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ध्वनि

सूची ध्वनि

ड्रम की झिल्ली में कंपन पैदा होता होता जो जो हवा के सम्पर्क में आकर ध्वनि तरंगें पैदा करती है मानव एवं अन्य जन्तु ध्वनि को कैसे सुनते हैं? -- ('''नीला''': ध्वनि तरंग, '''लाल''': कान का पर्दा, '''पीला''': कान की वह मेकेनिज्म जो ध्वनि को संकेतों में बदल देती है। '''हरा''': श्रवण तंत्रिकाएँ, '''नीललोहित''' (पर्पल): ध्वनि संकेत का आवृति स्पेक्ट्रम, '''नारंगी''': तंत्रिका में गया संकेत) ध्वनि (Sound) एक प्रकार का कम्पन या विक्षोभ है जो किसी ठोस, द्रव या गैस से होकर संचारित होती है। किन्तु मुख्य रूप से उन कम्पनों को ही ध्वनि कहते हैं जो मानव के कान (Ear) से सुनायी पडती हैं। .

88 संबंधों: चन्द्रशेखर वेंकटरमन, टिटहरी, डिस्लेक्सिया, डिजिटल कैमरा, ड्रम, डॉप्लर प्रभाव, तरंग, तरंग संचरण, तारत्व, तंतु (संगीत), तंतु कम्पन, द मेट्रिक्स, दूरदर्शन, ध्रुवण (विद्युतचुम्बकीय), ध्वनि का वेग, ध्वनिकी, पराश्रव्य, परावर्तन (भौतिकी), परिश्रवण, पर्यावरण अभियांत्रिकी, प्रतीक, प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, प्रकाश गूंज, पृथ्वीराज चौहान, फ़ूर्ये श्रेणी, फोनोग्राफ, बधिरता, बाँसुरी, भाषाविज्ञान, भौतिक शास्त्र, महेन्द्रनाथ मंदिर , सिवान , बिहार, मानव स्वर, मानविकी, माइक्रोफोन, मुँह, यांत्रिक तरंग, यांत्रिकी, रैखिक निकाय, लाउडस्पीकर, शब्दकोश, शरीरक्रिया विज्ञान, शिक्षा (वेदांग), साधारण लघुगणक, सामान्य चिकित्सा में प्रयुक्त उपकरण, सांकेतिक भाषा, संचार, संगणक संचिका, संगीत चिकित्सा, संगीत तथा गणित, संकेतन, ..., सुपरमैन (फ़िल्म), सुरत शब्द योग, स्वनिमविज्ञान, स्वर (बहुविकल्पी), सेंसर, हिन्दी व्याकरण, हेडफ़ोन, जेट विमान, वाणी की वक्रता, वाद्य यन्त्र, वायुगतिकी, विद्युत घंटी, विद्युतचुंबकीय विकिरण, विलियम हेनरी ब्रैग, विस्पन्द, विवर्तन, वक्रोक्ति सिद्धान्त, वेवगाइड, वॉक्स, ग्रामोफ़ोन, गूगल स्काई, , आतिशबाज़ी बनाने की विद्या, आघात (स्वनविज्ञान), आगम (भाषा सम्बन्धी), आंशिक अवकल समीकरण, कणाभ, कान बजना, कोरिया, , अनाहत चक्र, अनुनाद, अनुरणन, अष्टाध्यायी, अवशोषण, अवगम, उच्चारण, उच्चारण स्थान सूचकांक विस्तार (38 अधिक) »

चन्द्रशेखर वेंकटरमन

सीवी रमन (तमिल: சந்திரசேகர வெங்கடராமன்) (७ नवंबर, १८८८ - २१ नवंबर, १९७०) भारतीय भौतिक-शास्त्री थे। प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष १९३० में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। १९५४ ई. में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया तथा १९५७ में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्रदान किया था। .

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टिटहरी

टिटहरी (अंग्रेज़ी:Sandpiper, संस्कृत: टिट्टिभ) मध्यम आकार के जलचर पक्षी होते हैं, जिनका सिर गोल, गर्दन व चोंच छोटी और पैर लंबे होते हैं। यह प्राय: जलाशयों के समीप रहती है। इसे कुररी भी कहते हैं। नर अपनी मादा को हवाई करतबों से रिझाता है, जिनमें उड़ान के बीच में द्रुत चढ़ाव, पलटे और चक्कर होते है। यह तेज़ चक्करों, हिचकोलों और लुढ़कन भरी उड़ान है, जिसमें कुछ अंतराल पर पंख फड़फड़ाने की ऊंची ध्वनि दूर तक सुनाई देती है। ये धरती पर मामूली सा खोदकर अथवा थोड़े से कंकरों और बालू से घिरे गढ्डे में घोंसला बनाते हैं। इनका प्रजनन बरसात के समय मार्च से अगस्त के दौरान होता है। ये सामान्यत: दो से पांच नाशपाती के आकार के (पृष्ठभूमि से बिल्कुल मिलते-जुलते, पत्थर के रंग के हल्के पीले पर स्लेटी-भूरे, गहरे भूरे या बैंगनी धब्बों वाले) अंडे देती हैं। .

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डिस्लेक्सिया

डिस्लेक्सिया एक अधिगम विकलांगता है जिसका प्रकटीकरण मुख्य रूप से वाणी या लिखितभाषा के दृश्य अंकन की कठिनाइयों के रूप में होता है, विशेष तौर पर मनुष्य-निर्मित लेखन प्रणालियों को पढ़ने में.

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डिजिटल कैमरा

एक डिजिटल कैमरा (या संक्षेप में - डिजिकैम) एक ऐसा कैमरा है जो डिजिटल रूप में वीडियो या स्टिल फोटोग्राफ या दोनों लेता है और एक इलेक्ट्रॉनिक इमेज सेंसर के माध्यम से चित्रों को रिकॉर्ड कर लेता है। कैनन पॉवरशॉट A95 Canon PowerShot A95 के सामने और पीछे का हिस्सा. कई कॉम्पैक्ट डिजिटल स्टिल कैमरे, ध्वनि और मूविंग वीडियो के साथ-साथ स्टिल फोटोग्राफ को भी रिकॉर्ड कर सकते हैं। पश्चिमी बाजार में, डिजिटल कैमरों के 35 mm फ़िल्म काउंटरपार्ट की ज्यादा बिक्री होती है। डिजिटल कैमरे, वे सभी काम कर सकते हैं जो फ़िल्म कैमरे नहीं कर पाते हैं: रिकॉर्ड करने के तुरंत बाद स्क्रीन पर इमेजों को प्रदर्शित करना, एक छोटे-से मेमोरी उपकरण में हज़ारों चित्रों का भंडारण करना, ध्वनि के साथ वीडियो की रिकॉर्डिंग करना और संग्रहण स्थान को खाली करने के लिए चित्रों को मिटा देना.

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ड्रम

ड्रम, संगीत वाद्ययंत्रों के एक ऐसे तालवाद्य (परकशन) समूह का एक सदस्य है जिन्हें तकनीकी दृष्टि से झिल्लीयुक्त वाद्ययंत्र के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ड्रम में कम से कम एक झिल्ली होती है जिसे ड्रम का सिर या ड्रम की त्वचा या खाल कहते हैं जो एक खोल पर फैला हुआ होता है और ध्वनि उत्पन्न करने के लिए इस पर या तो सीधे बजाने वाले के हाथों से या ड्रम बजाने की छड़ी से प्रहार किया जाता है। ड्रम के नीचे की तरफ आम तौर पर एक "प्रतिध्वनि सिर" होता है। ड्रम से ध्वनि उत्पन्न करने के लिए अन्य तकनीकों का भी इस्तेमाल किया जाता है जैसे थम्ब रोल (अंगूठे को घुमाना).

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डॉप्लर प्रभाव

जब किसी ध्वनि स्रोत और श्रोता के बीच आपेक्षिक गति होती है तो श्रोता को जो ध्वनि सुनाई पड़ती है उसकी आवृत्ति मूल आवृति से कम या अधिक होती है। इसी को डॉप्लर प्रभाव (Doppler effect) कहते हैं। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली श्रेणी:तरंग यान्त्रिकी.

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तरंग

---- तरंग (Wave) का अर्थ होता है - 'लहर'। भौतिकी में तरंग का अभिप्राय अधिक व्यापक होता है जहां यह कई प्रकार के कंपन या दोलन को व्यक्त करता है। इसके अन्तर्गत यांत्रिक, विद्युतचुम्बकीय, ऊष्मीय इत्यादि कई प्रकार की तरंग-गति का अध्ययन किया जाता है। .

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तरंग संचरण

जिस किसी तरह से तरंग का संचरण सम्भव है उन्हें तरंग संचरण (Wave propagation) कहते हैं। तरंग के संचरण की दिशा तथा उसके सापेक्ष कम्पन की दिशा के आधार पर तरंगें दो तरह की होतीं है- अनुप्रस्थ तरंग (longitudinal wave) तथा अनुदैर्घ्य तरंग (transverse waves)। विद्युतचुम्बकीय तरंगें अन्य माध्यमों के अलावा निर्वात में भी संचरित हो सकतीं हैं जबकि यांत्रिक तरंगें (जैसे ध्वनि) के संचरण के लिये कोई माध्यम आवश्यक है। इनका संचरण निर्वात में नहीं हो सकता। श्रेणी:तरंग श्रेणी:तरंग यान्त्रिकी.

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तारत्व

तारत्व (Pitch), ध्वनि का एक गुण है जिसका उपयोग ध्वनि को आवृत्ति के अनुसार क्रमबद्ध करने में होता है। श्रेणी:ध्वनि श्रेणी:संगीत.

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तंतु (संगीत)

तंतु (string) या तार (chord) सितार, गिटार, ज़िथर, संतूर जैसे तंतुवाद्यों में कम्पन द्वारा ध्वनि उत्पन्न करने वाला तत्व होता है। यह तंतु किसी लचीली सामग्री का बना हुआ एक लम्बा व पतला तार होता है जिसे वाद्य में तनाव की ऐसी स्थिति में रखा जाता है जिस में उसे छेड़ने पर वह स्वतंत्र लेकिन नियंत्रित रूप से कम्पन कर सके। ऐसे तंतु अक्सर नायलॉन, इस्पात या आंततंतु जैसी एक ही सामग्री का बना होता है लेकिन कभी-कभी इसे एक सामग्री के तार के ऊपर कस कर किसी अन्य सामग्री के पतले तार को घुमाकर भी बनाया जाता है, जिस से तंतु में अधिक लचीलापन आ जाता है और उस से उत्पन्न ध्वनि के तारत्व (pitch) को अधिक सरलता से निर्धारित करा जा सकता है। .

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तंतु कम्पन

तंतु कम्पन (string vibration) किसी तंतु में होने वाले कम्पन को कहते हैं, जो एक तरंग होती है। अनुनाद के कारण तंतु से स्थाई आवृत्ति (फ़्रीक्वेन्सी) वाली ध्वनि उत्पन्न होती है। अगर तंतु की लम्बाई और तनाव को सही रखा जाए तो इस कम्पन से संगीत स्वर उत्पन्न होता है। .

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द मेट्रिक्स

द मेट्रिक्स (The Matrix) (1999) विज्ञान कथा पर आधारित एक एक्शन फ़िल्म है जिसका लेखन एवं निर्देशन लैरी तथा एंडी वाचोवस्की ने किया है तथा कियानू रीव्स, लॉरेंस फिशबर्न, कैरी-एन्नी मॉस, जो पैंटोलियानो एवं ह्यूगो वीविंग इसके मुख्य कलाकार हैं। इसे सर्वप्रथम 31 मार्च 1999 को अमेरिका में प्रदर्शित किया गया एवं फ़िल्मों, कॉमिक्स पुस्तकों, वीडियो गेमों तथा एनिमेशन की द मेट्रिक्स श्रृंखला की पहली कड़ी के रूप में उपयोग किया गया है। फ़िल्म एक भविष्य की व्याख्या करती है जिसमें मानवीय यथार्थ बोध वास्तविक रूप से मैट्रिक्स है: सजीव मशीनों द्वारा सृजित एक अनुकृत यथार्थ जो मानवीय जनसंख्या को शान्त तथा अधीन करने के लिए तब सक्षम होता है जब उनके शरीर की उष्मा तथा विद्युतीय अभिक्रिया का उपयोग उर्जा के स्रोत के रूप में किया जाता है। इस सत्य को जानने के बाद, कंप्यूटर प्रोग्रामर "नियो" को अन्य लोगों के साथ मशीनों के खिलाफ विद्रोह में शामिल किया जाता है जिन्हें "स्वप्न लोक" से मुक्त करके यथार्थ स्थिति में भेजा गया था। फ़िल्म सामग्री में कई संदर्भों को शामिल किया गया है जैसे - साइबरपंक एवं हैकर उपसंस्कृति, दार्शनिक तथा धार्मिक विचार, एवं ऐलिसेज़ एड्वैन्चर्स इन वण्डरलैण्ड, हांगकांग एक्शन सिनेमा, स्पाघेटी वेस्टर्न्स, डिस्टोपियन कहानियां एवं जापानी एनिमेशन के प्रति आभार व्यतीत किया गया है। .

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दूरदर्शन

दूरदर्शन या टेलीविजन (या संक्षेप में, टीवी) एक ऐसी दूरसंचार प्रणाली है जिसके द्वारा चलचित्र व ध्वनि को दो स्थानों के बीच प्रसारित व प्राप्त किया जा सके। यह शब्द दूरदर्शन सेट, दूरदर्शन कार्यक्रम तथा प्रसारण के लिये भी प्रयुक्त होता है। दूरदर्शन का अंग्रेजी शब्द 'टेलिविज़न' लैटिन तथा यूनानी शब्दों से बनाया गया है जिसका अर्थ होता है दूर दृष्टि (यूनानी - टेली .

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ध्रुवण (विद्युतचुम्बकीय)

ध्रुवण (Polarization) अनुप्रस्थ तरंगों (जैसे, प्रकाश) का गुण है जो उनके दोलनों की दिशा (orientation) से सम्बन्धित है। ध्रुव का अर्थ है 'निश्चित'। ध्रुवित तरंग में किसी सीमित रूप में ही दोलन होते हैं जबकि अध्रुवित तरंग में सभी दिशाओं में समान रूप से दोलन होता है। किसी गैस या द्रव में गतिमान ध्वनि तरंगें ध्रुवण का गुण प्रदर्शित नहीं करतीं क्योंकि उनकी गति की दिशा और दोलन की दिशा एक ही होती है। .

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ध्वनि का वेग

वायु में ध्वनि का संचरण वायु के कणों के कम्पन के कारण उत्पन्न हुए संपीडन और विरलन के रूप में होता है। अनुप्रस्थ तरंग की गति: केवल ठोस माध्यम में ही अनुप्रस्थ तरंगे बनतीं हैं। इसमें माध्यम के कणों का कम्पन तरंग की गति की दिशा के लम्बवत होता है। किसी माध्यम (जैसे हवा, जल, लोहा) में ध्वनि १ सेकेण्ड में जितनी दूरी तय करती है उसे उस माध्यम में ध्वनि का वेग कहते हैं। शुष्क वायु में 20 °C (68 °F) पर ध्वनि का वेग 343.59 मीटर प्रति सेकेण्ड है। ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है। इसके संचरण के लिये माध्यम की आवश्यकता होती है। निर्वात में ध्वनि का संचरण नहीं होता। वायु में ध्वनि का संचरण एक अनुदैर्घ्य तरंग (लांगीट्युडनल वेव) के रूप में होता है। अलग-अलग माध्यमों में ध्वनि का वेग अलग-अलग होता है। .

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ध्वनिकी

सिरिया में बसरा स्थित रोमकालीन नाट्यशाला: ध्वनिकी के सिद्धान्तों का प्राचीन काल से ही उपयोग होता आ रहा है। ध्वनिकी (Acoustics) भौतिकी की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत ध्वनि तरंगो, अपश्रव्य तरंगों एवं पराश्रव्य तरंगों सहित ठोस, द्रव एवं गैसों में संचारित होने वाली सभी प्रकार की यांत्रिक तरंगों का अध्ययन किया जाता है। ध्वनि की उत्पत्ति द्रव्यपिंडों के दोलन द्वारा होती है। इस दोलन से वायु की दाब एवं घनत्व में प्रत्यावर्ती (alternating) परिर्वतन होने लगते हैं, जो अपने स्रोत से एक विशेष वेग के साथ आगे बढ़ते हैं। इनको ही ध्वनि की तरंग कहा जाता है। जब ये तरंगें कान के परदे से टकराती हैं, तब ध्वनि-संवेदन होता है। इन तरंगों की विशेषता यह है कि इनमें परावर्तन, अपवर्तन (refraction) तथा विवर्तन (diffraction) हो सकता है। प्रति सेकंड दोलन संख्या को आवृति (frequency) कहते हैं। मनुष्य का कान एक सीमित परास की आवृतियों को ही सुन सकता है, किंतु आजकल ऐसी तरंगें भी उत्पन्न की जा सकती है जिसका कान के परदे पर कोई असर नहीं होता। कान की सीमा से अधिक परास की आवृतियों की ध्वनि को पराश्रव्य तरंगें कहते हैं। बहुत से जानवर, जैसे चमगादड़, पराश्रव्य ध्वनि सुन सकते हैं। आधुनिक समय में श्रव्य तथा पराश्रव्य दोनों प्रकार की ध्वनियों की आवृतियों को एक बड़ी सीमा के भीतर उत्पन्न किया, पहचाना और मापा जा सकता है। .

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पराश्रव्य

अल्ट्रासाउन्ड द्वारा गर्भवती स्त्री के गर्भस्थ शिशु की जाँच १२ सप्ताह के गर्भस्थ शिशु का पराश्रव्य द्वारा लिया गया फोटो पराश्रव्य (ultrasound) शब्द उन ध्वनि तरंगों के लिए उपयोग में लाया जाता है जिसकी आवृत्ति इतनी अधिक होती है कि वह मनुष्य के कानों को सुनाई नहीं देती। साधारणतया मानव श्रवणशक्ति का परास २० से लेकर २०,००० कंपन प्रति सेकंड तक होता है। इसलिए २०,००० से अधिक आवृत्तिवाली ध्वनि को पराश्रव्य कहते हैं। क्योंकि मोटे तौर पर ध्वनि का वेग गैस में ३३० मीटर प्रति सें., द्रव में १,२०० मी.

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परावर्तन (भौतिकी)

चिकने तल से प्रकाश का परावर्तन झील के जल में पर्वत का प्रतिबिम्ब, परावर्तन का परिणाम है। जब कोई प्रकाश की किरण किसे माध्य्म से टकराकर पुनः उसे मार्ग में वापस लौट जाती है तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते है। दो माध्यमों के मिलान तल पर पहुंचकर किसी तरंग का पुनः उसी माध्याम में पीछे लौट जाना परावर्तन कहलाता है। उदाहरण के लिये, जल की तरंगों, ध्वनि, प्रकाश तथा अन्य विद्युतचुम्बकीय तरंगों का परावर्तन। दर्पण में हम अपना जो प्रतिबिम्ब देखते हैं वह परावर्तन के कारण ही बना होता है। ध्वनिविज्ञान में, ध्वनि के परावर्तन के कारण प्रतिध्वनि सुनाई पड़ती है जो सोनार में उपयोग में लायी जाती है। भूविज्ञान में भूकम्प तरंगों के अध्ययन में परावर्तन उपयोगी है। रेडियो प्रसारण तथा राडार के लिये अत्युच्च आवृत्ति (VHF) एवं इससे भी अधिक आवृत्तियों का परावर्तन महत्वपूर्ण है। .

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परिश्रवण

रोगी के पेट का परिश्रवण करता हुआ एक चिकित्सक शरीर के अंदर निरंतर होनेवाली ध्वनियों के सुनने की क्रिया को परिश्रवण (Auscultation) कहते हैं। इस शब्द का प्रयोग चिकित्सा विज्ञान में किया जाता है। रोगनिदान में इस क्रिया से बहुत सहायता मिलती है। शरीर के अन्दर की ध्वनियों को सुनने के लिए प्रायः आला (stethoscope) का उपयोग किया जाता है। इस कला के बढ़ते हुए प्रयोग का श्रेय लेनेक (Laenec) को मिलना चाहिए, जिन्होंने सन् १८१९ में परिश्रवण यंत्र का आविष्कार किया। इस यंत्र के आविष्कार के पहले ये ध्वनियाँ कान से सुनी जाती थीं। आधुनिक परिश्रवण यंत्र ध्वनि के भौतिक गुणों पर आधृत है। इसमें कानों में लगनेवाला भाग धातु का होता है और लगभग १० इंच लंबी रबर की नलियों द्वारा वक्षगोलक (chestpiece) से जुड़ा रहता है। चिकित्सक इस यंत्र द्वारा हृदय, श्वास और अँतड़ियों की ध्वनि सुनते हैं। सामान्यत: हृदय जब सिकुड़ता है तो लब्ब ध्वनि होती है और फिर जब वह फैलता है तो डब ध्वनि होती है, जिन्हें क्रमश: प्रथम और द्वितीय हृदयध्वनि कहते हैं। बीमारी में अन्य प्रकार की ध्वनियाँ और 'मर मर' ध्वनि सुनाई देती है। हवा फेफड़े में जाते और निकलते समय ध्वनि करती है, जिसे श्वासध्वनि कहते हैं। फेफड़े की बीमारियों में इस ध्वनि में परिवर्तन हो जाता है और दूसरे ढंग की ध्वनि भी सुनाई देने लगती है, जिसे रोंकाई या क्रेपिटेशन (crepitation) कहते हैं। अँतड़ियों की ध्वनि की 'बारबोरिज्म' कहते हैं। यदि यह न सुनाई दे तो अँतड़ियों का अवरोध या पेरिटोनियम की सुजन का निदान समझना चाहिए। परिश्रवण यंत्र की सहायता से भ्रूणहृदय की ध्वनि तथा धमनियों की 'मरमर' ध्वनि भी सुनी जा सकती है। इसकी सहायता से ही 'रक्तचाप' की माप की जाती है। .

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पर्यावरण अभियांत्रिकी

औद्योगिक वायु प्रदूषण के स्रोत पर्यावरण इंजीनियरिंग पर्यावरण (हवा, पानी और/या भूमि संसाधनों) में सुधार करने, मानव निवास और अन्य जीवों के लिए स्वच्छ जल, वायु और ज़मीन प्रदान करने और प्रदूषित स्थानों को सुधारने के लिए विज्ञान और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का अनुप्रयोग है। पर्यावरण इंजीनियरिंग में शामिल हैं जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण, पुनरावर्तन, अपशिष्ट निपटान और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे और साथ ही साथ पर्यावरण इंजीनियरिंग कानून से संबंधित ज्ञान.

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प्रतीक

प्रतीक; किसी वस्तु, चित्र, लिखित शब्द, ध्वनि या विशिष्ट चिह्न को कहते हैं जो संबंध, सादृश्यता या परंपरा द्वारा किसी अन्य वस्तु का प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के लिए, एक लाल अष्टकोण (औक्टागोन) "रुकिए" (स्टॉप) का प्रतीक हो सकता है। नक्शों पर दो तलवारें युद्ध क्षेत्र का संकेत हो सकती हैं। अंक, संख्या (राशि) के प्रतीक होते हैं। सभी भाषाओं में प्रतीक होते हैं। व्यक्तिगत नाम, व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतीक होते हैं। .

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प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी

प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा तकनीक को जानने के लिये पुरातत्व और प्राचीन साहित्य का सहारा लेना पडता है। प्राचीन भारत का साहित्य अत्यन्त विपुल एवं विविधतासम्पन्न है। इसमें धर्म, दर्शन, भाषा, व्याकरण आदि के अतिरिक्त गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, रसायन, धातुकर्म, सैन्य विज्ञान आदि भी वर्ण्यविषय रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में प्राचीन भारत के कुछ योगदान निम्नलिखित हैं-.

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प्रकाश गूंज

प्रतिबिम्बित प्रकाश मार्ग B लेता हुआ सीधे मार्ग A से बाद में लेकिन मार्ग C लेने वाले प्रकाश से पहले पहुँचता है। पृथ्वी से देखे जाने पर B और C तारे से बराबरी दूरी रखते हैं प्रकाश गूंज एक भौतिक परिघटना है जिसमें प्रकाश अपने स्रोत से दूर किसी सतह या वस्तु से परावर्तित होता है। यह ध्वनि से सम्बन्धित प्रतिध्वनि की परिघटना से मिलता-जुलता प्रभाव है, लेकिन क्योंकि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से बहुत अधिक है इसलिए प्रकाश गूंज अधितर खगोलीय दूरियों पर ही प्रतीत होती है। उदाहरण के लिए किसी महानोवा से उत्पन्न होने वाली चमक दूर किसी खगोलीय धूल के बादल से प्रतिबिम्बित हो सकती है। यह प्रकाश गूंज किसी देखने वाले तक स्रोत से सीधा मार्ग लेकर पहुँचने वाले प्रकाश से अधिक देर लेकर पहुँचती है। ज्यामिति के कारण प्रकाश गूंज में प्रकाश से तेज़ गति का भ्रम हो सकता है। .

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पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज चौहान (भारतेश्वरः पृथ्वीराजः, Prithviraj Chavhan) (सन् 1178-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में १२ वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर (अजयमेरु) और दिल्ली पर राज्य करते थे। वे भारतेश्वर, पृथ्वीराजतृतीय, हिन्दूसम्राट्, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा इत्यादि नाम से प्रसिद्ध हैं। भारत के अन्तिम हिन्दूराजा के रूप में प्रसिद्ध पृथ्वीराज १२३५ विक्रम संवत्सर में पंद्रह वर्ष (१५) की आयु में राज्य सिंहासन पर आरूढ हुए। पृथ्वीराज की तेरह रानीयाँ थी। उन में से संयोगिता प्रसिद्धतम मानी जाती है। पृथ्वीराज ने दिग्विजय अभियान में ११७७ वर्ष में भादानक देशीय को, ११८२ वर्ष में जेजाकभुक्ति शासक को और ११८३ वर्ष में चालुक्य वंशीय शासक को पराजित किया। इन्हीं वर्षों में भारत के उत्तरभाग में घोरी (ग़ोरी) नामक गौमांस भक्षण करने वाला योद्धा अपने शासन और धर्म के विस्तार की कामना से अनेक जनपदों को छल से या बल से पराजित कर रहा था। उसकी शासन विस्तार की और धर्म विस्तार की नीत के फलस्वरूप ११७५ वर्ष से पृथ्वीराज का घोरी के साथ सङ्घर्ष आरंभ हुआ। उसके पश्चात् अनेक लघु और मध्यम युद्ध पृथ्वीराज के और घोरी के मध्य हुए।विभिन्न ग्रन्थों में जो युद्ध सङ्ख्याएं मिलती है, वे सङ्ख्या ७, १७, २१ और २८ हैं। सभी युद्धों में पृथ्वीराज ने घोरी को बन्दी बनाया और उसको छोड़ दिया। परन्तु अन्तिम बार नरायन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज की पराजय के पश्चात् घोरी ने पृथ्वीराज को बन्दी बनाया और कुछ दिनों तक 'इस्लाम्'-धर्म का अङ्गीकार करवाने का प्रयास करता रहा। उस प्रयोस में पृथ्वीराज को शारीरक पीडाएँ दी गई। शरीरिक यातना देने के समय घोरी ने पृथ्वीराज को अन्धा कर दिया। अन्ध पृथ्वीराज ने शब्दवेध बाण से घोरी की हत्या करके अपनी पराजय का प्रतिशोध लेना चाहा। परन्तु देशद्रोह के कारण उनकी वो योजना भी विफल हो गई। एवं जब पृथ्वीराज के निश्चय को परिवर्तित करने में घोरी अक्षम हुआ, तब उसने अन्ध पृथ्वीराज की हत्या कर दी। अर्थात्, धर्म ही ऐसा मित्र है, जो मरणोत्तर भी साथ चलता है। अन्य सभी वस्तुएं शरीर के साथ ही नष्ट हो जाती हैं। इतिहासविद् डॉ.

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फ़ूर्ये श्रेणी

फूर्ये श्रेणी के आरम्भिक एक, दो, तीन या चार पदों द्वारा वर्ग तरंग फलन (square wave function) का सन्निकटीकरण (approximation)। अधिक पद जोड़ने पर प्राप्त ग्राफ, वर्ग-तरंग के ग्राफ के अधिकाधिक निकट दिखने लगता है। गणित में फूर्ये श्रेणी (Fourier series) एक ऐसी अनन्त श्रेणी है जो f आवृत्ति वाले किसी आवर्ती फलन (periodic function) को f, 2f, 3f, आदि आवृत्तियों वाले ज्या और कोज्या फलनों के योग के रूप में प्रस्तुत करती है। इसका प्रयोगे सबसे पहले जोसेफ फ़ूर्ये (१७६८ - १८३०) ने धातु की प्लेटों में उष्मा प्रवाह एवं तापमान की गणना के लिये किया था। किन्तु बाद में इसका उपयोग अनेकानेक क्षेत्रों में हुआ और यह विश्लेषण का एक क्रान्तिकारी औजार साबित हुआ। इसकी सहायता से कठिन से कठिन फलन भी ज्या और कोज्या फलनों के योग के रूप में प्रकट किये जाते हैं जिससे इनसे सम्बन्धित गणितीय विश्लेषण अत्यन्त सरल हो जाते हैं। .

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फोनोग्राफ

फोनोग्राफ ध्वनि के अभिलेखन के लिए काम में लिया जाने वाला एक उपकरण है जिसका आविष्कार १८७७ में हुआ। वर्तमान में इसे ग्रामोफोन अथवा रिकॉर्ड प्लेयर के रूप में भी जाना जाता है। इसका आविष्कार थॉमस एडीसन ने किया था। .

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बधिरता

बधिरता या बहरापन (deafness) एक आम बीमारी है। इस विकार की स्थिति में सुनने की शक्ति कम हो जाती है। इसके सातह ही साथ व्यक्ति की सामाजिक व मानसिक परेशानियां भी बढ़ जाती हैं। .

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बाँसुरी

दुनिया भर से बांसुरियों का एक संकलन बांसुरी काष्ठ वाद्य परिवार का एक संगीत उपकरण है। नरकट वाले काष्ठ वाद्य उपकरणों के विपरीत, बांसुरी एक एरोफोन या बिना नरकट वाला वायु उपकरण है जो एक छिद्र के पार हवा के प्रवाह से ध्वनि उत्पन्न करता है। होर्नबोस्टल-सैश्स के उपकरण वर्गीकरण के अनुसार, बांसुरी को तीव्र-आघात एरोफोन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। बांसुरीवादक को एक फ्लूट प्लेयर, एक फ्लाउटिस्ट, एक फ्लूटिस्ट, या कभी कभी एक फ्लूटर के रूप में संदर्भित किया जाता है। बांसुरी पूर्वकालीन ज्ञात संगीत उपकरणों में से एक है। करीब 40,000 से 35,000 साल पहले की तिथि की कई बांसुरियां जर्मनी के स्वाबियन अल्ब क्षेत्र में पाई गई हैं। यह बांसुरियां दर्शाती हैं कि यूरोप में एक विकसित संगीत परंपरा आधुनिक मानव की उपस्थिति के प्रारंभिक काल से ही अस्तित्व में है। .

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भाषाविज्ञान

भाषाविज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के अध्ययेता 'भाषाविज्ञानी' कहलाते हैं। भाषाविज्ञान, व्याकरण से भिन्न है। व्याकरण में किसी भाषा का कार्यात्मक अध्ययन (functional description) किया जाता है जबकि भाषाविज्ञानी इसके आगे जाकर भाषा का अत्यन्त व्यापक अध्ययन करता है। अध्ययन के अनेक विषयों में से आजकल भाषा-विज्ञान को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। .

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भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

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महेन्द्रनाथ मंदिर , सिवान , बिहार

बिहार राज्य के सीवान जिला से लगभग 35 किमी दूर सिसवन प्रखण्ड के अतिप्रसिद्ध मेंहदार गांव में स्थित भगवान शिव के प्राचीन महेंद्रनाथ मन्दिर का निर्माण नेपाल नरेश महेंद्रवीर विक्रम सहदेव सत्रहवीं शताब्दी में करवाया था और इसका नाम महेंद्रनाथ रखा था। ऐसी मान्यता है कि मेंहदार के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने पर नि:संतानों को संतान व चर्म रोगियों को चर्म रोग रोग से निजात मिल जाती है । .

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मानव स्वर

संगीत से सम्बन्धित 'स्वर' के लिए देखें - स्वर ---- स्वर (Voice) या कंठध्वनि की उत्पत्ति उसी प्रकार के कंपनों से होती है जिस प्रकार वाद्ययंत्र से ध्वनि की उत्पत्ति होती है। अत: स्वरयंत्र और वाद्ययंत्र की रचना में भी कुछ समानता है। वायु के वेग से बजनेवाले वाद्ययंत्र के समकक्ष मनुष्य तथा अन्य स्तनधारी प्राणियों में निम्नलिखित अंग होते हैं: 1.

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मानविकी

सिलानिओं द्वारा दार्शनिक प्लेटो का चित्र मानविकी वे शैक्षणिक विषय हैं जिनमें प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों के मुख्यतः अनुभवजन्य दृष्टिकोणों के विपरीत, मुख्य रूप से विश्लेषणात्मक, आलोचनात्मक या काल्पनिक विधियों का इस्तेमाल कर मानवीय स्थिति का अध्ययन किया जाता है। प्राचीन और आधुनिक भाषाएं, साहित्य, कानून, इतिहास, दर्शन, धर्म और दृश्य एवं अभिनय कला (संगीत सहित) मानविकी संबंधी विषयों के उदाहरण हैं। मानविकी में कभी-कभी शामिल किये जाने वाले अतिरिक्त विषय हैं प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी), मानव-शास्त्र (एन्थ्रोपोलॉजी), क्षेत्र अध्ययन (एरिया स्टडीज), संचार अध्ययन (कम्युनिकेशन स्टडीज), सांस्कृतिक अध्ययन (कल्चरल स्टडीज) और भाषा विज्ञान (लिंग्विस्टिक्स), हालांकि इन्हें अक्सर सामाजिक विज्ञान (सोशल साइंस) के रूप में माना जाता है। मानविकी पर काम कर रहे विद्वानों का उल्लेख कभी-कभी "मानवतावादी (ह्यूमनिस्ट)" के रूप में भी किया जाता है। हालांकि यह शब्द मानवतावाद की दार्शनिक स्थिति का भी वर्णन करता है जिसे मानविकी के कुछ "मानवतावाद विरोधी" विद्वान अस्वीकार करते हैं। .

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माइक्रोफोन

एक माइक्रोफोन (जिसे बोलचाल की भाषा में Mic या Mike कहा जाता है) एक ध्वनिक-से-वैद्युत ट्रांसड्यूसर (en:Transducer) या संवेदक होता है, जो ध्वनि को विद्युतीय संकेत में रूपांतरित करता है। 1876 में, एमिली बर्लिनर (en:Emile Berliner) ने पहले माइक्रोफोन का आविष्कार किया, जिसका प्रयोग टेलीफोन स्वर ट्रांसमीटर के रूप में किया गया। माइक्रोफोनों का प्रयोग अनेक अनुप्रयोगों, जैसे टेलीफोन, टेप रिकार्डर, कराओके प्रणालियों, श्रवण-सहायता यंत्रों, चलचित्रों के निर्माण, सजीव तथा रिकार्ड की गई श्राव्य इंजीनियरिंग, FRS रेडियो, मेगाफोन, रेडियो व टेलीविजन प्रसारण और कम्प्यूटरों में आवाज़ रिकार्ड करने, स्वर की पहचान करने, VoIP तथा कुछ गैर-ध्वनिक उद्देश्यों, जैसे अल्ट्रासॉनिक परीक्षण या दस्तक संवेदकों के रूप में किया जाता है। शॉक माउंट वाला एक न्यूमन U87 कंडेंसर माइक्रोफोन वर्तमान में प्रयोग किये जाने वाले अधिकांश माइक्रोफोन यांत्रिक कंपन से एक विद्युतीय आवेश संकेत उत्पन्न करने के लिये एक विद्युतचुंबकीय प्रवर्तन (गतिज माइक्रोफोन), धारिता परिवर्तन (दाहिनी ओर चित्रित संघनित्र माइक्रोफोन), पाइज़ोविद्युतीय निर्माण (Piezoelectric Generation) या प्रकाश अधिमिश्रण का प्रयोग करते हैं। .

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मुँह

मुँह जंतुओं की आहार नली का प्रथम भाग होता है जिसको आहार और लार मिलता है। ओरल म्यूकोसा मुँह के अन्दर की उपकला में श्लेष्म झिल्ली होती है। अपनी मुख्य क्रिया यानि पाचक तंत्र की पहली कड़ी के अतिरिक्त मनुष्यों में मुँह एक और अहम कार्य करता है जो कि है एक दूसरे के साथ वार्तालाप के द्वारा संपर्क करना। हालांकि ध्वनि का मुख्य स्रोत गला होता लेकिन इस ध्वनि को भाषा का रूप जीभ, होंठ, जबड़ा और ऊपरी मुँह का तालु देते हैं। मुँह का अन्दरुनी भाग अमूमन लार की वजह से गीला रहता है और होंठ से मुँह के अन्दर की श्लेष्म झिल्ली त्वचा-जो कि बाकी शरीर को ढँकती है- में परिवर्तित हो जाती है। .

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यांत्रिक तरंग

यांत्रिक तरंग (मेकैनिकल वेव) वह तरंग है जो पदार्थ के कम्पन के कारण होती है। यांत्रिक तरंगों के संचरण के लिये माध्यम की आवश्यकता होती है। उदाहरण: ध्वनि, जल की तरंगें, पराश्रव्य तरंगें, तनी हुई डोरी का कम्पन आदि। श्रेणी:तरंग.

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यांत्रिकी

यांत्रिकी (Mechanics) भौतिकी की वह शाखा है जिसमें पिण्डों पर बल लगाने या विस्थापित करने पर उनके व्यवहार का अध्ययन करती है। यांत्रिकी की जड़ें कई प्राचीन सभ्यताओं से निकली हैं। .

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रैखिक निकाय

रेखीय तन्त्र (Linear systems) वे तन्त्र हैं अध्यारोपण का सिद्धान्त (superposition) तथा स्केलिंग (scaling) के गुण को सन्तुष्ट करते हैं .

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लाउडस्पीकर

एक सस्ता, कम विश्वस्तता 3½ इंच स्पीकर, आमतौर पर छोटे रेडियो में पाया जाता है। एक चतुर्मार्गी, उच्च विश्वस्तता लाउडस्पीकर सिस्टम. एक लाउडस्पीकर (या "स्पीकर") एक विद्युत-ध्वनिक ऊर्जा परिवर्तित्र है, जो वैद्युत संकेतों को ध्वनि में परिवर्तित करता है। स्पीकर वैद्युत संकेतों के परिवर्तनों के अनुसार चलता है तथा वायु या जल के माध्यम से ध्वनि तरंगों का संचार करवाता है। श्रवण क्षेत्रों की ध्वनिकी के बाद, लाउडस्पीकर (तथा अन्य विद्युत-ध्वनि ऊर्जा परिवर्तित्र) आधुनिक श्रव्य प्रणालियों में सर्वाधिक परिवर्तनशील तत्व हैं तथा ध्वनि प्रणालियों की तुलना करते समय प्रायः यही सर्वाधिक विरूपणों और श्रव्य असमानताओं के लिए उत्तरदायी होते हैं। .

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शब्दकोश

शब्दकोश (अन्य वर्तनी:शब्दकोष) एक बडी सूची या ऐसा ग्रंथ जिसमें शब्दों की वर्तनी, उनकी व्युत्पत्ति, व्याकरणनिर्देश, अर्थ, परिभाषा, प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्निवेश हो। शब्दकोश एकभाषीय हो सकते हैं, द्विभाषिक हो सकते हैं या बहुभाषिक हो सकते हैं। अधिकतर शब्दकोशों में शब्दों के उच्चारण के लिये भी व्यवस्था होती है, जैसे - अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि में, देवनागरी में या आडियो संचिका के रूप में। कुछ शब्दकोशों में चित्रों का सहारा भी लिया जाता है। अलग-अलग कार्य-क्षेत्रों के लिये अलग-अलग शब्दकोश हो सकते हैं; जैसे - विज्ञान शब्दकोश, चिकित्सा शब्दकोश, विधिक (कानूनी) शब्दकोश, गणित का शब्दकोश आदि। सभ्यता और संस्कृति के उदय से ही मानव जान गया था कि भाव के सही संप्रेषण के लिए सही अभिव्यक्ति आवश्यक है। सही अभिव्यक्ति के लिए सही शब्द का चयन आवश्यक है। सही शब्द के चयन के लिए शब्दों के संकलन आवश्यक हैं। शब्दों और भाषा के मानकीकरण की आवश्यकता समझ कर आरंभिक लिपियों के उदय से बहुत पहले ही आदमी ने शब्दों का लेखाजोखा रखना शुरू कर दिया था। इस के लिए उस ने कोश बनाना शुरू किया। कोश में शब्दों को इकट्ठा किया जाता है। .

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शरीरक्रिया विज्ञान

शरीरक्रियाविज्ञान या कार्यिकी (Physiology/फ़िज़ियॉलोजी) के अंतर्गत प्राणियों से संबंधित प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन और उनका वर्गीकरण किया जाता है, साथ ही घटनाओं का अनुक्रम और सापेक्षिक महत्व के साथ प्रत्येक कार्य के उपयुक्त अंगनिर्धारण और उन अवस्थाओं का अध्ययन किया जाता है जिनसे प्रत्येक क्रिया निर्धारित होती है। शरीरक्रियाविज्ञान चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा है जिसमें शरीर में सम्पन्न होने वाली क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत मनुष्य या किसी अन्य प्राणी/पादप के शरीर में मौजूद भिन्न-भिन्न अंगों एवं तन्त्रों (Systems) के कार्यों और उन कार्यों के होने के कारणों के साथ-साथ उनसे सम्बन्धित चिकित्सा विज्ञान के नियमों का भी ज्ञान दिया जाता है। उदाहरण के लिए कान सुनने का कार्य करते है और आंखें देखने का कार्य करती हैं लेकिन शरीर-क्रिया विज्ञान सुनने और देखने के सम्बन्ध में यह ज्ञान कराती है कि ध्वनि कान के पर्दे पर किस प्रकार पहुँचती है और प्रकाश की किरणें आंखों के लेंसों पर पड़ते हुए किस प्रकार वस्तु की छवि मस्तिष्क तक पहुँचती है। इसी प्रकार, मनुष्य जो भोजन करता है, उसका पाचन किस प्रकार होता है, पाचन के अन्त में उसका आंतों की भित्तियों से अवशोषण किस प्रकार होता है, आदि। .

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शिक्षा (वेदांग)

शिक्षा, वेद के छ: अंगों में से एक है। इसका रचनाकाल विभिन्न विद्वानों ने १००० ईसापूर्व से ५०० ईसापूर्व बताया है। भाषावैज्ञानिकों की दृष्टि में शिक्षा का उद्देश्य सामान्य स्वनविज्ञान (फोनेटिक्स) एवं स्वनिमविज्ञान (फोनोलॉजी) माना जा सकता है। शिक्षा ने सभी प्राप्त ध्वनियों का विश्लेषण किया है। इसका उद्देश्य वेद की ऋचाओं का ठीक प्रकार से पाठ करना है। पुराकाल में माता पिता और आचार्य सभी वर्णोच्चारण का विज्ञान अपने पुत्रों और शिष्यों कि बताया करते थे। धीरे-धीरे पुस्तकें लिखी गई और बाद में सूत्र रचना भी होने लगी। वेदमन्त्रों के उच्चारण की शिक्षा ही वर्णोच्चारण शिक्षा के रूप में प्रसिद्ध हो गई। इस विषय में अनेक ऋषि ग्रन्थ लिखें है, जिन्हें प्रातिशख्य और शिक्षा कहा जाता है। महर्षि पाणिनि की शिक्षा विशेष प्रसिद्ध है। इस शिक्षा के चार सोपान थे।.

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साधारण लघुगणक

साधारण लघुगणक का आरेख गणित में किसी धनात्मक वास्तविक संख्या का १० आधार पर लिया गया लघुगणक साधारण लघुगणक (common logarithm / कॉमन लॉगैरिद्म) कहलाता है। इसको log10(x), या Log(x) (कैपिटल L) लिखते हैं। संदेह से बचाने के लिये ISO ने सुझाया है कि log10(x) को lg (x) लिखा जाय जबकि प्राकृतिक लघुगणक loge(x) को ln (x) लिखा जाय। .

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सामान्य चिकित्सा में प्रयुक्त उपकरण

सामान्य चिकित्सा और क्लिनिकों (अर्थात् आंतरिक चिकित्सा और बाल रोग) में प्रयुक्त उपकरण इस प्रकार हैं: .

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सांकेतिक भाषा

संकेत भाषा (या सांकेतिक भाषा) एक ऐसी भाषा है, जो अर्थ सूचित करने के लिए श्रवणीय ध्वनि पैटर्न में संप्रेषित करने के बजाय, दृश्य रूप में सांकेतिक पैटर्न (हस्तचालित संप्रेषण, अंग-संकेत) संचारित करती है-जिसमें वक्ता के विचारों को धाराप्रवाह रूप से व्यक्त करने के लिए, हाथ के आकार, विन्यास और संचालन, बांहों या शरीर तथा चेहरे के हाव-भावों का एक साथ उपयोग किया जाता है। जहां भी बधिर लोगों का समुदाय मौजूद हो, वहां संकेत भाषा का विकास होता है। उनके पेचीदा स्थानिक व्याकरण, उच्चरित भाषाओं के व्याकरण से स्पष्ट रूप से अलग है। दुनिया भर में सैकड़ों संकेत भाषाएं प्रचलन में हैं और स्थानीय बधिर समूहों द्वारा इनका उपयोग किया जा रहा है। कुछ संकेत भाषाओं ने एक प्रकार की क़ानूनी मान्यता हासिल की है, जबकि अन्य का कोई महत्व नहीं है। .

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संचार

संचार प्रेषक का प्राप्तकर्ता को सूचना भेजने की प्रक्रिया है जिसमे जानकारी पहुंचाने के लिए ऐसे माध्यम (medium) का प्रयोग किया जाता है जिससे संप्रेषित सूचना प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों समझ सकें यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिस के द्वारा प्राणी विभिन्न माध्यमों के द्वारा सूचना का आदान प्रदान कर सकते हैं संचार की मांग है कि सभी पक्ष एक समान भाषा का बोध कर सकें जिस का आदान प्रदान हुआ हो, श्रावानिक (auditory) माध्यम हैं (जैसे की) बोली, गान और कभी कभी आवाज़ का स्वर एवं गैर मौखिक (nonverbal), शारीरिक माध्यम जैसे की शारीरिक हाव भाव (body language), संकेत बोली (sign language), सम भाषा (paralanguage), स्पर्श (touch), नेत्र संपर्क (eye contact) अथवा लेखन (writing) का प्रयोग संचार की परिभाषा है - एक ऐसी क्रिया जिस के द्वारा अर्थ का निरूपण एवं संप्रेषण (convey) सांझी समझ पैदा करने का प्रयास में किया जा सके इस क्रिया में अंख्या कुशलताओं के रंगपटल की आवश्यकता है अन्तः व्यक्तिगत (intrapersonal) और अन्तर व्यक्तिगत (interpersonal) प्रक्रमण, सुन अवलोकन, बोल, पूछताछ, विश्लेषण और मूल्यांकनइन प्रक्रियाओं का उपयोग विकासात्मक है और जीवन के सभी क्षेत्रों के लिए स्थानांतरित है: घर, स्कूल, सामुदायिक, काम और परे.संचार के द्बारा ही सहयोग और पुष्टिकरण होते हैं संचारण विभिन्न माध्यमों द्बारा संदेश भेजने की अभिव्यक्ति है चाहे वह मौखिक अथवा अमौखिक हो, जब तक कोई विचारोद्दीपक विचार संचारित (transmit) हो भाव (gesture) क्रिया इत्यादि संचार कई स्तरों पर (एक एकल कार्रवाई के लिए भी), कई अलग अलग तरीकों से होता है और अधिकतम प्राणियों के लिए, साथ ही कुछ मशीनों के लिए भी.यदि समस्त नहीं तो अधिकतम अध्ययन के क्षेत्र संचार करने के लिए ध्यान के एक हिस्से को समर्पित करते हैं, इसलिए जब संचार के बारे में बात की जाए तो यह जानना आवश्यक है कि संचार के किस पहलू के बारे में बात हो रही है। संचार की परिभाषाएँ श्रेणी व्यापक हैं, कुछ पहचानती हैं कि पशु आपस में और मनुष्यों से संवाद कर सकते हैं और कुछ सीमित हैं एवं केवल मानवों को ही मानव प्रतीकात्मक बातचीत के मापदंडों के भीतर शामिल करते हैं बहरहाल, संचार आमतौर पर कुछ प्रमुख आयाम साथ में वर्णित है: विषय वस्तु (किस प्रकार की वस्तुएं संचारित हो रहीं हैं), स्रोत, स्कंदन करने वाला, प्रेषक या कूट लेखक (encoder) (किस के द्वारा), रूप (किस रूप में), चैनल (किस माध्यम से), गंतव्य, रिसीवर, लक्ष्य या कूटवाचक (decoder) (किस को) एवं उद्देश्य या व्यावहारिक पहलू.पार्टियों के बीच, संचार में शामिल है वेह कर्म जो ज्ञान और अनुभव प्रदान करें, सलाह और आदेश दें और सवाल पूछें यह कर्म अनेक रूप ले सकते है, संचार के विभिन्न शिष्टाचार के कई रूपों में से उस का रूप समूह संप्रेषण की क्षमता पर निर्भर करता हैसंचार, तत्त्व और रूप साथ में संदेश (message) बनाते हैं जो गंतव्य (destination) की ओर भेजा जाता हैलक्ष्य ख़ुद, दूसरा व्यक्ति (person) या हस्ती, दूसरा अस्तित्व (जैसे एक निगम या हस्ती के समूह) हो सकते हैं संचार प्रक्रियासूचना प्रसारण (information transmission) के तीन स्तरों द्वारा नियंत्रित शब्दार्थ वैज्ञानिक (semiotic) नियमों के रूप में देखा जा सकता है.

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संगणक संचिका

संगणक संचिका एकत्रित जानकारी का एक वर्ग है, या जानकारी को संचित करने के लिए एक संसाधन है जो कि किसी संगणक कार्यक्रम को उपलब्ध होता है और आमतौर पर यह किसी प्रकार की टिकाऊ संगणक भंडारण पर आधारित होता है। संचिका टिकाऊ इस लिहाज़ से होती है कि यह मौजूदा कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद भी अन्य कार्यक्रमों द्वारा इस्तेमाल के लिए मौजूद रहती है। संगणक संचिकाओं को पारंपरिक रूप से दफ़्तरों और पुस्तकालयों के फ़ाइलों में मौजूद कागज़ के दस्तावेज़ों का आधुनिक रूप माना जा सकता है, इसीलिए अंग्रेज़ी में इसका नाम फ़ाइल पड़ा है। .

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संगीत चिकित्सा

संगीत चिकित्सा सहबद्ध स्वास्थ्य व्यवसाय और वैज्ञानिक शोध का क्षेत्र है जो नैदानिक चिकित्सा और जैव-संगीत शास्त्र, संगीत ध्वनिकी, संगीत सिद्धांत, मनो-ध्वनिकी और तुलनात्मक संगीत शास्त्र की प्रक्रिया के बीच पारस्परिक संबंध का अध्ययन करता है। यह एक अंतर्वैयक्तिक प्रक्रिया है जिसमें एक प्रशिक्षित संगीत चिकित्सक, अपने मरीज़ों के स्वास्थ्य में सुधार या उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद के लिए संगीत और उसके - यथा शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक, सामाजिक, सौन्दर्यात्मक और आध्यात्मिक - सभी पहलुओं का उपयोग करता है। संगीत चिकित्सक परिमेय उपचार लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संगीतानुभव (जैसे कि गायन, गीत-लेखन, संगीत श्रवण और संगीत चर्चा, संगीत संचालन) के उपयोग द्वारा, मुख्य रूप से मरीज़ों की क्रियाशीलता और विविध क्षेत्रों (उदा. संज्ञानात्मक कार्य, संचालन कौशल, भावनात्मक और प्रभावी विकास, व्यवहार और सामाजिक कौशल) में जीवन की स्व-वर्णित गुणवत्ता को सुस्पष्ट स्तर तक विकसित करने में मदद करते हैं। संगीत चिकित्सा सेवाओं के लिए उपचार करने वाले चिकित्सक या चिकित्सकों, मनोविज्ञानियों, भौतिक चिकित्सकों और पेशेवर चिकित्सकों जैसे चिकित्सकों से युक्त अंतर्विभागीय दल द्वारा संगीत से संबद्ध सेवाएं निर्दिष्ट की जानी चाहिए.

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संगीत तथा गणित

थोड़े भिन्न आवृत्ति वाली दो ध्वनि तरंगो के व्यतिकरण द्वारा उत्पन्न विस्पन्द (beat) संगीत के सिद्धान्तकार इसे समझने के लिए कभी-कभी गणित का प्रयोग करते हैं। यद्यपि संगीत का कोई ठीक-ठीक गणितीय सिद्धान्त नहीं है किन्तु इसमें कोई सन्देह नहीं है कि संगीत, ध्वनि से बनी है तथा ध्वनि का गणितीय आधार अब सर्वविदित है। विज्ञान व गणित का चोली दामन सा साथ है। संगीत के सिद्धान्तों को समझाने के लिए, प्राचीन समय से ही हमारे आचार्य व पण्डित, गणित का ही सहारा लेते आ रहे हैं। आधुनिक विज्ञान भी पूर्ण रूप से गणित आधारित है। समय के साथ साथ विज्ञान का विकास हुआ है और विज्ञान के साथ गणित का भी उतना ही विकास हुआ है। .

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संकेतन

संकेतन (Signalling), या संकेत संप्रेषण, का युद्ध में दीर्घ काल से प्रयोग हो रहा है। साधारण जीवन में भी संदेश भेजने की आवश्यकता बहुधा पड़ती ही है, पर सेना की एक टुकड़ी से दूसरी को, अथवा एक पोत से अन्य को, सूचनाएँ, आदेश आदि भेजने के कार्य का महत्व विशेष है। इसके लिए प्रत्येक संभव उपाय काम में लाए जाते हैं। पैदल और घुड़सवार, संदेशवाहकों के सिवाय, प्राचीन काल में झंडियों, प्रकाश तथा धुएँ द्वारा संकेतों से संदेश भेजने के प्रमाण मिलते हैं। अफ्रीका में यही कार्य नगाड़ों से लिया जाता रहा है। आधुनिक काल में संकेतन का उपयोग सड़कों पर आवागमन तथा रेलगाड़ियों के नियंत्रण में भी किया जा रहा है। .

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सुपरमैन (फ़िल्म)

सुपरमैन (सुपरमैन: द मूवी के रूप में भी विख्यात) समनाम वाले डीसी कॉमिक्स के चरित्र पर आधारित 1978 की एक सुपरहीरो फ़िल्म है। फ़िल्म के निर्देशक थे रिचर्ड डॉनर, जिसमें सुपरमैन की भूमिका में क्रिस्टोफ़र रीव और साथ में जीन हैकमैन, मार्गट किडर, मार्लोन ब्रैंडो, ग्लेन फ़ोर्ड, फ़िलिस थैक्सटर, जैकी कूपर, मार्क मॅकक्लूर, वैलरी पेरीन तथा नेड बेट्टी ने अभिनय किया। फ़िल्म सुपरमैन की उत्पत्ति, क्रिप्टोन के काल-एल के रूप में उसका शैशव और स्मॉलविले में उसके पलने-बढ़ने का चित्रण करता है। संवाददाता क्लार्क केंट के रूप में प्रच्छन्न, वह मेट्रोपोलिस में सौम्य-व्यवहार दृष्टिकोण अपनाता है और खलनायक लेक्स लूथर के साथ जूझते समय, लोइस लेन के प्रति उसके मन में प्रेम जगता है। 1973 में इल्या साल्किंड द्वारा फ़िल्म की कल्पना की गई थी। निर्देशन का काम डॉनर को सुपुर्द करने से पहले परियोजना से कई निर्देशक, विशेषकर गइ हैमिल्टन और पटकथा-लेखक (मारियो प्यूज़ो, डेविड और लेज़ली न्यूमैन तथा रॉबर्ट बेंटन) जुड़े थे। डॉनर ने यह महसूस करते हुए कि पटकथा कुछ ज़्यादा खेमे से जुड़ा है, टॉम मैनक्यूविक्ज़ को दुबारा पटकथा लिखने का काम सौंपा.

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सुरत शब्द योग

सुरत शब्द योग एक आंतरिक साधन या अभ्यास है जो संत मत और अन्य संबंधित आध्यात्मिक परंपराओं में अपनाई जाने वाली योग पद्धति है। संस्कृत में 'सुरत' का अर्थ आत्मा, 'शब्द' का अर्थ ध्वनि और 'योग' का अर्थ जुड़ना है। इसी शब्द को 'ध्वनि की धारा' या 'श्रव्य जीवन धारा' कहते हैं।.

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स्वनिमविज्ञान

स्वनिमविज्ञान (Phonology) भाषाविज्ञान की वह शाखा है जो किसी भी मानव भाषा में ध्वनि के सम्यक उपयोग द्वारा अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति से सम्बन्धित मुद्दों का अध्ययन करती है। किसी भाषा की सार्थक ध्वनियों की व्यवस्था का अध्ययन ही स्वनिमविज्ञान कहलाता है। स्वनिमविज्ञान अपनी मूल इकाई के रूप में स्वनिम (फोनीम) की संकल्पना करता है और इसके उपरांत स्वनिम तथा सहस्वन, उनके वितरण तथा अनुक्रम आदि का अध्ययन करता है। यह 'शब्द' के स्तर के नीचे के स्तर पर अध्यन करता है। .

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स्वर (बहुविकल्पी)

स्वर के कई अर्थ हो सकते है -.

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सेंसर

हाल प्रभाव पर आधारित सेंसर सेंसर (संवेदक) एक ऐसा उपकरण है जो किसी भौतिक राशि को मापने का कार्य करता है तथा इसे एक ऐसे संकेत में परिवर्तित कर देता है जिसे किसी पर्यवेक्षक या यंत्र द्वारा पढ़ा जा सकता है। उदाहरणस्वरूप, एक पारे से भरा कांच का थर्मामीटर मापित तापमान को एक तरल पदार्थ के विस्तार तथा संकुचन में परिवर्तित कर देता है जिसे एक अंशांकित कांच की नली पर पढ़ा जा सकता है। एक थर्मोकपल तापमान को एक आउटपुट वोल्टेज में परिवर्तित कर देता है जिसे एक वोल्टमीटर द्वारा पढ़ा जा सकता है। सटीकता की दृष्टि से, सभी सेंसरों को ज्ञात मानकों के अनुरूप अंशांकित करने की आवश्यकता है। .

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हिन्दी व्याकरण

हिंदी व्याकरण, हिंदी भाषा को शुद्ध रूप में लिखने और बोलने संबंधी नियमों का बोध करानेवाला शास्त्र है। यह हिंदी भाषा के अध्ययन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें हिंदी के सभी स्वरूपों का चार खंडों के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है; यथा- वर्ण विचार के अंतर्गत ध्वनि और वर्ण तथा शब्द विचार के अंतर्गत शब्द के विविध पक्षों संबंधी नियमों और वाक्य विचार के अंतर्गत वाक्य संबंधी विभिन्न स्थितियों एवं छंद विचार में साहित्यिक रचनाओं के शिल्पगत पक्षों पर विचार किया गया है। .

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हेडफ़ोन

सेन्नहेइसेर HD555 हेडफ़ोन, का इस्तेमाल ऑडियो प्रोडक्शन माहौल में होता है. हेडफ़ोन छोटे लाउडस्पीकरों की एक जोड़ी है, या आमतौर पर कम से कम एक स्पीकर होता है, इन्हें उपयोगकर्ता के कान के पास लगाया जाता है और यह ऑडियो ऐम्प्लीफायर, रेडियो या सीडी प्लेयर जैसे एकल स्रोत को इससे जोड़ने का साधन है.

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जेट विमान

अमेरीकी वायु सेना के लडाकू जेट विमान जेट विमान जेट इंजन से चलने वाला एक प्रकार का वायुयान है। यह विमान प्रोपेलर (पंखे) चालित विमानों से ज्यादा तेज और ज्यादा ऊँचाई तक उड़ सकते हैं। अपनी इन्हीं क्षमताओं के कारण आधुनिक युग में इनका बहुत प्रचार प्रसार हुआ। सैन्य विमान मुख्यतः जेट चालित ही होते है क्योंकि ये तेज गति से उड़ कर एवं तीव्र कोण पर शत्रु पर आक्रमण करने की क्षमता रखते हैं। इनके इंजन की कार्यक्षमता प्रोपेलर इंजन से बेहतर होती है इसीलिए जेट विमानों को लम्बी दूरी तक उड़ान भरने के लिए उपयुक्त माना गया है और आज इन्हें यात्री एवं माल को लम्बी दूरी तक ढोने के लिए सर्वोत्तम साधन माना जाता है। जेट विमान के एक कक्ष में कुछ ईंधन रखा जाता है। जब विमान चलना प्रारम्भ करता है तो विमान के सिरे पर बने छिद्र से बाहर की वायु इंजन में प्रवेश करती है। वायु के आक्सीजन के साथ मिलकर ईँधन अत्यधिक दबाव पर जलता है। जलने से उत्पन्न गैस का दाब बहुत अधिक होता है। यह गैस वायु के साथ मिलकर पीछे की ओर के जेट से तीव्र वेग से बाहर निकलती है। यद्यपि गैस का द्रव्यमान बहुत कम होता है किन्तु तीव्र वेग के कारण संवेग और प्रतिक्रिया बल बहुत अधिक होता है। इसलिए जेट विमान आगे की ओर तीव्र वेग से गतिमान होता है। चूँकि जेट विमान में वायु बाहर से ली जाती है, इसलिए वायु शून्य स्थान में जेट विमान नहीं उड़ सकता। विश्व का सर्वप्रथम जेट वायु यान बनाने का श्रेय रोमानिया के हेनरी कोंडा को जाता है। सन १९१० में बने इस वायु यान को कोंडा-१९१० के नाम से जाना जाता है। कोंडा-१९१० एक मिश्र जेट यान था जिसके अन्दर प्रत्यागामी इंजन लगा था जो जेट इंजन तक पहुँचने वाली वायु का सम्पीडन करता था। इस जटिल कार्यप्रणाली के कारण इस यान का आगे विकास नहीं हुआ और हेनरी कोंडा ने इसे कुछ प्रयोग करने के बाद इस तकनीक को त्याग दिया। १९२९ में ब्रिटिश वायु सेना के अभियंता फ्रैंक व्हित्तल ने विश्व के पहले टर्बो जेट वायु यान की परिकल्पना की और अपने शोध को प्रकाशित किया परन्तु विश्व का पहला टर्बो जेट वायु यान जर्मनी की वायु सेना ने सन १९३९ में बनवाया। इस यान का नाम था हेंकेल हे १७८ लेकिन यह यान सिर्फ परीक्षण क्षेत्र तक ही सीमित रह गया और इसे कभी भी युद्घ क्षेत्र में उपयोग में नहीं लाया गया। द्वितीय विश्व युद्घ और उसके बाद के शीतयुद्ध के समय जेट वायु यान तकनीक का तेजी से विकास हुआ और विश्व की सभी प्रमुख वायु सेनाओं ने जेट यानों को अपना लिया। अमेरिका में बना यान एसआर-७१ ब्लैकबर्ड विश्व का सबसे तेज गति से उड़ने वाला लड़ाकू जेट वायु यान है। यह यान ध्वनि की गति से ३.४ गुना ज्यादा गति से उड़ सकता है। व्यावसायिक विमानों में रूस में बना तुपोलेव तू-१४४ सबसे तेज विमान है जो ध्वनि की गति से २.३५ गुना अधिक गति से उड़ सकता है। .

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वाणी की वक्रता

जीभ घुमाना या वाणी की वक्रता करना एक मुहावरा है, जो इस प्रकार बनाया गया है कि इसका सही-सही स्पष्ट उच्चारण करना मुश्किल होता है। जीभ ट्विस्टर्स समान, लेकिन अलग ध्वनियों वाले (जैसे एस (s) और एसएच (sh)), आगत शब्दों में अपरिचित गठन या भाषा की दूसरी विशेषताओं पर निर्भर हो सकते हैं। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स के अनुसार अंग्रेजी भाषा में सबसे कठिन वाणी की वक्रता "द सिक्स्थ सिक शेख्स सिक्स्थ शीप्स सिक" है। विलियम पाउंडस्टोन का दावा है कि अंग्रेजी भाषा में सबसे कठिन वाणी की वक्रता "द सीथिंग सी सीथ एंड दस द सीथिंग सी सफिसेथ अस" है। वाणी की वक्रता के समकक्ष एक सांकेतिक भाषा को फिंगर फंबलर कहा जाता है। सुज़ैन फिशर के अनुसार गुड ब्लड, बैड ब्लड वाक्यांश अंग्रेजी में जीभ ट्विस्टर और एएसएल (ASL) में फिंगर फंबलर है। .

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वाद्य यन्त्र

एक वाद्य यंत्र का निर्माण या प्रयोग, संगीत की ध्वनि निकालने के प्रयोजन के लिए होता है। सिद्धांत रूप से, कोई भी वस्तु जो ध्वनि पैदा करती है, वाद्य यंत्र कही जा सकती है। वाद्ययंत्र का इतिहास, मानव संस्कृति की शुरुआत से प्रारंभ होता है। वाद्ययंत्र का शैक्षणिक अध्ययन, अंग्रेज़ी में ओर्गेनोलोजी कहलाता है। केवल वाद्य यंत्र के उपयोग से की गई संगीत रचना वाद्य संगीत कहलाती है। संगीत वाद्य के रूप में एक विवादित यंत्र की तिथि और उत्पत्ति 67,000 साल पुरानी मानी जाती है; कलाकृतियां जिन्हें सामान्यतः प्रारंभिक बांसुरी माना जाता है करीब 37,000 साल पुरानी हैं। हालांकि, अधिकांश इतिहासकारों का मानना है कि वाद्य यंत्र के आविष्कार का एक विशिष्ट समय निर्धारित कर पाना, परिभाषा के व्यक्तिपरक होने के कारण असंभव है। वाद्ययंत्र, दुनिया के कई आबादी वाले क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से विकसित हुए.

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वायुगतिकी

वायुगतिकी (Aerodynamics) गतिविज्ञान की वह शाखा है जिसमें वायु तथा अन्य गैसीय तरलों (gaseous fluids) की गति का और इन तरलों के सापेक्ष गतिवान ठोसों पर लगे बलों का विवेचन होता है। इस विज्ञान के सार्वाधिक महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों में से एक अनुप्रयोग वायुयान की अभिकल्पना है। .

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विद्युत घंटी

विद्युत घंटी विद्युत घंटी ऐसे काम करती है। विद्युत घंटी (electric bell) धातु की बनी घंटी होती है जिसपर विद्युतचुम्बक की क्रिया द्वारा बार-बार एक 'हथौड़ा' प्रहार करता है। इसकी कुण्डली (क्वायल) में जब धारा प्रवाहित होती है तो यह एक ध्वनि उत्पन्न करती है। घरों की घंटीयाँ, अग्नि चेतावनी देने वाली घंटियाँ, चोर-चेतावनी की घंटियाँ, विद्यालयों की घंटी आदि में विद्युत घंटी का प्रयोग किया जाता रहा है किन्तु अब इसके स्थान पर एलेक्ट्रानिक बजर या बीपर भी उपयोग किये जाने लगे हैं। .

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विद्युतचुंबकीय विकिरण

विद्युतचुंबकीय तरंगों का दृष्यात्मक निरूपण विद्युत चुंबकीय विकिरण शून्य (स्पेस) एवं अन्य माध्यमों से स्वयं-प्रसारित तरंग होती है। इसे प्रकाश भी कहा जाता है किन्तु वास्तव में प्रकाश, विद्युतचुंबकीय विकिरण का एक छोटा सा भाग है। दृष्य प्रकाश, एक्स-किरण, गामा-किरण, रेडियो तरंगे आदि सभी विद्युतचुंबकीय तरंगे हैं। .

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विलियम हेनरी ब्रैग

सर विलियम हेनरी ब्रैग (William Henry Bragg; 1862 - 1942), ब्रिटिश भौतिकीविद् थे तथा नोबेल पुरस्कार विजेता थे। इनका जन्म इंग्लैंड के कंबरलैंड काउंटी में स्थित विग्टन नामक ग्राम में हुआ था। आपकी शिक्षा केंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में पूर्ण हुई तथा आप ऐडिलेड (दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया) में गणित तथा भौतिकी के प्रोफेसर नियुक्त हुए। यहाँ इन्होंने रेडियोऐक्टिवता पर अनुसंधान आरंभ किए। इन अनुसंधानों से ये प्रसिद्ध हो गए। सन् 1909 में आप लीड्स में कैवेंडिश प्रोफेसर तथा सन् 1915 में लंदन युनिवर्सिटी के क्वेन प्रोफेसर नियुक्त हुए। अपने पुत्र सर विलियम लॉरेंस ब्रैग के सहयोग से आपने एक्स-रे-स्पेक्ट्रोमीटर का विकास किया तथा इस यंत्र की सहायता से परमाणुओं और क्रिस्टलों के विन्यासों को स्पष्ट किया। सन् 1915 में इन्हें तथा इनके उपर्युक्त पुत्र को संयुक्त रूप से भौतिकी का नोबेल पुरस्कार और कोलंबिया विश्वविद्यालय का बारनर्ड स्वर्णपदक प्रदान किया गया। प्रथम विश्वयुद्ध के समय पनडुब्बी नावों का पता लगाने की समस्याओं के संबंध में ब्रिटिश नौसेना को आपने सहायता दी। आप सन् 1928-29 में ब्रिटिश ऐसोसिएशन फॉर दि ऐडवान्स्मेंट ऑव सायंस के तथा सन् 1935-40 तक रॉयल सोसायटी के प्रेसिडेंट थे। रेडियोऐक्टिविटी तथा क्रिस्टल विज्ञान पर अनेक प्रकाशनों के सिवाय ध्वनि, प्रकाश तथा प्रकृति संबंधी आपके अन्य ग्रंथ भी हैं। .

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विस्पन्द

सबसे नीचे वाली तरंग ऊपर वाली दो तरंगों के अध्यारोपण (सुपरपोजिशन) से बनी है। जब 'लगभग' बराबर आवृत्ति वाली दो ध्वनि तरंगे एक साथ उत्पन्न की जाती हैं, तो माध्यम में उनके अध्यारोपण से प्राप्त ध्वनि की तीव्रता बारी-बारी से घटती और बढती रहती है। ध्वनि की तीव्रता में होने वाले इस चढाव व उतराव को 'विस्पन्द' (beat) कहते हैं। .

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विवर्तन

एक वर्गाकार द्वारक (aperture) से विवर्तन के परिणामस्वरूप पर्दे पर निर्मित विवर्तन पैटर्न जब प्रकाश या ध्वनि तरंगे किसी अवरोध से टकराती हैं, तो वे अवरोध के किनारों पर मुड जाती हैं और अवरोधक के की ज्यामितिय छाया में प्रवेश कर जती हैं। तरंगो के इस प्रकार मुड़ने की घटना को विवर्तन (Diffraction) कहते हैं। ऐसा पाया गया है कि लघु आकार के अवरोधों से टकराने के बाद तरंगें मुड़ जातीं हैं तथा जब लघु आकार के छिद्रों (openings) से होकर तरंग गुजरती है तो यह फैल जाती है। सभी प्रकार की तरंगों से विवर्तन होता है (ध्वनि, जल तरंग, विद्युतचुम्बकीय तरंग आदि)। .

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वक्रोक्ति सिद्धान्त

वक्रोक्ति दो शब्दों 'वक्र' और 'उक्ति' की संधि से निर्मित शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ है- ऐसी उक्ति जो सामान्य से अलग हो। भामह ने वक्रोक्ति को एक अलंकार माना था। उनके परवर्ती कुंतक ने वक्रोक्ति को एक संपूर्ण सिद्धांत के रूप में विकसित कर काव्य के समस्त अंगों को इसमें समाविष्ट कर लिया। इसलिए कुंतक को वक्रोक्ति संप्रदाय का प्रवर्तक आचार्य माना जाता है। .

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वेवगाइड

एक वेवगाइड वेवगाइड (waveguide) एक युक्ति है जो उच्च आवृत्ति के संकेतों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिये प्रयुक्त होती है। यह संकेत की ऊर्जा में कम से कम ह्रास करते हुए उसे अपने अन्दर से होकर जाने देता है। दूसरे शब्दों में, यह एक संरचना है जो विद्युतचुम्बकीय तरंगों और ध्वनि तरंगों आदि को एक निर्धारित मार्ग से लेकर जाती है। श्रेणी:माइक्रोवेव.

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वॉक्स

कोई विवरण नहीं।

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ग्रामोफ़ोन

एडिसन का बेलन फोनोग्राफ (cylinder phonograph; सन् 1899) ग्रामोफोन (gramophone) ध्वनि उत्पन्न करनेवाला एक यंत्र है, जो एक सूई के दोलनों को वायु में संचारित कर ध्वनि उत्पन्न करता है। सूई एक घूमते हुए रिकार्ड में बने घुमावदार खाँचे के संपर्क में होती है। ग्रामोफोनयूनानी भाषा में "ग्रामो" का अर्थ है अक्षर और "फोन" का अर्थ है ध्वनि। व्यापक अर्थ में किसी भी ऐसे यंत्र को ग्रामोफोन कहते हैं जिससे ध्वनि का अभिलेखन और बाद में पुनरुत्पादन होता है। .

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गूगल स्काई

गूगल स्काई, गूगल के गूगल अर्थ की एक सुविधा है और www.google.com/sky पर एक ऑनलाइन स्काई/आउटर स्पेस व्यूअर है। यह स्काई दृश्यों को दिखाता है जो हब्बल दूरबीन के अंतरिक्ष तस्वीरों के सहयोग से बना होता है। इसे 27 अगस्त 2007 को बनाया गया था। .

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thumb आ देवनागरी लिपि का दूसरा वर्ण है। यह एक स्वर है। इसकी ध्वनि को भाषाविज्ञान में ? कहा जाता है। आ.

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आतिशबाज़ी बनाने की विद्या

आतिशबाज़ी बनाने की विद्या वह तकनीक है जिसमें वह पदार्थ जो की घुन्ना और आत्मनिर्भर एक्ज़ोथिर्मिक रासायनिक प्रतिक्रियाओं में सूक्षम होते है इस्तेमाल किए जाते है गर्मी, प्रकाश, गैस, धुआं और ध्वनि के उत्पादन के लिए। आतिशबाज़ी बनाने की इस विद्या को पाएरों तकनीक खा जाता है और यह शब्द ग्रीक भाषा से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ होता है आग की क्रिया। इस तकनीक में केवल पटाखों का उत्पादन ही नहीं होता उसके साथ-साथ माचिस, मोमबत्ती ऑक्सीजन, विस्फोटक बोल्ट और फास्टनरों, मोटर वाहन एयरबैग और गैस के दबाव खनन, उत्खनन और विध्वंस में नष्ट की घटकों का निर्माण भी करते है। .

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आघात (स्वनविज्ञान)

बोलते समय किसी शब्द के किसी अक्षर (syllable) को या किसी शब्दसमूह (phrase) के किसी शब्द के उच्चारण को जो विशेष बल दिया जाता है, उसे आघात, बलाघात या स्वराघात (Accent) कहते हैं। शब्दों के उच्चारण में अक्षरों पर जो जोर (धक्का) लगता है, उसे आघात या बल कहते हैं। ध्वनि, कंपन की लहरों से बनती है। यह बल अथवा आघात (झटका) उन ध्वनिलहरों के छोटी-बड़ी होने पर निर्भर होता है। ‘मात्रा’ का उच्चारण काल के परिमाण से संबंधित रहता है और ‘आघात’ का स्वर-कंपन की छुटाई-बड़ाई के परिमाण से। इसी से फेफड़ों में से निःश्वास जितने बल से निकलता है, उसके अनुसार बल में अंतर पड़ता है। इस बल के उच्च-मध्य और नीच होने के अनुसार ही ध्वनि के तीन भेद किए जाते हैं सबल, समबल, निर्बल। जैसे, ‘कालिमा’ में मा तो सबल है, इसी पर धक्का लगता है और ‘का’ पर उससे कम और लि पर सबसे कम बल पड़ता है, अतः समबल और ‘लि’ निर्बल है। इसी प्रकार पत्थर में ‘पत्’, अंतःकरण में ‘अः’, चंदा में ‘चन्’ सबल अक्षर हैं। .

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आगम (भाषा सम्बन्धी)

आगम एक प्रकार का भाषायी परिवर्तन है। इसका संबंध मुख्य रूप से ध्वनिपरिवर्तन से है। व्याकरण की आवश्यकता के बिना जब किसी शब्द में कोई ध्वनि बढ़ जाती है तब उसे आगम कहा जाता है। यह एक प्रकार की भाषायी वृद्धि है। उदाहरणार्थ "नाज' शब्द के आगे "अ'-ध्वनि जोड़कर "अनाज' शब्द बनाया जाता है। वास्तव में यहाँ व्याकरण की दृष्टि से "अ'-की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि "नाज' एवं "अनाज' शब्दों की व्याकरणात्मक स्थिति में कोई अंतर नहीं है। इसलिए "अनाज' में "अ' स्वर का आगम समझा जाएगा। आगम तीन प्रकार का होता है.

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आंशिक अवकल समीकरण

गणित में आंशिक अवकल समीकरण वो अवकल समीकरणें होती हैं जिनमें बहुचर फलन और उनके आंशिक अवकल होते हैं। (यह साधारण अवकल समीकरणों से भिन्न है जिनमें एक ही चर और उसके अवकलों में बंटा हुआ होता है। आंशिक अवकल समीकरणों का उपयोग उन समस्याओं को हल करने में प्रयुक्त किया जाता है जो विभिन्न स्वतंत्र चरों की फलन होती हैं एवं जिन्हें साधारणतया हल कर सकते हैं अथवा हल करने के लिए अभिकलित्र प्रोग्राम बनाया जा सके। आंशिक अवकल समीकरणो का उपयोग विभिन्न दृष्टिगत घटनाओं यथा ध्वनि, ऊष्मा, स्थिरवैद्युतिकी, विद्युत-गतिकी, द्रव का प्रवाह, प्रत्यास्थता या प्रमात्रा यान्त्रिकी को समझने में किया जा सकता है। ये पृथक प्रतीत होने वाली प्रक्रियाओं को आंशिक अवकल समीकरणों के रूप में सूत्रित किया जा सकता है। .

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कणाभ

भौतिकी में कणाभ (Quasiparticle) उन्मज्जी संवृति है जो स्थूल रूप से एक जटिल प्रणाली है जैसे एक ठोस का व्यवहार जिसमें कि मुक्त आकाश में दुर्बल अन्योन्य क्रिया करने वाले भिन्न कण हों। उदाहरण के लिए इलेक्ट्रॉन किसी अर्धचालक में गति करता है तो अन्य इलेक्ट्रोनों और नाभिक से टक्करों के कारण इसकी गति जटिल रूप से पथित होती है लेकिन यह लगभग उसी तरह व्यवहार करता है जैसे भिन्न द्रव्यमान का कोई इलेक्ट्रॉन व्यवधान रहित मुक्त आकाश में गति करता है। भिन्न द्रव्यमान के इस "इलेक्ट्रॉन" को "इलेक्ट्रॉन कणाभ" कहते हैं। .

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कान बजना

बाहर कोई ध्वनि न हो तब भी कान में कुछ सुनाई पड़ना कान बजना या कर्णक्ष्वेण (Tinnitus) कहलाता है। टिनिटस शरीर के बाहर से नहीं, बल्कि सिर में अनुभूत/सुनाई देने वाले शोर को वर्णित करने के लिए प्रयुक्त चिकित्सा शब्द है। वे अक्सर बजने वाली या सिसकारी भरने वाली ध्वनियाँ हैं लेकिन वे गहराई से गुंजायमान, खड़खड़ाने, चिटकने वाली ध्वनियाँ, स्पंदित शोर, लयबद्ध, मध्यवर्ती या स्थाई भी हो सकती हैं। वे एक कान में, बाएँ या दाएँ, या दोनों में हो सकती हैं। उनका वॉल्यूम भी बदलता रहता है। प्रभावित लोगों के लिए, ध्वनियाँ काफ़ी अप्रिय हो सकती हैं और उनकी सुनने की क्षमता को बिगाड़ सकती है। लगभग 40% आबादी को अपने जीवन-काल के एक ही बिंदु पर अपने कानों में अप्रिय ध्वनि का अनुभव हो सकता है और 10 से 20% चिरकालिक टिनिटस से (तीन से ज़्यादा महीनों के लिए) अनुभव कर सकते हैं। ये लक्षण सामान्यतः 40 या अधिक उम्र वाले लोगों में देखे जा सकते हैं। तथापि, सभी उम्र वाले व्यक्तियों को इसका सामना करना पड़ सकता है। .

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कोरिया

कोरिया (कोरियाई: 한국 या 조선) एक सभ्यता और पूर्व में एकीकृत राष्ट्र जो वर्तमान में दो राज्यों में विभाजित है। कोरियाई प्रायद्वीप पर स्थित, इसकी सीमाएं पश्चिमोत्तर में चीन, पूर्वोत्तर में रूस और जापान से कोरिया जलसन्धि द्वारा पूर्व में अलग है। कोरिया 1948 तक संयुक्त था; उस समय इसे दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया में विभाजित कर दिया गया। दक्षिण कोरिया, आधिकारिक तौर पर कोरिया गणराज्य, एक पूंजीवादी, लोकतांत्रिक और विकसित देश है, जिसकी संयुक्त राष्ट्र संघ, WTO, OECD और G-20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सदस्यता है। उत्तर कोरिया, आधिकारिक तौर पर लोकतांत्रिक जनवादी कोरिया गणराज्य, किम इल-सुंग द्वारा स्थापित एक एकल पार्टी कम्युनिस्ट देश है और सम्प्रति उनके बेटे किम जोंग-इल के दूसरे बेटे किम जोंग-उन द्वारा शासित है। उत्तर कोरिया की वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ में सदस्यता है। पुरातत्व और भाषाई सबूत यह सुझाते हैं कि कोरियाई लोगों की उत्पत्ति दक्षिण-मध्य साइबेरिया के अल्टायाक भाषा बोलने वाले प्रवासियों में हुई थी, जो नवपाषाण युग से कांस्य युग तक लगातार बहाव में प्राचीन कोरिया में बसते गए। 2 शताब्दी ई.पू.

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thumb अ देवनागरी लिपि का पहला वर्ण तथा संस्कृत, हिंदी, मराठी, नेपाली आदि भाषाओं की वर्णमाला का पहला अक्षर एवं ध्वनि है। यह एक स्वर है। यह कंठ्य वर्ण है।। इसका उच्चारण स्थान कंठ है। इसकी ध्वनि को भाषाविज्ञान में श्वा कहा जाता है। यह संस्कृत तथा भारत की समस्त प्रादेशिक भाषाओं की वर्णमाला का प्रथम अक्षर है। इब्राली भाषा का 'अलेफ्', यूनानी का 'अल्फा' और लातिनी, इतालीय तथा अंग्रेजी का ए (A) इसके समकक्ष हैं। अक्षरों में यह सबसे श्रेष्ठ माना जाता हैं। उपनिषदों में इसकी बडी महिमा लिखी है। तंत्रशास्त्र के अनुसार यह वर्णमाला का पहला अक्षर इसलिये है क्योंकि यह सृष्टि उत्पन्न करने के पहले सृष्टिवर्त की आकुल अवस्था को सूचित करता है। श्रीमद्भग्वद्गीता में कृष्ण स्वयं को अक्षरों में अकार कहते हैं- 'अक्षराणामकारोस्मि'। अ हिंदी वर्णमाला का स्वर वर्ण है उच्चारण की दृष्टि से अ निम्नतर,मध्य,अगोलित,हृस्व स्वर है कुछ स्थितियों में अ का उच्चारण स्थान ह वर्ण से पूर्वभी होता है जैसे कहना में वह में अ का उच्चारण स्थानभी है अ हिंदी में पूर्व प्रत्यय के रूप में भी बहुप्रयुक्त वर्ण है अ पूर्व प्रत्यय के रूप में प्रयुक्त होकर प्रायः मूल शब्द के अर्थ का नकारात्मक अथवा विपरीत अर्थ देता है,जैसे-अप्रिय,अन्याय,अनीति ऊ अन्यत्र मूल शब्द के पूर्ण न होने की स्थिति भी दर्शाता है,जैसे-अदृश्य,अकर्म अ पूर्व प्रत्यय की एक अन्य विशेषता यह भी है कि वह मूल शब्द के भाव के अधिकार को सूचित करता है,जैसे-अघोर अक्स उतारने वाला अक्कास कहलाता है चित्रकार;अक्कास कहलाता है .

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अनाहत चक्र

अनाहत चक्र तंत्र और योग साधना की चक्र संकल्पना का चौथा चक्र है। अनाहत का अर्थ है शाश्वत। यह चक्र हृदय के समीप सीने के मध्य भाग में स्थित है। इसका मंत्र यम है। .

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अनुनाद

जैसे-जैसे आवृत्ति, अनुनाद आवृत्ति के पास पहुँचती है, आयाम बढता जाता है भौतिकी में बहुत से तंत्रों (सिस्टम्स्) की ऐसी प्रवृत्ति होती है कि वे कुछ आवृत्तियों पर बहुत अधिक आयाम के साथ दोलन करते हैं। इस स्थिति को अनुनाद (रिजोनेन्स) कहते हैं। जिस आवृत्ति पर सबसे अधिक आयाम वाले दोलन की प्रवृत्ति पायी जाती है, उस आवृत्ति को अनुनाद आवृत्ति (रेसोनेन्स फ्रिक्वेन्सी) कहते हैं। सभी प्रकार के कम्पनों या तरंगों के साथ अनुनाद की घटना जुड़ी हुई है। अर्थात यांत्रिक, ध्वनि, विद्युतचुम्बकीय अथवा क्वांटम तरंग फलनों के साथ अनुनाद हो सकती है। कोई छोटे आयाम का भी आवर्ती बल, जो अनुनाद आवृत्ति वाला या उसके लगभग बराबर आवृत्ति वाला हो, उस तंत्र में बहुत अधिक आयाम के दोलन पैदा कर सकता है। अनुनादी तंत्रों के बहुत से उपयोग हैं। इनका उपयोग किसी वांछित आवृत्ति पर कम्पन (दोलन) पैदा करने के लिया किया जा सकता है; अथवा किसी जटिल कम्पन (जिसमें बहुत सी आवृत्तियों का मिश्रण हो; जैसे रेडियो या टीवी सिगनल) में से किसी चुनी हुई आवृत्ति को छाटने (फिल्टर करने) के लिये किया जा सकता है।; अनुनाद होने के लिये तीन चींजें जरूरी हैं- १) एक वस्तु या तन्त्र - जिसकी कोई प्राकृतिक आवृत्ति हो; २) वाहक या कारक बल (ड्राइविंग फोर्स) - जिसकी आवृत्ति, तन्त्र की प्राकृतिक आवृत्ति के समान हो; ३) इस तंत्र में उर्जा नष्ट करने वाला अवयव कम से कम हो (कम डैम्पिंग हो)। (घर्षण, प्रतिरोध (रेजिस्टैन्स), श्यानता (विस्कासिटी) आदि किसी तन्त्र में उर्जा ह्रास के लिये जिम्मेदार होते हैं।) .

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अनुरणन

विभिन्न परकार के अनुरणन: '''लाल''' - सीधे पहुँची ध्वनि, '''हरी''' - एक बार परावर्तित होने के बाद पहुँची ध्वनि, '''नीली''' - अनेकों बार परावर्तन के बाद पहुँची ध्वनि मनोध्वनिकी तथा ध्वनिकी में अनुरणन (Reverberation) का अर्थ है ध्वनि उत्पन्न होने के बाद उसका बहुत देर तक बने रहना। अनुरणन तब उत्पन्न होता है जब ध्वनि अनेकानेक बार परावर्तित होने के कारण जुड़ती चली जाती है। अनुरणन के बाद ध्वनि विभिन्न वस्तुओं (दीवार, कुर्सी, मेज, लोग आदि) से अवशोषित होकर क्रमशः क्षीण हो जाती है। अनुरणन की परिघटना को उस समय आसानी से अनुभव किया जाता है जब ध्वनि उत्पन्न करने वाला स्रोत (जैसे स्पीकर) बन्द हो जाने के बाद भी ध्वनि बहुत देर तक बनी रहे अर्थात् तुरन्त समाप्त होने के बजाय धीरे-धीरे क्षीण होते हुए भी बहुत देर तक बनी रहती है। अनुरणन की क्रिया आवृत्ति पर भी निर्भर करती है। विशेष कक्षों की डिजाइन करते समय वांक्षित अनुरणन-समय की प्राप्ति के लिये कुछ चीजों पर विशेष ध्यान देना पड़ सकता है। यदि अनुरणन की तुलना प्रतिध्वनि से करनी हो तो ध्यातव्य है कि प्रतिध्वनि को स्पष्ट रूप से सुनने के लिये कम से कम 50 मिलीसेकेण्ड से 100 मिलीसेकेण्ड का समयान्तराल होना आवश्यक है, किन्तु अनुरणन के लिये परावर्तित ध्वनि ५० मिलीसेकेण्ड के अन्दर ही पहुँच जानी चाहिये। अनुरणन केवल कमरों के अन्दर ही नहीं होता बल्कि वनों में भी और अन्य स्थानों पर भी सम्भव है। .

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अष्टाध्यायी

अष्टाध्यायी (अष्टाध्यायी .

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अवशोषण

अवशोषण (Absorption) किसी चीज़ को सोख लेने की प्रक्रिया को कहते हैं। अलग विषयों में इसके अलग-अलग अर्थ निकलते हैं: .

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अवगम

नॅकर क्यूब और रुबिन गुलदस्ते ऐसे दो चित्र हैं जिनको दो भिन्न बोधों से देखा जा सकता है अपने वातावरण के बारे में इन्द्रियों द्वारा मिली जानकारी को संगठित करके उस से ज्ञान और अपनी स्थिति के बारे में जागरूकता प्राप्त करने की प्रक्रिया को अवगम या प्रत्यक्षण (perception) कहते हैं।Pomerantz, James R. (2003): "Perception: Overview".

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उच्चारण

1. नासिका (नाक); 2. ओष्ठ (ओठ); 3. दन्त; 4. तालु; 5. जिस प्रकार से कोई शब्द बोला जाता है; या कोई भाषा बोली जाती है; या कोई व्यक्ति किसी शब्द को बोलता है; उसे उसका उच्चारण (pronunciation)" कहते हैं। भाषाविज्ञान में उच्चारण के शास्त्रीय अध्ययन को ध्वनिविज्ञान की संज्ञा दी जाती है। भाषा के उच्चारण की ओर तभी ध्यान जाता है जब उसमें कोई असाधारणता होती है, जैसे.

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उच्चारण स्थान

मानव द्वारा ध्वनि उत्पन्न करने वाले प्रमुख अंगों का विवरण 1. बाह्योष्ठ्य (exo-labial) 2. अन्तःओष्ठ्य (endo-labial)3. दन्त्य (dental) 4. वर्त्स्य (alveolar) 5. post-alveolar6. prä-palatal 7. तालव्य (palatal)8. मृदुतालव्य (velar)9. अलिजिह्वीय (uvular)10. ग्रसनी से (pharyngal) 11. श्वासद्वारीय (glottal)12. उपजिह्वीय (epiglottal)13. जिह्वामूलीय (Radical)14. पश्चपृष्ठीय (postero-dorsal)15. अग्रपृष्ठीय (antero-dorsal) 16. जिह्वापाग्रीय (laminal)17. जिह्वाग्रीय (apical)18. sub-laminal स्वनविज्ञान के सन्दर्भ में, मुख गुहा के उन 'लगभग अचल' स्थानों को उच्चारण बुन्दु (articulation point या place of articulation) कहते हैं जिनको 'चल वस्तुएँ' छूकर जब ध्वनि मार्ग में बाधा डालती हैं तो उन व्यंजनों का उच्चारण होता है। उत्पन्न व्यंजन की विशिष्ट प्रकृति मुख्यतः तीन बातों पर निर्भर करती है- उच्चारण स्थान, उच्चारण विधि और स्वनन (फोनेशन)। मुख गुहा में 'अचल उच्चारक' मुख्यतः मुखगुहा की छत का कोई भाग होता है जबकि 'चल उच्चारक' मुख्यतः जिह्वा, नीचे वाला ओठ, तथा श्वासद्वार (ग्लोटिस) हैं। व्यंजन वह ध्वनि है जिसके उच्चारण में हवा अबाध गति से न निकलकर मुख के किसी भाग (तालु, मूर्धा, दांत, ओष्ठ आदि) से या तो पूर्ण अवरूद्ध होकर आगे बढ़ती है या संकीर्ण मार्ग से घर्षण करते हुए या पार्श्व से निकले। इस प्रकार वायु मार्ग में पूर्ण या अपूर्ण अवरोध उपस्थित होता है। .

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