिका द्वारा प्रति वर्ष दिया जाने वाला पुरस्कार है। .

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रतन पंडोरवी

रतन पंडोरवी रलाराम का जन्म 07 जुलाई 1907 ई० को ग्राम पंडोरी, तहसील बटाला, जिला गुरदासपुर, पंजाब में हुआ। रतन पंडोरवी पंजाब के प्रसिद्ध उस्ताद शायरों में से एक हैं। उन्हें पंजाब सरकार ने अपने सर्वोच्च सम्मान "शिरोमणि साहित्यकार अवार्ड" से नवाजा। रतन साहब ने शायरी का सलीका मशहूर शायर दिल शाहजहाँपुरी और जोश मलसियानी से सीखा। रतन साहब ने कुल 23 किताबें लिखी जिनमे 9 पद्य और 14 गद्य की हैं। रतन साहब ने अपनी उम्र का लंबा अरसा पंडोरी के एक शिव मन्दिर में फ़क़ीर की तरह गुज़ारा और अपने अंतिम समय में पठानकोट में आ गए और 04 नवंबर 1990 को अपना शरीर त्याग दिया। .

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रब्बी शेरगिल

रब्बी शेरगिल (जन्म का नाम गुरप्रीत सिंह शेरगिल, 1973) एक भारतीय संगीतकार हैं जो अपनी प्रथम एल्बम रब्बी और 2005 के सर्वश्रेष्ठ गीत "बुल्ला की जाना" के लिए जाने जाते हैं। उनके संगीत का वर्णन विभिन्न प्रकार के रॉक, बानी शैली की पंजाबी और सुमित भट्टाचार्य द्वारा, Rediff.com विशेष सूफियाना, तथा अर्ध-सूफी अर्ध-लोकगीत जैसा संगीत जिसमे पाश्चत्य साजों की अधिकता होस्वागता सेन द्वारा, द टेलीग्राफ, 21 नवम्बर 2004.

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लूणा

लूणा पंजाबी भाषा के विख्यात साहित्यकार शिवकुमार बटालवी द्वारा रचित एक काव्य–नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 1967 में पंजाबी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार पंजाबी

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और पंजाबी भाषा इन में से एक भाषा हैं। .

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जसलीन कौर रॉयल

जसलीन कौर रॉयल एक स्वतंत्र भारतीय गायिका, गीतकार और संगीतकार हैं जो पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी में गाने गाती हैं। उन्होंने एमटीवी वीडियो म्यूजिक अवार्ड्स इंडिया 2013 में बेस्ट इंडी सॉन्ग के लिए एक पुरस्कार जीता। उन्हें यह पुरस्कार, उनके पहले गीत "पांचा हो जाव" के लिए मिला जो शिव कुमार बटालवी द्वारा एक कविता पर आधारित है। उन्होंने अपने गाने "प्रीत" से सितम्बर 2014 में बॉलीवुड में प्रवेश किया जो कि फ़िल्म खूबसूरत से था। इसे स्नेहा खानवलकर द्वारा संगीत दिया गया तथा अमिताभ भट्टाचार्य द्वारा लिखा गया था। .

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जगजीत सिंह

जगजीत सिंह (८ फ़रवरी १९४१ - १० अक्टूबर २०११) का नाम बेहद लोकप्रिय ग़ज़ल गायकों में शुमार हैं। उनका संगीत अंत्यंत मधुर है और उनकी आवाज़ संगीत के साथ खूबसूरती से घुल-मिल जाती है। खालिस उर्दू जानने वालों की मिल्कियत समझी जाने वाली, नवाबों-रक्कासाओं की दुनिया में झनकती और शायरों की महफ़िलों में वाह-वाह की दाद पर इतराती ग़ज़लों को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय अगर किसी को पहले पहल दिया जाना हो तो जगजीत सिंह का ही नाम ज़ुबां पर आता है। उनकी ग़ज़लों ने न सिर्फ़ उर्दू के कम जानकारों के बीच शेरो-शायरी की समझ में इज़ाफ़ा किया बल्कि ग़ालिब, मीर, मजाज़, जोश और फ़िराक़ जैसे शायरों से भी उनका परिचय कराया। जगजीत सिंह को सन २००३ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। फरवरी २०१४ में आपके सम्मान व स्मृति में दो डाक टिकट भी जारी किए गए। .

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उड़ता पंजाब

उड़ता पंजाब एक भारतीय हिन्दी थ्रिलर ड्रामा फ़िल्म है, जिसका निर्देशन अभिषेक चौबे ने किया है। इसमें मुख्य किरदार में शाहिद कपूर, दिलजीत दोसांझ, करीना कपूर और आलिया भट्ट हैं। फ़िल्म 17 जून 2016 को रिलीज़ होगी। यह फ़िल्म पंजाब में युवा आबादी द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग और उससे जुड़े विभिन्न षड्यंत्रों के आसपास घूमती है। अनुराग कश्यप के प्रोडक्शन हाउस फैंटम फिल्म्स के सहयोग से, शोभा कपूर और एकता कपूर के द्वारा उनके बैनर बालाजी मोशन पिक्चर्स ने इसका निर्माण किया है। इसमें मुख्य किरदार में शाहिद कपूर, दिलजीत दोसांझ, करीना कपूर और आलिया भट्ट हैं। 4 जून 2016 को, केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने फिल्म के रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग की, जिसमें कहा गया कि फिल्म में पेश किए गए विषय सामान्य दर्शकों के लिए बहुत अश्लील थे। परिणामस्वरूप, निर्माता को फिल्म में कुल 89 कटौती करने के निर्देश दिए गए। हालांकि, 13 जून 2016 को, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस रोक को ठुकरा दिया और फिल्म की राष्ट्रीय रिलीज के लिए अनुमति दी, यद्यपि पटकथा में एक कटौती के साथ। इस फिल्म को 17 जून 2016 को दुनिया भर में रिलीज़ किया गया था। ₹ 400 मिलियन (यूएस $ 6.2 मिलियन) के बजट पर बनायीं गयी फ़िल्म, उड़ता पंजाब ने लगभग 997 मिलियन (यूएस $ 15 मिलियन) दुनिया भर में कमाई की। 62 वें फिल्मफेयर अवॉर्ड में, फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (आलिया भट्ट), सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता (दिलजीत दोसांझ) और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (शाहिद कपूर) के लिए क्रिटिक्स अवॉर्ड सहित चार पुरस्कार जीते। .

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