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यूनान

सूची यूनान

यूनान यूरोप महाद्वीप में स्थित देश है। यहां के लोगों को यूनानी अथवा यवन कहते हैं। अंग्रेजी तथा अन्य पश्चिमी भाषाओं में इन्हें ग्रीक कहा जाता है। यह भूमध्य सागर के उत्तर पूर्व में स्थित द्वीपों का समूह है। प्राचीन यूनानी लोग इस द्वीप से अन्य कई क्षेत्रों में गए जहाँ वे आज भी अल्पसंख्यक के रूप में मौज़ूद है, जैसे - तुर्की, मिस्र, पश्चिमी यूरोप इत्यादि। यूनानी भाषा ने आधुनिक अंग्रेज़ी तथा अन्य यूरोपीय भाषाओं को कई शब्द दिये हैं। तकनीकी क्षेत्रों में इनकी श्रेष्ठता के कारण तकनीकी क्षेत्र के कई यूरोपीय शब्द ग्रीक भाषा के मूलों से बने हैं। इसके कारण ये अन्य भाषाओं में भी आ गए हैं।ग्रीस की महिलाएं देह व्यापार के धंधे में सबसे आगे है.

470 संबंधों: चन्द्रगुप्त मौर्य, ऊर्जा संरक्षण, चार्ली चैप्लिन, चित्रकला, चेतन्य अदीब, चेस्टर बेनिंगटन, चीता, चीनी बौद्ध धर्म, टर्मिनेटर: द सराह कॉनर क्रॉनिकल्स, टाइटन (यूनानी चरित्र), टकसाल, ट्रू ब्लड, टैंकर (जहाज), एडिनबर्ग, एडवर्ड मॉर्गन फार्स्टर, एथेंस, एपोलोनियस, एरियन 5, एलन कुर्दी की मृत्यु, एलिस, एलेफ़्थ़ेरिआ इ थ़ानातोस, एसिटिक अम्ल, एंगारी, एकियन, एकियन लीग, ऐडमिरल, ऐन्नियुस क्विंतुस, ऐस्फाल्ट, झपकी, डाटदार पुल, डायोफैंटीय समीकरण, डिएगो माराडोना, डिमास्थेने, डिस्टेंपर, डिसेंडेंट्स ऑफ़ द सन, ड्रेकुला (१९९२ फ़िल्म), डेमी क्रिट्स, डेल्फी, डेविड शुल्मन, तबाशीर, तमिल भाषा, तम्बाकू धूम्रपान, तिराना, तुर्की, तुर्की का भूगोल, तुर्की का स्वतंत्रता संग्राम, तुलनात्मक शिक्षा, थ्यूसीदाइदीज, द डा विंची कोड (फ़िल्म), द ऑफिस (अमरीकी टीवी शृंखला), ..., दर्शन का इतिहास, दारा तृतीय, दालचीनी, दक्षिण भारत, दुखान्त नाटक, द्वितीय विश्व युद्घ, द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति, देशों के दूरभाष कूट की सूची, देशी भाषाओं में देशों और राजधानियों की सूची, देवी तथा देवता (अभारतीय), धनुर्विद्या, धर्मांतरण, धूम्रपान, 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की दंतकथाएं, ईसाई आपत्तिखंडन, ईजियन सागर, वनस्पती वर्गिकरण, वराह मिहिर, वर्षामापी, वातस्फीति (एम्फाइज़िमा), वाद-विवाद, वाद्य यन्त्र, वायु सेना के मार्शल, वाष्पक, वित्त परियोजना, विधिकार, विल्डबीस्ट, विश्लेषण, विश्व में ईसाई धर्म, विश्व सुन्दरी, विश्व आर्थिक मंच, विश्व के देशों की सूची के अनुलग्नक, विश्व के सात नए आश्चर्य, विश्व की मुद्राएँ, विश्वमारी, विश्वज्ञानकोश, व्यक्तित्व, वृहद भारत, वैदिक व्याकरण, वैस्पाज़िअन्, वैवाहिक रस्मों में भाग लेने वाले प्रतिभागी, खनिज विज्ञान, ख़ुज़दार ज़िला, खाड़ी युद्ध, खाद्य प्रसंस्करण, गणितीय विश्लेषण, गान्धार कला, गिलहरी, गुस्ताव फ्लोवेर, ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल, ग्रीस के ओट्टो, ग्रीस-इटली युद्ध, ग्वादर, गोल्ड कोस्ट, क्वींसलैंड, ओलम्पियाड, ओलिम्पिया, ओलिंपिक एयर, ओलंपिक में यूनान, औषधि एवं स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी का इतिहास, आतिथ्य, आदर्शवाद, आधुनिक यूनानी भाषा, आमाशय (पेट), आयोनियन सागर, आर्मीनियाई भाषा, आर्यन प्रवास सिद्धांत, आर्किमिडिज़, आर्किमिडीज़, आलू के चिप्स, आशुलिपि, आविष्कार और आविष्कारक, आंतिपतर, आइएसडीएन (ISDN), आइएसओ ३१६६ - १, आकस्मिकवाद, इटली, इतिहास, इराक का इतिहास, इरैटोस्थनिज़, कथासाहित्य (संस्कृत), कला स्नातक, कसौटी, क़ुस्तुंतुनिया, काबुल नदी, कारक, कार्निवल, काला सागर आर्थिक सहयोग, काली मिर्च, काग़ज़ का आकार, कांधार प्रान्त, कु क्लुल्स क्लान, कुत्तों की नस्लों की सूची, कुरुक्षेत्र युद्ध, कुषाण राजवंश, क्योटो प्रोटोकॉल, क्रातेर (बासन), क्रीटी लिपि, क्रीडांगन, क्रीत, कैन्यनिंग, केन्द्रीय व्यवसायिक क्षेत्रों की सूची, केसर, कॉप्टिक भाषा, कोर्सिका, कोसतास मरताकिस, अचार बनाना, अटलांटिक महासागर, अधिकार, अनसमझी लिपियाँ, अनुमान, अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली, अन्तरराष्ट्रीय विधि, अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति, अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन के सदस्य राष्ट्र, अपोलो, अभिनय, अरियाद्ने, अरविन्द घोष, अर्बेला का युद्ध, अल्बानिया, अल्बानियाई भाषा, अश्वधावन, अशोक, अशोक के अभिलेख, अज्ञेयवाद, अगामेमनन, अंतलिखित, अंजीर, अंग्रेजी नाटक, अइयास, अकादमी, अक्षर कला, अक्षांश रेखाएँ, उच्च शिक्षा, उदयनारायण तिवारी, उसैन बोल्ट, ऋग्वैदिक भाषा, १ मार्च, १ई+११ मी॰², १३ अप्रैल, १३ अक्टूबर, १९२२, १९२३, १९२४, १९७१ यूरोपीय कप फाइनल, १९८९ यूईएफए कप फाइनल, २००४ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत, २००७ यूईएफए चैंपियंस लीग फाइनल, २०१० फीफा विश्व कप, २३ अगस्त, २४ जुलाई, २९ मई, ३ दिसम्बर, ६ नवम्बर, ९ सितम्बर, SAT (सैट), 1896 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, 2000 के दशक के उत्तरार्द्ध की आर्थिक मंदी, 2004 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक पदक तालिका, 2007 के अरबपतियों की सूची, 2014 शीतकालीन ओलंपिक में यूनान सूचकांक विस्तार (420 अधिक) »

चन्द्रगुप्त मौर्य

चन्द्रगुप्त मौर्य (जन्म ३४५ ई॰पु॰, राज ३२२-२९८ ई॰पु॰) में भारत के सम्राट थे। इनको कभी कभी चन्द्रगुप्त नाम से भी संबोधित किया जाता है। इन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। चन्द्रगुप्त पूरे भारत को एक साम्राज्य के अधीन लाने में सफ़ल रहे। भारत राष्ट्र निर्माण मौर्य गणराज्य (चन्द्रगुप्त मौर्य) सम्राट् चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यारोहण की तिथि साधारणतया ३२२ ई.पू.

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ऊर्जा संरक्षण

किसी काम को करने के लिए ऐसी विधि या प्रक्रम का पालन करना कि वह काम पूरा होने में कम ऊर्जा लगे, इसे ही ऊर्जा संरक्षण करना कहते हैं। उदाहरण के लिए आप यदि कार से हर दिन आना जाना कर रहे हैं और यदि आप उसके स्थान पर साइकल का उपयोग करें तो उससे कार में लगने वाले ईंधन की बचत होगी और आपने उस ऊर्जा का उपयोग न कर उसका संरक्षण किया। .

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चार्ली चैप्लिन

सर चार्ल्स स्पेन्सर चैप्लिन, KBE (16 अप्रैल 1889 - 25 दिसम्बर 1977) एक अंग्रेजी हास्य अभिनेता और फिल्म निर्देशक थे। चैप्लिन, सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक होने के अलावा अमेरिकी सिनेमा के क्लासिकल हॉलीवुड युग के प्रारंभिक से मध्य तक एक महत्वपूर्ण फिल्म निर्माता, संगीतकार और संगीतज्ञ थे। चैप्लिन, मूक फिल्म युग के सबसे रचनात्मक और प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक थे जिन्होंने अपनी फिल्मों में अभिनय, निर्देशन, पटकथा, निर्माण और अंततः संगीत दिया। मनोरंजन के कार्य में उनके जीवन के 75 वर्ष बीते, विक्टोरियन मंच और यूनाइटेड किंगडम के संगीत कक्ष में एक शिशु कलाकार से लेकर 88 वर्ष की आयु में लगभग उनकी मृत्यु तक। उनकी उच्च-स्तरीय सार्वजनिक और निजी जिंदगी में अतिप्रशंसा और विवाद दोनों सम्मिलित हैं। 1919 में मेरी पिकफोर्ड, डगलस फेयरबैंक्स और डी.डब्ल्यू.ग्रिफ़िथ के साथ चैप्लिन ने यूनाइटेङ आर्टिस्टस की सह-स्थापना की। चैप्लिन: अ लाइफ (2008) किताब की समीक्षा में, मार्टिन सिएफ्फ़ ने लिखा की: "चैप्लिन सिर्फ 'बड़े' ही नहीं थे, वे विराट् थे। 1915 में, वे एक युद्ध प्रभावित विश्व में हास्य, हँसी और राहत का उपहार लाए जब यह प्रथम विश्व युद्ध के बाद बिखर रहा था। अगले 25 वर्षों में, महामंदी और हिटलर के उत्कर्ष के दौरान, वह अपना काम करते रहे। वह सबसे बड़े थे। यह संदिग्ध है की किसी व्यक्ति ने कभी भी इतने सारे मनुष्यों को इससे अधिक मनोरंजन, सुख और राहत दी हो जब उनको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी।" .

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चित्रकला

राजा रवि वर्मा कृत 'संगीकार दीर्घा' (गैलेक्सी ऑफ म्यूजिसियन्स) चित्रकला एक द्विविमीय (two-dimensional) कला है। भारत में चित्रकला का एक प्राचीन स्रोत विष्णुधर्मोत्तर पुराण है। .

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चेतन्य अदीब

चेतन्य अदीब (जन्म: 10 नवंबर, १९७१) एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, आवाज डबिंग अभिनेता, गायक और मॉडल है। वह अंग्रेजी और हिन्दी में बात कर सकते हैं। .

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चेस्टर बेनिंगटन

चेस्टर चार्ल्स बेनिंगटन (जन्म 20 मार्च 1976 - 20 july 2017) एक अमेरिकी संगीतकार और गायक-गीतकार है। वे रॉक बैंड लिंकिन पार्क के विख्यात प्रमुख गायक और गीतकार हैं। बेनिंगटन 2000 में लिंकिन पार्क की पहली एल्बम हाइब्रिड थिअरी की भारी वाणिज्यिक सफलता के साथ गायक के रूप में पहचाने जाने लगे.

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चीता

बिल्ली के कुल (विडाल) में आने वाला चीता (एसीनोनिक्स जुबेटस) अपनी अदभुत फूर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाता है। यह एसीनोनिक्स प्रजाति के अंतर्गत रहने वाला एकमात्र जीवित सदस्य है, जो कि अपने पंजों की बनावट के रूपांतरण के कारण पहचाने जाते हैं। इसी कारण, यह इकलौता विडाल वंशी है जिसके पंजे बंद नहीं होते हैं और जिसकी वजह से इसकी पकड़ कमज़ोर रहती है (अतः वृक्षों में नहीं चढ़ सकता है हालांकि अपनी फुर्ती के कारण नीची टहनियों में चला जाता है)। ज़मीन पर रहने वाला ये सबसे तेज़ जानवर है जो एक छोटी सी छलांग में १२० कि॰मी॰ प्रति घंटे ऑलदो एकोर्डिंग टू चीता, ल्यूक हंटर और डेव हम्मन (स्ट्रुइक प्रकाशक, 2003), pp.

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चीनी बौद्ध धर्म

चीनी बौद्ध धर्म (हान चीनी बौद्ध धर्म) बौद्ध धर्म की चीनी शाखा है। बौद्ध धर्म की परम्पराओं ने तक़रीबन दो हज़ार वर्षों तक चीनी संस्कृति एवं सभ्यता पर एक गहरा प्रभाव छोड़ा, यह बौद्ध परम्पराएँ चीनी कला, राजनीति, साहित्य, दर्शन तथा चिकित्सा में देखी जा सकती हैं। दुनिया की 65% से अधिक बौद्ध आबादी चीन में रहती हैं। भारतीय बौद्ध धर्मग्रन्थों का चीनी भाषा में अनुवाद ने पूर्वी एशिया व दक्षिण पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म को बहुत बढ़ावा दिया, इतना कि बौद्ध धर्म कोरिया, जापान, रयुक्यु द्वीपसमूह और वियतनाम तक पहुँच पाया था। चीनी बौद्ध धर्म में बहुत सारी ताओवादी और विभिन्न सांस्कृतिक चीनी परम्पराएँ मिश्रित हैं। .

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टर्मिनेटर: द सराह कॉनर क्रॉनिकल्स

टर्मिनेटर: द सराह कॉनर क्रॉनिकल्स (Terminator: The Sarah Connor Chronicles) एक अमरीकी काल्पनिक विज्ञान पर आधारित टेलीविजन शृंखला है जिसका प्रसारण फॉक्स पर किया गया था। इस शृंखला का निर्माण २०एथ सेंचुरी फॉक्स, वॉर्नर ब्रॉस। टेलीविजन व सि२ पिक्चर्स द्वारा किया गया था। यह टर्मिनेटर फ़िल्म शृंखला पर आधारित है। यह टर्मिनेटर २: जजमेंट डे की घटनाओं के बाद सराह और जॉन कॉनर के जीवन पर आधारित है। शृंखला का प्रसारण रविवार, १२ जनवरी २००८ को अमरीकी टेलीविजन नेटवर्क फॉक्स पर शुरू किया गया था। शो की शुरुआत बिच मौसम में की गई और यह जनवरी से मार्च २००८ के बिच केवल नौ एपिसोडों तक ही चला। यह २००७-०८ की उच्च रेटिंग वाला नया टेलीविजन प्रकरण बन गया और इसे दूसरे प्रकरण के लिए पुनः चालू किया गया जिसका प्रसारण ८ सितंबर २००८ को शुरू हुआ और १० अप्रैल २००९ को खतम। १८ मई १००९ को प्रशंसकों के प्रयासों के बावजूद फॉक्स इंटरटेनमेंट के अध्यक्ष केविन रिली ने यह घोषणा की कि तिसरा प्रकरण निर्मित नहीं किया जाएगा। २२ फ़रवरी २०११ को सायफाय चैनल ने इसके ३१ एपिसोडों के प्रसारण अधिकार खरीद लिए और ७ अप्रैल २०११ को इसका पुनः प्रसारण शुरू किया। .

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टाइटन (यूनानी चरित्र)

टाइटन एवं दैत्य, जिनमें एफ़ियेल्टस बायें दिखाये गये हैं, गुस्ताव डोएअरे का दांते की क्रुति डिवाइन कॉमेडी के लिए बनाया चित्र टाइटन नाम यूनान के पौराणिक साहित्य से लिया गया है। देवी ज़ी यानि पृथ्वी ने अपने पुत्र यूरेनस, एक आकाशीय देवता से छ: पुत्र और छ: पुत्रियों को सबसे पहले जन्म दिया। वे सभी बड़े ही बलवान और विशालकाय थे। इन सभी को टाइटन कहा गया। हेसियड की थियोगोनी के अनुसार टाइटन बारह ही थे लेकिन कुछ प्राचीन यूनानी ग्रन्थों में अन्य टाइटनों का उल्लेख भी मिलता है।। स्वनलोक। रविवार, ४ अक्टूबर २००९। विवेक सिंह टाइटनों में सबसे छोटा क्रोनोस था जो सबसे अधिक शक्तिशाली भी था। यूरेनस के अत्याचारों से तंग आकर ज़ी ने अपने इस पुत्र को उसके विरुद्ध उकसाया और क्रोनोस भी यूरेनस के बढ़ते अत्याचारों से दु:खी था। उसने अपने पिता को अपद्स्थ करके टाइटनों के राज-सिंहासन पर अधिकार कर लिया और यूरेनस को नपुंसक बनाकर छोड़ दिया गया। क्रोनोस ने अपनी बहन रिआ को अपनी पत्नी और महारानी बनाया, जिसे धरती और उत्पादकता की देवी माना जाता है। क्रोनोस अपनी संतानों को खा जाया करता था, युरेनस का सैटर्न द्वारा संहार, जिसमें कई टाइटन दिखाये गये हैं, जियोर्जियो वसारी द्वारा एकचित्र लेकिन रिआ ने अपने पुत्र जियूस के स्थान पर क्रोनोस को कपड़े में लपेट कर पत्थर का टुकड़ा दे दिया जिसे वह निगल गया और इस प्रकार जियूस बच गया जिसने आगे चलकर अपने अत्याचारी हो चुके पिता को प्रसिद्ध टाइटनों और ओलम्पियनों के युद्ध में हराया। इस युद्ध के बाद क्रोनोस का साथ देने वाले टाइटनों को तारतारस (पाताल लोक या नरक) में बन्दी बनाकर भेज दिया गया। आयु में सबसे बड़े टाइटन ओशियनस ने अपनी बहन टेथीज को पत्नी बनाया और पूरी पृथ्वी के जल, झरनों, नदियों और समुद्र का स्वामी बना। टेथीज को धरती पर जल का समान वितरण करने वाली देवी माना जाता है। इसने झरनों और नदियों को जन्म दिया। इसी प्रकार अन्य टाइटन भाई बहनों ने भी आपस में विवाह किए और पति-पत्नी बने। .

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टकसाल

टकसाल (Mint) उस कारखाने को कहते हैं जहाँ देश की सरकार द्वारा, या उसके दिए अधिकार से, मुद्राओं का निर्माण होता है। भारत में टकसालें कलकत्ता, मुंबई, हैदराबाद और नोएडा, उ॰प्र॰ में हैं। .

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ट्रू ब्लड

ट्रू ब्लड, एलन बॉल द्वारा रचित और निर्मित एक अमेरिकी टेलीविजन नाटक श्रृंखला है। यह चार्लेन हैरिस की द साउदर्न वैम्पायर मिस्ट्रीज नामक उपन्यास श्रृंखला पर आधारित है और यह लुइसियाना के बॉन टेम्प्स नामक एक छोटे काल्पनिक शहर में पिशाचों और इंसानों के सह-अस्तित्व का विवरण प्रस्तुत करता है। इस श्रंखला का केंद्र बार में काम करने वाली सूकी स्टैकहाउस (ऐना पैक्विन) नामक एक दूरबोधी वेट्रेस है जिसे बिल कॉम्पटन (स्टीफन मॉयर) नामक एक पिशाच से प्यार हो जाता है। इस कार्यक्रम को संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रीमियम केबल नेटवर्क एचबीओ (HBO) पर प्रसारित किया गया है। इसका निर्माण बॉल की योर फेस गोज़ हीयर एंटरटेनमेंट (Your Face Goes Here Entertainment) नामक प्रोडक्शन कंपनी के सहयोग से एचबीओ (HBO) ने किया है। इसका प्रीमियर 7 सितम्बर 2008 को हुआ। पहले सीज़न को आलोचकों की प्रशंसा प्राप्त हुई और इसने कई पुरस्कार जीते जिसमें एक गोल्डन ग्लोब और एक एमी अवार्ड भी शामिल था। इस कार्यक्रम के 12 एपिसोड वाले दूसरे सीज़न का प्रीमियर 14 जून 2009 को किया गया। 30 जुलाई 2009 को एचबीओ (HBO) ने इस बात की पुष्टि की कि ट्रू ब्लड के तीसरे सीज़न के लिए इसका नवीकरण किया जाएगा, जिसकी शूटिंग 3 दिसम्बर 2009 को शुरू हुई और प्रीमियर 13 जून 2010 को हुआ। 21 जून 2010 को एचबीओ ने 2011 की गर्मियों में ट्रू ब्लड के चौथे सीज़न का शुभारम्भ करने के लिए इसका नवीकरण किया। .

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टैंकर (जहाज)

वाणिज्यिक कच्चे तेल सुपरटैंकर अबकैक. एक टैंकर (या टैंक शिप या टैंकशिप) एक जहाज होता है जो विशाल मात्रा में तरल पदार्थों के परिवहन करने की दृष्टि से बनया जाता है। टैंक शिप के प्रमुख प्रकारों के अंतर्गत तेल के टैंकर, रसायन टैंकर और द्रवित प्राकृतिक गैस संवाहक आते हैं। .

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एडिनबर्ग

एडिनबर्ग या एडिनबर (Edinburgh,अंग्रेजी उच्चारण: / ए॑डिन्बर / Dùn Èideann डुन एडिऽन्न), स्कॉटलैंड की राजधानी, एवं ग्लासगो के बाद, स्कॉटलैंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह स्काॅटलैन्ड के लोथियन क्षेत्र में फ़ाॅर्थ के नदमुख के दक्षिणी तट पर स्थित है। वर्ष 2013 के हिसाब से,इस शहर की आबादी 5,00,000 के करीब है। 15वीं सदी से ही यह ऐतिहासिक शहर स्कॉटलैंड की राजधानी है। शुरुआत से ही स्काॅटियाई राजशाही के सारे महत्वपूर्ण प्रशासनिक भवन इसी शहर में ही स्थित हुआ करते थे, परंतू 1603 और 1707 के बीच, इंग्लैंड से विलय के पश्चात इस शहर की काफ़ी राजनैतिक ताकत लंदन चली गई। 1999 में स्कॉटिश संसद को स्वायत्त रूप से शाही धोषणा द्वारा स्थापित किया गया तब से यह शहर स्काॅटलैंड की संसद व स्काॅटलैंड में राजगद्दी का आसन है। स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय संग्रहालय, स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय पुस्तकालय और स्कॉटलैंड की अन्य महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थाओं के मुख्यालय व नेशनल गैलरी यहीं एडिनबर्ग में स्थित हैं। आर्थिक रूप से, यह यूके में लंदन के बाहर का सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र है। एडिनबर्ग का इतिहास काफ़ी लम्बा है, एवं यहां कई ऐतिहासिक इमारतों को भी अच्छी तरह से संरक्षित देखे जा सकते हैं। एडिनबर्ग कासल, हाॅलीरूड पैलेस, सेंट जाइल्स कैथेड्रल और कई अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतें यहां स्थित हैं। एडिनबर्ग का ओल्ड टाउन और न्यू टाउन, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। 2004 में, एडिनबर्ग विश्व साहित्य में पहला शहर बन गया। साथी यह ऐतिहासिक रूप से शिक्षा का भी एक विकसित केन्द्र रहा है, यहाँ स्थित, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है, एवं यह अब भी दुनिया के शीर्ष सिक्षा संस्थानों में शामिल है। इसके अलावा एडिनबर्ग अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और यहां आयोजित किये गए अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी विश्वविख्यात समारोहों में से एक है। लंडन के बाद ब्रिटेन में, एडिनबर्ग दूसरा सबसे बड़ा पर्यटन केन्द्र है। .

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एडवर्ड मॉर्गन फार्स्टर

एडवर्ड मॉर्गन फार्स्टर एडवर्ड मॉर्गन फार्स्टर (Edward Morgan Forster; १८७९ - १९७०) - अंग्रेजी उपन्यासकार और आलोचक थे। .

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एथेंस

300px एथेंस जिसे एथीना भी कहा जाता है यूरोपीय देश यूनान की राजधानी एवं वहां का सबसे बड़ा शहर है। यह विश्व के प्राचीनतम शहरों में शुमार होता है। इसका इतिहास तीन हजार वर्ष से भी पुराना है। एथेंस की आबादी २००१ में लगभग ७,४५,५१४ थी। .

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एपोलोनियस

एपोलोनियस यूनान के महान गणितज्ञ थे। इन्होंने कोणिक ज्यामिति लिखी थी। श्रेणी:यूनान के दार्शनिक.

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एरियन 5

एरियन 5 (Ariane 5) एक यूरोपीय प्रक्षेपण यान रॉकेट है। यह एरियन रॉकेट परिवार का हिस्सा है। एरियन-5 रॉकेट यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और सिनेस के अधिकार के तहत निर्मित किये जाते हैं। एयरबस रक्षा और अंतरिक्ष एरियन 5 के लिए मुख्य ठेकेदार है। एरियन-5 का संचालन और व्यापार एरियन स्पेस द्वारा किया जाता है। एयरबस रक्षा और अंतरिक्ष यूरोप में रॉकेट बनाता है। तथा एरियन स्पेस उन्हें फ्रेंच गुयाना में गुयाना अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण करता है। .

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एलन कुर्दी की मृत्यु

एलन कुर्दी तीन वर्ष का कुर्दी मूल का सीरियाई बच्चा था जिसके शव का चित्र पूरे विश्व में सुर्ख़ियों में आया था। कुर्दी का परिवार सीरियाई गृहयुद्ध से बचने के लिए 2 सितंबर 2015 को एक नौका में तुर्की से ग्रीस जाने की कोशिश कर रहा था, पर नौका के डूबने से कुर्दी की मौत हो गई। .

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एलिस

एलिस प्राचीन काल में ग्रीस के एलिस जिले का प्रधान नगर था। यह पेन्यूस नदी के दक्षिण में कलसकोपी की पहाड़ी पर बसा हुआ है। इसे आक्ज़ीलस ने बसाया था जो ऐतोलियन प्रवासियों का नेता था। उसकी एक बहुत बड़ी मूर्ति नगर के बीच बाजार में थी। इस नगर में ओलिंपिक-देवता ज़्यूस के उपवन और मंदिर थे। पास ही विस्तृत मैदान में ओलिंपिक खेलकूद प्रतियोगिताएँ होती थीं। यहाँ प्रतियोगियों का एक मास तक प्रशिक्षण होता था। सबसे बड़े राष्ट्रीय उत्सवों की पवित्रता के कारण यह नगर चिरकाल तक आक्रमणों से सुरक्षित रहा। यहाँ कई भव्य मंदिर थे। इनमें प्रसिद्ध अक्रापोलिस अथीना के मंदिर में सोने और हाथीदाँत की फेइडिया की विशाल मूर्ति थी। इस नगर के उत्तर की उर्वर भूमि अपने घोड़ों के लिए विख्यात थी। सन् ३०९ ई.पू.

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एलेफ़्थ़ेरिआ इ थ़ानातोस

यूनानी राष्ट्रध्वज की नौ धारियाँ "एलेफ़्थ़ेरिआ इ थ़ानातोस" के नौ शब्दांशों का प्रतीक हैं एलेफ़्थ़ेरिआ इ थ़ानातोस (यूनानी: Ελευθερία ή θάνατος) यूनान का राष्ट्रीय नारा है, जिसका अर्थ है "आज़ादी या मौत"। यह सबसे पहले 1820 ई॰ के दशक में उस्मानी साम्राज्य के विरुद्ध लड़े गए यूनानी स्वतंत्रता संग्राम में इस्तेमाल होना शुरू हुआ। इस नारे में नौ शब्दांश हैं जिनसे प्रेरित होकर यूनानी ध्वज पर नौ धारियाँ रखी गईं। .

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एसिटिक अम्ल

शुक्ताम्ल (एसिटिक अम्ल) CH3COOH जिसे एथेनोइक अम्ल के नाम से भी जाना जाता है, एक कार्बनिक अम्ल है जिसकी वजह से सिरका में खट्टा स्वाद और तीखी खुशबू आती है। यह इस मामले में एक कमज़ोर अम्ल है कि इसके जलीय विलयन में यह अम्ल केवल आंशिक रूप से विभाजित होता है। शुद्ध, जल रहित एसिटिक अम्ल (ठंडा एसिटिक अम्ल) एक रंगहीन तरल होता है, जो वातावरण (हाइग्रोस्कोपी) से जल सोख लेता है और 16.5 °C (62 °F) पर जमकर एक रंगहीन क्रिस्टलीय ठोस में बदल जाता है। शुद्ध अम्ल और उसका सघन विलयन खतरनाक संक्षारक होते हैं। एसिटिक अम्ल एक सरलतम कार्बोक्जिलिक अम्ल है। ये एक महत्वपूर्ण रासायनिक अभिकर्मक और औद्योगिक रसायन है, जिसे मुख्य रूप से शीतल पेय की बोतलों के लिए पोलिइथाइलीन टेरिफ्थेलेट; फोटोग्राफिक फिल्म के लिए सेलूलोज़ एसिटेट, लकड़ी के गोंद के लिए पोलिविनाइल एसिटेट और सिन्थेटिक फाइबर और कपड़े बनाने के काम में लिया जाता है। घरों में इसके तरल विलयन का उपयोग अक्सर एक डिस्केलिंग एजेंट के तौर पर किया जाता है। खाद्य उद्योग में एसिटिक अम्ल का उपयोग खाद्य संकलनी कोड E260 के तहत एक एसिडिटी नियामक और एक मसाले के तौर पर किया जाता है। एसिटिक अम्ल की वैश्विक मांग क़रीब 6.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष (Mt/a) है, जिसमें से क़रीब 1.5 Mt/a प्रतिवर्ष पुनर्प्रयोग या रिसाइक्लिंग द्वारा और शेष पेट्रोरसायन फीडस्टोक्स या जैविक स्रोतों से बनाया जाता है। स्वाभाविक किण्वन द्वारा उत्पादित जलमिश्रित एसिटिक अम्ल को सिरका कहा जाता है। .

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एंगारी

एंगारी (Angary; लैटिन: jus angariae; फ्रेंच: droit d'angarie; जर्मन: Angarie; ग्रीक: ἀγγαρεία, angareia से व्युत्पन्न) शब्द प्राचीन फारस की राजकीय संदेशहर सेवा (रायल कीरियर सर्विस) के नामकरण से प्राप्त हुआ है। वहाँ से ग्रीक और लातिनी में 'दूत' के अर्थ में यह शब्द प्रचलित हुआ। वर्तमान में यह अन्तरराष्ट्रीय विधि से सम्बन्धित एक शब्द है। वर्तमान अंतरराष्ट्रीय विधि में एंगारी किसी देश की युद्धकाल में या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह अधिकार प्रदान करता है कि जलयान, हवाईजहाज, रेल का सामान या यातायात के अन्य साधन जो दूसरे देशों के हैं, परन्तु उनके अधिक्षेत्र में उपस्थित हैं, अपने काम में ले आए। परंतु उस देश को यातायात के साधनों के उन मालिकों की पूरी क्षतिपूर्ति करनी होगी। किन्तु वर्तमान काल में नाविकों या अन्य चालकों की सेवाएँ नहीं प्राप्त की जा सकती हैं। .

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एकियन

एकियन् (Achaeans), एकियाई आर्य जाति की एक शाखा, जो अत्यंत प्राचीन काल में ग्रीस देश में बसी हुई थी। इस जाति का सर्वप्रथम उल्लेख प्राचीन खत्तियों और मिस्रियों के ग्रंथों में ई.पू.

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एकियन लीग

एकियन लीग (Achaean League) हैलिनिक युग में ग्रीस के १२ नगरों द्वारा बनाया मुख्य राजनीतिक राज्यसंघ था। २२८ ई.पू.

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ऐडमिरल

ऐडमिरल (Admiral) या नौसेनाध्यक्ष किसी देश या राज्य की नौसेना के सर्वोच्च अधिकारी या अधिकारियों को कहा जाता है। तुलना के लिए यह पद थलसेना के 'जनरल' या 'सेनापति' के बराबर समझा जाता है। .

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ऐन्नियुस क्विंतुस

ऐन्नियुस क्विंतुस (ई.पू. 239–169) को 'रोमन कविता का जनक' कहा जाता है। इनका जन्म इटली के दक्षिणपूर्व में कलाब्रिया प्रदेश के रूपदियाए नामक स्थान में हुआ था। ग्रीक, ऑस्कन और लातीनी, तीनों भाषाओं का अच्छा ज्ञाता होने के कारण ऐन्नियुस कहा करता था कि मुझे तीन हृदय प्राप्त है। युवावस्था में वह सेना में सैंचरियन (शताध्यक्ष) पद पर पहुँच गया था। कातो नामक जननायक इसको रोम ले गया। रोम में निवास आरंभ करने के थोड़े समय पश्चात्‌ ऐन्नियुस ने काव्यरचना आरंभ की। यहाँ उसका रोम के प्रभावशाली नेताओं से परिचय हुआ। यह मार्कुस के साथ ईतोलिया के अभियान में भी गया था जिसका वर्णन उसने अपने नाटकों में किया है। इसकी मृत्यु गठिया रोग से ई. र्पू.

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ऐस्फाल्ट

मृत सागर से प्राप्त प्राकृतिक ऐसफाल्ट सड़क निर्माण में अस्फाल्ट कंक्रीट की मूल पर्त ऐस्फाल्ट (अंग्रेजी: Asphalt) एक चिपचिपा, काला और गाढ़ा तरल या अर्ध-तरल पदार्थ होता है, जिसे कच्चे पैट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से भी मिलता है। पहले इसे अस्फाल्टम भी कहा जाता है। इसका प्रयोग सड़क निर्माण, उड़ान पट्टी निर्माण इत्यादि में होता है। 'अस्फाल्ट' शब्द एक यूनानी शब्द से निकला है जिसका अर्थ है दृढ़, अचल तथा सुरक्षित। पुरातन काल में अस्फाल्ट का प्रथम उपयोग विभिन्न प्रकार के दो पदार्थो को आपस में जोड़ने में, जैसे हाथीदाँत, सीप या रत्नों से बनी आँखों को मूर्तियों के चक्षु गह्वरों में बैठाने के लिए, किया जाता था। ज्ञात हुआ है कि संभवत: भारत में अस्फाल्ट का सर्वप्रथम उपयोग लगभग 3,000 वर्ष ई.पू.

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झपकी

एक झपकी लेते हुए एक जवान औरत का चित्र.(झूला, गस्टेव कुर्बेट (1844).) झपकी दोपहर की शुरूआत, अक्सर दोपहर के भोजन के बाद थोड़ी देर के लिए उंघने को कहते हैं। नींद का इस तरह का समय कुछ देशों, खासकर जहां मौसम गर्म होता है, में एक आम परंपरा है। सियेस्ट शब्द लैटिन होरा सेक्सटा - "छठा घंटा" (भोर से दोपहर तक की गिनती, इसलिए दोपहर यानी "दोपहर का आराम").

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डाटदार पुल

डाटदार पुल (Arc Bridge) डाटदार पुल या चाप सेतु (arch bridge) ऐसा पुल होता है जिसमें दोनो सिरों पर सहारा देने वाले स्तम्भों के उपर एक चापनुमा संरचना होती है। .

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डायोफैंटीय समीकरण

पूर्णांक भुजाओं वाले सभी समकोण त्रिभुज प्राप्त करना एक प्रकार से डायोफैंटीय समीकरण a^2+b^2.

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डिएगो माराडोना

डिएगो आर्मैन्ड़ो माराडोना (30 अक्टूबर 1960 को लानुस, ब्यूनस आयर्स में जन्म) अर्जेन्टीना के एक पूर्व फ़ुटबॉल खिलाड़ी और अर्जेन्टीना के राष्ट्रीय टीम के वर्तमान प्रबंधक हैं। उन्हें व्यापक रूप से आज तक का सबसे बेहतरीन फ़ुटबॉल खिलाड़ी माना जाता है। FIFA प्लेयर ऑफ़ दी सेंचुरी पुरस्कार के लिए उन्हें इंटरनेट मतदान में सर्वप्रथम स्थान मिला और उन्होंने पेले के साथ पुरस्कार में साझेदारी की। अंतिम बार 30 मई 2006 को पुनः प्राप्त अपने पेशेवर क्लब कॅरियर के दौरान माराडोना ने अर्जेंटिनोस जूनियर, बोका जूनियर्स, बार्सिलोना, सेविला, नेवेल्स ओल्ड बॉय और नापोली के लिए खेलते हुए अनुबंध शुल्क लेने में विश्व रिकोर्ड कायम किया। अपने अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर में, अर्जेन्टीना के लिए खेलते हुए, उन्होंने 91 कैप्स अर्जित किए और 34 गोल किए। उन्होंने चार FIFA विश्व कप टूर्नामेंटों में खेला, जिसमें 1986 का विश्व कप शामिल था, इसमें उन्होंने अर्जेन्टीना की कप्तानी की और टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ट खिलाड़ी होने का गोल्डन बॉल पुरस्कार जीता और निर्णायक मुकाबले में वेस्ट जर्मनी पर जीत हासिल की। उसी टूर्नामेंट के क्वार्टर-फाइनल दौर में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ़ 2-1 की जीत में 2 गोल दागे, जो फ़ुटबॉल के इतिहास में दर्ज हो गए, हालांकि दो बिल्कुल ही अलग कारणों के लिए। पहला गोल एक दंड मुक्त हैंडबॉल था जिसे "हैंड ऑफ़ गॉड" के नाम से जाना जाता है, जबकि दूसरा गोल एक शानदार 6 मीटर की दूरी से और छह इंग्लैंड के खिलाड़ियों के बीच से निकाला गया एक गोल था, जो आम तौर पर "दी गोल ऑफ़ दी सेंचुरी" के नाम से जाना जाता है। विभिन्न कारणों से, माराडोना को खेल जगत का एक सर्वाधिक विवादास्पद और समाचार-योग्य व्यक्तित्व माना जाता है। इटली में कोकीन के लिए डोपिंग परीक्षण में विफल होने के कारण 1991 में उन्हें 15 महीनों के लिए निलंबित कर दिया गया और USA में चल रहे 1994 के वर्ल्ड कप के दौरान एफेड्रीन का उपयोग करने के कारण उन्हें घर भेज दिया गया। 1997 में अपने 37वें जन्मदिन पर खेल से रिटायर होने के बाद www.vivadiego.com.

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डिमास्थेने

डिमास्थेने या डिमास्थेनीज़ (Demosthenes; ग्रीक: Δημοσθένης Dēmosthénēs; 384 – 12 अक्टूबर 322 ईसापूर्व)) विश्वविख्यात यूनानी राजमर्मज्ञ (स्टेट्समैन) तथा वक्ता था। डेमास्थेनीज़ शब्द-प्रभु था, ग्रीक प्रतिभा का उज्ज्वल उदाहरण। डिमास्थेनीज़ का जन्म एथेंस में ३८४ ईसा पूर्व में हुआ था। सात वर्ष की उम्र में ही अनाथ बने इस व्यक्ति ने १८ वर्ष की अल्पायु में ही अपना वाक्कौशल अपने ही पालकों के विरुद्ध न्यायालय में मुकदमा चलाकर, सिद्ध किया। फिर वह न्यायालयों के लिए भाषणलेखक का काम करने लगा। उसकी राजनीतिक तर्कशक्ति के कारण उसका उपयोग प्रशासन की तथा सार्वजनिक संस्थाओं ने दोनों तरफ करना शुरू किया। एथेन्स और मैसेडौन के फिलिप के बीच संघर्ष के समय डिमास्थेनीज की वक्तृत्व कला का बहुत उपयोग किया गया। ३५१ ईसा पूर्व से ३४१ ईसा पूर्व के औलिफियाई और फिलिपी भाषणों के कारण उसे बहुत यश प्राप्त हुआ। इन वक्तव्यों में, जो जनसभाओं में दिए गए थे, डिमास्थेनीज ने फिलिप की चतुराई और धूर्तता का पर्दाफाश किया और तत्कालीन एथेन्स की सहानुभूतिशून्यता को खूब कोसा। प्राचीन आदर्शों की याद दिलाई। ३४० ईसा पूर्व में डिमास्थेनीज को समूचे एथेंस की राजनीति का सर्वेसर्वा बनाया गया। इसकी सलाह में यह विश्वास बहुत विलंबित घटना थी। तब तक मैसेडोन वाला पक्ष बहुत प्रबल हो चुका था और एथेंस को शैरोनिआ में ३३८ ईसा पूर्व में करारी हार खानी पड़ी। जब डिमास्थेनीज की पूर्व नीतियों को मैसिडोनिया पक्ष के ईस्काइनीस ने चुनौती दी, तब ३३० ईसा पूर्व में उसने आन दि क्राउन, नामक ऐसी प्रसिद्ध वक्तृता दी कि सारे विरोधी तर्क खंडित हो गए। बाद में उसको पुन: हार खानी पड़ी। ३२४ ईसा पूर्व में उसे देशनिकाला दिया गया, क्योंकि उसने कुछ घूस ली, ऐसा सिद्ध हुआ। यह घूस अलेक्जैंडर के एक पलायक सेनाधिकारी हारपेलस ने दी थी। ३२३ में वह पुन: लौटकर एंटीपेटर के विरोध में अंतिम मोर्चा लेने के लिए आया जिसमें अयशस्वी होने पर उसने आत्महत्या कर ली। डिमास्थेनीज के ६१ भाषण और छह पत्र उपलब्ध हैं। उनमें से २० भाषण प्रतिक्रियात्मक और खंडनप्रधान हैं। शायद कुछ उसके नाम से कहे जाते हैं। फिर भी उसके निजी भाषणों से तत्कालीन ग्रीस की नैतिक और न्याय विषयक स्थिति पर प्रकाश पड़ता है। उसकी सार्वजनिक वक्तृताएँ निजी भाषणों के समान प्रभावशाली हैं। डेमास्थेनीज की गद्यशैली का सच्चा आनन्द उसे मूल ग्रीक में पढ़ने पर मिल सकता है। उसकी गद्यशैली का प्रभाव बहुत कुछ नाद और शब्द संपदा पर निर्भर करता है। ईसाक्रेटस की नपी तुली, स्वचेतन शैली उसकी नहीं है, यद्यपि उसकी और उक्तिचमत्कारवाली कुशलता डिमास्थेनीज़ में है। डिमास्थेनीज़ तर्कयुक्त विवेचना और भावोद्रेक की वृद्धि के लिए शैली भी काम में लाता है। यद्यपि वह जानता है कि शब्दकला का कैसे, कहाँ उपयोग करना चाहिए, फिर भी डिमास्थेनीज़ कहीं भी व्यर्थ के शब्दालंकार में खो नहीं जाता। कहाँ साम, दंड, भेद काम में लाना है, इसे वह अच्छी तरह जानता था और वैसे ही शब्द और अर्थालंकार खोजता था। अपने देश के संकटकालीन इतिहास में उसने शब्दों से शस्त्रों जैसा काम लिया। यह आवश्यक प्रभाव, क्रोध, अमर्श, जनता का समर्थन, वर्णनशक्ति द्वारा पैदा कर सकता था। सिसेरो की भाँति उसकी शैली साधारणीकृत साहित्यिक शैली नहीं है; वरन् उसकी शैली में उसके व्यक्तित्व की पूरी विशिष्ट छाप है। डिमास्थेनीज़ के भाषणों में हास्य, व्यंग्य, करुणा, प्रसन्नता की पुट उतनी नहीं जितनी भव्यता, प्रामाणिकता और व्यंजनाशक्ति का बाहुल्य है। कुछ आलोचकों ने उसकी वक्तृता पद्धति को अध्ययन का परिणाम माना है, पर अधिकतर उसकी रचनाएँ होमर और प्लेटो की तरह स्फूर्ति और सहज प्रेरणा पर आधारित मानी जाती हैं। श्रेणी:प्राचीन यूनानी राजमर्मज्ञ.

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डिस्टेंपर

थांका जो '''डिस्टेम्पर''' से बना है डिस्टेंपर दीवारों पर पुताई करने के लिए एक विशेष प्रकार का लेप है, जो पानी में घोलकर पोता जाता है। रंग करने का यह सबसे पुराना साधन है। यूनान और मिस्रवाले इसका बहुत उपयोग करते थे। .

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डिसेंडेंट्स ऑफ़ द सन

डिसेंडेंट्स ऑफ़ द सन (अंग्रेजी: Descendants of the Sun; हिन्दी अनुवाद: सूर्य के वंशज, कोरियाई: 태양 의 후예), 2016 में प्रसारित, सांग जूंग-की, सोंग हाय-क्यो,जिम गू और किम जी-वन अभिनीत एक दक्षिण कोरियाई टेलीविजन शृंखला है। 16 प्रकरणों (एपिसोड) वाली इस शृंखला का प्रसारण प्रत्येक बुधवार और गुरुवार को रात 10:00 बजे, 24 फरवरी 2016 से लेकर 14 अप्रैल 2016 के बीच केबीएस2 पर किया गया था। दक्षिण कोरिया में यह शृंखला एक बहुत बड़ी हिट साबित हुई साथ ही एशिया भर में इसे अपार लोकप्रियता प्राप्त हुई। केबीएस ने 20 अप्रैल से 22 अप्रैल को इसके 3 अतिरिक्त विशेष प्रकरण प्रसारित किये जिनमे इसकी मुख्य झलकियां, सबसे अच्छे दृश्य, शृंखला की निर्माण प्रक्रिया, परदे के पीछे के फुटेज, कलाकारों की टिप्पणियां और उपसंहार शामिल थे। .

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ड्रेकुला (१९९२ फ़िल्म)

ड्रेकुला (अंग्रेज़ी: Dracula / Bram Stoker's Dracula) एक १९९२ गोथिक हॉरर फिल्म के रोमांस की कल्पना है। यह निर्देशित किया है और सह उत्पादन: फ़्रांसिस फ़ोर्ड कोपोला.

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डेमी क्रिट्स

डेमी क्रिट्स यूनान के दार्शनिक थे। ये आण्विक तथ्य के जन्मदाता थे। इन्होंने पदार्थ के गठन के सम्बन्ध में खोज किया। .

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डेल्फी

डेल्फी (ग्रीक) ग्रीस का एक पुरातात्विक स्थल व आधुनिक नगर दोनों है, जो फोसिस (Phocis) की घाटी में माउंट पर्नासस के दक्षिण-पश्चिमी पर्वत स्कंध पर स्थित है। डेल्फी ग्रीक पौराणिक कथाओं में, डेल्फी की ऑरेकल (Delphic Oracle), प्राचीन ग्रीक विश्व में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ऑरेकल, का स्थान और देवता अपोलो, एक देवता, जिन्होंने वहां निवास किया और पृथ्वी की नाभि की रक्षा की, द्वारा अजगर का वध कर दिये जाने के बाद उनकी उपासना का एक मुख्य स्थल था। कुछ लोगों का दावा है कि इस स्थल का मूल नाम पाइथन (Python) (क्रिया पाइथीन (pythein), "सड़ना" से व्युत्पन्न) ही है, जो कि उस अजगर की पहचान है, जिसे अपोलो ने परास्त किया था (मिलर, 95)। होमेरिक हिम टू डेल्फिक अपोलो (Homeric Hymn to Delphic Apollo) याद दिलाती है कि इस स्थल का प्राचीन नाम क्रिसा (Krisa) था। डेल्फी में उनका पवित्र स्थान एक पैनहेलेनिक (panhellenic) गर्भगृह था, जहां 586 ई.पू.

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डेविड शुल्मन

डेविड शुल्मन, 2008 डेविड डीन शुल्मन (David Dean Shulman; जन्म: 13 जनवरी, 1949) इजराइल के एक भारतविद हैं। वे विश्व के भारतीय भाषाओं के सबसे अग्रणी विद्वानों में से एक हैं। उनके अनुसंधान-क्षेत्र में दक्षिण भारत में धर्म का इतिहास, भारतीय काव्यशास्त्र, तमिल इस्लाम, द्रविड़ भाषाएँ, तथा कर्नाटक संगीत आदि सम्मिलित हैं। पहले वे हिब्रू विश्वविद्यालय, येरुसलम में भारतीय अध्ययन तथा तुलनात्मक धर्म के प्राध्यापक थे। इसके अलावा वे इसी विश्वविद्यालय में भारतीय, इरानी एवम अर्मेनियायी अध्ययन के प्राध्यापक थे।। सम्प्रति वे हिब्रू विश्वविद्यालय में मानवत अध्ययन के रेनी लैंग (Renee Lang) प्राध्यापक हैं। वे १९८८ से इजराइल विज्ञान एवं मानविकी अकादमी के सदस्य हैं। वे हिब्रू के कवि, साहित्यिक आलोचक एवं सांस्कृतिक मानवविज्ञानी हैं। उन्होने २० से अधिक पुस्तकों का लेखन या सहलेखन किया है। in द हिन्दू, Mar 10, 2006 वे शान्ति कार्यकर्ता हैं और 'ता-आयुष' नामक संयुक्त इजराइल-फिलिस्तीनी आन्दोलन के संस्थापक सदस्य हैं। सन २००७ में उन्होने 'डार्क होप: वर्किंग फॉर पीस इन इजरायल ऐण्ड पैलेस्टाइन' नामक पुस्तक की रचना की। वे हिब्रू और अंग्रेजी में द्विभाषी होने के साथ-साथ संस्कृत, हिन्दी, तमिल, तेलुगु के भी विद्वान हैं। इसके अलावा वे ग्रीक, रूसी, फ्रांसीसी, जर्मन, फारसी, अरबी, मलयालम को पढ़ लेते हैं। उनका विवाह ईलीन शुल्मन (Eileen Shulman) से हुआ है। इनके तीन पुत्र हैं। .

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तबाशीर

तबाशीर बाँस से आता है सन् १९१५ में छपी एक पुस्तक में तबाशीर के कुछ टुकड़ों का चित्र तबाशीर या बंसलोचन बांस की कुछ नस्लों के जोड़ों से मिलने वाला एक पारभासी (ट्रांसलूसॅन्ट) सफ़ेद पदार्थ होता है। यह मुख्य रूप से सिलिका और पानी और कम मात्रा में खार (पोटैश) और चूने का बना होता है। भारतीय उपमहाद्वीप की आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा प्रणालियों की दवा-सूचियों में इसका अहम स्थान है। पारम्परिक चीनी चिकित्सा के कई नुस्ख़ों में भी इसका प्रयोग होता है। .

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तमिल भाषा

तमिल (தமிழ், उच्चारण:तमिऴ्) एक भाषा है जो मुख्यतः तमिलनाडु तथा श्रीलंका में बोली जाती है। तमिलनाडु तथा पुदुचेरी में यह राजभाषा है। यह श्रीलंका तथा सिंगापुर की कई राजभाषाओं में से एक है। .

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तम्बाकू धूम्रपान

तम्बाकू धूम्रपान एक ऐसा अभ्यास है जिसमें तम्बाकू को जलाया जाता है और उसका धुआं या तो चखा जाता है या फिर उसे सांस में खींचा जाता है। इसका चलन 5000-3000 ई.पू.के प्रारम्भिक काल में शुरू हुआ। कई सभ्यताओं में धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान इसे सुगंध के तौर पर जलाया गया, जिसे बाद में आनंद प्राप्त करने के लिए या फिर एक सामाजिक उपकरण के रूप में अपनाया गया। पुरानी दुनिया में तम्बाकू 1500 के दशक के अंतिम दौर में प्रचलित हुआ जहां इसने साझा व्यापारिक मार्ग का अनुसरण किया। हालांकि यह पदार्थ अक्सर आलोचना का शिकार बनता रहा है, लेकिन इसके बावज़ूद वह लोकप्रिय हो गया। जर्मन वैज्ञानिकों ने औपचारिक रूप से देर से 1920 के दशक के अन्त में धूम्रपान और फेफड़े के कैंसर के बीच के संबंधों की पहचान की जिससे आधुनिक इतिहास में पहले धूम्रपान विरोधी अभियान की शुरुआत हुई। आंदोलन तथापि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुश्मनों की सीमा में पहुंचने में नाकाम रहा और उसके बाद जल्द ही अलोकप्रिय हो गया। 1950 में स्वास्थ्य अधिकारियों ने फिर से धूम्रपान और कैंसर के बीच के सम्बंध पर चर्चा शुरू की। वैज्ञानिक प्रमाण 1980 के दशक में प्राप्त हुए, जिसने इस अभ्यास के खिलाफ राजनीतिक कार्रवाई पर जोर दिया। 1965 से विकसित देशों में खपत या तो क्षीण हुई या फिर उसमें गिरावट आयी। हालांकि, विकासशील दुनिया में बढ़त जारी है। तम्बाकू के सेवन का सबसे आम तरीका धूम्रपान है और तम्बाकू धूम्रपान किया जाने वाला सबसे आम पदार्थ है। कृषि उत्पाद को अक्सर दूसरे योगज के साथ मिलाया जाता है और फिर सुलगाया जाता है। परिणामस्वरूप भाप को सांस के जरिये अंदर खींचा जाता है फिर सक्रिय पदार्थ को फेफड़ों के माध्यम से कोशिकाओं से अवशोषित कर लिया जाता है। सक्रिय पदार्थ तंत्रिका अंत में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को शुरू करती है जिससे हृदय गति, स्मृति और सतर्कता और प्रतिक्रिया की अवधि बढ़ जाती है। डोपामाइन (Dopamine) और बाद में एंडोर्फिन(endorphin) का रिसाव होता है जो अक्सर आनंद से जुड़े हुए हैं। 2000 में धूम्रपान का सेवन कुछ 1.22 बिलियन लोग करते थे। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती हैं तथापि छोटे आयु वर्ग में इस लैंगिक अंतर में गिरावट आती है। गरीबों में अमीरों की तुलना में और विकसित देशों के लोगों में अमीर देशों की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती है। धूम्रपान करने वाले कई किशोरावस्था में या आरम्भिक युवावस्था के दौरान शुरू करते हैं। आम तौर पर प्रारंभिक अवस्था में धूम्रपान सुखद अनुभूतियां प्रदान करता है, सकारात्मक सुदृढीकरण के एक स्रोत के रूप में कार्य करता है। एक व्यक्ति में कई वर्षों के धूम्रपान के बाद परिहार के लक्षण और नकारात्मक सुदृढीकरण उसे जारी रखने का प्रमुख उत्प्रेरक बन जाता है। .

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तिराना

तिराना (अल्बानियाई: Tiranë) अल्बानिया की राजधानी और सबसे बड़ा नगर है। २००८ के अनुमान के अनुसार यहाँ की जनसंख्या लगभग ९ लाख है। तिराना की स्थापना सुलेज्मन पाशा द्वारा १६१४ में की गई थी और १९२० यह नगर अल्बानिया की राजधानी बना। यह नगर १६१४ में सुलेज्मान पाशा द्वारा स्थापित किया गया था और १९२० में अल्बानिया की राज्धानी बना। तिराना नगरपालिका इशेम नदी के किनारे स्थित है और तिराना जिले में स्थित है। तिराना समुद्र तल से १०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और अधिकत ऊँचाई वाला बिन्दू १,८२८ मीटर पर स्थित है। इसके अतिरिक्त दो मुख्य नदियां यहाँ से होकर बहती हैं: लाने और तिराने। नगर में चार कृत्रिम झीले भी हैं: तिराना झील, कोदर-कामेज़ झील, फारका झील और टुफिना झील। यह नगर उसी समानान्तर पर स्थित है जिस पर नेपल्स, मैड्रिड और इस्तांबुल स्थित हैं और इसकी मध्याह्न रेखा वही है जो बुडापेस्ट और क्राकौव की है। .

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तुर्की

तुर्की (तुर्क भाषा: Türkiye उच्चारण: तुर्किया) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये दुनिया का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है। ये एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसके एशियाई हिस्से को अनातोलिया और यूरोपीय हिस्से को थ्रेस कहते हैं। स्थिति: 39 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 36 डिग्री पूर्वी देशान्तर। इसका कुछ भाग यूरोप में तथा अधिकांश भाग एशिया में पड़ता है अत: इसे यूरोप एवं एशिया के बीच का 'पुल' कहा जाता है। इजीयन सागर (Aegean sea) के पतले जलखंड के बीच में आ जाने से इस पुल के दो भाग हो जाते हैं, जिन्हें साधारणतया यूरोपीय टर्की तथा एशियाई टर्की कहते हैं। टर्की के ये दोनों भाग बॉसपोरस के जलडमरूमध्य, मारमारा सागर तथा डारडनेल्ज द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं। टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बुल्गारिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं। यूरोपीय टर्की - त्रिभुजाकर प्रायद्वीपी प्रदेश है जिसका शीर्षक पूर्व में बॉसपोरस के मुहाने पर है। उसके उत्तर तथा दक्षिण दोनों ओर पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई हैं। मध्य में निचला मैदान मिलता है जिसमें होकर मारीत्सा और इरजिन नदियाँ बहती हैं। इसी भाग से होकर इस्तैस्म्यूल का संबंध पश्चिमी देशों से है। एशियाई टर्की - इसको हम तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं: 1.

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तुर्की का भूगोल

तुर्की अनातोलिया (9 5%) और बाल्कन (5%),, बुल्गारिया और जॉर्जिया के बीच काला सागर के किनारे, और ग्रीस और सीरिया के बीच एजियन सागर और भूमध्य सागर के किनारे स्थित है। देश के भौगोलिक निर्देशांक इस प्राकार हैं: 39 डिग्री 00'उत्तर 35 डिग्री 00'पूर्व है। तुर्की का क्षेत्रफल 783,562 किमी 2 (302,535 वर्ग मील) है; भूमि: 770,760 किमी 2 (2 9 7,592 वर्ग मील), पानी: 9,820 किमी 2 (3,792 वर्ग मील)। तुर्की पश्चिम से पूर्व में 1,600 किमी (994 मील) से अधिक है, लेकिन आम तौर पर उत्तर से दक्षिण में 800 किमी (497 मील) से भी कम है। कुल क्षेत्रफल (लगभग 783,562 किमी 2 (302,535 वर्ग मील) में लगभग 756,816 किमी 2 (2 9 2,208) वर्ग मील) पश्चिमी एशिया (अनातोलिया) में और दक्षिणपूर्वी यूरोप (थ्रेस) में लगभग 23,764 किमी 2 (9,175 वर्ग मील) है। .

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तुर्की का स्वतंत्रता संग्राम

इज़मीर में तुर्की सेना मार्च करते हुए तुर्की का स्वतंत्रता संग्राम (तुर्की भाषा: İstiklâl Harbi, शाब्दिक अर्थ "स्वतंत्रता संग्राम" या Kurtuluş Savaşı, शाब्दिक अर्थ "मुक्ति संग्राम"; 19 मई, 1919 – 24 जुलाई, 1923) तुर्की के राष्ट्रवादियों तथा मित्रराष्ट्रों (Allies) के तरफ से लड़ने वालों (नामतः, पश्चिमी सीमा पर ग्रीस तथा पूर्वी सीमा पर आर्मीनिया) के बीच हुआ था। ध्यातव्य है कि प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की (ऑटोमन साम्राज्य) की परायजय के बाद इसे बांटकर इस पर कब्जा जमा लिया गया। .

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तुलनात्मक शिक्षा

किसी देश अथवा विभिन्न देशों की शिक्षात्मक समानताओं, विभिन्नताओं, समस्याओं, एवं विकासक्रमों के क्रमिक, विवेचनात्मक, आलोचनात्मक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन को तुलनात्मक शिक्षा कहते हैं। हैन्स ने राष्ट्रीय शिक्षा सुधार के दृष्टिकोण से विभिन्न देशों की शिक्षाप्रणालियों के विश्लेषणात्मक अध्ययन को तुलनात्मक शिक्षा कहा है। बैरेडे के अनुसार तुलनात्मक शिक्षा, शिक्षा संस्थानों का समाज की पृष्ठभूमि में किया हुआ विश्लेषणात्मक अध्ययन है। वस्तुत: तुलनात्मक शिक्षा की कोई सरल व्याख्या करना कठिन है। शिक्षा का अध्ययन समाज की पृष्ठभूमि में ही वांछनीय है। अत: तुलनात्मक शिक्षा के गहन अध्ययन में देशों की ऐतिहासिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, औद्योगिक, अवस्थाओं का अध्ययन जुड़ा रहता है। .

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थ्यूसीदाइदीज

थ्यूसीदाइदीज की प्लास्टर की मूर्ति थ्यूसीदाइदीज (Thucydides; ४६० ईसापूर्व - ४०० ईसापूर्व) एथेंस (यूनान का इतिहासकार, राजनैतिक दार्शनिक और सेनानायक था। पेलोपोनेशियाई युद्ध (Peloponnesian War) में उसने भाग लिया। किंतु बाद में उसे स्वेदश छोड़ना पड़ा। लगभग २० वर्षों तक वह निर्वासित रहा। इसी काल में उसने 'पेलोपोनेशियाई युद्ध का इतिहास' नामक ग्रंथ ८ भागों में लिखा। यह स्पार्टा और एथेंस के बीच हुए युद्ध पर अत्यंत प्रामाणिक और सजीव वर्णानात्मक ग्रंथ है। इसी एक ग्रंथ ने थ्यूसीदाइदीज़ को चोटी के इतिहासकारों की कोटि में स्थान प्रदान किया। शैली में घटनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण और अर्थगौरव थ्यूसीदाइदीज़ की विशेषताएँ हैं। चरित्रचित्रण में सजीवता और घटनाओं में कार्यकारण क्रम तथा इतिहास की अंतर्धारा के विश्लेषण में थ्यूसीदाइदीज़ अद्वितीय है। बेकर (बर्लिन १८२१; ३ भाग), क्लैसेन (बर्लिन १८६२-१८७८; ८ भाग), पोपो (१८२१-१८३८), और स्टाल (१८७३-१८७४) ने थ्यूसीदाइदीज़ की लिखित सामग्री का संपादन किया और डेल तथा बेंजामिन ने उसके अग्रेंजी अनुवाद प्रकाशित किए। श्रेणी:इतिहासकार.

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द डा विंची कोड (फ़िल्म)

द डा विंची कोड, रॉन हावर्ड द्वारा निर्देशित, 2006 की एक अमेरिकी रहस्य-रोमांच वाली फ़िल्म है। पटकथा को अकिवा गोल्ड्समैन द्वारा लिखा गया और यह डैन ब्राउन के दुनिया भर में सर्वोच्च बिक्री वाले 2003 के उपन्यास द डा विंची कोड पर आधारित है। हावर्ड ने जॉन कैले और ब्रायन ग्रेज़र के साथ इसका निर्माण किया और कोलंबिया पिक्चर्स ने इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में 9 मई 2006 को जारी किया। द डा विंची कोड में टॉम हैंक्स ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रतीकविज्ञानी रॉबर्ट लेंग्डन का किरदार निभाया है, ऑड्रे तौटो ने फ्रांस के Centrale de la Police Judiciaire के कूट-विशेषज्ञ सोफी नेवू का, सर इयान मेकेलन ने ब्रिटिश ग्रेल इतिहासकार सर ले टीबिंग का, अल्फ्रेड मोलिना ने बिशप मैनुएल अरिंगारोसा का, जीन रेनो ने Direction Centrale de la Police Judiciaire के कैप्टेन बेजु फाक का और पॉल बेट्टेनी ने ओपस डे भिक्षु सीलास का किरदार निभाया.

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द ऑफिस (अमरीकी टीवी शृंखला)

द ऑफिस (The Office) एक अमरीकी हास्य टेलीविज़न श्रृंखला है, जिसका प्रसारण NBC द्वारा किया जाता है। BBC की श्रृंखला द ऑफिस का एक अनुकूलन, यह श्रृंखला काल्पनिक डण्डर मिफ्लिन पेपर कम्पनी की स्क्रैण्टन, पेन्सिलवेनिया शाखा के कार्यालयीन कर्मचारियों के दैनिक जीवन को प्रदर्शित करती है। एक वास्तविक वृत्तचित्र के प्रदर्शन की नकल करने के लिये, इसे एक एकल-कैमरा सेटअप में स्टुडियो दर्शकों या एक हास्य ट्रैक के बिना फिल्माया गया है। द ऑफिस को कार्यकारी निर्माता ग्रेग डैनिएल्स, सैटरडे नाइट लाइव (Saturday Night Live), किंग ऑफ द हिल (King of the Hill) और द सिम्पसन्स (The Simpsons) के अनुभवी लेखक, द्वारा अमरीकी दर्शकों के लिये अनुकूलित किया गया था। मूल BBC श्रृंखला के रचनाकार, रिकी गर्वैस और स्टीफन मर्चन्ट इसके कार्यकारी निर्माता हैं और उन्होंने डैनिएल्स के साथ प्रथम भाग का सह-लेखन भी किया और तीसरा संस्करण, "द कन्विक्ट", लिखा.

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दर्शन का इतिहास

सभ्यता के प्रारम्भ से ही दर्शन विद्यावान् लोगों के बीच विशेष अभिरुचि का विषय रहा है। भारत में वेदों एवं उपनिषदों के समय से ही दार्शनिक जिज्ञासा एवं दार्शनिक चिन्तन का ज्ञानपिपासु पृच्छाशील विद्वानों और बुद्धजीवियों के बीच प्रचलित प्रतिष्ठित रहे। उदाहरण के लिए ऋग्वेद में जहाँ-तहाँ सृष्टि के प्रारम्भ, दृश्यमान जगत् के उपादान द्रव्य एवं रचयिता आदि के सम्बन्ध में काव्यात्मक ढंग से प्रश्न उठाये गये। प्रसिद्ध नारदीय सूक्त इस कोटि की प्रश्नाकुलता तथा जिज्ञासा का श्रेष्ठ निदर्शन है। यहाँ ध्यातव्य है कि ऋग्वेद भाषाबद्ध साहित्य का प्रायः सबसे प्राचीन उदाहरण है। ऋग्वेद का रचना-काल प्रायः 3000 से 1500 ई. पू.

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दारा तृतीय

दारा तृतीय या डेरियस तृतीय(ई.पू. ३३६-३३० ई.पू.) महान हख़ामनी राजवंश का अंतिम प्रसिद्ध राजा हुआ। वह बहादुर और दूष्ट प्रकृति का सुयोग्य व्यक्ति था। लेकिन उसे शांति से राज्य करने और अपनी शासकीय योग्यता दिखाने का अवसर न मिल सका। उसके दुर्भाग्य से मैसीडोनिया और यूनान की राजशक्ति, सिकंदर के नेतृत्व में बहुत प्रबल हो चली थी। फलत: दारा तृतीय पारसी साम्राज्य के समस्त साधनों और शक्तियों को बटोरकर भी सिकंदर को आक्रमणों से अपने साम्राज्य को बचाने में समर्थ न हो सका। पारसीकों को अद्भुत यूरोपीय विजेता अलेक्जंडर ने ई.पू.

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दालचीनी

दालचीनी (Cinnamomum verum, या C. zeylanicum) एक छोटा सदाबहार पेड़ है, जो कि 10–15 मी (32.8–49.2 फीट) ऊंचा होता है, यह लौरेसिई (Lauraceae) परिवार का है। यह श्रीलंका एवं दक्षिण भारत में बहुतायत में मिलता है। इसकी छाल मसाले की तरह प्रयोग होती है। इसमें एक अलग ही खुशबू होती है, जो कि इसे गरम मसालों की श्रेणी में रखती है। .

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दक्षिण भारत

भारत के दक्षिणी भाग को दक्षिण भारत भी कहते हैं। अपनी संस्कृति, इतिहास तथा प्रजातीय मूल की भिन्नता के कारण यह शेष भारत से अलग पहचान बना चुका है। हलांकि इतना भिन्न होकर भी यह भारत की विविधता का एक अंगमात्र है। दक्षिण भारतीय लोग मुख्यतः द्रविड़ भाषा जैसे तेलुगू,तमिल, कन्नड़ और मलयालम बोलते हैं और मुख्यतः द्रविड़ मूल के हैं। .

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दुखान्त नाटक

दु:खांत नाटक (ट्रेजेडी) ऐसे नाटकों को कहते हैं जिनमें नायक प्रतिकूल परिस्थितियों और शक्तियों से संघर्ष करता हुआ तथा संकट झेलता हुअ अंत में विनष्ट हो जाता है। .

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द्वितीय विश्व युद्घ

विश्व युद्ध II, अथवा द्वितीय विश्व युद्ध, (इसको संक्षेप में WWII या WW2 लिखते हैं), ये एक वैश्विक सैन्य संघर्ष था जिसमें, सभी महान शक्तियों समेत दुनिया के अधिकांश देश शामिल थे, जो दो परस्पर विरोधी सैन्य गठबन्धनों में संगठित थे: मित्र राष्ट्र एवं धुरी राष्ट्र.इस युद्ध में 10 करोड़ से ज्यादा सैन्य कर्मी शामिल थे, इस वजह से ये इतिहास का सबसे व्यापक युद्ध माना जाता है।"पूर्ण युद्ध" की अवस्था में, प्रमुख सहभागियों ने नागरिक और सैन्य संसाधनों के बीच के अंतर को मिटा कर युद्ध प्रयास की सेवा में अपनी पूरी औद्योगिक, आर्थिक और वैज्ञानिक क्षमताओं को झोक दिया। इसमें सात करोड़ से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश साधारण नागरिक थे, इसलिए इसको मानव इतिहास का सबसे खूनी संघर्ष माना जाता है। युद्ध की शुरुआत को आम तौर पर 1 सितम्बर 1939 माना जाता है, जर्मनी के पोलैंड के ऊपर आक्रमण करने और परिणामस्वरूप ब्रिटिश साम्राज्य और राष्ट्रमंडल के अधिकांश देशों और फ्रांस द्वारा जर्मनी पर युद्ध की घोषणा के साथ.

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द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति

द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति (Dialectic या dialectics या dialectical method) असहमति को दूर करने के लिए प्रयुक्त तर्क करने की एक विधि है जो प्राचीनकाल से ही भारतीय और यूरोपीय दर्शन के केन्द्र में रही है। इसका विकास यूनान में हुआ तथा प्लेटो ने इसे प्रसिद्धि दिलायी। द्वन्दात्मक तर्कपद्धति दो या दो से अधिक लोगों के बीच चर्चा करने की विधि है जो किसी विषय पर अलग-अलग राय रखते हैं किन्तु तर्कपूर्ण चर्चा की सहायता से सत्य तक पहुँचने के इच्छुक हैं। .

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देशों के दूरभाष कूट की सूची

यह ITU-T की सिफारिश E.164 के अनुसार देशों की दूरभाष कुट सँख्या कि सुची है। .

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देशी भाषाओं में देशों और राजधानियों की सूची

निम्न चार्ट विश्व के देशों को सूचीबद्ध करता है (जैसा की यहां परिभाषित किया गया है), इसमें उनके राजधानीयों के नाम भी शामिल है, यह अंग्रेजी के साथ साथ उस देश की मूल भाषा और/या सरकारी भाषा में दी गयी है। ज टी की कोण नॉन en .

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देवी तथा देवता (अभारतीय)

मेसोपोटोमिया (प्राचीन इराक) अपनी हजारों वर्षों की सभ्यता में अनेक जातियों की लीलाभूमि रही है, जहाँ सुमेरी सभ्यताओं में मुख्य असूरी-बावुली सभ्यता का श्रीगणेश ईसा से दो सहस्त्र वर्ष पूर्व सेमियों द्वारा हो चुका था। तीन हजार वर्ष पहले से वे अनेक देवताओं की उपासना करते चले आ रहे थे और उन्हीं ने मेसोपोटामियावासियों में देवोपासना का क्रम चलाया था। कहते हैं कि, ऐसा कोई दूसरा समाज नहीं है जिसमें धर्म ने इतना महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया हो क्योंकि देवताओं की इच्छा पर किसी भी समाज का मनुष्य इतना अधिक अवलंबित न था। असल में, सुमेरी सभ्यता का निर्माण देवताओं के मंदिरों के बीच हुआ। मेसोपोटामियाई धार्मिक और नैतिक स्थिति का ज्ञान हमें अनेक सूत्रों से होता है। ये सूत्र हैं महाकाव्यात्मक कथाएँ, पौराणिक गाथाएँ, आचार, स्तुतियाँ, प्रार्थनाएँ, देवकुल की सूचियाँ, कहावतें आदि। निप्पुर, अस्सुर और निनवे के ग्रंथागारों से प्राप्त सामग्रियाँ भी इन्हीं में हैं जिनकी रचना ई.पू.

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धनुर्विद्या

किसी निश्चित लक्ष्य पर धनुष की सहायता से बाण चलाने की कला को धनुर्विद्या (Archery) कहते हैं। विधिवत् युद्ध का यह सबसे प्राचीन तरीका माना जाता है। धनुर्विद्या का जन्मस्थान अनुमान का विषय है, लेकिन ऐतिहासिक सूत्रों से सिद्ध होता है कि इसका प्रयोग पूर्व देशों में बहुत प्राचीन काल में होता था। संभवत: भारत से ही यह विद्या ईरान होते हुए यूनान और अरब देशों में पहुँची थी। .

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धर्मांतरण

सेंट पॉल के रूपांतरण, इतालवी कलाकार कैरावैजियो (1571-1610) द्वारा एक 1600 सदी का चित्र धर्मांतरण किसी ऐसे नये धर्म को अपनाने का कार्य है, जो धर्मांतरित हो रहे व्यक्ति के पिछले धर्म से भिन्न हो.

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धूम्रपान

. इसे एक रिवाज के एक भाग के रूप में, समाधि में जाने के लिए प्रेरित करने और आध्यात्मिक ज्ञान को उत्पन्न करने में भी किया जा सकता है। वर्तमान में धूम्रपान की सबसे प्रचलित विधि सिगरेट है, जो मुख्य रूप से उद्योगों द्वारा निर्मित होती है किन्तु खुले तम्बाकू तथा कागज़ को हाथ से गोल करके भी बनाई जाती है। धूम्रपान के अन्य साधनों में पाइप, सिगार, हुक्का एवं बॉन्ग शामिल हैं। ऐसा बताया जाता है कि धूम्रपान से संबंधित बीमारियां सभी दीर्घकालिक धूम्रपान करने वालों में से आधों की जान ले लेती हैं किन्तु ये बीमारियां धूम्रपान न करने वालों को भी लग सकती हैं। 2007 की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में 4.9 मिलियन लोग धूम्रपान की वजह से मरते हैं। धूम्रपान मनोरंजक दवा का एक सबसे सामान्य रूप है। तंबाकू धूम्रपान वर्तमान धूम्रपान का सबसे लोकप्रिय प्रकार है और अधिकतर सभी मानव समाजों में एक बिलियन लोगों द्वारा किया जाता है। धूम्रपान के लिए कम प्रचलित नशीली दवाओं में भांग तथा अफीम शामिल है। कुछ पदार्थों को हानिकारक मादक पदार्थों के रूप में वर्गीकृत किया गया है जैसे कि हेरोइन, किन्तु इनका प्रयोग अत्यंत सीमित है क्योंकि अक्सर ये व्यवसायिक रूप से उपलब्ध नहीं होते.

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नापोलि

नेपोलि (ग्रीक: नेपोलिस, अंग्रेज़ी: नेपल्स) इटली का तीसरा सबसे बड़ा नगर है और दक्षिण-पश्चिमी तट पर बसा है। ऐतिहासिक रूप से यह एक यूनानी उपनिवेश हुआ करता था जो ईसापूर्व चौथी सदी में रोमन साम्राज्य का अंग बन गया। रोमनों के पतन के बाद जर्मन और जर्मानी और इसके बाद सोलहवीं सदी में स्पेन शासनाधीन रहा। श्रेणी:इटली के नगर श्रेणी:इटली में विश्व धरोहर स्थल.

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नियंत्रण सिद्धान्त का इतिहास

* २०० ईसा पूर्व - फ्लोट रेगुलेटर मेकैनिज्म (यूनान).

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निकोलस प्रथम

निकोलस प्रथम निकोलस प्रथम (रूसी: Николай I Павлович, निकोलाई पावलोविश; १७९६-१८५५): सन १८२५ से १८५५ तक रूस का ज़ार (सम्राट) था। .

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नवपाषाण युग

अनेकों प्रकार की निओलिथिक कलाकृतियां जिनमें कंगन, कुल्हाड़ी का सिरा, छेनी और चमकाने वाले उपकरण शामिल हैं नियोलिथिक युग, काल, या अवधि, या नव पाषाण युग मानव प्रौद्योगिकी के विकास की एक अवधि थी जिसकी शुरुआत मध्य पूर्व: फस्ट फार्मर्स: दी ओरिजंस ऑफ एग्रीकल्चरल सोसाईटीज़ से, पीटर बेल्वुड द्वारा, 2004 में 9500 ई.पू.

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नुक्कड़ नाटक का इतिहास

विदेशों में नुक्कड़-नाटकसृष्टि का पहला नाटक तो कोई नुक्‍कड़vends tu ाक ही रहा होगाक ही रहा होगा। रंगशालाएँ और नाट्यगृह तो सभ्यता चरण पार करने के बाद बने होंगे। आदिम युग में सब लोग दिन भर शिकार करने के बाद शाम को अपने-अपने शिकार के साथ कही खुले में एकtu bordj घेरा बनाकर बैठ जाते थे और उस घेरे के बीचों-बीच ही उनका भोजन पकता रहता, खान-पान होता और वही बाद में नाचना-गाना होता। इस प्रकार शुरू से ही नुक्कड़ नाटकों से जुड़े तीन ज़रूरी तत्वों की उपस्थिति इस प्रक्रिया में भी शामिल थी - प्रदर्शन स्थल के रूप में एक घेरा, दर्शकों और अभिनेताओं का अंतरंग संबंध और सीधे-सीधे दर्शकों की रोज़मर्रा की जिंद़गी से जुड़े कथानकों, घटनाओं और नाटकों का मंचन। इसी का विकसित रूप हमें तब भी देखने को मिलता है जब आज से लगभग ढ़ाई-तीन हज़ार वर्ष पहले यूनान में थेस्पिस नामक अभिनेता घोड़ागाड़ी या भैसागाड़ी में सामान लादकर, शहर-शहर घूमकर सड़कों पर, चौराहों पर अथवा बाज़ारों में अकेला ही नाटकों का मंचन किया करता था। भारत में इससे भी पूर्व से लव और कुश नाम के दो कथावाचकों के माध्यम से रामायण महाकाव्य को जगह-जगह जाकर, गाकर सुनाने की परंपरा का उल्लेख मिलता है। ये लव-कुश राम के पुत्रों के रूप में तो प्रसिद्ध हैं ही, बाद में इन्हीं के समांतर नट या अभिनेता को भी हमारे यहां कुशीलव के नाम से ही जाना जाने लगा। संभवत: यही कारण है कि नाटकों के लगातार खुले में मंचित होते रहने के मद्देनज़र भरत ने भी अपने नाट्यशास्त्र में दशरूपक विवेचन के अंतर्गत 'वीथि' नामक रूपक का भी उल्लेख किया है। आज भी आंध्र प्रदेश में लोकनाट्य परंपरा की एक शैली का नाम की 'वीथि नाटकम' मिलता है और आधुनिक नुक्कड़ नाटक को भी इसी नाम से जाना जाता है। मध्यकाल में सही रूप में नुक्कड़ नाटकों से मिलती-जुलती नाट्य-शैली का जन्म और विकास भारत के विभिन्न प्रांतों, क्षेत्रों और बोलियों-भाषाओं में लोक नाटकों के रूप में हुआ। उसी के समांतर पश्चिम में भी चर्च अथवा धार्मिक नाटकों के रूप में इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन आदि देशों में ऐसे नाटकों का प्रचलन शुरू हुआ जो बाइबिल की घटनाओं पर आधारित होते थे और मूलत: धर्म के प्रचार के लिए ही खेले जाते थे। ये नाटक भी खुले में, मैदानों और चौराहों और बाज़ारों में ही मंचित किए जाते थे और दिन की रोशनी में ही, जबकि हमारे यहां नाटक लगभग अपने आरंभ काल से ही ज़्यादातर रात में ही खेले जाते थे। इसके कारण भारतीय नाटकों में प्रकाश व्यवस्था का बहुत विकास हुआ। आधुनिक युग में जिस रूप में हम नुक्कड़ नाटकों को जानते है, उनका इतिहास भारत के स्वाधीनता संग्राम के दौरान कौमी तरानों, प्रभात फेरियों और विरोध के जुलूसों के रूप में देखा जा सकता है। इसी का एक विधिवत रूप इप्टा जैसी संस्था के जन्म के रूप में सामने आया, जब पूरे भारत में अलग-अलग कला माध्यमों के लोग एक साथ आकर मिले और क्रांतिकारी गीतों, नाटकों व नृत्यों के मंचनों और प्रदर्शनों से विदेशी शासन एवं सत्ता का विरोध आरंभ हुआ। इस प्रकार किसी भी गल़त व्यवस्था का विरोध और उसके समांतर एक आदर्श व्यवस्था क्या हो सकती है - यही वह संरचना है, जिस पर नुक्कड़ नाटक की धुरी टिकी हुई है। कभी वह किस्से-कहानियों का प्रचार था, कभी धर्म और कभी राजनैतिक विचारधारा। किसी भी युग और काल में इस तथ्य को रेखांकित कर सकते हैं। आज तो स्थिति यह हो गई है कि बड़ी-बड़ी व्यावसायिक-व्यापरिक कंपनियां अपने उत्पादनों के प्रचार के लिए नुक्कड़ नाटकों का प्रयोग कर रही हैं, सरकारी तंत्र अपनी नीतियों-निर्देशों के प्रचार के लिए नुक्कड़ नाटक जैसे माध्यम का सहारा लेता है और राजनीतिक दल चुनाव के दिनों में अपने दल के प्रचार-प्रसार के लिए इस विधा की ओर आकर्षित होते हैं। ऐसे में नुक्कड़ नाटकों के बहुविध रूप और रंग दिखाई पड़ते है। .

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नेउइली-सुर-सेइन की संधि

नेउइली-सुर-सेइन की संधि (27 नवम्बर 1919; मित्र राष्ट्रों एवं बुल्गारिया के बीच).

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पञ्चतन्त्र

'''पंचतन्त्र''' का विश्व में प्रसार संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है। यद्यपि यह पुस्तक अपने मूल रूप में नहीं रह गयी है, फिर भी उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आस- पास निर्धारित की गई है। इस ग्रंथ के रचयिता पं॰ विष्णु शर्मा है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र लगभग ८० वर्ष थी। पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में बाँटा गया है.

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पञ्चभूत

पञ्चभूत (पंचतत्व या पंचमहाभूत) भारतीय दर्शन में सभी पदार्थों के मूल माने गए हैं। आकाश (Space), वायु (Quark), अग्नि (Energy), जल (Force) तथा पृथ्वी (Matter) - ये पंचमहाभूत माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। लेकिन इनसे बने पदार्थ जड़ (यानि निर्जीव) होते हैं, सजीव बनने के लिए इनको आत्मा चाहिए। आत्मा को वैदिक साहित्य में पुरुष कहा जाता है। सांख्य शास्त्र में प्रकृति इन्ही पंचभूतों से बनी माना गया है। योगशास्त्र में अन्नमय शरीर भी इन्हीं से बना है। प्राचीन ग्रीक में भी इनमें से चार तत्वों का उल्लेख मिलता है - आकाश (ईथर) को छोड़कर।यूनान के अरस्तू और फ़ारस के रसज्ञ जाबिर इब्न हय्यान इसके प्रमुख पंथी माने जाते हैं। हिंदू विचारधारा के समान यूनानी, जापानी तथा बौद्ध मतों में भी पंचतत्व को महत्वपूर्ण एवं गूढ अर्थोंवाला माना गया है। .

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पद्म श्री पुरस्कार (२०००–२००९)

पद्म श्री पुरस्कार, भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरीक सम्मान है। सन् २००० से २००९ तक विजेताओं की सूची निम्न है: .

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पनथिनाकोस एफ.सी.

पनथिनाकोस फुटबॉल क्लब (Παναθηναϊκός) एथेंस के शहर में एक ग्रीक पेशेवर फुटबॉल क्लब आधारित है। 1908 में स्थापित, वे सुपर लीग ग्रीस में खेलते हैं और यूनानी फुटबॉल में सबसे पुराना और सबसे सफल क्लबों में से एक हैं। वे 20 यूनानी चैंपियनशिप और 17 यूनानी कप जीत लिया है। पनथिनाकोस यूरोपीय प्रतियोगिताओं में उपलब्धियों के मामले में सबसे सफल ग्रीक क्लब है। वे 1971 में यूरोपीय कप (यूईएफए चैंपियंस लीग) के फाइनल में पहुँच गए हैं। शोध और सर्वेक्षणों के विशाल बहुमत के अनुसार, यह ग्रीस में दूसरी सबसे लोकप्रिय फुटबॉल टीम है। वे सबसे महत्वपूर्ण आधार है, अपोस्तोलोस् निकोलेदिस स्टेडियम की एक संख्या में उनके घर का खेल खेला है। क्लब ओलम्पियाकोस् साथ एक दीर्घकालिक प्रतिद्वंद्विता रखती है, दोनों टीमों के बीच मैच 'शाश्वत दुश्मन के डर्बी "के रूप में संदर्भित होते हैं, मैचों चरम गुंडागर्दी और हिंसा के साथ हुईं रहे हैं। पनथिनाकोस एफ.सी.

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पन्ना

पन्ना, बेरिल (Be3Al2(SiO3)6) नामक खनिज का एक प्रकार है जो हरे रंग का होता है और जिसे क्रोमियम और कभी-कभी वैनेडियम की मात्रा से पहचाना जाता है।हर्ल्बट, कॉर्नेलियस एस.

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पराप्राकृतिक संवाद

पराप्राकृतिक संवाद व्यक्ति का स्वयं, या किसी माध्यम द्वारा, चेतना की विशेष अवस्था में पराप्राकृतिक तत्वों, जैसे देवी-देवता, से मानसिक संपर्क में होने वाला अनुभव है, और इसका परिणाम ज्ञान प्राप्ति, समस्या समाधान या कोई विशेष अनुभूति देखा गया है। यह इलहाम या श्रुति का आधार है, और दुनिया के अनेक धर्मों में देखे गए हैं। इस अतार्किक (प्रतिभा या प्रज्ञामूलक) आयाम (देखें भारतीय दर्शन) को हिंदुओं में ज्ञान, इसाईयों में नौसिस, बौद्धों में प्रज्ञा, तथा इस्लाम में मारिफ नाम से जानते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि पराप्राकृतिक तत्वों से संवाद की परम्परा लम्बे समय से रही है। मान्यता है कि यह संवाद, चेतना की विशेष अवस्थाओं, में संभव हैं, और चेतना की इन ऊँचाइयों में जाने की लालसा का प्रमाण तपस्या की अनेकों पद्धतियाँ हैं। पराप्राकृतिक संवाद का लोकहित में प्रसार करना देवकार्य माना गया। मनोवैज्ञानिक पिंकर सहज या अतार्किक मानसिक अनुभव को कोरा रूढ़ीवाद समझते हैं। पर ऐसे वैज्ञानिक भी हैं जिनके लिए यह मानसिक अनुभव चुनौती हैं। मन में ऐसे बदलाव का आधार संज्ञान की दो प्रणालियों, तार्किक और अतार्किक, में देखा जा सकता है। .

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पर्यटन

Cairo), मिस्र. Granada) (स्पेन) में है, यूरोप के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। Parthenon) जो एथेंस, में है ग्रीस यूरोप में एक ऐसा प्राचीन स्मारक है जिसे लोग सबसे ज्यादा देखने आते हैं। America) में दूसरा सबसे बड़ा देश है जहाँ लोग सबसे अधिक घूमने आते हैं, दुनिया में इसका १० वां स्थान है। क्रमशः ऐसे स्थान रहें है जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते हैं। वेटिकन सिटी, दुनिया के ऐसे स्थानों में से एक है जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते हैं। Niagara Falls), संयुक्त राज्य अमेरिका-कनाडा सीमा, दुनिया के ऐसे स्थानों में से एक है जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते हैं। Disneyland), टोक्यो, जापान, घूमने के लिए दुनिया के सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। Statue of Liberty), घूमने के लिए दुनिया के सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। लंदन, युरोमोनिटर के अनुसार २००६ में एक ऐसा शहर था जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते थे। पर्यटन एक ऐसी यात्रा (travel) है जो मनोरंजन (recreational) या फुरसत के क्षणों का आनंद (leisure) उठाने के उद्देश्यों से की जाती है। विश्व पर्यटन संगठन (World Tourism Organization) के अनुसार पर्यटक वे लोग हैं जो "यात्रा करके अपने सामान्य वातावरण से बाहर के स्थानों में रहने जाते हैं, यह दौरा ज्यादा से ज्यादा एक साल के लिए मनोरंजन, व्यापार, अन्य उद्देश्यों से किया जाता है, यह उस स्थान पर किसी ख़ास क्रिया से सम्बंधित नहीं होता है। पर्यटन दुनिया भर में एक आरामपूर्ण गतिविधि के रूप में लोकप्रिय हो गया है। २००७ में, ९०३ मिलियन से अधिक अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन के साथ, २००६ की तुलना में ६.६ % की वृद्धि दर्ज की गई। २००७ में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक प्राप्तियां USD ८५६ अरब थी।खंड ६ नं २ विश्व अर्थव्यवस्था में अनिश्चितताओं के बावजूद, २००८ के पहले चार महीनों में आगमन में ५ % की वृद्धि हुई, यह २००७ में समान अवधि में हुई वृद्धि के लगभग समान थी। कई देशों जैसे इजिप्ट, थाईलैंड और कई द्वीप राष्ट्रों जैसे फिजी के लिए पर्यटन बहुत महत्वपूर्ण है, क्यों कि अपने माल और सेवाओं के व्यापार से ये देश बहुत अधिक मात्रा में धन प्राप्त करते हैं और सेवा उद्योग (service industries) में रोजगार के अवसर पर्यटन से जुड़े हैं। इन सेवा उद्योगों में परिवहन (transport) सेवाएँ जैसे क्रूज पोत और टैक्सियाँ, निवास स्थान जैसे होटल और मनोरंजन स्थल और अन्य आतिथ्य उद्योग (hospitality industry) सेवाएँ जैसे रिज़ोर्ट शामिल हैं। .

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पर्यटन भूगोल

वास्को डि गामा कालीकट, भारत के तट पर 20 मई 1498। पर्यटन भूगोल या भू-पर्यटन, मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। इस शाखा में पर्यटन एवं यात्राओं से सम्बन्धित तत्वों का अध्ययन, भौगोलिक पहलुओं को ध्यान में रखकर किया जाता है। नेशनल जियोग्रेफ़िक की एक परिभाषा के अनुसार किसी स्थान और उसके निवासियों की संस्कृति, सुरुचि, परंपरा, जलवायु, पर्यावरण और विकास के स्वरूप का विस्तृत ज्ञान प्राप्त करने और उसके विकास में सहयोग करने वाले पर्यटन को "पर्यटन भूगोल" कहा जाता है। भू पर्यटन के अनेक लाभ हैं। किसी स्थल का साक्षात्कार होने के कारण तथा उससे संबंधित जानकारी अनुभव द्वारा प्राप्त होने के कारण पर्यटक और निवासी दोनों का अनेक प्रकार से विकास होता हैं। पर्यटन स्थल पर अनेक प्रकार के सामाजिक तथा व्यापारिक समूह मिलकर काम करते हैं जिससे पर्यटक और निवासी दोनों के अनुभव अधिक प्रामाणिक और महत्त्वपूर्ण बन जाते है। भू पर्यटन परस्पर एक दूसरे को सूचना, ज्ञान, संस्कार और परंपराओं के आदान-प्रदान में सहायक होता है, इससे दोनों को ही व्यापार और आर्थिक विकास के अवसर मिलते हैं, स्थानीय वस्तुओं कलाओं और उत्पाद को नए बाज़ार मिलते हैं और मानवता के विकास की दिशाएँ खुलती हैं साथ ही बच्चों और परिजनों के लिए सच्ची कहानियाँ, चित्र और फिल्में भी मिलती हैं जो पर्यटक अपनी यात्रा के दौरान बनाते हैं। पर्यटन भूगोल के विकास या क्षय में पर्यटन स्थल के राजनैतिक, सामाजिक और प्राकृतिक कारणों का बहुत महत्त्व होता है और इसके विषय में जानकारी के मानचित्र आदि कुछ उपकरणों की आवश्यकता होती है। .

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पर्सी बिश शेली

पर्सी बयसी शेली (१७९२-१८२२) अंग्रेजी स्वच्छंदतावाद कविता के महान कवि थे। उन्हें आलोचकों द्वारा अंग्रेजी कविता के सर्वेशेष्ठ गीत कवि के रूप मैं माना जाता है। उनकी कविता में तत्कालीन राजनैतिक और सामाजिक दृश्य देखे जा सकते हैं। शेली ने अपने जीवनकाल में अधिक प्रशिद्धि प्राप्त नहीं की लेकिन मृत्यु के बाद उनकी प्रशिद्धि काफी बढ़ गयी।Isadora Duncan, "My Life ", W. W. Norton & Co.,1996, pp.

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पशु चिकित्सा विज्ञान

एक गधे के घाव को साफ करने का तरीका सिखाते हुए पशु-तकनीशियन पशु-चिकित्सा-विज्ञान (Veterinary medicine) में मनुष्येतर जीवों की शरीररचना (anatomy), शरीरक्रिया (physiology), विकृतिविज्ञान (pathology), भेषज (medicine) तथा शल्यकर्म (surgery) का अध्ययन होता है। पशुपालन शब्द से साधारणतया स्वस्थ पशुओं के वैज्ञानिक ढंग से आहार, पोषण, प्रजनन, एवं प्रबंध का बोध होता है। पाश्चात्य देशों में पशुपालन एवं पशुचिकित्सा दोनों भिन्न-भिन्न माने गए हैं पर भारत में ये दोनों एक दूसरे के सूचक समझे जाते हैं। .

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पश्चिमी संस्कृति

पश्चिमी संस्कृति (जिसे कभी-कभी पश्चिमी सभ्यता या यूरोपीय सभ्यता के समान माना जाता है), यूरोपीय मूल की संस्कृतियों को सन्दर्भित करती है। यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर यूरोपीय साम्राज्यों द्वारा इसका वैश्वीकरण हुआ। दर्शन, मध्ययुगीन मतवाद एवं रहस्यवाद, ईसाई एवं धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद की एक जटिल श्रृंखला के साथ यूरोपीय संस्कृति का विकास हुआ। ज्ञानोदय, प्रकृतिवाद, स्वच्छंदतावाद (रोमेन्टिसिज्म), विज्ञान, लोकतंत्र और समाजवाद के प्रयोगों के साथ परिवर्तन एवं निर्माण के एक लंबे युग के माध्यम से तर्कसंगत विचारधारा विकसित हुई.

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पहेली

किसी व्यक्ति की बुद्धि या समझ की परीक्षा लेने वाले एक प्रकार के प्रश्न, वाक्य अथवा वर्णन को पहेली (Puzzle) कहते हैं जिसमें किसी वस्तु का लक्षण या गुण घुमा फिराकर भ्रामक रूप में प्रस्तुत किया गया हो और उसे बूझने अथवा उस विशेष वस्तु का ना बताने का प्रस्ताव किया गया हो। इसे 'बुझौवल' भी कहा जाता है। पहेली व्यक्ति के चतुरता को चुनौती देने वाले प्रश्न होते है। जिस तरह से गणित के महत्व को नकारा नहीं जा सकता, उसी तरह से पहेलियों को भी नज़रअन्दाज नहीं किया जा सकता। पहेलियां आदि काल से व्यक्तित्व का हिस्सा रहीं हैं और रहेंगी। वे न केवल मनोरंजन करती हैं पर दिमाग को चुस्त एवं तरो-ताजा भी रखती हैं। .

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पायथागॉरियन प्रमेय

पायथागॉरियन प्रमेय: दो वर्गों के क्षेत्रों का जोड़ (a और b) पैरों पर कर्ण पर वर्ग के क्षेत्र (c) बराबर होता है। गणित में, पायथागॉरियन प्रमेय (अमेरिकी अंग्रेजी) या पायथागॉरस' प्रमेय (ब्रिटिश अंग्रेजी) युक्लीडीयन ज्यामिति में एक समकोण त्रिकोण(समकोण त्रिकोण - ब्रिटिश अंग्रेजी) के तीन पार्श्वों के बीच एक रिश्ता है। इस प्रमेय को आमतौर पर एक समीकरण के रूप में लिखा जाता है: जहाँ c कर्ण की लंबाई को प्रतिनिधित्व करता है और a और b अन्य दो पार्श्वों की लंबाई को प्रतिनिधित्व करते हैं। शब्दों में:समकोण त्रिकोण के कर्ण का वर्ग अन्य दो पार्श्वों के वर्गों की राशि के बराबर है।पायथागॉरियन प्रमेय यूनानी गणितज्ञ पायथागॉरस के नाम पर रखा गया है, जिन्हें रिवाज से अपनी अपनी खोज और प्रमाण का श्रेय दिया जाता है,हेथ, ग्रंथ I,p.

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पारा

साधारण ताप पर पारा द्रव रूप में होता है। पारे का अयस्क पारा या पारद (संकेत: Hg) आवर्त सारिणी के डी-ब्लॉक का अंतिम तत्व है। इसका परमाणु क्रमांक ८० है। इसके सात स्थिर समस्थानिक ज्ञात हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ १९६, १९८, १९९, २००, २०१, २०२ और २०४ हैं। इनके अतिरिक्त तीन अस्थिर समस्थानिक, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ १९५, १९७ तथा २०५ हैं, कृत्रिम साधनों से निर्मित किए गए हैं। रासायनिक जगत् में केवल यही धातु साधारण ताप और दाब पर द्रव रूप होती है। .

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पाइथागोरस प्रमेय

'''बौधायन का प्रमेय''': समकोण त्रिभुज की दो भुजाओं की लम्बाइयों के वर्गों का योग कर्ण की लम्बाई के वर्ग के बराबर होता है। पाइथागोरस प्रमेय (या, बौधायन प्रमेय) यूक्लिडीय ज्यामिति में किसी समकोण त्रिभुज के तीनों भुजाओं के बीच एक सम्बन्ध बताने वाला प्रमेय है। इस प्रमेय को आमतौर पर एक समीकरण के रूप में निम्नलिखित तरीके से अभिव्यक्त किया जाता है- जहाँ c समकोण त्रिभुज के कर्ण की लंबाई है तथा a और b अन्य दो भुजाओं की लम्बाई है। पाइथागोरस यूनान के गणितज्ञ थे। परम्परानुसार उन्हें ही इस प्रमेय की खोज का श्रेय दिया जाता है,हेथ, ग्रंथ I,p.

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पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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पाकिस्तान का इतिहास

पाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ। इसके पहले सन् 1930 में शायर मुहम्मद इक़बाल ने भारत के उत्तर-पश्चिमी चार प्रान्तों -सिन्ध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद)- को मिलाकर एक अलग राष्ट्र का मांग की थी। 1947 अगस्त में भारत के विभाजन के फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ। उस समय पाकिस्तान में वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों सम्मिलित थे। सन् 1971 में भारत के साथ हुए युद्ध में पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा (जिसे उस समय तक पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था) बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र हो गया। आज का पाकिस्तानी भूभाग कई संस्कृतियों का गवाह रहा है। आज के पाकिस्तानी भूभाग में ईसा के 3000 साल पहले सिन्धुघाटी सभ्यता का जन्म हुआ। यह 1500 ईसापूर्व के आसपास नष्ट हो गई और 1200 ईसापूर्व के आसपास आर्यों की एक शाखा भारत आई। ईसापूर्व सन् 543 में यह फारस के हखामनी शासकों के साम्राज्य का अंग बना। सिकन्दर ने 330 ईसापूर्व के आसपास हखामनी शासक दारा तृतीय को हराकर उसके सम्पूर्ण साम्राज्य पर कब्जा कर लिया। उसके साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने बाँट लिया और इस क्षेत्र मे एक अभूतपूर्व यूनानी-बैक्टियन संस्कृति का अंग बना। इसके बाद यह मौर्य साम्राज्य का अंग बना। इसके बाद शक (सीथियनों की भारतीय शाखा) और फिर कुषाणों की शाखा यहाँ आई। सन् 712 में फारस के एक अरब सेनापति मुहम्मद-बिन-क़ासिम ने सिन्ध के नरेश को हरा दिया। इसके बाद यहाँ इस्लाम का आगमन हुआ। इस क्षेत्र पर गजनवियों का अधिकार बारहवीं सदी में हुआ और 1206 में यह दिल्ली सल्तनत का अंग बन गया। सन् 1526 में दिल्ली की सत्ता पर मुगलों का अधिकार हो गया और 1857 के बाद यहाँ अंग्रेजों का शासन आया। 14 अगस्त 1947 को यह स्वतंत्र हुआ। .

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पितृ दिवस

फादर्स डे पिताओं के सम्मान में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला पर्व हैं जिसमे पितृत्व (फादरहुड), पितृत्व-बंधन तथा समाज में पिताओं के प्रभाव को समारोह पूर्वक मनाया जाता है। अनेक देशों में इसे जून के तीसरे रविवार, तथा बाकी देशों में अन्य दिन मनाया जाता है। यह माता के सम्मान हेतु मनाये जाने वाले मदर्स डे(मातृ-दिवस) का पूरक है। .

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पिप्पली

पिप्पली (वानस्पतिक नाम: Piper longum), (पीपली, पीपरी, एवं अंग्रेज़ी: 'लॉन्ग पाइपर'), पाइपरेसी परिवार का पुष्पीय पौधा है। इसकी खेती इसके फल के लिये की जाती है। इस फल को सुखाकर मसाले, छौंक एवं औदषधीय गुणों के लिये आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता है। इसका स्वाद अपने परिवार के ही एक सदस्य काली मिर्च जैसा ही किन्तु उससे अधिक तीखा होता है। इस परिवार के अन्य सदस्यों में दक्षिणी या सफ़ेद मिर्च, गोल मिर्च एवं ग्रीन पैपर भी हैं। इनके लिये अंग्रेज़ी शब्द पैपर इनके संस्कृत एवं तमिल/मलयाली नाम पिप्पली से ही लिया गया है। विभिन्न भाषाओं में इसके नाम इस प्रकार से हैं: संस्कृत पिप्पली, हिन्दी- पीपर, पीपल, मराठी- पिपल, गुजराती- पीपर, बांग्ला- पिपुल, तेलुगू- पिप्पलु, तिप्पली, फारसी- फिलफिल। अंग्रेज़ी- लांग पीपर, लैटिन- पाइपर लांगम। पिप्पली के फल कई छोटे फलों से मिल कर बना होता है, जिनमें से हरेक एक खसखस के दाने के बराबर होता है। ये सभी मिलकर एक हेज़ल वृक्ष की तरह दिखने वाले आकार में जुड़े रहते हैं। इस फल में ऍल्कलॉयड पाइपराइन होता है, जो इसे इसका तीखापन देता है। इसकी अन्य प्रजातियाँ जावा एवं इण्डोनेशिया में पायी जाती हैं। इसमें सुगन्धित तेल (0.७%), पाइपराइन (४-५%) तथा पिपलार्टिन नामक क्षाराभ पाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त दो नए तरल क्षाराभ सिसेमिन और पिपलास्टिरॉल भी हाल ही मेंज्ञात हुए हैं। पीपर की जड़ जिसे पीपला मूल भी कहा गया है पाइपरिन (०.१५-०.१८%), पिपलार्टिन (०.१३-०.२०%), पाइपरलौंगुमिनिन, एक स्टिरॉएड तथा ग्लाइकोसाइड से युक्त होती है। .

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पिशाच

फिलिप बर्न-जोन्स द्वारा पिशाच, 1897 पिशाच कल्पित प्राणी है जो जीवित प्राणियों के जीवन-सार खाकर जीवित रहते हैं आमतौर पर उनका खून पीकर.

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पुनर्जागरण

फ्लोरेंस पुनर्जागरण का केन्द्र था पुनर्जागरण या रिनैंसा यूरोप में मध्यकाल में आये एक संस्कृतिक आन्दोलन को कहते हैं। यह आन्दोलन इटली से आरम्भ होकर पूरे यूरोप फैल गया। इस आन्दोलन का समय चौदहवीं शताब्दी से लेकर सत्रहवीं शताब्दी तक माना जाता है।.

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प्रतिरूपण

समुद्र एनेमोन, प्रतिरूपण की प्रक्रिया में अन्थोप्लयूरा एलेगंटिस्सिमा जीव-विज्ञान में प्रतिरूपण, आनुवांशिक रूप से समान प्राणियों की जनसंख्या उत्पन्न करने की प्रक्रिया है, जो प्रकृति में विभिन्न जीवों, जैसे बैक्टीरिया, कीट या पौधों द्वारा अलैंगिक रूप से प्रजनन करने पर घटित होती है। जैव-प्रौद्योगिकी में, प्रतिरूपण डीएनए खण्डों (आण्विक प्रतिरूपण), कोशिकाओं (सेल क्लोनिंग) या जीवों की प्रतिरूप निर्मित करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। यह शब्द किसी उत्पाद, जैसे डिजिटल माध्यम या सॉफ्टवेयर की अनेक प्रतियां निर्मित करने की प्रक्रिया को भी सूचित करता है। क्लोन शब्द κλών से लिया गया है, "तना, शाखा" के लिये एक ग्रीक शब्द, जो उस प्रक्रिया को सूचित करता है, जिसके द्वारा एक टहनी से कोई नया पौधा निर्मित किया जा सकता है। उद्यानिकी में बीसवीं सदी तक clon वर्तनी का प्रयोग किया जाता था; अंतिम e का प्रयोग यह बताने के लिये शुरू हुआ कि यह स्वर एक "संक्षिप्त o" नहीं, वल्कि एक "दीर्घ o" है। चूंकि इस शब्द ने लोकप्रिय शब्दकोश में एक अधिक सामान्य संदर्भ के साथ प्रवेश किया, अतः वर्तनी clone का प्रयोग विशिष्ट रूप से किया जाता है। .

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प्रशीतन

प्रशीतन करके भोजन को संरक्षित करने के लिये प्राय: बर्फ का प्रयोग किया जाता है। किसी स्थान, या पदार्थ, को उसके वातावरण के ताप के नीचे तक ठंढा करने की क्रिया को प्रशीतन (Refrigeration) कहते हैं। विगत शती में इन यांत्रिक विधियों का विस्तार बर्फ बनाने से लेकर खाद्य एवं पेय पदार्थो को शीतल रखने तथा अधिक समय तक इन्हें संरक्षित (preserve) रखने के हेतु किया गया और अब तो इनका प्रयोग बहुत बड़े व्यावसायिक पैमाने पर किया जाने लगा है। .

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प्रस्तर मूर्तिकला

पत्थर की मूर्तियाँ प्रागैतिहासिक काल से ही अनेक कारणों से बनाई जा रही हैं। पत्थर की मूर्तियाँ केवल सुंदरता का ही नहीं, बलकी और भी बहुत चीज़ों का प्रतीक है। इस बात को इस लेख में समझाया गया है। और यह भी दिखाया है कि सालों से विकास करती यह कला अत्यंत आकर्शक और महत्वपूर्ण है। पत्थर की मूर्तियाँ पत्थर को तीन आयमों में काटने से बनती हैं। इनकी आधारभूत संकलपना एक ही होने पर भी हमें लाखों तरह की रचनाएँ देखने को मिलती हैं। यह एक प्राचीन कला है जिसमें प्राकृतिक पत्थर को नियंत्रित रीति से काटा जाता हैं। कलाकार अपनी क्शमता को पथ्थर को काटने में दिखाता हैं, जैसे वह उसकी कुशलता का प्रतीक हो। सुबह शाम, दिन रात एक करके वे पत्थर को विभिन्न आकृतियों में काँट कर, उसको एक मूर्ती का रूप देता हैं। .

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प्राचीन दुनिया के सात अजूबे

विश्व के सात आश्चर्य (बायें से दायें, ऊपर से नीचे): गीज़ा के पिरामिड, बेबीलोन के झूलते बाग़, अर्टेमिस का मन्दिर, ओलम्पिया में जियस की मू्र्ति, माउसोलस का मकबरा, रोडेस कि विशालमूर्ति व ऐलेक्जेन्ड्रिया का रोशनीघर 'विश्व के सात आश्चर्य' (या प्राचीन-विश्व के सात आश्चर्य) प्राचीन उच्च वास्तुकला का नमूना हैं। यह सुची हेलेनिक (यूनानी) लोगो मे बहुत प्रसिध थी। परन्तु यह सूची सिर्फ़ भूमध्यसागर के आस-पास की इमारतों को ध्यान में रखकर बनायी गयी है। श्रेणी:इमारत श्रेणी:पर्यटन.

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प्राचीन भारत

मानव के उदय से लेकर दसवीं सदी तक के भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास कहलाता है। .

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प्राचीन भारत की आर्थिक संस्थाएं

सच होने के बावजूद यह तथ्य बहुत-से लोगों को चौंका सकता है कि प्राचीन भारत औद्योगिक विकास के मामले में शेष विश्व के बहुत से देशों से कहीं अधिक आगे था। रामायण और महाभारत काल से पहले ही भारतीय व्यापारिक संगठन न केवल दूर-देशों तक व्यापार करते थे, बल्कि वे आर्थिकरूप से इतने मजबूत एवं सामाजिक रूप से इतने सक्षम संगठित और शक्तिशाली थे कि उनकी उपेक्षा कर पाना तत्कालीन राज्याध्यक्षों के लिए भी असंभव था। रामायण के एक उल्लेख के अनुसार राम जब चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटते हैं तो उनके स्वागत के लिए आए प्रजाजनों में श्रेणि प्रमुख भी होते हैं। प्राचीन ग्रंथों में इस तथ्य का भी अनेक स्थानों उल्लेख हुआ है कि उन दिनों व्यक्तिगत स्वामित्व वाली निजी और पारिवारिक व्यवसायों के अतिरिक्त तत्कालीन भारत में कई प्रकार के औद्योगिक एवं व्यावसायिक संगठन चालू अवस्था में थे, जिनका व्यापार दूरदराज के अनेक देशों तक विस्तृत था। उनके काफिले समुद्री एवं मैदानी रास्तों से होकर अरब और यूनान के अनेक देशों से निरंतर संपर्क बनाए रहते थे। उनके पास अपने अपने कानून होते थे। संकट से निपटने के लिए उन्हें अपनी सेनाएं रखने का भी अधिकार था। सम्राट के दरबार में उनका सम्मान था। महत्त्वपूर्ण अवसरों पर सम्राट श्रेणि-प्रमुख से परामर्श लिया करता था। उन संगठनों को उनके व्यापार-क्षेत्र एवं कार्यशैली के आधार पर अनेक नामों से पुकारा जाता था। गण, पूग, पाणि, व्रात्य, संघ, निगम अथवा नैगम, श्रेणि जैसे कई नाम थे, जिनमें श्रेणि सर्वाधिक प्रचलित संज्ञा थी। ये सभी परस्पर सहयोगाधारित संगठन थे, जिन्हें उनकी कार्यशैली एवं व्यापार के आधार पर अलग-अलग नामों से पुकारा जाता था। भारतीय धर्मशास्त्रों में प्राचीन समाज की आर्थिकी का भी विश्लेषण किया गया है। उनमें उल्लिखित है कि हाथ से काम करने वाले शिल्पकार, व्यवसाय चलाने वाली जातियां व्यवस्थित थीं। सामूहिक हितों के लिए संगठित व्यापार को अपनाकर उन्होंने अपनी सूझबूझ का परिचय दिया था। इसी कारण वे आर्थिक एवं सामाजिक रूप से काफी समृद्ध भी थीं। आचार्य पांडुरंग वामन काणे ने उस समय के विभिन्न व्यावसायिक संगठनों की विशेषताओं का अलग-अलग वर्णन किया है। कात्यायन ने श्रेणि, पूग, गण, व्रात, निगम तथा संघ आदि को वर्ग अथवा समूह माना है। 1 लेकिन आचार्य काणे उनकी इस व्याख्या से सहमत नहीं थे। उनके अनुसार ये सभी शब्द पुराने हैं। यहां तक कि वैदिक साहित्य में भी ये प्रयुक्त हुए हैं। यद्यपि वहां उनका सामान्य अर्थ दल अथवा वर्ग ही है। 2 इसी प्रकार कौषीतकिब्राह्मण उपनिषद् में पूग को रुद्र की उपमा दी गई है। 3 आपस्तंब धर्मसूत्र में संघ को पारिभाषित करते हुए उसकी कार्यविधि और भविष्य को देखने हुए, अन्य संगठनों के संदर्भ में उसके अंतर को समझा जा सकता है। 4 पाणिनिकाल तक संघ, व्रात, गण, पूग, निगम आदि नामों के विशिष्ट अर्थ ध्वनित होने लगे थे। उन्होंने श्रेणि के पर्यायवाची अथवा विभिन्न रूप माने जाने वाले उपर्युक्त नामों की व्युत्पत्ति आदि की विस्तृत चर्चा की है। इस तथ्य का उल्लेख हम पहले ही कर चुके हैं कि श्रेणियों की पहुंच केवल आर्थिक कार्यकलापों तक ही सीमित नहीं थीं, बल्कि उनकी व्याप्ति धार्मिक, राजनीति और सामाजिक सभी क्षेत्रों में थी। इसलिए कार्यक्षेत्र को देखते हुए उन्हें विभिन्न संबोधनों से पुकारा जाना भी स्वाभाविक ही था। दूसरी ओर यह भी सच है कि पूग, व्रात्य, निगम, श्रेणि इत्यादि विभिन्न नामों से पुकारे जाने के बावजूद सहयोगाधारित संगठनों के बीच उनके कार्यकलापों अथवा श्रेणिधर्म के आधार पर कोई स्पष्ट सीमारेखा नहीं थी। दूसरे शब्दों में ये नाम विशिष्ट परिस्थितियों में कार्यशैली एवं कार्यक्षेत्र के अनुसार अपनाए तो जाते थे, परंतु उनके बीच स्पष्ट कार्य-विभाजन का अभाव था। संगठन के विभिन्न नामों के कारण उनके बीच अनौपचारिक-से भेद एवं उनसे ध्वनित होने प्रचलित अर्थ को आगे के अनुच्छेदों में स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है- .

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प्राचीन मिस्र

गीज़ा के पिरामिड, प्राचीन मिस्र की सभ्यता के सबसे ज़्यादा पहचाने जाने वाले प्रतीकों में से एक हैं। प्राचीन मिस्र का मानचित्र, प्रमुख शहरों और राजवंशीय अवधि के स्थलों को दर्शाता हुआ। (करीब 3150 ईसा पूर्व से 30 ई.पू.) प्राचीन मिस्र, नील नदी के निचले हिस्से के किनारे केन्द्रित पूर्व उत्तरी अफ्रीका की एक प्राचीन सभ्यता थी, जो अब आधुनिक देश मिस्र है। यह सभ्यता 3150 ई.पू.

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प्राचीन यूनान

एथेंस के ऐक्रोपोलिस स्थल में स्थित पारथ़ेनोन, जो अथ़ीना नामक देवी का मंदिर है प्राचीन यूनानी सभ्यता उस संस्कृति को कहते हैं जो यूनान और उसके नज़दीकी क्षेत्रों में लगभग आठवी शताब्दी ईसा-पूर्व से लगभग छठी शताब्दी इसाई तक (यानि क़रीब 1,300 वर्षों तक) विस्तृत थी। आधुनिक पश्चिमी संस्कृतियों की सब से गहरी जड़ इसी सभ्यता को माना जाता है, इसलिए पश्चिमी इतिहासकारों के लिए यूनानी सभ्यता हमेशा बहुत महत्वपूर्ण रही है। माना जाता है के इस सभ्यता के बाद आने वाले रोमन साम्राज्य पर प्राचीन यूनान का गहरा असर था और उस साम्राज्य और संस्कृति के कई पहलुओं में यूनानी संस्कृति की छाप देखी जा सकती है। .

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प्राचीन यूनानी भाषा

प्राचीन यूनानी भाषा (अथवा प्राचीन ग्रीक, अंग्रेज़ी: Ancient Greek, यूनानी: हेल्लेनिकी) प्राचीन काल के यूनान देश और उसके आस-पास के क्षेत्रों की मुख्य भाषा थी। इसे संस्कृत की बहिन भाषा माना जा सकता है। ये हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की यूनानी शाखा में आती है। इसे एक शास्त्रीय भाषा माना जाता है, जिसमें काफ़ी ज़्यादा और उच्च कोटि का साहित्य रचा गया था, जिसमें सबसे ख़ास होमर के दो महाकाव्य इलियाड और ओडेस्सी हैं। इसके व्याकरण, शब्दावली, ध्वनि-तन्त्र और संगीतमय बोली इसे संस्कृत के काफ़ी करीब रख देते हैं। इसकी बोलचाल की बोली कोइने में ही बाइबल का लगभग सारा नया नियम लिखा गया था। .

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प्राधान्य

जब किसी समूह का अन्य समूहों के उपर राजनीतिक, आर्थिक, वैचारिक या सामाजिक दबदबा मौजूद हो तो इसे प्राधान्य या वर्चस्व (Hegemony) कहते हैं। 'हेजीमोनी' शब्द का मूल अर्थ ग्रीस के कुछ नगर-राष्ट्रों का दूसरे पड़ोसी नगरों पर राजनीतिक दबदबा था। किन्तु अब इसका अनेकानेक सन्दर्भों में प्रयोग किया जाने लगा है। अन्तोनियो ग्राम्शी जैसे कुछ मार्क्सवादी सिद्धान्तकारों ने सांस्कृतिक बर्चस्व की बात की है। .

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प्रिज़न ब्रेक

प्रिज़न ब्रेक पॉल शिउरिंग के द्वारा सृजित एक नाटकीय टेलीविजन सीरिज़ है जो फॉक्स ब्रॉडकास्टिंग कंपनी पर 29 अगस्त 2005 को प्रदर्शित हुआ। यह सीरिज़ दो भाईयों के इर्द-गिर्द घूमती है जिसमें से एक भाई को निरपराधी होने पर भी सजा-ए-मौत मिलती है एवं दूसरा भाई अपने भाई को जेल से भागने में मदद करने के लिए विस्तृत योजना बनाता है। यह सीरिज़ ऑरिजिनल टेलीविजन और 20-एथ सेंचुरी फॉक्स टेलीविजन के सहयोग से एडेलस्टीन-पेरुज़ प्रोडक्शन द्वारा निर्मित किया गया है। इसके वर्तमान प्रबंधक प्रस्तुतकर्ता क्रमश: मुख्य लेखक शिउरिंग, सह-लेखक मैट ओल्म्सटिड, केविन हूक्स, मार्टी एडेलस्टीन, डॉन पाराउज, नील.एच.मोर्टिज़ एवं ब्रेट रैटनर हैं। इस सीरिज़ के थीम म्यूजिक के संगीतकार रामीन जावडी है जिनका नामांकन 2006 में प्राइमटाइम एम्मी एवार्ड के लिए हुआ था। मूलरूप से यह सीरिज़ फॉक्स द्वारा 2003 में धीमी कर दी गयी जिसे दीर्घ काल तक चलने वाले सीरिज़ के रूप में चलाने को सोचा गया। प्राइम टाइम टेलीविजन का धारावाहिक लोस्ट और 24 की सीरिज़ की प्रसिद्धि को देखते हुए फॉक्स ने 2004 में इसके निर्माण को समर्थन देने का निश्चय किया। पहले सीज़न को सामान्य रूप से अनुकूल समीक्षा मिली तथा रेटिंग की दृष्टि से भी इसने अच्छा प्रदर्शन किया। प्रथम सीज़न को मूलरूप से 13 प्रसंगों तक चलाने की योजना बनायी गयी, लेकिन इसकी प्रसिद्धि के कारण इसके नौ अतिरिक्त प्रसंगों को शामिल कर बढ़ाया गया। प्रिज़न ब्रेक का नामांकन विभिन्न इंडसट्री अवार्डों के लिए हुआ था और 2006 में इसने पसंदीदा नया टीवी ड्रामा के लिए पीपुल्स च्वायस अवार्ड जीता.

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प्रेयोक्ति

एक प्रेयोक्ति का अर्थ होता है, सुननेवाले को रुष्ट करने वाली या कोई अप्रिय अर्थ देने वाली अभिव्यक्ति को एक रुचिकर या कम अपमानजनक अभिव्यक्ति के साथ प्रतिस्थापित करना, या कहने वाले के लिए उसे कम कष्टकर बनाना, जैसा की द्विअर्थी के मामले में होता है। प्रेयोक्ति का परिनियोजन राजनीतिक विशुद्धता के सार्वजनिक उपयोग में केंद्रीय पहलू है। यह किसी वस्तु या किसी व्यक्ति के वर्णन को भी प्रतिस्थापित कर सकता है ताकि गोपनीय, पवित्र, या धार्मिक नामों को अयोग्य के समक्ष ज़ाहिर करने से बचा जा सके, या किसी वार्ता के विषय की पहचान को किसी संभावित प्रच्छ्न्न श्रोता से गुप्त रखा जा सके.

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प्लूटार्क

प्लूटार्क (मूल नाम - प्लूटार्कोस; यूनानी - Πλούταρχος) यूनान का इतिहासकार, जीवनी लेखक एवं निबन्धकार था। उसकी 'पैरेलेल लाइव्स' (Parallel Lives) और 'मोरालिया' (Moralia) नामक कृतियाँ प्रसिद्ध हैं। उसका काल ४६ ईसवी से १२० ईसवी के मध्य रहा। वह डेल्फी के लगभग बीस मील पूर्व में एक प्रभावशाली परिवार में जन्मा था। .

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प्लेटो

प्लेटो (४२८/४२७ ईसापूर्व - ३४८/३४७ ईसापूर्व), या अफ़्लातून, यूनान का प्रसिद्ध दार्शनिक था। वह सुकरात (Socrates) का शिष्य तथा अरस्तू (Aristotle) का गुरू था। इन तीन दार्शनिकों की त्रयी ने ही पश्चिमी संस्कृति की दार्शनिक आधार तैयार किया। यूरोप में ध्वनियों के वर्गीकरण का श्रेय प्लेटो को ही है। .

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प्लेटो का अनुकरण सिद्धांत

ग्रीक दार्शनिक एवं विचारक प्लेटो ने अपनी पुस्तक रिपब्लिक में काव्य को मूल प्रत्यय के अनुकरण का अनुकरण कहा है। जैसे बढ़ई महान शिल्पी ईश्वर के द्वारा निर्मित मूल बिंब का अनुकरण करके पलंग बनाता है। चित्रकार इस पलंग का अनुकरण कर चित्र बनाता है। साहित्यकार भी उसी बढ़ई द्वारा बनाए गए अनुकरण को अपनी रचनाओं का विषय बनाता है। इस तरह कला और काव्य सत्य से तिहरी दूरी पर होते हैं। इसलिये उन्होंने कला और काव्य को महत्वपूर्ण नहीं माना है। श्रेणी:पाश्चात्य काव्यशास्त्र.

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पूर्वी समस्या

राजनय के इतिहास में पूर्वी समस्या या प्राच्य समस्या (Eastern Question) से आशय उस्मानी साम्राज्य के कमजोर होने पर यूरोप की महाशक्तियों के बीच उपजे रणनीतिक स्पर्धा एवं राजनैतिक स्थिति से है। १८वीं शताब्दी के अन्त से लेकर २०वीं शताब्दी के अन्त तक उस्मानी साम्राज्य राजनैतिक एवं आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा था। इसे 'यूरोप का रोगी' (sick man of Europe) कहते थे। 'पूर्वी समस्या' के अन्तर्गत एक-दूसरे से जुड़ी अनेकों समस्याएँ थीं, जैसे उस्मानी साम्राज्य की सैनिक पराजय, संस्थानों का दिवाला, उस्मानी साम्राज्य के राजनैतिक एवं आर्थिक आधुनीकरण का अभाव, प्रान्तों में सामाजिक-धार्मिक राष्ट्रीयता का उदय, तथा महाशक्तियों की आपसी प्रतिद्वन्द्विता। पूर्वी समस्या यूरोप के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित तुर्की साम्राज्य की ईसाई जनता की आजादी की समस्या थी। वस्तुतः पतनोन्मुख तुर्की साम्राज्य ने यूरोप के इतिहास में 19वीं शताब्दी में जिस समस्या को जन्म दिया उसे पूर्वी समस्या कहते हैं। यह बहुत ही जटिल, उलझी हुई तथा विभिन्न देशों के परस्पर विरोधी हितों से सम्बन्धित थी। इस समस्या ने प्रथम युद्ध की पृष्ठभूमि का कार्य किया। इतिहासकार सी.डी.

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पेलोपोनेशियन युद्ध

प्राचीन यूनान का एक प्रसिद्ध युद्ध जिसमे स्पार्टा तथा एथेंस के मध्य प्रभुत्व हेतु युद्ध हुआ था श्रेणी:विश्व के युद्ध.

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पेलोपोनीज़

पेलोपोनीज़ का नक़्शा पेलोपोनीज़ में मानी प्रायद्वीप का दृश्य पेलोपोनीज़ (यूनानी: Πελοπόννησος, पेलोपोन्निसोस; अंग्रेज़ी: The Peloponnese, द पॅलोपोनीज़) यूनान के दक्षिणी भाग में स्थित एक बड़ा प्रायद्वीप (पॅनिन्सुला) है। इसके और यूनान के मुख्य भाग के बीच में कौरिन्थ की खाड़ी आती है। उस्मानी साम्राज्य के काल में, जब यूनान पर तुर्की-केन्द्रित उस्मानियों का राज था, वे इस प्रायद्वीप को मोरेआ (Μωρέας) कहा करते थे और यह नाम अभी भी अनुपचारित रूप से इस्तेमाल होता है। सन् १८९३ में कौरिन्थ नहर खोदी गई जिस से वास्तव में यह एक द्वीप बन गया लेकिन आम तौर पर इसे अब भी प्रायद्वीप ही बुलाया जाता है। .

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पोप

बेनेडिक्ट सोलहवें - २६५वें तथा वर्तमान पोप रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्म गुरु, रोम के बिशप एवं वैटिकन के राज्याध्यक्ष को पोप कहते हैं। 'पोप' का शाब्दिक अर्थ 'पिता' होता है। यह लैटिन के "पापा" (papa) से व्युत्पन्न हा है जो स्वयं ग्रीक के पापास् (πάπας, pápas) से व्युत्पन्न है। इस समय (फरवरी, २००९) बेनेडिक्ट सोलहवें (Benedict XVI) इस पद पर आसीन हैं जिन्हें १९ अप्रैल २००५ को चुना गया था। वे २६५वें पोप हैं। रोमन काथलिक चर्च के परमाधिकारी को संत पापा (पिता) 'होली फादर' अथवा पोप कहते हैं। ईसा से अपने महाशिरूय संत पीटर को अपने चर्च का आधार तथा प्रधान 'चरवाहा' नियुक्त किया था और उनको यह भी सुस्पष्ट आश्वासन दिया था कि उनपर आधारित चर्च शताब्दियों तक बना रहेगा। अत: ईसा के विधान से संत पीटर का देहांत रोम में हुआ था, इसलिये प्रारंभ ही से संत पीटर के उत्तराधिकारी होने के कारण रोम के बिशप समूचे चर्च के अध्यक्ष तथा पृथ्वी पर ईसा के प्रतिनिधि माने गए थे। इतिहास इसका साक्षी है कि रोम के बिशप के अतिरिक्त किसी ने कभी संत पीटर का उत्तराधिकारी होने का दावा नहीं किया। किंतु प्राच्य चर्च के अलग होते जाने से तथा प्रोटेस्टैंट धर्म के उद्भव से पोप के अधिकारी के विषय में शताब्दियों तक वाद विवाद होता रहा, अंततोगत्वा वैटिकन की प्रथम अधिकार रखते हैं। वे ईसा की शिक्षा के सर्वोच्च व्याख्याता हैं और चर्च के परमाधिकारी की हैसियत से धर्मशिक्षा की व्याख्या करते समय भ्रमातीत अर्थात्‌ अचूक हैं। पोप वैटिकन राज्य के अध्यक्ष हैं तथा उनके देहांत पर कार्डिनल उनके उत्तराधिकारी को चुनते हैं .

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फलित ज्योतिष

फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का भी बोध होता है, तथापि साधारण लोग ज्योतिष विद्या से फलित विद्या का अर्थ ही लेते हैं। ग्रहों तथा तारों के रंग भिन्न-भिन्न प्रकार के दिखलाई पड़ते हैं, अतएव उनसे निकलनेवाली किरणों के भी भिन्न भिन्न प्रभाव हैं। इन्हीं किरणों के प्रभाव का भारत, बैबीलोनिया, खल्डिया, यूनान, मिस्र तथा चीन आदि देशों के विद्वानों ने प्राचीन काल से अध्ययन करके ग्रहों तथा तारों का स्वभाव ज्ञात किया। पृथ्वी सौर मंडल का एक ग्रह है। अतएव इसपर तथा इसके निवासियों पर मुख्यतया सूर्य तथा सौर मंडल के ग्रहों और चंद्रमा का ही विशेष प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी विशेष कक्षा में चलती है जिसे क्रांतिवृत्त कहते हैं। पृथ्वी फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का निवासियों को सूर्य इसी में चलता दिखलाई पड़ता है। इस कक्षा के इर्द गिर्द कुछ तारामंडल हैं, जिन्हें राशियाँ कहते हैं। इनकी संख्या है। मेष राशि का प्रारंभ विषुवत् तथा क्रांतिवृत्त के संपातबिंदु से होता है। अयन की गति के कारण यह बिंदु स्थिर नहीं है। पाश्चात्य ज्योतिष में विषुवत् तथा क्रातिवृत्त के वर्तमान संपात को आरंभबिंदु मानकर, 30-30 अंश की 12 राशियों की कल्पना की जाती है। भारतीय ज्योतिष में सूर्यसिद्धांत आदि ग्रंथों से आनेवाले संपात बिंदु ही मेष आदि की गणना की जाती है। इस प्रकार पाश्चात्य गणनाप्रणाली तथा भारतीय गणनाप्रणाली में लगभग 23 अंशों का अंतर पड़ जाता है। भारतीय प्रणाली निरयण प्रणाली है। फलित के विद्वानों का मत है कि इससे फलित में अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि इस विद्या के लिये विभिन्न देशों के विद्वानों ने ग्रहों तथा तारों के प्रभावों का अध्ययन अपनी अपनी गणनाप्रणाली से किया है। भारत में 12 राशियों के 27 विभाग किए गए हैं, जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। ये हैं अश्विनी, भरणी आदि। फल के विचार के लिये चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है। .

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फातमागुल

क्या क़ुसूर है फातमागुल का?(तुर्की भाषा:Fatmagül'ün Suçu ne?) तुर्की की एक अति लोकप्रिय टेलिविज़न शृंखला थी जिसका प्रसारण 16 सितंबर 2010 से 21 जून 2012 के बीच हुआ था। इस शृंखला में दिखाया गया है की कैसे एक बलात्कार पीड़िता विपरीत परिस्तिथियों से लड़कर एक शक्तिशाली लड़की में बदल जाती है और और उसकी नफरत कैसे प्यार में बदल जाती है। कार्यक्रम की लोकप्रियता को देखते हुए इस कार्यक्रम का प्रसारण भारत समेत 24 देशों में उनकी मातृभाषा में किया जा चुका है तथा प्राय हर देश में इसे अपार सफलता प्राप्त हुई है। भारत में इसे ज़िंदगी (टीवी चैनल) पर प्रसारित किया गया था। .

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फास्फोरस

‎भास्वर (फ़ॉस्फ़ोरस) एक रासायनिक तत्व है जिसका संकेत या P है तथा परमाणु संख्या 15। यह शब्द ग्रीक (यूनानी) भाषा के फॉस (प्रकाश) तथा फोरस (धारक) से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ हुआ प्रकाश का धारक। ये फॉस्फेट चट्टानों में पाया जाता है। इसकी संयोजकता 1, 3 और 5 होती है। तत्वों की आवर्त सारणी में ये भूयाति के समूह में आता है। ‎फ़ॉस्फ़ोरस एक अभिक्रियाशील तत्व है इसकारण ये मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। कुछ खनिजों में धातुओं के फॉस्फेट मिलते हैं। पशुओं की हड्डियों में 56% कैल्शियम फॉस्फेट पाया जाता है। जन्तुओं तथा पौधों के लिए यह एक अनिवार्य तत्व है। इसका अस्तित्व कई जैव अवयवों में मिलता है। .

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फ्रेडरिक प्रथम (पवित्र रोमन सम्राट्)

फ्रेडरिक प्रथम (११२३-११९०) जर्मनी का पवित्र रोमन सम्राट् था। वह सुआबिया के ड्यूक फ्रेडरिक का पुत्र था। .

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फूल (मिश्रधातु)

प्यूटर की प्लेट फूल वंग (टिन्) और सीस (लेड) की मिश्रधातु है, पर इसमें कभी-कभी ताँबा या पीतल भी मिला रहता है। यह धातु उजली औ स्वच्छ चाँदी के रंग की हीती है और इसमें रखने से दही या और खट्टी चाजें नहीं बिगड़ती। भारत, चीन, मिस्र और यूनान आदि देशों को 'फूल' और कस्कुट आदि धातुओं ज्ञान बहुत प्राचीन काल से है और प्राचीन खंडहरों की खुदाई में इनके पात्र, हथियार और मूर्तियाँ पाई गई हैं। पाश्चात्य देशों में फूल से मिलती जुलती मिश्रधातु को प्यूटर (Pewter) कहते हैं। एक समय फूल के पात्रों का उपयोग प्रतिष्ठासूचक समझा जाता था और इनका निर्माण अनेक देशों और नगरों में होता था। भारत में फूल का अस्तित्व पीतल से पुराना है। यहाँ इसका उत्पादन व्यापक रूप से होता था, पर आज स्टेनलेस स्टील के बनने के कारण इसका उत्पादन बहुत कम हो गया है और दिन प्रतिदिन कम हो रहा है। गाँवों में भी फूल के बरतनों का विशेष प्रचलन है और भारत के अनेक राज्यों, जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और बंगाल में इसका उत्पादन होता है। .

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फीदो

फीदो (ग्रीक: Φαίδων ὁ Ἠλεῖος, जीवनकाल- चौथी शताब्दी ईसापूर्व) यूनान का दार्शनिक तथा प्राचीन यूनानी दर्शन के इतिहास में सुकरातवादियों के 'ईलियायी संप्रदाय' का संस्थापक था। वह पाँचवीं शती ई.पू.

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फीनिक्स सोलर AG

फीनिक्स सोलर AG एक जर्मन फोटोवोल्टिक कंपनी है। वे उन कंपनियो में से हैं जो सिस्टम एकीकरण प्रणाली व्यापार में शामिल है। विशेष रूप से कहे तो ये कंपनी विशाल फोटोवोल्टिक ऊर्जा संयंत्रों के डिजाइन बनाता है, उनका निर्माण करता हैं और संचालन करने में मदद करता हैं। वे केवल इतना ही नहीं पर फोटोवोल्टिक सिस्टम्स और सौर मॉड्यूल के विशेषज्ञ भी हैं और साथ साथ इनसे संबंधित उपकरणों के थोक व्यापारी है। .

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बचना ऐ हसीनो

बचना ऐ हसीनों (Beware, ye beauties, बचना ऐ हसीनो, 15 अगस्त 2008 को जारी एक बॉलीवुड फ़िल्म है। इसके कलाकार हैं रणबीर कपूर, बिपाशा बसु, मिनीषा लांबा और दीपिका पादुकोण. इस फ़िल्म को निर्देशित किया था सिद्धार्थ आनंद ने, जिनकी पिछली फ़िल्मों में शामिल हैं सलाम नमस्ते (2005) और ता रा रम पम (2007). .

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बटिस्टा

डेविड माइकल बाॅटिस्टा जूनियर एक पूर्व अमेरिकी पेशेवर पहलवान व मिश्रित मार्शल आर्टिस्ट है जो डब्ल्यूडब्ल्यूई में अपने अखाडे के नाम बटिस्टा से जाने जाते है। वे छ: बार के विश्व हेवीवेट चैम्पियनशिप है, उन्होने चार बार वर्ल्ड हेवीवेट चैंपियनशिप और दो बार डब्ल्यूडब्ल्यूई चैंपियनशिप जीती है। डब्ल्यूडब्ल्यूई के इतिहास मे वह सबसे लंबे समय तक वर्ल्ड हेवीवेट चैंपियनशिप के धारक रहे। वे तीन बार वर्ल्ड टैग टीम चैंपियनशिप और दो बार डब्ल्यूडब्ल्यूई टैग टीम चैंपियनशिपभी रह चुके है। वे दो बार (2005, 2014) रॉयल रम्बल भी जीत चुके है। .

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बरबत

बरबत (Barbat) या ऊद (Oud) एक नाशपाती के आकार वाले तंतुवाद्य (तारों वाले संगीत वाद्य) को कहते हैं जो अरबी, इब्रानी (यहूदी), यूनानी, तुर्की, उत्तर अफ़्रीकी और उनके आसपास के अन्य क्षेत्रों के संगीत में प्रयोग होता है। इसमें परदे (फ़्रेट) नहीं होते और इसका तना बहुत पतला व छोटा होता है। कुछ संगीतकार इसे आधुनिक गिटार का पूर्वज यंत्र मानते हैं।, Celestino Deleyto, Maria del Mar Azcona, pp.

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बर्लिन कांग्रेस

बर्लिन कांग्रेस बर्लिन कांग्रेस (13 जून – 13 जुलाई 1878) बर्लिन में सम्पन्न एक सम्मेलन था जिसमें उस समय की महाशक्तियाँ (रूस, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, आस्ट्रिया-हंगरी, इटली तथा जर्मनी), चार बाल्कन राज्य (ग्रीस, सर्बिया, रोमानिया, मान्टीनिग्रो) और उस्मानी साम्राज्य ने भाग लिया था। इसका उद्देश्य १८७७-७८ के रूस-तुर्की युद्ध के बाद बाल्कन प्रायद्वीप के राज्यों की सीमायें तय करना था। इस सम्मेलन के परिणामस्वरूप बर्लिन की संधि पर हस्ताक्षर हुए जिसने रूस और उस्मानी साम्राज्य में मात्र तीन माह पूर्व सम्पन्न सान स्टिफानों की संधि का स्थान ग्रहण किया। .

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बाल्कन

दक्षिण-पूर्वी यूरोप का बाल्कन प्रायद्वीप बाल्कन या बाल्कन प्रायद्वीप दक्षिण-पूर्वी यूरोप का एक क्षेत्र है जो भौगोलिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से अपना अलग पहचान बना चुका है। इसका कुल क्षेत्रफल 5,50,000 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या लगभग साढ़े 5 करोड़ है। इसे बाल्कन प्रायद्वीप भी कहा जाता है जिसका कारण इसकी भौगोलिक स्थिति है। दक्षिणी यूरोप का यह सबसे पूर्वी प्रायद्वीप है। यह तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है - इसके पूर्व में काला सागर, ईजियन सागर, मरमरा सागर, दक्षिण में भूमध्यसागर, पश्चिम में इयोनियन सागर तथा एड्रियाटिक सागर हैं तथा उत्तर में सावा, कूपा और डैन्यूब नदियाँ बहती हैं। इस प्रकार संपूर्ण अल्बानिया, यूनान, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया और रोमानिया के कुछ भाग को बॉल्कन प्रायद्वीप कहा जाता है। इन छह देशों को 'बॉल्कन स्टेट' भी कहा जाता है। यह पहाड़ी क्षेत्र है तथा इसकी मुख्य पर्वतमालाएँ डिनैरिक ऐल्प्स, बॉल्कन पर्वत तथा रोड़ोषे पर्वत हैं। यहाँ की मुख्य नदियाँ मोरावा, वारदार, स्ट्रूमा (struma), मेस्ता तथा मैरित्सा हैं। जलवायु महाद्वीपीय है परंतु एड्रिऐटिक, इयोनियन तथा इजिऐन समुद्रों के तट पर रूमसागरीय जलवायु पाई जाती है, यह संपूर्ण क्षेत्र कृषिप्रधान है। इसके अलावा यहाँ पर लोहा, कोयला, मैंगनीज, ताँबा, जस्ता तथा सीस आदि के कीमती खनिज भी पाए जाते हैं। यहाँ पर अनेक मानव जातियाँ बसी हुई हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से यह कई बड़े संघर्षों तथा आन्दोलनों का केन्द्र रहा है। .

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बाल्कन युद्ध

बाल्कन का आधुनिक इतिहास (सन १८०० के बाद) बाल्कन लीग का प्रचारात्मक पोस्टर बाल्कन युद्ध, सन् १९१२ - १९१३ में हुए थे। ये युद्ध प्रथम विश्वयुद्ध के महत्वपूर्ण कारणों में से माने जाते है। .

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बास्केटबॉल

बास्केटबॉल एक टीम खेल है, जिसमें 5 सक्रिय खिलाड़ी वाली दो टीमें होती हैं, जो एक दूसरे के खिलाफ़ एक 10 फुट (3,048 मीटर) ऊंचे घेरे (गोल) में, संगठित नियमों के तहत एक गेंद डाल कर अंक अर्जित करने की कोशिश करती हैं। बास्केटबॉल, विश्व के सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से देखे जाने वाले खेलों में से एक है। ---------------------------------- गेंद को ऊपर से टोकरी के आर-पार फेंक कर (शूटिंग) अंक बनाए जाते हैं; खेल के अंत में अधिक अंकों वाली टीम जीत जाती है। गेंद को कोर्ट में उछालते हुए (ड्रिब्लिंग) या साथियों के बीच आदान-प्रदान करके आगे बढ़ाया जाता है। बाधित शारीरिक संपर्क (फाउल) को दंडित किया जाता है और गेंद को कैसे संभाला जाए इस पर पाबंदियां हैं (उल्लंघन).

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बाइबिल

बाइबिल (अथवा बाइबल, Bible, अर्थात "किताब") ईसाई धर्म(मसीही धर्म) की आधारशिला है और ईसाइयों (मसीहियों) का पवित्रतम धर्मग्रन्थ है। इसके दो भाग हैं: पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामैंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल का पूर्वार्ध अर्थात् पूर्वविधान यहूदियों का भी धर्मग्रंथ है। बाइबिल ईश्वरप्रेरित (इंस्पायर्ड) है किंतु उसे अपौरुषेय नहीं कहा जा सकता। ईश्वर ने बाइबिल के विभिन्न लेखकों को इस प्रकार प्रेरित किया है कि वे ईश्वरकृत होते हुए भी उनकी अपनी रचनाएँ भी कही जा सकती हैं। ईश्वर ने बोलकर उनसे बाइबिल नहीं लिखवाई। वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। अत: बाइबिल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है। मानव जाति तथा यहूदियों के लिए ईश्वर ने जो कुछ किया और इसके प्रति मनुष्य की जो प्रतिक्रिया हुई उसका इतिहास और विवरण ही बाइबिल का वण्र्य विषय है। बाइबिल गूढ़ दार्शनिक सत्यों का संकलन नहीं है बल्कि इसमें दिखलाया गया है कि ईश्वर ने मानव जाति की मुक्ति का क्या प्रबंध किया है। वास्तव में बाइबिल ईश्वरीय मुक्तिविधान के कार्यान्वयन का इतिहास है जो ओल्ड टेस्टामेंट में प्रारंभ होकर ईसा के द्वारा न्यू टेस्टामेंट में संपादित हुआ है। अत: बाइबिल के दोनों भागों में घनिष्ठ संबंध है। ओल्ड टेस्टामेंट की घटनाओं द्वारा ईसा के जीवन की घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार की गई है। न्यू टेस्टामेंट में दिखलाया गया है कि मुक्तिविधान किस प्रकार ईसा के व्यक्तित्व, चमत्कारों, शिक्षा, मरण तथा पुनरुत्थान द्वारा संपन्न हुआ है; किस प्रकार ईसा ने चर्च की स्थापना की और इस चर्च ने अपने प्रारंभिक विकास में ईसा के जीवन की घटनाओं को किस दृष्टि से देखा है कि उनमें से क्या निष्कर्ष निकाला है। बाइबिल में प्रसंगवश लौकिक ज्ञान विज्ञान संबंधी बातें भी आ गई हैं; उनपर तात्कालिक धारणाओं की पूरी छाप है क्योंकि बाइबिल उनके विषय में शायद ही कोई निर्देश देना चाहती है। मानव जाति के इतिहास की ईश्वरीय व्याख्या प्रस्तुत करना और धर्म एवं मुक्ति को समझना, यही बाइबिल का प्रधान उद्देश्य है, बाइबिल की तत्संबंधी शिक्षा में कोई भ्रांति नहीं हो सकती। उसमें अनेक स्थलों पर मनुष्यों के पापाचरण का भी वर्णन मिलता है। ऐसा आचरण अनुकरणीय आदर्श के रूप में नहीं प्रस्तुत हुआ है किंतु उसके द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य कितने कलुषित हैं और उनको ईश्वर की मुक्ति की कितनी आवश्यकता है। .

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बाइज़ेंटाइन साम्राज्य

समय के साथ बाईज़न्टाइन साम्राज्य के क्षेत्र में परिवर्तन बाईज़न्टाइन साम्राज्य (या 'पूर्वी रोमन साम्राज्य') मध्य युग के दौरान रोमन साम्राज्य को दिया गया नाम था। इसकी राजधानी क़ुस्तुंतुनिया (कॉन्स्टैन्टिनोप्ल) थी, जोकि वर्तमान में तुर्की में स्थित है, और अब इसे इस्तांबुल के नाम से जाना जाता है। पश्चिमी रोमन साम्राज्य के विपरीत, इसके लोग यूनानी बोलते थे, नाकि लैटिन और यूनानी संस्कृति और पहचान का प्रभुत्व था। यह साम्राज्य लगभग ३२४ ई से १४५३ ई तक (एक हजार वर्षों से अधिक) अस्तित्व में रहा। 'बाइजेंटाइन साम्राज्य' या 'बाइजेंटियम' का इस्तेमाल १९वीं सदी से मध्यकाल के ग्रीक भाषा बोलने वाले रोमन साम्राज्य के लिए किया जाता था जो की वहां की राजधानी क़ुस्तुंतुनिया के आसपास बसा था। इस साम्राज्य को पूर्वी रोमन साम्राज्य के नाम से भी जाना जाता था। इस राज्य के रहने वालों के लिए ये सिर्फ रोमन साम्राज्य के नाम से जान जाता था और यहाँ से शासकों ने रोमन शाशकों पर बहुत कब्ज़े किये। इस्लाम की दुनिया में ये 'रोमानिया' के नाम से जाना जाता था। राज्य की शुरुआत के बारे में कुछ भी निश्चित जानकारी नहीं है। बहुत लोग सम्राट कोन्स्तान्तिन प्रथम (306–337 ई.) को पहला बीजान्टिन शासक मानते हैं। जिन्होंने 330 ई. में अपनी राजधानी रोम से स्थानांतरित कर बिजिन्तिऊम नामक एक क़स्बे में कर दिया और इन्होंने इसका पुनर्निर्माण कराया और इसे कोंस्तान्तिनोपाल या फिर 'नया रोम' नाम दिया। कुछ लोग इस साम्राज्य की शुरुआत को थेओदोस्सिस (379–395) के राज्य की शुरुआत के वक्त को मानते हैं। साम्राज्य के गिरने की शुरुआत तब मानी जाती है जब ओट्टोमन तुर्कों ने कोंस्तान्तिनोपाल पर 1453 में कब्ज़ा कर लिया, पर ग्रीकों का राज साम्राज्य के दुसरे हिस्सों में कुछ और सालों तक चलता रहा जब तक मिस्त्रास 1460 में और ट्रेबिजोंद 1461 में गिर गए। .

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बिग ब्रदर (टीवी सीरिज़)

बिग ब्रदर एक रियलिटी टेलीविजन शो है, जहां एक बड़े घर में लोगों का एक समूह एक साथ रहता है, बाहरी दुनिया से बिल्कुल अलग-थलग, लेकिन टेलीविजन कैमरों द्वारा उन्हें लगातार देखा जा रहा होता है। प्रत्येक सीरिज़ तीन महीने के करीब चलती है और इसमें आम तौर पर 15 से कम प्रतिभागी हुआ करते हैं। इस घर के सदस्य खुद को घर से होने वाले नियतकालिक निष्कासन से बचाते हुए एक नकद पुरस्कार जीतने की कोशिश करते हैं। जॉन डी मोल प्रोदुक्तिज़ (John de Mol Produkties) (इंडेमोल का एक स्वतंत्र भाग) नामक निर्माण संस्था के एक जबर्दस्त बहस-मुबाहिसे से इस शो का विचार 4 सितंबर 1997 सामने आया। 1999 में नीदरलैंड के वेरोनिका चैनल में पहले बिग ब्रदर का प्रसारण किया गया था। अगले साल से जर्मनी, पुर्तगाल, यूएसए (USA), यूके (UK), स्पेन, बेल्जियम, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और इटली में इसका प्रसारण शुरू हुआ और इस तरह यह एक विश्वव्यापी हलचल बन गया।‍ तब से यह लगभग 70 देशों में प्राइम-टाइम हिट बना हुआ है। शो का नाम जॉर्ज ऑरवेल के 1949 के उपन्यास नाइंटीन एटी-फोर (Nineteen Eighty-Four) से लिया गया, यह एक ऐसे आतंकराज की कहानी है जिसमे बिग ब्रदर अपनी तानाशाही के निवासियों पर हमेशा उनके टेलीविजन सेट के जरिये जासूसी कर सकता है, इस नारे के साथ कि "बिग ब्रदर इज वाचिंग यू " (Big Brother is watching you) अर्थात तुम पर बिग ब्रदर की नज़र है। .

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बंसी लाल

चौधरी बंसीलाल (26 अगस्त 1927-28 मार्च 2006)(चौधरी बंसी लाल) एक भारयीय स्वतंत्रता सेनानी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कई लोगों द्वारा आधुनिक हरियाणा के निर्माता माने जाते हैं। उनका जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के गोलागढ़ गांव के जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने तीन अलग-अलग अवधियों: 1968-197, 1985-87 एवं 1996-99 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। बंसीलाल को 1975 में आपातकाल के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी का एक करीबी विश्वासपात्र माना जाता था। उन्होंने दिसंबर 1975 से मार्च 1977 तक रक्षा मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी एवं 1975 में केंद्र सरकार में बिना विभाग के मंत्री के रूप में उनका एक संक्षिप्त कार्यकाल रहा। उन्होंने रेलवे और परिवहन विभागों का भी संचालन किया। लाल सात बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए, पहली बार 1967 में.

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बुध (ग्रह)

बुध (Mercury), सौरमंडल के आठ ग्रहों में सबसे छोटा और सूर्य से निकटतम है। इसका परिक्रमण काल लगभग 88 दिन है। पृथ्वी से देखने पर, यह अपनी कक्षा के ईर्दगिर्द 116 दिवसो में घूमता नजर आता है जो कि ग्रहों में सबसे तेज है। गर्मी बनाए रखने के लिहाज से इसका वायुमंडल चुंकि करीब करीब नगण्य है, बुध का भूपटल सभी ग्रहों की तुलना में तापमान का सर्वाधिक उतार-चढाव महसूस करता है, जो कि 100 K (−173 °C; −280 °F) रात्रि से लेकर भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में दिन के समय 700 K (427 °C; 800 °F) तक है। वहीं ध्रुवों के तापमान स्थायी रूप से 180 K (−93 °C; −136 °F) के नीचे है। बुध के अक्ष का झुकाव सौरमंडल के अन्य किसी भी ग्रह से सबसे कम है (एक डीग्री का करीब), परंतु कक्षीय विकेन्द्रता सर्वाधिक है। बुध ग्रह पर की तुलना में सूर्य से करीब 1.5 गुना ज्यादा दूर होता है। बुध की धरती क्रेटरों से अटी पडी है तथा बिलकुल हमारे चन्द्रमा जैसी नजर आती है, जो इंगित करता है कि यह भूवैज्ञानिक रूप से अरबो वर्षों तक मृतप्राय रहा है। बुध को पृथ्वी जैसे अन्य ग्रहों के समान मौसमों का कोई भी अनुभव नहीं है। यह जकडा हुआ है इसलिए इसके घूर्णन की राह सौरमंडल में अद्वितीय है। किसी स्थिर खडे सितारे के सापेक्ष देखने पर, यह हर दो कक्षीय प्रदक्षिणा के दरम्यान अपनी धूरी के ईर्दगिर्द ठीक तीन बार घूम लेता है। सूर्य की ओर से, किसी ऐसे फ्रेम ऑफ रिफरेंस में जो कक्षीय गति से घूमता है, देखने पर यह हरेक दो बुध वर्षों में मात्र एक बार घूमता नजर आता है। इस कारण बुध ग्रह पर कोई पर्यवेक्षक एक दिवस हरेक दो वर्षों का देखेगा। बुध की कक्षा चुंकि पृथ्वी की कक्षा (शुक्र के भी) के भीतर स्थित है, यह पृथ्वी के आसमान में सुबह में या शाम को दिखाई दे सकता है, परंतु अर्धरात्रि को नहीं। पृथ्वी के सापेक्ष अपनी कक्षा पर सफर करते हुए यह शुक्र और हमारे चन्द्रमा की तरह कलाओं के सभी रुपों का प्रदर्शन करता है। हालांकि बुध ग्रह बहुत उज्जवल वस्तु जैसा दिख सकता है जब इसे पृथ्वी से देख जाए, सूर्य से इसकी निकटता शुक्र की तुलना में इसे देखना और अधिक कठिन बनाता है। .

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बुर्ज

रूस के नालचिक शहर में सोसरुको बुर्ज बुर्ज (अंग्रेज़ी: tower) ऐसी ईमारत या ढाँचे को कहते हैं जिसकी ऊँचाई उसकी चौड़ाई से काफ़ी अधिक हो। अगर ढांचा ज़्यादा ऊंचा हो तो उसे मीनार (miraret) कहा जाता है, हालांकि साधारण बोलचाल में कभी-कभी 'बुर्ज' और 'मीनार' को पर्यायवाची शब्दों की तरह प्रयोग किया जाता है। बहुत ही कम चौड़ाई रखने वाले और खिचे से दिखने वाले ढांचों को 'बुर्ज' की बजाए 'खम्बा' या 'स्तम्भ' (pillar) कहा जाता है। बुर्जों का प्रयोग कई वजहों से किया जाता है, जिनमें अक्सर बुर्जों से दूर तक दिखाई दे सकने का लाभ उठाया जाता है, मसलन संतरी-बुर्जों (watchtowers) में, होटलों में और महलों में। मानव हज़ारों सालों से बुर्जों का निर्माण करते आ रहें हैं और इसमें ईंट, मिटटी, लकड़ी जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल होता आया है। मध्य पूर्व के जेरिको (Jericho) शहर में ९,००० साल पुराने बुर्ज अस्तित्व में हैं।, Ivar Lissner, Putnam, 1962,...

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बुल्गारिया

बुल्गारिया दक्षिण-पूर्व यूरोप में स्थित देश है, जिसकी राजधानी सोफ़िया है। देश की सीमाएं उत्तर में रोमानिया से, पश्चिम में सर्बिया और मेसेडोनिया से, दक्षिण में ग्रीस और तुर्की से मिलती हैं। पूर्व में देश की सीमाएं काला सागर निर्धारित करती है। कला और तकनीक के अलावा राजनैतिक दृष्टि से भी बुल्गारिया का वजूद पाँचवीं सदी से नजर आने लगता है। पहले बुल्गारियन साम्राज्य (632/681 - 1018) ने न केवल बाल्कन क्षेत्र बल्कि पूरे पूर्वी यूरोप को अनेक तरह से प्रभावित किया। बुल्गारियन साम्राज्य के पतन के बाद इसे ओटोमन शासन के अधीन कर दिया। 1877-78 में हुए रुस-तुर्की युद्ध ने बुल्गारिया राज्य को पुन: स्थापित करने में मदद की। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बुल्गारिया साम्यवादी राज्य और पूर्वी ब्लाक का हिस्सा बन गया। 1989 में क्रांति के बाद 1990 में साम्यवादियों का सत्ता से एकाधिकार समाप्त हो गया और देश संसदीय गणराज्य के रूप में आगे बढ़ने लगा। यह देश 2004 से नाटो का और 2007 से यूरोपियन यूनियन का सदस्य है। .

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बुल्गारिया का इतिहास

बुल्गारिया जो यूनान और इस्तांबुल के उत्तर में बसा है मानव बसाव की दृष्टि से बहुत पुराना है। मोंटाना के पास 6800 साल पुराना एक पट्टिकालेख पाया गया है जिसमें चार पंक्तियों में कुछ 24 चिह्न बने पाए गए हैं - इसको पढ़ पाना अभी संभव नहीं हुआ है पर इससे ये अनुमान लगता है कि यहाँ उस समय से मानव रहते होंगे। सन् 1972 में काला सागर के तट पर स्थित वार्ना में सोने का ख़ज़ाना पाया गया था जिसपर राजसी चिह्न बने थे जिससे ये अनुमान लगता है कि बहुत पुराने समय में भी यहाँ कोई राज्य या सत्ता रही होगी - हाँलांकि इस राज्य के जातीय मूल का पता नहीं चल पाया है। सामान्यतया थ्रेसियों को बुल्गारों का पूर्ववर्ती माना गया है। थ्रेस के लोगों ने ट्रॉय की लड़ाई (1200 ईसापूर्व के आसपास) में हिस्सा लिया था। इसके बाद 500 ईसापूर्व तक उनका एक साम्राज्य स्थापित हुआ था। सिकन्दर ने 332 ईसापूर्व में इसपर अधिकार कर लिया और 46 इस्वी में रोमनों ने। इसके बाद एशिया से कई समूहों का आगमन आरंभ हुआ। स्लाव जाति के लोगों ने 581 में बिज़ेन्टाइन के रोमन साम्राज्य के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर लिया। सन् 864 में बोरिस प्रथम ने परंपरावादी ईसाइयत को राजधर्म बनाया और सीरीलिक लिपि को अपना लिया। अरबों की सेनाओं को हरा दिया गया। सन् 1018 तक बुल्गार साम्राज्य का अंत बिज़ेन्टाइन आक्रमणों से हो गया। सन् 1185 से 1360 तक दूसरे बुल्गार साम्राज्य का राज्य रहा। उसके बाद उस्मानी (औटोमन) तुर्क लोगों ने इस पर अधिकार कर लिया। सन् 1877 में रूस ने ऑटोमन साम्राज्य पर हमला कर दिया और उन्हें हरा दिया। सन् 1878 में तीसरे बुल्गार साम्राज्य का उदय हुआ। 1980 में तुर्कों के ख़िलाफ़ चलाए गए अभियान में 30000 तुर्क बुल्गारिया छोड़कर तुर्की चले गए। इससे दो दशक पहले ग्रीस में भी ऐसा ही अभियान चला था। 1989 में वहाँ कम्युनिस्ट पार्टी की नरम शाखा का शासन स्थापित हुआ। श्रेणी:बुल्गारिया af:Bulgarye#Geskiedenis ast:Bulgaria#Hestoria be-x-old:Баўгарыя#Гісторыя br:Bulgaria#Istor bs:Bugarska#Historija el:Βουλγαρία#Ιστορία gl:Bulgaria - България#Historia li:Bölgarije#Historie sh:Bugarska#Istorija Bugarske wa:Bulgåreye#Istwere.

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बुल्गारियाई भाषा

यह बुल्गारिया की राष्ट्र भाषा है और सर्बिया और यूरोपीय संघ में भी इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है| इस भाषा को बोलने वालो की संख्या ९० लाख से १.२ करोड़ के बीच है| .

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बुखारेस्ट की संधि

बुखारेस्ट की संधि (Treaty of Bucharest) १० अगस्त १९१३ को बुल्गारिया, रोमानिया, सर्बिया, मान्टिनिग्रो, और ग्रीस के प्रतिनिधियों के बीच हुई थी। यह संधि द्वितीय बाल्कन युद्ध के बाद हुई थी तथा इसके द्वारा प्रथम बाल्कन युद्ध के बाद हुई लन्दन की संधि को संशोधित किया गया। श्रेणी:सन्धियाँ.

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ब्रिटिश संग्रहालय

ब्रिटिश संग्रहालय (British Museum, ब्रिटिश म्यूज़ियम), जो ब्रिटेन की राजधानी लंदन में स्थित है, दुनिया के सब से महान मानवीय इतिहास और सभ्यता के संग्रहालयों में से एक माना जाता है। इसके स्थाई संग्रह में ८० लाख से अधिक वस्तुएँ हैं जो हर महाद्वीप से लाई गई हैं और मनुष्य जाति की शुरुआत से आजतक की संस्कृति की झलकें दिखातीं हैं।,...

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बेथलहम

बेथलहम (بَيْتِ لَحْمٍ,, प्रकाशित “हाउस ऑफ मीट (House of Meat)"; בֵּית לֶחֶם, बीट लेहम (Beit Lehem), प्रकाशित "हाउस ऑफ ब्रेड (House of Bread);" बेथलीम (Bethleém)) मध्य वेस्ट-बैंक में, येरुशलम से लगभग दक्षिण में स्थित एक फिलिस्तीनी शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग 30,000 है।अमरा, 1999,.

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बेनगाज़ी

बेनगाज़ी या बेंगाज़ी (अरबी: بنغازي बंगाज़ी) लीबिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर और सिरेनेइका क्षेत्र में सबसे बड़ा शहर है। लिबिया में भूमध्य सागर पर स्थित बंदरगाह के रूप में बेनगाज़ी, त्रिपोली के साथ संयुक्त रूप से राजधानी के है, जोकि संभवतः राजा और सेनुसी शाही परिवार के त्रिपोलिटानिया की बजाय साइरेनिका से जुड़े होने के कारण था। यह शहर राष्ट्रीय संक्रमणकालीन परिषद की अस्थायी राजधानी भी थी। बेनगाज़ी में आमतौर पर राष्ट्रीय राजधानी शहर में होने वाले संगठन, जैसे कि देश की संसद, राष्ट्रीय पुस्तकालय, और लीबिया एयरलाइंस के मुख्यालय, राष्ट्रीय एयरलाइन और नेशनल ऑयल कॉर्पोरेशन आदि संस्थान स्थित है। जिसके कारण बेनगाज़ी और त्रिपोली और साइरेनाका और ट्रिपोलिटानिया के बीच प्रतिद्वंद्विता और संवेदनशीलता का निरंतर वातावरण बना रहता है। 2006 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या 670,797 थी।.

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बीटा वल्गैरिस

बीटा वल्गैरिस, जिसे साधारण भाषा में चुकंदर कहते हैं, अमारैन्थ परिवार का एक पादप सदस्य है। इसे कई रूपों में, जिनमें अधिकतर लाल रंग की जड़ से प्राप्त सब्जी रूप में प्रयोगनीय उत्पाद के लिये उगाया जाता है। इसके अलावा अन्य उत्पादों में इसके पत्तों को शाक रूप में प्रयोग करते हैं, व इसे शर्करा-स्रोत रूप में भी प्रयोग किया जाता है। पशु-आहार के लिये भी कहीं-कहीं प्रयोग किया जाता है। इसकी अधिकतर प्रचलित Beta vulgaris उपजाति vulgaris में आती है। जबकि Beta vulgaris उपजाति:maritima, जो ई-बीट नाम से प्रचलित है, इसी का जंगली पूर्वज है और भूमध्य सागरीय क्षेत्र, यूरोप की अंध-महासागर तटरेखा एवं भारत में उगती है। एक अन्य जंगली प्रजाति Beta vulgaris उपजाति:adanensis, यूनान से सीरिया पर्यन्त पायी जाती है। ''Beta vulgaris'', नाम से प्रचलित चुकंदर, शाक विक्रेता के यहां चुकंदर में अच्छी मात्रा में लौह, विटामिन और खनिज होते हैं जो रक्तवर्धन और शोधन के काम में सहायक होते हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट तत्व शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। यह प्राकृतिक शर्करा का स्रोत होता है। इसमें सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाए जाते हैं। चुकंदर में गुर्दे और पित्ताशय को साफ करने के प्राकृतिक गुण हैं। इसमें उपस्थित पोटेशियम शरीर को प्रतिदिन पोषण प्रदान करने में मदद करता है तो वहीं क्लोरीन गुर्दों के शोधन में मदद करता है। यह पाचन संबंधी समस्याओं जैसे वमन, दस्त, चक्कर आदि में लाभदायक होता है। चुकंदर का रस पीने से रक्ताल्पता दूर हो जाती है क्योंकि इसमें लौह भी प्रचुर मात्र में पाया जाता है।। याहू जागरण चुकंदर का रस हाइपरटेंशन और हृदय संबंधी समस्याओं को दूर रखता है। विशेषतया महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी है। चुकंदर में बेटेन नामक तत्व पाया जाता है जिसकी आंत व पेट को साफ करने के लिए शरीर को आवश्यकता होती है और चुकंदर में उपस्थित यह तत्व उसकी आपूर्ति करता है। कई शोधों के अनुसार चुकंदर कैंसर में भी लाभदायक होता है। चुकंदर और उसके पत्ते फोलेट का अच्छा स्रोत होते हैं, जो उच्च रक्तचाप और अल्जाइमर की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं। चुकंदर की भारत में प्रचलित किस्म .

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बीजगणित

बीजगणित (संस्कृत ग्रन्थ) भी देखें। ---- आर्यभट बीजगणित (algebra) गणित की वह शाखा जिसमें संख्याओं के स्थान पर चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। बीजगणित चर तथा अचर राशियों के समीकरण को हल करने तथा चर राशियों के मान निकालने पर आधारित है। बीजगणित के विकास के फलस्वरूप निर्देशांक ज्यामिति व कैलकुलस का विकास हुआ जिससे गणित की उपयोगिता बहुत बढ़ गयी। इससे विज्ञान और तकनीकी के विकास को गति मिली। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने कहा है - अर्थात् मंदबुद्धि के लोग व्यक्ति गणित (अंकगणित) की सहायता से जो प्रश्न हल नहीं कर पाते हैं, वे प्रश्न अव्यक्त गणित (बीजगणित) की सहायता से हल कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, बीजगणित से अंकगणित की कठिन समस्याओं का हल सरल हो जाता है। बीजगणित से साधारणतः तात्पर्य उस विज्ञान से होता है, जिसमें संख्याओं को अक्षरों द्वारा निरूपित किया जाता है। परंतु संक्रिया चिह्न वही रहते हैं, जिनका प्रयोग अंकगणित में होता है। मान लें कि हमें लिखना है कि किसी आयत का क्षेत्रफल उसकी लंबाई तथा चौड़ाई के गुणनफल के समान होता है तो हम इस तथ्य को निमन प्रकार निरूपित करेंगे— बीजगणिति के आधुनिक संकेतवाद का विकास कुछ शताब्दी पूर्व ही प्रारंभ हुआ है; परंतु समीकरणों के साधन की समस्या बहुत पुरानी है। ईसा से 2000 वर्ष पूर्व लोग अटकल लगाकर समीकरणों को हल करते थे। ईसा से 300 वर्ष पूर्व तक हमारे पूर्वज समीकरणों को शब्दों में लिखने लगे थे और ज्यामिति विधि द्वारा उनके हल ज्ञात कर लेते थे। .

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भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी

भारत के प्रथम रिएक्टर '''अप्सरा''' तथा प्लुटोनियम संस्करण सुविधा का अमेरिकी उपग्रह से लिया गया चित्र (१९ फरवरी १९६६) भारतीय विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में एक है। भारत में विज्ञान का उद्भव ईसा से 3000 वर्ष पूर्व हुआ है। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त सिंध घाटी के प्रमाणों से वहाँ के लोगों की वैज्ञानिक दृष्टि तथा वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोगों का पता चलता है। प्राचीन काल में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चरक और सुश्रुत, खगोल विज्ञान व गणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट द्वितीय और रसायन विज्ञान में नागार्जुन की खोजों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। इनकी खोजों का प्रयोग आज भी किसी-न-किसी रूप में हो रहा है। आज विज्ञान का स्वरूप काफी विकसित हो चुका है। पूरी दुनिया में तेजी से वैज्ञानिक खोजें हो रही हैं। इन आधुनिक वैज्ञानिक खोजों की दौड़ में भारत के जगदीश चन्द्र बसु, प्रफुल्ल चन्द्र राय, सी वी रमण, सत्येन्द्रनाथ बोस, मेघनाद साहा, प्रशान्त चन्द्र महलनोबिस, श्रीनिवास रामानुजन्, हरगोविन्द खुराना आदि का वनस्पति, भौतिकी, गणित, रसायन, यांत्रिकी, चिकित्सा विज्ञान, खगोल विज्ञान आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान है। .

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भारत में कॉफी उत्पादन

भारत में कॉफी वन भारत में कॉफी बागान भारत में कॉफ़ी का उत्पादन मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों में होता है। यहां कुल 8200 टन कॉफ़ी का उत्पादन होता है जिसमें से कर्नाटक राज्य में अधिकतम 53 प्रतिशत, केरल में 28 प्रतिशत और तमिलनाडु में 11 प्रतिशत उत्पादन होता है। भारतीय कॉफी दुनिया भर की सबसे अच्छी गुणवत्ता की कॉफ़ी मानी जाती है, क्योंकि इसे छाया में उगाया जाता है, इसके बजाय दुनिया भर के अन्य स्थानों में कॉफ़ी को सीधे सूर्य के प्रकाश में उगाया जाता है। भारत में लगभग 250000 लोग कॉफ़ी उगाते हैं; इनमें से 98 प्रतिशत छोटे उत्पादक हैं। 2009 में, भारत का कॉफ़ी उत्पादन दुनिया के कुल उत्पादन का केवल 4.5% था। भारत में उत्पादन की जाने वाली कॉफ़ी का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा निर्यात कर दिया जाता है। निर्यात किये जाने वाले हिस्से का 70 प्रतिशत हिस्सा जर्मनी, रूस संघ, स्पेन, बेल्जियम, स्लोवेनिया, संयुक्त राज्य, जापान, ग्रीस, नीदरलैंड्स और फ्रांस को भेजा जाता है। इटली को कुल निर्यात का 29 प्रतिशत हिस्सा भेजा जाता है। अधिकांश निर्यात स्वेज़ नहर के माध्यम से किया जाता है। कॉफी भारत के तीन क्षेत्रों में उगाई जाती है। कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु दक्षिणी भारत के पारम्परिक कॉफ़ी उत्पादक क्षेत्र हैं। इसके बाद देश के पूर्वी तट में उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के गैर पारम्परिक क्षेत्रों में नए कॉफ़ी उत्पादक क्षेत्रों का विकास हुआ है। तीसरे क्षेत्र में उत्तर पूर्वी भारत के अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर और आसाम के राज्य शामिल हैं, इन्हें भारत के "सात बन्धु राज्यों" के रूप में जाना जाता है। भारतीय कॉफी, जिसे अधिकतर दक्षिणी भारत में मानसूनी वर्षा में उगाया जाता है, को "भारतीय मानसून कॉफ़ी" भी कहा जाता है। इसके स्वाद "सर्वश्रेष्ठ भारतीय कॉफ़ी के रूप में परिभाषित किया जाता है, पेसिफिक हाउस का फ्लेवर इसकी विशेषता है, लेकिन यह एक साधारण और नीरस ब्रांड है।" कॉफ़ी की चार ज्ञात किस्में हैं अरेबिका, रोबस्टा, पहली किस्म जिसे 17 वीं शताब्दी में कर्नाटक के बाबा बुदान पहाड़ी क्षेत्र में शुरू किया गया, का विपणन कई सालों से केंट और S.795 ब्रांड नामों के तहत किया जाता है। .

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भारत २०१०

इन्हें भी देखें 2014 भारत 2014 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2014 साहित्य संगीत कला 2014 खेल जगत 2014 .

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भारतीय राष्ट्रवाद

२६५ ईसापूर्व में मौर्य साम्राज्य भारतीय ध्वज (तिरंगा) मराठा साम्राज्य का ध्वज राष्ट्र की परिभाषा एक ऐसे जन समूह के रूप में की जा सकती है जो कि एक भौगोलिक सीमाओं में एक निश्चित देश में रहता हो, समान परम्परा, समान हितों तथा समान भावनाओं से बँधा हो और जिसमें एकता के सूत्र में बाँधने की उत्सुकता तथा समान राजनैतिक महत्त्वाकांक्षाएँ पाई जाती हों। राष्ट्रवाद के निर्णायक तत्वों मे राष्ट्रीयता की भावना सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। राष्ट्रीयता की भावना किसी राष्ट्र के सदस्यों में पायी जानेवाली सामुदायिक भावना है जो उनका संगठन सुदृढ़ करती है। भारत में अंग्रेजों के शासनकाल मे राष्ट्रीयता की भावना का विशेषरूप से विकास हुआ, इस विकास में विशिष्ट बौद्धिक वर्ग का महत्त्वपूर्ण योगदान है। भारत में अंग्रेजी शिक्षा के प्रसार से एक ऐसे विशिष्ट वर्ग का निर्माण हुआ जो स्वतन्त्रता को मूल अधिकार समझता था और जिसमें अपने देश को अन्य पाश्चात्य देशों के समकक्ष लाने की प्रेरणा थी। पाश्चात्य देशों का इतिहास पढ़कर उसमें राष्ट्रवादी भावना का विकास हुआ। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि भारत के प्राचीन इतिहास से नई पीढ़ी को राष्ट्रवादी प्रेरणा नहीं मिली है किन्तु आधुनिक काल में नवोदित राष्ट्रवाद अधिकतर अंग्रेजी शिक्षा का परिणाम है। देश में अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त किए हुए नवोदित विशिष्ट वर्ग ने ही राष्ट्रीयता का झण्डा उठाया। .

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भारतीय गणित का इतिहास

सभी प्राचीन सभ्यताओं में गणित विद्या की पहली अभिव्यक्ति गणना प्रणाली के रूप में प्रगट होती है। अति प्रारंभिक समाजों में संख्यायें रेखाओं के समूह द्वारा प्रदर्शित की जातीं थीं। यद्यपि बाद में, विभिन्न संख्याओं को विशिष्ट संख्यात्मक नामों और चिह्नों द्वारा प्रदर्शित किया जाने लगा, उदाहरण स्वरूप भारत में ऐसा किया गया। रोम जैसे स्थानों में उन्हें वर्णमाला के अक्षरों द्वारा प्रदर्शित किया गया। यद्यपि आज हम अपनी दशमलव प्रणाली के अभ्यस्त हो चुके हैं, किंतु सभी प्राचीन सभ्यताओं में संख्याएं दशमाधार प्रणाली पर आधारित नहीं थीं। प्राचीन बेबीलोन में 60 पर आधारित संख्या-प्रणाली का प्रचलन था। भारत में गणित के इतिहास को मुख्यता ५ कालखंडों में बांटा गया है-.

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भाषा-परिवार

विश्व के प्रमुख भाषाकुलों के भाषाभाषियों की संख्या का पाई-चार्ट आपस में सम्बंधित भाषाओं को भाषा-परिवार कहते हैं। कौन भाषाएँ किस परिवार में आती हैं, इनके लिये वैज्ञानिक आधार हैं। इस समय संसार की भाषाओं की तीन अवस्थाएँ हैं। विभिन्न देशों की प्राचीन भाषाएँ जिनका अध्ययन और वर्गीकरण पर्याप्त सामग्री के अभाव में नहीं हो सका है, पहली अवस्था में है। इनका अस्तित्व इनमें उपलब्ध प्राचीन शिलालेखो, सिक्कों और हस्तलिखित पुस्तकों में अभी सुरक्षित है। मेसोपोटेमिया की पुरानी भाषा ‘सुमेरीय’ तथा इटली की प्राचीन भाषा ‘एत्रस्कन’ इसी तरह की भाषाएँ हैं। दूसरी अवस्था में ऐसी आधुनिक भाषाएँ हैं, जिनका सम्यक् शोध के अभाव में अध्ययन और विभाजन प्रचुर सामग्री के होते हुए भी नहीं हो सका है। बास्क, बुशमन, जापानी, कोरियाई, अंडमानी आदि भाषाएँ इसी अवस्था में हैं। तीसरी अवस्था की भाषाओं में पर्याप्त सामग्री है और उनका अध्ययन एवं वर्गीकरण हो चुका है। ग्रीक, अरबी, फारसी, संस्कृत, अंग्रेजी आदि अनेक विकसित एवं समृद्ध भाषाएँ इसके अन्तर्गत हैं। .

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भाषाविज्ञान

भाषाविज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के अध्ययेता 'भाषाविज्ञानी' कहलाते हैं। भाषाविज्ञान, व्याकरण से भिन्न है। व्याकरण में किसी भाषा का कार्यात्मक अध्ययन (functional description) किया जाता है जबकि भाषाविज्ञानी इसके आगे जाकर भाषा का अत्यन्त व्यापक अध्ययन करता है। अध्ययन के अनेक विषयों में से आजकल भाषा-विज्ञान को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। .

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भाषाविज्ञान का इतिहास

प्राचीन काल में भाषावैज्ञानिक अध्ययन मूलत: भाषा के सही व्याख्या करने की कोशिश के रूप में था। सबसे पहले चौथी शदी ईसा पूर्व में पाणिनि ने संस्कृत का व्याकरण लिखा। संसार के प्रायः सभी देशों में भाषा-चिन्तन होता रहा है। भारत के अतिरिक्त चीन, यूनान, रोंम, फ्रांस, इंग्लैंड, अमरीका, रूस, चेकोस्लाविया, डेनमार्क आदि देशों में भाषाध्ययन के प्रति अत्यधिक सचेष्टता बरती गई है। अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से भाषाध्ययन के इतिहास को मुख्यतः दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है: (१) पौरस्त्य (२) पाश्चात्य .

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भूत-प्रेत का अपसारण

सेंट फ्रांसिस ने अरेज्जो में राक्षसों का भूत-अपसारण किया; गिओटो द्वारा एक फ्रेस्को पर एक चित्रण में. भूत-प्रेत का अपसारण अर्थात एक्सॉसिज़्म (प्राचीन लैटिन शब्द exorcismus, ग्रीक शब्द exorkizein – शपथ देकर बांधना) किसी ऐसे व्यक्ति अथवा स्थान से भूतों या अन्य आत्मिक तत्त्वों को निकालने की प्रथा है। जिसके बारे में विश्वास किया जाता है कि भूत ने उसे शपथ दिलाकर अपने वश में कर लिया है। यह प्रथा अत्यंत प्राचीन है तथा अनेक संस्कृतियों की मान्यताओं का अंग रही है। प्राचीन काल से माना जाता है कि इस दुनिया से परे एक और दुनिया होती है और इस दुनियाँ को मौत कि दुनिया के नाम से जाना जाता हे। जैसे हम सब को पता हे कि मौत कि दुनिया मे मृत लोगो कि आत्माएं होती है लेकिन इसके परे इस मौत कि दुनिया मे राक्षस और आध्यत्मिक संस्था का साया भी होता है। लोग जब मरते है तब उनकी आत्मा का उध्धार नहीं होता या इसके विपरीत बहुत सारी शर्ते होती है। जैसे कि अगर कोइ इन्सान एक ऐसी मौत मरा है जिसमें उसको बहुत तक्लीफ हुई हो या फिर बे मौत मारा गया हो तो इस के कारण उस इन्सान का आत्मा उस जगह पर ही रह जाती है और आसानी से उस आत्मा का उद्धर नहि होता, कोइ ऐसे स्थान भी होते हे जिधर से मृत लोगो कि आत्मा उध्दार होता हैं, यह जगह कोइ घना जंगल मे होता हे यातो फिर कोइ सुन्सान जगह में। ऐसे ही जगह से मृत दुनिया से राक्षस और आध्यात्मिक सन्स्था हमारी दुनिया मे प्रवेश करते है, और जीवित इन्सानो कि आत्मा पर शिकार करते हैं और इसी अवस्था मे झाङ-फूँक कि सन्कल्पना आती हैं। झाड़-फूँक राक्षस और आध्यात्मिक सन्स्थाओ का हटाना उत्ना का अभ्यास होता हे। झाड़-फूँक ऐसे लोग या जगह या चीज़ों पर किया जाता हे जो राक्शस या किसी आध्याथ्मिक सन्स्थाओ के अधीन होते हे। झाड़-फूँक ओझा के आध्याथ्मिक विश्वासो के आधार पर किया जाता हे। धर्म के आधार पर झाड़-फूँक के अन्य तरीके होते हे। कुछ ऐसे दर्वाज़े होते हे जो खुल्ने पर बुरे सप्ने हकीकत मे बदल जाते हे। .

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भूमध्य सागर

भूमध्य सागर (Mediterranean sea) पृथ्वी का एक सागर है, जो उत्तरी अफ्रीका, यूरोप, अनातोलिया तथा मध्य पूर्व के बीच स्थित है। इसका क्षेत्रफल लगभग २५ लाख वर्ग किलोमीटर है, जो भारत के क्षेत्रफल का लगभग तीन-चौथाई है। प्राचीन काल में यूनान, अनातोलिया, कार्थेज, स्पेन, रोम, यरुशलम, अरब तथा मिस्र जैसे प्रदेशों तथा नगरों के बीच स्थित होने की वजह से इसे भूमध्य (धरती के बीच का) सागर कहते थे। यह अटलांटिक महासागर से जिब्राल्टर द्वारा जुड़ा है, जो केवल १४ किलोमीटर चौड़ा एक जलडमरूमध्य है। भूमध्य सागर का मानचित्र .

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भूगोल

पृथ्वी का मानचित्र भूगोल (Geography) वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है। भूगोल शब्द दो शब्दों भू यानि पृथ्वी और गोल से मिलकर बना है। भूगोल एक ओर अन्य शृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक व्युत्पत्तिक धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी व्युत्पत्तिक धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है: सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज़ ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्टविज्ञान के रूप में मान्यता दी। इसके बाद हिरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिइतिहासश्चित स्वरुप प्रदान किया। इस प्रकार भूगोल में 'कहाँ' 'कैसे 'कब' 'क्यों' व 'कितनें' प्रश्नों की उचित वयाख्या की जाती हैं। .

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मदुरई

मदुरै या मदुरई (மதுரை एवं), दक्षिण भारत के तमिल नाडु राज्य के मदुरई जिले का मुख्यालय नगर है। यह भारतीय प्रायद्वीप के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक है।फ्रॉमर्स इण्डिया, द्वारा: पिप्पा देब्र्यून, कीथ बैन, नीलोफर वेंकटरमन, शोनार जोशी इस शहर को अपने प्राचीन मंदिरों के लिये जाना जाता है। इस शहर को कई अन्य नामों से बुलाते हैं, जैसे कूडल मानगर, तुंगानगर (कभी ना सोने वाली नगरी), मल्लिगई मानगर (मोगरे की नगरी) था पूर्व का एथेंस। यह वैगई नदी के किनारे स्थित है। लगभग २५०० वर्ष पुराना यह स्थान तमिल नाडु राज्य का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और व्यावसायिक केंद्र है। यहां का मुख्य आकर्षण मीनाक्षी मंदिर है जिसके ऊंचे गोपुरम और दुर्लभ मूर्तिशिल्प श्रद्धालुओं और सैलानियों को आकर्षित करते हैं। इस कारणं इसे मंदिरों का शहर भी कहते हैं। मदुरै एक समय में तमिल शिक्षा का मुख्य केंद्र था और आज भी यहां शुद्ध तमिल बोली जाती है। यहाँ शिक्षा का प्रबंध उत्तम है। यह नगर जिले का व्यापारिक, औद्योगिक तथा धार्मिक केंद्र है। उद्योगों में सूत कातने, रँगने, मलमल बुनने, लकड़ी पर खुदाई का काम तथा पीतल का काम होता है। यहाँ की जनसंख्या ११ लाख ८ हजार ७५५ (२००४ अनुमानित) है। आधुनिक युग में यह प्रगति के पथ पर अग्रसर है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पाने में प्रयासरत है, किंतु अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति को भी संरक्षित किए हुए है। इस शहर के प्राचीन यूनान एवं रोम की सभ्यताओं से ५५० ई.पू.

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मध्य पूर्व

मध्य पूर्व का राजनीतिक नक्शा मध्य पूर्व (या पूर्व में ज्यादा प्रचलित पूर्व के करीब (Near East)) दक्षिण पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्वी यूरोप और उत्तरी पूर्वी अफ़्रीका में विस्तारित क्षेत्र है। इसकी कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं है, अक्सर इस शब्द का प्रयोग पूर्व के पास (Near East) के एक पर्याय के रूप में प्रयोग किया जाता, ठीक सुदूर पूर्व (Far East) के विपरित। मध्य पूर्व शब्द का प्रचलन १९०० के आसपास के यूनाइटेड किंगडम में शुरू हुआ। .

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मनसा देवी

मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है। इनका प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ है इस कारण इनका नाम मनसा पड़ा। इनके पति जगत्कारु तथा पुत्र आस्तिक जी हैं। इन्हें नागराज वासुकी की बहन के रूप में पूजा जाता है, प्रसिद्ध मंदिर एक शक्तिपीठ पर हरिद्वार में स्थापित है। इन्हें शिव की मानस पुत्री माना जाता है परंतु कई पुरातन धार्मिक ग्रंथों में इनका जन्म कश्यप के मस्तक से हुआ हैं, ऐसा भी बताया गया है। कुछ ग्रंथों में लिखा है कि वासुकि नाग द्वारा बहन की इच्छा करने पर शिव नें उन्हें इसी कन्या का भेंट दिया और वासुकि इस कन्या के तेज को न सह सका और नागलोक में जाकर पोषण के लिये तपस्वी हलाहल को दे दिया। इसी मनसा नामक कन्या की रक्षा के लिये हलाहल नें प्राण त्यागा। .

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मनोविदलता

मनोविदलता (Schizophrenia/स्किज़ोफ्रेनिया) एक मानसिक विकार है। इसकी विशेषताएँ हैं- असामान्य सामाजिक व्यवहार तथा वास्तविक को पहचान पाने में असमर्थता। लगभग 1% लोगो में यह विकार पाया जाता है। इस रोग में रोगी के विचार, संवेग तथा व्यवहार में आसामान्य बदलाव आ जाते हैं जिनके कारण वह कुछ समय लिए अपनी जिम्मेदारियों तथा अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है। 'मनोविदलता' और 'स्किज़ोफ्रेनिया' दोनों का शाब्दिक अर्थ है - 'मन का टूटना'। .

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मलेरिया

मलेरिया या दुर्वात एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है। प्रत्येक वर्ष यह ५१.५ करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा १० से ३० लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है जिनमें से अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका के युवा बच्चे होते हैं। मलेरिया को आमतौर पर गरीबी से जोड़ कर देखा जाता है किंतु यह खुद अपने आप में गरीबी का कारण है तथा आर्थिक विकास का प्रमुख अवरोधक है। मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग प्लास्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है। केवल चार प्रकार के प्लास्मोडियम (Plasmodium) परजीवी मनुष्य को प्रभावित करते है जिनमें से सर्वाधिक खतरनाक प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) माने जाते हैं, साथ ही प्लास्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) तथा प्लास्मोडियम मलेरिये (Plasmodium malariae) भी मानव को प्रभावित करते हैं। इस सारे समूह को 'मलेरिया परजीवी' कहते हैं। मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्तहीनता (एनीमिया) के लक्षण उभरते हैं (चक्कर आना, साँस फूलना, द्रुतनाड़ी इत्यादि)। इसके अलावा अविशिष्ट लक्षण जैसे कि बुखार, सर्दी, उबकाई और जुखाम जैसी अनुभूति भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाएं मच्छर काटने से बचाती हैं, तो कीटनाशक दवा के छिडकाव तथा स्थिर जल (जिस पर मच्छर अण्डे देते हैं) की निकासी से मच्छरों का नियंत्रण किया जा सकता है। मलेरिया की रोकथाम के लिये यद्यपि टीके/वैक्सीन पर शोध जारी है, लेकिन अभी तक कोई उपलब्ध नहीं हो सका है। मलेरिया से बचने के लिए निरोधक दवाएं लम्बे समय तक लेनी पडती हैं और इतनी महंगी होती हैं कि मलेरिया प्रभावित लोगों की पहुँच से अक्सर बाहर होती है। मलेरिया प्रभावी इलाके के ज्यादातर वयस्क लोगों मे बार-बार मलेरिया होने की प्रवृत्ति होती है साथ ही उनमें इस के विरूद्ध आंशिक प्रतिरोधक क्षमता भी आ जाती है, किंतु यह प्रतिरोधक क्षमता उस समय कम हो जाती है जब वे ऐसे क्षेत्र मे चले जाते है जो मलेरिया से प्रभावित नहीं हो। यदि वे प्रभावित क्षेत्र मे वापस लौटते हैं तो उन्हे फिर से पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए। मलेरिया संक्रमण का इलाज कुनैन या आर्टिमीसिनिन जैसी मलेरियारोधी दवाओं से किया जाता है यद्यपि दवा प्रतिरोधकता के मामले तेजी से सामान्य होते जा रहे हैं। .

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महाद्वीप

महाद्वीपों को समाहित या विभाजित किया जा सकता है, उदाहरणतः यूरेशिया को प्रायः यूरोप तथा एशिया में विभाजित किया जाता है लाल रंग में। बक्मिन्स्टर फुलर द्वारा डायमैक्सियम नक्शा जो दर्शित करता है भूमिखण्ड कम से कम विरूपण समेत, एक एक लगातार महाद्वीप में बंटे हुए विश्व के महाद्वीप महाद्वीप (en:Continent) एक विस्तृत ज़मीन का फैलाव है जो पृथ्वी पर समुद्र से अलग दिखाई देतै हैं। महाद्वीप को व्यक्त करने के कोई स्पष्ट मापदण्ड नहीं है। अलग-अलग सभ्यताओं और वैज्ञानिकों नें महाद्वीप की अलग परिभाषा दी है। पर आम राय ये है कि एक महाद्वीप धरती बहुत बड़ा का विस्तृत क्षेत्र होता है जिसकी सीमाएं स्पष्ट पहचानी जा सके.

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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महाभारत का रचना काल

सुत जी द्वारा महाभारत ऋषि मुनियो को सुनाना। वेदव्यास जी को महाभारत को पूरा रचने में ३ वर्ष लग गये थे, इसका कारण यह हो सकता है कि उस समय लेखन लिपी कला का इतना विकास नही हुआ था, संस्कृत ऋषियो की भाषा थी और ब्राह्मी आम बोल चाल की भाषा हुआ करती थी। यह सर्वमान्य है कि महाभारत का आधुनिक रूप कई अवस्थाओ से गुजर कर बना है, इसकी रचना की चार प्रारम्भिक अवस्थाए पहचानी गयी है- .

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महाश्येन

महाश्येन (ईगल) शिकार करने वाले बड़े आकार के पक्षी हैं। इस पक्षी को ऊँचाई से ही प्रेम है, धरातल से नहीं। यह धरातल की ओर तभी दृष्टिपात करता है, जब इसे कोई शिकार करना होता है। इसकी दृष्टि बड़ी तीव्र होती है और यह धरातल पर विचरण करते हुए अपने शिकार को ऊँचाई से ही देख लेता है। यूरेशिया और अफ्रीका में इसकी साठ से अधिक प्रजातियाँ स्पेसीज (species)पायी जाती हैं। महाश्येन, फैल्कोनिफॉर्मीज़ (Falconiformes) गण, ऐक्सिपिटर (Accipitres) उपगण, फैल्कानिडी (Falconidae) कुल तथा ऐक्विलिनी (Aquilinae) उपकुल के अंतर्गत है। यह उपकुल दो वर्गों में विभाजित है। ये दो वर्ग ऐक्विला स्थल महाश्येन (Aquila Land Eagle) और हैलिई-एटस, जल महाश्येन (Haliaeetus Sea Eagle) हैं। इस श्येन परिवार में लगभग तीन सौ जातियाँ पाई जाती हैं। ये अनेक जातियाँ स्वभाव तथा आकार प्रकार में एक दूसरे से भिन्न होती हैं तथा विश्व भर में पाई जाती हैं। प्राचीन काल से ही यह साहस एवं शक्ति का प्रतीक माना गया है। संभवत इन्हीं कारणों से सभी राष्ट्रों के कवियों ने इसका वर्णन किया है और इसे रूस, जर्मनी, संयुक्त राज्य आदि देशों में राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में माना गया है। भारत में इसे गरुड़ की संज्ञा दी गई है तथा पौराणिक वर्णनों में इसे विष्णु का वाहन कहा गया है। संभवत: तेज गति और वीरता के कारण ही यह विष्णु का वाहन हो सका है। अन्य देशों के भी पौराणिक वर्णनों में इसका वर्णन आता है, जैसे स्कैंडेनेविया में इसे तूफान का देवता माना गया है और यह बताया गया है कि यह देव स्वर्ग लोक के एक छोर पर बैठकर हवा का झोंका पृथ्वी पर फेंकता है। ग्रीसवासियों की, प्राचीन विश्वास के अनुसार, ऐसी धारणा है कि उनके सबसे बड़े देवता, ज़्यूस (Zeus), को इस महाश्येन ने ही सहायतार्थ वज्र प्रदान किया था। भगवान् विष्णु का वाहन होकर भी इस पक्षी की मनोवृत्ति अहिंसक नहीं है। यह मांसभक्षी, अति लोलुप और प्रत्यक्षत: हानि पहुँचानेवाला होता है, तथापि यह उन बहुत से पक्षियों को समाप्त करने में सहायक है, जो कृषि एवं मनुष्यों को हानि पहुँचाते हैं। साथ ही साथ यह हानि पहुँचानेवाले सरीसृप तथा छोटे छोटे स्तनी जीवों को भी समाप्त करता है और इस प्रकार जंतुसंसार का संतुलन बनाए रखता है। .

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मातृ दिवस

आधुनिक मातृ दिवस का अवकाश ग्राफटन वेस्ट वर्जिनिया में एना जार्विस के द्वारा समस्त माताओं तथा मातृत्व के लिए खास तौर पर पारिवारिक एवं उनके आपसी संबंधों को सम्मान देने के लिए आरम्भ किया गया था। यह दिवस अब दुनिया के हर कोने में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता हैं। जैसे कि पिताओं को सम्मान देने के लिए पितृ दिवस की छुट्टी मनाई जाती हैं। यह छुट्टी अंततः इतनी व्यवसायिक बन गई कि इसकी संस्थापक, एना जार्विस, तथा कई लोग इसे एक "होलमार्क होलीडे", अर्थात् एक प्रचुर वाणिज्यिक प्रयोजन के रूप में समझने लगे। एना ने जिस छुट्टी के निर्माण में सहयोग किया उसी का विरोध करते हुए इसे समाप्त करना चाहा। .

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मानव लिंग का आकार

एक प्रसिद्ध ब्रिटिश वैज्ञानिक रिचर्ड लिन ने मानव (पुरुष) के लिंग के आकार पर एक शोधपत्र प्रकाशित किया। इस शोध में 113 देशों के पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के साइज का विश्लेषण किया गया है। इस आधार पर देशों की एक लिस्‍ट भी बनाई गई है। इस लिस्‍ट में भारत 110वें स्थान पर है। लिस्‍ट में 7.1 इंच के औसत 'साइज' के साथ कांगो सबसे ऊपर है। कोरिया और कंबोडिया (3.9 इंच) सबसे नीचे हैं। भारत इन्‍हीं दो देशों से ऊपर है। भारतीय पुरुषों का 'औसत साइज' 4 इंच बताया गया है। लेकिन इस पर सवाल उठ रहे हैं। साल 2006 में भारत में कंडोम का साइज तय करने के लिए किए गए 'साइज सर्वे' की रिपोर्ट आई थी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा कराए गए सर्वे 'स्डटी ऑन प्रापर लेंथ एंड ब्रेड्थ स्पेसिफिकेसंस फॉर कंडोम बेस्ड एंथ्रोपोमेट्रिक मेजरमेंट' के बाद यह नतीजा निकला था कि भारतीय बाजार में मिलने वाले कंडोम पुरुषों के लिंग के साइज के अनुपात में बड़े होते हैं। आईसीएमआर के लिए सर्वे करने वाले डॉ॰ शर्मा ने अपनी शोध रिपोर्ट साल 2006 में भारत सरकार को सौंप दी थी। हालांकि इसके बाद कंडोम बनाने वालों के लिए कोई भी दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए थे। ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 के अनुच्छेद 'आर' के मुताबिक भारत में कंडोम का साइज कम से कम 6.7 इंच रखना अनिवार्य है। बहरहाल, सर्वे में 1400 पुरुषों का डाटा लिया गया था जिसमें 18-50 आयुवर्ग के पुरुष शामिल थे। इससे पहले साल 2001 तक मुंबई में इकट्ठा किए गए (200 लोगों के) डाटा के मुताबिक 60 प्रतिशत भारतीय पुरुषों के प्राइवेट पार्ट की औसत लंबाई 4.4 से 4.9 इंच के बीच और 30 प्रतिशत की लंबाई 4 से 4.9 इंच बताई गई थी। .

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मार्शल आर्ट

मार्शल आर्ट या लड़ाई की कलाएं विधिबद्ध अभ्यास की प्रणाली और बचाव के लिए प्रशिक्षण की परंपराएं हैं। सभी मार्शल आर्ट्स का एक समान उद्देश्य है: ख़ुद की या दूसरों की किसी शारीरिक ख़तरे से रक्षा । मार्शल आर्ट को विज्ञान और कला दोनों माना जाता है। इनमें से कई कलाओं का प्रतिस्पर्धात्मक अभ्यास भी किया जाता है, ज़्यादातर लड़ाई के खेल में, लेकिन ये नृत्य का रूप भी ले सकती हैं। मार्शल आर्ट्स का मतलब युद्ध की कला से है और ये लड़ाई की कला से जुड़ा पंद्रहवीं शताब्दी का यूरोपीय शब्द है जिसे आज एतिहासिक यूरोपीय मार्शल आर्ट्स के रूप में जाना जाता है। मार्शल आर्ट के एक कलाकार को मार्शल कलाकार के रूप में संदर्भित किया जाता है। मूल रूप से 1920 के दशक में रचा गया ये शब्द मार्शल आर्ट्स मुख्य तौर पर एशिया के युद्ध के तरीके के संदर्भ में था, विशेष तौर पर पूर्वी एशिया में जन्मे लड़ाई के तरीके के.

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मार्जरीन

एक टब में मार्जरीन मार्जरीन (या), सामान्य शब्द के रूप में, विस्तृत मक्खन स्थानापन्न पदार्थों में किसी भी एक को सूचित करता है। दुनिया के कई भागों में, मार्जरीन और स्प्रेड का बाज़ार अंश मक्खन से आगे निकल गया है। मार्जरीन कई खाद्य पदार्थों और व्यंजनों की तैयारी का एक घटक है, तथा बोलचाल की भाषा में इस कभी-कभी ओलियो कहा जाता है। मार्जरीन स्वाभाविक रूप से सफेद या लगभग सफेद दिखाई देता है: कृत्रिम रंजन कारकों को मिलाने की मनाही द्वारा, विधायकों ने कुछ क्षेत्राधिकारों में पाया है कि मार्जरीन के उपभोग को हतोत्साहित करते हुए वे अपने डेयरी उद्योग की रक्षा कर सकते हैं। अमेरिका, ऑस्ट्रलेशिया और कनाडा में रंग मिलाने पर रोक आम बात हो गई; और कुछ मामलों में, ये प्रतिबंध लगभग 100 साल तक बने रहे। उदाहरण के लिए, 1960 तक, ऑस्ट्रेलिया में रंगीन मार्जरीन की बिक्री वैध नहीं थी। .

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मालाबार

मालाबार केरल राज्य में अवस्थित पश्चिमी घाट और अरब सागर के बीच भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिम तट के समानांतर एक संकीर्ण तटवर्ती क्षेत्र है। जब स्‍वतंत्र भारत में छोटी रियासतों का विलय हुआ तब त्रावनकोर तथा कोचीन रियासतों को मिलाकर १ जुलाई, १९४९ को त्रावनकोर-कोचीन राज्य बना दिया गया, किंतु मालाबार मद्रास प्रांत के अधीन रहा। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, १९५६ के तहत त्रावनकोर-कोचीन राज्य तथा मालाबार को मिलाकर १ नवंबर, १९५६ को केरल राज्य बनाया गया। केरल के अधिकांश द्वीप जो त्रावणकोर-मालाबार राज्य में आते थे, अब एर्नाकुलम जिले में आते हैं। मालाबार क्षेत्र के अंतर्गत पर्वतों का अत्यधिक आर्द्र क्षेत्र आता है। वनीय वनस्पति में प्रचुर होने के साथ-साथ इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों, जैसे नारियल, सुपारी, काली मिर्च, कॉफी और चाय, रबड़ तथा काजू का उत्‍पादन किया जाता है। मालाबार क्षेत्र केरल का बड़ा व्यावसायिक क्षेत्र माना जाता है। यहाँ उच्चकोटि के कागज का भी निर्माण होता है। यहां पर एशिया की सबसे मशहूर प्लाईवुड फैक्टरी भी स्थित है। इसके अलावा यहां के निकटवर्ती स्थानों पर फूलों के उत्पादन तथा उनके निर्यात के प्रमुख केंद्र भी स्थित हैं। हस्तकला की वस्तुओं तथा बीड़ी आदि का उत्पादन भी मालाबार में काफी होता है। मालाबार तट पर बसे हुए कण्णूर नगर में पयंबलम, मुझापूलंगड तथा मियामी जैसे सुंदर बीच हैं जो अभी पर्यटकों में अधिक प्रसिद्ध नहीं हैं, अतएव शांत वातावरण बनाए हुए हैं। यहां पायथल मलै नामक आकर्षक पर्वतीय स्थल भी है। निकट ही यहां का सर्प उद्यान है जहां पर अनेक प्रकार के सांपों का प्रदर्शन किया गया है। इस स्थान पर सर्पदंश चिकित्सा केंद्र भी बना है। मालाबार में मलावलतम नदी के किनारे पर परासनी कडायू का प्रसिद्ध मंदिर है, जो केवल हिंदू ही नहीं बल्कि अन्य सभी जातियों के लिए भी समान रूप से खुला है। यह मुथप्पन भगवान का मंदिर माना जाता है जो शिकारियों के देवता हैं। इसीलिए इस मंदिर में कांसे के बने हुए कुत्तों की मूर्तियां हैं। यहां ताड़ी तथा मांस का प्रसाद मिलता है तथा यहां के पुजारी दलित वर्ग के होते हैं। केरल की अधिकांश मुस्लिम आबादी, जिन्हें मप्पिला कहते हैं इसी क्षेत्र में निवास करती हैं। मालाबार के हिन्दुओं में गुड़ी पड़वा उत्सव का विशेष महत्त्व है। मालाबार क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य, संस्कृति तथा प्रदूषण रहित वातावरण को देख कर मन खुश हो जाता है। वास्को डा गामा की यात्रा के ५०० वर्ष पूरे होने के कारण यह स्थान विश्व प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है। मालाबार में कालीकट से १६ कि॰मी॰ दूर कापड़ बीच है, जहां २१ मई, १४९८ को वास्को दा गामा ने पहला कदम भारत की भूमि पर रखा था। प्रभासाक्षी पर .

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माइसीनियाई यूनानी

रेखीय बी (लीनियर बी) नामक लिपि में लिखी माइसीनियाई यूनानी - यह सन् १४५० ईसापूर्व में बने अभिलेख सौभाग्य से आग में पककर सख़्त होने की वजह से आधुनिक युग तक बच गए माइसीनियाई यूनानी (यूनानी: Μυκηναϊκή διάλεκτος, मुकिनाइकी दिआलेक्तोस) यूनानी भाषा का सब से प्राचीन ज्ञात रूप है। यह यूनान के मुख्य प्रायद्वीप, क्रीत के द्वीप और साइप्रस पर १६वीं से १२वीं सदी ईसापूर्व में बोली जाती थी। बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि इस काल के बाद यूनानी सभ्यता के दक्षिणी क्षेत्र में डोरियाई आक्रमण हुआ जिस से उत्तरी यूनान कि उपभाषाओं ने दक्षिणी यूनानी उपभाषाओं का अंत कर दिया। इस भाषा का नाम यूनान की राजधानी एथंस से ९० किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित माइसीने (Μυκῆναι, Mycenae) पुरातत्व स्थल पर रखा गया है। .

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माइकल बल्लैक

माइकल बल्लैक (जन्म 26 सितंबर 1976) पेशेवर जर्मन फुटबॉल के खिलाड़ी हैं, जो इस समय बूंदेस्लिगा क्लब बायर लीवरकुसेनके लिए खेलते हैं। अपने अंतरराष्ट्रीय टीम के इतिहास में सबसे अधिक गोल करनेवालों में से वे एक हैं। बल्लैक केवल कैसेर्सलौतेर्न को छोड़ कर सभी टीमों के लिए खेलते हुए 13 नंबर की शर्ट पहनते हैं। पेले द्वारा वे फीफा के 100 महानतम जीवित खिलाड़ियों और 2002 में यूईएफए क्लब के मिडफील्डर के रूप में से एक चुने गए हैं। 2002, 2003 और 2005 में तीन बार उन्होंने वर्ष के बेहतरीन जर्मन फुटबॉल खिलाड़ी का पुरस्कार जीता है। बल्लैक ने अपने कैरियर शुरूआत बहुत ही युवावस्था में चेम्नित्ज़ से की और 1995 में अपने पेशेवर रूप में खेलना शुरू किया। हालांकि पहले ही सीजन में टीम निष्कासित हो गयी, लेकिन रेगिओनाल्लिगा में बाद के सीजन में उनके प्रदर्शन के कारण उनका हस्तांतरण कैसरस्लॉतेर्ण में हो गया। क्लब में अपने पहले ही सीजन में उन्होंने बूंदेस्लिगा जीत लिया, यह उनका पहला बड़ा सम्मान था। 1998-99 के सीजन में वे टीम के पहले नियमित सदस्य बने और जर्मनी के लिए उन्होंने पहला वरिष्ठ राष्ट्रीय कैप हासिल किया। 1999 में 4.1 मिलियन यूरो के लिए वे बायर लीवरकुसेन में चले गए। 2002 के सीजन में उन्हें प्रतियोगिता में दूसरे विजेता के रूप में ढेर सारा पदक पाते देखा गया: बायर लीवरकुसेन ने बूंदेस्लिगा में, जर्मन कप, यूईएफए चैंपियन्स लीग और 2002 के विश्व कप फाइनल में ब्राजील से हार कर जर्मनी दूसरे स्थान पर रहा.

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मित्तानी साम्राज्य

मित्तानी साम्राज्य मित्तानी साम्राज्य यह सा्म्राज्य कई सदियों तक (१६०० -१२०० ईपू) पश्चिम एशीया में राज करता रहा। इस वंश के सम्राटों के संस्कृत नाम थे। विद्वान समझते हैं कि यह लोग महाभारत के पश्चात भारत से वहां प्रवासी बने। कुछ विद्वान समझते हैं कि यह लोग वेद की मैत्रायणीय शाखा के प्रतिनिधि हैं। मित्तानी देश की राजधानी का नाम वसुखानी (धन की खान) था। इस वंश के वैवाहिक सम्बन्ध मिस्र से थे। एक धारणा यह है कि इनके माध्यम से भारत का बाबिल, मिस्र और यूनान पर गहरा प्रभाव पडा। .

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मित्रपक्ष शक्तियाँ

१९४३ के तेहरान सम्मलेन में मित्रपक्ष शक्तियों के तीन प्रमुख नेता - सोवियत संघ के जोसेफ़ स्टालिन, संयुक्त राज्य अमेरिका के फ्रेंकलिन रोज़वेल्ट और ब्रिटेन के विंस्टन चर्चिल मित्रपक्ष शक्तियाँ या ऐलाइड शक्तियाँ (अंग्रेज़ी: Allied powers) उन देशों का गुट था जिन्होनें द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन का साथ दिया और अक्ष शक्तियों (ऐक्सिस शक्तियों) के ख़िलाफ़ लड़े। भिन्न मित्रपक्ष देश द्वितीय विश्वयुद्ध की मुठभेड़ में या तो इसलिए शामिल हुए क्योंकि उनपर अक्ष देश या देशों ने आक्रमण कर दिया, या उन्हें अपने ऊपर आक्रमण होने का डर था, या फिर उन्हें चिंता थी कि अक्ष शक्तियाँ अगर जीत गयी तो पूरी दुनिया पर हावी हो जाएँगी।, U. S. Army Center of Military History and World War II History, Accessed 17 सितंबर 2009 १ सितम्बर १९३९ में युद्ध की शुरआत में फ़्रांस, पोलैंड और संयुक्त राजशाही (ब्रिटेन) ही मित्रपक्ष में थे। जल्द ही ब्रिटेन के कुछ अधीन देश - ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यू ज़ीलैंड और दक्षिण अफ़्रीका भी इस गुट में सम्मिलित हो गए। १९४१ के बाद मित्रपक्ष का नेतृत्व ब्रिटेन, अमेरिका और सोवियत संघ ने मिलकर किया। भारत (जो ब्रिटिश राज के अधीन था), बेल्जियम, यूनान, मेक्सिको, चेकोस्लोवाकिया, नॉर्वे, नेदरलैंड्ज़, इथियोपिया और ब्राज़ील में मित्रपक्ष में थे। १९४५ में जाकर मित्रपक्ष शक्तियों की जीत होने पर अक्ष शक्तियों का गुट ख़त्म हो गया। .

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मिनियापोलिस

मिनियापोलिस "झीलों का शहर" और "मिलों का शहर" के रूप में उपनाम सहित हेन्नेपिन काउंटी का काउंटी सीट है, जो अमेरिकी राज्य मिनेसोटा का सबसे बड़ा शहर और अमेरिका का 47वां बड़ा शहर है। इसके नाम का श्रेय शहर के पहले स्कूल टीचर को दिया जाता है, जिन्होंने पानी के लिए डकोटा शब्द mni को, तथा शहर के लिए ग्रीक शब्द polis को जोड़ा.

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मिनोआई सभ्यता

क्नोसोस के खंडरों में मिले बासन क्रीत पर मिनोआई सभ्यता से सम्बंधित पुरातन स्थल यह या तो कोई "सर्प देवी" थी या फिर किसी पुजारिन की आकृति है मिनोआई सभ्यता कांस्य युग में यूनान के दक्षिण में स्थित क्रीत के द्वीप पर उभरकर २७वीं सदी ईसापूर्व से १५वीं सदी ईसापूर्व तक फलने-फूलने वाली एक संस्कृति थी। यह यूरोप की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। इतिहासकारों को मिले सुराग़ों से ज्ञात हुआ है कि मानव १२८,००० ईपू में ही आकर क्रीत पर बस चुके थे लेकिन यहाँ कृषि लगभग ५००० ईपू में ही जाकर विकसित स्तर पर पहुँची। .

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मिस यूनीवर्स विजेताओं की सूची

मिस यूनीवर्स उपाधि जीतने वाली महिलाओं की सूची नीचे दी गई है। नताली ग्लेबोवा 2005 के टोरंटो फ़िल्म समारोह में.

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मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था

मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (Missile Technology Control Regime), जिसे संक्षिप्त में ऍम॰ टी॰ सी॰ आर॰ (MTCR) भी कहते हैं, कई देशों का एक अनौपचरिक संगठन है जिनके पास प्रक्षेपास्त्र व मानव रहित विमान (ड्रोन) से सम्बन्धित प्रौद्योगिक क्षमता है और जो इसे फैलने से रोकने के लिये नियम स्थापित करते हैं। जून 2016 में इसमें 35 देश शामिल थे। 27 जून 2016 को भारत इसका पूर्ण सदस्य बन गया। .

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मंगलवार

मंगलवार सप्ताह का तीसरा दिन है। यह सोमवार के बाद और बुधवार से पहले आता है। मंगलवार का यह नाम मंगल से पड़ा है जिसका अर्थ कुशल या शुभ होता है, मंगल का अर्थ भगवान हनुमान से भी लगाया जाता है। .

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मुहम्मद इब्न मूसा अल-ख़्वारिज़्मी

अबू अब्दल्लाह मुहम्मद इब्न मूसा अल-ख़्वारिज़्मी (अरबी:, अंग्रेज़ी: Muḥammad ibn Mūsā al-Khwārizmī; जन्म: लगभग ७८० ई; देहांत: लगभग ८५० ई), जिन्हें पश्चिमी देशों में ग़लती से अल्गोरित्मी (Algoritmi) और अलगौरिज़िन​ (Algaurizin) भी कहा जाता था, एक ईरानी-मूल के गणितज्ञ, खगोलशास्त्री और भूगोलवेत्ता थे।, Cristopher Moore, Stephan Mertens, pp.

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मैराथन दौङ

मैराथन दौड़ एक लंबी दौड़ है। इसका आरंभ यूनान के फीडीप्पीडीज नामक सिपाही के सम्मान में किया गया था। श्रेणी:खेल.

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मैराथन का युद्ध

मैराथन का युद्ध (Μάχη τοῦ Μαραθῶνος) प्राचीन यूनान में लडा गया जिसमें फारस की सेना परास्त हुई। इस घटना की सूचना देने हेतु एक सेनिक ने पहली बार मैराथन की दोड लगाई थी। .

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मैसिडोनिया

मैसिडोनिया (मैसिडोनियाई: Република Македонија), आधिकारिक रूप से मैसिडोनिया गणराज्य दक्षिणी यूरोप के मध्य बाल्कन प्रायद्वीप पर स्थित एक देश है। यह कभी यूगोस्लाविया का भाग हुआ करता था, जिससे 1991 में इसने स्वतंत्रता की घोषणा की। यह 1993 में संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना, लेकिन यूनान के साथ नाम के विवाद की वजह से इसे पूर्व यूगोस्लाव गणराज्य मैसिडोनिया (FYROM) के अस्थाई नाम से प्रवेश दिया गया। यह एक लैंडलॉक देश है, जिसकी सीमा उत्तरपश्चिम में कोसोवो, उत्तर में सर्बिया, पूर्व में बुल्गारिया, दक्षिण में ग्रीस और पश्चिम में अल्बानिया से मिलती है। इसकी राजधानी स्कोप्जे है, अन्य शहरों में बितोला, कुमानोवा, प्रिलिप, ओहरिड, वेलेस, स्टिप, कोकानी, गोस्तिवार और स्त्रूमिका शामिल हैं। यहां 50 से ज्यादा झीलें और 2000 मीटर (6,562 फीट) से ऊंचे 16 पर्वत हैं। मैसिडोनिया संयुक्त राष्ट्र और यूरोप के परिषद का सदस्य है। दिसंबर 2005 से यह यूरोपीय संघ में शामिल होने के लिए उम्मीदवार है, इसके अलावा नाटो सदस्यता के लिए भी आवेदन दिया हुआ है। यहां की मैसिडोनियाई भाषा और अल्बानियाई भाषा मुख्य- और राजभाषाएँ हैं। .

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मैसूर मल्लिगे

यह लेख फूल मल्लिगे के बारे में है। इस फूल के नाम पर लिखी गई के.

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मेटरनिख

मेटरनिख मेटरनिख (Prince Klemens Wenzel von Metternich (जर्मन में पूरा नाम: Klemens Wenzel Nepomuk Lothar, Fürst von Metternich-Winneburg zu Beilstein, अंग्रेजी रूपान्तरण: Clement Wenceslas Lothar von Metternich-Winneburg-Beilstein; 15 मई 1773 – 11 जून 1859) राजनेता व राजनयज्ञ था। वह १८०९ से १८४८ तक आस्ट्रियाई साम्राज्य का विदेश मंत्री रहा। वह अपने समय का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे प्रतिभाशाली राजनयिक था। नेपोलियन की वाटरलू पराजय के बाद मेटरनिख यूरोप की राजनीति का सर्वेसर्वा बन गया। उसने यूरोपीय राजनीति में इतनी प्रमुख भूमिका निभाई कि 1815 से 1848 तक के यूरोपीय इतिहास का काल 'मेटरनिख युग’ के नाम से प्रसिद्ध है। मेटरनिख ने अपने प्रधानमन्त्रितत्व-काल में प्रतिक्रया और अनुदारीता का अनुकरण करने की नीति अपनाई और उसके प्रभाव के कारण आस्ट्रिया का साम्राज्य यूरोप में अत्यन्त महत्वपूर्ण बन गया। .

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मेगस्थनीज

मेगस्थनीज यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त के दरबार में आया था। मेगस्थनीज (Megasthenes / Μεγασθένης, 350 ईसापूर्व - 290 ईसा पूर्व) यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त के दरबार में आया था। यूनानी सामंत सिल्यूकस भारत में फिर राज्यविस्तार की इच्छा से 305 ई. पू.

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मोतियाबिंद शल्यक्रिया

मानव आंख में मोतियाबिंद- एक स्लिट लैंप के साथ परीक्षण में देखा गया परिवर्द्धित दृश्य मोतियाबिंद शल्यक्रिया आंख के प्राकृतिक लेन्स (मणिभ लेन्स भी कहा जाता है) जिसमें अपारदर्शन विकसित हो गया है तथा जो मोतियाबिंद कहलाता है, उसे शल्यक्रिया द्वारा हटाने की क्रिया है। समय के साथ मणिभ लेन्स तंतुओं के चयापचयी परिवर्तनों के कारण मोतियाबिंद का विकास होता है और पारदर्शिता चली जाती है, जिसके कारण दृष्टि कम या नष्ट हो जाती है। कई मरीजों के प्रथम लक्षण हैं रात में प्रकाश तथा छोटे प्रकाश स्रोतों से तीव्र चमक, प्रकाश के कम स्तर पर गतिविधियों में कमी.

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यहूदी

यहूदी जाति 'यहूदी' का मौलिक अर्थ है- येरूशलेम के आसपास के 'यूदा' नामक प्रदेशें का निवासी। यह प्रदेश याकूब के पुत्र यूदा के वंश को मिला था। बाइबिल में 'यहूदी' के निम्नलिखित अर्थ मिलते हैं- याकूब का पुत्र यहूदा, उनका वंश, उनकर प्रदेश, कई अन्य व्यक्तियों के नाम। यूदा प्रदेश (Kingdom of Juda) के निवासी प्राचीन इजरायल के मुख्य ऐतिहासिक प्रतिनिधि बन गए थे, इस कारण समस्त इजरायली जाति के लिये यहूदी शब्द का प्रयोग होने लगा। इस जाति का मूल पुरूष अब्राहम थे, अत: वे 'इब्रानी' भी कहलाते हैं। याकूब का दूसरा नाम था इजरायल, इस कारण 'इब्रानी' और 'यहूदी' के अतिरक्ति उन्हें 'इजरायली' भी कहा जाता है। यहूदी धर्म को मानने वालों को यहूदी (en:Jew) कहा जाता है। यहूदियों का निवास स्थान पारंपरिक रूप से पश्चिम एशिया में आज के इसरायल को माना जाता है जिसका जन्म १९४७ के बाद हुआ। मध्यकाल में ये यूरोप के कई क्षेत्रों में रहने लगे जहाँ से उन्हें उन्नीसवीं सदी में निर्वासन झेलना पड़ा और धीरे-धीरे विस्थापित होकर वे आज मुख्यतः इसरायल तथा अमेरिका में रहते हैं। इसरायल को छोड़कर सभी देशों में वे एक अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में रहते हैं। इन्का मुख्य काम व्यापार है। यहूदी धर्म को इसाई और इस्लाम धर्म का पूर्ववर्ती कहा जा सकता है। इन तीनों धर्मों को संयुक्त रूप से 'इब्राहिमी धर्म' भी कहते हैं। अल्लाह ने यहूदियों के बारे में पवित्र कुरान में कहा "ऐ बनी इसराइल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंने पहले तुम्हें दी और ये (भी तो सोचो) कि हमने तुमको सारे जहाँन के लोगों से बढ़ा दिया" (Sura 2-47) "और अपनी क़ौम से उन लोगों की हालत तो तुम बखू़बी जानते हो जो शम्बे (सनीचर) के दिन अपनी हद से गुज़र गए (कि बावजूद मुमानिअत शिकार खेलने निकले) तो हमने उन से कहा कि तुम राइन्दे गए बन्दर बन जाओ (और वह बन्दर हो गए)" (Sura2-65) "फिर तुममें से थोड़े आदमियों के सिवा (सब के सब) फिर गए और तुम लोग हो ही इक़रार से मुँह फेरने वाले.और (वह वक़्त याद करो) जब हमने तुम (तुम्हारे बुजुर्गों) से अहद लिया था कि आपस में खू़रेजि़याँ न करना और न अपने लोगों को शहर बदर करना तो तुम (तुम्हारे बुजुर्गों) ने इक़रार किया था और तुम भी उसकी गवाही देते हो .(कि हाँ ऐसा हुआ था) फिर वही लोग तो तुम हो कि आपस में एक दूसरे को क़त्ल करते हो और अपनों से एक जत्थे के नाहक़ और ज़बरदस्ती हिमायती बनकर दूसरे को शहर बदर करते हो (और लुत्फ़ तो ये हैं कि) अगर वही लोग क़ैदी बनकर तम्हारे पास (मदद माँगने) आए तो उनको तावान देकर छुड़ा लेते हो हालाँकि उनका निकालना ही तुम पर हराम किया गया था तो फिर क्या तुम (किताबे खु़दा की) बाज़ बातों पर ईमान रखते हो और बाज़ से इन्कार करते हो बस तुम में से जो लोग ऐसा करें उनकी सज़ा इसके सिवा और कुछ नहीं कि जि़न्दगी भर की रूसवाई हो और (आखि़रकार) क़यामत के दिन सख़्त अज़ाब की तरफ लौटा दिये जाए और जो कुछ तुम लोग करते हो खु़दा उससे ग़ाफि़ल नहीं है" (Sura 2-83,84,85) "और तुम्हारे पास मूसा तो वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ ही चुके थे फिर भी तुमने उनके बाद बछड़े को खु़दा बना ही लिया और उससे तुम अपने ही ऊपर ज़ुल्म करने वाले थे"(Sura2-92) "बनी इसराईल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंनं तुम को दी हैं और ये कि मैंने तुमको सारे जहाँन पर फज़ीलत दी " (Sura 2-122) "बेशक हम ने तौरेत नाजि़ल की जिसमें (लोगों की) हिदायत और नूर (ईमान) है उसी के मुताबिक़ ख़ुदा के फ़रमाबरदार बन्दे (अम्बियाए बनी इसराईल) यहूदियों को हुक्म देते रहे और अल्लाह वाले और उलेमाए (यहूद) भी किताबे ख़ुदा से (हुक्म देते थे) जिसके वह मुहाफि़ज़ बनाए गए थे और वह उसके गवाह भी थे बस (ऐ मुसलमानों) तुम लोगों से (ज़रा भी) न डरो (बल्कि) मुझ ही से डरो और मेरी आयतों के बदले में (दुनिया की दौलत जो दर हक़ीक़त बहुत थोड़ी क़ीमत है) न लो और (समझ लो कि) जो ख़्स ख़ुदा की नाजि़ल की हुयी (किताब) के मुताबिक़ हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग काफि़र हैं" (Sura 5-44) "(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तुम्हें ख़ुदा के नज़दीक सज़ा में इससे कहीं बदतर ऐब बता दॅू (अच्छा लो सुनो) जिसपर ख़ुदा ने लानत की हो और उस पर ग़ज़ब ढाया हो और उनमें से किसी को (मसख़ करके) बन्दर और (किसी को) सूअर बना दिया हो और (ख़ुदा को छोड़कर) शैतान की परस्तिश की हो बस ये लोग दरजे में कहीं बदतर और राहे रास्त से भटक के सबसे ज़्यादा दूर जा पहँचे हैं " (Sura 5-60) "यहूद तो कहते हैं कि अज़ीज़ ख़़ुदा के बेटे हैं और नुसैरा कहते हैं कि मसीहा (ईसा) ख़़ुदा के बेटे हैं ये तो उनकी बात है और (वह ख़ुद) उन्हीं के मुँह से ये लोग भी उन्हीं काफि़रों की सी बातें बनाने लगे जो उनसे पहले गुज़र चुके हैं ख़़ुद उनको क़त्ल (तहस नहस) करके (देखो तो) कहाँ से कहाँ भटके जा रहे हैं" (Sura 9-30) "ऐ बनी इसराइल हमने तुमको तुम्हारे दुश्मन (के पंजे) से छुड़ाया और तुम से (कोहेतूर) के दाहिने तरफ का वायदा किया और हम ही ने तुम पर मन व सलवा नाजि़ल किया.और (फ़रमाया) कि हमने जो पाक व पाक़ीज़ा रोज़ी तुम्हें दे रखी है उसमें से खाओ (पियो) और उसमें (किसी कि़स्म की) शरारत न करो वरना तुम पर मेरा अज़ाब नाजि़ल हो जाएगा और (याद रखो कि) जिस पर मेरा ग़ज़ब नाजि़ल हुआ तो वह यक़ीनन गुमराह (हलाक) हुआ " (Sura 20-80,81) "और हमने बनी इसराईल को किताब (तौरेत) और हुकूमत और नबूवत अता की और उन्हें उम्दा उम्दा चीज़ें खाने को दीं और उनको सारे जहाँन पर फ़ज़ीलत दी.और उनको दीन की खुली हुई दलीलें इनायत की तो उन लोगों ने इल्म आ चुकने के बाद बस आपस की जि़द में एक दूसरे से एख़्तेलाफ़ किया कि ये लोग जिन बातों से एख़्तेलाफ़ कर रहें हैं क़यामत के दिन तुम्हारा परवरदिगार उनमें फैसला कर देगा" (Sura 45-16,17) .

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यहूदी धर्म

यहूदी धर्म इस्राइल और हिब्रू भाषियों का राजधर्म है और इसका पवित्र ग्रंथ तनख़ बाईबल का प्राचीन भाग माना जाता है। धार्मिक पैग़म्बरी मान्यता मानने वाले धर्म इस्लाम और ईसाई धर्म का आधार इसी परम्परा और विचारधारा को माना जाता है। इस धर्म में एकेश्वरवाद और ईश्वर के दूत यानि पैग़म्बर की मान्यता प्रधान है। अपने लिखित इतिहास की वजह से ये कम से कम ३००० साल पुराना माना जाता है। यहूदी धर्म को माननेवाले विश्व में करीब १.४३ करोड़ है, जो विश्व की जनसंख्या में ०.2% है। .

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यातायात संकेत (ट्रैफिक साइन)

क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में वारेगो राजमार्ग पर एक "मार्ग पुष्टि" संकेत, जो चालकों को सूचीबद्ध स्थानों से उनकी दूरी (किलोमीटर में) के बारे में जानकारी देता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक संकेत जो मील प्रति घंटे में स्थानीय गति सीमा के बारे में बताता है आगे आने वाले एक दोहरे मोड़ की चेतावनी देने वाले एक ताइवान संकेत के डिजाइन विनिर्देश एक स्तंभ पर दो या इससे अधिक संकेतों को प्रदर्शित किया जा सकता है। यहाँ एक कनाडाई सड़क-अंत का निशान एक ग्रामीण हवाई अड्डे के संकेत के साथ दिखाई देता है। यातायात संकेत (ट्रैफिक साइन) या सड़क संकेत (रोड साइन), सड़क का उपयोग करने वालों को जानकारी प्रदान करने के लिए सड़कों के किनारे लगाए गए संकेतों को कहते हैं। पिछले आठ दशकों में वाहनों की संख्या में वृद्धि के साथ कई देशों ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा को सुविधाजनक बनाने (जहाँ भाषा संबंधी अंतर अवरोध पैदा करते हैं) तथा आम तौर पर यातायात सुरक्षा को बढ़ाने में मदद के लिए सचित्र संकेतों को अपनाया है या अन्यथा अपने संकेतों को सरलीकृत और मानकीकृत किया है। इस तरह के सचित्र संकेतों में शब्दों के स्थान पर चिन्हों (अक्सर छायाचित्रों) का उपयोग किया जाता है और ये आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल पर आधारित होते हैं। ऐसे संकेतों को सबसे पहले यूरोप में विकसित किया गया था और इन्हें देशों द्वारा विभिन्न स्तरों पर अपनाया गया है। .

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यूटोपिया

लेफ्ट पेनल (द अर्थली पैराडाइज, गार्डन ऑफ ईडन), हिरोनमस बॉश के द गार्डेन ऑफ अर्थली डिलाइट्स. यूटोपिया एक आदर्श समुदाय या समाज के लिए एक नाम है जो कि 1516 में सर थॉमस मोर द्वारा लिखी गयी पुस्तक ऑफ द बैस्ट स्टेट ऑफ ए रिपब्लिक एण्ड ऑफ द न्यू आइलैण्ड यूटोपिए से लिया गया है जिसमें अटलांटिक महासागर के एक काल्पनिक टापू के एक बिल्कुल उत्कृष्ट लगने वाले सामाजिक-राजनीतिक-कानूनी तंत्र का वर्णन किया गया है। इस पद को सुविचारित समुदायों जिन्होने एक आदर्श समाज बनाने की कोशिश की और साहित्य में चित्रित काल्पनिक समाज दोनों का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इसने दूसरी अवधारणाओं को जन्म दिया, जिसमें सबसे प्रमुख है आतंक राज्य.

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यूटीसी +०२:००

यूटीसी+०१:०० - नीला (दिसम्बर), नारंगी (जून), पीला (पूरा वर्ष), हल्का नीला - समुद्री इलाक़े यूटीसी +०२:०० (UTC+02:00) वह यूटीसी समय अंतर है जो समन्वयित विश्वव्यापी समय (यूटीसी) से दो घंटे आगे हो, यानि +०२:०० हो। .

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यूनान का ध्वज

यूनान का ध्वज यूनान का राष्ट्रीय ध्वज है। श्रेणी:यूनान श्रेणी:ध्वज.

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यूनान का इतिहास

यूनान के इतिहास से आशय आधुनिक यूनान के अन्दर आने वाले क्षेत्रों का इतिहास से होने के अलावा इसका आशय यूनानी लोगों तथा उनके द्वारा शासित प्रदेशों के इतिहास से है। यूनानी लोगों के वास का क्षेत्र अलग-अलग काल में भिन्न-भिन्न रहा है, इस कारण यूनान का इतिहास भी इस मामले में परिवर्ती है कि किस युग में किस क्षेत्र क्षेत्र को 'यूनान' कहा जाय। .

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यूनान की पौराणिक कथा

ग्रीक पौराणिक कथाओं मिथकों का शरीर है और किंवदंतियों प्राचीन उनके देवताओं और नायक, दुनिया की प्रकृति के विषय में यूनानी और मूल और अपने स्वयं के पंथ और पूजा पद्धतियों के महत्व से संबंधित.

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यूनानी

यूनानी का अर्थ यूनान-सम्बन्धी -- लोग, भाषा, संस्कृति अत्यदि। यूनानियों ने भारत को इंडिया कहा .

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यूनानी चिकित्सा पद्धति

यूनानी चिकित्सा पद्धति को केवल यूनानी या हिकमत के नाम से भी पुकारा जाता है। इसे " यूनानी-तिब " या केवल " यूनान " के नाम से भी जाना जाता है। यूनानी तिब में यूनानी शब्द मूलत: " लोनियन " का अरबी रूपांतरण है जिसका अर्थ ग्रीक या यूनान है। भारत में सौ से अधिक यूनानी चिकित्सा विश्वविद्यालयों में यूनानी चिकित्सा पद्धति सिखाया जाता है। यह प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के करीब है। इसे भारत में भी वैकल्पिक चिकित्सा माना गया है। यूनानी चिकित्सा पद्धति का इतिहास बड़ा शानदार था पर वर्तमान में एलोपैथी के सामने इसका टिकना बड़ा कठिन हो रहा है। .

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यूनानी दर्शन

यूनान की भूमि दर्शन के लिये बहुत उर्वर रही है। बहुत से विद्वान मानते हैं कि यूनानी दर्शन ने सम्पूर्ण पाश्चात्य चिन्तन पर अमिट छाप छोड़ा है। .

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यूनानी धर्म

प्राचीन यूनानी धर्म (अथवा प्राचीन ग्रीक धर्म) प्राचीन यूनान (ग्रीस) देश का सबसे मुख्य- और राजधर्म था। ये एक मूर्तिपूजक और बहुदेवतावादी धर्म था। इसमें एक अदृश्य ईश्वर की अवधारणा नहीं थी। ईसाई धर्म के राजधर्म बनने के बाद ईसाइयों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया और इसके देवी-देवताओं को शैतान करार दिया। इसके बाद ये लुप्त हो गया। ग्रीक पौराणिक कथाएं, उन प्राचीन यूनानियों, उनके देवताओं, नायकों, दुनिया की प्रकृति, अनुष्ठान प्रथाओं के महत्व के विषय में संबंधित मिथकों और किंवदंतियों का आधार हैं। वे प्राचीन ग्रीस में धर्म का एक हिस्सा थीं आधुनिक विद्वानों ने इन मिथकों का अध्ययन कर प्राचीन ग्रीस, इसकी सभ्यता की धार्मिक और राजनीतिक संस्थाओं पर प्रकाश डाला है और लाभ मिथक बनाने की प्रकृति को समझने का प्रयास किया है। ग्रीक पौराणिक कथाएं कथा रूप मे भारी मात्रा में संग्रहीत हैं। इनका बड़ा संग्रह परोक्ष रूप मे फूलदानओं पर उकेरी कला कृतियों के रूप में, भित्तिचित्रों कि द्वारा दुनिया कि उत्पत्ति के विवरणओं, जीवन और देवताओं, देवी, नायकों, नायिकाओं और पौराणिक प्राणियों की एक विस्तृत विविधता के रोमांच की व्याख्या करने का प्रयास करतए है। इन कथनकों को शुरू में एक मौखिक काव्य परंपरा में फैलाया गया, आज ग्रीक मिथकों को ग्रीक साहित्य से मुख्य रूप से जाना जाता है। Iliad और ओडिसी दो महाकाव्य, प्राचीनतम ज्ञात यूनानी साहित्यिक स्रोत, ट्रोजन युद्ध के आसपास की घटनाओं पर ध्यान केंद्रित हैं। होमर के समकालीन हेसियड, Theogony के आक्ख्यान दुनिया की उत्पत्ति, दिव्य शासकों व उनके उत्तराधिका्रियों के, मानव युगों के बारे में मानवीय संकट के भययोग्य उद्गम और बलि प्रथाओं केविषय मे जानकारी देते हैं। मिथक होमेर के भजनों में भी संरक्षित हैं, इस काल के काव्य खण्डों में, गेय कविताओं में, पांचवीं शताब्दी ई.पू.

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यूनानी भाषा

यूनानी या ग्रीक (Ελληνικά या Ελληνική γλώσσα), हिन्द-यूरोपीय (भारोपीय) भाषा परिवार की स्वतंत्र शाखा है, जो ग्रीक (यूनानी) लोगों द्वारा बोली जाती है। दक्षिण बाल्कन से निकली इस भाषा का अन्य भारोपीय भाषा की तुलना में सबसे लंबा इतिहास है, जो लेखन इतिहास के 34 शताब्दियों में फैला हुआ है। अपने प्राचीन रूप में यह प्राचीन यूनानी साहित्य और ईसाईयों के बाइबल के न्यू टेस्टामेंट की भाषा है। आधुनिक स्वरूप में यह यूनान और साइप्रस की आधिकारिक भाषा है और करीबन 2 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। लेखन में यूनानी अक्षरों का उपयोग किया जाता है। यूनानी भाषा के दो ख़ास मतलब हो सकते हैं.

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यूनानी अंधकार काल

ज्यामितीय रेखाचित्र दिखते हैं अंधकार काल के यूनान का एक नक़्शा यूनानी अंधकार काल ग्रीस (यूनान) के इतिहास में १२०० ईसापूर्व से ८०० ईसापूर्व के काल को कहा जाता है जिस से सम्बंधित लेख इतिहासकारों को नहीं मिल पाए हैं। इस युग से पहले के रेखीय बी लिपि में लिखी माइसीनियाई यूनानी के बहुत से नमूने मिटटी के तख़्तो और बर्तनों पर और इमारतों पर मिले हैं। इस "अंधकार" काल के बाद इस उपभाषा का प्रयोग नहीं मिलता बल्कि शास्त्रीय यूनानी कहलाई जाने वाली उत्तरी उपभाषा की लिखाइयाँ ही मिलती हैं जिनमें आधुनिक यूनानी अक्षरमाला से मिलती-जुलती लिपि का प्रयोग है। माइसीनियाई युग में बर्तनों और अन्य वस्तुओं पर बहुत विस्तृत चित्रों (डिज़ाईनों) को देखा जाता था, लेकिन अंधकार युग में मिली वस्तुओं पर सादे रेखा-चित्रों को ही पाया गया, जिस से यह लगा कि एक कला-विकसित संस्कृति किसी वजह से गिरकर अविकसित हो गई। इन तथ्यों को समझने के लिए इतिहासकारों ने घटनाक्रम इस तरह से जोड़ा कि उसमें पहले माइसीनियाई यूनानी संस्कृति फल-फूल रही थी, फिर उत्तर से डोरियाई कहलाए जाने वाले लोगों का आक्रमण हुआ जिन्होनें इस सभ्यता का अंत कर दिया। लगभग ४०० सालों तक यूनान एक बर्बरता के अंधकार में रहा और इस काल की कोई लिखाई नहीं मिलती क्योंकि लिखाइयाँ बनी ही नहीं थीं। उसके बाद सभ्यता एक नई उपभाषा के साथ फिर जन्मी। इसके विपरीत वर्तमान के कुछ विद्वानों का मानना है कि ऐसा कोई अंधकार काल कभी था ही नहीं और इस काल के लेख इसलिए नहीं मिलें क्योंकि उन्हें ठीक से खोजा नहीं गया है। मतभेद जारी है। .

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यूरेशियाई वृक्ष गौरैया

यूरेशियाई वृक्ष गौरैया, पास्सेर गौरैया परिवार का एक पासेराइन पक्षी है जिसके सिर का ऊपरी हिस्सा और गर्दन का पिछला हिस्सा लाल-भूरे रंग का होता है और प्रत्येक पूर्णतः सफेद गाल पर एक काला धब्बा होता है। इस प्रजाति के दोनों ही लिंगों मे एक समान पंख होते हैं और युवा पक्षी वयस्क पक्षियों के ही एक छोटे रूप जैसे दिखते हैं। गौरैया पक्षी अधिकांश समशीतोष्ण यूरेशिया और दक्षिणपूर्व एशिया में प्रजनन करती हैं जहां यह वृक्ष गौरैया के नाम से जानी जाती हैं और इन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य क्षेत्रों में भी भेजा गया है, जहां इन्हें यहां की मूलनिवासी और इनसे असम्बद्ध अमेरिकी वृक्ष गौरैया से विभेदित करने के लिए यूरेशियाई वृक्ष गौरैया या जर्मन गौरैया के नाम से जाना जाता है। हालांकि इनकी अनेकों उप-प्रजातियों की पहचान हो चुकी है, लेकिन अपनी व्यापक उप-प्रजातियों के बीच भी इस पक्षी का रूप-रंग बहुत अधिक नहीं बदलता है। यूरेशियाई वृक्ष गौरैया का गन्दा घोंसला किसी भी प्राकृतिक कोटर में बना होता है, जो कि किसी ईमारत में बना छेद या मैग्पाई (मुटरी) अथवा सारस पक्षी का बड़ा घोंसला हो सकता है। आदर्शतः ये एक समुच्चय (clutch) में 5 से 6 अंडे देती हैं जो दो सप्ताह में परिपक्व हो जाते हैं। यह गौरैया अपने भोजन के लिए मुख्यतः बीजों पर निर्भर करती है लेकिन ये अकशेरुकी प्राणियों को भी अपना भोजन बनाती हैं, मुख्यतः प्रजनन काल के दौरान.

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यूरो

यूरो (मुद्रा चिह्न €; बैंक कोड: EUR) यूरोपीय संघ के 28 में से 19 सदस्य की आधिकारिक मुद्रा है, जिन्हें सामूहिक रूप से यूरोजोन कहा जाता है। इसमें आस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लग्ज़म्बर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, स्लोवाकिया और स्पेन (2014) शामिल हैं। इसके अलावा पांच अन्य यूरोपीय देशों में आधिकारिक सहमति या बिना सहमति के भी यह प्रचलन में है। अमेरिकी डॉलर के बाद यूरो दुनिया में दूसरी सबसे सुरक्षित रखने वाली और प्रचलन में रहने वाली मुद्रा है। यूरो नाम आधिकारिक रूप से 16 दिसम्बर 1995 को अपनाया गया। वैश्विक बाजार में इसे यूरोपियन करेंसी यूनिट के स्थान पर सम मूल्य पर 1 जनवरी 1999 को जारी किया गया। एक (1) यूरो का मूल्य सत्तर (70) रुपये हैं (सम्प्रति - सितंबर, 2009)। .

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यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

बास्तीय के किले पर आक्रमण ज्यूसेपे मेत्सिनी: इटली के एकीकरण का अग्रदूत 18वीं सदी में कई देश जैसे जर्मनी, इटली तथा स्विटजरलैण्ड आदि उस रूप में नहीं थे जैसा कि आज हम इन्हें देखते हैं। ये छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित थे जिनका अपना स्वतन्त्र शासक था। 1789 ई॰ की फांसीसी क्रान्ति से पहले फांस एक ऐसा राज्य था जिनके सम्पूर्ण भू-भाग पर एक निरकुंश राजा का शासन था। नेपोलियन की संहिता - इसे 1804 में लागू किया गया। इसने जन्म पर आधरित विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया इसनें न केवल न्याय के समक्ष समानता स्थापित की बल्कि सम्पत्ति के अध्किर को भी सुरक्षित किया। १९वीं शताब्दी में यूरोपीय महाद्वीप में राष्ट्रवाद की एक लहर चली जिसने यूरोपीय देशों का कायाकल्प कर दिया। जर्मनी, इटली, रोमानिया आदि नवनिर्मित देश कई क्षेत्रीय राज्यों को मिलाकर बने जिनकी राष्ट्रीय पहचान 'समान' थी। यूनान, पोलैण्ड, बल्गारिया आदि स्वतंत्र होकर राष्ट्र बन गये। यूरोप के राजनीतिक विकास में राष्ट्रवाद की प्रमुख भूमिका थी। .

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यूरोप में विश्व धरोहर स्थलों की सूची

यह यूरोप में स्थित यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की एक सूची है। तारांकन चिह्न (*) लगे स्थल, खतरे में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल हैं। .

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यूरोप का इतिहास

एक '''सामी''' परिवार यूरोप में मानव ईसापूर्व 35,000 के आसपास आया। इसके बाद ७००० इस्वी पूर्व से संगठित बसाव यानि बस्तियों के प्रमाण मिलते हैं। काँस्य युगीन सभ्यता (३००० ईसा पूर्व) के समय यहाँ कुछ अधिक बसाव नहीं हुआ - भ़ासकर मिस्र, इराक, चीन और भारतीय सभ्यता के मुकाबले। लेकिन ५०० ईसापूर्व से रोमन और यूनानी साम्राज्यों का उदय हुआ जिसने यूरोप की संस्कृति को बहुत प्रभावित किया। सैन्य, कला और चिंतन के मामले में यूनानियों ने यूरोप के एक कोने में होते हुए भी पूरे यूरोप और बाद में विश्वभर में अपना प्रभाव जमाया। आज यूरोप के देश यूरोपीय संघ के सदस्य हैं जो एक मुद्रा यूरो चलाता है। मध्यकाल में यूरोप छोटे राज्यों में विभक्त हो गया था। विज्ञान और शोध के मामले में धार्मिक मान्यताओं ने अपना प्रभाव बना रखा था। पंद्रहवीं सदी के बाद यह पुनः विकसित हुआ। सैनिक इतिहास का एक छोटा ब्यौरा नीचे लिखा है, कृपया वहाँ देखें। यूरोप के इतिहास को समझने के लिए दक्षिणी (रोम, यूनान और स्पेन), पूर्वी (यानि स्लाविक) और उत्तरी क्षेत्र जिसनें जर्मन मूल की नौर्ड और वाइकिंग तथा केल्ट और गॉल को समझना आवश्यक है। .

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यूरोपेँ प्रेस फोटो एजेंसी

यूरोपेँ प्रेस फोटो एजेंसी, बी वी (European Pressphoto Agency B.V.) एक अन्तार्रश्त्रिये न्यूज़ फोटो एजेंसी है। विश्व के सभी भागो से समाचार, राजनीती, खेल, व्यापर, वित्त, ख़बरों के साथ साथ कला संस्कृति और मनोरंजन से संबंधीत छाया चित्र लगभग ४०० से भी अधिक व्यावसायिक फोतोग्रफेरों के विश्वव्यापी जाल या नेटवर्क द्वारा उपस्थित कराइ जाती है जो की ई पी ए की छाया चित्र समाचार सेवा में शामिल है! ई पी ए की छाया चित्र सवैएँ विश्व भर में फैले ई पी ए के स्टाफ फोतोग्रफेरों के विस्तृत जाल या नेटवर्क तथा इसकी सदस्य एजेंसीयों, जो अपने देशों के बाज़ार में मार्गदर्शक तथा अग्रणी है, दोनों के दैनिक उत्पादन पे आधारित हैं ! सभी छायाचित्र संपादन के उपरांत विष भर के सभी ग्राहकों व संझेदारों को फ्रैंकफर्ट ऍम मने जर्मनी स्थित मुख्या संपादन कार्यालय जो की प्रतिदिन चौबीस घंटे कार्यरत है, के द्वारा वितरित कर दिए जातें हैंhttp://www.epa.eu/products-and-services/epa-service .

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यूरोपीय देशों की सूची

United Kingdom of Great Britain and Northern Ireland | United Kingdom — United Kingdom of Great Britain and Northern Ireland | लंदनLondon | 63,047,162 | |- | | | वेटिकन सिटीVatican City State ----Holy See | Città del Vaticano — Stato della Città del VaticanoSancta Sedes | वेटिकन सिटीCittà del Vaticano | 836 | | .

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यूरोपीय बैंकिंग संघ

यूरोपीय बैंकिंग संघ यूरोपीय बैंकिंग क्षेत्र का एक संगठन है जिसकी स्थापना १९६० में हुई थी। यह 30,000 अरब यूरो से अधिक की संयुक्त संपत्ति और 2.4 लाख कर्मचारियों के साथ 31 देशों में 5000 से अधिक यूरोपीय बैंकों का प्रतिनिधित्व करता है। .

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यूरोपीय संघ

यूरोपियन संघ (यूरोपियन यूनियन) मुख्यत: यूरोप में स्थित 28 देशों का एक राजनैतिक एवं आर्थिक मंच है जिनमें आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है जो संघ के कई या सभी राष्ट्रो पर लागू होती है। इसका अभ्युदय 1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपिय आर्थिक परिषद के माध्यम से छह यूरोपिय देशों की आर्थिक भागीदारी से हुआ था। तब से इसमें सदस्य देशों की संख्या में लगातार बढोत्तरी होती रही और इसकी नीतियों में बहुत से परिवर्तन भी शामिल किये गये। 1993 में मास्त्रिख संधि द्वारा इसके आधुनिक वैधानिक स्वरूप की नींव रखी गयी। दिसम्बर 2007 में लिस्बन समझौता जिसके द्वारा इसमें और व्यापक सुधारों की प्रक्रिया 1 जनवरी 2008 से शुरु की गयी है। यूरोपिय संघ सदस्य राष्ट्रों को एकल बाजार के रूप में मान्यता देता है एवं इसके कानून सभी सदस्य राष्ट्रों पर लागू होता है जो सदस्य राष्ट्र के नागरिकों की चार तरह की स्वतंत्रताएँ सुनिश्चित करता है:- लोगों, सामान, सेवाएँ एवं पूँजी का स्वतंत्र आदान-प्रदान.

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यूरोपीय ज्ञानोदय

''जो कुछ आप जानते हैं उसका प्रसार कीजिये। आप जो नहीं जानते उसकी खोज कीजिये।'' - Encyclopédie के १७७२ के संस्करण में आंकित यूरोप में १६५० के दशक से लेकर १७८० के दशक तक की अवधि को प्रबोधन युग या ज्ञानोदय युग (Age of Enlightenment) कहते हैं। इस अवधि में पश्चिमी यूरोप के सांस्कृतिक एवं बौद्धिक वर्ग ने परम्परा से हटकर तर्क, विश्लेषण तथा वैयक्तिक स्वातंत्र्य पर जोर दिया। ज्ञानोदय ने कैथोलिक चर्च एवं समाज में गहरी पैठ बना चुकी अन्य संस्थाओं को चुनौती दी। .

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यूरोपीय क्रिकेट चैम्पियनशिप

यूरोपीय क्रिकेट चैम्पियनशिप विभिन्न प्रतियोगिताओं में जो यूरोप भर में राष्ट्रीय क्रिकेट पक्षों प्रतिस्पर्धा का एक समूह है। प्रतियोगिता में जहां क्रिकेट एक प्रमुख खेल नहीं है और यूरोप के केवल टेस्ट क्रिकेट खेल रहे देश, इंग्लैंड, वर्तमान में एक ओर प्रवेश नहीं करता देशों में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और विकसित करने के लिए बनाया गया है। खेल 50 ओवर के एकदिवसीय क्रिकेट मैचों कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय का दर्जा (अधिक जानकारी के लिए नीचे देखें) नहीं है। .

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यूरोपीय ऋण संकट

यूरोप के प्रमुख देशों में पिछले १० वर्षों में ब्याज दर में वृद्धि यूरोपीय ऋण संकट (European debt crisis) सन २०१० में यूनान से आरम्भ हुआ और एक के बाद दूसरे यूरोपीय देश को अपने चपेटे में लिये जा रहा है। इन देशों का बजट घाटा बेलगाम बढ रहा है। यूनान जून २०१५ में दिवालिया हो गया तथा कई अन्य देश दिवालिया होने की कगार पर खड़े हैं। यह संकट यूनान, आयरलैण्ड, इटली, स्पेन, पुर्तगाल आदि को अपने चपटे में ले चुका है जिनका बजट घाटा और कर्ज बहुत अधिक है। .

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यूरोक्षेत्र

कोई विवरण नहीं।

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यूरोकेन्द्रीयता

विश्व का उल्टा मानचित्र: यह यूरोकेन्द्रीयता-रहित है। अधिकांश स्थानों पर यह बताया जाता है कि लोकतंत्र यूरोपीय संस्कृति के देन है। अन्य संस्कृतियों में लोकतंत्र बहुत पहले से पाया जाता है - यह बात कहीं कोनें में छोटे अक्षरों में लिख दी जाती है। कास्तुन्तुनिया पर तुर्कों के अधिकार ने यूरोकेन्द्रीयता को बहुत धक्का पहुँचाया। यूरोकेन्द्रीयता (Eurocentrism) वह पक्षपातपूर्ण विचारधारा है जिसमे यूरोप को सारी अच्छी चीजों की जन्मस्थली माना जाता है तथा हर चीज को यूरोप के नजरिये से देखने की कोशिश की जाती है। .

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यूईएफए चैंपियंस लीग फाइनल की सूची

यूईएफए चैंपियंस लीग 1955 में स्थापित एक सीजन फुटबॉल प्रतियोगिता है। यूईएफए चैंपियंस लीग के सभी यूईएफए के सदस्य संघों की चैंपियंस लीग के लिए खुला है (सिवाय लिकटेंस्टीन, जो कोई लीग प्रतियोगिता है) और साथ ही मजबूत लीग में चौथे स्थान पर दूसरे से परिष्करण क्लबों के लिए.

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यूक्लिड

यूक्लिड यूक्लिड (Euclid; 300 ईसा पूर्व), या उकलैदिस, प्राचीन यूनान का एक गणितज्ञ था। उसे "ज्यामिति का जनक" कहा जाता है। उसकी एलिमेण्ट्स (Elements) नामक पुस्तक गणित के इतिहास में सफलतम् पुस्तक है। इस पुस्तक में कुछ गिने-चुने स्वयंसिद्धों (axioms) के आधार पर ज्यामिति के बहुत से सिद्धान्त निष्पादित (deduce) किये गये हैं। इनके नाम पर ही इस तरह की ज्यामिति का नाम यूक्लिडीय ज्यामिति पड़ा। हजारों वर्षों बाद भी गणितीय प्रमेयों को सिद्ध करने की यूक्लिड की विधि सम्पूर्ण गणित का रीढ़ बनी हुई यूक्लिड ने शांकवों, गोलीय ज्यामिति और संभवत: द्विघातीय तलों पर भी पुस्तकें लिखीं। .

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राष्ट्र संघ

राष्ट्र संघ (लंदन) पेरिस शांति सम्मेलन के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्ववर्ती के रूप में गठित एक अंतर्शासकीय संगठन था। 28 सितम्बर 1934 से 23 फ़रवरी 1935 तक अपने सबसे बड़े प्रसार के समय इसके सदस्यों की संख्या 58 थी। इसके प्रतिज्ञा-पत्र में जैसा कहा गया है, इसके प्राथमिक लक्ष्यों में सामूहिक सुरक्षा द्वारा युद्ध को रोकना, निःशस्त्रीकरण, तथा अंतर्राष्ट्रीय विवादों का बातचीत एवं मध्यस्थता द्वारा समाधान करना शामिल थे। इस तथा अन्य संबंधित संधियों में शामिल अन्य लक्ष्यों में श्रम दशाएं, मूल निवासियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार, मानव एवं दवाओं का अवैध व्यापार, शस्त्र व्यपार, वैश्विक स्वास्थ्य, युद्धबंदी तथा यूरोप में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा थे। संघ के पीछे कूटनीतिक दर्शन ने पूर्ववर्ती सौ साल के विचारों में एक बुनियादी बदलाव का प्रतिनिधित्व किया। चूंकि संघ के पास अपना कोई बल नहीं था, इसलिए इसे अपने किसी संकल्प का प्रवर्तन करने, संघ द्वारा आदेशित आर्थिक प्रतिबंध लगाने या आवश्यकता पड़ने पर संघ के उपयोग के लिए सेना प्रदान करने के लिए महाशक्तियों पर निर्भर रहना पड़ता था। हालांकि, वे अक्सर ऐसा करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। प्रतिबंधों से संघ के सदस्यों को हानि हो सकती थी, अतः वे उनका पालन करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। जब द्वित्तीय इटली-अबीसीनिया युद्ध के दौरान संघ ने इटली के सैनिकों पर रेडक्रॉस के मेडिकल तंबू को लक्ष्य बनाने का आरोप लगाया था, तो बेनिटो मुसोलिनी ने पलट कर जवाब दिया था कि “संघ तभी तक अच्छा है जब गोरैया चिल्लाती हैं, लेकिन जब चीलें झगड़ती हैं तो संघ बिलकुल भी अच्छा नहीं है”.

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राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति

राष्ट्रीय ओलम्पिक समितियाँ (या NOCs) दुनिया भर में ओलम्पिक आंदोलन के राष्ट्रीय घटक हैं। अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के नियंत्रण में रहते हुए, वे ओलम्पिक खेलों में अपने लोगों की भागीदारी के आयोजन के लिए उत्तरदायी हैं। वे भविष्य के ओलम्पिक खेलों के लिए प्रत्याशी के रूप में अपने स्वायत्त क्षेत्रों के नगरों को मनोनीत कर सकते है। राओस भी अपने भौगोलिक सीमाओं के भीतर राष्ट्रीय स्तर पर अपने खिलाड़ियों के विकास और कोचों और अधिकारियों को प्रशिक्षण दे सकते हैं। वर्ष २००८ तक कुल २०५ रा.ओ.स. है जो प्रभुसत्ता संपन्न और अन्य भौगोलिक क्षेत्रों दोनों का प्रतिनिधित्व कर रहीं हैं। सयुंक्त राष्ट्र के सभी १९२ सदस्यों और १३ अन्य क्षेत्रों की ओलम्पिक समितियां हैं.

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राजनय

न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्रसंघ संसार का सबसे बडा राजनयिक संगठन है। राष्ट्रों अथवा समूहों के प्रतिनिधियों द्वारा किसी मुद्दे पर चर्चा एवं वार्ता करने की कला व अभ्यास (प्रैक्टिस) राजनय (डिप्लोमैसी) कहलाता है। आज के वैज्ञानिक युग में कोई देश अलग-अलग नहीं रह सकता। इन देशों में पारस्परिक सम्बन्ध जोड़ना आज के युग में आवश्यक हो गया है। इन सम्बन्धों को जोड़ने के लिए योग्य व्यक्ति एक देश से दूसरे देश में भेजे जाते हैं। ये व्यक्ति अपनी योग्यता, कुशलता और कूटनीति से दूसरे देश को प्रायः मित्र बना लेते हैं। प्राचीन काल में भी एक राज्य दूसरे राज्य से कूटनीतिक सम्बन्ध जोड़ने के लिए अपने कूटनीतिज्ञ भेजता था। पहले कूटनीति का अर्थ 'सौदे में या लेन देन में वाक्य चातुरी, छल-प्रपंच, धोखा-धड़ी' लगाया जाता था। जो व्यक्ति कम मूल्य देकर अधिकाधिक लाभ अपने देश के लिए प्राप्त करता था, कुशल कूटनीतिज्ञ कहलाता था। परन्तु आज छल-प्रपंच को कूटनीति नहीं कहा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से आधुनिक काल में इस शब्द का प्रयोग दो राज्यों में शान्तिपूर्ण समझौते के लिए किया जाता है। डिप्लोमेसी के लिए हिन्दी में कूटनीति के स्थान पर राजनय शब्द का प्रयोग होने लगा है। अन्तर्राष्ट्रीय जगत एक परिवार के समान बन गया है। परिवार के सदस्यों में प्रेम, सहयोग, सद्भावना तथा मित्रता का सम्बन्ध जोड़ना एक कुशल राजनयज्ञ का काम है। .

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राजनयिक दूत

राजनयिक दूत (Diplomatic Envoys) संप्रभु राज्य या देश द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि होते हैं, जो अन्य राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन अथवा अंतरराष्ट्रीय संस्था में अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्तमान अंतरराष्ट्रीय विधि का प्रचलन आरंभ होने के बहुत पूर्व से ही रोम, चीन, यूनान और भारत आदि देशों में एक राज्य से दूसरे राज्य में दूत भेजने की प्रथा प्रचलित थी। रामायण, महाभारत, मनुस्मृति, कौटिल्यकृत अर्थशास्त्र और 'नीतिवाक्यामृत' में प्राचीन भारत में प्रचलित दूतव्यवस्था का विवरण मिलता है। इस काल में दूत अधिकांशत: अवसरविशेष पर अथवा कार्यविशेष के लिए ही भेजे जाते थे। यूरोप में रोमन साम्राज्य के पतन के उपरांत छिन्न भिन्न दूतव्यवस्था का पुनरारंभ चौदहवीं शताब्दी में इटली के स्वतंत्र राज्यों एवं पोप द्वारा दूत भेजने से हुआ। स्थायी राजदूत को भेजने की नियमित प्रथा का श्रीगणेश इटली के गणतंत्रों एवं फ्रांस के सम्राट् लुई ग्यारहवें ने किया। सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक दूतव्यवस्था यूरोप के अधिकांश देशों में प्रचलित हो गई थी। .

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रिक रियोर्डन

पहली पुस्तक पर्सी जैक्सन और ओलम्पियनों शीर्षक से एक फिल्म में रूपांतरित किया गया था: 2010 में बिजली चोर है, जो व्यावसायिक रूप से सफल रहा था, लेकिन मिश्रित समीक्षा प्राप्त किया। दूसरी पुस्तक, पर्सी जैक्सन शीर्षक के एक अनुकूलन: राक्षसों के सागर, २०१३ में आया था।.

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रज्जु कर्षण सेतु

रज्जु कर्षण सेतु, सेतुओं का एक प्रकार होता है। इसमें एक या अधिक स्तंभ होते हैं, (जिन्हें टावर या पायलॉन भी कहते हैं), जो स्तंभ इस्पात रज्जुओं (केबल) द्वारा सेतु की सतह का भार संभालते हैं। इसके तीन मुख्य उप-भेद होते हैं:-;हार्प आकार इसमें सभी केबल समानांतर होते हैं, व स्तंभ में विभिन्न दूरियों पर जुड़े होते हैं। इतनी ही दूरियों पर ये केबल सड़क पर जुड़े होते हैं।;पंखा आकार इसमें सभी केबल स्तंभ पर सबसे ऊपर एक ही स्थान से जुड़े होते हैं। इसमें केबल की वांछित लंबाई हार्प आकार से कहीं अधिक होती है।;सस्पेंशन आकार इसमें सभी केबल ऊर्ध्वाधर होते हैं। ये नीचे सड़क से जुड़े होते हैं, व ऊपर एक स्तंभ से दूसरे स्तंभ को जोड़े हुए एक अन्य मोटे केबल से जुड़े होते हैं। Image:Bridge-suspension.svg|सस्पेंशन आकार Image:Bridge-fan-cable-stayed.svg|पंखा आकार Image:Bridge-harp-cable-stayed.svg|हार्प आकार .

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रंगमंच

न्यूयॉर्क स्टेट थिएटर के अन्दर का दृष्य रंगमंच (थिएटर) वह स्थान है जहाँ नृत्य, नाटक, खेल आदि हों। रंगमंच शब्द रंग और मंच दो शब्दों के मिलने से बना है। रंग इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दृश्य को आकर्षक बनाने के लिए दीवारों, छतों और पर्दों पर विविध प्रकार की चित्रकारी की जाती है और अभिनेताओं की वेशभूषा तथा सज्जा में भी विविध रंगों का प्रयोग होता है और मंच इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दर्शकों की सुविधा के लिए रंगमंच का तल फर्श से कुछ ऊँचा रहता है। दर्शकों के बैठने के स्थान को प्रेक्षागार और रंगमंच सहित समूचे भवन को प्रेक्षागृह, रंगशाला, या नाट्यशाला (या नृत्यशाला) कहते हैं। पश्चिमी देशों में इसे थिएटर या ऑपेरा नाम दिया जाता है। .

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रैबेले

फ्रंसेज रैबेले फ्रांसेज रैबेले (François Rabelais; 1494 – 9 अप्रैल 1553) पुनर्जागरण काल का फ्रांस का प्रमुख लेखक, डॉक्टर, भिक्षु तथा ग्रीक का विद्वान था। .

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रेखीय ए लिपि

क्रीत पर पाए गए एक बासन पर अंकित रेखीय ए के कुछ चिह्न यह रेखीय ए के चिह्न एक प्याले की अंदरी सतह पर लिखे हुए मिले थे रेखीय ए यूनान के क्रीत द्वीप पर प्राचीन काल में इस्तेमाल होने वाली एक लिपि थी जिसमें क्रीत की मिनोआई सभ्यता की भाषा लिखी जाती थी। क्रीत पर एक भावचित्रों पर आधारित लिपि भी प्रयोग होती थी। सरकारी और धार्मिक प्रयोगों में रेखीय ए और ठप्पों और मोहरों पर यह भावचित्र देखने को मिलते हैं। मिनोआई सभ्यता के पतन के बाद क्रीत पर माइसीनियाई यूनानी बोली जाने लगी जो रेखीय बी लिपि में लिखी जाती थी। इतिहासकार रेखीय बी की बहुत सी समझ रखते हैं और यह पाया गया है कि रेखीय ए और रेखीय बी में काफ़ी सामान अक्षर मिलते हैं। रेखीय बी लिपि रेखीय ए की संतान मानी जाती है। जब रेखीय बी से ध्वनियाँ लेकर रेखीय ए को पढ़ा जाता है तो ऐसे शब्द उत्पन्न होते हैं जो किसी भी ज्ञात भाषा से नहीं हैं। इसलिए अब यह माना जाता है कि मूल मिनोआई भाषा यूनानी भाषा से असम्बंधित थी और शायद हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की सदस्य ही नहीं थी। यह भी संभव है कि रेखीय ए की ध्वनियाँ बिलकुल ही ग़लत पढ़ी जा रही हो क्योंकि मिनोआई भाषा बिलकुल ही अज्ञात है। खंडरों और शिलालेखों के आधार पर इतिहासकार मानते हैं कि रेखीय ए की अक्षर माला १९००-१८०० ईसापूर्व के काल तक पूरी कर ली गई थी। इसमें कुछ ऐसे भी चिह्न मिलते हैं जो प्राचीन मिस्र के २१००-१९०० ईसापूर्व में निर्मित कुछ पुरातन स्थलों पर पाए गए हैं। .

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रेखीय बी लिपि

यह रेखीय बी लिपि मे लिखित तख़्ती एक तेली के घर से मिली जिसमें किसी ग्राहक की ऊन रंगने की बात लिखी है रेखीय बी एक अक्षरमाला पर आधारित लिपि थी जिसका प्रयोग प्राचीन यूनान में माइसीनियाई यूनानी लिखने के लिए किया जाता था। यह यूनानी वर्णमाला से कई सदियों पहले प्रचलित थी और माइसीनियाई संस्कृति के पतन के साथ-साथ इसका प्रयोग भी ख़त्म हो गया। रेखीय बी के अभिलेख नोसोस, साइडोनिया, पाएलोस, थीब्स और माइसीनाए के स्थलों पर मिली हैं। रेखीय बी की विलुप्ति के बाद कुछ अरसे तक यूनान में किसी लिखाई का सबूत नहीं मिला है और इस काल को यूनानी अंधकार काल कहा जाता है। भाषावैज्ञानिकों का मानना है कि यह लिपि रेखीय ए नामक लिपि की संतान थी जो क्रीत के द्वीप पर बोली जाने वाली मिनोआई भाषाओँ के लिए विकसित की गई थी। रेखीय बी में लगभग ८७ भिन्न ध्वनियों से सम्बंधित अक्षर थे, लेकिन साथ ही साथ कुछ भावचित्र (इडियोग्रैम) भी प्रयोग होते थे। कुल मिलकर लीनियर बी में क़रीब २०० चिह्न पाए गए हैं। यह ध्यान योग्य बात है कि इसकी पूर्वज रेखीय ए लिपि को अभी तक भाषावैज्ञानिक पढ़ने और समझने में असमर्थ रहे हैं। .

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रोड्स का कॉलॉसस

हेलियोस की विशाल मूर्ती रोडेस कि विशालमूर्ति यूनानी द्विप रोडेस पर यूनानी देवता हेलियोस की एक विशाल मूर्ती है। यह मूर्ती प्राचीन विश्व का सात आश्चर्यो में से एक है। इस का निर्माण ईसा पूर्व २९२ से २८० के बीच किया गया। प्राचीन विश्व की यह सबसे उंची मूर्ती थी जिसकी उंचाई ३० मीटर थी। श्रेणी:प्राचीन-विश्व के सात आश्चर्य.

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रोम गणतंत्र

रोम गणतंत्र (लातिनी: Res Publica Romana, रेस्पुब्लिका रोमाना; Roman Republic) प्राचीन रोमन सभ्यता के उस काल को कहा जाता है जब वहाँ की सरकार गणतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार चलाई जाती थी। इसकी शुरुआत सन् ५०९ ईसापूर्व में रोम में राजशाही की समाप्ति के साथ हुई और यह २७ ईसापूर्व में ऑगस्टस कैसर द्वारा राजसिन्हासन पर विराजमान होने तक चली। रोम गणतंत्र का नेतृत्व दो कोन्सुल किया करते थे जिनका चुनाव नागरिक एक वर्ष की अवधि के लिये किया करते थे। एक सेनेट नामक सभा इनके सलाहकार के रूप में काम करती थी और यह कोन्सुल उसे जवाबदेह भी थे। शक्तियों के इस बटवारे से किसी भी शासक को अधिक ताक़त समेटकर तानाशाह बनने से रोकने की चेष्टा की गई थी। धीरे-धीरे इन सिद्धांतो पर आधारित एक संविधान ने भी रूप ले लिया। रोम गणतंत्र के काल में रोमन साम्राज्य का बहुत विस्तार हुआ। पहले यह पूरे इतालवी प्रायद्वीप पर फैल गया। फिर उत्तर अफ़्रीका, इबेरियाई प्रायद्वीप, यूनान और दक्षिणी फ़्रान्स भी इसके अधीन हो गये। पहली सदी ईसापूर्व तक पूरा फ़्रान्स और पूर्वी भूमध्य सागर से सटा हुआ लगभग सारा इलाक़ा साम्राज्य का भाग बन चुका था। .

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रोमानिया

रोमानिया (प्राचीन: Rumania (रूमानिया), Roumania (रौमानिया);România) काले सागर की सीमा पर, कर्पेथियन चाप के बाहर और इसके भीतर, निचले डेन्यूब पर, बाल्कन प्रायद्वीप के उत्तर में, दक्षिणपूर्वी और मध्य यूरोप में स्थित एक देश है.

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लिनेन

किनारों के आसपास धागा की कढ़ाई के साथ एक लिनन का रूमाल डेड सी के पास से बरामाद कोरान केव 1 से प्राप्त एक लेनिन का कपड़ा. लिनेन सन के पौधे लिनम यूज़ीटेटीसीमम के रेशों से बना एक कपड़ा है। लिनेन का निर्माण श्रम-साध्य है, लेकिन जब इसके वस्त्र तैयार हो जाते हैं तो गर्मियों के मौसम में इसकी असाधारण ठंडक एवं ताजगी के लिए इसकी गुणवत्ता बढ़ जाती है। लिनेन की बुनावट वाले कपड़ों को भी मोटे तौर पर "लिनेन" के रूप में संदर्भित किया जाता है, भले ही वे कपास, सन या सन के अतिरिक्त अन्यान्य रेशों से बने हों.

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लिसिप्पस

लिसिप्पस (ग्रीक: Λύσιππος / Lysippos) यूनान के चौथी शदी ईसापूर्व का प्रसिद्ध मूर्तिकार थे। इन्हें मेसेडेन के सिकंदर (अलेग्जेंडर) और फिलिप्स के जमाने के सिसियॉन तथा अंगों शैली का प्रमुख ग्रीक शिल्पकार माना जाता है। इसने अपनी कला के लिए ब्राँथू धातु को माध्यम रखकर जीवन में लगभग १५०० मूर्तियों का निर्माण किया जिनमें से कुछ अत्यंत भव्य हैं। लिसिप्पस ने विजेता अलेग्जैंडर की अनेक शिल्पाकृतियाँ बनाई। वह राजशिल्पी माना जाने लगा। सिकंदर और उसके दरबारियों से उसे बार बार सम्मान मिलता रहा। पोलीक्लिटस के पुराने नियमों में सुधार कर उसने अपनी शिल्पशैली में प्रभाववादी गुणों का समावेश किया। उसने देवी देवताओं की मूर्तियों को अपनी नई शैली से बनाया। हरक्यूलिस की अनेक मूर्तियाँ बनाई तथा ऐलोपोनेस के कसरती खिलाड़ियों के मुख शिल्प बनाए। मुख शिल्प या अर्ध शिल्प बनाने की कला का जनक यही है। वेटिकन में रखी कई प्राचीन मूर्तियाँ इसकी मूल कृतियों की नकल मात्र हैं, ऐसा समझा जाता है। श्रेणी:मूर्तिकार.

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लिंकिन पार्क

लिंकिन पार्क अगौरा हिल्स, कैलिफ़ोर्निया से एक अमेरिकी रॉक बैंड है। 1996 में स्थापित, बैंड ने 60 मिलियन से अधिक एल्बम बेचे हैं और दो ग्रैमी पुरस्कार जीते हैं। उसे अपनी पहली एल्बम, हायब्रिड थीयरी से ही मुख्य धारा में सफलता हासिल हुई, जो 2005 में आरआईएए (RIAA) द्वारा हीरक के रूप में प्रमाणित की गई। इसके बाद के स्टूडियो एल्बम मिटिओरा ने बैंड की सफलता को जारी रखा, जो 2003 में बिलबोर्ड 200 एल्बम चार्ट में चोटी पर रही और वे दुनिया भर में व्यापक दौरे और सहायतार्थ प्रदर्शनों के साथ आगे बढ़े। 2003 में, एमटीवी2 ने लिंकिन पार्क को म्यूज़िक वीडियो युग के छठवें स्थान पर सर्वाधिक महान और ओएसिस और कोल्डप्ले के पीछे, नई सदी के सर्वश्रेष्ठ में तीसरे स्थान पर नामित किया। हाइब्रिड थिअरी और मीटियोरा में नु मेटल और रैप रॉक शैलियों को रेडियो के अनुकूल, लेकिन सघन-स्तरित शैली में अपनाने के बाद,MSN म्यूज़िक, 14 जून 2007 को पुनःप्राप्त बैंड ने अपने अगले स्टूडियो एल्बम मिनट्स टू मिडनाइट में अन्य शैलियों पर प्रयोग शुरू किया। एल्बम बिलबोर्ड चार्ट में सबसे ऊपर रहा और उस वर्ष के किसी भी एल्बम के लिए, तीसरा सर्वेश्रेष्ठ सप्ताह साबित हुआ।Billboard.com, 28 मई 2007 को पुनःप्राप्तउनका नया अल्बम अ थाउज़ंड सन्स ८ सितंबर २०१० को रिलीज़ किया गया। उन्होंने कई अन्य कलाकारों के साथ मिल कर, विशेष रूप से रैपर जे-ज़ी के साथ, अपने मैशप एल्बम कोलिशन कोर्स और कई अन्य कलाकारों के साथ रीएनिमेशन पर काम किया। वे विश्व में सहस्राब्दि के बाद बनी ऐसी संगीत रचनाएं रही हैं, जिनकी दुनिया भर में 50 मिलियन रिकॉर्डों से अधिक की बिक्री हुई है। .

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लुसाने की संधि

शान्ति वार्ता के लिये लुसाने में मुस्तफा कमाल लुसाने की संधि (The Treaty of Lausanne) स्विट्जरलैण्ड के लुसाने नगर में २४ जुलाई १९२३ को किया गया एक शान्ति समझौता था। इसके परिणामस्वरूप तुर्की, ब्रिटिश साम्राज्य, फ्रेंच गणराज्य, इटली राजतंत्र, जापान साम्राज्य, ग्रीस राजतंत्र, रोमानिया राजतंत्र तथा सर्व-क्रोट-स्लोवीन राज्य के बीच प्रथम विश्वयुद्ध के आरम्भ के समय से चला आ रहा युद्ध औपचारिक रूप से समाप्त हो गया। यह सेव्रेस की संधि के टूट जाने के बाद शान्ति की दिशा में किया गया दूसरा प्रयास था। .

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लुसियन

लूसियन (लगभग ११७ - १८० ई.) यूनानी वक्ता तथा लेखक। वह अपनी आलंकारिक एवं वैधिक वक्तृताओं तथा हास्य व्यंग्य संवादों के लिए प्राचीन साहित्य के इतिहास में प्रसिद्ध है। .

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लुईस माउंटबेटन, बर्मा के पहले अर्ल माउंटबेटन

लुइस फ्रांसिस एल्बर्ट विक्टर निकोलस जॉर्ज माउंटबेटन, बर्मा के पहले अर्ल माउंटबेटन, बेड़े के एडमिरल, केजी, जीसीबी, ओएम, जीसीएसआई, जीसीआईई, जीसीवीओ, डीएसओ, पीसी, एफआरएस (पूर्व में बैटनबर्ग के राजकुमार लुइस, 25 जून 1900 - 27 अगस्त 1979), एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ और नौसैनिक अधिकारी व राजकुमार फिलिप, एडिनबर्ग के ड्यूक (एलिजाबेथ II के पति) के मामा थे। वह भारत के आखिरी वायसरॉय (1947) थे और स्वतंत्र भारतीय संघ के पहले गवर्नर-जनरल (1947-48) थे, जहां से 1950 में आधुनिक भारत का गणतंत्र उभरेगा। 1954 से 1959 तक वह पहले सी लॉर्ड थे, यह पद उनके पिता बैटनबर्ग के राजकुमार लुइस ने लगभग चालीस साल पहले संभाला था। 1979 में उनकी हत्या प्रोविजनल आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (आईआरए) ने कर दी, जिसने आयरलैंड रिपब्लिक की स्लीगो काउंटी में मुल्लाग्मोर में उनकी मछली मरने की नाव, शैडो V में बम लगा दिया था। वह बीसवीं सदी के मध्य से अंत तक ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के समय के सबसे प्रभावशाली और विवादित शख्सियतों में से एक थे। .

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लोंजाइनस

लोंगिनुस (अंग्रेजी: Longinus; ग्रीक: Λογγῖνος, Longĩnos) परम्परागत रूप से "काव्य में उदात्त तत्व" (On the Sublime / Περὶ ὕψους / Perì hýpsous) नामक कृति का रचनाकार माना जाता है। इस कृति में अच्छे लेखन के प्रभावों की चर्चा है। लोंगिनुस का असली नाम ज्ञात नहीं है। वह यूनानी काव्यालोचन का शिक्षक था। उसका काल पहली से लेकर तीसरी शदी तक होने का अनुमान है। लोंजाइनस ने काव्य को श्रेष्ठ बनाने वाले तत्वों पर विचार करते हुए इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया है। वे उदात्त को काव्य को श्रेष्ठ बनाने वाला तथा कवि को प्रतिष्ठा दिलाने वाला तत्व मानते हैं। यह उदात्त महान विचारों संगठित अलंकार योजना, अभिजात्य पद रचना तथा प्रभाव की गरिमा में निहित है। वे वागाडंबर बालेयता और भावाडंबर को उदाद्त्ता में बाधक तत्व मानते हैं। .

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लीटर

लीटर लीटर आयतन की इकाई है। इसके दो आधिकारिक चिह्न हैं -- (l) और (L)। यह SI इकाई नहीं है, परंतु इसे SI में स्वीकृत किया गया है। इसकी SI इकाई है घन मीटर यानि (m3).

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लीओपोल्ड प्रथम (बेल्जियम)

लीओपोल्ड प्रथम (१७९०-१८६५) जर्मन राजकुमार एवं बेल्जियम का राजा था। १८३० में बेल्जियम के स्वतन्त्र होने के बाद वह बेल्जियम का प्रथम राजा बना। उसने जुलाई १८३१ से लेकर दिसम्बर १८६५ तक शासन किया। लीओपोल्ड प्रथम का जन्म १८ दिसंबर, १७९० को कोबर्ग में हुआ था। १८ वर्ष की अवस्था में रूस की सेना में प्रविष्ट होकर १८१३-१४ में नेपोलियन के विरुद्ध लड़ा। उसने इंग्लैंड के राजा जार्ज चतुर्थ की पुत्री शर्लाट से विवाह किया। १८१७ में शर्लाट की मृत्यु हो गई किंतु वह इंग्लैंड में ही रहा। इससे उसे ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली का पूरा ज्ञान हो गया। १८३० में उसे यूनान का राजा बनाने का प्रस्ताव रखा गया जिसे उसने अस्वीकार कर दिया। वियना सम्मेलन में (१८१५) हॉलैंड और बेल्जियम को मिलाकर हॉलैंड के राजा के अधीन एक देश बना दिया गया परंतु यह प्रबंध सफल न हो सका क्योंकि दोनों देशों की संस्कृतियाँ भिन्न-भिन्न थीं। हॉलैंड के निवासी प्रोटेस्टेंट और व्यापारी, वेल्जियम के निवासी कैथलिक और किसान थे। १८३० में बेल्जियम निवासियों ने विद्रोह किया। १८३१ ई. में यूरोपीय शक्तियों ने बेल्जियम को स्वतंत्र राज्य घोषित किया और लीओपोल्ड को वहाँ का शासक चुना। थोड़े दिन पश्चात् उसने फ्रांस के राजा लुई फ़िलिप की पुत्री से विवाह किया। इससे फ्रांस उसका सहायक हो गया। वह बेल्जियम का संवैधानिक शासक बना; देश की शासनसत्ता जनता के प्रति उत्तरदायी मंत्रिमंडल के हाथ में रही। १८४८ में जब यूरोप के सभी देशों में क्रांतियाँ हुई, लीओपोल्ड की बुद्धिमत्ता के कारण बेल्जियम में कोई गड़बड़ न हुई। लीओपोल्ड उदार विचारों का योग्य और बुद्धिमान व्यक्ति था। उसी के प्रयत्न से बेल्जियम का समझौता संभव हुआ क्योंकि हॉलैंड और फ्रांस दोनों ही बेल्जियम की स्वतंत्रता में बाधक थे। उसके राज्यकाल में बेल्जियम में कला, विज्ञान और शिक्षा की पर्याप्त उन्नति हुई। उसकी मृत्यु १० दिसंबर, १८६५ को हुई। श्रेणी:बेल्जियम.

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शमा जैन

शमा जैन(जन्म:10 सितंबर 1959) एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक है, जिन्हें जून 2017 में ग्रीस में भारतीय राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया है। वे वर्ष 1983 बैच की आईएफएस अधिकारी हैं। इसके पूर्व वे कोत द'ईवोआर के भारतीय राजदूत रह चुके हैं। साथ ही इन्हें सिएरा लियोन, लाइबेरिया और गिनी हेतु भी समवर्ती मान्यता दी गयी थी। .

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शल्यचिकित्सा

अति प्राचीन काल से ही चिकित्सा के दो प्रमुख विभाग चले आ रहे हैं - कायचिकित्सा (Medicine) एवं शल्यचिकित्सा (Surgery)। इस आधार पर चिकित्सकों में भी दो परंपराएँ चलती हैं। एक कायचिकित्सक (Physician) और दूसरा शल्यचिकित्सक (Surgeon)। यद्यपि दोनों में ही औषधो पचार का न्यूनाधिक सामान्यरूपेण महत्व होने पर भी शल्यचिकित्सा में चिकित्सक के हस्तकौशल का महत्व प्रमुख होता है, जबकि कायचिकित्सा का प्रमुख स्वरूप औषधोपचार ही होता है। .

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शारीरिक शिक्षा

शारीरिक शिक्षा की सामग्री शारीरिक शिक्षा (Physical education) प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा के समय में पढ़ाया जाने वाला एक पाठ्यक्रम है। इस शिक्षा से तात्पर्य उन प्रक्रियाओं से है जो मनुष्य के शारीरिक विकास तथा कार्यों के समुचित संपादन में सहायक होती है। .

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शिक्षाशास्त्री

पूरब और पश्चिम के अनेक शिक्षाशास्त्री - शंकर, रामानुज, निंबार्क, कर्वे, मदनमोहन मालवीय, सुकरात न्यूटन, स्पेसर आदि हुए हैं। पश्चिम के शिक्षाशास्त्रियों में सुकरात, अफलातून (प्लेटो) और उसके शिष्य अरस्तू का प्रमुख स्थान है। .

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शंकुक

५० अंश उत्तरी अक्षांश पर गर्मी के समय नोमन का चलितचित्र (एनिमेशन) शंकुक, या नोमन (Gnomon), दिन में समय ज्ञात करने का सरल प्राचीन उपकरण था। .

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शेंगेन समझौता

फ्रांस, जर्मनी, पुर्तगाल, स्पेन, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्ज़मबर्ग ने अपनी सीमाएं ढीली करने की पहल की, इसी को शेंगेन समझौता कहा जाता है। इस पहल में ऑस्ट्रिया, इटली, डेनमार्क, फ़िनलैंड, स्वीडन और ग्रीस भी जल्दी ही शामिल हो गए लेकिन ब्रिटेन और आयरलैंड नहीं शामिल हुए.

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शेंगेन क्षेत्र

शेंगेन क्षेत्र में उन पच्चीस यूरोपीय देशों के प्रदेश शामिल हैं जिन्होंने, लक्ज़मबर्ग के शेंगेन शहर में 1985 में हस्ताक्षरित शेंगेन समझौते को लागू किया है। शेंगेन क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए काफी हद तक एक एकल राष्ट्र की तरह संचालित होता है जहां इस क्षेत्र के अन्दर आने वाले या फिर बाहर जाने वाले लोगों के लिए तो सीमा नियंत्रण होता है, लेकिन यहां कोई आंतरिक सीमा नियंत्रण नहीं है। शेंगेन नियमों को 1999 में एम्स्टर्डम समझौते द्वारा यूरोपीय संघ (EU) क़ानून में शामिल कर लिया गया, हालांकि इस क्षेत्र में आधिकारिक तौर पर तीन गैर-यूरोपीय संघ राष्ट्र, आइसलैंड, नॉर्वे स्विटजरलैंड शामिल हैं और वास्तविक तौर पर तीन सूक्ष्म यूरोपीय राष्ट्र, मोनाको, सैन मैरिनो, और वेटिकन सिटी भी शामिल है। यूरोपीय संघ के दो सदस्यों - आयरलैंड और ब्रिटेन को छोड़कर बाकी सभी सदस्य राष्ट्रों को शेंगेन लागू करने की आवश्यकता है और बुल्गारिया, साइप्रस और रोमानिया को छोड़कर सभी ने इसे पहले से ही लागू कर लिया है। वर्तमान में इस क्षेत्र की जनसंख्या 40 करोड़ से अधिक है और का क्षेत्र इसके अंतर्गत आता है। शेंगेन नियमों को लागू करने के तहत एक शेंगन राष्ट्र को अन्य शेंगेन सदस्यों के साथ सीमा पर नियंत्रण को समाप्त करना और साथ ही गैर सदस्य राज्यों के साथ सीमा पर नियंत्रण को मजबूत बनाना शामिल है। इन नियमों में शामिल है लोगों के अस्थायी प्रवेश पर आम नीति के प्रावधान (शेंगेन वीज़ा सहित), बाह्य सीमा नियंत्रण को सुसंगत करना, पार-सीमा पुलिस और न्यायिक सहयोग.

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शोडो द्वीप

शोडो द्वीप (小豆島 शोदोशिमा) जापान के अंतर्देशीय समुद्र में स्थित एक द्वीप है। नाम का शाब्दिक अर्थ "छोटे बीन्स का द्वीप" हैं। द्वीप पर दो कस्बे: टोकोशो और शोदोशिमा, जोकि शोज़ू जिले में शामिल हैं। यह द्वीप, ट्वेंटी-फोर आइज़ उपन्यास का आधार के रूप में प्रसिद्ध है, जिसका बाद में फिल्म रूपांतर भी हुआ हैं। द्वीप, जैतून का सफलतापूर्वक उगाने के लिए जापान का पहला क्षेत्र था, और इसे कभी-कभी "ओलिव द्वीप" के नाम से जाना जाता हैं। .

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शोथा रुस्थावेली

कलाकार सर्गो कोबुलाद्ज़े द्वारा महाकवि शोथा रुस्थावेली की चित्राकृति शोथा रुस्थावेली (जॉर्ज. შოთა რუსთაველი, जन्म और मृत्यु के वर्ष अज्ञात हैं) — बारहवीं शताब्दी का जॉर्जियाई महाकवि तथा काव्य शेर की खाल वाला वीर का रचयिता था। रुस्थावेली के जीवन से संबंधित बहुत कम जानकारी मिलती है। संभव है कि कवि का उपनाम रुस्थावेली उस के जन्म-स्थान रुस्थावी से उत्पन्न हुआ हो। रुस्थावेली ने यूनान में शिक्षा पाई; फिर वह थामार-रानी के दरबार में कोषाध्यक्ष बन गया (सन 1190 के एक अभिलेख में रुस्थावेली का हस्ताक्षर उपस्थित है)। बारहवीं शताब्दी में जहाँ एक ओर जॉर्जियाई राज्य की राजनैतिक शक्ति का उत्थान हो रहा था वहीं दूसरी ओर थामार-रानी के भव्य दरबार में गीतिकाव्य का विकास अपनी चरम सीमा पर था। इसी समय तत्कालीन रुस्थावेली का मनोहर शेर की खाल वाला वीर नामक महाकाव्य रचा गया जो जॉर्जियाई साहित्य का अभिमान है। महाकाव्य से पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि उस का रचयिता होमर के काव्यों, प्लेटो के दर्शन शास्त्र तथा अरबी और फ़ारसी साहित्य से परिचित था। श्रेणी:जॉर्जिया श्रेणी:जॉर्जिया वासी श्रेणी:जॉर्जिया के कवि और साहित्यकार.

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शीतयुद्ध

नाटो तथा वार्सा संधि के देश द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के काल में संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत रूस के बीच उत्पन्न तनाव की स्थिति को शीत युद्ध के नाम से जाना जाता है। कुछ इतिहासकारों द्वारा इसे 'शस्त्र सज्जित शान्ति' का नाम भी दिया गया है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने कंधे से कन्धा मिलाकर धूरी राष्ट्रों- जर्मनी, इटली और जापान के विरूद्ध संघर्ष किया था। किन्तु युद्ध समाप्त होते ही, एक ओर ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका तथा दूसरी ओर सोवियत संघ में तीव्र मतभेद उत्पन्न होने लगा। बहुत जल्द ही इन मतभेदों ने तनाव की भयंकर स्थिति उत्पन्न कर दी। रूस के नेतृत्व में साम्यवादी और अमेरिका के नेतृत्व में पूँजीवादी देश दो खेमों में बँट गये। इन दोनों पक्षों में आपसी टकराहट आमने सामने कभी नहीं हुई, पर ये दोनों गुट इस प्रकार का वातावरण बनाते रहे कि युद्ध का खतरा सदा सामने दिखाई पड़ता रहता था। बर्लिन संकट, कोरिया युद्ध, सोवियत रूस द्वारा आणविक परीक्षण, सैनिक संगठन, हिन्द चीन की समस्या, यू-2 विमान काण्ड, क्यूबा मिसाइल संकट कुछ ऐसी परिस्थितियाँ थीं जिन्होंने शीतयुद्ध की अग्नि को प्रज्वलित किया। सन् 1991 में सोवियत रूस के विघटन से उसकी शक्ति कम हो गयी और शीतयुद्ध की समाप्ति हो गयी। .

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शीतयुद्ध की उत्पत्ति

नाटो तथा वार्सा संधि के देश द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने कंधे से कन्धा मिलाकर धूरी राष्ट्रों- जर्मनी, इटली और जापान के विरूद्ध संघर्ष किया था। किन्तु युद्ध समाप्त होते ही, एक ओर ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका तथा दूसरी ओर सोवियत संघ में तीव्र मतभेद उत्पन्न होने लगा। बहुत जल्द ही इन मतभेदों ने तनाव की भयंकर स्थिति उत्पन्न कर दी। शीतयुद्ध के लक्षण द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ही प्रकट होने लगे थे। दोनों महाशक्तियां अपने-अपने संकीर्ण स्वार्थों को ही ध्यान में रखकर युद्ध लड़ रही थी और परस्पर सहयोग की भावना का दिखावा कर रही थी। जो सहयोग की भावना युद्ध के दौरान दिखाई दे रही थी, वह युद्ध के बाद समाप्त होने लगी थी और शीतयुद्ध के लक्षण स्पष्ट तौर पर उभरने लग गए थे, दोनों गुटों में ही एक दूसरे की शिकायत करने की भावना बलवती हो गई थी। इन शिकायतों के कुछ सुदृढ़ आधार थे। रूस के नेतृत्व में साम्यवादी और अमेरिका के नेतृत्व में पूँजीवादी देश दो खेमों में बँट गये। इन दोनों पक्षों में आपसी टकराहट आमने सामने कभी नहीं हुई, पर ये दोनों गुट इस प्रकार का वातावरण बनाते रहे कि युद्ध का खतरा सदा सामने दिखाई पड़ता रहता था। बर्लिन संकट, कोरिया युद्ध, सोवियत रूस द्वारा आणविक परीक्षण, सैनिक संगठन, हिन्द चीन की समस्या, यू-2 विमान काण्ड, क्यूबा मिसाइल संकट कुछ ऐसी परिस्थितियाँ थीं जिन्होंने शीतयुद्ध की अग्नि को प्रज्वलित किया। सन् 1991 में सोवियत रूस के विघटन से उसकी शक्ति कम हो गयी और शीतयुद्ध की समाप्ति हो गयी। शीतयुद्ध की उत्पत्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं- .

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समस्थापन

समस्थापन या होमिओस्तासिस (ग्रीक होमोओस .

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समानता

सामाजिक सन्दर्भों में समानता (equality) का अर्थ किसी समाज की उस स्थिति से है जिसमें उस समाज के सभी लोग समान (अलग-अलग नहीं) अधिकार या प्रतिष्ठा (status) रखते हैं। सामाजिक समानता के लिए 'कानून के सामने समान अधिकार' एक न्यूनतम आवश्यकता है जिसके अन्तर्गत सुरक्षा, मतदान का अधिकार, भाषण की स्वतंत्रता, एकत्र होने की स्वतंत्रता, सम्पत्ति अधिकार, सामाजिक वस्तुओं एवं सेवाओं पर समान पहुँच (access) आदि आते हैं। सामाजिक समानता में स्वास्थ्य समानता, आर्थिक समानता, तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा भी आतीं हैं। इसके अलावा समान अवसर तथा समान दायित्व भी इसके अन्तर्गत आता है। सामाजिक समानता (Social Equality) किसी समाज की वह अवस्था है जिसके अन्तर्गत उस समाज के सभी व्यक्तियों को सामाजिक आधार पर समान महत्व प्राप्त हो। समानता की अवधारणा मानकीय राजनीतिक सिद्धांत के मर्म में निहित है। यह एक ऐसा विचार है जिसके आधार पर करोड़ों-करोड़ों लोग सदियों से निरंकुश शासकों, अन्यायपूर्ण समाज व्यवस्थाओं और अलोकतांत्रिक हुकूमतों या नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष करते रहे हैं और करते रहेंगे। इस लिहाज़ से समानता को स्थाई और सार्वभौम अवधारणाओं की श्रेणी में रखा जाता है। दो या दो से अधिक लोगों या समूहों के बीच संबंध की एक स्थिति ऐसी होती है जिसे समानता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।  लेकिन, एक विचार के रूप में समानता इतनी सहज और सरल नहीं है, क्योंकि उस संबंध को परिभाषित करने, उसके लक्ष्यों को निर्धारित करने और उसके एक पहलू को दूसरे पर प्राथमिकता देने के एक से अधिक तरीके हमेशा उपलब्ध रहते हैं। अलग-अलग तरीके अख्तियार करने पर समानता के विचार की भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ उभरती हैं। प्राचीन यूनानी सभ्यता से लेकर बीसवीं सदी तक इस विचार की रूपरेखा में कई बार ज़बरदस्त परिवर्तन हो चुके हैं। बहुत से चिंतकों ने इसके विकास और इसमें हुई तब्दीलियों में योगदान किया है जिनमें अरस्तू, हॉब्स, रूसो, मार्क्स और टॉकवील प्रमुख हैं। .

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सात घातक पाप

हैरोनिमस बॉश कि द सेवेन डेडली सिंस ऐंड फोर लास्ट थिंग्स "जीव हत्या" सबसे बड़ा पाप हैं, अनावश्यक हरे पेड़ों को काटना भी पाप हैं। इसके बाद इन्सान की मानसिकता के सात घातक पाप जो प्रधान पापाचरणों या कार्डिनल पापों के रूप में भी जाने जाते हैं, सर्वाधिक आपत्तिजनक बुराइयों का एक वर्गीकरण है जो मानवता की पाप के प्रति (अनैतिक) झुकाव की प्रकृति से संबंधित अनुयायियों को शिक्षित करने तथा उपदेश देने के लिए क्रिश्चियन समय से ही प्रयुक्त होता रहा है। सूची के अंतिम संस्करण में क्रोध, लोभ, आलस, अभिमान, वासना, ईर्ष्या एवं लालच निहित हैं। कैथोलिक चर्च ने पाप को दो प्रमुख वर्गों में विभक्त किया है: "क्षम्य पाप", जो अपेक्षाकृत क्षुद्र होते हैं और किसी भी प्रकार के संस्कारिक नियमों अथवा चर्च के परम प्रसाद संस्कार ग्रहण के माध्यम से क्षमा किए जा सकते हैं एवं जितने अधिक "घातक" या नश्वर पाप होंगे उतने ही अधिक संगीन होंगे.

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सामाजिक चक्र

सामाजिक परिवर्तन के के सन्दर्भ में सामाजिक चक्र (social cycle) की मूल मान्यता यह है कि सामाजिक परिवर्तन की गति और दिशा एक चक्र की भाँति है और इसलिए सामाजिक परिवर्तन जहाँ से आरम्भ होता है, अन्त में घूम कर फिर वहीं पहुँच कर समाप्त होता है। यह स्थिति चक्र की तरह पूरी होने के बाद बार-बार इस प्रक्रिया को दोहराती है। इसका उत्तम उदाहरण भारत, चीन व ग्रीस की सभ्यताएँ हैं। चक्रीय सिद्धान्त के कतिपय प्रवर्तकों ने अपने सिद्धान्त के सार-तत्व को इस रूप में प्रस्तुत किया है कि इतिहास अपने को दुहराता है’। चक्रीय सिद्धान्तों के विचारानुसार परिवर्तन की प्रकृति एक चक्र की भाँति होती है। अर्थात् जिस स्थिति से परिवर्तन शुरू होता है, परिवर्तन की गति गोलाकार में आगे बढ़ते-बढ़ते पुनः उसी स्थान पर लौट आती है जहाँ पर कि वह आरम्भ में थी। विलफ्रेडो परेटो ने सामाजिक परिवर्तन के अपने चक्रीय सिद्धान्त में यह दर्शाने का प्रयत्न किया है कि किस भाँति राजनीतिक, आर्थिक तथा आध्यात्मिक क्षेत्र में चक्रीय गति से परिवर्तन होता रहता है। .

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सालवीन नदी

सालवीन नदी का प्रवाह मार्ग सालवीन नदी तिब्बत से शुरु होकर चीन के यूनान प्रान्त, बर्मा और थाईलैंड के रास्ते अंडमान सागर मे समाहित होने वाली एक नदी है| इस नदी को चीन मे नूजीआंग, बर्मा मे थानलवीन और थाईलेन्ड मे सालवीन नाम से जाना जाता है। श्रेणी:म्यान्मार.

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साल्वातोर काज़ीमोदो

साल्वातोर काज़ीमोदो (Salvatore Quasimodo) इटली के कवि थे। 1959 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता। .

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साहित्य

किसी भाषा के वाचिक और लिखित (शास्त्रसमूह) को साहित्य कह सकते हैं। दुनिया में सबसे पुराना वाचिक साहित्य हमें आदिवासी भाषाओं में मिलता है। इस दृष्टि से आदिवासी साहित्य सभी साहित्य का मूल स्रोत है। .

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सावित्री देवी मुखर्जी

सावित्री देवी मुखर्जी (30 सितंबर 1905 - 22 अक्टूबर 1982) यूनानी-फ्रांसीसी लेखक मैक्सिमियानी पोर्टास का उपनाम था (मैक्सिमिन पोर्टा भी लिखा गया) (1998).

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सांडोरिनी

सांडोरिनी (या सैंटोरिनी) ग्रीस का एक शहर है। श्रेणी:ग्रीस.

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साइप्रस

साइप्रस (ग्रीक: Κύπρος, IPA:, तुर्की: Kıbrıs), आधिकारिक तौर पर साइप्रस गणतंत्र (ग्रीक: Κυπριακή Δημοκρατία, Kypriakī Dīmokratía,, तुर्की: Kıbrıs Cumhuriyeti) पूर्वी भूमध्य सागर पर ग्रीस के पूर्व, लेबनान, सीरिया और इसराइल के पश्चिम, मिस्र के उत्तर और तुर्की के दक्षिण में स्थित एक यूरेशियन द्वीप देश है। इसकी राजधानी निकोसिया है। इसकी मुख्य- और राजभाषाएँ ग्रीक और तुर्की हैं। साइप्रस भूमध्य का तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जहां प्रति वर्ष 2.4 मिलियन से अधिक पर्यटक आते हैं। यह 1960 में ब्रिटिश उपनिवेश से स्वतंत्र हुआ गणराज्य है, जो 1961 में राष्ट्रमंडल का सदस्य बना और 1 मई 2004 के बाद से यूरोपीय संघ का सदस्य है। साइप्रस क्षेत्र की उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। 1974 में, द्वीप पर रहने वाले ग्रीक और तुर्की लोगों के बीच सालों से चल रहे दंगों और ग्रीक साइप्रियोट राष्ट्रवादियों द्वारा एंथेंस में सत्ता पर काबिज सैन्य सरकार की मदद द्वीप पर कब्जे के लिए किए गए प्रयास के बाद, तुर्की ने हमला कर द्वीप के एक तिहाई हिस्से पर कब्जा कर लिया। इसके चलते हजारों साइप्रियोट विस्थापित हुए और उत्तर में अलग ग्रीक साइप्रियोट राजनीतिक सत्ता कायम की। इस घटना के बाद से उत्पन्न परिस्थितियों और राजनैतिक स्थिति की वजह से आज भी विवाद कायम है। साइप्रस गणतंत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राज्य है, जिसकी पूरे द्वीप और आस पास के जल पर विधि सम्मत संप्रभुता है, केवल छोटे हिस्से को छोड़कर, जो संधि द्वारा यूनाइटेड किंगडम के लिए संप्रभु सैन्य ठिकानों के रूप में आवंटित कर रहे हैं। यह द्वीप वस्तुत: चार मुख्य भागों में विभाजित है.

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सिनिक सम्प्रदाय

एंतिस्थिनीज़ सिनिक (Cynicism) एक यूनानी दर्शन संप्रदाय, जो समाज के प्रति उपेक्षा तथा व्यक्तिगत जीवन के प्रति निषेधात्मक दृष्टि के लिए प्रसिद्ध है। इस संप्रदाय का संस्थापक एंतिस्थिनीज़ (४४५-३६५ ई. पू.) था। पहले वह सोफ़िस्त था। बाद में सुकरात के स्वतंत्र विचारों, परहितचिंतन तथा आत्मत्याग से प्रभावित होकर, वह उसे अपना गुरु मानने लगा। यूनान के जनतंत्र ने सुकरात को जब प्राण दंड (३९९ ई. पू.) दे दिया, तो एंतिस्थिनीज़ को व्यक्ति पर समाज की प्रभुता के औचित्य पर, फिर से विचार देने के लिए तैयार न था कि सुकरात के समान आत्मत्यागी व्यक्ति को प्राणदंड दे सके। अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए, उसने "प्रकृति की ओर चलो" का नारा लगाया। उस प्राकृतिक जीवन की ओर संकेत किया, जिसमें प्रत्येक मनुष्य अपने आप का स्वामी था। कोई किसी का दास न था। उस जीवन को अपनाने के लिए, धन-दौलत, सम्मान आदि से विरक्त होने की आवश्यकता थी। एंतिस्थिनीज़ ने इसे सहर्ष स्वीकार किया। किंतु, इस प्रकार के जीवन का समर्थन करने में वह शिक्षा, संस्कार, अभिवृद्धि आदि के अर्थों को लुप्त नहीं होने देना चाहता था। इसलिए, उससे मानवीय जीवन की अभिवृद्धि की नैतिक व्याख्या की। वह सुकरात से प्रभावित था। सुकरात ने ज्ञान और नैतिक आचरण में कारण-कार्य-संबंध स्थापित किया था। इस सुकरातीय आदर्शों को दुहराते हुए, एंतिस्थिनीज़ ने यह दिखाने का प्रयत्न किया कि शुभों के पुनर्मूल्यांगन में बुद्धि की अभिव्यक्ति होती है, आँख मूँदकर बँधी हुई लकीरों पर चलते रहने में नहीं। बुद्धिमान व्यक्ति समाज के अधिकांश व्यक्तियों द्वारा स्वीकृत अयुक्त मूल्यांकन को समय-समय पर ठीक करता रहता है। अपने विचारों के समर्थन के विभिन्न एंतिस्थिनीज़ ने सैद्धांतिक पीठिका भी तैयार की थी। अफलातून ने "सामान्य' की निरपेक्ष सत्ता का समर्थन किया था और व्यक्ति के सत्य को "सामान्य' का भाग बताया था। एंतिस्थिनीज़ ने अफलातून की इस तत्वविद्या का विरोध किया। उसने यह दिखाया कि "सामान्य' की कोई स्वतंत्र सत्ता नहीं। अनेक व्यक्तियों में व्याप्त होने से किसी तत्व को "सामान्य' माना जाता है। व्यक्तियों से पृथक्‌ उसका कोई अस्तित्व नहीं। इस प्रकार, अफलातून के सामान्यतावाद (यूनीवर्सलिज्म) के विरुद्ध एंतिस्थिनीज़ ने "नामवाद' (नामिनलिज्म) की स्थापना की। यहाँ तक उसने "गुणकथक पर निर्भर परिभाषा' का खंडन किया। वह प्राय: वस्तु को विशिष्ट वस्तु अथवा व्यक्ति मानता था। व्यक्ति निर्णय वाक्यों के उद्देश्य बनते हैं। परिभाषा भी एक प्रकार का निर्णय वाक्य है। किंतु, सामान्य गुण किसी विशिष्ट वस्तु का विघन नहीं हो सकता। इस सैद्धांतिक पीठिका पर, एंतिस्थिनीज़ ने व्यक्तिवादी दर्शन का प्रारंभ किया जिसके अनुसार बुद्धिमान (नैतिक) व्यक्ति समाज का सदस्य नहीं, आलोचक हो सकता है। एंतिस्थिनीज़ के विचारों को आगे बढ़ाने का श्रेय उसके शिरो दिओजिनिस को दिया जाता है। वह कहता था, "मैं समाज की कुरीतियों पर भौंकने वाला कुत्ता हूँ; मेरा काम प्रचलित मूल्यों में उचित मान निर्धारित करना है' इन्हीं दोनों के साथ सिनिक संप्रदाय का अंत नहीं हुआ। उनकी परंपरा यूनानी दर्शन के अंत तक चलती रही। सिनिक समाजविरोधी न थे। उनके विचार से समाज को उचित मार्ग पर चलाने के लिए कुछ सचेत तथा निष्पक्ष समीक्षकों की आवश्यकता थी, जो स्वीकृत मूल्यों में समय-समय पर संशोधन करते रहें। किंतु, ऐसे समीक्षकों के लिए, वे बौद्धिक विकास एवं नैतिक आचरण के साथ, निस्पृहता तथा समाज से अलगाव की आवश्यकता को समझते थे। अपना कार्य उचित रूप से कर सकने के लिए, सिनिक दार्शनिकों ने विशेष प्रकार का रहन-सहन अपनाया था। वे अच्छे घरों की, स्वादिष्ट भोजन और सुखद वस्त्रों की आवश्यकता नहीं समझते थे। कहा जाता है, दिओजिनिस ने किसी पुरानी नाँद में अपना जीवन व्यतीत किया। वही उसका घर था। सुकरात के लिए कहा जाता है कि उसने कभी जूते नहीं पहने; सर्दी, गर्मी के अनुसार अपने वस्त्रों में परिवर्तन नहीं किया। किंतु वह एथेंस नगर में घूम-घूमकर, गलत काम करने वालों की आलोचना किया करता था। इस काम में व्यस्त रहने से वह कभी अपने पैत्रिक व्यवसाय में रुचि न ले सका। सिनिकों ने सुकुरात के जीवन से शिक्षा प्राप्त की थी। वे समझते थे कि अपनी समस्याओं का निराकरण करके ही समाज की चौकसी की जा सकती है। सिनिकों का उद्देश्य समाज का हित करना था; किंतु, जिस रूप में वे अपना दृष्टिकोण व्यक्त करते थे, उससे वे घोर व्यक्तिवादी तथा समाज के निंदक प्रतीत होते थे। सिनिक आदर्शों का संप्रदाय के रूप में समुचित निर्वाह अधिक समय तक संभव न था। अंतिम सिनिक परिस्थितियों के अनुसार जीवनयापन में सिनिक आदर्शों की पूर्ति मानने लगे थे। उत्तराधिकारियों के लिए प्रारंभिक उपदेष्टाओं की भाँति विरक्त एवं आत्मत्यागी होना संभव न था। इसीलिए, कालांतर में सिनिक का सामान्य अर्थ समाज की उपेक्षा करने वाला व्यक्ति रह गया। किंतु मानवीय चिंतन से सिनिक तत्व का सर्वथा अभाव न हो सका। समय-समय पर, ऐसे समाज के हितचिंतक होते रहे हैं, जो समाज की भ्रांतियों से क्षुब्ध होकर, एक अलगाव का भाव व्यक्त करते रहे हैं और ऐसी टीका टिप्पणियाँ करते रहे हैं, जिनसे उचित मार्ग का संकेत प्राप्त हो। स्वर्गीय बर्नार्ड शा को बीसवीं सदी का बहुत बड़ा सिनिक कहा जा सकता है। उनके साहित्य में व्याप्त सामाजिक आलोचना, प्राय: उपेक्षा की सतह तक पहुँच जाती है किंतु, उस उपेक्षावृत्ति में अंतर्हित सामाजिक हित कामना बिना खोजे हुए हम "सिनिक' के अर्थ तक नहीं पहुँच सकते। .

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सिरेनेइका

लीबिया के परम्परागत प्रदेश सिरेनेइका (Cyrenaica) लीबिया के पूर्वी भाग में स्थित एक प्रदेश है। भूमध्यसागर तट पर स्थित इस प्रदेश के पूर्व में मिस्र, पश्चिम में ट्रिपोलीटेनिया एवं दक्षिण में चाड गणतंत्र है। इसमें कूफा मरुद्यान भी सम्मिलित है। तटीय भाग की जलवायु भूमध्यसागरीय है। गर्मी की ऋतु उष्ण एवं शुष्क होती है। भीतरी भागों में वर्षा की मात्रा कम होती है तथा तट से १२५ किमी की दूरी पर मरुस्थलीय दशाएं पायी जाती हैं। तटीय क्षेत्र में बेनगाजी और डेरना के बीच में तथा गेबल-एल-अखदार (Gebel-el-Akhdar) पठार में जनसंख्या केंद्रित है जहां वार्षिक वर्षा १६ इंच के आसपास हो जाती है। जौ, गेहूं, जैतून एवं अंगूर मुख्य कृषि उपज हैं। कफ्रू एवं जिआलो नामक मरुद्यानों से खजूर की प्रचुर मात्रा में प्राप्ति होती है। खानाबदोश पशुचारियों ने भेड़, बकरे और ऊँट पर्याप्त मात्रा में पाल रखे हैं। यहाँ से भेड़, बकरा, पशु, ऊन, चमड़ा, मछली तथा स्पंज का निर्यात मुख्यत: ग्रीस और मिस्र को होता है। उपजाऊ भूमि का अधिकांश भाग चरागाह के लिए ही उपयुक्त है। विकसित सिंचाई के साधनों द्वारा तरकारी की उपज की जा सकती है। फिर भी पशुपालन एवं बागवानी खेती प्रधान उद्योग रहेंगे। यहाँ २,७२,००० एकड़ में प्राकृतिक वन हैं। खनिज तेल भी पाया जाता है। मुख्य नगर तोब्रक, डेरना, सिरएन, बार्स और बेनगाजी हैं जो तटीय सड़क मार्ग द्वारा एक-दूसरे से संबद्ध हैं। १५० किमी लंबा रेलमार्ग है। वायु मार्ग द्वारा त्रिपोली, काहिरा, रोम, माल्टा, ट्यूनिस, नैरोबी, एथेंस और लंदन यहाँ की राजधानी बेनगाजी से संबद्ध हैं। श्रेणी:लीबिया श्रेणी:भूगोल.

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सिलानिओं

सिलानिओं प्राचीन यूनान के मशहूर शिल्पकार थे, जिन्होंने करीब चौथी सदी ईसा पूर्व अपना काम किया। ये प्लेटो की मूर्ति बनाने में काफी मशहूर थे। .

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सिंह (पशु)

सिंह (पेन्थेरा लियो) पेन्थेरा वंश की चार बड़ी बिल्लियों में से एक है और फेलिडे परिवार का सदस्य है। यह बाघ के बाद दूसरी सबसे बड़ी सजीव बिल्ली है, जिसके कुछ नरों का वजन २५० किलोग्राम से अधिक होता है। जंगली सिंह वर्तमान में उप सहारा अफ्रीका और एशिया में पाए जाते हैं। इसकी तेजी से विलुप्त होती बची खुची जनसंख्या उत्तर पश्चिमी भारत में पाई जाती है, ये ऐतिहासिक समय में उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और पश्चिमी एशिया से गायब हो गए थे। प्लेइस्तोसेन के अंतिम समय तक, जो लगभग १०,००० वर्ष् पहले था, सिंह मानव के बाद सबसे अधिक व्यापक रूप से फैला हुआ बड़ा स्तनधारी, भूमि पर रहने वाला जानवर था। वे अफ्रीका के अधिकांश भाग में, पश्चिमी यूरोप से भारत तक अधिकांश यूरेशिया में और युकोन से पेरू तक अमेरिका में पाए जाते थे। सिंह जंगल में १०-१४ वर्ष तक रहते हैं, जबकि वे कैद मे २० वर्ष से भी अधिक जीवित रह सकते हैं। जंगल में, नर कभी-कभी ही दस वर्ष से अधिक जीवित रह पाते हैं, क्योंकि प्रतिद्वंद्वियों के साथ झगड़े में अक्सर उन्हें चोट पहुंचती है। वे आम तौर पर सवाना और चारागाह में रहते हैं, हालांकि वे झाड़ी या जंगल में भी रह सकते हैं। अन्य बिल्लियों की तुलना में सिंह आम तौर पर सामाजिक नहीं होते हैं। सिंहों के एक समूह जिसे अंग्रेजी मे प्राइड कहॉ जाता में सम्बन्धी मादाएं, बच्चे और छोटी संख्या में नर होते हैं। मादा सिंहों का समूह प्रारूपिक रूप से एक साथ शिकार करता है, जो अधिकांशतया बड़े अनग्युलेट पर शिकार करते हैं। सिंह शीर्ष का और कीस्टोन शिकारी है, हालांकि वे अवसर लगने पर मृतजीवी की तरह भी भोजन प्राप्त कर सकते हैं। सिंह आमतौर पर चयनात्मक रूप से मानव का शिकार नहीं करते हैं, फिर भी कुछ सिंहों को नर-भक्षी बनते हुए देखा गया है, जो मानव शिकार का भक्षण करना चाहते हैं। सिंह एक संवेदनशील प्रजाति है, इसकी अफ्रीकी रेंज में पिछले दो दशकों में इसकी आबादी में संभवतः ३० से ५० प्रतिशत की अपरिवर्तनीय गिरावट देखी गयी है। ^ डाटाबेस प्रवेश में एस बात का एक लंबा औचित्य सम्मिलित है कि यह प्रजाति संवेदनशील क्यों है। क्यों इस प्रजाति की दुर्दशा का एक भी सम्मिलित है सिंहों की संख्या नामित सरंक्षित क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों के बहार अस्थिर है। हालांकि इस गिरावट का कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है, आवास की क्षति और मानव के साथ संघर्ष इसके सबसे बड़े कारण हैं। सिंहों को रोमन युग से पिंजरे में रखा जाता रहा है, यह एक मुख्य प्रजाति रही है जिसे अठारहवीं शताब्दी के अंत से पूरी दुनिया में चिडिया घर में प्रदर्शन के लिए रखा जाता रहा है। खतरे में आ गयी एशियाई उप प्रजातियों के लिए पूरी दुनिया के चिड़ियाघर प्रजनन कार्यक्रमों में सहयोग कर रहे हैं। दृश्य रूप से, एक नर सिंह अति विशिष्ट होता है और सरलता से अपने अयाल (गले पर बाल) द्वारा पहचाना जा सकता है। सिंह, विशेष रूप से नर सिंह का चेहरा, मानव संस्कृति में सबसे व्यापक ज्ञात जंतु प्रतीकों में से एक है। उच्च पाषाण काल की अवधि से ही इसके वर्णन मिलते हैं, जिनमें लॉसकाक्स और चौवेत गुफाओं की व नक्काशियां और चित्रकारियां सम्मिलित हैं, सभी प्राचीन और मध्य युगीन संस्कृतियों में इनके प्रमाण मिलते हैं, जहां ये ऐतिहासिक रूप से पाए गए। राष्ट्रीय ध्वजों पर, समकालीन फिल्मों और साहित्य में चित्रकला में, मूर्तिकला में और साहित्य में इसका व्यापक वर्णन पाया जाता है। .

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सिकंदर

सिकंदर (Alexander) (356 ईपू से 323 ईपू) मकदूनियाँ, (मेसेडोनिया) का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह कुशल और यशस्वी सेनापतियों में से एक माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उन सभी भूमि मे से लगभग आधी भूमि जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी(सत्य ये है की वह पृथ्वी के मात्र 5 प्रतीशत हिस्से को ही जीत पाया था) और उसके विजय रथ को रोकने में सबसे मुख्य भूमिका भारत के महान राजा पुरु (जिन्हे युनानी इतिहासकारों नें पोरस से सम्बोधित किया है।)और भारत के क्षेत्रीय सरदारो की थी, जिन्होंने सिकंदर की सेना में अपने पराक्रम के दम पर भारत के प्रति खौफ पैदा कर उसके हौसले पस्त कर दिये और उसे भारत से लौटने पर मजबूर कर दिया।। उसने अपने कार्यकाल में इरान, सीरिया, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया और भारत में पंजाब(जिसके राजा पुरु थे।) तक के प्रदेश पर विजय हासिल की थी परन्तु बाद में वो मगध की विशाल सेना से डर कर लौट गया ।।उल्लेखनीय है कि उपरोक्त क्षेत्र उस समय फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे और फ़ारसी साम्राज्य सिकन्दर के अपने साम्राज्य से कोई 40 गुना बड़ा था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर, एस्कन्दर का अपभ्रंश सिकन्दर है) औऱ हिंदी में अलक्षेन्द्र कहा गया है। .

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संयुक्त राष्ट्र शांतिस्थापन

इस लेख में संयुक्त राष्ट्र संघ ने अब तक जिन विवादों हल करने में सफलता पायी है, उनका वर्णन किया गया है। .

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संयुक्त राज्य अमेरिका ओलंपिक विवरण

संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1980 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक को छोड़कर आधुनिक ओलंपिक खेलों के हर समारोह में एथलीटों को भेजा है, जिसके दौरान इसमें बहिष्कार का नेतृत्व किया गया था। संयुक्त राज्य ओलंपिक समिति (यूएसओसी) संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति है। यू एस एथलीट ने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में 2,521 पदक जीते (1,022 स्वर्ण हैं) और शीतकालीन ओलंपिक खेलों में 282 अन्य। एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड) (801, 32%) और तैराकी (553, 22%) में अधिकतर पदक जीते हैं। थॉमस बर्क ओलंपिक में संयुक्त राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाला पहला एथलीट था। उन्होंने ग्रीस के एथेंस, में 100 मीटर और 1896 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के 400 मीटर की दूरी पर पहले स्थान पर कब्जा किया। अमेरिकी ट्रैक एंड फील्ड एथलीट जेम्स कॉनॉली पहला आधुनिक ओलंपिक चैंपियन था। उन्होंने ट्रिपल जंप में पहला स्थान लिया, जो 1896 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में पहली बार उद्घाटन समारोह था। अमेरिकी तैराक माइकल फेल्प्स किसी भी राष्ट्र की सबसे सजाया ओलिंपिक एथलीट है, जिसमें 28 पदक (23 स्वर्ण सहित) शामिल हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका ने हर गेम में स्वर्ण पदक जीता है जिस पर उसने ग्रीष्मकालीन खेलों में किसी अन्य देश की तुलना में अधिक सोना और कुल पदक खेले हैं और शीतकालीन खेलों में दूसरे सबसे ज्यादा स्वर्ण और कुल पदक भी हैं, जो केवल नॉर्वे के पीछे हैं। 1920 के मध्य से लेकर 1980 के दशक तक, संयुक्त राज्य अमेरिका ने सोवियत संघ के साथ ग्रीष्मकालीन खेलों में और सोवियत संघ, नॉर्वे और पूर्वी जर्मनी से शीतकालीन खेलों में भाग लिया। हालांकि, सोवियत संघ के विघटन के बाद, यह अब मुख्य रूप से ग्रीष्मकालीन खेलों में चीन के साथ समग्र पदक गिनती और स्वर्ण पदक की गिनती और सर्दियों के खेलों में नॉर्वे के साथ समग्र पदक गिनती के लिए तर्क देता है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने 17 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक और दो शीतकालीन ओलंपिक में कुल पदक गिनती की है: 1932 में लेक प्लेसिड और वैंकूवर में 2010। 2010 के खेलों में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक शीतकालीन ओलंपिक में किसी भी देश के सर्वाधिक कुल पदक (37) के लिए एक रिकॉर्ड बनाया है। .

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संशयवाद

जैसा श्री शिवादित्य ने सप्तपदार्थी नामक ग्रंथ में लिखा है (अनवधारण ज्ञान संशय) संशय अनिश्चित ज्ञान या संदिग्ध अनुभव को कहते हैं। तर्कसंग्रह के अनुसार संशय वह ज्ञान है जिसमें एक ही पदार्थ अनेक विरोधी धर्मो या गुणों से युक्त प्रतीत होता है (एकस्मिन् धर्मिणी विरुद्धनानाधर्मवैशिष्ट्यावगाहिज्ञानं संशय)। उदाहरणार्थ, जब हम अँधेरे में किसी दूरस्थ स्तंभ को देखकर निश्चित रूप से यह नहीं जान पाते कि वह स्तंभ है तो हमारा मन दोलायमान हो जाता है और हम उस एक को पदार्थ में स्तंभत्व एवं मनुष्यत्व दो विभिन्न धर्मों का आरोप करने लगते हैं। न तो हम निश्चयपूर्वक यह कह सकते हैं कि वह पदार्थ स्तंभ है और न यह कि वह मनुष्य है। मन की ऐसी ही विप्रतिपत्तियुक्त, द्विविधाग्रस्त, निश्चयरहित या विकल्पात्मक अवस्था को संशय कहा जाता है। यह अवस्था न केवल ज्ञानाभाव तथा (रज्जु के सर्प के) भ्रम या विपरीत ज्ञान (विपर्यय) से ही किंतु यथार्थ निश्चित्त ज्ञान से भी भिन्न होती है। अत: संशयवाद (Scepticism), नामक सिद्धांत के अनुसार निश्चित्त ज्ञान अथवा उसकी संभावना का निषेध किया जाता है। इस सिद्धांत को पूर्ण रूप से माननेवाले व्यक्तियों के विचारानुसार मानव को कभी भी और किसी भी प्रकार का वास्तविक या निश्चित ज्ञान नहीं हो सकता। संशयवादियों की राय में हमारे मस्तिष्क या मन की बनावट ही ऐसी है कि उसके द्वारा हम कभी भी संसार के या उसके पदार्थों के सही स्वरूप को अवगत कर सकने में समर्थ नहीं हो सकते। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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संस्कृत मूल के अंग्रेज़ी शब्दों की सूची

यह संस्कृत मूल के अंग्रेजी शब्दों की सूची है। इनमें से कई शब्द सीधे संस्कृत से नहीं आये बल्कि ग्रीक, लैटिन, फारसी आदि से होते हुए आये हैं। इस यात्रा में कुछ शब्दों के अर्थ भी थोड़े-बहुत बदल गये हैं। .

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संविधानी अदालत

High Court of Karnataka, Bangalore MMK.jpg संविधानी अदालत संविधानी अदालत अथवा संविधानी न्यायालय एक उच्च न्यायालय होता है जो मुख्यतः संवैधानिक नियमों को देखता है। इसका मुख्य कार्य नियमों के उल्लंघन को देखना और कुछ असंवैधानिक घटना का संज्ञान लेना होता है। इसके अतिरिक्त यह नये नियमों को भी देखता है और उसमें ध्यान रखता है कि कोई नया नियम किसी पुराने नियम के साथ विरोधाभाशी तो नहीं है। .

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संगीत का इतिहास

युद्ध, उत्सव और प्रार्थना या भजन के समय मानव गाने बजाने का उपयोग करता चला आया है। संसार में सभी जातियों में बाँसुरी इत्यादि फूँक के वाद्य (सुषिर), कुछ तार या ताँत के वाद्य (तत), कुछ चमड़े से मढ़े हुए वाद्य (अवनद्ध या आनद्ध), कुछ ठोंककर बजाने के वाद्य (घन) मिलते हैं। .

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सुनीति कुमार चटर्जी

सुनीति कुमार चटर्जी (बांग्ला: সুনীতি কুমার চ্যাটার্জী) (26 अक्टूबर, 1890 - 29 मई, 1977) भारत के जानेमाने भाषाविद्, साहित्यकार तथा भारतविद् के रूप में विश्वविख्यात व्यक्तित्व थे। वे एक लोकप्रिय कला-प्रेमी भी थे। .

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सुपरमैन (फ़िल्म)

सुपरमैन (सुपरमैन: द मूवी के रूप में भी विख्यात) समनाम वाले डीसी कॉमिक्स के चरित्र पर आधारित 1978 की एक सुपरहीरो फ़िल्म है। फ़िल्म के निर्देशक थे रिचर्ड डॉनर, जिसमें सुपरमैन की भूमिका में क्रिस्टोफ़र रीव और साथ में जीन हैकमैन, मार्गट किडर, मार्लोन ब्रैंडो, ग्लेन फ़ोर्ड, फ़िलिस थैक्सटर, जैकी कूपर, मार्क मॅकक्लूर, वैलरी पेरीन तथा नेड बेट्टी ने अभिनय किया। फ़िल्म सुपरमैन की उत्पत्ति, क्रिप्टोन के काल-एल के रूप में उसका शैशव और स्मॉलविले में उसके पलने-बढ़ने का चित्रण करता है। संवाददाता क्लार्क केंट के रूप में प्रच्छन्न, वह मेट्रोपोलिस में सौम्य-व्यवहार दृष्टिकोण अपनाता है और खलनायक लेक्स लूथर के साथ जूझते समय, लोइस लेन के प्रति उसके मन में प्रेम जगता है। 1973 में इल्या साल्किंड द्वारा फ़िल्म की कल्पना की गई थी। निर्देशन का काम डॉनर को सुपुर्द करने से पहले परियोजना से कई निर्देशक, विशेषकर गइ हैमिल्टन और पटकथा-लेखक (मारियो प्यूज़ो, डेविड और लेज़ली न्यूमैन तथा रॉबर्ट बेंटन) जुड़े थे। डॉनर ने यह महसूस करते हुए कि पटकथा कुछ ज़्यादा खेमे से जुड़ा है, टॉम मैनक्यूविक्ज़ को दुबारा पटकथा लिखने का काम सौंपा.

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सुलेमान प्रथम

सुलेमान प्रथम, सुलेमान क़ानूनी, सुलेमान महान या शानदार सुलेमान (उस्मानी तुर्की: سلطان سليمان اول‎ सुल्तान सुलेमान अव्वल, आधुनिक तुर्की: Süleyman I या Kanunî Sultan Süleyman) उस्मानी सल्तनत के दसवें शासक थे जिन्होंने 1520 से 1566, 46 साल तक शासन किया। वे सम्भवतः उस्मानी सल्तनत के सबसे महान शासकों में से एक थे जिन्होंने अपने अनोखी न्यायप्रणाली और अतुलनीय प्रबन्धन की बदौलत समस्त इस्लामी विश्व को समृद्धि और विकास का मार्ग पर लाया था। उन्होंने सल्तनत के लिए क़ानून की विशेष व्यवस्था स्थापित की थी और इस कारण से उन्हें सुलेमान क़ानूनी के नाम से याद किया जाता है। पश्चिमी विश्व उनकी महानता से इतने प्रभावित हुए कि पश्चिमी लेखकों ने उन्हें शानदार सुलेमान का नाम दिया। उनकी सरकार के मुख्य इलाक़ों में हिजाज़, तुर्की, मिस्र, अल्जीरिया, इराक़, कुर्दिस्तान, यमन, शाम, फ़ारस की खाड़ी और भूमध्य तटीय क्षेत्र, यूनान और हंगरी शामिल थे। .

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सुखवाद

सुखवाद (Hedonism) नीतिशास्त्र के अंतर्गत नैतिक अपेक्षाओं की अभिपुष्टि करने वाला सिद्धांत है। सुखवाद के अनुसार अच्छाई वह है जो आनन्द प्रदान करती है या दुःख-पीड़ा से छुटकारा दिलाती है तथा बुराई वह है जो दुःख-पीड़ा को जन्म देती है। सैद्धांतिक तौर पर सुखवाद नीतिशास्त्र में प्रकृतिवाद का एक रूपांतर है। उसका आधार इस विचार में निहित है कि आनन्द मनुष्य का मुख्य निर्णायक गुण है, जो उसके स्वभाव में निहित है और उसके समस्त कार्यकलाप को निर्धारित करता है। सिद्धांत के रूप में सुखवाद की उत्पत्ति प्राचीन काल में ही हो गयी थी। यूनान में सुखवादी अरिस्टिप्पस के नीतिशास्त्र के अनुयायी रहे। सुखवाद एपीक्यूरस की शिक्षा में अपने चरम शिखर पर पहुँचा। सुखवाद के विचारों को मिल तथा बेंथम के उपयोगितावाद में केंद्रीय स्थान प्राप्त है। .

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स्टार-डेल्टा परिवर्तन

स्टार-डेल्टा परिवर्तन (Y-Δ transform) एक गणितीय तकनीक है जो किसी विद्युत परिपथ के विश्लेषण को सरल बना देता है। इसे Y-delta, वाई-डेल्टा, डेल्टा-स्टार परिवर्तन, स्टार-मेश परिवर्तन, T-Π or T-पाई परिवर्तन आदि नामों से भी जाना जाता है। इसका यह नाम विद्युत परिपथ की आकृति के आधार पर पड़ा है जो कि रोमन अक्षर Y और ग्रीक अक्षरΔ जैसे दिखती हैं। यह परिपथ परिवर्तन सन् १८९९ में आर्थर एड्विन केनेडी ने प्रकाशित किया था। .

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स्टेग्नोग्राफ़ी

स्टेग्नोग्राफ़ी, गुप्त संदेश कुछ इस तरीक़े से लिखने की कला और विज्ञान है कि प्रेषक और अभीष्ट प्राप्तकर्ता के अलावा किसी और को संदेश के अस्तित्व के बारे में संदेह नहीं होता, जो कि अस्पष्टता के माध्यम से एक सुरक्षा है। स्टेग्नोग्राफ़ी शब्द मूलतः ग्रीक भाषा का है, जिसका अर्थ है "प्रच्छन्न लेखन".

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स्टोइक दर्शन

साइप्रस के सिटियम का निवासी जेनो स्टोइक दर्शन (Stoicism) अरस्तू के बाद यूनान में विकसित हुआ था। स्टोइक दर्शन या स्टोइकवाद एक प्राचीन ग्रीक दर्शन है जो कि 300 BC के आसपास सिटियम के निवासी जेनो द्वारा तपस्यावाद के परिष्करण के रूप में विकसित किया गया। यह विनाशकारी भावनाओं पर काबू पाने के साधन के रूप में तथा आत्म-नियंत्रण और दृढ़ता के विकास को सिखाता है। यह भावनाओं को प्रतिस्पर्धात्मक रूप से बुझाने की कोशिश नहीं करता है, बल्कि उन्हें एक आकस्मिक असंतोष (सांसारिक सुख से स्वैच्छिक रोकथाम) द्वारा बदलने की कोशिश करता है, जो एक व्यक्ति को स्पष्ट निर्णय, आंतरिक शांति और पीड़ा से स्वतंत्रता प्राप्त करने में सक्षम बनाता है (जिसे अंतिम लक्ष्य माना जाता है)। सिकंदर महान् की मृत्यु के बाद ही विशाल यूनानी साम्रज्य के टुकड़े होने लगे थे। कुछ ही समय में वह रोम की विस्तारनीति का लक्ष्य बन गया और पराधीन यूनान में अफलातून तथा अरस्तू के आदर्श दर्शन का आकर्षण बहुत कम हो गया। यूनानी समाज भौतिकवाद की ओर झुक चुका था। एपीक्यूरस ने सुखवाद (भोगवाद) की स्थापना (306 ई. पू.) कर, पापों के प्रति देवताओं के आक्रोश तथा भावी जीवन में बदला चुकाने के भय को कम करने का प्रयत्न आरंभ कर दिया था। तभी ज़ीनो ने रंगबिरंगे मंडप (स्टोआ) में स्टोइक दर्शन की शिक्षा द्वारा, अंधविश्वासों को मिटाते हुए, अपने समाज को नैतिक जीवन का मूल्य बताना प्रारंभ किया। इस दर्शनपरंपरा को पुष्ट करनेवालों में ज़ीनों के अतिरिक्त, क्लिऐंथिस और क्रिसिप्पस के नाम लिए जाते हैं। "स्टोइक दर्शन" को तीन भागों में प्रस्तुत किया जाता है- तर्क, भौतिकी तथा नीति। .

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स्नातकोत्तर डिग्री

स्नातकोत्तर डिग्री एक शैक्षणिक डिग्री है जिसे अध्ययन के एक विशेष क्षेत्र अथवा पेशेवर अभ्यास के क्षेत्र में अध्ययन करने वाले उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने उसमें प्रवीणता या उच्च स्तरीय ज्ञान प्रदर्शित किया है। अध्ययन किये गए विषय में, स्नातकों को सैद्धांतिक और व्यावहारिक विषय का उन्नत ज्ञान होता है; विश्लेषण, आलोचनात्मक मूल्यांकन और/या पेशेवर अनुप्रयोग में उच्च स्तरीय कौशल होता है; और जटिल समस्याओं को हल करने की और यथातथ्य और स्वतंत्र रूप से विचार करने की क्षमता होती है। कुछ भाषाओं में, स्नातकोत्तर की डिग्री को मजिस्टर कहा जाता है और मजिस्टर या कौग्नेट को भी उस व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जिसके पास यह डिग्री है। इसी स्तर की कई डिग्रियां हैं, जैसे कि इंजीनियर की डिग्री, जिसका नाम ऐतिहासिक कारणों से अलग-अलग है। स्नातकोत्तर डिग्री की सूची देखें। संयुक्त राज्य अमेरिका में हाल ही में इन डिग्रियों के लिए कार्यक्रमों में वृद्धि की गई है; 1970 के दशक की तुलना में अब दोगुना से अधिक ऐसी डिग्रियों को प्रदान किया जाता है। यूरोप में, स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करने के लिए स्थितियों का एक मानकीकरण किया गया है और अधिकांश देश सभी विषयों में डिग्री प्रदान करते हैं। .

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स्पिरिडिन लुई

स्पिरिडिन लुई (Σπυρίδων Λούης) (जन्म: जनवरी 12, 1873 - मार्च 26, 1940) ग्रीक जल-वाहक थे, जिन्होंने 1896 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में आधुनिक ओलम्पिक मैराथन जीती थी और उसके पश्चात ग्रीक के राष्ट्रीय नायक बन गए थे। लुई का जन्म एक गरीब किसान परिवार में मारुषि नगर में हुआ था, जो अब एथेंस के उत्तर में एक उपनगर है। लुई के पिता एथेंस में खनिज जल बेचते थे, जब केन्द्रीय जल आपूर्ति प्रणाली का अभाव था और लुई अपने पिता की पानी के परिवहन में मदद करते थे। .

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स्मारक

पार्थेनोन को प्राचीन ग्रीस और अथीनियान लोकतंत्र के एक स्थायी प्रतीक के रूप में माना जाता है और दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक स्मारकों में से एक माना जाता है। इंडिया गेट (युद्ध स्मारक) ताजमहल, भारत, मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा निर्मित, उनकी पत्नी अर्जुमंद बानो बेगम के लिए एक मकबरे के रूप में. अल्माडा में द क्रिस्टो रिए-अल्माडा (क्राइस्ट राजा), ब्राजील में दुनिया भर के सबसे बड़े स्मारकों में से एक है। पेरिस, फ्रांस में एफिल टॉवर सबसे प्रसिद्ध स्मारक है। Kosciuszko माउंड, क्राको, पोलैंड Tadeusz Kosciuszko को श्रद्धांजलि देता है राष्ट्रीय स्मारक, जकार्ता, इंडोनेशिया की स्वतंत्रता का उत्सव मनाते हुए स्मारक एक ऐसी संरचना है जो या तो खास तौर पर किसी व्यक्ति या महत्वपूर्ण घटना की स्मृति में बनाई गई है, या किसी सामाजिक तबके के लिए उसके पुराने अतीत की याद दिलाने के रूप में महत्वपूर्ण बन गई है। .

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स्वनविज्ञान

स्वानिकी या स्वनविज्ञान (Phonetics), भाषाविज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत मानव द्वारा बोली जाने वाली ध्वनियों का अध्ययन किया जाता है। यह बोली जाने वाली ध्वनियों के भौतिक गुण, उनके शारीरिक उत्पादन, श्रवण ग्रहण और तंत्रिका-शारीरिक बोध की प्रक्रियाओं से संबंधित है। .

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सौर ऊर्जा

विश्व के विभिन्न भागों का औसत सौर विकिरण (आतपन, सूर्यातप)। इस चित्र में जो छोटे-छोटे काले बिन्दु दिखाये गये हैं, यदि उनके ऊपर गिरने वाले सम्पूर्ण सौर विकिरण का उपयोग कर लिया जाय तो विश्व में उपयोग की जा रही सम्पूर्ण ऊर्जा (लगभग 18 टेरावाट) की आपूर्ति इससे ही हो जायेगी। यूएसए के कैलिफोर्निया के सान बर्नार्डिनो में 354 MW वाला SEGS सौर कम्प्लेक्स सौर ऊर्जा वह उर्जा है जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जाती है। सौर ऊर्जा ही मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती है। यहीं धरती पर सभी प्रकार के जीवन (पेड़-पौधे और जीव-जन्तु) का सहारा है। वैसे तो सौर उर्जा के विविध प्रकार से प्रयोग किया जाता है, किन्तु सूर्य की उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर उर्जा के रूप में जाना जाता है। सूर्य की उर्जा को दो प्रकार से विदुत उर्जा में बदला जा सकता है। पहला प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरल पदार्थ को सूर्य की उष्मा से गर्म करने के बाद इससे विद्युत जनित्र चलाकर। .

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सैन्य और अर्धसैनिक बलों की संख्या के आधार पर देशों की सूची

विश्व के देशों में २००९ तक सक्रीय बल इस सूची में विश्व के देशों के संख्या के आधार पर सेना और अर्धसैनिक बल है । इसमें पूर्णकालिक सेना और अर्धसैनिक बल सम्मिलित है । .

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सूप

फ़्रांसिसी प्याज सूप का एक कटोरा रोटी के साथ घर में बना हुआ चिकन नूडल सूप सूप या शोरबा एक प्रकार का खाद्य पदार्थ है जो मीट और सब्जियों जैसी सामग्रियों को, स्टॉक, जूस, पानी या किसी अन्य तरल पदार्थ में मिलाकर बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त गर्म सूप की अन्य विशेषता यह है कि इनमें एक पात्र में तरल पदार्थ में ठोस सामग्रियों को तब तक उबाला जाता है जब तक कि स्वाद उनसे निकलर तरल पदार्थ में न समा जाए और वह एक शोरबे जैसा हो जाये.

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सूजी

सूजी का चित्र दुरुम गेहूं के दानेदार, शुद्धिकृत गेहूं के टुकड़े को सूजी कहते हैं जिसका उपयोग पास्ता बनाने के लिये और नाश्ते के अनाज और हलवे के लिये भी किया जाता है। .

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सेटर

सेटर (Satyr)युनानी देवता पैन और डॉयनॉसियस के सहकर्मी माने जाते हैं जो पहाडों व जंगलों में रहते है। ये इंसान व बकरी/भेड का मिला जुला अवतार है। .

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सेलोफेन

छपा हुआ और पारदर्शी सेलोफेन सेलोफेन या सिलोफ़न (Cellophane) पुनर्जीवित सेलूलोज़ से बना एक पतला और पारदर्शी पत्र है। हवा, तेल, ग्रीस और जीवाणुओं के विरुद्ध इसकी निम्न पारगम्यता इसे खाद्य संवेष्ठन (फूड पैकेजिंग) के लिए एक उपयुक्त सामग्री बनाती है। सेलोफेन कई देशों में इनोविया फिल्म्स लिमिटेड, कम्ब्रिया, ब्रिटेन का एक पंजीकृत व्यापार चिह्न है। .

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सोफ़िस्त

आधुनिक प्रचलन में, सोफ़िस्त वह व्यक्ति है, जो दूसरों को अपने मत में करने के लिए युक्तियों, एवं व्याख्याओं का आविष्कार कर सके। किंतु यह "सोफ़िस्त" का मूल अर्थ नहीं है। प्राचीन यूनानी दर्शनकाल में, ज्ञानाश्रयी दार्शनिक ही सोफ़िस्त थे। तब "फ़िलॉसफ़ॉस" का प्रचलन न था। ईसा पूर्व पाँचवीं तथा चौथी शताब्दियों में यूनान के कुछ सीमावर्ती दार्शनिकों ने सांस्कृतिक विचारों के विरुद्ध आंदोलन किया। एथेंस नगर प्राचीन यूनानी संस्कृति का केंद्र था। वहाँ इस आंदोलन की हँसी उड़ाई गई। अफलातून (प्लेटो) के कुछ संवादों के नाम सोफ़िस्त कहे जानेवाले दार्शनिकों के नामों पर हैं। उनमें सुकरात और प्रमुख सोफ़िस्तों के बीच विवाद प्रस्तुत करते हुए अंत में सोफ़िस्तों को निरुतर करा दिया गया है। सुकरात के आत्मत्याग से यूनान में उसका सम्मान इतना अधिक हो गया था कि सुकरात को सोफिस्त आंदोलन का विरोधी समझकर, परंपरा ने "सोफ़िस्त" शब्द अपमानसूचक मान लिया। .

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सीरिया

सीरिया ('''سوريّة'''. or), आधिकारिक रूप से सीरियाई अरब गणराज्य (अरबी: الجمهورية العربية السورية), दक्षिण-पश्चिम एशिया का एक राष्ट्र है। इसके पश्चिम में लेबनॉन तथा भूमध्यसागर, दक्षिण-पश्चिम में इजराइल, दक्षिण में ज़ॉर्डन, पूरब में इराक़ तथा उत्तर में तुर्की है। इसराइल तथा इराक़ के बीच स्थित होने के कारण यह मध्य-पूर्व का एक महत्वपूर्ण देश है। इसकी राजधानी दमास्कस है जो उमय्यद ख़िलाफ़त तथा मामलुक साम्राज्य की राजधानी रह चुका है। अप्रैल 1946 में फ्रांस से स्वाधीनता मिलने के बाद यहाँ के शासन में बाथ पार्टी का प्रभुत्व रहा है। 1963 से यहाँ आपातकाल लागू है जिसके कारण 1970 के बाद से यहाँ के शासक असद परिवार के लोग होते हैं। .

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सीसा

विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध किया हुआ सीस; १ घन सेमी से घन के साथ (तुलना के लिए) सीस, सीसा या लेड (अंग्रेजी: Lead, संकेत: Pb लैटिन शब्द प्लंबम / Plumbum से) एक धातु एवं तत्त्व है। काटने पर यह नीलिमा लिए सफ़ेद होता है, लेकिन हवा का स्पर्श होने पर स्लेटी हो जाता है। इसे इमारतें बनाने, विद्युत कोषों, बंदूक की गोलियाँ और वजन बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। यह सोल्डर में भी मौजूद होता है। यह सबसे घना स्थिर तत्त्व है। यह एक पोस्ट-ट्रांज़िशन धातु है। इसका परमाणु क्रमांक ८२, परमाणु भार २०७.२१, घनत्व ११.३६, गलनांक ३,२७.४ डिग्री सें., क्वथनांक १६२०डिग्री से.

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हलवा

पिस्ता के साथ बाल्कन शैली में ताहिनी आधारित हलवा हलवा (या हलावा, हलेवेह, हेलवा, हलवाह, हालवा, हेलावा, हेलवा, हलवा, अलुवा, चालवा, चलवा) कई प्रकार की घनी, मीठी मिठाई को संदर्भित करता है, जिसे पूरे मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका, अफ्रीका का सींग, बाल्कन, पूर्वी यूरोप, माल्टा और यहूदी जगत में खाने के लिए पेश किया जाता है। शब्द हलवा (अरबी हलवा حلوى से) का प्रयोग दो प्रकार की मिठाई के वर्णन के लिए किया जाता है.

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हस्तरेखा शास्त्र

कारावागियो द्वारा द फोर्च्यून टेलर (1594-95; कैनवास, लौवर), ज्योत्षी हथेली पढ़ने का चित्रण हस्तरेखा शास्त्र या काइरमैन्सी (जिसेकेरोमन्सी‍ ऐसे भी लिखा जाता है, जो यूनानी शब्द चेइर (cheir) (χειρ) "हाथ" और मंटिया (manteia) (μαντεία) (अनुमान) से बना है) हथेली को पढ़कर लक्षण का वर्णन और भविष्य बताने की कला है जिसे हस्तरेखा अध्ययन या हस्तरेखा शास्त्र भी कहा जाता है। इस कला का प्रयोग कई सांस्कृतिक विविधताओं के साथ दुनिया भर में देखा जाता है। जो हस्तरेखा पढ़ते हैं, उन्हें आम तौर पर हस्तरेखाविद्, हथेली पढ़ने वाला, हाथ पढ़ने वाला, हस्तरेखा विश्लेषक या हस्तरेखा शास्त्री भी कहा जाता है। हस्तरेखा शास्त्र को आम तौर पर छद्म विज्ञान माना जाता है। नीचे उल्लिखित जानकारी संक्षेप में आधुनिक हस्तरेखा शास्त्र के मुख्य तत्व है, जिनमें से कई विभिन्न रेखाओं की व्याख्या अक्सर विरोधाभासी होती हैं और हस्तरेखाविद विभिन्न "स्कूलों"(धाराओं या खेमों) में बंटे होते हैं। .

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हाथी

अफ़्रीकी हाथी का कंकाल हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है। यह जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी है। यह एलिफैन्टिडी कुल और प्रोबोसीडिया गण का प्राणी है। आज एलिफैन्टिडी कुल में केवल दो प्रजातियाँ जीवित हैं: ऍलिफ़स तथा लॉक्सोडॉण्टा। तीसरी प्रजाति मैमथ विलुप्त हो चुकी है।जीवित दो प्रजातियों की तीन जातियाँ पहचानी जाती हैं:- ''लॉक्सोडॉण्टा'' प्रजाति की दो जातियाँ - अफ़्रीकी खुले मैदानों का हाथी (अन्य नाम: बुश या सवाना हाथी) तथा (अफ़्रीकी जंगलों का हाथी) - और ऍलिफ़स जाति का भारतीय या एशियाई हाथी।हालाँकि कुछ शोधकर्ता दोनों अफ़्रीकी जातियों को एक ही मानते हैं,अन्य मानते हैं कि पश्चिमी अफ़्रीका का हाथी चौथी जाति है।ऍलिफ़ॅन्टिडी की बाकी सारी जातियाँ और प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं। अधिकतम तो पिछले हिमयुग में ही विलुप्त हो गई थीं, हालाँकि मैमथ का बौना स्वरूप सन् २००० ई.पू.

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हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार

हिन्द - यूरोपीय भाषाओं देश बोल रही हूँ. गाढ़े हरे रंग के देश में जो बहुमत भाषा हिन्द - यूरोपीय परिवार हैं, लाइट ग्रीन एक देश वह जिसका आधिकारिक भाषा हिंद- यूरोपीय है, लेकिन अल्पसंख्यकों में है। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा-परिवार संसार का सबसे बड़ा भाषा परिवार (यानी कि सम्बंधित भाषाओं का समूह) हैं। हिन्द-यूरोपीय (या भारोपीय) भाषा परिवार में विश्व की सैंकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ सम्मिलित हैं। आधुनिक हिन्द यूरोपीय भाषाओं में से कुछ हैं: हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, फ़्रांसिसी, जर्मन, पुर्तगाली, स्पैनिश, डच, फ़ारसी, बांग्ला, पंजाबी, रूसी, इत्यादि। ये सभी भाषाएँ एक ही आदिम भाषा से निकली है, उसे आदिम-हिन्द-यूरोपीय भाषा का नाम दे सकता है। यह संस्कृत से बहुत मिलती-जुलती थी, जैसे कि वह सांस्कृत का ही आदिम रूप हो। .

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हिपोक्रेटिस

हिपोक्रेटिस, या बुकरात, प्राचीन यूनान के एक प्रमुख विद्वान थे। ये यूनान के पाश्चात्य चिकित्सा शास्त्र के जन्म दाता थे। इन का जन्म ४६० - ३७० ई पूर्व माना जाता है। इन का जन्म प्राचीन यूनान के शहर कोस में हुवा। और मृत्यु शहर लारिस्सा में हुई। .

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हिरोडोटस

हेरोडोटस हिरोडोटस, (ग्रीक: Ἡρόδοτος Ἁλικαρνᾱσσεύς Hērodotos Halikarnāsseus) (मृत्‍यु ४२५ ई.पू), यूनान का प्रथम इतिहासकार एवं भूगोलवेत्ता था। हेरोडोटस का संस्कृत नाम हरिदत्त था वह वास्तव में एक मेड था। इसी कारण उसने लगातार आर्यों के मेड इतिहास पर अपनी नज़र बनाये रखी थी। उसके द्वारा ही पारस के मेड आर्य राजाओं का सही इतिहास पता चलता है। ये इतिहास के जनक माने जाते है | इन्होने अपने इतिहास का विषय पेलोपोनेसियन युद्ध को बनाया था | इन्होने हीस्टोरिका नामक पुस्तक लिखी। श्रेणी:भूगोलवेत्ता श्रेणी:यूनानी भूगोलवेत्ता.

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हिलियम

तरलीकृत हीलियम शुद्ध हीलियम से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हिलियम (Helium) एक रासायनिक तत्त्व है जो प्रायः गैसीय अवस्था में रहता है। यह एक निष्क्रिय गैस या नोबेल गैस (Noble gas) है तथा रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, विष-हीन (नॉन-टॉक्सिक) भी है। इसका परमाणु क्रमांक २ है। सभी तत्वों में इसका क्वथनांक (boiling point) एवं गलनांक (melting point) सबसे कम है। द्रव हिलियम का प्रयोग पदार्थों को अत्यन्त कम ताप तक ठण्डा करने के लिये किया जाता है; जैसे अतिचालक तारों को १.९ डिग्री केल्विन तक ठण्डा करने के लिये। हीलियम अक्रिय गैसों का एक प्रमुख सदस्य है। इसका संकेत He, परमाणुभार ४, परमाणुसंख्या २, घनत्व ०.१७८५, क्रांतिक ताप -२६७.९०० और क्रांतिक दबाव २ २६ वायुमंडल, क्वथनांक -२६८.९० सें.

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हख़ामनी साम्राज्य

अजमीढ़ साम्राज्य अपने चरम पर - ईसापूर्व सन् 500 के आसपास हख़ामनी वंश या अजमीढ़ साम्राज्य(अंग्रेज़ी तथा ग्रीक में एकेमेनिड, अजमीढ़ साम्राज्य (ईसापूर्व 550 - ईसापूर्व 330) प्राचीन ईरान (फ़ारस) का एक शासक वंश था। यह प्राचीन ईरान के ज्ञात इतिहास का पहला शासक वंश था जिसने आज के लगभग सम्पूर्ण ईरान पर अपनी प्रभुसत्ता हासिल की थी और इसके अलावा अपने चरमकाल में तो यह पश्मिम में यूनान से लेकर पूर्व में सिंधु नदी तक और उत्तर में कैस्पियन सागर से लेकर दक्षिण में अरब सागर तक फैल गया था। इतना बड़ा साम्राज्य इसके बाद बस सासानी शासक ही स्थापित कर पाए थे। इस वंश का पतन सिकन्दर के आक्रमण से सन ३३० ईसापूर्व में हुआ था, जिसके बाद इसके प्रदेशों पर यूनानी (मेसीडोन) प्रभुत्व स्थापित हो गया था। पश्चिम में इस साम्राज्य को मिस्र एवम बेबीलोन पर अधिकार, यूनान के साथ युद्ध तथा यहूदियों के मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए याद किया जाता है। कुरोश तथा दारुश को इतिहास में महान की संज्ञा से भी संबोधित किया जाता है। इस वंश को आधुनिक फ़ारसी भाषा बोलने वाले ईरानियों की संस्कृति का आधार कहा जाता है। इस्लाम के पूर्व प्राचीन ईरान के इस साम्राज्य को ईरानी अपने गौरवशाली अतीत की तरह देखते हैं, जो अरबों द्वारा ईरान पर शासन और प्रभाव स्थापित करने से पूर्व था। आज भी ईरानी अपने नाम इस काल के शासकों के नाम पर रखते हैं जो मुस्लिम नाम नहीं माने जाते हैं। ज़रदोश्त के प्रभाव से पारसी धर्म के शाही रूप का प्रतीक भी इसी वंश को माना जाता है। तीसरी सदी में स्थापित सासानी वंश के शासकों ने अपना मूल हख़ामनी वंश को ही बताया था। .

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हुल्द्रिख ज्विंगली

हुल्द्रिख ज्विंगली का तैलचित्र हुल्द्रिख ज्विंगली (Huldrych Zwingli / 1484-1531) स्विटजरलैंड का सुधारक था जिसने स्विटजरलैंड में सुधार आंदोलन का नेतृत्व किया। .

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हैलेनिक ओलम्पिक समिति

हैलेनिक ओलम्पिक समिति (Ελληνική Ολυμπιακή Επιτροπή) ग्रीस की राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (एनओसी) है। 1894 में स्थापित और 1895 से मान्यता प्राप्त, यह विश्व की सबसे पुरानी राष्ट्रीय ओलिंपिक समितियों में से एक है। .

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हेमचन्द जोशी

हेमचंद जोशी (२१ जून सन् १८९४ ई. -) हिंदी के प्रमुख भाषाशास्त्री तथा इतिहासज्ञ थे। इनका जन्म नैनीताल में २१ जून सन् १८९४ ई. को हुआ। शिक्षा दीक्षा अल्मोड़ा, प्रयाग तथा वाराणसी में हुई। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.

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हॉकी

मेलबर्न विश्वविद्यालय में फील्ड हॉकी का खेल हॉकी एक ऐसा खेल है जिसमें दो टीमें लकड़ी या कठोर धातु या फाईबर से बनी विशेष लाठी (स्टिक) की सहायता से रबर या कठोर प्लास्टिक की गेंद को अपनी विरोधी टीम के नेट या गोल में डालने की कोशिश करती हैं। हॉकी का प्रारम्भ वर्ष 2010 से 4,000 वर्ष पूर्व मिस्र में हुआ था। इसके बाद बहुत से देशों में इसका आगमन हुआ पर उचित स्थान न मिल सका। भारत में इसका आरम्भ 150 वर्षों से पहले हुआ था। 11 खिलाड़ियों के दो विरोधी दलों के बीच मैदान में खेले जाने वाले इस खेल में प्रत्येक खिलाड़ी मारक बिंदु पर मुड़ी हुई एक छड़ी (स्टिक) का इस्तेमाल एक छोटी व कठोर गेंद को विरोधी दल के गोल में मारने के लिए करता है। बर्फ़ में खेले जाने वाले इसी तरह के एक खेल आईस हॉकी से भिन्नता दर्शाने के लिए इसे मैदानी हॉकी कहते हैं। चारदीवारी में खेली जाने वाली हॉकी, जिसमें एक दल में छह खिलाड़ी होते हैं और छह खिलाड़ी परिवर्तन के लिए रखे जाते हैं। हॉकी के विस्तार का श्रेय, विशेषकर भारत और सुदूर पूर्व में, ब्रिटेन की सेना को है। अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आह्वान के फलस्वरूप 1971 में विश्व कप की शुरुआत हुई। हॉकी की अन्य मुख्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हैं- ओलम्पिक, एशियन कप, एशियाई खेल, यूरोपियन कप और पैन-अमेरिकी खेल। दुनिया में हॉकी निम्न प्रकार से खेली जाती है।.

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होमर

ब्रिटिश संग्रहालय में होमर की प्रतिकृति होमर यूनान के ऐसे प्राचीनतम कवियों में से हैं जिनकी रचनाएँ आज भी उपलब्ध हैं और जो बहुमत से यूरोप के सबसे महान कवि स्वीकार किए जाते हैं। वे अपने समय की सभ्यता तथा संस्कृति की अभिव्यक्ति का प्रबल माध्यम माने जाते हैं। अन्धे होने के बावजूद उन्होंने दो महाकाव्यों की रचना की - इलियड और ओडिसी। इनका कार्यकाल ईसा से लगभग १००० वर्ष पूर्व था। हालाँकि इसके विषय में प्राचीन काल में जितना विवाद था आज भी उतना ही है। कुछ लोग उनके समय को ट्रोजन युद्ध के समय से जोड़ते है पर इतना तो तय है कि यूनानी इतिहास का एक पूरा काल होमर युग के नाम से विख्यात है, जो ८५० ईसा पूर्व से ट्रोजन युद्ध की तारीख ११९४-११८४ ईसा पूर्व तक फैला हुआ है। इलियड में ट्राय राज्य के साथ ग्रीक लोगों के युद्ध का वर्णन है। इस महाकाव्य में ट्राय की विजय और ध्वंस की कहानी तथा यूनानी वीर एकलिस की वीरता की गाथाएँ हैं। होमर के महाकाव्यों की भाषा प्राचीन यूनानी या हेल्लिकी है। जिस प्रकार हिंदू रामायण में लंका विजय की कहानी पढ़कर आनंदित होते हैं। उसी प्रकार ओडिसी में यूनान वीर यूलीसिस की कथा का वर्णन है। ट्राय का राजकुमार स्पार्टा की रानी हेलेन का अपहरण कर ट्राय नगर ले गया। इस अपमान का बदला लेने के लिए ही ग्रीस के सभी राजाओं और वीरों ने मिलकर ट्राय पर आक्रमण किया। ट्राय से लौटते समय उनका जहाज तूफान में फँस गया। वह बहुत दिनों तक इधर-उधर भटकता रहा। इसके बाद अपने देश लौटा। यूनान (ग्रीस) के तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक एवं धार्मिक तथ्यों की जानकारी का एकमात्र भरोसेमंद साधन के रूप में इनके ये दो महाकाव्य ही उपलब्ध हैं- इलियड और ओडेसी। इसके अतिरिक्त बहुत सी धार्मिक काव्य रचनाएँ भी जिन्हें बाद में परवर्ती कवियों की रचनाएँ माना गया। यह भी कहा जाता है कि इलियड और ओडेसी का प्रारंभिक स्वरूप मौखिक था और इन्हें प्राचीन ग्रीस के गायक गाया करते थे। गाते हुए वे बहुत से स्वरचित पद इसमें मिला देते। इस कारण इन्हें पूर्ण रूप से होमर की रचनाएँ मानना ठीक नहीं है। इस आधार पर वे होमर किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि समष्टि रूप से इलियड और ओडेसी के रचनाकारों को मानते हैं। .

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जनसंख्या घनत्व के अनुसार देशों की सूची

जनसँख्या घनत्व2006 के अनुसार जनसँख्या घनत्व के अनुसार देश एवं उनके निर्भर क्षेत्रों की सूची निवासी/वर्ग किमी में। स्त्रोत:.

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जन्मपत्री

सन १६०८ में केप्लर द्वारा निर्मित कमाण्डर अल्बर्ट फॉन वालेंस्टीन की जन्मपत्री जन्मपत्री में प्राणियों की जन्मकालिक ग्रहस्थिति से जीवन में होनेवाली शुभ अथवा अशुभ घटनाओं का निर्देश किया जाता है। जन्मपत्री का स्वरूप, फलादेश विधि और संसार के अन्य देशों एवं संस्कृतियों में उसके स्वरूप तथा शुभाशुभ निर्देश की प्रणालियों में बहुत भिन्नता पायी जाती है। .

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ज़रथुश्त्र

ज़रथुश्त्र, ज़रथुष्ट्र (फ़ारसी: زرتشت ज़रतोश्त, अवेस्तन: ज़र.थुश्त्र, संस्कृत: हरित् + उष्ट्र, सुनहरी ऊंट वाला) प्राचीन ईरान के पारसी धर्म के संस्थापक माने जाते हैं जो प्राचीन ग्रीस के निवासियों तथा पाश्चात्य लेखकों को इसके ग्रीक रूप जारोस्टर के नाम से ज्ञात है। फारसी में जरदुश्त्र: गुजराती तथा अन्य भारतीय भाषाओं में जरथुश्त। उनके जन्म और मरण के काल के बारे में इतिहासकारों में मतभेद है। उनके जीवन काल का अनुमान विभिन्न विद्वानों द्वारा १४०० से ६०० ईपू है। ज़रथुश्त्र (अहुरा मज़्दा) के सन्देशवाहक थे। उन्होंने सर्वप्रथम दाएवों (बुरी और शैतानी शक्तिओं) की निन्दा की और अहुरा मज़्दा को एक, अकेला और सच्चा ईश्वर माना। उन्होंने एक नये धर्म "ज़रथुश्त्री धर्म" (पारसी धर्म) की शुरुआत की और पारसी धर्मग्रन्थ अवेस्ता में पहले के कई काण्ड (गाथाएँ) लिखे। सबसे पहले शुद्ध अद्वैतवाद के प्रचारक जोरोस्ट्रीय धर्म ने यहूदी धर्म को प्रभावित किया और उसके द्वारा ईसाई और इस्लाम धर्म को। इस धर्म ने एक बार हिमालय पार के प्रदेशों तथा ग्रीक और रोमन विचार एवं दर्शन को प्रभावित किया था, किंतु 600 वर्ष ad के लगभग इस्लाम धर्म ने इसका स्थान ले लिया। यद्यपि अपने उद्भवस्थान आधुनिक ईरान में यह धर्म वस्तुत: समाप्त है, प्राचीन जोरोस्ट्रीयनों के मुट्ठीभर बचे खुचे लोगों के अतिरिक्त, जो विवशताओं के बावजूद ईरान में रहे और उनके वंशजों के अतिरिक्त जो अपने धर्म को बचाने के लिए बारह शताब्दियों से अधिक हुआ पूर्व भारत भाग आए थे, उनमें उस महान प्रभु की वाणी अब भी जीवित है और आज तक उनके घरों और उपासनागृहों में सुनी जाती है। गीतों के रूप में गाथा नाम से उनके उपदेश सुरक्षित हैं जिनका सांराश है अच्छे विचार, अच्छी वाणी, अच्छे कार्य। .

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ज़िनेदिन जिदेन

ज़िनेदिन यज़ीद जिदेन (जन्म 23 जून 1972 मार्सियिल, फ़्रांस में. रियल मैड्रिड में फ्रेंच सहायक कोच और खेल निदेशक, फ्रांस की राष्ट्रीय टीम, जुवेंटस और रियल मैड्रिड के लिए आक्रामक मिडफील्डर के रूप में खेलने वाले एक सेवानिवृत्त विश्व कप विजेता फुटबॉलर हैं। व्यापक रूप से खेल का एक सब से बड़ा प्रमुख समझा हुआ, जिदेन, फ़्रांस, इटली और स्पेन में क्लब टीम्स के लिए खेले और फ्रेंच नॅशनल टीम के सदस्य थे। उसके पेशेवर प्रवीणता में 1998 विश्व कप और यूरो 2000 जीतने में फ़्रांस के मदद करने, साथ में रियल मेड्रिड के साथ 2002 के यु इ एफ ए चेम्पियन लीग जीतने शामिल है। तीन बार फीफा साल का विश्व खिलाड़ी विजेता केवल दो में से एक- दूसरा रह चुके रोनाल्डो -1998 में जिदेन बेल्लों डी'ऑर भी जीता. 2006 के विश्व कप के आखिरी खेल में स्कोर करते हुए प्रषित होने के बाद उसने व्यावसायिक फुटबोल से इस्तीफा लिया। .

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ज़्यूस

ज़्यूस (Zeus, यूनानी: ज़ेउस - Ζεύς, दीअस - Δίας) प्राचीन यूनानी धर्म (ग्रीक धर्म) के सर्वोच्च देवता थे। वो सभी देवताओं के राजा थे। भाषाविद् मानते हैं कि ज़्यूस का नाम आदिम-हिन्द-यूरोपीय (आदिम आर्य) लोगों के प्रमुख देवता द्येउस के नाम का रूपन्तरण है -- जो देवता द्यौस् के नाम से ऋग्वेद में सभी देवताओं के पिता माने गये हैं। देवराज ज़्यूस की पत्नी हीरा थीं। ज़्यूस बादल, कड़कती बिजली और वज्र के देवता थे। वो इन्द्र की तरह वज्र लियी रहते थे। उनके लिये प्राचीन यूनान (ग्रीस) में कई ख़ूबसूरत मंदिर थे, जहाँ उनके नाम पर पशुबलि चढ़ाई जाती थे। प्राचीन रोमन धर्म में उनके समतुल्य देवता थे जुपिटर जिन्हें प्राचीन संस्कृत साहित्य में वृहस्पति देवताओं के गुरु कहा गया है, समान प्रतीत होते हैं। श्रेणी:यूनान के देवी-देवता श्रेणी:यूनानी धर्म.

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ज़ैतून

ज़ैतून के फल यूनान में ज़ैतून के वृक्ष ज़ैतून अँग्रेजी नाम ओलिव (olive), वानस्पतिक नाम 'ओलेआ एउरोपैआ', (Olea europaea); प्रजाति ओलिया, जाति थूरोपिया; कुल ओलियेसी; एक वृक्ष है, जिसका उत्पत्तिस्थान पश्चिम एशिया है। यह प्रसिद्ध है कि यूनान के ऐटिका (एथेंस) प्रांत की पहाड़ियों में, चूनेदार चट्टानों द्वारा बनी हुई मिट्टी में, ज़ैतून के वृक्ष सर्वप्रथम पैदा किए गए। ये अब भूमध्य सागर के आस-पास के देशों, जैसे स्पेन, पुर्तगाल, ट्यूनीशिया और टर्की आदि में भली भाँति पैदा किए जाते हैं। यूनान के पर्वतीय प्रांतों में ज़ैतून की खेती व्यापारिक अभिप्राय से की जाती है। अफ्रीका के केप उपनिवेश, चीन तथा न्यूज़ीलैंड में भी इसकी खेती सफलता पूर्वक की जाती है। अमरीका के कैलिफोर्निया प्रांत में ज़ैतून के बाग लगाए गए हैं। यूरोप में ज़ैतून के दो प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। एक जंगली काँटेदार और दूसरा बिना काँटे का होता है। जंगली वृक्ष छोटा या झाड़ी की भाँति होता है और उसकी डालियों पर काँटे होते हैं। पत्तियाँ विपरीत, दीर्घवत्‌ और नुकीली होती हैं। इसके पुष्प सफेद होते हैं तथा प्रत्येक पुष्प में चार विदरित बाह्यदलपुंज (calyx) तथा दलपुंज (corolla), दो पुंकेसर तथा द्विशाख वर्तिंकाग्र (stigma) होते हैं। बागों में लगाए गए वृक्ष ऊँचे, सुगठित और बिना काँटे के होते हैं। इनकी कई किस्में हैं। इस वृक्ष के फल से व्यापारिक महत्व का तेल प्राप्त किया जाता है। इसके फल में सूखे पदार्थ के आधार पर 50 से 60 प्रति शत तक तेल रहता है। इसे भली भाँति कुचल कर, दबाकर या दाबक से तेल निकालते हैं। फल का अचार बनाया जाता है। ये तिक्त होते हैं। नमक के पानी मे फल का रखने स तिक्तता दूर हो जाती है। ज़ैतून के नए पौधे कलम द्वारा प्राप्त किए जाते हैं। प्रौढ़ डालियों के 6 इंच के टुकड़े काट कर अक्टूबर या रवरी में कर्तन (Cutting) लगाते हैं। जब जड़ें निकल आती हैं तब उन्हें रोपण क्यारी में लगा देते हैं। दो वर्ष बाद स्थायी स्थान में 30-40 फुट की दूरी पर लगा कर बाग तैयार करते हैं। 5 वर्ष बाद वृक्ष फल देने लगते हैं। सर्वाधिक फल 15-20 वर्ष की अवस्था होने पर ही प्राप्त होते हैं। प्रति वर्ष वृक्षों की डालियों की कटाई-छँटाई की जाती है। नाइट्रोजन की खाद इसके लिय सबसे उपयोगी है। .

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ज़ेनो

इलिया का जेनो यूनानी तत्वदर्शी ज़ेनो (Zeno, 495-435 ईo पूo) का जन्म एलिया में हुआ था। गणितजगत्‌ में इनकी प्रसिद्धि के मुख्य कारण अपने परम मित्र पार्मेनिदेस के तर्कों की रक्षा के निमित्त आविष्कृत चार असत्याभास (paradoxes) हैं, जिनमें सातत्य, अनंत एवं अत्यल्प के सामान्य विचार विद्यमान हैं। 435 ईo पूo में राजद्रोह अथवा ऐसे ही किसी अपराध के कारण इनको अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। .

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जातीय समूह

जातीय समूह मनुष्यों का एक ऐसा समूह होता है जिसके सदस्य किसी वास्तविक या कल्पित सांझी वंश-परंपरा के माध्यम से अपने आप को एक नस्ल के वंशज मानते हैं।1987 स्मिथ यह सांझी विरासत वंशक्रम, इतिहास, रक्त-संबंध, धर्म, भाषा, सांझे क्षेत्र, राष्ट्रीयता या भौतिक रूप-रंग (यानि लोगों की शक्ल-सूरत) पर आधारित हो सकती है। एक जातीय समूह के सदस्य अपने एक जातीय समूह से संबंधित होने से अवगत होते हैं; इसके अलावा जातीय पहचान दूसरों द्वारा उस समूह की विशिष्टता के रूप में पहचाने जाने से भी चिह्नित होती है।"एन्थ्रोपोलोजी.

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जायफल

गोवा में मिरिस्टिका फ्रेग्रंस वृक्ष वृक्ष पर जायफल (केरल) जायफल (वानस्पतिक नाम: Myristica fragrans; संस्कृत: जातीफल) एक सदाबहार वृक्ष है जो इण्डोनेशिया के मोलुकास द्वीप (Moluccas) का देशज है। इससे दो मसाले प्राप्त होते हैं - जायफल (nutmeg) तथा जावित्री (mace)। यह चीन, ताइवान, मलेशिया, ग्रेनाडा, केरल, श्रीलंका, और दक्षिणी अमेरिका में खूब पैदा होता है। मिरिस्टिका नामक वृक्ष से जायफल तथा जावित्री प्राप्त होती है। मिरिस्टका की अनेक जातियाँ हैं परंतु व्यापारिक जायफल अधिकांश मिरिस्टिका फ्रैग्रैंस से ही प्राप्त होता है। मिरिस्टिका प्रजाति की लगभग ८० जातियाँ हैं, जो भारत, आस्ट्रेलिया तथा प्रशंत महासागर के द्वीपों में उपलब्ध हैं। यह पृथग्लिंगी (डायोशियस, dioecious) वृक्ष है। इसके पुष्प छोटे, गुच्छेदार तथा कक्षस्थ (एक्सिलरी, axillary) होते हैं। मिरिस्टिका वृक्ष के बीज को जायफल कहते हैं। यह बीज चारों ओर से बीजोपांग (aril) द्वारा ढँका रहता है। यही बीजोपांग व्यापारिक महत्व का पदार्थ जावित्री है। इस वृक्ष का फल छोटी नाशपाती के रूप का १ इंच से डेढ़ इंच तक लंबा, हल्के लाल या पीले रंग का गूदेदा होता है। परिपक्व होने पर फल दो खंडों में फट जाता है और भीतर सिंदूरी रंग का बीजोपांग या जावित्री दिखाई देने लगती है। जावित्री के भीतर गुठली होती है, जिसके काष्ठवत् खोल को तोड़ने पर भीतर जायफल (nutmeg) प्राप्त होता है। जायफल तथा जावित्री व्यापार के लिये मुख्यत: पूर्वी ईस्ट इंडीज से प्राप्त होता हैं। जायफल का वृक्ष समुद्रतट से ४००-५०० फुट तक की ऊँचाई पर उष्णकटिबंध की गरम तथा नम घाटियों में पैदा होता है। इसकी सफलता के लिये जल-निकास-युक्त गहरी तथा उर्वरा दूमट मिट्टी उपयुक्त है। इसके वृक्ष ६-७ वर्ष की आयु प्राप्त होने पर फूलते-फलते हैं। फूल लगने के पहले नर या मादा वृक्ष का पहचाना कठिन होता है। ग्रैनाडा (वेस्ट इंडीज) में साधारणत: नर तथा मादावृक्ष ३: १ के अनुपात में पाए जाते हैं जमैका के वनस्पति उद्यान में जायफल के छोटे पौधों पर मादावृक्ष की टहनी कलम करके मादा वृक्ष की संख्यावृद्धि में सफलता प्राप्त की गई है। .

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जिम मॉरिसन

जेम्स डगलस "जिम" मॉरिसन (8 दिसम्बर 1943 - 3 जुलाई 1971) एक अमेरिकी गायक, गीतकार, कवि, लेखक और फिल्म निर्माता थे। वे द डोर्स के प्रमुख गायक और गीतकार के रूप में सबसे अधिक जाने जाते हैं और उन्हें व्यापक रूप से रॉक संगीत के इतिहास में सबसे करिश्माई अगुआ व्यक्तियों में से एक माना जाता है।"देखे उदाहरण., मॉरिसन पोएम बैक्स क्लाइमेट प्ले", BBC न्यूज़, 31 जनवरी 2007.

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जवाबदेही

उत्तरदायित्व, नैतिकता और शासन की एक ऐसी संकल्पना है, जिसके कई अर्थ हैं। इसका इस्तेमाल अक्सर जिम्मेदारी, जवाबदेही, दोषारोपण, दायित्व जैसी संकल्पनाओं तथा जवाबदेही से जुड़े अन्य शब्दों के पर्यावाची के तौर पर भी किया जाता है।जवाबदेही का अर्थ सरकारी अधिकारियों में निहित विवेकाधिकारो तथा प्राधिकारों की राज्य व्यवस्था के विभिन्न अंगों द्वारा बाह्य समीक्षा करना है| शासन के एक पहलू के तौर पर, यह सार्वजनिक क्षेत्र, गैर-लाभकारी और निजी क्षेत्रों की समस्याओं से जुड़ी बहस का केंद्र रहा है। नेतृत्व की भूमिका में जवाबदेही के अंतर्गत कार्यों, उत्पादों, फैसलों को स्वीकार करना और उनकी जिम्मेदारी लेने के साथ-साथ प्रशासन, शासन और उन्हें अपनी भूमिका के दायरे में लागू करने तथा उसकी परिणति के प्रति जवाबदेह होना भी शामिल है। प्रशासन से संबंधित शब्द के तौर पर जवाबदेही को परिभाषित करना मुश्किल है। अक्सर इसका वर्णन अलग-अलग व्यक्तियों के बीच जवाबदेह रिश्ते के तौर पर किया जाता है, जैसे, "ए बी के प्रति जवाबदेह है जहां ए बी को ए के (भूत और भविष्य के) कार्यों और फैसलों की सूचना देता है, उसे न्यायोचित करार देता है और अगर कोई गलती होती है, तो उसकी सजा भी भुगतता है".

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जुलियस सीजर (नाटक)

जूलियस सीज़र अंग्रेजी भाषा का एक दुःखान्त नाटक है। शेक्सपियर ने इसे अपने साहित्यिक जीवन के तीसरे काल सन् 1601 से 1604 ई. के बीच लिखा था, तथा उसमें निराशा, वेदना और तिक्तता अधिक मिलती है। .

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ज्यामिति का इतिहास

1728 साइक्लोपीडिया से ज्यामिति की तालिका. ज्यामिति (यूनानी भाषा γεωμετρία; जियो .

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जैवप्रतिरोधी

जैवप्रतिरोधी (Antibiotic/एण्टीबायोटिक) सूक्ष्मजीवों के द्वितीयक उपापचय पदार्थ हैं, जो कि अन्य सूक्ष्म जीवों को नष्ट करने अथवा उनकी वृद्धि को अवरोधित करने की क्षमता रखते हैं। दूसरे शब्दों में, प्रतिजैविक (Antibiotic) एक प्रकार के रसायनिक पदार्थ हैं, जिनका निर्माण कुछ सूक्ष्मजीवियों द्वारा होता है। जैवप्रतिरोधी रसायन अन्य (रोग उत्पन्न करने वाले) सूक्ष्मजीवियों की वृद्धि को मंद कर सकते अथवा उन्हें मार सकते हैं। पैनीसीलिन सामान्य रूप से प्रयोग में लाया जाने वाला ऐंटीबायोटिक है। सूक्ष्मजीवों की सहायता से जैवरोधी रसायन के उत्पादन की खोज 20वीं शताब्दी की अत्यंत महत्त्वपूर्ण खोज और मानव समाज के कल्याण के लिए एक बहुत बड़ी उपलधि मानी जाती है। .

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जेनिफ़र एनिस्टन

जेनिफ़र जोआना एनिस्टन (Jennifer Joanna Aniston, जन्म ११ फ़रवरी १९६९) एक अमरीकी अभिनेत्री, फ़िल्म निर्देशक व निर्माता है। एनिस्टन को १९९० के दशक के टेलिविज़न धारावाहिक फ्रेंड्स में रेचल ग्रीन की भूमिका के कारण लोकप्रियता हासिल हुई जिसके लिए उन्हें एमी पुरस्कार गोल्डेन ग्लोब पुरस्कार और स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवार्ड्स से सम्मानित किया गया। एनिस्टन ने हॉलिवुड की कई फ़िल्मों में भी काम किया है। उन्होंने कई स्वतन्त्र फिल्मों में काम किया है जिनमें शि इज़ द वन (१९९६) ऑफिस स्पेस (१९९९) द गुड गर्ल (२००२) और फ्रेंड्स विथ मनी (२००६) में बनी शामिल है जिनके लिए उनकी काफ़ी सराहना की गई। उनकी ब्रुस ऑलमाइटी (२००३), द ब्रेक-अप (२००६), मारले एंड मी (२००८), जस्ट गो विथ ईट (२०११) और हॉरिबल बॉसेस (२०११) व्यापारिक दृष्टी से सफल फ़िल्में रही है। .

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जेम्स डीन

जेम्स बायरन डीन (8 फ़रवरी 1931 - 30 सितंबर 1955) एक अमेरिकी फिल्म अभिनेता और एक सांस्कृतिक आइकन थे। उन्हें अपने सबसे प्रसिद्ध फ़िल्म के शीर्षक, रेबेल विदाउट ए कॉज में सबसे अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने परेशानी में फंसे लॉस एंजिल्स के किशोर जिम स्टार्क के रूप में अभिनय किया। उनके अभिनय को परिभाषित करने वाली अन्य दो भूमिकाएं ईस्ट ऑफ़ ईडन में लोनर कैल ट्रास्क के रूप में, एवं जाइंट में एक चिड़चिड़े किसान जेट रिंक के रूप में थी। डीन की चिरस्थायी प्रसिद्धि और लोकप्रियता इन तीन फिल्मों पर ही आधारित है, उनका संपूर्ण आउटपुट एक प्रमुख भूमिका में थी। कम उम्र में उनकी मृत्यु ने उनकी पौराणिक स्थिति को पुख्ता किया। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए मरणोपरांत अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकन प्राप्त करने वाले वे प्रथम अभिनेता थे और मरणोपरांत अभिनय के लिए दो नामांकन प्राप्त करने वाले वे अभी भी एक मात्र व्यक्ति बने हुए हैं। 1999 में, अमेरिकी फिल्म संस्थान ने अपने एएफआई (AFI's) के 100 वर्षों के सितारों की सूची में डीन को सर्वश्रेष्ठ पुरुष कलाकार के रूप में 18 वां स्थान प्रदान किया।<ref>5 ^ 4</ref> .

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जॅनिफ़र लोपैज़

जेनिफ़र लिन लोपेज़ (जन्म 24 जुलाई 1969) अक्सर प्रयुक्त उपनाम जे.

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जॉन स्टूवर्ट मिल

जॉन स्टूवर्ट मिल (सन १८६५ में) जॉन स्टूवर्ट मिल (John Stuart Mill) (1806 - 1873) प्रसिद्ध आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, एवं दार्शनिक चिन्तक तथा प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता और अर्थशास्त्री जेम्स मिल का पुत्र। .

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जीवनचरित

प्रसिद्ध इतिहासज्ञ और जीवनी-लेखक टामस कारलाइल ने अत्यंत सीधी सादी और संक्षिप्त परिभाषा में इसे "एक व्यक्ति का जीवन" कहा है। इस तरह किसी व्यक्ति के जीवन वृत्तांतों को सचेत और कलात्मक ढंग से लिख डालना जीवनचरित कहा जा सकता है। यद्यपि इतिहास कुछ हद तक, कुछ लोगों की राय में, महापुरुषों का जीवनवृत्त है तथापि जीवनचरित उससे एक अर्थ में भिन्न हो जाता है। जीवनचरित में किसी एक व्यक्ति के यथार्थ जीवन के इतिहास का आलेखन होता है, अनेक व्यक्तियों के जीवन का नहीं। फिर भी जीवनचरित का लेखक इतिहासकार और कलाकार के कर्त्तव्य के कुछ समीप आए बिना नहीं रह सकता। जीवनचरितकार एक ओर तो व्यक्ति के जीवन की घटनाओं की यथार्थता इतिहासकार की भाँति स्थापित करता है; दूसरी ओर वह साहित्यकार की प्रतिभा और रागात्मकता का तथ्यनिरूपण में उपयोग करता है। उसकी यह स्थिति संभवत: उसे उपन्यासकार के निकट भी ला देती है। जीवनचरित की सीमा का यदि विस्तार किया जाय तो उसके अंतर्गत आत्मकथा भी आ जायगी। यद्यपि दोनों के लेखक पारस्परिक रुचि और संबद्ध विषय की भिन्नता के कारण घटनाओं के यथार्थ आलेखन में सत्य का निर्वाह समान रूप से नहीं कर पाते। आत्मकथा के लेखक में सतर्कता के बावजूद वह आलोचनात्मक तर्कना चरित्र विश्लेषण और स्पष्टचारिता नहीं आ पाती जो जीवनचरित के लेखक विशिष्टता होती है। इस भिन्नता के लिये किसी को दोषी नहीं माना जा सकता। ऐसा होना पूर्णत: स्वाभाविक है। .

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जीवविज्ञान के पिता

जीव विज्ञान का पिता ग्रीक दार्शनिक अरस्तू (३८४-३२२ ई.पू.) को कहा जाता है। जीवविज्ञान का एक क्रमबद्ध ज्ञान के रूप में विकास उन्हीं के काल में हुआ। उन्होंने सर्वप्रथम पौधों एवं जन्तुओ के जीवन के विभिन्न पक्षों के विषय में अपने विचार प्रकट किये। अरस्तु को जीवविज्ञान की शाखा जंतु विज्ञान का जनक भी कहते हैं। श्रेणी:जीव विज्ञान.

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जीववैज्ञानिक वर्गीकरण

जीवजगत के समुचित अध्ययन के लिये आवश्यक है कि विभिन्न गुणधर्म एवं विशेषताओं वाले जीव अलग-अलग श्रेणियों में रखे जाऐं। इस तरह से जन्तुओं एवं पादपों के वर्गीकरण को वर्गिकी या वर्गीकरण विज्ञान अंग्रेजी में वर्गिकी के लिये दो शब्द प्रयोग में लाये जाते हैं - टैक्सोनॉमी (Taxonomy) तथा सिस्टेमैटिक्स (Systematics)। कार्ल लीनियस ने 1735 ई. में सिस्तेमा नातूरै (Systema Naturae) नामक पुस्तक सिस्टेमैटिक्स शब्द के आधार पर लिखी थी।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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ईदिपस

गुस्ताव मोरियो (Gustave Moreau) की चित्रकला ''ईदिपस और स्फ़िंक्स'' (Oedipus and the Sphinx) प्राचीन ग्रीक लोककथाओं तथा सोफोक्लीज द्वारा लिखित ईदिपस रेक्स के अनुसार ईदिपस (Oedipus) थीबिज़ के राजा लेउस और रानी जोकास्ता का पुत्र था। ईदिपस के जन्म के पूर्व ही एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि यह अपने पिता का हत्यारा होगा। इसलिए जन्म लेते ही इसे राजा लेउस ने राज्य से निकाल दिया। ईदिपस का उद्धार पड़ोस के राजा के द्वारा हुआ जिसके यहाँ उसका राजकुमारों जैसा लालन पालन हुआ। बड़े होने पर इसने भी ज्योतिषी से परामर्श किया जिसने उसे यह चेतावनी दी कि वह अपनी मातृभूमि छोड़कर चला जाए क्योंकि उसके भाग्य में अपने पिता का हत्यारा और अपनी माता का पति होना लिखा है। ईदिपस राज्य छोड़ चल पड़ा। लेकिन मार्ग में ही उसे राजा लेउस मिला जिसे उसने एक हल्की मुठभेंड में ही मार डाला। वह थीबिज़ पहुँचा जहाँ उसने दैत्य स्फ़िंक्स पर विजय प्राप्त की जिसके आतंक से थीबिज़वासी पीड़ित थे। कृतज्ञ थीविज़वासियों ने उसे वहाँ का राजा निर्वाचित किया तथा जोकास्ता का हाथ उसके हाथों में दे दिया। बहुत वर्षो तक शांति और सम्मानपूर्वक राज्य करते हुए उसे जोकास्ता से दो पुत्र और दो पुत्रियाँ उत्पन्न हुई। कुछ समय उपरांत थीबिज़ में भीषण महामारी फैली। थीबिज़वासियों ने ज्योतिषी से परामर्श किया जिसने कहा कि जब तक लेउस के हत्यारे को थीबिज़ से निष्कासित नहीं किया जाएगा तब तक महामारी का प्रकोप शांत नहीं हो सकता। इधर ईदिपस को भी अपनी माता और पिता का रहस्य ज्ञात हो गया। पश्चात्तापवश उसने अपनी आँखें फोड़ लीं तथा उसके पुत्रों ने उसे थीबिज़ से निष्कासित कर दिया। जोकास्ता ने आत्मग्लानिवश फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। .

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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ईसप की दंतकथाएं

हार्टमन शेडेल द्वारा नूर्नबर्ग क्रॉनिकल में एसोप.यहां वह 15वीं सदी के जर्मन कपड़े पहने दिखाए जा रहे हैं ईसप की दंतकथाएं या ईसपिका दंतकथाओं का एक संग्रह है जिसका श्रेय 620 ईपू से 520 ईपू के बीच प्राचीन यूनान में रहने वाले एक गुलाम और कथक ईसप को जाता है। उसकी दंतकथाएं विश्व की कुछ सर्वाधिक प्रसिद्ध दंतकथाओं में से हैं। ये दंतकथाएं अजकल के बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा का लोकप्रिय विकल्प बनी हुई हैं। ईसप की दंतकथाओं में शामिल कई कहनियां, जैसे लोमड़ी और अंगूर (जिससे “अंगूर खट्टे हैं” मुहावरा निकला).

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ईसाई आपत्तिखंडन

ईसाई धर्मशास्त्र में धार्मिक सिद्धांतों या विश्वासों के समर्थन में लिखे गए निबंधों को सामूहिक रूप में आपत्तिखंडन (apologetics / अपोलोजेटिक्स) का नाम दिया गया। इस शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक 'अपोलोजेटिकोस्‌' से है जिसका अर्थ है 'समर्थन के योग्य वस्तु'। संयुक्त राजशाही में इस प्रकार के धार्मिक साहित्य को 'एविडेन्सेज़ ऑव रेलिजन' (धर्म के प्रमाण) भी कहते हैं, परंतु अधिकतर ईसाई देशों में अपोलोजेटिक्स शब्द ही सामान्यत: प्रचलित है। .

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ईजियन सागर

ईजियन सागर (Αιγαίο Πέλαγος, ईजिओ पेलागोस) भूमध्य सागर का एक विस्तार है। यह दक्षिणी बाल्कान क्षेत्र और एनाटोलिया प्रायद्वीप के बीच में स्थित है, इस प्रकार ये यूनान और तुर्की के मध्य स्थित है। यह भूमध्य सागर की एक भुजा है जिसके पश्चिम में युनान और पूर्व में टर्की हैं। यह डार्डेनेल्स और बॉसपोरस जल-संयोजकों द्वारा मारमारा और काला सागर से जुड़ा है। 'ईजियन' शब्द का संबंध ईजी नगर से अथवा ईजिया (अमेज़न की रानी) से, अथवा ईजियस (थीसियस के पिता) से बताया गया है। संरचना की दुष्टि से यह सागर एक प्राचीन ध्वस्त स्थलखंड है जो लगभग पूर्णतया निमज्जित हो गया है। इसके चारों ओर नवीन भंजित पर्वत हैं जो स्वयं थोड़ी मात्रा में निमज्जित हैं। इन दशाओं के फलस्वरूप यह सागर द्वीपों से भरा है और इसमें यथाक्रम गहरी और उथली द्रोणियाँ हैं। यहाँ कुछ ज्वालामुखी द्वीप भी स्थित हैं। द्वीपों में गेहूँ, अगूंर, अंजीर, मुनक्का, गोंद, शहद, मोम, कपास और रेशम का उत्पादन होता है। .

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वनस्पती वर्गिकरण

कोई विवरण नहीं।

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वराह मिहिर

वराहमिहिर (वरःमिहिर) ईसा की पाँचवीं-छठी शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ थे। वाराहमिहिर ने ही अपने पंचसिद्धान्तिका में सबसे पहले बताया कि अयनांश का मान 50.32 सेकेण्ड के बराबर है। कापित्थक (उज्जैन) में उनके द्वारा विकसित गणितीय विज्ञान का गुरुकुल सात सौ वर्षों तक अद्वितीय रहा। वरःमिहिर बचपन से ही अत्यन्त मेधावी और तेजस्वी थे। अपने पिता आदित्यदास से परम्परागत गणित एवं ज्योतिष सीखकर इन क्षेत्रों में व्यापक शोध कार्य किया। समय मापक घट यन्त्र, इन्द्रप्रस्थ में लौहस्तम्भ के निर्माण और ईरान के शहंशाह नौशेरवाँ के आमन्त्रण पर जुन्दीशापुर नामक स्थान पर वेधशाला की स्थापना - उनके कार्यों की एक झलक देते हैं। वरःमिहिर का मुख्य उद्देश्य गणित एवं विज्ञान को जनहित से जोड़ना था। वस्तुतः ऋग्वेद काल से ही भारत की यह परम्परा रही है। वरःमिहिर ने पूर्णतः इसका परिपालन किया है। .

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वर्षामापी

मानक '''वर्षामापी''' वर्षामापी का रेकार्ड (Tipping Bucket Rain Gauge Recorder) वर्षा रिकार्डर के चार्ट का पास से लिया गया दृष्य वर्षामापी (rain gauge या udometer या pluviometer) एक ऐसी युक्ति है जो वर्षा की मात्रा की माप करता है। मौसमविज्ञानी इसका बहुत उपयोग करते हैं। .

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वातस्फीति (एम्फाइज़िमा)

वातस्फीति (एम्फाइज़िमा) एक दीर्घकालिक उत्तरोत्तर बढ़ने वाली फेफड़े की बीमारी है, जिसके कारण प्रारंभ में सांस लेने में तकलीफ होती है। वातस्फीति से ग्रस्त लोगों में शरीर को सहारा देने वाले ऊतक और फेफड़े के कार्य करने की क्षमता नष्ट हो जाती है। इसे रोगों को एक ऐसे समूह में शामिल किया गया है जिसे बहुत दिनों तक रहने वाली प्रतिरोधी फुफ्फुसीय रोग या COPD कहते हैं (फुफ्फुसीय फेफड़ों से संबंधित है).

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वाद-विवाद

वाद-विवाद या बहस, संवादात्मक और प्रतिनिधित्ववादी तर्क की एक औपचारिक विधि है। वाद-विवाद, तार्किक तर्क की तुलना में तर्क का एक व्यापक रूप है, जो केवल स्वयंसिद्ध और तथ्यात्मक तर्क से स्थिरता की परख करता है, जो सिर्फ यह जांचता है कि मामला या वाक्पटुता, जो अनुनय की एक तकनीक है क्या है या क्या नहीं है। यद्यपि, तार्किक स्थिरता, तथ्यात्मक सटीकता और दर्शकों के साथ कुछ हद तक भा ghanta वनात्मक अपील अनुनय की कला के महत्वपूर्ण तत्व हैं; वाद-विवाद में अक्सर एक पक्ष मुद्दे का बेहतर "संदर्भ" और/या ढांचा प्रस्तुत करके दूसरे पक्ष पर छाया रहता है, जो कहीं अधिक सूक्ष्म और सामरिक है। एक औपचारिक वाद-विवाद प्रतियोगिता में, मतभेदों पर चर्चा और फैसला करने लिए लोगों के लिए नियम होते हैं, एक ढांचे के भीतर जो यह परिभाषित करता है कि वे कैसे बातचीत करेंगे। अनौपचारिक वाद-विवाद एक आम घटना है, एक वाद-विवाद की गुणवत्ता और गहराई उसमें हिस्सा ले रहे विवादकर्ताओं के ज्ञान और कौशल के साथ बढ़ जाती है। विमर्शी निकाय जैसे, संसद, विधान सभाएं और सभी प्रकार की बैठकें वाद-विवाद में संलग्न होती हैं। एक वाद-विवाद के नतीजे को दर्शकों के मतदान या निर्णायकों या फिर इन दोनों के संयोजन द्वारा निर्णित किया जा सकता है। हालांकि इसका यह मतलब है कि तथ्य, आम सहमति पर आधारित होते हैं, जो तथ्यात्मक नहीं है। निर्वाचित कार्यालय के लिए उम्मीदवारों के बीच औपचारिक वाद-विवाद, जैसे नेताओं का वाद-विवाद और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव वाद-विवाद, लोकतंत्र में आम हैं। एक विधि या कला के रूप में वाद-विवाद के अध्ययन का प्रमुख लक्ष्य है किसी भी पक्ष से समान सहजता के साथ शिरकत करने में एक व्यक्ति की क्षमता का विकास.

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वाद्य यन्त्र

एक वाद्य यंत्र का निर्माण या प्रयोग, संगीत की ध्वनि निकालने के प्रयोजन के लिए होता है। सिद्धांत रूप से, कोई भी वस्तु जो ध्वनि पैदा करती है, वाद्य यंत्र कही जा सकती है। वाद्ययंत्र का इतिहास, मानव संस्कृति की शुरुआत से प्रारंभ होता है। वाद्ययंत्र का शैक्षणिक अध्ययन, अंग्रेज़ी में ओर्गेनोलोजी कहलाता है। केवल वाद्य यंत्र के उपयोग से की गई संगीत रचना वाद्य संगीत कहलाती है। संगीत वाद्य के रूप में एक विवादित यंत्र की तिथि और उत्पत्ति 67,000 साल पुरानी मानी जाती है; कलाकृतियां जिन्हें सामान्यतः प्रारंभिक बांसुरी माना जाता है करीब 37,000 साल पुरानी हैं। हालांकि, अधिकांश इतिहासकारों का मानना है कि वाद्य यंत्र के आविष्कार का एक विशिष्ट समय निर्धारित कर पाना, परिभाषा के व्यक्तिपरक होने के कारण असंभव है। वाद्ययंत्र, दुनिया के कई आबादी वाले क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से विकसित हुए.

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वायु सेना के मार्शल

वायु सेना के मार्शल अथवा मार्शल ऑफ़ द एयर फोर्स (Marshal of the air force) विभिन्न वायुसेनाओं में दी जाने वाली एक वरिष्ठ पदवी है। .

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वाष्पक

गैस बर्नर से चलने वाला उच्च क्षमता (धारिता) का वाष्पक वाष्पक या ब्वायलर (Boiler) एक बन्द पात्र होता है जिसमें जल या कोई अन्य द्रव गरम किया जाता है। इसमें गरम करने (उबालने) से उत्पन्न वाष्प को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था भी होती है जिससे वाष्प को विभिन्न प्रक्रमों या गर्म करने के लिये उपयोग में लाया जा सके। इसकी डिजाइन इस प्रकार की होती है कि गर्म करने पर कम से कम उष्मा बर्बाद हो तथा यह वाष्प का दाब भी सहन कर सके। इसमें गरम किया हुआ या वाष्पीकृत तरल को निकालकर विभिन्न प्रक्रमों में या ऊष्मीकरण के लिये प्रयुक्त किया जाता है, जैसे- जल का ऊष्मीकरण, केन्द्रीय ऊष्मीकरण, वाष्पक-आधारित शक्ति-उत्पादन, भोजन बनाने और सफाई आदि के लिये। .

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वित्त परियोजना

वित्त परियोजना, ऐसे बुनियादी ढांचे और औद्योगिक परियोजनाओं का दीर्घ कालींन वित्तपोषण है जो प्रायोजकों की बैलेंस-शीट के स्थान पर परियोजनाओं के अनुमानित नकदी प्रवाह पर आधारित होता है। आमतौर पर, एक परियोजना की वित्तपोषण संरचना अनेक इक्विटी निवेशकों को समाहित करती है, जो बैंकों के सिंडिकेट की तरह परियोजना को ऋण प्रदान करते हैं, प्रायोजक कहलाते हैं। ऋण, सबसे अधिक सामान्यतः प्रतिभूति-सीमित ऋण हैं, जो परियोजना की परिसंपत्तियों के द्वारा सुरक्षित रहते हैं और प्रायोजकों की सामान्य परिसंपत्तियों या ऋण पात्रता के स्थान पर परियोजना के नकदी प्रवाह द्वारा प्रदत्त किया जाता है, यह वित्तीय मॉडलिंग द्वारा समर्थित भाग में एक निर्णय है। वित्तपोषण, राजस्व उत्पादन ठेके सहित परियोजना की समस्त परिसम्पत्तियों द्वारा विशिष्ट रूप से सुरक्षित है। परियोजना उधारदाताओं को इन सभी परिसम्पत्तियों पर एक ग्रहणाधिकार दिया गया है और अगर परियोजना कंपनी को परियोजना की ऋण शर्तों के अनुपालन में कठिनाइयां है तो, वे परियोजना का नियंत्रण समझ सकते हैं। प्रायः प्रत्येक परियोजना में विशेष उद्देश्य से एक इकाई बनायी जाती है जिसके द्वारा परियोजना के प्रायोजकों के स्वमित्ववाली अन्य परिसम्पत्तियों को इस परियोजना के निष्फल होने पर होनेवाले क्षतिकारक प्रभावों से सुरक्षित किया जाता है। एक विशेष प्रयोजन इकाई के रूप में, परियोजना कंपनी परियोजना के अतिरिक्त अन्य कोई परिसंपत्तियां नहीं रखती है। कभी कभी परियोजना कंपनी के मालिकों द्वारा पूंजी योगदान की प्रतिबद्धता, परियोजना की आर्थिक सुद्र्ढ्ता सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक होती है। परियोजना वित्त अक्सर वैकल्पिक वित्तपोषण तरीकों की तुलना में अधिक जटिल होते है। परंपरागत रूप से, परियोजना वित्तपोषण खनन, परिवहन, दूरसंचार और सार्वजनिक उपयोगिता के उद्योगों में सबसे अधिक इस्तेमाल किया गया है। अभी हाल ही में, विशेष रूप से यूरोप में, परियोजना के वित्तपोषण के सिद्धांतों को निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) के तहत बुनियादी ढांचे या, ब्रिटेन में, निजी वित्त पहल (PFI) लेनदेन के लिए लागू किया गया है। जोखिम की पहचान और नियतन वित्त परियोजना का एक महत्वपूर्ण घटक है। एक परियोजना विकासशील देशों और उभरते बाज़ारों में अनेक तकनीकी, पर्यावरण, आर्थिक और राजनीतिक जोखिमों की विषय वस्तु हो सकती है। वित्तीय संस्थायें और परियोजना के प्रायोजक यह निर्णय कर सकते हैं कि परियोजना के विकास और संचालन में निहित जोखिम अस्वीकार्य हैं (आर्थिक प्रबन्धन योग्य नहीं हैं)। इन जोखिमों का सामना करने के लिए, इन उद्योगों में परियोजना के प्रायोजक (जैसे कि बिजलीघर या रेलवे लाइनें) प्रायः कार्य को अनेकों विशेषज्ञ कंपनियों द्वारा पूर्ण करते हैं जो एक दूसरे के साथ एक अनुबंध नेटवर्क में सक्रिय हैं और वित्तपोषण की अनुमति के मार्ग में जोखिम को नियत करती हैं।मार्को सोर्ज,, बीआईएस (BIS) क्वाटर्ली समीक्षा, दिसम्बर 2004, पृष्ठ 91 कार्यान्वयन के विभिन्न पैटर्न कभी कभी "परियोजना वितरण विधि" के रूप में संदर्भित किये जाते है। इन परियोजनाओं के वित्तपोषण कई दलों के बीच वितरित किया जाना चाहिए, ताकि परियोजना के साथ जुड़े जोखिम और साथ ही प्रत्येक पार्टी के लिये निहित लाभ सुनिश्चित किये जा सकें.

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विधिकार

सामान्य भाषा में विधिकार और विधायक शब्दों का प्रयोग भिन्न अर्थों में किया जाता है। विधिकार (law Givers) के प्रयोग से ऐसे व्यक्ति का अभिप्राय है जो स्वयं विधि का निर्माण करे और विधायक किसी एक अथवा कुछ विधियों का निर्माण कर सकता है लेकिन विधायक विधि संस्थानों - संसद, विधानमंडल आदि - में बैठकर अन्य विधायकों के साथ मिलकर विधि का निर्माता होता है अत: व्यक्तिगत रूप से वह विधि का निर्माण नहीं करता। विधिकार की परिभाषा देने के पूर्व विधि संबंधी दृष्ष्टिकोण स्पष्ट होना आवश्यक है। विधि के सिलसिले में कानून, सत्य, धर्म, न्याय, राइट, रेस्ट, ड्रायट आदि भिन्न शब्दों का प्रयोग किया जाता है। लैटिन भाषा में लेजिस्लेटर (विधायक) अथवा जूरिसडेटर (न्यायनिर्माता) शब्दों का प्रयोग नहीं मिलता, लेकिन "लेजेनडेरे" और "लेक्स डेट" में (विधि देने और प्रयुक्त विधि) का उल्लेख मिलता है। जस्टीनियन ऐसे विधिकार को विधायक की संज्ञा दी गई है। यूनानी भाषा में भी विधिकार के संबंध में इसी भांति अस्पष्टता है। "थेसमोस" (Thesmos) का अर्थ एक वाक्य, सूत्र अथवा विधि किया जाता है। विधिसंहिता की नोमोस (Nomos) की संज्ञा दी जाती है। सोलोन (Solon) ने थेसमोइ (थेसमोस का बहुवचन) की रचना की जिसे 250 वर्ष बाद अरस्तू (Aristotle) ने विधिकार नाम से संबोधित किया। विधि संबंधी विभिन्न व्याख्याओं के कारण इस संबंध में भी मतभेद है कि किस व्यक्ति को विधिकार माना जाए और किसको नहीं। ईश्वरप्रदत्त विधि मानने पर भी उनको संसार में लानेवाले माध्यम का महत्व कम नहीं होता अत: हजरत मूसा, ईसा, मुहम्मद, कन्फ्यूशियस, मनु आदि को इस श्रेणी में रखना पड़ेगा। यदि विधि समाज के विवेक और शील का प्रतीक है तो भी विधिरचना में व्यस्त चाहे वह विधानमंडल हो अथवा न्यायाधीश, जो परंपराओं को नवीन स्थितियों में लागू करने के लिए नई व्यवस्थाएँ देते हैं अथवा ऐसे दार्शनिक विचारक जो समाज के विश्लेषणात्मक अध्ययन के उपरांत उसकी आवश्यकताओं के अनुरूप विधि बनाने पर जोर देते हैं अथवा ऐतिहासिक विकासशृंखला के ऐसे नरेश, सत्तासंपन्न व्यक्ति जिन्होंने अपनी शक्ति और निदेश से नए नियमों की रचना की, उन सभी को विधिकार कहा जा सकता है। .

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विल्डबीस्ट

विल्डबीस्ट जिसे ग्नू भी कहते हैं अफ़्रीका में पाया जाने वाला द्विखुरीयगण प्राणी है जो कि सींग वाले हिरनों की बिरादरी का है। इसके नाम का डच (हॉलैंड) भाषा में मतलब होता है जंगली जानवर या जंगली मवेशी क्योंकि अफ़्रीकान्स भाषा में beest का मतलब मवेशी होता है जबकि इसका वैज्ञानिक नाम कॉनोकाइटिस यूनानी भाषा के दो शब्दों से बना है &mdash; konnos जिसका मतलब दाढ़ी होता है और khaite जिसका मतलब लहराते बाल होता है। ग्नू नाम खोइखोइ भाषा से उद्घृत है। यह बोविडी कुल का प्राणी है, जिसमें बारहसिंगा, मवेशी, बकरी और कुछ अन्य सम-अंगुली सींगवाले खुरदार प्राणी होते हैं। कॉनोकाइटिस प्रजाति में दो जातियाँ समाविष्ट हैं और यह दोनों ही अफ़्रीका के मूल निवासी हैं: काला विल्डबीस्ट (कॉनोकाइटिस नू) और नीला विल्डबीस्ट या सामान्य विल्डबीस्ट (कॉनोकाइटिस टॉरिनस)। जीवाश्म सबूत बताते हैं कि उपरोक्त दोनों जातियाँ लगभग १० लाख साल पहले विभाजित हो गई थीं, जिसके कारण उत्तरी (नीला विल्डबीस्ट) तथा दक्षिणी (काला विल्डबीस्ट) जातियाँ अलग-अलग हो गईं। नीली जाति में अपने पूर्वजों से शायद ही कोई बदलाव आया, जबकि काली जाति को ख़ुद को खुले मैदानों के अनुरूप ढालना पड़ा। .

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विश्लेषण

यद्यपि मूलतः गणित के क्षेत्र में ग्रीक गणितज्ञों ने प्रमेय को पहले ही सिद्ध किए गए कथनों या प्रमेयों में, अथवा स्वीकृत स्वसिद्ध तथ्यों में, रूपांतरित करके सिद्ध करने की पद्धति को 'विश्लेषण' (Analysis) नाम दिया था। किन्तु वर्तमान समय में, संश्लेषण के विपरीत अर्थ में विश्लेषण (Analysis) का प्रयोग किया जाता है। किसी विधान या व्यवस्थाक्रम की सूक्ष्मता से परीक्षण करने की तथा उसके मूल तत्वों को खोजने की क्रिया को 'विश्लेषण' नाम दिया जाता है। आज ज्ञान के सभी क्षेत्रों में 'विश्लेषण' का प्रयोग किया जाता है। कुछ मुख्य विश्लेषण नीचे दिये हये हैं-.

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विश्व में ईसाई धर्म

ईसाई धर्म; में लगभग 2.4 अरब अनुयायी हैं, जो कि लगभग 7.2 अरब लोगों में से हैं।.

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विश्व सुन्दरी

विश्व सुन्दरी प्रतियोगिता एक अंतर्राष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिता है जो प्रतिवर्ष महिलाओं के लिये आयोजित की जाती है। भारत की मनुषी छिल्लर वर्ष 2017 की विजेता रही। .

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विश्व आर्थिक मंच

विश्व आर्थिक फोरम स्विट्ज़रलैंड में स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था है। इसका मुख्यालय जिनेवा में है। स्विस अधिकारीयों द्वारा इसे एक निजी-सार्वजनिक सहयोग के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। इसका मिशन विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को एक साथ ला कर वैशविक, क्षेत्रीय और औद्योगिक दिशा तय करना है। .

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विश्व के देशों की सूची के अनुलग्नक

यह विश्व के देशओं की सूची का अनुलग्नक है। उन देशों की सूची में सम्मिलित न होने वाली अस्तित्वों की एक रूपरेखा दी गई है। .

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विश्व के सात नए आश्चर्य

नए सात आश्चर्य विजेताओं के स्थान अवस्थित हैं विश्व के सात नए आश्चर्यएक परियोजना है जिसे पुनर्जीवित करने के लिए प्राचीन विश्व के सात आश्चर्यों (Seven Wonders of the Ancient World) के साथ आधुनिक आश्चर्यों की अवधारणा को शामिल किया गया है निजी नई ७ आश्चर्य फाउंडेशन द्वारा ७ जुलाई (July 7), २००७ को लिस्बन, पुर्तगाल में विजेताओं की घोषणा की गई.

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विश्व की मुद्राएँ

विश्व की कुछ प्रमुख मुद्राएँ निम्नलिखित हैं:-.

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विश्वमारी

विश्वमारी (यूनानी (ग्रीक) शब्द πᾶν पैन "सब" + δῆμος डेमोस "लोग" से), संक्रामक रोगों की एक महामारी है जो मानव आबादी के माध्यम से एक विशाल क्षेत्र, उदाहरण के लिए, एक महाद्वीप, या यहां तक कि दुनिया भर में भी फ़ैल रहा है। एक व्यापक स्थानिक रोग जो इस दृष्टि से स्थिर होता है कि इससे कितने लोग बीमार हो रहे हैं, एक विश्वमारी नहीं है। इसके अलावा, फ्लू विश्वमारियों में मौसमी फ्लू को तब तक शामिल नहीं किया जाता है जब तक मौसम का फ्लू एक विश्वमारी न हो। सम्पूर्ण इतिहास में चेचक और तपेदिक जैसी असंख्य विश्वमारियों का विवरण मिलता है। अधिक हाल की विश्वमारियों में एचआईवी (HIV) विश्वमारी और 2009 की फ्लू विश्वमारी शामिल है। .

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विश्वज्ञानकोश

विश्वज्ञानकोश, विश्वकोश या ज्ञानकोश (Encyclopedia) ऐसी पुस्तक को कहते हैं जिसमें विश्वभर की तरह तरह की जानने लायक बातों को समावेश होता है। विश्वकोश का अर्थ है विश्व के समस्त ज्ञान का भंडार। अत: विश्वकोश वह कृति है जिसमें ज्ञान की सभी शाखाओं का सन्निवेश होता है। इसमें वर्णानुक्रमिक रूप में व्यवस्थित अन्यान्य विषयों पर संक्षिप्त किंतु तथ्यपूर्ण निबंधों का संकलन रहता है। यह संसार के समस्त सिद्धांतों की पाठ्यसामग्री है। विश्वकोश अंग्रेजी शब्द "इनसाइक्लोपीडिया" का समानार्थी है, जो ग्रीक शब्द इनसाइक्लियॉस (एन .

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व्यक्तित्व

व्यक्तित्व (personality) आधुनिक मनोविज्ञान का बहुत ही महत्वपूर्ण एवं प्रमुख विषय है। व्यक्तित्व के अध्ययन के आधार पर व्यक्ति के व्यवहार का पूर्वकथन भी किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण या विशेषताएं होती हो जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होतीं। इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्ति के इन गुणों का समुच्चय ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है। व्यक्तित्व एक स्थिर अवस्था न होकर एक गत्यात्मक समष्टि है जिस पर परिवेश का प्रभाव पड़ता है और इसी कारण से उसमें बदलाव आ सकता है। व्यक्ति के आचार-विचार, व्यवहार, क्रियाएं और गतिविधियों में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है। व्यक्ति का समस्त व्यवहार उसके वातावरण या परिवेश में समायोजन करने के लिए होता है। जनसाधारण में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाह्य रूप से लिया जाता है, परन्तु मनोविज्ञान में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के रूप गुणों की समष्ठि से है, अर्थात् व्यक्ति के बाह्य आवरण के गुण और आन्तरिक तत्व, दोनों को माना जाता है। .

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वृहद भारत

'''वृहद भारत''': केसरिया - भारतीय उपमहाद्वीप; हल्का केसरिया: वे क्षेत्र जहाँ हिन्दू धर्म फैला; पीला - वे क्षेत्र जिनमें बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ वृहद भारत (Greater India) से अभिप्राय भारत सहित उन अन्य देशों से है जिनमें ऐतिहासिक रूप से भारतीय संस्कृति का प्रभाव है। इसमें दक्षिणपूर्व एशिया के भारतीकृत राज्य मुख्य रूप से शामिल है जिनमें ५वीं से १५वीं सदी तक हिन्दू धर्म का प्रसार हुआ था। वृहद भारत में मध्य एशिया एवं चीन के वे वे भूभाग भी सम्मिलित किये जा सकते हैं जिनमे भारत में उद्भूत बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ था। इस प्रकार पश्चिम में वृहद भारत कीघा सीमा वृहद फारस की सीमा में हिन्दुकुश एवं पामीर पर्वतों तक जायेगी। भारत का सांस्कृतिक प्रभाव क्षेत्र .

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वैदिक व्याकरण

संस्कृत का सबसे प्राचीन (वेदकालीन) व्याकरण 'वैदिक व्याकरण' कहलाता है। यह पाणिनीय व्याकरण से कुछ भिन्न था। .

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वैस्पाज़िअन्

वैस्पाज़िअन की मुर्ति मोटे अक्षर'वैस्पाज़िअन् (१८ नवम्बर ०९ - २९ जून ७९; शासनकाल: ७०-७९)) रोमन साम्राज्य का अत्यंत प्रभावशाली सम्राट था। वह बहादुर सैनिक, कुशल शासक, तथा चरित्रवान, ईमानदार, हँसमुख, मिलनसार और उदार व्यक्ति था। उसके समय में रोमन साम्राज्य का पहला सुप्रसिद्ध इतिहास लिखा गया। अपने सरल और मितव्ययी जीवन से उसने रोमन सामंतों और जनता के जीवन में बड़ा सुधार किया और सादगी से रहना सिखाया। उसका पूरा नाम टाइटस फ्लैवियस वैस्पाज़िअन था। उसका जन्म मामूली साहूकार के घर में हुआ था और उसका जीवन बहादुर सैनिक के रूप में शुरू हुआ। इसी हैसियत से वह जर्मनी, इंग्लैंड, अफ्रीका, यूनान और मिस्र गया। बड़ा यश पैदा किया। १ जुलाई ६९ ई. को मिस्र में रोमन सेनाओं ने उसको सम्राट् घोषित किया। अन्य स्थानों की सेनाओं ने भी उसके प्रति वफादारी की शपथ ली। उनके द्वारा ही वह रोमन साम्राज्य का शासक बनाया गया। उसने शीघ्र ही शासन सुधार की घोषणा करके अपने को लोकप्रिय बना लिया। गाल प्रदेश के विद्रोह को दबाकर जर्मन सीमाओं को सुरक्षित बनाया। जेरूसलम में भी रोमन साम्राज्य की स्थिति को सुरक्षित बनाया। जैनूस के मंदिर को बंद करके अपने शासन काल के ९ वर्ष में वहाँ रोमन आधिपत्य कायम रखा। ७८ ई. में इंग्लैंण्ड के वेल्स और आंग्लेसी द्वीप में रोमन साम्राज्य का विस्तार किया। सन् ७० में उसने रोम में प्रवेश किया। वह घरेलू युद्ध में आग की भेंट हो चुका था। उसका पुनर्निमाण कर उसको सुंदर एवं वैभवशाली बनाया। उसका सबसे बड़ा काम सिनेट के सहयोग से रोमन साम्राज्य की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाना, सेनाओं का पुनर्गठन कर उसमें फैली हुई अनैतिकता को दूर करना, साम्राज्य के अंतर्गत प्रदेशों को उन्नत बनाना और पिछड़े हुए प्रदेशों में रोमन संस्कृति का प्रसार करना था। एक रोमन सरदार की लड़की प्लेविया डामाटिला से उसका विवाह हुआ। उसके दो पुत्र हुए और दोनों रोमन साम्राज्य के सम्राट हुए। श्रेणी:रोमन साम्राज्य.

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वैवाहिक रस्मों में भाग लेने वाले प्रतिभागी

विवाह समारोह के प्रतिभागी, जिनकी ओर वेडिंग पार्टी के रूप में भी संदर्भित किया जाता है, वह लोग होते हैं जो स्वयं प्रत्यक्ष रूप से विवाह समारोह में भाग लेते हैं। स्थान, धर्म और विवाह की शैली के आधार पर, इस समूह में केवल विवाह करने वाले व्यक्ति भी शामिल हो सकते हैं, या इसमें एक या एक से अधिक दुल्हनें, दूल्हे (या वर), मेड्स ऑफ ऑनर, ब्राइड्समेड्स, बेस्टमेन, ग्रूम्समेन, फ्लावर गर्ल्स, पेज ब्वायज़ और रिंगबियरर्स शामिल हो सकते हैं। वधू पक्ष का अर्थ उन लोगों से होता है जो वधू की ओर से विवाह समारोह में शामिल होते हैं। जो वर की ओर से होते हैं उन्हें वर-पक्ष कहा जाता है। .

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खनिज विज्ञान

खनिज विज्ञान (अंग्रेज़ी:मिनरलॉजी) भूविज्ञान की एक शाखा होती है। इसमें खनिजों के भौतिक और रासायनिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। विज्ञान की इस शाखा के अंतर्गत खनिजों के निर्माण, बनावट, वर्गीकरण, उनके पाए जाने के भौगोलिक स्थानों और उनके गुणों को भी शामिल किया गया है। इसके माध्यम से ही खनिजों के प्रयोग और उपयोग का भी अध्ययन इसी में किया जाता है। विज्ञान की अन्य शाखाओं की भांति ही इसकी उत्पत्ति भी कई हजार वर्ष पूर्व हुई थी। वर्तमान खनिज विज्ञान का क्षेत्र, कई दूसरी शाखाओं जैसे, जीव विज्ञान और रासायनिकी तक विस्तृत हो गया है। यूनानी दार्शनिक सुकरात ने सबसे पहले खनिजों की उत्पत्ति और उनके गुणों को सिद्धांत रूप में प्रतुत किया था, हालांकि सुकरात और उनके समकालीन विचारक बाद में गलत सिद्ध हुए लेकिन उस समय के अनुसार उनके सिद्धांत नए और आधुनिक थे। किन्तु ये कहना भी अतिश्योक्ति न होगा कि उनकी अवधारणाओं के कारण ही खनिज विकास की जटिलताओं को सुलझाने में सहयोग मिला, जिस कारण आज उसके आधुनिक रूप से विज्ञान समृद्ध है। १६वीं शताब्दी के बाद जर्मन वैज्ञानिक जॉर्जियस एग्रिकोला के अथक प्रयासों के चलते खनिज विज्ञान ने आधुनिक रूप लेना शुरू किया। .

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ख़ुज़दार ज़िला

ख़ुज़दार (उर्दू व बलोच: خضدار, अंग्रेज़ी: Khuzdar) पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त का एक ज़िला है। यह पारम्परिक रूप से झालावान क्षेत्र का भाग है और कलात ख़ानत का हिस्सा था। ज़िले की राजधानी ख़ुज़दार शहर है, जो बलोचिस्तान प्रान्त का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। .

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खाड़ी युद्ध

कोई विवरण नहीं।

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खाद्य प्रसंस्करण

खाद्य प्रसंस्करण घर या खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में मानव या पशुओं के उपभोग के लिए कच्चे संघटकों को खाद्य पदार्थ में बदलने या खाद्य पदार्थों को अन्य रूपों में बदलने के लिए प्रयुक्त विधियों और तकनीकों का सेट है। आम तौर पर खाद्य प्रसंस्करण में साफ़ फसल या कसाई द्वारा काटे गए पशु उत्पादों को लिया जाता है और इनका उपयोग आकर्षक, विपणन योग्य और अक्सर दीर्घ शेल्फ़-जीवन वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन के लिए किया जाता है। पशु चारे के उत्पादन के लिए भी इसी तरह की प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण के चरम उदाहरणों में शामिल हैं शून्य गुरुत्वाकर्षण के तहत खपत के लिए घातक फुगु मछली का बढ़िया व्यंजन या आकाशीय आहार तैयार करना। .

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गणितीय विश्लेषण

गणितीय विश्लेषण (Mathematical analysis) शुद्ध गणित की एक शाखा है। इसके अन्तर्गत अवकलन, समाकलन, सीमा, अनन्त श्रेणी तथा वैश्लेषिक फलनों (analytic functions) के सिद्धान्त आदि आते हैं। ये सिद्धान्त प्रायः वास्तविक संख्याओं, समिश्र संख्याओं तथा वास्तविक एवं समिश्र फलनों के सन्दर्भ में अध्ययन किए जाते हैं। विश्लेषण को परम्परागत रूप से ज्यामिति से अलग गणित की श्रेणी में रखा जाता रहा है। .

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गान्धार कला

भगवान बुद्ध की सुन्दर मूर्ति गांधार कला एक प्रसिद्ध प्राचीन भारतीय कला है। इस कला का उल्लेख वैदिक तथा बाद के संस्कृत साहित्य में मिलता है। सामान्यतः गान्धार शैली की मूर्तियों का समय पहली शती ईस्वी से चौथी शती ईस्वी के मध्य का है तथा इस शैली की श्रेष्ठतम रचनाएँ ५० ई० से १५० ई० के मध्य की मानी जा सकती हैं। गांधार कला की विषय-वस्तु भारतीय थी, परन्तु कला शैली यूनानी और रोमन थी। इसलिए गांधार कला को ग्रीको-रोमन, ग्रीको बुद्धिस्ट या हिन्दू-यूनानी कला भी कहा जाता है। इसके प्रमुख केन्द्र जलालाबाद, हड्डा, बामियान, स्वात घाटी और पेशावर थे। इस कला में पहली बार बुद्ध की सुन्दर मूर्तियाँ बनायी गयीं। इनके निर्माण में सफेद और काले रंग के पत्थर का व्यवहार किया गया। गांधार कला को महायान धर्म के विकास से प्रोत्साहन मिला। इसकी मूर्तियों में मांसपेशियाँ स्पष्ट झलकती हैं और आकर्षक वस्त्रों की सलवटें साफ दिखाई देती हैं। इस शैली के शिल्पियों द्वारा वास्तविकता पर कम ध्यान देते हुए बाह्य सौन्दर्य को मूर्तरूप देने का प्रयास किया गया। इसकी मूर्तियों में भगवान बुद्ध यूनानी देवता अपोलो के समान प्रतीत होते हैं। इस शैली में उच्चकोटि की नक्काशी का प्रयोग करते हुए प्रेम, करुणा, वात्सल्य आदि विभिन्न भावनाओं एवं अलंकारिता का सुन्दर सम्मिश्रण प्रस्तुत किया गया है। इस शैली में आभूषण का प्रदर्शन अधिक किया गया है। इसमें सिर के बाल पीछे की ओर मोड़ कर एक जूड़ा बना दिया गया है जिससे मूर्तियाँ भव्य एवं सजीव लगती है। कनिष्क के काल में गांधार कला का विकास बड़ी तेजी से हुआ। भरहुत एवं सांचीमें कनिष्क द्वारा निर्मित स्तूप गांधार कला के उदाहरण हैं। .

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गिलहरी

गिलहरी की कई प्रजातियों में कालेपन की प्रावस्था पाई जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बड़े हिस्से में शहरी क्षेत्रों में सर्वाधिक आसानी से देखी जा सकने वाली गिलहरियाँ पूर्वी ग्रे गिलहरियों का कालापन लिया हुआ एक रूप है। गिलहरियाँ छोटे व मध्यम आकार के कृन्तक प्राणियों की विशाल परिवार की सदस्य है जिन्हें स्कियुरिडे कहा जाता है। इस परिवार में वृक्षारोही गिलहरियाँ, भू गिलहरियाँ, चिम्पुंक, मार्मोट (जिसमे वुड्चक भी शामिल हैं), उड़न गिलहरी और प्रेइरी श्वान भी शामिल हैं। यह अमेरिका, यूरेशिया और अफ्रीका की मूल निवासी है और आस्ट्रेलिया में इन्हें दूसरी जगहों से लाया गया है। लगभग चालीस मिलियन साल पहले गिलहरियों को पहली बार, इयोसीन में साक्ष्यांकित किया गया था और यह जीवित प्रजातियों में से पर्वतीय ऊदबिलाव और डोरमाइस से निकट रूप से सम्बद्ध हैं। .

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गुस्ताव फ्लोवेर

युवावस्था में गुस्ताव फ्लोवेर गुस्ताव फ्लोवेर (Gustave Flaubert; फ्रांसीसी उच्चारण:; 12 दिसम्बर 1821 – 8 मई 1880)) फ्रेंच उपन्यासकार थे। .

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ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल

ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों या ओलंपियाड के खेलों (Jeux olympiques d'été), जो पहली बार 1896 में आयोजित किया गया था, एक अंतर्राष्ट्रीय मल्टी-स्पोर्ट इवेंट आयोजन है जो चार साल से एक अलग शहर द्वारा आयोजित किया जाता है। सबसे हालिया ओलंपिक रियो डी जनेरियो, ब्राजील में आयोजित किए गए थे। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति खेल का आयोजन करती है और मेजबान शहर की तैयारियों की देखरेख करता है। प्रत्येक ओलंपिक आयोजन में, स्वर्ण पदक प्रथम स्थान पर दिए जाते हैं, दूसरे स्थान पर रजत पदक से सम्मानित किया जाता है, और तीसरे के लिए कांस्य पदक प्रदान किए जाते हैं; यह परंपरा 1904 में शुरू हुई। ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की सफलता के कारण शीतकालीन ओलंपिक खेलों का निर्माण किया गया था। ओलंपिक में 42 स्पर्धाओं की प्रतियोगिता में वृद्धि हुई है, जो कि 1896 में 14 देशों के 250 से कम पुरुष प्रतिद्वंद्वियों के साथ 2012 में 204 देशों से 10,768 प्रतिद्वंद्वियों (5,992 पुरुष, 4,776 महिलाओं) के साथ 302 घटनाओं के साथ बढ़ी है। अठारह देशों ने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की मेजबानी की है। संयुक्त राज्य अमेरिका में किसी भी अन्य देश से अधिक चार ग्रीष्मकालीन ओलंपिक (1904, 1932, 1984, 1996), की मेजबानी की है, और ग्रेट ब्रिटेन लंदन में तीन ग्रीष्मकालीन ओलंपिक (1908, 1948, 2012), सभी की मेजबानी की है। एथेंस (1896, 2004), पेरिस (1900, 1924), लॉस एंजिल्स (1932, 1984) और टोक्यो (1964, 2020): चार शहरों में दो ग्रीष्मकालीन ओलंपिक आयोजित किए गए हैं। ग्रीष्मकालीन ओलंपिक कई बार होस्ट करने के लिए पश्चिमी दुनिया के बाहर टोक्यो पहला शहर है। एशिया ने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की मेजबानी की है, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन में चार बार (1964, 1988, 2008, 2020)। दक्षिणी गोलार्ध में आयोजित केवल ग्रीष्मकालीन ओलंपिक ऑस्ट्रेलिया (1956, 2000) और ब्राजील (2016) में रहे हैं। 2016 के खेल दक्षिण अमेरिका में होने वाले पहले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक हैं और स्थानीय शीतकालीन सत्र के दौरान आयोजित होने वाले पहले थे। अफ्रीका अभी तक एक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की मेजबानी नहीं है। केवल पांच देशों-ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, और हर ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक खेलों में स्विट्जरलैंड की है प्रतिनिधित्व करता रहा। प्रत्येक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में कम से कम एक स्वर्ण पदक जीतने वाला एकमात्र देश ग्रेट ब्रिटेन है संयुक्त राज्य अमेरिका ने सभी समय के पदक तालिका का नेतृत्व किया। .

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ग्रीस के ओट्टो

ओट्टो, बवेरिया के राजकुमार, फिर ओथन, यूनान के राजा (Ὄθων, Βασιλεὺς τῆς Ἑλλάδος, 1 जून 1815 – 26 जुलाई 1867) आधुनिक समय में यूनान के सबसे पहले राजा बनाये गये थे। ओट्टो को यूनान का सम्राट् सन् 1832 में लंदन में आयोजित हुए सम्मेलन में घोषित किया गया, तथा इस प्रकार यूनान महान शक्तियों (संयुक्त राजशाही, फ्रांस और रूसी साम्राज्य) के संरक्षण के तहत एक नया स्वतंत्र साम्राज्य बन गया। .

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ग्रीस-इटली युद्ध

ग्रीस-इटली युद्ध (Greco-Italian War, campagna italiana di Grecia, Ελληνοϊταλικός Πόλεμος) दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान २८ अक्टुबर १९४० से २३ अप्रैल तक ग्रीस (यूनान) और इटली के बीच हुआ था। युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने ग्रीस को हवाई सहयता दी, और फिर अंत में इटली को भी जर्मनी की सहयता लेनी पड़ी थी। इस युद्ध में १,५०,००० से अधिक इतालवी सैनिक और ९०,००० से अधिक ग्रीक सैनिक मारे गए थे। इस युद्ध से पहले १९३९ में ईतालवी नेता बेनितो मस्सोलीनी ने अल्बानिया पर आक्रमण किया था, और १९४० में ब्रिटेन और उसके मित्र-राष्ट्रों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की। श्रेणी:द्वितीय विश्वयुद्ध.

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ग्वादर

ग्वादर शहर ग्वादर बंदरगाह ग्वादर (बलोच व उर्दु) पाकिस्तान से सुदूर दक्षिण-पश्चिमी भाग में बलोचिस्तान प्रान्त में अरब सागर के किनारे पर स्थित एक बंदरगाही शहर है। यह ग्वादर ज़िले का केंद्र है और सन् २०११ में इसे बलोचिस्तान की शीतकालीन राजधानी घोषित कर दिया गया था। ग्वादर शहर एक ६० किमी चौड़ी तटवर्ती पट्टी पर स्थित है जिसे अक्सर मकरान कहा जाता है। ईरान तथा फ़ारस की खाड़ी के देशों के बहुत पास होने के कारण इस शहर का बहुत सैन्य और राजनैतिक महत्व है। पाकिस्तान प्रयास कर रहा है कि इस बंदरगाह के ज़रिये न केवल पाकिस्तान बल्कि चीन, अफ़ग़ानिस्तान व मध्य एशिया के देशों का भी आयात-निर्यात चले। .

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गोल्ड कोस्ट, क्वींसलैंड

गोल्ड कोस्ट ऑस्ट्रेलियाई राज्य क्वींसलैंड में एक शहर है। यह राज्य का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और देश का छठा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। यह देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला गैर-राजधानी शहर भी है। यह अपने उपोष्णकटिबंधीय मौसम, फेनिल समुद्र तट, नहर और जलमार्ग प्रणालियां, गगनचुंबी इमारतों को छूनेवाले क्षितिज, नाइटलाइफ और घने वर्षा-वनों के कारण गोल्ड कोस्ट एक प्रमुख पर्यटन स्थलकहलाया जाता है। गोल्ड कोस्ट 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एक उम्मीदवार शहर भी है। .

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ओलम्पियाड

प्राचीन ओलम्पिक के दौरान पेन्टाथलन में भाग लेते प्रतिभागी। ओलम्पियाड एक चार वर्ष की अवधि है, जो शास्त्रीय ग्रीस के ओलम्पिक खेलों के साथ संबंधित है। वर्तमान समय में एक ओलम्पियाड उस वर्ष जिसमें ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेल आयोजित होनें है की एक जनवरी से शुरु होकर चार वर्ष तक चलता है। पहला आधुनिक ओलम्पियाड 1896 में शुरू हुआ था और वर्तमान व 29वा 2008 में शुरू हुआ। .

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ओलिम्पिया

ओलिंपिया नगर (Olympia) प्राचीन काल में ओलिंपिक खेलों का स्थल था। यह यूनान देश के पश्चिमी मोरिया में रूफ़िया नदी के उत्तरी किनारे पर आधुनिक पिरगोस नगर से 11 मील पूर्व स्थित है। ओलम्पिया के 'हेरा के मन्दिर के भग्नावशेष यूनान के इतिहास में इस नगर का धार्मिक और राजनीतिक महत्व रहा है। हीरा का मंदिर प्राचीनतम विद्यमान भवन है जिसका निर्माण, अपने मौलिक रूप में, संभवत: ईसा से 1,000 वर्ष पूर्व हुआ था। यहाँ खेलों की उत्पत्ति के संबंध में विभिन्न धारणाएँ हैं। एक मत के अनुसार पहली दौड़ पेलौप्स और आयनोमौस के बीच हुई थी, किंतु द्वितीय मतानुसार यहाँ सर्वप्रथम हेराकिल्स द्वारा खेलकूदों का उत्सव मनाया गया था। 11वीं शताब्दी के यूनानी लेखक सेड़ीनस के अनुसार ओलिंपिक उत्सव 393 ई. तक ही मनाए गए। ओलिंपिया अथवा ओलिंबिया का वर्तमान गाँव क्लादियस नदी के दूसरे तट पर स्थित है। यहाँ एक संग्रहालय भी है। .

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ओलिंपिक एयर

ओलिंपिक एयर (ग्रीक:Ολυμπιακή) यूनान की प्रमुख एजियन एरलाइन्स की सहायक एरलाइन्स है। इसकी स्थापना मूल रूप से यूनान की ओलिंपिक एरलाइन्स की निजीकरण के कारण हुआ था। ओलिंपिक एयर ने २९ सितम्बर २००९ मे अपनी पहली उड़ान भरी जबकि इसकी अधिकारिक रूप से स्थापना १ ऑक्टूबर २००९ से हुई। इसका मुख्य परिचालन केंद्र रोड्स इंटरनॅशनल एयरपोर्ट इसके सहायक परिचालन केंद्र के रूप मे कार्य करता है। इस एयरलाइन्स का मुख्य कार्यालय स्पार्टा नगर में आतन्स इंटरनॅशनल एरपोर्ट की बिल्डिंग संख्या ५७ मे स्थित है एवं इसका रिजिस्टर्ड पता कॉरोपी, क्रोपिया, ईस्टआफ्रिका है। यह एरलाइन ऑय.ऐ टी ऐ के कोड OA, जो की इसे ओलिंपिक एरलाइन्स से विरासत मे मिला है, का इस्तेमाल करती है जबकि इसका ICAO कोड OAL है। २२ फ़रवरी २०१० को ओलिंपिक एयर एवं इसकी प्रमुख प्रतिद्वंदी एजियन एअरलाइन्स विलय की घोषणा की एवं इसके बाद एजियन ब्रांड को ख़त्म कर दिया गया। हालाँकि इस विलय को युरोपियन कॉंपिटेशन्स कमिशन की आपतियों के कारण २६ जन्वरी २०११ को वापस ले लिया गया। अंततः इस विलय को १० अक्टोबर २०१३ को युरोपियन कॉंपिटेशन्स कमिशन की मान्यता मिल गयी और अब ओलिंपिक एयर एजियन एरलाइन्स की एक सहायक एरलाइन्स है। इस समय इस के पास 14 बॉंबर्डियर डैश 8 विमानो का बेड़ा है। .

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ओलंपिक में यूनान

यूनान की ओलंपिक खेलों में एक लंबी उपस्थिति है, क्योंकि उन्होंने हर ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में भाग लिया है, केवल चार देशों में से एक ऐसा किया है और उनमें से केवल एक को अपने राष्ट्रीय ध्वज के तहत मास्को में प्रतिस्पर्धा करने के लिए, ग्रीक सरकार के समर्थन के बावजूद 1980 के एक अमेरिकी नेतृत्व का बहिष्कार, और शीतकालीन ओलंपिक खेलों में से अधिकांश। ग्रीस ने दो बार एथेंस में दोनों खेलों की मेजबानी की है। प्राचीन ओलंपिक खेलों का घर 1896 में आधुनिक ओलंपिक खेलों के पुनरुद्धार के लिए मेजबान देश के रूप में स्वाभाविक विकल्प था, जबकि ग्रीस ने 2004 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की भी मेजबानी की थी। ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रों की परेड के दौरान, ग्रीस हमेशा पहले स्टेडियम में प्रवेश करते हैं और 2004 के अलावा ओलंपिक के जन्मस्थान के रूप में अपनी स्थिति का सम्मान करने के लिए परेड का नेतृत्व करता है जब ग्रीस मेजबान देश के रूप में अंतिम रूप में प्रवेश करता है। खेलों से पहले ओलंपिक ज्योति ओलंपिया में प्रकाशित होती है, प्राचीन ओलंपिक खेलों की साइट, एक समारोह में जो प्राचीन यूनानी अनुष्ठानों को प्रतिबिंबित करती है और ओलंपिक मशाल रिले की शुरुआत करती है। वर्तमान और अगले मेजबान देश के झंडे के साथ ग्रीस का झंडा हमेशा समापन समारोह में फहराया जाता है। ग्रीस के एथलीटों ने 15 विभिन्न खेलों में कुल मिलाकर 116 पदक जीते हैं और देश वर्तमान में सभी समय ग्रीष्मकालीन ओलंपिक पदक गिनती में 33 वें स्थान पर है। एथलेटिक्स और भारोत्तोलन देश के लिए शीर्ष पदक बनाने वाले खेल रहे हैं और बाद के ग्रीस में कुल 10 देशों में रखा गया है। जिमनास्टिक्स, शूटिंग और कुश्ती अन्य खेल हैं जो ग्रीस के लिए दस या अधिक पदक का उत्पादन करते हैं। उद्घाटन 1896 ओलंपिक में, ग्रीस पदक की गिनती में दूसरे स्थान पर रहा, लेकिन कुल मिलाकर सबसे अधिक पदक जीता, उनके सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक प्रदर्शन में। 1906 के ग्रीक खेलों में 8 स्वर्ण, 14 रजत और 13 कांस्य पदक (कुल मिलाकर 35) के साथ ग्रीक तीसरे स्थान पर रहे, जिन्हें उस समय ओलंपिक माना जाता था लेकिन आधिकारिक तौर पर आईओसी द्वारा आज ही मान्यता प्राप्त नहीं है। .

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औषधि एवं स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी का इतिहास

कोई विवरण नहीं।

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आतिथ्य

आतिथ्य एक मेहमान तथा मेजबान के मध्य संबंध अथवा सत्कारशीलता का कृत्य अथवा प्रचलन है। जोकि मेहमान, आगंतुक अथवा अजनबियों; आश्रयस्थल, सदस्यता क्लब, कन्वेंशन, आकर्षणों, विशेष घटनाओं का स्वागत तथा मनोरंजन तथा यात्रियों तथा पर्यटकों के लिये अन्य सेवाये हैं। "आतिथ्य" का आशय उन लोगों के प्रति देखभाल तथा दयालुता प्रदान करना भी हो सकता है जिनको इसकी आवश्यकता है। .

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आदर्शवाद

विचारवाद या आदर्शवाद या प्रत्ययवाद (Idealism; Ideal.

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आधुनिक यूनानी भाषा

आधुनिक यूनानी भाषा (आधुनिक ग्रीक भाषा) आज के यूनान देश की मुख्य और राजभाषा है। इसका जन्म प्राचीन यूनानी भाषा से हुआ है। ये प्राचीन यूनानी से सरल है और यूनानी लिपि में लिखी जाती है।.

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आमाशय (पेट)

कशेरुकी, एकाइनोडर्मेटा वंशीय जंतु, कीट (आद्यमध्यांत्र) और मोलस्क सहित, कुछ जंतुओं में, आमाशय एक पेशीय, खोखला, पोषण नली का फैला हुआ भाग है जो पाचन नली के प्रमुख अंग के रूप में कार्य करता है। यह चर्वण (चबाना) के बाद, पाचन के दूसरे चरण में शामिल होता है। आमाशय, ग्रास नली और छोटी आंत के बीच में स्थित होता है। यह छोटी आंतों में आंशिक रूप से पचे भोजन (अम्लान्न) को भेजने से पहले, अबाध पेशी ऐंठन के माध्यम से भोजन के पाचन में सहायता के लिए प्रोटीन-पाचक प्रकिण्व(एन्ज़ाइम) और तेज़ अम्लों को स्रावित करता है (जो ग्रासनलीय पुरःसरण के ज़रिए भेजा जाता है).

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आयोनियन सागर

आयोनियन सागर एड्रियाटिक सागर के दक्षिण में स्थित आयोनियन सागर या आयोनियाई सागर, भूमध्य सागर की एक इकाई है। इसके पश्चिम में इटली का दक्षिणी भाग जिसमे कैलाब्रिया शामिल है, सिसिली और सलेंतो प्रायद्वीप जबकि पूर्व में दक्षिणपश्चिमी अल्बानिया जिसमें सरांदा और हिमारा शामिल हैं और बड़ी संख्या में यूनानी द्वीप जैसे कि कोर्फु, ज़ांते, केफालोनिया, इथाहा और लेफ्कस आदि स्थित हैं। इन द्वीपों को सामूहिक रूप से आयोनियन द्वीप समूह पुकारा जाता है। यह सागर दुनिया में सबसे अधिक भूकंपीय गतिविधि वाले क्षेत्रों में से एक है। भूमध्य सागर का सबसे गहरा स्थान केलिप्सो गर्त, जो, गहरा है आयोनियन सागर में स्थित है, जिसके निर्देशांक है। .

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आर्मीनियाई भाषा

ऐसे क्षेत्र जहां आर्मीनियाई बहुमत की भाषा है आर्मीनी भाषा (Armenian language) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की यह भाषा मेसोपोटैमिया तथा कॉकस की मध्यवर्ती घाटियों और काले सागर के दक्षिणी पूर्वी प्रदेश में बोली जाती है। यह प्रदेश आर्मीनी जार्जिया तथा अज़रबैजान (उत्तर-पश्चिमी ईरान) में पड़ता है। यह आर्मीनिया गनतंत्र की राजभाषा है। आर्मीनी भाषा को पूर्वी और पश्चिमी भागों में विभाजित करते हैं। गठन की दृष्टि से इसकी स्थिति ग्रीक और हिंद-ईरानी के बीच की है। पुराने समय में आर्मीनिया का ईरान से घनिष्ठ संबंध रहा है और ईरानी के प्राय: दो हजार शब्द आर्मीनी भाषा में मिलते हैं। इन्हीं कारणों से बहुत दिनों तक आर्मीनी को ईरानी की केवल एक शाखा मात्र समझा जाता था। पर अब इसकी स्वतंत्र सत्ता मान्य हो गई है। इसकी अपनी अनन्य लिपि है जिसकी खोज ४०५ ई में हुई थी। इस भाषा का व्यंजनसमूह मूल रूप से भारतीय और काकेशी समूह की जार्जी भाषा से मिलता जुलता है। प्‌ त्‌ क्‌ व्यंजनों का ब्‌ द् ग्‌ से परस्पर व्यत्यय हो गया है। उदाहरणार्थ, संस्कृत वश के लिए आर्मीनी में 'तस्न' शब्द है। संस्कृत पितृ के लिए आर्मीनी में ह्यर है। आदिम भारोपीय भाषा से यह भाषा काफी दूर जा पड़ी है। संस्कृत द्वि और त्रि के लिए आर्मीनी में एर्कु और एरेख शब्द हैं। इसी से दूरी का अनुमान हो सकता है। व्याकरणत्मक लिंग प्राचीन आर्मीनी में भी नहीं मिलता। संस्कृत 'गौ' के लिए आर्मीनी में केव्‌ है। ऐसे शब्दों से ही आदि आदिम आर्यभाषा से इसकी व्युत्पत्ति सिद्ध होती है। आर्मीनी अधिकतर बोलचाल की भाषा रही है। ईरानी शब्दों के अतिरिक्त इसमें ग्रीक, अरबों और काकेशी के भी शब्द हैं। .

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आर्यन प्रवास सिद्धांत

आर्यन प्रवास सिद्धांत (English - Indo-Aryan Migration Theory) मुख्यतः ब्रिटिश शासन काल की देन है। जिसके अंतर्गत अंग्रेजी इतिहासकारों का कहना था कि भारतीय आर्य संबोधन का युरोपीय आर्यन जाति से सम्बन्ध है। भारत में आर्यों का युरोपीय देशों से आगमन हुआ। विशेष यह है कि सिद्धांत पूर्णरूप से अंग्रेजी व भारतीय इतिहासकारों के द्वारा प्रतिपादित किया गया जिनका कहना था कि वह भारतीय तथा युरोपीय अध्ययन के माध्यम से ही इस बात पर जोर दे रहे हैं। उनका कहना था कि भारतीय मूल के कहलाने वाले आर्य यूरोप से भारत आए और भारत में भी अपनी सभ्यता स्थापित की। यह उनके द्वारा किये गए शोध से यह ज्ञात हुआ। उ उपयुक्त सिद्धांत का प्रतिपादन १८वी शताब्दी के अंत में तब किया गया जब यूरोपीय भाषा परिवार की खोज हुई। जिसके अंतर्गत भारतीय भाषाओं में युरोपीय भाषाओं से कई समानताएं दिखीं। जैसे घोड़े को ग्रीक में इक्वस, फ़ारसी में इश्प और संस्कृत में अश्व कहते हैं, भाई को लैटिन-ग्रीक में फ्रेटर (अंग्रेज़ी में फ्रेटर्निटी, Fraternity), फ़ारसी में बिरादर और संस्कृत में भ्रातर कहते हैं। .

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आर्किमिडिज़

आर्किमिडिज़ (यूनानी: Ἀρχιμήδης; लगभग २८७ – २१२ ई.पू.) प्राचीन यूनान में रहने वाले गणितज्ञ, भौतिकज्ञ, इंजीनियर, आविष्कारक और खगोलशास्त्री थे। इनके जीवन के बारे में बहुत कुछ मालूम नहीं है, लेकिन इन्हें प्राचीन पाश्चात्य सभ्यता के महानतम वैज्ञानिकों में से एक माना जाता है। भौतिकी को इन्होंने स्थिति-विज्ञान, द्रव्य स्थिति-विज्ञान और लीवर के सिद्धान्त प्रदान किए। इन्होंने कई नई मशीनें भी ईजाद कीं, जिनमें शामिल हैं घेराबंदी तोड़ने के लिए यंत्र और आर्किमिडिज़ पेच। इसके अलावा इन्होंने ऐसी मशीनों की परिकल्पना की जो पानी से जहाजों को उठा सकती थीं और दर्पणों के प्रयोग से नावों पर आग लगा सकती थीं; आधुनिक प्रयोगों से इन मशीनों की वास्तविकता सामने आई है। आर्किमिडिज़ को प्राचीन संसार का महानतम गणितज्ञ माना जाता है और आजतक के महानतम गणितज्ञों में गिना जाता है। इन्होंने शून्यीकरण विधि का प्रयोग करके परवलय की चाप के नीचे का क्षेत्रफल निकाला और पाइ का अत्यंत सटीक परिमाण निकाला। इन्होंने आर्किमिडिज़ कुण्डली, परिक्रमण की सतह का घनफल और बहुत बड़ी संख्याओं को लिखने के नए तरीके निकाले। इनके बारे में प्रसिद्ध है कि स्नान करते हुए इन्हें अकस्माक विचार आया कि सोने में मिलावट कैसे पकड़ी जाए और ये नग्न ही "यूरेका! यूरेका!" (यूनानी: "εὕρηκα! εὕρηκα!," "मिल गया! मिल गया!") चिल्लाते हुए सिराक्यूज़ की सड़कों पर दौड़ने लगे। इनका यह भी कथन प्रसिद्ध है, "मुझे यदि खड़े होने की जगह मिल जाए तो मैं (लीवर की मदद से) पृथ्वी को हिला सकता हूँ।" सिराक्यूज़ की घेराबंदी में एक रोमन सैनिक ने आर्किमिडिज़ को मार डाला, जबकि सेना को आदेश थे कि इन्हें कोई क्षति नहीं पहुँचनी चाहिए। कहा जाता है कि इनके अंतिम शब्द थे, "मेरे वृत्तों को खराब मत करो" (यूनानी: "μή μου τούς κύκλους τάραττε"), जो इन्होंने उस रोमन सैनिक को कहे। सिसरो ने इनके मकबरे का वर्णन करते हुए बताया है कि उसपर एक वेलनाकार और उसके मध्य में समानाकार गेंद बने हुए थे। आर्किमिडीज़ ने प्रमाणित किया था कि गेंद का क्षेत्रफल और घनफल वेलनाकार का दो-तिहाई होता है और ये इसे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते थे। इनके आविष्कार तो बहुत प्रसिद्ध हुए, लेकिन इनके गणितीय रचनाओं को प्राचीन काल में अधिक महत्त्व नहीं मिला। अलेक्सेंड्रिया के गणितज्ञ इन्हें पढ़ते और उद्धृत भी करते थे, लेकिन इनकी कृतियों को सबसे पहले ५३० ईस्वी के लगभग ही एकत्रित किया जा सका। यह काम मिलेटस के इसीडोर ने किया और फिर छठी शताब्दी ईस्वी में ही यूटोसियस की टीकाओं के माध्यम से सारा संसार आर्किमिडिज़ की कृतियों से अवगत हुआ। इनकी कृतियों की कुछ पाण्डुलिपियाँ मध्ययुग तक बची रहीं और पुनर्जागरण के दौरान कई वैज्ञानिकों और दार्शनिकों की प्रेरणा का स्रोत बनीं। १९०६ में आर्किमिडिज़ पालिम्पसेस्ट के नाम से मिली अन्य कृतियों से पता लगा कि इन्होंने गणितीय फार्मूले कैसे निकाले। .

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आर्किमिडीज़

सेराक्यूस के आर्किमिडीज़ (यूनानी:; 287 ई.पू. - 212 ई.पू.), एक यूनानी गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी, अभियंता, आविष्कारक और खगोल विज्ञानी थे। हालांकि उनके जीवन के कुछ ही विवरण ज्ञात हैं, उन्हें शास्त्रीय पुरातनता का एक अग्रणी वैज्ञानिक माना जाता है। भौतिक विज्ञान में उन्होनें जलस्थैतिकी, सांख्यिकी और उत्तोलक के सिद्धांत की व्याख्या की नीव रखी थी। उन्हें नवीनीकृत मशीनों को डिजाइन करने का श्रेय दिया जाता है, इनमें सीज इंजन और स्क्रू पम्प शामिल हैं। आधुनिक प्रयोगों से आर्किमिडीज़ के इन दावों का परीक्षण किया गया है कि दर्पणों की एक पंक्ति का उपयोग करते हुए बड़े आक्रमणकारी जहाजों को आग लगाई जा सकती हैं। आमतौर पर आर्किमिडीज़ को प्राचीन काल का सबसे महान गणितज्ञ माना जाता है और सब समय के महानतम लोगों में से एक कहा जाता है। उन्होंने एक परवलय के चाप के नीचे के क्षेत्रफल की गणना करने के लिए पूर्णता की विधि का उपयोग किया, इसके लिए उन्होंने अपरिमित श्रृंखला के समेशन का उपयोग किया और पाई का उल्लेखनीय सटीक सन्निकट मान दिया। उन्होंने एक आर्किमिडीज सर्पिल को भी परिभाषित किया, जो उनके नाम पर आधारित है, घूर्णन की सतह के आयतन के लिए सूत्र दिए और बहुत बड़ी संख्याओं को व्यक्त करने के लिए एक सरल प्रणाली भी दी। आर्किमिडीज सेराक्यूस की घेराबंदी के दौरान मारे गए जब एक रोमन सैनिक ने उनकी हत्या कर दी, हालांकि यह आदेश दिया गया था कि उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। सिसरो आर्किमिडिज़ का मकबरा, जो एक बेलन के अंदर अन्दर स्थित गुंबद की तरह है, पर जाने का वर्णन करते हैं कि, आर्किमिडीज ने साबित किया था कि गोले का आयतन और इसकी सतह का क्षेत्रफल बेलन का दो तिहाई होता है (बेलन के आधार सहित) और इसे उनकी एक महानतम गणितीय उपलब्धि माना जाता है। उनके आविष्कारों के विपरीत, आर्किमिडीज़ के गणितीय लेखन को प्राचीन काल में बहुत कम जाना जाता था। एलेगज़ेनडरिया से गणितज्ञों ने उन्हें पढ़ा और उद्धृत किया, लेकिन पहला व्याख्यात्मक संकलन सी. तक नहीं किया गया था। यह 530 ई. में मिलेटस के इसिडोर ने किया, जब छठी शताब्दी ई. में युटोकियास ने आर्किमिडीज़ के कार्यों पर टिप्पणियां लिखीं और पहली बार इन्हें व्यापक रूप से पढने के लिये उपलब्ध कराया गया। आर्किमिडीज़ के लिखित कार्य की कुछ प्रतिलिपियां जो मध्य युग तक बनी रहीं, वे पुनर्जागरण के दौरान वैज्ञानिकों के लिए विचारों का प्रमुख स्रोत थीं, हालांकि आर्किमिडीज़ पालिम्प्सेट में आर्किमिडीज़ के द्वारा पहले से किये गए अज्ञात कार्य की खोज 1906 में की गयी थी, जिससे इस विषय को एक नयी अंतर्दृष्टि प्रदान की कि उन्होंने गणितीय परिणामों को कैसे प्राप्त किया। .

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आलू के चिप्स

आलू के चिप्स यहां पुनर्निर्देशित है। एकवचन उपयोग के लिए, आलू के चिप देखें आलू के चिप्स (जिन्हें अमेरिकन, ऑस्ट्रेलियन, कनाडियन, सिंगापुर, दक्षिणी अफ्रीका, हवाई इंग्लिश, भारतीय इंग्लिश तथा जमैका की इंग्लिश के साथ साथ अधिकांश यूरोपीय भाषाओं में चिप्स के नाम से; ब्रिटिश तथा आयरिश इंग्लिश में क्रिस्प्स, तथा न्यू ज़ीलैंड में चिपीस के नाम से जाना जाता है) दरसल आलू की पतली फांक हैं जिन्हें तला जाता है। आलू के चिप्स को सामान्यरूप से एक क्षुधावर्धक, अतिरिक्त व्यंजन, या नाश्ते के रूप में परोसा जाता है। बुनियादी चिप्स पके हुए तथा नमक मिलाये गए होते हैं; अतिरिक्त विविधताओं को बनाने के लिए अनेक स्वादों तथा सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है जिनमें सीजनिंग, जड़ी-बूटियां, मसाले, चीज़ तथा कृत्रिम योज्य शामिल होते हैं। क्रिस्प्स, तथापि, ब्रिटेन तथा आयरलैंड में नाश्ते के लिए बनाये गए अनेक उत्पादों को कहा जाता है, इनमें से कुछ आलू से बनते हैं, परन्तु ये मक्का, मैदा तथा कसावा से भी बनाये जाते हैं। इस प्रकार के क्रिस्प्स का एक उदाहरण मॉन्स्टर मंच है। क्रिस्प्स का प्रयोग उत्तरी अमेरिका में भी होता है जहां इन्हें आलू से बने नाश्ते के रूप में जाना जाता है जिनका सुखाये हुए आलू के फ्लेक व अन्य पूरक वस्तुओं से पुनर्निर्माण किया जाता है, उदाहरण के लिए "बेकद ले'स" व प्रिंगल्स, हालांकि तकनीकी रूप से प्रिंगल तेल में "क्विक फ्राई" किये जाते हैं। आलू के चिप्स अंग्रेजी भाषी देशों में तथा कई अन्य पश्चिमी देशों के स्नैक खाद्य बाजार का एक प्रमुख भाग हैं। 2005 में वैश्विक आलू चिप बाजार का कुल राजस्व 16.4 बिलियन डॉलर था। यह उस वर्ष के नमकीन नाश्तों के कुल बाज़ार का 35.5% था (46.1 बिलियन डॉलर).

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आशुलिपि

डच आशुलिपि (ग्रूट पद्धति से) आशुलिपि (Shorthand) लिखने की एक विधि है जिसमें सामान्य लेखन की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से लिखा जा सकता है। इसमें छोटे प्रतीकों का उपयोग किया जाता है। आशुलिपि में लिखने की क्रिया आशुलेखन (stenography) कहलाती है। स्टेनोग्राफी से आशय है तेज और संक्षिप्त लेखन। इसे हिन्दी मे 'शीघ्रलेखन' या 'त्वरालेखन' भी कहते हैं। लिखने और बोलने की गति में अंतर है। साधारण तौर पर जिस गति से कुशल से कुशल व्यक्ति हाथ से लिखता है, उससे चौगुनी, पाँचगुनी गति से वह संभाषण करता है। ऐसी स्थिति में वक्ता के भाषण अथवा संभाषण को लिपिबद्ध करने में विशेष रूप से कठिनाई उपस्थित हो जाती है। इसी कठिनाई को हल करने के लिये त्वरालेखन के आविष्कार की आवश्यकता पड़ी। .

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आविष्कार और आविष्कारक

आविष्कार और आविष्कारक नामक इस सूची में आविष्कार, आविष्कारक, वर्ष और देश का नाम दिए गए हैं। .

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आंतिपतर

आंतिपातर (Antipater; /ænˈtɪpətər/; ग्रीक: Ἀντίπατρος Antipatros; 397 ईसापूर्व – 319 ईसापूर्व) सिकंदर महान का एक सेनापति और उसकी ओर से कार्यवाहक शासक था। आंतिपातर को अरस्तू से शिक्षा मिली थी। मकदुनिया के सम्राट् फिलिप का यह विश्वासपात्र था। यूनान से पूर्व की ओर प्रस्थान करते समय सिकंदर इसे मकदुनिया और यूनान का कार्यवाहक शासक नियुक्त कर गया था। इसने थ्रोस और स्पार्ता के विद्रोह को दबाया। सिकंदर की मृत्यु के बाद इसने मकदुनिया के शासन का पूर्ण भार अपने ऊपर ले लिया। लामियन के युद्ध में इसने यूनानियों को बुरी तरह हराया जो स्वतंत्र होने का प्रयास कर रहे थे। ई.पू.

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आइएसडीएन (ISDN)

आइएसडीएन (ISDN) टेलीफोन एकीकृत सेवा डिजिटल नेटवर्क (आइएसडीएन (ISDN)), पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क के परंपरागत परिपथों पर आवाज़, वीडियो, डाटा और अन्य नेटवर्क सेवाओं के समकालीन डिजिटल संचरण के संचार के मानकों का एक सेट है। आइएसडीएन (ISDN) से पहले, फोन सिस्टम को डाटा के लिए उपलब्ध कुछ विशेष सेवाओं के साथ आवाज़ के परिवहन के एक तरीके के रूप में देखा जाता था। आइएसडीएन (ISDN) की प्रमुख विशेषता यह है कि यह बातचीत और डाटा को उसी तर्ज पर एकीकृत करता है लेकिन इसके साथ कुछ ऐसी सुविधाओं को भी शामिल करता है जो पारंपरिक टेलीफोन सिस्टम में उपलब्ध नहीं थे। आइएसडीएन (ISDN) के एक्सेस अंतराफलक के कई प्रकार हैं जिन्हें मूल दर अंतराफलक (बीआरआई (BRI)), प्राथमिक दर अंतराफलक (पीआरआई (PRI)) और ब्रॉडबैंड आइएसडीएन (ISDN) (बी-आईएसडीएन (B-ISDN)) के रूप में परिभाषित किया जाता है। आइएसडीएन (ISDN) एक परिपथ-स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क सिस्टम है, जो पैकेट स्विच्ड नेटवर्कों में भी एक्सेस प्रदान करता है, जिसे साधारण टेलीफोन के तांबे के तारों पर आवाज़ और डाटा के डिजिटल संचरण की अनुमति प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप यह एक एनालॉग फोन की अपेक्षा संभावित रूप से बेहतर आवाज़ गुणवत्ता प्रदान करता है। यह 64 kilobit/s (किलोबिट/से) की वृद्धि में परिपथ-स्विच्ड कनेक्शन (या तो आवाज़ के लिए या डाटा के लिए) और पैकेट-स्विच्ड कनेक्शन (डाटा के लिए) प्रदान करता है। कुछ देशों में आइएसडीएन (ISDN) का एक प्रमुख बाज़ार अनुप्रयोग इंटरनेट एक्सेस है, जहां आइएसडीएन (ISDN) मिसाल के तौर पर अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों दिशाओं में अधिक से अधिक 128 kbit/s (किलोबिट/से) प्रदान करता है। बृहत्तर डाटा दर को प्राप्त करने के लिए आइएसडीएन (ISDN) के B-चैनलों को जोड़ा जा सकता है, मिसाल के तौर पर 3 या 4 बीआरआई (BRI) (6 से 8 64 kbit/s चैनल) को जोड़ा जाता है। आइएसडीएन (ISDN) को विशेष प्रोटोकॉल, जैसे Q.931 जिससे आइएसडीएन (ISDN) ओएसआई (OSI) मॉडल के सन्दर्भ में नेटवर्क, डाटा-लिंक और भौतिक परतों के रूप में कार्यरत है, के साथ इसके प्रयोग के लिए गलत नहीं समझना चाहिए। एक व्यापक अर्थ में आइएसडीएन (ISDN) को ओएसआई (OSI) मॉडल के परत 1, 2 और 3 पर मौजूद डिजिटल सेवाओं का एक समूह माना जा सकता है। आइएसडीएन (ISDN) को आवाज़ और डाटा सेवाओं में एक साथ एक्सेस प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बहरहाल, सामान्य प्रयोग ने आइएसडीएन (ISDN) को Q.931 और संबंधित प्रोटोकॉलों में सीमाबद्ध किये जाने के लिए इसमें कमी की गई है, जो परिपथ स्विच्ड कनेक्शनों की स्थापना करने और तोड़ने के लिए और उपयोगकर्ता के लिए उन्नत कॉल सुविधाओं के लिए प्रोटोकॉलों का एक सेट है। उनकी शुरुआत 1986 में की गई। एक वीडियोकॉन्फ्रेंस में आइएसडीएन (ISDN) व्यक्तिगत डेस्कटॉप वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग सिस्टमों और समूह (कक्ष) वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग सिस्टमों के बीच एकसाथ आवाज़, वीडियो और पाठ संचरण प्रदान करता है। .

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आइएसओ ३१६६ - १

देशों की सूची - ISO 3166-1.

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आकस्मिकवाद

आकस्मिकवाद (accidentalism) दार्शनिक मत; घटनाओं के अकारण घटित होने का सिद्धांत। यूनान के महान दार्शनिक प्लेटो ने इसका प्रतिपादन किया। सीमाविशेष तक अरस्तू भी इसके समर्थक थे। संसार की गतिविधि के संचालन में अनेक आकस्मिक संयोगों का विशेष महत्व है। अत: इत मत को आकस्मिकवाद कहा गया। पाश्चात्य देशों में वैज्ञानिक विवेचन का प्राधान्य होने पर इस विचारधारा की मान्यता नहीं रही। उत्तरकालीन यूनानी दार्शनिकों ने भी "विधि" और "कारण" को प्रधानता देकर आकस्मिकवाद के सिद्धांत को अस्वीकार किया। बौद्ध धर्म के व्यापक प्रसार के पूर्व भारत में आकस्मिकवाद की दार्शनिक मान्यता "यदृच्छावाद" के रूप में थी। ब्रह्मांड की संरचना और संचालन "आकस्मिकता" तथा "अकारणत्व" को कारण माना गया। सांख्य दर्शन में सूक्ष्म, अज्ञात और आकस्मिक तत्व को कार्य का प्रेरक बताया गया। भारतीय दर्शन में "आकस्मिकता" की "स्वेच्छा" तथा "अनवरतता" के रूप में भी मान्यता रही है। "आकस्मिकवाद" स्पष्टत: मानता है कि सृष्टि की सभी घटनाएँ तथा समस्त कार्य अकारण और संयोगवश संपन्न हो रहे हैं। इस मत के आलोचकों का कथन है कि "कारण" का सूक्ष्म स्वरूप ज्ञात न होने पर उसे भ्रमवश "आकस्मिक" और "संयोगबद्ध" कहना युक्तिसंगत नहीं है। अपने ज्ञान, कल्पना और साधनों के सीमित और असमर्थ होने के कारण ही हमें कार्य, घटना अथवा रचना के "कारण" का बोध नहीं हो पाता और इस स्थिति को "आकस्मिक" कह दिया जाता है। संप्रति "आकस्मिकवाद" वैज्ञानिक चिंतनविधि के कारण मान्य नहीं है। नीतिशास्त्रीय चिंतन में "आकस्मिकवाद" इस तथ्य का प्रतिपादन करता है कि मानसिक परिवर्तन आकस्मिक और अकारण भी होते हैं, तथा पूर्वनिश्चित कारणों एवं प्रेरक तत्वों के अभाव में भी स्वेच्छया संचालित मानसिक व्यापार स्वत: गतिशील रहते हैं; चित्रकला में "आकस्मिकवाद" प्रकाश के आकस्मिक प्रभावों के विवेचन से संबंधित हैं। श्रेणी:दर्शन श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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इटली

इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .

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इतिहास

बोधिसत्व पद्मपनी, अजंता, भारत। इतिहास(History) का प्रयोग विशेषत: दो अर्थों में किया जाता है। एक है प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाएँ और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा। इतिहास शब्द (इति + ह + आस; अस् धातु, लिट् लकार अन्य पुरुष तथा एक वचन) का तात्पर्य है "यह निश्चय था"। ग्रीस के लोग इतिहास के लिए "हिस्तरी" (history) शब्द का प्रयोग करते थे। "हिस्तरी" का शाब्दिक अर्थ "बुनना" था। अनुमान होता है कि ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो। इस प्रकार इतिहास शब्द का अर्थ है - परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह (जैसे कि लोक कथाएँ), वीरगाथा (जैसे कि महाभारत) या ऐतिहासिक साक्ष्य। इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है। या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है।Whitney, W. D. (1889).

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इराक का इतिहास

इराक का इतिहास मेसोपोटेमिया की अनेक प्राचीन सभ्यताओं का रहा है जिसकी वजह से इसे लिखित इतिहास के प्राचीनतम स्थल होने का सौभाग्य प्राप्त है। परंपराओं के अनुसार इराक में वह प्रसिद्ध नंदन वन था जिसे इंजील में "अंदन का बाग" की संज्ञा दी गई है और जहाँ मानव जाति के पूर्वज हज़रत आदम और आदिमाता हव्वा विचरण करते थे। इराक को "साम्राज्यों का खंडहर" भी कहा जाता है क्योंकि अनेक साम्राज्य यहाँ जन्म लेकर, फूल फलकर धूल में मिल गए। .

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इरैटोस्थनिज़

इरैटोस्थनिज़ द्वारा बनाया संसार का मानचित्र इरैटोस्थनिज़ (Eratosthenes; 276 इसापूर्व – c. 195/194 इसापूर्व) यूनान का गणितज्ञ, भूगोलविद, कवि, खगोलविद एवं संगीत सिद्धानतकार था। .

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कथासाहित्य (संस्कृत)

संस्कृत भाषा में निबद्ध कथाओं का प्रचुर साहित्य है जो सैकड़ों वर्षो से मनोरंजन करता हुआ उपदेश देता आ रहा है। कथासाहित्य से संबद्ध ग्रंथों के आलोचन से स्पष्ट हो जाता है कि संस्कृत साहित्य में तीनों प्रकार की कहानियों के उदाहरण मिलते हैं जो वर्तमान समय में पश्चिमी देशों में (१) फ़ेअरी टेल्स (परियों की कहानियाँ), (२) फ़ेबुल्स (जंतुकथाएँ) तथा (३) डायडेक्टिक टेल्स (उपदेशमयी कहानियाँ) कही जातीं हैं। .

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कला स्नातक

बैचलर ऑफ आर्ट, बी.ए. (baccalaureus artium, B.A.,BA,A.B., या AB) कला में एक शैक्षणिक उपाधि है।बैचलर ऑफ आर्ट एक स्नातक का विषय जो तीन या चार सालों में पूर्ण किया जाता है। इसमें कई विषय होते हैं - अंग्रेजी,विज्ञान,सामाजिक तथा इतिहास इत्यादि। इन देशों में 3 सालों का पाठ्यक्रम उपलब्ध है - यूरोपियन यूनियन, ऑस्ट्रेलिया, अल्बानिया, हर्जगोविनीया, बोसिना,भारत, न्यूज़ीलैण्ड, ईजराइल,आईलैण्ड,नार्वे,सिंगापुर,दक्षिण अफ्रिका, वेस्ट इंडिज़, स्विटर्जलैण्ड तथा कनाडा। इन देशों में 4 सालों का कोर्स उपलब्ध है - अफ़ग़ानिस्तान, लेबनान, अरमेनिया, यूनान, बांग्लादेश, अज़रबैजान, इजिप्ट, ईरान, जापान, नाईजीरिया, सर्बिया, पाकिस्तान, फ़िलीपिंस, थाईलैण्ड, रूस,आयरलैण्ड, ईराक,दक्षिण कोरिया, तुनुसिया, कुवैत तथा तुर्की। .

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कसौटी

कसौटी के समुच्चय (सेट) कसौटि (touchstone) एक छोटा, गहरा रंग (dark) पत्थर होता है (जैसे फिल्डस्टोन, स्लेट, लाइडाइट (lydite) आदि), जो स्वर्ण आदि मूल्यवान धातुओं को परखने के काम आती है। इसका तल अत्यन्त चिकना होता है जिस पर नरम धातुओं को रगड़ने से रेखा या निशान बन जाता है। स्वर्ण की विभिन्न मिश्रधातुएँ कसौटी पर अलग-अलग रंग का निशान बनाती हैं, इस आधार पर स्वर्ण की शुद्धता का आकलन किया जा सकता है। यह विधि प्राचीन काल से उपयोग में लायी जाती रही है। वर्तमान काल में कुछ अन्य परीक्षण भी किये जा सकते हैं। निशान के ऊपर समुचित सांद्रता का नाइट्रिक अम्ल या अम्लराज (aqua regia) डालने पर अलग अलग अभिक्रिया प्राप्त होती है जिससे स्वर्ण की शुद्धता का अन्दाजा हो जाता है। उदाहरण के लिये २४ कैरेट सोना से बना निशान अपरिवर्तित रहेगा जबकि १४ कैरेट सोना से बना निशान अभिक्रिया करेगा और उसमें बदलाव दिखेगा। .

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क़ुस्तुंतुनिया

क़ुस्तुंतुनिया या कांस्टैंटिनोपुल (यूनानी: Κωνσταντινούπολις कोन्स्तान्तिनोउपोलिस या Κωνσταντινούπολη कोन्स्तान्तिनोउपोली; लातीनी: Constantinopolis कोन्स्तान्तिनोपोलिस; उस्मानी तुर्कीयाई: قسطنطینية, Ḳosṭanṭīnīye कोस्तान्तिनिये‎), बोस्पोरुस जलसन्धि और मारमरा सागर के संगम पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो रोमन, बाइज़ेंटाइन, और उस्मानी साम्राज्य की राजधानी थी। 324 ई. में प्राचीन बाइज़ेंटाइन सम्राट कोन्स्टान्टिन प्रथम द्वारा रोमन साम्राज्य की नई राजधानी के रूप में इसे पुनर्निर्मित किया गया, जिसके बाद इन्हीं के नाम पर इसे नामित किया गया। .

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काबुल नदी

जलालाबाद में काबुल नदी के ऊपर बहसूद पुल बौद्ध शिल्पकारी से भरी गुफ़ाएँ काबुल नदी में साल के अधिकतर भाग में प्रवाह कम रहता है - नदी के एक अंश पर बना एक कच्चा पुल अफ़ग़ानिस्तान में काबुल नदी पर बना सरोबी जल-विद्युत बाँध काबुल नदी (पश्तो:, काबुल सीन्द; फ़ारसी:, दरिया-ए-काबुल; अंग्रेज़ी: Kabul River) एक ७०० किमी लम्बी नदी है जो अफ़ग़ानिस्तान में हिन्दु कुश पर्वतों की संगलाख़ शृंखला से शुरू होकर पाकिस्तान के अटक शहर के पास सिन्धु नदी में विलय हो जाती है। काबुल नदी पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान की मुख्य नदी है और इसका जलसम्भर हेलमंद नदी के जलसम्भर क्षेत्र से उनई दर्रे द्वारा विभाजित है। यह अफ़ग़ानिस्तान की काबुल, चहारबाग़​ और जलालाबाद शहरों से गुज़रकर तोरख़म से २५ किमी उत्तर में सरहद पार कर के पाकिस्तान में दाख़िल हो जाती है। अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल और उसके इर्द-गिर्द के काबुल प्रान्त का नाम इसी नदी पर पड़ा है।Cliffoed Edmund Bosworth, "Kabul".

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कारक

व्याकरण के सन्दर्भ में, किसी वाक्य, मुहावरा या वाक्यांश में संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ सम्बन्ध कारक कहलाता है। अर्थात् व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह अवस्था जिसके द्वारा वाक्य में उसका क्रिया के साथ संबंध प्रकट होता है उसे कारक कहते हैं। । कारक यह इंगित करता है कि वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम का काम क्या है। कारक कई रूपों में देखने को मिलता है-.

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कार्निवल

कोलोन, जर्मनी में रोसेनमोंटाग परेड में कार्निवल झांकियां. कार्निवल एक उत्सव का मौसम है जो लेंट से ठीक पहले पड़ता है; मुख्य कार्यक्रम आमतौर फरवरी के दौरान होते हैं। कार्निवल में आमतौर पर एक सार्वजनिक समारोह या परेड शामिल होता है जिसमें सर्कस के तत्त्व, मुखौटे और सार्वजनिक खुली पार्टियां की जाती हैं। समारोह के दौरान लोग अक्सर सजते संवरते हैं या बहुरुपिया बनते हैं, जो दैनिक जीवन के पलटाव को दर्शाता है। कार्निवल एक त्योहार है जिसे पारंपरिक रूप से रोमन कैथोलिक में आयोजित किया जाता है और एक हद तक पूर्वी रूढ़िवादी समाजों में भी.

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काला सागर आर्थिक सहयोग

काला सागर आर्थिक सहयोग संगठन; Black Sea Economic Cooperation: (BSEC), इस संगठन का उद्देश्य है काला सागर क्षेत्र के देशों के मध्य आर्थिक और तकनीक सहयोग में वृद्धि लाना तथा इसका मुख्यालय इस्तांबुल तुर्की में स्थित है। .

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काली मिर्च

thumb 'काली मिर्च' के काले तथा सफेद दाने वनस्पति जगत्‌ में पिप्पली कुल (Piperaceae) के मरिचपिप्पली (Piper nigrum) नामक लता सदृश बारहमासी पौधे के अधपके और सूखे फलों का नाम काली मिर्च (Pepper) है। पके हुए सूखे फलों को छिलकों से बिलगाकर सफेद गोल मिर्च बनाई जाती है जिसका व्यास लगभग ५ मिमी होता है। यह मसाले के रूप में प्रयुक्त होती है। .

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काग़ज़ का आकार

A आकार का चार्ट, आईएसओ A श्रृंखला और अमेरिकी लेटर तथा लीगल फौर्मेट्स के साथ तुलना को दर्शाता हुआ। अलग-अलग समय पर और विभिन्न देशों में कागज के कई मानक आकार दिए गए हैं, लेकिन आज एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय आईएसओ मानक (जिसमें A4 और इसके आसपास के आकार शामिल हैं) और उत्तरी अमेरिका में इस्तेमाल किये जाने वाले एक स्थानीय मानक का प्रयोग किया जाता है। .

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कांधार प्रान्त

कांधार या क़ंदहार (पश्तो: या, अंग्रेजी: Kandahar या Qandahar) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के दक्षिण में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ५४,०२२ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००९ में लगभग १० लाख अनुमानित की गई थी।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी ऐतिहासिक कांधार शहर है। यह प्रान्त पश्तो बोलने वाले पश्तून लोगों का क्षेत्र है। बहुत से इतिहासकार इसे तालिबान कट्टरवादी विचारधारा की जन्मभूमि मानते हैं। इसकी दक्षिणी सीमा पाकिस्तान से लगती है। .

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कु क्लुल्स क्लान

कू क्लक्स क्लान, जिसे अक्सर संक्षिप्त रूप से KKK व अनौपचारिक रूप से द क्लान नाम से जाना जाता है, विभिन्न पूर्व तथा वर्तमान अति दक्षिणपंथी घृणा समूहों का नाम है जिसका घोषित उद्देश्य हिंसा और भय के द्वारा संयुक्त राज्य अमरीका में श्वेत अमरीकियों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना है। ऐसे शुरुआती संगठनों का उदय दक्षिणी राज्यों में हुआ और अंततः उनका दायरा राष्ट्रीय स्तर तक फैल गया। उन्होंने आदर्श सफेद परिधान विकसित किया, जिसमें मुखौटे, पोशाक और शंक्वाकार टोप शामिल थे। KKK का रिकार्ड आतंकवाद का प्रयोग करने का रहा है, 1999 में, चार्ल्सटन, दक्षिण कैरोलिना की नगर परिषद ने एक प्रस्ताव पारित करके क्लान को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया। ऐसा ही एक प्रयास 2004 में किया गया था जब लुईसविल विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर ने क्लान को एक आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिये अभियान चलाया ताकि उसे परिसर से प्रतिबंधित किया जा सके.

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कुत्तों की नस्लों की सूची

चिहुआहुआ मिक्स (सबसे छोटा कुत्ता) के साथ ग्रेट डेन (सबसे बड़ा कुत्ता) हज़ारों सालों से कुत्तों का चयनात्मक तौर पर प्रजनन किया जाता रहा है। कभी एक ही वंश के कुत्तों के अन्तःप्रजनन द्वारा तो कभी बहुत अलग नस्ल के कुत्तों के मिश्रण द्वारा। यह प्रक्रिया आज भी जारी है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप संकर बीज की तरह विविध प्रकार के कुत्ते पैदा हो रहे हैं मसलन चिहुअहुआ से लेकर ग्रेट डेन तक। देखा जाये तो पृथ्वी पर कुत्ता ही एक ऐसा जानवर है, जिसके रूप-रंग में व्यापक भिन्नता पायी जाती है। यह सब कुत्तों के डीएनए में मनुष्य जाति की अपेक्षा लगभग दुगुने क्रोमोज़ोम होने की वजह से हुआ है। यह कुत्तों का डीएनए ही है जो उनके शारीरिक गठन और रूप-रंग की अत्यधिक विस्तृत भिन्नता को अनुमत करता है। .

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कुरुक्षेत्र युद्ध

कुरुक्षेत्र युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य कुरु साम्राज्य के सिंहासन की प्राप्ति के लिए लड़ा गया था। महाभारत के अनुसार इस युद्ध में भारत के प्रायः सभी जनपदों ने भाग लिया था। महाभारत व अन्य वैदिक साहित्यों के अनुसार यह प्राचीन भारत में वैदिक काल के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था। महाभारत-गीताप्रेस गोरखपुर,सौप्तिकपर्व इस युद्ध में लाखों क्षत्रिय योद्धा मारे गये जिसके परिणामस्वरूप वैदिक संस्कृति तथा सभ्यता का पतन हो गया था। इस युद्ध में सम्पूर्ण भारतवर्ष के राजाओं के अतिरिक्त बहुत से अन्य देशों के क्षत्रिय वीरों ने भी भाग लिया और सब के सब वीर गति को प्राप्त हो गये। महाभारत-गीताप्रेस गोरखपुर,भीष्मपर्व इस युद्ध के परिणामस्वरुप भारत में ज्ञान और विज्ञान दोनों के साथ-साथ वीर क्षत्रियों का अभाव हो गया। एक तरह से वैदिक संस्कृति और सभ्यता जो विकास के चरम पर थी उसका एकाएक विनाश हो गया। प्राचीन भारत की स्वर्णिम वैदिक सभ्यता इस युद्ध की समाप्ति के साथ ही समाप्त हो गयी। इस महान युद्ध का उस समय के महान ऋषि और दार्शनिक भगवान वेदव्यास ने अपने महाकाव्य महाभारत में वर्णन किया, जिसे सहस्राब्दियों तक सम्पूर्ण भारतवर्ष में गाकर एवं सुनकर याद रखा गया। महाभारत में मुख्यतः चंद्रवंशियों के दो परिवार कौरव और पाण्डव के बीच हुए युद्ध का वृत्तांत है। १०० कौरवों और पाँच पाण्डवों के बीच कुरु साम्राज्य की भूमि के लिए जो संघर्ष चला उससे अंतत: महाभारत युद्ध का सृजन हुआ। उक्त युद्ध को हरियाणा में स्थित कुरुक्षेत्र के आसपास हुआ माना जाता है। इस युद्ध में पाण्डव विजयी हुए थे। महाभारत में इस युद्ध को धर्मयुद्ध कहा गया है, क्योंकि यह सत्य और न्याय के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध था। महाभारत काल से जुड़े कई अवशेष दिल्ली में पुराना किला में मिले हैं। पुराना किला को पाण्डवों का किला भी कहा जाता है। कुरुक्षेत्र में भी भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा महाभारत काल के बाण और भाले प्राप्त हुए हैं। गुजरात के पश्चिमी तट पर समुद्र में डूबे ७०००-३५०० वर्ष पुराने शहर खोजे गये हैं, जिनको महाभारत में वर्णित द्वारका के सन्दर्भों से जोड़ा गया, इसके अलावा बरनावा में भी लाक्षागृह के अवशेष मिले हैं, ये सभी प्रमाण महाभारत की वास्तविकता को सिद्ध करते हैं। .

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कुषाण राजवंश

कुषाण प्राचीन भारत के राजवंशों में से एक था। कुछ इतिहासकार इस वंश को चीन से आए युएझ़ी लोगों के मूल का मानते हैं। कुछ विद्वानो इनका सम्बन्ध रबातक शिलालेख पर अन्कित शब्द गुसुर के जरिये गुर्जरो से भी बताते हैं। सर्वाधिक प्रमाणिकता के आधार पर कुषाण वन्श को चीन से आया हुआ माना गया है। लगभग दूसरी शताब्दी ईपू के मध्य में सीमांत चीन में युएझ़ी नामक कबीलों की एक जाति हुआ करती थी जो कि खानाबदोशों की तरह जीवन व्यतीत किया करती थी। इसका सामना ह्युगनु कबीलों से हुआ जिसने इन्हें इनके क्षेत्र से खदेड़ दिया। ह्युगनु के राजा ने ह्यूची के राजा की हत्या कर दी। ह्यूची राजा की रानी के नेतृत्व में ह्यूची वहां से ये पश्चिम दिशा में नये चरागाहों की तलाश में चले। रास्ते में ईली नदी के तट पर इनका सामना व्ह्सुन नामक कबीलों से हुआ। व्ह्सुन इनके भारी संख्या के सामने टिक न सके और परास्त हुए। ह्यूची ने उनके चरागाहों पर अपना अधिकार कर लिया। यहां से ह्यूची दो भागों में बंट गये, ह्यूची का जो भाग यहां रुक गया वो लघु ह्यूची कहलाया और जो भाग यहां से और पश्चिम दिशा में बढा वो महान ह्यूची कहलाया। महान ह्यूची का सामना शकों से भी हुआ। शकों को इन्होंने परास्त कर दिया और वे नये निवासों की तलाश में उत्तर के दर्रों से भारत आ गये। ह्यूची पश्चिम दिशा में चलते हुए अकसास नदी की घाटी में पहुँचे और वहां के शान्तिप्रिय निवासिओं पर अपना अधिकार कर लिया। सम्भवतः इनका अधिकार बैक्ट्रिया पर भी रहा होगा। इस क्ष्रेत्र में वे लगभग १० वर्ष ईपू तक शान्ति से रहे। चीनी लेखक फान-ये ने लिखा है कि यहां पर महान ह्यूची ५ हिस्सों में विभक्त हो गये - स्यूमी, कुई-शुआंग, सुआग्म,,। बाद में कुई-शुआंग ने क्यु-तिसी-क्यो के नेतृत्व में अन्य चार भागों पर विजय पा लिया और क्यु-तिसी-क्यो को राजा बना दिया गया। क्यु-तिसी-क्यो ने करीब ८० साल तक शासन किया। उसके बाद उसके पुत्र येन-काओ-ट्चेन ने शासन सम्भाला। उसने भारतीय प्रान्त तक्षशिला पर विजय प्राप्त किया। चीनी साहित्य में ऐसा विवरण मिलता है कि, येन-काओ-ट्चेन ने ह्येन-चाओ (चीनी भाषा में जिसका अभिप्राय है - बड़ी नदी के किनारे का प्रदेश जो सम्भवतः तक्षशिला ही रहा होगा)। यहां से कुई-शुआंग की क्षमता बहुत बढ़ गयी और कालान्तर में उन्हें कुषाण कहा गया। .

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क्योटो प्रोटोकॉल

क्योटो ग्रीनहाउस गैसों के वैश्विक उत्सर्जन में कटौती करने का इरादा है। उद्देश्य है,"स्थिरीकरण और ग्रीनहाउस गैस की सांद्रता के पुनर्निर्माण से जलवायु प्रणाली पर मानवजीवन के हानिकारक प्रभाव को रोकना." क्योटो जलवायु-परिवर्तन सम्मेलन का उद्देश्य था कानूनी तौर पर एक बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय समझौता स्थापन करना, जिससे सभी भाग लेने वाले राष्ट्रों ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे से निपटने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए खुद प्रतिबद्ध हुए.इस लक्ष्य के शिखर सम्मेलन में वर्ष 2012 में 1990 के स्तर से 5.2% की औसत कम करने पर सहमत हुए.

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क्रातेर (बासन)

राष्ट्रिय पुरातत्विक संग्राहलय में रखा हुआ है क्रातेर (यूनानी: κρατήρ) प्राचीन यूनान में मदिरा और पानी मिलाने के लिए इस्तेमाल होने वाला एक बड़ा बासन हुआ करता था। .

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क्रीटी लिपि

मिट्टी से बने छड़ पर क्रीटी लिपि में लिखा है। क्रीटी ग्रीस के क्रीट द्वीप की प्राचीन भाषा है। क्रीटी भाषा और लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी जिससे उसकी भाषा के प्राचीन रूप का पता चल सकना संभव न हो सका है। किंतु अधिकतर विद्वानों का मत है कि प्राचीन क्रीट की यह भाषा आर्येतर थी। वहाँ तक आर्यों की पहुँच होने से पहले ही वह मर चुकी थी। उसके दक्षिण सागर पार प्राचीन मिस्रियों की हामी सभ्यता थी, पूर्व में सुमेरियों और बाबुलियों की सामी सभ्यता उसे छापे हुए थी, जिससे आर्यों के संपर्क से वह वंचित रहा। क्रीट और उसके ग्रीक, लघुएशियाई नगरों का १५वीं सदी ई. पू.

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क्रीडांगन

कोलकाता का '''इडेन गार्डेन''' ग्रीस में इलिस (Elis) के मैदान में पहाड़ों एवं नदियों से घिरा हुआ एक मनोरम स्थान है जिसको ओलिंपिया (Olympia) कहते हैं। वहाँ दुनिया का पहला खेल का मैदान बना था। ग्रीक लोग इस बात में विश्वास करते थे कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क हो सकता है। उन्होंने खेल के महत्व को समझा और खेलों को अपनी सभ्यता में ऊँचा स्थान दिया। ग्रीस में लगभग हर बड़े शहर में व्यायामशाला (gymmasium) होती थी जिसमें शहर के नवयुवक जाकर कसरत करते थे। फिर उन्होंने बड़े बड़े खेल संगठित किए जिनमें सारे ग्रीस से नवयुवक आकर भाग लेते थे। इन खेलों में ओलिंपियन, पीथियन, निमियन तथा इस्थमियन (Olympian, Pythian, Nemean and Isthmian) बड़े मशहूर हैं। इन चारों खेलों में सबसे पुराने और सबसे बड़े ओलिंपियन खेल थे। ओलिंपियन खेल चार साल में एक बार होते थे और जिस महीने में ये होते थे उसमें आपस की लड़ाइयाँ और झगड़े बंद हो जाते थे ताकि नौजवान शांतिपूर्वक आकर उनमें भाग ले सकें और असंख्य दर्शक भी आ सकें। ओलिंपिया का मैदान बहुत बड़ा था जिसमें दर्शकों के बैठने की पर्याप्त जगह थी और बीच में दौड़ने का मैदान था। इसमें आदमी दौड़ते थे और रथों की दौड़ होती थी। फाँदने की जगह और कुश्ती के अखाड़े भी होते थे। करीब की पहाड़ी के ऊ पर जियस (Zeus) का मंदिर था जहाँ ओलिंपिक दौड़ में जीतनेवाले खिलाड़ी ले जाए जाते थे। ओलिंपिक एक दौड़ होती थी जो स्टेड (Stade) या 606 फुट की दूरी में होती थी। स्टेड से ही स्टेडियम (Stadium) शब्द बना। ग्रीस में स्थान स्थान पर ऐसे मैदान थे जहाँ पर दौड़नेवाले ओर देखनेवाले इकट्ठा होते थे। ग्रीस के बाद रोम में खेलों की बहुत चर्चा रही और रोमवासियों ने कई प्रकार के खेल के मैदान बनवाए। रोम में खेल सरकारी खर्चे पर होते थे तथा बहुधा त्योहारों के अवसर पर आयोजित किए जाते थे। लड़ाई जीतने की खुशी में, या किसी बड़े आदमी के मर जाने पर भी, रोम में खेल होते थे। रोमवासी खेलों के पीछे पागल थे, परंतु उन्हें ग्रीसवासियों की तरह खेल में स्वयं भाग लेने की चाह नहीं थी, वरन देखने का अधिक शौक था। रोम का सबसे बड़ा खेल का मैदान कोलोसियम (Colosseum) था, जिसके खंडहर अब भी मौजूद हैं। इसमें पचास हजार आदमी बैठ सकते थे। रोम के खेलों के मैदान में रथों और मामूली घोड़ों के अलावा और भी खेल होते थे, उदाहरणत: जंगली जानवरों की लड़ाई या जंगली पशुओं एवं आदमियों की लड़ाई। एक एक खेल में हजारों जानवर और सैकड़ों आदमी मारे जाते थे। कोलोसियम के निर्माण के अवसर पर जो खेल हुए थे उनमें 9,000 जानवर मारे गए थे। फिर इन मैदानों में ग्लैडिएटरों (Gladiators) की लड़ाई भी होती थी। ये लोग मामूली या लड़ाई के कैदी होते थे और आपस में जान की बाजी लगाकर लड़ते थे। जब कोई मारा जाता था तो मैदान दर्शकों के शोर गुल से गूँज उठता था। रोम में खेल के कुछ मैदान ऐसे भी थे जिनमें पानी भर दिया जाता था और एक झील बन जाती थी। इस झील में नियमित रूप से समुद्री लड़ाइयाँ होती थीं और बहुत आदमी मारे जाते थे। मध्य युग में खेल का महत्व समाप्त हो गया। 19वीं सदी तक खेल का कोई मैदान नहीं बना। सिर्फ स्पेन और मेक्सिको में साँड़ों की लड़ाई के कुछ मैदान बने। इन मैदानों में आदमी साँड़ों से लड़ते थे और हजारों आदमी उसका तमाशा देखते थे। ये लड़ाइयाँ स्पेन में अब भी होती थी। 19वीं सदी में यूरोपवालों ने खेल के महत्व को फिर से समझा और ओलिंपिक खेलों को पुनर्जीवित किया। आधुनिक युग में पहला ओलिंपिक खेल 1896 में एथेंस में आयोजित किया गया और उसके लिये संगमरमर का क्रीडांगण बनाया गया जिसमें 66 हजार आदमी बैठ सकते थे। तब से बराबर खेल के मैदान सारी दुनिया में बनते जा रहे हैं। 20वीं सदी में जितने क्रीडांगण बने हैं, उतने इतिहास के किसी काल में नहीं बने। केवल अमेरिका में ही सौ से ऊ पर खेल के मैदान बने हैं, जिनमें बंद एवं खुले दोनों प्रकार के मैदान शामिल हैं। लंदन, न्यूयार्क तथा शिकागो में बहुत बड़े बड़े ढँके हुए क्रीडांगण हैं। इनमें बैडमिंटन, टेनिस, बॉक्सिंग और बर्फ के खेल होते हैं। शिकागो का बंद क्रीडांगण इतना बड़ा है कि उसमें दो लाख आदमी आ सकते हैं। खेल के इन मैदानों का आकार भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है। कुछ मैदान गोल होते हैं, कुछ अंडे की शकल के, कुछ चौकोर और कुछ घोड़े की नाल की तरह। बीच में दौड़ने वालों के लिए क्रमश: ऊ ँची होती जानेवाले आसनों की श्रेणियाँ होती है। आजकल के स्टेडियम दर्शनीय होते हैं। इनके सीमेंट के भवन बहुत शानदार और सुंदर होते हैं। ओलिंपिक खेलों का आजकल ढंग यह होता है कि भिन्न-भिन्न देश उनको बारी बारी से अपने यहाँ आयोजित करते हैं। इसलिए जिस देश की बारी होती है उसमें एक बहुत बड़ा स्टेडियम तैयार हो जाता है। बहुत से देशों में आधुनिक स्टेडियम इसी प्रकार बने हैं। श्रेणी:खेल.

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क्रीत

क्नोसोस पुरातन स्थल पर मिनोआई सभ्यता के एक महल का खंडर यूनान और क्रीत का नक़्शा पारम्परिक क्रीती सामूहिक नाच वाई का तटीय इलाक़ा क्रीत या क्रीट (यूनानी: Κρήτη, क्रीति; अंग्रेज़ी: Crete, क्रीट) यूनान के द्वीपों में सब से बड़ा द्वीप है और भूमध्य सागर का पाँचवा सब से बड़ा द्वीप है। यह यूनान की आर्थिक व्यवस्था और यूनानी संस्कृति का बहुत महत्वपूर्ण अंग मन जाता है लेकिन इस द्वीप की अपनी एक अलग सांस्कृतिक पहचान भी है। आज से पाँच हज़ार साल पूर्व क्रीत "मिनोआई सभ्यता" नामक संस्कृति का केंद्र भी थी जो २७०० से १४२० ईसापूर्व के काल में फली-फूली और यूरोप की एक प्राचीनतम तहज़ीब मानी जाती है। Oxford Bibliographies Online: Classics .

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कैन्यनिंग

कैन्यनिंग (अमेरिका में कैन्यनियरिंग के रूप में ज्ञात) का अर्थ है घाटियों में विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए घूमना जिसमें अन्य आउटडोर गतिविधियां शामिल हो सकती हैं जैसे कि चलना, स्क्रैम्ब्लिंग (ढाल पर उतरना), चढ़ाई करना, कूदना, अब्सेलिंग (रस्सी के सहारे नीचे उतरना) और/अथवा तैरना.

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केन्द्रीय व्यवसायिक क्षेत्रों की सूची

केन्द्रीय व्यवसायिक क्षेत्रों की सूची में विभिन्न देशों के विभिन्न नगरों के केन्द्रीय व्यवसायिक क्षेत्र दिए गए हैं। .

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केसर

thumb केसर का पुष्प केसर (saffron) एक सुगंध देनेवाला पौधा है। इसके पुष्प की वर्तिकाग्र (stigma) को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन (saffron) कहते हैं। यह इरिडेसी (Iridaceae) कुल की क्रोकस सैटाइवस (Crocus sativus) नामक क्षुद्र वनस्पति है जिसका मूल स्थान दक्षिण यूरोप है, यद्यपि इसकी खेती स्पेन, इटली, ग्रीस, तुर्किस्तान, ईरान, चीन तथा भारत में होती है। भारत में यह केवल जम्मू (किस्तवार) तथा कश्मीर (पामपुर) के सीमित क्षेत्रों में पैदा होती हैं। प्याज तुल्य इसकी गुटिकाएँ (bulb) प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर में रोपी जाती हैं और अक्टूबर-दिसंबर तक इसके पत्र तथा पुष्प साथ निकलते हैं। केसर का क्षुप 15-25 सेंटीमीटर ऊँचा, परंतु कांडहीन होता है। पत्तियाँ मूलोभ्दव (radical), सँकरी, लंबी और नालीदार होती हैं। इनके बीच से पुष्पदंड (scapre) निकलता है, जिसपर नीललोहित वर्ण के एकाकी अथवा एकाधिक पुष्प होते हैं। पंखुडि़याँ तीन तीन के दो चक्रों में और तीन पीले रंग के पुंकेशर होते हैं। कुक्षिवृंत (style) नारंग रक्तवर्ण के, अखंड अथवा खंडित और गदाकार होते हैं। इनकी ऊपर तीन कुक्षियाँ, लगभग एक इंच लंबी, गहरे, लाल अथवा लालिमायुक्त हल्के भूरे रंग की होती हैं, जिनके किनारे दंतुर या लोमश होते हैं। केसर की गंध तीक्ष्ण, परंतु लाक्षणिक और स्वाद किंचित् कटु, परंतु रुचिकर, होता है। इसका उपयोग मक्खन आदि खाद्य द्रव्यों में वर्ण एवं स्वाद लाने के लिये किया जाता हैं। चिकित्सा में यह उष्णवीर्य, उत्तेजक, आर्तवजनक, दीपक, पाचक, वात-कफ-नाशक और वेदनास्थापक माना गया है। अत: पीड़ितार्तव, सर्दी जुकाम तथा शिर:शूलादि में प्रयुक्त होता है। केसर का वानस्पतिक नाम क्रोकस सैटाइवस (Crocus sativus) है। अंग्रेज़ी में इसे सैफरन (saffron) नाम से जाना जाता है। यह इरिडेसी (Iridaceae) कुल का क्षुद्र वनस्पति है जिसका मूल स्थान दक्षिण यूरोप है। 'आइरिस' परिवार का यह सदस्य लगभग 80 प्रजातियों में विश्व के विभिन्न भू-भागों में पाया जाता है। विश्व में केसर उगाने वाले प्रमुख देश हैं - फ्रांस, स्पेन, भारत, ईरान, इटली, ग्रीस, जर्मनी, जापान, रूस, आस्ट्रिया, तुर्किस्तान, चीन, पाकिस्तान के क्वेटा एवं स्विटज़रलैंड। आज सबसे अधिक केसर उगाने का श्रेय स्पेन को जाता है, इसके बाद ईरान को। कुल उत्पादन का 80% इन दोनों देशों में उगाया जा रहा है, जो लगभग 300 टन प्रतिवर्ष है। भारत में केसर केसर विश्व का सबसे कीमती पौधा है। केसर की खेती भारत में जम्मू के किश्तवाड़ तथा जन्नत-ए-कश्मीर के पामपुर (पंपोर) के सीमित क्षेत्रों में अधिक की जाती है। केसर यहां के लोगों के लिए वरदान है। क्योंकि केसर के फूलों से निकाला जाता सोने जैसा कीमती केसर जिसकी कीमत बाज़ार में तीन से साढ़े तीन लाख रुपये किलो है। परंतु कुछ राजनीतिक कारणों से आज उसकी खेती बुरी तरह प्रभावित है। यहां की केसर हल्की, पतली, लाल रंग वाली, कमल की तरह सुन्दर गंधयुक्त होती है। असली केसर बहुत महंगी होती है। कश्मीरी मोंगरा सर्वोतम मानी गई है। एक समय था जब कश्मीर का केसर विश्व बाज़ार में श्रेष्ठतम माना जाता था। उत्तर प्रदेश के चौबटिया ज़िले में भी केसर उगाने के प्रयास चल रहे हैं। विदेशों में भी इसकी पैदावार बहुत होती है और भारत में इसकी आयात होती है। जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से सिर्फ 20 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटे शहर पंपोर के खेतों में शरद ऋतु के आते ही खुशबूदार और कीमती जड़ी-बूटी ‘केसर’ की बहार आ जाती है। वर्ष के अधिकतर समय ये खेत बंजर रहते हैं क्योंकि ‘केसर’ के कंद सूखी ज़मीन के भीतर पनप रहे होते हैं, लेकिन बर्फ़ से ढकी चोटियों से घिरे भूरी मिट्टी के मैदानों में शरद ऋतु के अलसाये सूर्य की रोशनी में शरद ऋतु के अंत तक ये खेत बैंगनी रंग के फूलों से सज जाते हैं। और इस रंग की खुशबू सारे वातावरण में बसी रहती है। इन केसर के बैंगनी रंग के फूलों को हौले-हौले चुनते हुए कश्मीरी लोग इन्हें सावधानी से तोड़ कर अपने थैलों में इक्ट्ठा करते हैं। केसर की सिर्फ 450 ग्राम मात्रा बनाने के लिए क़रीब 75 हज़ार फूल लगते हैं। केसर का पौधा 'केसर' को उगाने के लिए समुद्रतल से लगभग 2000 मीटर ऊँचा पहाड़ी क्षेत्र एवं शीतोष्ण सूखी जलवायु की आवश्यकता होती है। पौधे के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहता है। यह पौधा कली निकलने से पहले वर्षा एवं हिमपात दोनों बर्दाश्त कर लेता है, लेकिन कलियों के निकलने के बाद ऐसा होने पर पूरी फसल चौपट हो जाती है। मध्य एवं पश्चिमी एशिया के स्थानीय पौधे केसर को कंद (बल्ब) द्वारा उगाया जाता है। केसर का पौधा सुगंध देनेवाला बहुवर्षीय होता है और क्षुप 15 से 25 सेमी (आधा गज) ऊंचा, परंतु कांडहीन होता है। इसमें घास की तरह लंबे, पतले व नोकदार पत्ते निकलते हैं। जो मूलोभ्दव (radical), सँकरी, लंबी और नालीदार होती हैं। इनके बीच से पुष्पदंड (scapre) निकलता है, जिस पर नीललोहित वर्ण के एकाकी अथवा एकाधिक पुष्प होते हैं। अप्रजायी होने की वजह से इसमें बीज नहीं पाए जाते हैं। प्याज तुल्य केसर के कंद / गुटिकाएँ (bulb) प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर माह में बोए जाते हैं, जो दो-तीन महीने बाद अर्थात नवंबर-दिसंबर तक इसके पत्र तथा पुष्प साथ निकलते हैं। इसके पुष्प की शुष्क कुक्षियों (stigma) को केसर, कुंकुम, जाफरान अथवा सैफ्रन (saffron) कहते हैं। इसमें अकेले या 2 से 3 की संख्या में फूल निकलते हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी, नीला एवं सफेद होता है। ये फूल कीपनुमा आकार के होते हैं। इनके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं। इस मादा भाग को वर्तिका (तन्तु) एवं वर्तिकाग्र कहते हैं। यही केसर कहलाता है। प्रत्येक फूल में केवल तीन केसर ही पाए जाते हैं। लाल-नारंगी रंग के आग की तरह दमकते हुए केसर को संस्कृत में 'अग्निशाखा' नाम से भी जाना जाता है। इन फूलों में पंखुडि़याँ तीन-तीन के दो चक्रों में और तीन पीले रंग के पुंकेशर होते हैं। कुक्षिवृंत (style) नारंग रक्तवर्ण के, अखंड अथवा खंडित और गदाकार होते हैं। इनके ऊपर तीन कुक्षियाँ, लगभग एक इंच लंबी, गहरे, लाल अथवा लालिमायुक्त हल्के भूरे रंग की होती हैं, जिनके किनारे दंतुर या लोमश होते हैं। इन फूलों की इतनी तेज़ खुशबू होती है कि आसपास का क्षेत्र महक उठता है। केसर की गंध तीक्ष्ण, परंतु लाक्षणिक और स्वाद किंचित् कटु, परंतु रुचिकर, होता है। इसके बीज आयताकार, तीन कोणों वाले होते हैं जिनमें से गोलकार मींगी निकलती है। 'केसर को निकालने के लिए पहले फूलों को चुनकर किसी छायादार स्थान में बिछा देते हैं। सूख जाने पर फूलों से मादा अंग यानि केसर को अलग कर लेते हैं। रंग एवं आकार के अनुसार इन्हें - मागरा, लच्छी, गुच्छी आदि श्रेणियों में वर्गीकत करते हैं। 150000 फूलों से लगभग 1 किलो सूखा केसर प्राप्त होता है। 'केसर' खाने में कड़वा होता है, लेकिन खुशबू के कारण विभिन्न व्यंजनों एवं पकवानों में डाला जाता है। इसका उपयोग मक्खन आदि खाद्य द्रव्यों में वर्ण एवं स्वाद लाने के लिये किया जाता हैं। गर्म पानी में डालने पर यह गहरा पीला रंग देता है। यह रंग कैरेटिनॉयड वर्णक की वजह से होता है। यह घुलनशील होता है, साथ ही अत्यंत पीला भी। प्रमुख वर्णको में कैरोटिन, लाइकोपिन, जियाजैंथिन, क्रोसिन, पिकेक्रोसिन आदि पाए जाते हैं। इसमें ईस्टर कीटोन एवं वाष्पशील सुगंध तेल भी कुछ मात्रा में मिलते हैं। अन्य रासायनिक यौगिकों में तारपीन एल्डिहाइड एवं तारपीन एल्कोहल भी पाए जाते हैं। इन रासायनिक एवं कार्बनिक यौगिकों की उपस्थिति केसर को अनमोल औषधि बनाती है। केसर की रासायनिक बनावट का विश्लेषण करने पर पता चला हैं कि इसमें तेल 1.37 प्रतिशत, आर्द्रता 12 प्रतिशत, पिक्रोसीन नामक तिक्त द्रव्य, शर्करा, मोम, प्रटीन, भस्म और तीन रंग द्रव्य पाएं जाते हैं। अनेक खाद्य पदार्थो में केसर का उपयोग रंजन पदार्थ के रूप में किया जाता है। .

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कॉप्टिक भाषा

कॉप्टिक या कोप्ती मिस्र की एक भाषा थी जो १७वीं शताब्दी तक लुप्त हो गयी। यह प्राचीन मिस्रियों के आधुनिक वंशधर कोप्तों (किब्त, कुब्त) की भाषा थी। कोपी भाषा उस प्राचीन मिस्री से निकली थी जो स्वयं चित्रलिपिक (हिरोग्लिफ़िक), पुरोहिती (हिरेतिक), देमोतिक आदि अनेक रूपों में लिखी गई। दीर्घकाल तक, ग्रीक भाषा के घने प्रभाव के बावजूद, कोप्ती अपनी निजता बनाए रही। अरबों की मिस्र विजय ने नि:संदेह इसपर अपना गहरा प्रभाव डाला और अरबी प्राय: इसे आत्मसात् कर गई। १७वीं सदी ईसवी तक पहुँचते-पहुँचते इसके अस्तित्व का लोप हो गया। दूसरी सदी ईसवी में देमोतिक से मिलीजुली वह जंतर-मंतर के उपयोग के लिए लिखी जाने लगी थी। तब तक उसका रूप प्राय: शुद्ध प्राचीन था। प्राचीन कोप्ती की अपनी अनेक जनबोलियाँ भी थीं जिनमें तीन - साहीदी, अख़मीमी और फ़ायूमी प्रधान थीं। ग्रीक भाषा प्रभावित इन बोलियों का उपयोग अधिकतर १३वीं सदी तक होता रहा, पर अरबी के बढ़ते हुए प्रभाव और प्रयोग के धीरे-धीरे इसका अस्तित्व मिटा दिया। इनके धार्मिक साहित्यों की व्याख्या तक अरबी में होने लगी। स्वयं कोप्तों ने १०वीं सदी से ही अरबी में लिखना-पढ़ना शुरू कर दिया था, यद्यपि कोप्ती का साहित्यिक व्यवहार एक अंश में १४वीं सदी तक जहाँ-तहाँ दीख जाता है। प्राय: पिछले ३०० वर्षों से बोली जानेवाली भाषा के रूप में कोप्ती का उपयोग उठ गया है। साधारणत: माना जाता है कि कोप्त जाति और भाषा का संबंध मिस्र के उस कुफ्त गाँव से है जो नील नदी के पूर्वी तट पर प्राचीन थीब्ज़ से प्राय: ३५ किमी उत्तर-पूर्व आज भी खड़ा है। कोप्त लोग ईसा की तीसरी चौथी सदी में ईसाई हो गए थे। वस्तुत: प्राचीन मिस्री ईसाइयों का ही नाम कोप्त पड़ा और उनकी भाषा कोप्ती कहलाई। इसकी जनबोली साहीदी बियाई जनपद में बोली जाती थी, जैसे अख़मीमी अख़मीम के पड़ोस में और फ़ायुमी फ़ायूम के आस पास मिस्र के मध्य भाग में, मेंफ़िस तक। बोहाइरी नाम की कोप्ती बोली डेल्टा के उत्तर-पश्चिमी भाग में बोली जाती थी। इसमें लिखा नवीं सदी का ईसाई साहित्य आज भी उपलब्ध है। कोप्ती का प्राय: समूचा साहित्य धार्मिक है जो मूलत: ग्रीक से अनूदित है। साहीदी, अख़मीमी और फ़ायूमी तीनों में बाइबिल की पुरानी और नई दोनों पोथियों के अनुवाद ४५० ई. से पूर्व ही प्रस्तुत हो चुके थे। धर्मेतर विषयों का बहुत थोड़ा साहित्य कोप्ती में लिखा गया या आज बच रहा है। इसमें कुछ तो झाड़-फूँक या जंतर-मंतर संबंधी प्रयोग हैं, कुछ चिकित्सा से संबंधित हैं, कुछ में सिकन्दर और मिस्रविजेता प्राचीन ईरानी सम्राट् कंबुजीय की जीवन की घटनाएँ हैं। १३वीं-१४वीं सदी में काप्ती का यह रूप भी अरबी के प्रभाव से मिट गया। श्रेणी:विश्व की भाषाएँ.

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कोर्सिका

कोर्सिका (Corse; Corsican and Italian: Corsica) भूमध्य सागर में स्थित एक द्वीप है। यह फ्रान्स के १३ क्षेत्रों में से एक है। यह दक्षिणी फ्रांस से 105 मील और उत्तर-पश्चिमी इटली से 56 मील की दूरी पर स्थित है। इस द्वीप का दो तिहाई भाग एक ही पर्वत-शृंखला से निर्मित है। .

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कोसतास मरताकिस

कोन्सटान्टीनोस "कोसतास" मरताकिस (Κώστας Μαρτάκης) यूनानी गायक और मॉडल हैं। मरताकिस ने 2006 में अल्फ़ा टीवी पर प्रसारित हुए प्रतिभा कार्यक्रम ड्रीम शो में भाग लिया तथा इसके द्वारा इन्हें ख्याति प्राप्त हुई। कार्यक्रम में अपनी भागीदारी के पश्चात् इन्होंने तीन स्टूडियो एल्बम रिलीज़ किए तथा यूरोविज़न गीत प्रतियोगिता 2008 में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। 2011 में मरताकिस ने अमेरिकी नृत्य कार्यक्रम डांसिंग विद द स्टार्स के यूनानी संस्करण के द्वितीय सीज़न में हिस्सा लिया और दूसरा स्थान अर्जित किया। .

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अचार बनाना

अचार बनाने के लिए एकत्रित किए गए खीरे (विशेष रूप से, घेर्किन). सीरिया के मध्य पूर्व शैली अचार. अचार बनाना, जिसे ब्राइनिंग या डिब्बाबंदी के नाम से भी जाना जाता है, लैक्टिक एसिड बनाने के लिए, या खाद्य पदार्थ को किसी अम्लीय घोल, सामान्यतः सिरका (एसेटिक एसिड) में मसाले लगाकर संग्रहीत करने के लिए लवण (नमक और पानी का घोल) में वातनिरपेक्ष किण्वन द्वारा खाद्य पदार्थ संरक्षित करने की एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के बाद तैयार होने वाले खद्य पदार्थ को अचार कहा जाता है। इस प्रक्रिया से खाद्य पदार्थ का स्वाद नमकीन या खट्टा हो जाता है। दक्षिण एशिया में, खाद्य तेलों का उपयोग सिरका के साथ अचार बनाने के माध्यम के रूप में किया जाता है। एक और ख़ास विशेषता यह है कि इसका pH, 4.6 से कम होता है, जो अधिकांश बैक्टीरिया को मारने के लिए पर्याप्त है। अचार बनाकर विकारी खाद्य पदार्थों को भी महीनों तक संरक्षित किया जा सकता है। सुक्ष्मजीवीरोधी जड़ी बूटियों और मसालें, जैसे सरसों के बीज, लहसुन दालचीनी या लौंग अक्सर लिलाए जाते हैं। अगर खाद्य पदार्थ में पर्याप्त नमी हो, तो अचार बनाने का लवण केवल सूखा नमक मिलाकर बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, गोभी और कोरियाई किमची अतिरिक्त पानी से सब्जियों को बाहर निकालकर उनमें नमक लगाकर बनाया जाता है। लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया से, कमरे के तापमान पर प्राकृतिक किण्वन आवश्यक अम्लता का निर्माण करता है। अन्य अचार सिरका में सब्जियों को रखकर बनाए जाते हैं। डिब्बाबंदी प्रक्रिया के विपरीत, अचार बनाने (जिसमें किण्वन शामिल है) के लिए सील किए जाने से पहले खाद्य पदार्थ को को पूरी तरह से रोगाणुहीन करने की आवश्यकता नहीं होती है। घोल की अम्लता या लवणता, किण्वन का तापमान और ऑक्सीजन का बहिष्करण जिस पर सूक्ष्मजीव हावी होते हैं, उत्पाद के स्वाद को निर्धारित करती है।मैकगी, हेरोल्ड (2004).

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अटलांटिक महासागर

ग्लोब पर अंध महासागर की स्थिति अन्ध महासागर या अटलांटिक महासागर उस विशाल जलराशि का नाम है जो यूरोप तथा अफ्रीका महाद्वीपों को नई दुनिया के महाद्वीपों से पृथक करती है। क्षेत्रफल और विस्तार में दुनिया का दूसरे नंबर का महासागर है जिसने पृथ्वी का १/५ क्षेत्र घेर रखा है। इस महासागर का नाम ग्रीक संस्कृति से लिया गया है जिसमें इसे नक्शे का समुद्र भी बोला जाता है। इस महासागर का आकार लगभग अंग्रेजी अक्षर 8 के समान है। लंबाई की अपेक्षा इसकी चौड़ाई बहुत कम है। आर्कटिक सागर, जो बेरिंग जलडमरूमध्य से उत्तरी ध्रुव होता हुआ स्पिट्सबर्जेन और ग्रीनलैंड तक फैला है, मुख्यतः अंधमहासागर का ही अंग है। इस प्रकार उत्तर में बेरिंग जल-डमरूमध्य से लेकर दक्षिण में कोट्सलैंड तक इसकी लंबाई १२,८१० मील है। इसी प्रकार दक्षिण में दक्षिणी जार्जिया के दक्षिण स्थित वैडल सागर भी इसी महासागर का अंग है। इसका क्षेत्रफल इसके अंतर्गत समुद्रों सहित ४,१०,८१,०४० वर्ग मील है। अंतर्गत समुद्रों को छोड़कर इसका क्षेत्रफल ३,१८,१४,६४० वर्ग मील है। विशालतम महासागर न होते हुए भी इसके अधीन विश्व का सबसे बड़ा जलप्रवाह क्षेत्र है। उत्तरी अंधमहासागर के पृष्ठतल की लवणता अन्य समुद्रों की तुलना में पर्याप्त अधिक है। इसकी अधिकतम मात्रा ३.७ प्रतिशत है जो २०°- ३०° उत्तर अक्षांशों के बीच विद्यमान है। अन्य भागों में लवणता अपेक्षाकृत कम है। .

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अधिकार

अधिकार, किसी वस्तु को प्राप्त करने या किसी कार्य को संपादित करने के लिए उपलब्ध कराया गया किसी व्यक्ति की कानूनसम्मत या संविदासम्मत सुविधा, दावा या विशेषाधिकार है। कानून द्वारा प्रदत्त सुविधाएँ अधिकारों की रक्षा करती हैं। दोनों का अस्तित्व एक-दूसरे के बिना संभव नहीं। जहाँ कानून अधिकारों को मान्यता देता है वहाँ इन्हें लागू करने या इनकी अवहेलना पर नियंत्रण स्थापित करने की व्यवस्था भी करता है। .

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अनसमझी लिपियाँ

अनसमझी लिपियाँ (undeciphered writing systems) ऐसी लिपियाँ हैं जिन्हें पढ़ सकना आधुनिक काल में सम्भव नहीं हो पाया है। विश्व में ऐसी कई लिपियाँ हैं जिनका प्रयोग इतिहास में हुआ करता था लेकिन जिन्हें वर्तमान में कोई भी जीवित व्यक्ति प्रमाणित रूप से नहीं पढ़ पाया है। भारतीय इतिहास की सिन्धु लिपि, जिसका प्रयोग ३५०० ईसापूर्व से जाना गया है, इसी श्रेणी में आती है। इसकी एक और मिसाल यूनान की रेखीय ए लिपि है। .

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अनुमान

अनुमान, दर्शन और तर्कशास्त्र का पारिभाषिक शब्द है। भारतीय दर्शन में ज्ञानप्राप्ति के साधनों का नाम प्रमाण हैं। अनुमान भी एक प्रमाण हैं। चार्वाक दर्शन को छोड़कर प्राय: सभी दर्शन अनुमान को ज्ञानप्राप्ति का एक साधन मानते हैं। अनुमान के द्वारा जो ज्ञान प्राप्त होता हैं उसका नाम अनुमिति हैं। प्रत्यक्ष (इंद्रिय सन्निकर्ष) द्वारा जिस वस्तु के अस्तित्व का ज्ञान नहीं हो रहा हैं उसका ज्ञान किसी ऐसी वस्तु के प्रत्यक्ष ज्ञान के आधार पर, जो उस अप्रत्यक्ष वस्तु के अस्तित्व का संकेत इस ज्ञान पर पहुँचने की प्रक्रिया का नाम अनुमान है। इस प्रक्रिया का सरलतम उदाहरण इस प्रकार है-किसी पर्वत के उस पार धुआँ उठता हुआ देखकर वहाँ पर आग के अस्तित्व का ज्ञान अनुमिति है और यह ज्ञान जिस प्रक्रिया से उत्पन्न होता है उसका नाम अनुमान है। यहाँ प्रत्यक्ष का विषय नहीं है, केवल धुएँ का प्रत्यक्ष ज्ञान होता है। पर पूर्वकाल में अनेक बार कई स्थानों पर आग और धुएँ के साथ-साथ प्रत्यक्ष ज्ञान होने से मन में यह धारणा बन गई है कि जहाँ-जहाँ धुआँ होता है वहीं-वहीं आग भी होती है। अब जब हम केवल धुएँ का प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं और हमको यह स्मरण होता है कि जहाँ-जहाँ धुआँ है वहाँ-वहाँ आग होती है, तो हम सोचते हैं कि अब हमको जहाँ धुआँ दिखाई दे रहा हैं वहाँ आग अवश्य होगी: अतएव पर्वत के उस पार जहाँ हमें इस समय धुएँ का प्रत्यक्ष ज्ञान हो रहा है अवश्य ही आग वर्तमान होगी। इस प्रकार की प्रक्रिया के मुख्य अंगों के पारिभाषिक शब्द ये हैं.

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अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली

अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली (संक्षेप में SI; फ्रेंच Le Système International d'unités का संक्षिप्त रूप), मीटरी पद्धति का आधुनिक रूप है। इसे सामान्य रूप में दशमलव एवं दस के गुणांकों में बनाया गया है। यह विज्ञान एवं वाणिज्य के क्षेत्र में विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली प्रणाली है। पुरानी मेट्रिक प्रणाली में कई इकाइयों के समूह प्रयोग किए जाते थे। SI को 1960 में पुरानी मीटर-किलोग्राम-सैकण्ड यानी (MKS) प्रणाली से विकसित किया गया था, बजाय सेंटीमीटर-ग्राम-सैकण्ड प्रणाली की, जिसमें कई कठिनाइयाँ थीं। SI प्रणाली स्थिर नहीं रहती, वरन इसमें निरंतर विकास होते रहते हैं, परंतु इकाइयां अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के द्वारा ही बनाई और बदली जाती हैं। यह प्रणाली लगभग विश्वव्यापक स्तर पर लागू है और अधिकांश देश इसके अलावा अन्य इकाइयों की आधिकारिक परिभाषाएं भी नहीं समझते हैं। परंतु इसके अपवाद संयुक्त राज्य अमरीका और ब्रिटेन हैं, जहाँ अभी भी गैर-SI इकाइयों उनकी पुरानी प्रणालियाँ लागू हैं।भारत मॆं यह प्रणाली 1 अप्रैल, 1957 मॆं लागू हुई। इसके साथ ही यहां नया पैसा भी लागू हुआ, जो कि स्वयं दशमलव प्रणाली पर आधारित था। इस प्रणाली में कई नई नामकरण की गई इकाइयाँ लागू हुई। इस प्रणाली में सात मूल इकाइयाँ (मीटर, किलोग्राम, सैकण्ड, एम्पीयर, कैल्विन, मोल, कैन्डेला, कूलम्ब) और अन्य कई व्युत्पन्न इकाइयाँ हैं। कुछ वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में एस आई प्रणाली के साथ अन्य इकाइयाँ भी प्रयोग में लाई जाती हैं। SI उपसर्गों के माध्यम से बहुत छोटी और बहुत बड़ी मात्राओं को व्यक्त करने में सरलता होती है। तीन राष्ट्रों ने आधिकारिक रूप से इस प्रणाली को अपनी पूर्ण या प्राथमिक मापन प्रणाली स्वीकार्य नहीं किया है। ये राष्ट्र हैं: लाइबेरिया, म्याँमार और संयुक्त राज्य अमरीका। .

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अन्तरराष्ट्रीय विधि

अन्तर्राष्ट्रीय विधि (International law) से आशय उन नियमों से है जो स्वतंत्र देशों के बीच परस्पर सम्बन्धों (विवादों) के निपटारे के लिये लागू होते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय कानून किसी देश के अपने कानून से इस अर्थ में भिन्न है कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून दो देशों के सम्बन्धों के लिए लागू होता है न कि दो या अधिक नागरिकों के बीच। .

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अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति

अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) (International Olympic Committee (IOC); Comité international olympique (CIO)) एक अन्तर्राष्ट्रीय समिति है जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैण्ड के लॉज़ेन में स्थित है। इसकी स्थापना पियरे डे कोबेर्टिन ने 23 जून 1894 को कि थी तथा यूनानी व्यापारी देमित्रिस विकेलस इसके प्रथम अध्यक्ष बने थे। वर्तमान समय में विश्व की कुल 205 राष्ट्रीय ओलम्पिक समितिया (एनओसी) इसकी सदस्य हैं। .

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अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन के सदस्य राष्ट्र

अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन में राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन के सदस्यओं की सूची है। अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन का चिन्ह .

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अपोलो

अपोलो (अंग्रेज़ी::en:Apollo; यूनानी: Aπollων अपोल्लोन) प्राचीन यूनानी धर्म (ग्रीक धर्म) और प्राचीन रोमन धर्म के सर्वोच्च देवताओं में से एक थे। उनके लिये प्राचीन यूनान (ग्रीस) और इटली में कई ख़ूबसूरत मंदिर थे, जहाँ उनके नाम पर पशुबलि चढ़ाई जाती थे। वो प्रकाश, कविता, नृत्य, संगीत, चिकित्सा, भविष्यवाणी और खेल के देवता थे। वो आदर्श पुरुष-सौन्दर्य और यौवन का प्रतिनिधित्व करते थे। मूर्तियों में उनके अत्यधिक ख़ूबसूरत (नग्न) युवा के समान दिखाया जाता था। उनके कई पुरुष-प्रेमी (यूनानी मिथकों के अनुसार) भी थे। वो ख़ास तौर पर व्यायामशाला में युवाओं के इष्टदेव थे और डेल्फ़ी की देववाणी उन्हीं को समर्पित थी। अपोलो अपोलो श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अभिनय

अभिनय करती हुई श्रीनिका पुरोहित अभिनय किसी अभिनेता या अभिनेत्री के द्वारा किया जाने वाला वह कार्य है जिसके द्वारा वे किसी कथा को दर्शाते हैं, साधारणतया किसी पात्र के माध्यम से। अभिनय का मूल ग्रन्थ नाट्यशास्त्र माना जाता है। इसके रचयिता भरतमुनि थे। जब प्रसिद्ध या कल्पित कथा के आधार पर नाट्यकार द्वारा रचित रूपक में निर्दिष्ट संवाद और क्रिया के अनुसार नाट्यप्रयोक्ता द्वारा सिखाए जाने पर या स्वयं नट अपनी वाणी, शारीरिक चेष्टा, भावभंगी, मुखमुद्रा वेषभूषा के द्वारा दर्शकों को, शब्दों को शब्दों के भावों का प्रिज्ञान और रस की अनुभूति कराते हैं तब उस संपूर्ण समन्वित व्यापार को अभिनय कहते हैं। भरत ने नाट्यकारों में अभिनय शब्द की निरुक्ति करते हुए कहा है: "अभिनय शब्द 'णीं' धातु में 'अभि' उपसर्ग लगाकर बना है। अभिनय का उद्देश्य होता है किसी पद या शब्द के भाव को मुख्य अर्थ तक पहुँचा देना; अर्थात्‌ दर्शकों या सामाजिकों के हृदय में भाव या अर्थ से अभिभूत करना"। कविराज विश्वनाथ ने सहित्य दर्पण के छठे परिच्छेद के आरम्भ में कहा है: 'भवेदभिनयोSवस्थानुकार:' अर्थात् अवस्था का अनुकरण ही अभिनय कहलाता है। अभिनय करने की प्रवृत्ति बचपन से ही मनुष्य में तथा अन्य अनेक जीवों में होती है। हाथ, पैर, आँख, मुंह, सिर चलाकर अपने भाव प्रकट करने की प्रवृत्ति सभ्य और असभ्य जातियों में समान रूप से पाई जाती है। उनके अनुकरण कृत्यों का एक उद्देश्य तो यह रहता है कि इससे उन्हें वास्तविक अनुभव जैसा आनंद मिलता है और दूसरा यह कि इससे उन्हें दूसरों को अपना भाव बताने में सहायता मिलती है। इसी दूसरे उद्देश्य के कारण शारीरिक या आंगिक चेष्टाओं और मुखमुद्राओं का विकास हुआ जो जंगली जातियों में बोली हुई भाषा के बदले या उसकी सहायक होकर अभिनय प्रयोग में आती है। .

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अरियाद्ने

अरियाद्ने यूनान की पौराणिक कथाओं में क्रीत के राजा मिनोस् और सूर्य की पुत्री पासीफ़ाए की कन्या। 'अरियाद्ने' (अथवा अरियाग्ने) का अर्थ 'अत्यंत पूज्य' है। जब थेसियस् और उसके साथी वार्षिक बलि के रूप में क्रीत पहुँचे और नगर में उनकी यात्रा निकली तब राजकन्या अरियाद्ने थेसियस् के रूप पर मुग्ध हो गई। उसने भूल-भुलइयों में रहनेवाले मिनोतोर (मिनोस् के नर वृषभ) को मारने और वहाँ से डोरी के सहारे निकल आने में थेसियस् की सहायता की। इसके उपरांत वह थेसियस् के साथ भाग आई। एथेंस लौटते समय थेसियस् ने या तो नाक्सौस् द्वीप में उसकी हत्या कर दी, अथवा उसका परित्याग कर दिया। इसके उपरांत दियोनीसस् ने उसके साथ विवाह किया और उसके अनेक पुत्र उत्पन्न हुए। कुछ आलोचक इसकी कथा को शीतकाल की (सुप्त या मृत) और वसंतकाल की (जाग्रत) प्रकृति का रूपक मानते हैं। .

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अरविन्द घोष

अरविन्द घोष या श्री अरविन्द (बांग्ला: শ্রী অরবিন্দ, जन्म: १८७२, मृत्यु: १९५०) एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी। .

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अर्बेला का युद्ध

अर्बेला का संग्राम या गौगेमेला का युद्ध सिकंदर महान के युद्धों में से एक था। यह युद्ध यूनान के सम्राट सिकंदर व फारस के राजा डेरियस या दारा की बीच 331 ई.पू. में हुआ था। 30 सितंबर, 331 ई.पू. को हुआ था। .

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अल्बानिया

अल्बानिया गणराज्य (अल्बानियाई: Republika e Shqipërisë) उत्तरपूर्वी यूरोप में स्थित एक देश है। इसकी भूसीमाएं उत्तर में कोसोवो, उत्तरपश्चिम में मोन्टेनेग्रो, पूर्व में भूतपूर्व यूगोस्लाविया और दक्षिण में यूनान से मिलती हैं। तटीय सीमाएं दक्षिण पश्चिम में आड्रियाटिक सागर और आयोनियन सागर से मिलती हैं। अल्बानिया एक संसदीय लोकतंत्र और अवस्थांतर अर्थव्यवस्था है। अल्बानिया की राजधानी, तिराना, लगभग ८,९५,००० निवासियों वाला नगर है जो देश की ३६ लाख की जनसंख्या का चौथाई भाग है और यह नगर अल्बानिया का वित्तीय केन्द्र भी है। मुक्त बाजार सुधारों के कारण विदेशी निवेश के लिए देश की अर्थव्यस्था खोल दी गई है मुख्यतः ऊर्जा के विकास और परिवहन आधारभूत ढांचे में। अल्बानिया संयुक्त राष्ट्र, नाटो, यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन, यूरोपीय परिषद, विश्व व्यापार संगठन, इस्लामिक सम्मेलन संगठन इत्यादि का सदस्य है और भूमध्य क्षेत्र संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक था। अल्बानिया जनवरी २००३ से यूरोपीय संघ में विलय के लिए एक संभावित प्रत्याशी रहा है और इसने औपचारिक रूप से २८ अप्रैल, २००९ को यूरोपीय संघ की सदस्यता के लिए आवेदन किया। .

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अल्बानियाई भाषा

अल्बानियाई एक अनोखी भारोपीय भाषा है, जो मुख्यतः अल्बानिया और कोसोवो के अलावा बाल्कन के अनेक क्षेत्रों, पश्चिमी मेसेडोनिया, मान्टेग्रो और दक्षिणी सर्बिया में रहने वाले करीबन 60 लाख अल्बेनियाई लोगों द्वारा बोली जाती है। अल्बानियाई ग्रीस, दक्षिणी इटली के पूर्वी तट और सिसली में भी बोली जाती है। इसके अलावा पिछले दो शताब्दियों से बाल्कल क्षेत्र से विश्व भर में फैले हुए के लोगों, खासतौर से उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में, द्वारा करीबन तीस लाख लोगों द्वारा यह भाषा बोली जाती है। अल्बेनियाई भाषा भारतीय यूरोपीय परिवार की प्राचीन भाषा है। यह अपने प्राय: मौलिक रूप में अल्बेनियाई जनता की प्राचीन प्रथाओं की भांति आज भी विद्यमान है। इसके बोलनेवालों की संख्या लगभग दस लाख है। उत्तरी और दक्षिणी दो बोलियों के रूप में यह प्रचलित है। उत्तरी बोली को "ग्वेगुइ" कहते हैं और दक्षिणी को "तोस्क"। इनके संज्ञा रूपों में किंचित् भेद है: ग्वेगुई में स्वरों के मध्य का "न" तोस्क में "रा" हो जाता है। इन बोलियों का भारतीय यूरोपीय रूप इनके सर्वनामों तथा क्रियापदों में आज भी सुरक्षित है। यथा: तो (दाऊ-अंग्रेजी; तू-हिंदी); ना (वी-अंग्रेजी, हम-हिंदी); जू (यू-अंग्रेजी, तुम-हिंदी) तथा क्रियापदों में रूपविधान: दोम (मैं कहता हूँ); दोती (वह कहता है); दोमी (हम कहते हैं); और दोनी (वे कहते हैं)। इसकी अधिकांश शब्दावली विदेशी शब्दों से मिलकर बनी है, यद्यपि भारतीय यूरोपीय परिवार के अनेक मौलिक शब्द इसमें आज भी विद्यमान हैं। प्राचीन ग्रीक भाषा से बहुत ही कम शब्द इसमें आए प्रतीत होते हैं, किंतु मध्यकालीन तथा आधुनिक ग्रीक से अवश्य कुछ शब्द घूम फिरकर (और कभी-कभी वेश बदलकर भी) इस भाषा में आ गए हैं। जैसे "लिपसेत" (यह आवश्यक है) शब्द सर्बियन भाषा से अल्बेनियाई में आया, किंतु उससे पहले सर्बिया ने इसे ग्रीक से लिया था। स्लाव भाषाओं से भी अनेक शब्द लिए गए हैं। क्लासिकी युग में प्राचीन ग्रीक का प्रभाव अल्बेनिया तक नहीं पहुँच पाया, जबकि लातीनी प्रभाव बहुत पहले से ही वहाँ तक पहुँच चुका था। अल्बेनियाई अंकावली में चार के लिए "कत्रे" तथा शत के लिए "क्विद्" शब्द अवश्य ही लातीनी भाषा के हैं। जबकि "पेस" (पाँच) और दहेत (दश) मूल भारतीय-यूरोपीय-परिवार के हैं। इसी प्रकार लातीनी "अमीकस" (दूध) अल्बेनियाई में "मीक" रह गया है। शक्तिशाली रोमन साम्राज्य के प्रभुत्वकाल में अल्बेनियाई नागरिक शब्दावली पर यथानुसार प्रबल लातीनी प्रभाव भी पड़ा, किंतु ग्रामीण जनता ने अपनी भाषा को आज तक सर्वदा "शुद्ध" रखा है। इसका उच्चारण और व्याकरण आज भी अपने मौलिक रूप में अक्षुण्ण है। यह भाषा जिस पर्वतीय प्रदेश में बोली जाती है, वह एपीरस के उत्तर में, मांटीनीग्रो के दक्षिण में और अद्रियातिक सागर के पूर्वस्थ है। यह कब और कैसे इस क्षेत्र में आई, यह अभी तक अनिश्चित है। इस भाषा के 15वीं शताब्दी के ही उपलब्ध साहित्य को सबसे प्राचीन कहा जाता है, किंतु अन्य अधिकांश प्राचीन साहित्य 16वीं और 17वीं शताब्दी का ही मिलता है। आधुनिक अल्बेनियाई साहित्य जिस भाषा में लिखा गया है वह वर्तमान भाषा से बहुत भिन्न नहीं है और वर्तमान भाषा प्राचीन बोलियों का ही प्राय: अपरिवर्तित रूप है। श्रेणी:हिन्द-यूरोपीय भाषाएँ * श्रेणी:अल्बानिया की भाषाएँ श्रेणी:यूनान की भाषाएँ श्रेणी:सर्बिया की भाषाएँ श्रेणी:इटली की भाषाएँ श्रेणी:बुल्गारिया की भाषाएँ.

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अश्वधावन

अश्वधावन प्रतियोगिता अश्वधावन अथवा घुड़दौड़ (Horse race) घोड़ों के वेग की प्रतियोगिता है। ऐसी प्रतियोगिता मुख्यत: दुलकी, सरपट और क्षेत्रगामी (क्रॉस-कंट्री) या अवरोधयुक्त (ऑब्स्टैकल) दौड़ों में होती है। .

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अशोक

चक्रवर्ती सम्राट अशोक (ईसा पूर्व ३०४ से ईसा पूर्व २३२) विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य (राजा प्रियदर्शी देवताओं का प्रिय) था। उनका राजकाल ईसा पूर्व २६९ से २३२ प्राचीन भारत में था। मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अखंड भारत पर राज्य किया है तथा उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान, ईरान तक पहुँच गया था। सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का संपूर्ण भारत, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यान्मार के अधिकांश भूभाग पर था, यह विशाल साम्राज्य उस समय तक से आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है। चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं की पंक्तियों में हमेशा शिर्ष स्थान पर ही रहे हैं। सम्राट अशोक ही भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट है। सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ कहाँ जाता है, जिसका अर्थ है - ‘सम्राटों का सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है। सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्विपों में भी बौद्ध धर्म धर्म का प्रचार किया। सम्राट अशोक के संदर्भ के स्तंभ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते है। इसलिए सम्राट अशोक की ऐतिहासिक जानकारी एन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहूत व्यापक रूप में मिल जाती है। सम्राट अशोक प्रेम, सहिष्णूता, सत्य, अहिंसा एवं शाकाहारी जीवनप्रणाली के सच्चे समर्थक थे, इसलिए उनका नाम इतिहास में महान परोपकारी सम्राट के रूप में ही दर्ज हो चुका है। जीवन के उत्तरार्ध में सम्राट अशोक भगवान बुद्ध की मानवतावादी शिक्षाओं से प्रभावित होकर बौद्ध हो गये और उन्ही की स्मृति में उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो आज भी नेपाल में उनके जन्मस्थल - लुम्बिनी - में मायादेवी मन्दिर के पास, सारनाथ, बोधगया, कुशीनगर एवं आदी श्रीलंका, थाईलैंड, चीन इन देशों में आज भी अशोक स्तम्भ के रूप में देखे जा सकते है। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया। सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन में एक भी युद्ध नहीं हारे। सम्राट अशोक के ही समय में २३ विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई जिसमें तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, कंधार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे। इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे। ये विश्वविद्यालय उस समय के उत्कृट विश्वविद्यालय थे। शिलालेख सुरु करने वाला पहला शासक अशोक ही था, .

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अशोक के अभिलेख

अशोक के शिलालेख पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और अफ़्ग़ानिस्तान में मिलें हैं ब्रिटिश संग्राहलय में छठे शिलालेख का एक हिस्सा अरामाई का द्विभाषीय शिलालेख सारनाथ के स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में शिलालेख मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक द्वारा प्रवर्तित कुल ३३ अभिलेख प्राप्त हुए हैं जिन्हें अशोक ने स्तंभों, चट्टानों और गुफ़ाओं की दीवारों में अपने २६९ ईसापूर्व से २३१ ईसापूर्व चलने वाले शासनकाल में खुदवाए। ये आधुनिक बंगलादेश, भारत, अफ़्ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और नेपाल में जगह-जगह पर मिलते हैं और बौद्ध धर्म के अस्तित्व के सबसे प्राचीन प्रमाणों में से हैं। इन शिलालेखों के अनुसार अशोक के बौद्ध धर्म फैलाने के प्रयास भूमध्य सागर के क्षेत्र तक सक्रिय थे और सम्राट मिस्र और यूनान तक की राजनैतिक परिस्थितियों से भलीभाँति परिचित थे। इनमें बौद्ध धर्म की बारीकियों पर ज़ोर कम और मनुष्यों को आदर्श जीवन जीने की सीखें अधिक मिलती हैं। पूर्वी क्षेत्रों में यह आदेश प्राचीन मगधी भाषा में ब्राह्मी लिपि के प्रयोग से लिखे गए थे। पश्चिमी क्षेत्रों के शिलालेखों में खरोष्ठी लिपि का प्रयोग किया गया। एक शिलालेख में यूनानी भाषा प्रयोग की गई है, जबकि एक अन्य में यूनानी और अरामाई भाषा में द्विभाषीय आदेश दर्ज है। इन शिलालेखों में सम्राट अपने आप को "प्रियदर्शी" (प्राकृत में "पियदस्सी") और देवानाम्प्रिय (यानि देवों को प्रिय, प्राकृत में "देवानम्पिय") की उपाधि से बुलाते हैं। .

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अज्ञेयवाद

अज्ञेयवाद (एग्नॉस्टिसिज्म / English: Agnosticism) ज्ञान मीमांसा का विषय है, यद्यपि उसका कई पद्धतियों में तत्व दर्शन से भी संबंध जोड़ दिया गया है। इस सिद्धांत की मान्यता है कि जहाँ विश्व की कुछ वस्तुओं का निश्चयात्मक ज्ञान संभव है, वहाँ कुछ ऐसे तत्व या पदार्थ भी हैं जो अज्ञेय हैं, अर्थात् जिनका निश्चयात्मक ज्ञान संभव नहीं है। अज्ञेयवाद, संदेहवाद से भिन्न है; संदेहवाद या संशयवाद के अनुसार विश्व के किसी भी पदार्थ का निश्चयात्मक ज्ञान संभव नहीं है। भारतीय दर्शन के संभवतः किसी भी संप्रदाय को अज्ञेयवादी नहीं कहा जा सकता। वस्तुतः भारत में कभी भी संदेहवाद एवं अज्ञेयवाद का व्यवस्थित प्रतिपादन नहीं हुआ। नैयायिक सर्वज्ञेयवादी हैं और नागार्जुन तथा श्रीहर्ष जेसे मुक्तिवादी भी पारिश्रमिक अर्थ में संशयवादी अथवा अज्ञेयवादी नहीं कहे जा सकते। एग्नास्टिसिज्म शब्द का सर्वप्रथम आविष्कार और प्रयोग सन् 1870 में टॉमस हेनरी हक्सले (1825-1895) द्वारा हुआ। अंग्रेजी जीवविज्ञानी थॉमस हेनरी हक्सले ने 1869 में "अज्ञेय" शब्द का उच्चारण किया था। पहले के विचारकों ने हालांकि लिखा था कि 5 वीं शताब्दी ई.पू.

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अगामेमनन

अगोम्नान का मुखौटा यूनानी मिथकों में अगामेम्नान (Agamemnon /æɡəˈmɛmnɒn/; ग्रीक: Ἀγαμέμνων) एक होमरीय वीर है जो राजा अत्रियस का पुत्र है। वह संभवतः ऐतिहासिक व्यक्ति था। इलियड में उसे यूनान के एकियाई और मिकीनी राज्यों का स्वामी कहा गया है। स्पार्ता में उसकी पूजा 'ज्यूस अगामेम्नान' के नाम से होती थी। यह अत्रियस और इरोप का पुत्र और मेनेलास का भाई था। पिता की हत्या के बाद भाइयों ने स्पार्ता के राजा की शरण ली, फिर वहाँ के राजा की सहायता से अगामेम्नान ने पिता का राज्य पुन प्राप्त कर उसे बढ़ाया और ग्रीस में राजाओं में प्रधान बन गया। स्पार्ता के राजा तिंदेरस की कन्याएँ इन दोनों भाइयों से ब्याही थीं। पश्चात् मेनेलास, तिंदेरस का उत्तराधिकारी हुआ और यह उसका सहायक। भाई के पत्नी हेलेन के त्राय के पेरिस द्वारा अपहरण के प्रतिकार में यूनानी राजाओं को निमंत्रित कर अगामेम्नान ने त्राय के युद्ध का नेतृत्व किया। त्राय विजय के बाद स्वदेश लौटने पर उसकी पत्नी के प्रेमी आगस्तस ने इसकी हत्या कर दी। उसकी कब्र मिकीनी के खंडहरों में दिखाई जाती है, जिसे त्राय का पुनरुद्धार करने वाले पुराविद् श्लीमान ने खोद निकाली थी। पर उस कब्र की सत्यता प्रमाणित नहीं। श्रेणी:यूनानी मिथक.

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अंतलिखित

अंतलिखित (अंतलिकिद, अंतिआल्किदस्) तक्षशिला का हिंदू ग्रीक राजा। बेसनगर (मध्य प्रदेश) के स्तंभ लेख के अनुसार इस राजा ने अपने दूत दिय-के-पुत्र हेलियोदोरस को शुंगवंश के राजा अथवा भागभद्र के दरबार में भेजा था। यह भागभद्र शुगंराज ओद्रक अथवा भागवत में से कोई हो सकता है। इस अभिलेख में अंतलिखित को तक्षशिला का राजा और उसके ग्रीक दूत को विष्णुभक्त भागवत कहा गया है। अंतलिखित के सिक्के भी अन्य हिंदू ग्रीक राजाओं की भाँति ही ग्रीक और भारतीय दोनों भाषाओं में खुदे मिलते हैं। उसकी मुद्राएँ उसे विजेता भी प्रमाणित करती हैं। अंतलिखित का शासनकाल निश्चित रूप से तो नहीं बताया जा सकता, पर संभवतः वह ईसवी सन् की प्रथम शती में हुआ। वह बाख्त्री के राजा युक्रातिक के राजकुल का अफगानिस्तान और पश्चिमी पंजाब का राजा था। .

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अंजीर

अंजीर (अंग्रेजी नाम फ़िग, वानस्पतिक नाम: "फ़िकस कैरिका", प्रजाति फ़िकस, जाति कैरिका, कुल मोरेसी) एक वृक्ष का फल है जो पक जाने पर गिर जाता है। पके फल को लोग खाते हैं। सुखाया फल बिकता है। सूखे फल को टुकड़े-टुकड़े करके या पीसकर दूध और चीनी के साथ खाते हैं। इसका स्वादिष्ट जैम (फल के टुकड़ों का मुरब्बा) भी बनाया जाता है। सूखे फल में चीनी की मात्रा लगभग ६२ प्रतिशत तथा ताजे पके फल में २२ प्रतिशत होती है। इसमें कैल्सियम तथा विटामिन 'ए' और 'बी' काफी मात्रा में पाए जाते हैं। इसके खाने से कोष्ठबद्धता (कब्जियत) दूर होती है। अंजीर मध्यसागरीय क्षेत्र और दक्षिण पश्चिम एशियाई मूल की एक पर्णपाती झाड़ी या एक छोटे पेड़ है जो पाकिस्तान से यूनान तक पाया जाता है। इसकी लंबाई ३-१० फुट तक हो सकती है। अंजीर विश्व के सबसे पुराने फलों मे से एक है। यह फल रसीला और गूदेदार होता है। इसका रंग हल्का पीला, गहरा सुनहरा या गहरा बैंगनी हो सकता है। अंजीर अपने सौंदर्य एवं स्वाद के लिए प्रसिद्ध अंजीर एक स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और बहु उपयोगी फल है। यह विश्व के ऐसे पुराने फलों में से एक है, जिसकी जानकारी प्राचीन समय में भी मिस्त्र के फैरोह लोगों को थी। आजकल इसकी पैदावार ईरान, मध्य एशिया और अब भूमध्यसागरीय देशों में भी होने लगी है। प्राचीन यूनान में यह फल व्यापारिक दृष्टि से इतना महत्त्वपूर्ण था और इसके निर्यात पर पाबंदी थी। आज विश्व का सबसे पुराना अंजीर का पेड़ सिसली के एक बगीचे में है। अंजीर का वृक्ष छोटा तथा पर्णपाती (पतझड़ी) प्रकृति का होता है। तुर्किस्तान तथा उत्तरी भारत के बीच का भूखंड इसका उत्पत्ति स्थान माना जाता है। भूमध्यसागरीय तट वाले देश तथा वहाँ की जलवायु में यह अच्छा फलता-फूलता है। निस्संदेह यह आदिकाल के वृक्षों में से एक है और प्राचीन समय के लोग भी इसे खूब पसंद करते थे। ग्रीसवासियों ने इसे कैरिया (एशिया माइनर का एक प्रदेश) से प्राप्त किया; इसलिए इसकी जाति का नाम कैरिका पड़ा। रोमवासी इस वृक्ष को भविष्य की समृद्धि का चिह्न मानकर इसका आदर करते थे। स्पेन, अल्जीरिया, इटली, तुर्की, पुर्तगाल तथा ग्रीस में इसकी खेती व्यावसायिक स्तर पर की जाती है। नाशपाती के आकार के इस छोटे से फल की अपनी कोई विशेष तेज़ सुगंध नहीं पर यह रसीला और गूदेदार होता है। रंग में यह हल्का पीला, गहरा सुनहरा या गहरा बैंगनी हो सकता है। छिलके के रंग का स्वाद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता पर इसका स्वाद इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कहाँ उगाया गया है और यह कितना पका है। इसे पूरा का पूरा छिलका बीज और गूदे सहित खाया जा सकता है। घरेलू उपचार में ऐसा माना जाता है कि स्थाई रूप से रहने वाली कब्ज़ अंजीर खाने से दूर हो जाती है। जुकाम, फेफड़े के रोगों में पाँच अंजीर पानी में उबाल कर छानकर यह पानी सुबह-शाम पीना चाहिए। दमा जिसमे कफ (बलगम) निकलता हो उसमें अंजीर खाना लाभकारी है इससे कफ बाहर आ जाता है। कच्चे अंजीरों को कमरे के तापमान पर रख कर पकाया जा सकता है लेकिन उसमें स्वाभाविक स्वाद नहीं आता। घरेलू उपचारों में अंजीर का विभिन्न प्रकार से प्रयोग किया जाता है। .

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अंग्रेजी नाटक

इब्सन के प्रचार ने अंग्रेजी नाटक को नई दिशा दी। उसके नाटकों की कुछ विशेषताएँ ये थीं- समाज और व्यक्ति की साधारण समस्याएँ; पुरानी नैतिकता की आलोचना; बाहरी संघर्षों के स्थान पर आंतरिक संघर्ष; रंगमंच पर यथार्थवाद; विवरणात्मक साज-सज्जा; स्वगत का बहिष्कार; बोलचाल की भाषा से निकटता; प्रतीकवाद। इब्सन के नाटक समस्या नाटक हैं। 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक नाटककारों पर इब्सन के अतिरिक्त चेखव का भी गहरा असर पड़ा। ऐसे नाटककारों में सबसे प्रमुख शॉ और गाल्सवर्दी के अतिरिक्त ग्रैनबिल बार्कर, सेंट जॉन हैंकिन, जॉन मेसफील्ड, सेंट जॉन अर्विन, आर्नल्ड बेनेट इत्यादि हैं। इस युग में कॉमेडी ऑव मैनर्स की परंपरा भी विकसित हुई है। 19वीं शताब्दी के अंत में ऑस्कर वाइल्ड ने इसको पुनरुज्जीवित किया था। 20वीं शताब्दी में इसके प्रमुख लेखकों में शॉ, मॉम, लांसडेल, सेंट अर्विन, मुनरो, नोएल काअर्ड, ट्रैवर्स, रैटिगन इत्यादि हैं। समस्या नाटकों की परंपरा भा आगे बढ़ी है। उनके लेखकों में सबसे प्रसिद्ध ओफ़ कैसी के अतिरिक्त शेरिफ, मिल्न, प्रीस्टले और जॉन व्हॉन ड्रटेन हैं। इस युग के ऐतिहासिक नाटककारों में सबसे प्रसिद्ध डिं्रकवाटर, बैक्स और जेम्स ब्रिडी हैं। काव्य नाटकों का विकास भी अनेक लेखकों ने किया है। उनमें स्टीफेन फिलिप्स, येट्स, मेसफील्ड, डिं्रकवाटर, बाम्ली, फ्लेकर, अबरक्रुंबी, टी.एस.

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अइयास

अइयास (Ajax या Aias; /ˈeɪdʒæks/ or /ˈaɪ.əs/; Ancient Greek: Αἴας, gen. Αἴαντος Aiantos) पौराणिक यूनानी योद्धा। यह सलामिस (ग्रीस) के राजा तालमान का पुत्र था। यूनान के पौराणिक साहित्य में यह अपने विक्रम के लिए प्रसिद्ध है। त्रोजनों को युद्ध में हराकर इसने एकिलीज़ का शरीर प्राप्त किया था। सारे सलामिस देश में इसकी पूजा होती थी और ऐंतिया नामक उत्सव इसकी अभ्यर्थना के लिए मनाया जाता था। श्रेणी:यूनानी मिथक.

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अकादमी

राफेल (1509–1510), द्वारा चित्रित 'एथेंस का स्कूल' अकादमी, मूलतः प्राचीन यूनान में एथेंस नगर में स्थित एक स्थानीय वीर 'अकादेमस' के व्यक्तिगत उद्यान का नाम था। कालांतर में यह वहाँ के नागरिकों को जनोद्यान के रूप में भेंट कर दिया गया था और उनेक लिए खेल, व्यायाम, शिक्षा और चिकित्सा का केंद्र बन गया था। प्रसिद्ध दार्शनिक अफलातून (प्लेटो) ने इसी जनोद्यान में एथेंस के प्रथम दर्शन विद्यापीठ की स्थापना की। आगे चलकर इस विद्यापीठ को ही अकादमी कहा जाने लगा। एथेंस की यह एक ही ऐसी संस्था थी जिसमें नगरवासियों के अतिरिक्त बाहर के लोग भी सम्मिलित हो सकते थे। .

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अक्षर कला

मुद्रण कला मुद्रण को सजाने, मुद्रण डिजाइन तथा मुद्रण ग्लिफ्स को संशोधित करने की कला एवं तकनीक है। मुद्रण ग्लिफ़ को विभिन्न उदाहरण तकनीकों का उपयोग करके बनाया और संशोधित किया जाता है। मुद्रण की सजावट में टाइपफेस का चुनाव, प्वायंट साईज, लाइन की लंबाई, लिडिंग (लाइन स्पेसिंग) अक्षर समूहों के बीच स्पेस (ट्रैकिंग) तथा अक्षर जोड़ों के बीच के स्पेस (केर्निंग) को व्यवस्थित करना शामिल हैं। टाइपोग्राफी का टाइपसेटर, कम्पोजिटर, टाइपोग्राफर, ग्राफिक डिजाइनर, कला निर्देशक, कॉमिक बुक कलाकार, भित्तिचित्र कलाकार तथा क्लैरिकल वर्करों द्वारा किया जाता है। डिजिटल युग के आने तक टाइपोग्राफी एक विशेष प्रकार का व्यवसाय था। डिजिटलीकरण ने टाइपोग्राफी को नई पीढ़ी के दृश्य डिजाइनरों और ले युजरों के लिए सुगम बना दिया.

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अक्षांश रेखाएँ

ग्लोब पर भूमध्य रेखा के समान्तर खींची गई कल्पनिक रेखा। अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या१८०+१ (भूमध्य रेखा सहित) है। प्रति १ डिग्री की अक्षांशीय दूरी लगभग १११ कि.

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उच्च शिक्षा

एक उच्चतर शिक्षा संस्थान में गणित का शिक्षण उच्च शिक्षा (higher education) उच्च शिक्षा का अर्थ है सामान्य रूप से सबको दी जानेवाली शिक्षा से ऊपर किसी विशेष विषय या विषयों में विशेष, विशद तथा शूक्ष्म शिक्षा। यह शिक्षा के उस स्तर का नाम है जो विश्वविद्यालयों, व्यावसायिक विश्वविद्यालयों, कम्युनिटी महाविद्यालयों, लिबरल आर्ट कालेजों एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों आदि के द्वारा दी जाती है। प्राथमिक एवं माध्यमिक के बाद यह शिक्षा का तृतीय स्तर है जो प्राय: ऐच्छिक (non-compulsory) होता है। इसके अन्तर्गत स्नातक, परास्नातक (postgraduate education) एवं व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण आदि आते हैं। .

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उदयनारायण तिवारी

उदयनारायण तिवारी (-- 28 जुलाई,1984) भारत के एक भाषावैज्ञानिक थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में जो ऐतिहासिक महत्व आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का है, हिन्दी भाषा के ऐतिहासिक एवं तुलनात्मक अध्ययन के क्षेत्र में वही महत्व डॉ.

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उसैन बोल्ट

सेंट लियो उसैन बोल्ट, OJ, CD (का जन्म 21 अगस्त 1986), को हुआ और वह जमैका के एक धावक और तीन बार ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हैं। वे 100 मीटर और 200 मीटर और अपनी टीम के साथियों के साथ 4x100 मीटर रिले दौड़ के विश्व रिकार्डधारी हैं। इन सभी तीन दौड़ों के लिए वे ओलंपिक रिकॉर्ड धारण किये हुए हैं। 1984 में कार्ल लुईस के बाद 2008 के बोल्ट ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में एकल ओलंपिक की तीनों दौड़ जीतने वाले और एकल ओलंपिक की तीनों दौड़ों में विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले पहले व्यक्ति बन गये। इसके साथ ही 2009 में वे 100 और 200 मीटर स्पर्धा में ओलंपिक खिताब पाने वाले भी पहले व्यक्ति बने। 2002 के विश्व जूनियर चैंपियनशिप में 200 मीटर में स्वर्ण पदक जीतकर बोल्ट ने अलग पहचान बनाई और इससे वे प्रतियोगिता के सबसे कम उम्र के स्वर्ण पदकधारी बन गये। 2004 के CARIFTA खेलों में 19.93 सेकंड समय के साथ 20 सेकेंड श्रेणी में दौड़कर वे पहले जूनियर धावक बन गये और उन्होंने रॉय मार्टिन के एक सेकेंड के दो दहाई समय में बने विश्व जूनियर रिकार्ड को तोड़ दिया। वे 2004 में पेशेवर बन गये, पर चोटों के कारण पहले 2 सीजन की ज्यादातर स्पर्धाओं में नहीं खेल पाये, लेकिन वह ओलंपिक में 2004 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की स्पर्धाएं पूरी कीं.

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ऋग्वैदिक भाषा

उत्तर वैदिक काल से पहले का वह काल जिसमें ऋग्वेद की ऋचाओं की रचना हुई थी इन ऋचाओं की जो भाषा थी वो ऋग्वैदिक भाषा कहलाती है। ऋग्वैदिक भाषा हिंद यूरोपीय भाषा परिवार की एक भाषा है। इसकी परवर्ती पुत्री भाषाएँ अवेस्ता पुरानी फ़ारसी पालि प्राकृत और संस्कृत हैँ। .

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१ मार्च

1 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 60वॉ (लीप वर्ष में 61 वॉ) दिन है। साल में अभी और 305 दिन बाकी है। .

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१ई+११ मी॰²

क्यूबा का क्षेत्रफल लगभग १,००,००० कि.मी२ है। विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के परिमाण के क्रम समझने हेतु यहां १,००,००० वर्ग कि.मी से १०,००,००० वर्ग कि.मी के क्षेत्र दिये गए हैं।.

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१३ अप्रैल

13 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 103वॉ (लीप वर्ष में 104 वॉ) दिन है। साल में अभी और 262 दिन बाकी है। .

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१३ अक्टूबर

१३ अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २८६वॉ (लीप वर्ष मे २८७ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ७९ दिन बाकी है। .

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१९२२

1922 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९२३

कोई विवरण नहीं।

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१९२४

1924 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

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१९७१ यूरोपीय कप फाइनल

१९७१ यूरोपीय कप फाइनल जून 1971, 2 पर, वेम्बली स्टेडियम में लंदन में आयोजित एक फुटबॉल मैच था, यूनान की पनथिनाकोस को 2-0 से नीदरलैंड्स की अजाक्स हरा दिया.

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१९८९ यूईएफए कप फाइनल

१९८९ यूईएफए कप फाइनल एक फुटबॉल मैच था, जो इटली के नपोलि और जर्मनी के वीएफबी श्टुटगार्ट के बीच दो चरण मे खेला गया था। नपोलि फाइनल समग्र पर 5-4 से जीता। .

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२००४ ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत

भारत ने यूनान की राजधाणी एथेंस में हुए २००४ ग्रीष्मकालीन ऑलंपिक्स खेलों में भाग लिया था। .

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२००७ यूईएफए चैंपियंस लीग फाइनल

२००७ यूईएफए चैंपियंस लीग के फाइनल में इटली के मिलान और इंग्लैंड के लिवरपूल के बीच एक संघ फुटबॉल मैच था ओलंपिक स्टेडियम, एथेंस, ग्रीस में 23 मई 2007 पर.

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२०१० फीफा विश्व कप

२०१० फीफा विश्व कप १९वां फीफा विश्व कप है, जो ११ जून २०१० से ११ जुलाई २०१० के बीच दक्षिण अफ़्रीका में आयोजित किया जा रहा है। २०१० का फीफा विश्व कप उस योग्यता प्रक्रिया की परिणति होगी जो अगस्त २००७ में आरम्भ हुई थी और जिसमें फीफा की २०८ राष्ट्रीय टीमों में से २०४ सम्मिलित थीं। इस प्रकार, यह २००८ के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक की बराबरी पर है जिसमें सर्वाधिक टीमें प्रतिस्पर्धा करती हैं। यह पहली बार है जब यह प्रतियोगिता किसी अफ़्रीकी देश में आयोजित की जा रही है, जब दक्षिण अफ़्रीका ने मिस्र और मोरक्को को अखिल-अफ़्रीकी बोली प्रक्रिया में पछाड़ दिया। इस निर्णय के बाद अब केवल ओशियानिया फुटबॉल संघ ही एक ऐसा संघ है जिसने इस प्रतियोगिता की मेज़बानी नहीं की है। इटली पूर्वविजेता है, जिसने जर्मनी में आयोजित २००६ फीफा विश्व कप जीता था। फाइनल के लिए ड्रॉ ४ दिसंबर २००९ को केप टाउन में हुआ था। २०१० का विश्व कप की विजेता टीम रही स्पेन जिसने नीदरलैण्ड को फाइनल में हराकर यह कप जीता। .

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२३ अगस्त

23 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 235वॉ (लीप वर्ष में 236 वॉ) दिन है। साल में अभी और 130 दिन बाकी है। .

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२४ जुलाई

२४ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २०५वॉ (लीप वर्ष में २०६ वॉ) दिन है। साल में अभी और १६० दिन बाकी है। .

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२९ मई

२९ मई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १४९वॉ (लीप वर्ष मे १५०वॉ) दिन है। वर्ष मे अभी और २१६ दिन बाकी है। .

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३ दिसम्बर

3 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 337वॉ (लीप वर्ष में 338 वॉ) दिन है। साल में अभी और 28 दिन बाकी है। १२३४५६७८९ .

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६ नवम्बर

६ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३१०वाँ (लीप वर्ष मे 311 वॉ) दिन है। साल मे अभी और ५५ दिन बाकी है। .

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९ सितम्बर

9 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 252वॉ (लीप वर्ष मे 253 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 113 दिन बाकी है। .

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SAT (सैट)

SAT रिजनिंग टेस्ट (सैट तर्क परीक्षा) संयुक्त राज्य अमेरिका में कॉलेज में प्रवेश के लिए एक मानकीकृत परीक्षा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में SAT एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो कॉलेज बोर्ड के स्वामित्व में है और उसके द्वारा प्रकाशित और विकसित किया गया है। और, यह पहले एडुकेशनल टेस्टिंग सर्विस (ETS) द्वारा विकसित, प्रकाशित किया जाता था और उसीके द्वारा अंक दिए जाते थे। ETS अब परीक्षा का प्रबंध करता है। कॉलेज बोर्ड का दावा है कि परीक्षा निर्धारित कर सकती हैं कि कोई व्यक्ति कॉलेज के लिए तैयार है या नहीं है। वर्तमान SAT रिजनिंग टेस्ट में तीन घंटे पैंतालीस मिनट लगते हैं और इसमें विलंब फीस के अलावा 45 डॉलर (71 डॉलर अंतर्राष्ट्रीय) का खर्च आता है। 1901 में SAT की शुरूआत से, इसके नाम और अंक दिए जाने के तरीके कई बार बदल चुके हैं। 2005 में, 800 नंबर के तीन विभाग (गणित, विवेचनात्मक पठन और लेखन) को मिलाकर परीक्षा परिणाम में 600 से 2400 तक संभाव्य अंक प्राप्त करने के साथ दूसरे उप-विभागों में भी अलग से प्राप्त किए गए अंक मिलाकर इस परीक्षा का फिर से नामकरण "SAT रिजनिंग टेस्ट" किया गया। .

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1896 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक

1896 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक, जो आधिकारिक तौर पर पहले ओलम्पियाड खेल के रूप में जानी जाती है, एक बहु-खेल प्रतियोगिता थी जो यूनान की राजधानी एथेंस में 6 अप्रैल से 15 अप्रैल 1896 के बीच आयोजित हुई थी। यह आधुनिक युग में आयोजित होने वाली पहली अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता थी। चूँकि प्राचीन यूनान ओलम्पिक खेलों का जन्मस्थान था, अतएव एथेंस आधुनिक खेलों के उद्घाटन के लिए उपयुक्त विकल्प माना गया था। यह सर्वसम्मति से जून 23, 1894, को पियरे डे कोबेर्टिन, फ्रांसीसी शिक्षाशास्त्री और इतिहासकार, द्वारा पेरिस में आयोजित एक सम्मेलन (कांग्रेस) के दौरान मेज़बान शहर के रूप में चुना गया था। अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) भी इस सम्मेलन के दौरान स्थापित की गई थी। अनेक बाधाओं और असफलताओं के बावजूद, 1896 ओलम्पिक का आयोजन एक बड़ी सफलता मानी गई थी। यह उस समय तक के किसी भी खेल आयोजन की सबसे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी थी। 19वीं सदी में प्रयोग किया एकमात्र ओलम्पिक स्टेडियम, पानाथिनाइको स्टेडियम, किसी भी खेल प्रतिस्पर्धा को देखने के लिए आई सबसे बड़ी भीड़ से उमड़ गया था। यूनानियों के लिए सबसे मुख्य उनके देशवासी स्पिरिडिन लुई की मैराथन विजय थी। सबसे सफल प्रतियोगी जर्मन पहलवान और जिमनास्ट कार्ल शुमेन थे, जिन्होंने चार स्पर्धाओं में जीत अर्जित की थी। खेलों के पश्चात्, ग्रीस के राजा जॉर्ज और एथेंस में उपस्थित कुछ अमेरिकी प्रतिस्पर्धियों सहित कई प्रमुख व्यक्तित्वों द्वारा रिज़ कोबेर्टिन और आईओसी के समक्ष याचिका दायर की गई थी कि उत्तरगामी सभी खेल एथेंस में ही आयोजित किये जाएँ। परंतु, 1900 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक पेरिस के लिए पहले से ही योजनाबद्ध थे और 1906 इन्टरकेलेटिड खेलों को छोड़कर, ओलम्पिक 2004 के ग्रीष्मकालीन खेलों तक ग्रीस में वापस नहीं लौटे, कुछ 108 साल बाद। इन खेलों की प्रतिस्पर्धाओं और शख्सियतों के प्रतिवेश की कहानियों को 1984 एनबीसी लघु शृंखला (मिनीसीरीज़), द फ़र्स्ट ओलम्पिक: एथेंस, 1896, में इतिवृत्त किया गया था। इस लघु शृंखला में अभिनीत थे विलियम मिलीगन स्लोन के रूप में डेविड ऑग्डेन स्टायर्स और पियरे डे कोबेर्टिन के रूप में लुई जोर्डान। .

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2000 के दशक के उत्तरार्द्ध की आर्थिक मंदी

2009 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर को दिखाते हुए दुनिया का नक्शा. 2000 के दशक के उत्तरार्द्ध की आर्थिक मंदी (या ग्रेट रिसेशन (भयंकर मंदी)) एक गंभीर आर्थिक मंदी थी जो संयुक्त राज्य अमेरिका में दिसंबर 2007 में शुरू हुई और जून 2009 में समाप्त हुई (यू.एस. नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनोमिक रिसर्च के अनुसार)। यह औद्योगिक दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में फैला जिसकी वजह से आर्थिक गतिविधियों स्पष्ट रूप से कमी आई। यह वैश्विक आर्थिक मंदी एक ऐसे आर्थिक माहौल में अपने पाँव पसारती रही है जिसकी पहचान विभिन्न प्रकार के असंतुलनों से होती है और 2007-2010 के वित्तीय संकट के प्रकोप से एकदम भड़क उठी.

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2004 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक पदक तालिका

पदक तालिका अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) द्वारा प्रदान की गई जानकारी पर आधारित है और आईओसी के अपने प्रकाशित पदक तालिका में सम्मेलन के अनुरूप है। डिफ़ॉल्ट रूप से, तालिका को देश से एथलीट जीते हुए स्वर्ण पदक की संख्या के अनुसार आदेश दिया जाता है (इस संदर्भ में, एक राष्ट्र एक राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया एक इकाई है)। रजत पदक की संख्या को ध्यान में रखा जाता है और उसके बाद कांस्य पदक की संख्या। यदि राष्ट्र अभी भी ड्रॉ रहे हैं, तो समान रैंकिंग दी गई है और उन्हें वर्णानुक्रम में सूचीबद्ध किया गया है। मुक्केबाजी और जुडो में, प्रत्येक वजन वर्ग में दो कांस्य पदक दिए गए, इसलिए कुल कांस्य पदक स्वर्ण और रजत पदक की कुल संख्या से अधिक है।;कुंजी मेजबान देश (यूनान).

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2007 के अरबपतियों की सूची

यह फोर्ब्स पत्रिका द्वारा विश्व के सबसे दौलतमंद लोगों की सूची है। पत्रिका द्वारा प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार इस साल लगभग 946 अरबपति हैं जिसमें 178 नये नाम शामिल हैं। इन लोगों की सकल आय का आकलन अमरीकी डालर में 9 फ़रवरी 2007 को स्टाक मूल्य बंद होने के समय मौज़ूद मूल्यों पर आधारित है। .

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2014 शीतकालीन ओलंपिक में यूनान

यूनान 7 से 23 फरवरी 2014 तक, सोची, रूस में 2014 शीतकालीन ओलंपिक में भाग लिया। ग्रीक टीम में चार खेल में सात एथलीट शामिल थे। ओलंपिक खेलों के संस्थापक राष्ट्र होने और परंपरा के अनुरूप होने के नाते, ग्रीस ने उद्घाटन समारोह के दौरान पहली बार प्रवेश किया था। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

यूनान., ग्रीस, ग्रीक

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