5 संबंधों: नागराज (बहुविकल्पी), नागराज (कॉमिक्स), भारतीय कॉमिक्स, सुपर हीरो, अमर चित्र कथा।
नागराज (बहुविकल्पी)
कोई विवरण नहीं।
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नागराज (कॉमिक्स)
नागराज ("स्नेक-किंग") राज कॉमिक्स की पेशकश, एक भारतीय कॉमिक बुक किरदार है जिसे यक़ीनन लंबे समय से जीवित भारतीय एक्शन कॉमिक सुपर हीरो कहा जा सकता है। 1980 दशक के अंत में संजय गुप्ता द्वारा सृजित, नागराज अपने 25 वर्ष के जीवन काल में रूप-रंग और साथ ही कहानी, दोनों तरह से बहुत बदल गया है। इस तथ्य के बावजूद कि किसी समय भारत में कॉमिक संस्कृति लगभग ग़ायब हो गई थी, फिर भी उसके प्रशंसक आधार में वृद्धि हुई और उसकी पहली एनिमेटेड फ़िल्म के जारी होने के बाद इसमें ज़बरदस्त बढ़ोतरी की उम्मीद है। .
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भारतीय कॉमिक्स
भारतीय कॉमिक्स अथवा भारतीय चित्रकथा (अंग्रेजी; Indian comics) वह कॉमिक्स पुस्तकें एवं ग्राफिक उपन्यास जिनका सांस्कृतिक संबंध भारत द्वारा प्रकाशन से जुड़ा हो जिन्हें अंग्रेज़ी अथवा विभिन्न भारतीय भाषाओं में जारी करता है। भारत में कॉमिक्स पठन एवं उसके प्रसंगों को लेकर एक लंबी परंपरा जुड़ी हुई हैं जहाँ व्यापक पैमाने पर दशकों से लोककथाएं एवं पौराणिक गाथाओं को बाल चित्रकथाओं के शक्ल में पहुँचाया जा रहा है। भारतीय कॉमिक्स बहुतायत संख्या में देश में प्रकाशित होती है। लगभग बीते १९८० से १९९० के दशक तक, जब कॉमिक्स उद्योग का दौर काफी शीर्ष पर था तब उस वक्त की कई लोकप्रिय कॉमिक्स की ५००,००० लाख से अधिक प्रतियाँ एक हफ्तें में बिक जाती थी लेकिन समय गुजरने के बाद अब बमुश्किल ५०,००० हजार प्रतियाँ ही बिक पाती हैं। कभी भारतीय कॉमिक्स उद्योग का रहा स्वर्णकालिक दौर, आज की बढ़ती सैटेलाइट टेलीविजन (विशेषकर बच्चों पर बनने वाले चैनलों) एवं विडियो गेम उद्योगों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा से आज पतन के दौर में संघर्ष कर रहा है। मगर आज भी विगत तीन दशकों से title.
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सुपर हीरो
स्पाइडर मैन सुपर हीरो सामान्यतः ऐसा मन जाता हैं कि उनके पास दैवीय अथवा असामान्य व अद्भुत शक्तियां होती हैं, जो लोगो और समाज की भलाई के लिए काम करता हैं। सिनेमा जगत में यह काफी प्रचलित हैं। इन्हें फ़रिश्ता भी कहा जा सकता हैं। .
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अमर चित्र कथा
इण्डियन बुक हाउस द्वारा प्रकाशित अमर चित्र कथा 1967 से भारत का मनोरंजन करने के साथ -साथ उसे नैतिकता सिखाती आई है। इन चित्र कथाओ को शुरू करने का श्रेय जाता है श्री अनंत पई जी को। राज कॉमिक्स के लिए काम कर चुके श्री दिलीप कदम जी और स्वर्गीय श्री प्रताप मुलिक जी अमर चित्र कथा के लिए भी कला बना चुके है। अमर चित्र कथा की मुख्य आधार होती थी लोक कथाएँ, इतिहास, पौराणिक कथाएँ, महान हस्तियों की जीवनियाँ, किवदंतियां, आदि। इनका लगभग 20 भारतीय और 10 विदेशी भाषाओ में अनुवाद हो चुका है। लगभग 3 दशको अमर चित्र कथा देश भर में छाई रही और अब भी इनकी प्रतियाँ प्रमुख पुस्तक की दुकानों पर मिल जायेंगी.