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मैन्ग्रोव

सूची मैन्ग्रोव

मैंग्रोव पादप - जल के ऊपर व नीचे का दृश्य मैंग्रोव सामान्यतः पेड़ व पौधे होते हैं, जो खारे पानी में तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये उष्णकटिबन्धीय और उपोष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में मिलते हैं। यह शब्द तीन अर्थों में प्रयोग किया जाता है:- १. पूर्ण पेड़ या पौधे के आवास के लिए 'मैन्ग्रोव स्वैम्प्स' (दलदल) या 'मैन्ग्रोव वन' प्रयोग किया जाता है। २. मंगल के सभी पेड़ों और पौधों के लिए, ३. जो रिज़ोफोरेसी परिवार से होते हैं, या रिज़ोफोरा वंश से किसी भी पादप के लिए, मंगल डिपोज़ीश्नल तटीय क्षेत्रों में मिलते हैं, जहाँ बारीक कण, जिनमें उच्च कार्बनिक मात्रा हो, उच्च ऊर्जा की लहरों के प्रभाव से एकत्रित हो जाते हैं। .

11 संबंधों: डार्टर, दलदल, दक्षिण २४ परगना जिला, बंगाल की खाड़ी, भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान, मुंबई बंदरगाह, मेलाका, राइज़ोफ़ोरासिए, साल्सेट द्वीप, सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान, गंगासागर

डार्टर

डार्टर या स्नेकबर्ड, एनहिंगिडे परिवार के मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय जलपक्षी हैं। इसकी चार जीवित प्रजातियां हैं जिनमें से तीन बहुत ही आम हैं और दूर-दूर तक फ़ैली हुई हैं जबकि चौथी प्रजाति अपेक्षाकृत दुर्लभ है और आईयूसीएन (IUCN) द्वारा इसे लगभग-विलुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। "स्नेकबर्ड" शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर किसी संयोजन के बिना किसी भी एक क्षेत्र में पायी जाने वाली पूरी तरह से एलोपैट्रिक प्रजातियों के बारे में बताने करने के लिए किया जाता है। इसका संदर्भ उनकी लंबी पतली गर्दन से है जिसका स्वरूप उस समय सांप-की तरह हो जाता है जब वे अपने शरीर को पानी में डुबाकर तैरती हैं या जब साथी जोड़े अपनी अनुनय प्रदर्शन के दौरान इसे मोड़ते हैं। "डार्टर" का प्रयोग किसी विशेष प्रजाति के बारे में बताने के क्रम में एक भौगोलिक शब्दावली के साथ किया जाता है। इससे भोजन प्राप्त करने के उनके तरीके का संकेत मिलता है क्योंकि वे मछलियों को अपने पतली, नुकीली चोंच में फंसा लेती हैं। अमेरिकन डार्टर (ए. एन्हिंगा) को एन्हिंगा के रूप में भी जाना जाता है। एक स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष कारण से दक्षिणी अमेरिका में इसे वाटर टर्की कहा जाता है; हालांकि अमेरिकन डार्टर जंगली टर्की से काफी हद तक असंबद्ध होता है, ये बड़ी और काले रंग की होती हैं जिनके पास लंबी पूंछ होती है जिससे कभी-कभी भोजन के लिए शिकार किया जाता है। Answers.com, बीएलआई (BLI) (2009), मायर्स आदि.

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दलदल

दलदल भू-भाग का वह इलाका होता जो या तो मौसमी पानी के कारण, या स्थाई तौर पर पानी में डूबा होता है। भारत में स्थाई दलदल के प्रमुख उदाहरण हैं उत्तर प्रदेश के तराई के दलदल तथा पश्चिम बंगाल के सुन्दरवन। असम में काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान मौसमी दलदल बन जाता है जब ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आ जाती है। दलदल का पानी स्वच्छ या मीठा हो सकता है जैसे तराई का, या वहाँ का पानी खारा हो सकता है जैसे सुन्दरवन का क्योंकि सुन्दरवन समुद्र के किनारे स्थित होने के कारण वहाँ समुद्र का पानी होना स्वाभाविक है। दलदल में पानी की बहुतायत की वजह से कुछ विशेष प्रकार की वनस्पती ही उग सकती है, जिसने अपने आप को उस माहौल में ढाल लिया हो। इसी प्रकार कुछ विशेष प्राणी ही वहाँ जीवित रह सकते हैं, क्योंकि जीवित रहने के लिए वहाँ की परिस्थितियाँ बहुत विषम होती हैं। मीठे पानी वाले दलदल में सरकण्डा नामक घास प्रचुर मात्रा में उगती है। यह घास बहुत ऊँची होती है और मृग की प्रजाति के पशुओं को परभक्षियों से छिपने में मदद करती है। वहीं दूसरी ओर खारे पानी के दलदल में ज़्यादातर मैन्ग्रोव वन ही देखने को मिलते हैं। श्रेणी:स्थलरूप श्रेणी:जलीय स्थलरूप श्रेणी:जलीय पारितंत्र.

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दक्षिण २४ परगना जिला

दक्षिण २४ परगना जिला (দক্ষিণ চব্বিশ পরগণা জেলা) पश्चिम बंगाल का एक जिला है। इसका मुख्यालय अलीपुर में है। इसके एक ओर कोलकाता का शहरी क्षेत्र है, तो दूसरी ओर सुंदरवन के नदियों की बहुतायत वाले गांव हैं। कृषि, उद्योग एवं मत्स्य-उद्योग यहां के मुख्य उद्योग हैं। सुंदरवन में घने जंगल एवं खारे पानी की दलदल के मैन्ग्रोव वन हैं, जो गंगा नदी के डेल्टा २६० कि॰मी॰ (१६० मील) में फ़ैले हैं। श्रेणी:पश्चिम बंगाल के जिले श्रेणी:गंगा नदी श्रेणी:सुंदरवन.

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बंगाल की खाड़ी

बंगाल की खाड़ी विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी है और हिंद महासागर का पूर्वोत्तर भाग है। यह मोटे रूप में त्रिभुजाकार खाड़ी है जो पश्चिमी ओर से अधिकांशतः भारत एवं शेष श्रीलंका, उत्तर से बांग्लादेश एवं पूर्वी ओर से बर्मा (म्यांमार) तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह से घिरी है। बंगाल की खाड़ी का क्षेत्रफल 2,172,000 किमी² है। प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों के अन्सुआर इसे महोदधि कहा जाता था। बंगाल की खाड़ी 2,172,000 किमी² के क्षेत्रफ़ल में विस्तृत है, जिसमें सबसे बड़ी नदी गंगा तथा उसकी सहायक पद्मा एवं हुगली, ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदी जमुना एवं मेघना के अलावा अन्य नदियाँ जैसे इरावती, गोदावरी, महानदी, कृष्णा, कावेरी आदि नदियां सागर से संगम करती हैं। इसमें स्थित मुख्य बंदरगाहों में चेन्नई, चटगाँव, कोलकाता, मोंगला, पारादीप, तूतीकोरिन, विशाखापट्टनम एवं यानगॉन हैं। .

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भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान

भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान भारत में उड़ीसा के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। इस उद्यान में भितरकनिका सदाबहार का 672 वर्ग किमी का क्षेत्र शामिल है, यह एक सदाबहार दलदल है जो कि ब्राह्मणी, बैतरनी और धामरा नदियों के मुहाने पर स्थित है। यह राष्ट्रीय पार्क, भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य से घिरा हुआ है। इसके पूर्व में गाहिरमथा बीच स्थित है और बंगाल की खाड़ी से वनस्पतियों को अलग करती है। पार्क में खारे पानी के मगरमच्छों (क्रोकोडिलस पोरोसस)) सफेद मगरमच्छ, भारतीय अजगर, एक प्रकार के कालेपक्षी और बानकरों की अधिकता है। गाहिरमथा और पास के अन्य समुद्र तटों के घोंसलो पर ओलिव रिडले समुद्री कछुए (लेपिडोचेलिस ओलिवासिया) हैं। राष्ट्रीय उद्यान को सितम्बर 1998 में भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य के कोर क्षेत्र से बनाया गया, जिसका निर्माण 1975 में किया गया था। .

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मुंबई बंदरगाह

शहर के पूर्व बंदरगाह मुंबई बंदरगाह (मराठी: मुंबई बंदर), या फ्रंट बे, उल्हास नदी के दक्षिणी भाग का मुहाना है, जिसके उत्तरी (और संकरे) हिस्से को ठाणे कोल कहा जाता है। एलिफेंटा का ऐतिहासिक द्वीप इस बंदरगाह के अंतर्गत आने वाले छह द्वीपों में से एक है। यह मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (मुंबई पत्तन न्यास) का आवास-स्थल है, जो बंदरगाह के पश्चिमी छोर के दक्षिणी भाग में अवस्थित है। बंदरगाह का आधिकारिक नाम Front Bay (फ्रंट बे) है, यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि मुंबई, बंदरगाह की ओर मुंह किये एक छोटी-सी बस्ती के रूप में विकसित हुई थी। मूल व्यवस्थापन के पीछे का जलाधार, कोलाबा के द्वीप और बंबई द्वीप के बीच मालाबार हिल के उच्च अंतरीप या प्रायद्वीप तक एक वृत्त-खंड बनाता है, जिसे इसी तरह बैक बे कहा जाता है। जवाहर लाल नेहरू पोर्ट और नवी मुंबई (नई मुंबई) मुख्य भूमि के पूर्व में अवस्थित है और मुंबई शहर (पहले बम्बई) साल्सेट द्वीप के पश्चिम में बसी है। बंदरगाह अरब सागर के दक्षिण की ओर खुलता है। एलीफेंटा जाने के लिए अपनी जेट्टी (घाट) के साथ गेटवे ऑफ़ इंडिया, साथ ही साथ जिसके मार्ग में भारतीय नौसेना पोत विक्रांत का समुद्री संग्रहालय भी है, एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है। मुंबई उपनगरीय रेलवे प्रणाली की हार्बर लाइन बंदरगाह के पश्चिमी किनारे से होकर गुजरती है। .

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मेलाका

मलाका या मलक्का मलेशिया का एक राज्य है। यह मलय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर पर मलक्का जलसन्धि के तट पर स्थित है, जिसके पार इण्डोनेशिया का सुमात्रा द्वीप है। मेलाका मलय इतिहास का सबसे पुराना सल्तनत था, लेकिन सन् १५११ में इसपर पुर्तगालियों ने कब्ज़ा कर लिया और सल्तनत को समाप्त कर दिया। आधुनिक काल में यहाँ अब "यांग दि-पेरतुआ नेगेरी" (अर्थ: नगराध्यक्ष) नामक अधिकारी राज्यपाल का पद धारण करता है। यह मलाया प्रायद्वीप के पश्चिमी समुद्रतट पर १६६४ वर्ग किमी में फैले हुए मलाका प्रदेश की राजधानी तथा बंदरगाह है। यह एक अति प्राचीन यूरोपीय बस्ती है। कहा जाता है, मलाया के राजा ने सन् १४०३ में इस नगर की स्थापना की थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय यह जापानियों के अधीन रहा एवं १९५१ ईo में स्वतंत्र हुआ और मलाया गणतंत्र का एक भाग हो गया। प्राचीन काल से ही भारत तथा चीन से इसका व्यापारिक संबंध है पर इसकी अत्यधिक वृद्धि अंग्रेजों के आने के बाद ही हुई। नवीन मलाका में अब भी पुर्तगाली और हॉलैंड वासियों के प्राचीन भवनों के ध्वंसावशेष मिलते हैं। यह पूर्वी एशिया का सबसे महत्वूपर्ण तथा बड़ा औद्योगिक केंद्र है। इसके पृष्ठप्रदेश में भूमध्यरेखीय सघन सदाबहार वन पाए जाते हैं। तटीय भागों में पश्चिम की ओर मैंग्रोव जाति के वृक्ष अधिक पाए जाते हैं। यहाँ का मुख्य उद्यम कृषि है। यहाँ के निवासी, रबर, धान, नारियल, अनन्नास तथा गरम मसालों की खेती करते हैं। इस बंदरगाह से रबर, नारियल, चावल तथा गरम मसालों का निर्यात होता है। मलाका जलडमरूमध्य, सुमात्रा तथा मलाया प्रायद्वीप को एक दूसरे से अलग करनेवाला एक जलडमरूमध्य है जो दक्षिणी चीन सागर तथा हिन्द महासागर को आपस में मिलाता है। इस जलसंधि की लंबाई ५०० मील तथा चौड़ाई २५ मील से १०० मील तक है। इसके दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित एक छोटे द्वीप पर सिंगापुर स्थित है। इस जलसंधि के द्वारा संसार का सबसे अधिक माल आता जाता है। .

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राइज़ोफ़ोरासिए

राइज़ोफ़ोरासिए (Rhizophoraceae) पृथ्वी के ऊष्णकटिबन्ध और उपोष्णकटिबन्ध क्षेत्रों में मिलने वाले सपुष्पक पौधों का एक जीववैज्ञानिक कुल है। इसकी सबसे प्रसिद्ध सदस्य जातियाँ राइज़ोफ़ोरा (Rhizophora) जीववैज्ञानिक वंश में आने वाले मैंग्रोव हैं। कुल मिलाकर राइज़ोफ़ोरासिए कुल में १४७ जातियाँ हैं जो १५ गणों में संगठित हैं। इनमें से अधिकतर जातियाँ पूर्वजगत की निवासी हैं। .

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साल्सेट द्वीप

साल्सेट द्वीप भारत के महाराष्ट्र प्रदेश में पश्चिमी तट पर स्थित एक द्वीप है। मुंबई का महानगर (भूतपूर्व बंबई) और ठाणे शहर इस द्वीप पर स्थित हैं, जिससे यह केन्या के मिजिंगो द्वीप, हांगकांग, चीन के ऐप ली चाऊ और मालदीव के माले द्वीप के बाद विश्व का 7वां सबसे घनी बस्ती वाला और 13वां सर्वाधिक जनसंख्या वाला द्वीप बन गया है। .

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सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान

सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के दक्षिणी भाग में गंगा नदी के सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान, बाघ संरक्षित क्षेत्र एवं बायोस्फ़ीयर रिज़र्व क्षेत्र है। यह क्षेत्र मैन्ग्रोव के घने जंगलों से घिरा हुआ है और रॉयल बंगाल टाइगर का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या 103है। यहां पक्षियों, सरीसृपों तथा रीढ़विहीन जीवों (इन्वर्टीब्रेट्स) की कई प्रजातियाँ भी पायी जाती हैं। इनके साथ ही यहाँ खारे पानी के मगरमच्छ भी मिलते हैं। वर्तमान सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान 1973 में मूल सुंदरवन बाघ रिज़र्व क्षेत्र का कोर क्षेत्र तथा 1977 में वन्य जीव अभयारण्य घोषित हुआ था। 4 मई 1984 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। .

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गंगासागर

गंगासागर (सागर द्वीप या गंगा-सागर-संगम भी कहते हैं) बंगाल की खाड़ी के कॉण्टीनेण्टल शैल्फ में कोलकाता से १५० कि॰मी॰ (८०मील) दक्षिण में एक द्वीप है। यह भारत के अधिकार क्षेत्र में आता है और पश्चिम बंगाल सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है। इस द्वीप का कुल क्षेत्रफल ३०० वर्ग कि॰मी॰ है। इसमें ४३ गांव हैं, जिनकी जनसंख्या १,६०,००० है। यहीं गंगा नदी का सागर से संगम माना जाता है। इस द्वीप में ही रॉयल बंगाल टाइगर का प्राकृतिक आवास है। यहां मैन्ग्रोव की दलदल, जलमार्ग तथा छोटी छोटी नदियां, नहरें हीं। इस द्वीप पर ही प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ है। प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर लाखों हिन्दू श्रद्धालुओं का तांता लगता है, जो गंगा नदी के सागर से संगम पर नदी में स्नान करने के इच्छुक होते हैं। यहाँ एक मंदिर भी है जो कपिल मुनि के प्राचीन आश्रम स्थल पर बना है। ये लोग कपिल मुनि के मंदिर में पूजा अर्चना भी करते हैं। पुराणों के अनुसार कपिल मुनि के श्राप के कारण ही राजा सगर के ६० हज़ार पुत्रों की इसी स्थान पर तत्काल मृत्यु हो गई थी। उनके मोक्ष के लिए राजा सगर के वंश के राजा भगीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाए थे और गंगा यहीं सागर से मिली थीं। कहा जाता है कि एक बार गंगा सागर में डुबकी लगाने पर 10 अश्वमेध यज्ञ और एक हज़ार गाय दान करने के समान फल मिलता है। जहां गंगा-सागर का मेला लगता है, वहां से कुछ दूरी उत्तर वामनखल स्थान में एक प्राचीन मंदिर है। उसके पास चंदनपीड़िवन में एक जीर्ण मंदिर है और बुड़बुड़ीर तट पर विशालाक्षी का मंदिर है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का यहां एक पायलट स्टेशन तथा एक प्रकाशदीप भी है। पश्चिम बंगाल सरकार सागर द्वीप में एक गहरे पानी के बंदरगाह निर्माण की योजना बना रही है। गंगासागर तीर्थ एवं मेला महाकुंभ के बाद मनुष्यों का दूसरा सबसे बड़ा मेला है। यह मेला वर्ष में एक बार लगता है। गंगा-डेल्टा, सुंदरवन का उपग्रह चित्र, यहीं बीच में गंगा-सागर द्वीप स्थित है। यह द्वीप के दक्षिणतम छोर पर गंगा डेल्टा में गंगा के बंगाल की खाड़ी में पूर्ण विलय (संगम) के बिंदु पर लगता है। बहुत पहले इस ही स्थानपर गंगा जी की धारा सागर में मिलती थी, किंतु अब इसका मुहाना पीछे हट गया है। अब इस द्वीप के पास गंगा की एक बहुत छोटी सी धारा सागर से मिलती है। यह मेला पांच दिन चलता है। इसमें स्नान मुहूर्त तीन ही दिनों का होता है। यहां गंगाजी का कोई मंदिर नहीं है, बस एक मील का स्थान निश्चित है, जिसे मेले की तिथि से कुछ दिन पूर्व ही संवारा जाता है। यहां स्थित कपिल मुनि का मंदिर सागर बहा ले गया, जिसकी मूर्ति अब कोलकाता में रहती है और मेले से कुछ सप्ताह पूर्व पुरोहितों को पूजा अर्चना हेतु मिलती है। अब यहां एक अस्थायी मंदिर ही बना है। इस स्थान पर कुछ भाग चार वर्षों में एक बार ही बाहर आता है, शेष तीन वर्ष जलमग्न रहता है। इस कारण ही कह जाता है: बाकी तीरथ चार बार, गंगा-सागर एक बार॥ वर्ष २००७ में मकर संक्रांति के अवसर पर लगभग ३ लाख लोगों ने यहां स्नान किया। यह संख्या अगले वर्ष घटकर २ लाख रह गई। ऐसा कुंभ मेले के कारण हुआ। शेष वर्ष पर्यन्त ५० हजार तीर्थयात्रियों ने स्नान किए। २००८ में पांच लाख श्रद्धालुओं ने सागर द्वीप में स्नान किया। यहां आने वाले श्रद्धालुओं से १० भारतीय रुपए कर लिया जाता है। .

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