7 संबंधों: समुद्र मन्थन, संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द, वारुणी, कालकूट, क्रोध (2000 फ़िल्म), अप्सरा, उच्चैःश्रवा।
समुद्र मन्थन
अंगकोर वाट में समुद्र मंथन का भित्ति चित्र। समुद्र मन्थन एक प्रसिद्ध हपौराणिक katha है। यह कथा भागवत पुराण, महाभारत तथा विष्णु पुराण में आती है। .
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संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द
हिन्दी भाषी क्षेत्र में कतिपय संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द प्रचलित हैं। जैसे- सप्तऋषि, सप्तसिन्धु, पंच पीर, द्वादश वन, सत्ताईस नक्षत्र आदि। इनका प्रयोग भाषा में भी होता है। इन शब्दों के गूढ़ अर्थ जानना बहुत जरूरी हो जाता है। इनमें अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका सम्बंध भारतीय संस्कृति से है। जब तक इनकी जानकारी नहीं होती तब तक इनके निहितार्थ को नहीं समझा जा सकता। यह लेख अभी निर्माणाधीन हॅ .
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वारुणी
वारुणी का सामान्य अर्थ मदिरा से लिया जाता है। हिन्दू मिथकों में वर्णित समुद्र मन्थन के समय क्षीरसागर निकली मदिरा को वारुणी कहा गया। आख्यानों के अनुसार यह देवी के रूप में समुद्र से निकली मदिरा की देवी के रूप में प्रतिष्ठित हुई। इसे देवता वरुण की पत्नी के रूप में माना जाता है और अन्य नाम वरुणानी भी उद्धृत किया जाता है। .
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कालकूट
कालकूट अथवा हलाहल हिन्दू मिथकों में वर्णित वह विष है जो समुद्र मन्थन के समय क्षीरसागर से निकला था। .
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क्रोध (2000 फ़िल्म)
क्रोध 2000 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .
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अप्सरा
अप्सरा तिलोत्तमा अप्सरा देव लोक में नृत्य संगीत करने वाली सुन्दरियाँ। इनमें से प्रमुख हैं उर्वशी, रम्भा, मेनका आदि। .
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उच्चैःश्रवा
उच्चैःश्रवा हिन्दू मिथकों में वर्णित समुद्र मन्थन के दौरान निकले चौदह रत्नों में से एक था। पौराणिक आख्यानों के अनुसार यह सफ़ेद रंग का और सात मुख वाला घोडा था जो देवताओं (इन्द्र) को प्राप्त हुआ। गीता में कृष्ण ने श्रेष्ठतम वस्तुओं से अपनी तुलना के क्रम में अपने को अश्वों में उच्चैःश्रवा बताया है। कुमारसंभवम् में कालिदास, इसे इन्द्र से तारकासुर द्वारा छीन लिये जाने का वर्णन करते हैं। .
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