6 संबंधों: दशरथ शर्मा, दिवाकर शर्मा, राजस्थान साहित्य अकादमी, संस्कृत कवियों की सूची, हरनामदत्त शास्त्री, विद्याधर (बहुविकल्पी)।
दशरथ शर्मा
दशरथ शर्मा (१९०३, चूरु, राजस्थान - १९७६) एक भारतविद् एवं भारत के राजस्थान क्षेत्र के इतिहास पर जाने-माने विद्वान थे। आप भाष्याचार्य हरनामदत्त शास्त्री के पौत्र तथा विद्यावाचस्पति विद्याधर शास्त्री के अनुज थे। .
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दिवाकर शर्मा
राजास्थान विश्वविद्यालय् दिवाकर शर्मा (१९३३ चूरु,राजस्थान-२००९) संस्कृत, हिंदी तथा राजस्थानी भाषाओं के विद्वान थे। आपने संस्कृत की कलाधिस्नातक परीक्षा कोटा में उत्तीर्ण की थी तथा पीएच.
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राजस्थान साहित्य अकादमी
राजस्थान साहित्य अकादमी की स्थापना २८ जनवरी १९५८ ई. राज्य सरकार द्वारा राज्य में साहित्य के विकास, प्रोत्साहन व प्रचार-प्रसार के उद्धेश्य से एक शासकीय इकाई के रूप में की गई और ८ नवम्बर १९६२ को इसे स्वायत्तता प्रदान की गई। तब से यह यह संस्थान अपने संविधान के अनुसार राजस्थान में साहित्य की प्रोन्नति तथा साहित्यिक संचेतना के प्रचार-प्रसार के लिए सतत् सक्रिय है। राजस्थान में सृजित साहित्य और यहां के साहित्यकारों की हिन्दी साहित्य के राष्ट्रीय फलक पर विशिष्ट पहचान स्थापित हुई है। अकादमी की स्वीकृत और अधिकृत योजनाओं की स्पष्टतः कुछ आधारभूत विशेषताएं हैं। अकादमी में रचनाधर्मियों की वाणी और विचार सृजन की स्वतंत्रता को पूरी तरह से संरक्षित और प्रोत्साहित किया गया है। अकादमी किसी भी प्रकार के वादों, घेरों, सम्प्रदायों और राजनीतिक दलबन्दियों से परे है। अकादमी को प्रारम्भ से ही उसका स्वरूप और व्यक्तित्व प्रदान किया गया है और इसका ध्येय, वाक्य और मुद्रा स्वीकृत है। राजस्थान साहित्य अकादमी की स्थापना साहित्य जगत हेतु एक सुखद अनुभूति है और राजस्थान के सांस्कृतिक और साहित्यिक पुनर्निर्माण एवं विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। .
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संस्कृत कवियों की सूची
यह संस्कृत भाषा के कवियों की सूची हैं। .
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हरनामदत्त शास्त्री
हरनामदत्त शास्त्री (१८४३-१९१५) संस्कृत व्याकरण के विद्वान थे। इनका जन्म जगाधरी (वर्तमान हरियाणा में) में हुआ था। इनके पिता का नाम मुरारिदत्त था। वाराणसी में शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात आप पाणिनि व्याकरण शास्त्र के प्रख्यात भाष्याचार्य हुए। आप चूरु (राजस्थान) में स्थापित हरनामदत्त शास्त्री संस्कृत पाठशाला के प्रधान शिक्षक थे। भाष्याचार्य के वाराणसी निविष्ट शिष्य वर्ग में गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी, विद्यावाचस्पति बालचन्द्रजी, पंडित रामानन्दजी, पंडित जयदेवजी मिश्र तथा पंडित विलासरायजी के नाम उल्लेखनीय हैं। संस्कृत महाकाव्य, हरनामाम्रितम् विद्यावाचस्पति विद्याधर शास्त्री द्वारा लिखित एक काव्य जीवनी है। .
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विद्याधर (बहुविकल्पी)
'विद्याधर' से निम्नलिखित का बोध होता है-.
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