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महाद्वीपीय ताक

सूची महाद्वीपीय ताक

प्रावार विश्वभर के महाद्वीपीय ताक, हलके नीले रंग में महाद्वीपीय ताक (Continental shelf) सागर या महासागर में जल के भीतर धरती का एक ताक होता है जो किसी महाद्वीप का समुद्रतल से कम ऊँचाई वाला अंश हो। महाद्वीपीय ताक पर पानी की गहराई कम होती है और ताक के अन्त से आगे महाद्वीपीय ढलान में गहराई बढ़ने लगती है। हिमयुगों के दौरान, जब समुद्रजल का कुछ हिस्सा ब़र्फ में जमा होने के कारण समुद्रतल गिर जाता है, जो महाद्वीपीय ताक का एक बड़ा भाग पानी से ऊपर निकलकर धरती बन जाता है। .

13 संबंधों: बरमूडा त्रिभुज, महाद्वीपीय भूपर्पटी, महासागरीय द्रोणी, सहूल ताक, सागरतह, सुन्दा ताक, सूंस, हनीश द्वीपसमूह, जलीय क्षेत्र, ज़ुक़र द्वीप, विश्व के सभी देश, गंगासागर, आराफ़ूरा सागर

बरमूडा त्रिभुज

यह, जिसे शैतान के त्रिकोण के रूप में भी जाना जाता है, उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर का एक क्षेत्र है जिसमे कुछ विमान और सतही त्रुटि (human error) या प्रकृति के कृत्यों (acts of nature) की सीमाओं के परे है। लोकप्रिय संस्कृति ने गायब होने की कुछ घटनाओं को अपसामान्य (paranormal), भौतिकी के नियमों (laws of physics) के निलंबन, या भूमि से परे की जीवित वस्तुओं (extraterrestrial beings)। की गतिविधियों से सम्बद्ध बताया। हालांकि बाद के लेखकों द्वारा अस्पष्ट रूप से सूचित या सृजित अनेक घटनाओं को प्रदर्शित करते हुए वास्तविक दस्तावेज उपलब्ध हैं और अनेक सरकारी एजेंसियों ने समुद्र के अन्य क्षेत्र के समान गायब होने की प्रकृति और उल्लेखित संख्या और दस्तावेजों पर कार्य किया है, परन्तु यथोचित जांच के बाद भी अनेक अवर्णित रह गए हैं। .

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महाद्वीपीय भूपर्पटी

महाद्वीपीय भूपर्पटी (continental crust) आग्नेय (इगनियस), अवसादी (सेडिमेन्टरी) और कायांतरित पत्थरों की बनी उस परत को कहते हैं जिसके महाद्वीप और उनसे जुड़े हुए लेकिन महासागरों में डूबे महाद्वीपीय ताक बने होते हैं। क्योंकि यह सामग्री सिलिकन व अल्युमिनियम से भरपूर खनिजों की बनी होती है इसलिये इस परत को कभी-कभी सिअल (sial) भी कहते हैं, जबकि महासागरीय भूपर्पटी (oceanic crust) में सिलिकन और मैग्नीसियम के खनिज अधिक होने से उसे सिमा (sima) कहा जाता है। .

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महासागरीय द्रोणी

महासागरीय द्रोणी (oceanic basin) महासागरों के सागरतह पर स्थित बड़ी द्रोणियाँ होती हैं। यह भूवैज्ञानिक आकृतियाँ कई भागों की बनी होती हैं, जिनमें अतल मैदान शामिल होते हैं। भूवैज्ञानिक रूप से सक्रीय महासागरीय द्रोणियों में महासागरीय गर्त और निम्नस्खलन क्षेत्र भी सम्मिलित होते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि महाद्वीपीय ताक, मध्य-महासागर पर्वतमालाओं और महासागरीय गर्तों के बीच के क्षेत्रों में महासागरीय द्रोणियाँ फैली होती हैं। .

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सहूल ताक

सहूल ताक (Sahul Shelf) ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप की महाद्वीपीय ताक (कॉन्टीनेन्टल शेल्फ़) का भाग है जो ऑस्ट्रेलिया के तट से आगे विस्तृत है। यह पश्चिमोत्तर में ऑस्ट्रेलियाई तट से लेकर तिमोर सागर के अधिकांश भाग के नीचे चलता हुआ वहाँ अंत होता है जहाँ तिमोर समुद्री खाई की गहराईयाँ आरम्भ होतीं हैं। उत्तर में यह ऑस्ट्रेलियाई तट से आगे नया गिनी तक पहुँचता है और पूरे आराफ़ूरा सागर के नीचे फैला हुआ है। .

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सागरतह

सागरतह (seabed) या सागर फ़र्श (seafloor) किसी सागर या महासागर के नीचे के फ़र्श को कहते हैं। यह तरह-तरह के क्षेत्रों व स्थलाकृतियों में विभाजित है, जिसमें महाद्वीपीय ताक, अतल मैदान और मध्य-महासागर पर्वतमालाएँ शामिल हैं। .

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सुन्दा ताक

सुन्दा ताक (Sunda Shelf) दक्षिणपूर्वी एशिया की महाद्वीपीय ताक (कॉन्टीनेन्टल शेल्फ़) का दक्षिणपूर्वी विस्तार है। सुन्दा ताक पर मलय प्रायद्वीप, सुमात्रा, जावा, बोर्नियो, मादूरा, बाली और हज़ारों छोटे द्वीप स्थित हैं। १८.५ करोड़ वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले इस समुद्री इलाक़े की गहराई लगभग सभी जगह ५० मीटर से कम है और कुछ जगहों पर केवल २० मीटर ही है। फ़िलीपीन्स, सुलावेसी और लघुतर सुन्दा द्वीपसमूह इस ताक से कुछ गहरी समुद्री खाईयों द्वारा विभाजित हैं। .

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सूंस

सूंस। सूंस (डॉल्फिन) समुद्री स्तनधारी जीव हैं और तिमि तथा शिंशुमार के निकट संबंधी हैं। इनके १७ वंश और ४० प्रजातियां हैं। इनका आकार १.२ मी (४ फीट) एवं ४०० कि.ग्रा (माउई सूंस) से लेकर ९.५ मी (३० फीट) १० टन (ऑर्का या किलर व्हेल) तक हो सकता है। ये विश्व भर में पाई जाती हैं, खास तौर पर महाद्वीपीय जलसीमा के उथले सागरीय क्षेत्रों में। ये मांसाहारी होती हैं और छोटी मछलियों और विद्रूपों को खाती हैं। सीटेसियन गण में डेल्फिनिडि सबसे बड़ा और अपेक्षाकृत नवीन कुल है। सूंसो का प्रादुर्भाव पृथ्वी पर लगभग १ करोड़ वर्ष पहले मियोसीन काल के दौरान हुआ था। सूंस पृथ्वी के कुछ सबसे अधिक बुद्धिमान जीवों में से एक है और उनके अक्सर दोस्ताना व्यवहार और हमेशा खुश रहने की आदत ने उन्हें मानवो के बीच खासा लोकप्रिय बना दिया है। गंगा नदी में पायी जाने वाली सूंस को भारत सरकार ने भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है। .

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हनीश द्वीपसमूह

हनीश द्वीपसमूह (अरबी:, अंग्रेजी: Hanish Islands) लाल सागर में स्थित एक द्वीपसमूह है। इसके द्वीप लाल सागर को अदन की खाड़ी से जोड़ने वाली बाब अल-मन्देब जलसन्धि के पास यमन और इरित्रिया के तटों के बीच स्थित है। अफ़्रीका के पास होने के बावजूद यह एशिया के महाद्वीप का हिस्सा माना जाता है क्योंकि यह उसकी महाद्वीपीय जलसीमा के अंदर पड़ता है। इनमें से अधिकतर यमन के भाग हैं हालांकि १९९८-१९९९ से पहले इरित्रिया भी इन्हें अपना हिस्सा बताता था। १९९५ में हुई हनीश द्वीप झड़प के बाद (अंतरराष्ट्रीय) स्थाई मध्यस्थता न्यायालय ने इसपर ग़ौर किया और १९९६ में इसके बड़े द्वीप यमन के भाग घोषित किए गए।, Mussie Tesfagiorgis G., pp.

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जलीय क्षेत्र

NM एवं 12 NM के साथ दर्शित. क्षेत्रीय जल, या क्षेत्रीय सागर, जैसा कि 1982 सागर पर विधान हेतु संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में तय हुआ था,, सागर रेखा/तट से लगी एक तटीय जल की पट्टी (प्रायः औसत न्यून-जल चिन्ह) जो कि अधिकतम बारह नॉटिकल मील तक होती है। क्षेत्रीय जल को राज्य का सार्वभौम क्षेत्र माना जाता है, यद्यपि विदेशी जहाज (सामरिक एवं नागरिक) जा सकते हैं उससे। राज्य की सार्वभौमिकता उस क्षेत्र के ऊपर के हवाई क्षेत्र, एवं सागर तलहटी तक भी जाती है। क्षेत्रीय जल यदा-कदा अनौपचारिक तौर पर, उस जल के उस क्षेत्र को भी कहते हैं, जिसके ऊपर राज्य का न्यायिक अधिकार हो, साथ ही आंतरिक जल क्षेत्र, निकटवर्ती क्षेत्र, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र तथा सम्भवतः कॉण्टीनेण्टल शैल्फ भी। श्रेणी:देश.

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ज़ुक़र द्वीप

ज़ुक़र द्वीप (अरबी:, अंग्रेजी: Zuqar Island) लाल सागर में स्थित एक द्वीप है जिसपर यमन का अधिकार है। यह लाल सागर को अदन की खाड़ी से जोड़ने वाली बाब अल-मन्देब जलसन्धि के पास यमन और इरित्रिया के तटों के बीच स्थित है। अफ़्रीका के पास होने के बावजूद यह एशिया के महाद्वीप का हिस्सा माना जाता है क्योंकि यह उसकी महाद्वीपीय जलसीमा के अंदर पड़ता है। अन्य हनीश द्विपों के साथ-साथ यह द्वीप भी यमन और इरित्रिया के बीच विवादित था और दोनों ही देश इसे अपना हिस्सा बताते थे। १९९५ में हुई हनीश द्वीप झड़प के बाद (अंतरराष्ट्रीय) स्थाई मध्यस्थता न्यायालय ने इसपर ग़ौर किया और १९९६ को यह द्वीप और हनीश द्वीपसमूह के कुछ अन्य बड़े द्वीप यमन के भाग घोषित किए गए।, Mussie Tesfagiorgis G., pp.

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विश्व के सभी देश

यह विश्व के देशों की सूची, एक सिंहावलोकन कराती है, विश्व के राष्ट्रों का, जो कि देवनागरी वर्णक्रमानुसार व्यवस्थित है। इसमें स्वतंत्र राज्य भी सम्मिलित हैं। (जो कि अन्तराष्ट्रीय मान्यताप्राप्त हैं और जो अमान्यता प्राप्त), हैं, बसे हुए हैंपरतंत्र क्षेत्र, एवं खास शासकों के क्षेत्र भी। ऐसे समावेश मानदण्ड अनुसार यह सूची शब्द `देश' एवं `सार्वभौम राष्ट्र' को पर्यायवाची नहीं मानती। जैसा कि प्रायः साधारण बोलचाल में प्रयोग किया जाता है। कृप्या ध्यान रखें कि किन्हीं खास परिस्थितिवश एवं किन्हीं खास भाषाओं में 'देश' शब्द को सर्वथा प्रतिबंधात्मक अर्थ समझा जाता है। अतः केवल 193 निम्नलिखित प्रविष्टियाँ ही प्रथम शब्द (देश या राष्ट्र) में समझे जाएं। यह सूची दिए गए देशों के क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी क्षेत्रों को आवृत्त करती है, अर्थात क्षेत्र, जलीय क्षेत्र (जिसमें जलीय आंतरिक क्षेत्र एवं थल से लगे जलीय क्षेत्र भी आते हैं), विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र, कॉण्टीनेण्टल शैल्फ, एवं हवाई क्षेत्र.

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गंगासागर

गंगासागर (सागर द्वीप या गंगा-सागर-संगम भी कहते हैं) बंगाल की खाड़ी के कॉण्टीनेण्टल शैल्फ में कोलकाता से १५० कि॰मी॰ (८०मील) दक्षिण में एक द्वीप है। यह भारत के अधिकार क्षेत्र में आता है और पश्चिम बंगाल सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है। इस द्वीप का कुल क्षेत्रफल ३०० वर्ग कि॰मी॰ है। इसमें ४३ गांव हैं, जिनकी जनसंख्या १,६०,००० है। यहीं गंगा नदी का सागर से संगम माना जाता है। इस द्वीप में ही रॉयल बंगाल टाइगर का प्राकृतिक आवास है। यहां मैन्ग्रोव की दलदल, जलमार्ग तथा छोटी छोटी नदियां, नहरें हीं। इस द्वीप पर ही प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ है। प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर लाखों हिन्दू श्रद्धालुओं का तांता लगता है, जो गंगा नदी के सागर से संगम पर नदी में स्नान करने के इच्छुक होते हैं। यहाँ एक मंदिर भी है जो कपिल मुनि के प्राचीन आश्रम स्थल पर बना है। ये लोग कपिल मुनि के मंदिर में पूजा अर्चना भी करते हैं। पुराणों के अनुसार कपिल मुनि के श्राप के कारण ही राजा सगर के ६० हज़ार पुत्रों की इसी स्थान पर तत्काल मृत्यु हो गई थी। उनके मोक्ष के लिए राजा सगर के वंश के राजा भगीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाए थे और गंगा यहीं सागर से मिली थीं। कहा जाता है कि एक बार गंगा सागर में डुबकी लगाने पर 10 अश्वमेध यज्ञ और एक हज़ार गाय दान करने के समान फल मिलता है। जहां गंगा-सागर का मेला लगता है, वहां से कुछ दूरी उत्तर वामनखल स्थान में एक प्राचीन मंदिर है। उसके पास चंदनपीड़िवन में एक जीर्ण मंदिर है और बुड़बुड़ीर तट पर विशालाक्षी का मंदिर है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का यहां एक पायलट स्टेशन तथा एक प्रकाशदीप भी है। पश्चिम बंगाल सरकार सागर द्वीप में एक गहरे पानी के बंदरगाह निर्माण की योजना बना रही है। गंगासागर तीर्थ एवं मेला महाकुंभ के बाद मनुष्यों का दूसरा सबसे बड़ा मेला है। यह मेला वर्ष में एक बार लगता है। गंगा-डेल्टा, सुंदरवन का उपग्रह चित्र, यहीं बीच में गंगा-सागर द्वीप स्थित है। यह द्वीप के दक्षिणतम छोर पर गंगा डेल्टा में गंगा के बंगाल की खाड़ी में पूर्ण विलय (संगम) के बिंदु पर लगता है। बहुत पहले इस ही स्थानपर गंगा जी की धारा सागर में मिलती थी, किंतु अब इसका मुहाना पीछे हट गया है। अब इस द्वीप के पास गंगा की एक बहुत छोटी सी धारा सागर से मिलती है। यह मेला पांच दिन चलता है। इसमें स्नान मुहूर्त तीन ही दिनों का होता है। यहां गंगाजी का कोई मंदिर नहीं है, बस एक मील का स्थान निश्चित है, जिसे मेले की तिथि से कुछ दिन पूर्व ही संवारा जाता है। यहां स्थित कपिल मुनि का मंदिर सागर बहा ले गया, जिसकी मूर्ति अब कोलकाता में रहती है और मेले से कुछ सप्ताह पूर्व पुरोहितों को पूजा अर्चना हेतु मिलती है। अब यहां एक अस्थायी मंदिर ही बना है। इस स्थान पर कुछ भाग चार वर्षों में एक बार ही बाहर आता है, शेष तीन वर्ष जलमग्न रहता है। इस कारण ही कह जाता है: बाकी तीरथ चार बार, गंगा-सागर एक बार॥ वर्ष २००७ में मकर संक्रांति के अवसर पर लगभग ३ लाख लोगों ने यहां स्नान किया। यह संख्या अगले वर्ष घटकर २ लाख रह गई। ऐसा कुंभ मेले के कारण हुआ। शेष वर्ष पर्यन्त ५० हजार तीर्थयात्रियों ने स्नान किए। २००८ में पांच लाख श्रद्धालुओं ने सागर द्वीप में स्नान किया। यहां आने वाले श्रद्धालुओं से १० भारतीय रुपए कर लिया जाता है। .

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आराफ़ूरा सागर

आराफ़ूरा सागर, प्रशांत महासागर के पश्चिम में स्थित है और यह ऑस्ट्रेलिया और नया गिनी के बीच के सहूल महाद्वीपीय ताक पर आच्छादित है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

महाद्वीपीय जलसीमा, काण्टीनेंटल शैल्फ, कॉण्टीनेण्टल शैल्फ

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