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माइक्रोफोन

सूची माइक्रोफोन

एक माइक्रोफोन (जिसे बोलचाल की भाषा में Mic या Mike कहा जाता है) एक ध्वनिक-से-वैद्युत ट्रांसड्यूसर (en:Transducer) या संवेदक होता है, जो ध्वनि को विद्युतीय संकेत में रूपांतरित करता है। 1876 में, एमिली बर्लिनर (en:Emile Berliner) ने पहले माइक्रोफोन का आविष्कार किया, जिसका प्रयोग टेलीफोन स्वर ट्रांसमीटर के रूप में किया गया। माइक्रोफोनों का प्रयोग अनेक अनुप्रयोगों, जैसे टेलीफोन, टेप रिकार्डर, कराओके प्रणालियों, श्रवण-सहायता यंत्रों, चलचित्रों के निर्माण, सजीव तथा रिकार्ड की गई श्राव्य इंजीनियरिंग, FRS रेडियो, मेगाफोन, रेडियो व टेलीविजन प्रसारण और कम्प्यूटरों में आवाज़ रिकार्ड करने, स्वर की पहचान करने, VoIP तथा कुछ गैर-ध्वनिक उद्देश्यों, जैसे अल्ट्रासॉनिक परीक्षण या दस्तक संवेदकों के रूप में किया जाता है। शॉक माउंट वाला एक न्यूमन U87 कंडेंसर माइक्रोफोन वर्तमान में प्रयोग किये जाने वाले अधिकांश माइक्रोफोन यांत्रिक कंपन से एक विद्युतीय आवेश संकेत उत्पन्न करने के लिये एक विद्युतचुंबकीय प्रवर्तन (गतिज माइक्रोफोन), धारिता परिवर्तन (दाहिनी ओर चित्रित संघनित्र माइक्रोफोन), पाइज़ोविद्युतीय निर्माण (Piezoelectric Generation) या प्रकाश अधिमिश्रण का प्रयोग करते हैं। .

13 संबंधों: चुम्बक, ध्वनि, पराश्रव्य, प्रवर्धक, बिग डाटा, मैकबुक एयर, संवेदकों की सूची, हार्डवेयर, हैंड्स फ्री, वॉयस चैट, वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग, इलेक्ट्रॉनिक अवयव, कार्बन माइक्रोफोन

चुम्बक

एक छड़ चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित हुई लौह-धुरि (iron-filings) एक परिनालिका (सॉलिनॉयड) द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय बल रेखाएँ फेराइट चुम्बक चुम्बक (मैग्नेट्) वह पदार्थ या वस्तु है जो चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। चुम्बकीय क्षेत्र अदृश्य होता है और चुम्बक का प्रमुख गुण - आस-पास की चुम्बकीय पदार्थों को अपनी ओर खींचने एवं दूसरे चुम्बकों को आकर्षित या प्रतिकर्षित करने का गुण, इसी के कारण होता है। .

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ध्वनि

ड्रम की झिल्ली में कंपन पैदा होता होता जो जो हवा के सम्पर्क में आकर ध्वनि तरंगें पैदा करती है मानव एवं अन्य जन्तु ध्वनि को कैसे सुनते हैं? -- ('''नीला''': ध्वनि तरंग, '''लाल''': कान का पर्दा, '''पीला''': कान की वह मेकेनिज्म जो ध्वनि को संकेतों में बदल देती है। '''हरा''': श्रवण तंत्रिकाएँ, '''नीललोहित''' (पर्पल): ध्वनि संकेत का आवृति स्पेक्ट्रम, '''नारंगी''': तंत्रिका में गया संकेत) ध्वनि (Sound) एक प्रकार का कम्पन या विक्षोभ है जो किसी ठोस, द्रव या गैस से होकर संचारित होती है। किन्तु मुख्य रूप से उन कम्पनों को ही ध्वनि कहते हैं जो मानव के कान (Ear) से सुनायी पडती हैं। .

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पराश्रव्य

अल्ट्रासाउन्ड द्वारा गर्भवती स्त्री के गर्भस्थ शिशु की जाँच १२ सप्ताह के गर्भस्थ शिशु का पराश्रव्य द्वारा लिया गया फोटो पराश्रव्य (ultrasound) शब्द उन ध्वनि तरंगों के लिए उपयोग में लाया जाता है जिसकी आवृत्ति इतनी अधिक होती है कि वह मनुष्य के कानों को सुनाई नहीं देती। साधारणतया मानव श्रवणशक्ति का परास २० से लेकर २०,००० कंपन प्रति सेकंड तक होता है। इसलिए २०,००० से अधिक आवृत्तिवाली ध्वनि को पराश्रव्य कहते हैं। क्योंकि मोटे तौर पर ध्वनि का वेग गैस में ३३० मीटर प्रति सें., द्रव में १,२०० मी.

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प्रवर्धक

एक सामान्य प्रवर्धक बक्सा जिसमें इनपुट और आउटपुट के लिए बाहर पिन दिए होते हैं। प्रवर्धक और रिपीटर जो संकेत की शक्ति को बढ़ाकर उन्हें 'उपयोग के लायक' बनाते हैं। प्रवर्धक या एम्प्लिफायर (amplifier) ऐसी युक्ति है जो किसी विद्युत संकेत का मान (अम्प्लीच्यूड) बदल दे (प्रायः संकेत का मान बड़ा करने की आवश्यकता अधिक पड़ती है।) विद्युत संकेत विभवान्तर (वोल्टेज) या धारा (करेंट) के रूप में हो सकते है। आजकल सामान्य प्रचलन में प्रवर्धक से आशय किसी 'इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धक' से ही होता है। .

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बिग डाटा

० बिग डेटा डेटा सेट है जो इतनी बड़ी या जटिल है कि पारंपरिक डाटा प्रोसेसिंग अनुप्रयोगों अपर्याप्त हैं। चुनौतियां जैसे विश्लेषण,कैप्चर,खोज,साझा करने,भंडारण,हस्तांतरण,दृश्य,क्वेरी,अद्यतन करने और जानकारी की गोपनीयता में शामिल हैं। बिग डेटा अक्सर विश्लेषण,उपयोगकर्ता व्यवहार विश्लेषण या कुछ अन्य उन्नत डेटा एनालिटिक्स तरीकों कि डेटा दुर्लभ,निकालने का उपयोग करने के लिए बस संदर्भित करता है। बड़ा डेटा में सटीकता और अधिक आत्मविश्वास निर्णय लेने के लिए नेतृत्व होता हैं और बेहतर निर्णय अधिक से अधिक परिचालन दक्षता,लागत में कमी और कम जोखिम में परिणाम हो सकता हैं। डेटा सेट का विश्लेषण से हम हाजिर व्यापार प्रवृत्तियों,बीमारियों को रोकने,मुकाबला अपराध आदि के लिए नए सहसंबंध पा सकते हैं। वैज्ञानिकों,व्यापार के अधिकारियों, चिकित्सा, विज्ञापन और सरकारों के चिकित्सकों को समान रूप से नियमित रूप से इंटरनेट खोज,वित्त,शहरी सूचना विज्ञान और व्यापार सूचना सहित क्षेत्रों में बड़े डेटा सेट के साथ कठिनाइया होते है। डेटा सेट बहुत ही तीव्र-गति से बढ़ रहे हैं क्योंकि वे तेजी से सस्ता और कई जानकारी संवेदन मोबाइल उपकरणों,हवाई(रिमोट सेंसिंग),सॉफ्टवेयर लॉग,कैमरों,माइक्रोफोन,रेडियो आवृत्ति पहचान (आरएफआईडी) पाठकों और वायरलेस सेंसर नेटवर्क द्वारा इकट्ठा कर रहे हैं। संबंधपरक डेटाबेस प्रबंधन प्रणालियों और डेस्कटॉप सांख्यिकी और दृश्य संकुल अक्सर कठिनाई बड़ा डेटा को संभालने की है। बिग डाटा से यह माना जाता है कि उनके उपयोगकर्ताओं और उनके उपकरणों की क्षमताओं पर निर्भर करता है और विस्तार क्षमताओं से बड़ा डेटा एक चलती लक्ष्य बनाते हैं। कुछ संगठनों के लिए, पहली बार के लिए डेटा के गीगाबाइट का सामना करना पड़ सैकड़ों डेटा प्रबंधन विकल्प पर पुनर्विचार करने की जरूरत हो सकती है। दूसरों के लिए यह दसियों या टेराबाइट्स के सैकड़ों ले सकता है इससे पहले डेटा आकार एक महत्वपूर्ण विचार हो जाता है। .

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मैकबुक एयर

मैकबुक एयर (Macbook Air), एप्पल के अत्यंत सुवाह्य (अल्ट्रापोर्टेबल) मैकिन्टोश नोटबुक कंप्यूटरों की एक श्रृंखला है जिसमें एप्पल के एल्यूमीनियम एकल-शरीर ढांचे (यूनिबॉडी एनक्लोजर) का इस्तेमाल पहली बार किया गया था। पहला मैकबुक एयर एक 13.3" मॉडल था जिसका प्रचार-प्रसार दुनिया के सबसे पतले नोटबुक के रूप में किया गया, जिसे 15 जनवरी 2008 को मैकवर्ल्ड कॉन्फरेंस एंड एक्सपो में पेश किया गया था। मूल मैकबुक एयर में कस्टम इंटेल मेरोम सीपीयू के साथ-साथ इंटेल जीएमए ग्राफिक्स की सुविधा थी जिसे 2008 के अंत में अपरंपरागत पेनरिन सीपीयू एनविडिया जीफ़ोर्स (Nvidia GeForce) ग्राफिक्स में अद्यतित किया गया था। इसके अतिरिक्त हार्ड ड्राइव की क्षमता बढ़ाई गयी थी और माइक्रो-डीवीआई (micro-DVI) वीडियो पोर्ट की जगह एक मिनी डिसप्ले पोर्ट (Mini DisplayPort) का इस्तेमाल किया गया था। मैकबुक प्रो (MacBook Pro) परिवार के साथ पेश किये गए 2009 के मध्य के एक नए संस्करण की विशेषता, थोड़ी उच्च क्षमता की बैटरी और एक तेज पेनरिन सीपीयू विकल्प के रूप में थी। 20 अक्टूबर 2010 को एप्पल ने एक पुनर्निर्मित 13.3" मॉडल जारी किया जिसमें एक नया अपेक्षाकृत हल्का संलग्नक, उच्च रिजॉल्यूशन का स्क्रीन, उच्च क्षमता की बैटरी और हार्ड ड्राइव की जगह एक एसएसडी शामिल थी। इसके अतिरिक्त एक 11.6" मॉडल पहली बार 13.3" की तुलना में कम मूल्य, वजन, बैटरी लाइफ और कार्यक्षमता लेकिन आम नेटबुक की तुलना में बेहतर कार्यकुशलता के साथ जारी किया गया था। .

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संवेदकों की सूची

यहाँ विभिन्न प्रकार के संवेदकों की सूची दी गयी है। .

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हार्डवेयर

कम्प्यूटर हार्डवेयर कम्प्यूटर का भौतिक भाग होता है जिसमें उसके डिजीटल सर्किट (digital circuit) लगे होते हैं जैसा कि कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर से प्रदर्शित होता है और यह हार्डवेयर के अंदर ही रहता है। किसी कंप्यूटर का हार्डवेयर उसके सोफ्टवेयर और हार्डवेयर डाटा की तुलना में यदा-कदा बदल जाता है। ये डाटा महसूस करने में वस्तुपरक नहीं होते हैं और इन्हें तत्काल, संशोधित अथवा मिटाया जा सकता है। फर्मवेयर (Firmware) किसी सोफ्टवेयर की एक विशेष किस्म होती है जिसे जरूरत पड़ने पर बदला जा सकता है और हार्डवेयर यंत्रों पर रक्षित किया जा सकता है जैसे केवल पठन स्मृति (read-only memory) (रोम) जहां इसे तत्काल बदला नहीं जा सकता है (और इसीलिए, वस्तुपरक रहने की तुलना में स्थिर बना दिया जाता है। अधिकांश कम्प्यूटर सामान्य यूज़र द्वारा नहीं देखे जाते हैं। यह ऑटोमोबाइल, माइक्रोवेव ओवन, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी मशीन, कोम्पेक्ट डिस्क (compact disc) प्लेयर तथा अन्य यंत्रों में उपयोग की जाने वाली एक एम्बेडेड सिस्टम (embedded systems) है। पर्सनल कम्प्यूटर (Personal computer) ज्यादातर लोगों द्वारा परिचित कम्प्यूटर हार्डवेयर है जो कम्प्यूटरों के केवल लघु परिवार की रचना करता है (2003 में निर्मित सभी नए कम्प्यूटरों का लगभग 0;2 प्रतिशत) बाजार के आँकड़े देखें। .

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हैंड्स फ्री

सैब ९-५ कार में लगी हैंड्स फ्री मोबाइल किट हैंड्स फ्री युक्तियाँ, ऐसे उपकरण होते हैं, जो उपभोक्ता को बिना मोबाइल फोन को हाथ में लिए बात कर पाने में सक्षम कर पाती हैं। ये युक्तियाँ, हैंडबैंड की तरह होती है, जिसमें मुंह के पास एक माइक्रोफोन लगा होता है, जिससे उपभोक्ता अपनी बात कह सकते है और कान के पास लगे दूसरे हैडबैंड से बात सुन सकते है। ये युक्तियाँ आकार, क्षमता, परास (रेंज), कनेक्शन, फोन और फीचर के अनुसार कई प्रकार की होती हैं। फोन के अनुरूप ढला होना इनका प्रमुखतम कारक होता है।|हिन्दुस्तान लाइव। १० मार्च २०१० यही इसका मोबाइल फोन के संग प्रयोग होना या न होना निश्चित करता है। साधारण हैंड्सफ्री युक्तियों में हैंडसेट होता है, लेकिन बाजार में मिलने वाली हैंड्सफ्री युक्तियों में स्पीकर फोन लगे होते हैं। हैंड्स फ्री युक्ति की सहायता से फोन से बात करते समय अन्य काम भी कर सकते हैं। बात करते समय कंप्यूटर पर लिख सकते हैं या कागज पर अंकित भी सकते हैं। खासकर गाड़ी ड्राइविंग करते समय भी हैंड्सफ्री युक्ति की सहायता से बात कर सकते हैं। ये युक्तियाँ इन्फ्रा-रेड या ब्लूटूथ द्वारा मोबाइल फोन से जुड़ी रहती हैं। .

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वॉयस चैट

वॉयस चैट हेतु प्रयोग किया जाने वाला एक हैडसेट वॉयस चैट, अंतर्जाल के माध्यम से कंप्यूटर पर बात करने का एक साधन है। इसे वॉयस चैट प्रोटोकॉल भी कहते हैं और ये कंप्यूटर द्वारा संचार का एक तुल्यकालिक कॉन्फ्रेन्सिंग साधन है। इस सुविधा द्वारा इंटरनेट कनेक्शन का लाभ लेकर उपयोक्ता संसार भर में कहीं भी निःशुल्क बात कर सकते हैं। इसे ऑनलाइन या मोबाइल फोन से भी उपयोग में लाया जा सकता है। इसके लिये अनेक वॉयस चैट प्रोग्रामों की सहायता ली जाती है, जैसे स्काइप एक प्रसिद्ध वॉयस चैट प्रोग्राम है।|हिन्दुस्तान लाइव। २६ मई २०१० इसके अलावा विभिन्न अन्य चर्चित वॉयस चैट प्रोग्राम उपलब्ध हैं, जो उपयोग में लाए जाते हैं, जैसे याहू मैसेंजर, एओएल इंस्टैंट मैसेंजर, इनस्पीक कम्युनिकेटर, विंडोज़ लाइव मैसेंजर, आदि। इन्हें कंप्यूटर पर इंटरनेट से निःशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है। कंप्यूटर पर वॉयस चैट करते हुए हेडसेट लगाना आवश्यक होता है, जिसमें एक भी माइक्रोफोन लगा होता है। हेडसेट कम्प्यूटर से सीधे या यूएसबी पोर्ट पर जुड़ जाता है। कुछ हेडसेट माइक्रोफोन सहित आते हैं और कुछ में इसे अलग से लगाना होता है। इस तरह के हेडसेट ऑनलाइन वीडियो गेम्स खेलते समय भी प्रयोग होते हैं। इंटरनेट पर कई ऑनलाइन गेम्स ऐसे होते हैं, जिनमें खेलने वालों को आपस में ऑनलाइन वार्ता करना होता है, इसके लिये वॉयस चैट अच्छा माध्यम है। इसके अलावा भी कॉल सेंटरों में कार्यरत लोगों के लिए भी वॉयस चैट का प्रयोग अत्यावश्यक होता है। कई बार इनके क्लाइंट अंतर्राष्ट्रीय स्तर के होते हैं और सुदूर के क्षेत्रों में होते हैं, जिनसे समय समय पर चर्चाएं करनी होती हैं। वे अपने काम के लिए वॉयस चैट पर ही निर्भर रहते हैं। व्यावसायिक कार्यों के साथ ही वॉयस चैट उन कंपनियों के लिए भी उपयोगी होती है, जिनके कार्यालय विश्व के अलग-अलग देशों में हैं। इससे उनमें काम करने वाले लोग यात्रा किए बिना ही साक्षात्कार और ऑनलाइन बैठकें व सम्मेलन (कॉन्फ्रेंसिंग) कर सकते हैं। इससे समय और धन की बचत होती है। अंतर्जाल पर जुड़ने वाले कैमरे, यानि वेबकैम के माध्यम से भी वॉयस चैट की जा सकती है। इसमें प्रायः अलग से हेडसेट के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहती है, क्योंकि वेबकैम में माइक्रोफोन अंदर ही लगा होता है। इससे केवल बात ही नहीं कर सकते वरन कैमरे के द्वारा चित्रों व वीडियो का भी आदानप्रदान संभव होता है। दोनों ही उपयोक्ता एक दूसरे से इस प्रकार बात करते हैं, जैसे एक खिड़की से एक-दूसरे को देख रहे हों। यह तकनीक उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है, जो अपने परिवार और दोस्तों से दूर विदेशों में रहते हैं। इस श्रेणी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी एक उन्नत चरण है। इसके प्रयोग से कई कंपनियां अपने अधिकारियों के सम्मेलन ऑनलाइन ही आयोजित करवा लेते हैं। वॉयस चैट की सुविधा इंटरनेट के अलावा मोबाइल और फिक्स्ड लाइन (लैंडलाइन) फोन के माध्यम से करने की सुविधाएं भी अब फोन सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा दी जा रही हैं। एयरटेल के ब्रॉडबैंड और टेलीफोन सेवाओं के साथ वॉयस चैट भी आरंभ की गई है। फिक्स्ड लाइन पर वॉयस चैट की सुविधा से भी उपभोक्ता बिना अपनी पहचान बताए अन्य एयरटेल मोबाइल और फिक्स्ड लाइन के ग्राहकों से बात कर सकते हैं। .

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वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग

एक ''टी३'' अल्ट्रा-हाई रिज़ॉल्यूशन टेलिप्रेसेन्स कक्ष। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आधुनिक संचार तकनीक है, जिसके माध्यम से दो या इससे अधिक स्थानों से एक साथ ऑडियो-वीडियो माध्यम से कई लोग जुड़ सकते हैं। इसे वीडियो टेलीकॉन्फ्रेंस भी कहा जाता है। इसका प्रयोग खासकर किसी बैठक या सम्मेलन के लिए तब किया जाता है, जब कई लोग अलग-अलग स्थानों में बैठे हों। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से अभिलेखों और कम्प्यूटर पर चल रही सूचनाओं का आदान-प्रदान भी किया जा सकता है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में वीडियो कैमरा या वेब कैम, कम्प्यूटर मॉनिटर, टेलीविजन या प्रोजेक्टर, माइक्रोफोन, लाउडस्पीकर और इंटरनेट की आवश्यकता होती है। जिन देशों में टेलीमेडिसिन और टेलीनर्सिग को मान्यता प्राप्त है, वहां लोग आपातकाल में नर्स और डॉक्टरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं। यह सेवा आजकल भारत संचार निगम लिमिटेड ने अपनी ३-जी दूरभाष सेवा में भी देनी आरंभ की है। आजकल इस आधुनिक तकनीक का शिक्षा और विदेश में बैठे लोगों की न्यायालयों में गवाही और कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए भी काफी प्रयोग होने लगा है। दुनिया के कई विश्वविद्यालयों ने आधुनिक शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता को देखते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को अपनाया है। भारत समेत कई देशों में सरकारी बैठकों और कार्य निर्देश भी अब इसके जरिए हो रहे हैं। इस प्रकार इससे समय और खर्च दोनों को कम किया जा सकता है। विश्व में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का सार्वजनिक प्रयोग उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका के बीच किया गया था। यह तकनीक इतनी उपयोगी हो चली है कि अब वैज्ञानिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को मोबाइल फोन पर उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। वीडियो कॉन्फ़्रेन्सिंग अब कई आधुनिक मोबाइल फोन पर भी उपलब्ध है। .

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इलेक्ट्रॉनिक अवयव

कुछ प्रमुख '''इलेक्ट्रॉनिक अवयव''' जिन विभिन्न अवयवों का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक परिपथ (जैसे- आसिलेटर, प्रवर्धक, पॉवर सप्लाई आदि) बनाये जाते हैं उन्हें इलेक्ट्रॉनिक अवयव (electronic component) कहते हैं इलेक्ट्रॉनिक अवयव दो सिरे वाले, तीन सिरों वाले या इससे अधिक सिरों वाले होते हैं जिन्हें सोल्डर करके या किसी अन्य विधि से (जैसे स्क्रू से कसकर) परिपथ में जोड़ा जाता है। प्रतिरोधक, प्रेरकत्व, संधारित्र, डायोड, ट्रांजिस्टर (या बीजेटी), मॉसफेट, आईजीबीटी, एससीआर, प्रकाश उत्सर्जक डायोड, आपरेशनल एम्प्लिफायर एवं अन्य एकीकृत परिपथ आदि प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक अवयव हैं। प्रमुख एलेक्ट्रॉनिक अवयवों के प्रतीक .

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कार्बन माइक्रोफोन

कार्बन माइक्रोफोन अथवा बटन माइक्रोफोन एक प्रकार का माइक्रोफोन, अर्थात् एक ऐसा यंत्र है जो ध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदलता है। एक कार्बन माइक्रोफोन एक कैप्सूल या बटन का प्रयोग करता है, जिसमें धातु की दो प्लेटों के बीच कार्बन कणिकाएं दबी हुई होती हैं। धातु की इन प्लेटों के पार एक वोल्टेज लागू किया जाता है, जिससे विद्युत-प्रवाह की एक छोटी-सी मात्रा कार्बन से होकर प्रवाहित होती है। इनमें से एक प्लेट, मध्यपट, संयोगित ध्वनि तरंगों के साथ कंपित होती है और कार्बन में बदलता हुआ दाब लागू करती है। यह बदलता हुआ दाब इन कणिकाओं को विरुपित कर देता है, जिससे आसन्न कणिकाओं के प्रत्येक जोड़े के बीच का संपर्क-क्षेत्र में परिवर्तित होता है और जिससे कणिकाओं के द्रव्यमान के विद्युतीय प्रतिरोध में परिवर्तन करता है। प्रतिरोध में परिवर्तन माइक्रोफोन से होकर प्रवाहित हो रहे संबंधित विद्युत-प्रवाह में परिवर्तन करता है, जिससे विद्युतीय संकेत उत्पन्न होते हैं। किसी समय कार्बन माइक्रोफोनों का प्रयोग टेलीफोनों में आम था। इनमें ध्वनि पुनरुत्पादन की गुणवत्ता बहुत ही निम्न होती है और इसकी आवृत्ति प्रतिक्रिया श्रेणी बहुत सीमित होती है, लेकिन ये बहुत शक्तिशाली उपकरण होते हैं। कार्बन की गेंदों का प्रयोग करनेवाला 1880 का बॉडेट माइक्रोफोन कणिका कार्बन बटन माइक्रोफोन जैसा ही एक आविष्कार था। यद्यपि इसका पेटेंट एडिसन को १८७७ के मध्य में मिला था, डेविड हॉजेज़ इसका सफल उदाहरण कई वर्षों पूर्व कर प्रदर्शित कर चुके थे और विज्ञान के इतिहासकार उन्हें जी इसका आविष्कारक मानते हैं। .

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