लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

दशरथ शर्मा

सूची दशरथ शर्मा

दशरथ शर्मा (१९०३, चूरु, राजस्थान - १९७६) एक भारतविद् एवं भारत के राजस्थान क्षेत्र के इतिहास पर जाने-माने विद्वान थे। आप भाष्याचार्य हरनामदत्त शास्त्री के पौत्र तथा विद्यावाचस्पति विद्याधर शास्त्री के अनुज थे। .

13 संबंधों: चौहान, दिवाकर शर्मा, परमर्दिदेव, पृथ्वीराज तोमर, बिश्वेश्वर नाथ रेऊ, भारतविद्या, मुनि जिनविजय, राव जोधा, हम्मीर चौहान, विद्याधर शास्त्री, गौरीशंकर हीराचंद ओझा, गोकुल सिंह, कविराज श्यामलदास

चौहान

चौहान या चव्हाण एक वंश है। चौहान गुर्जर तथा राजपूतों में आता है।विद्वानो का कहना है कि चौहान मुल से राजपूत थे तथा १० वी शदी तक गुर्जर प्रतिहारो के अधीन थे। चौहान साम्भर झील और पुष्कर, आमेर और वर्तमान जयपुर, राजस्थान में भी होते थे, जो अब सारे उत्तर भारत में फैले हुए हैं। इसके अलावा मैनपुरी उत्तर प्रदेश एवं नीमराना, राजस्थान के अलवर जिले में भी पाये जाते हैं। .

नई!!: दशरथ शर्मा और चौहान · और देखें »

दिवाकर शर्मा

राजास्थान विश्वविद्यालय् दिवाकर शर्मा (१९३३ चूरु,राजस्थान-२००९) संस्कृत, हिंदी तथा राजस्थानी भाषाओं के विद्वान थे। आपने संस्कृत की कलाधिस्नातक परीक्षा कोटा में उत्तीर्ण की थी तथा पीएच.

नई!!: दशरथ शर्मा और दिवाकर शर्मा · और देखें »

परमर्दिदेव

परमर्दिदेव (शासनकाल ११६५--१२०३) सल्तनतकालीन भारत में कालिंजर तथा महोबा के शासक थे। इन्हें राजा परमाल भी कहा जाता है। जगनिक इन्हीं के दरबारी कवि थे जिन्होंने परमाल रासो की रचना की थी। परमाल रासो में राजा परमाल के यश और वीरता का वर्णन वीरगाथात्मक रासो काव्य शैली में किया गया है। वर्तमान समय में इसके उपलब्ध हिस्से 'आल्ह खंड' में राजा परमाल के ही दो दरवारी वीरों की वीरता का वर्णन मिलता है। इसमें परमाल की पुत्री चंद्रावती का भी उल्लेख मिलता है। .

नई!!: दशरथ शर्मा और परमर्दिदेव · और देखें »

पृथ्वीराज तोमर

पृथ्वीराज तोमर (1167-1189 ई.) दिल्ली का तोमर शासक था। पृथ्वीराज तोमर अजमेर के राजा सोमेश्वर और पृथ्वीराज चौहान के समकालीन राजा था, नाम में समानताएं होने के कारण जनता समझने लगी की चौहानो का राज्य दिल्ली पर भी है। मदनपाल तोमर के पश्चात दिल्ली के राजसिंहासन पर पृथ्वीराज तोमर बैढे।महेन्द्र सिंह तंवर खेतासर, तंवर (तोमर) राजवंश का राजनीतिक एवम सांस्कृतिक इतिहास, पृष्ठ-74 अबुल फजल द्वारा दी गई वंशावली के अनुसार पृथ्वीराज तोमर का राज्य 1189 ई. तक रहा और उसने 22 वर्ष 2 माह 16 दिन तक शासन किया। इसके विपरीत इन्द्रप्रस्थ प्रबंध का लेखक उसे 24 वर्ष 3 माह 6 दिन 17 घडी शासन करना बतलाता है। इन्द्रप्रस्थ प्रबंध के अनुसार पृथ्वीराज तोमर का राज्य 1191 तक होता है परन्तु उसका उत्तराअधिकार चाहड़पाल जिसकी मुद्रायें प्राप्त होती है उसका केवल 1 वर्ष का राज्यकाल मिलता है जो ठिक प्रतित नहीं होता। द्विवेदी के अनुसार पृथ्वीराज तोमर ने 1167 ई. में दिल्ली का शासन ग्रहण किया तथा 1189 ई. तक वे शासन करते रहे। पृथ्वीराज तोमर की मुद्राए प्राप्त होती है जिनके एक ओर भाले सहित अश्वारोही के साथ 'पृथ्वीराज देव ' और दुसरी तरफ नन्दी के ऊपर 'असावरी सामन्तदेव' लिखा प्राप्त होता है। इसका उल्लेख ढक्कर फेरू की द्रव्य परीक्षा और कनिंगम ने भी किया है। यह तो सर्वविदित है कि मदनपाल के पश्चात दिल्ली के राजा पृथ्वीराज तोमर थे जो कि अजमेर के राजा सोमेश्वर और पृथ्वीराज चौहान के समकालीन थे। पृथ्वीराज के राज्य रोहण के समय शाकम्भरी पर उसका भांजा अपरगांगेय शासन कर रहा था। इसी बीच विग्रहराज के भाई जगदेव का पुत्र पृथ्वीभट्ट जिसने अपने मामा चित्तोड के राजा गुहिलोत किल्लण के सहयोग से हांसी पे हमला कर दिया और 1167 ई. में उस पे अधिकार कर लिया और उस गढ पर अपने मामा किल्लण को छोडकर स्वयं शाकम्भरी पर आक्रमण कर दिया। उस समय दिल्ली के तोमर राजा पृथ्वीराज ने उसे रोकने का प्रयास किया और पृथ्वीराज तोमर के सामंत हांसी के राजा वास्तुपाल से पृथ्वीभट्ट का युद्ध हुआ था। वास्तुपाल पराजित हुआ और पृथ्वीभट्ट ने शाकम्भरी पे हमला कर अपरगांगेय को मार डाला और 1168 ई. में शाकम्भरी का राजा बना।महेन्द्र सिंह तंवर खेतासर, तंवर (तोमर) राजवंश का राजनीतिक एवम सांस्कृतिक इतिहास, पृष्ठ-75 अपरगांगेय का छोटा भाई नागार्जुन भागकर दिल्ली आ गया। पृथ्वीभट्ट की मृत्यु के बाद सोमेश्वर शाकम्भरी का राजा बना और उसकी मृत्यु के बाद अबुल फजल के अनुसार दिल्ली के राजा पृथ्वीराज तोमर का भांजा नागार्जुन कुछ समय के लिए शाकम्भरी के राज सिंहासन बैढा था, इसलिए 1177 ई. में पृथ्वीराज चौहान और नागार्जुन के बीच संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में पृथ्वीराज तोमर ने नागार्जुन की सहायता के लिए अपने सामन्त देव भट्ट को भेजा। नागार्जुन ने गुडपुर के गढ में अपनी सेना एकत्र की और वहाँ से अभयगढ पर आक्रमण किया। राय पिथोरा की माता कर्पुरीदेवी के नेतृत्व में भुवनैकमल्ल ओर कैमास सहित चौहान सेना ने गुडपुर (गुडगाँव) को घेर लिया और नागार्जुन किसी तरह बचकर दिल्ली भाग गये और तोमर सामंत देवभट्ट और उसके समस्त सैनिक युद्ध में मारे गए। सन् 1189 ई. में पृथ्वीराज तोमर की मृत्यु हो गई। उन्होंने जीवन पर्यन्त अपरगांगेय और नागार्जुन के उत्तराअधिकारी के प्रश्न को लेकर पृथ्वीभट्ट, सोमेश्वर, कर्पुरीदेवी, कैमास और भुवनैकमल्ल से अनेक वर्षों तक संघर्ष किया। संभवत: वे इसमें असफल रहे। उनकी इस असफलता का प्रभाव तोमर साम्राज्य की दृढता पर पढा। इससे पूर्व 1177 ई. के पश्चात उत्तर-पश्चिम भारत विश्रृंखल राजाओं का संघ रह गया था, जो दिल्ली के तोमर राजा को अपना मुखिया मानता था। पृथ्वीराज तोमर के चौहानो के साथ लम्बे संघर्ष के परीणाम स्वरुप यह नियन्त्रण शिथिल अवश्य दिखाई देता है। पृथ्वीराज तोमर की मृत्यु के पश्चात 1189 ई. में दिल्ली के राजसिंहासन पर उनका पुत्र चहाडपाल तोमर बैठा। .

नई!!: दशरथ शर्मा और पृथ्वीराज तोमर · और देखें »

बिश्वेश्वर नाथ रेऊ

लैइब्ररी बिश्वेश्वर नाथ रेऊ (१८९०-१९६६) जोधपुर रियासत के इतिहास विभाग, पुरातत्व विभाग, सरदार संग्रहालय, पुस्तक प्रकाश (पांडुलिपि पुस्तकालय) तथा सुमेर पुस्तकालय के अध्यक्ष थे। महामहोपाध्याय पंडित रेऊ ने एक इतिहासकार, पुरालेखवेत्ता, मुद्राशास्त्रज्ञ तथा संस्कृतज्ञ के रूप में अपनी छाप छोड़ी। पंडित रेऊ लिखित मारवाड़ का इतिहास सुप्रसिद्ध है। .

नई!!: दशरथ शर्मा और बिश्वेश्वर नाथ रेऊ · और देखें »

भारतविद्या

भारतविद्या भारतीय उपमहाद्वीप की भाषाओं, ग्रन्थों, इतिहास, एवं संस्कृति का अध्ययन भारतविद्या (Indology) कहलाती है। यह एशिया अध्ययन का एक भाग है। इसे भारत-अध्ययन (Indic study) या दक्षिण-एशियायी अध्ययन भी कहा जाता है। .

नई!!: दशरथ शर्मा और भारतविद्या · और देखें »

मुनि जिनविजय

मुनि जिनविजय (१८८८-१९७६) ने अपने जीवनकाल में अनेक अमूल्य ग्रंथों का अध्ययन, संपादन तथा प्रकाशन किया। पुरातत्वचार्य मुनि जिनविजय ने साहित्य तथा संस्कृति के प्रोत्साहन हेतु कई शोध संस्थानों का संस्थापन तथा संचालन किया। भारत सरकार ने आपको पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया। .

नई!!: दशरथ शर्मा और मुनि जिनविजय · और देखें »

राव जोधा

राव जोधा जी का जन्म २८ मार्च, १४१६, तदनुसार भादवा बदी 8 सं.

नई!!: दशरथ शर्मा और राव जोधा · और देखें »

हम्मीर चौहान

हम्मीर देव चौहान, पृथ्वीराज चौहान के वंशज थे। उन्होने रणथंभोर पर १२८२ से १३०१ तक राज्य किया। वे रणथम्भौर के सबसे महान शासकों में सम्मिलित हैं। हम्मीर देव का कालजयी शासन चौहान काल का अमर वीरगाथा इतिहास माना जाता है। हम्मीर देव चौहान को चौहान काल का 'कर्ण' भी कहा जाता है। पृथ्वीराज चौहान के बाद इनका ही नाम भारतीय इतिहास में अपने हठ के कारण अत्यंत महत्व रखता है। राजस्थान के रणथम्भौर साम्राज्य का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं प्रतिभा सम्पन शासक हम्मीर देव को ही माना जाता है। इस शासक को चौहान वंश का उदित नक्षत्र कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। डॉ॰ हरविलास शारदा के अनुसार हम्मीर देव जैत्रसिंह का प्रथम पुत्र था और इनके दो भाई थे जिनके नाम सूरताना देव व बीरमा देव थे। डॉक्टर दशरथ शर्मा के अनुसार हम्मीर देव जैत्रसिंह का तीसरा पुत्र था वहीं गोपीनाथ शर्मा के अनुसार सभी पुत्रों में योग्यतम होने के कारण जैत्रसिंह को हम्मीर देव अत्यंत प्रिय था। हम्मीर देव के पिता का नाम जैत्रसिंह चौहान एवं माता का नाम हीरा देवी था। यह महाराजा जैत्रसिंह चौहान के लाडले एवं वीर बेटे थे। .

नई!!: दशरथ शर्मा और हम्मीर चौहान · और देखें »

विद्याधर शास्त्री

विद्याधर शास्त्री (१९०१-१९८३) संस्कृत कवि और संस्कृत तथा हिन्दी भाषाओं के विद्वान थे। आपका जन्म राजस्थान के चूरु शहर में हुआ था। पंजाब विश्वविद्यालय (लाहौर) से शास्त्री की परीक्षा आपने सोलह वर्ष की आयु में उत्तीर्ण की थी। आगरा विश्वविद्यालय (वर्तमान डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय) से आपने संस्कृत कलाधिस्नातक परीक्षा में सफलता प्राप्त की। शिक्षण कार्य और अकादमिक प्रयासों के दौरान आपने बीकानेर शहर में जीवन व्यतीत किया। १९६२ में भारत के राष्ट्रपति द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि से आपको सम्मानित किया गया था। .

नई!!: दशरथ शर्मा और विद्याधर शास्त्री · और देखें »

गौरीशंकर हीराचंद ओझा

डॉ गौरीशंकर हीराचंद ओझा डॉ गौरीशंकर हीराचंद ओझा (1863-1947) भारत के इतिहासकार एवं हिन्दी लेखक थे। डॉ॰ ओझा राजस्थान क्षेत्र के मार्गशोधक इतिहास लेखकों में गिने जाते हैं। आपका जन्म सिरोही के रोहिड़ा ग्राम में हुआ था। आपने राजस्थान तथा भारत के इतिहास सम्बन्धी अनेक पुस्तकें लिखी थी। कविराज श्यामलदास ने आपको उदयपुर के इतिहास विभाग में नियुक्त किया था। ओझाजी कविराज श्यामलदास को अपना गुरु मानते थे। 17 अप्रैल, 1947 ई० को अपनी जन्मभूमि रोहिड़ा में ही ओझा जी का देहावसान हो गया। .

नई!!: दशरथ शर्मा और गौरीशंकर हीराचंद ओझा · और देखें »

गोकुल सिंह

गोकुल सिंह अथवा गोकुला सिनसिनी गाँव का सरदार था। 10 मई 1666 को जाटों व औरंगजेब की सेना में तिलपत में लड़ाई हुई। लड़ाई में जाटों की विजय हुई। मुगल शासन ने इस्लाम धर्म को बढावा दिया और किसानों पर कर बढ़ा दिया। गोकुला ने किसानों को संगठित किया और कर जमा करने से मना कर दिया। औरंगजेब ने बहुत शक्तिशाली सेना भेजी। गोकुला को बंदी बना लिया गया और 1 जनवरी 1670 को आगरा के किले पर जनता को आतंकित करने के लिये टुकडे़-टुकड़े कर मारा गया। गोकुला के बलिदान ने मुगल शासन के खातमें की शुरुआत की। .

नई!!: दशरथ शर्मा और गोकुल सिंह · और देखें »

कविराज श्यामलदास

कविराज श्यामलदास भारत के इतिहासकार थे। आप राजस्थान की संस्कृति और इतिहास के आरम्भिक लेखकों में गिने जाते हैं। .

नई!!: दशरथ शर्मा और कविराज श्यामलदास · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »