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विक्टोरिया जलप्रपात

सूची विक्टोरिया जलप्रपात

विक्टोरिया जलप्रपात विक्टोरिया जलप्रपात जिसे स्थानिय भाषा मे मोसी-ओआ-तुन्या (Mosi-oa-Tunya) कहॉ जाता है अफ़्रीका की जेम्बेजी नदी पर स्थित एक जल प्रपात है। इस जलप्रपात को विश्व के सात प्राकृतिक आश्चर्यो मे से एक माना जाता है। शानदार जलप्रपातों में से यह प्रपात दूसरे नम्बर पर रखा जाता है। इस जलप्रपात का अफ़्रीकी नाम 'मोसी- ओआ-तुन्या' है, अर्थात 'धुआँ जो गरजे'।विक्टोरिया फॉल्स को इस धरती पर गिरते पानी का सबसे चौड़ा प्रपात (सबसे चौड़ा पानी का परदा) कहा जाता है। इसकी चौड़ाई सत्रह सौ मीटर है। दुनियाभर से लोगों के यहां सालभर आने के बाद भी इस जगह के जादू में कोई कमी नहीं आई है। वाटरफॉल्स से बनने वाला कुहासा बीस किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है। इसी तरह उसकी गर्जना भी बहुत दूर से सुनी जा सकती है। सौ मीटर नीचे पानी के गिरने से बाद उठने वाली बौछारें काफी हद तक उस इलाके में मौजूद रेनफॉरेस्ट को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। नजारा तब और खूबसूरत हो उठता है जब अलग- अलग कोण से इंद्रधनुष पानी के ऊपर देखने को मिलते हैं। यह दक्षिणी अफ्रीका के सबसे पसंदीदा पर्यटक स्थलों में से एक है। नवंबर 1855 में यहां पहुंचने वाले पहले विदेशी डेविड लिंगस्टोन थे। उन्होंने ब्रिटेन की महारानी के नाम पर इस फॉल्स का नाम रखा। चार साल पहले गरजने वाले धुंए के बारे में सुनकर उन्होंने इसकी खोज शुरू की थी। .

5 संबंधों: डेविड लिविंग्स्टन, जेम्बेजी नदी, अफ़्रीका, अफ़्रीका का भूगोल, अफ़्रीका की जल अपवाह प्रणाली

डेविड लिविंग्स्टन

डेविड लिविंग्स्टन डेविड लिविंग्स्टन (David Livingstone; १८१३-१८७३) स्कॉटलैण्ड का चिकित्सा-मिशनरी तथा अफ्रीका महाद्वीप की साहसी यात्रा करने वाला था। .

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जेम्बेजी नदी

जेम्बेजी नदी का बेसिन जेम्बेजी नदी अफ़्रीका की चौथी सबसे लंबी और हिन्द महासागर मे गिरने वाली सबसे बड़ी अफ़्रीकी नदी है। इसी नदी पर 50 मीटर ऊँची विक्टोरिया जलप्रपात स्थित है। इस नदी के किनारे शेर, हाथी, मगरमच्छ आदि मिलते है। श्रेणी:अफ़्रीका.

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अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

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अफ़्रीका का भूगोल

अफ़्रीका अफ्रीका ऊंचे पठारों का महाद्वीप है, इसका निर्माण अत्यन्त प्राचीन एवं कठोर चट्टानों से हुआ है। इस लावा निर्मित पठार को शील्ड कहते हैं। अफ्रीका महादेश का धरातल प्राचीन गोंडवाना लैंड का ही एक भाग है। बड़े पठारों के बीच अनेक छोटे-छोटे पठार विभिन्न ढाल वाले हैं। इसके उत्तर में विश्व का वृहत्तम शुष्क मरुस्थल सहारा उपस्थित है। इसके नदी बेसिनों का मानव सभ्यता के विकाश में उल्लेखनीय योगदान रहा है, जिसमें नील नदी बेसिन का विशेष स्थान है। समुद्रतटीय मैदानों को छोड़कर किसी भी भाग की ऊँचाई 325 मीटर से कम नहीं है। महाद्वीप के उत्तरी-पश्चिमी भाग तथा सुदूर दक्षिण में मोड़दार पर्वत मिलते हैं। .

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अफ़्रीका की जल अपवाह प्रणाली

अफ़्रीका की अधिकांश नदीयाँ मध्य अफ़्रीका के उच्च पठारी भांग से निकलती हैं यहाँ खूब वर्षा होती है। अफ़्रीका के उच्च पठार इस महाद्वीप में जल विभाजक का कार्य करते हैं। नील, नाइजर, जेम्बेजी, कांगो, लिम्पोपो एवं ओरंज इस महाद्वीप की बड़ी नदियाँ हैं। महादेश के आधे से अधिक भाग इन्हीं नदियों के प्रवाह क्षेत्र के अन्तर्गत हैं। शेष का अधिकांश आन्तरिक प्रवाह-क्षेत्र में पड़ता है; जैसे- चाड झील का क्षेत्र, उत्तरी सहारा-क्षेत्र, कालाहारी-क्षेत्र इत्यादि। पठारी भाग से मैदानी भाग में उतरते समय ये नदियाँ जलप्रपात एवं द्रुतवाह बनाती हैं अतः इनमें अपार सम्भावित जलशक्ति है। संसार की सम्भावित जलशक्ति का एक-तिहाई भाग अफ़्रीका में ही कृता गया है। इन नदियों के उल्लेखनीय जलप्रपात विक्टोरिया (जाम्बेजी में), स्टैनली (कांगो में) और लिविंग्स्टोन (कांगो में) हैं। नील नाइजर, कांगो और जम्बेजी को छोड़कर अधिकांश नदियाँ नाव चलाने योग्य नहीं हैं। .

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