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मध्य प्रदेश

सूची मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हो गया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2010-11 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीत लिया। .

1291 संबंधों: चचाई जलप्रपात, ऊन, मध्य प्रदेश, चन्दर, चन्द्र नगर, इंदौर, चन्द्रशेखर आजाद, चन्द्रकान्त राजू, चम्बल नदी, चम्बल घाट, चाचरी, चालुक्य राजवंश, चित्रगुप्त मन्दिर,खजुराहो, चित्रकूट (बहुविकल्पी), चित्रकूट एक्सप्रेस, चिरौंजी, चिंतामणि मालवीय, चंद्रशेखर हाडा, चंद्रकांत देवताले, चंदौरी कला, चंदेरी, चंदेरी दुर्ग, चंबल नदी, चंबल संभाग, चुटका परमाणु विद्युत संयंत्र, चौदहवीं लोकसभा, चौरागढ़ किला, चौरई, चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना, चौसठ योगिनी मंदिर, जबलपुर, चौसेला, चौंसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो, चैत (नृत्य), चूना, चेतन पंडित, चीनी मिट्टी, टपाली, टाल्क, टेकनपुर, टोटम प्रथा, टोन्स नदी, टीवी स्वामित्व के आधार पर भारत के राज्य, टीकमगढ़, टीकमगढ़ लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, टीकमगढ़ ज़िला, टीकाकरण कवरेज के आधार पर भारत के राज्य, एच॰आई॰वी जागरुकता के आधार पर भारत के राज्य, एनएचपीसी लिमिटेड, एस.एच. रज़ा, एहसान जाफ़री, एंटेरर 10, एकनाथ रानडे, ..., एकलव्य फ़ाउंडेशन, ऐरण, ऐशबाग स्टेडियम, झाँसी, झाबुआ, झाबुआ नन बलात्कार मामला, झाबुआ न्यूज़, झाबुआ ज़िला, ठेठरी, डाभी, डागला, डाक सूचक संख्या, डिडेल, डिण्डौरी, मध्यप्रदेश, डिजिटल लॉकर, डिंडौरी ज़िला, डॉ॰ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, डोगर सलैया, डीएलएफ़ यूनिवर्सल लिमिटेड, डीडी मध्य प्रदेश, तमसा, तरुणसागर, तसमई, तात्या टोपे, तानसेन समारोह, ताप्ती नदी, तिगवा, तिंचा जलप्रपात, तुलसी पीठ, तुलसी सम्मान, त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर, तेन्दु, तेली का मन्दिर, तेजाजी, तेंदू, थावरचंद गहलोत, दतिया, दतिया महल, दमोह, दमोह लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, दमोह ज़िला, दलपत सिंह परस्ते, दलाल गोत्र, दशपुर, दसपुर, दसलाखी नगर, दादा धर्माधिकारी, दामोदर स्वरूप 'विद्रोही', दारा नुसूरवानजी खुरोडी, दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारा परियोजना, दिल्ली सल्तनत, दिलीप सिंह भूरिया, दिघोरी (गुरूधाम), सिवनी, दिवारी, दिवाकर वर्मा, दिव्यांका त्रिपाठी, दिग्विजय सिंह (राजनीतिज्ञ), दंदरौआ मंदिर, दक्खिनी, दुलादेव मन्दिर, दुग्धधारा जलप्रपात, द्रुतमार्ग (भारत), द्वादश ज्योतिर्लिंग, द्वारका प्रसाद मिश्र, दैनिक भास्कर, दूधराज, देहरौरी, देजला, देवदार, देवनारायण की फड़, देवास, देवास लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, देवास ज़िला, देवगिरि के यादव, देवी अहिल्या सम्मान, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, देउर 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की सूची, जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, जीवाजीराव सिंधिया, घटोत्कच गुप्त, घरों मे बिजली उपलब्धता के आधार पर भारत के राज्य, घासल, वड़नगर, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, वर्धा, वर्धा नदी, वर्षा वर्मन, वार्ली (वार्ली), वाहनों के घनत्व के आधार पर भारत के राज्य, वाजिद खान, वागीश शास्त्री, विटीफीड, विदिशा, विदिशा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, विदिशा ज़िला, विदिशा का इतिहास, विदिशा के दर्शनीय स्थल, विदिशा की जलवायु, विदिशा की वन संपदा, विद्यानंद, विनायक सीताराम सर्वते, विन्ध्याचल पर्वत शृंखला, वियोगी हरि, विरेंद्र कुमार सकलेचा, विश्वास सारंग, विशेष न्यायालय विधेयक (मप्र), विष्णु सदाशिव कोकजे, विजय मंदिर, विदिशा, विजय घाटे, विजयपुर, मध्यप्रदेश, विजयराघवगढ़, विवेक तन्खा, विंध्य क्षेत्र, विंध्याचल महा ताप विद्युत गृह, विक्रमादित्य प्रतिमा, व्यौहार राममनोहर सिंहा, वैनगंगा नदी, वेणि शंकर झा, वेणुगंगा, वेद प्रताप वैदिक, वेसर शैली, वॉइस ऑफ़ इंडिया, वीरेन्द्र खरे 'अकेला', वीरेंद्र कुमार, खटिक, खड़िया आदिवासी, खड़ोतिया, खण्डवा, खरमोर, खरगौन, खरगोन, खरगोन लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, खरगोन ज़िला, खातेगांव, खजुराहो, खजुराहो लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, खजुराहो स्मारक समूह, खजुराहो विमानक्षेत्र, खवासा, खवासा का नरभक्षी, खंडवा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, खंडवा ज़िला, खुसरो फारामर्ज़ रुस्तमजी, खैरीकलां, खो-खो, खोह, खोजा गोत्र, गढ़वाली लोग, गढ़कालिका मंदिर, उज्जैन, गणगौर पूजा, गणेश सिंह, गणेशोत्सव, गरठिया /सिवनी जिला तहसील सिवनी, गाथा जलप्रपात, गाफिल स्वामी, गार नदी, गांधी हॉल, इन्दौर, गिरिजाकुमार माथुर, गिर्द, गंज बासौदा, गंगाधरन नायर, गंगुलपरा टैंक और जलप्रपात, गुड़मार, गुना, गुना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, गुप्तिनंदी, गुफा मंदिर, भोपाल, गुर्र, गुर्जर, गुर्जर प्रतिहार राजवंश, गुरू घासीदास विश्‍वविद्यालय, गुल बर्धन, गुजरात, गुग्गुल, ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर, ग्रेनेडियर्स, ग्वालियर, ग्वालियर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, ग्वालियर संभाग, ग्वालियर ज़िला, ग्वालियर का क़िला, गौ अभयारण्य अनुसन्धान एवं उत्पादन केन्द्र सालरिया, गौर, गौरीशंकर शेजवार, गौंडो, गृद्धकूट पर्वत, गृह स्वामित्व के आधार पर भारत के राज्यों की सूची, गोटमार मेला, गोडावण, गोन्यो, गोपाचल पर्वत, गोपाल मंदिर झाबुआ, गोरझामर, गोरझामार, गोरक्षकों द्वारा हिंसा, गोस्वामी हरिकृष्ण शास्त्री, गोहद, गोहद का किला, गोविन्द नामदेव, गोविन्दगुप्त, गोविंद नारायण सिंह, गोगावा, मध्य प्रदेश, गोंड (जनजाति), गोंडी भाषा, गोंडी लिपि, गोआ एक्स्प्रेस २७७९, गीत गागर, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, ओमकार सिंह मरकाम, ओरछा किला, ओंकारेश्वर मन्दिर, आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, भोपाल, आदिवासी (भारतीय), आदिवासी भाषाएँ, आदिवासी संग्रहालय, पातालकोट, आन्ध्र प्रदेश एक्सप्रेस, आमला, आमादांड, आर कार्लटन विवियन पिदादे नोरोन्हा, आर्थिक मुक्ति के आधार पर भारत के राज्यों की सूची, आर्यभट, आर॰ के॰ डी॰ ऍफ़॰ विश्वविद्यालय, आलोक संजर, आलोक अग्रवाल, आशा न्यूज़, आशारानी व्होरा, आज़ाद नगर, इन्दौर, आईसेक्ट विश्वविद्यालय, आगर मालवा ज़िला, आगरा प्रेसीडेंसी, आंचलिक परिषद, आंबेडकर जयंती, आंजना, आइ आइ आइ टी एम, आइएसओ 3166-2:आइएन, आइडिया सेल्युलर, इटारसी, इण्डिया हाउस, इनाणिया, इन्दिरा दाँगी, इन्दौर, इन्दौर रियासत, इन्दौर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, इन्दौर संभाग, इन्दौर ज़िला, इन्दौर विकास प्राधिकरण, इरफ़ान ख़ान (कार्टूनिस्ट), इलाहाबाद, इस्लामनगर, भोपाल, इंदिरा सागर बाँध, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, इंद्रावती नदी, इंदौर जंक्शन बीजी रेलवे स्टेशन, इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसा, इंदौर-बांद्रा एक्सप्रेस, कटनी, कटनी ज़िला, कन्हान नदी, कपिलधारा जलप्रपात, कप्तान सिंह सोलंकी, कबीर सम्मान, कमल नाथ, कमला सोहोनी, कम्पेल, कर राजस्व के आधार पर भारत के राज्य, करवा चौथ, करी, कलचुरि राजवंश, कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक न्यास, कादियान गोत्र, कान्हा बाबा समाधी, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, कापालिक शैली, कामदगिरि, कायस्थ, कार्तिक आर्यन, कालिदास समारोह, कालिदास सम्मान, कालिदास अकादमी, उज्जैन, कालिमंतान, कालेर, काली सिन्ध नदी, कालीरामणा, किला, किशोर काबरा, किशोर कुमार, किशोर कुमार सम्मान, ककरहानाथ मंदिर, कछवाहा, कुड़ुख, कुनू नदी, कुमाऊँनी भाषा, कुमार गन्धर्व सम्मान, कुमार गंधर्व, कुलदीप सिंह चांदपुरी, कुशाभाऊ ठाकरे, कुंडी भंडारा, कुंजीलाल दूबे, कुंवर चैन सिंह, कुंवारी नदी, कुकड़ी खापा जलप्रपात, कुकलाह (M.P.22), सिवनी तहसील, क्षिप्रा एक्सप्रेस, क्षिप्रा नदी, क्षेत्रफल के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र, क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, भोपाल, कृति फौजदार, कृपालु महाराज, कृष्ण, कृष्णराव शंकर पण्डित, कृष्णाराव शंकर पंडित, कैफ़ भोपाली, कैमूर की पहाड़ी, कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य, कैलाश चन्द्र पन्त, कैलाश चंद्र जोशी, कैलाश नाथ काटजू, कैलाश सत्यार्थी, कैलाश विजयवर्गीय, के एम चांडी, केन नदी, केओटी जलप्रपात, कोटर (कस्बा), कोठारी गोत्र, कोतमा, कोयला, कोरकू भाषा, कोरकू लोग, कोली, कीर्तिवर्मन चन्देल, अटल बिहरी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान, ग्वालियर, अटल बिहारी वाजपेयी, अटल बिहारी वाजपेयी रीजनल पार्क, इन्दौर, अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी पुस्तकालय, भोपाल, अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, अण्डमानी लोग, अतुल्य भारत, अत्री गोत्र, अदह, अनन्त गोपाल शेवड़े, अनन्त कान्हेरे, अनन्य खरे, अनिल माधव दवे, अनुपम मिश्र, अन्नू कपूर, अनूप मिश्रा, अनूपपुर ज़िला, अपराध दर के आधार पर भारत के राज्यों की सूची, अब्द, अभिषेक तिवारी, अमय खुरासिया, अमरकंटक, अमरकंटक थर्मल पावर स्टेशन, अम्बिका प्रसाद दिव्य, अरनोद, अरुण सुभाषचन्द्र यादव, अरुंधति किरकिरे, अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर भारत के राज्य, अर्जुन रामपाल, अर्जुन सिंह, अरेरा कॉलोनी, अल्पभार जनसंख्या के आधार पर भारत के राज्य, अलीराजपुर ज़िला, अशोक चक्रधर, अशोक आत्रेय, अशोकनगर, अशोकनगर ज़िला, अष्टावक्र (महाकाव्य), असद भोपाली, असंगघोष, असीरगढ़, अहिरवाड़ा, अहीर, अजय सिंह (मध्य प्रदेश राजनेता), अज़ीज़ क़ुरैशी, अजीत जोगी, अवधेश प्रताप सिंह, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, अवनि चतुर्वेदी, अवंतीबाई, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, अगरिया, अग्रहरि, अंतलिखित, अंबिकापुर, अंजू शर्मा, अकबर, उच्चतम बिन्दु के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र, उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश का भूगोल, उत्तर प्रदेश का इतिहास, उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची, उत्तर भारत, उत्तर भारत बाढ़ २०१३, उत्तर-पश्चिमी प्रान्त, उदय प्रकाश, उन्नाव सूर्य मंदिर, उपदेश अवस्थी, उमरिया ज़िला, उमा भारती, उर्मिला सिंह, उष्णकटिबन्धीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर, उस्ताद मुश्ताक हुसैन खान, उस्ताद हाफिज़ अली खाँ, उस्ताद अमीर खान, उज्जयिनी, उज्जैन, उज्जैन लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, उज्जैन संभाग, उज्जैन ज़िला, उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, ऋषभदेव, छडी पूजा, छत, छतरपुर, छतरपुर ज़िला, छतरी (स्मारक), छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल, छपारा, छिवँकी रेलवे स्टेशन, छिंदवाड़ा, छिंदवाड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, छिंदवाड़ा ज़िला, छुईखदान, छुईखदान रियासत, छेरिया, छोटा छिन्दवाड़ा, छोटी तवा नदी, १ नवंबर, १ई+११ मी॰², १५वीं लोक सभा के सदस्यों की सूची, १६वीं लोक सभा के सदस्यों की सूची, १९५७ में पद्म भूषण धारक, १९५८ में पद्म भूषण धारक, १९६० में पद्म भूषण धारक, १९६१ में पद्म भूषण धारक, १९६३ में पद्म भूषण धारक, १९६४ में पद्म भूषण धारक, १९६६ में पद्म भूषण धारक, १९७० में पद्म भूषण धारक, १९७१ में पद्म भूषण धारक, १९७२ में पद्म भूषण धारक, १९७३ में पद्म भूषण धारक, १९७५ में पद्म भूषण धारक, १९७७ में पद्म भूषण धारक, १९८४ में पद्म भूषण धारक, १९९८ में पद्म भूषण धारक, १९९९ में पद्म भूषण धारक, २ अगस्त, २००२ में पद्म भूषण धारक, २०१८ इंडियन प्रीमियर लीग, २२ नवम्बर, ८ दिसम्बर, 2014 भारत - पाकिस्तान बाढ़ सूचकांक विस्तार (1241 अधिक) »

चचाई जलप्रपात

चचाई जलप्रपात मध्य प्रदेश के रीवा जिले में स्थित एक जलप्रपात है। यह भारत का 23वाँ सबसे बड़ा जलप्रपात है। .

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ऊन, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के खरगोन जिला में स्थित यह स्थान खरगोन से 14 कि॰मी॰ दूरी पर है। परमार-कालीन शिव-मंदिर तथा जैन मंदिरों के लिये यह स्थान प्रसिद्ध है। एक बहुत प्राचीन लक्ष्मी-नारायण मंदिर भी यहां स्थित है। खजुराहो के अलावा केवल यहीं परमार-कालीन प्राचीन मंदिर हैं। .

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चन्दर

तारा चन्दर एक कार्टूनकार हैं। .

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चन्द्र नगर, इंदौर

चन्द्र नगर, मध्य प्रदेश के सबसे बड़ा शहर है और व्यावसायिक केंद्र इंदौर का एक आवासीय इलाका है.

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चन्द्रशेखर आजाद

पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया। .

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चन्द्रकान्त राजू

चन्द्रकान्त राजू (जन्म 7 मार्च 1954) भारत के कम्प्यूटर विज्ञानी, गणितज्ञ, भौतिकशास्त्री, शिक्षाशास्त्री, दार्शनिक एवं बहुज्ञ अनुसंधानकर्ता हैं। सम्प्रति वे नयी दिल्ली के सभ्यता अध्ययन केन्द्र (Centre for Studies in Civilizations) से जुड़े हुए हैं। भारत के प्रथम सुपरकम्प्यूटर 'परम' (1988-91) में उनका उल्लेखनीय एवं प्रमुख योगदान रहा। .

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चम्बल नदी

चंबल नदी मध्य भारत में यमुना नदी की सहायक नदी है। यह नदी "जानापाव पर्वत " महू से निकलती है। इसका प्राचीन नाम "चरमवाती " है। इसकी सहायक नदिया शिप्रा, सिंध, कलिसिन्ध, ओर कुननों नदी है। यह नदी भारत में उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के धार,उज्जैन,रतलाम, मन्दसौर भीँड मुरैनाआदि जिलो से होकर बहती है। यह नदी दक्षिण मोड़ को उत्तर प्रदेश राज्य में यमुना में शामिल होने के पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीमा बनाती है। इस नदी पर चार जल विधुत परियोजना चल रही है। 01 गांधी सागर 02 राणा सागर 03 जवाहर सागर 04 कोटा वेराज (कोटा)। प्रसिद्ध चूलीय जल प्रपातचंबल नदी (कोटा) मे है। यह एक बारहमासी नदी है। इसका उद्गम स्थल जानापाव की पहाडी(मध्य प्रदेश) है। यह दक्षिण में महू शहर के, इंदौर के पास, विंध्य रेंज में मध्य प्रदेश में दक्षिण ढलान से होकर गुजरती है। चंबल और उसकी सहायक नदियां उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के नाले, जबकि इसकी सहायक नदी, बनास, जो अरावली पर्वतों से शुरू होती है इसमें मिल जाती है। चंबल, कावेरी, यमुना, सिन्धु, पहुज भरेह के पास पचनदा में, उत्तर प्रदेश राज्य में भिंड और इटावा जिले की सीमा पर शामिल पांच नदियों के संगम समाप्त होता है। .

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चम्बल घाट

चम्बल घाट मंडरायल से ५ किलोमीटर की दुरी पर स्थित है जो राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा को एक लकड़ी के पुल से जोड़ता है.

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चाचरी

चाचरी नाम से कई लोक नृत्य प्रसिद्द हैं। उत्तर प्रदेश में यह यहाँ के जनजातीय लोगों द्वारा नाच जाता है और उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र में तथा नेपाल की सीमा से लगे इलाकों में कुमाउनी चाचरी के नाम से प्रचलित है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का लोक नृत्य चैत्र के महीने में यहाँ कोरकु जनजाति के लोगों द्वारा नाचा जाने वाला एक नृत्य है जो मिथकों पर आधारित है। .

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चालुक्य राजवंश

चालुक्य प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध क्षत्रिय राजवंश है। इनकी राजधानी बादामी (वातापि) थी। अपने महत्तम विस्तार के समय (सातवीं सदी) यह वर्तमान समय के संपूर्ण कर्नाटक, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिणी मध्य प्रदेश, तटीय दक्षिणी गुजरात तथा पश्चिमी आंध्र प्रदेश में फैला हुआ था। .

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चित्रगुप्त मन्दिर,खजुराहो

चित्रगुप्त मंदिर मध्य भारत के राज्य मध्य प्रदेश के खजुराहो क्षेत्र में बना निरंधार प्रासाद शैली का एक मन्दिर है। इस मंदिर का निर्माण ९७५ ईसवी सन में हुआ था और यहां मिथुन नर्तक, देवांगनाएँ, शार्दूल काफी मात्रा में अंकित किये गए हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें सामाजिक दृश्य को उत्कृष्टता से अंकित किया गया है। .

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चित्रकूट (बहुविकल्पी)

'चित्रकूट' से निम्नलिखित स्थानों या क्षेत्रों का बोध होता है-.

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चित्रकूट एक्सप्रेस

जबलपुर -लखनऊ चित्रकूट एक्सप्रेस जबलपुर -लखनऊ चित्रकूट एक्सप्रेस भारतीय रेलवे की प्रतिदिन चलने वाली मेल /एक्सप्रेस ट्रैन हैं। यह जबलपुर से लखनऊ के बीच चलती हैं, जबलपुर, मध्य प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं मध्य भारत का मिलिट्री कैंटोनमेंट का एक प्रमुख केंद्र हैं, जबकि लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी हैं। इसका नाम रामायण में वर्णित चित्रकूट के नाम पर रखा गया हैं जो जबलपुर के काफी नजदीक हैं। चित्रकूट वही जगह हैं जहा भगवान श्री राम ने अपना वनवास कुछ दिनों के लिए काटा था। .

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चिरौंजी

चिरौंजी चिरौंजी या चारोली पयार या पयाल नामक वृक्ष के फलों के बीज की गिरी है जो खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है। इसका प्रयोग भारतीय पकवानों, मिठाइयों और खीर व सेंवई इत्यादि में किया जाता है। चारोली वर्षभर उपयोग में आने वाला पदार्थ है जिसे संवर्द्धक और पौष्टिक जानकर सूखे मेवों में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। चिरौंजी दो प्रकार की वस्तुओं को कहते हैं एक तो जो मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है वह है चिरौंजी दाना। और दूसरी है वह मिलती है हमें एक वृक्ष के फलों की गुठली से। जो फलों की गुठली फोड़कर निकाली जाती है। जिसे बोलचाल की भाषा में पियाल, प्रियाल या फिर चारोली या चिरौंजी भी कहा जाता है। चारोली का वृक्ष अधिकतर सूखे पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है। दक्षिण भारत, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, छोटा नागपुर आदि स्थानों पर यह वृक्ष विशेष रूप से पैदा होता है। इस वृक्ष की लंबाई तकरीबन ५० से ६० फीट के आसपास की होती है। इस वृक्ष के फल से निकाली गई गुठली को मींगी कहते हैं। यह मधुर बल वीर्यवर्द्धक, हृदय के लिए उत्तम, स्निग्ध, विष्टंभी, वात पित्त शामक तथा आमवर्द्धक होती है। जिसका सेवन रूग्णावस्था और शारीरिक दुर्बलता में किया जाता है। चारोली का यह पका हुआ फल भारी होने के साथ-साथ मधुर, स्निग्ध, शीतवीर्य तथा दस्तावार और वात पित्त, जलन, प्यास और ज्वर का शमन करने वाला होता है। इस वृक्ष के फल की गुठली से निकली मींगी और छाल दोनों मानवीय उपयोगी होती है। चिरौंजी का उपयोग अधिकतर मिठाई में जैसे हलवा, लड्डू, खीर, पाक आदि में सूखे मेवों के रूप में किया जाता है। सौंदर्य प्रसाधनों में भी इसका उपयोग किया जाता है। .

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चिंतामणि मालवीय

चिंतामणि मालवीय भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के उज्जैन से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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चंद्रशेखर हाडा

कार्टूनिस्ट चंद्रशेखर हाडा का जन्म २ अगस्त १९६५ को बरखेडा मध्यप्रदेश में हुआ। एक फर्म में उप प्रबन्धक रह्ते फ्रीलान्स कार्टूनिंग की। चंद्रशेखर हाडा का पहला कार्टून नवभारत में छपा। स्वदेश, जनसत्ता, नईदुनिया, कादम्बिनी, साप्ताहिक हिंदुस्तान, पंजाब केसरी, मिलाप आदि पत्र-पत्रिकाओं में नियमित कार्टून छपते रहे हैं। पिछले १७ वर्षों से दैनिक भास्कर ग्रुप में कार्यरत हैं। इनदिनों जयपुर राजस्थान में हैं। श्रेणी:भारतीय कार्टूनिस्ट श्रेणी:1965 में जन्मे लोग.

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चंद्रकांत देवताले

चन्द्रकांत देवताले चंद्रकांत देवताले (जन्म १९३६) का जन्म गाँव जौलखेड़ा, जिला बैतूल, मध्य प्रदेश में हुआ। उच्च शिक्षा इंदौर से हुई तथा पी-एच.डी.

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चंदौरी कला

भारत के राज्य मध्यप्रदेश के अन्तर्गत सिवनी जिला से 29 किलोमीटर दूर चंदौरी कला स्थित है इस गाँव का भोगोलिक क्षेत्रफल 898.83 हैक्टेयर हैँ। चंदौरी कला एक आदर्श ग्राम पँचायत हैँ। यह पँचायत चंदौरीकला और चंदौरी खुर्द से मिलकर बनी है यह शासकीय प्राथमिक शाला व शासकीय उप चिकित्सालय व पंचायत कार्यालय है। माचागोरा बाँध की वायी तट नहर इस गाँव में निर्मित बडे नहर पुल के ऊपर से बहती हुई बखारी गयी हैँ। इस पँचायत के आसपास का क्षेत्र बंडोल पुलिस थाना के अन्तर्गत आता है जंगली जानवरो में हिरण अत्याधिक होने के कारण यहाँ आसानी से देखे जा सकते हैँ वन विभाग बंडोल के क्षेत्राधिकार में यह संपूर्ण क्षेत्र आता हैँ। .

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चंदेरी

चंदेरी का विहंगम दृष्य मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले में स्थित चंदेरी एक छोटा लेकिन ऐतिहासिक नगर है। मालवा और बुन्देलखंड की सीमा पर बसा यह नगर शिवपुरी से १२७ किलोमीटर, ललितपुर से ३७ किलोमीटर और ईसागढ़ से लगभग ४५ किलोमीटर की दूरी पर है। बेतवा नदी के पास बसा चंदेरी पहाड़ी, झीलों और वनों से घिरा एक शांत नगर है, जहां सुकून से कुछ समय गुजारने के लिए लोग आते हैं। बुन्देल राजपूतों और मालवा के सुल्तानों द्वारा बनवाई गई अनेक इमारतें यहां देखी जा सकती है। इस ऐतिहासिक नगर का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। ११वीं शताब्दी में यह नगर एक महत्वपूर्ण सैनिक केंद्र था और प्रमुख व्यापारिक मार्ग भी यहीं से होकर जाते थे। वर्तमान में बुन्देलखंडी शैली में बनी हस्तनिर्मित साड़ियों के लिए चन्देरी काफी चर्चित है। .

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चंदेरी दुर्ग

चन्देरी दुर्ग का दृष्य चंदेरी किला मध्य प्रदेश के गुना के नजदीक अशोक नगर जिले स्थित है। आज चंदेरी यहाँ की कशीदाकारी के काम व साड़ियों के लिए जाना जाता है। प्रसिद्ध संगीतकार बैजू बावरा की कब्र, कटा पहाड़ और राजपूत स्त्रियों के द्वारा किया गया सामूहिक आत्मदाह (जौहर) यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं। बाबर के द्वारा किये गए आक्रमण से यह किला लगभग तबाह हो गया था। कहा जाता है यह किला बाबर के लिए काफी महत्व का था इसलिए उसने चंदेरी के तत्कालीन राजपूत राजा से यह किला माँगा.

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चंबल नदी

चंबल नदी (हिन्दी-चम्बल) मध्य भारत में यमुना नदी की सहायक नदी है| यह नदी भारत में उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में राजस्थान तथा मध्य प्रदेश से होकर बहती है| यह नदी दक्षिण मोड़ को उत्तर प्रदेश राज्य में यमुना में शामिल होने के पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीमा बनाती है | यह एक बारहमासी नदी है| इसका उद्गम स्थल मानपुर इंदौर मध्यप्रदेश है | यह दक्षिण महू शहर के, इंदौर के पास, विंध्य रेंज के मध्य प्रदेश में दक्षिण ढलान से होकर गुजरती है | चंबल और उसकी सहायक नदियां उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के नाले, जबकि इसकी सहायक नदी, बनास, जो अरावली पर्वतों से शुरू होती है इसमें मिल जाती है| चंबल, कावेरी, यमुना, सिन्धु, पहुज भरेह के पास पचनदा में, उत्तर प्रदेश राज्य में भिंड और इटावा जिले की सीमा पर शामिल पांच नदियों के संगम समाप्त होता है| श्रेणी:भारत की नदियाँ.

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चंबल संभाग

चंबल संभाग के एक प्रशासनिक भौगोलिक इकाई के मध्य प्रदेश राज्य का भारतहै। मुरैना के प्रशासनिक मुख्यालय है विभाजन.

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चुटका परमाणु विद्युत संयंत्र

चुटका परमाणु विद्युत संयंत्र भारत का एक प्रस्तावित नाभिकीय विद्युत ऊर्जा संयंत्र है जो मध्य प्रदेश के मंडला जिले के चुटका गाँव में निर्माणाधीन है। यह क्षेत्रफल में फैला होगा। यह स्थान कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित है जो भारत का एक प्रमुख टाइगर अभयारण्य है। इस परियोजना में ७०० मेगावाट क्षमता के दो रिएक्टर निर्मित किए जाएंगे।(कुल १४०० मेगावाट विद्युत) .

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चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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चौरागढ़ किला

चौरागढ़ का किला, मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर शहर के निकट स्थित है। गोंड शासक संग्राम शाह ने इस किले को 15वीं शताब्दी में बनवाया था। यह किला गाडरवारा रेलवे स्टेशन से लगभग 19 किलोमीटर दूर है। वर्तमान में प्रशासन की उपेक्षा के कारण किला क्षतिग्रस्त अवस्था में पहुंच गया है। किले के निकट ही नोनिया में 6 विशाल प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं। श्रेणी:भारत के किले.

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चौरई

कोई विवरण नहीं।

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चौसठ योगिनी मंदिर, मुरैना

मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में मितावली नामक जगह स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह भारत के उन चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक है जो अभी भी अच्छी दशा में बचे हैं। यह मंदिर एक वृत्तीय आधार पर निर्मित है और इसमें ६४ कक्ष हैं। मध्य में एक खुला हुआ मण्डप है। यह मंदिर १३२३ ई में बना था। ऐसा माना जाता है कि भारत का संसद भवन (जो १९२० में बना), इसी शैली पर निर्मित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मंदिर को प्राचीन ऐतिहसिक स्मारक घोषित किया है। श्रेणी:भारत के प्राचीन स्मारक श्रेणी:मध्य प्रदेश के हिन्दू मंदिर.

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चौसठ योगिनी मंदिर, जबलपुर

चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित देवी का एक मंदिर है। इस मंदिर को त्रिपुरी राज घराने के महाराज कर्णदेव की महारानी अरुणा देवी ने बनबाया था। श्रेणी:मध्य प्रदेश के हिन्दू मंदिर.

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चौसेला

चौसेला एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है। श्रेणी:पूर्व भारत का खाना श्रेणी:छत्तीसगढ़ी खाना.

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चौंसठ योगिनी मंदिर, खजुराहो

चौसठ योगिनी मंदिर, मध्य प्रदेश के खजुराहो में स्थित देवी का एक ध्वस्त मंदिर है। यह खजुराहो का सबसे प्राचीन मंदिर है जो अब भी विद्यमान है। अन्य स्थानों पर भी चौसठ योगिनी मंदिर हैं, किन्तु यह अकेला ऐसा मन्दिर है जिसका प्लान, आयताकार है। शिवसागर झील के दक्षिण-पश्चिम में स्थित चौसठयोगिनी मंदिर चंदेल कला की प्रथम कृति है। यह मंदिर भारत के सेमस योगिनी मंदिरों में उत्तम है तथा यह निर्माण की दृष्टि से सबसे अधिक प्राचीन है। यह मंदिर खजुराहो की एक मात्र मंदिर है, जो स्थानीय कणाश्म पत्थरों से बनी है तथा इसका विन्यास उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर है तथा यह मंदिर १८ फुट जगती पर आयताकार निर्मित है। इसमें बहुत सी कोठरियाँ बनी हुई हैं। प्रत्येक कोठरी २.५ फुट चौड़ी और ४ फुट लंबी है। इनका प्रवेश द्वार ३२ इंच ऊँचा और १६ इंच चौड़ा है। हर एक कोठरी के ऊपर छोटे-छोटे कोणस्तुपाकार शिखर है। शिखर का निचला भाग चैत्यगवाक्षों के समान त्रिभुजाकार है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के हिन्दू मंदिर.

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चैत (नृत्य)

चैत मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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चूना

चूना पत्थर की खादान चूना (Lime) कैल्सियमयुक्त एक अकार्बनिक पदार्थ है जिसमें कार्बोनेट, आक्साइड, और हाइड्राक्साइड प्रमुख हैं। किन्तु सही तौर पर (Strictly speaking) कैल्सियम आक्साइड या कैल्सियम हाइड्राक्साइड को ही चूना मानते हैं। चूना एक खनिज भी है। गृहनिर्माण में जोड़ाई के लिये प्रयुक्त होनेवली वस्तुओं में चूना, सबसे प्राचीन पदार्थ है, किंतु अब इसका स्थान पोर्टलैंड सीमेंट ने लिया है। चूने का निम्नलिखित दो प्रमुख भागों में विभक्त किया गया है.

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चेतन पंडित

चेतन पंडित भारतीय फिल्म अभिनेता हैं। यह ए वेडनेसडे, जीना इसी का नाम है, राजनीति, किस किस की किस्मत और गंगाजल जैसे फिल्मों में कार्य कर चुके हैं। .

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चीनी मिट्टी

चीनी मिट्टी के टुकड़े चीनी मिट्टी (या, केओलिनाइट / Kaolinite) एक प्रकार की सफेद और सुघट्य मिट्टी हैं, जो प्राकृतिक अवस्था में पाई जाती है। इसका रासायनिक संघटन जलयुक्त ऐल्यूमिनो-सिलिकेट (Al2O3. 2SiO2. 2H2O) है। चीनी मिट्टी को 'केओलिन' भी कहते हैं। चीनी भाषा में केओलिन का अर्थ 'पहाड़ी डाँडा' होता है। डांडे बहुधा फेल्सपार खनिज के होते हैं और इस फेल्सपार का रासायनिक विघटन होने के कारण चीन मिट्टी या केओलिन इन्हीं डाँडों में पाई जाती है, बल्कि उस सफेद और सुघट्य मिट्टी को भी कहते हैं जो विघटन के स्थान से बहकर किसी अन्य स्थान में जमा हो जाती है। इसलिये चीनी मिट्टी दो प्रकार की होती है: .

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टपाली

टपाली मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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टाल्क

कण तालक. टाल्क (Talc) एक खनिज है। इसका रासायनिक सूत्र Mg3 (OH) 2 Si4 O10 है। यह खनिज बड़ा मुलायम होता है तथा साबुन की तरह चिकनाहट लिए रहता है। इसका रंग सफेद या हरा होता है। कठोरता १ होने के कारण इसका चूर्ण आसानी से तैयार किया जा सकता है। इसका आपेक्षिक घनत्व २.७-२.८ है। टाल्कम पाउडर का प्रयोग प्राय: सभी घरों में होता है। यह पाउडर खनिज टाल्क से ही तैयार किया जाता है। इसके अतिरिक्त, यह खनिज कपड़ों से चिकनाई को हटाने में, चीनी मिट्टी के उद्योग में, पोर्सिलेन तथा टाइल बनाने के काम में तथा रबर, कागज और रंग के उद्योगों में पूरक के रूप में काम आता है। रासायनिक बरतन बनाने तथा बिजली के उद्योगों में भी यह प्रयोग में लाया जाता है। भारत में इस खजि के उच्च श्रेणी के निक्षेप राजस्थान, आंध्र प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में है। कदाचित्‌ विश्व का सबसे अच्छा टाल्क फ्रांस के पाइरेनीज प्रदेश में मिलता है। श्रेणी:खनिज.

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टेकनपुर

टेकनपुर भारतीय राज्य में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में एक जनगणना शहर है। यहाँ सीमा सुरक्षा बल अकादमी है| यह ग्वालियर से बत्टीस किलोमीटर तथा डबरा से लगभग दस किमी की दूरीपर स्थित है| यहाँ से राष्ट्रीया मार्ग एन एच 75 निकला हुआ है| श्रेणी:ग्वालियर जिले के शहर और गाँव.

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टोटम प्रथा

कनाडा में टोटम खम्बे गणचिह्नवाद या टोटम प्रथा (totemism) किसी समाज के उस विश्वास को कहतें हैं जिसमें मनुष्यों का किसी जानवर, वृक्ष, पौधे या अन्य आत्मा से सम्बन्ध माना जाए। 'टोटम' शब्द ओजिब्वे (Ojibwe) नामक मूल अमेरिकी आदिवासी क़बीले की भाषा के 'ओतोतेमन' (ototeman) से लिया गया है, जिसका मतलब 'अपना भाई/बहन रिश्तेदार' है। इसका मूल शब्द 'ओते' (ote) है जिसका अर्थ एक ही माँ के जन्में भाई-बहन हैं जिनमें ख़ून का रिश्ता है और जो एक-दूसरे से विवाह नहीं कर सकते। अक्सर टोटम वाले जानवर या वृक्ष का उसे मानने वाले क़बीले के साथ विशेष सम्बन्ध माना जाता है और उसे मारना या हानि पहुँचाना वर्जित होता है, या फिर उसे किसी विशेष अवसर पर या विशेष विधि से ही मारा जा सकता है। कबीले के लोग अक्सर उसे क़बीले की चिह्नों में भी शामिल कर लेते हैं, मसलन मूल अमेरिकी आदिवासी अक्सर टोटम खम्बों में इन्हें प्रदर्शित करते थे।, Rajendra K. Sharma, Atlantic Publishers & Dist, 2004, ISBN 978-81-7156-665-5,...

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टोन्स नदी

यह नदी मध्यप्रदेश के सतना जिला के कैमोर श्रेणी में स्थित मैहर के समीप तमशाकुण्ड जलाशय से निकलकर उत्तर-पूर्व में प्रवाहित होती है तथा सतना नदी में मिलती हैँ। पुरबा के निकट यह मैदान में उतरती हैँ। यह नदी अपने मार्ग में सुन्दर जलप्रपात बनाती हैँ। यह इलाहबाद के समीप करछना तहसील में सिरसा नामक स्थान पर गंगा नदी में मिल जाती हैँ। वेलन इसकी सहायक नदी हैँ। इसकी लम्बाई 265 किलोमीटर हैँ। श्रेणी:भारत की नदियाँ श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ.

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टीवी स्वामित्व के आधार पर भारत के राज्य

भारत के राज्यों की यह सूची घरों में टीवी की उपलब्धता के आधार पर है। यह जानकारी एन॰एफ॰एच॰एस-३ से संकलित की गई थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण व्यापक-पैमाने, बहु-दौरीय सर्वेक्षण है जो अन्तर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आई॰आई॰पी॰एस), मुंबई द्वारा कराया जाता है जो परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट है। एन॰एफ॰एच॰एस-३ ११ अक्टूबर २००७ को जारी किया गया था और पूरा सर्वेक्षण इस वेबसाइट पर देखा जा सकता है। .

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टीकमगढ़

टीकमगढ़जिला मुख्यालय टीकमगढ़ है। शहर का मूल नाम 'टेहरी' था, जो अब पुरानी टेहरी के नाम से जाना जाता है। 1783 ई विक्रमजीत (1776 - 1817 CE के शासक) ने ओरछा से अपनी राजधानी टेहरी जिला टीकमगढ़ में स्थानांतरित कर दी थी। टीकमगढ़ टीकम (श्री कृष्ण का एक नाम)से टीकमगढ़ पड़ा। टीकमगढ़ जिला बुंदेलखंड क्षेत्र का एक हिस्सा है। यह और की एक सहायक नदी के बीच बुंदेलखंड पठार पर है। इस जिले के अंतर्गत क्षेत्र ओरछा के सामंती राज्य के भारतीय संघ के साथ अपने विलय तक हिस्सा था। ओरछा राज्य रुद्र प्रताप द्वारा 1501 में स्थापित किया गया था। विलय के बाद, यह 1948 में विंध्य प्रदेश के आठ जिलों में से एक बन गया। 1 नवम्बर को राज्यों के पुनर्गठन के बाद, 1956 यह नए नक्काशीदार मध्य प्रदेश राज्य के एक जिले में बन गया। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित एक गाँव है। इस गाँव का नाम यहां स्थित प्रसिद्ध दुर्ग (या गढ़) के नाम पर गढ़-कुंडार पढ़ा है। गढ कुण्डार का प्राचीन नाम गढ कुरार है। गढ़-कुंडार किला उस काल की न केवल बेजोड़ शिल्पकला का नमूना है बल्कि ऐतिहासिक समृद्धि का प्रतीक भी है। गढ़कुंडार किले का सम्बन्ध चंदेल और खंगार नरेशों से रहा है, परंतु इसके पुनर्निर्माण और इसे नई पहचान देने का श्रेय खंगारों को जाता है। वर्तमान में खंगार क्षत्रिय समाज के परिवार गुजरात, महाराष्ट्र के अलावा उत्तर प्रदेश में निवास करते हैं। 12वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान के प्रमुख सामंत खेतसिंह खंगार ने परमार वंश के गढ़पति शिवा को हराकर इस दुर्ग पर कब्जा करने के बाद खंगार राज्य की नींव डाली थी। छोटी देवी जी(नन्ही भुवानी) टीकमगढ़। शहर के बीचों बीच श्री श्री 1008 श्री जानकी रमण मंदिर(श्री ठाकुर गोविंद जू विराजमान) छोटी देवी के अंदर टीकमगढ़ में स्थित हैं। यह मंदिर टीकमगढ़ में पपौरा चौराहा के समीप बुख़ारिया जी की गली में है। छोटी देवी मंदिर में प्रत्येक नवरात्रि में नो दिनों के लिये भव्य मेला लगाया जाता हैं। .

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टीकमगढ़ लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

टीकमगढ़ लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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टीकमगढ़ ज़िला

टीकमगढ़ भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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टीकाकरण कवरेज के आधार पर भारत के राज्य

भारत के राज्यों की यह सूची उस प्रतिशतानुसार जिसमें १२-२३ महीनों के बच्चों को सभी सुझावित टीके दिए गए। यह जानकारी एन॰एफ॰एच॰एस-३ से संकलित की गई थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण व्यापक-पैमाने, बहु-दौरीय सर्वेक्षण है जो अन्तर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आई॰आई॰पी॰एस), मुंबई द्वारा कराया जाता है जो परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट है। एन॰एफ॰एच॰एस-३ ११ अक्टूबर २००७ को जारी किया गया था और पूरा सर्वेक्षण इस वेबसाइट पर देखा जा सकता है। .

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एच॰आई॰वी जागरुकता के आधार पर भारत के राज्य

भारत के राज्यों की यह सूची राज्यों में एच॰आई॰वी जागरुकता के आधार पर है। यह जानकारी एन॰एफ॰एच॰एस-३ से संकलित की गई थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण व्यापक-पैमाने, बहु-दौरीय सर्वेक्षण है जो अन्तर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आई॰आई॰पी॰एस), मुंबई द्वारा कराया जाता है जो परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट है। एन॰एफ॰एच॰एस-३ ११ अक्टूबर २००७ को जारी किया गया था और पूरा सर्वेक्षण इस वेबसाइट पर देखा जा सकता है। .

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एनएचपीसी लिमिटेड

एनएचपीसी लिमिटेड (पूर्वनाम नैशनल हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर कारपोरेशन लिमिटेड) वर्ष 1975 में स्थापित भारत सरकार का एक सार्वजनिक उपक्रम है। इसका उद्देश्य सभी रूपों में हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर के समेकित एवं दक्ष विकास की योजना बनाना तथा पर्यावरण संतुलन को ध्यान मे रखते हुए इसे विकसित और संगठित करना है। लगभग ३१७०० करोड़ रुपए से अधिक के निवेश आधार वाली एनएचपीसी लिमिटेड भारत की सर्वोपरि दस कम्पनी में से एक है। वर्तमान में जलविद्युत विकास के क्षेत्र में यह सबसे बड़ा संगठन है। एनएचपीसी लिमिटेड जलविद्युत परियोजनाओं का संकल्पना से संचालन तक सभी कार्यों को करने में सक्षम है। .

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एस.एच. रज़ा

सैयद हैदर रज़ा उर्फ़ एस.एच.

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एहसान जाफ़री

एहसान जाफ़री (1929 – 28 फ़रवरी 2002) कांग्रेस के एक भूतपूर्व संसद थे। वो छठी लोक सभा के सदस्य रहे। उनका 2002 की गुजरात हिंसा के दौरान मुस्लिम विरोधी हिंसा में "गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार" में उनका निधन हो गया। उनकी पत्नी ज़ाकिया जाफ़री के अनुसार, एहसान जाफ़री की मृत्यु के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तरदायी है। .

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एंटेरर 10

एंटेरर 10 एक टेलीविजन चैनल है। इसमें हिन्दी फिल्में प्रसारित होती है। .

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एकनाथ रानडे

एकनाथ रानाडे एकनाथ रानडे (१९ नवम्बर १९१४ - २२ अगस्त १९८०) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक समर्पित कार्यकर्ता थे जिन्होने सन् १९२६ से ही संघ के विभिन्न दायित्वों का निर्वाह किया। कन्याकुमारी स्थित विवेकानन्द स्मारक शिला के निर्माण के लिये आन्दोलन करने एवं सफलतापूर्वक इस स्मारक का निर्माण करने के कारण प्रसिद्ध हैं। .

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एकलव्य फ़ाउंडेशन

एकलव्य फाउण्डेशन भारत के मध्य प्रदेश राज्य में कार्यरत एक अशासकीय संस्था (NGO) है। यह बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत कार्य कर रही है। यह सन् १९८२ में एक अखिल भारतीय संस्था के रूप में पंजीकृत हुई थी। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक पद्धति एंव बाल-शिक्षा में तकनीकी विकास पर एकलव्य फाउण्डेशन द्वारा क्रियान्वन कराया जा रहा है। भोपाल स्थित संस्था के कार्यालय द्वारा विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। महाभारत के पात्र एकलव्य के जीवन चरित्र से प्रभावित इस संस्था का दर्शन शिक्षा के उन्न्यन में समाज में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। .

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ऐरण

एरण स्थित वराह की विशालकाय प्रतिमा एरण का विष्णु मंदिर मण्डप एरण नामक ऐतिहासिक स्थान मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है। प्राचीन सिक्कों पर इसका नाम ऐरिकिण लिखा है। एरण में वाराह, विष्णु तथा नरसिंह मन्दिर स्थित हैं। एरण, सागर से करीब 90 किमी दूर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग के अलावा ट्रेन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सागर-दिल्ली रेलमार्ग के एक महत्वपूर्ण जंक्शन बीना से इसकी दूरी करीब 25 किमी है। बीना और रेवता नदी के संगम पर स्थित एरण का नाम यहां अत्यधिक मात्रा में उगने वाली प्रदाह प्रशामक तथा मंदक गुणधर्म वाली 'एराका' नामक घास के कारण रखा गया है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि एरण के सिक्कों पर नाग का चित्र है, अत: इस स्थान का नामकरण एराका अर्थात नाग से हुआ है। .

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ऐशबाग स्टेडियम

ऐशबाग स्टेडियम भोपाल का एक प्रमुख खेल का मैदान हैं। ऐशबाग में कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजित होते हैं जिनमे से हॉकी के लिए ऐशबाग प्रमुख रूप से प्रसिद्ध है। यह स्टेडियम वर्ष 1931 में बनकर तैयार हुआ था। .

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झाँसी

झाँसी भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह शहर उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है और बुंदेलखंड क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। झाँसी एक प्रमुख रेल एवं सड़क केन्द्र है और झाँसी जिले का प्रशासनिक केन्द्र भी है। झाँसी शहर पत्थर निर्मित किले के चारों तरफ़ फ़ैला हुआ है, यह किला शहर के मध्य स्थित बँगरा नामक पहाड़ी पर निर्मित है। उत्तर प्रदेश में 20.7 वर्ग कि मी.

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झाबुआ

झाबुआ मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। समुद्र की सतह से इसकी ऊँचाई १,१७१ फुट है। यह बहादुरसागर नामक झील के किनारे स्थित है। झील के उत्तरी किनारे पर स्थित राजा का महल मिट्टी की दीवार से घिरा है। झाबुआ भूतपूर्व मध्य भारत में एक राज्य (रियासत) भी था। इसका क्षेत्रफल १,३३६ वर्ग मील था। अनस यहाँ की प्रमुख नदी है। माही नदी के आसपास के भाग में कृषि होती थी। यहाँ का 'घाटा' कहलानेवाला पर्वतीय भाग अनुपजाऊ है। मक्का, धान, चना, गेहूँ, ज्वार, कपास यहाँ की प्रमुख उपज हैं। .

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झाबुआ नन बलात्कार मामला

झाबुआ नन बलात्कार मामला एक ऐसा मामला है जिसमें 24 आदिवासियों के एक समूह द्वारा 1998 में भारत के राज्य मध्य प्रदेश में झाबुआ जिले में चार ननों का कथित रूप से बलात्कार किया गया था। झाबुआ की एक अदालत ने एक स्थानीय वकील द्वारा दायर नागरिक मानहानि के मुकदमा में हिंदू संगठनों पर आरोप लगाने के लिए तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और 14 अन्य के खिलाफ वारंट जारी किया। भोपाल की एक अदालत ने वारंट उस समय रद्द कर दिया जब दिग्विजय उपस्थित हुए और 5000 रुपये का मुचलका भरा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता उमा भारती ने बाद में टिप्पणी की कि ईसाई नन के साथ बलात्कार करने वालों में से 12 खुद को आदिवासी ईसाई थे और यह एक विडंबना है कि इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने का लिए कुछ लोग प्रयास कर रहे हैं। इस मामले को अरुण शौरी ने अपनी पुस्तक हार्वेस्टिंग अवर सोल्स में वर्णित किया है और कहा है कि यह हिंदुओं को बदनाम करने के लिए एक झूठा आरोप है। .

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झाबुआ न्यूज़

झाबुआ न्यूज़ या (झाबुआ न्यूज़ डॉट आशा न्यूज़ डॉट कॉम/jhabua.ashanews.in) मध्यप्रदेश में स्थापित आशा न्यूज़ का अधिकृत आॅनलाइन समाचार चैनल है, इसकी शुरुआत १० जुलाई २०१२ को की थी तथा इसका मुख्यालय झाबुआ,मध्यप्रदेश में है। ये बहुत कम समय में यह झाबुआ का सबसे लोकप्रिय हिन्दी न्यूज पोर्टल बन गया एवं लगातार अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखे हुए है। इसके सम्पादक पीयूष त्रिवेदी है। झाबुआ न्यूज़ ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल में ज्यादातर सोशल पत्रकार है जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता का बड़ा अवसर मिल रहा है। .

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झाबुआ ज़िला

झाबुआ जिला, मध्य प्रदेश का एक जिला है। इसका मुख्यालय झाबुआ है। पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थित झबुआ जिला गुजरात के वडोदरा, राजस्थान के बांसवाड़ा और मध्य प्रदेश के धार व रतलाम जिलों से घिरा है। 16वीं शताब्दी में स्थापित यह जिला बहादुर सागर झील के किनारे बसा हुआ है। 6782 वर्ग किलोमीटर में फैला झबुआ मूलत: आदिवासी जिला है। यहां मुख्यत: भील और भीलालस आदिवासी जातियां रहती हैं। यह जिला आदिवासी हस्तशिल्प खासकर बांस से बनी वस्तुओं, गुडियों, आभूषणों और अन्य बहुत-सी वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है। नर्मदा यहां से बहने वाली प्रमुख नदी है। भाभरा, देवाझिरी, काठीवाड़ा, लक्ष्मणी ग्राम, मलवई और अमखुट यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। झबुआ इंदौर से लगभग 150 किलोमीटर दूर है। .

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ठेठरी

ठेठरी एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है। श्रेणी:पूर्व भारत का खाना श्रेणी:छत्तीसगढ़ी खाना.

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डाभी

डाभी(Dabhi) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के खण्डवा जिले में स्थित एक गाँव है जो कि भारतीय डाक सेवा के अंतर्गत पिनकोड ४५०६६१ के सेवा क्षेत्र में आता है। राहुल Tanwer(Rajput) यहां पैदा हुआ था और jnct में b.tech छात्र रहे हैं is village me ek ram mandir ek sankar mandir or ek sai mandir.ek hanuman mandir he tatha ek maa durga ka mandir he.

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डागला

डागला मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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डाक सूचक संख्या

डाक सूचक संख्या या पोस्टल इंडेक्स नंबर (लघुरूप: पिन नंबर) एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से किसी स्थान विशेष को एक विशिष्ट सांख्यिक पहचान प्रदान की जाती है। भारत में पिन कोड में ६ अंकों की संख्या होती है और इन्हें भारतीय डाक विभाग द्वारा छांटा जाता है। पिन प्रणाली को १५ अगस्त १९७२ को आरंभ किया गया था। .

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डिडेल

डिडेल एक जाट गोत्र का नाम है, जो भारत के राजस्थान और मध्यप्रदेश प्रांत में पाये जाते हैं। राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, नागौर, टोंक जिलों में मिलते हैं एवं मध्यप्रदेश के हरडा, मंदसौर, रतलाम जिलों में मिलते हैं। यह गोत्र ऋषि दधीचि के परिवार पेड़ में भी है। डिडेल गोत्र सबसे ज्यादा नागौर जिले के रोल गांव में हैं। श्रेणी:जाति श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:भारतीय उप जातियाँ श्रेणी:जाट गोत्र श्रेणी:राजस्थान के जाट गोत्र श्रेणी:मध्यप्रदेश के जाट गोत्र श्रेणी:भारतीय जाति आधार sv:Jater#D.

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डिण्डौरी, मध्यप्रदेश

डिण्डौरी नगर,एक जिला मुख्यालय और मध्य प्रदेश राज्य के डिण्डौरी जिले में एक नगर पंचायत हैं। .

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डिजिटल लॉकर

डिजिटल लॉकर या डिजिलॉकर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का अहम हिस्सा है। अंग्रेजी भाषा के शब्दों डिजिटल लॉकर का हिंदी में शाब्दिक अर्थ है अंकीय तिजोरी या इलेक्ट्रॉनिक तिजोरी जो दस्तावेजों की छायाप्रति सुरक्षित रखने के काम आती है। भारत सरकार के संचार और आईटी मंत्रालय के द्वारा प्रबंधित इस वेबसाईट आधारित सेवा के जरिये उपयोगकर्ता जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाण पत्र जैसे अहम दस्तावेजों को ऑनलाइन सुरक्षित रख सकते हैं। यह सुविधा पाने के लिए बस उपयोगकर्ता के पास भारत सरकार द्वारा प्रद्दत आधार कार्ड होना चाहिए। अपना आधार अंक डाल कर उपयोगकर्ता अपना डिजिलॉकर खाता खोल सकते हैं और अपने जरूरी दस्तावेज़ सुरक्षित रख सकते हैं। आधार अंक की अनिवार्यता होने की वजह से यह तय किया गया है कि इस सरकारी सुविधा का लाभ सिर्फ भारतीय नागरिक ही ले सकें और जिसका भी खाता हो, उसके बारे में सभी जानकारी सरकार के पास हो। कोई भी ठग, झूठा और अप्रमाणित व्यक्ति इसका उपयोग ना कर सके इसके लिये आधार कार्ड होने की अनिवार्यता बेहद आवश्यक है क्युंकि आधार कार्ड भी भारत सरकार द्वारा पूरी जाँच पड़ताल के बाद ही जारी किया जाता है। इस तरह से इस प्रणाली के दुरुपयोग की संभावना बेहद कम हो जाती है। इस सुविधा की खास बात ये हैं कि एक बार लॉकर में अपने दस्तावेज अपलोड करने के बाद आप कहीं भी अपने प्रमाणपत्र की मूलप्रति के स्थान पर अपने डिज़िलॉकर की वेब कड़ी (यूआरएल) दे सकेंगे। भारत के संचार एवं आईटी मंत्रालय की शाखा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्मोगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) ने जुलाई २०१५ में डिजिटल लॉकर का बीटा संस्करण जारी किया है। इस संस्करण का नाम डिजीलॉकर रखा गया है। फिलहाल यह वेबसाईट हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में उपलब्ध है। .

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डिंडौरी ज़िला

डिंडौरी या डिण्डौरी भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक जिला हैं। डिंडौरी जिला मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से लगा हुआ हैं। डिंडौरी जिले की सीमा पूर्व में शहडोल, पश्चिम में मंडला, उत्तर में उमरिया और दक्षिण में छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर से लगी हुई है। यह जबलपुर से 144 कि॰मी॰ की दूरी पर है। डिंडौरी की मंडला से दूरी 104 तथा अमरकंटक की दूरी 88 कि॰मी॰ है। यह 81.34 डिग्री देशांत तथा 21.16 डिग्री अक्षांश में स्थित है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 1100 मी.

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डॉ॰ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय

डॉ॰ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय भारत के मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। इसको सागर विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना डॉ॰ हरिसिंह गौर ने १८ जुलाई १९४६ को अपनी निजी पूंजी से की थी। अपनी स्थापना के समय यह भारत का १८वाँ विश्वविद्यालय था। किसी एक व्यक्ति के दान से स्थापित होने वाला यह देश का एकमात्र विश्वविद्यालय है। वर्ष १९८३ में इसका नाम डॉ॰ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय कर दिया गया। २७ मार्च २००८ से इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय की श्रेणी प्रदान की गई है। .

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डोगर सलैया

डोगर सलैया मध्य प्रदेश में स्थित एक गाँव है जो सागर जिले की देवरी तहसील में आता है। इस गाँव का मुख्य व्यवसाय कृषि है जिसमे मुख्य फ़सले गेहूं, सोयाबीन, चना, प्याज आदि है। .

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डीएलएफ़ यूनिवर्सल लिमिटेड

डीएलएफ सेंटर, डीएलएफ मुख्यालय, नई दिल्ली डीएलएफ लिमिटेड (DLF Limited) या डीएलएफ (मूल रूप से जिसका नाम दिल्ली लैंड एण्ड फाइनेंस था), भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित सबसे बड़ी भारतीय अचल संपत्ति विकासक (रीयल एस्टेट डेवेलपर) कंपनी है। डीएलएफ ग्रुप की स्थापना 1946 में रघुवेंद्र सिंह द्वारा की गई थी। डीएलएफ ने दिल्ली में शिवाजी पार्क (जो वास्तव में इसका पहला निर्माण था), राजौरी गार्डन, कृष्णा नगर, साउथ एक्सटेंशन, ग्रेटर कैलाश, कैलाश कॉलोनी और हौज़ खास जैसी आवासीय कॉलोनियों का विकास किया। 1957 में दिल्ली विकास अधिनियम के पारित होने के साथ स्थानीय सरकार ने दिल्ली में अचल संपत्ति के विकास को अपने हाथ में ले लिया और निजी अचल संपत्ति विकासक कंपनियों को ऐसा करने से प्रतिबंधित कर दिया। परिणामस्वरूप डीएलएफ ने दिल्ली विकास प्राधिकरण के नियंत्रण क्षेत्र से बाहर और इससे सटे हरियाणा राज्य के गुड़गांव जिले में अपेक्षाकृत कम लागत वाली जमीन पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया। 1970 के दशक के मध्य में कंपनी ने गुड़गांव में डीएलएफ सिटी परियोजना को विकसित करना शुरू किया। इसकी आगामी योजनाओं में होटल, बुनियादी ढांचे और विशेष आर्थिक क्षेत्र संबंधी विकास परियोजनाएं शामिल हैं। फ़िलहाल इस कंपनी का नेतृत्व बुलंद शहर के एक जाट और भारतीय अरबपति कुशल पाल सिंह द्वारा किया जा रहा है। फोर्ब्स की 2009 की सबसे अमीर अरबपतियों की सूची के अनुसार कुशल पाल सिंह अब दुनिया के 98वें सबसे अमीर व्यक्ति और दुनिया के सबसे अमीर संपत्ति विकासक हैं। जुलाई 2007 में कंपनी का 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर वाला आईपीओ भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ रहा है। जुलाई 2007 में डीएलएफ ने 30 जून 2007 को समाप्त होने वाले अपने पहले तिमाही परिणामों की घोषणा की। कंपनी ने 3,120.98 करोड़ रूपए के कारोबार और 1,515.48 करोड़ रूपए के पीएटी (PAT) की घोषणा की। .

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डीडी मध्य प्रदेश

डीडी मध्य प्रदेश एक राज्य के स्वामित्व वाला टीवी चैनल है जो दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से प्रसारित होता है। .

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तमसा

तमसा नदी भारत में प्रवाहित होने वाली सुप्रसिद्ध नदी है; परंतु यह किसी एक ही नदी के लिए सुनिश्चित नाम नहीं है। वस्तुतः इस नाम से प्रसिद्ध एक से अधिक नदियाँ हैं और इन सभी नदियों का नामांतर समान रूप से टौंस या टोंस भी है जिसे कि तमसा का ही अपभ्रंश अथवा अंग्रेजी उच्चारण का प्रभाव माना गया है। .

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तरुणसागर

मुनि Tarunsagar एक Digambara भिक्षु और लेखक की एक पुस्तक श्रृंखला शीर्षक Kadve प्रवचन (कड़वे प्रवचन).

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तसमई

तसमई एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है। श्रेणी:पूर्व भारत का खाना श्रेणी:छत्तीसगढ़ी खाना.

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तात्या टोपे

तात्या टोपे (1814 - 18 अप्रैल 1859) भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के एक प्रमुख सेनानायक थे। सन १८५७ के महान विद्रोह में उनकी भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी। सन् सत्तावन के विद्रोह की शुरुआत १० मई को मेरठ से हुई थी। जल्दी ही क्रांति की चिन्गारी समूचे उत्तर भारत में फैल गयी। विदेशी सत्ता का खूनी पंजा मोडने के लिए भारतीय जनता ने जबरदस्त संघर्ष किया। उसने अपने खून से त्याग और बलिदान की अमर गाथा लिखी। उस रक्तरंजित और गौरवशाली इतिहास के मंच से झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब पेशवा, राव साहब, बहादुरशाह जफर आदि के विदा हो जाने के बाद करीब एक साल बाद तक तात्या विद्रोहियों की कमान संभाले रहे।nice and thanks .

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तानसेन समारोह

तानसेन समारोह या तानसेन संगीत समारोह हर साल दिसंबर के महीने में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के बेहत गांव में मनाया जाता है। यह एक 4 दिन का संगीतमय कल्पात्मक नाटक है। दुनिया भर से कलाकार और संगीत प्रेमी यहाँ पर महान भारतीय संगीत उस्ताद तानसेन को श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठा होते हैं। यह समारोह मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा तानसेन के मकबरे के पास आयोजित किया जाता है। इस समारोह में पूरे भारत से कलाकारों को गायन एवं वाद्य प्रसतुति देने के लिए आमंत्रित किया जाता है। श्रेणी:ग़ैर हिन्दी भाषा पाठ वाले लेख .

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ताप्ती नदी

ताप्ती (संस्कृत: तापी, मराठी: तापी; गुजराती: તાપ્તી) पश्चिमी भारत की प्रसिद्ध नदी है। यह मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल जिले के मुलताई से निकलकर सतपुड़ा पर्वतप्रक्षेपों के मध्य से पश्चिम की ओर बहती हुई महाराष्ट्र के खानदेश के पठार एवं सूरत के मैदान को पार करती और अरब सागर में गिरती है। नदी का उद्गगम् स्थल मुल्ताई है। यह भारत की उन मुख्य नदियों में है जो पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती हैं, अन्य दो हैं - नर्मदा नदी और माही नदी। यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 740 किलोमीटर की दूरी तक बहती है और खम्बात की खाड़ी में जाकर मिलती है। सूरत बन्दरगाह इसी नदी के मुहाने पर स्थित है। इसकी प्रधान उपनदी का नाम पूर्णा है। इस नदी को सूर्यपुत्री भी कहा जाता है।   समुद्र के समीप इसकी ३२ मील की लंबाई में ज्वार आता है, किंतु छोटे जहाज इसमें चल सकते हैं। पुर्तगालियों एवं अंग्रेजों के इतिहास में इसके मुहाने पर स्थित स्वाली बंदरगाह का बड़ा महत्व है। गाद जमने के कारण अब यह बंदरगाह उजाड़ हो गया है। .

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तिगवा

तिगवा मध्य प्रदेश के कटनी जिले का एक गाँव है जहाँ एक प्राचीन पुरातात्विक स्थल है जिसमें ३६ हिन्दू मन्दिरों के भग्नावशेष विद्यमान हैं। इनमें से प्राचीन कंकाली देवी मन्दिर अभी भी अच्ची दशा में है। यह मन्दिर लगभग 400-425 ई का है। इस गाँव को 'तिगवाँ' भी कहते हैं। यह गाँव कटनी और जबलपुर के बीच में बहुरीबन्द से ४ किमी की दूरी पर है। .

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तिंचा जलप्रपात

तिंचा जलप्रपात मध्य प्रदेश में स्थित एक जलप्रपात है। श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश श्रेणी:मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल.

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तुलसी पीठ

तुलसी पीठ सेवा न्यास जानकी कुंड, चित्रकूट, मध्य प्रदेश में स्थित एक भारतीय धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्था है। इसे हिंदू धार्मिक नेता जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा २ अगस्त १९८७ को स्थापित किया गया था। रामभद्राचार्य का मानना है कि जहाँ पर यह पीठ स्थित है, उस जगह रामायण के अनुसार, राम ने अपने भाई भरत को अपनी चप्पले दी थी।नागर २००२, प्र.

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तुलसी सम्मान

मध्यप्रदेश शासन ने आदिवासी लोक और पारम्परिक कलाओं में उत्कृष्टता और श्रेष्ठ उपलब्धि को सम्मानित करने और इन कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने की दृष्टि से तुलसी सम्मान के नाम से एक लाख रुपये का एक वार्षिक पुरस्कार स्थापित किया है। यह सम्मान तीन वर्ष में दो बार प्रदर्शनकारी कलाओं और एक बार रूपंकर कलाओं के क्षेत्र में दिया जाता है। तुलसी सम्मान का निकष असाधारण सृजनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ साधना के निरपवाद सर्वोच्च मानदण्ड रखे गये हैं। चयन की निश्चित प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि कला के विवादित राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने के इस विनढा प्रयत्न में सभी स्तरों पर विशेषज्ञों की हिस्सेदारी है और इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि जहाँ एक ओर कलात्मक उपलब्धियों के बारे में एक तरह का व्यापक मत संग्रह संदर्भ के लिए उपलब्ध रहे, वहीं सम्मान से विभूषित किये जाने वाले कलाकार या मण्डली का चयन असंदिग्धा निष्ठा और विवेक वाले विशेषज्ञ पूरी निष्पक्षता, वस्तुपरकता और निर्भयता के साथ ऐसे मानदण्डों के आधार पर करें जो उत्तरदायी जीवन दृष्टि, गंभीर कलानुशासन और सौन्दर्यबोध पर आश्रित हैं। तुलसी सम्मान की चयन प्रक्रिया के अनुसार संस्कृति विभाग, वर्ष-विशेष के लिए निर्धारित कलानुशासन के कलाकारों, विशेषज्ञों, रसिकों और संगठनों आदि से अपने रचनात्मक वैशिष्ट्य, ज्ञान और संसक्ति का लाभ लेते हुए इस सम्मान के लिए उपयुक्त कलाकारों अथवा मण्डलियों के नामों की अनुशंसा करने का अनुरोध करता है। ये अनुशंसाएँ संकलित करके विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखी जाती हैं। इस समिति में राष्ट्रीय ख्याति के कलाकार और विशेषज्ञ शामिल होते हैं। चयन समिति को यह भी स्वतंत्रता है कि यदि कोई नाम छूट गया हो तो उसे अपनी तरफ से जोड़ लें। राज्य शासन ने चयन समिति को अनुशंसा को अपने लिए बंधानकारी माना है।;राष्ट्रीय तुलसी सम्मान प्राप्तकर्ता 1.

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त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर

यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत में सवाई माधोपुर जिले में स्थित है, जो कि विश्व धरोहर में शामिल रणथंभोर दुर्ग के भीतर बना हुआ है। अरावली और विन्ध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित रणथम्भौर दुर्ग में विराजे रणतभंवर के लाड़ले त्रिनेत्र गणेश के मेले की बात ही कुछ निराली है। यह मंदिर प्रकृति व आस्था का अनूठा संगम है। भारत के कोने-कोने से लाखों की तादाद में दर्शनार्थी यहाँ पर भगवान त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु आते हैं और कई मनौतियां माँगते हैं, जिन्हें भगवान त्रिनेत्र गणेश पूरी करते हैं। इस गणेश मंदिर का निर्माण महाराजा हम्मीरदेव चौहान ने करवाया था लेकिन मंदिर के अंदर भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है। इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान है जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। पूरी दुनिया में यह एक ही मंदिर है जहाँ भगवान गणेश जी अपने पूर्ण परिवार, दो पत्नी- रिद्दि और सिद्दि एवं दो पुत्र- शुभ और लाभ, के साथ विराजमान है। भारत में चार स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते है, जिनमें रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम है। इस मंदिर के अलावा सिद्दपुर गणेश मंदिर गुजरात, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन एवं सिद्दपुर सिहोर मंदिर मध्यप्रदेश में स्थित है। कहाँ जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य जिन्होंने विक्रम संवत् की गणना शुरू की प्रत्येक बुधवार उज्जैन से चलकर रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु नियमित जाते थे, उन्होंने ही उन्हें स्वप्न दर्शन दे सिद्दपुर सीहोर के गणेश जी की स्थापना करवायी थी। .

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तेन्दु

तेन्दु की छाल तेन्दु (वानस्पतिक नाम: Diospyros melanoxylon) एबिनासी (Ebenaceae) कुल का सपुष्पी पादप है। यह भारत और श्री लंका का देशज है। इसे मध्य प्रदेश में 'तेन्दु' तथा ओडिशा और झारखण्ड में 'केन्दु' कहते हैं। इसकी पत्तियाँ बीड़ी बनाने के काम आती हैं। इसकी छाल बहुत कठोर व सूखी होती है। इसे जलाने पर चिनगारी तथा आवाज निकलती हैं।.

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तेली का मन्दिर

तेली का मन्दिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित ग्वालियर दुर्ग के परिसर में स्थित एक प्राचीन हिन्दू मन्दिर है। यह मन्दिर विष्णु, शिव और मातृका को समर्पित है। इसका निर्माण काल विभिन्न विद्वानों द्वारा ८वीं शताब्दी से लेकर ९वीं शताब्दी के आरम्भिक काल के बीच में माना जाता है। .

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तेजाजी

तेजाजी राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात प्रान्तों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं। किसान वर्ग अपनी खेती की खुशहाली के लिये तेजाजी को पूजता है। तेजाजी के वंशज मध्यभारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बसे थे। नागवंश के धवलराव अर्थात धौलाराव के नाम पर धौल्या गौत्र शुरू हुआ। तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे। तेजाजी ने ग्यारवीं शदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने में अपने प्राण दांव पर लगा दिये थे। वे खड़नाल गाँव के निवासी थे। भादो शुक्ला दशमी को तेजाजी का पूजन होता है। तेजाजी का भारत के जाटों में महत्वपूर्ण स्थान है। तेजाजी सत्यवादी और दिये हुये वचन पर अटल थे। उन्होंने अपने आत्म - बलिदान तथा सदाचारी जीवन से अमरत्व प्राप्त किया था। उन्होंने अपने धार्मिक विचारों से जनसाधारण को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और जनसेवा के कारण निष्ठा अर्जित की। जात - पांत की बुराइयों पर रोक लगाई। शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया। पुरोहितों के आडंबरों का विरोध किया। तेजाजी के मंदिरों में निम्न वर्गों के लोग पुजारी का काम करते हैं। समाज सुधार का इतना पुराना कोई और उदाहरण नहीं है। उन्होंने जनसाधारण के हृदय में सनातन धर्म के प्रति लुप्त विश्वास को पुन: जागृत किया। इस प्रकार तेजाजी ने अपने सद्कार्यों एवं प्रवचनों से जन - साधारण में नवचेतना जागृत की, लोगों की जात - पांत में आस्था कम हो गई। कर्म,शक्ति,भक्ति व् वैराग्य का एक साथ समायोजन दुनियां में सिर्फ वीर तेजाजी के जीवन में ही देखने को मिलता हैं। .

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तेंदू

तेंदू फल - साबुत और कटे हुए तेंदू या अकमोल या स्वर्णाम्र एक पीले, नारंगी या लाल रंग का मीठा फल होता है। इसका अकार ०.५ से ४ इंच तक का गोला होता है। भारत में यह मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में, ख़ासकर विन्ध्याचल की पहाड़ियों में, पैदा किया जाता है। .

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थावरचंद गहलोत

थावरचंद गहलोत (जन्म: 18 मई 1948) भारतीय जनता पार्टी के राजनेता और भारत के केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री हैं। .

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दतिया

इतिहास महाभारत कालीन दंतवक्र के नाम के आधार पर दतिया नाम हुआ। जिसके प्रमाण स्वरूप दतिया पीताम्बरा पीठ में स्थित वनखंडेश्वर मंदिर महाभारत कालीन हैं। पीताम्बरा पीठ का मुख्य द्वार दतिया भारत के मध्य प्रदेशके बुंदेलखंड प्रांत का एक शहर है। ग्वालियर के निकट उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित दतिया मध्य प्रदेश का लोकप्रिय तीर्थस्थल है। पहले यह मध्यप्रेदश राज्य में देशी रियासत थी पर अब यह स्वतंत्र जिला है। यह उत्तर में भिंड, एवं जालौन, दक्षिण में शिवपुरी एवं झाँसी, पूर्व में समथर एवं झाँसी तथा पश्चिम में ग्वालियर से घिरा है। सिंध एवं पहूज जिले की प्रमुख नदियाँ हैं। यहाँ की अधिकांश मिट्टी अनुपजाऊ है। दलहन, गेहूँ, ज्वार, कपास आदि की यहाँ कृषि की जाती है। दतिया नगर झाँसी से 16 मील दूर, झाँसी-ग्वालियर सड़क पर स्थित है। पुराने समय से ही यहाँ के क्षत्रिय प्रसिद्ध रहे हैं। यहाँ कई प्राचीन महल, डाक बँगला, अस्पताल, कारागृह एवं अनेक शिक्षा संस्थाएँ हैं। दतिया का पुराना कस्बा चारों ओर से पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है, जिसमें बहुत से महल और उद्यान बने हुए हैं। 17वीं शताब्दी में बना बीर सिंह महल उत्तर भारत के सबसे बेहतरीन इमारतों में माना जाता है। यहां का पीताम्बरा देवी शक्तिपीठ भारत के श्रेष्ठतम और महत्वपूर्ण शक्तिपीठों में एक है। प्रतिवर्ष यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आवागमन लगा रहता है। .

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दतिया महल

दतिया महल, जिसे बीर सिंह महल या बीरसिंह देव महल भी कहा जाता है, मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से लगभग 75 किमी दूर स्थित है। यह महल ७ मंजिला है। वर्तमान में यहाँ पर शाही परिवार का कोई सदस्य नहीं रहता है। बुंदेलखंड में दतिया साम्राज्य के संस्थापक - महाराज बीरसिंह देओ ने देश भर में ऐसे 52 स्मारक बनवाये थे। दतिया के महल या सतखंडा महल को दतिया महल भी कहा जाता है, साथ इसे ही पुराण महल या "पुराना महल" भी इसे कहते है। इतिहासकार अब्दुल हामिद लाहोरी, शाहजहाँ के साथ 19 नवंबर 1635 इस शहर में आए थे। यह महल लगभग 80 मीटर लंबा और बहुत ही व्यापक है। यह बहुत ही सुंदर और मजबूत महलों मे से एक माना जाता है। यह महल के निर्माण में नौ साल और 35 लाख रुपये (78 हजार अमेरिकी डॉलर) की लागत आई थी। यह दतिया शहर के पश्चिमी किनारे पर एक अलग चट्टान पर स्थित है। यह राजपूत वास्तुकला के साथ मुगल वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करती है। यह राजा बिरिसिंग देव द्वारा निर्मित सभी 52 महलों में से सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध है और इसे आसानी से दूर से भी देखा जा सकता है। श्रेणी:मध्य प्रदेश का पर्यटन.

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दमोह

दमोह भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। यह सागर संभाग का एक जिला और बुंदेलखंड अंचल का शहर है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के राजा नल की पत्नी दमयंती के नाम पर ही इसका नाम दमोह पड़ा। अकबर के साम्राज्य में यह मालवा सूबे का हिस्सा था। दमोह के अधिकतर प्राचीन मंदिरों को मुग़लों ने नष्ट कर दिया तथा इनकी सामग्री एक क़िले के निर्माण में प्रयुक्त की गई। इस नगर में शिव, पार्वती एवं विष्णु की मूर्तियों सहित कई प्राचीन प्रतिमाएँ हैं। दमोह में दो पुरानी मस्जिदें, कई घाट और जलाशय हैं। दमोह का 14 वीं सदी में मुसलमानों के प्रभाव से महत्त्व बढ़ा और यह मराठा प्रशासकों का केन्द्र भी रहा। ऐतिहासिक नगर दमोह के आस-पास का इलाका पुरातत्त्व की दृष्टि से समृद्ध है, जहाँ छित्ता एवं रोंड जैसे प्राचीन स्थल हैं।जिले को जानिये जिले का प्रोफाइल जिले का मेप कलेक्टर के कार्यकाल जिला पंचायत एन.आई.सी.जिला केंद्र मायसेम सीमेंट रेलवे समय सारणी हमसे संपर्क करें सिटीजन ऑनलाइन आवेंदन/ एस.एम.एस.

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दमोह लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

दमोह लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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दमोह ज़िला

दमोह भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है।जिले का मुख्यालय दमोह है।इसका क्षेत्रफल 7306 वर्ग कि.मी.

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दलपत सिंह परस्ते

दलपत सिंह परस्ते भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के शहडोल से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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दलाल गोत्र

दलाल एक जाट गोत्र है। जिसके लोग मुख्यतः हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में निवास करते हैं। .

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दशपुर

दशपुर अवंति (पश्चिमी मालवा) का प्राचीन नगर था, जो मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र में उस नाम के नगर से कुछ दूर उत्तर पश्चिम में स्थित आधुनिक मंदसौर है। भारतीय इतिहास के प्राचीन युग में उत्तर भारत में जब भी साम्राज्य स्थापित हुए, अवंति प्राय: उनका एक प्रांत रहा। दशपुर उसी में पड़ता था और कभी कभी वहाँ भी शासन की एक इकाई होती थी। दशपुर का कोई मूल्यवान ऐतिहासिक उल्लेख गुप्तयुग के पहले का नहीं मिलता। कुमारगुप्त प्रथम तथा द्वितीय और बंधुवर्मा का मंदसोर में ४३६ ई. (वि॰सं॰ ४९३) और ४७२ ई. (वि॰सं॰ ५२९) का वत्सभट्टि विरचित लेख मिला है, जिससे ज्ञात होता है कि जब बंधुवर्मा कुमारगुप्त प्रथम का दशपुर में प्रतिनिधि था (४३६ ई.), वहाँ के तंतुवायों ने एक सूर्यमंदिर का निर्माण कराया तथा उसके व्यय का प्रबंध किया। ३६ वर्षों बाद (४७२ ई.) ही उस मंदिर के पुनरुद्वार की आवश्यकता हुई और वह कुमारगुप्त द्वितीय के समय संपन्न हुआ। बंधुवर्मा संभवत: इस सारी अवधि के बीच गुप्तसम्राटों का दशपुर में क्षेत्रीय शासक रहा। थोड़े दिनों बाद हूणों ने उसके सारे पार्श्ववर्ती प्रदेशों को रौंद डाला और गुप्तों का शासन वहाँ से समाप्त हो गया। ग्वालियर में मिलनेवाले मिहिरकुल के सिक्कों से ये प्रतीत होता है कि दशपुर का प्रदेश हूणों के अधिकार में चला गया। किंतु उनकी सफलता स्थायी न थी और यशोधर्मन् विष्णुवर्धन् नामक औलिकरवंशी एक नवोदित राजा ने मिहिरकुल को परास्त किया। मंदसोर से वि॰सं॰ ५८९ (५३२ ई.) का यशोधर्मा का वासुल रचित एक अभिलेख मिला है, जिसमें उसे जनेंद्र, नराधिपति, सम्राट्, राजाधिराज, परमेश्वर उपाधियाँ दी गई हैं। उसका यह भी दावा है कि जिन प्रदेशों को गुप्त सम्राट् भी नहीं भोग सके, उन सबको उसने जीता और नीच मिहिरकुल को विवश होकर पुष्पमालाओं से युक्त अपने सिर को उसके दोनों पैरों पर रखकर उसकी पूजा करनी पड़ी। यशोधर्मा मध्यभारत से होकर उत्तर प्रदेश पहुँचा और पंजाब में मिहिरकुल की शक्ति को नष्ट करता हुआ सारा गुप्त साम्राज्य रौंद डाला। पूर्व में लौहित्य (उत्तरी पूर्वी भारतीय सीमा की लोहित नदी) से प्रारंभ कर हिमालय की चोटियों को छूते हुए पश्चिम पयोधि तक तथा दक्षिण-पूर्व से महेंद्र पर्वत तक के सारे क्षेत्र को स्वायत्त करने का उसने दावा किया है। दशपुर को यशोधर्मा ने अपनी राजधानी बनाया। वर्धन्नामांत दशपुर के कुछ अन्य राजाओं की सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। मंदसोर से ही अभी हाल में प्राप्त होनेवाले एक अभिलेख से आदित्यवर्धन् तथा वराहमिहिर की बृहत्संहिता (छठी शती) से अवंति के महाराजाधिराज द्रव्यवर्धन की जानकारी होती है। .

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दसपुर

दशपुर अवंति (पश्चिती मालवा) का प्राचीन नगर था जो मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र में उस नाम के नगर से कुछ दूर उत्तर पश्चिम में स्थित आधुनिक मंदसौर है। .

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दसलाखी नगर

जो शहर मोटे अक्षरों में लिखे हैं वो अपने राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की राजधानी भी हैं .

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दादा धर्माधिकारी

शंकर त्रिम्बक धर्माधिकारी (१८ जून, १८९९ - १ दिसम्बर १९८५) भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, गाँधीवादी चिन्तक और प्रसिद्ध लेखक थे। वे 'दादा धर्माधिकारी' के नाम से अधिक जाने जाते हैं। .

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दामोदर स्वरूप 'विद्रोही'

दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' (जन्म:2 अक्टूबर 1928 - मृत्यु: 11 मई 2008) अमर शहीदों की धरती के लिये विख्यात शाहजहाँपुर जनपद के चहेते कवियों में थे। यहाँ के बच्चे-बच्चे की जुबान पर विद्रोही जी का नाम आज भी उतना ही है जितना कि तब था जब वे जीवित थे। विद्रोही की अग्निधर्मा कविताओं ने उन्हें कवि सम्मेलन के अखिल भारतीय मंचों पर स्थापित ही नहीं किया अपितु अपार लोकप्रियता भी प्रदान की। उनका एक मुक्तक तो सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ: सम्पूर्ण हिन्दुस्तान में उनकी पहचान वीर रस के सिद्धहस्त कवि के रूप में भले ही हुई हो परन्तु यह भी एक सच्चाई है कि उनके हृदय में एक सुमधुर गीतकार भी छुपा हुआ था। गीत, गजल, मुक्तक और छन्द के विधान पर उनकी जबर्दस्त पकड़ थी। भ्रष्टाचार, शोषण, अत्याचार, छल और प्रवचन के समूल नाश के लिये वे ओजस्वी कविताओं का निरन्तर शंखनाद करते रहे। उन्होंने चीन व पाकिस्तान युद्ध और आपातकाल के दिनों में अपनी आग्नेय कविताओं की मेघ गर्जना से देशवासियों में अदम्य साहस का संचार किया। हिन्दी साहित्य के आकाश में स्वयं को सूर्य-पुत्र घोषित करने वाले यशस्वी वाणी के धनी विद्रोही जी भौतिक रूप से भले ही इस नश्वर संसार को छोड़ गये हों परन्तु अपनी कालजयी कविताओं के लिये उन्हें सदैव याद किया जायेगा। .

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दारा नुसूरवानजी खुरोडी

दारा नुसूरवानजी खुरोडी (२ जनवरी १९०६ - १ जनवरी १९८३) एक भारतीय उद्यमी थे जो दुग्ध उद्योग में उनके योगदान के लिए जाने जाते है। उन्होंने अपने व्यवसाय की शुरुआत में कई निजी और सरकारी संगठनों में काम किया और बाद में सरकारी आधिकारिक पदों पर भी रहे। वह १९४६ से १९५२ तक बॉम्बे (अब मुंबई) के दूध आयुक्त थे। उन्होंने १९६३ में वर्गीज कुरियन और त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल के साथ मिलकर रेमन मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त किया। उन्हें उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में सन १९६४ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किय गया। .

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दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारा परियोजना

दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारा (The Delhi-Mumbai Industrial Corridor) भारत सरकार द्वारा प्रायोजित औद्योगिक-विकास की विशाल परियोजना है। एक विशाल औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की यह एक महत्वाकांक्षी योजना है जो छः राज्यों को समेटे हुए हैं। इस परियोजना के पूरा होने पर अधोसंरचना एवं उद्योग का अत्यधिक प्रसार हो जायेगा तथा रेल, सड़क, बंदरगाह एवं हवाई यातायात की व्यापक वृद्धि हो जायेगी। इसके तहत भारत एवं जापान ने परियोजना विकास निधि स्थापित करने का निर्णय लिया है जो आरम्भ में १००० करोड़ रूपये की होगी। दोनो सरकारें समान मात्रा में योगदान करेंगी। .

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दिल्ली सल्तनत

सन् 1210 से 1526 तक भारत पर शासन करने वाले पाँच वंश के सुल्तानों के शासनकाल को दिल्ली सल्तनत (دلی سلطنت) या सल्तनत-ए-हिन्द/सल्तनत-ए-दिल्ली कहा जाता है। ये पाँच वंश ये थे- गुलाम वंश (1206 - 1290), ख़िलजी वंश (1290- 1320), तुग़लक़ वंश (1320 - 1414), सैयद वंश (1414 - 1451), तथा लोधी वंश (1451 - 1526)। इनमें से चार वंश मूलतः तुर्क थे जबकि अंतिम वंश अफगान था। मोहम्मद ग़ौरी का गुलाम कुतुब-उद-दीन ऐबक, गुलाम वंश का पहला सुल्तान था। ऐबक का साम्राज्य पूरे उत्तर भारत तक फैला था। इसके बाद ख़िलजी वंश ने मध्य भारत पर कब्ज़ा किया परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप को संगठित करने में असफल रहा। इस सल्तनत ने न केवल बहुत से दक्षिण एशिया के मंदिरों का विनाश किया साथ ही अपवित्र भी किया,रिचर्ड ईटन (2000),, Journal of Islamic Studies, 11(3), pp 283-319 पर इसने भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली सल्तनत मुस्लिम इतिहास के कुछ कालखंडों में है जहां किसी महिला ने सत्ता संभाली। १५२६ में मुगल सल्तनत द्वारा इस इस साम्राज्य का अंत हुआ। .

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दिलीप सिंह भूरिया

दिलीप सिंह भूरिया (1944 – 24 जून 2015) भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद थे। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के रतलाम से भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए। वो कुल छः बार लोक सभा के लिए निर्वाचित हुये। इससे पहले वो कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े थे। .

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दिघोरी (गुरूधाम), सिवनी

यह शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी की जन्म स्थली हैँ। दिघोरी भारत के राज्य मध्यप्रदेश के अन्तर्गत सिवनी जिले से 16 किलोमीटर ग्राम राहीवाडा से पश्चिम दिशा मे गुरुधाम दिघोरी 8 किलोमीटर पर स्थित है यह एक ग्राम पँचायत हैँ। .

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दिवारी

दिवारी मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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दिवाकर वर्मा

दिवाकर वर्मा हिन्दी साहित्यकार तथा नवगीतकार थे। २५ दिसम्बर १९४१ को सूकरक्षेत्र सोरों, उत्तर प्रदेश की पावन धरा पर जन्मे दिवाकर वर्मा आपातकाल में मीसाबन्दी रहे। सन १९७४ में भारतीय मजदूर संघ से जुड़े। १९७९ में भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश मंत्री तथा बाद में प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। १९९८ से उन्होंने साहित्य सृजन शुरू किया। २००२ में वे साहित्य परिषद से जुडकर राष्ट्रीय मंत्री बने। ०१ मई २०१४ को भोपाल, मध्य प्रदेश में कैंसर के कारण उनका निधन हो गया। वर्मा जी अपने निधन के समय तक निराला सृजन पीठ, भोपाल के निदेशक थे। दिवाकर वर्मा की अब तक कुल ८ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके ४ गीत संग्रह, १ गजल संग्रह, १ नाटक, १ दोहा संग्रह तथा १ मुक्त छंद कविता संग्रह। .

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दिव्यांका त्रिपाठी

दिव्यांका त्रिपाठी दहिया एक टेलीविज़न उद्योग में काम करने वाली एक भारतीय अभिनेत्री हैं। वह टेलीविज़न उद्योग की सबसे जानी मानी व लोकप्रिय हस्तियों में से एक हैं। ज़ी टीवी के धारावाहिक "बनू मैं तेरी दुल्हन" में एक दोहरी भूमिका निभाने पर उन्हें भारतीय टेलीविज़न अकादमी द्वारा "सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री" का पुरस्कार मिला था। बाद में उन्हें "ये हैं मोहब्बते" में "इशिता रमन भल्ला" के किरदार के लिए उन्हें "सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री " का पुरस्कार मिला "इंडियन टेली अवार्ड" से। .

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दिग्विजय सिंह (राजनीतिज्ञ)

दिग्विजय सिंह (जन्म: २८ फ़रवरी १९४७) एक भारतीय राजनेता, मध्यप्रदेश राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता है। वर्तमान में इस पार्टी में महासचिव के पद पर है। .

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दंदरौआ मंदिर

मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर, और भिण्ड जिले मे स्थापित दंदरौआ मंदिर पूरे देश मे विख्यात है। यहाँ हनुमान जी को डॉ हनुमान के नाम से जाना जाता है। यहाँ देश विदेश के हज़ारों भक्त रोज़ दर्शन के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि डॉ हनुमान उनके सभी असाध्य रोगों का सटीक इलाज करते हैं। नृत्य की मुद्रा में है हनुमान जी की मूर्ति दंदरौआ धाम में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति नृत्य मुद्रा में है जो पूरे भारत देश मे कहीं नही है। मूर्ति का इतिहास दंदरौआ मंदिर के महंत रामदास महाराज के अनुसार प्रभु की यह मूर्ति ३०० वर्ष पुरानी है और यह दिव्य मूर्ति एक तालाब में मिली थी। जिसे मिते बाबा नाम के एक संत ने यहां मन्दिर में स्तापित करवाया। तब से मूर्ति की पूजा अर्चना शुरू हो गयी। "दर्द हरौआ" से पड़ा "दंदरौआ" ऐसी मान्यता है कि दंदरौआ सरकार हनुमान जी श्रद्धालुओं के रोग और दर्द दूर करते है, इसलिए पहले उन्हें दर्द हरौआ कहा जाने लगा जो कि अपभ्रंश होकर दंदरौआ हो गया। .

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दक्खिनी

दखनी या दक्कनी या दखिनी:Dakhni (Hindi: दक्खिनी), और Dakkhani, ये बोली उर्दू ज़बान की एक अहम बोली है, जो जनूबी हिंदूस्तान में बोली जाती है। दखनी हिंदी मूलतः हिंदी का ही पूर्व रूप है जिसका विकास ईसा की १४वी शती से १८बी शती तक दक्खिन के बहमनी, क़ुतुब शाही और आदिल शाही आदि राज्यों के सुल्तानों के संरक्षण मैं हुआ था। वह मूलतः दिल्ली के आस पास की हरियाणी एवं खडी बोली ही थी जिस पर ब्रजभाषा, अवधी और पंजाबी के साथ-साथ मराठी, गुजराती तथा दक्षिण की सहवर्ती भाषाओं तेलुगु तथा कन्नड आदि का भी प्रभाव पडा था और इसने अरबी फारसी तथा तुर्की आदि के भी शब्द ग्रहण किए थे। यह मुख्यत फारसी लिपि में ही लिखी जाती थी। इसके कवियों ने इस भाषा को मुख्यत 'हिंदवी', हिंदी और 'दक्खिनी' ही कहा था। इसे एक प्रकार से आधुनिक हिंदी और उर्दु की पूर्वगामी भाषा कहा जा सकता है। .

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दुलादेव मन्दिर

दुलादेव मन्दिर (या दुल्हादेव मन्दिर) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के खजुराहो स्थान में बना एक हिन्दू मन्दिर है। यह मूलतः शिव मंदिर है। इसको कुछ इतिहासकार कुंवरनाथ मंदिर भी कहते हैं। इसका निर्माणकाल लगभग सन् १००० ई. है। मंदिर का आकार ६९ न् ४०' है। यह मंदिर प्रतिमा वर्गीकरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण मंदिर है। निरंधार प्रासाद प्रकृति का यह मंदिर अपनी नींव योजना में समन्वित प्रकृति का है। मंदिर सुंदर प्रतिमाओं से सुसज्जित है। इसमें गंगा की चतुर्भुज प्रतिमा अत्यंत ही सुंदर ढ़ंग से अंकित की गई है। यह प्रतिमा इतनी आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक है कि लगता है कि यह अपने आधार से पृथक होकर आकाश में उड़ने का प्रयास कर रही है। मंदिर की भीतरी बाहरी भाग में अनेक प्रतिमाएँ अंकित की गई है, जिनकी भावभंगिमाएँ सौंदर्यमयी, दर्शनीय तथा उद्दीपक है। नारियों, अप्सराओं एवं मिथुन की प्रतिमाएँ, इस तरह अंकित की गई है कि सब अपने अस्तित्व के लिए सजग है। भ्रष्ट मिथुन मोह भंग भी करते हैं, फिर अपनी विशेषता से चौंका भी देते हैं। .

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दुग्धधारा जलप्रपात

दुग्धधारा जलप्रपात मध्य प्रदेश मे स्थित एक जलप्रपात है। श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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द्रुतमार्ग (भारत)

दिल्ली-गुड़गाँव द्रुतमार्ग का एक दृश्यभारत में कार्यरत कुल द्रुतमार्गों की लम्बाई लगभग १४५५ किलोमीटर है। द्रुतमार्ग, जिन्हे द्रुतगामी मार्ग या एक्सप्रेसवे भी कहा जाता है, भारतीय सड़क नेटवर्क में सबसे उच्च वर्ग की सड़कें होती है। वे छह या आठ लेन के नियंत्रित-प्रवेश राजमार्ग हैं जहां प्रवेश और निकास छोटी सड़कों के उपयोग द्वारा नियंत्रित किया जाता है। वर्तमान में, भारत में लगभग १,४५५.४ किमी द्रुतमार्ग परिचालन में हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (भारत सरकार) का उद्देश्य इस द्रुतमार्ग नेटवर्क का विस्तार करके २०२२ तक अतिरिक्त १८,६३६ किलोमीटर (११,५८० मील) द्रुत्मार्ग जोड़ने का है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के तहत संचालित राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे प्राधिकरण, द्रुतमार्गों के निर्माण और रखरखाव का प्रभारी होगा। दुनिया भर के मुकाबले भारत में द्रुतमार्गों का घनत्व बहुत ही कम है। .

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द्वादश ज्योतिर्लिंग

हिन्दू धर्म में पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। ये संख्या में १२ है। सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ, श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल, ॐकारेश्वर अथवा अमलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय पर केदारखंड में श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघुश्मेश्वर। हिंदुओं में मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है। .

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द्वारका प्रसाद मिश्र

---- द्वारका प्रसाद मिश्र द्वारका प्रसाद मिश्र (1901 - 1988) भारत के एक स्वतंत्रतासंग्राम सेनानी, राजनेता, पत्रकार एवं साहित्यकार थे। वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। .

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दैनिक भास्कर

दैनिक भास्‍कर भारत का एक प्रमुख हिंदी दैनिक समाचारपत्र है। भारत के 12 राज्‍यों (व संघ-क्षेत्रों) में इसके 37 संस्‍करण प्रकाशित हो रहे हैं। भास्कर समूह के प्रकाशनों में दिव्य भास्कर (गुजराती) और डीएनए (अंग्रेजी) और पत्रिका अहा ज़िंदगी भी शामिल हैं। 2015 में यह देश का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला अखबार बना। .

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दूधराज

दूधराज या सुल्ताना बुलबुल, जिसे अंग्रेज़ी में एशियाई दिव्यलोकी कीटमार (Asian Paradise Flycatcher) कहते हैं, पासरीफ़ोर्मीज़ जीववैज्ञानिक गण का मध्य आकार का एक पक्षी है। नरों की दुम पर लम्बे पंख होते हैं जो उत्तर भारत में अक्सर सफ़ेद रंग के, लेकिन अन्य जगहों पर आमतौर से काले या लाल-भूरे होते हैं। यह घनी टहनियों वाले पेड़ों के नीचे कीट पकड़कर खाते हैं।, Eugene William Oates, William Thomas Blanford, pp.

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देहरौरी

देहरौरी एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है। श्रेणी:पूर्व भारत का खाना श्रेणी:छत्तीसगढ़ी खाना.

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देजला

देजला मध्य प्रदेश के खारगोन जिला में स्थित एक स्थान है। कुंदा नदी पर एक बड़ा बांध है जिससे लगभग 8000 हेक्टेयर में सिंचाई होती है। श्रेणी:खरगोन श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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देवदार

देवदार (वैज्ञानिक नाम:सेडरस डेओडारा, अंग्रेज़ी: डेओडार, उर्दु: ديودار देओदार; संस्कृत: देवदारु) एक सीधे तने वाला ऊँचा शंकुधारी पेड़ है, जिसके पत्ते लंबे और कुछ गोलाई लिये होते हैं तथा जिसकी लकड़ी मजबूत किन्तु हल्की और सुगंधित होती है। इनके शंकु का आकार सनोबर (फ़र) से काफी मिलता-जुलता होता है। इनका मूलस्थान पश्चिमी हिमालय के पर्वतों तथा भूमध्यसागरीय क्षेत्र में है, (१५००-३२०० मीटर तक हिमालय में तथा १०००-२००० मीटर तक भूमध्य सागरीय क्षेत्र में)।Farjon, A. (1990).

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देवनारायण की फड़

देवनारायण की फड़ (राजस्थानी: देवनारायण री पड़) एक कपड़े पर बनाई गई भगवान विष्णु के अवतार देवनारायण की महागाथा है जो मुख्यतः राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में गाई जाती है। राजस्थान में भोपे फड़ पर बने चित्रों को देखकर गाने गाते हैं जिसे राजस्थानी भाषा में 'पड़ का बाचना' कहा जाता है। देवनारायण भगवान विष्णु के अवतार थे। इनका जन्म विक्रम संवत के अनुसार 968 में हुआ था। .

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देवास

देवास भारत के मध्य प्रदेश का एक शहर है। यह इन्दौर से लगभग ३५ किमी उत्तर में स्थित है। यहाँ की माता की टेकरी पर चामुण्डा माता और तुलजा भवानी माता के प्रसिद्ध मन्दिर हैं जिसके दर्शन के लिये लोग दूर-दूर से आते हैं। देवास एक औद्योगिक नगर है। लोक मान्यता है कि यहाँ देवी माँ के दो स्वरूप अपनी जागृत अवस्था में हैं। इन दोनों स्वरूपों को छोटी माँ और बड़ी माँ के नाम से जाना जाता है। बड़ी माँ को तुलजा भवानी और छोटी माँ को चामुण्डा देवी का स्वरूप माना गया है। यहाँ के पुजारी बताते हैं कि बड़ी माँ और छोटी माँ के मध्य बहन का रिश्ता था। एक बार दोनों में किसी बात पर विवाद हो गया। विवाद से क्षुब्द दोनों ही माताएँ अपना स्थान छोड़कर जाने लगीं। बड़ी माँ पाताल में समाने लगीं और छोटी माँ अपने स्थान से उठ खड़ी हो गईं और टेकरी छोड़कर जाने लगीं। माताओं को कुपित देख माताओं के साथी (माना जाता है कि बजरंगबली माता का ध्वज लेकर आगे और भेरूबाबा माँ का कवच बन दोनों माताओं के पीछे चलते हैं) हनुमानजी और भेरूबाबा ने उनसे क्रोध शांत कर रुकने की विनती की। इस समय तक बड़ी माँ का आधा धड़ पाताल में समा चुका था। वे वैसी ही स्थिति में टेकरी में रुक गईं। वहीं छोटी माता टेकरी से नीचे उतर रही थीं। वे मार्ग अवरुद्ध होने से और भी कुपित हो गईं और जिस अवस्था में नीचे उतर रही थीं, उसी अवस्था में टेकरी पर रुक गईं। इस तरह आज भी माताएँ अपने इन्हीं स्वरूपों में विराजमान हैं। यहाँ के लोगों का मानना है कि माताओं की ये मूर्तियाँ स्वयंभू हैं और जागृत स्वरूप में हैं। सच्चे मन से यहाँ जो भी मन्नत माँगी जाती है, हमेशा पूरी होती है। इसके साथ ही देवास के संबंध में एक और लोक मान्यता यह है कि यह पहला ऐसा शहर है, जहाँ दो वंश राज करते थे- पहला होलकर राजवंश और दूसरा पँवार राजवंश। बड़ी माँ तुलजा भवानी देवी होलकर वंश की कुलदेवी हैं और छोटी माँ चामुण्डा देवी पँवार वंश की कुलदेवी। टेकरी में दर्शन करने वाले श्रद्धालु बड़ी और छोटी माँ के साथ-साथ भेरूबाबा के दर्शन अनिवार्य मानते हैं। नवरात्र के दिन यहाँ दिन-रात लोगों का ताँता लगा रहता है। इन दिनों यहाँ माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। .

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देवास लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

देवास लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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देवास ज़िला

देवास भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय देवास है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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देवगिरि के यादव

1200 ई में एशिया का राजनैतिक मानचित्र; इसमें यादव राजवंश और उसके पड़ोसी देखे जा सकते हैं। देवगिरि के यादव (कन्नड: ಸೇವುಣರು (सेवुणरु), मराठा: देवगिरीचे यादव) 850–1334) भारत का एक राजवंश था जिसने अपने चरमोत्कर्ष काल में तुंगभद्रा से लेकर नर्मदा तक के भूभाग पर शासन किया जिसमें वर्तमान महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, मध्य प्रदेश के कुछ भाग शामिल थे। उनकी राजधानी देवगिरि थी जो वर्तमान में दौलताबाद के नाम से जानी जाती है। यादव वंश भारतीय इतिहास में बहुत प्राचीन है और वह अपना सम्बन्ध प्राचीन यदुवंशी क्षत्रियों से मानता था। राष्टकूटों और चालुक्यों के उत्कर्ष काल में यादव वंश के राजा अधीनस्थ सामन्त राजाओं की स्थिति रखते थे। पर जब चालुक्यों की शक्ति क्षीण हुई तो वे स्वतंत्र हो गए और वर्त्तमान अाैरंगाबाद (महाराष्ट्) के क्षेत्र में स्थित देवगिरि (दौलताबाद) को केन्द्र बनाकर उन्होंने अपने उत्कर्ष का प्रारम्भ किया। .

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देवी अहिल्या सम्मान

देवी अहिल्या सम्मान, मध्यप्रदेश शासन ने आदिवासी, लोक एवं पारम्परिक कलाओं के क्षेत्र में महिला कलाकारों की सृजनात्मकता को सम्मानित करने के लिए वर्ष 1996-97 से स्थापित किया है। देवी अहिल्याबाई कुशल शासिका, न्यायविद, सच्ची समाज सेविका और कलाप्रिय विदुषी थीं। वे स्नेह, दया और धर्म की प्रतिमूर्ति थीं। अहिल्याबाई महिला शक्ति की प्रतीक हैं। उनका जीवन और कार्य समस्त स्त्री जाति के लिए एक उदाहरण है। उनकी स्मृति में देश की सृजनशील महिलाओं के सम्पूर्ण अवदान के लिए देवी अहिल्या सम्मान दिया जाना सुनिश्चित किया गया है। .

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देवी अहिल्या विश्वविद्यालय

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय भारत के मध्यप्रदेश प्रांत में स्थित इन्दौर जिले में एक विश्वविद्यालय है। इन्दौर विश्वविद्यालय सन १९६४ में स्थापित हुआ था। सन १९८८ में देवी अहिल्या बाई होल्कर की स्मृति में विश्वविद्यालय का नाम बदल कर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय कर दिया गया। .

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देउर कोठार

देउर कठोर के स्तूप का दृश्य देउर कोठार भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रीवा जिले में स्थित पुरात्वात्विक एवं साम्स्कृतिक महत्व का स्थान है। यह अपने बौद्ध स्तूप के कारण प्रसिद्ध है जो १९८२ में प्रकाश में आये थे। ये स्तूप अशोक के शासनकाल में (ईसापूर्व तीसरी शताब्दी) निर्मित हैं। यहां लगभग 2 हजार वर्ष पुराने बौद्ध स्तूप और लगभग 5 हजार वर्ष पुराने शैलचित्र गुफाएँ मौजूद है। देउर कोठार, रीवा-इलाहाबाद मार्ग के सोहागी में स्थित है। यहां मौर्य कालीन मिट्टी ईट के बने 3 बडे स्तूप और लगभग 46 पत्थरो के छोटे स्तूप बने है। अशोक युग के दौरान विंध्य क्षेत्र में धर्म का प्रचार प्रसार हुआ और भगवान बौद्ध के अवशेषों को वितरित कर स्तूपों का निर्माण किया गया। यह क्षेत्र कौशाम्बी से उज्जैनी अवन्ति मार्ग तक जाने वाला दक्षिणापक्ष का व्यापारिक मार्ग था। इसी वजह से बौद्ध के अनुयायिओं ने यहां पर स्तूपों का निर्माण किया होगा। ऐसा कहा जाता है कि देउर कोठार में भरहुत से अधिक प्राचीन स्तूप है। यहां बौद्ध भिक्षू अत्यात्मिक स्थल बनाकर शिक्षा-दिक्षा और साधना करते रहे होगें इसके प्रमाण यहां मिलते है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों का विंध्यक्षेत्र शिक्षण केन्द्र था इसके प्रमाण देउर कोठार मे मिलते है। वर्ष 1999-2000 में इन स्तूपों की खोज हुई। तब यहां पर खुदाई के दौरान तोरणद्वार के अवधेश, मौर्य कालीन ब्राही लेख के अभिलेख, शिलापट्ट स्तंभ और पात्रखंड बडी संख्या में मिले। पुरानिधियों के अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि यह स्तूप परिसर भरहुत, सांची के समान ही विशाल और विकसित रहा होगा। इतना ही नही यहां हजारों वर्ष पुराने शैलचित्र वाली गुफायें भी स्थित है। .

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दीनदयाल शोध संस्थान

दीनदयाल शोध संस्थान नानाजी देशमुख द्वारा स्थापित एक ग्रामीण विकास संस्था है। इसकी स्थापना सन् १९७२ में की गयी थी। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। इसका मुख्य उद्देश्य दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को फलीभूत करना है। इसके द्वारा सबसे पहले उत्तर प्रदेश के गोण्डा जिले के जयप्रभा ग्राम में सन् १९७८ में कार्य आरम्भ किया गया। गोंडा में कार्य की सफलता के बाद इसे अन्य राज्यों बिहार, मध्यप्रदेश (चित्रकूट), महाराष्ट्र आदि में इसका प्रसार किया गया। संस्थान के दिल्ली मुख्यालय में बहुत सी गतिविधियाँ चलायी जाती हैं। वहाँ एक पुस्तकालय है, संदर्भ प्रभाग है। वे लोग राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर कार्यशालायें आयोजित करते हैं। विद्यार्थियों के लिये स्पर्धाएँ आयोजित की जातीं हैं। भविष्य में सम्यक प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र खोलने की योजना है। .

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दीवानगंज

दीवानगंज, मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में सांची तहसील में एक गांव है। यह भोपाल डिवीजन के अंतर्गत आता है। यह जिला मुख्यालय रायसेन से उत्तरी दिशा में 9 किमी की दूरी पर स्थित है। राज्य की राजधानी भोपाल से ४३ किमी है। .

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धनारे कालोनी

धनारे कालोनी भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर नगर में शंकराचार्य एवं रानी अवंतीबाई वार्ड में स्थित एक आवासीय क्षेत्र है। इस आवासीय क्षेत्र में मुख्य झिन्ना रोड कहलाता है, जो नर्मदा नदी के तट चिनकी उमरिया तक गया है, इसलिये इसको चिनकी मार्ग भी कहा जाता है।.

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धमतरी

धमतरी भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के धमतरी जिले में स्थित एक नगर है। यह धमतरी जिले का मुख्यालय भी है। यह 6 जुलाई 1998 में बना। यह महानदी के समीप रायपुर से ५५ किमी दक्षिण में स्थित है। यह रेलवे का अंतिम स्टेशन है। इसके समीपवर्ती क्षेत्रों में नहरों द्वारा सिंचाई होती है, जिससे कृषिक्षेत्र का यह केंद्र है। इसके अतिरिक्त समीपवर्ती जंगलों से इमारती लकड़ी, लाख तथा हरीतकी या हर्रा का व्यापार होता है। यहाँ धान कूटने, आटा पीसने और लाख बनाने के अनेक कारखानें हैं। यह शिक्षा का केंद्र भी है। यहाँ एक औद्योगिक स्कूल है। दक्षिण-पश्चिम में सीसे की खानें हैं। .

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धरमपुरी

धरमपुरी मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित पौराणिक नगर है। धरमपुरी प्राचीन भारत का एक सुविख्यात नगर तथा दुर्ग रहा है। यह दक्षिण - पशचिम के भूतपूर्व धार राज्य के अंतर्गत आता था। आजादी के पश्चात् यह धार जिले की मनावर तहसील का टप्पा था। विंध्यांचल पर्वत के अंचल में पुन्य सलिला नर्मदा के तट पर बसी यह नगरी मुंबई-आगरा राजमार्ग से खलघाट से पश्चिम दिशा में ११ किलोमीटर दुरी पर स्थित है। मांडवगढ़ के इतिहास से इस नगर का घनिष्ट सम्बंध रहा है। नर्मदा के उत्तर तट पर बसी धरमपुरी नगरी परमार राज्य की शक्ति, सुरक्षा, स्थापत्यकला और धर्म की द्रष्टि से महत्वपूर्ण केंद्र था। धरमपुरी के नाम की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है की महाभारत कल में धर्मराज युधिष्ठिर ने यह राजसूर्य यज्ञ किया था। इस कारण धर्मराज द्वारा बसाए जाने कारण उन्ही के नाम पर इस नगरी का नाम धर्मपुरी पड़ा था। जिसे वर्तमान में हम धरमपुरी से संबोधन करते है। धरमपुरी का वर्तमान स्वरूप उसकी प्राचीनता तथा पूर्वावशेष इसके धार्मिक, एतिहासिक एवं कलात्मक होने की पुष्टि करते है। जगत तारनी माँ नर्मदा के उत्तर तट पर विंध्यांचल की तलेटी में स्थित धरमपुरी वर्तमान में बड़ा शहर नही है। परन्तु प्राचीन काल में यह महत्वपूर्ण नगर था। इसका प्रमाण पुराण एवम इतिहास में मिलता है। सदियों से ऋषि मुनियों तथा प्रतापी राजाओ की आवास स्थली होने के साथ - साथ धरमपुरी आध्यात्मिक एवम शोर्य से गोरान्वित था। सुद्रड़ता और सुरक्षा की द्रष्टि से तत्कालीन गडी के रूप में यह अपनी गरिमा रखता था। गडी के भग्नावशेष इसके आज भी साक्षी है। नगर के चारो और परकोटा और चार द्वार थे। जिसमे से तीन आज भी विद्यमान है। काल और युध्दो के प्रभाव ने इस धर्मप्राण भू भाग को ध्वस्त कर दिया। भव्य प्रसादो और मन्दिरों के स्थानों पर खंडहर ईट, पत्थर और मिटटी के ढेर में तब्दील हो गए। प्राचीन इतिहास से पता चलता है की रामायण काल में १६०० ईस्वी पूर्व यह प्रदेश अनूप जनपद के अंतर्गत था। यह शाश्वत राज्य स्थापित होने के साथ महेश्व्वर हैहेय वंशीय राजा सहस्त्रार्जून एवम शिशुपाल ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। इसके पश्चात् महाभारत काल में धर्मराज युधिष्टिर ने यहा राजसूर्य यज्ञ के दौरान यज्ञ की सफलता के लिए राजा भीमसेन को अनेक राजाओ से युध्द करना पड़ा था। राजा भीमसेन ने अनेक देशो पर विजय प्राप्तकर युधिष्टिर की आज्ञा से चेदी वंश के राजा शिशुपाल को पराजित किया। चेदी वंश का राज्य नर्मदा किनारे फैला था और महेश्वर (माहिष्मती) उसकी राजधानी थी। महाभारत के पश्चात सम्राट परीक्षित और जन्मेजय के राज्यकाल तक धरमपुरी का वैभव अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच चूका था। लेखो और शिलालेखो के आधार पर ईसा की पहली व दूसरी सदी से इस जनपद का नाम अनूप पाया जाता है। बौध ग्रंथो में भी इसका उल्लेख है की ईसवी पूर्व ६०० के लगभग उत्तर में १६ महाजनपद थे। निमाड़ का यह हिस्सा अवन्ती महाजन के पद अंतर्गत आता था। पूर्व निमाड़ जिले के सन १९०८ में प्रकाशित ग्झेतियर के अनुसार प्राचीन निमाड़ के प्रान्त की सीमा क्षेत्र पूर्व में होशंगाबाद जिले में प्रवाहित गुंजाल नदी पश्चिम में हिरन फाल (हिरन जलप्रताप) तथा उत्तर दक्षिण में विंध्यांचल और सतपुड़ा पर्वत श्रेणी है। प्राचीन धार्नाओ के अनुसार इस प्रान्त में नीम के पेड़ अधिक होने के कारण इसका नाम निमाड़ पड़ गया। मुगल शासक काल में निमाड़ की प्रतिष्ठा एवम स्वतंत्र राज्य के रूप में थी और उसके पश्चात् तुगलक वंश के समय में भी यह प्रान्त का रूप में अस्तित्व में था। धरमपुरी नगर अपने आप में इतिहास समेटे हुए है। नगर व इसके आसपास का क्षेत्र तपोभूमि के प्राचीन एेतिहासिक व सांस्कृतिक जिसमे जैन, बौध, वैष्णव एवम् पौराणिक कालीन मूर्ति एवम् स्थापत्यकला के आज भी दर्शन होते है। धरमपुरी नगर के आसपास महान तपस्वियों ने तपस्या की जिनकी साक्षी गुफाए व प्राचीन शिवालय वर्तमान में विद्यमान है। .

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धसान नदी

धसान नदी मध्य भारत में बहने वाली बेतवा की सहायक नदी है जो इससे बायें से आकार जुड़ती है। यह नदी मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले से निकलती है और उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के साथ मध्य प्रदेश की सीमा का निर्धारण करती है। श्रेणी:भारत की नदियाँ.

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धानुक जाति

धानुक (अंग्रेजी: Dhanuk), एक जातीय समूह है जिसके सदस्य बांग्लादेश, भारत और नेपाल में पाए जाते हैं। भारत में धानुक दिल्ली, चंडीगढ़, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, बिहार, त्रिपुरा, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पाए जाते हैं। उन्हें पिछड़े जाति का दर्जा प्रदान किया गया है । नेपाल मे वे सप्तरी, सिरहा और धनुषा के तराई जिलों में बसे हुए हैं। वे या तो क्षत्रिय या एक अल्पसंख्यक स्वदेशी लोग हैं। पूर्वी तराई के धानुक मंडल के रूप में भी जाना जाता है । और पश्चिमी तराई के धानुक 'पटेल' कहलाते हैं। बिहार में धानुक जसवाल कुर्मी के रूप में भी जाना जाता है। पूरे बिहार में इनके उपनाम सिंह, महतो, मंडल, राय, पटेल, विश्वास इत्यादि हैं। दोनों देशों में धानुक हिन्दू हैं, और इस तरह के भोजपुरी और अवधी के रूप में हिंदी के विभिन्न बोलियों, बोलते हैं। परंपरा के अनुसार, 'धनुक' संस्कृत शब्द 'धनुषकः' से लिया गया है जिसका अर्थ है धनुषधारी। धानुक जा‍ति‍ के लोग राजा महाराजा काल मे उनकी अग्रिम पंक्ति में धनुर्धर थे जो पहला आक्रमण करते थे किसी भी युद्ध मे, क्योंकि इनकी निशानेबाजी सभी जातियों में सबसे अच्छी थी। धानुक जो धनुष्क से उद्धरित हुआ है इसका मतलब ही धनुष चलाने वाला होता है जिसका उल्लेख मालिक मुहम्मद जायसी की किताब पद्मावत में भी उल्लेख है। आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव की किताब दिल्ली सल्तनत में भी इसी बात का उल्लेख है। .

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धार लौह स्तम्भ

धार लौह स्तम्भ भारत के मध्य प्रदेश राज्य के धार नगर में स्थित एक विध्वंसित लोहे का स्तम्भ है जिसके सारे टुकड़ों का भार मिलाकर ७३०० किलोग्राम है, यानि दिल्ली के लौह स्तम्भ से लगभग १,००० किलोग्राम अधिक। इसकी निर्माण-व्युत्पत्ति आधिकारिक रूप से ज्ञात नहीं लेकिन स्थानीय स्रोतों के अनुसार यह ११वीं शताब्दी ईसवी में परमार राजवंश के राजा भोज द्वारा खड़ा किया गया विजय स्तम्भ था। आधुकनिक काल में इसके तीन अंश १५वीं शताब्दी में बनी लाट मस्जिद के पास स्थित हैं। स्थानीय हिन्दी उपभाषा में लाट का अर्थ "स्तम्भ" होता है और मस्जिद का नाम इसी स्तम्भ पर रखा गया है। स्तम्भ का एक चौथा अंश लापता है। मूल रूप से स्तम्भ ऊपर की ओर अधिक तंग था और नीचला भाग अधिक चौड़ा, जिससे यह ऊपरी अंश का भार उठाने में सक्षम था। सबसे निचले हिस्से का अनुप्रस्थ काट (क्रॉस सेक्शन) चतुर्भुजी था, मध्य अनुप्रस्थ चतुर्भुजी और अष्टभुजी, और सर्वोपरी अष्टभुजी लेकिन उसका सबसे ऊपरी भाग का अनुप्रस्थ छोटा और गोलाकार था। मिलाकर तीनों अंशों की कुल लम्बाई १३.२१ मीटर (४३ फ़ुट ४ इंच) है, जो यह संकेत देते हैं कि यह साबुत स्तम्भ दिल्ली के लौह स्तम्भ से दुगनी ऊँचाई का था। जब यह खड़ा किया गया, उस समय यह शायद विश्व का सबसे बड़ा कुट्टित वेल्डित लौह स्तम्भ रहा होगा। .

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धार लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

धार लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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धार किला

धार दुर्ग (या धार का किला) मध्य प्रदेश के धार नगर में स्थित है। यह किला नगर के उत्तर में स्थित एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है। लाल बलुआ पत्थर से बना यह विशाल किला अपने समय में बहुत समृद्ध रहा है तथा इतिहास के उतार-चढ़ावों को देख चुका है। १४वीं शताब्दी में दिल्ली के तत्कालीन सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने इसका निर्माण करवाया था। १८५७ के प्रथम भारतीय स्वाधीनता संग्राम के समय इस किले का महत्व बहुत था क्योंकि तब क्रांतिकारियों ने इस किले पर अधिकार कर लिया था। हालांकि बाद में ब्रिटिश सेना ने किले पर पुन: अधिकार प्राप्त कर लिया और यहां लोगों पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए। किले की स्थापत्य शैली हिन्दू, मुस्लिम और अफगान शैली है और यह लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है। धार नगरी की योजना मानचित्र .

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धंग

धंग (Dhanga) (९५० से ९९९ ईसा पूर्व), जो धंग देव के नाम से भी जाने जाते थे। धंग चन्देल राजवंश के एक शासक थे,चन्देल जो कि प्राचीन भारत का एक राजवंश है।इन्होंने जेजकभुक्ति क्षेत्र जो वर्तमान में (मध्य प्रदेश में बुंदेलखंड) है वहाँ शासन किया था। धंग ने चन्देलों की संप्रभुता स्थापित की, साथ ही इन्होंने अपने शासनकाल में प्रतिहारों की खूब सेवा की। वह ये मुख्य रूप से खजुराहो के विश्वनाथ मन्दिर के लोकप्रिय हुए। इनके अलावा इन्होंने खजुराहो में कई और मन्दिरों का भी निर्माण करवाया था। .

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धुआँधार जलप्रपात

भेड़ाघाट के धुंआधार जलप्रपात का दृष्य धुंआधार जलप्रपात मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले का प्रसिद्ध जलप्रपात है। यह प्रपात भेड़ाघाट क्षेत्र का प्रमुख दर्शनीय स्थान है। यहाँ नर्मदा की धारा 50 फुट ऊपर से गिरती है। जिसका जल सफेद धुंए के समान उड़ने लगता है। इसी कारण इसे 'धुंआधार' कहते हैं। .

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धूनीवाले दादाजी

दादाजी धूनीवाले की गिनती भारत के महान संतों में की जाती है। दादाजी धूनीवाले का अपने भक्तों के बीच वही स्थान है जैसा कि शिरडी के साँईबाबा का। दादाजी (स्वामी केशवानंदजी महाराज) एक बहुत बड़े संत थे और लगातार घूमते रहते थे। प्रतिदिन दादाजी पवित्र अग्नि (धूनी) के समक्ष ध्यानमग्न होकर बैठे रहते थे, इसलिए लोग उन्हें दादाजी धूनीवाले के नाम से स्मरण करने लगे। .

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नटवरलाल

नटवरलाल की गिनती भारत के प्रमुख ठगों में से होती है। बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गाँव में जन्में नटवरलाल ने बहुत से ठगी की घटनाओं से बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली की सरकारों को वर्षों परेशान रखा। डायल 100: नटवरलाल की नटवर लीलाएं मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव नाम से आपको कोई चेहरा शायद याद नहीं आए लेकिन नटवर लाल नाम लिया जाए तो आप लगभग मुहावरा बन चुके इस नाम को भूल नहीं पाएंगे। चालाकी और ठगी को ललित कला बना देने वाला यह शख्स अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उस पर बहुत सारी किताबें लिखी गई और एक फिल्म बनी–‘मिस्टर नटवर लाल’ जिसमें अमिताभ बच्चन हीरो थे। नटवर लाल मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव के 52 से ज्यादा ज्ञात नामों में से एक था। उसे ठगी के जिन मामलों में सजा हो चुकी थी, वह अगर पूरी काटता तो 117 साल की थी। 30 मामलों में तो सजा हो ही नहीं पाई थी। आठ राज्यों की पुलिस ने उस पर इनाम घोषित किया था। बिहार का सिवान जिले में नटवर लाल का भी जन्म हुआ था। नटवर लाल हमेशा बहुत नाटकीय तरीके से अपराध करता था। उससे भी ज्यादा नाटकीय तरीके से पकड़ा जाता था और उससे भी ज्यादा नाटकीय तरीके से फरार होता था। लगभग 75 साल की उम्र में दिल्ली की तिहाड़ जेल से कानपुर के एक मामले में पेशी के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के दो जवान और एक हवलदार उसे लेने आए थे। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से लखनऊ मेल में उन्हें बैठना था। स्टेशन पर खासी भीड़़। पहरेदार मौजूद और नटवर लाल बैंच पर बैठा हाफ रहा था। उसने सिपाही से कहा कि बेटा बाहर से दवाई की गोली ला दो। मेरे पास पैसा नहीं हैं लेकिन जब रिश्तेदार मिलने आएंगे तो दे दूंगा। यह बात अलग है कि उसके परिवार और रिश्तेदारों के बारे में सिर्फ इतना पता है कि परिवार ने उसे कुटुंब से निकाल दिया था, पत्नी की बहुत पहले मृत्यु हो गई थी और संतान कोई थी नहीं। सिपाही दवाई लेने गया, आखिर दो पहरेदार मौजूद थे। इनमें से एक को नटवर लाल ने पानी लेने के लिए भेज दिया। हवलदार बचा तो उसे कहा कि भैया तुम वर्दी में हो और मुझे बाथरूम जाना है। तुम रस्सी पकड़े रहोगे तो मुझे जल्दी अंदर जाने देंगे क्योंकि मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा। उस भीड़ भाड़ में नटवर लाल ने कब हाथ से रस्सी निकाली, कब भीड़ में शामिल हुआ और कब गायब हो गया, यह किसी को पता नहीं। तीनों पुलिस वाले निलंबित हुए और नटवर लाल साठवीं बार फरार हो गया। नटवर लाल को अपने किए पर कोई शर्म नहीं थी। वह अपने आपको रॉबिन हुड मानता था, कहता था कि मैं अमीरों से लूट कर गरीबों को देता हूं। उसने कहा कि मैंने कभी हथियार का इस्तेमाल नहंीं किया। लोगों से बहाने बनाकर पैसे मांगे और लोग पैसे दे गए। इसमें मेरा क्या कसूर है? आखिरी बार नटवर लाल बिहार के दरभंगा रेलवे स्टेशन पर देखा गया था। पुलिस में पुराने थानेदार ने जो सिपाही के जमाने से नटवर लाल को जानता था, उसे पहचान लिया। नटवर लाल ने भी देख लिया कि उसे पहचान लिया गया है। सिपाही अपने साथियों को लेने थाने के भीतर गया और नटवर लाल गायब था। यह बात अलग है कि पास खड़ी मालगाड़ी के डिब्बे से नटवर लाल के उतारे हुए कपड़े मिले और गार्ड की यूनीफॉर्म गायब थी। इसके बाद नटवर लाल का नाम 2004 में तब सामने आया, जब उसने अपनी वसीयतनुमा फाइल एक वकील को सौंपी। बलरामपुर के अस्पताल में भर्ती हुआ और इसके बाद एक दिन अस्पताल छोड़ कर चला गया। डॉक्टरों का कहना था कि जिस हालत में वह था, उसमें उसके तीन चार दिन से ज्यादा बचने की गुंजाइश नहीं थी। नटवर लाल के जो ज्ञात अपराध हैं, अगर सबको मिला लिया जाए तो भी यह रकम 50 लाख तक नहीं पहुंचती। नटवर लाल ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था। काम चलाऊ अंग्रेजी बोल लेता था, सुना है कि एक जमाने में पटवारी रह चुका था। जितनी अंग्रेजी वह बोल लेता था, उतनी ही उसका काम चलाने के लिए काफी थी। उसके शिकारों में ज्यादातर या तो मध्यम दर्जे के सरकारी कर्मचारी होते थे या फिर छोटे शहरों के बड़े इरादों वाले व्यापारी, जिन्हें नटवर लाल ताजमहल बेचने का वायदा भी कर देता था। वायदा करने की शैली कुछ ऐसी होती थी कि उस वायदे पर लोग ऐतबार भी कर लेते थे। खुद नटवर लाल ने एक बार भरी अदालत में कहा था कि सर अपनी बात करने की स्टाइल ही कुछ ऐसी है कि अगर 10 मिनट आप बात करने दें तो आप वही फैसला देेंगे जो मैं कहूंगा। नटवर लाल नहीं होता तो आप इसे अति आत्मविश्वास कह रहे होते। आलोक तोमर.

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नदियों पर बसे भारतीय शहर

नदियों के तट पर बसे भारतीय शहरों की सूची श्रेणी:भारत के नगर.

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नन्द कुमार सिंह चौहान

नन्द कुमार सिंह चौहान भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के खंडवा से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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नन्हेश्वर

नन्हेश्वर मध्य प्रदेश के खारगोन जिला में स्थित एक स्थान है। खरगोन से 20 कि॰मी॰ दूर यह स्थान भी प्रचीन शिव-मंदिर के लिये प्रसिद्ध है। खरगोन से सिरवेल महादेव जाते समय यह स्थान रास्ते में है। श्रेणी:खरगोन श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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नरबानी

नरबानी मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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नरसिंहपुर

नरसिंह पुर मध्य प्रदेश के केन्द्र में स्थित एक शहर है।यह नरसिंहपुर जिला मुख्यालय भी है। मध्य प्रदेश के मध्य में स्थित नरसिंहपुर 5000 वर्ग किमी.

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नरसिंहपुर ज़िला

नरसिंहपुर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय नरसिंहपुर है। मध्य प्रदेश के मध्य में स्थित नरसिंहपुर 5000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला राज्य का प्रमुख जिला है। उत्तर में विन्ध्याचल और दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियों से घिरे नरसिंहपुर पर प्रकृति खूब मेहरबान हुई है। पवित्र नर्मदा नदी जिले की खूबसूरती में वृद्धि करती है। प्राचीन काल में यहां अनेक वंशों ने शासन किया था। महान वीरांगना रानी दुर्गावती के काल में यह स्‍थान काफी चर्चित रहा था। यहां अनेक ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल हैं। नरसिंह मंदिर, ब्राह्मण घाट, जोटेश्‍वर आश्रम और दमारू घाटी यहां के लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। .

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नरसिंहगढ़

नरसिंहगढ़ नगर मध्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य के राजगढ़ ज़िले में सोनार नदी के दाएं किनारे पर स्थित है। .

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नरहरि पटेल

नरहरि पटेल, मालवा के गीतकार, लोक संस्कृति के लेखक, कला समीक्षक, वरिष्ठ रंगकर्मी एवं कवि हैं। .

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नरवर

नरवर मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले मैं स्थित है। नरवर एक एेतिहसिक नगरी है। प्राचीन काल में यह राजा नल की राजधानी थी। महाभारत में भी नरवर का उल्लेख निषध नगर नाम से मिलता है। नरवर अति प्राचीन और ऐतिहासिक नगर है जो आज भी अपनी ऐतिहासिक विरासत को सहेजे हुए हैं। .

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नरवर दुर्ग

नरवर दुर्ग मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के नरवर में विन्ध्य वर्वतमाला की एक पहाड़ी पर स्थित है। इसकी ऊँचाई भूस्तर से लगभग ५०० फीट है और यह लगभग ८ वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। कहा जाता है कि १०वीं शताब्दी में जब कछवाहा राजपूतों ने नरवर पर अधिकार किया तो इस दुर्ग का निर्माण (पुनर्निर्माण) किया। कछवाहों के बाद यहां परिहार और फ़िर तोमर राजपूतों का आधिपत्य रहा और अन्ततः यह १६वीं शताब्दी में मुगलों के अधीन आ गया। कालान्तर में १९वीं शताब्दी के आरम्भ में यहां मराठा सरदार सिन्धिया ने अधिकार किया।, शिवपुरी पर्यटन .

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नर्मदा नदी

'''नर्मदा''' और भारत की अन्य नदियाँ नर्मदा नदी का प्रवाह क्षेत्र नर्मदा, जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। यह अपने उद्गम से पश्चिम की ओर 1,221 किमी (815.2 मील) चल कर खंभात की खाड़ी, अरब सागर में जा मिलती है। नर्मदा मध्य भारत के मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। महाकाल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। इसकी लम्बाई प्रायः 1310 किलोमीटर है। यह नदी पश्चिम की तरफ जाकर खम्बात की खाड़ी में गिरती है। इस नदी के किनारे बसा शहर जबलपुर उल्लेखनीय है। इस नदी के मुहाने पर डेल्टा नहीं है। जबलपुर के निकट भेड़ाघाट का नर्मदा जलप्रपात काफी प्रसिद्ध है। इस नदी के किनारे अमरकंटक, नेमावर, गुरुकृपा आश्रम झीकोली, शुक्लतीर्थ आदि प्रसिद्ध तीर्थस्थान हैं जहाँ काफी दूर-दूर से यात्री आते रहते हैं। नर्मदा नदी को ही उत्तरी और दक्षिणी भारत की सीमारेखा माना जाता है। .

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नर्मदा घाटी परियोजना

गुजरात और मध्य प्रदेश की राज्य सरकारों ने सरदार सरोवर परियोजना (SSP) और नर्मदा सागर परियोजना (NSP) की 1979 नींव रखी। इन राज्यो के अनुसार इस परियोजना से 1.9 करोड़ हेक्टेयर में सिंचाई, 1,450 मेगावाट बिजली (गुजरात) और 0.14 लाख हेक्टेयर में सिंचाई, 1,000 मेगावाट बिजली (म.प.) क्रमशः उत्पन्न होगी। इतने सुस्पष्ट लाभ के बावजूद सरदार सरोवर परियोजना भारत और दुनिया भर में में सबसे अधिक विवादास्पद परियोजना है। सभी विवादों में सबसे मुख्य मुद्दा, विस्थापित किये गए परिवारों की संख्या है क्योंकि बांध बनने के समय के रिपोर्ट में 6,147 परिवारों को विस्थापित बताया गया था, जबकि 1990 के एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार लगभग 40,245 परिवारो को विस्थापित होना पड़ा था। न केवल विस्थापित लोगों की बड़ी संख्या विवादास्पद रही बल्कि, पर्यावरण के विनाश के पहलुओं ने भी लोगो का ध्यान आकर्षित किया। इस परियोजना का वहाँ के आस-पास की परिस्थितिकी पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा हैं लगभग 13385.45 हेक्टेयर वन जलमग्न हो चुके हैं। सरकार और पर्यावरणविद में जारी मतभेद और संघर्ष के बीच नर्मदा बचाओ आंदोलन का गठन किया गया जिसने आगे चल कर अपनी ज़मीन के लिए संघर्ष कर रहे परिवारों की मदद की। श्रेणी:भारत की नदी घाटी परियोजनाएं श्रेणी:भारत का भूगोल.

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नर्मदापुरम् संभाग

नर्मदापुरम डिवीज़न, मध्य प्रदेश राज्य में एक भौगोलिक एरिया है। विभाजन का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया पर 27 अगस्त, 2008.

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नरेन्द्र प्रसाद दीक्षित

दुर्ग विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति के रूप में नियुक्त डॉ दीक्षित वर्तमान में रूसा (राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान) के सदस्य व गवर्नमेंट साइंस कॉलेज, दुर्ग के पूर्व प्राचार्य रह चुके हैं। उनकी पहली नियुक्ति सहायक प्राध्यापक के तौर पर सन १९७१ में शासकीय कन्या महाविद्यालय, बिलासपुर में हुई इसके बाद जून १९७६ में इनका स्थानांतरण साइंस कॉलेज दुर्ग में हुआ सन २००० से २००७ तक साइंस कॉलेज दुर्ग में प्राध्यापक के साथ ही एग्जाम कंट्रोलर का कार्यभार भी संभाला फिर सन २००७ से २०१० तक साइंस कॉलेज दुर्ग के प्राचार्य रहे डॉ॰ दीक्षित उच्च शिक्षा मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय सहित प्रदेश के कई नामी हस्तियों के गुरु रहे हैं। .

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नरेन्द्र सिंह तोमर

नरेन्द्र सिंह तोमर भारत के एक राजनेता हैं। वे सम्प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में भारत के वर्तमान केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायतीराज स्वच्छता एवं पेयजल मंत्री हैं। .

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नरेश मेहता

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के यशस्वी कवि श्री नरेश मेहता उन शीर्षस्थ लेखकों में हैं जो भारतीयता की अपनी गहरी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं। नरेश मेहता ने आधुनिक कविता को नयी व्यंजना के साथ नया आयाम दिया। रागात्मकता, संवेदना और उदात्तता उनकी सर्जना के मूल तत्त्व है, जो उन्हें प्रकृति और समूची सृष्टि के प्रति पर्युत्सुक बनाते हैं। आर्ष परम्परा और साहित्य को श्रीनरेश मेहता के काव्य में नयी दृष्टि मिली। साथ ही, प्रचलित साहित्यिक रुझानों से एक तरह की दूरी ने उनकी काव्य-शैली और संरचना को विशिष्टता दी। श्री नरेश मेहता ने इन्दौर से प्रकाशित चौथा संसार हिन्दी दैनिक का सम्पादन भी किया। .

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नरेशचंद्र सिंह

नरेशचंद्र सिंह एक भारतीय राजनेता है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। श्रेणी:मध्य प्रदेश श्रेणी:मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रेणी:मुख्यमंत्री श्रेणी:राजनीतिज्ञ.

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नाम की व्युत्पत्ति के आधार पर भारत के राज्य

भारतीय गणराज्य का १९४७ में राज्यों के संघ के रूप में गठन हुआ। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, १९५६ के अनुसार राज्यीय सीमाओं को भाषाई आधार पर पुनर्व्यवस्थित किया गया, इसलिए कई राज्यों के नाम उनकी भाषाओं के अनुसार हैं और आमतौर पर तमिल नाडु (तमिल) और कर्णाटक (कन्नड़) को छोड़कर, इन नामों की उत्पत्ति संस्कृत से होती है। तथापि अन्य राज्यों के नाम उनकी भौगोलिक स्थिति, विशेष इतिहास या जनसंख्याओं और औपनिवेशिक प्रभावों पर पड़े हैं। .

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नारायण साईं

नारायण साईं (जन्म: 29 जनवरी 1972, नारायण सिरुमलानी/हरपलानी) एक भारतीय अध्यात्मिक प्रवचनकर्ता हैं। वे वर्तमान में सूरत के लाजपोर जेल में एक साधिका का बलात्कार के विचाराधीन मामले में बंद हैं। वे आसाराम बापू के इकलौते पुत्र है। .

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नागदा

नागदा मध्य प्रदेश में उज्जैन से लगभग 30 मील उत्तर-पश्चिम में, पश्चिम रेलवे के मुम्बई-दिल्ली मार्ग पर, चम्बल नदी के तट पर स्थित है। यह एकलिंगजी से कुछ पहले स्थित है। नागदा का प्राचीन शहर कभी रावल नागादित्यए की राजधानी थी। वर्तमान में यह एक छोटा सा गांव है। यह गांव 11वीं शताब्दीक में बने 'सास-बहू' मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का मूल नाम 'सहस्त्रहबाहु' था जोकि यह नाम विकृत होकर सास-बहू हो गया है। यह एक छोटा सा मंदिर है। लेकिन मंदिर की वास्तुशैली काफी आकर्षक है। मालवा के परमार नरेशों के अभिलेखों में नागदा का प्राचीन नाम नागह्रद मिलता है। नागदा पर किये गये उत्खनन में प्रारंभिक लौह संस्कृति के प्रमाण मिले हैं। नागदा से दस प्रकार के लोह उपकरण मिले हैं। जिनमें दुधारी, कटार, कुल्हाड़ी का मूँठ, चम्मच, चिमटी, कुल्हाड़ी, छल्ला, बाणाग्र, चाकू और हँसिया उल्लेखनीय हैं। नागदा और एरण के उत्खननों एवं अन्य स्थलों की खुदाई के आधार पर उस पुराने मत को औचित्यपूर्ण नहीं माना गया है, जिनमें इन पुरा स्थलों पर ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति के तत्काल बाद ऐतिहासिक युग की संस्कृति का प्रारम्भ माना जाता है। अब यह तथ्य संस्थापित हुआ है कि इन पुरा स्थलों पर भी, जहाँ पर संस्कृति के सातत्य की बात कही गयी थी, ऐसे प्रमाण मिलते हैं, जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति और प्रारम्भिक ऐतिहासिक युगीन संस्कृति के बीच में अनेक वर्षों का अंतराल रहा होगा। श्रेणी:मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थल श्रेणी:उज्जैन ज़िले के गाँव.

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नागद्वार

नागद्वार मध्यप्रदेश में सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच बने हिल स्टेशन पचमढ़ी से कुछ ही दूरी पर स्थित एक पर्यटन स्थल है। यह पंचमंडी से ४५ किमी दूरी पर स्थित है। .

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नागर

नागर या नागर ब्रहामण भारतीय मूल के धर्मो में वर्ण व्यवस्था के अनुसार ब्राह्मणो की एक ज्ञाति है। नागरो को ब्राह्मणो में सब से श्रेष्ठ माना जाता है। भारत में गुजरात, काश्मीर, मध्यप्रदेश इत्यादि राज्यो में नागर समुदाय की बस्ती ज्यादा है। नागर समुदाय के लोग कलम, कड़छी और बरछी में निपुण होते है एसा माना जाता है। नागरो के बारे में वेद व्यास द्वारा लिखित स्कन्दपुराण के नागरखंड में प्राचीन उल्लेख मिलता है। इसके अनुसार भगवान शिव ने उमा से विवाह के लिए नागरों को उत्पन्न किया था तथा इसके पश्चात प्रसन्न होकर उत्सव मनाने के लिए इन्हें हाटकेश्वर नाम का स्थान वरदान के रूप में दिया था। नागर ब्राह्मण के मूल स्थान के आधार पर ही उन्हें जाना जाने लगा जैसे वडनगर के वडनगरा ब्राह्मण विसनगर के विसनगरा, प्रशनिपुर के प्रशनोरा (राजस्थान) जो अब भावनगर तथा गुजरात के अन्य प्रान्तों में बस गए, क्रशनोर के क्रशनोरा तथा शतपद के शठोदरा आदि छ प्रकार के नामो से नागर ब्राह्मणो को जाना जाता है। एक कथा के अनुसार एक ब्राह्मण पुत्र क्रथ एक बार घूमते- घूमते नागलोक के नागतीर्थ में पहुँच गया। वहां उसका मुकाबला नाग लोक के राजकुमार रुदाल से हो गया, इसमें नाग कुमार मारा गया। इससे नाग राज को क्रोध आ गया और उसने पुत्र की हत्या करने वाले कुल का समूल नाश करने की प्रतिज्ञा कर ली। उसने गाँव पर चढ़ाई कर दी जो आज वडनगर के नाम से जाना जाता है, वहीँ ब्राह्मण कुमार क्रथ अपने परिवार तथा अन्य कुटुंब के साथ रहता था। इसमें बहुत सारे ब्राह्मण परिवार मारे गए और बचे हुए लोगों ने भाग कर एक संत मुनि त्रिजट के पास शरण ली।त्रिजट ने उन्हें भगवान शिव की आराधना करने को कहा। बाह्मणों ने पूरे मन और भक्ति भाव से भगवान शिव की तपस्या की। भगवान शिव प्रसन्न हो गए पर चूंकि नाग भी शिव के भक्त थे अतः शिव ने नागों का अहित करने में अपनी असमर्थता व्यक्त की परन्तु ब्राह्मणों को सर्पों के विष से बचने की शक्ति प्रदान कर दी। ब्राह्मण अपने गाँव को लौट गए और तब से इन्हें ना-गर (जिस पर अगर अर्थात विष का प्रभाव ना पड़ता हो) कहा जाने लगा। इसीलिए नागर समुदाय सारे ब्राह्मणों में सबसे अधिक श्रद्धेय तथा पवित्र भी माने जाते हैं क्योकि वे अपने ह्रदय में कोई बुराई (विष) उत्पन्न नहीं होने देते हैं। हाटकेश्वर मन्दिर -.......गुजरात के पुरा ग्रंथो में उल्लेख मिलता है कि वडनगर (चमत्कारपूर) की भूमि राजा द्वारा आभार -चिह्न के रूप में नागरो को भेंट किया था। राजा को एक हिरन को मारकर स्वयम व् अपने पुत्रो को खिलने कर्ण गल्य्त्व मुनि द्वारा एक अभिशाप के कारण जो श्वेत कुश्त हो गया राजा ने नागर सभा से करुना की याचना की, कृनाव्र्ट धरी नागर ने राजा के कष्टों का जड़ी बूटियों और प्राकृतिक दवाओं...के अपने ज्ञान की मदद से इलाज किया गया। राजा चमत्कारपूर (देश जहाँ वडनगर स्थित है) देश नागरो को दान में देना चाह, परन्तु अपनी करुना का मूल्य न लगाने के कारण राजा का इनाम स्वीकार नहीं किया ! नागर ब्राह्मण के 72 परिवार उच्च सिद्धांतों, के थे जिन्होंने दान स्वीकार नहीं किया राजा चमत्कार की रानी से अनुनय के बाद छह परिवारों ने उपहार स्वीकार कर लिया, परन्तु 66 परिवार जिन्होंने रजा का उपहार स्वीकार नहीं किया अपना देश त्याग चले गए और उनके वंशज साठ गाडियों में अपना कुनबा लेकर चले थे इसीसे सठोत्रा गोत्र के कहलाये ! आज भी वे अपने त्याग ओर आदर्शो के कारण श्रद्धेय हैं। ! एक अन्य किवदन्...ती जो की नागर समाज के तीर्थ पुरोहितो की पोथी के अनुसार यह है कि गुजरात के तत्कालीन नवाब नासिर-उद-दीन (महमूद शाह) ई.स. 1537- 1554 के लगभग धर्म परिवर्तन, मुस्लिम वंश में कन्या देना एवं जागीर और सरकारी कामकाज में गैर मुस्लिमों की बेदखली से क्षुब्ध हो गुजरात छोड़ कर मालवा और राजस्थान की और पलायन किया, साठ बैलगाड़ी में अपना सब कुछ वही छोड़ रात ही रात एकसाथ पलायन करने से साठोत्रा कहलाये ! कहते है यात्रा में एक दिन जिस स्थान से मालवा और राजस्थान के दोराहे पर कन्थाल और कालीसिंध के तट पर जिस बैलगाड़ी में अपने साथ अपने इष्ट व् कुलदेव भगवान हाटकेश्वर का चलायमान शिवलिंग स्वरूप (जिसे वडनगर के प्राचीन व् स्वयम्भू हाटकेश्वर मंदिर में उत्सव एवं शोभायात्राओ में नगर में निकला जाता था) को रात्रि विश्राम के बाद प्रात: सभी चलने को उद्यत हुए तो जिस बैलगाड़ी में भगवान हाटकेश्वर मुर्तिस्वरूप विराजमान थे बहुत कोशिश के बाद भी आगे नहीं चला पाए, प्रभु की इच्छा जान सभी नागर जन वही अपने इष्ट देव की पूजन करने लगे! संयोगवश उसी रात महाराणा उदयसिंग को स्वप्न में भगवान हाटकेश्वर के दर्शन हुए और आज्ञा दी की तुम्हारे राज्य की सीमा पर मेरे प्रिय जन भूखे है जाकर उन ब्रहामणों को अन्न आदि दो, महाराणा ने तुरंत अपने स्थानीय प्रतिनिधि को सूचित किया, जब महाराणा उदयसिंग के प्रतिनिधी ने अपने दूतो को आज्ञा दी ओर उन्होंने नागर जनों को भोजन अन्न व् गाये देना चाहा तो उन सभी ने कहा जब तक हमारे इष्ट देव को स्थापित नहीं कर देते तब तक अन्न नहीं लेंगे, जब महाराणा उदयसिंग को पता लगा तो उन्होंने सभी नागर को राजभटट की उपाधी दी!तथा राजपुरोहित को भेज कर सोयत कलां में शिवलिंग स्थापित करवाकर गो, भूमि और भोजन आदि की व्यवस्था की ! प्रति वर्ष हाटकेश्वर जयंती पर इसी स्थान पर सभी एकत्र होकर परस्पर मिलेंगे ऐसा विमर्श कर तथा यहाँ मन्दिर स्थान पर एक स्वजन को पूजन में नियुक्त कर, यही से सभी नागर जन अपनी अपनी आजीविका की तलाश में आगे बढ़े, आज उन्ही पुण्य श्लोक पूर्वजो और अपने इष्ट व् कुलदेव भगवान हाटकेश्वर की कृपा से आज हम सब पूर्णत:कुशल मंगल है! भगवान् हाटकेश्वर सदा अपनी करूणा कृपा हम सब पर बनाये रखें! श्रेणी:ब्राह्मण.

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नागरिक घोषणापत्र

सामान्यत: नागरिक घोषणा पत्र (Citizen's Charter) जनसेवाओं से संबंधित विभागों के लिए जारी किये जाते हैं और इनका उद्देश्य जनसेवाओं को दक्ष, त्वरित एवं जनोन्मुखी बनाना है। .

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नागा साधु

पशुपतिनाथ मन्दिर, नेपाल में एक नागा साधु नागा साधु हिन्दू धर्मावलम्बी साधु हैं जो कि नग्न रहने तथा युद्ध कला में माहिर होने के लिये प्रसिद्ध हैं। ये विभिन्न अखाड़ों में रहते हैं जिनकी परम्परा जगद्गुरु आदिशंकराचार्य द्वारा की गयी थी। .

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नागेन्द्र सिंह

नागेन्द्र सिंह भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के खजुराहो से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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निधि बुले

निधि अशोक बुले (Nidhi Ashok Buley, (जन्म १४ अगस्त १९८६,इंदौर,मध्यप्रदेश,भारत) एक भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी है जो भारतीय टीम के लिए टेस्ट और वनडे क्रिकेट मैच खेला करती है। ये घरेलू क्रिकेट एयर इंडिया की ओर से खेलती है। साथ ही बुले अभी मध्यप्रदेश की महिला क्रिकेट टीम कप्तान भी है। .

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निमाड़

निमाड़ (Nimar) मध्य प्रदेश के पश्चिमी ओर स्थित है। इसके भौगोलिक सीमाओं में निमाड़ के एक तरफ़ विन्ध्य पर्वत और दूसरी तरफ़ सतपुड़ा हैं, जबकि मध्य में नर्मदा नदी है। पौराणिक काल में निमाड़ अनूप जनपद कहलाता था। बाद में इसे निमाड़ की संज्ञा दी गयी। फिर इसे पूर्वी और पश्चिमी निमाड़ के रूप में जाना जाने लगा। .

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निमाड़ी (बोली)

निमाड़ी, मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र की बोली है। यह क्षेत्र मालवा के दक्षिण में महाराष्ट्र से सटा समीवर्ती क्षेत्र है। निमाड़ी बोलने वाले जिले हैं - बड़वानी, पूर्वी निमाड़, पश्चिमी निमाड़, तथा धार जिले के कुछ भाग। .

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नियोगी आयोग की रपट

इसाई मिशनरियों की गतिविधियों पर नियोगी आयोग की रपट मध्य प्रदेश सरकार ने सन् १९५६ में प्रकाशित की। यह रपत तीन-तीन भागों वाले दो वॉलुम में है। इस आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति भवानी शंकर नियोगी थे जो नागपुर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत मुख्य न्यायधीश थे। आयोग ने धर्मान्तरण पर कानूनी रूप से रोक लगाने की सिफारिस की थी जिसे लागू नहीं किया ओडिशा के कंधमाल जिले के जलेशपटा आश्रम में जन्माष्टमी के दिन स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद चर्च की गतिविधि एक बार फिर चर्चा में आ गयी है। इसके साथ ही चर्च का मध्यकालीन बर्बर चेहरा तथा चर्च का अभारतीय कृत्य लोगों के सामने आ गया है। ईसाई मिशनरियां सेवा का बहाना करते हैं। किन्तु उनका असली उद्देश्य अपनी सत्ता व साम्राज्य स्थापित करना है। भारतीयों को अपने संस्कृति के जडों से काटना और उनका यूरोपीयकरण करना है।  स्वतंत्रता से पूर्व चर्च व ईसाई मिशनरियां किसके हित के लिए काम कर रहे थे। पश्चिमी शक्तियों के साम्राज्यवादी हितों की पूर्ति के लिए उन्होंने चर्च को एक औजार के रुप में इस्तमाल किया। 1859 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री लार्ड पामस्टर्न ने कहा था कि यह ब्रिटेन के हित में है कि भारत के हिस्से से दूसरे हिस्से तक ईसाइयत का प्रचार किया जाना चाहिए। उनके इस कथन को ठीक से समझने की आवश्यकता है। पश्चिमी साम्राज्यवादी शक्तियां भारत में अपना साम्राज्य को बरकरार रखने के लिए चर्च का इस्तमाल कर रहे थे। जोसेफ कर्नवालिस कुमारप्पा प्रसिध्द गांधीवादी थे। वह स्वयं एक ईसाई भी थे। उन्होंने एक बार कहा था कि पश्चिमी शक्तियों के चार सेना हैं। थल सेना, वायु सेना, नौ सेना तथा चर्च। स्वयं एक ईसाई होने के बावजूद उनकी दृष्टि में चर्च और मिशनरियां अंग्रेजों के सेना के रुप में कार्य कर रहे थे और अंग्रेज साम्राज्य को बचाने के लिए कार्यरत थे। मतांतरित ईसाइयों के मन में भारत के प्रति श्रध्दाभाव खत्म हो जाता था और वे अंग्रेजों के आज्ञाकारी सेवक बन जाते थे। यही कारण था कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में जोसेफ कुमारप्पा व ई.एम.

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निरंजनानन्द सरस्वती

स्वामी निरंजनानन्द सरस्वती (जन्म १४ फ़रवरी १९६०) सत्यानन्द सरस्वती के शिष्य एवं उत्तराधिकारी हैं। स्वामी सत्यानन्द सरस्वती ने 'सत्यानन्द योग' का प्रवर्तन किया था। स्वामी सत्यानन्द ने सन् १९८८ में सम्पूर्ण विश्व के सत्याननद योग से सम्बन्धित कार्यों के समन्वय का कार्य स्वामी निरंजनानन्द को सौंप दिया था। स्वामी निरंजनान्द का जन्म मध्य प्रदेश के राजनादगाँव में हुआ था। उनके शिष उन्हें आजन्म योगी मानते हैं। .

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निर्धनता दर के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

यह सूची भारत के राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों को 16 सितम्बर 2013 की स्थिति तक निर्धनता की दर के आधार पर क्रमित करती है। यह सूची भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रकाशित 2013 के वार्षिक प्रतिवेदन से संकलित की गई है। क्रम-स्थान प्रतिशत में निर्धनता सीमा से नीचे रह रहे लोगों की गणना अनुसार दिया गया है और ऍम.आर.पी.

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निर्मल चंद्र जैन

निर्मल चंद्र जैन पूर्व राजस्थान के राज्यपाल हैं | वे मध्य प्रदेश से लोकसभा सांसद रह चुके हैं | .

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निर्मल चंद्र विज

जनरल निर्मल चंद्र विज पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम (जन्म ३ जनवरी १९४३, जम्मू) भारतीय सेना के 21 वें सेना प्रमुख थे। वे १ जनवरी २००३ से ३१ जनवरी २००५ तक सेनाध्यक्ष रहे । .

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निर्मला भूरिया

निर्मला भूरिया एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा मध्यप्रदेश सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री है। वे भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश विधानसभा में पेटलावाड़ से विधायक है। भाजपा नेता दिलीप सिँह भूरिया की पुत्री है। .

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निर्मला श्रीवास्तव

निर्मला श्रीवास्तव (21 मार्च 1923 – 23 फ़रवरी 2011), (विवाह पूर्व: निर्मला साल्वे), जिन्हें अधिकतर लोग श्री माताजी निर्मला देवी के नाम से जानते हैं, सहज योग, नामक एक नये धार्मिक आंदोलन की संस्थापक थीं। उनके स्वयं के बारे में दिये गये इस वकतव्य कि वो, आदि शक्ति का पूर्ण अवतार थीं, को 140 देशों में बसे उनके अनुयायी, मान्यता प्रदान करते हैं। .

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निलोफर चक्रवात

नीलोफर की छवि २५ अक्टूबर २०१४ के समय नीलोफर, अक्टूबर २०१४ में दक्षिण हिंद महासागर में बना एक चक्रवाती तूफान है। यह हुदहुद चक्रवात से कम गति का है। मौसम विभाग के अनुसार यह गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश को प्रभावित कर सकता है। इसके नाम का सुझाव पाकिस्तान ने दिया था। .

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निहाली भाषा

निहाली भाषा पश्चिम-मध्य भारत के मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र राज्यों के कुछ छोटे भागों में बोली जाने वाली एक भाषा है। यह एक भाषा वियोजक है, यानि विश्व की किसी भी अन्य भाषा से कोई ज्ञात जातीय सम्बन्ध नहीं रखती और अपने भाषा-परिवार की एकमात्र ज्ञात भाषा है। भारत में इसके अलावा केवल जम्मू और कश्मीर की बुरुशस्की भाषा ही दूसरी ज्ञात भाषा वियोजक है। निहाली समुदाय की संख्या लगभग ५,००० है लेकिन सन् १९९१ की जनगणना में इनमें से केवल २,००० ही इस भाषा को बोलने वाले गिने गए थे। निहाली समुदाय ऐतिहासिक रूप से कोरकू समुदाय से सम्बन्धित रहा है और उन्हीं के गाँवों में बसता है। इस कारण से निहाली बोलने वाले बहुत से लोग कोरकू भाषा में भी द्विभाषीय होते हैं। निहाली बोली में बहुत से शब्द आसापास की भाषाओं से लिए गए हैं और साधारण बोलचाल में लगभग ६०-७०% शब्द कोरकू के होते हैं। भाषावैज्ञानिकों के अनुसार मूल निहाली शब्दावली के केवल २५% शब्द ही आज प्रयोग में हैं। .

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नजमा हेपतुल्ला

डॉ॰ नजमा हेपतुल्ला (Najma Heptulla, نجمہ ہیپت اللہ) एक राजनीतिज्ञ, लेखिका और नरेन्द्र मोदी सरकार के अंतर्गत अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री थी। वह फिलहाल मणिपुर राज्य की राज्यपाल है।वे मुंबई कांग्रेस कमेटी की महासचिव और उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। वे 1985 से 1986 तथा 1988 से जुलाई 2007 तक भारतीय लोकतंत्र की उपरी प्रतिनिधि सभा राज्यसभा की पूर्व उपसभापति रही हैं। 1980 से राज्यसभा की सदस्य हैं। और अभी उनका दिल्ली के जमियामालिया युनिव्हर्सिटी मी कुलगुरू किया हैं। .

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नज्द

तुवइक़​ पहाड़ियाँ - क्षितिज के पार आधुनिक साउदी अरब की राजधानी रियाध है साउदी अरब (सफ़ेद रंग) के नक़्शे में नज्द क्षेत्र (लाल रंग में) नज्दी स्त्रियों की पारम्परिक पोशाक नज्द का एक और नज़ारा नज्द (अंग्रेज़ी: Najd, अरबी) अरबी प्रायद्वीप के मध्य भाग का नाम है। यह एक पठारी इलाक़ा है। .

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नवगाँव

नौगांव नगर मध्य भारत के उत्तरी मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर ज़िले में स्थित है। नौगांव झांसी, सतना, श्रीनगर, बलदेवगढ़ और महाराजपुर जैसे अन्य केंद्रों से सड़क मार्ग से भलीभांती जुड़ा है। नौगांव एक महत्त्वपूर्ण नागरिक केंद्र तथा सैनिक छावनी है। नौगांव अंग्रेज़ों के शासनकाल में बुंदेलखंड एजेंसी का ब्रिटिश मुख्यालय भी था। नौगांव एक प्रमुख कृषि वितरण केंद्र है और नौगांव रसायन व औषधि संयंत्र यथा एक शराब कारख़ाना स्थित है। नौगांव नगर में एक अस्पताल, सरकारी पॉलीटेक्निक संस्थान, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय और अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए एक महाविद्यालय स्थित है। और साथ ही यहाँ अब गवर्मेंट इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गया है। श्रेणी:महाराष्ट्र के शहर.

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नगोद

नगोद या नौगढ़ भारत के मध्य प्रदेश राज्य में सतना जिला का एक शहर है। यहाम पूर्व में प्रतिहार राजपूतों का शासन हुआ करता था। यह सतना शाहर से की दूरी पर स्थित है। .

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नुज़हत परवीन

नुज़हत परवीन(जन्म 9 मई 1996) उर्फ खुशबू भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह बनाने वाली मध्यप्रदेश के रीवा संभाग की पहली महिला क्रिकेटर बनी हैं। मध्यप्रदेश के सिंगरौली है। अपना स्थान बतौर विकेट कीपर व बल्लेबाज के रूप में बनाया है। नुजहत स्नातक की पढ़ाई दिल्ली से कर रही हैं तथा वेस्टर्न रेलवे में नौकरी भी कर रही हैं। नुजहत का जब 2011 में सिंगरौली महिला क्रिकेट टीम के सदस्य के रूप में चयन हुआ। उसने डिविजन टीम रीवा व शहडोल में दो शतक लगाये। इसके बाद परवीन का हौसला बढ़ता गया। उसने 2015 के सीनियर इंटर जोनल टूर्नामेन्ट में 101 रन की नाबाद पारी खेली थी। उनका मध्यप्रदेश की अंडर -19 टीम में चयन हुआ। मध्य प्रदेश की तरफ से खेलते हुए उन्होंने भारतीय चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी तरफ खींचा। उनके पिता मसीह आलम कोल माइन में मशीन ऑपरेटर हैं। मां नसीमा बेगम गृहणी हैं। उसके भाई आमिर हैं। नुजहत ने भारत की ओर से अबतक एक वनडे और तीन टी-20 मैच खेले हैं। .

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नुआपाड़ा

नुआपाड़ा भारत के ओड़ीसा प्रान्त का एक शहर है। यह नुआपाड़ा जिला मुख्यालय है। पश्चिमी ओड़ीसा का नुआपाडा जिला मध्य प्रदेश के रायपुर और ओड़ीसा के बरगढ़, बलंगीर व कालाहांडी जिलों से घिरा हुआ है। 3407.05 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जिला 1993 तक कालाहांडी का हिस्सा था, लेकिन प्रशासनिक सुविधा के लिहाज से इसे कालाहांडी से अलग एक नए जिले के रूप में गठित कर दिया गया। पतोरा जोगेश्वर मंदिर, राजीव उद्यान, पातालगंगा, योगीमठ, बूढ़ीकोमना, खरीयार, गौधस जलप्रताप आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। .

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नेपा लिमिटेड

नपा लिमिटिड का एक अखबार। नेपा लिमिटेड भारत में अखबारी कागज बनाने वाला भारत सरकार का सार्वजनिक क्षेत्र का अग्रणी उपक्रम है। यह मूलतः निजी उद्यमी द्वारा 1947 में चालू किया गया। वर्ष 1949 में मध्य प्रदेश सरकार ने प्रबंधन अपने हाथ में लिया और वर्ष 1959 में केन्द्र सरकार के अधीन होकर सार्वजनिक उपक्रम बना। नेपा लिमिटेड देश में प्रथम अखबारी कागज का कारखाना है। नेपानगर, जिला बुरहानपुर मध्यप्रदेश, भारत पिन 450221, (मुम्बई से 526 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में मुख्य मध्य रेलवे लाईन पर स्थित है। जो नेपा को मुम्बई-भोपाल-नई दिल्ली को जोड़ती है।) भुसावल से 85 किलोमीटर एवं इन्दौर से 200 किलोमीटर। .

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नेमावर

नेमावर देवास जिला, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित एक नगर है। मंदिर निर्माण- मंदिर निर्माण की कथा महाभारत कालीन है बताया जाता हे की कौरवो एवम् पांडवो के बिच एक रात में मंदिर निर्माण की शर्त्त लगी थी कौरव की संख्या अधिक होने से उन्होंने एक ही रात में तत्कालीन सिद्धनाथ मंदिर जा निर्माण कर दिया जबकि पांडवों की संख्या कम थी अत उनका मंदिर अधूरा ही बन पाया जो आज भी मुख्य मंदिर से पास ही मणिगिरी पर्वत पर वेसी ही अवस्था में स्थित है कौरवो ने मंदिर निर्माण कर पांडवो को अभिमान वश होकर ताने मारेे अतः भीम ने कोधित होकर मंदिर को घुमा कर मंदिर का मुख द्वार पूर्व से पश्चिम दिशा में कर दिया जो आज भी है कई विद्वानों की माने तो मन्दिर पर बनाई गई मुर्तिया विश्व में एक अद्भुत कलाकृति है नेमावर का महत्व- नेमावर नर्मदा नदी के उत्तर तट पर सहित है यहाँ माँ नर्मदा का नाभि स्थान है यानि यह नर्मदा जी जा मध्य भाग है नेमावर में प्रकति का सुन्दर नमूना है यहाँ कई साधू संत व महायोगी की नगरी रही है आज भी यहाँ चिन्मय धाम आश्रम स्थित है जो विश्वनाथ प्रकाश जी महाराज द्वारा स्थापित है जिन्हें ब्रह्मचारी बाबा कहा जाता था आप महायोगी थे आश्रम पर वासुदेवानंद सरस्वती (टेम्बे स्वामी) जी की पादुका भी स्थापित है श्रेणी:मध्य प्रदेश के नगर अधिक जानकारी के लिए आप www.hindukushjankari.ml पर संपर्क कर सकते है.

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नीबू घास

नीबू घास (Cymbopogon या lemongrass) घास परिवार का पादप है जो एशिया, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया के उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में पाया जाता है। .

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नीमच

नीमच मध्य प्रदेश के नीमच जिला का मुख्यालय है। नीमच को 30 जून 1998 में मध्य प्रदेश का स्वतंत्र जिला घोषित किया गया था। प्रारंभ में यह मंदसौर जिले का हिस्सा था। ब्रिटिश शासन के दौरान यहां एक छावनी स्थापित की गई थी। आजादी के बाद छावनी को भारत की पैरा मिल्रिटी सेना की छावनी में परिवर्तित कर दिया गया। वर्तमान में यह सीआरपीएफ अर्थात क्रेन्दीय रिजर्व पुलिस बल के नाम से जाना जाता है। नीमच को सीआरपीएफ की जन्मस्थली माना जाता है। 3879 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जिला सुखानंद महादेव, ऑक्‍टरलोनी इमारत, नीलकंठ महादेव, आंत्री माता मंदिर, जीरन का किला और भादवा माता मंदिर आदि के लिए विख्यात है। मंदसौर के समान यहां भी बड़े पैमाने पर अफीम का उत्पादन होता है। नीमच के दर्शनीय स्थलों में भादवा माता का मंदिर है, जिसमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघटा, काली, स्कन्दमाता और कात्यायनी माता की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। इस मंदिर में काले पत्थर से निर्मित विष्णु की प्रतिमा भी है। .

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नीमच ज़िला

नीमच नीमच भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय नीमच है। नीमच को 30 जून 1998 में मध्य प्रदेश का स्वतंत्र जिला घोषित किया गया था। प्रारंभ में यह मंदसौर जिले का हिस्सा था। ब्रिटिश शासन के दौरान यहां एक छावनी स्थापित की गई थी। आजादी के बाद छावनी को भारत की पैरा मिल्रिटी सेना की छावनी में परिवर्तित कर दिया गया। वर्तमान में यह सीआरपीएफ अर्थात क्रेन्दीय रिजर्व पुलिस बल के नाम से जाना जाता है। नीमच को सीआरपीएफ की जन्मस्थली माना जाता है। 3879 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जिला सुखानंद महादेव, ऑक्‍टरलोनी इमारत, नीलकंठ महादेव, अांतरी माता मंदिर और भादवा माता मंदिर आदि के लिए विख्यात है। मंदसौर के समान यहां भी बड़े पैमाने पर अफीम का उत्पादन होता है। क्षेत्रफल - ३० वर्ग कि.मी.

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पचमढ़ी

पचमढ़ी की पांडव गुफ़ाएँमध्यप्रदेश के एकमात्र पर्वतीय स्थल होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी समुद्र तल से १,०६७ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। सतपुड़ा श्रेणियों के बीच स्थित होने और अपने सुंदर स्थलों के कारण इसे सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है। यहाँ घने जंगल, कलकल करते जलप्रपात और तालाब हैं। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का भाग होने के कारण यहाँ आसपास बहुत घने जंगल हैं। यहाँ के जंगलों में शेर, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, भालू, भैंसा तथा कई अन्य जंगली जानवर मिलते हैं। यहाँ की गुफाएँ पुरातात्विक महत्व की हैं क्योंकि यहाँ गुफाओं में शैलचित्र भी मिले हैं। .

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पचमढ़ी के दर्शनीय स्थल

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित पंचमढ़ी मध्य भारत के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में एक है। सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच समुद्र तल से 3550 फीट की ऊंचाई पर बसा पंचमढ़ी मध्य प्रदेश का यह एकमात्र हिल स्टेशन है। हरे-भरे और शांत पंचमढ़ी में बहुत-सी नदियों और झरनों के गीत सैलानियों में मंत्रमुग्ध कर देते हैं। पंचमढ़ी घाटी की खोज 1857 में बंगाल लान्सर के कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने की थी। इस स्थान को अंग्रेजों ने सेना की छावनी के रूप में विकसित किया। पंचमढ़ी में आज भी ब्रिटिश काल के अनेक चर्च और इमारतें देखी जा सकती हैं। मुख्य पर्यटन स्थलों में निम्न हैं:- .

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पण्डित

एक कर्मकाण्डी पण्डित (ब्राह्मण) का चित्र पण्डित (पंडित), या पण्डा (पंडा), अंग्रेजी में Pandit का अर्थ है एक विद्वान, एक अध्यापक, विशेषकर जो संस्कृत और हिंदू विधि, धर्म, संगीत या दर्शनशास्त्र में दक्ष हो। अपने मूल अर्थ में 'पण्डित' शब्द का तात्पर्य हमेशा उस हिन्दू ब्राह्मण से लिया जाता है जिसने वेदों का कोई एक मुख्य भाग उसके उच्चारण और गायन के लय व ताल सहित कण्ठस्थ कर लिया हो। .

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पद्म श्री पुरस्कार (१९६०-६९)

पद्म श्री पुरस्कार, भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरीक सम्मान है। जिसके ई॰ सन् १९५४ से १९५९ के प्राप्त कर्ता निम्न हैं: .

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पद्म श्री पुरस्कार (१९७०-७९)

पद्म श्री पुरस्कार, भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरीक सम्मान है। जिसके ई॰ सन् १९७४ से १९७९ के प्राप्त कर्ता निम्न हैं: .

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पद्म श्री पुरस्कार (१९८०–१९८९)

पद्म श्री पुरस्कार, भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरीक सम्मान है। जिसके ई॰ सन् १९८४ से १९८९ के प्राप्त कर्ता निम्न हैं: .

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पद्म श्री पुरस्कार (१९९०–१९९९)

पद्म श्री पुरस्कार, भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरीक सम्मान है। जिसके ई॰ सन् १९८४ से १९८९ के प्राप्त कर्ता निम्न हैं: .

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पद्म श्री पुरस्कार (२०००–२००९)

पद्म श्री पुरस्कार, भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरीक सम्मान है। सन् २००० से २००९ तक विजेताओं की सूची निम्न है: .

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पद्म विभूषण धारकों की सूची

यह भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से अलंकृत किए गए लोगों की सूची है: .

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पद्मश्री पुरस्कार (२०१०–२०१९)

पद्म श्री पुरस्कार, भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। सन् २०१० से २०१९ तक विजेताओं की सूची निम्न है: .

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पद्माकर

रीति काल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर (1753-1833) का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे हिंदी साहित्य के रीतिकालीन कवियों में अंतिम चरण के सुप्रसिद्ध और विशेष सम्मानित कवि थे। मूलतः हिन्दीभाषी न होते हुए भी पद्माकर जैसे आन्ध्र के अनगिनत तैलंग-ब्राह्मणों ने हिन्दी और संस्कृत साहित्य की श्रीवृद्धि में जितना योगदान दिया है वैसा अकादमिक उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है। .

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पन्ना मध्य प्रदेश

पन्ना, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित एक नगर है। 1675 में बुंदेलखंड के शासक छत्रसाल द्वारा स्वामी प्रेमनारायण के आदेश पर राजधानी बनाए जाने के कारण इस शहर का महत्त्व बढ़ गया। यहाँ स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणानाथ मंदिर (1795) और श्री बलदेवजी मंदिर शामिल हैं। पन्ना स्थित बलदेव मंदिर लंदन पैलेस श्रेणी पर आधारित है। पन्ना स्थित प्राणनाथ मंदिर प्रगमी संप्रदाय के लोगो का प्रमुख केंद्र है। महाभारत कालीन विराट नगर की पहचान यहां के बरहटा से की जाती है। 1921 में यहाँ नगरपालिका गठन हुआ था। इसके आसपास के क्षेत्र मुख्यत: भूतपूर्व पन्ना और आजयगढ़ रियासतों के हिस्से हैं। इसमें पन्ना श्रृंखला नामक पर्वतीय क्षेत्र भी शामिल है, जो विंध्य श्रृंखला की शाखा है। .

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पन्ना ज़िला

पन्ना भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। पन्ना जिला सागर संभाग के अन्तर्गत आता है। पन्ना में हीरों की खान है, साथ ही यह स्थान प्राचीन एवं सुन्दर मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इसी कारण इसे 'मंदिरों की नगरी' भी कहा जाता है। यहाँ पर स्थित संत प्राणनाथ और श्री बलदेव जी के मंदिर तीर्थगणों के बीच प्रसिद्ध हैं। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान भी है जहां टाईगर रिजर्व और कई दुर्लभ वन्य जीव पाए जाते हैं। .

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पन्नालाल जैन

साहित्याचार्य डॉ.

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पपची

पपची एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है। श्रेणी:पूर्व भारत का खाना श्रेणी:छत्तीसगढ़ी खाना.

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परमार भोज

राजा भोज की प्रतिमा (भोपाल) भोज पंवार या परमार वंश के नवें राजा थे। परमार वंशीय राजाओं ने मालवा की राजधानी धारानगरी (धार) से आठवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक राज्य किया था। भोज ने बहुत से युद्ध किए और अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की जिससे सिद्ध होता है कि उनमें असाधारण योग्यता थी। यद्यपि उनके जीवन का अधिकांश युद्धक्षेत्र में बीता तथापि उन्होंने अपने राज्य की उन्नति में किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न होने दी। उन्होंने मालवा के नगरों व ग्रामों में बहुत से मंदिर बनवाए, यद्यपि उनमें से अब बहुत कम का पता चलता है। कहा जाता है कि वर्तमान मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को राजा भोज ने ही बसाया था, तब उसका नाम भोजपाल नगर था, जो कि कालान्तर में भूपाल और फिर भोपाल हो गया। राजा भोज ने भोजपाल नगर के पास ही एक समुद्र के समान विशाल तालाब का निर्माण कराया था, जो पूर्व और दक्षिण में भोजपुर के विशाल शिव मंदिर तक जाता था। आज भी भोजपुर जाते समय, रास्ते में शिवमंदिर के पास उस तालाब की पत्थरों की बनी विशाल पाल दिखती है। उस समय उस तालाब का पानी बहुत पवित्र और बीमारियों को ठीक करने वाला माना जाता था। कहा जाता है कि राजा भोज को चर्म रोग हो गया था तब किसी ऋषि या वैद्य ने उन्हें इस तालाब के पानी में स्नान करने और उसे पीने की सलाह दी थी जिससे उनका चर्मरोग ठीक हो गया था। उस विशाल तालाब के पानी से शिवमंदिर में स्थापित विशाल शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता था। राजा भोज स्वयं बहुत बड़े विद्वान थे और कहा जाता है कि उन्होंने धर्म, खगोल विद्या, कला, कोशरचना, भवननिर्माण, काव्य, औषधशास्त्र आदि विभिन्न विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं जो अब भी विद्यमान हैं। इनके समय में कवियों को राज्य से आश्रय मिला था। उन्होने सन् 1000 ई. से 1055 ई. तक राज्य किया। इनकी विद्वता के कारण जनमानस में एक कहावत प्रचलित हुई कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तैली। भोज बहुत बड़े वीर, प्रतापी, और गुणग्राही थे। इन्होंने अनेक देशों पर विजय प्राप्त की थी और कई विषयों के अनेक ग्रंथों का निर्माण किया था। ये बहुत अच्छे कवि, दार्शनिक और ज्योतिषी थे। सरस्वतीकंठाभरण, शृंगारमंजरी, चंपूरामायण, चारुचर्या, तत्वप्रकाश, व्यवहारसमुच्चय आदि अनेक ग्रंथ इनके लिखे हुए बतलाए जाते हैं। इनकी सभा सदा बड़े बड़े पंडितों से सुशोभित रहती थी। इनकी पत्नी का नाम लीलावती था जो बहुत बड़ी विदुषी थी। जब भोज जीवित थे तो कहा जाता था- (आज जब भोजराज धरती पर स्थित हैं तो धारा नगरी सदाधारा (अच्छे आधार वाली) है; सरस्वती को सदा आलम्ब मिला हुआ है; सभी पंडित आदृत हैं।) जब उनका देहान्त हुआ तो कहा गया - (आज भोजराज के दिवंगत हो जाने से धारा नगरी निराधार हो गयी है; सरस्वती बिना आलम्ब की हो गयी हैं और सभी पंडित खंडित हैं।) .

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परांठेवाली गली

गली परांठे वाली, चांदनी चौक, नई दिल्ली गली परांठे वाली, में परांठे बनाता हुआ कारीगर परांठेवाली गली पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक के पास स्थित एक जगह है। यहां तरह तरह के परांठों की दुकानें हैं। इसके अलावा यह अपनी खान पान की विभिन्न दुकानो के कारण काफ़ी प्रसिद्ध है। चांदनी चौक में शीशगंज गुरूद्वारे के आगे वाली गली ही कहलाती है परांठे वाली गली। वहां काफी पुराणी पराठे बनाने वाली दुकाने हैं। यह गली मुख्य चांदनी चौक से आरंभ होकर दूसरे छोर पर मालीवाड़ा में जाकर मिल जाती है। किसी समय पूरी गली में परांठे की ही दुकाने थी लेकिन अब बदलते वक्त के साथ चार रह गयी हैं। ये दुकाने करीब सौ से सवा सौ साल पुरानी हैं। परांठे बनाने वाले ये लोग मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। स्वाद ऐसा है कि एक बार खा लें तो शायद जिंदगी भर भूला नहीं पायेंगें। इन को बनाने का तरीका भी अलग है परांठों को शुद्ध घी सेंकने की बजाय तला जाता है और शायद ये ही इसके स्वाद का राज भी हैं। परांठा एक भारतीय रोटी का विशिष्ट रूप है। यह उत्तर भारत में जितना लोकप्रिय है, लगभग उतना ही दक्षिण भारत में भी है, बस मूल फर्क ये है, कि जहां उत्तर में आटे का बनता है, वहीं दक्षिण में मैदे का बनता है। माना जाता है याहान कि दुकने मुगलो के समय से पराठे बेच रहि हैं। मुसाफ़िर-दुनियादेखो ब्लॉग्स्पॉट, ५ मार्च, २००८ .

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परिधि शर्मा

परिधि शर्मा भारतीय टेलीविजन की एक विख्यात अभिनेत्री है। इन्होंने अपने अभिनय जीवन की शुरुआत वर्ष 2010 में धारावाहिक तेरे मेरे सपने से की। बाद में वे धारावाहिक रुक जाना नहीं में भी चुनी गई। वर्तमान में, वह ऐतिहासिक धारावाहिक जोधा अकबर में राजकुमारी जोधाबाई की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। .

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परिवार के आकार के आधार पर भारत के राज्य

भारत के राज्यों की यह सूची प्रत्येक राज्य में प्रति घर, सदस्य संख्या के आधार पर है। यह जानकारी एन॰एफ॰एच॰एस-३ से संकलित की गई थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण व्यापक-पैमाने, बहु-दौरीय सर्वेक्षण है जो अन्तर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आई॰आई॰पी॰एस), मुंबई द्वारा कराया जाता है जो परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट है। एन॰एफ॰एच॰एस-३ ११ अक्टूबर २००७ को जारी किया गया था और पूरा सर्वेक्षण इस वेबसाइट पर देखा जा सकता है। .

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परिकल्पना सम्मान

परिकल्पना सम्मान हिन्दी ब्लॉगिंग का एक ऐसा वृहद सम्मान है, जिसे बहुचर्चित तकनीकी ब्लॉगर रवि रतलामी ने हिन्दी ब्लॉगिंग का ऑस्कर कहा है। यह सम्मान प्रत्येक वर्ष आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन में देशविदेश से आए हिन्दी के चिरपरिचित ब्लॉगर्स की उपस्थिति में प्रदान किया जाता है। .

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पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को)

पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) (Environmental Planning and Coordination Organisation (EPCO)), भोपाल में स्थित एक स्वशासी संस्था है। इसका कार्य जनसमुदाय में पर्यावरण के प्रति जागरूकता निर्माण करना और मध्य प्रदेश सरकार के साथ मिलकर विभिन्न परियोजनाओं को क्रियान्वित करना है। इसकी स्थापना वर्ष १९८१ में हुई थी। जलवायु परिवर्तन मुद्दों पर यह राज्य की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कराती है। ५० एकड़ में फैले इसके परिसर को पर्यावास परिसर कहा जाता है .

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पलक मुच्छल

पलक मुच्छल (जन्म तारीख़: 30 मार्च 1992) एक भारतीय पार्श्व गायिका हैं। वे और उनके छोटे भाई पलाश मुच्छल भारत तथा विदेशो में सार्वजनिक मंच पर गाने गाकर ह्रदय पीड़ित छोटे बच्चो के इलाज के लिए चंदा इकट्ठा करते है। उन्होने मई 2013 तक ढाई करोड रुपयो का चंदा इकट्ठा कर 572 बच्चो की जान बचाने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की है। पलक के इस समाज सेवा में योगदान के लिये उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तथा लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में भी दर्ज है। भारत सरकार और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया है। सन 2011 में पलक ने हिन्दी फिल्मों में पार्श्व गायिका के रूप में गाना शुरु किया। उनके खासकर एक था टाइगर और आशिकी 2 फिल्मों के गानों की काफी सराहना हुई। .

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पशुपतिनाथ मन्दिर (भोपाल)

पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाली: पशुपतिनाथ मन्दिर) मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में गोविन्दपुरा में स्थित एक हिंदू मंदिर है। पशुपतिनाथ में आस्थावानों (मुख्य रूप से हिंदुओं) को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है। यह मंदिर नेपाली समाज का भोपाल में शिव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। पशुपतिनाथ में शिवरात्रि त्योहार विशेष महत्व के साथ मनाया जाता है। शिवरात्रि त्यौहार के दिन यहाँ दो दिवस का मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें खेल प्रतिस्पर्धा,झूले,खानपान की दुकाने भी मेले का आकर्षण का केंद्र होता है। .

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पश्चिमी भारत

पश्चिमी भारत क्षेत्र में भारत के महाराष्ट्र, गोआ और गुजरात राज्य तथा दादरा एवं नगर हवेली एवं दमन एवं दीव केन्द्र शासित प्रदेश आते हैं। यह क्षेत्र उच्चस्तरीय औद्योगिक तथा आवासित है।.

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पाटन, मध्य प्रदेश

पाटन (बहुविकल्पी) भी देखें। ---- पाटन, मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले की एक नगर पंचायत है। यह दमोह को जबलपुर से जोड़र्ग पर स्थित है। इस मार्ग में जैन तीर्थ कोनी जी मंदिर है। एवं इस मर्ग में बग़दरी फाल का आनंद मिलता है यहां बहुत सुंदर झरना है .

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पाटीदार समाज में विवाह रीति

यह पृष्ठ मध्य प्रदेश के निमाड़ स्थित बावन खेड़ा पाटीदार समाज की विवाह संस्कार की लुप्त हो रही रीतियों को संजोने के लिए बनाया गया है। हिन्दू विवाह का दृश्य यद्यपि हम सब जानते हैं कि विवाह मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जहां से उसके जीवन में खुशियों और सुख-शांति की संभावनाएं कहीं गुना अधिक बढ़ जाती है। प्राचीन हिन्दू धर्म इसे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य अंग मानता है, शायद इसीलिए विवाह को हिंदुओं ने अपने सोलह संस्कारों में सम्मिलित किया है। कुछ ही लोग ऐसे होंगे जो अपनी ज़िन्दगी में दोबारा विवाह करते हैं। खासकर हिंदुओं में इस एक विवाह को सात जन्मों का बन्धन मान लिया जाता है। फिर यदि जीवन का यह महत्त्वपूर्ण अवसर ऐसे ही सस्ते में न निकल जाए इसलिए हमारे पूर्वजों ने विवाह संस्कार को संपन्न कराने के लिए कुछ रीति रिवाजों का प्रचलन आरम्भ किया था, जिसे आज का युवा वर्ग एक किनारे से भूलता जा रहा है। हमें इन रीतियों और रिवाजों को संजोने के लिए यथायोग्य प्रयास करने चाहिए। चूंकि प्रत्येक समाज और धर्म के अपने-अपने अलग रीति रिवाज हैं। निमाड़ के बावन खेड़ा के पाटीदार समाज की विवाह रीतियों को संजोने के लिए इस पेज का निर्माण किया गया है। .

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पाठक संख्या के अनुसार भारत में समाचार पत्रों की सूची

यह भारतीय पाठक सर्वेक्षण (आई॰आर॰एस॰) पर आधारित पाठक संख्या के अनुसार भारत में समाचार पत्रों की एक सूची है। .

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पान सिंह तोमर

पान सिंह तोमर (1932 – 1 अक्टूबर 1981) एक भारतीय सैनिक, खिलाड़ी (एथलीट) और बागी थे। यह ग्राम भिड़ौसा के निवासी थे। इन्हें इनकी दौड़ने की ख़ूबी का पता भारतीय सेना में जाने के बाद चला। यह सात बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में विजेता रह चुके हैं। इन्होंने 1958 में एशियाई खेलों में भी हिस्सा लिया था। .

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पानी पूरी

पानी पूरी जिसे उत्तर भारत में गोलगप्पे, पूर्वी उत्तर प्रदेश में फुलकी, बंगाल में फुचका, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में गुपचुप के नाम से संबोधित किया जाता है एक लोकप्रिय भारतीय नाश्ता हैं। पानी पूरी का सेवन जलजीरे के पानी के साथ किया जाता है। इसके अलावा भरवां गोलगप्पे भी काफी लोगों की पसन्द हैं जिसमें उबला हुआ आलू, बारीक कटा हुआ प्याज़, सौंठ की चटनी और दही के साथ भर के बनाया जाता है। .

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पार्वती नदी

पार्वती नदी मध्य प्रदेश की नदी है, जिसे 'पारा' नाम से भी जाना जाता है। यह नदी विन्ध्याचल की पश्चिमी श्रेणियों से निकल कर ग्वालियर प्रदेश में बहती हुई सिन्ध (या काली सिन्ध) में मिल जाती है। पार्वती-सिन्धु संगम पर प्राचीन काल की प्रसिद्ध नगरी पद्मावती बसी हुई थी। महाकवि कालीदास के 'मेघदूत' की निर्विन्ध्या ही पार्वती नदी हो सकती है। पार्वती नदी का महाभारत, भीष्मपर्व में भी उल्लेख है। कुछ लोगों के मतानुसार निर्विन्ध्या वर्तमान नेवाज नदी है। .

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पालागुम्मि साईनाथ

पालागम्मी साईनाथ् (जन्म १९५७) भारतीय पत्रकार हैं जिन्होंने अपनी पत्रकारिता को सामाजिक समस्याओं, ग्रामीण हालातों, गरीबी, किसान समस्या और भारत पर वैश्वीकरण के घातक प्रभावों पर केंद्रित किया है। वे स्वयं को ग्रामीण संवाददाता या केवल संवाददाता कहते हैं। वे अंग्रेजी अखबार द हिंदू और द वेवसाइट इंडिया के ग्रामीण मामलों के संपादक हैं। हिंदू में पिछले ६ वर्षों से वे अपने कई महत्वपूर्ण कार्यों पर लिखते रहे हैं। अमर्त्य सेन ने उन्हें अकाल और भूखमरी के विश्व के महानतम विशेषज्ञों में से एक माना है। .

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पाली (नृत्य)

पाली मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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पाषाण खान

एक परित्यक्त खादान इमारती पत्थरों को खोदकर निकालने की क्रिया को आखनन (quarrying) कहते हैं। इस स्थान को जहाँ से पत्थर निकाले जाते हैं, खादान या 'पाषाण खान' (quarry/क्वैरी) कहते हैं। पाषाण खान साधारणतया खुले स्थान में ही बनाई जाती है। .

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पासवान

पासवान दुसाध जाति अंततः फारसी से: ‎پاسبان, अर्थ: प्रहरी या रक्षक या प्रशंसा के योग्य) भारत में हिंदुओं का एक समुदाय है। आम तौर पर भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के राज्यों में पाए जाते हैं। भारतीय संविधान लेख 341 और 342 के तहत पासवान जाति को अनुसूचित जाति के आधर पर आरक्षण प्राप्त है पासवान जाति की संख्या अत्यधिक बिहार में है .

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पांडव जलप्रपात

पांडव जलप्रपात मध्य प्रदेश में स्थित एक जलप्रपात है। श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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पिथोरा चित्रकला

पिथोरा चित्रकला पिथोरा चित्रकला एक प्रकार की चित्रकला है। मध्य प्रदेश के पिथोरा क्षेत्र मे इस कला का उद्गम स्थल माना जाता है। इस कला के विकास में भील जनजाति के लोगों का योगदान उल्लेखनीय है। इस कला में पारम्परिक रंगों का प्रयोग किया जाता था। प्रायः घरों की दीवारों पर यह चित्रकारी की जाती थी परन्तु अद्यतन समय में यह कागजों, केन्वस, कपड़ों आदि पर की जाने लगी है। यह चित्रकला बड़ोदा से ९० किलोमीटर पर स्थित तेजगढ़ ग्राम (मध्य गुजरात) में रहने वाली राठवा, भील व नायक जनजाति के लोगों द्वारा दीवारों पर बनाई जाती है। इसके अतिरिक्त बड़ोदा जिले के तेजगढ़ व छोटा नागपुर ताल्लुक के आसपास भी पिथोरा चित्रकला घरों की तीन भीतरी दीवारों में काफी संख्या में वहां रहने वाले जनजातीय लोगों के घरों में देखी जा सकती हैं। पिथोरा चित्रकला का इन जनजातीय लोगों के जीवन में विशेष महत्व है तथा उनका यह मानना है कि इस चित्रकला को घरों की दीवारों पर चित्रित करने से घर में शान्ति, खुशहाली व सौहार्द का विकास होता है। पिथोरा चित्रकला का चित्रण राठवा जाति के लोग ही सबसे अधिक करते हैं तथा अत्यन्त ही साधारण स्तर के किन्तु धार्मिक लोग होते हैं। इनके लिए पिथोरा बाबा अति विशिष्ठ व पूजनीय होते हैं। इस चित्रकला के चित्रण में ये लोग बहुत धन लगाते हैं तथा जो अपने घर में अधिकाधिक पिथोरा चित्र रखते हैं वे समाज में अति सम्माननीय होते हैं। पिथोरा चित्रकार को लखाड़ा कहा जाता है तथा जो इन चित्रकलाओं का खाता रखते हैं उन्हें झोखरा कहा जाता है। सर्वोच्च पद पर आसीन जो पुजारी धार्मिक अनुष्ठान करवाता है उसे बडवा या अध्यक्ष पुजारी कहते हैं। सामान्यत: लखाड़ा किसान होते हैं। इस् चित्रकला का चित्रण केवल पुरुष ही कर सकते हैं। खातों की देखरेख के अतिरिक्त लखाड़ा सामान्य चित्रण जैसे रंग भरने का कार्य ही पिथोरा चित्रकारों में शामिल होकर कर सकते हैं। वरिष्ठ कलाकारों के मार्गदर्शन में लखाड़ा अच्छे चित्रकार बन जाते हैं। महिलाओं के लिए पिथोरा चित्रण निषेध है। .

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पिपरिया

पिपरिया से निम्नलिखित स्थानों का बोध होता है-.

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पवा जलप्रपात

पवा जलप्रपात मध्य प्रदेश मे स्थित एक जलप्रपात है। श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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पंचवटी

पंचवटी के निम्नलिखित अर्थ हो सकते हैं- स्थान.

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पुरापाषाण काल

पुरापाषाण काल (अंग्रेजी Palaeolithic) प्रौगएतिहासिक युग का वह समय है जब मानव ने पत्थर के औजार बनाना सबसे पहले आरम्भ किया। यह काल आधुनिक काल से २५-२० लाख साल पूर्व से लेकर १२,००० साल पूर्व तक माना जाता है। इस दौरान मानव इतिहास का ९९% विकास हुआ। इस काल के बाद मध्यपाषाण युग का प्रारंभ हुआ जब मानव ने खेती करना शुरु किया था। भारत में पुरापाषाण काल के अवशेष तमिल नाडु के कुरनूल, कर्नाटक के हुँस्न्गी, ओडिशा के कुलिआना, राजस्थान के डीडवानाके श्रृंगी तालाब के निकट और मध्य प्रदेश के भीमबेटका में मिलते हैं। इन अवशेषो की संख्या मध्यपाषाण काल के प्राप्त अवशेषो से बहुत कम है। इस काल को जलवायु परिवर्तन तथा उस समय के पत्थर के हथियारो तथा औजारो के प्रकारों के आधार पर निम्न तीन भागों में विभाजित किया गया है:- .

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पुरुषोत्तम नागेश ओक

पुरुषोत्तम नागेश ओक, (जन्म: 2 मार्च, 1917-मृत्यु: 7 दिसंबर, 2007), जिन्हें पी०एन० ओक के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय इतिहास लेखक थे। .

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पुरुषोत्तम अग्रवाल

पुरुषोत्तम अग्रवाल हिंदी के एक प्रमुख आलोचक, कवि, चिन्तक और कथाकार हैं। .

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पुरूजीत

पुरूजीत कुन्तिभोज नामक देश का राजा था। ये स्थान आज के मध्य प्रदेश में है। वह कुंती का भाई था और पाण्डवों का मामा। कुरुक्षेत्र के युद्ध में पुरूजीत ने पाण्डवों कि ओर से युद्ध किया और अपने पुत्रों के साथ कई कौरव योद्धाओं को परास्त किया। तीनों भाईयों, पुरूजीत, धृष्टकेतु और वृहद्क्षत्र का वध चौदहवें दिन के युद्ध में द्रोणाचार्य के हाथों हुआ। अन्य कैकेय बंधु अपने अन्य भाईयों द्वारा मारे गए जो कौरव सेना की ओर से युद्ध कर रहे थे। .

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पुलिंद

भारतीय उपमहाद्वीप में रामायण-महाभारत से सम्बंधित स्थल: पुलिंदों के इलाक़े की तरफ़ ध्यान दें जो विंध्य पर्वत क्षेत्र के पास (नक़्शे के बीच में) स्थित है पुलिंद भारतीय उपमहाद्वीप के मध्य भाग में स्थित विंध्य पर्वतों के क्षेत्र में बसने वाले एक प्राचीन क़बीले और जनजाति का नाम था। सन् २६९ ईसापूर्व से २३१ ईसापूर्व तक सम्राट अशोक द्वारा शिलाओं पर तराशे गए आदेशों में पुलिंदों का, उनकी पुलिंदनगर नामक राजधानी का और उनके पड़ोसी क़बीलों का ज़िक्र मिला है। इस से इतिहासकार यह अंदाज़ा लगते हैं कि संभवतः उनकी राजधानी भारत के आधुनिक मध्य प्रदेश राज्य के जबलपुर ज़िले के क्षेत्र में रही होगी। कुछ विद्वानों का समझना है कि वर्तमान बुंदेलखंड इलाक़े का नाम "पुलिंद" शब्द का परिवर्तित रूप है, हालांकि इस तर्क पर विवाद जारी है। ऐतिहासिक स्रोतों में पुलिंदों का विंध्य प्रदेश के साथ साफ़ सम्बन्ध दिखता है, लेकिन उनके कबीले की शाखाएँ हिमालय क्षेत्र और असम तक फैली हुई थीं। हिमालय के क्षेत्र में उन्हें किरात नामक जनजाति से सम्बंधित समझा जाता था। .

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पुष्पगिरि जैन तीर्थ

पुष्पगिरि जैन तीर, मध्य प्रदेश में इंदौर-भोपाल मार्ग पर सोनकच्छ से चार किलोमीटर दूर जैन धर्म के प्राचीन स्थल पर नवनिर्मित एक ऐसा जैन तीर्थ-स्थल है जो कोलाहल एवं प्रदूषण की दुनिया से बहुत दूर है। इस तीर्थस्थल के प्रणेता आचार्य श्री पुष्पदंतसागरजी और तरुणसागर हैं। .

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पुष्पेन्द्र नाथ पाठक

पुष्पेन्द्र नाथ पाठक मध्य प्रदेश विधान सभा के सदस्य हैं। वो मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव, २०१३ के लिए चुने गये। .

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पुस्तक:भारत

;मुख्य लेख;नामोत्पत्ति;इतिहास;सरकार;भारत के राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश;भूगोल्;अर्थव्यवस्था श्रेणी:विकिपीडिया पुस्तकें श्रेणी:विकिपीडिया पुस्तकें (भारत).

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प्याज

हरीप्याज प्याज प्याज़ एक वनस्पति है जिसका कन्द सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत में महाराष्ट्र में प्याज़ की खेती सबसे ज्यादा होती है। यहाँ साल मे दो बार प्याज़ की फ़सल होती है - एक नवम्बर में और दूसरी मई के महीने के क़रीब होती है। प्याज़ भारत से कई देशों में निर्यात होता है, जैसे कि नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, इत्यादि। प्याज़ की फ़सल कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश जैसी जगहों पर अलग-अलग समय पर तैयार होती है। विश्व में प्याज 1,789 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में उगाई जाती हैं, जिससे 25,387 हजार मी.

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प्रतापगढ़ (राजस्थान) की संस्कृति

सीतामाता मंदिर के सामने एक मीणा आदिवासी: छाया: हे. शे. हालाँकि प्रतापगढ़ में सभी धर्मों, मतों, विश्वासों और जातियों के लोग सद्भावनापूर्वक निवास करते हैं, पर यहाँ की जनसँख्या का मुख्य घटक- लगभग ६० प्रतिशत, मीना आदिवासी हैं, जो राज्य में 'अनुसूचित जनजाति' के रूप में वर्गीकृत हैं। पीपल खूंट उपखंड में तो ८० फीसदी से ज्यादा आबादी मीणा जनजाति की ही है। जीवन-यापन के लिए ये मीना-परिवार मूलतः कृषि, मजदूरी, पशुपालन और वन-उपज पर आश्रित हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट-संस्कृति, बोली और वेशभूषा रही है। अन्य जातियां गूजर, भील, बलाई, भांटी, ढोली, राजपूत, ब्राह्मण, महाजन, सुनार, लुहार, चमार, नाई, तेली, तम्बोली, लखेरा, रंगरेज, रैबारी, गवारिया, धोबी, कुम्हार, धाकड, कुलमी, आंजना, पाटीदार और डांगी आदि हैं। सिख-सरदार इस तरफ़ ढूँढने से भी नज़र नहीं आते.

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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प्रतीक भारद्वाज

प्रतीक भारद्वाज (जन्म: १५ जनवरी, १९८९) एक भारतीय उद्यमी हैं। वह संयुक्त रोजगार परीक्षा के पूर्व निदेशक एवं सचिव और लीडर्सप्रो लर्निंग नामक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। .

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प्रदेश

यह लेख शासन/स्थान सम्बन्धित प्रदेश हेतु लिखा है। हिन्दू लम्बाई गणना की इकाई प्रदेश हेतु देखें: प्रदेश (इकाई) भारत में शासन के लिये द्वितीय स्तर (राष्ट्र के नीचे) की इकाई को प्रदेश या प्रांत कहा जाता है। इस शब्द का चलन भारत के आंग्लकृत एकीकरण के बाद (अतएव स्वतंत्र भारत में भी) हुआ। हालाँकि संविधान व अन्य शासकीय पत्रों में "राज्य" शब्द ज्यादा प्रयुक्त होता है। यह शब्द कई राज्यों के नामों में भी जुड़ा हुआ है। उदाहरणतया ‍मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, अरुणांचल प्रदेश आदि। यह भी देखें:- भारत के प्रान्त सबस्टब देखें.

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प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना

'प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना एक योजना है इसका उद्देश्य देश के विभिन्न भागों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सभी के लिए सामान रूप से उपलब्ध करवाना है ' इस योजना के अंतर्गत देश के पिछड़े राज्यों में चिकित्सा शिक्षा को बेहतर करने हेतु सुविधाएँ उपलब्ध करवाने का लक्ष्य निर्धारित है। इस योजना को मार्च 2006 में मंजूरी दी गई थी। .

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प्रभा साक्षी

प्रभा साक्षी भारत का हिन्दी भाषा का एक समाचार वेबसाइट है। इसके पाठक उत्तरी भारत के राज्यों जैसे बिहार, चण्डीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश आदि के हिदीभाषी हैं। द्वारिकेश इन्फार्मेटिक्स लिमिटेड इसके स्वामी है। .

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प्रभात पट्टन

प्रभात पट्टन भारत के मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल जिले की प्रमुख तहसील है। इसका प्राचीन नाम प्रबलपुर है। इसके उत्तर में ताप्ती नदी का पवित्र उद्गम स्थल मुलताई है एवं दक्षिण में महाराष्ट्र राज्य का अमरावती जिले की वरूड तहसील स्थित है एवं पूर्व में पांडुरना तहसील स्थित है। यह प्राचीन काल से ही कला एवं संस्कृति का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां की कुल आबादी 20000 है। यहां पर अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के कारण इसे वीरों की नगरी भी कहा जाता है। यहां हिंदू तथा मुस्लिम धर्म के प्रमुख सांस्कृतिक एवं धार्मिक स्थल है। यहां बैतूल जिले की प्रमुख शिक्षा केंद्र डाइट एवं जवाहर नवोदय विद्यालय स्थित है। .

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प्रभाष जोशी

प्रभाष जोशी (जन्म १५ जुलाई १९३६- निधन ५ नवंबर २००९) हिन्दी पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक थे। वे राजनीति तथा क्रिकेट पत्रकारिता के विशेषज्ञ भी माने जाते थे। दिल का दौरा पड़ने के कारण गुरुवार, ५ नवम्बर २००९ मध्यरात्रि के आसपास गाजियाबाद की वसुंधरा कॉलोनी स्थित उनके निवास पर उनकी मृत्यु हो गई। .

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प्रभाकर श्रोत्रिय

डॉ॰ प्रभाकर श्रोत्रिय (जन्म १९ दिसम्बर १९३८) हिन्दी साहित्यकार, आलोचक तथा नाटककार हैं। हिंदी आलोचना में प्रभाकर श्रोत्रिय एक महत्वपूर्ण नाम है पर आलोचना से परे भी साहित्य में उनका प्रमुख योगदान रहा है, खासकर नाटकों के क्षेत्र में। उन्होंने कम नाटक लिखे पर जो भी लिखे उसने हिंदी नाटकों को नई दिशा दी। पूर्व में मध्यप्रदेश साहित्य परिषद के सचिव एवं 'साक्षात्कार' व 'अक्षरा' के संपादक रहे हैं एवं विगत सात वर्षों से भारतीय भाषा परिषद के निदेशक एवं 'वागर्थ' के संपादक पद पर कार्य करने के साथ-साथ वे भारतीय ज्ञानपीठ नई दिल्ली के निदेशक पद पर भी कार्य कर चुके हैं। वे अनेक महत्वपूर्ण संस्थानों के सदस्य हैं। .

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प्रभु जोशी

प्रभु जोशी प्रभु जोशी, हिन्दी कवि, लेखक, कथाकार एवं विचारक हैं। .

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प्रहलाद सिंह पटेल

प्रहलाद सिंह पटेल (जन्म: २८ जून १९६०) भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के दमोह से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। इसके पूर्व वे अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमण्डल में कोयला राज्यमंत्री रह चुके हैं। प्रह्लाद सिंह पटेल ने १९९९ में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मध्य प्रदेश के बालाघाट से लोकसभा का चुनाव जीता था। वे पेशे से अधिवक्ता हैं। वे असंगठित मजदूर संघ' के अध्यक्ष तथा बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। यह मध्य प्रदेश के प्रभावी नेतृत्व व वक्ता है, उनका जन्म १९६० में गोटेगाँव में हुआ था। .

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प्राकाश चंद्र सेठी

प्राकाश चंद्र सेठी एक भारतीय राजनेता है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। श्रेणी:मध्य प्रदेश श्रेणी:मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रेणी:मुख्यमंत्री श्रेणी:राजनीतिज्ञ.

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प्रजनन दर के आधार पर भारत के राज्य

भारत के राज्यों की यह सूची प्रति महिला पर होने बाले बच्चों के आधार पर है। इस अध्ययनानुसार सात भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश, गोआ, तमिल नाडु, हिमाचल प्रदेश, केरल, पंजाब और सिक्किम अब भारत के जनसंख्या विस्फोट में भागीदार नहीं हैं। वस्तुतः यदि जनसंख्या प्रजनन दर की यही प्रवृत्ति जारी रहती है तो आंध्र प्रदेश, गोआ, तमिल नाडु, हिमाचल प्रदेश और केरल की जनसंख्या में आने वाले दशकों में गिरावट आएगी। रोचक रूप से, दक्षिण भारत के चारों राज्यों, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु, केरल और कर्णाटक में जन्म दर निर्णायक २ बहुत कम है कर्णाटक को छोड़कर जहाँ भी यह दर २.१ ही है। यह जानकारी एन॰एफ॰एच॰एस-३ से संकलित की गई थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण व्यापक-पैमाने, बहु-दौरीय सर्वेक्षण है जो अन्तर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आई॰आई॰पी॰एस), मुंबई द्वारा कराया जाता है जो परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट है। एन॰एफ॰एच॰एस-३ ११ अक्टूबर २००७ को जारी किया गया था और पूरा सर्वेक्षण इस वेबसाइट पर देखा जा सकता है। .

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प्रवीण तिवारी

डॉ.प्रवीण तिवारी वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं। प्रवीण तिवारी लाइव इंडिया पत्रिका के मुख्य संपादक और इसी नाम के हिंदी समाचार चैनल के संपादक रह चुके हैं। राजनीतिक कॉर्टून पर उनके शोधकार्य (पीएचडी) को किसी भी शोधकर्ता द्वारा इस विषय पर पहले कार्य के रूप में चिह्नित करते हुए ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड’ और ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में दर्ज किया जा चुका है।प्रवीण तिवारी इन दिनों दूरदर्शन के लिए स्वामी विवेकानंद के विचारों पर आधारित 'अवेकेनिंग इंडिया शो' कर रहे हैं। .

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प्रवीर चंद्र भंज देव

प्रवीर चंद्र भंज देव (२५ जून १९२९ -- २५ मार्च १९६६) प्रथम ओड़िया शासक तथा बस्तर के २०वें महाराजा थे। वे जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए संघर्ष करते रहे। १९६६ में मध्य प्रदेश की सरकार ने उन्हें मार डाला । अविभाजित मध्य प्रदेश में वे १९५७ में जगदलपुर विधान सभा से चुने गये थे। राजा प्रवीर चंद भंजदेव का ग्रामीणों से आत्मीय संबंध था, इसलिए आज भी ग्रामीण उनकी तस्वीरों को अपने घरों में मां दंतेश्वरी के साथ रखना पसंद करते हैं। वे बस्तर के अन्तिम काकतीय राजा थे। उनकी शिक्षा रायपुर के राजकुमार महाविद्यालय में हुई थी। २८ अक्टूबर १९३६ को उनका राज्याभिषेक हुआ था। .

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प्रकाश जावड़ेकर

प्रकाश जावड़ेकर (जन्म 30 जनवरी 1951) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पदासीन केंद्रीय मंत्री (एमएचआरडी) हैं। इन्हें 2008 में महाराष्ट्र से संसद के एक सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया गया था, और 2014 में मध्य प्रदेश से फिर से निर्वाचित किया गया। 2014 भारतीय आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के लिए राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया था। .

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प्रीति दुबे

प्रीति दुबे (जन्म: 13 जून 1998) एक भारतीय हॉकी खिलाड़ी हैं। यह भारतीय महिला हॉकी टीम में हैं और 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भाग भी लिया था। यह अब तक 19 अंतरराष्ट्रीय टोपी प्राप्त कर चुकी हैं और 5 गोल भी दागे हैं। .

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पृथ्वीराज चह्वाण

पृथ्वीराज चह्वाण (पृथ्वीराज चव्हाण) को भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में विज्ञान एवं तकनीकी, भू विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, जनशिकायत, पेंशन एवं संसदीय कार्य में मंत्री बनाया गया है। .

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पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज चौहान (भारतेश्वरः पृथ्वीराजः, Prithviraj Chavhan) (सन् 1178-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में १२ वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर (अजयमेरु) और दिल्ली पर राज्य करते थे। वे भारतेश्वर, पृथ्वीराजतृतीय, हिन्दूसम्राट्, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा इत्यादि नाम से प्रसिद्ध हैं। भारत के अन्तिम हिन्दूराजा के रूप में प्रसिद्ध पृथ्वीराज १२३५ विक्रम संवत्सर में पंद्रह वर्ष (१५) की आयु में राज्य सिंहासन पर आरूढ हुए। पृथ्वीराज की तेरह रानीयाँ थी। उन में से संयोगिता प्रसिद्धतम मानी जाती है। पृथ्वीराज ने दिग्विजय अभियान में ११७७ वर्ष में भादानक देशीय को, ११८२ वर्ष में जेजाकभुक्ति शासक को और ११८३ वर्ष में चालुक्य वंशीय शासक को पराजित किया। इन्हीं वर्षों में भारत के उत्तरभाग में घोरी (ग़ोरी) नामक गौमांस भक्षण करने वाला योद्धा अपने शासन और धर्म के विस्तार की कामना से अनेक जनपदों को छल से या बल से पराजित कर रहा था। उसकी शासन विस्तार की और धर्म विस्तार की नीत के फलस्वरूप ११७५ वर्ष से पृथ्वीराज का घोरी के साथ सङ्घर्ष आरंभ हुआ। उसके पश्चात् अनेक लघु और मध्यम युद्ध पृथ्वीराज के और घोरी के मध्य हुए।विभिन्न ग्रन्थों में जो युद्ध सङ्ख्याएं मिलती है, वे सङ्ख्या ७, १७, २१ और २८ हैं। सभी युद्धों में पृथ्वीराज ने घोरी को बन्दी बनाया और उसको छोड़ दिया। परन्तु अन्तिम बार नरायन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज की पराजय के पश्चात् घोरी ने पृथ्वीराज को बन्दी बनाया और कुछ दिनों तक 'इस्लाम्'-धर्म का अङ्गीकार करवाने का प्रयास करता रहा। उस प्रयोस में पृथ्वीराज को शारीरक पीडाएँ दी गई। शरीरिक यातना देने के समय घोरी ने पृथ्वीराज को अन्धा कर दिया। अन्ध पृथ्वीराज ने शब्दवेध बाण से घोरी की हत्या करके अपनी पराजय का प्रतिशोध लेना चाहा। परन्तु देशद्रोह के कारण उनकी वो योजना भी विफल हो गई। एवं जब पृथ्वीराज के निश्चय को परिवर्तित करने में घोरी अक्षम हुआ, तब उसने अन्ध पृथ्वीराज की हत्या कर दी। अर्थात्, धर्म ही ऐसा मित्र है, जो मरणोत्तर भी साथ चलता है। अन्य सभी वस्तुएं शरीर के साथ ही नष्ट हो जाती हैं। इतिहासविद् डॉ.

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पूर्वांचल

उत्तर प्रदेश के क्षेत्र पूर्वांचल उत्तर-मध्य भारत का एक भौगोलिक क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश के पूर्वी छोर पर स्थित है। यह उत्तर में नेपाल, पूर्व में बिहार, दक्षिण मे मध्य प्रदेश के बघेलखंड क्षेत्र और पश्चिम मे उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र द्वारा घिरा है। इसे एक अलग राज्य बनाने के लिए लंबे समय राजनीतिक मांग उठती रही है। वर्तमान में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व उत्तर प्रदेश विधानसभा में 117 विधायकों द्वारा होता है तो वहीं इस क्षेत्र से 23 लोकसभा सदस्य चुने जाते हैं। पूर्वांचल के मुख्यतः तीन भाग हैं- पश्चिम में पूर्वी अवधी क्षेत्र, पूर्व में पश्चिमी-भोजपुरी क्षेत्र और उत्तर में नेपाल क्षेत्र। यह भारतीय-गंगा मैदान पर स्थित है और पश्चिमी बिहार के साथ यह दुनिया में सबसे अधिक घनी आबादी वाला क्षेत्र है। उत्तर प्रदेश के आसपास के जिलों की तुलना में मिट्टी की समृद्ध गुणवत्ता और उच्च केंचुआ घनत्व के कारण कृषि के लिए अनुकूल है। भोजपुरी क्षेत्र में प्रमुख भाषा या बोली है। हालाँकि इस क्षेत्र में हिंदी और भोजपुरी के अलावा अवधी तथा बघेलखंडी पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में बोली जाती हैं।। 1991 में उत्तर प्रदेश की सरकार ने पूर्वांचल विकास निधि की स्थापना की जिसका उद्देश्य था क्षेत्रीय विकास परियोजनाओं के लिये धन इकट्ठा करना जिससे भविष्य में संतुलित विकास के जरिए स्थानीय जरूरतों को पूरा करते हुए क्षेत्रीय असमानताओं का निवारण हो सके। .

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पूर्वी प्रान्त, सउदी अरब

गर्मी के मौसम में हफ़र अल-बातिन शहर में रेत का तूफ़ान पूर्वी प्रान्त, जिसे औपचारिक अरबी में मिन्तक़ाह​ अश​-शर्क़ीयाह कहते हैं, सउदी अरब का सबसे बड़ा प्रान्त है। सउदी अरब का अधिकतर खनिज तेल इसी प्रान्त में निकाला जाता है। इस प्रान्त में सउदी राजवंश के खिलाफ़ सक्रीय भावनाएँ रहीं हैं और कुछ उपद्रव हुए हैं। इस प्रान्त में भारी शिया आबादी है जो अक्सर सउदी अरब की सख़्त वहाबी सुन्नी विचारधारा से असंतुष्ट रही है।, Pepe Escobar, 6 अप्रैल 2012, Asia Times Online, Accessed 6 अप्रैल 2012 यहाँ के कुछ क्षेत्रों में तो शियाओं की भारी बहुसंख्या है, मसलन क़तीफ़ शहर में, जहाँ ७५% लोग शिया हैं।, Mai Yamani, Contemporary Arab Affairs, Volume 2, Issue 1, 2009, Page 90-105, Accessed 11 अप्रैल 2012,...

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पूर्वी भारत

पूर्वी भारत, में भारत के पूर्व के क्षेत्र आते हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार एवं झारखंड राज्य शामिल हैं। यहां बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, बांग्ला, उड़िया, उर्दु तथा मैथिली आती हैं। यहां के बड़े शहरों में कोलकाता, भुवनेश्वर, पटना, कटाक, रांची, राउरकेला हैं। .

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पेटलावद

पेटलावद मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में स्थित एक कस्बा और नगर पंचायत है। यह कस्बा सितम्बर २०१५ को हुए एक भयंकर विस्फोट के कारण चर्चा में आया था जिसमें १०० से भी अधिक लोग मारे गये थे। यह मालवा क्षेत्र के अन्तर्रगत आता है। प्रमुख रेलवे स्टेशन बामनीया है जो पेटलावद से 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित है! श्रेणी:झाबुआ जिला.

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पेटलावद धमाका

पेटलावद धमाका 12 सितंबर 2015 की सुबह को झाबुआ जिले के पेटलावद नामक नगर में हुआ था। जिसमें लगभग 105 लोगों की मृत्यु हो गई। इसका कारण खाना बनाने के लिए रखे गैस सिलेंडर को बताया गया है। .

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पेँच नदी

पेंच नदी भारत में मध्यप्रदेश राज्य के छिंदवाड़ा जिला की तहसील जुन्नारदेव से लगे सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के दक्षिण पठार से इसका उद्गम होता है दक्षिण - पूर्वी सीमा पर इसमें तीव्र मोड़ आता है और यह दक्षिण की ओर मुड़ जाती हैँ। नदी का बहाव तेज होने के कारण बरसात के समय यह नदी उग्र रूप धारण कर लेती हैँ जिससे यह एक बडी नदीयो के समान इसकी भव्यता देखते ही बनती है कुलबेहरा नदी इसकी सहायक नदी हैँ। पेंच नदी परासिया, छिंदवाडा, माचागोरा बाँध से होते हुए झिलमीली, चाँद पहुचती है चाँद से कुछ किलोमीटर की दूरी पर कुलबेहरा नदी पेंच नदी से मिल जाती हैँ इन दोनो नदीयो के संगम से पेंच नदी का आकार ओर बड़ जाता हैँ आगे यह नदी सिवनी जिला के पेंच राष्ट्रीय उद्यान से होते हुए महाराष्ट्र नागपुर के तोतलाडोह बाँध से होते हुये यह नदी कन्हान नदी में मिल जाती है कन्हान, पेंच तथा बावनथडी वैनगंगा नदी की सहायक नदी है। यह नदी आगे जाकर गोदावरी नदी मे मिल जाती हैँ। इस प्रकार इस नदी पर 2 बाँध बने हुये हैँ। .

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पेयजल उपलब्धता के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

इस सूची में भारत के राज्य और केन्द्र-शासित प्रदेश पीने योग्य जल की उपलब्धता के आधार पर क्रमबद्ध हैं। यह सूची भारत सरकार द्वारा प्रकाशित 2011 भारत की जनगणना प्रतिवेदन से ली गई है। इस सूची में क्रम-स्थिति प्रतिशत के आधार पर है। इस सूची में पंजाब 97.6% घरों तक पीने योग्य जल की उपलब्धता के साथ सबसे ऊपर है जबकि बिहार 33.5% के साथ सबसे नीचे। राष्ट्रीय औसत 85.5% है। .

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पेंच राष्ट्रीय उद्यान

पेंच राष्ट्रीय उद्यान भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं। यह मध्य प्रदेश के सिवनी और छिन्दवाड़ा जिलों में स्थित है। .

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पी. सी. शर्मा

डॉ० प्रकाश चन्द शर्मा (जन्म: १ जुलाई, १९६२) एक प्रशासनिक अधिकारी, लेखक एवं चिकित्सक हैं। वें स्वास्थ्य मंत्रालय के आयुष विभाग के डिप्टी डायरेक्टर हैं। आयुर्विज्ञान पर इनकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। सन २००८ में धन्वंतरि सम्मान और सन २०१६ में सिंहस्थ सेवा सम्मान द्वारा सम्मानित हैं। .

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पीथमपुर

पीथमपुर, मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित एक औद्योगिक नगर है। यहाँ का विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) भारत में सबसे बड़ा है। यह इन्दौर से लगभग २५ किमी की दूरी पर है। यहा लगभग १५०० कम्पनिय स्थित है।यहाँ लगभग १५०० कम्पनियाँ स्थित हैं। इनके साथ साथ यहाँ रहने के लिये आवासीय क्षेत्र भी हैं जिनमें हाउसिंग बोर्ड, इण्डस टाउन, छत्र छाया तथा इण्डोरमा सबसे प्रमुख हैं। .

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पीपा क्षत्रिय

पीपा क्षत्रिय राजपूत मूलतः राजस्थान तथा भारत के अन्य राज्यों जैसे की गुजरात और मध्य प्रदेश इत्यादि के निवासी हैं। पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के अनुसार उनका उद्भव राजपूत (प्रथम उच्चतम जाति / योद्धा) या क्षत्रिय वर्ण से ही हैं। राजा प्रताप राव खींची चौहान को जगतगुरु रामानंद संप्रदाय के रामानंद जी ने अपना शिष्य बनाया था जब से उनका नाम संत पीपा हो गया संत पीपा राजपाट त्याग करके धर्म की रक्षा के लिए संत बन गए थे और पीपा जी के अनुयाई राजपूत राजाओं ने पीपाजी महाराज को अपना गुरु माना वही समुदाय आज विख्यात है पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के के नाम से यह समुदाय राजपूतों का अहिंसक समुदाय है धर्म की रक्षा के लिए राजपूत राजाओं ने राजपाट को त्याग कर के अहिंसक जीवन यापन करने का मार्ग को चुना और आज भी यह समुदाय किसी भी प्रकार का हिंसा का कार्य नहीं करता है मांस एवं मदिरा का उपयोग यह राजपूत समुदाय जो पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के नाम से विख्यात है यह लोग नहीं करते यह अहिंसक राजपूत हैं .

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पीयूष त्रिवेदी

पीयूष त्रिवेदी (પિયુષ ત્રિવેદી, Piush Trivedi) (born 10 July 1992).एक भारतीय पत्रकार और आशा न्यूज़ के हिंदी पत्रकार हैं। .

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पीयूष मिश्रा

पीयूष मिश्रा (जन्म १३ जनवरी १९६३) एक भारतीय नाटक अभिनेता, संगीत निर्देशक, गायक, गीतकार, पटकथा लेखक हैं। मिश्रा का पालन-पोषण ग्वालियर में हुआ और १९८६ में उन्होंने दिल्ली स्थिति नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने मकबूल, गुलाल, गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फ़िल्मों में गाने गाये हैं। .

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फग्गन सिंह कुलस्ते

फग्गन सिंह कुलस्ते भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के मण्डला से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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फ्लोरस्पार

नीले फ्लोराइट के क्रिस्टल फ्लोरस्पार (Fluorspar) या फ्लोराइट (Ca F2) हल्के हरे, पीले या बैंगनी रंग में तथा अधिकतर घन आकृति में मिलता है। इसकी चमक काच के समान होती है। कठोरता 4 तथा आपेक्षिक घनत्व 3.2 है। इस खनिज का विशेष गुण है प्रतिदीप्ति (Fluorescence)। कम ताप पर पिघलने के कारण इस खनिज का उपयोग लोह उद्योग में मल को बहाकर निकालने के लिए होता है। विश्व का लगभग तीन प्रतिशत फ्लोराइट चीनी मिट्टी उद्योग में प्रयुक्त होता है। इसके अतिरिक्त फ्लोराइट का उपयोग बहुत से रासायनिक पदार्थ, जैसे हाइड्रोफ्लोरिक एसिड आदि बनाने के काम में होता है। भारत में यद्यपि यह खनिज अल्प मात्रा में बिहार, राजस्थान आदि प्रदेशों की शिलाओं में विद्यमान है, तथापि इसके आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण निक्षेप मध्य प्रदेश में डोंगरगढ़ से 14 मील की दूरी पर है। यहाँ 60 फुट की गहराई तक इस खनिज का भंडार एक लाख टन से अधिक अनुमानित किया गया है। .

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फूल (मिश्रधातु)

प्यूटर की प्लेट फूल वंग (टिन्) और सीस (लेड) की मिश्रधातु है, पर इसमें कभी-कभी ताँबा या पीतल भी मिला रहता है। यह धातु उजली औ स्वच्छ चाँदी के रंग की हीती है और इसमें रखने से दही या और खट्टी चाजें नहीं बिगड़ती। भारत, चीन, मिस्र और यूनान आदि देशों को 'फूल' और कस्कुट आदि धातुओं ज्ञान बहुत प्राचीन काल से है और प्राचीन खंडहरों की खुदाई में इनके पात्र, हथियार और मूर्तियाँ पाई गई हैं। पाश्चात्य देशों में फूल से मिलती जुलती मिश्रधातु को प्यूटर (Pewter) कहते हैं। एक समय फूल के पात्रों का उपयोग प्रतिष्ठासूचक समझा जाता था और इनका निर्माण अनेक देशों और नगरों में होता था। भारत में फूल का अस्तित्व पीतल से पुराना है। यहाँ इसका उत्पादन व्यापक रूप से होता था, पर आज स्टेनलेस स्टील के बनने के कारण इसका उत्पादन बहुत कम हो गया है और दिन प्रतिदिन कम हो रहा है। गाँवों में भी फूल के बरतनों का विशेष प्रचलन है और भारत के अनेक राज्यों, जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और बंगाल में इसका उत्पादन होता है। .

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बच

बच बच (वानस्पतिक नाम:Acorus calamus) एक बारहमासी पौधा है जिसकी शाखायें बहुत विस्तृत होती है। पत्तियाँ रेखाकार, लंबी मोटी व मध्य शिरा युक्त होती है और 0.7 से 1.7 से.मी.

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बटेश्वर हिन्दू मंदिर, मध्य प्रदेश

बटेश्वर हिन्दू मंदिर, मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में लगभग २०० बलुआ पत्थर से बने हिंदू मंदिरों है,ये मंदिर समूह उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला की शुरुआती गुर्जर-प्रतिहार शैली के मंदिर समूह हैं। यह ग्वालियर के उत्तर में लगभग ३५ किलोमीटर (२२ मील) और मुरैना शहर से लगभग ३० किलोमीटर (१९ मील) है। मंदिरों में ज्यादातर छोटे हैं और लगभग 25 एकड़ (10 हेक्टेयर) में फैले हुए हैं। वे शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित हैं - हिंदू धर्म के भीतर तीन प्रमुख परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह स्थल चंबल नदी घाटी के किले के भीतर है, इसकी प्रमुख मध्ययुगीन युग विष्णु मंदिर के लिए जाना जाता पदावली के निकट एक पहाड़ी के उत्तर-पश्चिमी ढलान पर है। बटेश्वर मंदिर ८ वीं और १० वीं शताब्दी के बीच बनाए गए थे। जिन मंदिरों के रूप में वे अब दिख रहे हैं, वे कई मामलों में २००५ में भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा शुरू की गई एक परियोजना में, खंडहर के पत्थरों से पुनर्निर्मित हुए हैं। .

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बड़नगर

बड़नगर मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित एक नगर एवं नगरपालिका है। .

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बड़वानी

बड़वानी, मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले का मुख्यालय और नगरपालिका है।यह नगर नर्मदा नदी के बाँए किनारे पर स्थित है। पहले यह बड़वानी रियासत की राजधानी था। यहाँ जाने के लिए केवल सड़क मार्ग से ही जाया जा सकता है। यह एक जैन तीर्थ स्थल भी है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के नगर.

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बड़वानी ज़िला

बड़वानी ज़िला भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। ज़िला मुख्यालय बड़वानी में है। ज़िले का क्षेत्रफल 5,427 किमी² तथा जनसंख्या 1,385,881 (2011 जनगणना) है। यह ज़िला मध्य प्रदेश के दक्षिण पश्चिम में स्थित है, नर्मदा नदी इसकी उत्तरी सीमा बनाती है। सेंधवा इसका प्रसिद्ध नगर है। यह कपास के लिये प्रसिद्ध है। यह एक तहसील भी है। जिले का सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है यहाँ के किले का ऐतिहासिक महत्व है। बड़वानी नगर से 8 किलोमीटर दूर सतपुड़ा की पहाड़ियों में भगवान ऋषभदेव की 84 फ़ीट की एक पत्थर से निर्मित प्रतिमा पहाड़ों से निकली है। जो बावनगजा के नाम से प्रसिद्ध है। तथा यहाँ पर धान उद्यान केंद्र है बड़वानी ज़िले की तहसील:- 1.

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बड़वाह

बड़वाह मध्य प्रदेश के खरगोन जिला में स्थित एक स्थान है। ये जुड़वां शहर नर्मदा के दोनो ओर बसे हैं। उत्तर की ओर बड़वाह तथा दक्षिण की ओर सनावद है। ॐकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के लिये यहां से ही जाना पड़ता है। पुनासा में इंदिरा सागर जल-विद्युत परियोजना जाने क लिये भी सनावद के पास है। बड़वाह से मण्डलेश्वर, महेश्वर तथा धामनोद जाया जा सकता है। विश्वप्रसिद्ध लाल मिर्ची की मण्डी बैड़िया, सनावद के पास है। श्रेणी:खरगोन श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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बड़गांव

बड़गांव भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के कटंगी तहसील का गांव है। जिला - बालाघाट तहसील - कटंगी पिन कोड - ४८१४४५ क्षेत्रफल - ३.५६३ वर्ग कि.मी.

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बदनावर

बदनावर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के धार जिले में स्थित है। बदनावर नाम की उन्नति बुद्ध नगर से हुई जिसे गौतम बुद्ध के नाम पर रखा गया था।बदनावर का पूर्व नाम वर्धमानपुर है। बदनावर में एकवीरा माता जी का मंदिर भी हे जिसे पांडव कालीन के समय का माना गया है, जो पांडव की कुल देवी भी हे। .

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बबिता मांडलिक

बबिता मांडलिक (Babita Mandlik) (जन्म;१८ जुलाई १९८१, इंदौर, मध्यप्रदेश, भारत) एक भारतीय महिला वनडे क्रिकेट खिलाड़ी है जो भारतीय राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम के लिए खेलती है। यह दाहिने हाथ से बल्लेबाजी करती है और दाहिने ही हाथ से मध्यम तेज़ गति से गेंदबाजी भी करती है। इन्होंने अपने कैरियर में तीन एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले है जिसमें इन्होंने ६ रन बनाए हैं। .

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बम्हनी बंजर

बम्हनी बंजर भारतीय राज्य मध्यप्रदेश के मंडला जिले में मण्डला-सिवनी मार्ग पर स्थित एक नगर है। यह जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी की दूरी पर है। साल 2001 के जनगणना आँकड़ों के अनुसार यहाँ की कुल जनसंख्या 19,619 थी। इसे आस पास के गाँव के साथ सम्मिलित रूप से हवेली क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में इसे उप-तहसील का दर्जा प्राप्त है। ‘हवेली’ क्षेत्र के 45-50 गाँवों के केन्द्र बम्हनी बंजर में, जिसे ब्राह्मणी बंजर भी माना जाता है। यहाँ रेलवे स्टेशन भी है जो ब्रॉड गेज परिवर्तन के कारण बंद हो चुका है। .

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बरबाई

बरबाई गाँव मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले का एक गाँव है। यहाँ पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्राँतिकारी नेता राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म हुआ था। .

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बरा

बरा एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है। बरा महिलाओं का एक किस्म का कपड़ा भी है। श्रेणी:पूर्व भारत का खाना श्रेणी:छत्तीसगढ़ी खाना.

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बरघाट

बरघाट भारत के राज्य मध्यप्रदेश के अन्तर्गत सिवनी जिले से 2 2 किलोमीटर राजमार्ग क्रंमाक 26 पर स्थित है सिवनी जिले की एक तहसील मुख्यालय है जो बालघाट रोड पर सिवनी से 22 कि.

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बलराम जाखड़

डॉ॰ बलराम जाखड़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता थे। वो भारत के पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रहने के अलावा मध्यप्रदेश प्रांत के राज्यपाल रह चुके हैं। उनका जन्म पंजाब में 23 अगस्त 1923 को फिरोजपुर जिले के पंचकोसी गाँव में हुआ। उन्होंने राजस्थान के ज़िले सीकर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का लोकसभा में प्रतिनिनित्व किया और सन् 1980 से 10 साल तक लोकसभा अध्यक्ष रहे। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ का ०३/०२/२०१६ को ९३ वर्ष की आयु में देहान्त हो गया। ये लंबे समय से ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी से जूझ रहे थे। .

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बस्तर जिला

बस्तर भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ का एक जिला है। जिले का प्रशासनीक मुख्यालय जगदलपुर है। यहां की कुल आबादी का लगभग 70% भाग जनजातीय है। इसके उत्तर में दुर्ग, उत्तर-पूर्व में रायपुर, पश्चिम में चांदा, पूर्व में कोरापुट तथा दक्षिण में पूर्वी गोदावरी जिले हैं। यह पहले एक देशी रियासत था। इसका अधिकांश भाग कृषि के अयोग्य है। यहाँ जंगल अधिक हैं जिनमें गोंड एवं अन्य आदिवासी जातियाँ निवास करती हैं। जगंलों में टीक तथा साल के पेड़ प्रमुख हैं। यहाँ की स्थानांतरित कृषि में धान तथा कुछ मात्रा में ज्वार, बाजरा पैदा कर लिया जाता है। इंद्रावती यहाँ की प्रमुख नदी है। चित्राकट में कई झरने भी हैं। जगदलपुर, बीजापुर, कांकेर, कोंडागाँव, भानु प्रतापपुर आदि प्रमुख नगर हैं। यहाँ के आदिवासी जंगलों में लकड़ियाँ, लाख, मोम, शहद, चमड़ा साफ करने तथा रँगने के पदार्थ आदि इकट्ठे करते रहते हैं। खनिज पदार्थों में लोहा, अभ्रक महत्वपूर्ण हैं। .

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बहोरीबंद

बहोरीबंद भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के कटनी जिले में एक छोटा क़स्बा और नगर पंचायत है। श्रेणी:कटनी जिलें के गांव/क़स्बे श्रेणी:मध्य प्रदेश की तहसीलें श्रेणी:कटनी ज़िला.

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बाणसागर

बाणसागर मध्य प्रदेश राज्य के शहडोल जिले के देवलोंद नामक स्थान पर निर्मित अंतर्राज्यीय बहुउद्देशीय बृहद नदी घाटी परियोजना है। बाणसागर बान्ध मध्य प्रदेश में सोन नदी पर देवलोंद नामक स्थान पर बनाया गया है जो रीवा से ५४ कि॰मी॰ दूरी पर रीवा-शहडोल सडक पर स्थित है।इस बांध की उचाई 67 मीटर है। श्रेणी:भारत की नदी घाटी परियोजनाएं.

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बाबूलाल गौर

बाबूलाल गौर (जन्म २ जून १९३०में जिला प्रतापगढ उ प्र में हुआ।) एक भारतीय राजनेता है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। इनकी राजनितिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी है।सन 1974 में पहली बार भोपाल दक्षिण से उपचुनाव लङा और विजय हुये।और सन 1977 से गोविन्दपुरा सीट से 7 बार विजय हुये। जाति से यादव है।पर नाम में जोङा नहीं। .

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बारहसिंगा

बारहसिंगा या दलदल का मृग (Rucervus duvaucelii) हिरन, या हरिण, या हिरण की एक जाति है जो कि उत्तरी और मध्य भारत में, दक्षिणी-पश्चिम नेपाल में पाया जाता है। यह पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में विलुप्त हो गया है। बारहसिंगा का सबसे विलक्षण अंग है उसके सींग। वयस्क नर में इसकी सींग की १०-१४ शाखाएँ होती हैं, हालांकि कुछ की तो २० तक की शाखाएँ पायी गई हैं। इसका नाम इन्ही शाखाओं की वजह से पड़ा है जिसका अर्थ होता है बारह सींग वाला।Prater, S. H. (1948) The book of Indian animals.

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बाराँ जिला

बाराँ जिला पश्चिम भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। इसका जिला मुख्यालय बाराँ 3386306 है। संदर्भिका राजस्थान सुजस सन् 1948 में संयुक्त राजस्थान के निर्माण के समय भी बाराँ एक जिला था। 31 मार्च 1949 को राजस्थान का पुनर्निर्माण हुआ और बाराँ जिला मुख्यालय को कोटा जिले का उपखण्ड मुख्यालय बनाया गया। 10 अप्रैल 1991 को पूर्व कोटा जिले से बाराँ जिले का निर्माण किया गया। "'वराह नगरी" बारां चॉदहवी-पन्द्रहवीं शताब्दी में सोलंकी राजपुतों के अधीन था। उस समय इसके अन्तर्गत १२ गाँव आते थे, इसलिए यह नगर बारां कहलाया। बारां समुद्र तल से २६२ मीटर की उँचाई पर कालीसिंध, पार्वती व परवन नदियों के बीच स्थित हॅ। बारां जिला छ: उपखण्डों - बारां, मांगरोल, अटरु, किशनगंज, शाहाबाद एवं छबडा तथा आठ तहसीलों- अंता, बारां, मांगरोल, अटरु, किशनगंज, शाहाबाद छबड़ा एवं छीपाबडॉद में विभाजित हॅ। .

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बाल पोषाहार के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

भारत के राज्यों यह सूची बाल पूरक पोषण कार्यक्रम के प्रभावी कवरेज की स्थिति के आधार पर है। इस सूची के आँकड़े योजना आयोग द्वारा प्रकाशित 2011 समेकित बाल विकास सेवा मूल्यांकन रिपोर्ट से लिए गए हैं। .

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बालाघाट

बालाघाट वैनगंगा नदी की गोद में दक्षिण–पूर्वी मध्यप्रदेश का एक शान्त, सुन्दर शहर। बालाघाट शहर सतपुडा पर्वतमाला के छोर पर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ की त्रिकोणीय सीमा पर बसा है। वैसे तो यह शहर शुद्ध हिन्दी भाषी है, पर यहां कुछ बोलियां भी प्रचलित है। इसके ५०% भाग में जंगल है। यह एक नगरपालिका व बालाघाट जिले का प्रशासकीय मुख्यालय है। माना जाता है की इसे पहले "बूरा" या "बुरहा" के नाम से जाना जाता था और बाद मे इसका नाम बालाघाट पडा परन्तु इस बात का कोई प्रामाणिक स्रोत नही है। .

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बालाघाट लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

बालाघाट लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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बालाघाट ज़िला

बालाघाट भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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बालकृष्ण शर्मा नवीन

बालकृष्ण शर्मा नवीन (१८९७ - १९६० ई०) हिन्दी कवि थे। वे परम्परा और समकालीनता के कवि हैं। उनकी कविता में स्वच्छन्दतावादी धारा के प्रतिनिधि स्वर के साथ-साथ राष्ट्रीय आंदोलन की चेतना, गांधी दर्शन और संवेदनाओं की झंकृतियां समान ऊर्जा और उठान के साथ सुनी जा सकती हैं। आधुनिक हिन्दी कविता के विकास में उनका स्थान अविस्मरणीय है। वे जीवनभर पत्रकारिता और राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े रहे। नवीन जी द्विवेदी युग के कवि हैं। इनकी कविताओं में भक्ति-भावना, राष्ट्र-प्रेम तथा विद्रोह का स्वर प्रमुखता से आया है। आपने ब्रजभाषा के प्रभाव से युक्त खड़ी बोली हिन्दी में काव्य रचना की। उन्हे साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६० में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। .

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बाजीराव मस्तानी (फ़िल्म)

'बाजीराव मस्तानी' एक भारतीय ऐतिहासिक (मराठा युग) रोमांस फ़िल्म है जिसका निर्देशन और निर्माण संजय लीला भंसाली ने किया है। फ़िल्म मराठा साम्राज्य के पेशवा बाजीराव और उसकी दूसरी पत्नी मस्तानी के बारे में बताती है। रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण ने ये दोनों मुख्य किरदार निभाए हैं, प्रियंका चोपड़ा ने बाजीराव की पहली पत्नी का व तन्वी आज़मी ने बाजीराव की माँ का किरदार निभाया है। बाजीराव मस्तानी १८ दिसम्बर २०१५ को रिलीज़ हुई है। .

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बावनथड़ी नदी

भारत के राज्य मध्यप्रदेश के सिवनी जिला से निकलती है तथा दक्षिण की ओर बहती हुई उत्तर -पूर्व दिशा में बालाघाट जिला से होते हुए भण्डारा जिले में प्रवेश करती हैँ। लगभग 46 किलोमीटर तक जिले की उत्तरी सीमा बनाती हुई पूर्व की ओर बहती है यद्यपि नदी छोटी है किन्तु अनेक पहाडी नदीयाँ इसमे आकर मिलती है जिससे इसमें सम्पूर्ण वर्ष जल रहता हैँ। यह नदी अंत में वैनगंगा नदी में मिल जाती हैँ। .

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बावनगजा

बावनगजा मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में स्थित एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ है। यहाँ का मुख्य आकर्षण पहाड़ से काटकर निर्मित प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी की विशाल प्रतिमा है। यह प्रतिमा २६ मीटर ऊँची है। इसका निर्माण १२वीं शताब्दी में हुआ था। यह बड़वानी से ८ किमी की दूरी पर है। .

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बाग की गुफाएँ

बाघ गुफाएं, मध्य प्रदेश में धार जिले से ९७ किलोमीटर दूर विन्ध्य पर्वत के दक्षिणी ढलान पर हैं। कुछ इतिहासकार इन्हें चौथी और पांचवी सदी में निर्मित मानते हैं ! अधिकतर ७ वीं सदी में। बौद्ध धर्म को दर्शाती हुई इन ९ गुफाओं में से केवल ५ ही अभी बची हुई हैं। ये इंदौर और वडोदरा के बीच में बाघिनी नदी के किनारे हैं। इन गुफाओं का संबंध बौद्ध मत से है। यहां अनेक बौद्ध मठ और मंदिर देखे जा सकते हैं। इन गुफाओं में चैतन्य हॉल में स्तूप हैं और रहने की कोठरी भी बनी हैं जहाँ बोद्ध भिक्षु रहा करते थे। अजंता और एलोरा गुफाओं की तर्ज पर ही बाघ गुफाएं बनी हुई हैं। इन गुफाओं में बनी प्राचीन चित्रकारी मनुष्य को हैरत में डाल देती है। इन गुफाओं की खोज 1818 में की गई थी। माना जाता है कि दसवीं शताब्दी में बौद्ध धर्म के पतन के बाद इन गुफाओं को मनुष्य ने भुला दिया था और यहां बाघ निवास करने लगे। इसीलिए इन्हें बाघ गुफाओं के नाम से जाना जाता है। बाघ गुफा के कारण ही यहां बसे गांव को बाघ गांव और यहां से बहने वाली नदी को बाघ नदी के नाम से जाना जाता है। .

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बाग, मध्य प्रदेश

बाग, मध्य प्रदेश के धार जिले का एक कस्बा है। यहाँ की गुफाओं तथा छपाई के लिए प्रसिद्ध है। श्रेणी:मध्य प्रदेश का भूगोल श्रेणी:बौद्ध गुफाएँ.

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बांधवगढ़

बांधवगढ़ मध्य प्रदेश के रीवा जिला में एक तहसील है। .

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बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में टाइगर बांधवगढ राष्ट्रीय उद्यान मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है। यह वर्ष 1968 में राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था। इसका क्षेत्रफल 437 वर्ग किमी है। यहां शेर आसानी से देखा जा सकता है। यह मध्यप्रदेश का एक ऐसा राष्ट्रीय उद्यान है जो 32 पहाड़ियों से घिरा है यह भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं। बाघों का गढ़ (बांधवगढ़?) 448 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। इस उद्यान में एक मुख्य पहाड़ है जो 'बांधवगढ़' कहलाता है। 811 मीटर ऊँचे इस पहाड़ के पास छोटी-छोटी पहाड़ियाँ हैं। पार्क में साल और बंबू के वृक्ष प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं। बाँधवगढ़ से सबसे नजदीक विमानतल जबलपुर में है जो 164 किलोमीटर की दूरी पर है। रेल मार्ग से भी बाँधवगढ़ जबलपुर, कटनी और सतना से जुड़ा है। खजुराहो से बाँधवगढ़ के बीच 237 किलोमीटर की दूरी है। दोनों स्थानों के बीच केन नदी के कुछ हिस्सों को क्रोकोडाइल रिजर्व घोषित किया गया है। .

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बांसवाड़ा

बांसवाड़ा भारतीय राज्य राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित एक शहर है। यह गुजरात और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों की सीमा के निकट है। बांसवाड़ा की स्‍थापना वाहिया चरपोटा ने की थी, जो एक भील राजा था। वाहिया को बांसिया के नाम से भी जाना जाता हैा बांसवाडा के राजा बां‍सिया के नाम पर ही इसका नाम बांसवाड़ा पड़ा। इसे "सौ द्वीपों का नगर" भी कहते हैं क्योंकि यहाँ से होकर बहने वाली माही नदी में अनेकानेक से द्वीप हैं। बांसवाड़ा के आसपास का क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में समतल और उपजाऊ है, माही बांसवाड़ा की प्रमुख नदी है। मक्का, गेहूँ और चना बांसवाड़ा की प्रमुख फ़सलें हैं। बांसवाड़ा में लोह-अयस्क, सीसा, जस्ता, चांदी और मैंगनीज पाया जाता है। इस क्षेत्र का गठन 1530 में बांसवाड़ा रजवाड़े के रूप में किया गया था और बांसवाड़ा शहर इसकी राजधानी था। 1948 में राजस्थान राज्य में विलय होने से पहले यह मूल डूंगरपुर राज्य का एक भाग था। .

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बांसवाड़ा जिला

बासंवाडा जिला राजस्थान के दक्षिणी भाग मे गुजरात/मध्य प्रदेश की सीमा से लगता हुआ जिला है। इसे राजस्थान का चेरापूंजी भी कहा जाता है। यहा का मुख्य आकर्षण माही नदी है, जो मध्य प्रदेश से होती हुई माही बांध तक आती हॆ, माही नदी बासंवाडा जिला की जीवन वाहिनी हॆ। यहां पे मुख्यतः वागडी भाषा बोली जाती हॆ, जिले के प्रमुख कस्बे कुशलगढ़, परतापुर, बागीदौरा, घाटोल, अरथुना हॆ.

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बिप्लब कुमार देब

बिप्लब कुमार देब (जन्म 25 नवम्बर 1969) भारतीय राज्य त्रिपुरा के राजनीतिज्ञ हैं। वें 7 जनवरी 2016 से त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। वे 2018 में हुए त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा के जीत के सूत्रधार हैं। उन्होंने 9 मार्च 2018 को त्रिपुरा के दसवें मुख्यमन्त्री के रूप में शपथ ली। .

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बिल्मा

बिल्मा मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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बिहार (बालाघाट)

बैहर (Baihar) मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के उत्तर-पूर्वी छोर पर बसा छोटा सा शहर है। यह बालाघाट जिले के बैहर तहसील का मुख्यालय है। .

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बिजलपुर, इन्दौर

बिजलपुर मध्य प्रदेश में इन्दौर के पश्चिम-दक्षिण किनारे स्थित बडा सुन्दर गाँव है। बिजलपुर की आबादी २००१ के जनगणना मे १७००० थी। बिजलपुर को सन् १९८३ मे नगर निगम इन्दौर मे सम्मिलित किया गाया था। "बिजलपुर्" राऊ और राजेंद्र नगर ​​के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 3 (भारत) पर स्थित है। यह इन्दौर शहर के केन्द्र से ओर राऊ के बीच हे| श्रेणी:मध्य प्रदेश श्रेणी:इंदौर जिला.

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बिजासन माता मन्दिर

बिजासन माता मन्दिर मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में स्थित देवी दुर्गा का मन्दिर है। यह एक पहाड़ी पर स्थित है और इन्दौर के देवी अहिल्याबाई होल्कर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र के समीप स्थित है। .

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बिंदास न्यूज़

बिंदास न्यूज़ (Bindass News or Bindass.org) हिन्दी भाषा मे मध्य प्रदेश से प्रकाशित होने वाला एक ऑनलाइन और प्रिंट समाचार पत्र हैं। इस ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल पर देश-विदेश के विभिन्न प्रकार के खबरों का समावेश होता हैं, जिनमें व्यवसाय, राजनीति, खेल-जगत और मनोरंजन इत्यादि श्रेणियों की खबरों को प्रकाशन होता हैं। ये कम समय में ही मध्यप्रदेश का एक लोकप्रिय हिंदी समाचार पत्र के रूप में उभरा हैं। .

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बिंदेश्वरी गोयल

बिंदेश्वरी गोयल (जन्म; ०१ जून १९७९, इंदौर, मध्य प्रदेश) एक भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी है जो टीम के लिए टेस्ट और वनडे मैच खेलती है। बिंदेश्वरी दाहिने हाथ से बल्लेबाजी और गेंदबाजी करती है। इन्होंने अब तक तीन टेस्ट और चार एक दिवसीय मैच खेले है। .

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बघेलखंड

बघेलखंड की स्थिति बघेलखंड मध्य भारत का एक क्षेत्र है। यह मध्य प्रदेश राज्य के उत्तर-पूर्वी ओर स्थित है। इसमें मध्य प्रदेश के जिले सम्मिलित हैं.

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बघेली

बघेली या बाघेली, हिन्दी की एक बोली है जो भारत के बघेलखण्ड क्षेत्र में बोली जाती है। यह मध्य प्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, उमरिया, एवं अनूपपुर में; उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद एवं मिर्जापुर जिलों में तथा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर एवं कोरिया जनपदों में बोली जाती है। इसे "बघेलखण्डी", "रिमही" और "रिवई" भी कहा जाता है। .

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बगलामुखी मंदिर, इंदौर

माता बगलामुखी का यह मंदिर मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के नलखेड़ा कस्बे में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। यह मन्दिर तीन मुखों वाली त्रिशक्ति बगलामुखी देवी को समर्पित है। मान्यता है कि द्वापर युग से चला आ रहा यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक भी है। इस मन्दिर में विभिन्न राज्यों से तथा स्थानीय लोग भी एवं शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। यहाँ बगलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, कृष्ण, हनुमान, भैरव तथा सरस्वती की मूर्तियां भी स्थापित हैं। कहते हैं कि इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय के उद्देश्य से भगवान कृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर ने की थी। मान्यता यह भी है कि यहाँ की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है। प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख है जिनमें से एक है बगलामुखी। माँ भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। यह मन्दिर उन्हीं से एक बताया जाता है। .

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बंडोल

300px बंडोल, भारत के राज्य मध्यप्रदेश के अन्तर्गत सिवनी जिला से 16 किलोमीटर उत्तर दिशा की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 7 जबलपुर रोड पर स्थित हैँ इस गाँव का भोगोलिक क्षेत्रफल 706.95 हेक्टेयर है यह एक बडी ग्राम पंचायत हैँ। इसे बण्डोल या बन्डोल नाम से भी जाना जाता है। बंडोल ग्राम पंचायत में औद्योगिक इकाई के रूप में पशु आहार संयंत्र है जो साँची दुग्ध शीत केन्द्र के साथ यहाँ स्थापित किया गया है। 1 किलोमीटर की दूरी पर श्रीवानी जल शोधन प्लांट यहाँ स्थापित है। बन्डोल का यह संपूर्ण क्षेत्र सर्वाधिक स्टोन क्रेशर होने के कारण ज्यादा जाना जाता है इसकी गिट्टीयाँ आस-पास के जिले खासकर बालाघाट जिले में ज्यादा पहुचायी जाती हैँ। गाँव की सप्ताहिक बाजार का दिन गुरुवार हैँ। बंडोल गाँव से 2 किलोमीटर पश्चिम दिशा की ओर वैनगंगा नदी प्रवाहित होती है। वैनगंगा नदी .

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बंगाल प्रेसीडेंसी

बंगाल प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत का एक उपनिवेशित क्षेत्र था; यह क्षेत्र अविभाजित बंगाल से बना था। बंगाल के ये क्षेत्र आज बांग्लादेश और भारत के निम्न राज्यों में विभाजित हैं.

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बकावां

बकावां मध्य प्रदेश के खरगोन जिला का एक कस्बा है। महान पेशवा बाजीराव की समाधी रावेरखेड़ी में स्थित है। उत्तर भारत के लिए एक अभियान के समय उनकी मृत्यु यहीं नर्मदा किनारे हो गई थी। बकावां में नर्मदा के पत्थरों को तराश कर शिव-लिंग बनाए जाते हैं। श्रेणी:खरगोन श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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बछेंद्री पाल

बछेंद्री पाल (जन्म: 24 मई 1954) माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला हैं। वे एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही हैं। वर्तमान में वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं, जहां वह चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं। .

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बुन्देलखण्ड

बुन्देलखण्ड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है।इसका प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है.

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बुरहानपुर

बुरहानपुर भारत के मध्य प्रदेश का एक प्रमुख शहर है। बुरहानपुर मध्य प्रदेश में ताप्ती नदी के किनारे पर स्थित एक नगर है। यह ख़ानदेश की राजधानी था। इसको चौदहवीं शताब्दी में ख़ानदेश के फ़ारूक़ी वंश के सुल्तान मलिक अहमद के पुत्र नसीर द्वारा बसाया गया। .

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बुरहानपुर ज़िला

बुरहानपुर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। .

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बुरुशस्की

बुरुशस्की एक भाषा है जो पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र के उत्तरी भागों में बुरुशो समुदाय द्वारा बोली जाती है। यह एक भाषा वियोजक है, यानि विश्व की किसी भी अन्य भाषा से कोई ज्ञात जातीय सम्बन्ध नहीं रखती और अपने भाषा-परिवार की एकमात्र ज्ञात भाषा है। सन् २००० में इसे हुन्ज़ा-नगर ज़िले, गिलगित ज़िले के उत्तरी भाग और ग़िज़र ज़िले की यासीन व इश्कोमन घाटियों में लगभग ८७,००० लोग बोलते थे। इसे जम्मू और कश्मीर राज्य के श्रीनगर क्षेत्र में भी लगभग ३०० लोग बोलते हैं। भारत में बुरुशस्की के अलावा केवल मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के सीमावर्ती बुलढाणा क्षेत्र की निहाली भाषा ही दूसरी ज्ञात भाषा वियोजक है। .

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बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी

बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी भारत निर्वाचन आयोग से पंजीकृत एक राजनीतिक दल है। इसका कार्य क्षेत्र उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश का वह हिस्सा है जो भौगोलिक तौर से बुंदेलखंड में आता है।भारत की यह पार्टी पृथक बुन्देलखंड राज्य के लिए सतत रूप से संघर्ष रत है। इस मांग को लेकर ही संजय पाण्डेय के नेत्रत्व में पार्टी ने कई धरने प्रदर्शन किये। मध्य प्रदेश विधान सभा चुनावों में भी पार्टी ने भाग लिया। छतरपुर विधान सभा से वकील राजा प्रजापति पार्टी के उम्मीदवार थे। .

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बुंदेलखंड का इतिहास

बुंदेलखंड भारत के मध्य का भाग है, जो उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में पड़ता है। इसका विस्तृत इतिहास है। .

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ब्रह्मगुप्त

ब्रह्मगुप्त का प्रमेय, इसके अनुसार ''AF'' .

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ब्रिटिश राज

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। .

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ब्रिटिशकालीन भारत के रियासतों की सूची

सन १९१९ में भारतीय उपमहाद्वीप की मानचित्र। ब्रितिश साशित क्षेत्र व स्वतन्त्र रियासतों के क्षेत्रों को दरशाया गया है सन १९४७ में स्वतंत्रता और विभाजन से पहले भारतवर्ष में ब्रिटिश शासित क्षेत्र के अलावा भी छोटे-बड़े कुल 565 स्वतन्त्र रियासत हुआ करते थे, जो ब्रिटिश भारत का हिस्सा नहीं थे। ये रियासतें भारतीय उपमहाद्वीप के वो क्षेत्र थे, जहाँ पर अंग्रेज़ों का प्रत्यक्ष रूप से शासन नहीं था, बल्कि ये रियासत सन्धि द्वारा ब्रिटिश राज के प्रभुत्व के अधीन थे। इन संधियों के शर्त, हर रियासत के लिये भिन्न थे, परन्तु मूल रूप से हर संधि के तहत रियासतों को विदेश मामले, अन्य रियासतों से रिश्ते व समझौते और सेना व सुरक्षा से संबंधित विषयों पर ब्रिटिशों की अनुमति लेनी होती थी, इन विषयों का प्रभार प्रत्यक्ष रूप से अंग्रेजी शासन पर था और बदले में ब्रिटिश सरकार, शासकों को स्वतन्त्र रूप से शासन करने की अनुमती देती थी। सन १९४७ में भारत की स्वतंत्रता व विभाजन के पश्चात सिक्किम के अलावा अन्य सभी रियासत या तो भारत या पाकिस्तान अधिराज्यों में से किसी एक में शामिल हो गए, या उन पर कब्जा कर लिया गया। नव स्वतंत्र भारत में ब्रिटिश भारत की एजेंसियों को "दूसरी श्रेणी" के राज्यों का दर्जा दिया गया (उदाहरणस्वरूप: "सेंट्रल इण्डिया एजेंसी", "मध्य भारत राज्य" बन गया)। इन राज्यों के मुखिया को राज्यपाल नहीं राजप्रमुख कहा जाता था। १९५६ तक "राज्य पुनर्गठन अयोग" के सुझाव पर अमल करते हुए भारत सरकार ने राज्यों को पुनर्गठित कर वर्तमान स्थिती में लाया। परिणामस्वरूप सभी रियासतों को स्वतंत्र भारत के राज्यों में विलीन कर लिया गया। इस तरह रियासतों का अंत हो गया। सन १९६२ में प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के शासनकाल के दौरान इन रियासतों के शासकों के निजी कोशों को एवं अन्य सभी ग़ैर-लोकतान्त्रिक रियायतों को भी रद्ध कर दिया गया .

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ब्रजभाषा

ब्रजभाषा मूलत: ब्रज क्षेत्र की बोली है। (श्रीमद्भागवत के रचनाकाल में "व्रज" शब्द क्षेत्रवाची हो गया था। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत के मध्य देश की साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने उत्थान एवं विकास के साथ आदरार्थ "भाषा" नाम प्राप्त किया और "ब्रजबोली" नाम से नहीं, अपितु "ब्रजभाषा" नाम से विख्यात हुई। अपने विशुद्ध रूप में यह आज भी आगरा, हिण्डौन सिटी,धौलपुर, मथुरा, मैनपुरी, एटा और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम "केंद्रीय ब्रजभाषा" भी कह सकते हैं। ब्रजभाषा में ही प्रारम्भ में काव्य की रचना हुई। सभी भक्त कवियों ने अपनी रचनाएं इसी भाषा में लिखी हैं जिनमें प्रमुख हैं सूरदास, रहीम, रसखान, केशव, घनानंद, बिहारी, इत्यादि। फिल्मों के गीतों में भी ब्रजभाषा के शब्दों का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। .

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ब्रजेश मिश्र

ब्रजेश मिश्र ब्रजेश चन्द्र मिश्र (29 सितम्बर 1928 – 28 सितम्बर 2012) भारत के राजनयिक एवं राजनीतिज्ञ थे। वे अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में भारत के मुख्य सचिव तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे। उनके पिता श्री द्वारका प्रसाद मिश्र मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। श्रेणी:भारतीय राजनयिक.

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बैतूल

बैतूल, मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में बाड़नूर से ५ किमी दूर इटारसी-नागपुर रेलमार्ग पर स्थित नगर है। यहाँ बरतन बनाना, चाँदी का काम, लाख की चूड़ियों का छोटे पैमाने पर काम होता है। .

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बैतूल ज़िला

बैतूल जिला मध्य प्रदेश के दक्षिण में स्थित है। बैतूल जिले के मुलताई तहसील पर पुण्य सलिला मां ताप्ती जी का उद्गम स्थल है। बैतूल के मुलताई तहसील पवित्र नगरी के रूप में भी पूजी जाती है यह सतपुड़ा पर्वत के पठार पर स्थित है। यह सतपुड़ा श्रेणी की संपूर्ण चौड़ाई को घेरे हुए है जो नर्मदा घाटी और उसके दक्षिण के मैदान तक फैला है। यह भोपाल संभाग को दक्षिणी छोर से छूता है। इस जिले का नाम छोटे से कस्बे बैतूल बाजार के नाम से जाना जाता है और जिला मुख्यालय से लगभग 5 किलो मीटर की दूरी पर है। मराठा शासन और अंग्रेजों के शासन के प्रारंभ में भी बैतूल बाजार जिला मुख्यालय था। .

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बैगा (जनजाति)

मध्य प्रदेश के बालाघाट के बैगा जनजाति का एक परिवार बैगा युवतियाँ बैगा, भारत के मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड प्रदेशों में पायी जाने वाली जनजाति है। मध्य प्रदेश के मंडला डिंडोरी तथा बालाघाट जिलों में बैगा लोग बहुत बड़ी संख्या में रहते हैं। बिझवार, नरोतिया, भरोतिया, नाहर, राय भैना और काढ़ भैना इनकी कुछ उपजातियाँ हैं। सन् १९८१ की जनगणना के अनुसार उनकी संख्या 248,949 थी। .

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बेड़िया

बेड़िया जाति बिहार, मध्य प्रदेश और झारखण्ड में पायी जाती है। .

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बेतवा नदी

'''बेतवा''', यमुना की सहायक नदी है। बेतवा भारत के मध्य प्रदेश राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह यमुना की सहायक नदी है। यह मध्य-प्रदेश में भोपाल से निकलकर उत्तर-पूर्वी दिशा में बहती हुई भोपाल, विदिशा, झाँसी, ललितपुर आदि जिलों में होकर बहती है। इसके ऊपरी भाग में कई झरने मिलते हैं किन्तु झाँसी के निकट यह काँप के मैदान में धीमे-धीमें बहती है। इसकी सम्पूर्ण लम्बाई 480 किलोमीटर है। यह बुंदेलखण्ड पठार की सबसे लम्बी नदी है। यह हमीरपुर के निकट यमुना में मिल जाती है। इसके किनारे सांची और विदिशा के प्रसिद्ध व सांस्कृतिक नगर स्थित हैं। भारतीय नौसेना ने बैटवा नदी के सम्मान में एक फ्रिगेट्स आईएनएस बेतवा नाम दिया है। .

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बेतूल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

बेतूल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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बेनीवाल

बेनीवाल जाट और बिश्नोई गोत्र है जिसके लोग मुख्यतः राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में निवास करते हैं। .

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बेरोज़गारी की दर के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

यह सूची भारत के प्रमुख राज्यों को बेरोज़गारी दर के आधार पर सूचीबद्ध करती है। यह सूची भारत सरकार के सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मन्त्रालय के राष्ट्रीय सेवा योजना (ऍन०ऍस०ऍस०) प्रतिवेदन से संकलित है। कुछ पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य छोटे राज्यों के आँकड़े अनुपलब्ध हैं। .

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बेलार्कसूर्य मंदिर

बेलार्क या बेलाउर सूर्य मंदिर का निर्माण राजा सूबा ने करवाया था। बाद मे बेलाउर गाँव में कुल ५२ पोखरा (तालाब) का निर्माण कराने वाले राजा सूबा को राजा बावन सूब के नाम से पुकारा जाने लगा। बिहार के भोजपुर जिले के बेलाउर गाँव के पश्चिमी एवं दक्षिणी छोर पर अवस्थित वेलाउर सूर्य मंदिर काफी प्राचीन है। राजा द्वारा बनवाए ५२ पोखरो मे एक पोखर के मध्य में यह सूर्य मन्दिर स्थित है। यहाँ छठ महापर्व के दौरान प्रति वर्ष एक लाख से अधिक श्रद्धालु आते है जिनमे उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के श्रद्धालु भी होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सच्चे मन से इस स्थान पर छठ व्रत करने वालों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती है तथा कई रोग-व्याधियाँ से भी मुक्ति मिलती है। श्रेणी:सूर्य मंदिर.

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बोध सिंह भगत

बोध सिंह भगत भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के बालाघाट से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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बोधा

बोधा (जन्म: 1767, मृत्यु: 1806) हिन्दी साहित्य के रीतिकालीन कवि थे। उन्हें विप्रलम्भ (वियोग) शृंगार रस की कविताओं के लिये जाना जाता है। वर्तमान उत्तर प्रदेश में बाँदा जिले के राजापुर ग्राम में जन्मे कवि बोधा का पूरा नाम बुद्धिसेन था। वर्तमान मध्य प्रदेश स्थित तत्कालीन पन्ना रियासत में बुद्धिसेन के कुछ सम्बंधी उच्च पदों पर आसीन थे। इस कारण बोधा को राजकवि का दर्ज़ा प्राप्त था। हिंदी साहित्य का इतिहास नामक हिन्दी ग्रन्थ में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने बोधा के नीति सम्बन्धी अनेक छन्दों का उल्लेख किया है। नकछेदी तिवारी द्वारा सम्पादित पुस्तक बोधा कवि का इश्कनामा में इनकी शृंगारपरक कविताओं को देखा जा सकता है। .

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बीना नदी

बीना नदी भारत के मध्य प्रदेश से कोकर बहती है। इसका प्राचीन नाम 'वेण्वा' है। यह बेतवा की सहायक नदी है। इसके तट पर प्राचीन नगर ऐरण (या, एरकिण) बसा हुआ है। बीना नामक कस्बा इस नदी के किनारे ही है। श्रेणी:भारत की नदियाँ.

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बीमारू राज्य

बीमारू (BIMARU) शब्द मूलतः भारत के चार राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश.के अंग्रेजी नाम के पहले अक्षर से गढ़ा गया एक शब्द है। इस शब्द (ऐक्रनिम) का सर्वप्रथम प्रयोग आशीष बोस ने 1980 के दशक के मध्य में किया था। बीमारू शब्द वस्तुतः हिन्दी शब्द "बीमार" से संबंधित है।  .

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भट्ट मथुरानाथ शास्त्री

कवि शिरोमणि भट्ट श्री मथुरानाथ शास्त्री कविशिरोमणि भट्ट मथुरानाथ शास्त्री (23 मार्च 1889 - 4 जून 1964) बीसवीं सदी पूर्वार्द्ध के प्रख्यात संस्कृत कवि, मूर्धन्य विद्वान, संस्कृत सौन्दर्यशास्त्र के प्रतिपादक और युगपुरुष थे। उनका जन्म 23 मार्च 1889 (विक्रम संवत 1946 की आषाढ़ कृष्ण सप्तमी) को आंध्र के कृष्णयजुर्वेद की तैत्तरीय शाखा अनुयायी वेल्लनाडु ब्राह्मण विद्वानों के प्रसिद्ध देवर्षि परिवार में हुआ, जिन्हें सवाई जयसिंह द्वितीय ने ‘गुलाबी नगर’ जयपुर शहर की स्थापना के समय यहीं बसने के लिए आमंत्रित किया था। आपके पिता का नाम देवर्षि द्वारकानाथ, माता का नाम जानकी देवी, अग्रज का नाम देवर्षि रमानाथ शास्त्री और पितामह का नाम देवर्षि लक्ष्मीनाथ था। श्रीकृष्ण भट्ट कविकलानिधि, द्वारकानाथ भट्ट, जगदीश भट्ट, वासुदेव भट्ट, मण्डन भट्ट आदि प्रकाण्ड विद्वानों की इसी वंश परम्परा में भट्ट मथुरानाथ शास्त्री ने अपने विपुल साहित्य सर्जन की आभा से संस्कृत जगत् को प्रकाशमान किया। हिन्दी में जिस तरह भारतेन्दु हरिश्चंद्र युग, जयशंकर प्रसाद युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी युग हैं, आधुनिक संस्कृत साहित्य के विकास के भी तीन युग - अप्पा शास्त्री राशिवडेकर युग (1890-1930), भट्ट मथुरानाथ शास्त्री युग (1930-1960) और वेंकट राघवन युग (1960-1980) माने जाते हैं। उनके द्वारा प्रणीत साहित्य एवं रचनात्मक संस्कृत लेखन इतना विपुल है कि इसका समुचित आकलन भी नहीं हो पाया है। अनुमानतः यह एक लाख पृष्ठों से भी अधिक है। राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली जैसे कई संस्थानों द्वारा उनके ग्रंथों का पुनः प्रकाशन किया गया है तथा कई अनुपलब्ध ग्रंथों का पुनर्मुद्रण भी हुआ है। भट्ट मथुरानाथ शास्त्री का देहावसान 75 वर्ष की आयु में हृदयाघात के कारण 4 जून 1964 को जयपुर में हुआ। .

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भरहुत

भरहुत भारत के मध्य प्रदेश राज्य में सतना जिले में स्थित एक स्थल है। यह स्थान बौद्ध स्तूप और कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का स्तूप सम्भवतः अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ईसापूर्व निर्मित किया गया था। श्री कनिंघम ने सर्वप्रथम 1873 ई. में इस स्थल का पता लगाया था। .

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भाट पचलाना

ग्राम भाट पचलाना, बड़नगर तहसील का सबसे बड़ा गाँव है। ग्राम भाट पचलाना रूनीजा और खाचरोद के बीच स्थित है। वर्ष 2011 की जनगणना के आनुसार यहाँ की जनसँख्या 5,614 थी। भाट पचलाना मालवा का एक गाँव है। .

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भाभरा

भाभरा (अब चन्द्रशेखर आजाद नगर) मध्य प्रदेश के अलिराजपुर जिले की एक तहसील है। यह इसीलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यहीं शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद का जन्म हुआ था। साथ ही विश्व का पहला जनजातीय रेडियो केन्द्र भी २३ जुलाई २०११ से शुरु हो चुका हैंं। श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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भामाशाह सम्मान

भारत के मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वाणिज्यिक कर, केन्द्रीय विक्रयकर तथा प्रवेशकर के रूप में जिला स्तर पर सर्वाधिक राजस्व जमा करने वाले तीन व्यवसाईयों को भामाशाह सम्मान प्रदान किये जाने की योजना है। यह योजना 2008 में घोषित की गई थी। इस अभिनव योजना के तहत जिला स्तर पर सर्वाधिक कर चुकाने वाले तीन करदाताओं को भामाशाह सम्मान से विभूषित किया जावेगा तथा इन करदाताओं को क्रमश: एक लाख रूपये, 50 हजार रूपये एवं 25 हजार रूपये की नगद राशि से पुरस्कृत किया जायेगा। भामाशाह पुरस्कार, प्रेम और त्याग की मूर्ति भामाशाह के नाम पर रखा गया है जिन्होंने सन् 1576 में हल्दीघाटी के युध्द के पश्चात जब महाराणा प्रताप के पास कोई वित्तीय स्रोत नहीं था तब देश के इस महान सपूत ने अपना सर्वस्व उन्हें सौंप दिया। जिसमें उस समय की 20 लाख अशर्फियां तथा सोने एवं रत्नों का संग्रह भी था। इतिहास में उनके इस महान योगदान की कहानी वर्णित है और उनका यह कृत्य दानवीर नाम की संज्ञा का पर्याय बन चुका है। सत्ता को अपने वित्तीय सामर्थ्य से सशक्त आधार देने वाले ऐसे उत्कृष्ट व्यक्तित्व के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा यह सम्मान रखा गया है। ---- भामाशाह सम्मान नाम से एक और पुरस्कार महाराजा मेवाड़ फाउण्डेशन की तरफ से भी दिया जाता है। यह पुरस्कार राजस्थान के विश्वविद्यालयों में नि:स्वार्थ सेवा एवं अन्य महान कार्य में दक्ष विद्यार्थियों को दिये जाते हैं। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत भवन

भारत भवन, भारत के प्रान्त मध्य प्रदेश में स्थित एक विविध कला,सांस्कृतिक केंद्र एवं संग्रहालय है। इसमें कला दीर्घा (आर्ट्स गैलरी), ललित कला संग्रह, इनडोर/आउटडोर ओडिटोरियम, रिहर्सल रूम, भारतीय कविताओं का पुस्तकालय आदि कई चीजें शामिल हैं। यह भोपाल के बड़े तालाब के निकट स्थित है। इस भवन के सूत्रधार चार्ल्स कोरिया का कहना है - भोपाल स्थित यह भवन भारत के सबसे अनूठे राष्‍ट्रीय संस्‍थानों में एक है। 1982 में स्‍थापित इस भवन में अनेक रचनात्‍मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। श्यामला पहाड़ियों पर स्थित इस भवन को प्रसिद्ध वास्‍तुकार चार्ल्‍स कोरिया ने डिजाइन किया था। भारत के विभिन्‍न पारंपरिक शास्‍त्रीय कलाओं के संरक्षण का यह प्रमुख केन्‍द्र है। इस भवन में एक म्‍युजियम ऑफ आर्ट, एक आर्ट गैलरी, ललित कलाओं की कार्यशाला, भारतीय काव्‍य की पुस्‍तकालय आदि शामिल हैं। इन्‍हें अनेक नामों जैसे रूपांकर, रंगमंडल, वगर्थ और अनहद जैसे नामों से जाना जाता है। सोमवार के अतिरिक्‍त प्रतिदिन दिन में 2 बजे से रात 8 बजे तक यह भवन खुला रहता है। श्यामला पहाड़ियों पर स्थित भारत भवन राजधानी भोपाल के लिए कला का केंद्र है। भारत भवन के पांच अंग हैं। इनमें से 'रूपंकर' ललित कला का संग्रहालय है, 'रंगमंडल' का सम्बन्ध रंगमंच से है,'वागर्थ' कविताओं का केन्द्र है, 'अनहद' शास्त्रीय और लोक संगीत का केन्द्र है जबकि 'छवि' सिनेमा से जुड़ी गतिविधियों के लिए है। अपनी स्थापना के समय से ही भारत भवन कला के केंद्र के रूप में पहचाना जाता रहा है। भारत भवन अपनी कला से जुड़ी गतिवधियों के साथ ही अपनी स्थापत्य कला और प्राकृतिक दृश्यों के लिए भी मशहूर है। इसका वास्तुशिल्प (डिजाइन) चार्ल्स कोरिया ने बनाया था और यह किसी ऊंची उठी इमारत/बिल्डिंग के बजाए जमीन के समानांतर है। इसकी खासियत यह भी है कि इसे किसी एक स्थान से पूरा नहीं देखा जा सकता है। यहां तीन ऑडिटोरियम हैं जहां समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और रंगदर्शनियों में चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता रहता है। किसी भी तरह की कलाओं से जुड़ाव रखने वाले कला प्रेमियों के बीच यह जगह काफी प्रचलित है। .

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भारत में ऊष्मा लहर २०१५

भारत में अप्रैल/मई २०१५ ऊष्मा लहर २६ मई तक १००० से अधिक लोगों की मृत्यु हो गयी और विभिन्न क्षेत्र इससे प्रभावित हुये। भारतीय शुष्क मौसम में ऊष्मीय लहरें चलती हैं जिन्हें लू भी कहा जाता है। ये मुख्यतः मार्च से आरम्भ होकर मई तक चलती हैं। .

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भारत में दशलक्ष-अधिक शहरी संकुलनों की सूची

भारत दक्षिण एशिया में एक देश है। भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार, वह सातवाँ सबसे बड़ा देश है, और १.२ अरब से अधिक लोगों के साथ, वह दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत में उनतीस राज्य और सात संघ राज्यक्षेत्र हैं। वह विश्व की जनसंख्या के १७.५ प्रतिशत का घर हैं। .

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भारत में धर्म

तवांग में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा. बैंगलोर में शिव की एक प्रतिमा. कर्नाटक में जैन ईश्वरदूत (या जिन) बाहुबली की एक प्रतिमा. 2 में स्थित, भारत, दिल्ली में एक लोकप्रिय पूजा के बहाई हॉउस. भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म.

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भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

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भारत में पाये जाने वाले खनिज

यहाँ भारत में प्राप्त खनिजों की सूची दी गयी है। .

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भारत में पवन ऊर्जा

भारत में पवन ऊर्जा का विकास 1990 के दशक में शुरू हुआ और पिछले कुछ वर्षों में इसमें काफी वृद्धि हुई है। हालांकि डेनमार्क, या अमेरिका की तुलना में अपेक्षाकृत नवागन्तुक के रूप में भारत में पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता दुनिया में पांचवें स्थान पर है। "विश्व पवन ऊर्जा रिपोर्ट 2008" रिपोर्ट यथा 31 अक्टूबर 2009, भारत में स्थापित पवन ऊर्जा की क्षमता 11806.69 मेगावाट थी, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु (4900.765 मेगावाट) http://www.tn.gov.in/policynotes/pdf/energy.pdf, महाराष्ट्र (1945.25 मेगावाट), गुजरात (1580.61 मेगावाट), कर्नाटक (1350.23 मेगावाट) राजस्थान (745.5 मेगावाट), मध्य प्रदेश (212.8 मेगावाट), आन्ध्र प्रदेश (132.45 मेगावाट), केरल (46.5 मेगावाट), ओडिशा (2MW), पश्चिम बंगाल (1.1 मेगावाट) और अन्य राज्यों (3.20 मेगावाट) http://www.indianwindpower.com/installed_wind_capacity.php में फैली हुई थी। ऐसा अनुमान है कि 6,000 मेगावाट की अतिरिक्त पवन ऊर्जा को वर्ष 2012 तक भारत में स्थापित किया जाएगा। भारत में स्थापित कुल ऊर्जा क्षमता का 6% पवन ऊर्जा से प्राप्त होता है और देश की ऊर्जा का 1% इससे उत्पन्न होता है। http://www.peopleandplanet.net/doc.php?id.

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भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची

भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की सूची। भारत ने सर्वाधिक हिंदी भाषा के समाचार पत्र सर्कुलेट होते हैं उसके बाद इंग्लिश और उर्दू समाचारपत्रों का स्थान है। .

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भारत में बौद्ध धर्म

भारत में बौद्ध धर्म से इनका उल्लेख होता हैं: भारत में बौद्ध धर्म का जन्म ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में हुआ था और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दु और बौद्ध संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में बौद्धों ने महती भूमिका निभाई है। भारत में बौद्ध धर्म ईसा पूर्व 6वी शताब्धी से 8वी शताब्धी तक भारत में बौद्ध धर्म रहा। लेकिन देशी-विदेशी धर्मों के खून खराबे, हिंसक शक्ती से जुंजते हुए बौद्ध धर्म भारत में 12वी शताब्धी तक रहा और हिमालयीन प्रदशों के उपरांत अन्य राज्यों में नहीं के बराबर हो गया। .

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भारत में बौद्ध धर्म का इतिहास

भारत में बौद्ध धर्म का जन्म ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में हुआ था और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दु और बौद्ध संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में बौद्धों ने महती भूमिका निभाई है। भारत में बौद्ध धर्म ईसा पूर्व 6वी शताब्धी से 8वी शताब्धी तक भारत में बौद्ध धर्म रहा। लेकिन देशी-विदेशी धर्मों के खून खराबे, हिंसक शक्ती से जुंजते हुए बौद्ध धर्म भारत में 12वी शताब्धी तक रहा और हिमालयीन प्रदशों के उपरांत अन्य राज्यों में नहीं के बराबर हो गया। 20वी शताब्धी के मध्य सन 1956 में आधुनिक भारत के निर्माता और बौद्ध विद्वान डॉ॰ भीमराव आंबेडकर द्वारा अपने लाखों अनुयायीओं के साथ बौद्ध धर्म अपनाकर बौद्ध धर्म को भारत पुनर्जीवीत किया। भीमराव आंबेडकर के प्रभाव से एक सर्वेक्षण के अनुसार सन 1959 तक देश के करीब 2 करोड़ लोगों ने बौद्ध धर्म को ग्रहण किया था। .

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भारत में मधुमक्खी पालन

भारत में मधुमक्खी पालन का प्राचीन वेद और बौद्ध ग्रंथों में उल्लेख किया गया हैं। मध्य प्रदेश में मध्यपाषाण काल की शिला चित्रकारी में मधु संग्रह गतिविधियों को दर्शाया गया हैं। हालांकि भारत में मधुमक्खी पालन की वैज्ञानिक पद्धतियां १९वीं सदी के अंत में ही शुरू हुईं, पर मधुमक्खियों को पालना और उनके युद्ध में इस्तेमाल करने के अभिलेख १९वीं शताब्दी की शुरुआत से देखे गए हैं। भारतीय स्वतंत्रता के बाद, विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के माध्यम से मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित किया गया। मधुमक्खी की पाँच प्रजातियाँ भारत में पाई जाती हैं जो कि प्राकृतिक शहद और मोम उत्पादन के लिए व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। .

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भारत में महिलाएँ

ताज परिसर में भारतीय महिलाएँऐश्वर्या राय बच्चन की अक्सर उनकी सुंदरता के लिए मीडिया द्वारा प्रशंसा की जाती है।"विश्व की सर्वाधिक सुंदर महिला?"cbsnews.com. अभिगमन तिथि २७ अक्टूबर २००७01 भारत में महिलाओं की स्थिति ने पिछली कुछ सदियों में कई बड़े बदलावों का सामना किया है। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारकों द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिए जाने तक, भारत में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता आदि जैसे शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं। .

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की राजमार्ग संख्या अनुसार सूची

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची इस प्रकार से है। इसे राज्य, राजमार्ग संख्या, कुल लंबाई इत्यादि किसी भी क्रम से चुना व छांटा जा सकता है। .

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का संजाल भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची भारतीय राजमार्ग के क्षेत्र में एक व्यापक सूची देता है, द्वारा अनुरक्षित सड़कों के एक वर्ग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। ये लंबे मुख्य में दूरी roadways हैं भारत और के अत्यधिक उपयोग का मतलब है एक परिवहन भारत में। वे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा भारतीय अर्थव्यवस्था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 laned (प्रत्येक दिशा में एक), के बारे में 65,000 किमी की एक कुल, जिनमें से 5,840 किमी बदल सकता है गठन में "स्वर्ण Chathuspatha" या स्वर्णिम चतुर्भुज, एक प्रतिष्ठित परियोजना राजग सरकार द्वारा शुरू की श्री अटल बिहारी वाजपेयी.

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भारत में रेल दुर्घटना

भारत का रेल तन्त्र दुनिया के सबसे बड़े तन्त्रों में से एक हैं। भारतीय रेलगाड़ियों में हर दिन सवा करोड़ से अधिक लोग यात्रा करते हैं। एक अनुमान के अनुसार देश में प्रति वर्ष औसतन ३०० छोटी-बड़ी रेल दुर्घटनाएँ होती हैं। भारत में वर्ष २००० से बाद घटित हुई रेल दुर्घटनाओं का घटनाक्रम इस प्रकार है:- .

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भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची

शिकोहाबाद तहसील के ग्राम नगला भाट में श्री मुकुट सिंह यादव जो ग्राम पंचायत रूपसपुर से प्रधान भी रहे हैं उनके तीन पुत्र हैं गजेंद्र यादव नगेन्द्र यादव पुष्पेंद्र यादव प्रधान जी का जन्म सन १९५० में हुआ था उन्होंने अपना सारा जीवन ग़रीबों के लिए क़ुर्बान कर दिया था और वो ५ भाईओ में सबसे छोटे थे और अपने परिवार को बाँधे रखा ११ मार्च २०१५ को उनका देहावसान हो गया ! वो आज भी हमारे दिलों में ज़िंदा हैं इस लेख में भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची है। भारत में रेलवे स्टेशनों की कुल संख्या 7,000 और 8,500 के बीच अनुमानित है। भारतीय रेलवे एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार देने के साथ दुनिया में चौथा सबसे बड़ा नियोक्ता है। सूची तस्वीर गैलरी निम्नानुसार है। .

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भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाले महानगरों की सूची

इस लेख में भारत के सर्वोच्च सौ महानगरीय क्षेत्रों की सूची (२००८ अनुसार) है। इन सौ महानगरों की संयुक्त जनसंख्या राष्ट्र की कुल जनसंख्या का सातवां भाग बनाती है। .

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भारत में सांस्कृतिक विविधता

अंगूठाकार .

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भारत में संचार

भारतीय दूरसंचार उद्योग दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता दूरसंचार उद्योग है, जिसके पास अगस्त 2010http://www.trai.gov.in/WriteReadData/trai/upload/PressReleases/767/August_Press_release.pdf तक 706.37 मिलियन टेलीफोन (लैंडलाइन्स और मोबाइल) ग्राहक तथा 670.60 मिलियन मोबाइल फोन कनेक्शन्स हैं। वायरलेस कनेक्शन्स की संख्या के आधार पर यह दूरसंचार नेटवर्क मुहैया करने वाले देशों में चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारतीय मोबाइल ग्राहक आधार आकार में कारक के रूप में एक सौ से अधिक बढ़ी है, 2001 में देश में ग्राहकों की संख्या लगभग 5 मिलियन थी, जो अगस्त 2010 में बढ़कर 670.60 मिलियन हो गयी है। चूंकि दूरसंचार उद्योग दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2013 तक भारत में 1.159 बिलियन मोबाइल उपभोक्ता हो जायेंगे.

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भारत में हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म भारत का सबसे बड़ा और मूल धार्मिक समूह है और भारत की 79.8% जनसंख्या (96.8 करोड़) इस धर्म की अनुयाई है। भारत में वैदिक संस्कृति का उद्गम २००० से १५०० ईसा पूर्व में हुआ था। जिसके फलस्वरूप हिन्दू धर्म को, वैदिक धर्म का क्रमानुयायी माना जाता है, जिसका भारतीय इतिहास पर गहन प्रभाव रहा है। स्वयं इण्डिया नाम भी यूनानी के Ἰνδία (इण्डस) से निकला है, जो स्वयं भी प्राचीन फ़ारसी शब्द हिन्दू से निकला, जो संस्कृत से सिन्धु से निकला, जो इस क्षेत्र में बहने वाली सिन्धु नदी के लिए प्रयुक्त किया गया था। भारत का एक अन्य प्रचलित नाम हिन्दुस्तान है, अर्थात "हिन्दुओं की भूमि"। .

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भारत में विमानक्षेत्रों की सूची

यह सूची भारत के विमानक्षेत्रों की है। भारत में विमानक्षेत्रों और बंदरगाहों को दर्शाता हुआ मानचित्र .

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भारत में विश्वविद्यालयों की सूची

यहाँ भारत में विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है। भारत में सार्वजनिक और निजी, दोनों विश्वविद्यालय हैं जिनमें से कई भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं, जो विभिन्न निकायों और समितियों द्वारा समर्थित हैं। शीर्ष दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के तहत सूचीबद्ध विश्वविद्यालयों में से अधिकांश भारत में स्थित हैं। .

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भारत में आतंकवाद

भारत बहुत समय से आतंकवाद का शिकार हो रहा है। भारत के काश्मीर, नागालैंड, पंजाब, असम, बिहार आदि विशेषरूप से आतंक से प्रभावित रहे हैं। यहाँ कई प्रकार के आतंकवादी जैसे पाकिस्तानी, इस्लामी, माओवादी, नक्सली, सिख, ईसाई आदि हैं। जो क्षेत्र आज आतंकवादी गतिविधियों से लम्बे समय से जुड़े हुए हैं उनमें जम्मू-कश्मीर, मुंबई, मध्य भारत (नक्सलवाद) और सात बहन राज्य (उत्तर पूर्व के सात राज्य) (स्वतंत्रता और स्वायत्तता के मामले में) शामिल हैं। अतीत में पंजाब में पनपे उग्रवाद में आंतकवादी गतिविधियां शामिल हो गयीं जो भारत देश के पंजाब राज्य और देश की राजधानी दिल्ली तक फैली हुई थीं। 2006 में देश के 608 जिलों में से कम से कम 232 जिले विभिन्न तीव्रता स्तर के विभिन्न विद्रोही और आतंकवादी गतिविधियों से पीड़ित थे। अगस्त 2008 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के.

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भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

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भारत में किसान आत्महत्या

भारत में किसान आत्महत्या १९९० के बाद पैदा हुई स्थिति है जिसमें प्रतिवर्ष दस हज़ार से अधिक किसानों के द्वारा आत्महत्या की रपटें दर्ज की गई है। १९९७ से २००६ के बीच १,६६,३०४ किसानों ने आत्महत्या की।भारतीय कृषि बहुत हद तक मानसून पर निर्भर है तथा मानसून की असफलता के कारण नकदी फसलें नष्ट होना किसानों द्वारा की गई आत्महत्याओं का मुख्य कारण माना जाता रहा है। मानसून की विफलता, सूखा, कीमतों में वृद्धि, ऋण का अत्यधिक बोझ आदि परिस्तिथियाँ, समस्याओं के एक चक्र की शुरुआत करती हैं। बैंकों, महाजनों, बिचौलियों आदि के चक्र में फँसकर भारत के विभिन्न हिस्सों के किसानों ने आत्महत्याएँ की है। .

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भारत में कुपोषण

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है.

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भारत में कोयला-खनन

भारत में कोयले का उत्पादन भारत में कोयले के खनन का इतिहास बहुत पुराना है। ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने १७७४ में दामोदर नदी के पश्चिमी किनारे पर रानीगंज में कोयले का वाणिज्यिक खनन आरम्भ किया। इसके बाद लगभग एक शताब्दी तक खनन का कार्य अपेक्षाकृत धीमी गति से चलता रहा क्योंकि कोयले की मांग बहुत कम थी। किन्तु १८५३ में भाप से चलने वाली गाड़ियों के आरम्भ होने से कोयले की मांग बढ़ गयी और खनन को प्रोत्साहन मिला। इसके बाद कोयले का उत्पादन लगभग १ मिलियन मेट्रिक टन प्रति वर्ष हो गया। १९वीं शताब्दी के अन्त तक भारत में उत्पादन 6.12 मिलियन टन वार्षिक हो गया। और १९२० तक १८ मिलियन मेट्रिक टन वार्षिक। प्रथम विश्वयुद्ध के समय उत्पादन में सहसा वृद्धि हुई किन्तु १९३० के आरम्भिक दशक में फिर से उत्पादन में कमी आ गयी। १९४२ तक उत्पादन २९ मिलियन मेट्रिक टन प्रतिवर्ष तथा १९४६ तक ३० मिलियन मेट्रिक टन हो गया। .

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भारत का पुरापाषाण युग

पुरापाषाण काल (अंग्रेजी Palaeolithic) प्रागैतिहासिक युग का वह समय है जब मानव ने पत्थर के औजार बनाना सबसे पहले आरम्भ किया। यह काल आधुनिक काल से २५-२० लाख साल पूर्व से लेकर १२,००० साल पूर्व तक माना जाता है। इस दौरान मानव इतिहास का ९९% विकास हुआ। इस काल के बाद मध्यपाषाण युग का प्रारंभ हुआ जब मानव ने खेती करना शुरु किया था। भारत में पुरापाषाण काल के अवशेष तमिल नाडु के कुरनूल, कर्नाटक के हुँस्न्गी, ओडिशा के कुलिआना, राजस्थान के डीडवानाके श्रृंगी तालाब के निकट और मध्य प्रदेश के भीमबेटका में मिलते हैं। इन अवशेषो की संख्या मध्यपाषाण काल के प्राप्त अवशेषो से बहुत कम है। .

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भारत का भूगोल

भारत का भूगोल या भारत का भौगोलिक स्वरूप से आशय भारत में भौगोलिक तत्वों के वितरण और इसके प्रतिरूप से है जो लगभग हर दृष्टि से काफ़ी विविधतापूर्ण है। दक्षिण एशिया के तीन प्रायद्वीपों में से मध्यवर्ती प्रायद्वीप पर स्थित यह देश अपने ३२,८७,२६३ वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है। साथ ही लगभग १.३ अरब जनसंख्या के साथ यह पूरे विश्व में चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भी है। भारत की भौगोलिक संरचना में लगभग सभी प्रकार के स्थलरूप पाए जाते हैं। एक ओर इसके उत्तर में विशाल हिमालय की पर्वतमालायें हैं तो दूसरी ओर और दक्षिण में विस्तृत हिंद महासागर, एक ओर ऊँचा-नीचा और कटा-फटा दक्कन का पठार है तो वहीं विशाल और समतल सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भी, थार के विस्तृत मरुस्थल में जहाँ विविध मरुस्थलीय स्थलरुप पाए जाते हैं तो दूसरी ओर समुद्र तटीय भाग भी हैं। कर्क रेखा इसके लगभग बीच से गुजरती है और यहाँ लगभग हर प्रकार की जलवायु भी पायी जाती है। मिट्टी, वनस्पति और प्राकृतिक संसाधनो की दृष्टि से भी भारत में काफ़ी भौगोलिक विविधता है। प्राकृतिक विविधता ने यहाँ की नृजातीय विविधता और जनसंख्या के असमान वितरण के साथ मिलकर इसे आर्थिक, सामजिक और सांस्कृतिक विविधता प्रदान की है। इन सबके बावजूद यहाँ की ऐतिहासिक-सांस्कृतिक एकता इसे एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करती है। हिमालय द्वारा उत्तर में सुरक्षित और लगभग ७ हज़ार किलोमीटर लम्बी समुद्री सीमा के साथ हिन्द महासागर के उत्तरी शीर्ष पर स्थित भारत का भू-राजनैतिक महत्व भी बहुत बढ़ जाता है और इसे एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करता है। .

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भारत का इतिहास

भारत का इतिहास कई हजार साल पुराना माना जाता है। मेहरगढ़ पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ नवपाषाण युग (७००० ईसा-पूर्व से २५०० ईसा-पूर्व) के बहुत से अवशेष मिले हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता, जिसका आरंभ काल लगभग ३३०० ईसापूर्व से माना जाता है, प्राचीन मिस्र और सुमेर सभ्यता के साथ विश्व की प्राचीनतम सभ्यता में से एक हैं। इस सभ्यता की लिपि अब तक सफलता पूर्वक पढ़ी नहीं जा सकी है। सिंधु घाटी सभ्यता वर्तमान पाकिस्तान और उससे सटे भारतीय प्रदेशों में फैली थी। पुरातत्त्व प्रमाणों के आधार पर १९०० ईसापूर्व के आसपास इस सभ्यता का अक्स्मात पतन हो गया। १९वी शताब्दी के पाश्चात्य विद्वानों के प्रचलित दृष्टिकोणों के अनुसार आर्यों का एक वर्ग भारतीय उप महाद्वीप की सीमाओं पर २००० ईसा पूर्व के आसपास पहुंचा और पहले पंजाब में बस गया और यहीं ऋग्वेद की ऋचाओं की रचना की गई। आर्यों द्वारा उत्तर तथा मध्य भारत में एक विकसित सभ्यता का निर्माण किया गया, जिसे वैदिक सभ्यता भी कहते हैं। प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारंभिक सभ्यता है जिसका संबंध आर्यों के आगमन से है। इसका नामकरण आर्यों के प्रारम्भिक साहित्य वेदों के नाम पर किया गया है। आर्यों की भाषा संस्कृत थी और धर्म "वैदिक धर्म" या "सनातन धर्म" के नाम से प्रसिद्ध था, बाद में विदेशी आक्रांताओं द्वारा इस धर्म का नाम हिन्दू पड़ा। वैदिक सभ्यता सरस्वती नदी के तटीय क्षेत्र जिसमें आधुनिक भारत के पंजाब (भारत) और हरियाणा राज्य आते हैं, में विकसित हुई। आम तौर पर अधिकतर विद्वान वैदिक सभ्यता का काल २००० ईसा पूर्व से ६०० ईसा पूर्व के बीच में मानते है, परन्तु नए पुरातत्त्व उत्खननों से मिले अवशेषों में वैदिक सभ्यता से संबंधित कई अवशेष मिले है जिससे कुछ आधुनिक विद्वान यह मानने लगे हैं कि वैदिक सभ्यता भारत में ही शुरु हुई थी, आर्य भारतीय मूल के ही थे और ऋग्वेद का रचना काल ३००० ईसा पूर्व रहा होगा, क्योंकि आर्यो के भारत में आने का न तो कोई पुरातत्त्व उत्खननों पर अधारित प्रमाण मिला है और न ही डी एन ए अनुसन्धानों से कोई प्रमाण मिला है। हाल ही में भारतीय पुरातत्व परिषद् द्वारा की गयी सरस्वती नदी की खोज से वैदिक सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता और आर्यों के बारे में एक नया दृष्टिकोण सामने आया है। हड़प्पा सभ्यता को सिन्धु-सरस्वती सभ्यता नाम दिया है, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता की २६०० बस्तियों में से वर्तमान पाकिस्तान में सिन्धु तट पर मात्र २६५ बस्तियां थीं, जबकि शेष अधिकांश बस्तियां सरस्वती नदी के तट पर मिलती हैं, सरस्वती एक विशाल नदी थी। पहाड़ों को तोड़ती हुई निकलती थी और मैदानों से होती हुई समुद्र में जाकर विलीन हो जाती थी। इसका वर्णन ऋग्वेद में बार-बार आता है, यह आज से ४००० साल पूर्व भूगर्भी बदलाव की वजह से सूख गयी थी। ईसा पूर्व ७ वीं और शुरूआती ६ वीं शताब्दि सदी में जैन और बौद्ध धर्म सम्प्रदाय लोकप्रिय हुए। अशोक (ईसापूर्व २६५-२४१) इस काल का एक महत्वपूर्ण राजा था जिसका साम्राज्य अफगानिस्तान से मणिपुर तक और तक्षशिला से कर्नाटक तक फैल गया था। पर वो सम्पूर्ण दक्षिण तक नहीं जा सका। दक्षिण में चोल सबसे शक्तिशाली निकले। संगम साहित्य की शुरुआत भी दक्षिण में इसी समय हुई। भगवान गौतम बुद्ध के जीवनकाल में, ईसा पूर्व ७ वीं और शुरूआती ६ वीं शताब्दि के दौरान सोलह बड़ी शक्तियां (महाजनपद) विद्यमान थे। अति महत्‍वपूर्ण गणराज्‍यों में कपिलवस्‍तु के शाक्‍य और वैशाली के लिच्‍छवी गणराज्‍य थे। गणराज्‍यों के अलावा राजतंत्रीय राज्‍य भी थे, जिनमें से कौशाम्‍बी (वत्‍स), मगध, कोशल, कुरु, पान्चाल, चेदि और अवन्ति महत्‍वपूर्ण थे। इन राज्‍यों का शासन ऐसे शक्तिशाली व्‍यक्तियों के पास था, जिन्‍होंने राज्‍य विस्‍तार और पड़ोसी राज्‍यों को अपने में मिलाने की नीति अपना रखी थी। तथापि गणराज्‍यात्‍मक राज्‍यों के तब भी स्‍पष्‍ट संकेत थे जब राजाओं के अधीन राज्‍यों का विस्‍तार हो रहा था। इसके बाद भारत छोटे-छोटे साम्राज्यों में बंट गया। आठवीं सदी में सिन्ध पर अरबी अधिकार हो गाय। यह इस्लाम का प्रवेश माना जाता है। बारहवीं सदी के अन्त तक दिल्ली की गद्दी पर तुर्क दासों का शासन आ गया जिन्होंने अगले कई सालों तक राज किया। दक्षिण में हिन्दू विजयनगर और गोलकुंडा के राज्य थे। १५५६ में विजय नगर का पतन हो गया। सन् १५२६ में मध्य एशिया से निर्वासित राजकुमार बाबर ने काबुल में पनाह ली और भारत पर आक्रमण किया। उसने मुग़ल वंश की स्थापना की जो अगले ३०० सालों तक चला। इसी समय दक्षिण-पूर्वी तट से पुर्तगाल का समुद्री व्यापार शुरु हो गया था। बाबर का पोता अकबर धार्मिक सहिष्णुता के लिए विख्यात हुआ। उसने हिन्दुओं पर से जज़िया कर हटा लिया। १६५९ में औरंग़ज़ेब ने इसे फ़िर से लागू कर दिया। औरंग़ज़ेब ने कश्मीर में तथा अन्य स्थानों पर हिन्दुओं को बलात मुसलमान बनवाया। उसी समय केन्द्रीय और दक्षिण भारत में शिवाजी के नेतृत्व में मराठे शक्तिशाली हो रहे थे। औरंगज़ेब ने दक्षिण की ओर ध्यान लगाया तो उत्तर में सिखों का उदय हो गया। औरंग़ज़ेब के मरते ही (१७०७) मुगल साम्राज्य बिखर गया। अंग्रेज़ों ने डचों, पुर्तगालियों तथा फ्रांसिसियों को भगाकर भारत पर व्यापार का अधिकार सुनिश्चित किया और १८५७ के एक विद्रोह को कुचलने के बाद सत्ता पर काबिज़ हो गए। भारत को आज़ादी १९४७ में मिली जिसमें महात्मा गाँधी के अहिंसा आधारित आंदोलन का योगदान महत्वपूर्ण था। १९४७ के बाद से भारत में गणतांत्रिक शासन लागू है। आज़ादी के समय ही भारत का विभाजन हुआ जिससे पाकिस्तान का जन्म हुआ और दोनों देशों में कश्मीर सहित अन्य मुद्दों पर तनाव बना हुआ है। .

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भारत के तेल शोधनागारों की सूची

भारत में कुल मिलाकर २३ तेल शोधनागार है। दिसंबर २०१७ के अनुसार इन सब की मिलाकर कुल क्षमता २४७.६ एमएमटीपीए (मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष) है। .

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भारत के निजी विश्वविद्यालयों की सूची

भारत में उच्च शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत सार्वजनिक और निजी दोनों प्रकार के विश्वविद्यालय सम्मिलित हैं। सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को भारत के केन्द्रीय सरकार तथा राज्य सरकारों से सहायता मिलती है जबकि निजी विश्वविद्यालय विभिन्न निजी संस्थाओं एवं सोसायटी के द्वारा संचालित होते हैं। भारत में विश्वविद्यालयों की मान्यता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग देता है। .

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भारत के प्रथम

यहाँ पर भारत के उन व्यक्तियों, समूहों और संस्थाओं का संकलन है जो किसी श्रेणी में प्रथम हैं/थे।.

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भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची

भारत के प्रधानमंत्री भारत गणराज्य की सरकार के मुखिया हैं। भारत के प्रधानमंत्री, का पद, भारत के शासनप्रमुख (शासनाध्यक्ष) का पद है। संविधान के अनुसार, वह भारत सरकार के मुखिया, भारत के राष्ट्रपति, का मुख्य सलाहकार, मंत्रिपरिषद का मुखिया, तथा लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का नेतृत्व करता है। भारत की राजनैतिक प्रणाली में, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल में का वरिष्ठ सदस्य होता है। .

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भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ

भारत अनादि काल से संस्कृति, आस्था, आस्तिकता और धर्म का महादेश रहा है। इसके हर भाग और प्रान्त में विभिन्न देवी-देवताओं से सम्बद्ध कुछ ऐसे अनेकानेक प्राचीन और (अपेक्षाकृत नए) धार्मिक स्थान (तीर्थ) हैं, जिनकी यात्रा के प्रति एक आम भारतीय नागरिक पर्यटन और धर्म-अध्यात्म दोनों ही आकर्षणों से बंधा इन तीर्थस्थलों की यात्रा के लिए सदैव से उत्सुक रहा है। .

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भारत के प्रशासनिक विभाग

प्रशासनिक दृष्टि से भारत राज्यों या प्रान्तों में विभक्त है; राज्य, जनपदों (या जिलों) में विभक्त हैं, जिले तहसील (तालुक या मण्डल) में विभक्त हैं। यह विभाजन और नीचे तक गया है। .

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भारत के प्रस्तावित राज्य तथा क्षेत्र

भारत के प्रस्तावित राज्य तथा क्षेत्र भारत में नए राज्यों और क्षेत्रों के निर्माण का अधिकार पूरी तरह से भारत की संसद के लिए आरक्षित है। संसद नए राज्यों की घोषणा करके, किसी मौजूदा राज्य से एक क्षेत्र को अलग करके, या दो या दो से अधिक राज्यों या उसके हिस्सों में विलय करके ऐसा कर सकती है। मौजूदा उनत्तीस राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा समय के साथ भारत में कई नए राज्यों और क्षेत्रों को स्थापित करने का प्रस्ताव रखा जाता रहा है। .

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भारत के बायोस्फीयर रिजर्व

भारत सरकार ने देश भर में १८ बायोस्फीयर भंडार स्थापित किए हैं। ये बायोस्फीयर भंडार भौगोलिक रूप से जीव जंतुओं के प्राकृतिक भू-भाग की रक्षा करते हैं और अकसर आर्थिक उपयोगों के लिए स्थापित बफर जोनों के साथ एक या ज्यादा राष्ट्रीय उद्यान और अभ्यारण्य को संरक्षित रखने का काम करते हैं। संरक्षण न केवल संरक्षित क्षेत्र के वनस्पतियों और जीवों के लिए दिया जाता है, बल्कि इन क्षेत्रों में रहने वाले मानव समुदायों को भी दिया जाता है। .

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भारत के बाघ संरक्षित क्षेत्र

भारत के बाघ संरक्षित क्षेत्र भारत में वह क्षेत्र हैं जिनको प्रोजेक्ट टाइगर के तहत अधिसूचना द्वारा संरक्षित किया गया है। इनकी संख्या अभी तक ३९ है। .

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भारत के मानित विश्वविद्यालय

भारत में उच्च शिक्षा संस्थान निजी व सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में हैं। सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को सरकार (केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों द्वारा) द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त होती है जबकि निजी विश्वविद्यालय विभिन्न संस्थाओं या समितियों द्वारा संचालित होते हैं। .

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भारत के राष्ट्रपतियों की सूची

भारत का राष्ट्रपति देश का मुखिया और भारत का प्रथम नागरिक है। राष्ट्रपति के पास भारतीय सशस्त्र सेना की भी सर्वोच्च कमान है। भारत का राष्ट्रपति लोक सभा, राज्यसभा और विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुना जाता है। भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है। भारत की स्वतंत्रता से अबतक 13 राष्ट्रपति हो चुके है। भारत के राष्ट्रपति पद की स्थापना भारतीय संविधान के द्वारा की गयी है। इन 13 राष्ट्रपतियों के अलावा 3 कार्यवाहक राष्ट्रपति भी हुए हैं जो पदस्थ राष्ट्रपति की मृत्यु के बाद बनाये गए है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद थे। 7 राष्ट्रपति निर्वाचित होने से पूर्व राजनीतिक पार्टी के सदस्य रह चुके है। इनमे से 6 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और 1 जनता पार्टी के सदस्य शामिल है, जो बाद राष्ट्रपति बने। दो राष्ट्रपति, ज़ाकिर हुसैन और फ़ख़रुद्दीन अली अहमद, जिनकी पदस्थ रहते हुए मृत्यु हुई। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी है जो 25 जुलाई 2012 को भारत के 13 वें राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित हुए राष्ट्रपति रहने से पूर्व वे भारत सरकार में वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष रह चुके है। वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल के निवासी है इसलिए वे इस राज्य से पहले राष्ट्रपति हैं। इससे पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति है। वर्तमान में 25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति का पद रामनाथ कोविंद को प्राप्त हुआ है। .

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भारत के राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की सूची

भारत में, राष्ट्रीय महत्व के स्मारक, भारत में स्थित वे ऐतिहासिक, प्राचीन अथवा पुरातात्विक संरचनाएँ, स्थल या स्थान हैं, जोकि, प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 किए अधीन, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के माध्यम से भारत की संघीय सरकार या राज्य सरकारों द्वारा संरक्षिक होती हैं। ऐसे स्मारकों को "राष्ट्रीय महत्व का स्मारक" होने के मापदंड, प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 द्वारा परिभाषित किये गए हैं। ऐसे स्मारकों को इस अधिनियम के मापदंडों पर खरा उतरने पर, एक वैधिक प्रक्रिया के तहत पहले "राष्ट्रीय महत्व" का घोषित किया जाता है, और फिर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के संसाक्षणाधीन कर दिया जाता है, ताकि उनकी ऐतिहासिक महत्व क्व मद्देनज़र, उनकी उचित देखभाल की जा सके। वर्त्तमान समय में, राष्ट्रीय महत्व के कुल 3650 से अधिक प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष देश भर में विद्यमान हैं। ये स्मारक विभिन्न अवधियों से संबंधित है जो प्रागैतिहासिक अवधि से उपनिवेशी काल तक के हैं, जोकि विभिन्न भूगोलीय स्थितियों में स्थित हैं। इनमें मंदिर, मस्जिद, मकबरे, चर्च, कब्रिस्तान, किले, महल, सीढ़ीदार, कुएं, शैलकृत गुफाएं, दीर्घकालिक वास्तुकला तथा साथ ही प्राचीन टीले तथा प्राचीन आवास के अवशेषों का प्रतिनिधित्व करने वाले स्थल शामिल हैं। इन स्मारकों तथा स्थलों का रखरखाव तथा परिरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विभिन्न मंडलों द्वारा किया जाता है जो पूरे देश में फैले हुए हैं। .

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भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार

भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची (संख्या के क्रम में) भारत के राजमार्गो की एक सूची है। .

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भारत के राष्ट्रीय उद्यान

नीचे दी गयी सूची भारत के राष्ट्रीय उद्यानों की है। 1936 में भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान था- हेली नेशनल पार्क, जिसे अब जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। १९७० तक भारत में केवल ५ राष्ट्रीय उद्यान थे। १९८० के दशक में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अलावा वन्य जीवों की सुरक्षार्थ कई अन्य वैधानिक प्रावधान लागू हुए.

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भारत के राज्य (सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार)

यह भारत के राज्यों और संघ शासित क्षेत्र की वित्तीय वर्ष 2010 मे सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार एक सूची है। .

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भारत के राज्य (कर राजस्व के अनुसार)

यह भारत के राज्यों की उनकी कर राजस्व के अनुसार सूचि है। यह तेरहवें वित्त आयोग द्वारा किया गया है। श्रेणी:भारत के राज्य.

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भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश

भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.

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भारत के राज्य और संघ क्षेत्र और उनके दो वर्ण वाले कोड

यह सूची भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों के संक्षिप्त नामानुसार (रोमन में) है। .

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भारत के राज्यकीय पुष्पों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की राजधानियाँ

यह सूची भारत के राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों की राजधानियों की है। भारत में कुल 29 राज्य और 7 केन्द्र-शासित प्रदेश हैं। सभी राज्यों और दो केन्द्र-शासित प्रदेशों, दिल्ली और पौण्डिचेरी, में चुनी हुई सरकारें और विधानसभाएँ होती हैं, जो वॅस्टमिन्स्टर प्रतिमान पर आधारित हैं। अन्य पाँच केन्द्र-शासित प्रदेशों पर देश की केन्द्र सरकार का शासन होता है। 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अन्तर्गत राज्यों का निर्माण भाषाई आधार पर किया गया था, और तबसे यह व्यवस्था लगभग अपरिवर्तित रही है। प्रत्येक राज्य और केन्द्र-शासित प्रदेश प्रशासनिक इकाईयों में बँटा होता है। नीचे दी गई सूची में राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों की विभिन्न प्रकार की राजधानियाँ सूचीबद्ध हैं। प्रशासनिक राजधानी वह होती है जहाँ कार्यकारी सरकार के कार्यालय स्थित होते हैं, वैधानिक राजधानी वह है जहाँ से राज्य विधानसभा संचालित होती है, और न्यायपालिका राजधानी वह है जहाँ उस राज्य या राज्यक्षेत्र का उच्च न्यायालय स्थित होता है। .

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भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची

भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना तिथि अनुसार सूची में भारत के राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश अपनी स्थापना तिथि के साथ दिए गए हैं। .

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भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची जनसंख्या अनुसार

भारत का जनसंख्या घनत्व मानचित्र पर भारत एक संघ है, जो २9 राज्यों एवं सात केन्द्र शासित प्रदेशों से बना है। यहां की २००८ की अनुमानित जनसंख्या 1 अरब 13 करोड़ के साथ भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनाकीर्ण देश बन गया है। इससे पहले इस सूछी में बस चीन ही आता है। भारत में विश्व की कुल भूमि का २.४% भाग ही आता है। किंतु इस २.४% भूमि में विश्व की जनसंख्या का १६.९% भाग रहता है। भारत के गांगेय-जमुनी मैदानी क्षेत्रों में विश्व का सबसे बड़ा ऐल्यूवियम बहुल उपत्यका क्षेत्र आता है। यही क्षेत्र विश्व के सबसे घने आवासित क्षेत्रों में से एक है। यहां के दक्खिन पठार के पूर्वी और पश्चिमी तटीय क्षेत्र भी भारत के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में आते हैं। पश्चिमी राजस्थान में थार मरुस्थल विश्व का सबसे घनी आबादी वाला मरुस्थल है। हिमालय के साथ साथ उत्तरी और पूर्वोत्तरी राज्यों में शीत-शुष्क मरुस्थल हैं, जिनके साथ उपत्यका घाटियां हैं। इन राज्यों में अदम्य आवासीय स्थितियों के कारण अपेक्षाकृत कम घनत्व है। .

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारत के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

यह सूचियों भारत के सबसे बड़े शहरों पर है। .

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भारत के सात आश्चर्य

विश्व की सबसे शानदार मानव-निर्मित और प्राकृतिक चीजों को सूचीबद्ध करने के लिए विश्व के सात आश्चर्य की कई सूचियां बनाई गयी हैं। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) समाचार पत्र ने के पहचाने गए 20 प्राचीन तथा मध्यकालीन स्थलों में से सात महान आश्चर्यों के चुनाव के लिए 21 से 31 जुलाई 2007 के बीच एक Simple Mobile Massage मतदान करवाया.

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भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम

कोई विवरण नहीं।

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भारत के हवाई अड्डे

यह सूची भारत के हवाई यातायात है। .

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भारत के जल प्रपात

कर्नाटक का जोग प्रपात भारत के जल प्रपातों की राज्यवार सूची .

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भारत के ज़िले

तालुकों में बंटे हैं ज़िला भारतीय राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश का प्रशासनिक हिस्सा होता है। जिले फिर उप-भागों में या सीधे तालुकों में बंटे होते हैं। जिले के अधिकारियों की गिनती में निम्न आते हैं.

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भारत के विश्व धरोहर स्थल

यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किए गए भारतीय सांस्‍कृतिक और प्राकृतिक स्‍थलों की सूची - .

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भारत के अभयारण्य

भारत में 500 से अधिक प्राणी अभयारण्य हैं, जिन्हें वन्य जीवन अभयारण्य (IUCN श्रेणी IV सुरक्षित क्षेत्र) कहा जाता है। इनमें से 28 बाघ अभयारण्य बाघ परियोजना द्वारा संचालित हैं, जो बाघ-संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ वन्य अभयारण्यों को पक्षी-अभयारण्य कहा जाता रहा है, (जैसे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान) जब तक कि उन्हें राष्ट्रीय उद्यान का दर्ज़ा नहीं मिल गया। कई राष्ट्रीय उद्यान पहले वन्य जीवन अभयारण्य ही थे। कुछ वन्य जीवन अभयारण्य संरक्षण हेतु राष्ट्रीय महत्व रखते हैं, अपनी कुछ मुख्य प्राणी प्रजातियों के कारण। अतः उन्हें राष्ट्रीय वन्य जीवन अभयारण्य कहा जाता है, जैसे.

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भारत के उच्च न्यायालयों की सूची

भारतीय उच्च न्यायालय भारत के उच्च न्यायालय हैं। भारत में कुल २४ उच्च न्यायालय है जिनका अधिकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक समूह होता हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, पंजाब और हरियाणा राज्यों के साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को भी अपने अधिकार क्षेत्र में रखता हैं। उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद २१४, अध्याय ५ भाग ६ के अंतर्गत स्थापित किए गए हैं। न्यायिक प्रणाली के भाग के रूप में, उच्च न्यायालय राज्य विधायिकाओं और अधिकारी के संस्था से स्वतंत्र हैं .

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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भारत की स्वास्थ्य समस्याएँ (2009)

वर्ष 2009 में भारत के लोगों को पोलियो, एचआईवी और मलेरिया जैसी चिरपरिचित बिमारियों के साथ ही स्वाइन फ्लू नामक नई बीमारी का भी सामना करना पडा। इस वर्ष की दस प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं- .

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भारत २०१०

इन्हें भी देखें 2014 भारत 2014 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2014 साहित्य संगीत कला 2014 खेल जगत 2014 .

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भारती एयरटेल

भारती एयरटेल, जिसे पहले भारती टेलीवंचर उद्यम लिमिटेड (BTVL) के नाम से जाना जाता था, अब भारत की दूरसंचार व्यवसाय आॅपरेटरों की सबसे बड़ी कंपनी है जिसके जुलाई २००८ तक ६९.४ करोड़ उपभोक्ता थे। यह फिक्स्ड लाइन सेवा तथा ब्रॉडबैंड सेवाएँ भी प्रदान करती हैं। यह अपनी दूरसंचार सेवाएँ एयरटेल के ब्रांड तले प्रदान करती है और इसका नेतृत्व सुनील मित्तल (Sunil Mittal) करते हैं। यह कंपनी १४ सर्किलों में डीएसएल पर टेलीफोन सेवा तथा इंटरनेट की पहुंच भी उपलब्ध कराती है। यह कंपनी लंबी दूरी वाली राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेवाओं के साथ अपने मोबाइल, ब्रॉडबैंड तथा टेलीफोन सेवाओं की पूरक सेवाएँ का कार्य करती है। कंपनी के पास चैन्नई में पनडुब्बी केबल लैंडिंग स्टेशन भी है जो चेन्नई और सिंगापुर को जोड़ने वाली पनडुब्बी केबल को जोड़ता है। कंपनी अपने कॉरपोरेट ग्राहकों को देश में फाइबर आप्टिक बैकबोन द्वारा अंत:दर अंत: आंकड़े तथा उद्यम सेवाएं प्रदान कराती है, इसके अलावा फिक्स्ड लाइन एवं मोबाइल सर्किलों, वीसेट, आईएसपी तथा गेटवे एवं लैंडिंग स्टेशनों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय बैंडविड्थ की पहुँच हेतु अंतिम मील तक संबंध जोड़ने का कार्य करती है। एयरटेल भारत में भारती एयरटेल द्वारा संचालित दूरसंचार सेवाओं की एक ब्रांड है। भारत में ग्राहकों की संख्या की दृष्टि से एयरटेल सेल्यूलर सेवा की सबसे बड़ी कंपनी है। भारती एयरटेल के पास एयरटेल ब्रांड का स्वामित्व है और अपने ब्रांड नाम एयरटेल मोबाइल सर्विसेज के नाम से जीएसएम (GSM) प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए निम्नलिखित सेवाएं उपलब्ध कराती है: ब्राडबैंड तथा दूरसंचार सेवाएं, स्थिर लाइन इंटरनेट कनेक्टीविटी (डीएसएल तथा बंधक लाइन), लंबी दूरी की सेवाएं एवं उद्यम सेवाएं (कॉरपोरेट के दूरसंचार परामर्श).

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भारतीय चित्रकला

'''भीमवेटका''': पुरापाषाण काल की भारतीय गुफा चित्रकला भारत मैं चित्रकला का इतिहास बहुत पुराना रहा हैं। पाषाण काल में ही मानव ने गुफा चित्रण करना शुरु कर दिया था। होशंगाबाद और भीमबेटका क्षेत्रों में कंदराओं और गुफाओं में मानव चित्रण के प्रमाण मिले हैं। इन चित्रों में शिकार, शिकार करते मानव समूहों, स्त्रियों तथा पशु-पक्षियों आदि के चित्र मिले हैं। अजंता की गुफाओं में की गई चित्रकारी कई शताब्दियों में तैय्यार हुई थी, इसकी सबसे प्राचिन चित्रकारी ई.पू.

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भारतीय थलसेना

भारतीय थलसेना, सेना की भूमि-आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है, और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये। भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है, जैसे ऑपरेशन सूर्य आशा, और आंतरिक खतरों से निपटने के लिए सरकार द्वारा भी सहायता हेतु अनुरोध किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख अंग है। सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार युद्धों तथा चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है। सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस शामिल हैं। संघर्षों के अलावा, सेना ने शांति के समय कई बड़े अभियानों, जैसे ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और युद्ध-अभ्यास शूरवीर का संचालन किया है। सेना ने कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है जिनमे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया, एल साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक और सोमालिया आदि सम्मलित हैं। भारतीय सेना में एक सैन्य-दल (रेजिमेंट) प्रणाली है, लेकिन यह बुनियादी क्षेत्र गठन विभाजन के साथ संचालन और भौगोलिक रूप से सात कमान में विभाजित है। यह एक सर्व-स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80% से अधिक हिस्सा है। यह 1,200,255 सक्रिय सैनिकों और 909,60 आरक्षित सैनिकों के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है। सेना ने सैनिको के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे "फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सैनिक एक प्रणाली के रूप में" के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही यह अपने बख़्तरबंद, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए संसाधनों का संग्रह एवं सुधार भी कर रहा है।.

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भारतीय नाम

भारतीय पारिवारिक नाम अनेक प्रकार की प्रणालियों व नामकरण पद्धतियों पर आधारित होते हैं, जो एक से दूसरे क्षेत्र के अनुसार बदलतीं रहती हैं। नामों पर धर्म व जाति का प्रभाव भी होता है और वे धर्म या महाकाव्यों से लिये हुए हो सकते हैं। भारत के लोग विविध प्रकार की भाषाएं बोलते हैं और भारत में विश्व के लगभग प्रत्येक प्रमुख धर्म के अनुयायी मौजूद हैं। यह विविधता नामों व नामकरण की शैलियों में सूक्ष्म, अक्सर भ्रामक, अंतर उत्पन्न करती है। उदाहरण के लिये, पारिवारिक नाम की अवधारणा तमिलनाडु में व्यापक रूप से मौजूद नहीं थी। कई भारतीयों के लिये, उनके जन्म का नाम, उनके औपचारिक नाम से भिन्न होता है; जन्म का नाम किसी ऐसे वर्ण से प्रारंभ होता है, जो उस व्यक्ति की जन्म-कुंडली के आधार पर उसके लिये शुभ हो। कुछ बच्चों को एक नाम दिया जाता है (दिया गया नाम).

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भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान

भारतीय पर्यटन संस्थान और यात्रा प्रबंधन (आईआईटीटीएम) एक संस्थान है, जो ग्वालियर, मध्य प्रदेश, भारत, के साथ भुवनेश्वर, नोएडा, नेल्लोर और गोवा आदि में भी स्थित है। यह पर्यटन, यात्रा और अन्य संबंधित क्षेत्रों के प्रबंधन में प्रशिक्षण, शिक्षा और अनुसंधान हेतु पाठ्यक्रम उपलब्ध कराता है। यह पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के अन्तर्गत एक स्वायत्त संस्था है। इसे 1983 में स्थापित किया गया था। .

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भारतीय पुलिस सेवा

भारतीय पुलिस सेवा, जिसे आम बोलचाल में भारतीय पुलिस या आईपीएस, के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार के अखिल भारतीय सेवा के एक अंग के रूप में कार्य करता है, जिसके अन्य दो अंग भारतीय प्रशासनिक सेवा या आईएएस और भारतीय वन सेवा या आईएफएस हैं जो ब्रिटिश प्रशासन के अंतर्गत इंपीरियल पुलिस के नाम से जाना जाता था। .

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भारतीय प्रबन्धन संस्थान

भारतीय प्रबन्धन संस्थान (आई आई एम) भारत के सर्वोत्तम प्रबंधन संस्थान हैं। प्रबन्धन की शिक्षा के अतिरिक्त ये अनुसंधान व सलाह (कांसल्टेंसी) का कार्य भी करते हैं। वर्तमान में ६ भारतीय प्रबन्धन संस्थान हैं जो बंगलुरू, अहमदाबाद, कोलकाता, लखनऊ, इन्दौर तथा कोझीकोड में स्थित हैं। ये प्रबन्धन में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा की उपाधि प्रदान करते हैं जो एम बी ए के समतुल्य है। इन संस्थानों में प्रवेश अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली प्रवेश परीक्षा कामन ऐडमिशन टेस्ट (सी ए टी) के आधार पर होता है। यह परीक्षा दुनिया की सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी परिक्षाओं में से है। .

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना, बिहार का एकमात्र भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान है जो उन आठ भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों में से एक है, जिसे केंद्र सरकार ने वर्ष 2008- 2009 के मध्य स्थापित किया था। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का परिसर पटना शहर से 25 किलोमीटर दूर स्थित बिहटा में स्थित है।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना का परिसर राजधानी पटना से 25 किलोमीटर दूर बिहटा नामक स्थान पर लगभग 500 एकड़ भूमि पर निर्मित किया गया है। .

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर की स्थापना २००९ में हुई थी। यह मध्य प्रदेश के इन्दौर में स्थित है। आरम्भ में इसकी कक्षाएँ देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इंजीनियरी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में लगीं किन्तु २०१६ से इसके अपने कैम्पस में लग रहीं हैं जो इन्दौर से लगभग २५ किमी पूरब में सिमरौल नामक स्थान में स्थित है। .

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अधिकतर कांग्रेस के नाम से प्रख्यात, भारत के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक हैं, जिन में अन्य भारतीय जनता पार्टी हैं। कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज में २८ दिसंबर १८८५ में हुई थी; इसके संस्थापकों में ए ओ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे। १९वी सदी के आखिर में और शुरूआती से लेकर मध्य २०वी सदी में, कांग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने १.५ करोड़ से अधिक सदस्यों और ७ करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक केन्द्रीय भागीदार बनी। १९४७ में आजादी के बाद, कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। आज़ादी से लेकर २०१६ तक, १६ आम चुनावों में से, कांग्रेस ने ६ में पूर्ण बहुमत जीता हैं और ४ में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया; अतः, कुल ४९ वर्षों तक वह केन्द्र सरकार का हिस्सा रही। भारत में, कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैं; पहले जवाहरलाल नेहरू (१९४७-१९६५) थे और हाल ही में मनमोहन सिंह (२००४-२०१४) थे। २०१४ के आम चुनाव में, कांग्रेस ने आज़ादी से अब तक का सबसे ख़राब आम चुनावी प्रदर्शन किया और ५४३ सदस्यीय लोक सभा में केवल ४४ सीट जीती। तब से लेकर अब तक कोंग्रेस कई विवादों में घिरी हुई है, कोंग्रेस द्वारा भारतीय आर्मी का मनोबल गिराने का देश में विरोध किया जा रहा है । http://www.allianceofdemocrats.org/index.php?option.

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भारतीय राज्य पशुओं की सूची

भारत, आधिकारिक भारत गणराज्य एक दक्षिण एशियाई देश है। यह २९ राज्यों और ७ केन्द्र शासित प्रदेशों से मिलकर बना है। सभी भारतीय अपनी स्वयं की सरकार रखते हैं और केन्द्रशासित प्रदेश केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। अधिकतर अन्य देशों की तरह भारत में भी राष्ट्रीय प्रतीक पाये जाते हैं। राष्ट्रीय प्रतीकों के अतिरिक्त सभी भारतीय राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश अपनेखुद की राज्य मोहर और प्रतीक रखते हैं जिसमें राज्य पशु, पक्षी, पेड़, फूल आदि शामिल हैं। भारत के सभी राज्य पशुओं की सूची निचे दी गयी है। .

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भारतीय राज्य पक्षियों की सूची

यह सूची भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के आधिकारिक पक्षियों की है: .

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भारतीय राज्यों के राज्यपालों की सूची

भारत गणराज्य में राज्यपाल २९ राज्यों में राज्य प्रमुख का संवैधानिक पद होता है। राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति पाँच वर्ष के लिए करते हैं और वे राष्ट्रपति की मर्जी पर पद पर रहते हैं। राज्यपाल राज्य सरकार का विधित मुखिया होता है जिसकी कार्यकारी कार्रवाई राज्यपाल के नाम पर सम्पन्न होती है। .

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भारतीय राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्रियों की सूची

भारत गणराज्य में उन्तीस राज्यों और दो केन्द्र-शासित प्रदेशों (दिल्ली और पुद्दुचेरी) की प्रत्येक सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री कहलाता है। भारत के संविधान के अनुसार राज्य स्तर पर राज्यपाल क़ानूनन मुखिया होता है लेकिन वास्तव में कार्यकारी प्राधिकारी मुख्यमंत्री ही होता है। राज्य विधान सभा चुनावों के बाद राज्यपाल सामान्यतः सरकार बनाने के लिए बहुमत वाले दल (अथवा गठबंधन) को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है। राज्यपाल, मुख्यमंत्री को नियुक्त करता है जिसकी कैबिनेट विधानसभा के लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदार होती है। यदि विधानसभा में विश्वासमत प्राप्त हो तो मुख्यमंत्री का कार्यकाल सामान्यतः अधिकतम पाँच वर्ष का होता है; इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री के कार्यकाल की संख्याओं की कोई सीमा नहीं होती। वर्तमान में पदस्थ इकत्तीस में से तीन, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, जम्मू और कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती और राजस्थान में वसुंधरा राजे महिला हैं। दिसम्बर 1994 से (समय के लिए), सिक्किम के पवन कुमार चामलिंग सबसे लम्बे समय से पदस्थ मुख्यमंत्री हैं। पंजाब के अमरिन्दर सिंह (जन्म 1942) सबसे वृद्ध मुख्यमंत्री हैं जबकि अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू (जन्म 1979) सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। भारतीय जनता पार्टी के चौदह पदस्थ, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पाँच पदस्थ तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दो है; इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य दल के पदस्थ मुख्यमंत्रियों की संख्या एक से अधिक नहीं है। .

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भारतीय लोक कला मण्डल

भारतीय लोक कला मण्डल (Bharatiya Lok Kala Mandal) एक सांस्कृतिक आधारित कला मण्डल है जो भारतीय राज्य राजस्थान के उदयपुर ज़िले में स्थित है। यहां राज्य में लोक कला, संस्कृति, गीत और राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के त्योहारों का अध्ययन कर सकते हैं। इसको १९५२ में देवीलाल समार द्वारा स्थापित किया गया। .

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भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष

3 मई 2013 (शुक्रवार) को भारतीय सिनेमा पूरे सौ साल का हो गया। किसी भी देश में बनने वाली फिल्में वहां के सामाजिक जीवन और रीति-रिवाज का दर्पण होती हैं। भारतीय सिनेमा के सौ वर्षों के इतिहास में हम भारतीय समाज के विभिन्न चरणों का अक्स देख सकते हैं।उल्लेखनीय है कि इसी तिथि को भारत की पहली फीचर फ़िल्म “राजा हरिश्चंद्र” का रुपहले परदे पर पदार्पण हुआ था। इस फ़िल्म के निर्माता भारतीय सिनेमा के जनक दादासाहब फालके थे। एक सौ वर्षों की लम्बी यात्रा में हिन्दी सिनेमा ने न केवल बेशुमार कला प्रतिभाएं दीं बल्कि भारतीय समाज और चरित्र को गढ़ने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। .

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भारतीय संविधान सभा

भारतीय संविधान सभा का पहला दिन (११ दिशम्बर १९४६)। बैठे हुए दाएं से: बी जी खेर, सरदार बल्लभ भाई पटेल, के एम मुंशी और डॉ. भीमराव आंबेडकर भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान की रचना के लिए किया गया था। ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने। .

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भारतीय संविधान का इतिहास

किसी भी देश का संविधान उसकी राजनीतिक व्यवस्था का वह बुनियादी सांचा-ढांचा निर्धारित करता है, जिसके अंतर्गत उसकी जनता शासित होती है। यह राज्य की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसे प्रमुख अंगों की स्थापना करता है, उसकी शक्तियों की व्याख्या करता है, उनके दायित्यों का सीमांकन करता है और उनके पारस्परिक तथा जनता के साथ संबंधों का विनियमन करता है। इस प्रकार किसी देश के संविधान को उसकी ऐसी 'आधार' विधि (कानून) कहा जा सकता है, जो उसकी राज्यव्यवस्था के मूल सिद्धातों को निर्धारित करती है। वस्तुतः प्रत्येक संविधान उसके संस्थापकों एवं निर्माताओं के आदर्शों, सपनों तथा मूल्यों का दर्पण होता है। वह जनता की विशिष्ट सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रकृति, आस्था एवं आकांक्षाओं पर आधारित होता है। भारत में नये गणराज्य के संविधान का शुभारंभ 26 जनवरी, 1950 को हुआ और भारत अपने लंबे इतिहास में प्रथम बार एक आधुनिक संस्थागत ढांचे के साथ पूर्ण संसदीय लोकतंत्र बना। 26 नवम्बर, 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा निर्मित ‘भारत का संविधान’ के पूर्व ब्रिटिश संसद द्वारा कई ऐसे अधिनियम/चार्टर पारित किये गये थे, जिन्हें भारतीय संविधान का आधार कहा जा सकता है। .

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भारतीय जनता पार्टी

भारतीय जनता पार्टी (संक्षेप में, भाजपा) भारत के दो प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक हैं, जिसमें दूसरा दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है। यह राष्ट्रीय संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के मामले में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और प्राथमिक सदस्यता के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा दल है।.

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भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्रियों की सूची

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संसद सदस्यों की संख्या के आधार पर भारतीय गणराज्य की राजनैतिक प्रणाली का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। 1980 में स्थापित भाजपा, राजनीतिक विचारधारा के स्तर पर, सामान्यतः एक दक्षिणपंथी दल माना जाता है।, वह प्राथमिक सदस्यता की दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा दल है।, 17 राज्यों में 42 भाजपा नेता मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हो चुके है, जिनमें से पन्द्रह निवर्तमान हैं। उनतीस राज्यों और दो ​​केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली और पुडुचेरी) में से प्रत्येक का शासनाध्यक्ष मुख्यमंत्री होता है। भारतीय संविधान के अनुसार, राज्य स्तर पर, राज्यपाल विधिवत् प्रधान होता है, किंतु वस्तुतः कार्यकारी अधिकार मुख्यमंत्री के पास होते हैं। विधानसभा के चुनावों के बाद, राज्यपाल अधिकांशतः सरकार बनाने के लिए विधानसभा सदस्यों की बहुसंख्यता वाले दल (या गठबंधन) को आमंत्रित करता है। राज्यपाल मुख्यमंत्री को नियुक्त करता है जिसका मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति समूह्य-उत्तरदायी होता हैं। अगर उसके पास विधानसभा का विश्वास है तो एक मुख्यमंत्री की अवधि सामान्यतः अधिकतम पांच वर्ष की होती है। 42 भाजपा मुख्यमंत्रियों में से पन्द्रह निवर्तमान है—अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू, असम में सर्बानंद सोनोवाल, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड में त्रिवेन्द्र सिंह रावत, गुजरात में विजय रूपाणी, गोवा में मनोहर पर्रीकर, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह, झारखंड में रघुवर दास, मणिपुर में एन बीरेन सिँह, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस, राजस्थान में वसुंधरा राजे, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर, हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर तथा त्रिपुरा में बिप्लब कुमार देब। भाजपा मुख्यमंत्रियों में से चार महिलाएँ रही हैं—दिल्ली में सुषमा स्वराज, गुजरात में आनंदीबेन पटेल, मध्य प्रदेश में उमा भारती और राजस्थान में वसुंधरा राजे। दिसंबर 2003 से कार्यरत (के लिए), रमन सिंह भाजपा के सबसे लम्बे समय तक सेवारत मुख्यमंत्री है। मुख्यमंत्री के रूप में कर्नाटक के बी॰ एस॰ येदियुरप्पा का पहला कार्यकाल केवल नौ दिनों तक चला, जो भाजपा मुख्यमंत्रियों के बीच में सबसे कम अवधि का कार्यकाल है; तथापि, सभी कार्यकालों के कुल को ध्यान में लेते हुए, सुषमा स्वराज 52 दिन की सबसे कम अवधि के लिए मुख्यमंत्री रहीं। राजस्थान के भैरों सिंह शेखावत भाजपा के पहले मुख्यमंत्री थे। उन्होंने 4 मार्च 1990 को राजस्थान का मुख्यमंत्री का पद संभाला। बहरहाल कुछ भाजपा नेता जनता पार्टी (जपा) के सदस्य होते हुए पहले से ही मुख्यमंत्री के रूप में निर्वाचित हो चुके थे; जपा राजनीतिक दलों का एक मिश्रण था जिसमें भाजपा का पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ भी शामिल था। उत्तराखण्ड और गुजरात में भाजपा के पांच मुख्यमंत्री रहे है, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भाजपा के चार मुख्यमंत्री रहे हैं; कर्नाटक, झारखंड, और दिल्ली में तीन भाजपा मुख्यमंत्री रहे हैं। .

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भारतीय वाहन पंजीकरण पट्ट

भारत के द्वि-वर्ण राज्य कूट भारत में सभी मोटरचालित वाहनों को एक पंजीकरण संख्या (या लाइसेंस नम्बर) दिया जाता है। लाइसेंस पट्ट को नामपट्ट भी कहते हैं। यह संख्या सभी प्रदेशों में जिला स्तर के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) द्वारा दिया जाता है। यह चालन अनुज्ञप्‍ति पट्ट वाहन के आगे और पश्च दिशा में लगाया जाता है। नियमानुसार सभी पट्टियाँ लातिन वर्णों सहित आधुनिक भारतीय अंक प्रणाली में होने चाहिए। .

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भारतीय विधायिकाओं के वर्तमान अध्यक्षों की सूची

भारत गणराज्य में भारतीय विधायिकाओँ का मुखिया अध्यक्ष होता है। .

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भारतीय आम चुनाव, 2014

भारत में सोलहवीं लोक सभा के लिए आम चुनाव ७ अप्रैल से १२ मई २०१४ तक ९ चरणों में हुए। मतगणना १६ मई को हुई। इसके लिए भारत की सभी संसदीय क्षेत्रों में वोट डाले गये। वर्तमान में पंद्रहवी लोक सभा का कार्यकाल ३१ मई २०१४ को ख़त्म हो रहा है। ये चुनाव अब तक के इतिहास में सबसे लंबा कार्यक्रम वाला चुनाव था। यह पहली बार होगा, जब देश में ९ चरणों में लोकसभा चुनाव हुए। निर्वाचन आयोग के अनुसार ८१.४५ करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। सभी नौ चरणों में औसत मतदान ६६.३८% के आसपास रहा जो भारतीय आम चुनाव के इतिहास में सबसे उच्चतम है। चुनाव के परिणाम १६ मई को घोषित किये गये। ३३६ सीटों के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सबसे बड़ा दल और २८२ सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने ५९ सीटों पर और कांग्रेस ने ४४ सीटों पर जीत हासिल की।, Election Commission of India बीजेपी ने केवल 31.0% वोट जीते, जो आजादी के बाद से भारत में बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए पार्टी का सबसे कम हिस्सा है, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का संयुक्त वोट हिस्सा 38.5% था। 1984 के आम चुनाव के बाद बीजेपी और उसके सहयोगियों ने सबसे बड़ी बहुमत वाली सरकार बनाने का अधिकार जीता, और यह चुनाव पहली बार हुआ जब पार्टी ने अन्य पार्टियों के समर्थन के बिना शासन करने के लिए पर्याप्त सीटें जीती हैं। आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सबसे खराब हार थी। भारत में आधिकारिक विपक्षी दल बनने के लिए, एक पार्टी को लोकसभा में 10% सीटें (54 सीटें) हासिल करनी होंगी; हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस नंबर को हासिल करने में असमर्थ थी। इस तथ्य के कारण, भारत एक आधिकारिक विपक्षी पार्टी के बिना बना हुआ है। .

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भारतीय आम चुनाव, 2014 के लिए चुनाव पूर्व सर्वेक्षण

भारतीय आम चुनाव, 2014 के लिए विभिन्न संस्थाओं द्वारा सर्वेक्षण कराए जा रहे हैं जिससे भारत के मतदान के मिजाज़ का पता चलता है। इन्ही चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों को इस लेख में शामिल किया जा रहा है। सभी चुनाव पूर्व सर्वेक्षण जनवरी 2013 से लेकर अब तक के हैं। .

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भारतीय आम चुनाव, २००९

२००९ के भारतीय आम चुनाव विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में पंद्रहवीं लोकसभा के लिए पांच चरणों में (१६ अप्रैल २२/२३ अप्रैल ३० अप्रैल ७ मई और १३ मई २००९) को संपन्न हुए। १६ मई को मतगणना व चुनाव परिणामों की घोषणा हुई। २००९ में लोकसभा के साथ-साथ आंध्रप्रदेश, उड़ीसा और सिक्किम विधानसभा के लिए भी चुनाव कराए गए। १६ मई को मतगणना हुई। शुरूआती रूझानों में कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने ढाई सौ से भी ज्यादा बढ़त हासिल कर ली जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपनी हार मान ली। भारत के संविधान के अनुसार, सामान्य स्थिति में प्रति पांच वर्ष में लोकसभा चुनाव होता है। १४वें लोकसभा का कार्यकाल १ जून २००९ को समाप्त हुआ। भारत में चुनाव चुनाव आयोग संपन्न कराता है। चुनाव आयोग के अनुसार, 2009 के लोकसभा चुनाव में 71.3 करोड़ लोग मतदान के लिए योग्य हैं। यह संख्या २००४ के लोकसभा की अपेक्षा ४ करोड़ ३० लाख ज्यादा है। .

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भारतीय इतिहास की समयरेखा

पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं भारत एक साझा इतिहास के भागीदार हैं इसलिए भारतीय इतिहास की इस समय रेखा में सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास की झलक है। .

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भारतीय क्रिकेट टीम

भारतीय क्रिकेट टीम भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम है। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा संचालित भारतीय क्रिकेट टीम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की पूर्णकालिक सदस्य है। भारतीय टीम दो बार क्रिकेट विश्वकप (१९८३ और २०११) अपने नाम कर चुकी है। वर्तमान में भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री हैं। .

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भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने भारत में क्रिकेट के लिए राष्ट्रीय शासकिय निकाय है। बोर्ड के एक समाज, तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत के रूप में दिसंबर 1928 में गठन किया गया था। यह राज्य क्रिकेट संघों के एक संघ है और राज्य संघों उनके प्रतिनिधियों जो बदले में बीसीसीआई अधिकारियों का चुनाव चुनाव। .

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भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2008

14 नवम्बर 2008 को प्रगति मैदान, नई दिल्ली में 28वें भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले का उद्घाटन करते हुए भारत के उपराष्ट्रपति श्री मो. हामिद अंसारी। 14 नवम्बर 2008 को प्रगति मैदान, नई दिल्ली में 28वें भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले का उद्घाटन हुआ। .

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भाषा वियोजक

भाषा वियोजक (language isolate) ऐसी प्राकृतिक भाषा है जिसका किसी भी अन्य भाषा से कोई जातीय सम्बन्ध न हो, यानि जो अपने भाषा परिवार में बिलकुल अकेली हो और जिसका किसी भी अन्य भाषा के साथ कोई सांझी पूर्वज भाषा न हो। यूरोप की बास्क भाषा और एशिया की कोरियाई भाषा इसके उदाहरण हैं। भारत में जम्मू और कश्मीर की बुरुशस्की भाषा और मध्य प्रदेश की निहाली भाषा दोनों ही भाषा वियोजक हैं। .

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भावेश चंद्र सान्याल

भावेश चंद्र सान्याल को भारत सरकार द्वारा सन १९८४ में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये मध्य प्रदेश राज्य से हैं। श्रेणी:१९८४ पद्म भूषण.

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भागोरिया

भागोरिया मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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भागीरथ प्रसाद

भागीरथ प्रसाद भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के भिण्ड से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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भिण्ड

भिण्ड में गौरी सरोवर अपने आप में एक पर्यटन स्थल है। गौरी सरोवर पर बहुत से पार्को को नए रूप से विकसित किया गया हैं। चम्बल सम्भाग - भिंड भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक शहर है। .

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भिण्ड लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

भिण्ड लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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भिंड ज़िला

भिन्ड जिला, मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय भिंड है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के जिले.

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भवभूति

भवभूति, संस्कृत के महान कवि एवं सर्वश्रेष्ठ नाटककार थे। उनके नाटक, कालिदास के नाटकों के समतुल्य माने जाते हैं। भवभूति ने अपने संबंध में महावीरचरित्‌ की प्रस्तावना में लिखा है। ये विदर्भ देश के 'पद्मपुर' नामक स्थान के निवासी श्री भट्टगोपाल के पुत्र थे। इनके पिता का नाम नीलकंठ और माता का नाम जतुकर्णी था। इन्होंने अपना उल्लेख 'भट्टश्रीकंठ पछलांछनी भवभूतिर्नाम' से किया है। इनके गुरु का नाम 'ज्ञाननिधि' था। मालतीमाधव की पुरातन प्रति में प्राप्त 'भट्ट श्री कुमारिल शिष्येण विरचित मिंद प्रकरणम्‌' तथा 'भट्ट श्री कुमारिल प्रसादात्प्राप्त वाग्वैभवस्य उम्बेकाचार्यस्येयं कृति' इस उल्लेख से ज्ञात होता है कि श्रीकंठ के गुरु कुमारिल थे जिनका 'ज्ञाननिधि' भी नाम था और भवभूति ही मीमांसक उम्बेकाचार्य थे जिनका उल्लेख दर्शन ग्रंथों में प्राप्त होता है और इन्होंने कुमारिल के श्लोकवार्तिक की टीका भी की थी। संस्कृत साहित्य में महान्‌ दार्शनिक और नाटककार होने के नाते ये अद्वितीय हैं। पांडित्य और विदग्धता का यह अनुपम योग संस्कृत साहित्य में दुर्लभ है। शंकरदिग्विजय से ज्ञात होता है कि उम्बेक, मंडन सुरेश्वर, एक ही व्यक्ति के नाम थे। भवभूति का एक नाम 'उम्बेक' प्राप्त होता है अत: नाटककार भवभूति, मीमांसक उम्बेक और अद्वैतमत में दीक्षित सुरेश्वराचार्य एक ही हैं, ऐसा कुछ विद्वानों का मत है। राजतरंगिणी के उल्लेख से इनका समय एक प्रकार से निश्चित सा है। ये कान्यकुब्ज के नरेश यशोवर्मन के सभापंडित थे, जिन्हें ललितादित्य ने पराजित किया था। 'गउडवहो' के निर्माता वाक्यपतिराज भी उसी दरबार में थे अत: इनका समय आठवीं शताब्दी का पूर्वार्ध सिद्ध होता है। .

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भवानी प्रसाद मिश्र

भवानी प्रसाद मिश्र (जन्म: २९ मार्च १९१४ - मृत्यु: २० फ़रवरी १९८५) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक थे। वे दूसरे तार-सप्तक के एक प्रमुख कवि हैं। गाँधीवाद की स्वच्छता, पावनता और नैतिकता का प्रभाव तथा उसकी झलक उनकी कविताओं में साफ़ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह 'गीत-फ़रोश' अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नये पाठ-प्रवाह के कारण अत्यंत लोकप्रिय हुए थे। प्यार से लोग उन्हें भवानी भाई कहकर सम्बोधित किया करते थे। उन्होंने स्वयं को कभी भी कभी निराशा के गर्त में डूबने नहीं दिया। जैसे सात-सात बार मौत से वे लड़े वैसे ही आजादी के पहले गुलामी से लड़े और आजादी के बाद तानाशाही से भी लड़े। आपातकाल के दौरान नियम पूर्वक सुबह दोपहर शाम तीनों बेलाओं में उन्होंने कवितायें लिखी थीं जो बाद में त्रिकाल सन्ध्या नामक पुस्तक में प्रकाशित भी हुईं।http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/4488/3/52 भवानी भाई को १९७२ में उनकी कृति बुनी हुई रस्सी के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। १९८१-८२ में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का साहित्यकार सम्मान दिया गया तथा १९८३ में उन्हें मध्य प्रदेश शासन के शिखर सम्मान से अलंकृत किया गया। .

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भवानी माता मंदिर, खंडवा

खण्डवा का प्रसिद्ध भवानी माता मंदिर धूनीवाले दादाजी के दरबार के पास स्थित है। यह मंदिर माता तुलजा भवानी को समर्पित है। यह मंदिर खंडवा, मध्य प्रदेश में स्थित है। .

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भगवत रावत

भगवत रावत एक प्रगतिशील कवि एवं निबन्ध लेखक थे। .

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भगवंतराव मंडलोइ

भगवंतराव मंडलोइ एक भारतीय राजनेता है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। श्रेणी:मध्य प्रदेश श्रेणी:मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रेणी:मुख्यमंत्री श्रेणी:राजनीतिज्ञ.

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भगोरिया

भगोरिया एक उत्सव है जो होली का ही एक रूप है। यह मध्य प्रदेश के मालवा अंचल (धार, झाबुआ, खरगोन आदि) के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। भगोरिया के समय धार, झाबुआ, खरगोन आदि क्षेत्रों के हाट-बाजार मेले का रूप ले लेते हैं और हर तरफ फागुन और प्यार का रंग बिखरा नजर आता है। भगोरिया हाट-बाजारों में युवक-युवती बेहद सजधज कर अपने भावी जीवनसाथी को ढूँढने आते हैं। इनमें आपसी रजामंदी जाहिर करने का तरीका भी बेहद निराला होता है। सबसे पहले लड़का लड़की को पान खाने के लिए देता है। यदि लड़की पान खा ले तो हाँ समझी जाती है। इसके बाद लड़का लड़की को लेकर भगोरिया हाट से भाग जाता है और दोनों विवाह कर लेते हैं। इसी तरह यदि लड़का लड़की के गाल पर गुलाबी रंग लगा दे और जवाब में लड़की भी लड़के के गाल पर गुलाबी रंग मल दे तो भी रिश्ता तय माना जाता है। .

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भंडारा जिला

भंडारा यह भारत के राज्य महाराष्ट्र के विदर्भ प्रांत का एक जिला है। जिले का मुख्यालय भंडारा है। .

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भूपेंद्र नाथ कौशिक

व्यंग्यकार भूपेंद्र नाथ कौशिक "फ़िक्र" (७ जुलाई, १९२५-२७ अक्टूबर,२००७) आधुनिक काल के सशक्त व्यंग्यकार थे, उनकी कविता में बाज़ारवाद और कोरे हुल्लड़ के खिलाफ रोष बहुलता से मिलता है। हिमांचल प्रदेश के खुबसूरत इलाके "नाहन" में जन्मे फ़िक्र साहब के पिता का नाम पंडित अमरनाथ था और माता का नाम लीलावती था, पिताजी संगीत और अरबी भाषा की प्रकांड विद्वान थे। आध्यात्म के संस्कार फ़िक्र को बचपन में शैख़ सादी की फारसी हिकायत "गुलिस्तान" से मिले। प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत और फारसी में हुयी। उच्च शिक्षा के लिए फ़िक्र जी अम्बाला छावनी आ गए। और यहाँ के राजकीय कॉलेज से अरबी, फारसी, उर्दू और अंग्रेजी की शिक्षा ली। नौकरी की तलाश में जबलपुर आना पड़ा, यहाँ आकर, बी.

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भेड़ाघाट

भेड़ाघाट, भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के जबलपुर जिला में स्थित एक रमणीय पर्यटन स्थल है। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित चौसठ योगिनी मंदिर इसके समीप स्थित है। धुआंधार जलप्रपात, भेड़ाघाट के निकट एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। भेडाघाट में बहती नर्मदा नदी नर्मदा नदी के दोनों तटों पर संगमरमर की सौ फुट तक ऊँची चट्टानें भेड़ाघाट की खासियत हैं। यह पर्यटन स्थल भी जबलपुर से महज 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जबलपुर से भेड़ाघाट के लिए बस(मेट्रो), टेम्पो और टैक्सी भी उपलब्ध रहती है। यहाँ कई प्रसिद्ध् हिन्दी फिल्मो का छित्रान्कन हुआ है।;संगरमर की चट्टानें चाँद की रोशनी में भेड़ाघाट की सैर एक अलग ही तरह का अनुभव रहता है।;धुआँधार वॉटर फॉल भेड़ाघाट के पास नर्मदा का पानी एक बड़े झरने के रूप में गिरता है। यह स्पॉट धुआँधार फॉल्स कहलाता है।;चौंसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट के पास ही यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है। यह बहुत ही भव्य मंदिर है। यहाँ ६४ योगिनी अर्थात् देवियों की प्रतिमा है। दसवीं शताब्दी में स्थापित हुए दुर्गा के इस मंदिर से नर्मदा दिखाई देती है। .

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भोपाल

भोपाल भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है और भोपाल ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। भोपाल को झीलों की नगरी भी कहा जाता है,क्योंकि यहाँ कई छोटे-बड़े ताल हैं। यह शहर अचानक सुर्ख़ियों में तब आ गया जब १९८४ में अमरीकी कंपनी, यूनियन कार्बाइड से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से लगभग बीस हजार लोग मारे गये थे। भोपाल गैस कांड का कुप्रभाव आज तक वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण के अलावा जैविक विकलांगता एवं अन्य रूपों में आज भी जारी है। इस वजह से भोपाल शहर कई आंदोलनों का केंद्र है। भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) का एक कारखाना है। हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने अपना दूसरा 'मास्टर कंट्रोल फ़ैसिलटी' स्थापित की है। भोपाल में ही भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भी है जो भारत में वन प्रबंधन का एकमात्र संस्थान है। साथ ही भोपाल उन छह नगरों में से एक है जिनमे २००३ में भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया था तथा वर्ष २०१५ से यह कार्यशील है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक विश्वविद्यालय जैसे राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय,अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय,मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय,माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय,भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय। इसके अतिरिक्त अनेक राष्ट्रीय संस्थान जैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,भारतीय वन प्रबंधन संस्थान,भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान,राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय भोपाल इंजीनियरिंग महाविद्यालय,गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय तथा अनेक शासकीय एवं पब्लिक स्कूल हैं। .

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भोपाल मेट्रो

भोपाल मेट्रो भोपाल शहर भारत के लिए एक प्रस्तावित त्वरित यातायात परियोजना है।इस प्रणाली को ३ गलियारों में विभाजित किया गया है, जिसकी कुल लंबाई २८.५ किलोमीटर है। इस परियोजना पर लगभग खर्च होंगे.

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भोपाल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

भोपाल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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भोपाल समाचार

भोपाल समाचार या (भोपाल समाचार डॉट कॉम/Bhopal Samachar.com) मध्यप्रदेश में स्थापित बालाजी क्रिएशन का अधिकृत आॅनलाइन समाचार चैनल है, इसकी शुरुआत १६ अगस्त २०१२ को की थी तथा इसका मुख्यालय भोपाल,मध्यप्रदेश में है। ये बहुत कम समय में यह मध्यप्रदेश का सबसे लोकप्रिय हिन्दी न्यूज पोर्टल बन गया एवं लगातार अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखे हुए हैं। इसके सम्पादक उपदेश अवस्थी है। इस ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल पर केवल मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु विश्व के हर कोने की न्यूज़ लगाई जाती है। भोपाल समाचार ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल में ज्यादातर सोशल पत्रकार है जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता का बड़ा अवसर मिल रहा है। .

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भोपाल संभाग

भोपाल संभाग मध्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य में एक प्रशासनिक भौगोलिक इकाई है। भोपाल इस संभाग का प्रशासनिक मुख्यालय है। वर्तमान में (2005), इस संभाग में ५ जिले हैं, भोपाल, रायसेन, राजगढ़, सीहोरऔर विदिशा.

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भोपाल ज़िला

भोपाल भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय भोपाल है जो राज्य की राजधानी भी है। भोपाल जिले के उत्तर में गुना जिला, उत्तर-पूर्भ में विदिशा जिला, पूरब व दक्षिण-पूर्व में रायसेन जिला, दक्षिण व दक्षिण-पश्चिम में सिहोर जिला तथा उत्तर-पश्चिम में राजगढ़ जिला स्थित है। भोपाल शहर जिले के दक्षिणी भाग में स्थित है। यह जिला भोपाल मण्डल के अन्दर आता है। क्षेत्रफल - २,७२२ वर्ग किमी॰ जनसंख्या - १८,३६,७८४ (2001 जनगणना) साक्षरता - ६३% एस.

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भोपाल जंक्शन रेलवे स्टेशन

भोपाल जंक्शन (स्टेशन कोड: BPL) मध्य प्रदेश की राजधानी का मुख्य रेलवे स्थानक है। .

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भोपाल विलासपुर एक्सप्रेस

भोपाल बिलासपुर ट्रेन भोपाल शहर के भोपाल जंक्शन तथा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर नामक स्थान के बीच चलती है। बिलासपुर पहले मध्यप्रदेश में ही था पर बाद में ये अलग होकर एक नए राज्य छत्तीसगढ़ का हिस्सा बन गया। इसलिए यह दो राज्यों को जोड़ने वाली ट्रेन भी है। .

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भोपाल गैस काण्ड

भोपाल गैस काण्ड स्मारक भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल शहर में 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड, या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई तथा बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए। भोपाल गैस काण्ड में मिथाइलआइसोसाइनाइट (मिक) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। मरने वालों के अनुमान पर विभिन्न स्त्रोतों की अपनी-अपनी राय होने से इसमें भिन्नता मिलती है। फिर भी पहले अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2,259 थी। मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3,787 की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी। अन्य अनुमान बताते हैं कि 8000 लोगों की मौत तो दो सप्ताहों के अंदर हो गई थी और लगभग अन्य 8000 लोग तो रिसी हुई गैस से फैली संबंधित बीमारियों से मारे गये थे। २००६ में सरकार द्वारा दाखिल एक शपथ पत्र में माना गया था कि रिसाव से करीब 558,125सीधे तौर पर प्रभावित हुए और आंशिक तौर पर प्रभावित होने की संख्या लगभग 38,478 थी। ३९०० तो बुरी तरह प्रभावित हुए एवं पूरी तरह अपंगता के शिकार हो गये। भोपाल गैस त्रासदी को लगातार मानवीय समुदाय और उसके पर्यावास को सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता रहा। इसीलिए 1993 में भोपाल की इस त्रासदी पर बनाए गये भोपाल-अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को इस त्रासदी के पर्यावरण और मानव समुदाय पर होने वाले दीर्घकालिक प्रभावों को जानने का काम सौंपा गया था। .

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भोजपुर, मध्य प्रदेश

भोजपुर मध्य प्रदेश के विदिशा से ४५ मील की दूरी पर रायसेन जिले में वेत्रवती नदी के किनारे बसा है। प्राचीन काल का यह नगर "उत्तर भारत का सोमनाथ' कहा जाता है। गाँव से लगी हुई पहाड़ी पर एक विशाल शिव मंदिर है। इस नगर तथा उसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (१०१० ई.- १०५३ ई.) ने किया था। अतः इसे भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। .

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भोजपुरी भाषा

भोजपुरी शब्द का निर्माण बिहार का प्राचीन जिला भोजपुर के आधार पर पड़ा। जहाँ के राजा "राजा भोज" ने इस जिले का नामकरण किया था।भाषाई परिवार के स्तर पर भोजपुरी एक आर्य भाषा है और मुख्य रूप से पश्चिम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी झारखण्ड के क्षेत्र में बोली जाती है। आधिकारिक और व्यवहारिक रूप से भोजपुरी हिन्दी की एक उपभाषा या बोली है। भोजपुरी अपने शब्दावली के लिये मुख्यतः संस्कृत एवं हिन्दी पर निर्भर है कुछ शब्द इसने उर्दू से भी ग्रहण किये हैं। भोजपुरी जानने-समझने वालों का विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों पर है जिसका कारण ब्रिटिश राज के दौरान उत्तर भारत से अंग्रेजों द्वारा ले जाये गये मजदूर हैं जिनके वंशज अब जहाँ उनके पूर्वज गये थे वहीं बस गये हैं। इनमे सूरिनाम, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, फिजी आदि देश प्रमुख है। भारत के जनगणना (2001) आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 3.3 करोड़ लोग भोजपुरी बोलते हैं। पूरे विश्व में भोजपुरी जानने वालों की संख्या लगभग ४ करोड़ है, हालांकि द टाइम्स ऑफ इंडिया के एक लेख के में ये बताया गया है कि पूरे विश्व में भोजपुरी के वक्ताओं की संख्या १६ करोड़ है, जिसमें बिहार में ८ करोड़ और उत्तर प्रदेश में ७ करोड़ तथा शेष विश्व में १ करोड़ है। उत्तर अमेरिकी भोजपुरी संगठन के अनुसार वक्ताओं की संख्या १८ करोड़ है। वक्ताओं के संख्या के आंकड़ों में ऐसे अंतर का संभावित कारण ये हो सकता है कि जनगणना के समय लोगों द्वारा भोजपुरी को अपनी मातृ भाषा नहीं बताई जाती है। .

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भोजशाला

धार से ब्रिटिश संग्रहालय ले जायी गयी '''अम्बिका''' की मूर्ति कमाल मौला पर बना चित्र (के के लेले द्वारा खोजी गयी) भोजशाला राजा भोज द्वारा निर्मित संस्कृत अध्ययन का केंद्र तथा सरस्वती का मन्दिर था। बीसवीं शदी के आरम्भिक दिनो से मध्य प्रदेश के धार में स्थित वर्तमान भोजशाला को विवादित कामिल मौला मसजिद माना जाने लगा है। .

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भोजेश्वर मन्दिर

भोजेश्वर मन्दिर (जिसे भोजपुर मन्दिर भी कहते हैं) मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग ३० किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर नामक गांव में बना एक मन्दिर है। यह मन्दिर बेतवा नदी के तट पर विन्ध्य पर्वतमालाओं के मध्य एक पहाड़ी पर स्थित है। --> मन्दिर का निर्माण एवं इसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (१०१० - १०५३ ई॰) ने करवायी थी। उनके नाम पर ही इसे भोजपुर मन्दिर या भोजेश्वर मन्दिर भी कहा जाता है, हालाँकि कुछ किंवदंतियों के अनुसार इस स्थल के मूल मन्दिर की स्थापना पाँडवों द्वारा की गई मानी जाती है। इसे "उत्तर भारत का सोमनाथ" भी कहा जाता है। यहाँ के शिलालेखों से ११वीं शताब्दी के हिन्दू मन्दिर निर्माण की स्थापत्य कला का ज्ञान होता है व पता चलता है कि गुम्बद का प्रयोग भारत में इस्लाम के आगमन से पूर्व भी होता रहा था। इस अपूर्ण मन्दिर की वृहत कार्य योजना को निकटवर्ती पाषाण शिलाओं पर उकेरा गया है। इन मानचित्र आरेखों के अनुसार यहाँ एक वृहत मन्दिर परिसर बनाने की योजना थी, जिसमें ढेरों अन्य मन्दिर भी बनाये जाने थे। इसके सफ़लतापूर्वक सम्पन्न हो जाने पर ये मन्दिर परिसर भारत के सबसे बड़े मन्दिर परिसरों में से एक होता। मन्दिर परिसर को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व का स्मारक चिह्नित किया गया है व इसका पुनरुद्धार कार्य कर इसे फिर से वही रूप देने का सफ़ल प्रयास किया है। मन्दिर के बाहर लगे पुरातत्त्व विभाग के शिलालेख अनुसार इस मंदिर का शिवलिंग भारत के मन्दिरों में सबसे ऊँचा एवं विशालतम शिवलिंग है। इस मन्दिर का प्रवेशद्वार भी किसी हिन्दू भवन के दरवाजों में सबसे बड़ा है। मन्दिर के निकट ही इस मन्दिर को समर्पित एक पुरातत्त्व संग्रहालय भी बना है। शिवरात्रि के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा यहां प्रतिवर्ष भोजपुर उत्सव का आयोजन किया जाता है। .

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भीम जन्मभूमि

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी भीम जन्मभूमि स्मारक के आम्बेडकर की मुर्ति को पुष्प अर्पित करते हुए, 14 अप्रैल 2016 भीम जन्मभूमि मध्य प्रदेश के महू (डॉ॰ आम्बेडकर नगर) में स्थित भीमराव आम्बेडकर की जन्मस्थली है। आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को एक सैन्य छावनि महू के काली पलटन इलाके में हुआ था। यहां मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी जन्मस्थली पर एक भव्य स्मारक बनाया है, जिसे 'भीम जन्मभूमि' नाम दिया गया है। स्मारक का उद्घाटन 14 अप्रैल 1991 को 100 वीं आम्बेडकर जयंती के दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा द्वारा हुआ था। स्मारक की रचना वास्तुकार ईडी निमगेड द्वारा की गयी थी। बाद में स्मारक को 14 अप्रैल, 2008 को 117 वीं आंबेडकर जयन्ती के मौके पर लोकार्पित किया था। हर साल, लाखों आम्बेडकरवादी, बौद्ध और पर्यटक आम्बेडकर को अभिवादन करने इस उनके जन्मभूमि स्थान की जगह पर जाते हैं। यह स्थान भोपाल से दो से तीन घंटे और इंदौर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर आम्बेडकर को अभिवादन करने के लिए, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 2016 में 125 वीं आम्बेडकर जयंती के दिवस पर दौरा किया था। 2018 में 127 वीं आम्बेडकर जयंती पर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महू का दौरा करके बाबासाहब आम्बेडकर को अभिवादन किया था। पंचतीर्थ के रुप में भारत सरकार द्वारा विकसित किये जा रहे आम्बेडकर के जीवन से संबंधित पांच स्थलों में से यह एक है। .

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भीमबेटका शैलाश्रय

भीमबेटका (भीमबैठका) भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं। यह स्थल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से ४५ किमी दक्षिणपूर्व में स्थित है। इनकी खोज वर्ष १९५७-१९५८ में डाक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी। भीमबेटका क्षेत्र को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल ने अगस्त १९९० में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया। इसके बाद जुलाई २००३ में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। यहाँ पर अन्य पुरावशेष भी मिले हैं जिनमें प्राचीन किले की दीवार, लघुस्तूप, पाषाण निर्मित भवन, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमार कालीन मंदिर के अवशेष सम्मिलित हैं। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है एवं इसी से इसका नाम भीमबैठका (कालांतर में भीमबेटका) पड़ा। ये गुफाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं।; इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ आरम्भ हो जाती हैं। .

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भीमराव आम्बेडकर

भीमराव रामजी आम्बेडकर (१४ अप्रैल, १८९१ – ६ दिसंबर, १९५६) बाबासाहब आम्बेडकर के नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की। जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता; वह भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। .

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भील

भील मध्य भारत की एक जनजाति है। भील जनजाति के लोग भील भाषा बोलते है। भील, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान में एक अनुसूचित जनजाति है, अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम भी भील पूर्वजों के वंशज हैं। भील त्रिपुरा और पाकिस्तान के सिन्ध के थारपरकअर जिले में भी बसे हुये हैं। .

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मऊ (बहुविकल्पी)

मऊ शब्द के अनेक अर्थ हो सकते हैं:-.

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मझगवां

मझगवां (Majhgawan) एक कस्वा है जो कि सतना जिले में स्थित है | यह कोठी से लगभग १६ किलोमीटर तथा सतना से ४२ किलोमीटर उत्तर में स्थित है | सतना सतना जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है | यह मध्य प्रदेश के सरंक्षित छोटे -छोटे लेकिन घने वन क्षेत्रो चारो ओर से घिरा हुआ है | मझगवां रेलवे स्टेशन पश्चिम मध्य रेलवे जोन का छोटा सा स्टेशन है जो कि मानिकपुर - कटनी रेल रूट पर स्थित है | यहाँ पर रुकने वाली मुख्य ट्रेने राजेन्द्र नगर- लोकमान्य तिलक (जनता) एक्सप्रेस, जबलपुर-हजरत निजामुद्दीन (महाकौसल) एक्सप्रेस, चित्रकूट एक्सप्रेस तथा बीना-कटनी पैसेंजर हैं | मझगवां से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा खजुराहो है | यहाँ पर दो उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमश: शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तथा शिशु शिक्षा सदन हैं | साथ ही हिन्दी और अंग्रेजी माध्यमों के कुछ प्राथमिक तथा माध्यमिक विद्यालय हैं | इस गाँव का मुख्य मंदिर राजाधिराज मंदिर है, इसके अतिरिक्त अन्य मंदिर बांके बिहारी, बड़े हनुमान जी, गायत्री मंदिर, शंकर जी तथा देवी दायी हैं | सतना रोड पर स्थित पंवरिया बाबा मंदिर जो कि ऊँचे पहाड़ी पर है अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध है | इस गाँव के मध्य में एक तालाब है जो यहाँ के पानी का मुख्य श्रोत है | श्रेणी:सतना जिला.

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मणिभाई जे पटेल

मणिभाई जे पटेल को उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन १९७१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये मध्य प्रदेश राज्य से हैं। श्रेणी:१९७१ पद्म भूषण.

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मण्डला लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

मण्डला लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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मण्डलेश्वर

मण्डलेश्वर मध्य प्रदेश के खरगोन जिला का एक शहर है। महेश्वर से 8 कि॰मी॰ दूर यह शहर भी नर्मदा के किनारे ही बसा है। नर्मदा पर जल-विद्युत परियोजना व बांध का निर्माण हुआ है। यहां से समीप ही चोली नामक स्थान पर अत्यंत प्राचीन शिव-मंदिर है जहां पर बहुत भव्य शिव-लिंग स्थित है। यहाँ मंडन मिश्र व आदि गुरु शंकराचार्य के मध्य शास्त्रार्थ हुआ था जिले में इस नगर को शैक्षणिक केन्द्र का रुतबा हासिल है ॥ सरदार पटेल महाविद्यालय, सरदार पटेल इंजिनियरिंग कॉलेज सहित अनेक संस्थाएँ मण्डलेश्वर को विकास की राह पर ले जा रही है ॥ पर्यटन के लिएँ यह स्थान सर्वथा उपयुक्त है ॥ अनेक मंदिर व सुन्दर घाट, नर्मदा तट पर सूर्योदय व सूर्यास्त के दृश्य अत्यंत मनमोहक होते है ॥ प्राचीन मन्दिरो का नगर आपकी यात्रा का मजा दुगुना कर देगा ॥ श्रेणी:खरगोन श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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मदनमोहन मालवीय

महामना मदन मोहन मालवीय (25 दिसम्बर 1861 - 1946) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया। पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले इस महामानव ने जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की उसमें उनकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करके देश सेवा के लिये तैयार करने की थी जो देश का मस्तक गौरव से ऊँचा कर सकें। मालवीयजी सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, देशभक्ति तथा आत्मत्याग में अद्वितीय थे। इन समस्त आचरणों पर वे केवल उपदेश ही नहीं दिया करते थे अपितु स्वयं उनका पालन भी किया करते थे। वे अपने व्यवहार में सदैव मृदुभाषी रहे। कर्म ही उनका जीवन था। अनेक संस्थाओं के जनक एवं सफल संचालक के रूप में उनकी अपनी विधि व्यवस्था का सुचारु सम्पादन करते हुए उन्होंने कभी भी रोष अथवा कड़ी भाषा का प्रयोग नहीं किया। भारत सरकार ने २४ दिसम्बर २०१४ को उन्हें भारत रत्न से अलंकृत किया। .

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मधुकर दत्तात्रेय देवरस

मधुकर दत्‍तात्रेय देवरस (11दिसम्बर1915-17 जून1996) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक थे। वे 'बाला साहब देवरस' नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। .

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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हो गया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2010-11 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीत लिया। .

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मध्य प्रदेश भगदड़ २०१३

13 अक्टूबर 2013 को, हिन्दू पर्व नवरात्रि के दौरान, भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के दतिया जिले के रतनगढ़ माता मन्दिर में के पास बने पुल के टुटने की अपवाह फैल गई जिससे भगदड़ मच गई। भगदड़ में ११५ लोग मारे गये एवं सैकड़ों घायल हो गये। .

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मध्य प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव, २०१३

मध्य प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव, 2013 भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में 25 नवम्बर 2013 को हुए वाले विधान सभा चुनाव हैं जिसमें मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हुआ। इसके परिणाम (मतगणना) 8 दिसम्बर 2013 को घोषित किये जायेंगे। छिटपुट घटनाओं को छोड़कर चुनाव शान्तिपूर्वक सम्पन्न हुआ। मध्य प्रदेश में 71 प्रतिशत मतदान होने का अनुमान है। .

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मध्य प्रदेश राज्य ओपेन स्कूल, भोपाल

पाठशाला मध्य प्रदेश राज्य ओपेन स्कूल, भोपाल 'सबके लिये शिक्षा' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये मध्य प्रदेश सरकार की पहल है। यह संस्था अगस्त १९९५ से स्वायत्तशासी संस्था के रूप में कार्य कर रही है। .

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मध्य प्रदेश संपर्क क्रांति एक्सप्रेस

मध्य प्रदेश संपर्क क्रांति एक्सप्रेस (12121) 2005 में शुरू की गयी संपर्क क्रांति सीरीज के रेलगाड़ियों में से एक हैं। संपर्क क्रांति एक्सप्रेस रेलगाड़ी की घोषना 2005 के रेलवे बजट में की गयी थी। यह रेलगाड़ी भारत की हृदयस्ताहली कहे जाने वाले मध्य प्रदेश को देश की राजधानी से जोड़ता हैं। यह रेलगाड़ी जबलपुर ((स्टेशन कोड:JBP, ओशो की जन्मस्थली) से हज़रत निज़ामुद्दीन (स्टेशन कोड:NZM) के बीच चलती हैं। ये रेलगाड़ी वर्त्तमान में हज़रत निज़ामुद्दीन में रूकती हैं जो नई डेल्ही रेलवे स्टेशन से 8 किलो मीटर की दूर पर हैं। वैसे भी दक्षिण एवं मुमबई जाने वाली ज्यादातर रेलगाड़ी आज कल हज़रत निज़ामुद्दीन से ही खुलती एवं रूकती हैं। संपर्क क्रांति रेलों के खोलने का मुख्य उद्देश्य प्रमुख शहरों/राजधानियों को देश की राजधानी से जोड़ना हैं। ये रेलगाड़ी पश्चिम मध्य रेल के द्वारा संचालित होता हैं इसका मुख्यालय जबलपुर है। .

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मध्य प्रदेश विधान सभा

मध्य प्रदेश विधान सभा भारत के मध्य प्रदेश राज्य की एक विधायिका हैं | .

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मध्य प्रदेश विधानसभा

श्रेणी:मध्य प्रदेश विधानसभा श्रेणी:भारत के राज्यों की विधायिकायें.

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मध्य प्रदेश का पर्यटन

मध्य प्रदेश भारत के ठीक मध्य में स्थित है। अधिकतर पठारी हिस्से में बसे मध्यप्रदेश में विन्ध्य और सतपुडा की पर्वत श्रृखंलाएं इस प्रदेश को रमणीय बनाती हैं। ये पर्वत श्रृखंलाएं हैं कई नदियों के उद्गम स्थलों को जन्म देती हैं, ताप्ती, नर्मदा,चम्बल, सोन,बेतवा, महानदी जो यहां से निकल भारत के कई प्रदेशों में बहती हैं। इस वैविध्यपूर्ण प्राकृतिक देन की वजह से मध्यप्रदेश एक बेहद खूबसूरत हर्राभरा हिस्सा बन कर उभरता है। जैसे एक हरे पत्ते पर ओस की बूंदों सी झीलें, एक दूसरे को काटकर गुजरती पत्ती की शिराओं सी नदियां। इतना ही विहंगम है मध्य प्रदेश जहां, पर्यटन की अपार संभावनायें हैं। हालांकि 1956 में मध्यप्रदेश भारत के मानचित्र पर एक राज्य बनकर उभरा था, किन्तु यहां की संस्कृति प्राचीन और ऐतिहासिक है। असंख्य ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहरें विशेषत: उत्कृष्ट शिल्प और मूर्तिकला से सजे मंदिर, स्तूप और स्थापत्य के अनूठे उदाहरण यहां के महल और किले हमें यहां उत्पन्न हुए महान राजाओं और उनके वैभवशाली काल तथा महान योध्दाओं, शिल्पकारों, कवियों, संगीतज्ञों के साथ-साथ हिन्दु, मुस्लिम,जैन और बौध्द धर्म के साधकों की याद दिलाते हैं। भारत के अमर कवि, नाटककार कालिदास और प्रसिध्द संगीतकार तानसेन ने इस उर्वर धरा पर जन्म ले इसका गौरव बढाया है। मध्यप्रदेश का एक तिहाई हिस्सा वन संपदा के रूप में संरक्षित है। जहां पर्यटक वन्यजीवन को पास से जानने का अदभुत अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। कान्हा नेशनल पार्क,बांधवगढ़, शिवपुरी आदि ऐसे स्थान हैं जहां आप बाघ, जंगली भैंसे, हिरणों, बारहसिंघों को स्वछंद विचरते देख पाने का दुर्लभ अवसर प्राप्त कर सकते हैं। मध्यप्रदेश के हर इलाके की अपनी संस्कृति है और अपनी धार्मिक परम्पराएं हैं जो उनके उत्सवों और मेलों में अपना रंग भरती हैं। खजुराहो का वार्षिक नृत्यउत्सव पर्यटकों को बहुत लुभाता है और ओरछा और पचमढी क़े उत्सव वहा/ कि समृध्द लोक और आदिवासी संस्कृति को सजीव बनाते हैं। मध्यप्रदेश की व्यापकता और विविधता को खयाल में रख हम इसे पर्यटन की सुविधानुसार पांच भागों में बांट सकते र्हैं मध्य प्रदेश राज्य में अत्यधिक पर्यटन स्थल हैं। .

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मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी या (एम पी कांग्रेस), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की प्रदेश कांग्रेस कमेटी (स्टेट विंग) मध्य प्रदेश में है । मध्य प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष कमल नाथ है । .

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मध्य प्रदेश क्रिकेट टीम

मध्य प्रदेश क्रिकेट टीम एक घरेलू क्रिकेट टीम है जो भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में आधारित है। यह प्लेट में और रणजी ट्रॉफी के एलिट ग्रुप में है। .

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मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ

मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (मप्रक्रिसं), जिसका मुख्यालय इंदौर, भारत में है,। बोर्ड का गठन किया गया था 1940 में होल्कर क्रिकेट एसोसिएशन के रूप में। यह बोर्ड भारत में क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के साथ संबद्ध है। यह एसोसिएशन पहले होल्कर क्रिकेट एसोसिएशन के रूप में जाना जाता  मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (अनुवाद) के प्रीमियर क्रिकेट गवर्निंग प्रांतीय इकाइयों से संबद्ध बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल इन इंडिया (बीसीसीआई).

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मध्य प्रदेश के पेड़-पौधे

मध्य प्रदेश के अमरकंटक में मिश्रित वन का दृष्य मध्य प्रदेश में वनस्पतियों की विविधता है। .

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मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्रियों की सूची

निम्नलिखित व्यक्ति भारत के मध्य प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री रहे चुके हैं - | .

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मध्य प्रदेश के राज्यपालों की सूची

मध्य प्रदेश का राज्यपाल भारत के मध्य प्रदेश राज्य का राज्यपाल होता है जिसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राज्यपाल का आधिकारिक आवास राजभवन है जो राजधानी भोपाल में स्थित है। .

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मध्य प्रदेश के ज़िले

मध्य प्रदेश में कुल 51 जिले हैं जिनकी सूची निम्न हैं:-.

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मध्य प्रदेश की जनजातियाँ

मध्य प्रदेश में एक अच्छी खासी जनसंख्या जनजातीय है। इस प्रदेश की जनसंख्या का लगभग २०.२७% जनजातीय लोग हैं। (लगभग १.२२ करोड़, २००१ की जनगणना के अनुसार)। मध्य प्रदेश में 46 अनुसूचित जनजातियाँ हैं झाबुआ की भील लड़कियाँ .

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मध्य प्रदेश की वनस्पतियाँ एवं जीव जन्तु

मध्य प्रदेश को भारत का ह्रदय भी कहा जाता है, यह मध्य भारत का एक राज्य है। इसकी राजधानी भोपाल है। 1 नवंबर 2000 तक मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य था, जब तक छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना नहीं हुई थी। यह उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान की सीमाओं पर है।.

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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का न्यायालय हैं। इसे २ जनवरी १९३६ को भारत अधिनियम १९३५, के अंतर्गत बनाया गया। शुरूआत में इसे नागपुर में स्थापित किया गया था, लेकिन जब १९५६ में राज्यों को दोबारा बनाया गया, तब इसे जबलपुर में स्थापित किया गया। न्यायालय के दो शाखाएँ हैं - एक इंदौर में और दूसरी ग्वालियर में। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्री हेमंत गुप्ता हैं। .

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मध्य रेल (भारत)

मध्य रेल, भारतीय रेल के 16 सबसे बड़े अंचलों में से एक अंचल है और इसका मुख्यालय मुंबई में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पहले विक्टोरिया टर्मिनस) में स्थित है। इसके अंतर्गत भारत की पहली यात्री रेल लाइन भी आती है, जिसे 16 अप्रैल 1853 को मुंबई से ठाणे के बीच चलाया गया था। इसे लघुरूप में मरे कहा जाता है। मध्य रेल के अंतर्गत महाराष्ट्र का अधिकांश, कर्नाटक का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और मध्य प्रदेश का दक्षिणी हिस्सा आता है। इस रेल अंचल का गठन 5 नवम्बर 1951 को कई सरकारी स्वामित्व वाली रेलों को मिलाकर किया गया था, जिसमें ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे, पूर्व रियासत ग्वालियर की सिंधिया स्टेट रेलवे, निजाम स्टेट रेलवे और धौलपुर रेल शामिल थीं। पहले उत्तरी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दक्षिणी उत्तर प्रदेश का इलाका भी मध्य रेल अंचल के अंतर्गत आता था जिसके चलते यह क्षेत्र, रेलपथ की लंबाई और कर्मचारियों की संख्या के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा रेल अंचल बन गया था। अप्रैल 2003 में इन क्षेत्रों को मिलाकर एक नये रेल अंचल पश्चिम मध्य रेल का गठन किया गया। .

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मध्य आंचलिक परिषद

जोनल परिषदों का भारत मध्य आंचलिक परिषद में एक आंचलिक परिषद। इस परिषद मे बिहार, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और उत्तराखण्ड शामिल है। .

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मध्यप्रदॆश

कोई विवरण नहीं।

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मध्यप्रदेश बाढ़ २०१६

भारतीय राज्य मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों से काफी भारी बारिश होने की वजह से बाढ़ का रूप ले लिया है जिसमें लगभग २२ लोगों की मृत्यु हो चुकी है। प्रदेश के रायसेन, सिहोर, हरदा, होशंगाबाद, बैतूल और सागर जिले में तेज़ बारिश दर्ज की गई है। अब तक भारी बारिश के कारण बाढ़ की वजह से लगभग २३६० से ज्यादा मकान एकदम क्षतिग्रस्त हो चुके हैंजबकि १७,२६३ के करीब मकान आंशिक क्षतिग्रस्त हुए हैं। बाढ़ की वजह से मध्यप्रदेश में अब तक ३,३२००० लोग प्रभावित हुए हैं। .

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मन्दाकिनी (बहुविकल्पी)

कोई विवरण नहीं।

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मन्दाकिनी नदी, मध्य प्रदेश

यह लेख मध्य प्रदेश की मन्दाकिनी नामक नदी पर है। अन्य मन्दाकिनी लेखों के लिए देखें मन्दाकिनी चित्रकूट में मन्दाकिनी नदी का एक दृश्य मन्दाकिनी नदी, मध्य प्रदेश के सतना जिले में बहने वाली एक नदी है। इस नदी के तट पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल चित्रकूट स्थित है। रामचरित मानस मे इस नदी का उल्लेख इस दोहे में होता है। यहाँ भरतु सब सहित सुहाए, मंदाकिनी पुनीत नहाए, सरित समीप राखि सब लोगा, मागि मातु गुर सचिव नियोगा। श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ.

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मन्दाकिनी नदी,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश

मंदाकिनी नदी, यमुना की एक छोटी सहायक नदी है जो मध्य प्रदेश से सतना जिले से निकल कर उत्तर प्रदेश में कर्वी में यमुना नदी में मिल जाती है। नदी की कुल लम्बाई लगभग 50 किमी है। नदी का हिन्दू धर्म में धार्मिक महत्व है और यह पवित्र माने जाने वाले स्थल चित्रकूट से होकर बहती है। नदी के तट पर रामघाट नामक एक घाट है जहाँ मान्यताओं के अनुसार श्रीराम ने अपने चित्रकूट निवास के दौरान स्नान किया करते थे। वर्ष 2016 में इस नदी में बाढ़ आने के कारण स्थानीय स्तर पर काफी नुकसान हुआ था। .

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मन्नू भंडारी

मन्नू भंडारी मन्नू भंडारी (जन्म ३ अप्रैल १९३१) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कहानीकार हैं। मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में जन्मी मन्नू का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम का चुनाव किया। उन्होंने एम ए तक शिक्षा पाई और वर्षों तक दिल्ली के मीरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं। धर्मयुग में धारावाहिक रूप से प्रकाशित उपन्यास आपका बंटी से लोकप्रियता प्राप्त करने वाली मन्नू भंडारी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्षा भी रहीं। लेखन का संस्कार उन्हें विरासत में मिला। उनके पिता सुख सम्पतराय भी जाने माने लेखक थे। .

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मनोहर उंटवाल

मनोहर उंटवाल भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के देवास से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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मनोहरथाना

मनोहरथाना राजस्थान के दक्षिण पूर्व में स्थित झालावाड जिले का एक कस्बा है। यह राजस्थान-मध्यप्रदेश सीमा से कुछ ही दुरी पर स्थित है और कस्बे से मध्यप्रदेश सीमा करीब १२ किलोमीटर है। मनोहर थाना ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिती है, तहसील मनोहर थाना लगती है। यह ग्राम तीन और से नदियों से घिरा हुआ है। दो तरफ़ से इसे मध्य प्रदेश से आने वाली घोडापछाड नदी (यहाँ इसे कालीखाड नदी भी कहते हैं) घेरती है एवं एक और से परवन नदी। गांव के बाहर ही कालीखाड परवन नदी में मिलती है, जिसे संगम स्थल कहा जाता है। गांव के चारों तरफ़ परकोटा है जिसे प्राचीन काल में मनोहर भील नामक राजा ने बनवाया था। किले में आज भी राजाओं के समय के खण्डर हुए कक्ष, स्नानागार आदि देखे जा सकते हैं। कुछ वर्ष पहले तक आसपास घने वन भी हुआ करते थे लेकिन अब सब काटे जा चुके हैं। यह कस्बा आस पास के करीब ५० गाँवों के लिये व्यापार का केन्द्र है। कृषि उपज मंडी भी है जहाँ काश्तकार अपनी फसल बेचने आते हैं। .

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मराठा

मराठा (पुरातन रूप से मरहट्टा या मारहट्टा के रूप में लिप्यंतरित) भारत में जातियों का एक समूह मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य में रहता है। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के मुताबिक, "मराठा, भारत के इतिहास के बहादुर लोग हैं, इतिहास में प्रचलित हैं और हिंदू धर्म के विजेता हैं।" वे मुख्यतः भारतीय राज्य महाराष्ट्र में रहते हैं। ब्रिटिश राज काल के एक अप्रशिक्षित नृवंशविद वैज्ञानिक रॉबर्ट वाणे रसेल, जो वैदिक साहित्य पर बड़े पैमाने पर अपने शोध का आधार था, ने लिखा कि मराठों को 96 विभिन्न कुलों में विभाजित किया जाता है, जिसे 96 कुलि मराठों या 'शाहनु कुले', के रूप में जाना जाता है, जो की क्षत्रिय है मराठी, में शाहन्नौ का मतलब है 96। सूचियों का सामान्य निकाय अक्सर एक-दूसरे के साथ महान विचरण होता है। .

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मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय

महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन में स्थित मध्य प्रदेश का एक विश्वविद्यालय है। उज्जैन के सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने संस्कृत भाषा और प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के अभिवर्धन एवं प्रसार हेतु उज्जैन में संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया। महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय अधिनियम 2006 (क्रमांक 15 सन् 2008) के तहत 15 अगस्त 2008 से इस विश्वविद्यालयए की स्थापना की गई तथा 17 अगस्त 2008 को राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में तत्कालीन राज्यपाल एवं कुलाधिपति डॉ॰ बलराम जाखड़ द्वारा इसका विधिवत् शुभारंभ किया गया। विश्वविद्यालय का कार्यालय देवास रोड, उज्जैन स्थित बिड़ला शोध संस्थान परिसर में दिनांक 17 अगस्त 2008 से प्रारंभ किया गया। विश्वविद्यालय का कार्यालय क्षिप्रांजली न्यास की भूमि में स्थित बिरला शोध संस्थान के भवन में विधिवत् संचालित हो रहा है। भूमि का कुल क्षेत्रफल 1,25,420 वर्गफीट के लगभग है तथा भवन का क्षेत्रफल लगभग 10,200 वर्गफीट है। इसी भवन में कार्यालय के अतिरिक्त पाँच विश्वविद्यालय अध्यापन विभागों की कक्षायें भी लगायी जा रही हैं। भवन किराये पर है। दिनांक 25.3.2010 को मध्यप्रदेश विद्यानसभा द्वारा ‘महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय, उज्जैन’ के अधिनियम में ‘वैदिक’ शब्द को जोड़े जाने के सम्बन्ध में संशोधन का प्रस्ताव पारित किया गया। तदनुसार इस विश्वविद्यालय का नाम ‘महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय’ के स्थान पर ‘महर्षि पाणिनि संस्कृत एवम् वैदिक विश्वविद्यालय’ हुआ। इस विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा के पारंपरिक विषयों जैसे शुक्लयजुर्वेद/ नव्य व्याकरण/ फलित ज्योतिष/ सिद्धान्त ज्योतिष एवं साहित्य में शास्त्री (BA), आचार्य (MA), के अध्ययन अध्यापन एवं विशिष्टाचार्य (M. Phil.), विद्यावारिधि (Ph.d) में शोध की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त BA (संस्कृत प्राच्य) M A (संस्कृत प्राच्य)/ ज्योतिर्विज्ञान का अध्ययन का एकमात्र श्रेष्ठ केंद्र है। सत्र जुलाई 2018-19 से विश्वविद्यालय परिसर में चार वर्षीय एकीकृत शास्त्री-शिक्षाशास्त्री(B.A.B.ED.) पाठ्यक्रम भी आरम्भ किया जा रहा है। यह भारत का प्रथम संस्कृत विश्वविद्यालय है जिसके परिसर में यह पाठ्यक्रम आरम्भ हो रहा है। विश्वविद्यालय में संस्कृत के एक वर्षीय व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी संचालित हैं जिनसे शीघ्र ही स्वरोजगार प्राप्त किया जा सकता है। इनमें एक वर्षीय व्यावसायिक ज्योतिष डिप्लोमा/ व्यावसायिक वास्तुशास्त्र/ संस्कृत संभाषण / पौरोहित्य पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त हस्तरेखा विज्ञान, रत्नविज्ञान एवं अन्य प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम भी संचालित है। .

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महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय

महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय (MMYVV), मध्य प्रदेश का एक मान्यताप्राप्त सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना १९९५ में हुई थी। यह कटनी में स्थित है। यह महर्षि शिक्षा प्रणाली का एक हिस्सा है। यह स्नातक तथा पूर्वस्नातक दोनो ही डिग्री प्रोग्राम चलाता है। .

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महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय

महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय (MGCGV) मध्य प्रदेश के सतना जिले में मन्दाकिनी नदी के किनारे चित्रकूट में स्थित है। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य महात्मा गांधी के ग्रामीण विकास के स्वप्न को साकार कर ग्राम स्वराज्य की स्थापना है। अत: सम्यक तकनीक की शिक्षा और इसका प्रसार करना इसका प्रमुख लक्ष्य है। इसकी स्थापना १२ फ़रवरी सन् १९९१ को महाशिवरात्रि के दिन मध्यप्रदेश सरकार के अधिनियम (९, १९९१) के द्वारा हुई। .

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महात्मा गांधी सम्मान

महात्मा गांधी सम्मान, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 125वें जन्म वर्ष की पावन स्मृति में गांधी विचार दर्शन के अनुरूप समाज में रचनात्मक पहल, साम्प्रदायिक सद्भाव एवं सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश शासन ने वर्ष 1995 में स्थापित किया है। गांधी सम्मान का मूल प्रयोजन गांधी जी की विचारधारा के अनुसार अहिंसक उपायों द्वारा सामाजिक और आथिर्क क्रांति के क्षेत्र में संस्थागत साधना को सम्मानित और प्रोत्साहित करना है। .

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महात्मा गांधी स्मारक चिकित्सा महाविद्यालय, इन्दौर

महात्मा गांधी स्मारक चिकित्सा महाविद्यालय (MGMMC) भारत के मध्य प्रदेश के इन्दौर नगर में स्थित एक चिकित्सा महाविद्यालय है। यह आगरा-मुम्बई राजमार्ग के किनारे स्थित है। .

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महापुरा

महापुरा, राजस्थान की राजधानी से कोई दस किलोमीटर दूर (जयपुर-अजमेर रोड से करीब एक किलोमीटर दक्षिण-दिशा में) जयपुर जिले की सांगानेर तहसील का एक ऐतिहासिक ग्राम है जो शिवानन्द गोस्वामी जैसे उद्भट विद्वान को आमेर नरेश महाराजा बिशन सिंह / महाराजा विष्णुसिंह ने अन्य चार गांवों के साथ उनका शिष्यत्व स्वीकारने के उपलक्ष्य में जागीर के रूप में भेंट दिया था। महापुरा अनेक कारणों से भारत के विलक्षण ग्रामों में से एक है, क्योंकि इस गाँव के साथ इतिहास और संस्कृति के कई अनजाने पहलू सम्बद्ध हैं। .

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महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि (बोलचाल में शिवरात्रि) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। अधिक तर लोग यह मान्यता रखते है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवि पार्वति के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि की सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कश्मीर शैव मत में इस त्यौहार को हर-रात्रि और बोलचाल में 'हेराथ' या 'हेरथ' भी जाता है। .

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महाशिवरात्रि पशु मेला करौली

करौली जिले में भरने वाला यह पशु मेला राज्य स्तरीय पशु मेलों में से एक है। इस पशु मेले का आयोजन प्रतिवर्ष फाल्गुन कृष्णा में किया जाता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर आयोजित होने से इस पशु मेले का नाम शिवरात्रि पशु मेला पड़ गया है। इस मेले के आयोजन का प्रारंभ रियासत काल में हुआ था। मेले में हरियाणवी नस्ल के पशुओं की बिक्री बहुत होती है। राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के व्यापारी भी इस मेले में आते हैं। पशु मेला समाप्त हो जाने के करीब १ सप्ताह बाद इसी स्थल पर माल मेला भरता है जिसमें करौली कस्बे के आस-पास के व्यापारी वर्ग अपनी दुकानें लगाते हैं और ग्राम ग्रामीण क्षेत्र के लोगों द्वारा इस मेले में आवश्यक वस्तुओं को खरीदा जाता है और चुना जाता है कि इस मेले में रियासत के समय जवाहरात की दुकानें भी लगाई जाती थीं। .

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महिला सुरक्षा के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

यह सूची भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को महिला सुरक्षा के मामले में 2012 की स्थिति अनुसार क्रमित करती है। यह सूची भारत सरकार के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा 2012 में प्रकाशित भारत में अपराध प्रतिवेदन से संकलित की गई है। रैंक महिलाओं पर हुए प्रहार की दर के आधार पर दी गई है। प्रहार दर प्रति एक लाख महिलाओं पर महिला की लाजभंग करने के इरादे से (भारतीय दण्ड संहिता की धारा 314) उस पर किए गए आरोपित प्रहारों की घटनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। कम प्रहार दर वाले राज्य या केन्द्र-शासित प्रदेश को महिलाओं के अधिक सुरक्षित समझा जाता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ो के अनुसार जम्मू और कश्मीर, केरल, और उड़ीसा महिलाओं पर हुए प्रहारों की दर के आधार पर सबसे ऊपर है और पाँच सर्वाधिक सुरक्षित राज्य हैं बिहार, नागालैण्ड, झारखण्ड, गुजरात और पंजाब। .

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महू

महूँ (Mhow), अधिकृत नाम डॉ॰ आम्बेडकर नगर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के इन्दौर जिले का एक छोटा सा छावनी कस्बा है। यह मुंबई-आगरा रोड पर इंदौर शहर के दक्षिण में 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर की जन्मभूमि है। सन् 2003 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस शहर का नाम बदलकर ‘डॉ॰ आम्बेडकर नगर’ रख दिया गया है। महू में भारतीय थलसेना के कई इकाइयाँ है। यहाँ पर इन्फैंन्ट्री स्कूल, सेना का संचार प्रौद्योगिकी महाविद्यालय (MCTE) और थलसेना का युद्ध महाविद्यालय स्थित हैं। .

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महेन्द्रपाल प्रथम

महेन्द्रपाल प्रथम (885-910 ई०), मिहिर भोज का पुत्र और गुर्जर-प्रतिहार वंश का सातवाँ शासक था। उसकी माँ का नाम चन्द्रभट्टारिकादेवी था। महेन्द्रपाल प्रथम का उल्लेख काठियावाड़, पंजाब और मध्य प्रदेश के विभिन्न शिलालेख में महिंद्रापाल, महेन्द्रयुधा, महिशपालदेव नाम से किया गया है। और राजशेखर के नाटक में निर्भयराजा और निर्भयानरेंद्र नाम से भी उल्लेख किया गया है। .

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महेश्वर

महेश्वर का किला महेश्वर शहर मध्य प्रदेश के खरगोन जिला में स्थित है। महेश्वर शहर हैहयवंशी राजा सहस्रार्जुन, जिसने रावण को पराजित किया था, राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन अपनी ५०० रानियों के साथ नर्मदा नदी में जलक्रीड़ा करते हुए नदी के बहाव को अपनी एक हजार भुजाओं से रोक लिया था, उसी समय रावण अपने पुष्पक विमान में आकाश मार्ग से वहां पहुंचे व् सूखी नदी के स्थान को देखकर रावण की शिवपूजा करने की इच्छा मन में हुई ! जब रावण ने बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा शुरू की तो राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन जी ने जलक्रीड़ा समाप्त होने के उपरांत जल छोड़ दिया जिस कारण रावण की पूजा नहीं हो सकी व् पानी में बहने लगा इस पर क्रोधित हो जब राजराजेश्वर से रावण ने युद्ध करना चाहा तो रावण को हार स्वीकार करनी पड़ी व् राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन ने उसे बंदी बना लिया पुराणों में वर्णन है की राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन की रानियाँ रावण के दस शीशों पर दीपक जलाती थीं क्योंकि दीपक राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन को अति प्रिय थे ! आज भी महेश्वर में स्थित श्री राज राजेश्वर मंदिर में अखंड ११ दीपक ज्योति पुरातनकाल से प्रज्जवल्लित है व् मंदिर में श्रद्धालु देसी घी- प्रसाद के साथ अवश्य चढातें है ! श्री राज राजेश्वर सहस्त्रार्जुन जी के वंशज हैहयवंशी क्षत्रिय समुदाय के लोग महेश्वर को तीर्थ स्थल मानते है ! ऋषि जमदग्नि को प्रताड़ित करने के कारण उनके पुत्र परषुराम से युद्ध करना पड़ा, राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र अवतार थे दोनों का युद्ध खत्म होने को नहीं आ रहा था, तब भगवान दत्तात्रेय के सम्मुख सहस्त्रार्जुन जी ने पश्चाताप करने का प्रस्ताब रखा ! भगवान दत्तात्रेय के कहने पर राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन महेश्वर में स्थित भगवान शंकर के मंदिर में स्थापित शिवलिंग में समा गए! कालांतर में महान देवी अहिल्याबाई होल्कर की भी राजधानी रहा है। नर्मदा नदी के किनारे बसा यह शहर अपने बहुत ही सुंदर व भव्य घाट तथा माहेश्वरी साड़ियों के लिये प्रसिद्ध है। घाट पर अत्यंत कलात्मक मंदिर हैं जिनमे से राजराजेश्वर मंदिर प्रमुख है। आदिगुरु शंकराचार्य तथा पंडित मण्डन मिश्र का प्रसिद्ध शास्त्रार्थ यहीं हुआ था। यह जिले की एक तहसील का मुख्यालय भी है। इस शहर को महिष्मती नाम से भी जाना जाता था। महेश्वर का रामायण और महाभारत में भी उल्लेख है। देवी अहिल्याबाई होलकर के कालखंड में बनाए गए यहाँ के घाट सुंदर हैं और इनका प्रतिबिंब नदी में और खूबसूरत दिखाई देता है। महेश्वर इंदौर से ही सबसे नजदीक है। इंदौर विमानतल महेश्वर से 91 किलोमीटर की दूरी पर है। इंदौर से 90 की.मी.

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महेंद्र भटनागर

डॉ महेंद्र भटनागर (Mahendra Bhatnagar जन्म 26 जून,1926) भारतीय समाजार्थिक-राष्ट्रीय-राजनीतिक चेतना-सम्पन्न द्वि-भाषिक (हिन्दी एवं अंग्रेजी) कवि एवं लेखक हैं। ये सन् 1946 से प्रगतिवादी काव्यान्दोलन से सक्रिय रूप से सम्बद्ध प्रगतिशील हिन्दी कविता के द्वितीय उत्थान के चर्चित हस्ताक्षरों में से एक हैं। .

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महेंद्रगढ़ (छत्तीसगढ़)

महेन्द्रगढ़, छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की एक नगरपालिका है। यह छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। श्रेणी:छत्तीसगढ़ का भूगोल.

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माच

माच (अंग्रेजी में Mach) मालवा का प्रमुख लोक नाट्य रूप है। लोक मानस के प्रभावी मंच माच को उज्जैन में जन्म मिला है। माच शब्द का सम्बन्ध संस्कृत मूल मंच से है। इस मंच शब्द के मालवी में अनेक क्षेत्रों में प्रचलित परिवर्तित रूप मिलते हैं। उदाहणार्थ- माचा, मचली, माचली, माच, मचैली, मचान जैसे कई शब्दों का आशय मंच के समानार्थी भाव बोध को ही व्यक्त करता है। माच गुरु सिद्धेश्वर सेन माच की व्युत्पत्ति के पीछे सम्भावना व्यक्त करते हैं कि माच के प्रवर्तक गुरु गोपालजी ने सम्भवतः कृषि की रक्षा के लिए पेड़ पर बने मचान को देखा होगा, जिस पर चढ़कर स्त्री या पुरुष आवाज आदि के माध्यम से नुकसान पहुँचाने वाले पशु-पक्षियों से खेत की रक्षा करते हैं। गुरु गोपालजी ने मचान शब्द को ध्यान में रखा होगा और फिर नाट्य-प्रदर्शन के ऊँचे स्थान (मंच) से उसी मचान की आकृति एवं रूप साम्य के आधार पर अपने मंच का नाम माच दे दिया होगा। कालान्तर में यही नाम प्रचलित हो गया। वस्तुतः माच के मंच और मचान में पर्याप्त साम्य रहा है। पुराने दौर में माच का मंच इतना अधिक ऊँचा बनाया जाता था कि उसके नीचे से बैलगाड़ी भी गुजर जाती थी। इन दिनों मंच की ऊँचाई प्रायः सामान्य ही रहती है। भारत के विभिन्न अंचलों में बोली जाने वाली लोक-भाषाएँ राष्ट्रभाषा हिंदी की समृद्धि का प्रमाण हैं। लोक-भाषाएँ और उनका साहित्य वस्तुतः भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्रवाणी के लिए अक्षय स्रोत हैं। हम इनका जितना मंथन करें, उतने ही अमूल्य रत्न हमें मिलते रहेंगे। कथित आधुनिकता के दौर में हम अपनी बोली-बानी, साहित्य-संस्कृति से विमुख होते जा रहे हैं। ऐसे समय में जितना विस्थापन लोगों और समुदायों का हो रहा है, उससे कम लोक-भाषा और लोक-साहित्य का नहीं हो रहा है। घर-आँगन की बोलियाँ अपने ही परिवेश में पराई होने का दर्द झेल रही हैं। इस दिशा में लोकभाषा, साहित्य और संस्कृतिप्रेमियों के समग्र प्रयासों की दरकार है। प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा के अनुसार भारत के हृदय अंचल मालवा ने तो एक तरह से समूची भारतीय संस्कृति को गागर में सागर की तरह समाया हुआ है। मालवा की परम्पराएँ समूचे भारत से प्रभावित हुई हैं और पूरे भारत को मालवा की संस्कृति ने किसी न किसी रूप में प्रभावित किया है। मालवा भारत का हृदय अंचल है तो इसकी सांस्कृतिक राजधानी है उज्जैन। उज्जैन कला के अधिष्ठाता शिव और सर्व-कला-रत्न श्रीकृष्ण की नगरी है। इसी नगरी को लोक नाट्य माच के जन्म का श्रेय जाता है। आज का मालवा सम्पूर्ण पश्चिमी मध्यप्रदेश और उसके साथ सीमावर्ती पूर्वी राजस्थान के कुछ जिलों तक विस्तार लिए हुए है, जहाँ मालवी और उसकी उपबोलियों का प्रयोग होता है। इसकी सीमा रेखा के संबंध में एक पारम्परिक दोहा प्रचलित है जिसके अनुसार चम्बल, बेतवा और नर्मदा नदियों से घिरे भू-भाग को मालवा की सीमा मानना चाहिए- इत चम्बल उत बेतवा मालव सीम सुजान। दक्षिण दिसि है नर्मदा यह पूरी पहचान।। मालवा का लोक-साहित्य की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। यहाँ का लोकमानस शताब्दी-दर-शताब्दी कथा-वार्ता, गाथा, गीत, नाट्य, पहेली, लोकोक्ति आदि के माध्यम से अभिव्यक्ति पाता आ रहा है। जीवन का ऐसा कोई प्रसंग नहीं है, जब मालवजन अपने हर्ष-उल्लास, सुख-दुःख को दर्ज करने के लिये लोक-साहित्य का सहारा न लेता हो। भारतीय लोक-नाट्य परम्परा में मालवा के माच का विशिष्ट स्थान है। मालवा क्षेत्र का प्रतिनिधि लोक नाट्य माच है, जो अपनी सुदीर्घ परम्परा के साथ आज भी लोक मानस का प्रभावी मंच बना हुआ हैं। मालवा के लोकगीतों, लोक-कथाओं, लोक- नृत्य रूपों और लोक-संगीत के समावेश से समृद्ध माच सम्पूर्ण नाट्य (टोटल थियेटर) की सम्भावनाओं को मूर्त करता है। लोकमानस की सहज अभिव्यंजना और लोक रंग व्यवहारों की सरल रेखीय अनायासता से उपजा यह लोकनाट्य लोकरंजन और लोक मंगल के प्रभावी माध्यम के रूप में स्थापित है। माच मालवा-राजस्थान के व्यापक जनसमुदाय को आन्दोलित करता आ रहा है। माच शब्द संस्कृत के मंच शब्द का ही परिवर्तित रूप है। माच के नाटकों को खेल कहा जाता है, जो मुक्ताकाशी रंगमंच पर प्रस्तुत किए जाते हैं। संगीत, नृत्य, पाठ, अभिनय और बोलों  की अन्तः क्रिया माच को एक सम्पूर्ण नाट्य या यूँ कहें टोटल थियेटर का रूप दे देती है। माच के खेलों में सामाजिक सद्भाव, परस्पर प्रेम और सहज लोक जीवन के दर्शन होते हैं। माच के दर्शकों में भी एक खास ढंग की रसिकता देखी जा सकती है। इसके दर्शक महज दर्शक नहीं होते, मंच व्यापार में उनकी आपसदारी भी दिखाई द .

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माणिकचन्द्र वाजपेयी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार

माणिकचन्द्र वाजपेयी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार मध्य प्रदेश शासन द्वारा स्थापित एक पत्रकारिता पुरस्कार है। यह मध्यप्रदेश के यशस्वी पत्रकार स्व.

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माण्डू

माण्डू या माण्डवगढ़, धार जिले के माण्डव क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन शहर है। यह भारत के पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है। यह धार शहर से 35 किमी दूर स्थित है। यह 11 वीं शताब्दी में, माण्डू तारागंगा या तरंगा राज्य का उपभाग था। यहाँ परमारों के काल मे इसे प्रसिद्धि प्राप्त हुई और फिर १३ वीं शताब्दी में, यह क्षेत्र मुस्लिम शासकों के अंतर्गत आ गया, जहाँ से इसका स्वर्णकाल प्रारम्भ हो गया। विन्ध्याचल पर्वत शृंखला में स्थित होने के कारण इसका सुरक्षा कि दृस्टि से बहुत अधिक महत्व था। आज यह एक पर्यटक स्थल के रूप मे प्रशिद्ध है। जहाँ हजारों कि संख्या में सैलानी यहाँ के दर्शनीय स्थलों जैसे जहाज महल, हिन्डोला महल, शाही हमाम और वास्तुकला के उत्कृष्टतम उदाहरण आकर्षक नक्काशीदार गुम्बद को देखने आते है। इसकी इन्दौर शहर से दुरी १०० किमी है। .

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माध्यमिक शिक्षा मंडल, मध्यप्रदेश

माध्यमिक शिक्षा मंडल, मध्य प्रदेश (Board of Secondary Education, Madhya Pradesh) (संक्षिप्त एमपीबीएसई) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के स्कूली शिक्षा का एक मंडल है। एमपीबीएसई, मध्य प्रदेश सरकार का एक संगठन है, जो राज्य की उच्च शिक्षा प्रणाली के नीति संबंधी, प्रशासनिक, संज्ञानात्मक और बौद्धिक दिशा को निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार है। यह मध्य प्रदेश राज्य में माध्यमिक शिक्षा प्रणाली को विनियमित और निगरानी करता है। यह विभिन्न गतिविधियों को क्रियान्वित और नियंत्रित करता है, जिसमें पाठ्यक्रम, पाठ्यक्रमों का निर्धारण, परीक्षा आयोजित करना, महाविद्यालयों के साथ संबद्धता प्रदान करना आदि शामिल हैं। एमपीबीएसई अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए दिशा, समर्थन और नेतृत्व प्रदान करती है। यह आदर्श स्कूल जैसे मॉडल हाई, टीटी नगर भी चलाता है। .

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मानमन्दिर महल, ग्वालियर

मानमंदिर महल मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर शहर में स्थित है। इसका निर्माण 1486 से 1517 के बीच राजा मानसिंह द्वारा करवाया गया था। सुन्दर रंगीन टाइलों से सजे इस किले की समय ने भव्यता छीनी जरूर है किन्तु इसके कुछ आन्तरिक व बाह्य हिस्सों में इन नीली, पीली, हरी, सफेद टाइल्स द्वारा बनाई उत्कृष्ट कलाकृतियों के अवशेष अब भी इस किले के भव्य अतीत का पता देते हैं। इस किले के विशाल कक्षों में अतीत आज भी स्पंदित है। यहां जालीदार दीवारों से बना संगीत कक्ष है, जिनके पीछे बने जनाना कक्षों में राज परिवार की स्त्रियां संगीत सभाओं का आनंद लेतीं और संगीत सीखतीं थीं। इस महल के तहखानों में एक कैदखाना है, इतिहास कहता है कि औरंगज़ेब ने यहां अपने भाई मुराद को कैद रखवाया था और बाद में उसे समाप्त करवा दिया। जौहर कुण्ड भी यहां स्थित है। स्त्रियाँ इसमें कूद कर जौहर करती थीं। .

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मानव तस्करी की घटनाओं के आधार पर भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की सूची

इस सूची में भारत के राज्य और केन्द्र-शासित प्रदेश 2012 में मानव तस्करी की घटनाओं के आधार पर क्रमित हैं, और अपराध-सिद्धि पर आधारित है। यह सूची भारत सरकार के राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा प्रकाशित 2012 भारत में अपराध प्रतिवेदन से संकलित की गई है। इस प्रतिवेदन के अनुसार मानव तस्करी की घटनाओं के मामले में तीन अग्रणी राज्य हैं उत्तर प्रदेश, तमिल नाडु और केरल। .

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मायाराम सुरजन

मायाराम सुरजन (29 मार्च 1923 - ३१ दिसम्बर १९९४) भारत के एक पत्रकार थे। वे `नवभारत' के प्रथम सम्पादक थे। उन्होंने 'देशबन्धु' नामक समाचार पत्र आरम्भ किया।। पत्रकारिता जगत के मध्यप्रदेश राज्य के मार्गदर्शक के रूप में ख्यात श्री मायाराम सुरजन सही मायनों में स्वप्नदृष्टा और कर्मनिष्ठ तथा अपने बलबूते सिद्ध एक आदर्श पुरुष थे। वे बहुपठित और जनप्रिय राजनैतिक टिप्पणीकार थे और अनेक कृतियों के लेखक भी। उन्हें पूरे साठ वर्ष (१९४४-१९९४) की पत्रकारिता का अनुभव रहा। वे अनेक सामाजिक और साहित्यिक संस्थाओं के साथ-साथ मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन से भी वे जुड़े रहे, जिसके वे १८ वर्ष तक अध्यक्ष रहे। .

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मालादेवी मंदिर

मालादेवी मंदिर मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर गढ़ा क्षेत्र में लक्ष्मी जी का प्राचीन मंदिर है। सन्‌ १४८०-१५४० में राजा संग्राम शाह के द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था। बारहवीं सदी में मालादेवी मंदिर का निर्माण हुआ था। .

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मालवा

1823 में बने एक एक ऐतिहासिक मानचित्र में मालवा को दिखाया गया है। विंध्याचल का दृश्य, यह मालवा की दक्षिणी सीमा को निर्धारित करता है। इससे इस क्षेत्र की कई नदियां निकली हैं। मालवा, ज्वालामुखी के उद्गार से बना पश्चिमी भारत का एक अंचल है। मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग तथा राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग से गठित यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई रहा है। मालवा का अधिकांश भाग चंबल नदी तथा इसकी शाखाओं द्वारा संचित है, पश्चिमी भाग माही नदी द्वारा संचित है। यद्यपि इसकी राजनीतिक सीमायें समय समय पर थोड़ी परिवर्तित होती रही तथापि इस छेत्र में अपनी विशिष्ट सभ्यता, संस्कृति एंव भाषा का विकास हुआ है। मालवा के अधिकांश भाग का गठन जिस पठार द्वारा हुआ है उसका नाम भी इसी अंचल के नाम से मालवा का पठार है। इसे प्राचीनकाल में 'मालवा' या 'मालव' के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी.

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मालवा एक्स्प्रेस २९१९

मालवा एक्स्प्रेस २९१९ भारतीय रेल द्वारा संचालित एक मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। यह ट्रेन इंदौर जंक्शन बीजी रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:INDB) से १२:२५ बजे छूटती है और जम्मू तवी रेलवे स्टेशन (स्टेशन कोड:JAT) पर ३:४० बजे पहुंचती है। इसकी यात्रा अवधि है २७ घंटे १५ मिनट। मालवा एक्सप्रेस एक दैनिक सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन सेवा है जो, मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर और व्यावसायिक केंद्र इंदौर जंक्शन बीजी रेलवे स्टेशन से जम्मू कश्मीर, भारत में जम्मू तवी तक जोड़ता है। .

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मालवी

मालवी भारत के मालवा क्षेत्र की भाषा है। मालवा भारत भूमि के हृदय स्थल के रूप में सुविख्यात है। मालवा क्षेत्र का भू-भाग अत्यंत विस्तृत है। पूर्व दिशा में बेतवा(वेत्रवती) नदी, उत्तर-पश्चिम में चम्बल (चर्मण्यवती) और दक्षिण में पुण्य सलिला नर्मदा नदी के बीच का प्रदेश मालवा है। मालवा क्षेत्र मध्यप्रदेश और राजस्थान के लगभग बीस जिलों में विस्तार लिए हुए हैं। इन क्षेत्रों के दो करोड़ से अधिक निवासी मालवी और उसकी विविध उपबोलियों का व्यवहार करते हैं। प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा की पुस्तक मालवी भाषा और साहित्य के अनुसार वर्तमान में मालवी भाषा का प्रयोग मध्यप्रदेश के उज्जैन संभाग के आगर मालवा, नीमच, मन्दसौर, रतलाम, उज्जैन, देवास एवं शाजापुर जिलों, इंदौर संभाग के धार, झाबुआ, अलीराजपुर, हरदा और इन्दौर जिलों, भोपाल संभाग के सीहोर, राजगढ़, भोपाल, रायसेन और विदिशा जिलों, ग्वालियर संभाग के गुना जिले, राजस्थान के झालावाड़, प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा एवं चित्तौड़गढ़ जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में होता है। मालवी की सहोदरा निमाड़ी भाषा का प्रयोग बड़वानी, खरगोन, खंडवा, हरदा और बुरहानपुर जिलों में होता है। मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में मालवी तथा अन्य निकटवर्ती बोलियों जैसे निमाड़ी, बुंदेली आदि के मिश्रित रूप प्रचलित हैं। इन जिलों में हरदा, होशंगाबाद, बैतूल, छिन्दवाड़ा आदि उल्लेखनीय हैं। सातवीं शती में जब व्हेनसांग भारत आया था तो वह मालवा के पर्यावरण और लोकजीवन से गहरे प्रभावित हुआ था। तब उसने दर्ज भी किया,‘इनकी भाषा मनोहर और सुस्पष्ट है।’ मालवा समृद्धि एवं सुख से भरपूर क्षेत्र माना जाता है। ‘देश मालवा गहन गंभीर, डग-डग रोटी पग-पग नीर’जैसी उक्ति लोक-जीवन में प्रचलित है। जीवन की यही विशिष्टताएं मालवा के इतिहास, संस्कृति, साहित्य, कला आदि में प्रतिबिम्बित हुई हैं। लोककलाओं के रस से मालवांचल सराबोर है। सुदूर अतीत से यहाँ प्रवहमान नदियों, स्थानीय भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विविधता के रहते मालवी की अलग-अलग छटाएँ लोकजीवन में दिखाई देती हैं। इन्हीं से मालवी के अलग-अलग क्षेत्रीय रूप या विविध उपबोलियाँ अस्तित्व में आई हैं। एक प्रसिद्ध उक्ति भी इसी तथ्य की ओर संकेत करती है, "बारा कोस पे वाणी बदले, पाँच कोस पे पाणी।" मालवी का केन्द्र उज्जैन, इंदौर, देवास और उसके आसपास का क्षेत्र है। इसी मध्यवर्ती मालवी को आदर्श या केन्द्रीय मालवी कहा जाता है, जो अन्य निकटवर्ती बोलियों के प्रभाव से प्रायः अछूती है। आगर मालवा जिला तो प्रसिद्ध ही मालवा उपनाम से है क्योंकि जानकारों के अनुसार बहुत ज्यादा हद तक केंद्रीय या आदर्श मालवी इस जिले में ही बोली जाती है। केन्द्रीय या आदर्श मालवी के अलावा मालवी के कई उपभेद या उपबोलियाँ भी अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। मालवी के प्रमुख उपबोली रूप हैं-.

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माहली

माहली जनजाति झारखंड के ज्यादातर हिस्सों तथा पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम के कुछ जिलों में रहने वाली भारत की प्राचीनतम जनजातियों में से एक है। ये भारत के प्रमुख आदिवासी समूह है। इनका निवास स्थान मुख्यतः झारखंड प्रदेश है। झारखंड से बाहर ये बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, असम, मे रहते है। माहली प्रायः नाटे कद के होता है। इनकी नाक चौड़ी तथा चिपटी होती है। इनका संबंध प्रोटो आस्ट्रेलायड से है। माहली के समाज मे मुख्य व्यक्ति इनका मांझी होता है। मदिरापान तथा नृत्य इनके दैनिक जीवन का अंग है। अन्य आदिवासी समुहों की तरह इनमें भी जादू टोना प्रचलित है। ये बांस के कार्य करते हुए देखे जाते है। माहली की अन्य विषेशता इनके सुन्दर ढंग के मकान हैं जिनमें खिडकीयां नहीं होती हैं। माहली मारांग बुरु की उपासना करतें हैं ये पूर्वजो द्वारा जो परम्परा पीढ़ीयों से चली आ रही है उसको मानते है ये धर्म पूर्वी लोग होते है। इनकी भाषा संथाली और लिपि ओल चिकी है। इनके बारह मूल गोत्र हैं ; बास्के, मुर्मू, बेसरा, किस्कू, हेम्ब्रम, हासंदा, टुडू, करुणामय, मार्डी, सामन्त आदि। माहली समुदाय मुख्यतः बाहा, सोहराय, माग, ऐरोक, माक मोंड़े, जानथाड़, हरियाड़ सीम, आराक सीम, जातरा, पाता, बुरु मेरोम, गाडा पारोम तथा सकरात नामक पर्व / त्योहार मनाते हैं। इनके विवाह को 'बापला' कहा जता है। माहली समुदाय मे कुल 23 प्रकार की विवाह प्रथायें है, जो निम्न प्रकार है - 1.

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माहिष्मती

माहिष्मती (अंग्रेजी; Mahishmati) प्राचीन भारत की एक नगरी थी जिसका उल्लेख महाभारत तथा दीर्घनिकाय सहित अनेक ग्रन्थों में हुआ है। अवन्ति महाजनपद के दक्षिणी भाग में यह सबसे महत्वपूर्ण नगरी थी। बाद में यह अनूप महाजनपद की राजधानी भी रही। यह नगरी वर्तमान समय के मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के तट पर स्थित महेश्वर नगर और उसके आस पास के क्षेत्र तक फ़ैली थी कहा जाता है कि यह नगरी १४ योजन की होकर पांडव कालीन शिव मंदिर वाला गाँव चोली(तहसील महेश्वर, जिला खरगोन,मध्यप्रदेश) तक फ़ैली हुई थी | महेश्वर के समीप ही, नर्मदा नदी के तट पर स्थित नगर मंडलेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य और मंडन मिश्र के मध्य विश्व प्रसिद्द शास्त्रार्थ हुआ था | उक्त स्थान वर्तमान में छप्पन देव मंदिर कहलाता है | .

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माही नदी

माही नदी पश्चिमी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। माही का उद्गम मध्यप्रदेश के धार जिला के समीप मिन्डा ग्राम की विंध्याचल पर्वत श्रेणी से हुआ है। यह दक्षिणी अरावली में जयसमन्द झील से प्रारम्भ होती है। यह मध्य प्रदेश के धार, झाबुआ और रतलाम जिलों तथा गुजरात राजस्थान राज्य से होती हुई खंभात की खाड़ी द्वारा अरब सागर में गिरती है। इसकी दक्षिणी-पूर्वी शाखा बांसवाड़ा जिले से विपरीत दिशा में आकर मिलती है। इस पर माही बजाज सागर एवं कडाणा बाँध बनाये गए हैं। यह खम्भात की खाड़ी में गिरती है। इसकी कुल लम्बाई लगभग 472 किलोमीटर है। यह भारत की एकमात्र ऐसी नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है। यह भारत की पवीत्र नदियो मे से एक हे। .

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माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी (४ अप्रैल १८८९-३० जनवरी १९६८) भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं। सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे हिंदी रचनाकार थे। प्रभा और कर्मवीर जैसे प्रतिष्ठत पत्रों के संपादक के रूप में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जोरदार प्रचार किया और नई पीढी का आह्वान किया कि वह गुलामी की जंज़ीरों को तोड़ कर बाहर आए। इसके लिये उन्हें अनेक बार ब्रिटिश साम्राज्य का कोपभाजन बनना पड़ा। वे सच्चे देशप्रमी थे और १९२१-२२ के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुए जेल भी गए। आपकी कविताओं में देशप्रेम के साथ साथ प्रकृति और प्रेम का भी चित्रण हुआ है। .

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माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का नाम भारत के विख्यात पत्रकार,कवि और स्वतंत्रता सेनानी, श्री माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर रखा गया है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित विश्वविद्यालय के निर्माण के पीछे मुख्य उद्देश्य देश में मास मीडिया के क्षेत्र में बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षण। मध्यप्रदेश विधानसभा की धारा १५ के तहत १९९० में विश्वविद्यालय की नींव पड़ी। जिसे यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने भी सहमति प्रदान की है। .

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मांडणा

मांडणा राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की कला है। मांडणा संस्कृत भाषा के शब्द मांडण का रूप है। जिसका अर्थ है 'खोजना'। मांडणे यहां के सामाजिक उत्सवों, धार्मिक पर्वो, शादी-विवाह, जन्मोत्सव, होली-दीवाली पर घर- आंगन का हिस्सा है जो प्राचीन वैदिक संस्कृति के प्रतीक हैं। मांडणों में कलश, पगल्या, स्वास्तिक, फूल, चौक, दीया, विनायक, खेड़ों चंग आदि प्रमुख हैं। मांडणे प्राय: ज्यामितीय आकार के होते हैं। परन्तु आजकल गोलाकार भी बनाए जाते हैं। राजस्थान में अभी भी गांव के लोग बृहत रूप से मांडणा बनाते हैं। दीपावली के दौरान मांडणा बनाने के लिए गांवों में आंगन को गेरू और गोबर से लीपा जाता है। इन्हें बनाने के लिए गेरू भिगोकर उसमें गोंद मिलाया जाता है। फिर ब्रश से धरातल पर गोल या चौकोर डिजाइन में गेरू से लीपते हैं। सूख जाने पर सफेद रंग, खडिया या चूने से ब्रश की सहायता से या सींक पर रूई की फुरेरी बनाकर डिजाइन बनाए जाते हैं। राजस्थान में दीपमाला के इस उत्सप में मांडणे चार चांद लगा देते है। उत्सवों में चित्रांकन की यह अनूठी परम्परा विविधता लिए हुए है। अलग-अलग अंचलों में वहां के रीति-रिवाज के अनुसार मांडणे बनाए जाते हैं। .

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मांदरी

मांदरी मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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मिथुन चक्रवर्ती

मिथुन चक्रवर्ती (মিঠুন চক্রবর্তী) (बचपन का नाम गौरांग चक्रवर्ती) का जन्म जून 16, 1952 को हुआ। ये भारत के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त कर चुके एक किवदंती फिल्म अभिनेता, सामाजिक कार्यकर्ता, उद्यमी और राज्यसभा के सांसद हैं। मिथुन ने अपने अभिनय की शुरुआत कला फिल्म मृगया (1976) से की, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए पहला राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार प्राप्त हुआ। 1980 के दशक के अपने सुनहरे दौर में एक डांसिंग स्टार के रूप में उनके बहुत सारे प्रसंशक बने और खुद को उन्होंने भारत के सबसे लोकप्रिय प्रमुख अभिनेता के रूप में स्थापित किया, विशेष रूप से 1982 में बहुत बड़ी हिट फिल्म डिस्को डांसर में स्ट्रीट डांसर जिमी की भूमिका ने उन्हें लोकप्रिय बनाया। कुल मिलाकर बॉलीवुड की 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय के अलावा उन्होंने बांग्ला, उड़िया और भोजपुरी में भी बहुत सारी फिल्में की। मिथुन मोनार्क ग्रुप के मालिक भी हैं जो होस्पिटालिटी सेक्टर में कार्यरत है। .

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मिशन इंद्रधनुष अभियान

मिशन इंद्रधनुष अभियान को भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सभी बच्चों को टीकाकरण के अंतर्गत लाने के लिये "'मिशन इंद्रधनुष'" को सुशासन दिवस के 25 दिसंबर 2014 अवसर पर प्रारंभ किया गया था ' इंद्रधनुष के सात रंगों को प्रदर्शित करने वाला मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य उन बच्चों का २०२० तक टीकाकरण करना है जिन्हें टीके नहीं लगे हैं या डिफ्थेरिया,बलगम, टिटनस,पोलियो,तपेदिक,खसरा तथा हेपिटाइटिस-बी को रोकने जैसे सात टीके आंशिक रूप से लगे हैं। यह कार्यक्रम हर साल ५ प्रतिशत या उससे अधिक बच्चों के पूर्ण में तेजी से वृद्धि के लिए विशेष अभियानों के जरिए चलाया जाएगा। पहले चरण में देश में २०१ जिलों की पहचान की है, जिसमें ५० प्रतिशत बच्चों को टीके नहीं लगे हैं या उन्हें आंशिक रूप से टीके लगाए गए हैं' इन जिलों को नियमित रूप से टीकाकरण की स्थिति सुधारने के लिए लक्ष्य बनाया जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि २०१ जिलों में से ८२ ज़िले केवल चार राज्य उत्तर प्रदेश,बिहार,मध्यप्रदेश तथा राजस्थान से हैं और चार राज्यों के ४२ ज़िलों में २५ प्रतिशत बच्चों को टीके नहीं लगाए गए हैं या उन्हें आंशिक रूप से टीके लगाए गए हैं। भारत में टीकों से वंचित या आंशिक टीकाकरण वाले करीब २५ प्रतिशत बच्चे इन चार राज्यों के ८२ ज़िलों में हैं। मिशन इंद्रधनुष के तहत पहले चरण में २०१ जिलों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का लक्ष्य तय किया है तथा २०१५ में दूसरे चरण में २९७ ज़िलों को लक्ष्य बनाया गया है ' मिशन के पहले चरण का कार्यान्वयन २०१ उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में ७ अप्रैल २०१५ पर विश्व स्वास्थ्य दिवस से प्रारंभ हुआ ' .

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मंडरायल

'मंडरायल' (Mandrayal) राजस्थान (भारत) राज्य के करौली जिले का एक क़स्बा है। यहाँ की जनसँख्या 74600 है। मंडरायल के पास के शहरों में सबलगढ़, ग्वालियर, करौली मुख्य रूप से हैं। यहाँ हिन्दी भाषा बोली जाती है। इन्हें भी देखे----- करौली .

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मंडला ज़िला

मण्डला जिला मंडला जिला, भारत के मध्य प्रदेश राज्य में सतपुड़ा पहाड़ियों में स्थित एक जिला है। नर्मदा नदी उत्तर-पश्चिम बहती हुई इस जिले को रीवा से अलग करती है। नर्मदा की सहायक बंजार नदी की घाटी में जिले का सबसे अधिक उपजाऊ भाग पड़ता है, जिसे 'हवेली' कहते हैं। हवेली के दक्षिण बंजार की घाटी जंगलों से ढकी हुई हैं। सर्वप्रमुख इमारती पेड़ साल हैं। बाँस, टीक और हरड़ अन्य उल्लेखनीय वृक्ष हैं। नदियों की घाटियों में धान, गेहूँ और तिलहन की उपज होती है। जंगल में चीता के आखेट के लिये यह एक प्रसिद्ध जिला हैं। लाख उत्पादन, लकड़ी चीरना, पान उगाना, पशुपालन, चटाई और रस्सियों का निर्माण यहाँ के लोगों के उद्यम हैं। यहाँ के 60 प्रतिशत निवासी गौंड़ जनजाति के हें। यहाँ मैगनीज और धातु के निक्षेप हैं। मंडला नगर, नर्मदा नदी के किनारे जबलपुर के 45 मील दक्षिण-पूर्व में मंडला जिले का प्रशासनिक केन्द्र है, जो तीन ओर से नर्मदा द्वारा घिरा हुआ हैं। फुल धातु ((Bell metal) के पात्रों के लिये विख्यात है। यह गोंड़ वंश की राजधानी रह चुका है। यहाँ किले और प्रासाद के अवशेष हैं। देश का एकमात्र जीवाश्म राष्ट्रीय पार्क मंडला जिले में स्थित है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के जिले.

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मंडीद्वीप, भोपाल

मंडीद्वीप भारत के राज्य मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के गौहरगंज उप-जिले में स्थित एक कस्बा है। मंडीद्वीप राजधानी भोपाल से २३ किमी दूर स्थित एक औद्योगिक कस्बा है, जो १९७० के दशक के अंतिम वर्षों में स्थापित किया गया था। .

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मंदसौर

सौंधनी स्थित यशोधर्मन का विजय-स्तम्भ मंदसौर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। मंद्सौर का प्राचिन नाम दशपुर था ! पुरातात्विक और ऐतिहासिक विरासत को संजोए उत्तरी मध्य प्रदेश का मंदसौर एक ऐतिहासिक जिला है। यह 5530 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। आजादी के पहले यह ग्वालियर रियासत का हिस्सा था। मंदसौर हिन्दू और जैन मंदिरों के लिए खासा लोकप्रिय है। पशुपतिनाथ मंदिर, बाही पारसनाथ जैन मंदिर और गांधी सागर बांध यहां के मुख्य दर्शनीय स्थल हैं। इस जिले में अफीम का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। मंदसौर राजस्थान के चित्तौड़गढ़, कोटा, भीलवाड़ा, झालावाड़ और मध्य प्रदेश के रतलाम जिलों से घिरा हुआ है। .

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मंदसौर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

मंदसौर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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मंज़र भोपाली

सैयद अली रज़ा (मंज़र भोपाली) (जन्म: 29 दिसंबर 1959) उर्दू के कवि (शायर) हैं। .

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मंगलनाथ मंदिर

यह मंदिर मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन में स्थित है। पुराणों के अनुसार उज्जैन नगरी को मंगल की जननी कहा जाता है। ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल भारी रहता है, वे अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए यहाँ पूजा-पाठ करवाने आते हैं। यूँ तो देश में मंगल भगवान के कई मंदिर हैं, लेकिन उज्जैन इनका जन्मस्थान होने के कारण यहाँ की पूजा को खास महत्व दिया जाता है। .

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मकर संक्रान्ति

मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। एक दिन का अंतर लौंद वर्ष के ३६६ दिन का होने ही वजह से होता है | मकर संक्रान्ति उत्तरायण से भिन्न है। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं, यह भ्रान्ति गलत है कि उत्तरायण भी इसी दिन होता है । उत्तरायण का प्रारंभ २१ या २२ दिसम्बर को होता है | लगभग १८०० वर्ष पूर्व यह स्थिति उत्तरायण की स्थिति के साथ ही होती थी, संभव है की इसी वजह से इसको व उत्तरायण को कुछ स्थानों पर एक ही समझा जाता है | तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। .

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मक्सी

मक्सी मध्य प्रदेश का एक शहर है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के नगर.

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मक्का (अनाज)

मक्का विभिन्न रंग और आकार के दानों वाली मकई की सूखी (पकी) बालियाँ भुट्टा सेंकते हुए ''Zea mays 'Ottofile giallo Tortonese''' मक्का (वानस्पतिक नाम: Zea mays) एक प्रमुख खाद्य फसल हैं, जो मोटे अनाजो की श्रेणी में आता है। इसे भुट्टे की शक्ल में भी खाया जाता है। भारत के अधिकांश मैदानी भागों से लेकर २७०० मीटर उँचाई वाले पहाडी क्षेत्रों तक मक्का सफलतापूर्वक उगाया जाता है। इसे सभी प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है तथा बलुई, दोमट मिट्टी मक्का की खेती के लिये बेहतर समझी जाती है। मक्का एक ऐसा खाद्यान्न है जो मोटे अनाज की श्रेणी में आता तो है परंतु इसकी पैदावार पिछले दशक में भारत में एक महत्त्वपूर्ण फसल के रूप में मोड़ ले चुकी है क्योंकि यह फसल सभी मोटे व प्रमुख खाद्दानो की बढ़ोत्तरी दर में सबसे अग्रणी है। आज जब गेहूँ और धान मे उपज बढ़ाना कठिन होता जा रहा है, मक्का पैदावार के नये मानक प्रस्तुत कर रही है जो इस समय बढ्कर 5.98 तक पहुँच चुका है। यह फसल भारत की भूमि पर १६०० ई० के अन्त में ही पैदा करना शुरू की गई और आज भारत संसार के प्रमुख उत्पादक देशों में शामिल है। जितनी प्रकार की मक्का भारत में उत्पन्न की जाती है, शायद ही किसी अन्य देश में उतनी प्रकार की मक्का उत्पादित की जा रही है। हाँ यह बात और है कि भारत मक्का के उपयोगो मे काफी पिछडा हुआ है। जबकि अमरीका में यह एक पूर्णतया औद्याोगिक फसल के रूप में उत्पादित की जाती है और इससे विविध औद्याोगिक पदार्थ बनाऐ जाते है। भारत में मक्का का महत्त्व एक केवल खाद्यान्न की फसल के रूप मे जाना जाता है। सयुक्त राज्य अमरीका मे मक्का का अधिकतम उपयोग स्टार्च बनाने के लिये किया जाता है। भारत में मक्का की खेती जिन राज्यों में व्यापक रूप से की जाती है वे हैं - आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि। इनमे से राजस्थान में मक्का का सर्वाधिक क्षेत्रफल है व आन्ध्रा में सर्वाधिक उत्पादन होता है। परन्तु मक्का का महत्व जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पूर्वोत्तर राज्यों, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र, गुजरात व झारखण्ड में भी काफी अधिक है। .

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मछली घर, भोपाल

मछली घर मध्य प्रदेश कि राजधानी भोपाल मे स्थित एक प्रसिद्ध जलजीवशाला (एक्वेरियम) है। राज भवन के पास स्थित इस जलजीवशाला की स्थापना ३१ मई १९७७ को हुई थी। दो मंजिले इस अवस्थापना में ऊपरी तल पर चालीस छोटे और निचले तल पर २६ बड़े एक्वेरियम रखे गये थे जिनमें विविध प्रकार की मछलियाँ और जलीय जीव रखे गये थे। भारत में स्थित एक्वेरिया में इसे मुंबई स्थित तारापुर फिश एक्वेरियम के बाद दूसरा सबसे समृद्ध एक्वेरियम माना जाता है। इसका उल्लेख "वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ एक्वेरिया" में भी है। सरकार ने इसे बंद करके इसके स्थान पर पाँच सितारा होटल और कन्वेशन सेंटर बनाने की योजना बनाई थी। भोपाल के लोगों के विरोध के बाद इसे एक दूसरी जगह नए रूप में बनाने की स्वीकृति दी गयी और वर्तमान में इसकी मछलियों को भदभदा रोड स्थित एक अस्थायी भवन में रखा गया है। इस अस्थायी एक्वेरियम में भी टिकट दरें और समय सारिणी पुराने जैसी है। .

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मुझे जीने दो (1963 फ़िल्म)

मुझे जीने दो (अंग्रेजी: Mujhe Jeene Do) सन 1963 में बनी एक मशहूर हिन्दी फिल्म का नाम है जिसका निर्देशन मणि भट्टाचार्य ने किया था। अजन्ता आर्ट के बैनर तले बनी व डकैतों के वास्तविक जीवन पर आधारित बालीवुड की इस फिल्म में सुनील दत्त, वहीदा रहमान, निरूपा रॉय, राजेन्द्र नाथ एवं मुमताज़ ने अभिनय किया था। चम्बल घाटी के डाकू समस्याग्रस्त इलाके भिण्ड एवं मुरैना जिलों के खतरनाक बीहड़ों में मध्य प्रदेश पुलिस के सुरक्षा कवच में फिल्मायी गयी, तथा मोहन स्टूडियो मुम्बई में बनी इस फिल्म में वहीदा रहमान व सुनील दत्त के अभिनय की बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ था। जयदेव के संगीत निर्देशन ने इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म का दर्ज़ा दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। .

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मुरवारा

मुरवारा मध्य प्रदेश के रीवा जिला में एक तहसील है। श्रेणी:मध्य प्रदेश की तहसीलें.

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मुरैना

मुरैना भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक नगर है। यह मुरैना जिला मुख्यालय भी है। उत्तरी मध्य प्रदेश में स्थित मुरैना चंबल घाटी का प्रमुख जिला है। 5000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस जिले से चंबल, कुंवारी, आसन और सांक नदियां बहती हैं। पर्यटन के लिए आने वालों के देखने के लिए यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। इन दर्शनीय स्थलों में सिहोनिया, पहाडगढ़, मीतावली, नूराबाद, सबलगढ़ का किला और राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य प्रमुख हैं। यहां एक पुरातात्विक संग्रहालय और गैलरी भी देखी जा सकती है। यह जिला ग्वालियर नगर से लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पर है। मुरैना का प्राचीन नाम मयूरवन है जो की महाभारत काल के समय बहुत प्रसिद्ध था। इसी जिले का एक छोटा सा साॅटा नामक गांव हैं जिसमें जिले के सभी गांवों की अपेक्षाकृत अधिक मोर पाये जाते हैं यह मुरैना नगर से १० किलो मीटर की दूरी पर स्थित है । .

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मुरैना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

मुरैना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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मुरैना ज़िला

मुरैना मध्य प्रदेश राज्य का एक जिला है। इसका मुख्यालय मुरैना में है। जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 50 प्रतिशत भाग खेती योग्य है। जिले का 42.94 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित हैं। नहर इस क्षेत्र की सिंचाई का मुख्य साधन है। जिले की मुख्य फसल गेहूँ है। सरसों का उत्पादन भी जिले में प्रचुर मात्रा में होता है। खरीफ की मुख्य फसल बाजरा है। यह जिला कच्ची घानी के सरसों के तेल के लिये पूरे मध्य प्रदेश में जाना जाता है। इस जिले में पानी की आपूर्ति चम्बल, कुँवारी, आसन और शंक नदियों द्वारा होती है। चम्बल नदी का उद्गम इन्दौर जिले से हुआ है। यह नदी राजस्थानी इलाके से लगती हुई उत्तर-पश्चिमी सीमा में बहती है। .

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मुल्ताई

मुलताई भारत के मध्य प्रदेश राज्य में बैतूल जिले का एक शहर है मुल्ताई पुण्य सलिला मां ताप्ती नदी का उद्गम स्थल है इसके निकट प्रभात पट्टन और बेतुल प्रमुख शहर है। यह मुल्ताई मध्य-प्रदेश.

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मुशताक ख़ान (अभिनेता)

मुशताक ख़ान एक भारतीय फिल्म अभिनेता है। इनका जन्म बैहर मध्य प्रदेश में हुआ था। इन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया है। .

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मुजफ्फर हुसैन (पत्रकार)

मुजफ्फर हुसैन (२० मार्च १९४५ -- १३ फरवरी २०१८) भारत के राष्ट्रवादी पत्रकार व चिन्तक थे। सन २००२ में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। कई भाषाओं में प्रवीणता हासिल करने वाले हुसैन विभिन्न भाषाओं में कई पत्रिकाओं के लिए और कई स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों के लिए भी लिखते थे। वे मुसलमानों के एक वर्ग में पनपनेवाली जेहादी मानसिकता के सदैव निंदक रहे। .

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मुकेश तिवारी

मुकेश तिवारी हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं।..

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मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल

---- मौलाना आजाद राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, भोपाल की स्थापना १९६० में की गई थी और २६ जून २००२ को इसे राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दर्जा दिया गया। इस संस्थान में 8 विभाग हैं। यह संस्थान सिविल इंजीनियरी, अभियांत्रिकी इंजीनियरी, विद्युत इंजीनियरी, इलैक्टोनिकी तथा संचार इंजीनियरी, कम्प्यूटर विज्ञान तथा इंजीनियरी, सूचना प्रौद्योगिकी में चार वर्षीय बी.टेक कार्यक्रम और एक पांच वर्षीय बी.आर्क.

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मृणाल पाण्डे

मृणाल पाण्डे (जन्म: 26 फरवरी 1946) भारत की एक पत्रकार, लेखक एवं भारतीय टेलीविजन की जानी-मानी हस्ती हैं। सम्प्रति वे प्रसार भारती की अध्यक्षा हैं। अगस्त २००९ तक वे हिन्दी दैनिक "हिन्दुस्तान" की सम्पादिका थीं। हिन्दुस्तान भारत में सबसे ज्यादा पढे जाने वाले अखबारों में से एक हैं। वे हिन्दुस्तान टाइम्स के हिन्दी प्रकाशन समूह की सदस्या भी हैं। इसके अलावा वो लोकसभा चैनल के साप्ताहिक साक्षात्कार कार्यक्रम (बातों बातों में) का संचालन भी करती हैं। .

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मृदा

पृथ्वी ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मृदा (मिट्टी / soil) कहते हैं। ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्राय: चट्टान (शैल) पाई जाती है। कभी कभी थोड़ी गहराई पर ही चट्टान मिल जाती है। 'मृदा विज्ञान' (Pedology) भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं एवं धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता हैं। पृथऽवी की ऊपरी सतह के कणों को ही (छोटे या बडे) soil कहा जाता है .

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मैथिलीशरण गुप्त

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें साहित्य जगत में 'दद्दा' नाम से सम्बोधित किया जाता था। उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली साबित हुई थी और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें 'राष्ट्रकवि' की पदवी भी दी थी। उनकी जयन्ती ३ अगस्त को हर वर्ष 'कवि दिवस' के रूप में मनाया जाता है। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया। इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में यह गुप्त जी का सबसे बड़ा योगदान है। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो 'पंचवटी' से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। साकेत उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है। .

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मैथिलीशरण गुप्त सम्मान

मैथिलीशरण गुप्त सम्मान मध्यप्रदेश शासन ने साहित्य और कलाओं को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से अनेक राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मानों की स्थापना की है। हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में वार्षिक सम्मान का नाम खड़ी बोली के शीर्ष प्रवर्तक कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त की स्मृति में रखा गया है। राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान का उद्देश्य हिन्दी साहित्य में श्रेष्ठ उपलब्धि और सृजनात्मकता को सम्मानित करना है। सम्मान का निकष असाधारण उपलब्धि, रचनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ साहित्य साधना के निरपवाद सर्वोच्च मानदण्ड रखे गये हैं। .

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मैहर

देवी माँ शारदा मंदिर शारदा मन्दिर से आल्हा-उदल जलाशय मैहर मध्य प्रदेश के सतना जिले का एक छोटा सा नगर है। यह एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थस्थल है। मैहर में शारदा माँ का प्रसिद्ध मन्दिर ह जो नैसर्गिक रूप से समृद्ध कैमूर तथा विंध्य की पर्वत श्रेणियों की गोद में अठखेलियां करती तमसा के तट पर त्रिकूट पर्वत की पर्वत मालाओं के मध्य 600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह ऐतिहासिक मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक है। यह पीठ सतयुग के प्रमुख अवतार नृसिंह भगवान के नाम पर 'नरसिंह पीठ' के नाम से भी विख्यात है। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर आल्हखण्ड के नायक आल्हा व ऊदल दोनों भाई मां शारदा के अनन्य उपासक थे। पर्वत की तलहटी में आल्हा का तालाब व अखाड़ा आज भी विद्यमान है। यहाँ प्रतिदिन हजारों दर्शनार्थी आते हैं किंतु वर्ष में दोनों नवरात्रों में यहां मेला लगता है जिसमें लाखों यात्री मैहर आते हैं। मां शारदा के बगल में प्रतिष्ठापित नरसिंहदेव जी की पाषाण मूर्ति आज से लगभग 1500 वर्ष पूर्व की है। देवी शारदा का यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थल देश के लाखों भक्तों के आस्था का केंद्र है माता का यह मंदिर धार्मिक तथा ऐतिहासिक है .

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मेघवाल

जम्मू, भारत में एक समारोह के दौरान मेघ बालिकाओं का एक समूह मेघ, मेघवाल, या मेघवार, (उर्दू:میگھواڑ, सिंधी:ميگھواڙ) लोग मुख्य रूप से उत्तर पश्चिम भारत में रहते हैं और कुछ आबादी पाकिस्तान में है। सन् 2008 में, उनकी कुल जनसंख्या अनुमानतः 2,807,000 थी, जिनमें से 2760000 भारत में रहते थे। इनमें से वे 659000 मारवाड़ी, 663000 हिंदी, 230000 डोगरी, 175000 पंजाबी और विभिन्न अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ बोलते हैं। एक अनुसूचित जाति के रूप में इनका पारंपरिक व्यवसाय बुनाई रहा है। अधिकांश हिंदू धर्म से हैं, ऋषि मेघ, कबीर, रामदेवजी और बंकर माताजी उनके प्रमुख आराध्य हैं। मेघवंश को राजऋषि वृत्र या मेघ ऋषि से उत्पन्न जाना जाता है।सिंधु सभ्यता के अवशेष (मेघ ऋषि की मुर्ति मिली) भी मेघो से मिलते है। हडप्पा,मोहन-जोद़ङो,कालीबंगा (हनुमानगढ),राखीगङी,रोपङ,शक्खर(सिंध),नौसारो(बलुचिस्तान),मेघढ़(मेहरगढ़ बलुचिस्तान)आदि मेघवंशजो के प्राचीन नगर हुआ करते थे। 3300ई.पू.से 1700ई.पू.तक सिंध घाटी मे मेघो की ही आधिक्य था। 1700-1500ई.पू.मे आर्यो के आगमन से मेघ, अखंड भारत के अलग अलग भागो मे बिछुङ (चले) गये । ये लोग बहुत शांत स्वभाव व प्रवृति के थे। इनका मुख्य साधन ऊंठ-गाङा व बैल-गाङा हुआ करता। आज मेघवालो को बहुत सारी उपजातीयो बांट रखा है जिसमे सिहमार, भगत, बारुपाल, मिड़ल (मिरल),केम्मपाल, अहम्पा, पंवार,पङिहार,लिलङ,जयपाल,पंवार,चावणीया, तुर्किया,गाडी,देवपाल,जालानी गोयल-मंगी,पन्नु, गोगली,गंढेर,दहीया,पुनङ,मुंशी,कोली आदि प्रमुख है। मेघवंशो के कूलगुरु गर्गाचार्य गुरङा होते है। .

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मेकलसुता

मेकलसुता हिन्दी की एक पत्रिका है। यह दोहा विधा पर केन्द्रित पत्रिका है और होशंगाबाद,मध्य प्रदेश से प्रकाशित होती है। श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:हिन्दी पत्रिकाएँ श्रेणी:सामाजिक पत्रिकाएँ श्रेणी:साहित्यिक पत्रिकाएँ.

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मोतीलाल वोरा

मोतीलाल वोरा एक भारतीय राजनेता है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। श्रेणी:मध्य प्रदेश श्रेणी:मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रेणी:उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्रेणी:मुख्यमंत्री श्रेणी:राजनीतिज्ञ.

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मोदी

मोदी भारत में एक उपनाम हैं। यह सामान्यतः उत्तर और पश्चिम भारतीय राज्य हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखण्ड और गुजरात में पाया जाता हैं। मोदी अधिकतर बनिया जाति से सम्बंधित हैं। .

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मोरोपंत पिंगले

मोरेश्वर नीलकण्ठ पिंगले (मोरेश्वर निळकंठ पिंगळे; 30 अक्टूबर 1919 -21 सितम्बर 2003) उपाख्य मोरोपन्त पिंगले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अग्रणी नेता थे। उन्हें मराठी में "हिन्दु जागरणाचा सरसेनानी", (हिन्दू जनजागरण के सेनापति) की उपाधि से विभूषित किया जाता है। आरएसएस के प्रचारक के रूप में उनके ६५ वर्ष के कार्यकाल में वे अनेक उत्तरदायित्वों का निर्वाह किया जिसमें अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख का उत्तरदायित्व प्रमुख है। सन् १९७५ के आपातकाल के समय ६ अघोषित सरसंघचालकों में से वे भी एक थे। वे रामजन्मभूमि आन्दोलन के रणनीतिकार थे। .

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मोहनखेड़ा

मोहनखेड़ा मध्यप्रदेश के धार जिलें में स्थित एक कस्बा है। यहाँ श्वेतांबर जैन समाज का एक ऐसा महातीर्थ विकसित हुआ है, जो देश और दुनिया में ख्यात हो चुका है। श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीश्वरजी महाराज साहब की यह तीर्थ नगरी मानवसेवा का भी तीर्थ बन चुकी है। गुरु सप्तमी पर हर साल यहाँ श्रद्घालुओं का सैलाब उमड़ता है। लाखों श्रद्घालु पूज्य गुरुदेव का जयघोष कर अपने कल्याण का मार्ग प्राप्त करते हैं। .

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मीडिया की पहुँच के आधार पर भारत के राज्य

भारत के राज्यों की यह सूची लोगों तक मीडिया की पहुँच के आधार पर है। यह जानकारी एन॰एफ॰एच॰एस-३ से संकलित की गई थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण व्यापक-पैमाने, बहु-दौरीय सर्वेक्षण है जो अन्तर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आई॰आई॰पी॰एस), मुंबई द्वारा कराया जाता है जो परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट है। एन॰एफ॰एच॰एस-३ ११ अक्टूबर २००७ को जारी किया गया था और पूरा सर्वेक्षण इस वेबसाइट पर देखा जा सकता है। .

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मीणा

मीणा अथवा मीना मुख्यतया भारत के राजस्थान व मध्य प्रदेशराज्यों में निवास करने वाली एक जनजाति है। इन्हे वैदिक युग के मत्स्य गणराज्य के मत्स्य जन-जाति का वंशज कहा जाता है, जो कि छठी शताब्दी बी॰सी॰ में पल्लवित हुये। मीणा भारत कि अनुसूचित जन जाति वर्ग से संबन्धित है व राजस्थान राज्य में वे सभी हिन्दू है, परंतु मध्य प्रदेश में मीणा (क्रम -21) विदिशा जिले कि सिरोंज तहसील में अनुसूचित जन जाति में सम्मिलित है जबकि मध्य प्रदेश के अन्य 44 जिलों में वे अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आते हैं। वर्तमान में भारत कि केंद्र सरकार के समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया है कि मध्य प्रदेश की समूची मीणा जाति को भारत की अनुसूचित जन जाति के रूप में मान्यता दी जाए।। पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ला तृतीया को कृतमाला नदी के जल से मत्स्य भगवान प्रकट हुए थे। इस दिन को मीणा समाज में जहाँ एक ओर मत्स्य जयन्ती के रूप में मनाया जाता है, वहीं दूसरी ओर इसी दिन संम्पूर्ण राजस्थान में गणगौर का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। .

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मीनाक्षी शुक्ला

मीनाक्षी शुक्ला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो में मंगल यान अभियान की प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। जिस मंगल अभियान को लेकर पूरी दुनिया में आज भारत का नाम रोशन है, उस अभियान की मीनाक्षी भी एक स्तंभ हैं। वे 1999 से इसरो में साइंटिस्ट है। मीनाक्षी पर जिम्मेदारी है कि वह मंगल यान की हर गतिविधि पर नजर रखें। साथ ही उनकी जिम्मेदारी यान से मिले तस्वीरों को डी-कोड करने की है। मीनाक्षी मध्य प्रदेश के बिलासपुर शहर की हैं। उन्होने शहर के बर्जेश स्कूल में हिंदी मीडियम से 10वीं-12वीं की पढ़ाई कर पूरे रीजन में टॉप आने का रिकॉर्ड बनाया है। .

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यज्ञदत्त शर्मा (मध्यप्रदेश के राजनेता)

यज्ञ दत्त शर्मा (1936 – 20 मई 2016) भारत के मध्य प्रदेश के एक राजनेता थे। वे इन्दौर से कई बार विधायक चुने गये तथा मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। श्रेणी:मध्य प्रदेश के राजनेता.

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यूनियन कार्बाइड

यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (यूनियन कार्बाइड) संयुक्त राज्य अमेरिका की रसायन और बहुलक बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है और वर्तमान में कम्पनी में 3,800 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। 1984 में कम्पनी के भारत के राज्य मध्य प्रदेश के शहर भोपाल स्थित संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस के रिसाव को अब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है, जिसने कम्पनी को इसकी अब तक की सबसे बड़ी बदनामी दी है। यूनियन कार्बाइड को इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार पाया गया, लेकिन कम्पनी ने इस त्रासदी के लिए खुद को जिम्मेदार मानने से साफ इंकार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप लगभग 15000 लोगों की मृत्यु हो गयी और लगभग 500000 व्यक्ति इससे प्रभावित हुए। 6 फ़रवरी 2001 को यूनियन कार्बाइड, डाउ केमिकल कंपनी की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन गयी। इसी वर्ष कम्पनी के गैस पीड़ितों के साथ हुए एक समझौते और भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के शुरुआत के साथ भारत में इसका अध्याय समाप्त हो गया। यूनियन कार्बाइड अपने उत्पादों का अधिकांश डाउ केमिकल को बेचती है। यह डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज का एक पूर्व घटक भी है। सन 1920 में, इसके शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक गैस द्रवों जैसे कि इथेन और प्रोपेन से इथिलीन बनाने की एक किफायती विधि विकसित की जिसने आधुनिक पेट्रोरसायन उद्योग को जन्म दिया। आज, यूनियन कार्बाइड के पास इस उद्योग से जुड़ी सबसे उन्नत प्रक्रियायें और उत्प्रेरक प्रौद्योगिकियां हैं और यह विश्व की कुछ सबसे किफायती और बड़े पैमाने की उत्पादन सुविधाओं का प्रचालन करती है। विनिवेश से पहले विभिन्न उत्पाद जैसे कि एवरेडी और एनर्जाइज़र बैटरीज़, ग्लैड बैग्स एंड रैप्स, सिमोनिज़ कार वैक्स और प्रेस्टोन एंटीफ्रीज़ आदि कम्पनी के स्वामित्व के आधीन थे। डाउ केमिकल कंपनी द्वारा कम्पनी के अधिगहण से पहले इसके इलेक्ट्रॉनिक रसायन, पॉलीयूरेथेन इंटरमीडिएट औद्योगिक गैसों और कार्बन उत्पादों जैसे व्यवसायों का विनिवेश किया गया। .

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योगिनी

योगाभ्यास करने वाली स्त्री को योगिनी या योगिन कहा जाता है। पुरुषों के लिए इसका समानांतर योगी है। .

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रणायरा

रणायरा भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की आलोट तहसील में एक गाँव है। यहाँ की कुल जनसंख्या, २०११ की जनगणना के अनुसार, १३८५ है। गाँव में राम, शिव और हनुमानजी का मंदिर है। .

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रतलाम

रतलाम भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के मालवा क्षेत्र का एक जिला है। रतलाम शहर समुद्र सतह से १५७७ फीट कि ऊन्चाई पर स्थित है। रतलाम के पहले राजा महाराजा रतन सिंह थे। यह नगर सेव, सोना, सट्टा,मावा, साडी तथा समोसा कचौरी के लिये प्रसिद्ध है। महाराजा रतनसिंह और उनके पुत्र रामसिंह के नामों के संयोग से शहर का नाम रतनराम हुआ, जो बाद में अपभ्रंशों के रूप में बदलते हुए क्रमशः रतराम और फिर रतलाम के रूप में जाना जाने लगा। मुग़ल बादशाह शाहजहां ने रतलाम जागीर को रतन सिह को एक हाथी के खेल में, उनकी बहादुरी के उपलक्ष में प्रदान की थी। उसके बाद, जब शहजादा शुजा और औरंगजेब के मध्य उत्तराधिकारी की जों जंग शरू हुई थी, उसमे रतलाम के राजा रतन सिंह ने बादशाह शाहजहां का साथ दिया था। औरंगजेब के सत्ता पर असिन होने के बाद, जब अपने सभी विरोधियो को जागीर और सत्ता से बेदखल किया, उस समय, रतलाम के राजा रतन सिंह को भी हटा दिया था और उन्हें अपना अंतिम समय मंदसौर जिले के सीतामऊ में बिताना पड़ा था और उनकी मृत्यु भी सीतामऊ में भी हुई, जहाँ पर आज भी उनकी समाधी की छतरिया बनी हुई हैं। औरंगजेब द्वारा बाद में, रतलाम के एक सय्यद परिवार, जों की शाहजहां द्वारा रतलाम के क़ाज़ी और सरवनी जागीर के जागीरदार नियुक्त किये गए थे, द्वारा मध्यस्ता करने के बाद, रतन सिंह के बेटे को उत्तराधिकारी बना दिया गया। इसके आलावा रतलाम जिले का ग्राम सिमलावदा अपने ग्रामीण विकास के लिये पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध हे। यहाँ के ग्रामीणों द्वारा जनभागीदारी से गांव में ही कई विकास कार्य किये गए हे। रतलाम से 30 किलोमीटर दूर बदनावर इंदौर रोड पर कवलका माताजी का अति प्राचीन पांडवकालीन पहाड़ी पर स्थित मन्दिर हे। यहाँ पर दूर दूर से लोग अपनी मनोकामना पूरी करने और खासकर सन्तान प्राप्ति के लिए यहाँ पर मान लेते हे| madhya paradesh no.1 श्रेणी:मध्य प्रदेश के नगर.

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रतलाम लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

रतलाम लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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रतलाम सेव

Add caption here मध्य प्रदेश के एक प्रमुख शहर रतलाम की प्रसिद्धि का एक प्रमुख कारण इस शहर के अलग अलग तरह के नमकीन जैसे समोसा, कचोरी, पोहे और फलाहारी नमकीन है। नमकीन की इन श्रेणियो में सेव का अपना प्रमुख स्थान है। मुख्य रूप से बेसन एवं मसालों से निर्मित इस नमकीन खाद्य की बिक्री सम्पूर्ण शहर एवम भारत के अलग अलग प्रदेशो में दूर दूर तक होती हे। सेव के प्रकारों में मुख्य रूप से लोंग, लहसून एवं काली मिर्च से बनी सेव बहुतायात से बिकती हे। सेव बनाने में मुख्य रूप से मूंगफली के तेल का उपयोग किया जाता हे। thumbnail.

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रतलाम ज़िला

रतलाम भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय रतलाम है। क्षेत्रफल - ४,८६१ वर्ग कि.मी.

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रमन सिंह

रमन सिंह (जन्म: १५ अक्टूबर १९५२, कवर्धा) एक भारतीय राजनेता है और छत्तीसगढ के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। रमन सिंह १९९० और १९९३ में मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। उसके बाद सन् १९९९ में वे लोकसभा के सदस्य चुने गये। १९९९ और २००३ में उन्होंने भारत सरकार में राज्य मंत्री का भी पद संभाला। २००४ में हुये विधानसभा के चुनावों में उन्होंने सफलता पाई और छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री बने। २००८ के विधानसभा चुनावों में उन्होंने फिर से सफलता पायी और राज्य के पुनः मुख्यमंत्री बने। तीसरी बार वे 2013 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री चुने गये। .

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राठवा

श्रेणी:भारत की जनजातियाँ.

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रातापानी बाघ अभयारण्य

भीमबेटका के आसपास के वन रातापानी बाघ अभयारण्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में स्थित है। यह राजधानी भोपाल से बहुत कम दूरीपर स्थित है। यह अपने सुन्दर सागौन (टीक) वनों के लिये प्रसिद्ध है। यह अभयारण्य तरह-तरक के जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधों से भरा है। यहाँ बाघ, लियोपार्ड (leopards), जंगली कुत्ते, स्लॉथ बीय, striped hyenas, शियार, लोमड़ी, चीतल, सांभर, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंघा, हनुमान लंगूर, rhesus macaque तथा भारतीय शैल अजगर (Indian rock python) प्रमुखता से पाये जाते हैं। कुछ दशक पहले यहाँ बारहसिंघा भी पाया जाता था। भीम बैठका इसी अभयारण्य के अन्दर है। .

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राधावल्लभ त्रिपाठी

राधावल्लभ त्रिपाठी (जन्म: 15 फरवरी 1949, राजगढ़ (मध्यप्रदेश)) संस्कृत साहित्य को आधुनिकता का संस्कार देने वाले विद्वान और हिन्दी के प्रखर लेखक, कथाकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह संधानम् के लिये उन्हें सन् 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रानेह जलप्रपात

रानेह जलप्रपात मध्य प्रदेश मे स्थित एक जलप्रपात है। श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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रानी लक्ष्मीबाई स्मारक, ग्वालियर

रानी लक्ष्मीबाई स्मारक मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर के पडाव क्षैत्र में है। कहते हैं यहां झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की सेना ने अंग्रेजों से लडते हुए पडाव डाला और यहां के तत्कालीन शासक से सहायता मांगी किन्तु सदैव से मुगलों और अंग्रेजों के प्रभुत्व में रहे यहां के शासक उनकी मदद न कर सके और वे यहां वीरगति को प्राप्त हुईं। यहां के राजवंश का गौरव तब संदेहास्पद हो गया। इसी प्रकार यहां तात्या टोपे का भी स्मारक है। श्रेणी:मध्य प्रदेश श्रेणी:ग्वालियर.

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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राम प्रकाश गुप्ता

राम प्रकाश गुप्ता राम प्रकाश गुप्ता (जन्म: २६ अक्टूबर १९२३- १ मई २००४) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के राज्यपाल थे। वह भारतीय जनता पार्टी के एक नेता हैं। इनका जन्म स्थान झाँसी है। वह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं जब चौधरी चरण सिंह ने १९६७ में गैर कांग्रेस दलों को एकीकृत करके सरकार बनायीं थी। वे १९७७ जनता पार्टी की सरकार में उद्योग मंत्री रहे चुके हैं। .

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राम सुतार

राम सुतार (अंग्रेजी: Ram Vanji Sutar, जन्म: 19 फ़रवरी 1925) भारत के एक सुप्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। महाराष्ट्र में जन्मे इस शिल्पकार का पूरा नाम राम वनजी सुतार है। आपने कई महापुरुषों की बहुत विशाल मूर्तियाँ बनायीं और उनके माध्यम से प्रचुर मात्रा में नाम और नामा दोनों कमाया। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमन्त्रित्व काल में भारत सरकार ने आपकी कलात्मक शिल्प साधना को सम्मानित करते हुए 1999 में पद्मश्री से अलंकृत किया। .

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राम किशोर शुक्ल

पंडित राम किशोर शुक्ल (4 सितंबर सन 1923 से 11 दिसंबर 2003) एक भारतीय राजनीतिज्ञ एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे वह सोशलिस्ट पार्टी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से MLA पद पर चुने गए थे। मध्य प्रदेश विधानसभा क्षेत्र के ब्यौहारी क्षेत्र से चुने गए तथा उन्होंने स्पीकर तथा डिप्टी स्पीकर पद पर भी अपना दायित्व निर्वहन किया कैबिनेट मंत्री के तौर पर उन्होंने वित्त मंत्रालय, कानून एवं विधाई मंत्री का राजस्व मंत्री का एवं संसदीय मामलों के मंत्री का दायित्व निभाया। .

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रामनारायण उपाध्याय

रामनारायण उपाध्याय हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक हैं। उनका जन्म २ मई १९१८ को कालमुखी, मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ और शिक्षा गाँव में हुई। आपने गाँधी-जीवन से लेखन की प्रेरणा लेकर लेखन आरम्भ किया। भाषा शैली- सहज, सरल प्रभावशाली गद्य। इनके व्यंग्यों के बारे में अज्ञेय जी ने लिखा है- मधुर व्यंग्य जो जाड़ों के घाम जैसा स्निग्ध, अपने मन से भर जाए और सधा हुआ सूक्ष्म स्पर्श जो भाव को जगाए पर चैंकने न दे। प्रकाशित कृतियाँ-व्यंग्य, ललित निबन्ध, रूपक, रिपोर्ताज, लघु कथाएँ, संस्मरण आदि विधाओं में ३० से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। हम तो बाबुल तेरे बाग की चिड़िया (लोक साहित्य) निमाड़ का सांस्कृतिक अध्ययन (लोक साहित्य) बक्शीशनामा, धुँधले काँच की दीवार, नाक का सवाल, मुस्कराती फाइलें, गँवईं मन और गाँव की याद, दूसरा सूरज आदि व्यंग्य संकलन हैं। जनम-जनम के फेरे (ललित निबन्ध) मृग के छौने (गद्य रूपक) जिनकी छाया भी सुखकर है तथा जिन्हें भूल न सका (संस्मरण) कथाओं की अंतर्कथा, चिट्ठी, मामूली आदमी आदि प्रसिद्ध पुस्तकें हैं।.

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रामभद्राचार्य

जगद्गुरु रामभद्राचार्य (जगद्गुरुरामभद्राचार्यः) (१९५०–), पूर्वाश्रम नाम गिरिधर मिश्र चित्रकूट (उत्तर प्रदेश, भारत) में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर १९८८ ई से प्रतिष्ठित हैं।अग्रवाल २०१०, पृष्ठ ११०८-१११०।दिनकर २००८, पृष्ठ ३२। वे चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं। यह विश्वविद्यालय केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करता है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं। अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया है। वे बहुभाषाविद् हैं और २२ भाषाएँ बोलते हैं। वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं। उन्होंने ८० से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं।दिनकर २००८, पृष्ठ ४०–४३। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है, और वे रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के सम्पादक हैं, जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ द्वारा किया गया है। स्वामी रामभद्राचार्य रामायण और भागवत के प्रसिद्ध कथाकार हैं – भारत के भिन्न-भिन्न नगरों में और विदेशों में भी नियमित रूप से उनकी कथा आयोजित होती रहती है और कथा के कार्यक्रम संस्कार टीवी, सनातन टीवी इत्यादि चैनलों पर प्रसारित भी होते हैं। २०१५ में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया। .

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रामराजा मन्दिर

रामराजा मन्दिर मध्य प्रदेश के ओरछा में स्थित है। .

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रामशंकर अग्निहोत्री

श्री रामशंकर अग्निहोत्री भारत के प्रखर चिन्तक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक तथा वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्हें सन् २००८ के लिये माणिकचन्द्र वाजपेयी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के लिये चुना गया है। .

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रामकृष्ण खत्री

रामकृष्ण खत्री (जन्म: ३ मार्च १९०२ महाराष्ट्र, मृत्यु: १८ अक्टूबर १९९६ लखनऊ) भारत के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ का विस्तार मध्य भारत और महाराष्ट्र में किया था। उन्हें काकोरी काण्ड में १० वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी गयी। हिन्दी, मराठी, गुरुमुखी तथा अंग्रेजी के अच्छे जानकार खत्री ने शहीदों की छाया में शीर्षक से एक पुस्तक भी लिखी थी जो नागपुर से प्रकाशित हुई थी। स्वतन्त्र भारत में उन्होंने भारत सरकार से मिलकर स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों की सहायता के लिये कई योजनायें भी बनवायीं। काकोरी काण्ड की अर्द्धशती पूर्ण होने पर उन्होंने काकोरी शहीद स्मृति के नाम से एक ग्रन्थ भी प्रकाशित किया था। लखनऊ से बीस मील दूर स्थित काकोरी शहीद स्मारक के निर्माण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। १८ अक्टूबर १९९६ को ९४ वर्ष की आयु में उनका देहान्त हुआ। .

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रायपुर विकास प्राधिकरण

रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए/ राविप्रा) - नगर विकास के लिए 1963 में नगर सुधार न्यास के नाम से मध्यप्रदेश शासन व्दारा गठित किया गया था। 1977 में नगर सुधार न्यास का दर्जा बढ़ा कर राज्य शासन ने इसे रायपुर विकास प्राधिकरण के रूप में अपग्रेड किया। सन् 2002 में रायपुर विकास प्राधिकरण को नगर पालिक निगम रायपुर में विलय कर दिया गया। 28 अक्टूबर 2004 को पुनः रायपुर विकास प्राधिकरण का पुनर्गठन किया गया। रायपुर विकास प्राधिकरण व्दारा 1995 में निर्मित नगरघड़ी पूरे विश्व में अपने आप में एक अनूठी नगरघड़ी है। हर घंटे छत्तीसगढ़ का लोकसंगीत सुनाने वाली यह विश्व की इकलौती नगरघड़ी है। लोकधुन सुनाने की इस अवधारणा के कारण इसे वर्ष 2009 में लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस तथा इंडिया बुक ऑफ रिकार्डस में शामिल किया गया है। इस संस्था का नारा है विकास हमारा उद्देश्य निर्माण हमारा लक्ष्य वर्तमान में श्री संजय श्रीवास्तव अध्यक्ष, श्री एम.डी.

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रायसेन

रायसेन, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले का मुख्यालय तथा एक नगर है। .

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रायसेन ज़िला

रायसेन ज़िला भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। रायसेन मालवा क्षेत्र का मध्यकालीन नगर मध्यप्रदेश राज्य के ग्वालियर ज़िले की विंध्य पर्वत शृंखला की तलहटी में अवस्थित है। मध्यकाल में रायसेन सिलहारी राजपूत सरदारों का मज़बूत गढ़ था। बाबर के समय यहाँ का शासक शिलादित्य था, जो ग्वालियर के विक्रमादित्य, चित्तौड़ के राणा सांगा, चंदेरी के मेदनीराय तथा अन्य राजपूत नरेशों के साथ खानवा के युद्ध में बाबर के विरुद्ध लड़ा था। 1543 ई. में रायसेन के दुर्ग पर शेरशाह ने आक्रमण किया था। उसने इस क़िले पर अधिकार तो कर लिया किंतु इसके बाद विश्वासघात करके उसने दुर्ग की रक्षा नियुक्त उन राजपूतों को मार डाला, जिनकी रक्षा का वचन उसने पहले दिया था। इस बात से राजपूत शेरशाह के शत्रु बन गये और कालिंजर के युद्ध में उन्होंने शेरशाह का डटकर मुक़ाबला किया। रायसेन मुग़लों का एक महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक केन्द्र था। अकबर के शासनकाल में यह नगर उज्जैन के सूबे में शामिल 'सरकार' था। यहाँ बलुआ पत्थर से निर्मित क़िला है, जिसकी दीवारों पर शिकार के दृश्य अंकित है। जिले का मुख्यालय है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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रायोलाइट

एक पोर्फिरी रायोलाइट शैल रायोलाइट (Rhyolite) एक आग्नेय शैल है। .

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राष्ट्रपति भवन

राष्ट्रपति भवन भारत सरकार के राष्ट्रपति का सरकारी आवास है। सन १९५० तक इसे वाइसरॉय हाउस बोला जाता था। तब यह तत्कालीन भारत के गवर्नर जनरल का आवास हुआ करता था। यह नई दिल्ली के हृदय क्षेत्र में स्थित है। इस महल में ३४० कक्ष हैं और यह विश्व में किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के आवास से बड़ा है। वर्तमान भारत के राष्ट्रपति, उन कक्षों में नहीं रहते, जहां वाइसरॉय रहते थे, बल्कि वे अतिथि-कक्ष में रहते हैं। भारत के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल श्री सी राजगोपालाचार्य को यहां का मुख्य शयन कक्ष, अपनी विनीत नम्र रुचियों के कारण, अति आडंबर पूर्ण लगा जिसके कारण उन्होंने अतिथि कक्ष में रहना उचित समझा। उनके उपरांत सभी राष्ट्रपतियों ने यही परंपरा निभाई। यहां के मुगल उद्यान की गुलाब वाटिका में अनेक प्रकार के गुलाब लगे हैं और यह कि जन साधारण हेतु, प्रति वर्ष फरवरी माह के दौरान खुलती है। इस भवन की खास बात है कि इस भवन के निर्माण में लोहे का नगण्य प्रयोग हुआ है। .

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राष्ट्रकूट राजवंश

राष्ट्रकूट (ರಾಷ್ಟ್ರಕೂಟ) दक्षिण भारत, मध्य भारत और उत्तरी भारत के बड़े भूभाग पर राज्य करने वाला राजवंश था। .

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राष्ट्रीय बाल श्री सम्मान

राष्ट्रीय बाल श्री सम्मान, ०९ से १६ वर्ष के आयु वर्ग के रचनात्मक बच्चों के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदत्त सम्मान है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (भारत सरकार) के स्वायत्त निकाय द्वारा राष्ट्रीय बाल भवन द्वारा दिए जाने वाले सम्मान में एक पट्टिका, एक प्रमाण पत्र शैक्षिक संसाधन और नकद पुरस्कार सम्मिलित हैं। राष्ट्रीय बाल श्री सम्मान प्रायः नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। बालश्री सम्मान भारत के ३ राष्ट्रपति पुरस्कारों में से एक है, बाल श्री देश का सर्वोच्च बाल पुरस्कार हैं। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग १२

राष्ट्रीय राजमार्ग १२ भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग है। यह राजस्थान के जयपुर शहर को मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर से जोड़ता है।;बीच में पडने वाले मुख्य नगर व कस्बे.

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राष्ट्रीय राजमार्ग १२ए

२८० किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग जबलपुर से निकलकर सिमगा (रायपुर के पास) तक जाता है। इसका रूट जबलपुर - माँडला - चिल्पी - बेमेतरा - सिमगा है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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राष्ट्रीय राजमार्ग २५

३५२ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग लखनऊ से निकलकर शिवपुरी तक जाता है। इसका रूट लखनऊ - कानपुर - झाँसी - शिवपुरी है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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राष्ट्रीय राजमार्ग २६

३९६ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग झाँसी से निकलकर लखान्दों तक जाता है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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राष्ट्रीय राजमार्ग २७

९३ किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग इलाहाबाद से निकलकर मंगावन तक जाता है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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राष्ट्रीय राजमार्ग ४४ (भारत)

राष्ट्रीय राजमार्ग ४४ (National Highway 44, NH 44) भारत का सबसे लम्बा राजमार्ग है। यह उत्तर में श्रीनगर से आरम्भ होकर दक्षिण में कन्याकुमारी में समाप्त होता है। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग ७

यह भारत का सबसे बड़ा राजमार्ग है, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर को भारत के दक्षिणी कोने, तमिलनाडु के कन्याकुमारी शहर के साथ जोड़ता है। इसकी लंबाई 2369 किमी है। इसका रूट वाराणसी - मंगावन – रीवा - जबलपुर – लख्नादों - नागपुर – हैदराबाद – कुरनूल - बैंगलोर – कृश्णागिरि - सलेम – डिंडीगुल – मदुरई – तिरुनावली - कन्याकुमारी है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, भोपाल

राष्ट्रिय संस्कृत संस्थानम्, भोपाल एक शैक्षणिक संस्थान है। यह भारत सरकार द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित मानित विश्वविद्यालय है। भारत सरकार ने संस्कृत आयोग (1956-1957) की अनुशंसा के आधार पर संस्कृत के विकास तथा प्रचार-प्रसार हेतु संस्कृत सम्बद्ध केन्द्र सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के उद्देश्य से 15 अक्टूबर, 1970 को एक स्वायत्त संगठन के रूप में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान की स्थापना की थी। वर्तमान में इस मानित विश्वविद्यालय के तेरह परिसर देश के विभिन्न प्रदेशों में कार्यरत हैं। उनमें मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल नगर में शिक्षासत्र 2002-2003 से भोपाल परिसर संचालित है। .

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राष्ट्रीय कबीर सम्मान

राष्ट्रीय कबीर सम्मान मध्य प्रदेश शासन द्वारा भारतीय कविता के सबसे बड़े शासकीय सम्मान के रूप में जाना जाता है। इसके अंतर्गत 3 लाख रुपये की राशि पुरस्कार में दी जाता है। श्रेणी:साहित्य पुरस्कार.

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राहत इन्दौरी

राहत इन्दौरी (उर्दू: ڈاکٹر راحت اندوری) (जन्म: 1 जनवरी 1950) एक भारतीय उर्दू शायर और हिंदी फिल्मों के गीतकार हैं। वे देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रह चुके हैं। .

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राहतगढ़ जलप्रपात

राहतगढ़ जलप्रपात भारत के मध्य प्रदेश प्रदेश मे स्थित एक जलप्रपात है। राहतगढ़ का सुंदर जलप्रपात सागर-भोपाल मार्ग पर करीब ४० किमी दूर स्थित राहतगढ़ कस्बा वॉटरफॉल के कारण अब एक बेहद लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है। प्राचीन काल में यह अपने कंगूरेदार दुर्ग, प्राचीर द्वारों, महल और मंदिरों-मस्जिदों के लिए प्रसिद्ध था। कालांतर में सब नष्ट होता चला गया और अब यहाँ दुर्ग के सिर्फ अवशेष बचे हैं। बीना नदी के ऊँचे किनारे पर स्थित राहतगढ़ कस्‍बा पुरावशेषों के अनुसार ग्यारहवीं शताब्दी में परमारों के शासनकाल में बहुत अच्छी स्थिति में था। कस्बे से करीब ३ किमी दूर स्थित किले की बाहरी दीवारों में कभी बड़ी-बड़ी २६ मीनारें थीं। भीतर पहुँचने के लिए ५ बड़े दरवाजे थे। कालांतर में यहां हुई लड़ाइयों और देखरेख के अभाव में राहतगढ़ का वैभव अतीत की काली गुफा में दफन हो गया। सागर के स्थानीय निवासी वर्षा-ऋतु में यहाँ छुट्टी के दिन समय बिताने के लिए बड़ी संख्या में जाते हैं। शहर के आस-पास ऐसे स्थलों का अभाव होने के कारण यह पिकनिक मनाने का अत्यंत लोकप्रिय स्‍थान है। श्रेणी:मध्य प्रदेश श्रेणी:सागर जिला श्रेणी:भारत के जल प्रपात.

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राहुल द्रविड़

राहुल शरद द्रविड़ (कन्नड़: ರಾಹುಲ್ ಶರದ್ ದ್ರಾವಿಡ,राहुल शरद द्रविड) (11 जनवरी 1973 को जन्मे) भारतीय राष्ट्रीय टीम के सबसे अनुभवी क्रिकेटरों में से एक हैं, 1996 से वे इसके नियमित सदस्य रहें हैं।अक्टूबर 2005 में वे भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में नियुक्त किये गए और सितम्बर 2007 में उन्होंने अपने इस पद से इस्तीफा दे दिया। १६ साल तक भारत का प्रतिनिधित्व करते रहने के बाद उन्होंने वर्ष २०१२ के मार्च में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय क्रिकेट के सभी फॉर्मैट से सन्यास ले लिया। द्रविड़ को वर्ष 2000 में पांच विसडेन क्रिकेटरों में से एक के रूप में सम्मानित किया गया। द्रविड़ को 2004 के उद्घाटन पुरस्कार समारोह में इस वर्ष के आईसीसी प्लेयर और वर्ष के टेस्ट प्लेयर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लम्बे समय तक बल्लेबाजी करने की उनकी क्षमता के कारण उन्हें दीवार के रूप में जाना जाता है, द्रविड़ ने क्रिकेट की दुनिया में बहुत से रिकॉर्ड बनाये हैं। द्रविड़ बहुत शांत व्यक्ति है। "दीवार" के रूप में लोकप्रिय द्रविड़ पिच पर लम्बे समय तक टिके रहने के लिए जाने जाते हैं। सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर के बाद वे तीसरे ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दस हज़ार से अधिक रन बनाये हैं, 14 फ़रवरी 2007 को, वे दुनिया के क्रिकेट इतिहास में छठे और भारत में सचिन तेंडुलकर और सौरव गांगुली के बाद तीसरे खिलाड़ी बन गए जब उन्होंने एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट में दस हज़ार रन का स्कोर बनाया वे पहले और एकमात्र बल्लेबाज हैं जिन्होंने सभी 10 टेस्ट खेलने वाले राष्ट्र के विरुद्ध शतक बनाया है। 182 से अधिक कैच के साथ वर्तमान में टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा कैच का रिकॉर्ड द्रविड़ के नाम है। द्रविड़ ने 18 अलग-अलग भागीदारों के साथ 75 बार शतकीय साझेदारी की है, यह एक विश्व रिकॉर्ड है। .

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राजभवन

राजभवन भारत के राज्यों के राज्यपालों के आधिकारिक आवास को कहते हैं। भारत के सभी २८ राज्यों के अपने-अपने राजभवन हैं और यह राज्य की राजधानियों में स्थित हैं। सभी राज्यों का प्रत्येक का एक राजभवन है केवल पाँच राज्यों को छोड़कर और यह राज्य हैं: जम्मू और कश्मीर (दो), तमिल नाडु (दो), पश्चिम बंगाल (दो), मध्य प्रदेश (दो) और महाराष्ट्र (चार)। भारतीय राज्यों के राजभवन इस प्रकार हैं.

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राजभवन (भोपाल)

राजभवन भोपाल भारत के मध्य प्रदेश राज्य के राज्यपाल का आधिकारिक आवास है। यह राज्य की राजधानी भोपाल में स्थित है। आनंदी बेन मध्य प्रदेश की वर्तमान राज्यपाल हैं जो ८ सितम्बर २०११ को राज्यपाल नियुक्त हुए थे। .

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राजभवन (मध्य प्रदेश), पञ्चमढ़ी

राजभवन पंचमढ़ी भारत के मध्य प्रदेश राज्य के राज्यपाल का आधिकारिक आवास है। यह राज्य के पंचमढ़ी नामक नगर में स्थित है। ओम प्रकाश कोहली मध्य प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल हैं जो 8 सितम्बर 2016 को राज्यपाल नियुक्त हुए थे .

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राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय

राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश का एक कृषि विश्वविद्यालय है जो ग्वालियर स्थित है। इसकी स्थापना २००८ में हुई थी। .

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम

राजस्थान राज्य का सबसे बड़ा इंटरसिटी बस परिवहन राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम है इसका मुख्यालय जयपुर राजस्थान में हैं। .

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राजस्थान के पशु मेले

भारतीय राज्य राजस्थान में सभी जिलों और ग्रामीण स्तर पर लगभग 250 से अधिक पशु मेला का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है। कला, संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेले अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। देश विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इसके माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होते हैं। राज्य स्तरीय पशु मेलों के आयोजनों में नगरपालिका और ग्राम पंचायतों की ओर से पशुपालकों को पानी, बिजली पशु चिकित्सा व टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की ओर से इन मेलों में समय-समय पर प्रदर्शनी और अन्य ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। राजस्थान राज्य स्तरीय पशु मेला में अधिकांश मेले लोक देवी देवताओं एवं महान पुरुषों के नाम से जुड़े हुए हैं पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले राज्य स्तरीय पशु मेले कुछ इस प्रकार है। .

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राजस्थानी भाषा और साहित्य

राजस्थानी आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में से एक है, जिसका वास्तविक क्षेत्र वर्तमान राजस्थान प्रांत तक ही सीमित न होकर मध्यप्रदेश के कतिपय पूर्वी तथा दक्षिणी भाग में और पाकिस्तान के वहावलपुर जिले तथा दूसरे पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी सीमा प्रदेशों में भी है। .

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राजा बीरबल

राजा बीरबल(1528-1586)-असली नाम महेश दास भट्ट(राव राजपूत) (जन्म-1528 ई.; मृत्यु- 1586 ई.) मुग़ल बादशाह अकबर के नवरत्नों में सर्वाधिक लोकप्रिय एक भट्ट ब्राह्मण(राव राजपूत) दरबारी था। बीरबल की व्यंग्यपूर्ण कहानियों और काव्य रचनाओं ने उन्हें प्रसिद्ध बनाया था। बीरबल ने दीन-ए-इलाही अपनाया था और फ़तेहपुर सीकरी में उनका एक सुंदर मकान था। बादशाह अकबर के प्रशासन में बीरबल मुग़ल दरबार का प्रमुख वज़ीर था और राज दरबार में उसका बहुत प्रभाव था। बीरबल कवियों का बहुत सम्मान करता था। वह स्वयं भी ब्रजभाषा का अच्छा जानकार और कवि था। .

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राजा भोज विमानक्षेत्र

राजा भोज विमानक्षेत्र(भोपाल विमानक्षेत्र) मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित है। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यह राजधानी भोपाल को वायु सेवा प्रदान करने वाला प्राथमिक विमानक्षेत्र है। हवाई अड्डा शहर के गांधीनगर क्षेत्र में मुख्य शहर के केन्द्र से लगभग उत्तर-पश्चिमी छोर पर स्थित है राष्ट्रीय राजमार्ग १२ पर स्थित है। यह राज्य का दूसरे स्थान पर व्यस्ततम हवाई अड्डा है, जहाम सबसे व्यस्त देवी अहिल्याबाई होल्कर विमानक्षेत्र, इंदौर में है। भोपाल विमानक्षेत्र का नाम १०वीं शताब्दी के प्रसिद्ध परमार वंश के राजा भोज के नाम पर रखा गया है। इन्हीं राजा भोज के नाम पर राजधानी भोपाल का नाम भी भोजपाल से बिगड़कर भोपाल हो गया है। .

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राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र

राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र स्थित '''इण्डस-दो''' (INDUS-2) राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र (RRCAT) मध्य प्रदेश के इन्दौर के बाहरी हिस्से में सुखनिवास गांव के पास स्थित है। यह भारत सरकार के परमाणु उर्जा विभाग के अन्तरगत स्थापित एक अनुसंधान एवं विकास केन्द्र है। इसकी स्थापना १९८५ में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने की थी। यहाँ पर मुख्यतः दो क्षेत्रों में कार्य होता है - कणों के त्वरक (particle accelerator) तथा लेजर (LASER)। इस समय इण्डस्-१ व इन्डस्-२ नामक दो इलेक्ट्रान त्वरक यहां काम कर रहे हैं। इनसे निकलने वाले विकिरण का नाम सिंक्रोट्रान् रेडिएशन (Synchrotron radiation) है जिसका उपयोग अनेक क्षेत्रों में होता है। इसके अतिरिक्त यहां पर औद्योगिक व मेडिकल त्वरक बनाने का कार्य भी हांथ में लिया गया है। .

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राजा हृदय शाह

हृदय शाह (जिसे राजा हरदे शाह या हरदेव शाह भी कहा जाता है), प्राचीन भारत के वर्तमान मध्य प्रदेश राज्य स्थित पन्ना रियासत के प्रथम राजा थे। इन्होंने १७३१ से १७३९ तक शासन किया। ये महाराजा छत्रसाल के ज्येष्ठ पुत्र थे। इन्हें पन्ना रियासत अपने पिता से सन १७३१ ई. में वार्षिक ३९ लाख रुपये के बदले प्राप्त हुई थी। १७३१ में इन्होंने रीवा रियासत को अपने अधीन कर वहां के राजा अवधूत सिंह को रियासत छोड़कर जाने पर विवश कर दिया। अवधूत सिंह ने अवध में प्रतापगढ़ जाकर शरण ली थी। तब हरदे शाह ने वहां विवाह किया व पुत्र रत्न उत्पन्न हुआ। .

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राजगढ़ लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

राजगढ़ लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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राजगढ़ ज़िला

http://rajgarh.nic.in/ राजगढ़ भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है | राजगढ जिला "राजगढ (ब्यावरा)" के नाम से जाना जाता है | यह एक छोटा-सा जिला है लेकिन एक साफ-सुथरा नगर है जिसकी सुन्दरता देखते ही बनती है | राजगढ मे "नेवज" नदी निकल रही है, जिसे शास्त्रो मे "निर्विन्ध्या" कहा गया है | जिला मुख्यालय राजगढ से पाच किलोमीटर दूर प्रमुख दार्शनिक स्थल है- माँ जलपा का प्राचीन मन्दिर का | इस मन्दिर मे 'माँ जलपा' विराजमान है | मन्दिर के सामने प्रसिद्द हनुमान मन्दिर है | इसके अलावा राजगढ़ से उत्तेर दिशा में प्रसिद्द दार्शनिक स्थल "खोयारी" है, जहा भगवान शिव का मंदिर है। "खोयारी" में आपसपास जंगल और बहुत सुन्दर ताल है। इस पावन स्थल की छठा अतिसुन्दर है।मानव विकास रिपॉर्ट प्रस्तुत करने वाला पहला जिला है।यह के ब्यावरा तहसील में राष्ट्रीय राजमार्ग का चोराह है। जिले का मुख्यालय राजगढ़ है। क्षेत्रफल - 6,154 वर्ग कि॰मी॰ जनसंख्या - 12,54,085 (2001 जनगणना) साक्षरता - 54.5% एस॰टी॰डी॰ कोड -07372 अक्षांश - 23deg27'12" उत्तर देशांतर -24deg17'20" पूर्व औसत वर्षा - मि॰मी॰ ब्यावरा शहर -: श्रेणी:मध्य प्रदेश के जिले.

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राजेन्द्र अवस्थी

राजेन्द्र अवस्थी (२५ जनवरी, १९३० - ३० दिसंबर, २००९) हिंदी के प्रख्यात पत्रकार और लेखक थे। उनका जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के ज्योतिनगर गढा इलाके में हुआ था। वे नवभारत, सारिका, नंदन, साप्ताहिक हिन्दुस्तान और कादम्बिनी के संपादक रहे। उन्होंने अनेक उपन्यासों कहानियों एवं कविताओं की रचना की। वह ऑथर गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे। दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी ने उन्हें १९९७-९८ में साहित्यिक कृति से सम्मानित किया था। .

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राजेश जोशी

राजेश जोशी, जुलाई २०१७राजेश जोशी (जन्म १९४६) साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हिन्दी साहित्यकार हैं। उनका जन्म मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले में हुआ। उन्होंने शिक्षा पूरी करने के बाद पत्रकारिता शुरू की और कुछ सालों तक अध्यापन किया। राजेश जोशी ने कविताओं के अलावा कहानियाँ, नाटक, लेख और टिप्पणियाँ भी लिखीं। साथ ही उन्होंने कुछ नाट्य रूपांतर तथा कुछ लघु फिल्मों के लिए पटकथा लेखन का कार्य भी किया। उनके द्वारा भतृहरि की कविताओं की अनुरचना भूमिका "कल्पतरू यह भी" एवं मायकोवस्की की कविता का अनुवाद "पतलून पहिना बादल" नाम से किए गए है। कई भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अँग्रेजी, रूसी और जर्मन में भी उनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। राजेश जोशी के चार कविता-संग्रह- एक दिन बोलेंगे पेड़, मिट्टी का चेहरा, नेपथ्य में हँसी और दो पंक्तियों के बीच, दो कहानी संग्रह - सोमवार और अन्य कहानियाँ, कपिल का पेड़, तीन नाटक - जादू जंगल, अच्छे आदमी, टंकारा का गाना। इसके अतिरिक्त आलोचनात्मक टिप्पणियों की किताब - एक कवि की नोटबुक प्रकाशित हुए हैं। उन्हें शमशेर सम्मान, पहल सम्मान, मध्य प्रदेश सरकार का शिखर सम्मान और माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार के साथ केन्द्र साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया है। राजेश जोशी की कविताएँ गहरे सामाजिक अभिप्राय वाली होती हैं। वे जीवन के संकट में भी गहरी आस्था को उभारती हैं। उनकी कविताओं में स्थानीय बोली-बानी, मिजाज़ और मौसम सभी कुछ व्याप्त है। उनके काव्यलोक में आत्मीयता और लयात्मकता है तथा मनुष्यता को बचाए रखने का एक निरंतर संघर्ष भी। दुनिया के नष्ट होने का खतरा राजेश जोशी को जितना प्रबल दिखाई देता है, उतना ही वे जीवन की संभावनाओं की खोज के लिए बेचैन दिखाई देते हैं। .

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राजीव सागर परियोजना

बावनथड़ी नदी पर निर्मित राजीव सागर (बावनथड़ी डेम) वृहद परियोजना मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र की अंतर्राजीय परियोजना है। परियोजना का निर्माण बालाघाट ज़िला की तहसील कटंगी के ग्राम कुड़वा एवं महाराष्ट्र के भण्डारा जिले की तहसील तुमसर के समीप बावनथड़ी पर किया गया हैँ। यहाँ बांध 31 मीटर उंचा और 6 किलोमीटर 420 मीटर लंबाई का बनाया गया है। .

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राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPV) भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय के कैम्पस एवं इससे सम्बद्ध महाविद्यालय भोपाल, सागर, इन्दौर, जबलपुर, ग्वालियर आदि नगरों में हैं। .

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रावत

रावत एक भारतीय सामाजिक समुदाय और उपनाम है। इससे मिलते जुलते उपनाम, राउत, राउल और रावल हैं। सामान्यतः यह राजा या राजकुमार का समानार्थी शब्द है, और यह माना जाता है कि पहले यह एक प्रकार की उपाधि थी जिसे वीरता के सम्मान में राजाओं द्वारा दिया जाता था, जिसे वंश परंपरा में नाम के आगे लिखने का प्रचलन हो गया। रावत उपनाम वाले लोग मुख्यतः राजस्थान में संकेंद्रित हैं, हालाँकि, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी इनकी कुछ संख्या पायी जाती है और उत्तराखंड के समीपवर्ती नेपाल तक इनका विस्तार है। .

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राकेश सिंह

राकेश सिंह भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के जबलपुर से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राकेश सिंह को मध्य प्रदेश का नया प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किया है.

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रिजवान ज़हीर उस्मान

रिजवान ज़हीर उस्मान (12 अगस्त 1948- 03 नवंबर 2012) राजस्थान के एक भारतीय साहित्यकार और नाट्यकर्मी थे। वे हिंदी के आधुनिक नाटककारों में अपनी मौलिक नाटकीयता के कारण जाने जाते हैं। उन्होने 100 से अधिक कहानियों और 150 नाटकों के लेखन के अलावा कला, साहित्य, कहानी, और नाटक के क्षेत्र में जीवनभर योगदान दिया था। उन्होंने करीब डेढ़ सौ से अधिक नाटकों का मंचन व प्रदर्शन किया और स्वयं अभिनय करते 50 से अधिक नाटकों का निर्देशन भी किया। उन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा नाट्य लेखन एवं निर्देशन के लिए 'लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया जा चुका है। साहित्य अकादमी द्वारा नाटक ’कल्पना पिशाच’ के लिये 'देवीलाल सामर नाट्य लेखन पुरस्कार’ दिया जा चुका है। जयपुर के जवाहर कला केन्द्र द्वारा आयोजित पूर्वांकी नाट्य-लेखन में सर्वश्रेष्ठ नाटक ‘वही हुआ जिसका डर था तितली कों‘ पुरस्कृत किया गया था। किडनी की समस्या के कारण लम्बी बीमारी के बाद उनके पैतृक निवास भूत-महल मोहल्ले में हाथीपोल उदयपुर में उनका निधन हो गया। उस्मान सही अर्थों में एक आधुनिक/ उत्तर-आधुनिक रंगकर्मी थे, जिनकी नाट्य-दृष्टि अगर आधुनिक साहित्य, खास तौर पर कविताओं से प्रेरणा लेती थी तो बहुधा उसका विसर्जन राजनीति के ज्वलंत सवालों से टकराहट में होता था । उस्मान मूलतः राजनैतिक मंतव्यों के नाट्य-शिल्पी थे और उनका पक्ष स्पष्ट – कि नाटक महज़ मनोरंजन की विधा नहीं, उसका एक सन्देश भी है, मानव-संवेदना के परिष्कार के पक्ष में एक साफ़-सुथरा उद्देश्य भी । मनुष्य की नियति और अवस्थिति की वह बड़े गहरी समझ वाले निर्देशक और लेखक थे । विडम्बना, असमानता, हिंसा, हत्या, शोषण, लालच, वासना, ईर्ष्या, पूंजीवाद, संहार, युद्ध उनके लिए सिर्फ शब्द नहीं थे- इन सब के नाट्य-प्रतीक उस्मान ने अपने नाटकों में इतनी भिन्नता से रचे कि देख कर ताज्जुब में पड़ जाना होता है। इतिहास, परंपरा और संस्कृति पर उनकी स्वयं की एक अंतर्दृष्टि थी और एक अल्पसंख्यक होते हुए भी उनका सम्पूर्ण लेखन हर तरह की सीमित साम्प्रदायिकता, ओछे धार्मिक-वैमनस्य और सामजिक-प्रतिहिंसा के कीटाणुओं से पूरी तरह मुक्त था। नाटक बनाने सोचने लिखने और मंच पर लाने की उनकी एक खास 'स्टाइल' थी, और उनकी शैली की नक़ल लगभग असंभव। उनके नाट्य-प्रयोग और उनके नाटकों के अनेकानेक दृश्यबंध ही नहीं, पात्र और उनके नाम तक उस्मान के अपने निहायत मौलिक हस्ताक्षरों की अप्रतिमता का इज़हार करते जान पड़ते हैं। तोता, कोरस, आद, छठी इन्द्रिय, हक्का, पैसे वाली पार्टी, लेबर, ईगो, योद्धा, दिवंगत दादाजान, मामा, बहुत बड़ा सांप........आदि उस्मान के‘पात्रों’ में शुमार हैं। हर पात्र की अपनी अंतर्कथा और चरित्र है- हर पात्र नाटक में ज़रूरी पात्र है और कथानक में उसकी अपनी जगह अप्रतिम। ‘राजस्थान साहित्य अकादमी’ उदयपुर ने इनके कुछ नाटकों- 'आखेट-कथा',,'अनहद नाद' दोनों सही, दोनों गलत', 'बंसी टेलर', 'भीड़', 'चन्द्रसिंह गढ़वाली', 'छलांग' 'दिन में आधी रात', 'एकतरफा यातायात', 'लोमड़ियाँ', ' माँ का बेटा और कटार वाले नर्तक', 'मेरे गुनाहों को बच्चे माफ़ करें', 'पुत्र', 'रहम दिल सौदागर', 'यहाँ एक जंगल था श्रीमान' को ‘मधुमती’ में समय-समय पर प्रकाशित किया है.

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रिओ तिन्तो (नदी)

रिओ तिन्तो का पानी लाल रंग का और तेज़ाबीय है रिओ तिन्तो (स्पैनिश: Rio Tinto, "लाल नदी") दक्षिण-पश्चिमी स्पेन की एक नदी है जो अन्दलूसीया क्षेत्र में स्थित सिएर्रा मोरेना पहाड़ शृंखला से आरम्भ होकर कादीज़ की खाड़ी पहुंचकर अन्ध महासागर में जा मिलती है। यह नदी अपने लाल-नारंगी पानी के लिए दुनिया भर में मशहूर है। .

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रिकी भुई

रिकी भुई (जन्म 29 सितंबर 1996) एक भारतीय युवा क्रिकेट खिलाड़ी है । ये एक दाहिने हाथ के बल्लेबाज और वैकल्पिक लेग स्पिनर है। रिकी भुई ने अपने सूची ए की पहली पारी में नाबाद शतक बनाया और अपने ट्वेंटी 20 के पदार्पण पर नाबाद शतक भी बनाया था। ये २०१८ इंडियन प्रीमियर लीग में सनराइजर्स हैदराबाद फ्रेंचाइजी के एक खिलाड़ी भी है जिन्हें पहली बार आईपीएल में मौका मिला। दिसंबर 2015 में उन्हें 2016 अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप के लिए भारत की टीम में नामित किया गया था। रिकी हुई ने त्रिकोणीय श्रृंखला के लिए भारत का नेतृत्व किया है। 2018 में आईपीएल नीलामी में उन्हें सनराइजर्स हैदराबाद ने खरीदा था। .

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रजत प्रपात

रजत प्रपात मध्य प्रदेश में स्थित एक जलप्रपात है। श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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रजनीश

आचार्य रजनीश (जन्मतः चंद्र मोहन जैन, ११ दिसम्बर १९३१ - १९ जनवरी १९९०), जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता था, एक भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादास्पद रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत ही जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। १९६० के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे समाजवाद, महात्मा गाँधी, और हिंदू धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलोचक रहे। उन्होंने मानव कामुकता के प्रति एक ज्यादा खुले रवैया की वकालत की, जिसके कारण वे भारत तथा पश्चिमी देशों में भी आलोचना के पात्र रहे, हालाँकि बाद में उनका यह दृष्टिकोण अधिक स्वीकार्य हो गया। चन्द्र मोहन जैन का जन्म भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन शहर के कुच्वाडा गांव में हुआ था। ओशो शब्द की मूल उत्पत्ति के सम्बन्ध में कई धारणायें हैं। एक मान्यता के अनुसार, खुद ओशो कहते है कि ओशो शब्द कवि विलयम जेम्स की एक कविता 'ओशनिक एक्सपीरियंस' के शब्द 'ओशनिक' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'सागर में विलीन हो जाना। शब्द 'ओशनिक' अनुभव का वर्णन करता है, वे कहते हैं, लेकिन अनुभवकर्ता के बारे में क्या? इसके लिए हम 'ओशो' शब्द का प्रयोग करते हैं। अर्थात, ओशो मतलब- 'सागर से एक हो जाने का अनुभव करने वाला'। १९६० के दशक में वे 'आचार्य रजनीश' के नाम से एवं १९७० -८० के दशक में भगवान श्री रजनीश नाम से और १९८९ के समय से ओशो के नाम से जाने गये। वे एक आध्यात्मिक गुरु थे, तथा भारत व विदेशों में जाकर उन्होने प्रवचन दिये। रजनीश ने अपने विचारों का प्रचार करना मुम्बई में शुरू किया, जिसके बाद, उन्होंने पुणे में अपना एक आश्रम स्थापित किया, जिसमें वे विभिन्न प्रकार के उपचारविधान पेश किये जाते थे.

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रघु वीर

आचार्य रघुवीर (३०, दिसम्बर १९०२ - १४ मई १९६३) महान भाषाविद, प्रख्यात विद्वान्‌, राजनीतिक नेता तथा भारतीय धरोहर के मनीषी थे। आप महान्‌ कोशकार, शब्दशास्त्री तथा भारतीय संस्कृति के उन्नायक थे। एक ओर आपने कोशों की रचना कर राष्ट्रभाषा हिंदी का शब्दभण्डार संपन्न किया, तो दूसरी ओर विश्व में विशेषतः एशिया में फैली हुई भारतीय संस्कृति की खोज कर उसका संग्रह एवं संरक्षण किया। राजनीतिक नेता के रूप में आपकी दूरदर्शिता, निर्भीकता और स्पष्टवादिता कभी विस्मृत नहीं की जा सकती। वे भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे। दो बार (१९५२ व १९५८) राज्य सभा के लिये चुने गये। नेहरू की आत्मघाती चीन-नीति से खिन्न होकर जन संघ के साथ चले गये। भारतीय संस्कृति को जगत्गुरू के पद पर आसीन करने के लिये उन्होने विश्व के अनेक देशों का भ्रमण किया तथा अनेक प्राचीन ग्रन्थों को एकत्रित किया। उन्होने ४ लाख शब्दों वाला अंग्रेजी-हिन्दी तकनीकी शब्दकोश के निर्माण का महान कार्य भी किया। भारतीय साहित्य, संस्कृति और राजनीति के क्षेत्र में आपकी देन विशिष्ट एवं उल्लेखनीय है। भारत के आर्थिक विकास के संबंध में भी आपने पुस्तकें लिखी हैं और उनमें यह मत प्रतिपादित किया है कि वस्तु को केंद्र मानकर कार्य आरंभ किया जाना चाहिए। .

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रघुवीर सिंह (महाराज कुमार)

डॉ रघुवीर सिंह (23 फरवरी, 1908 - 13 फरवरी, 1991) कुशल चित्रकार, वास्तुशास्त्री, प्रशासक, सैन्य अधिकारी, प्रबुद्ध सांसद, समर्थ इतिहासकार और सुयोग्य हिन्दी साहित्यकार थे। .

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रविशंकर शुक्ल

रविशंकर शुक्ल (जन्म २ अगस्त १८७७ सागर,मध्यप्रदेश—मृत्यु ३१ दिसंबर १९५६ दिल्ली) एक वरिष्ठ कांग्रेसी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, २७ अप्रेल १९४६ से १४ अगस्त १९४७ तक सीपी और बेरार (CP & Berar) के प्रमुख, १५ अगस्त १९४७ से ३१ अक्टुबर १९५६ तक सीपी और बेरार के प्रथम मुख्यमंत्री और १ नवम्बर १९५६ को अस्तित्व में आये नये राज्य मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे। अपने कार्यकाल के दौरान ३१ दिसम्बर १९५६ को आप का स्वर्गवास हो गया। .

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रुचि सोया

रुचि सोया, भारत की एक सार्वजनिक कम्पनी है। यह भारत की सबसे बड़ी खाद्य तेल उत्पादक तथा अन्य कृषि उत्पाद प्रसंस्करण कम्पनी है। .

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रुद्रावतार

रुद्रावतार भगवान् शिव (रूद्र) के अवतारों को कहा जाता है। शास्त्र अनुसार महादेव के २८ अवतार हुए थे उनमें भी १० प्रमुख है । .

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रुब अल-ख़ाली

अंतरिक्ष से ली गई रुब अल-ख़ाली में रेत के टीलों की तस्वीर रुब अल-ख़ाली में डूबता सूरज रुब अल-ख़ाली (अरबी:, अंग्रेज़ी: Rub' al-Khali), जिसका मतलब 'ख़ाली क्षेत्र' होता है, दुनिया का सबसे बड़ा रेत का रेगिस्तान है (अधिकतर रेगिस्तानों में रेत, पत्थरों और पहाड़ों का मिश्रण होता है)। अरबी प्रायद्वीप का दक्षिणी एक-तिहाई इलाक़ा इसमें आता है, जिसमें सउदी अरब का अधिकार क्षेत्रफल तथा ओमान, संयुक्त अरब अमीरात व यमन के कुछ भाग शामिल हैं। इसका क्षेत्रफल लगभग ६,५०,००० वर्ग किमी है, यानि राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों को मिलाकर जितना बनता है। .

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रैबारी

रबारी, रैबारी राईका, गोपालक एव देसाई के नाम से जानेवाली  यह एक अति प्राचीन क्षत्रिय जाती है। जिसके मूल सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े हुए हैं खेती और पशुपालन भारतीय लोगो का मुख्य व्यवसाय रहा है।  इस जाती के लोग भी इसी  व्यवसाई से जुड़े हुए लोग है।  रैबारी उत्तर भारत की एक प्रमुख एव प्राचीन जनजाति है।  इन्हें अहीर जाति के एक शाखा माना जाता है.

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रूपांजलि शास्त्री

रुपांजलि शास्त्री (जन्म; १४ नवम्बर १९७५,इंदौर,मध्यप्रदेश) एक पूर्व भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी है। ये भारत की राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम के लिए १९९० के दशक में टेस्ट और एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला करती थी। ये दाहिने हाथ से बल्लेबाजी करती थीं जबकि दाहिने ही हाथ से ऑफ ब्रेक गेंदबाजी करती थीं। इन्होंने अपने जीवन में कुल एक मात्र टेस्ट और १२ एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच टीम के लिए खेले थे। .

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रेड लाइट एरिया

दुनिया भर में वेश्यावृत्ति और वेश्यालयों की वैधता: हरे रंग की देशों और क्षेत्रों के स्थानों पर जहां वेश्यावृत्ति कानूनी और विनियमित है, नीले देशों और क्षेत्रों में जहां वेश्यावृत्ति कानूनी है लेकिन अनियमित है। और वेश्यालयों के रूप में संगठित गतिविधियों अवैध रूप से कर रहे हैं, लाल देश जहां पर वेश्यावृत्ति अवैध है। सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ वेश्यावृत्ति का भी पूरी दुनिया में चरम उभार हो चुका है। पोस्ट मॉडर्न सोसाइटी में वेश्यावृत्ति के अलग-अलग रूप भी सामने आए हैं। रेड लाइट इलाकों से निकल कर वेश्यावृत्ति अब मसाज पार्लरों एवं एस्कार्ट सर्विस के रूप में भी फल-फूल रही है। देह का धंधा कमाई का चोखा जरिया बन चुका है। गरीब और विकासशील देशों जैसे भारत, थाइलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश आदि में सेक्स पर्यटन का चलन शुरू हो चुका है। जिस्मफरोशी दुनिया के पुराने धंधों में से एक है। बेबीलोन के मंदिरों से लेकर भारत के मंदिरों में देवदासी प्रथा वेश्यावृत्ति का आदिम रूप है। गुलाम व्यवस्था में गुलामों के मालिक वेश्याएं रखते थे। उन्होंने वेश्यालय भी खोले। तब वेश्याएं संपदा और शक्ति की प्रतीक मानी जाती थीं। मुगलों के हरम में सैकड़ों औरतें रहती थीं। जब अंग्रेजों ने भारत पर अधिकार किया तो इस धंधे का स्वरूप बदलने लगा। राजाओं ने अंग्रेजों को खुश करने के लिए तवायफों को तोहफे के रूप में पेश करना शुरू किया। पुराने वक्त के कोठों से निकल कर देह व्यापार का धंधा अब वेबसाइटों तक पहुंच गया है। इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी के मामले में पिछड़ी पुलिस के लिए इस नेटवर्क को भेदना खासा कठिन है। सिर्फ नेट पर अपनी जरूरत लिखकर सर्च करने से ऐसी दर्जनों साइट्स के लिंक मिल जाएंगे जहां हाईप्रोफाइल वेश्याओं के फोटो, फोन नंबर और रेट तक लिखे होते हैं। इन पर कालेज छात्राएं, मॉडल्स और टीवी-फिल्मों की नायिकाएं तक उपलब्ध कराने के दावे किए जाते हैं। .

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रॉकी वर्मा

रॉकी वर्मा एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता है ' इन्होंने कई फ़िल्मों में कार्य किया है जैसे किल दिल फ़िल्म .

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रोडमल नागर

रोडमल नागर भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के राजगढ़ से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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रोहित वर्मा

रोहित वर्मा एक वन्य जीवन फोटोग्राफर है। उनका जनम २५ मई १९७३ मे हुआ था और वह बेंगलूर, कर्नाटक में रहते हैं। उन्होंने र स्क्वायर कंसल्टिंग की स्थापना की है अथवा वो डायरेक्टर सोशल मीडिया वीक इन इंडिया और फेस्टिवल डायरेक्टर नेचर इन फोकस भी है। .

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रीति पाठक

रीति पाठक भारत की सोलहवीं लोक सभा की सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के सीधी से निर्वाचित हुईं। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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रीना

रीना मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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रीवा

रीवा भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का नगर है। यह इलाहाबाद नगर से १३१ किलोमीटर दक्षिण स्थित प्रमुख नगर है। यह शहर मध्य प्रदेश प्रांत के विंध्य पठार का एक हिस्से का निर्माण करता है और टोंस एवं उसकी सहायता नदियों द्वारा सिंचित है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश राज्य, पश्चिम में सतना एवं पूर्व तथा दक्षिण में सीधी जिले स्थित हैं। इसका क्षेत्रफल २,५०९ वर्ग मील है। यह पहले एक बड़ी रियासत थी। यहाँ के निवासियों में गोंड एवं कोल जाति के लोग भी शामिल हैं जो पहाड़ी भागों में रहते हैं। जिले में जंगलों की अधिकता है, जिनसे लाख, लकड़ी एवं जंगली पशु प्राप्त होते हैं। रीवा के जंगलों में ही सफेद बाघ की नस्ल पाई गई हैं। जिले की प्रमुख उपज धान है। जिले के ताला नामक जंगल में बांधागढ़ का ऐतिहासिक किला है। भूतपूर्व रीवा रियासत की स्थापना लगभग 1400 ई. में बघेल राजपूतों द्वारा की गई थी। मुग़ल सम्राट अकबर द्वारा बांधवगढ़ नगर को ध्वस्त किए जाने के बाद रीवा महत्त्वपूर्ण बन गया और 1597 ई, में इसे भूतपूर्व रीवा रियासत की राजधानी के रूप में चुना गया। सन 1812 ई. में यहाँ के स्थानीय शासक ने ब्रिटिश सत्ता से समझौता कर अपनी सम्प्रभुता अंग्रेज़ों को सौंप दी। यह शहर ब्रिटिश बघेलखण्ड एजेंसी की राजधानी भी रहा। यातायात:- रीवा रेल मार्ग से देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा है जिससे की रीवा आसानी से पंहुचा जा सकता है। जैसे- दिल्ली, राजकोट, सूरत,नागपुर,जबलपुर,कानपुर,ईलाहाबाद,इंदौर,भोपाल,सतना,बिलासपुर इत्यादि। सड़क मार्ग:- रीवा सड़क मार्ग से निम्न शहरों से आसानी से पहुँचा जा सकता है। और नियमित बसों का संचालन:- भोपाल,इंदौर,जबलपुर,नागपुर,बिलासपुर,रायपुर,ग्वालियर,ईलाहाबाद,बनारस,अमरकंटक.शहडोल.सतना आदि शहरों से है। .

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रीवा राज्य

रीवा के महाराजा की हाथी की सवारी (१९०३ के दिल्ली दरबार के समय) रीवा भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक रजवाड़ा था, जो वर्तमान रीवा शहर के आसपास बासा हुआ था। रीवा बघेल राजवंश की राजधानी थी। श्रेणी:रजवाड़े श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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रीवा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

रीवा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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रीवा संभाग

रीवा डिवीजन मध्य प्रदेश राज्य की एक प्रशासनिक एरिया है।रीवा के प्रशासनिक मुख्यालय है विभाजन.

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रीवा ज़िला

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रीवां

कोई विवरण नहीं।

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लता मंगेशकर

लता मंगेशकर (जन्म 28 सितंबर, 1929 इंदौर) भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका हैं, जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। .

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लता मंगेशकर पुरस्कार

लता मंगेशकर पुरस्कार एक राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार है जो संगीत के क्षेत्र में काम करने के लिए दिया जाता है। भारत की कई राज्य सरकारें इस नाम के साथ पुरस्कार प्रदान करती हैं। मध्यप्रदेश की राज्य सरकार ने 1 9 84 http://mpinfo.org/MPinfoStatic/hindi/award/latamangeshkar.asp में यह पुरस्कार शुरू किया। इस पुरस्कार में योग्यता का प्रमाण पत्र और नकद पुरस्कार शामिल है। 1992 से शुरू होने वाले महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी एक लता मंगेशकर पुरस्कार भी है। यह आधिकारिक रूप से "जीवनकाल में उपलब्धि के लिए लता मंगेशकर पुरस्कार" के रूप में भी जाना जाता है। आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा एक और पुरस्कार दिया जाता है।। .

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लाम्बा गोत्र

लाम्बा अथवा लाम्वा एक जाट गोत्र है। इसके लोग मुख्यतः राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में निवास करते हैं। .

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लाल मिट्टी

लाल मिट्टी लाल मिट्टी (Red soil) लाल, पीली एवं चाकलेटी रंग की होती है। शुष्क और तर जलवायु में प्राचीन रवेदार और परिवर्तित चट्टानों की टूट-फूट से बनती है। इस मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना अधिक होता है। यह मिट्टी अत्यन्त रन्ध्रयुक्त होती है। इस मिट्टी में बाजरा की फसल अच्छी पैदा होती है, किन्तु गहरे लाल रंग की मिट्टी कपास, गेहूँ, दाल, मोटे अनाज, के लिए उपयुक्त है। भारत में यह मिट्टी उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड से लेकर दक्षिण के प्रायद्वीप तक पायी जाती है। यह मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, मेघालय, नागालैण्ड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु तथा महाराष्ट्र में मिलती है। छत्तीसगढ़ में लाल-पीली मिट्टी को स्थानीय रूप से "मटासी मिट्टी" के नाम से जाना जाता है, इसका विस्तार राज्य के लगभग साठ प्रतिशत भूभाग पर है। .

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लाल गलियारा

लाल गलियारा लाल गलियारा (अंग्रेज़ी: Red corridor) भारत के पूर्वी भाग का एक क्षेत्र है जहाँ नक्सलवादी (साम्यवादी) उग्रवादी संगठन सक्रीय हैं।, Ajay Agarwal, The Hindustan Times, Accessed 27 अप्रैल 2012 आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों पर विस्तृत इस क्षेत्र में आधुनिक भारत के सबसे ऊँचे निरक्षरता, निर्धनता और अतिजनसंख्या के दर मिलते हैं।, Mondiaal Nieuws, Belgium, Accessed 2008-10-17, The Asian Pacific Post, Accessed 2008-10-17 भारतीय सरकारी स्रोतों के अनुसार जुलाई २०११ में ८३ ज़िले इस लाल गलियारे में आते थे। .

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लाइव मीडिया झाबुआ

लाइव मीडिया झाबुआ (લાઇવ મીડિયા જબુઆ, Live Media Jhabua) एक हिन्दी टी वी चैनल है। जितेंद्र पटेल द्वारा स्वामित्व वाली 24 घंटे हिंदी समाचार चैनल है, .

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लिलाही जलप्रपात

लिलाही जलप्रपात मध्य प्रदेश में स्थित एक जलप्रपात है। श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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लिंगानुपात के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

यह सूची में भारत के राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों को 2011 की जनगणना में लिगांनुपात के अनुसार क्रमवार करती है। इसके साथ ही 2001 की जनगणना के आँकड़े भी दिए गए है। इस सूची में लिंगानुपात का अर्थ है प्रति एक हज़ार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या। इस सूची में पूरी जनसंख्या के लिए लिंगानुपात दिया गया है। .

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लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

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लखनऊ में यातायात

चारबाग रेलवे स्टेशन लखनऊ में कई रेलवे स्टेशन हैं। शहर में मुख्य रेलवे स्टेशन चारबाग रेलवे स्टेशन है। इसकी शानदार महल रूपी इमारत १९२३ में बनी थी। मुख्य टर्मिनल उत्तर रेलवे का है (स्टेशन कोड: LKO)। दूसरा टर्मिनल पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) मंडल का है। (स्टेशन कोड: LJN)। लखनऊ एक प्रधान जंक्शन स्टेशन है, जो भारत के लगभग सभी मुख्य शहरों से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। यहां और १३ रेलवे स्टेशन हैं.

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लखनादौन

कोई विवरण नहीं।

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लखुन्दर नदी

लखुन्दर नदी मध्य प्रदेश देवास जिले में चाँदगढ़ पहाड़ी से निकलती है। यह दक्षिण - पश्चिमी कोने के पास शाजापुर जिले में प्रवेश करती है और शाजापुर और सुसनेर तहसील के माध्यम से कारण उत्तर बहती यह भी अंतर जिला के साथ सीमा। उज्जैन और आगर और सुसनेर के बीच अंतर तहसील सीमा लखुन्दर काली सिंध के बाईं बैंक में मिलती है। इसकी कुल लंबाई ७२ किमी की है ओर शाजापुर जिले में इसकी लम्बाई लगभग ६४ किलोमीटर है। इसका पुराना नाम लक्ष्मणा था। .

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लखीराम अग्रवाल

लखीराम अग्रवाल (13 फरवरी 1932 – 24 जनवरी 2009) भारत के एक राजनेता थे। वे १९९० से २००२ तक राज्यसभा के सदस्य रहे, पहले मध्य प्रदेश से और बाद में छत्तीसगढ़ से। १९९० से २०० तक वे मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। छत्तीसगढ बनने के बाद वे छत्तीसगढ भाजपा के अध्यक्ष बने। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लखीराम अग्रवाल को याद करना सही मायने में राजनीति की उस परंपरा का स्मरण है जो आज के समय में दुर्लभ हो गयी है। वे सही मायने में हमारे समय के एक ऐसे नायक हैं जिसने अपने मन, वाणी और कर्म से जिस विचारधारा का साथ किया, उसे ताजिंदगी निभाया। यह प्रतिबद्धता भी आज के युग में असाधारण नहीं है। .

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लक्ष्मी चंद गुप्ता

लक्ष्मी चंद गुप्ता (Laxmi Chand Gupta) (1939-2010) एक भारतीय मेडिकल चिकित्सक, विकिरण चिकित्सक, लेखक और खेल चिकित्सा में विशेषज्ञ थे। वह सीमा सुरक्षा बल में चिकित्सा के निदेशक थे और वह सार्क साहित्य पुरस्कार और बी सी रॉय पुरस्कार जैसे चिकित्सा श्रेणी के सर्वोच्च भारतीय पुरस्कार से सम्मानित थे। चिकित्सा विज्ञान में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2010 में देश के चौथे उच्चतम नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया था। .

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लक्ष्मी नारायण यादव

लक्ष्मी नारायण यादव भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के सागर से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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लक्ष्मीनारायण गुप्ता

लक्ष्मीनारायण गुप्त (जन्म: 6 जून 1918) मध्य प्रदेश के एक राजनेता तथा सामाजिक कार्यकर्ता हैं। 'नन्ना जी' जैसे नेता विरले होते हैं। वे पांच बार विधायक और दो बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। इसके बाद भी उनके पास न तो मोबाइल है, न ही फोन। गाड़ी का तो सवाल ही नहीं है उम्र 100 बरस लेकिन हौसला देखने वाले को दंग कर देता है। सादगी ऐसी कि किसी को भी मोहित कर दे। सहजता, सरलता, ईमानदारी व विनम्रता जैसे गुणों के चलते दुश्मन भी उनका कायल हो जाता है। किसी के भी सुख-दुख में शामिल होना, उनके व्यवहार का अहम हिस्सा है। वे एक ही निर्वाचन क्षेत्र से 5 बार विधायक व दो बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी न तो कोई मोबाइल रखते हैं न आवास पर टेलीफोन और चमचमाती कार दूर की बात। एक पुश्तैनी मकान है जहां आज भी लोग अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचते हैं और वे समस्यायों के निराकरण के लिये जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक के चक्कर लगाते हुए दिखाई दे जाते हैं। ईसागढ़ में 6 जून 1918 को जन्मे श्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता के पिता का नाम श्री पन्नालाल गुप्ता था। ग्वालियर राज्य में वकील रहे शिवपुरी जिले के पिछोर क्षेत्र के 99 वर्षीय लक्ष्मीनारायण गुप्ता को क्षेत्र की जनता नन्नाजी नाम से बुलाती है। स्वतंत्रता के पूर्व 1944 में उनका सार्वजनिक जीवन हिन्दू महासभा से प्रारंभ हुआ। 1945 में ग्वालियर राज्य के प्रजासभा (विधानसभा) के निर्वाचन में विजयी हुए। हिन्दू महासभा के प्रत्यासी चनावनी के दीवान वरजोर सिंह के सहयोगी की भूमिका में क्षेत्र की जनता ने इन्हें जाना, माना। इसी वर्ष प. रामचंद्र शर्मा “वीर” ने हिन्दू जागरण का बिगुल बजाया। संत पान्चगांवकर ने पिछोर में विशाल हिन्दू जागरण महायज्ञ किया जिसमें 30 हजार से अधिक श्रद्धालु जन सम्मिलित हुए। ग्वालियर स्टेट के तत्कालीन महाराज जीवाजीराव सिंधिया के प्रतिनिधि स्वरुप पंवार साहब यज्ञ में उपस्थित हुए। 1947 में श्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे। .

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लक्ष्मीकर्ण

लक्ष्मीकर्ण (शासनकाल 1041-1073 CE), त्रिपुरी के कल्चुरी राजवंश का शासक था जिसे 'कर्ण' भी कहते हैं। उसका राज्य वर्तमान मध्य प्रदेश के चेदि या दहल के आसपास केन्द्रित था। श्रेणी:भारत के राजा.

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लौह अयस्क

हैमेताईट: ब्राजील की खानों में मुख्य लौह अयस्क लौह अयस्क के छर्रों के इस ढेर का उपयोग इस्पात के उत्पादन में किया जाएगा। लौह अयस्क (Iron ores) वे चट्टानें और खनिज हैं जिनसे धात्विक लौह (iron) का आर्थिक निष्कर्षण किया जा सकता है। इन अयस्कों में आमतौर पर आयरन (लौह या iron) ऑक्साइडों की बहुत अधिक मात्रा होती है और इनका रंग गहरे धूसर से लेकर, चमकीला पीला, गहरा बैंगनी और जंग जैसा लाल तक हो सकता है। लौह आमतौर पर मेग्नेटाईट (magnetite), हैमेटाईट (hematite), जोईथाईट (goethite), लिमोनाईट (limonite), या सिडेराईट (siderite), के रूप में पाया जाता है। हैमेटाईट को "प्राकृतिक अयस्क" भी कहा जाता है। यह नाम खनन के प्रारम्भिक वर्षों से सम्बंधित है, जब हैमेटाईट के विशिष्ट अयस्कों में 66% लौह होता था और इन्हें सीधे लौह बनाने वाली ब्लास्ट फरनेंस (एक विशेष प्रकार की भट्टी जिसका उपयोग धातुओं के निष्कर्षण में किया जाता है) में डाल दिया जाता था। लौह अयस्क कच्चा माल है, जिसका उपयोग पिग आयरन (ढलवां लोहा) बनाने के लिए किया जाता है, जो इस्पात (स्टील) बनाने के लिए बनाने में काम आता है। वास्तव में, यह तर्क दिया गया है कि लौह अयस्क "संभवतया तेल को छोड़कर, किसी भी अन्य वस्तु की तुलना में वैश्विक अर्थव्यवस्था का अधिक अभिन्न अंग है।" .

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लौवा

लौवा (Rock Bush Quail) (Perdicula argoondah) बटेर के कुल का एक पक्षी है जो पश्चिमी और दक्षिणी भारत में व्यापक रूप से पाया जाता है। यह विशुद्ध भारतीय जाति है जो और कहीं भी नहीं पाई जाती है। जैसा कि इसका अंग्रेज़ी नाम प्रदर्शित करता है, यह पक्षी पथरीले इलाकों में अधिक पाया जाता है और यह इलाका मध्य भारत के विशाल क्षेत्र में है। मादा अगस्त या सितम्बर के महीने में ६ से ८ अण्डे देती है। यह अण्डे झाड़ियों के जड़ में खोदे गये ५-६ इन्च के कोटर में दिये जाते हैं। इसकी लंबाई लगभग १७ से १८.५ से.मी.

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लैटेराइट मृदा

भारत के अंगदिपुरम में लैटेराइट की खुली खान लैटेराइट मृदा या 'लैटेराइट मिट्टी'(Laterite) का निर्माण ऐसे भागों में हुआ है, जहाँ शुष्क व तर मौसम बार-बारी से होता है। यह लेटेराइट चट्टानों की टूट-फूट से बनती है। यह मिट्टी चौरस उच्च भूमियों पर मिलती है। इस मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना अधिक होता है। गहरी लेटेराइट मिट्टी में लोहा ऑक्साइड और पोटाश की मात्रा अधिक होती है। लौह आक्साइड की उपस्थिति के कारण प्रायः सभी लैटराइट मृदाएँ जंग के रंग की या लालापन लिए हुए होती हैं। लैटराइट मिट्टी चावल, कपास, गेहूँ, दाल, मोटे अनाज, सिनकोना, चाय, कहवा आदि फसलों के लिए उपयोगी है। लैटराइट मिट्टी वाले क्षेत्र अधिकांशतः कर्क रेखा तथा मकर रेखा के बीच में स्थित हैं। भारत में लैटेराइट मिट्टी तमिलनाडु के पहाड़ी भागों और निचले क्षेत्रों, कर्नाटक के कुर्ग जिले, केरल राज्य के चौडे समुद्री तट, महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले, पश्चिमी बंगाल के बेसाइट और ग्रेनाइट पहाड़ियों के बीच तथा उड़ीसा के पठार के ऊपरी भागों में मिलती है। .

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लोचनप्रसाद पाण्डेय

लोचनप्रसाद पांडेय (१८८७ - १९५९) हिन्दी साहित्यकार थे। आपका जन्म 1887 ई. में बिलासपुर के बालपुर ग्राम में हुआ था। आपके पिता पंडित चिंतामणि पांड़े विद्याव्यसनी थे। उन्होंने अपने गाँव में बालकों की शिक्षा के लिए एक पाठशाला खुलवाई। इसी पाठशाला में बालक लोचनप्रसाद की शिक्षा का श्रीगणेश हुआ। सन्‌ 1905 में पांडेय जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एंट्रेस परीक्षा पास की, किंतु अपने प्रयत्न से इन्होंने उड़िया, बँगला और संस्कृत का भी ज्ञान प्राप्त किया। इन्होंने हिंदी एवं उड़िया, दोनों में काव्यरचना की है। सन्‌ 1905 से ही इनकी कविताएँ सरस्वती तथा अन्य मासिक पत्रिकाओं में निकलने लगी थीं। इनकी कुछ रचनाएँ कथाप्रबंध के रूप में है तथा कुछ फुटकर। 'भारतेंदु-साहित्य-समिति' के भी ये सदस्य थे। मध्य प्रदेश के साहित्यकारों में इनकी विशेष प्रतिष्ठा थी तथा आज भी इनका नाम आदर से लिया जाता है। इनका स्वभाव सरल एवं निश्छल था तथा इनका व्यवहार आत्मीयतापूर्ण हुआ करता था। आपने अपनी रचनाओं के माध्यम से पाठकों को चरित्रोत्थान की प्रेरणा दी। उस समय उपदेशक का कार्य भी साहित्य के सहारे करना आज की तरह न था, इसलिए इनकी रचनाओं ने पाठकों के संयम के प्रति रुचि उत्पन्न की। हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग ने आपको 'साहित्यवाचस्पति' की उपाधि से विभूषित किया तथा सन्‌ 1921 में मध्य प्रदेश में प्रादेशिक हिंदी साहित्य सम्मेलन के अवसर पर आप सभापति पद पर प्रतिष्ठित किए गए। इस प्रकार जीवनपर्यंत मातृभाषा की सेवा करते हुए सन्‌ 1959 में आपका देहावसान हो गया। आपकी रचनाएँ हैं - दो मित्र, बालविनोद, नीति कविता, माधव मंजरी, मेवाड़गाथा, चरित्रमाला, रघुवंशसार, पद्य कुसमांजलि, कविता कुसुममाला। श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार.

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लोढी माता

लोठी माता एक देवी का नाम है, जिनका मन्दिर मध्यप्रदेश के भिटारवर स्थान पर है। .

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लोक सभा

लोक सभा, भारतीय संसद का निचला सदन है। भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्य सभा है। लोक सभा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से गठित होती है। भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 तक हो सकती है, जिसमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों का और 20 सदस्य तक केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। सदन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने की स्थिति में भारत का राष्ट्रपति यदि चाहे तो आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो प्रतिनिधियों को लोकसभा के लिए मनोनीत कर सकता है। लोकसभा की कार्यावधि 5 वर्ष है परंतु इसे समय से पूर्व भंग किया जा सकता है .

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लोक सेवा गारंटी अधिनियम २०१० (म प्र)

लोक सेवा गारंटी अधिनियम २०१० भारत के मध्य प्रदेश राज्य द्वारा पारित एक विधेयक है। इसके अनुसार लोक सेवकों को तय समयसीमा में काम को पूरा करना होगा और ऐसा न होने पर जवाबदेही तय कर उन पर 500 से 5000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। नागरिकों को विद्युत, जल के कनेक्शन, बच्चों को स्कूल में प्रवश, जन्म, मृत्यु, निवास और विवाह के प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। एफ.आई.आर.

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लोकसभा सीटों के आधार पर भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की सूची

यह सूची भारत के राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों को लोकसभा सीटों के आधार पर क्रमित करती है। इस सूची में निर्वाचन क्षेत्रों के प्रकार परिसीमन आदेश 2008 के आधार पर विभाजित हैं। .

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लोकसेवा अधिकार कानून

भारत में लोकसेवा अधिकार कानून (Right to Public Services legislation) वे कानून हैं जो नागरिकों को एक निर्धारित अवधि के अन्दर लोकसेवाएँ देने की गारंटी देते हैं। इन कानूनों में यह प्रावधान है जो लोकसेवक समय पर लोकसेवा न दे पाने का दोषी पाया जायेगा, उसे दण्डित किया जायेगा। .

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लीलाधर मंडलोई

लीलाधर मंडलोई हिन्दी भाषा के लेखक और कवि हैं। मुख्य रूप से इनकी पहचान एक कवि के रूप में है हालाँकि इन्होंने विविध विधाओं में लेखन कार्य किया है। .

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शबनम मौसी

शबनम "मौसी" बानो (शबनम मौसी) पहली परलैंगिक भारतीय या हिजरा है जिनका चुनाव सार्वजनिक कार्यालय के लिए हुआ था। वह 1998 से 2003 तक मध्य प्रदेश राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्य थी। (हिजरों को भारत में 1994 में मतदान अधिकार दिया गया था।) .

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शरद यादव

शरद यादव भारत की एक राजनीतिक पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष।हैं। उन्होंने बिहार प्रदेश के मधेपुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार लोक सभा का प्रतिनिधित्व किया। वर्तमान में वे राज्य सभा (उच्च सदन) के सांसद हैं। यादव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक थे परन्तु अभी हाल में ही उनकी पार्टी द्वारा गठबंधन से सम्बन्ध विच्छेद कर लेने के कारण उन्होंने संयोजक पद से त्याग पत्र दे दिया। राजनीतिक गठजोड़ के माहिर खिलाड़ी शरद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बेहद करीबी भी माना जाता है। .

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शरद जोशी सम्मान

शरद जोशी सम्मान,उत्कृष्ट सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए मध्यप्रदेश शासन ने हिन्दी व्यंग्य, ललित निबन्ध, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, पत्र इत्यादि विधाओं में रचनात्मक लेखन के लिए स्थापित किया है। यह गौरव की बात है कि शरद जोशी मध्यप्रदेश के निवासी थे, जिन्हें उनकी सशक्त और विपुल व्यंग्य रचनाओं ने साहित्य के राष्ट्रीय परिदृश्य पर प्रतिष्ठित किया। शरद जोशी ने व्यंग्य को नया तेवर और वैविध्य दिया तथा समय की विसंगति और विडम्बना को अपनी प्रखर लेखनी से उजागर करते हुए समाज को दृष्टि और दिशा प्रदान करने का उत्तारदायी रचनाकर्म किया। उनकी व्यंग्य रचनाओं ने हिन्दी साहित्य की समृद्धि में अपना सुनिश्चित योगदान दिया है। .

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शशांक व्यास

शशांक व्यास एक भारतीय फिल्म अभिनेता हैं। इनका जन्म 30 नवम्बर 1986 में उज्जैन, मध्य प्रदेश में हुआ था। यह बालिका वधू में जगदीश भैरों सिंह नाम के किरदार को निभा कर अपने अभिनय की शुरुआत की। इसके बाद रिश्ताडॉट कॉम नाम के एक धारावाहिक में भी कार्य किया। वर्ष 2010 में बॉलीवुड फिल्म तीस मार खान में भी नजर आए। यह इनकी पहली फिल्म भी है। .

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शहडोल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

शहडोल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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शहडोल संभाग

शहडोल संभाग में एक प्रशासनिक प्रभाग के भारतीय राज्य के मध्य प्रदेश.

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शहडोल ज़िला

शह़डोल जिला मध्यप्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। इसका गठन 1959 मे किया गया। शहडोल जिले का कुल क्षेत्रफल 5671 वर्ग कि॰मी॰ है। यह पूर्व में अनुपपूर, दक्षिण में मंडला और बिलासपुर, उत्तर में सतना एवं सीधी तथा पश्चिम में उमरिया जिले से घिरा हुआ है। यह जिला पूर्व से पश्चिम में 110 वर्ग कि.मी..

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शहदोल

शहडोल भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। .

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शाजापुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

शाजापुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र एक मध्य प्रदेश का लोकसभा क्षेत्र है | शाजापुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र मध्य भारत के पूर्व लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। यह निर्वाचन 1 976-2008 से अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किया गया था। इस निर्वाचन क्षेत्र में पूरे शाजपुर जिले और देवास जिले का हिस्सा शामिल है। 2008 में इस निर्वाचन क्षेत्र का अस्तित्व समाप्त हो गया। .

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शाजापुर ज़िला

शाजापुर जिला भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय शाजापुर है।.

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शांतिनाथ

शांतिनाथ जैन घर्म में माने गए २४ तीर्थकरों में से अवसर्पिणी काल के सोलहवे तीर्थंकर थे। माना जाता हैं कि शांतिनाथ के संग ९०० साधू मोक्ष गए थे। .

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शिफ़ा ग्वालियरी

शिफा ग्वालियरी (1912–1968) भारत से एक उर्दू शायर थे। वे मूल रूप से गज़ल और नज़्म लिखते थे। उनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। वे उर्दू शायर सीमाब अकबराबादी के शिष्य थे। उनके तीन गज़ल संग्रह प्रकाशित है। मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी के द्वारा 2010 में उनके नाम पर एक वार्षिक साहित्यिक पुरस्कार की स्थापना की गई। .

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शिवनी

शिवनी भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। .

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शिवपुरी

शिवपुरी मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है जो ग्वालियर से 113 कि॰मी॰ की दूरी पर है। यह एक पर्यटक नगरी है और यहाँ का सौँदर्य अनुपम हैं। शिवपुरी की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने के लिए यहाँ पर्यटक बड़ी संख्या में आते है। शिवपुरी में ग्वालियर के सिंधिया वंश की समर कैपिटल थी। वे शिवपुरी में गर्मियों के दिनों में यहाँ रहने के लिए आया करते थे। शिवपुरी के घने जंगलों में मुगल सम्राट शिकार खेलने आते थे। अकबर ने यहीं से हाथियों के विशाल झुंड और शेरों को पकड़ा था। शिवपुरी के इन घने जंगलों को अब अभयारण्य में तब्दील कर दिया गया है, जहाँ अनेक दुर्लभ पशु-पक्षियों और वनस्पतियों को देखा जा सकता है। शिवपुरी में बने कुछ महल और झीलें यहाँ आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहती हैं।पूरे वर्ष शिवपुरी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहता है। .

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शिवपुरी ज़िला

शिवपुरी जिला भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक जिला है। शिवपुरी नगर इसका जिला मुख्यालय है। शिवपुरी जिला अपने आप में ऐतिहासिक महत्व रखता है। शिवपुरी जिले में नरवर का किला काली सिंध के पूरब में है जो शिवपुरी से करीब ४१ कि॰मी॰ की दूरी पर है। नरवर का किला मध्ययुगीन समय का है। सख्या सागर और माधव सागर झीलों को सन १९१८ में मनेर नदी पर बनाया गया था जो की शिवपुरी माधव राष्ट्रीय उद्यान को जैव विविधता में मदद देते हैं। कर्नल जी एस ढिल्लों शिवपुरी जिला से एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे, वह 5 नवम्बर 1945 पर शिवपुरी के ऐतिहासिक परीक्षण के लिए उत्तरदायी रहे जो शिवपुरी जिले में हातोद गांव में अपनी मृत्यु तक रहे। .

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शिवमंगल सिंह 'सुमन'

शिवमंगल सिंह 'सुमन' (1 915-2002) एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और शिक्षाविद् थे। उनकी मृत्यु के बाद, भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री ने कहा, "डॉ शिव मंगल सिंह 'सुमन' केवल हिंदी कविता के क्षेत्र में एक शक्तिशाली हस्ताक्षर ही नहीं थे, बल्कि वह अपने समय की सामूहिक चेतना के संरक्षक भी थे। न केवल अपनी भावनाओं का दर्द व्यक्त किया, बल्कि युग के मुद्दों पर भी निर्भीक रचनात्मक टिप्पणी भी थी। " .

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शिवराज सिंह चौहान

शिवराज सिंह चौहान वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के मुख्यमंत्री हैं। शिवराज सिंह चौहान भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता हैं। वे 29 नवंबर, 2005 को बाबूलाल गौर के स्थान पर राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। .

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शिवानन्द गोस्वामी

शिवानन्द गोस्वामी | शिरोमणि भट्ट (अनुमानित काल: संवत् १७१०-१७९७) तंत्र-मंत्र, साहित्य, काव्यशास्त्र, आयुर्वेद, सम्प्रदाय-ज्ञान, वेद-वेदांग, कर्मकांड, धर्मशास्त्र, खगोलशास्त्र-ज्योतिष, होरा शास्त्र, व्याकरण आदि अनेक विषयों के जाने-माने विद्वान थे। इनके पूर्वज मूलतः तेलंगाना के तेलगूभाषी उच्चकुलीन पंचद्रविड़ वेल्लनाडू ब्राह्मण थे, जो उत्तर भारतीय राजा-महाराजाओं के आग्रह और निमंत्रण पर राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य प्रान्तों में आ कर कुलगुरु, राजगुरु, धर्मपीठ निर्देशक, आदि पदों पर आसीन हुए| शिवानन्द गोस्वामी त्रिपुर-सुन्दरी के अनन्य साधक और शक्ति-उपासक थे। एक चमत्कारिक मान्त्रिक और तांत्रिक के रूप में उनकी साधना और सिद्धियों की अनेक घटनाएँ उल्लेखनीय हैं। श्रीमद्भागवत के बाद सबसे विपुल ग्रन्थ सिंह-सिद्धांत-सिन्धु लिखने का श्रेय शिवानंद गोस्वामी को है।" .

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शिखर सम्मान

शिखर सम्मान,मध्य प्रदेश में साहित्य और विभिन्न कलाओं के क्षेत्र में जो सृजन कार्य के लिए, मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रदान किया जाता है।समग्र योगदान के आधार पर साहित्य, प्रदर्शनकारी कलाओं और रूपंकर कलाओं में एक-एक राज्यस्तरीय शिखर सम्मान दिया जाता है। .

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शिखर खेल अलंकरण

शिखर खेल अलंकरण हेतु राज्य सम्मान,मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित राष्ट्रीय एवं राज्यस्तरीय सम्मान है। .

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शिकारी-फ़रमर

तंज़ानिया के शिकार-संचय व्यवस्था में रहने वाली हाद्ज़ा जनजाति के दो पुरुष शिकार से लौटते हुए archivedate.

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शंभुधारा जलप्रपात

शंभुधारा जलप्रपात मध्य प्रदेश मे स्थित एक जलप्रपात है। श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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शंकर शेष

शंकर शेष (1933-1981) हिन्दी की साठोत्तरी पीढ़ी के सुप्रसिद्ध नाटककार थे। समकालीन जीवन की ज्वलंत समस्याओं से जूझते व्यक्ति की त्रासदी शंकर शेष के बहुसंख्यक नाटकों के केंद्र में रहती है। वे मोहन राकेश के बाद की पीढ़ी के महत्वपूर्ण नाटककार के रूप में मान्य हैं। फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित डॉ० शेष ने फिल्मों के लिए कहानियाँ भी लिखी हैं। .

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शंकरदयाल शर्मा

डॉ शंकरदयाल शर्मा (१९ अगस्त १९१८- २६ दिसंबर १९९९) भारत के नवें राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल २५ जुलाई १९९२ से २५ जुलाई १९९७ तक रहा। राष्ट्रपति बनने से पूर्व आप भारत के आठवे उपराष्ट्रपति भी थे, आप भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री (1952-1956) रहे तथा मध्यप्रदेश राज्य में कैबिनेट स्तर के मंत्री के रूप में उन्होंने शिक्षा, विधि, सार्वजनिक निर्माण कार्य, उद्योग तथा वाणिज्य मंत्रालय का कामकाज संभाला था। केंद्र सरकार में वे संचार मंत्री के रूप में (1974-1977) पदभार संभाला। इस दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष (1972-1974) भी रहे। .

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शक्तिनगर (उत्तर प्रदेश)

शक्तिनगर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के सोनभद्र जिले में मध्यप्रदेश की सीमा से लगा एक कस्बा है। यहाँ पर राष्ट्रीय तापविद्युत निगम का २००० मेगावाट का महा ताप बिजलीघर है। श्रेणी:उत्तर प्रदेश का भूगोल.

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शक्कर नदी

यह नर्मदा की सहायक नदी है इसका उद्गम छिंदवाड़ा ज़िला की अमरवाड़ा तहसील के 18 किलोमीटर उत्तर में हैँ। यह उद्गम से निकलकर सतपुड़ा महाखण्ड कोयला क्षेत्र में बहते हुए अन्त में उत्तर में नर्मदा नदी में मिल जाती हैँ। श्रेणी:भारत की नदियाँ श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ.

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श्यामा चरण शुक्ल

श्यामा चरण शुक्ल एक भारतीय राजनेता है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। श्रेणी:मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रेणी:मुख्यमंत्री श्रेणी:राजनीतिज्ञ श्रेणी:भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ.

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श्यामजी कृष्ण वर्मा

Nizil Shah) श्यामजी कृष्ण वर्मा (जन्म: 4 अक्टूबर 1857 - मृत्यु: 30 मार्च 1930) क्रान्तिकारी गतिविधियों के माध्यम से भारत की आजादी के संकल्प को गतिशील करने वाले अध्यवसायी एवं कई क्रान्तिकारियों के प्रेरणास्रोत थे। वे पहले भारतीय थे, जिन्हें ऑक्सफोर्ड से एम॰ए॰ और बार-ऐट-ला की उपाधियाँ मिलीं थीं। पुणे में दिये गये उनके संस्कृत के भाषण से प्रभावित होकर मोनियर विलियम्स ने वर्माजी को ऑक्सफोर्ड में संस्कृत का सहायक प्रोफेसर बना दिया था। उन्होंने लन्दन में इण्डिया हाउस की स्थापना की जो इंग्लैण्ड जाकर पढ़ने वाले छात्रों के परस्पर मिलन एवं विविध विचार-विमर्श का एक प्रमुख केन्द्र था। .

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श्योपुर

श्योपुर, मध्य प्रदेश का एक नगर तथा श्योपुर जिले का मुख्यालय है। यह नगर छोटी लाइन की रेलवे द्वारा ग्वालियर से जुड़ा है। श्योपुर लकड़ी की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। चम्बल नदी यहाँ से केवल २५ किमी की दूरी पर बहती है तथा राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा बनाती है। .

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श्री रामेश्वर गहिरा गुरु संस्कृत महाविद्यालय

श्री रामेश्वर गहिरा गुरु संस्कृत महाविद्यालय, छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के सामरबार में स्थित एक संस्कृत महाविद्यालय है। इसकी स्थापना ०१ जुलाई १९५६ को रामेश्वर गहिरा द्वारा की गयी थी। यह महाविद्यालय 'सनातन सन्त समाज गहिरा' द्वारा संचालित है। यह महाविद्यालय बगीचा तहसील म्ं बगीचा से बतौली-अम्बिकापुर मार्ग पर बिमड़ा से 4 कि.मी.

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श्री हनुमान जी मंदिर उबदी

मन्दिर स्थित हनुमानजी इतिहास - यह प्राचीन हनुमान मंदिर (अब जीर्णोद्धार द्वारा नवनिर्मित) मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के एक छोटे से ग्राम उबदी में स्थित है। प्राचीन काल में मंदिर का निर्माण गांव में तत्कालीन प्रमुख व्यक्तियों के निर्देशन में पूरे गांव के सहयोग से किया गया होगा, किन्तु इस तथ्य के साक्ष्य, पुराकालीन मंदिर निर्माण समिति और दानदाताओं का विस्तृत उल्लेख पूर्णरूप से प्राप्त नही है। तथापि यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जब इस प्राचीन गांव को बसाया गया होगा, उसी समय गांव के सर्वेसर्वा अथवा कर्ता-धर्ताओं ने मंदिर को मूर्तरूप दिया होगा और इसी विषय में गांव के वृद्ध नागरिकों से मंदिर से जुड़ी प्राचीन कहानियां भी सुनने को मिलती है। 80 के दशक में मन्दिर में हनुमान जी की प्राचीन मूर्ति को किसी असामाजिक तत्व द्वारा खण्डित कर दिए जाने पर गांव के नागरिक "महिमाराम कन्हैया पाटीदार जी" द्वारा मूर्ति दान स्वरूप प्रदान की गयी। गांव के समाजसेवी "श्री सीताराम पाटीदार(मामाजी)" के सतत प्रयासों और गांव के प्रबुद्ध व्यक्तियों के अटूट सहयोग से वर्षों पश्चात मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए वर्ष 2016 में आम नागरिकों को एकत्रित कर एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसके अनुसार प्राचीन मंदिर को तोड़कर एक नए भव्य मंदिर की योजना स्वीकृत की गयी। ग्रामवासियों के सहयोग से धनराशि एकत्र कर मंदिर निर्माण योजना का शुभारंभ किया गया और समिति में अलग-अलग पदाधिकारियों को अलग-अलग दायित्व सौंपे गए। लगभग 8 माह में बनकर तैयार पुनर्निर्मित मंदिर का उद्घाटन 30 जुलाई 2017, मिति श्रावण शुक्ल सप्तमी, विक्रम संवत 2074 को गोस्वामी तुलसीदास जयंती के पावन पर्व किया गया। मानचित्र - पुनर्निर्मित हनुमान मंदिर गांव के एकदम अंतिम छोर पर स्थित है। खरगोन - ठीकरी मार्ग पर गांव में स्थित शिवम मुखरंजन से दाहिने हाथ से गांव में प्रवेश करने वाली एक मुख्य गली सीधे हनुमान मंदिर तक पहुंचती है। दक्षिणमुखी इस मंदिर के पास ही ग्राम पंधानिया जाने के लिए एक संक्षिप्त मार्ग है। एक प्राचीन बावड़ी और बरगद के प्राचीन व विशाल वृक्ष मंदिर के बायीं ओर स्थित है। इस स्थान का प्राचीन काल में गांव के साथ बहुत ही महत्वपूर्ण सम्बंध रहा है। यह प्राचीन मंदिर, गांव के मध्य स्थित श्रीराम मंदिर से कुछ ही कदम की दुरी पर स्थित है। यह मंदिर गांव से ढलान वाली भूमि पर खड़ा है। मंदिर के गर्भगृह में संकतमोचन बजरंगबली की शिलाखण्ड पर उकेरी हुई मूर्ति स्थापित है। गर्भगृह के समक्ष ही बांयी ओर भगवान भोलेनाथ का एक छोटा मंदिर भी बनाया गया है। मंदिर से बाहर परिसर में दांयी ओर शीतला माता व छठी माता मंदिर का निर्माण भी पृथक रूप में किया गया है। निवासियों के अनुसार, यहां स्थित प्राचीन बावड़ी से मोट द्वारा पानी निकालकर पुरे गांव को पानी की आपूर्ति यहीं से की जाती थी। पुराने समय में विवाह जैसे अवसरों पर सहभोज का कार्यक्रम भी यहीं आयोजित किया जाता था। दानदाता - वैसे तो मंदिर निर्माण समिति की ओर से दानदाताओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त नही हुई है, किन्तु कुछ दानदाताओं के नाम ज्ञात है, जो निम्नलिखित है ―  1.

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श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान

श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (Shri Govindram Seksaria Institute of Technology and Science (SGSITS)), इन्दौर ही नहीं वरन् मध्य प्रदेश का प्रमुख अभियांत्रिकी महाविद्यालय है। इसकी स्थापना सन् १९५२ में हुई थी। यह स्वशासी संस्थान है और विश्वविद्यालय की उपाधि की प्राप्ति के लिये प्रयासरत है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), नई दिल्ली और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), नई दिल्ली ने १९८९ में एक स्वायत्त संस्थान का दर्जा दिया था। इस स्थिति के तहत, संस्थान यूजी और पीजी स्तर दोनों में अपनी परीक्षाएं आयोजित करता है तथा एसजीएसआईटीएस एक शासक मंडल के प्रशासन के तहत परिचालित हो गया। सम्प्रति इस संस्थान में ९ स्नातकस्तरीय एवं १७ परास्नातक-स्तरीय पाठ्यक्रम चल रहे हैं जिनमें क्रमश: ६५० एवं १५० छात्र लिये जाते हैं। इसके अतिरिक्त यह संस्थान अंशकालिक स्नातक पाठयक्रम भी चलाता है। .

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श्रीदेवनारायण

श्रीदेवनारायण, राजस्थान के गुर्जर योद्धा थे जिन्होने गुर्जर समाज की स्थापना की। वे भगवान विष्णु के अवतार हैं। इनकी पूजा मुख्यत: राजस्थान, हरियाणा तथा मध्यप्रदेश में होती है। इनका भव्य मंदिर आसीन्द में है। .

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श्रीनिवास तिवारी

श्रीनिवास तिवारी(१७ सितम्बर १९२६ -१९ जनवरी २०१८) जिन्हे श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी के नाम से भी जाना जाता था, वे २ फरवरी, १९९९ से १२ दिसम्‍बर, २००३ तक अध्‍यक्ष, विधान सभा रहे, एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वयोवृद्ध नेताओं में से एक थे। वह रीवा जिले में अपने पूर्व निर्वाचन क्षेत्र मंगवन के पास तिउनी गाँव के निवासी थे।उन्हें मध्यप्रदेश का 'सफ़ेद शेर' नाम से भी जाना जाता था।इनकी इनके माता का नाम कौशिल्या देवी तथा पिता का नाम स्‍व.

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श्रीपाद अच्युत दाभोलकर

श्रीपाद अच्युत दाभोलकर (सन् १९२५ - २००१) भारत के गणितज्ञ एवं कृषि वैज्ञानिक थे। उन्होने महाराष्ट्र में 'प्रयोग परिवार' नामक संकल्प का प्रवर्तन किया। उन्हें जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका जन्म महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। वे कोल्हापुर के गारगोटी महाविद्यालय में प्राध्यापक थे। तासगांव में उनकी शुरुआत का परिणाम था कि कुछ ही वर्षों में प्रदेश से अंगूर का निर्यात 200 करोड़ रुपयों के पार निकल गया। मध्य प्रदेश शासन ने उन्हें भोपाल आमंत्रित किया। सेमिनार और व्याख्यान हुए। पुरानी खेती के इस आधुनिक विद्वान का कहना था कि किसी का विकास कोई दूसरा नहीं कर सकता। अपनी खेती की उन्नति के लिए किसान को खुद ही प्रकृति का भागीदार बनना होगा। .

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श्रीभार्गवराघवीयम्

श्रीभार्गवराघवीयम् (२००२), शब्दार्थ परशुराम और राम का, जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००२ ई में रचित एक संस्कृत महाकाव्य है। इसकी रचना ४० संस्कृत और प्राकृत छन्दों में रचित २१२१ श्लोकों में हुई है और यह २१ सर्गों (प्रत्येक १०१ श्लोक) में विभक्त है।महाकाव्य में परब्रह्म भगवान श्रीराम के दो अवतारों परशुराम और राम की कथाएँ वर्णित हैं, जो रामायण और अन्य हिंदू ग्रंथों में उपलब्ध हैं। भार्गव शब्द परशुराम को संदर्भित करता है, क्योंकि वह भृगु ऋषि के वंश में अवतीर्ण हुए थे, जबकि राघव शब्द राम को संदर्भित करता है क्योंकि वह राजा रघु के राजवंश में अवतीर्ण हुए थे। इस रचना के लिए, कवि को संस्कृत साहित्य अकादमी पुरस्कार (२००५) तथा अनेक अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। महाकाव्य की एक प्रति, कवि की स्वयं की हिन्दी टीका के साथ, जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा ३० अक्टूबर २००२ को किया गया था। .

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श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी महिला विद्यापीठ

श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी महिला विद्यापीठ (SNDT Women's University) मुम्बई स्थित एक महिला विश्वविद्यालय है। इसका मुख्यालय दक्षिण मुम्बई (चर्चगेट) में स्थित है जबकि इसका मुख्य प्रांगण (कैम्पस) शांताक्रुज-जुहू क्षेत्र में है। इस विश्वविद्यालय के तीन प्रांगण हैं, दो मुम्बई में तथा तीसरा पुणे में। इस विश्वविद्यालय से महाराष्ट्र, असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, गोवा आदि के महाविद्यालय सम्बद्ध हैं। .

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श्रीसीतारामकेलिकौमुदी

श्रीसीतारामकेलिकौमुदी (२००८), शब्दार्थ: सीता और राम की (बाल) लीलाओं की चन्द्रिका, हिन्दी साहित्य की रीतिकाव्य परम्परा में ब्रजभाषा (कुछ पद मैथिली में भी) में रचित एक मुक्तक काव्य है। इसकी रचना जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००७ एवं २००८ में की गई थी।रामभद्राचार्य २००८, पृष्ठ "क"–"ड़"काव्यकृति वाल्मीकि रामायण एवं तुलसीदास की श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड की पृष्ठभूमि पर आधारित है और सीता तथा राम के बाल्यकाल की मधुर केलिओं (लीलाओं) एवं मुख्य प्रसंगों का वर्णन करने वाले मुक्तक पदों से युक्त है। श्रीसीतारामकेलिकौमुदी में ३२४ पद हैं, जो १०८ पदों वाले तीन भागों में विभक्त हैं। पदों की रचना अमात्रिका, कवित्त, गीत, घनाक्षरी, चौपैया, द्रुमिल एवं मत्तगयन्द नामक सात प्राकृत छन्दों में हुई है। ग्रन्थ की एक प्रति हिन्दी टीका के साथ जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन ३० अक्टूबर २००८ को किया गया था। .

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श्रीकांत वर्मा

श्रीकांत वर्मा (Shrikant verma) (१८ नवंबर १९३१- १९८६) का जन्म बिलासपुर (bilaspur), मध्य प्रदेश में हुआ। वे गीतकार, कथाकार तथा समीक्षक के रूप में जाने जाते हैं। ये राजनीति से भी जुडे थे तथा लोकसभा के सदस्य रहे। १९५७ में प्रकाशित भटका मेघ, १९६७ में प्रकाशित मायादर्पण और दिनारम्भ, १९७३ में प्रकाशित जलसाघर और १९८४ में प्रकाशित मगध इनकी काव्य-कृतियाँ हैं। 'झाडियाँ तथा 'संवाद इनके कहानी-संग्रह है। 'बीसवीं शताब्दी के अंधेरे में एक आलोचनात्मक ग्रंथ है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर(bilaspur) तथा रायपुर(raipur) में हुई तथा नागपुर विश्वविद्यालय से १९५६ में उन्होंने हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वे दिल्ली चले गए और वहाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लगभग एक दशक तक पत्रकार के रूप में कार्य किया। १९६६ से १९७७ तक वे दिनमान के विशेष संवाददाता रहे। १९७६ में काँग्रेस के के टिकट पर चुनाव जीतकर वे राज्य सभा के सदस्य बने। और सत्तरवें दशक के उत्तरार्ध से ८०वें दशक के पूर्वार्ध तक पार्टी के प्रवक्ता के रूप में कार्य करते रहे। १९८० में वे इंदिरा गांधी के राष्ट्रीय चुनाव अभियान के प्रमुख प्रबंधक रहे और १९८४ में राजीव गांधी के परामर्शदाता तथा राजनीतिक विश्लेषक के रूप में कार्य करते रहे। कांग्रेस को अपना "गरीबी हटाओ" का अमर स्लोगन दिया.

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शौर्य स्मारक

शौर्य स्मारक (The War Memorial), जो भोपाल शहर के केंद्र में अरेरा पहाड़ी पर स्थित है, भारत के अमर शहीदों की युद्ध तथा शौर्य गाथाओं की आम जनता को अनुभूति कराने हेतु भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा १४ अक्टूबर २०१६ को देश को समर्पित किया गया। पर्यटन की दृष्टि से अब यह भोपाल का ही नहीं बल्कि भारत का एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया है। भोपाल स्थित शौर्य स्मारक के सौन्दर्य, स्वच्छता तथा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए छोटे से प्रवेश शुल्क का प्रावधान किया गया है जो मिलने वाले आनंद की तुलना में कुछ भी नहीं है। हालांकि सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों तथा उनके परिवार वालों सम्मान देते हुए यहाँ निःशुल्क प्रवेश दिया जाता है। शौर्य स्मारक का रख-रखाव भोपाल स्थित भारतीय सेना व मध्य प्रदेश प्रशासन द्वारा किया जाता है। प्रवेश समय दोपहर १२:०० से शाम ७:०० तक है तथा बुधवार को अवकाश है। .

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शेरु मुंशी खान

शेरु मुंशी खान या सेरू ब्रीर्ल्ये भारतीय मूल की ऑस्ट्रेलियाई व्यापारी हैं। इनका जन्म 1981 में खण्डवा, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था। यह 25 वर्षों से अपनी माँ से अलग रहने के बाद पुनः मिल गए। यह घटना भारत और ऑस्ट्रेलिया में बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गया। इस पर यह एक किताब ए लॉन्ग वे होम लिख चुके हैं। .

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शेखर दत्त

शेखर दत्त भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के राज्यपाल रहे। इसके पहले वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए। .

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शेखर सेन

शेखर सेन हिन्दी नाट्य जगत के गायक, संगीतकार, गीतकार एवं अभिनेता हैं। वे अपने एक पात्रीय प्रस्तुतियों "तुलसी", "कबीर", "विवेकानन्द" और "साहेब" के लिये जाने जाते हैं। वे संगीत नाटक अकादमी के वर्तमान अध्यक्ष हैं। .

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शीतला सहाय

शीतला सहाय (1932- 2011) भारत के मध्य प्रदेश के एक राजनेता थे। वे मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री भी रहे। .

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सतना

सतना भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। .

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सतना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

सतना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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सतना ज़िला

सतना जिला मध्य प्रदेश का एक जिला है। इसका मुख्यालय सतना में स्थित है। सतना जिला रीवा संभाग के अंतर्गत आता है। मुख्यालय के शहर के नाम पर सतना जिले का नाम रखा गया। इसकी सीमा उत्तर में उत्तर प्रदेश के बांदा जिला से लगी हुई है। जिले की पूर्वी सीमा रीवा जिले की त्यौंथर, सिरमौर और हुजूर तहसील से तथा सीधी जिले की गोपदबनास तहसील से लगी हुई है। जिले की सम्पूर्ण पश्चिम सीमा पन्ना जिले तथा दक्षिणी सीमा जबलपुर जिले की मुरवारा तथा उमरिया जिले की बांधवगढ़ तहसील और शहडोल जिले की ब्यौहारी तहसील से लगी हुई है। सतना जिला विंध्य पठार के लगभग १०,००० से ११,००० फीट की ऊचाई पर स्थित है। जिले का दक्षिणी भाग नागोद तहसील के २४ डि.

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सतपुड़ा राष्ट्रीय अभयारण्य

सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अंतर्गत होशंगाबाद ज़िले में स्थित है। यह ५२४ वर्ग कि॰मी॰ के क्षेत्र में फैला हुआ है। अपने आसपास बोरी और पचमढ़ी अभयारण्य के साथ, यह १,४२७ वर्ग कि॰मी॰ का अद्वितीय मध्य भारतीय पार्वत्य देश (highland) पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है। यह १९८१ में स्थापित किया गया था। राष्ट्रीय पार्क का इलाका अत्यंत दुर्गम है। और इसके अंतर्गत बलुआ पत्थर चोटियों, संकीर्ण घाटियों, नालों और घने जंगलों के इलाके हैं। इस इलाके की औसतन ऊँचाई ३०० से १३५२ मीटर है। इस उद्यान में 1350 मीटर ऊँची धूपगढ़ शिखर भी है, और सपाट मैदान भी हैं। राष्ट्रीय पार्क से निकटतम शहर पचमढ़ी है, और निकटतम रेलवे स्टेशन पिपरिया है, जो ५५ किलोमीटर दूर है। इसकी राज्य की राजधानी भोपाल से दूरी २१० किलोमीटर है। .

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सनावद

सनावद मध्यप्रदेश राज्य (भारत) का एक प्रमुख शहर है। सन् २00१ की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 20,000 थी। इनमें पुरुषों और महिलाओं की आबादी क्रमशः 48% और 52% थी। यहाँ की साक्षरता 82% थी जिसमें पुरुष साक्षरता 86% और महिला साक्षरता 72% थी। यहाँ की जनसंख्या में ६ वर्ष से कम उम्र के बच्चों का हिस्सा 14% था। इंदौर - खंडवा सड़क पर स्थित यह शहर अपने पॉलिटेक्निक महाविद्यालय के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर में डिप्लोमा की गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज, वाणिज्य और विज्ञान के लिए एक सरकारी डिग्री कॉलेज, विज्ञान के एक निजी कॉलेज भी हैं। सनावद का पुराना नाम "गुलशनाबाद" है। जिले में शहर की राजनीतिक स्थिति मजबूत है। इसकी स्थानीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और व्यापार पर आधारित है। आसपास के क्षेत्र की मुख्य फसल गेहूं, कपास और सोयाबीन हैं। यह नर्मदा नदी के निकट (लगभग 7 किलोमीटर), इंदौर से 70 किलोमीटर और खरगोन (जिला मुख्यालय) और बड़वाह से 10 किलोमीटर जो तहसील से 60 किलोमीटर दूर स्थित है। यह शहर मेला का शहर है। यहां का पीरंपीर एवं शीतला माता मेला बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ मध्य - प्रदेश की सबसे छोटी बस स्टैंड चल रही है। नहर काम की वजह से निर्माण की कोर के कारण शहर खरगोन जिले में अपनी छाप बना रही है। पांच जैन मंदिर के एक कुल रहे हैं। उनमें से दिगंबर जैन Samavsaran मंदिर भारत भर में आठ प्रसिद्ध जैन मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां की ऊंची पहाड़ी पर पीरंपीर टेकारी नामक प्रसिद्ध दरगाह है और उसी पहाड़ी के नीचे मंदिर स्थित है। यह शहर मध्यप्रदेश, के प्रमुख शहरों इंदौर, खंडवा आदि से अच्छी तरह से सड़क और रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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सनकुआ जलप्रपात

सनकुआ जलप्रपात मध्य प्रदेश में स्थित एक जलप्रपात है। श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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सन्त सिंगाजी

सन्त सिंगाजी भारत में मध्य प्रदेश के नीमार के एक मशहूर संत थे। उन्हे पशु रक्षक देव के रूप में पूजा जाता है। .

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सफ़ेद बाघ

सफ़ेद बाघ (व्हाइट टाइगर/white tiger) एक ऐसा बाघ है जिसका प्रतिसारी पित्रैक (रिसेसिव पित्रैक) इसे हल्का रंग प्रदान करता है। एक अन्य आनुवंशिक अभिलक्षण बाघ की धारियों को बहुत हल्का रंग प्रदान करता है; इस प्रकार के सफ़ेद बाघ को बर्फ-सा सफ़ेद या "शुद्ध सफे़द" कहते हैं। सफ़ेद बाघ विवर्ण नहीं होते हैं और इनकी कोई अलग उप-प्रजाति नहीं है और इनका संयोग नारंगी रंग के बाघों के साथ हो सकता है, हालांकि (लगभग) इस संयोग के परिणामस्वरूप जन्म ग्रहण करने वाले शावकों में से आधे शावक प्रतिसारी सफ़ेद पित्रैक की वजह से विषमयुग्मजी हो सकते हैं और इनके रोएं नारंगी रंग के हो सकते हैं। इसमें एकमात्र अपवाद तभी संभव है जब खुद नारंगी रंग वाले माता/पिता पहले से ही एक विषमयुग्मजी बाघ हो, जिससे प्रत्येक शावक को या तो दोहरा प्रतिसारी सफ़ेद या विषमयुग्मजी नारंगी रंग के होने का 50 प्रतिशत अवसर मिलेगा.

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सबलगढ़

सबलगढ़ भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक नगर है। उत्तरी मध्य प्रदेश मै स्थित यह नगर मुरैना जिले के अंतर्गत आता है। सबलगढ़ का अर्थ होता है मजबूत दुर्ग और इस नगर में अपने नाम की भांति एक दुर्ग है जोकि सबलगढ़ के क़िले के नाम से प्रसिद्ध है। सबलगढ़ की स्थापना सबला सिंह ने की जिनके नाम पर इस नगर का नाम सबलगढ़ पड़ा। सबलगढ़ नगर अपने प्राचीन दुर्ग, शिकार क्रियाओं और जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। .

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सबलगढ़ किला

मुरैना के सबलगढ़ नगर में स्थित यह किला मुरैना से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। मध्यकाल में बना यह किला एक पहाड़ी के शिखर बना हुआ है। इस किले की नींव सबला गुर्जर ने डाली थी जबकि करौली के महाराजा गोपाल सिंह ने 18वीं शताब्दी में इसे पूरा करवाया था। कुछ समय बाद सिंकदर लोदी ने इस किले को अपने नियंत्रण में ले लिया था लेकिन बाद में करौली के राजा ने मराठों की मदद से इस पर पुन: अधिकार कर लिया। किले के पीछे सिंधिया काल में बना एक बांध है, जहां की सुंदरता देखते ही बनती है। सबलगढ़ का किला अत्यंत सुन्दर एवं मनमोहक है। श्रेणी:मध्य प्रदेश दुर्ग श्रेणी:मुरैना श्रेणी:भारत के किले श्रेणी:क़िले.

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सबसे सघन आबादी वाले शहर

FE-India-Map-2014.jpg भारत के घनी आबादी वाले शहरों भारत के सबसे घनी आबादी वाले शहरों की सूची .

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समझ झरोखा

समझ झरोखा बच्चों की एक हिन्दी पत्रिका है। यह भोपाल से निकलनेवाली मासिक पत्रिका है। मध्यप्रदेश में आदिवासी शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययन करने वाले बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत संचालित वन्या द्वारा मासिक बाल पत्रिका समझ झरोखा का प्रकाशन किया जा रहा है। .

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समाजवादी पार्टी

समाजवादी पार्टी भारत का एक राजनीतिक दल है। यह भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में आधारित है। यह ४ अक्टूबर १९९२ को स्थापित किया गया था। समाजवादी पार्टी के संस्थापक व संरक्षक मुलायम सिंह यादव, उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और देश के पूर्व रक्षा मंत्री रह चुके है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। .

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समुद्रगुप्त

समुद्रगुप्त (राज 335-380) गुप्त राजवंश के चौथे राजा और चन्द्रगुप्त प्रथम के उत्तरधिकरी थे। वे भारतीय इतिहास में सबसे बड़े और सफल सेनानायक में से एक माने जाते है। समुद्रगुप्त, गुप्त राजवंश के तीसरे शासक थे, और उनका शासनकाल भारत के लिये स्वर्णयुग की शुरूआत कही जाती है। समुद्रगुप्त को गुप्त राजवंश का महानतम राजा माना जाता है। वे एक उदार शासक, वीर योद्धा और कला के संरक्षक थे। उनका नाम जावा पाठ में तनत्रीकमन्दका के नाम से प्रकट है। उसका नाम समुद्र की चर्चा करते हुए अपने विजय अभियान द्वारा अधिग्रहीत एक शीर्षक होना करने के लिए लिया जाता है जिसका अर्थ है "महासागर"। समुद्रगुप्त के कई अग्रज भाई थे, फिर भी उनके पिता ने समुद्रगुप्त की प्रतिभा के देख कर उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। इसलिए कुछ का मानना है कि चंद्रगुप्त की मृत्यु के बाद, उत्तराधिकारी के लिये संघर्ष हुआ जिसमें समुद्रगुप्त एक प्रबल दावेदार बन कर उभरे। कहा जाता है कि समुद्रगुप्त ने शासन पाने के लिये अपने प्रतिद्वंद्वी अग्रज राजकुमार काछा को हराया था। समुद्रगुप्त का नाम सम्राट अशोक के साथ जोड़ा जाता रहा है, हलांकि वे दोनो एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न थे। एक अपने विजय अभियान के लिये जाने जाते थे और दूसरे अपने जुनून के लिये जाने जाते थे। गुप्तकालीन मुद्रा पर वीणा बजाते हुए समुद्रगुप्त का चित्र समुद्र्गुप्त भारत का महान शासक था जिसने अपने जीवन काल मे कभी भी पराजय का स्वाद नही चखा। उसके बारे में वि.एस स्मिथ आकलन किया है कि समुद्रगुप्त प्राचीनकाल में "भारत का नेपोलियन" था। .

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सम्राट अ‍शोक अभियांत्रिकीय संस्थान

सम्राट अशोक प्रौद्योगिकी संस्थान (Samrat Ashok Technological Institute (SATI)) मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित स्वायत्त प्रौद्योगिकी महाविद्यालय है। इसकी स्थापना १ नवम्बर १९६० को महाराजा जीवाजीराव शिक्षा सोसायटी द्वारा किया गया था। इस संस्थान का नामकरण सम्राट अशोक के नाम पर हुआ है, जिनकी पत्नी देवी विदिशा के एक व्यापारी की पुत्री थीं। यह महाविद्यालय मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित (फण्डेड) है। .

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सय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी

सय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी भारत में ट्वेंटी-20 क्रिकेट घरेलू चैंपियनशिप, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा आयोजित रणजी ट्रॉफी से टीमों के बीच था। 2008-09 सत्र में इस ट्रॉफी के लिए उद्घाटन सत्र था। यह एक प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेटर के नाम पर है, सय्यद मुश्ताक अली। जून 2016 में बीसीसीआई ने घोषणा की है कि चैम्पियनशिप खत्म कर दिया है और एक जोनल आधारित प्रतियोगिता के साथ प्रतिस्थापित किया जाएगा। .

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सरदार सरोवर परियोजना

सरदार सरोवर बांध सरदार सरोवर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। यह नर्मदा नदी पर बना 800 मीटर ऊँचा है। नर्मदा नदी पर बनने वाले 30 बांधों में सरदार सरोवर और महेश्वर दो सबसे बड़ी बांध परियोजनाएं हैं और इनका लगातार विरोध होता रहा है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य गुजरात के सूखाग्रस्त इलाक़ों में पानी पहुंचाना और मध्य प्रदेश के लिए बिजली पैदा करना है लेकिन ये परियोजनाएं अपनी अनुमानित लागत से काफ़ी ऊपर चली गई हैं। .

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सरल चेतना

सरल चेतना हिन्दी की एक पत्रिका है। यह होशंगाबाद,मध्य प्रदेश से प्रकाशित होती है। इसके सम्पादक हेमंत रिछारिया हैं। यह पत्रिका राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण "सरल" को समर्पित है। श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:हिन्दी पत्रिकाएँ श्रेणी:सामाजिक पत्रिकाएँ श्रेणी:साहित्यिक पत्रिकाएँ.

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सरला ग्रेवाल

सरला ग्रेवाल (4 अक्टूबर 1927 - 29 जनवरी 2002) 1952 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी थी। वे 1989-1990 में मध्य प्रदेश की राज्यपाल भी रहीं। साथ ही वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की प्रधान सचिव भी रही हैं। .

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सरसों

भारतीय सरसों के पीले फूल सरसों क्रूसीफेरी (ब्रैसीकेसी) कुल का द्विबीजपत्री, एकवर्षीय शाक जातीय पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम ब्रेसिका कम्प्रेसटिस है। पौधे की ऊँचाई १ से ३ फुट होती है। इसके तने में शाखा-प्रशाखा होते हैं। प्रत्येक पर्व सन्धियों पर एक सामान्य पत्ती लगी रहती है। पत्तियाँ सरल, एकान्त आपाती, बीणकार होती हैं जिनके किनारे अनियमित, शीर्ष नुकीले, शिराविन्यास जालिकावत होते हैं। इसमें पीले रंग के सम्पूर्ण फूल लगते हैं जो तने और शाखाओं के ऊपरी भाग में स्थित होते हैं। फूलों में ओवरी सुपीरियर, लम्बी, चपटी और छोटी वर्तिकावाली होती है। फलियाँ पकने पर फट जाती हैं और बीज जमीन पर गिर जाते हैं। प्रत्येक फली में ८-१० बीज होते हैं। उपजाति के आधार पर बीज काले अथवा पीले रंग के होते हैं। इसकी उपज के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त है। सामान्यतः यह दिसम्बर में बोई जाती है और मार्च-अप्रैल में इसकी कटाई होती है। भारत में इसकी खेती पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में अधिक होती है। .

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सरवनखेडा

सरवनखेड़ा (अंग्रेजी:Sarwankheda) मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील के बरुखेडी ग्राम पंचायत का एक छोता सा गाँव है। यह महिदपुर रोड रेलवे स्टेशन से 4.6 किमी और महिदपुर शहर राजमार्ग से 3.6 किमी की दुरी पर स्थित है। भारत और पंचायत राज अधिनियम के संविधान के अनुसार, सरवनखेड़ा गांव को सरपंच (ग्राम प्रमुख) द्वारा प्रशासित किया जाता है, जो गांव के प्रतिनिधि चुने जाते हैं। गाँव में अधिकार कच्चे मकान है किन्तु अब कई पक्के मकान भी बनने लग गए है| गाँव के अंदर गलियों में पक्की सड़क बनी हुई है| पिने के पानी के लिए नलकूप और निजी ट्यूबवेल भी है| सरवनखेड़ा में गाँव के बिच से सड़क निकली जो गाँव को दो भागो में विभाजित करती है| गाँव में ३-४ छोटी दुकाने भी है जहाँ रोज काम आने वाले सामान मिल जाया करते है| बाकि बड़े उपयोग सामान के लिए नजदीकी महिदपुर रोड जाना पड़ता है| .

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सलमान ख़ान

अब्दुल रशीद सलीम सलमान खान (سلمان خان. उच्चारण:, जन्म: २७ दिसम्बर १९६५) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता हैं, जो बॉलीवुड की फिल्मों में दिखाई देते हैं। इन्होंने सन १९८८ में अभिनय की दुनिया में अपनी पहली फिल्म बीवी हो तो ऐसी से शुरूआत की। सलमान को अपनी पहली बड़ी व्यावसायिक सफलता १९८९ में रिलीज़ हुई मैंने प्यार किया से मिली, जिसके लिए इन्हें फिल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ नवीन पुरूष अभिनेता पुरस्कार भी दिया गया। वे बॉलीवुड की कुछ सफल फिल्मों में स्टार कलाकार की भूमिका करते रहे, जैसे साजन (१९९१), हम आपके हैं कौन (१९९४) व बीवी नं. १ (१९९९) और ये ऐसी फिल्में थीं जिन्होंने उनके करियर में पाँच अलग सालों में सबसे अधिक कमाई की। १९९९ में खान ने १९९८ की फिल्म कुछ कुछ होता है में उनकी अतिथि-भूमिका के लिए फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार जीता और तब से इन्होंने कई आलोचनात्मक और व्यावसायिक फिल्मों में स्टार के रूप में सफलता प्राप्त की है, जिनमें हम दिल दे चुके सनम (१९९९), तेरे नाम (२००३), नो एन्ट्री (२००५) और पार्टनर (२००७) शामिल हैं। २०१७ में टाईगर जिंदा ने कमाई के मामले मे नया इतिहास बनाया इस तरह खान ने खुद को हिंदी सिनेमा के प्रमुख अभिनेताओं में सबसे महान अभिनेता की छवि बनाई। बाद में बनी फ़िल्में, वांटेड (२००९), दबंग (२०१०), रेड्डी (२०११) और बॉडीगार्ड (२०११) उनकी हिन्दी सिने जगत में सर्वाधिक कमाई वाली फ़िल्में रही। किक (२०१४ फिल्म) सलमान की पहली फिल्म है जो 200 करोड़ के क्लब में शामिल हुई है। किक सलमान की सातवीं फिल्म है जो 100 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस कर चुकी है। इससे पहले 6 फिल्में 100 करोड़ क्लब में शामिल हो चुकी हैं एक था टाइगर - 198 करोड़, दबंग-2 - 158 करोड़, बॉडीगार्ड - 142 करोड़, दबंग - 145 करोड़, Ready (2011 film) - 120 करोड़, जय हो (फ़िल्म) - 111 करोड़ है। (मुख्य सूचना सलमान खान एक भारतीय अभिनेता के साथ एक गायक भी है. जिन्होंने कई सुरीली आवाजो में गाने भी गाए हैं।) .

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सलीम ख़ान

सलीम ख़ान हिन्दी फ़िल्मों के मशहूर लेखक हैं। .

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सहरिया

सहरिया भारत की एक प्रमुख जनजाति है। .

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साँची पुरातत्व संग्रहालय

साँची पुरातत्व संग्रहालय साँची का पुरातात्विक स्थल के पास एक संग्रहालय है। इसमें विभिन्न अवशेष हैं जो पास के बौद्ध परिसर में पाए गए थे।.

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साँची का स्तूप

सांची भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले, में बेतवा नदी के तट स्थित एक छोटा सा गांव है। यह भोपाल से ४६ कि॰मी॰ पूर्वोत्तर में, तथा बेसनगर और विदिशा से १० कि॰मी॰ की दूरी पर मध्य प्रदेश के मध्य भाग में स्थित है। यहां कई बौद्ध स्मारक हैं, जो तीसरी शताब्दी ई.पू.

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साड़ी

साड़ी एक सबसे सुंदर पारंपरिक पोशाक है भारतीय। दैनिक दिनचर्या साड़ी में भारत के उत्तर से एक घरेलू भारतीय महिला, अच्छी तरह से बाँधी एवं पहनी हुई बाएँ साड़ी (कुछ इलाकों में सारी कहा जाता है) भारतीय स्त्री का मुख्य परिधान है। यह शायद विश्व की सबसे लंबी और पुराने परिधानों में से गिना जाता है। यह लगभग 5 से 6 गज लम्बी बिना सिली हुए कपड़े का टुकड़ा होता है जो ब्लाउज या चोली और साया के ऊपर लपेटकर पहना जाता है। .

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सातरूण्डा

ग्राम सातरूण्डा जिला रतलाम तहसील रतलाम पिन कोड 457441 ग्राम सत्रुण्डा या सातरूण्डा, मध्य प्रदेश में इंदौर के निकट, के प्रान्तीय राजमार्ग 31 पर रतलाम ज़िले में अवस्थित है। ग्राम सातरूण्डा कभी सुनसान चौपाटी हुआ करता था। पर आज सातरूण्डा एक सभ्य और विकासील गाँव बनने की और अग्रसर है। ग्राम सातरूण्डा से करीब 2 किलोमीटर दूर माँ कवलका का अति प्राचीन मंदिर है, मंदिर पहाड़ पर स्थित है। सातरूण्डा भृमण करने और पार्टी करने के लिए उत्तम जगह है। प्रान्तीय राजमार्ग होने के कारण यहाँ अच्छा व्यापर भी है। यहाँ यूनियन बैंक की ब्रांच भी है। यहाँ करीब 109 से 150 मकान है, यहां करीब 700 से 800 लोग निवास करते हैं। .

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सामुदायिक रेडियो

रेडियो सेवा का एक प्रकार है सामुदायिक रेडियो, जो वाणिज्यिक और सार्वजनिक सेवा से परे रेडियो प्रसारण का एक तीसरा मॉडल प्रदान करता है। समुदाय स्टेशन भौगोलिक समुदायों और अभिरुचि के समुदायों की सेवा कर सकते हैं। वे ऎसी सामग्री का प्रसारण करते हैं जो कि किन्हीं स्थानीय/विशिष्ट श्रोताओं में लोकप्रिय है, जिनकी अनदेखी वाणिज्यिक या जन-माध्यम प्रसारकों द्वारा की जा सकती है। सामुदायिक रेडियो स्टेशन ऐसे समुदायों द्वारा परिचालित और संचालित होते हैं और उनका स्वामित्व भी उनका ही होता है, जिनके लिए वे सेवा प्रदान करते हैं। सामुदायिक रेडियो लाभ कमाने के लिए नहीं होते और यह व्यक्ति विशेष, समूह और समुदायों की अपनी विविध कहानियों को कहने, अनुभवों को बांटने की प्रक्रिया को सुगम बनाते हैं और संचार माध्यम से संपन्न दुनिया में सक्रिय स्रष्टा और संचार माध्यम के सहयोगी बनते हैं। दुनिया के कई हिस्सों में, स्वयंसेवी क्षेत्र, नागरिक समाज, एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों और नागरिकों के लिए सामुदायिक रेडियो और अधिक सामुदायिक विकास तथा प्रसारण उद्देश्यों के कार्य में भागीदारी के माध्यम के रूप में काम करता है। फ्रांस, अर्जेंटीना, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड जैसे कई देशों में एक विशिष्ट प्रसारण क्षेत्र के रूप में सामुदायिक रेडियो की महत्वपूर्ण कानूनी परिभाषा की गयी है। परिभाषा के भाग के रूप में ज्यादातर कानूनों में सामाजिक लाभ, सामाजिक उद्देश्य, सामाजिक प्राप्ति जैसे वाक्यांश शामिल किये गये हैं। सामुदायिक रेडियो ऐतिहासिक रूप से विभिन्न देशों में विभिन्न ढंग से विकसित हुआ और इसलिए यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में इस शब्दावली का कुछ अलग-अलग अर्थ होता है। आयरलैंड में, सामुदायिक रेडियो १९७० के दशक के अंत से सक्रिय है; हालांकि आयरिश सन्दर्भ में सामुदायिक प्रसारण द्वारा पेश किये गये सामुदायिक रेडियो के 18 महीने के पायलट प्रोजेक्ट की संभाव्यता का पता लगाने और मूल्यांकन करने में स्वतंत्र रेडियो व टेलीविजन आयोग को १९९४ तक का समय लग गया। यह परियोजना १९९५ में परिचालन में चली गयी जब देश भर के ग्यारह समुदायों और अभिरुचि समूहों के समुदायों को लाइसेंस जारी किये गये। आयरलैंड के समुदाय रेडियो में प्रक्रिया (कार्यक्रम निर्माण में समुदायों द्वारा भागीदारी) और उत्पाद (कार्यक्रम निर्माण की आपूर्ति के जरिये समुदाय को सेवा प्रदान करना) दोनों को शामिल किया गया है। समुदाय की आवश्यकताओं द्वारा प्रक्रिया और उत्पाद का मिश्रण निर्धारित होता है और समुदाय द्वारा नियंत्रित एक प्रबंधन संरचना के माध्यम से इसे कार्यान्वित किया जाता है। आयरलैंड के स्टेशन भौगोलिक रूप और अभिरुचि या हित के समूह दोनों पर आधारित हैं। ब्रिटेन में, सामुदाय-आधारित सेवाओं के विचार के चिह्न कम से कम १९६० के दशक के आरंभ में बीबीसी (BBC) स्थानीय रेडियो की मूल अवधारणा के समय में पाए जा सकते हैं। इसके बाद भूमि-स्थित विभिन्न गैर-लाइसेंसी चोर रेडियो स्टेशनों (जैसे कि ईस्ट लंदन रेडियो और रेडियो एएमवाई: ऑल्टरनेटिव मीडिया फॉर यू) ने इस विचार को और विकसित किया। जैसे-जैसे ये चोर रेडियो १९७० के दशक के अंत में और १९८० के दशक के आरंभ में बड़ी तादाद में पैदा होने लगे, तब खासकर लंदन, बर्मिंघम, ब्रिस्टल और मैनचेस्टर जैसे शहरों में इन स्टेशनों के साथ अल्पसंख्यक आप्रवासी समुदायों (अफ्रीकी-कैरिबियाई और एशियाई आदि) के प्रसारण जुड़ने लगे.

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सारणी

वेब ब्राउजर में प्रदर्शित एक सारणी सारणी (table) आंकड़ों को पंक्ति (rows) तथा खाना (columns) में व्यवस्थित करने का एक साधन है। इसका उपयोग संचार, अनुसंधान तथा आंकड़ा-विश्लेषण में बहुतायत में होता है। सारणी प्रिंट मिडिया, हस्तलिखित नोट, कंप्युटर सॉफ्टवेयर, ट्रैफिक संकेतों, तथा अनेकानेक जगहों पर देखने को मिल जाती है। .

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सारणी (मप्र)

सारणी, मध्य प्रदेश के बेतुल जनपद का एक कस्बा (नगरपालिका) है। यह भोपाल के दक्षिण में लगभग २०० किमी और नागपुर के उत्तर में लगभग २२५ किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा ऊर्जा संयंत्र स्थित है जो मध्य प्रदेश में उत्पादित सम्पूर्ण विद्युत ऊर्जा का लगभग ७०% है। इसकी कुल क्षमता ११४२ मेगावाट है। एक ५०० मेगावाट का नया संयत्र भी बनना चालू हो गया है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के शहर.

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सारस (पक्षी)

सारस विश्व का सबसे विशाल उड़ने वाला पक्षी है। इस पक्षी को क्रौंच के नाम से भी जानते हैं। पूरे विश्व में भारतवर्ष में इस पक्षी की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है। सबसे बड़ा पक्षी होने के अतिरिक्त इस पक्षी की कुछ अन्य विशेषताएं इसे विशेष महत्व देती हैं। उत्तर प्रदेश के इस राजकीय पक्षी को मुख्यतः गंगा के मैदानी भागों और भारत के उत्तरी और उत्तर पूर्वी और इसी प्रकार के समान जलवायु वाले अन्य भागों में देखा जा सकता है। भारत में पाये जाने वाला सारस पक्षी यहां के स्थाई प्रवासी होते हैं और एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहना पसंद करते हैं। सारस पक्षी का अपना विशिष्ट सांस्कृतिक महत्व भी है। विश्व के प्रथम ग्रंथ रामायण की प्रथम कविता का श्रेय सारस पक्षी को जाता है। रामायण का आरंभ एक प्रणयरत सारस-युगल के वर्णन से होता है। प्रातःकाल की बेला में महर्षि वाल्मीकि इसके द्रष्टा हैं तभी एक आखेटक द्वारा इस जोड़े में से एक की हत्या कर दी जाती है। जोड़े का दूसरा पक्षी इसके वियोग में प्राण दे देता है। ऋषि उस आखेटक को श्राप देते हैं। अर्थात्, हे निषाद! तुझे निरंतर कभी शांति न मिले। तूने इस क्रौंच के जोड़े में से एक की जो काम से मोहित हो रहा था, बिना किसी अपराध के हत्या कर डाली। .

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सारंगपुर

सारंगपुर मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की एक नगरपालिका है। यह नगर काली सिन्ध नदी के तट पर बसा हुआ है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के नगर.

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सावित्री ठाकुर

सावित्री ठाकुर भारत की सोलहवीं लोक सभा की सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के धार से निर्वाचित हुईं। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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सागर पब्लिक स्कूल भोपाल

सागर पब्लिक स्कूल मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल नगर में स्थित एक विद्यालय है। यह सागर ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स द्वारा संचालित विद्यालयों की शृंखला में एक है। .

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सागर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

सागर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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सागर शहर

सागर, मध्य प्रदेश का एक महत्‍वपूर्ण शहर है। सागर का इतिहास सन् १६६० से आरंभ होता है, जब ऊदनशाह ने तालाब के किनारे स्थित वर्तमान किले के स्थान पर एक छोटे किले का निर्माण करवा कर उस के पास परकोटा नाम का गांव बसाया था। निहालशाह के वंशज ऊदनशाह द्वारा बसाया गया वही छोटा सा गांव आज सागर के नाम से जाना जाता है। परकोटा अब शहर के बीचों-बीच स्थित एक मोहल्ला है। वर्तमान किला और उसके अंदर एक बस्ती का निर्माण पेशवा के एक अधिकारी गोविंदराव पंडित ने कराया था। सन् १७३५ के बाद जब सागर पेशवा के आधिपत्य में आ गया, तब गोविंदराव पंडित सागर और आसपास के क्षेत्र का प्रभारी था। समझा जाता है कि इसका नाम ‘सागर’ उस विशाल सरोवर के कारण पड़ा, जिसके किनारे नगर स्थित है। सागर को प्र्धानमन्त्रि के स्मार्त सहर योजना मे शामिल किया गया है। .

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सागर संभाग

सागर संभाग एक प्रशासनिक भौगोलिक इकाई है मध्य प्रदेश राज्य मे । सागर के प्रशासनिक मुख्यालय है विभाजन.

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सागर ज़िला

सागर जिले में प्रमुख रूप से धसान, बेबस, बीना, बामनेर और सुनार नदियां निकलती हैं। इसके अलावा कड़ान, देहार, गधेरी व कुछ अन्य छोटी बरसाती नदियां भी हैं। अन्य प्राकृतिक संसाधनों के मामले में सागर जिले को समृद्ध नहीं कहा जा सकता लेकिन वास्तव में जो भी संसाधन उपलब्ध हैं, उनका बुद्धिमत्तापूर्ण दोहन बाकी है। कृषि उत्पादन में सागर जिले के कुछ क्षेत्रों की अच्छी पहचान हैं। खुरई तहसील में उन्नत किस्म के गेहूं का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है। अक्षांश - 23.10 से 24.27 उत्तर देशांतर - 78.5 से 79.21 पूर्व औसत वर्षा - 1252 मि.मी.

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सांथाल जनजाति

संथाल जनजाति झारखंड के ज्यादातर हिस्सों तथा पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम के कुछ जिलों में रहने वाली भारत की प्राचीनतम जनजातियों में से एक है। ये भारत के प्रमुख आदिवासी समूह है। इनका निवास स्थान मुख्यतः झारखंड प्रदेश है। झारखंड से बाहर ये बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, असम, में रहते है। संथाल प्रायः नाटे कद के होता है। इनकी नाक चौड़ी तथा चिपटी होती है। इनका संबंध प्रोटो आस्ट्रेलायड से है। संथालों के समाज में मुख्य व्यक्ति इनका मांझी होता है। मदिरापान तथा नृत्य इनके दैनिक जीवन का अंग है। अन्य आदिवासी समुहों की तरह इनमें भी जादू टोना प्रचलित है। संथालो की अन्य विषेशता इनके सुन्दर ढंग के मकान हैं जिनमें खिडकीयां नहीं होती हैं। संथाल मारांग बुरु की उपासना करतें हैं साथ ही ये सरना धर्म का पालन करते हैं। इनकी भाषा संथाली और लिपि ओल चिकी है। इनके बारह मूल गोत्र हैं; मरांडी, सोरेन, हासंदा, किस्कू, टुडू, मुर्मू, हेम्ब्रम, बेसरा, बास्की, चौड़े, बेदिया, एवं पौरिया। संताल समुदाय मुख्यतः बाहा, सोहराय, माग, ऐरोक, माक मोंड़े, जानथाड़, हरियाड़ सीम, आराक सीम, जातरा, पाता, बुरु मेरोम, गाडा पारोम तथा सकरात नामक पर्व / त्योहार मनाते हैं। इनके विवाह को 'बापला' कहा जता है। संताल समुदाय में कुल 23 प्रकार की विवाह प्रथायें है, जो निम्न प्रकार है - उनकी अद्वितीय विरासत की परंपरा और आश्चर्यजनक परिष्कृत जीवन शैली है। सबसे उल्लेखनीय हैं उनके लोकसंगीत, गीत और नृत्य हैं। संथाली भाषा व्यापक रूप से बोली जाती है। दान करने की संरचना प्रचुर मात्रा में है। उनकी स्वयं की मान्यता प्राप्त लिपि 'ओल-चिकी' है, जो संताल समुदाय के लिये अद्वितीय है। संथाल के सांस्कृतिक शोध दैनिक कार्य में परिलक्षित होते है- जैसे डिजाइन, निर्माण, रंग संयोजन और अपने घर की सफाई व्यवस्था में है। दीवारों पर आरेखण, चित्र और अपने आंगन की स्वच्छता कई आधुनिक शहरी घर के लिए शर्म की बात होगी। संथाल के सहज परिष्कार भी स्पष्ट रूप से उनके परिवार के पैटर्न -- पितृसत्तात्मक, पति पत्नी के साथ मजबूत संबंधों को दर्शाता है। विवाह अनुष्ठानों में पूरा समुदाय आनन्द के साथ भाग लेते हैं। लड़का और लड़की का जन्म आनंद का अवसर हैं। संथाल मृत्यु के शोक अन्त्येष्टि संस्कार को अति गंभीरता से मनाया जाता है। संताल समुदाय का धार्मिक विश्वासों और अभ्यास किसी भी अन्य समुदाय या धर्म से मेल नहीं खाता है। इनमें प्रमुख देवता हैं- 'सिंग बोंगा', 'मारांग बुरु' और 'जाहेर एरा, गोसांय एरा, मांझी बाबा - गोगो, आदि। पूजा अनुष्ठान में बलिदानों का इस्तेमाल किया जाता है। .

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साक्षरता दर के आधार पर भारत के राज्य

यह सूची भारत के राज्यों की साक्षरता दर के आधार पर है। यह सूची एन॰एफ॰एच॰एस-३ से संकलित की गई थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एन॰एफ॰एच॰एस-३) एक बड़े पैमाने का सर्वेक्षण है जो स्वास्थ्य और जन-कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नामित अंतर्राष्ट्रीय जन-संख्य विज्ञान संस्थान, मुम्बई द्वारा किया जाता है। एन॰एफ॰एच॰एस-३ ११ अक्टूबर २००७ को जारी किया गया था और पूरा सर्वेक्षण इस वेबसाइट पर देखा जा सकता है। .

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सिन्धु-गंगा के मैदान

सिन्धु-गंगा मैदान का योजनामूलक मानचित्र सिन्धु-गंगा का मैदान, जिसे उत्तरी मैदानी क्षेत्र तथा उत्तर भारतीय नदी क्षेत्र भी कहा जाता है, एक विशाल एवं उपजाऊ मैदानी इलाका है। इसमें उत्तरी तथा पूर्वी भारत का अधिकांश भाग, पाकिस्तान के सर्वाधिक आबादी वाले भू-भाग, दक्षिणी नेपाल के कुछ भू-भाग तथा लगभग पूरा बांग्लादेश शामिल है। इस क्षेत्र का यह नाम इसे सींचने वाली सिन्धु तथा गंगा नामक दो नदियों के नाम पर पड़ा है। खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी होने के कारण इस इलाके में जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है। 7,00,000 वर्ग किमी (2,70,000 वर्ग मील) जगह पर लगभग 1 अरब लोगों (या लगभग पूरी दुनिया की आबादी का 1/7वां हिस्सा) का घर होने के कारण यह मैदानी इलाका धरती की सर्वाधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है। सिन्धु-गंगा के मैदानों पर स्थित बड़े शहरों में अहमदाबाद, लुधियाना, अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, कोलकाता, ढाका, लाहौर, फैसलाबाद, रावलपिंडी, इस्लामाबाद, मुल्तान, हैदराबाद और कराची शामिल है। इस क्षेत्र में, यह परिभाषित करना कठिन है कि एक महानगर कहां शुरू होता है और कहां समाप्त होता है। सिन्धु-गंगा के मैदान के उत्तरी छोर पर अचानक उठने वाले हिमालय के पर्वत हैं, जो इसकी कई नदियों को जल प्रदान करते हैं तथा दो नदियों के मिलन के कारण पूरे क्षेत्र में इकट्ठी होने वाली उपजाऊ जलोढ़ मिटटी के स्रोत हैं। इस मैदानी इलाके के दक्षिणी छोर पर विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाएं तथा छोटा नागपुर का पठार स्थित है। पश्चिम में ईरानी पठार स्थित है। .

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सिपाही बहादुर सरकार

सिपाही बहादुर सरकार भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 6 अगस्त 1857 को मध्य प्रदेश की सीहोर छावनी में विद्रोह के बाद स्थानीय सिपाहियों द्वारा स्थापित अपनी स्वतंत्र सरकार का नाम था। मेरठ की क्रान्ति का असर मध्य भारत में भी आया और मालवा के सीहोर में अंग्रेज पॉलीटिकल ऐजेन्ट का मुख्यालय होने के कारण यहां के सिपाहियों ने भी विद्रोह कर दिया और इस छावनी को पूरी तरह अंग्रेजों से मुक्त करवा लिया। किंतु यह सरकार मात्र ६ महीने ही चली। झांसी की रानी के विद्रोह को कुचलने के लिए बर्बर कर्नल हिरोज को एक बड़े लाव लश्कर के साथ भेजा गया। इन्दौर में सैनिकों के विद्रोह को कुचलने के बाद कर्नल हिरोज 13 जनवरी 1858 को सीहोर पहुंचा और अगले दिन 14 जनवरी 1858 को 356 विद्रोही सिपाहियों को सीहोर की सीवन नदी के किनारे घेर कर गोलियों से छलनी कर दिया। क्रांतिकारियों के इस सामूहिक हत्याकाण्ड के बाद सीहोर छावनी पर पुनः अंग्रजों का आधिपत्य हो गया। इस बर्बर हत्याकांड के कारण इस स्थान को मालवा के जलियांवाला के रूप में जाना जाता है। .

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सिमी

सिमी (SIMI) या स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया भारत में प्रतिबंधित एक संगठन है। इसका गठन 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ है। इसके अनुसार इनका ध्येय 'पश्चिमी भौतिकवादी सांस्कृतिक प्रभाव को एक इस्लामिक समाज में रूपांतरित करना है'। कई लोगों और भारत सरकार की मान्यता है कि सिमी आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। सिमी भारत में आतंकवादी गतिविधियों में अपनी भागीदारी के लिए 2002 में भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था। हालांकि, अगस्त 2008 में, एक विशेष न्यायाधिकरण में सिमी पर प्रतिबंध हटा लिया। ये प्रतिबंध बाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 6 अगस्त 2008 को बहाल किया गया। सिमी को अनलॉफुल ऐक्टिविटीज प्रिवेंशन ऐक्ट 1967 (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया गया था। सिमी 2019 तक प्रतिबंधित है। इस संगठन की उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में मजबूत उपस्थिति है। कई जानकारों का मानना है कि प्रतिबंध लगने के बाद सिमी इंडियन मुजाहिदीन नाम से भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है। - नवभारत टाइम्स - 31 अक्टूबर 2016 .

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सिरमौर

सिरमौर मध्य प्रदेश के रीवा जिला में एक तहसील है। श्रेणी:रीवा जिला श्रेणी:मध्य प्रदेश की तहसीलें.

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सिरवेल महादेव

सिरवेल महादेव मध्य प्रदेश के खारगोन जिला में स्थित एक स्थान है। खरगोन से 55 कि॰मी॰ दूर इस स्थान के बारे मे मान्यता है कि रावण ने महादेव शिव को अपने दसों सर यहीं अर्पण किये थे। इसीलिये यह नाम पड़ा है। यह स्थान महाराष्ट्र की सीमा से बहुत ही पास है। महाशिवरात्रि पर म.प्र.

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सिरोंज

यह स्थान विदिशा से ५० मील की दूरी पर एक तहसील है। मध्यकाल में इस स्थान का विशेष महत्व था। कई इमारतें व उनसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाएँ इस बात का प्रमाण है। सिरोंज के दक्षिण में स्थित पहाड़ी पर एक प्राचीन मंदिर है। इसे उषा का मंदिर कहा जाता है। इसी नाम के कारण कुछ लोग इसे बाणासुर की राजधानी श्रोणित नगर के नाम से जानते थे। संभवतः यही शब्द बिगड़कर कालांतर में "सिरोंज' हो गया। नगर के बीच में पहले एक बड़ी हवेली हुआ करती थी, जो अब ध्वस्त हो चुकी है, इसे रावजी की हवेली के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण संभवतः मराठा- अधिपत्य के बाद ही हुआ होगा। ऐसी मान्यता है कि यह मल्हाराव होल्कर के प्रतिनिधि का आवास था। सिरोंज के दक्षिण में स्थित पहाड़ी पर काले पत्थरों के ऐसे सहस्रों उद्गम है, जो जलहरी सहित शिवलिंग की भाँति दिखाई देते हैं। ऐसा संभवतः भुकंप के कारण हुआ है। आल्हखण्ड के रचयिता जगनक भाट भी इसी स्थान से जुड़े हैं। वैसे तो उनसे संबद्ध निश्चित स्थान का पता नहीं है, परंतु यह स्थान बाजार में स्थित एक प्राचीन मंदिर के आस- पास ही कहीं होने की संभावना है, जहाँ राजमहलों के होने का भी अनुमान है। सिरोंज कभी राजस्थान के कोटा जिला के एक शहर(तहसील) हुआ करती थी इसके बाद इसे मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में जगह मिली फिलहार सिरोंज विदिशा जिले की एक तहसील हैं। .

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सिलीमैनाइट

ओडिशा से प्राप्त सिलीमैनाइट सिलीमैनाइट (Sillimanite) एक अलुमिनो-सिलिकेट खनिज है जिसका रासायनिक सूत्र Al2SiO5 है। इसका नाम अमेरिका के रसायनशास्त्री बेंजामिन सिलीमैन (1779–1864) के नाम पर पड़ा है। यह खनिज संसार में अनेक स्थानों पर मिलता है किंतु कुछ ही स्थानों पर आर्थिक दृष्टि से इसका खनन लाभदायक है। आर्थिक दृष्टि से उपयोगी सिलीमैनाइट के निक्षेप केवल भारत में ही विद्यमान हैं। भारत में सिलीमैनाइट सोना पहाड़, जो असम की खासी पहाड़ियों में है, तथा सीधी जिले में पिपरा नामक स्थान पर प्राप्त होता है। कुछ निक्षेप केरल प्रदेश में बालूतट रेत के रूप में भी मिलते हैं। अभी तक सोना पहाड़ और पिपरा के निक्षेपों पर ही खनन कार्य किया गया है। .

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सिवनी

सिवनी (अंग्रेजी:Seoni) भारत के मध्य प्रदेश का एक जिला है। सिवनी जबलपुर संभाग के अन्तर्गत आता हैँ राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 7 इस जिले से होकर जाता हैँ।यह के पडोसी जिले उत्तर दिश की ओर जबलपुर,मंडला, नरसिँहपुर जिले है पूर्व दिशा कि ओर बालाघाट पश्चिम दिश की ओर छिँदवाडा और दक्षिण दिशा कि ओर नागपुर हैँ। जिले की 8 तहसील में बांटा गया है, जिसमे सिवनी, लखनादौन, केवलारी, घंसौर, छपारा, बरघाट,कुरई और धनौरा है जिले के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। यह जनजातीय बाहुल है! छ्पारा गोंड राजा राम सिंह की गड़ी है .

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सिंद

सिन्द भारत के मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में बहने वाली एक नदी है। इसकी लंबाई ३५० किमी है। मध्य प्रदेश में यह उत्तर पूर्व दिशा में बहती है और जगमानपुर के पास उत्तर प्रदेश में प्रविष्ट होती है और यहाँ से १५ किमी उत्तर में यह यमुना नदी से मिल जाती है। यह विदिशा जिले के नैनवाकस ग्राम में स्थित ताल से निकलती है जो समुद्र दल से १,७८० फुट की ऊँचाई पर स्थित है। पार्वती, नन एवं माहूर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। इस नदी में पूरे वर्ष जल रहता है। वर्षा ऋतु में इसमें भयंकर बाढ़ आती है। चट्टानी किनारों के कारण यह नदी सिंचाई के उपयुक्त नहीं है। .

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सिंधिया

सिंधिया भारत में एक शाही मराठा वंश है। इस वंश मे ग्वालियर राज्य के १८वीं और १९वीं शताब्दी में शासक शामिल है। .

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सिंह (पशु)

सिंह (पेन्थेरा लियो) पेन्थेरा वंश की चार बड़ी बिल्लियों में से एक है और फेलिडे परिवार का सदस्य है। यह बाघ के बाद दूसरी सबसे बड़ी सजीव बिल्ली है, जिसके कुछ नरों का वजन २५० किलोग्राम से अधिक होता है। जंगली सिंह वर्तमान में उप सहारा अफ्रीका और एशिया में पाए जाते हैं। इसकी तेजी से विलुप्त होती बची खुची जनसंख्या उत्तर पश्चिमी भारत में पाई जाती है, ये ऐतिहासिक समय में उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और पश्चिमी एशिया से गायब हो गए थे। प्लेइस्तोसेन के अंतिम समय तक, जो लगभग १०,००० वर्ष् पहले था, सिंह मानव के बाद सबसे अधिक व्यापक रूप से फैला हुआ बड़ा स्तनधारी, भूमि पर रहने वाला जानवर था। वे अफ्रीका के अधिकांश भाग में, पश्चिमी यूरोप से भारत तक अधिकांश यूरेशिया में और युकोन से पेरू तक अमेरिका में पाए जाते थे। सिंह जंगल में १०-१४ वर्ष तक रहते हैं, जबकि वे कैद मे २० वर्ष से भी अधिक जीवित रह सकते हैं। जंगल में, नर कभी-कभी ही दस वर्ष से अधिक जीवित रह पाते हैं, क्योंकि प्रतिद्वंद्वियों के साथ झगड़े में अक्सर उन्हें चोट पहुंचती है। वे आम तौर पर सवाना और चारागाह में रहते हैं, हालांकि वे झाड़ी या जंगल में भी रह सकते हैं। अन्य बिल्लियों की तुलना में सिंह आम तौर पर सामाजिक नहीं होते हैं। सिंहों के एक समूह जिसे अंग्रेजी मे प्राइड कहॉ जाता में सम्बन्धी मादाएं, बच्चे और छोटी संख्या में नर होते हैं। मादा सिंहों का समूह प्रारूपिक रूप से एक साथ शिकार करता है, जो अधिकांशतया बड़े अनग्युलेट पर शिकार करते हैं। सिंह शीर्ष का और कीस्टोन शिकारी है, हालांकि वे अवसर लगने पर मृतजीवी की तरह भी भोजन प्राप्त कर सकते हैं। सिंह आमतौर पर चयनात्मक रूप से मानव का शिकार नहीं करते हैं, फिर भी कुछ सिंहों को नर-भक्षी बनते हुए देखा गया है, जो मानव शिकार का भक्षण करना चाहते हैं। सिंह एक संवेदनशील प्रजाति है, इसकी अफ्रीकी रेंज में पिछले दो दशकों में इसकी आबादी में संभवतः ३० से ५० प्रतिशत की अपरिवर्तनीय गिरावट देखी गयी है। ^ डाटाबेस प्रवेश में एस बात का एक लंबा औचित्य सम्मिलित है कि यह प्रजाति संवेदनशील क्यों है। क्यों इस प्रजाति की दुर्दशा का एक भी सम्मिलित है सिंहों की संख्या नामित सरंक्षित क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों के बहार अस्थिर है। हालांकि इस गिरावट का कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है, आवास की क्षति और मानव के साथ संघर्ष इसके सबसे बड़े कारण हैं। सिंहों को रोमन युग से पिंजरे में रखा जाता रहा है, यह एक मुख्य प्रजाति रही है जिसे अठारहवीं शताब्दी के अंत से पूरी दुनिया में चिडिया घर में प्रदर्शन के लिए रखा जाता रहा है। खतरे में आ गयी एशियाई उप प्रजातियों के लिए पूरी दुनिया के चिड़ियाघर प्रजनन कार्यक्रमों में सहयोग कर रहे हैं। दृश्य रूप से, एक नर सिंह अति विशिष्ट होता है और सरलता से अपने अयाल (गले पर बाल) द्वारा पहचाना जा सकता है। सिंह, विशेष रूप से नर सिंह का चेहरा, मानव संस्कृति में सबसे व्यापक ज्ञात जंतु प्रतीकों में से एक है। उच्च पाषाण काल की अवधि से ही इसके वर्णन मिलते हैं, जिनमें लॉसकाक्स और चौवेत गुफाओं की व नक्काशियां और चित्रकारियां सम्मिलित हैं, सभी प्राचीन और मध्य युगीन संस्कृतियों में इनके प्रमाण मिलते हैं, जहां ये ऐतिहासिक रूप से पाए गए। राष्ट्रीय ध्वजों पर, समकालीन फिल्मों और साहित्य में चित्रकला में, मूर्तिकला में और साहित्य में इसका व्यापक वर्णन पाया जाता है। .

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सिंगरौली

सिंगरौली, भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक कस्बा है और सिंगरौली जनपद का मुख्यालय भी है। सिंगरौली मध्य प्रदेश की ऊर्जा राजधानी,singrauli me 3 power plant hain,relance,NTPC,hindalko .

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सिंगरौली ज़िला

सिंगरौली भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। .

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सज्जन सिंह वर्मा

सज्जन सिंह वर्मा 15 वीं लोकसभा के एक सदस्य है । वह देवास निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधित्वINC (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) के नेता है । देवास निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित किया गया था अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए.

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संतोष कुमार मुखर्जी

संतोष कुमार मुखर्जी को चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन १९७१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये मध्य प्रदेश राज्य से हैं। श्रेणी:१९७१ पद्म भूषण.

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संध्या अग्रवाल

संध्या अग्रवाल (Sandhya Agarwal) (जन्म;०९ मई १९६३) एक पूर्व भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी है जो कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान भी रह चुकी है। इनका जन्म भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में १९६३ में हुआ था। संध्या ने भारतीय महिला टीम के लिए १९८४ से १९९५ तक कुल तेरह टेस्ट मैच खेले जिसमें इन्होंने कुल १११० रन बनाए जबकि इन्होंने भारतीय टीम के लिए २१ एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच भी खेले थे जिसमें ३१.५० औसत से ५६७ रन बनाए थे। .

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संयुक्त समाजवादी दल (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)

मई 1964 ई. में प्रजा समाजवादी दल (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी) तथा समाजवादी दल (सोशलिस्ट पार्टी) के रामगढ़ और गया अधिवेशनों में विलयन का निश्चय किया गया और 6 जून 1964 ई. को दिल्ली में दोनों दलों की संयुक्त बैठक में विलयन की पुष्टि की गई। इस प्रकार संयुक्त समाजवादी दल दोनों के एकीकरण से बना। इस दल का स्थापनाधिवेशन 29 जनवरी 1965 ई. को वाराणसी में हुआ। इस अधिवेशन के पूर्व 26 जनवरी को संसोपा की राष्ट्रीय समिति की बैठक सारनाथ (वाराणसी) में हुई। इस बैठक की अध्यक्षता दल के अध्यक्ष श्री एस.

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संसद भवन

संसद भवन में भारत की संसदीय कार्यवाही होती है। संसद की इमारतों में संसद भवन, संसदीय सौध, स्‍वागत कार्यालय और निर्माणाधीन संसदीय ज्ञानपीठ अथवा संसद ग्रंथालय सम्‍मिलित हैं। इन सभी को मिलाकर 'संसद परिसर' कहा जाता है। इसमें लंबे-चौड़े लान, जलाशय, फव्‍वारे और सड़कें बनी हुई हैं। यह सारा परिसर सजावटी लाल पत्‍थर की दीवारों तथा लोहे के जंगलों और लोहे के ही विशाल दरवाजों से घिरा हुआ है। .

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संस्थागत प्रसव के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

इस सूची में भारत के राज्य प्रतिशत में अस्पताल में जन्में शिशुओं के आधार पर है। इस सूची के आँकड़े राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 से लिए गए हैं। श्रेणी:भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से संबंधित सूचियाँ.

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संजय राष्ट्रीय उद्यान

संजय राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य में सीधी जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। इस उद्यान का विस्तार ४६६.६५७ वर्ग कि॰मी॰ का है और यह संजय-डुबरी टाइगर रिज़र्व के अंतर्गत पड़ता है। .

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संजय गांधी थर्मल पावर स्टेशन

संजय गांधी थर्मल पावर प्लांट दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) के बिलासपुर - कटनी अनुभाग के बिरसिंहपुर रेलवे स्टेशन पर स्थित है। जो मध्य प्रदेश, भारत के उमरिया जिले का हिस्सा है। .

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सुधासागर

सुधासागर आचार्य विद्यासागर से दीक्षित एक दिगंबर साधु है। .

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सुधीर गुप्ता

सुधीर गुप्ता भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के मंदसौर से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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सुधीर असनानी

सुधीर असनानी (Sudhir Asanani) (जन्म;०७ दिसम्बर १९६० भोपाल,मध्य प्रदेश,भारत) एक भारतीय क्रिकेट अम्पायर है जो एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट,टेस्ट क्रिकेट और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कप्तानी करते हैं। .

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सुन्दर लाल (बहुविकल्पी)

कोई विवरण नहीं।

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सुभाष पटेल

सुभाष पटेल भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के खरगोन से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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सुभाष यादव

सुभाष यादव (1945 – 26 जून 2013) एक भारतीय राजनेता थे । वह मध्य प्रदेश के  कसरावद से विधायक (1993 से 2008) थे.

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सुमित्रा महाजन

सुमित्रा महाजन (जन्म: १२ अप्रैल १९४३) भारतीय राजनेत्री हैं। वर्तमान में वे भारत के लोकसभा की अध्यक्ष हैं। वे इस पद पर आसीन होने वाली भारत की दूसरी महिला हैं। वे भारत के इन्दौर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की सोलहवीं लोक सभा में सांसद हैं। वे इंदौर से लगातार वर्ष १९८९,१९९१, १९९६, १९९८, १९९९, २००४, २००९ और अब २०१४ में आठवीं बार सांसद बनी हैं। इन्दौर में वे 'सुमित्रा ताई' (सुमित्रा दीदी) के नाम से प्रसिद्ध हैं। .

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सुरेन्द्र सिंह बघेल

सुरेन्द्र सिंह बघेल (जन्म 17 मार्च, 1977) एक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता से कुक्षी निर्वाचन क्षेत्र के मध्य प्रदेश.

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सुल्तान गढ़ जलप्रपात

सुल्तान गढ़ जलप्रपात मध्य प्रदेश में स्थित एक जलप्रपात है। श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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सुषमा स्वराज

सुषमा स्वराज (जन्म: १४ फरवरी १९५२) एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ और भारत की विदेश मंत्री हैं। वे वर्ष २००९ में भारत की भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में विपक्ष की नेता चुनी गयी थीं, इस नाते वे भारत की पन्द्रहवीं लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता रही हैं। इसके पहले भी वे केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में रह चुकी हैं तथा दिल्ली की मुख्यमन्त्री भी रही हैं। वे सन २००९ के लोकसभा चुनावों के लिये भाजपा के १९ सदस्यीय चुनाव-प्रचार-समिति की अध्यक्ष भी रहीं थीं। अम्बाला छावनी में जन्मी सुषमा स्वराज ने एस॰डी॰ कालेज अम्बाला छावनी से बी॰ए॰ तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं। वर्ष २०१४ में उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जबकि इसके पहले इंदिरा गांधी दो बार कार्यवाहक विदेश मंत्री रह चुकी हैं। कैबिनेट में उन्हे शामिल करके उनके कद और काबिलियत को स्वीकारा। वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है। .

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सुविधाधिकार (आंग्ल विधि)

आंग्ल विधि के सन्दर्भ में सुविधाधिकार (Easements) का अर्थ है - 'एक व्यक्ति का दूसरे की भूमि पर अधिकार'। .

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सुंदरलाल पटवा

सुन्दरलाल पटवा (११ नवम्बर १९२४ - २८ दिसम्बर २०१६) एक भारतीय राजनेता थे। वे दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे। .

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स्थापित ऊर्जा उत्पादन क्षमता के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र

भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की यह सूची स्थापित ऊर्जा उत्पादन क्षमता के आधार पर है जो ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आँकड़ों (३ अप्रैल २००६) के अनुसार है। सभी आँकड़े मेगावॉट (१० लाख वॉट) में हैं। नोट: निजी उत्पादको द्वारा संचालित संयंत्र उपयोगिता में पंजीकृत नहीं हैं इसलिए उनके द्वारा उत्पादित ऊर्जा इसमें सम्मिलित नहीं कि गई है। .

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स्वच्छ भारत अभियान

स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा आरंभ किया गया राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसका उद्देश्य गलियों, सड़कों तथा अधोसंरचना को साफ-सुथरा करना है। यह अभियान महात्मा गाँधी के जन्मदिवस 02 अक्टूबर 2014 को आरंभ किया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी से मुक्त कराया, परन्तु 'स्वच्छ भारत' का उनका सपना पूरा नहीं हुआ। महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। स्वच्छ भारत का उद्देश्य व्यक्ति, क्लस्टर और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से खुले में शौच की समस्या को कम करना या समाप्त करना है। स्वच्छ भारत मिशन लैट्रिन उपयोग की निगरानी के जवाबदेह तंत्र को स्थापित करने की भी एक पहल करेगा। सरकार ने 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी के जन्म की 150 वीं वर्षगांठ तक ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत (यूएस $ 30 बिलियन) के 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौंच मुक्त भारत (ओडीएफ) को हासिल करने का लक्ष्य रखा है। .

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स्वतन्त्रता के बाद भारत का संक्षिप्त इतिहास

कोई विवरण नहीं।

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स्वतंत्र पार्टी

स्वतंत्र पार्टी का ध्वज स्वतंत्र पार्टी, भारत का एक राजनैतिक दल था जिसकी स्थापना चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने अगस्त, १९५९ में की थी। इस दल ने जवाहरलाल नेहरू की समाजवादी नीति का विरोध किया और तथाकथित "लाइसेंस-परमिट राज" को समाप्त कर मुक्त अर्थव्यवस्था की वकालत की। भारत की उस समय की स्थिति ऐसी थी कि दुर्भाग्य से इसे जमींदारों और उद्योगपतियों की हितैषी पार्टी माना गया। स्वतंत्र पार्टी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में अच्छी सफलता प्राप्त की थी लेकिन पीलू मोदी की अध्यक्षता वाली इस पार्टी के भारतीय लोकदल में विलय के साथ इसका अस्तित्व खत्म हो गया। .

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स्वदेश (हिन्दी समाचारपत्र)

स्वदेश राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत हिन्दी का दैनिक समाचार पत्र है। यह इन्दौर, ग्वालियर, भोपाल सहित कई नगरों से प्रकाशित होता है। ग्वालियर से प्रकाशन शुरू करने वाले 'दैनिक स्वदेश' छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर; मध्य प्रदेश के इन्दौर, भोपाल, सागर, जबलपुर, सतना; महाराष्ट्र के नागपुर संस्करण अभी प्रकाशित हो रहे हैं। अखबार को गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से शुभारम्भ करने की सभी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गयी हैं। .

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स्वयं प्रकाश

स्वयं प्रकाश (Swayam Prakash) हिन्दी साहित्यकार हैं। वे मुख्यतः हिन्दी कहानीकार के रूप में विख्यात हैं। कहानी के अतिरिक्त उन्होंने उपन्यास तथा अन्य विधाओं को भी अपनी लेखनी से समृद्ध किया है। वे हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में साठोत्तरी पीढ़ी के जनवादी लेखन से सम्बद्ध रहे हैं। आजीविका के लिए मेकेनिकल इंजीनियरिंग, शिक्षा से एम.ए. (हिन्दी,1977) तथा पीएच.डी.(1980) एवं कथा-लेखन की एक लम्बी समर्पित पारी से सम्बद्ध स्वयं प्रकाश का जीवनानुभव बहुआयामी रहा है। .

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स्वरूपानंद सरस्वती

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज (जन्म: २ सितम्बर १९२४) एक हिन्दू अध्यात्मिक गुरु, स्वतन्त्रता सेनानी हैं। इस्कॉन के विरुद्ध निराधार आरोपों का खंडन 2 अगस्त 2016 · सार्वजनिक गलत बयानों पर इस्कॉन की प्रतिक्रिया हाल ही में इलाहबाद के माघ मेले के इस्कॉन के विरुद्ध कुछ द्वेषपूर्ण और उसकी छवि को क्षति पहुँचाने वाले बयान दिए। कहना है कि इस्कॉन अवैध धन और चयनात्मक प्रचार के गतिविधियों में लिप्त है और पूर्वोत्तर भारत के आदिवासीय क्षेत्रों की उपेक्षा करता है। सर्वप्रथम, इस्कॉन स्पष्टरूप से इस झूठे, भ्रामक और गलत दोषारोपण का खंडन करता है। इस्कॉन, इतने बड़े पैमाने पर आध्यात्मिक कल्याण के लिए विश्वभर में भारत और भारतीय संस्कृति को प्रचारित करने में सफल हुआ है और यह आरोप बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं। गत ४५ वर्षों से भारत में सेवारत इस्कॉन अपने विशाल एवं भव्य मंदिरों के कारण सुविख्यात है। हम सामान्य-जन को यह सूचित करना चाहते हैं कि ६०० मंदिर और लाखों अनुयायी भक्त वाला इस्कॉन, भारत में सबसे अधिक प्रख्यात धार्मिक संस्था है जिसने किसी जाति, वर्ण, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा या समुदाय के पक्षपात के बिना कृष्ण-भक्ति को सम्पूर्ण विश्व में प्रचारित किया है। साथ ही साथ गत ५० वर्षों से इस्कॉन संस्था ने साधुओं एवं अन्य हिन्दू पंथों के साथ सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध बनाये रखा है। उदाहरण के लिए, सन १९७१ से हर कुम्भ मेले में इस्कॉन के शिविर में साधुओं और तीर्थयात्रियों के लिए निशुल्क भोजन और सत्संग का आयोजन किया जाता है। हर इस्कॉन मंदिर को पूर्ण स्वायत्ता प्राप्त है और अपने स्थानीय प्रचार हेतु अपनी क्षमता के अनुसार धन जुटाते हैं। यही कारण है कि एक देश से दूसरे देश में धन हस्तांतरित करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। वास्तव में, हमारी समूची संस्था, मायापुर (पश्चिम बंगाल), जहाँ श्रीमन चैतन्य महाप्रभु का जन्मस्थान है, वहां पर वैदिक तारामंडल का मंदिर (Temple of the Vedic Planetarium) बनवाने के लिए ५०० करोड़ रुपए एकत्रित कर रही है। मंदिर के ढांचे का निर्माणकार्य संपन्न हो चूका है। फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक श्री हेनरी फोर्ड के प्रपौत्र और इस्कॉन के संस्थापकाचार्य ए सी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के शिष्य, अल्फ्रेड बी फोर्ड (अम्बरीश दास) ने करोड़ों रुपए के अपने उत्तराधिकार को इस विशाल एवं भव्य मंदिर के निर्माण हेतु दान कर दिया है। बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के अंतर्गत इस्कॉन एक पंजीकृत धर्मार्थ संस्था है। भारत सरकार के आयकर विभाग द्वारा आयकर अधिनियम की धारा १२ए के अंतर्गत इस्कॉन को छूट प्राप्त है और दानकर्ताओं को धारा ८०जी के लाभ प्राप्त हैं। आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कोई भी दान स्वीकार करने वाली गैर-सरकारी संस्था को वह धन भारत के अंदर ही धर्मार्थ प्रयोजनों हेतु ही व्यय करने की अनुमति है। इस्कॉन के बही-खाते प्रति वर्ष आयकर विभाग के अधिकारीयों द्वारा बारीकी से जाँचे जाते हैं। इस्कॉन का वार्षिक लेखा-परीक्षण (ऑडिट) मुंबई के चैरिटी आयुक्त के समक्ष भी दायर किया जाता है एवं आकलन अधिकारी हर विवरण की पुष्टि करके यह सुनिश्चित करते हैं कि हम आयकर विभाग के अधिनियमों का अक्षरशः पालन करें। इस्कॉन भारतीय संस्कृति के एक राजदूत के समान विश्वभर में प्रशंशित है। हम कीर्तन, शाकाहारी भोजन पकाने की प्रक्रिया, प्रसाद, वैदिक विषयों पर पुस्तकों और जन्माष्टमी, रामनवमी एवं दिवाली आदि जैसे हिन्दू पर्वों को सम्पूर्ण विश्व के साथ साझा करने के लिए जाने जाते हैं। इस्कॉन ने भगवद-गीता, श्रीमद् भागवत-पुराण, ईशोपनिषद जैसे पवित्र ग्रंथों का ८१ से अधिक भाषाओँ में अनुवाद करके सम्पूर्ण विश्व में उनका प्रचार किया है। आज इस्कॉन के कारण वृन्दावन, तिरुपति और जगन्नाथ पुरी जैसे पवित्र तीर्थ स्थानों पर भारी मात्रा में विदेशी भक्त भारतीय संस्कृति का अनुभव करने आते हैं। इस्कॉन के अन्य उल्लेखनीय सामाजिक योगदान भी हैं: • हरे कृष्ण "फूड फॉर लाइफ" (जीवन के लिए भोजन) कार्यक्रम विश्व का सबसे बड़ा शाकाहारी खाद्यान्न वितरित करने का उपक्रम है। भारत में हुयी कई प्राकृतिक विपदाओं जैसे ओड़िशा का चक्रवात, कश्मीर और तमिलनाडु में आई बाढ़ में इस्कॉन के इस उपक्रम ने लोगों तक सबसे पहले खाद्यान्न पहुँचाने का कार्य किया था। • इस्कॉन के अनुयायी अपने एक सम्बद्ध उपक्रम "अन्नामृत" के तहत प्रतिदिन १३ लाख से अधिक सरकारी स्कूल के बच्चों को कुपोषण एवं निरक्षरत .

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सौन्हर

सौन्हर का तालाब सौन्हर, भारत के मध्यप्रान्त मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले की तहसील नरवर के अन्तर्गत आने वाला एक प्रसिद्ध गाँव है। यह गाँव आसपास के क्षेत्र में बहुचर्चित और प्रसिद्ध है। सौन्हर तालाब का एक दृश्य। फोटोः पवन सिंह बैश .

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सैफ़ई

सैफ़ई (अंग्रेजी: Saifai), उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित एक कस्बा है। यह इटावा जिले की एक तहसील और विकास खंड भी है। यह मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष, निवर्तमान रक्षा मंत्री और निवर्तमान मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश का जन्मस्थान भी है। .

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सूरजकुण्ड हस्तशिल्प मेला

उत्तराखंड राज के थीम पर बना बद्रीनाथ मंदिर की तरह का मेले का प्रवेशद्वार सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला, भारत की एवं शिल्पियों की हस्तकला का १५ दिन चलने वाला मेला लोगों को ग्रामीण माहौल और ग्रामीण संस्कृति का परिचय देता है। यह मेला हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर के दिल्ली के निकटवर्ती सीमा से लगे सूरजकुंड क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगता है। यह मेला लगभग ढाई दशक से आयोजित होता आ रहा है। वर्तमान में इस मेले में हस्तशिल्पी और हथकरघा कारीगरों के अलावा विविध अंचलों की वस्त्र परंपरा, लोक कला, लोक व्यंजनों के अतिरिक्त लोक संगीत और लोक नृत्यों का भी संगम होता है।। हिन्दुस्तान लाइव। २८ जनवरी २०१० इस मेले में हर वर्ष किसी एक राज्य को थीम बना कर उसकी कला, संस्कृति, सामाजिक परिवेश और परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है। वर्ष २०१० में राजस्थान थीम राज्य है। इसे दूसरी बार यह गौरव प्राप्त हुआ है। मेले में लगे स्टॉल हर क्षेत्र की कला से परिचित कराते हैं। सार्क देशों एवं थाईलैंड, तजाकिस्तान और मिस्र के कलाशिल्पी भी यहां आते हैं। पश्चिम बंगाल और असम के बांस और बेंत की वस्तुएं, पूर्वोत्तर राज्यों के वस्त्र, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से लोहे व अन्य धातु की वस्तुएं, उड़ीसा एवं तमिलनाडु के अनोखे हस्तशिल्प, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब और कश्मीर के आकर्षक परिधान और शिल्प, सिक्किम की थंका चित्रकला, मुरादाबाद के पीतल के बर्तन और शो पीस, दक्षिण भारत के रोजवुड और चंदन की लकड़ी के हस्तशिल्प भी यहां प्रदर्शित हैं। यहां अनेक राज्यों के खास व्यंजनों के साथ ही विदेशी खानपान का स्वाद भी मिलता है। मेला परिसर में चौपाल और नाट्यशाला नामक खुले मंच पर सारे दिन विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी अनूठी प्रस्तुतियों से समा बांधते हैं। शाम के समय विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। दर्शक भगोरिया डांस, बीन डांस, बिहू, भांगड़ा, चरकुला डांस, कालबेलिया नृत्य, पंथी नृत्य, संबलपुरी नृत्य और सिद्घी गोमा नृत्य आदि का आनंद लेते हैं। विदेशों की सांस्कृतिक मंडलियां भी प्रस्तुति देती हैं। .

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सूर्य नारायण व्यास

पण्डित सूर्यनारायण व्यास (०२ मार्च १९०२ - २२ जून १९७६) हिन्दी के व्यंग्यकार, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी एवं ज्योतिर्विद थे। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९५८ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। पं॰ व्यास ने 1967 में अंग्रेजी को अनन्त काल तक जारी रखने के विधेयक के विरोध में अपना पद्मभूषण लौटा दिया था। वे बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे - वे इतिहासकार, पुरातत्त्ववेत्ता, क्रान्तिकारी, "विक्रम" पत्र के सम्पादक, संस्मरण लेखक, निबन्धकार, व्यंग्यकार, कवि; विक्रम विश्वविद्यालय, विक्रम कीर्ति मन्दिर, सिन्धिया शोध प्रतिष्ठान और कालिदास परिषद के संस्थापक, अखिल भारतीय कालिदास समारोह के जनक तथा ज्योतिष एवं खगोल के अपने युग के सर्वोच्च विद्वान थे। वे महर्षि सान्दीपनी की परम्परा के वाहक थे। खगोल और ज्योतिष के अपने समय के इस असाधारण व्यक्तित्व का सम्मान लोकमान्य तिलक एवं पं॰ मदनमोहन मालवीय भी करते थे। पं॰ नारायणजी के देश और विदेश में लगभग सात हजार से अधिक शिष्य फैले हुए थे जिन्हें वे वस्त्र, भोजन और आवास देकर निःशुल्क विद्या अध्ययन करवाते थे। अनेक इतिहासकारों ने यह भी खोज निकाला है कि पं॰ व्यास के उस गुरुकुल में स्वतन्त्रता संग्राम के अनेक क्रान्तिकारी वेश बदलकर रहते थे। .

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सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है। भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है। .

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सूआ

सूआ मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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सेमरिया

सेमरिया भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के रीवा जिले की एक नगर पंचायत एवं विधानसभा क्षेत्र है। .

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सेमलिया

सेमलिया नामली (जिला रतलाम) के पास मौजूद मध्यप्रदेश, भारत का एक छोटा गाँव है। यह गाँव नामली से 4 कि॰मी॰ दूर है। सेमलिया मालवा के 5 सबसे प्राचीन तीर्थो (पंचतीर्थ) में से एक है जिनमे शामिल है सेमलिया, भोपावर, मक्सी, मांडव और वई पार्श्वनाथ। यहाँ १६वें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा है। .

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सेहरावत

सेहरावत अथवा शेरावत एक जाट गोत्र है। इस गोत्र के लोग राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र में निवास करते हैं। .

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सेवा का अधिकार

आम जनता का यह अधिकार कि वह कुछ सार्वजनिक सेवाओ को तय समयावधि में पाने का हक रखती है - 'सेवा का अधिकार' कहलाता है। इसके तहत तय समयसीमा में काम का निबटारा करना सम्बंधित अधिकारियों की बाध्यता होती है। समयसीमा के अंदर सेवा नहीं उपलब्ध करानेवाले अधिकारियों के लिए दंड का प्रावधान किया जाता है। भारत में मध्य प्रदेश राज्य ने लोक सेवा गारंटी अधिनियम २०१० (म प्र) के द्वारा सबसे पहले यह कानून लागू किया। अब बिहार, पंजाब, झारखण्ड उत्तराखंड में भी यह नियम लागू है। दिल्ली और केरल सरकारें यह नियम लागू करने जा रही हैं। .

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सेंधवा

सेन्धवा, मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले का एक नगर है। यह सेन्धवा तहसील का मुख्यालय भी है। 'सेन्धवा' शब्द, 'सेन्धव' से आया है जो होलकरों के समय यहाँ के शासक हुआ करते थे। .

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से॰रा॰ यात्री

से.रा.यात्री (मूल नाम: सेवा राम यात्री, जन्म 10 जुलाई 1932) एक भारतीय लेखक, कथाकार, व्यंग्यकार और उपन्यासकार हैं। 1971 ई. में 'दूसरे चेहरे' नामक कथा संग्रह से शुरू हुई उनकी साहित्यिक यात्रा अनवरत जारी है। तकरीबन चार दशकों के अपने लेखकीय यात्रा में उन्होंने 18 कथा संग्रह, 33 उपन्यास, 2 व्यंग्य संग्रह, 1 संस्मरण तथा 1 संपादित कथा संग्रह हिंदी जगत के पाठकों को दी है। हाल ही में उत्‍तर प्रदेश सरकार ने उन्‍हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की ओर से संचालित पुरस्कार योजना के तहत 2008 का महात्‍मा गांधी पुरस्‍कार दिये जाने की घोषणा की है। .

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सोन नदी

सोन नद या सोनभद्र नद भारत के मध्य प्रदेश राज्य से निकल कर उत्तर प्रदेश, झारखंड के पहाड़ियों से गुजरते हुए पटना के समीप जाकर गंगा नदी में मिल जाती है। यह बिहार की एक प्रमुख नदी है। इस नदी का नाम सोन पड़ा क्योंकि इस नदी के बालू (रेत) पीले रंग के हैँ जो सोने कि तरह चमकते हैँ। इस नदी के रेत भवन निर्माण आदी के लिए बहुत उपयोगी हैं यह रेत पूरे बिहार में भवन निर्माण के लिए उपयोग में लाया जाता है तथा यह रेत उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में भी निर्यात किया जाता है। सोन नद का उल्लेख रामायण आदि पुराणो में आता है । .

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सोनभद्र जिला

सोनभद्र जिला (काले रंग में) सोनभद्र भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय राबर्ट्सगंज है। सोनभद्र जिला, मूल मिर्जापुर जिले से 4 मार्च 1989 को अलग किया गया था। 6,788 वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ यह उत्तर प्रदेश का दुसरा सबसे बड़ा जिला है। यह 23.52 तथा 25.32 अंश उत्तरी अक्षांश तथा 82.72 एवं 93.33 अंश पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। जिले की सीमा पश्चिम में मध्य प्रदेश, दक्षिण में छत्तीसगढ़, पूर्व में झारखण्ड तथा बिहार एवं उत्तर में उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर जिला है। रार्बट्सगंज जिले का प्रमुख नगर तथा जिला मुख्यालय है। जिले की जनसंख्या 14,63,519 है तथा इसका जनसंख्या घनत्व उत्तर प्रदेश में सबसे कम 198 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। सोन नदी जिले में पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। इसकी सहायक नदी रिहन्द जो छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के पठार से निकलती है सोन में जिले के केन्द्र में मिल जाती है। रिहन्द नदी पर बना गोवन्दि वल्लभ पंत सागर आंशिक रूप से जिले में तथा आंशिक रूप से मध्य प्रदेश में आता है। जिले में दो भौगोलिक क्षेत्र हैं जिनमें से क्षेत्रफल में हर एक लगभग 50 प्रतिशत है। पहला पठार है जो विंध्य पहाड़ियों से कैमूर पहाड़ियों तक होते हुए सोन नदी तक फैला हुआ है। यह क्षेत्र गंगा घाटी से 400 से 1,100 फिट ऊंचा है। दूसरा भाग सोन नदी के दक्षिण में सोन घाटी है जिसमें सिंगरौली तथा दुध्दी आते हैं। यह अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं उपजाऊ भूमि के कारण विख्यात हैं। स्वतंत्रता मिलने के लगभग 10 वर्षों तक यह क्षेत्र (तब मिर्जापुर जिले का भाग) अलग-थलग था तथा यहां यातायात या संचार के कोई साधन नहीं थे। पहाड़ियों में चूना पत्थर तथा कोयला मिलने के साथ तथा क्षेत्र में पानी की बहुतायत होने के कारण यह औद्योगिक स्वर्ग बन गया। यहां पर देश की सबसे बड़ी सीमेन्ट फैक्ट्रियां, बिजली घर (थर्मल तथा हाइड्रो), एलुमिनियम एवं रासायनिक इकाइयां स्थित हैं। साथ ही कई सारी सहायक इकाइयां एवं असंगठित उत्पादन केन्द्र, विशेष रूप से स्टोन क्रशर इकाइयां, भी स्थापित हुई हैं। क्षेत्रफल -6,788 वर्ग कि.मी जनसंख्या - 1,862,559(2011 जनगणना) साक्षरता - 70% एस.

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सोनागिरि

सोनागिरि, ग्वालियर से 60.किमी दूर जिला दतिया मध्य प्रदेश में स्थित है । यह स्थान मुख्यतः जैन तीर्थ है। सोनागिरि में 57 मंदिर हैं, जिनमे क्रमांक 57वा मंदिर मुख्य है। इस मंदिर मे भगवन चंद्रप्रभु की 11फिट ऊँची मूर्ति स्थापित है, तथा यहाँ एक विशाल हॉल है जहाँ ध्यान किया जाता है, और पास ही एक महास्तम्भ स्थापित है, जिसकी ऊंचाई 43 फिट है। सोनागिरि मे ही आचार्य शुभचन्द्र तथा ऋषि भ्रतृरिहरी ने निर्वाण पाया एवं अनेक ग्रंथो की रचना की। श्रेणी:जैन तीर्थ.

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सोहारी

सोहारी एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है। श्रेणी:पूर्व भारत का खाना श्रेणी:छत्तीसगढ़ी खाना.

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सीता साहू

सीता साहू भारत की वह बेटी है जिसने ओलंपिक में डबल पदक हासिल किए है। सीता साहू का जन्म २३ अप्रैल १९९६ में, मध्य प्रदेश के रेवा ज़िले में हुआ था। इन्होंने २०११ में एथेंस में विशेष ओलंपिक के दौरान 200 और 4x400 मीटर रिले दौड़ में कांस्य पदक जीतके अपने देश को गर्व महसूस करवाया। मानसिक रूप से विकलांग बालिका सीता साहू के जीवन के दो उपेक्षित लम्हे तब थे जब पहली बार वह ७ और बछो के साथ शिवराज चौहान के घर पर चाय के लिए आमंत्रित की गयी। और दूसरा तब जब वह कुछ ही समय के बाद एथेंस से दो कांस्य पदक 200 मीटर और 1600 मीटर की विशेष खेलों से जीत कर आई। एथेंस में बिताए उन 15 दिनों ने उसे पूरी तरह से एक असंतुष्ट और आत्‍मविश्‍वासहीन लड़की से विश्वास बालिका में बदल दिया था। राज्य सरकार ने उस समय पर सीता के लिए 1 लाख रुपये का इनाम देने का वादा किया था, लेकिन इस वादे को पूरा करने में सरकार विफल रहा और जिसके कारण उसकी माँ ने उसे अन्य कौशल सिखाने का फैसला किया जिससे की वह कुछ पैसे कमा सके। सीता एक गरीब श्रमिक परिवार से है जो प्रतिदिन 150-180 रुपये बना पता है, उनके लिए इनाम का मतलब काफी मायने रखता था क्यूंकि सीता के पिता की हालत भी बहुत ख़राब थी और इसके करणवश ही उसे स्कूल भी छोड़ना पड़ा था। कुछ समय तक सीता ने अपनी माँ और भाई-बहनों के साथ गोल-गप्पे बेचकर गुजारा किया पर २०१३ में ही सरकार ने सीता को उनके बकाया को मंजूरी दी और उन्हें ६ लाख का ईनाम भी दिया जिसके मदद से वह और उनके अन्य भाई भें अब स्कूल में अपनी पढाई पूरी कर रहे हैं। अब उनका जीवन बेहतर है और आगे चल कर वह भारत को अन्य पदक दिलवाकर गर्व महसूस करवाएंगी, ऐसा उनकी माँ किरन साहू का कहना है। सीता की प्रशिक्षक और उनकी अध्यापिका उषा साहू का बहुत योगदान है शर्मीली और मितभाषी १३ वर्षीय लडकी जो चलने के दौरान ठोकर खा रही थी, उन्होंने उसे धीरे-धीरे ढाला राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के काबिल बनाया जिसके कारण वह दो ओलिंपिक पदक जीत पाई। .

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सीतामऊ

सीतामऊ मध्य प्रदेश के मन्दसौर जिला का एक कस्बा और नगर पंचायत है। स्वतंत्रता पूर्व यह सीतामऊ राज्य का केन्द्र था। आसपास के क्षेत्रों में व्यापार का मुख्य केन्द्र रहा था। यहाँ के ठाकुर रघुवीर सिंह ने यशोधरा की रचना की। यहा श्री नटवर नागर शोध संस्थान स्थित है जो एक साहित्य शोध संस्थान है ।यहाँ प्रसिद्ध मोड़ी माता जी का मन्दिर हैं। प्रतिवर्ष यहाँ मेला लगता है।; दूरियाँ.

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सीताशरण शर्मा

डॉ.

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सीधी

सीधी मध्य प्रदेश का एक नगर और नगरपालिका है। यह सीधी जिले का मुख्यालय है। सीधी.

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सीधी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

सीधी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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सीधी ज़िला

मध्य प्रदेश में '''सीधी''' की भौगोलिक स्थिति सीधी मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्व छोर पर स्थित जिला है। इसका मध्य प्रदेश में एक ऐतिहासिक स्थान है। सीधी जिले का प्राकृतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। सोन इस जिले की महत्वपूर्ण नदी है। यह नदी प्राकृतिक संपदा से भरपूर है। सिंगरौली बहुत बड़ा कोयला उत्पादन क्षेत्र है। इससे देश भर के कई उद्योग को कोयले की आपूर्ति की जाती है। यहीं पर विंध्याचल सुपर थर्मल पावर स्टेशन स्थित है, जिससे बहुत बड़े क्षेत्र में विद्युत की आपूर्ति होती है। सीधी जिला राज्य के उत्तर-पूर्वी सीमा पर 22’’, 47’’5’ और 24.42’’10’’ उत्तर अक्षांश और 81ः18’’40 और 82’’48’’30 पूर्व देशांतर के मध्य स्थित है। सीधी जिला रीवा संभाग के 6 जिलों में से एक है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सीधी की दूरी 632 कि॰मी॰ है। वहीं संभागीय मुख्यालय से इसकी दूरी 80 कि॰मी॰ है। यह जिला पूर्व-पश्चिम में 155 और उत्तर-दक्षिण में 95 कि॰मी॰ क्षेत्र में फैला है। इसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 10,532 कि॰मी॰ है। जिले में कैमूर, खेजुआ और रानीमुंडा घाटी में विशाल दृश्य जंगल की ज्वाला और फूलों का खुबसूरत नजारा है। वहीं महुआ के फूलों की खुशबू मदमस्त कर देती है। .

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सीहोर ज़िला

सीहोर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। यह पुराना जिला है जो कि नबाव के समय से आज तक है यह मध्यप्रदेश कि राजधानी से मात्र 39 किलोमीटर दूर स्थित है। सिहोर जिला शहीदों की भूमि रहा है। इंदौर-भोपाल हाईवे यहाँ से गुज़रता है .

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सीगमड़ियां

सीगमड़ियां मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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सी॰ के॰ नायडू

कोट्टेरी कनकैया नायडू ((३१ अक्टूबर १८९५- १४ नवम्बर १९६७) भारतीय क्रिकेट टीम के पहले टेस्ट क्रिकेट मैचों के कप्तान थे। इन्होंने लंबे समय तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला था। इन्होंने लगभग १९५८ तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला और अंतिम बार ६८ साल की उम्र में १९६३ में क्रिकेट खेला था। सन १९२३ में इंदौर के होल्कर के शासक ने होल्कर के कैप्टन बनने के लिए भी आमंत्रित किया था। आर्थर गल्लीगां के नेतृत्व में मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने भारत का दौरा किया था और मैच मुम्बई के बॉम्बे जिमखाना पर खेला गया था। जिसमें हिंदुओ की ओर से सी के नायडू ने ११६ मिनट में १५३ रनों की पारी भी खेली थी। उस मैच में इन्होंने ११ छक्के भी लगाए थे जिसमें एक छक्का बॉम्बे जिमखाना की छत पर जाकर गिरा था। इसके बाद एमसीसी ने इन्हें चांदी का एक बैट पुरस्कार में दिया था। नायडू को भारत सरकार ने १९५६ में भारत के द्वितीय सर्वोच्च पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया था। .

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सी॰पी॰ गुरनानी

सी॰पी॰ गुरनानी (जन्म: दिसम्बर 19, 1958), एक भारतीय उद्यमी हैं। वर्तमान में वे टेक महिंद्रा के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। वर्ष 2016-17 के लिए ‘नेशनल एसोसिएशन ऑफ साफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज’ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उन्होंने इस पद पर बीवीआर मोहन रेड्डी का स्थान लिया, जो वर्ष 2015-16 के लिए नैस्कॉम के अध्यक्ष थे। .

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हटा

हटा भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के दमोह ज़िले में एक नगर पालिका है। यह हटा तहसील का मुख्यालय भी है, जो दमोह ज़िले की सबसे बड़ी तहसील है। .

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हबीब तनवीर

हबीब तनवीर चित्र में दाहिने हबीब तनवीर (जन्म: 1 सितंबर 1923) भारत के मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, कवि और अभिनेता थे। हबीब तनवीर का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ था, जबकि निधन 8 जून,2009 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुआ। उनकी प्रमुख कृतियों में आगरा बाजार (1954) चरणदास चोर (1975) शामिल है। उन्होंने 1959 में दिल्ली में नया थियेटर कंपनी स्थापित किया था। .

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हबीबगंज रेलवे स्टेशन

हबीबगंज रेलवे स्टेशन भारतीय रेल का एक रेलवे स्टेशन है। यह भोपाल शहर में स्थित है। इसकी ऊंचाई 552 मी.

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हरित क्रांति (भारत)

भारत में हरित क्रांन्ति की शुरुआत सन १९६६-६७ से हुई। हरित क्रांन्ति प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर नारमन बोरलॉग को जाता हैं। हरित क्रांन्ति से अभिप्राय देश के सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाले संकर तथा बौने बीजों के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि करना हैं। हरित क्रान्ति भारतीय कृषि में लागू की गई उस विकास विधि का परिणाम है, जो 1960 के दशक में पारम्परिक कृषि को आधुनिक तकनीकि द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने के रूप में सामने आई। क्योंकि कृषि क्षेत्र में यह तकनीकि एकाएक आई, तेजी से इसका विकास हुआ और थोड़े ही समय में इससे इतने आश्चर्यजनक परिणाम निकले कि देश के योजनाकारों, कृषि विशेषज्ञों तथा राजनीतिज्ञों ने इस अप्रत्याशित प्रगति को ही 'हरित क्रान्ति' की संज्ञा प्रदान कर दी। हरित क्रान्ति की संज्ञा इसलिये भी दी गई, क्योंकि इसके फलस्वरूप भारतीय कृषि निर्वाह स्तर से ऊपर उठकर आधिक्य स्तर पर आ चुकी थी। उपलब्धियाँ हरित क्रान्ति के फलस्वरूप देश के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। कृषि आगतों में हुए गुणात्मक सुधार के फलस्वरूप देश में कृषि उत्पादन बढ़ा है। खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता आई है। व्यवसायिक कृषि को बढ़ावा मिला है। कृषकों के दृष्टिकोण में परिवर्तन हुआ है। कृषि आधिक्य में वृद्धि हुई है। हरित क्रान्ति के फलस्वरूप गेहूँ, गन्ना, मक्का तथा बाजरा आदि फ़सलों के प्रति हेक्टेअर उत्पादन एवं कुल उत्पादकता में काफ़ी वृद्धि हुई है। हरित क्रान्ति की उपलब्धियों को कृषि में तकनीकि एवं संस्थागत परिवर्तन एवं उत्पादन में हुए सुधार के रूप में निम्नवत देखा जा सकता है- (अ) कृषि में तकनीकि एवं संस्थागत सुधार रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग नवीन कृषि नीति के परिणामस्वरूप रासायनिक उर्वरकों के उपभोग की मात्रा में तेजी से वृद्धि हुई है। 1960-1961 में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग प्रति हेक्टेअर दो किलोग्राम होता था, जो 2008-2009 में बढ़कर 128.6 किग्रा प्रति हेक्टेअर हो गया है। इसी प्रकार, 1960-1961 में देश में रासायनिक खादों की कुल खपत 2.92 लाख टन थी, जो बढ़कर 2008-2009 में 249.09 लाख टन हो गई। उन्नतशील बीजों के प्रयोग में वृद्धि देश में अधिक उपज देने वाले उन्नतशील बीजों का प्रयोग बढ़ा है तथा बीजों की नई नई किस्मों की खोज की गई है। अभी तक अधिक उपज देने वाला कार्यक्रम गेहूँ, धान, बाजरा, मक्का व ज्वार जैसी फ़सलों पर लागू किया गया है, परन्तु गेहूँ में सबसे अधिक सफलता प्राप्त हुई है। वर्ष 2008-2009 में 1,00,000 क्विंटल प्रजनक बीज तथा 9.69 लाख क्विंटल आधार बीजों का उत्पादन हुआ तथा 190 लाख प्रमाणित बीज वितरित किये गये। सिंचाई सुविधाओं का विकास नई विकास विधि के अन्तर्गत देश में सिंचाई सुविधाओं का तेजी के साथ विस्तार किया गया है। 1951 में देश में कुल सिंचाई क्षमता 223 लाख हेक्टेअर थी, जो बढ़कर 2008-2009 में 1,073 लाख हेक्टेअर हो गई। देश में वर्ष 1951 में कुल संचित क्षेत्र 210 लाख हेक्टेअर था, जो बढ़कर 2008-2009 में 673 लाख हेक्टेअर हो गया। पौध संरक्षण नवीन कृषि विकास विधि के अन्तर्गत पौध संरक्षण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इसके अन्तर्गत खरपतवार एवं कीटों का नाश करने के लिये दवा छिड़कने का कार्य किया जाता है तथा टिड्डी दल पर नियन्त्रण करने का प्रयास किया जाता है। वर्तमान में समेकित कृषि प्रबन्ध के अन्तर्गत पारिस्थितिकी अनुकूल कृमि नियंत्रण कार्यक्रम लागू किया गया है। बहुफ़सली कार्यक्रम बहुफ़सली कार्यक्रम का उद्देश्य एक ही भूमि पर वर्ष में एक से अधिक फ़सल उगाकर उत्पादन को बढ़ाना है। अन्य शब्दों में भूमि की उर्वरता शक्ति को नष्ट किये बिना, भूमि के एक इकाई क्षेत्र से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करना ही बहुफ़सली कार्यक्रम कहलाता है। 1966-1967 में 36 लाख हेक्टेअर भूमि में बहुफ़सली कार्यक्रम लागू किया गया। वर्तमान समय में भारत की कुल संचित भूमि के 71 प्रतिशत भाग पर यह कार्यक्रम लागू है। आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग नई कृषि विकास विधि एवं हरित क्रान्ति में आधुनिक कृषि उपकरणों, जैसे- ट्रैक्टर, थ्रेसर, हार्वेस्टर, बुलडोजर तथा डीजल एवं बिजली के पम्पसेटों आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस प्रकार कृषि में पशुओं तथा मानव शक्ति का प्रतिस्थापन संचालन शक्ति द्वारा किया गया है, जिससे कृषि क्षेत्र के उपयोग एवं उत्पादकता में वृद्धि हुई है। कृषि सेवा केन्द्रों की स्थापना कृषकों में व्यवसायिक साहस की क्षमता को विकसित करने के उद्देश्य से देश में कृषि सेवा केन्द्र स्थापित करने की योजना लागू की गई है। इस योजना में पहले व्यक्तियों को तकनीकि प्रशिक्षण दिया जाता है, फिर इनसे सेवा केंद्र स्थापित करने को कहा जाता है। इसके लिये उन्हें राष्ट्रीयकृत बैंकों से सहायता दिलाई जाती है। अब तक देश में कुल 1,314 कृषि सेवा केन्द्र स्थापित किये जा चुके हैं। कृषि उद्योग निगम सरकारी नीति के अन्तर्गत 17 राज्यों में कृषि उद्योग निगमों की स्थापना की गई है। इन निगमों का कार्य कृषि उपकरणों व मशीनरी की पूर्ति तथा उपज प्रसंस्करण एवं भण्डारण को प्रोत्साहन देना है। इसके लिये यह निगम किराया क्रय पद्धति के आधार पर ट्रैक्टर, पम्पसेट एवं अन्य मशीनरी को वितरित करता है। विभिन्न निगमों की स्थापना हरित क्रान्ति की प्रगति मुख्यतः अधिक उपज देने वाली किस्मों एवं उत्तम सुधरे हुये बीजों पर निर्भर करती है। इसके लिये देश में 400 कृषि फार्म स्थापित किये गये हैं। 1963 में राष्ट्रीय बीज निगम की स्थापना की गई है। 1963 में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की स्थापना की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि उपज का विपणन, प्रसंस्करण एवं भण्डारण करना है। विश्व बैंक की सहायता से राष्ट्रीय बीज परियोजना भी प्रारम्भ की गई, जिसके अन्तर्गत कई बीज निगम बनाये गये हैं। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारिता विपणन संघ (नेफेड) एक शीर्ष विपणन संगठन है, जो प्रबन्धन, विपणन एवं कृषि सम्बंधित चुनिन्दा वस्तुओं के आयात निर्यात का कार्य करता है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना कृषि वित्त के कार्य हेतु की गई है। कृषि के लिये खाद्य निगम एवं उर्वरक साख गारन्टी निगम, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम आदि भी स्थापित किए गए हैं। मृदा परीक्षण मृदा परीक्षण कार्यक्रम के अनतर्गत विभिन्न क्षेत्रों की मिट्टी का परीक्षण सरकारी प्रयोगशालाओं में किया जाता है। इसका उद्देश्य भूमि की उर्वरा शक्ति का पता लगाकर कृषकों को तदुनरूप रासायनिक खादों एवं उत्तम बीजों के प्रयोग की सलाह देना है। वर्तमान समय में इन सरकारी प्रयोशालाओं में प्रतिवर्ष सात लाख नमूनों का परीक्षण किया जाता है। कुछ चलती फिरती प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गईं हैं, जो गांव-गांव जाकर मौके पर मिट्टी का परीक्षण करके किसानों को सलाह देतीं हैं। भूमि संरक्षण भूमि संरक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत कृषि योग्य भूमि को क्षरण से रोकने तथा ऊबड़-खाबड़ भूमि को समतल बनाकर कृषि योग्य बनाया जाता है। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात तथा मध्य प्रदेश में तेजी से लागू है। कृषि शिक्षा एवं अनुसन्धान सरकार की कृषि नीति के अन्तर्गत कृषि शिक्षा का विस्तार करने के लिये पन्तनगर में पहला कृषि विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है। आज कृषि और इससे सम्बन्धित क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के लिये 4 कृषि विश्वविद्यालय, 39 राज्य कृषि विश्वविद्यालय और इम्फाल में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। कृषि अनुसन्धान हेतु 'भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद' है, जिसके अन्तर्गत 53 केन्द्रीय संस्थान, 32 राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र, 12 परियोजना निदाशाल 64 अखिल भारतीय समन्वय अनुसन्धान परियोजनायें है। इसके अतिरिक्त देश में 527 कृषि विज्ञान केन्द्र हैं, जो शिक्षण एवं प्रशिक्षण का कार्य कर रहे हैं। कृषि शिक्षा एवं प्रशिक्षण की गुणवत्ता बनाये रखने के लिये विभिन्न संस्थाओं के कम्प्यूटरीकरण और इन्टरनेट की सुविधा प्रदान की गई है। (ब) कृषि उत्पादन में सुधार उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि हरित क्रान्ति अथवा भारतीय कृषि में लागू की गई नई विकास विधि का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि देश में फ़सलों के क्षेत्रफल में वृद्धि, कृषि उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि हो गई। विशेषकर गेहूँ, बाजरा, धान, मक्का तथा ज्वार के उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई। जिसके परिणाम स्वरूप खाद्यान्नों में भारत आत्मनिर्भर-सा हो गया। 1951-1952 में देश में खाद्यान्नों का कुल उत्पादन 5.09 करोड़ टन था, जो क्रमशः बढ़कर 2008-2009 में बढ़कर 23.38 करोड़ टन हो गया। इसी तरह प्रति हेक्टेअर उत्पादकता में भी पर्याप्त सुधार हुआ है। वर्ष 1950-1951 में खाद्यान्नों का उत्पादन 522 किग्रा प्रति हेक्टेअर था, जो बढ़कर 2008-2009 में 1,893 किग्रा प्रति हेक्टेअर हो गया। हाँ, भारत में खाद्यान्न उत्पादनों में कुछ उच्चावचन भी हुआ है, जो बुरे मौसम आदि के कारण रहा जो यह सिद्ध करता है कि देश में कृषि उत्पादन अभी भी मौसम पर निर्भर करता है। कृषि के परम्परागत स्वरूप में परिवर्तन हरित क्रान्ति के फलस्वरूप खेती के परम्परागत स्वरूप में परिवर्तन हुआ है और खेती व्यवसायिक दृष्टि से की जाने लगी है। जबकि पहले सिर्फ पेट भरने के लिये की जाती थी। देश में गन्ना, कपास, पटसन तथा तिलहनों के उत्पादन में वृद्धि हुई है। कपास का उत्पादन 1960-1961 में 5.6 मिलियन गांठ था, जो बढ़कर 2008-2009 में 27 मिलियन गांठ हो गया। इसी तरह तिलहनों का उत्पादन 1960-1961 में 7 मिलियन टन था, जो बढ़कर 2008-2009 में 28.2 मिलियन टन हो गया। इसी तरह पटसन, गन्ना, आलू तथा मूंगफली आदि व्यवसायिक फ़सलों के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। वर्तमान समय में देश में बाग़बानी फ़सलों, फलों, सब्जियों तथा फूलों की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि बचतों में वृद्धि उन्नतशील बीजों, रासायनिक खादों, उत्तम सिंचाई तथा मशीनों के प्रयोग से उत्पादन बढ़ा है। जिससे कृषकों के पास बचतों की उल्लेखनीय मात्रा में वृद्धि हुई है। जिसको देश के विकास के काम में लाया जा सका है। अग्रगामी तथा प्रतिगामी संबंधों में मजबूती नवीन प्रौद्योगिकी तथा कृषि के आधुनीकरण ने कृषि तथा उद्योग के परस्पर सम्बन्ध को और भी मजबूत बना दिया है। पारम्परिक रूप में यद्यपि कृषि और उद्योग का अग्रगामी सम्बन्ध पहले से ही प्रगाढ़ था, क्योंकि कृषि क्षेत्र द्वारा उद्योगों को अनेक आगत उपलब्ध कराये जाते हैं। परन्तु इन दोनों में प्रतिगामी सम्बन्ध बहुत ही कमज़ोर था, क्योंकि उद्योग निर्मित वस्तुओं का कृषि में बहुत ही कम उपयोग होता था। परन्तु कृषि के आधुनीकरण के फलस्वरूप अब कृषि में उद्योग निर्मित आगतों, जैसे- कृषि यन्त्र एवं रासायनिक उर्वरक आदि, की मांग में भारी वृद्धि हुई है, जिससे कृषि का प्रतिगामी सम्बन्ध भी सुदृढ़ हुआ है। अन्य शब्दों में कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र के सम्बन्धों में अधिक मजबूती आई है। इस तरह स्पष्ट है कि हरित क्रान्ति के फलस्वरूप देश में कृषि आगतों एवं उत्पादन में पर्याप्त सुधार हुआ है। इसके फलस्वरूप कृषक, सरकार तथा जनता सभी में यह विश्वास जाग्रत हो गया है कि भारत कृषि पदार्थों के उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं हो सकता, बल्कि निर्यात भी कर सकता है। विश्लेषण देश में योजना काल में कृषि के क्षेत्र में पर्याप्त विकास हुआ है। कुल कृषि क्षेत्र बढ़ा है, फ़सल के स्वरूप में परिवर्तन हुआ है, सिंचित क्षेत्र बढ़ा है, रासायनिक खादों के उपयोग में वृद्धि हुई है तथा आधुनिक कृषि यन्त्रों का उपयोग होने लगा है। इन सब बातों के होते हुये भी अभी तक देश में कृषि का विकास उचित स्तर तक नहीं पहुँच पाया है, क्योंकि यहाँ प्रति हेक्टेअर कृषि उत्पादन अन्य विकसित देशों की तुलना में कम है। अभी अनेक कृषि उत्पादों का आयात करना पढ़ता है। क्योंकि उनका उत्पादन मांग की तुलना में कम है। कृषि क्षेत्र का अभी भी एक बढ़ा भाग असिंचित है। कृषि में यन्त्रीकरण का स्तर अभी भी कम है, जिससे उत्पादन लागत अधिक आती है। कृषकों को विभागीय सुविधाएँ पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलती हैं, जिससे कृषि विकास में बाधा उत्पन्न होती है। अतः इस बात की आवश्यकता है कि कृषि में तकनीकि एवं संस्थागत सुधारों को अधिक कारगर ढंग से लागू कर कृषि क्षेत्र का और अधिक विकास किया जाये। हरित क्रान्ति का विस्तार केन्द्रीय बजट 2010-2011 में कृषि क्षेत्र के विकास के लिये बनाई गयी कार्य योजना के पहले घटक में ग्राम सभाओं तथा किसान परिवारों के सक्रिय सहयोग से देश के पूर्वी क्षेत्र बिहार, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा में हरित क्रान्ति के विस्तार के लिये 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। कमियाँ तथा समस्याएँ देश में हरित क्रान्ति के फलस्वरूप कुछ फ़सलों के उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि हुई है, खाद्यान्नो के आयात में कमी आई है, कृषि के परम्परागत स्वरूप में परिवर्तन आया है, फिर भी इस कार्यक्रम में कुछ कमियाँ परिलक्षित होती हैं। हरित क्रान्ति की प्रमुख कमियों एवं समंस्याओं को निम्न रूप में प्रंस्तुत किया जा सकता है- प्रभाव - हरित क्रान्ति का प्रभाव कुछ विशेष फ़सलों तक ही सीमित रहा, जैसे- गेहूँ, ज्वार, बाजरा। अन्य फ़सलो पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। यहाँ तक कि चावल भी इससे बहुत ही कम प्रभावित हुआ है। व्यापारिक फ़सलें भी इससे अप्रभावित ही हैं। पूंजीवादी कृषि को बढ़ावा - अधिक उपजाऊ किस्म के बीज एक पूंजी-गहन कार्यक्रम हैं, जिसमें उर्वरकों, सिंचाई, कृषि यन्त्रों आदि आगतों पर भारी मात्रा में निवेश करना पड़ता है। भारी निवेश करना छोटे तथा मध्यम श्रेणी के किसानों की क्षमता से बाहर हैं। इस तरह, हरित क्रान्ति से लाभ उन्हीं किसानों को हो रहा है, जिनके पास निजी पम्पिंग सेट, ट्रैक्टर, नलकूप तथा अन्य कृषि यन्त्र हैं। यह सुविधा देश के बड़े किसानों को ही उपलब्ध है। सामान्य किसान इन सुविधाओं से वंचित हैं। संस्थागत सुधारों की आवश्यकता पर बल नहीं - नई विकास विधि में संस्थागत सुधारों की आवश्यकता की सर्वथा अवहेलना की गयी है। संस्थागत परिवर्तनो के अन्तर्गत सबसे महत्वपूर्ण घटक भू-धारण की व्यवस्था है। इसकी सहायता से ही तकनीकी परिवर्तन द्वारा अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। देश में भूमि सुधार कार्यक्रम सफल नहीं रहे हैं तथा लाखों कृषकों को आज भी भू-धारण की निश्चितता नहीं प्रदान की जा सकी है। श्रम-विस्थापन की समस्या - हरित क्रान्ति के अन्तर्गत प्रयुक्त कृषि यन्त्रीकरण के फलस्वरूप श्रम-विस्थापन को बढ़ावा मिला है। ग्रामीण जनसंख्या का रोज़गार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने का यह भी एक कारण है। आय की बढ़ती असमानता - कृषि में तकनीकी परिवर्तनों का ग्रामीण क्षेत्रों में आय-वितरण पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। डॉ॰ वी.

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हरिभाऊ उपाध्याय

हरिभाऊ उपाध्याय (१८८२ - १९७२) भारत के प्रसिद्ध साहित्यसेवी एवं राष्ट्रकर्मी थे। .

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हरिभूमि

हरिभूमि हिन्दी भाषा में प्रकाशित होने वाला एक दैनिक समाचार पत्र है जो भारत में हरियाणा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में प्रकाशित होता है। इसकी स्थापना १९९६ में हुई जो वर्तमान में हरियाणा में रोहतक से, छत्तीसगढ़ में बिलासपुर, रायपुर एवं रायगढ़ से, मध्य प्रदेश में जबलपुर से और दिल्ली से प्रकाशित होता है। हरिभूमि ग्रुप की शुरुआत 5 सितंबर 1996 को साप्ताहिक हिंदी पत्रिका के रूप में हुई थी। बाद में नवंबर 1997 में यह दैनिक हिंदी अखबार के रूप में हरियाणा से रोहतक एडिशन के रूप में लांच किया गया। रोहतक एडिशन के जरिए पूरे हरियाणा राज्य की खबरें प्रकाशित की जाने लगीं। अप्रैल 1998 में हरिभूमि मीडिया ग्रुप ने दिल्ली संस्करण की शुरूआत की और दिल्ली के साथ फरीदाबाद और गुड़गांव की खबरें प्रकाशित की जाने लगीं। मार्च 2001 में हरिभूमि ग्रुप ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया और बिलासपुर एडिशन की शुरूआत की। जून 2002 में बिलासपुर औऱ रायपुर में ग्रुप के ऑफिस शुरू किए गए। रायपुर एडिशन ने उड़ीसा के भी काफी क्षेत्र की खबरें प्रकाशित करनी शुरू कीं। अक्टूबर 2008 में मध्य प्रदेश से हरिभूमि जबलपुर की शुरूआत की गई। इसी साल छत्तीसगढ़ में रायगढ़ एडीशन की भी शुरूआत की गई। .

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हरिशंकर परसाई

हरिशंकर परसाई (२२ अगस्त, १९२४ - १० अगस्त, १९९५) हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंगकार थे। उनका जन्म जमानी, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे हिंदी के पहले रचनाकार हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के–फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। उनकी व्यंग्य रचनाएँ हमारे मन में गुदगुदी ही पैदा नहीं करतीं बल्कि हमें उन सामाजिक वास्तविकताओं के आमने–सामने खड़ा करती है, जिनसे किसी भी व्यक्ति का अलग रह पाना लगभग असंभव है। लगातार खोखली होती जा रही हमारी सामाजिक और राजनैतिक व्यवस्था में पिसते मध्यमवर्गीय मन की सच्चाइयों को उन्होंने बहुत ही निकटता से पकड़ा है। सामाजिक पाखंड और रूढ़िवादी जीवन–मूल्यों की खिल्ली उड़ाते हुए उन्होंने सदैव विवेक और विज्ञान–सम्मत दृष्टि को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा–शैली में खास किस्म का अपनापा है, जिससे पाठक यह महसूस करता है कि लेखक उसके सामने ही बैठा है। .

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हरिकृष्ण देवसरे

हरिकृष्‍ण देवसरे (०३ मार्च १९४० - १४ नवम्बर २०१३) हिन्‍दी के प्रतिष्‍ठित बाल साहित्‍यकार और संपादक थे। कविता, कहानी, नाटक, आलोचना आदि विधाओं में उनकी लगभग २५० पुस्‍तकें प्रकाशित हैं। वे बच्‍चों की लोकप्रिय पत्रिका पराग के संपादक रहे हैं। .

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हरी सिंह थापा

हरि सिंह थापा भारतीय अन्तराष्ट्रीय बक्सर एवम् राष्ट्रिय कोच हैं। हरि भारतीय बक्सिंगके पितामह उपाधि से परिचत हैं। भारत के ललात हिमालय के वृक्षस्थल एवं कूमार्चल की वीर प्रसविनी श्स्य श्यामला भूमी अनंत काल से ही देश भक्तो, वैज्ञानिको तथा वीर सेनानियो की जन्मदात्री रही है। इसी उत्तरांचल कि पावन धरती ने क्रीड़ा क्ष्रेत्र मै भी ऐसे अनेक ज्वाज्वल्यमान रत्नों को जन्म दिया है जिनकी आभा ने देश ही नहीं बाल्कि विदेशो को भी आलोकित किया है। जहां एक ओर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद चीन और पाकिस्तान से युध मै एवं उसके बाद बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई के मैदान में यहां के जांबांजो ने अपने अद् भुत यूध कौशल एंव शोर्य से जनपद का नाम रोशन किया, वहीं दूसरी ओर जनपद पिथौरागढ़ के खिलाड़ियो ने खेल के मैदनों में भी अपने उत्कृष्ट खेल क प्रदर्शन से अन्तराष्ट्रीय खेल जगत के इतिहास में पिथौरागढ़ क नाम स्वणाक्षरों में अन्कित करवाया गया है। इन्हीं विशिष्ट खिलाड़ियो मै एक नाम है -अन्तराष्ट्रीय मुक्केबाज श्री हरी सिंह थापा का, जिन्होने अपनी लगन एवं मेहनत से मुक्केबाज क ऊंचे सपनों को पारकर भारत का श्रेष्ठ मुक्केबाज होने क गौरव प्राप्त किया। .

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हल्बी

हल्बी या हल्बा, छत्तीसगढ़ राज्य में बहुतायात में पायी जाने वाली एक जनजाति है।यह जनजाति छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी पाई जाती है। .

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हितकारिणी सभा

हितकारिणी सभा मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित एक ऐतिहासिक, शैक्षणिक संस्था है। यह संस्था इस क्षेत्र के कुछ सबसे पुराने शिक्षण संस्थान संचालित करती है। इसकी स्थापना १८६८ में राज बलवन्त राव खेर, दीवान बिहारीलाल खजांची, तथा श्री अम्बिका चरण बनर्जी ने की थी। सेठ गोविन्ददास के अनुरोध पर हितकारिणी सभा ने राष्ट्रवादी विचारों को पोषण देना आरम्भ किया। इसके द्वारा संचालित विद्यालयों के विद्यार्थियों ने स्वराज आन्दोलन में बढ़चढ़कर भाग लिया। इस सभा ने हिन्दी भाषा के विकास में महती भूमिका निभायी। 1871 में हुई एक बैठक में सभा ने न्यायालयों में प्रयुक्त भाषा के प्रश्न पर विचार किया। १० में से ८ सदस्यों ने माना कि इस कार्य के लिये उर्दू की अपेक्षा हिन्दी अधिक उपयुक्त है। संस्था ने कुछ समय तक एक साहित्यिक पत्रिका का भी प्रकाशन किया तथा प्रमुख हिन्दी लेखकों के सम्मेलन भी आयोजित किये।सेठ गोविन्ददास इस सभा के ट्रस्टी के थे। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी इस सभा की सेवा करते आ रहे हैं। रविशंकर शुक्ल, रजनीश, महर्षि महेश योगी, गजानन माधव मुक्तिबोध आदि विद्वान इस सभा द्वारा संचालित संस्थाओं से ही निखरे थे। .

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हिन्दुओं का उत्पीड़न

हिन्दुओं का उत्पीडन हिन्दुओं के शोषण, जबरन धर्मपरिवर्तन, सामूहिक नरसहांर, गुलाम बनाने तथा उनके धर्मस्थलो, शिक्षणस्थलों के विनाश के सन्दर्भ में है। मुख्यतः भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा मलेशिया आदि देशों में हिन्दुओं को उत्पीडन से गुजरना पड़ा था। आज भी भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ हिस्सो में ये स्थिति देखने में आ रही है। .

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हिन्दू घोषी

हिन्दू घोषी (या घोसी, घोसी ठाकुर, घोसी यादव) हिन्दू अहीर जाति का एक समुदाय है, जो कि हिन्दू राजपूत समुदाय का पर्याप्त उपमान माना जाता है। हिन्दू गुर्जर जाति मे भी घोसी उपजाति पायी जाती है। दिल्ली व निकटतम इलाकों मे घोसी शब्द ऐतिहासिक रूप से हिन्दू व मुस्लिम समुदायों के दुग्ध-व्यवसायियों से संबन्धित है। परंतु, मध्य भारत मे लगभग सभी घोसी हिन्दू होते हैं जो स्वयं को घोसी ठाकुर कहते हैं व राजपूत होने का दावा करते हैं। घोसी शब्द हिन्दू व मुस्लिम दोनों धर्म के लोग प्रयोग करते है अतः इससे पारिभाषिक भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। इस संदर्भ मे इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 1918 मे दायर कानूनी प्रकरण "50 Ind Cas 424" मे यह निर्णय पारित किया गया कि "हिन्दू समुदाय में घोसी शब्द का प्रयोग एक वास्तविक कृषक जाति के लिए किया जाता है, जो कि हिन्दू अहीर जाति का ही अंग है। हिन्दू घोसी समुदाय की सामाजिक परम्पराएँ हिन्दू राजपूतो के समान होती हैं उत्तर प्रदेश के कुछ पश्चिमी जिलों मे घोसी अहीरों को शेष अहीर समुदाय से जनसंख्या व प्रतिष्ठा मे बेहतर समझा जाता है, जिससे वर्तमान राजनैतिक दल इनकी तरफ आकर्षित रहते है। राजनेता प्रायः विभिन्न अहीर उप-समुदायों (विशेष रूप से घोसी व कमरिया समुदायों) के मध्य दरार डालने के लिए योजनाए बनाते है व दरार की अपेक्षा रखते है। .

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हिन्दोरिया

हिन्दोरिया, मध्य प्रदेश के दमोह जिले की एक नगर पंचायत है। श्रेणी:मध्य प्रदेश का भूगोल.

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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हिन्दी भाषियों की संख्या के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

मानक हिंदी भारत में आधिकारिक राज्य भाषा है और जनसंख्या का बहुमत हिंदी की कुछ किस्म बोलते हैं।। हिन्दी भाषियों की संख्या के आधार पर भारत के राज्यों की सूची जनसंख्या और प्रतिशत दोनों आधारित है। इसका संदर्भ भारत की २००१ के आधार पर है। इस सूची में भारत के सभी राज्य हैं। श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:भारत की जनगणना.

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हिन्दी भाषीय विद्यालय

हिन्दी भाषीय विद्यालय ऐसा भाषा शिक्षण संस्थान हैं जहाँ विशेष रूप से हिन्दी को विदेशी भाषा के रूप में अन्य भाषा के बोलने वालों को शिक्षा दी जाती है। कई प्रकार के हिन्दी भाषीय विद्यालय मौजूद हैं जो शाखा, लक्षित विद्यार्थी, शिक्षण प्रणाली, सभ्यता वातावरण और वैकल्पित पाठ्यक्रम पर आधारित हैं। .

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हंड़िया

हंड़िया हंड़िया या हड़िया एक प्रकार की बीयर है जो चावल (भात) से बनती है। यह बिहार, झारखण्ड, ओड़ीसा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है। .

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हुल्को

हुल्को मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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हेमदन्ना

हेमदन्ना मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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हेलिओडोरस स्तंभ

हेलिओडोरस स्तंभ (बेसनगर, मध्यप्रदेश, भारत) हेलिओडोरस स्तंभ (Heliodorus pillar) भारत ले मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में आधुनिक बेसनगर के पास स्थित पत्थर से निर्मित प्राचीन स्तम्भ है। इसका निर्माण ११० ईसा पूर्व हेलिओडोरस (Heliodorus) ने कराया था जो भारतीय-यूनानी राजा अंतलिखित (Antialcidas) का शुंग राजा भागभद्र के दरबार में दूत था। य स्तम्भ साँची के स्तूप से केवल ५ मील की दूरी पर स्थित है। यह स्तंभ लोकभाषा में खाम बाबा के रूप में जाना जाता है। एक ही पत्थर को काटकर बनाया गया, यह स्तंभ ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। स्तंभ पर पाली भाषा में ब्राम्ही लिपि का प्रयोग करते हुए एक अभिलेख मिलता है। यह अभिलेख स्तंभ इतिहास बताता है। नवें शुंग शासक महाराज भागभद्र के दरबार में तक्षशिला के यवन राजा अंतलिखित की ओर से दूसरी सदी ई. पू.

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होलकर स्टेडियम

होल्कर क्रिकेट स्टेडियम (हिन्दी) में स्थित है, इंदौर, मध्यप्रदेश.

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होशंगाबाद

होशंगाबाद भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। होशंगाबाद जिला मुख्यालय है। होशंगाबाद की स्थापना मांडू (मालवा) के द्वितीय राजा सुल्तान हुशंगशाह गौरी द्वारा पन्द्रहवी शताब्दी के आरंभ में की गई थी। होशंगाबाद नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। इसके किनारे पर सतपुड़ा पर्वत स्थित है। नर्मदा नदी जिले की उत्तरी सीमा के साथ-साथ बहती है। नर्मदा की सहायक नदी दूधी है जोकि होशंगाबाद जिले की उत्तरी पूर्वी सीमा बनाती है। होशंगाबाद में प्रतिभूति कागज कारखाना है जिसमें भारतीय रुपया छापने के लिए कागज बनाया जाता है। यहाँ एक केन्द्रीय विद्यालय भी है जिसका पूरा नाम केन्द्रीय विद्यालय प्रतिभूति कागज कारखाना होशंगाबाद है। होशंगाबाद के पास प्राचीन पहाड़ियाँ हैं जिन्हें "पहाड़िया" कहा जाता है। इन पहाड़ियों में कुछ गुफायें हैं जिनमें शैलचित्र जिन्हें राक पेंटिंग भी कहते हैं उकेरे गये हैं। ये राक पेंटि्ग्स आदि मानव द्वारा निर्मित हैं। हजारों साल से खुले आसमान के नीचे रहने के बाद भी ये पेंटिंग्स अभी भी मिटी नहीं हैं। नर्मदा नदी का प्रसिद्ध सेठानी घाट होशंगाबाद में ही है। होशंगाबाद में एक प्राचीन गुरुकुल है। .

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होशंगाबाद लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

होशंगाबाद लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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जतिन सक्सेना

जतिन सहाय सक्सेना (जन्म ०४ अगस्त १९८२, इंदौर, मध्य प्रदेश) के लिए खेले जाने वाले भारतीय प्रथम श्रेणी क्रिकेट खिलाड़ी हैं। अब ये छत्तीसगढ़ राज्य क्रिकेट टीम के लिए खेलते हैं। जनवरी २०१८ में, उन्हें २०१८ इंडियन प्रीमियर लीग की नीलामी में राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा। .

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जन जागृति संस्थान

जन जागृति संस्थान एक लाभनिरपेक्ष संगठन (नॉन प्रोफिट आर्गनाइजेशन) है। इसका मुख्यालय मझगवां में है जो की मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित है। इसका मुख्या उद्देश्य लोगो में सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक जागरूकता लाना है। वर्तमान में इस संगठन के अध्यक्ष श्री मुकेश कुमार अग्रवाल एवं सचिव श्री पंकज कपूर है। वर्तमान में इसमें करीब ५० सक्रिय कार्यकर्ता है। इस संगठन के माध्यम से इस क्षेत्र में २ वर्षो से प्रतिभा खोज परीक्षा का आयोजन कराया जा रहा है और तीसरे वर्ष भी इस परीक्षा का आयोजन २३ जनवरी २०११ को कराया गया है। .

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जन जागृति संघ

जन जागृति संघ एक लाभनिरपेक्ष संगठन (नॉन प्रोफिट आर्गनाइजेशन) है। इसका मुख्यालय मझगवां में है जो की मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित है। इसका मुख्या उद्देश्य लोगो में सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक जागरूकता लाना है। वर्तमान में इस संगठन के अध्यक्ष श्री मुकेश कुमार अग्रवाल एवं सचिव श्री पंकज कपूर है। वर्तमान में इसमें करीब ५० सक्रिय कार्यकर्ता है। इस संगठन के माध्यम से इस क्षेत्र में २ वर्षो से प्रतिभा खोज परीक्षा का आयोजन कराया जा रहा है और तीसरे वर्ष भी इस परीक्षा का आयोजन २३ जनवरी २०११ को कराया गया है। .

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जनसंख्या के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र

भारत उनतीस राज्यों और सात केन्द्र शासित प्रदेशों का एक संघ है। सन् 2009 में, लगभग 1.15 अरब की जनसंख्या के साथ भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत के पास विश्व की कुल भूक्षेत्र का 2.4% भाग है, लेकिन यह विश्व की 17% जनसंख्या का निवास स्थान है। गंगा के मैदानी क्षेत्र विश्व के सबसे विशाल उपजाऊ फैलावों में से एक हैं और यह विश्व के सबसे सघन बसे क्षेत्रों में से एक है। दक्कन के पठार के पूर्वी और पश्चिमी तटीय क्षेत्र भी विश्व के सबसे सघन क्षेत्रों में हैं। पश्चिमी राजस्थान में स्थित थार मरुस्थल विश्व के सबसे सघन मरुस्थलों में से एक है। उत्तर और उत्तर-पूर्व में हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में बसे राज्यों में ठंडे शुष्क मरुस्थल और उपजाऊ घाटियां हैं। कठिन संरचना के कारण इन राज्यों में देश के अन्य भागों की तुलना में जनसंख्या घनत्व कम है। .

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जनार्दन मिश्रा

जनार्दन मिश्रा भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के रीवा से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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जनजातीय सम्मान

जनजातीय सम्मान,मध्यप्रदेश शासन, आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा रानी दुर्गावती राष्ट्रीय सम्मान, वीर शंकर शाह-रघुनाथ शाह राष्ट्रीय सम्मान, ठक्कर बापा राष्ट्रीय सम्मान एवं जननायक टंट्या भील राज्य स्तरीय सम्मान वर्ष 2008 से स्थापित हैं। सम्मान की स्थापना का उद्देश्य जनजातीय समाज की विशिष्ट विभूतियों के रचनात्मक अवदान से समाज को परिचित कराना है। .

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जबलपुर

जबलपुर भारत के मध्यप्रदेश राज्य का एक शहर है। यहाँ पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय तथा राज्य विज्ञान संस्थान है। इसे मध्यप्रदेश की संस्कारधानी भी कहा जाता है। थलसेना की छावनी के अलावा यहाँ भारतीय आयुध निर्माणियों के कारखाने तथा पश्चिम-मध्य रेलवे का मुख्यालय भी है। .

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जबलपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

जबलपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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जबलपुर संभाग

जबलपुर संभाग  एक प्रशासनिक भौगोलिक इकाई है मध्य प्रदेश राज्य मे। जबलपुर के प्रशासनिक मुख्यालय है विभाजन.

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जबलपुर ज़िला

जबलपुर जिला- मध्य प्रदेश जबलपुर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय जबलपुर है। क्षेत्रफल - 10160 वर्ग कि.मी.

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जबलपुर अभियांत्रिकी महाविद्यालय, जबलपुर

जबलपुर अभियांत्रिकी महाविद्यालय (जेईसी), जिसे पहले शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, जबलपुर के नाम से जाना जाता था, जबलपुर, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित एक संस्थान है। यह भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान, शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, जबलपुर के रूप में स्थापित किया गया था और यह भारत का १५ वां सबसे पुराना अभियांत्रिकी संस्थान है। यह भारत का पहला संस्थान है जिसने देश में इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार अभियांत्रिकी की शिक्षा शुरू की और यह भारत में ब्रिटिश द्वारा स्थापित अंतिम शैक्षिक संस्थान भी है। संस्थान अभियांत्रिकी अनुप्रयुक्त विज्ञान में स्नातक, स्नाकोत्तर और डॉक्टरेट उपाधि प्रदान करता है। संस्थान ने मार्च २०१३ में एक घोषणा की, कि वह अभियांत्रिकी में नए पाठ्यक्रम शुरू कर रहा है जैसे प्रबंधन, रचना विज्ञान, वास्तुकला, नगर नियोजन, भेषज विज्ञान, साइबर और व्यवसाय और कानून में स्नाकोत्तर आदि। .

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जबलपुर उच्च न्यायालय

जबलपुर उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश का उच्च न्यायालय है। यह १९५६ में स्थापित हुआ था। .

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जय सिंह प्रथम

मिर्जा राजा जयसिंह (15 जुलाई, 1611 – 28 अगस्त, 1667) आम्बेर के राजा तथा मुगल साम्राज्य के वरिष्ठ सेनापति (मिर्जा राजा) थे। राजा भाऊ सिंह उसके पिता थे जिन्होने 1614 से1621 तक शासन किया। .

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जय हो भ्रष्टाचार की

जय हो भ्रष्टाचार की निरुपमा प्रकाशन, मेरठ द्वारा प्रकाशित सुप्रसिद्ध कवि गाफिल स्वामी का काव्य संग्रह है। यह पुस्तक भ्रष्टाचार पर केन्द्रित है। काव्य कृति (जय हो भ्रष्टाचार की) किताब के लेखक कवि गाफिल स्वामी ने इस किताब के माध्यम से देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर समाज को नई दिशा की ओर मोड़ने का काम किया है। उनको इस कृति की रचना करने पर शब्द प्रवाह साहित्य मंच उज्जैन, मध्य प्रदेश द्वारा शब्द भूषण की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। वर्तमान परिवेश में भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है जो ढलान पर अनियंत्रित वाहन की तरह गति पकड‌ चुका है। विषय विशेष पर इतना अधिक लिखना विरले लोग ही कर पाते हैं। इस पुस्तक के प्रकाशन से कवि ने सदियों तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। किसी कविता में कुछ अलग हटकर लिखा हो तो उस विशेष कविता की चर्चा अनिवार्य हो जाती है। लेकिन इस पुस्तक में प्रत्येक कविता विशेष होने के कारण किसी खण्डकाव्य का अर्क प्रतीत होती है। भ्रष्टाचार पर अंकुश असंभव सा लगता है। .

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जयभान सिंह पवैया

जयभान सिंह पवैया (जन्म: ०६ जुलाई १९५५) एक सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ता एवं राजनेता हैं। सम्प्रति वे मध्य प्रदेश के उच्चतर शिक्षा मंत्री हैं। वे विनय कटियार के बाद बजरंग दल के द्वितीय अध्यक्ष बने। इसके पहले वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक थे। .

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जया बच्चन

जया बच्चन (जया भादुरी, विवाह पूर्व) हिन्दी फिल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

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जलवाही सेतु

हम्पी का प्राचीन जलवाही सेतु किसी नदी, नाले अथवा घाटी पर पुल बनाकर उसपर से यदि कोई कृत्रिम जलधारा ले जाई जाती है, तो उस पुल को जलवाही सेतु या 'जलसेतु' (Aqueducts) कहते हैं (इसके विपरीत यदि कृत्रिम जलधारा नदी नाले आदि के नीचे से गुजरती है, तो पुल ऊर्ध्वलंघिका कहलाता है)। इंजीनियरी, विज्ञान और उद्योग का विकास हो जाने से आजकल बड़े बड़े व्यास के नल कंक्रीट या लोहे के बनाए जाते हैं। अत: जल बहुधा बड़े बड़े नलों में ले जाया जाता है, जो भूमि के तल के अनुसार ऊँचे नीचे हो सकते हैं और वर्चस्‌ का दबाव सह सकते हैं। किंतु प्राचीन काल में बहुधा खुली नालियाँ ही होती थीं, या नालियों चिनाई आदि करके बनाई जाती थीं, जो भीतर की ओर से जल का दबाव सहन नहीं कर पाती थीं। अत: उन्हें उद्गम से लेकर अंतिम सिरे तक एक नियमित ढाल में ले जाना अनिवार्य था। इसलिये नदी, नाले या घाटियाँ पार करते समय जलसेतु बनाने पड़ते थे। बहुत बड़ी नहरों के लिये, जिनका निस्सरण बड़े बड़े नलों की समाई से भी कहीं अधिक होता है, जलसेतु आज भी अनिवार्य हैं। .

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जलगाँव जिला

जलगाँव जिला (मराठी:जळगाव जिल्हा), भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है, जिसे पहले पूर्वी खानदेश जिला के नाम से जाना जाता था। इस जिले का मुख्यालय जलगाँव शहर है। यह जिला नासिक मंडल के अंतर्गत आता है। जिले का कुल क्षेत्रफल 11,765 किमी² और जनसंख्या 3,682,690 है (2001 जलगणना) जिसमें से 71.4% आबादी ग्रामीण है। जिले के उत्तर में मध्य प्रदेश, पूर्व में बुलढाणा जिला, दक्षिणपूर्व में जालना जिला, दक्षिण में औरंगाबाद जिला, दक्षिणपश्चिम में नासिक जिला और पश्चिम में धुले जिला स्थित है। .

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जाँनिसार अख्तर

जाँनिसार अख्तर (उर्दू: جان نثار اختر;अंग्रेजी:Jan Nisar Akhtar, 18 फ़रवरी 1914 – 19 अगस्त 1976) भारत से 20 वीं सदी के एक महत्वपूर्ण उर्दू शायर, गीतकार और कवि थे। वे प्रगतिशील लेखक आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए भी गाने लिखे.

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जानकी मन्दिर, नेपाल

जानकी मन्दिर (जानकी मन्दिर) नेपाल के जनकपुर के केन्द्र में स्थित एक हिन्दू मन्दिर एवं ऐतिहासिक स्थल है। यह हिन्दू देवी सीता को समर्पित है। मन्दिर की वास्तु हिन्दू-राजपूत वास्तुकला है। यह नेपाल में सबसे महत्त्वपूर्ण राजपूत स्थापत्यशैली का उदाहरण है और जनकपुरधाम भी कहलाता है। यह मन्दिर ४८६० वर्ग फ़ीट क्षेत्र में निर्मित विस्तृत है और इसका निर्माण १८९५ में आरंभ होकर १९११ में पूर्ण हुआ था। मन्दिर परिसर एवं आसपास ११५ सरोवर एवं कुण्ड हैं, जिनमें गंगासागर, परशुराम कुण्ड एवं धनुष-सागर अत्याधिक पवित्र कहे जाते हैं। .

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जावरा

जावरा मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की तहसील है।यहाँ मंडी हैं आसपास के कृषक अपनी उपज लेके आते हैं जावरा शहर में अजमेर शरीफ की तरह जावरा शरीफ हे, जहॉ दूर दुर से जायरीन लोग आते हे, जावरा शहर में (A Class) की मंडी हे जहॉ दूर दुर के किसान उपज लेकर आते है, मंदसौर की तरह जावरा की मंडी भी लहसुन के लीए परसिद है, NH 79 खरगौन, भुसावल, चितौरगढ हाईवे जावरा से ही गुजरता है .

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जांजगीर का विष्णु मंदिर

छत्तीसगढ़ के इस दक्षिण कोशल क्षेत्र में कल्चुरी नरेश जाज्वल्य देव प्रथम ने भीमा तालाब के किनारे ११ वीं शताब्दी में एक मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर भारतीय स्थापत्य का अनुपम उदाहरण है। मंदिर पूर्वाभिमुखी है, तथा सप्तरथ योजना से बना हुआ है। मंदिर में शिखर हीन विमान मात्र है। गर्भगृह के दोनो ओर दो कलात्मक स्तंभ है जिन्हे देखकर यह आभास होता है कि पुराने समय में मंदिर के सामने महामंडप निर्मित था। परन्तु कालांतर में नहीं रहा। मंदिर का निर्माण एक ऊँची जगती पर हुआ है। .

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जिनप्रभ सूरि

जिनप्रभ सूरि ईसवी सन् की १४वीं शताब्दी में एक असाधारण प्रतिभाशाली जैन आचार्य हो गए हैं। मुगल बादशाह अकबर के दरबार में जो स्थान जगद्गुरु हीरविजय सूरि को प्राप्त था, वही स्थान तुगलक सुलतान मुहम्मदशाह के दरबार में जिनप्रभ सूरि का था। जिनप्रभ सूरि लघु खरतर गच्छ के प्रवर्तक जिनसिंह सूरि के प्रधान शिष्य थे। संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश में विविध विषयों पर इन्होंने महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे हैं। प्रतिदिन किसी अभिनव काव्य की रचना करने के पश्चात् ही आहारग्रहण करने का उनका नियम था। उनके जीवनकाल में बघेला वंश का अंत, गुजरात का मुसलमान बादशाहों के अधिकार में चला जाना, दिल्ली में मुगल सल्तनत का आरंभ आदि अनेक रोमांचकारी ऐतिहासिक घटनाएँ घटी थीं। जिनप्रभ सूरि को भ्रमण का बहुत शौक था तथा गुजरात, राजस्थान, मालवा, मध्यप्रदेश, बरार, दक्षिण, कर्णाटक, तेलंगाना, बिहार, अवध, उत्तर प्रदेश और पंजाब आदि स्थानों की यात्राएँ इन्होंने की थीं। अपने विविध तीर्थकाल में इस भ्रमण का विस्तृत वृतांत जिनप्रभ सूरि संकलित किया है। इस वृत्तांत के अनुसार विक्रम संवत् १२५ (११९९ ई.) में सुलतान अलाउद्दीन के छोटे भाई उल्लू खाँ (अलफ खाँ) ने दिल्ली से गुजरात पर आक्रमण किया। उस समय चित्तौड़ के नरेश समरसिंह ने उल्लू खाँ को दंड देकर मेवाड़ की रक्षा की। विविध तीर्थकल्प में बनारस के मणिकणिंकाघाट तथा देववाराणसी, राजधानी वाराणसी, मदन वाराणसी और विजयवाराणसी का उल्लेख है। राजधानी वाराणसी में यवन रहते थे। आजकल का मदनपुरा ही मदन वाराणसी हो सकता है। श्रेणी:जैन आचार्य.

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जिओ

जियो (जिओ) (Jio; आधिकारिक नाम: रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड, RJIL) भारत में मोबाइल टेलीफोन, ब्रॉडबैण्ड सेवाएँ तथा डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने वाली कम्पनी है। .

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जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय

जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित एक कृषि विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना वर्ष 1964 में हुई।http://mp.gov.in/krishi/jnau-jabalpurhttp://www.jnkvv.nic.in/यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त है।http://www.ugc.ac.in/stateuniversitylist.aspx?id.

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जगमोहन सिंह राजपूत

जगमोहन सिंह राजपूत भारत के एक प्रमुख शिक्षा शास्त्री हैं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक रह चुके राजपूत कई अन्य संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त वे यूनेस्को सहित कई अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं से भी जुड़े रहे हैं। यूनेस्को ने उन्हें जॉन एमोस कामेनियस मैडल से सम्मानित किया। मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें वर्ष 2011-12 के लिये महर्षि वेदव्यास सम्मान दिया। वर्ष 2004 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी आदि अनेक देशों में व्याख्यान देने सहित विशिष्ट स्थापना कार्य किये। राजपूत की हिन्दी व अंग्रेजी में निम्न पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं.

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जंगल बुक (1967 की फ़िल्म)

द जंगल बुक (अंग्रेज़ी: The Jungle Book) 1967 की एक अमेरिकी एनिमेटेड फिल्म है जिसका निर्माण डिज़्नी एनिमेशन स्टूडियो द्वारा किया गया था। 18 अक्टूबर 1967 को जारी की गई यह फिल्म वॉल्ट डिज़्नी की एनिमेटेड क्लासिक्स श्रृंखलाओं की 19वीं एनिमेटेड फिल्म है। यह रुडयार्ड किपलिंग द्वारा लिखित इसी नाम की पुस्तक में वर्णित मोगली नामक जंगली बच्चे की कहानियों से प्रेरित थी। फिल्म में "द बेयर नेसेसिटीज़ (The Bare Necessities)" और "आई वान्ना बी लाइक यू (I Wan'na Be Like You)" सहित कई उत्कृष्ट गीत हैं। अधिकांश गीत रिचर्ड एम.

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ज्ञानरंजन

ज्ञानरंजन हिन्दी साहित्य के एक शीर्षस्थ कहानीकार तथा हिन्दी की सुप्रसिद्ध पत्रिका पहल के संपादक हैं। .

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ज्योति धुर्वे

ज्योति धुर्वे भारत की सोलहवीं लोक सभा की सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के बेतूल से निर्वाचित हुईं। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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ज्योतिरादित्य सिंधिया

ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया (जन्मः १ जनवरी १९७०) भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रिमंडल में वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री है। श्री सिंधिया लोकसभा की मध्य प्रदेश स्थित गुना संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। ज्योतिरादित्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सम्बन्ध रखते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया मनमोहन सिंह के सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे हैं यह गुना शहर से कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार रहे हॆं। इनके पिता स्व.श्री माधवराव सिन्धिया जी भी गुना से कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार रहे थे। श्रेणी:भारत सरकार के मंत्री श्रेणी:1970 में जन्मे लोग श्रेणी:जीवित लोग श्रेणी:सिंधिया परिवार.

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ज्योत्स्ना मिलन

ज्योत्स्ना मिलन (१९ जुलाई १९४१-५ मई २०१४) हिंदी की कवयित्री एवं कथाकार थीं। वे स्त्रियों के संगठन 'सेवा' के मासिक मुखपत्र 'अनसूया' की संपादक भी थीं। उन्हें महिलाओं के उत्थान तथा उनसे जुड़े संवेदनशील मुददों को अपनी लेखनी के माध्यम से अभिव्यक्त करने में महारत हासिल थी। वे वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री रमेशचन्द्र शाह की पत्नी थीं। ‘घर नहीं’ (कविता-संग्रह): ‘अ अस्तु का’ (उपन्यास) और ‘खंडहर और अन्य कहानियां’ (कहानी - संग्रह) इत्यादि उनकी प्रमुख कृतियां हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से उनकी रचनाएं प्रकाशित व प्रशंसित हुई है। साथ हीं वे अनेक मानद सम्मानों से सम्मानित भी हुईं हैं। उनका दिनांक 5 मई 2014 को रात लगभग आठ बजे निधन हो गया। 'हम सविता' श्री इला र. भट्ट की 'स्त्री-चिंतन की पुस्तक' का उन्होने अनुवाद एवं संपादन किया। साथ हीं इला बहन भट्ट के ऐतिहासिक उपन्यास 'लॉरी युद्ध' का अनुवाद और गुजराती के निरंजन भगत, सुरेश जोशी, लाल शंकर ठाकर, गुलाम मोहम्मद शेख, प्रियकांत मणियार एवं पवन कुमार जैन की कविताओं का भी उन्होने अनुवाद किया। वर्ष १९८५-८६ के लिए मध्यप्रदेश सरकार की मुक्तिबोध फेलोशिप एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सीनियर फेलोशिप उपन्यास लेखन के लिए। रामानुजम तथा धारवाडकर द्वारा संपादित 'दि ऑक्सफोर्ड एंथोलॉजी ऑफ इंडियन पोइट्री', आरलिन जाइड द्वारा संपादित 'इन देयर ऑन वॉइस' एवं १९९८ की श्रेष्ठ कहानियाँ के गुजराती संकलन में उनकी कहानी संकलित है। .

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जैन समुदाय

भारतीय जैन श्रमण परम्परा के अंतिम प्रत्यक्ष प्रतिनिधि हैं। जैन जैन धर्म के अनुयायी हैं जो धार्मिक निष्ठा के उन चौबीस प्रवर्तकों द्वारा बताया गया जिन्हें तीर्थंकर कहा जाता है। .

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जे.सी. कुमारप्पा

गांधीवादी अर्थशास्त्री जेसी कुमारप्पा जे सी कुमारप्पा (४ जनवरी १८९२ - ३० जनवरी १९६०) भारत के एक अर्थशास्त्री थे। उनका मूल नाम 'जोसेफ चेल्लादुरई कॉर्नेलिअस' (Joseph Chelladurai Cornelius) था। वे महात्मा गांधी के निकट सहयोगी रहे। वे ग्राम-विकास सम्बन्धी आर्थिक सिद्धान्तों के अग्रदूत थे। उन्होने गांधीवाद पर आधारित आर्थिक सिद्धान्तों का विकास किया। जे सी कुमारप्पा को भारत में गाँधीवादी अर्थशास्त्र का प्रथम गुरु माना जाता है। अपने जीवनकाल में कुमारप्पा ने गाँधीवादी अर्थशास्त्र से जुड़े विषयों पर न केवल विशद लेखन किया बल्कि एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में भारत के दूरस्थ स्थानों में अनेक आर्थिक सर्वेक्षण करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कायाकल्प के लिए सार्थक कार्यनीति का प्रतिपादन भी किया। कुमारप्पा का अर्थशास्त्र स्वतंत्र भारत के हर व्यक्ति के लिए आर्थिक स्वायत्तता एवं सर्वांगीण विकास के अवसर देने के उसूल पर आधारित था। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और इसके प्राकृतिक स्वरूप को उन्नत करने के हिमायती कुमारप्पा ऐसे बिरले अर्थशास्त्री थे जो पर्यावरण संरक्षण को औद्योगिक-वाणिज्यिक उन्नति से कहीं अधिक लाभप्रद मानते थे। गाँधी के आर्थिक दर्शन से कांग्रेस पार्टी में उनके अपने सहयोगी भी पूर्णतः सहमत नहीं थे। इसीलिए स्वतंत्र भारत की आर्थिक नीतियों और गाँधीवादी आर्थिक नीतियों के बीच कोई समानता नहीं रही। परिणास्वरूप स्वतंत्र भारत ने पाश्चात्य अर्थव्यस्था के नमूने के अंधानुकरण की होड़ में कुमारप्पा को जल्दी ही विस्मृत कर दिया। .

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जेट कनेक्ट

जेट कनेक्ट के रूप में संचालित जेटलाइट (पूर्व नाम: एयर सहारा) मुंबई, भारत में आधारित एक वायुसेवा थी। रीडिफ.कॉम, 16 अप्रैल 2007 इसे पहले जेट एयर वेज़ कनेक्ट के नाम से जाना जाता था, जेट लाईट इंडिया लिमिटेड का एक व्यावसायिक नाम है। यह मुंबई में स्थित एक विमानन सेवा है जिस पर की जेट एयरवेज का मालिकाना हक़ है। यह विमान सेवा भारत के सभी मेट्रोपोल शहरों को जोड़ने के लिए नियमित उड़ान सेवाएँ प्रदान करती है। .

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जेजाकभुक्ति

जेजाकभुक्ति के राजा। जेजाकभुक्ति के राजा या जिझौती गुप्तकाल का एक प्रसिद्ध राज्य था जो यमुना और नर्मदा नदी नदियों के बीच में स्थित है। इसे अब बुंदेलखंड कहते हैं। इस पर चंदेल राजाओं का शासन था। यह अब आंशिक रूप से उत्तर प्रदेश में तथा आंशिक रूप से मध्यप्रदेश में पड़ता है। जिझौती वीर-प्रसविनी भूमि रही है। इसने चंदेलों और बनाफर सरदार आल्हा ऊदल को ही नहीं, स्वातंत्रय-प्रेमी छत्रसाल आदि को भी जन्म देकर भारत का मस्तक उन्नत किया है। खजुराहो की अनुपम ललितकला और स्थापत्य भी इसी की उपज हैं। .

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जोगिंदर शर्मा

जोगिंदर नाथ शर्मा (Joginder Sharma) (इनका जन्म;२३ अक्टूबर १९८३, रोहतक, हरियाणा, भारत) में हुआ था। ये एक भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के क्रिकेट खिलाड़ी है तथा वर्तमान में हरियाणा में पुलिस अधिकारी है। ये घरेलू क्रिकेट हरियाणा क्रिकेट टीम के लिए खेलते थे। .

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जीवन प्रत्याशा के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

भारत का जीवन प्रत्याशा मानचित्र यह सूची जन्म के समय जीवन प्रत्याशा के आधार पर क्रमित है। इस सूची के आँकड़े 2011 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम भारत द्वारा प्रकाशित मानव विकास सूचकांक प्रतिवेदन से लिए गए हैं। इस प्रतिवेदन के आँकड़े वर्ष 2002 से 2006 के लिए हैं। 2004 में केरल की जन्म के समय जीवन प्रत्याशा सर्वाधिक थी। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए आँकड़े अनुपलब्ध थे। .

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जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान

जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य में मंडला ज़िले में स्थित एक पौधों के जीवाश्म का राष्ट्रीय उद्यान है जो मंडला ज़िले के सात गांवों में फैला हुआ है। श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय उद्यान श्रेणी:राष्ट्रीय उद्यान, भारत श्रेणी:भारत के अभयारण्य.

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जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर

जीवाजी विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है। इसका नाम जॉर्ज जीवाजी सिंधिया के नाम पर पड़ा है। इसकी स्थापना २३ मई सन् १९६४ को हुई थी। यह मप्र का उच्चकोटि का अध्ययन केँद्र है। .

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जीवाजीराव सिंधिया

महाराजा जीवाजीराव सिंधिया (26 जून 1916 - 16 जुलाई 1961) एक ग्वालियर के महाराजा है | .

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घटोत्कच गुप्त

घटोत्कचगुप्त (280 ई – 319 ई) गुप्तवंश का दूसरा राजा और उस वंश के प्रथम शासक श्रीगुप्त का पुत्र था। स्वयं तो वह केवल 'महाराज' अर्थात् सामंत मात्र था, किंतु उसका पुत्र चंद्रगुप्त प्रथम वंश का प्रथम सम्राट् हुआ। .

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घरों मे बिजली उपलब्धता के आधार पर भारत के राज्य

भारत के राज्यों की यह सूची उस क्रम में है जितने घरों में बिजली बिजली उपलब्ध है (प्रतिशत में)। निम्नलिखिन जानकारी वर्ष 2001 और 2011 के डेटा पर आधारित जो कि 2011 भारतीय जनगणना के दौरान प्रकाशित की गयी थी। .

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घासल

घासल राजस्थान और मध्य प्रदेश में पायी जाने वाली एक जाट गोत्र है। .

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वड़नगर

वड़नगर भारत देश में गुजरात राज्य के महसाणा जिला का एक नगर है। यह नगर भारतीय रेलमार्ग व सड़क मार्ग से जुड़ा है। यह भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का जन्म स्थान है। .

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वन विहार राष्ट्रीय उद्यान

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल में एक राष्ट्रीय उद्यान है। राष्ट्रीय उद्यान (नेशनल पार्क) का नाम सुनते ही आँखों के सामने दूर तक फैला घना जंगल और खुले घूमते जंगली जानवरों का दृश्य उभर आता है। लेकिन अगर आप कभी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल जाएँ तो वहाँ शहर के बीचोंबीच बना 'वन विहार' राष्ट्रीय उद्यान इन सब बातों को गलत साबित करता प्रतीत होगा। यह 'थ्री इन वन' राष्ट्रीय उद्यान है। यह अनोखा उद्यान नेशनल पार्क होने के साथ-साथ एक चिड़ियाघर (जू) तथा जंगली जानवरों का रेस्क्यू सेंटर (बचाव केन्द्र) भी है। 445 हैक्टेयर क्षेत्र में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान में मिलने वाले जानवरों को जंगल से पकड़कर नहीं लाया गया है। यहाँ ज्यादातर वो जानवर हैं जो लावारिस, कमजोर, रोगी, घायल अथवा बूढ़े थे या फिर जंगलों से भटक-कर ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में आ गए थे तथा बाद में उन्हें पकड़कर यहाँ लाया गया। कुछ जानवर दूसरे प्राणी संग्रहालयों से भी यहाँ लाए गए हैं जबकि कुछ सर्कसों से छुड़ाकर यहाँ रखे गए हैं। वन विहार अद्भुत है। पाँच किलोमीटर लंबे इस राष्ट्रीय उद्यान के एक तरफ पूरा पहाड़ और हराभरा मैदानी क्षेत्र है जो जंगलों तथा हरियाली से आच्छादित है। दूसरी ओर भोपाल का मशहूर तथा खूबसूरत बड़ा तालाब (ताल) है। ये संगम अपने आप में बहुत सुंदर लगता है। वन विहार विस्तृत फैला हुआ चिड़ियाघर है। यह प्रदेश का एकमात्र 'लार्ज जू' यानी विशाल चिड़ियाघर है। इससे पहले यह मध्यम श्रेणी के चिड़ियाघर में आता था। यह प्रदेश का एकमात्र ऐसा चिड़ियाघर भी है जिसकी देखरेख वन विभाग करता है। प्रदेश में दो अन्य चिड़ियाघर भी हैं। ये इंदौर और ग्वालियर में स्थित हैं। लेकिन ये दोनों ही चिड़ियाघर 'स्मॉल जू' यानी छोटे चिड़ियाघरों की श्रेणी में आते हैं और इनकी देखरेख स्थानीय नगर-निगम करता है। ये दोनों ही चिड़ियाघर किसी भी मामले में वन विहार के आस-पास नहीं ठहरते। वन विहार की शानदार खासियतों की वजह से ही इसे 18 जनवरी 1983 को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया जो अपने आप में एक उपलब्धि है। WD WD वन विहार के अंदर घुसने से पहले लगता ही नहीं है कि आप एक खूबसूरत जंगल में प्रवेश करने वाले हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य द्वार बोट क्लब के पास से है। इसका नाम रामू गेट है। इस गेट से दूसरी ओर भदभदा क्षेत्र स्थित चीकू गेट तक की कुल दूरी 5 किलोमीटर है। इस रास्ते को पार करते हुए आपको कई खूबसूरत तथा कभी ना भूलने वाले दृश्य दिखाई देंगे। आप इस विहार में इच्छानुसार पैदल, साइकिल, मोटरसाइकिल, कार या फिर बस से भी घूम सकते हैं। आपको इसके लिए वन विभाग द्वारा निर्धारित किया गया शुल्क चुकाना होगा। इसके बाद आपकी बाँई ओर जानवरों के खुले तथा विशाल बाड़े मिलते जाएँगे जहाँ उनको उनके प्राकृतिक आवास में देखा जा सकता है। शुरुआत सियार तथा हाइना (लगड़बग्घे) के बाड़ों से होती है। इसके बाद भालू, शेर, हिमालयी भालू, तेंदुए और बाघ के बाड़े आते हैं। इन सब बड़े जानवरों को देखने के लिए पार्क में सुबह या शाम का समय सबसे अधिक मुफीद रहता है। दोपहर के समय ये सब जानवर धूप से बचने के लिए कहीं छाँव तलाशकर आराम करते रहते हैं। पानी वाले क्षेत्र में आपको पहाड़ी कछुए, मगरमच्छ और घड़ियाल देखने को मिलेंगे। पार्क के बीचोंबीच स्नेक पार्क भी मिलेगा वहाँ विभिन्न प्रकार के साँप देखने को मिलते हैं। हिरण के बाड़े बच्चों को बहुत आकर्षित करते हैं और मुझे तो वहाँ हिरण सड़क पर हमारे साथ-साथ चलते-घूमते दिखे। इतना ही नहीं वन विहार में बहुतायत में सांभर, चीतल, नीलगाय, कृष्णमृग, लंगूर, लाल मुंह वाले बंदर, जंगली सुअर, सेही और खरगोश हैं। विहार में पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियों को चिन्हित किया गया है। यहाँ कई प्रकार की वनस्पति है जो यहाँ के जंगल को समृद्ध बनाती है। भोपाल के बड़े तालाब का 50 हेक्टेयर हिस्सा वन विहार के साथ-साथ चलता है। यह पूरे भूदृश्य को बहुत मनोरम बना देता है। शाम को यहाँ पक्षियों की चहचहाहट देखने लायक होती है। पर्यटकों के लिए यहाँ ट्रेकिंग का भी इंतजाम है जिसे करके पूरे उद्यान की भौगोलिक स्थिति को पास से देखा तथा महसूस किया जा सकता है। रुकिए, अगर इतना सब घूमकर आप थक गए हैं, थोड़ा विश्राम करना चाहते हैं और आपको भूख भी लगी है तो यहाँ आपके लिए शानदार 'वाइल्ड कैफे' मौजूद है। इस खूबसूरत कैफे में बैठकर आप प्रकृति के साथ लजीज भोजन या नाश्ते का लुत्फ ले सकते हैं। बारिश के समय तो लकड़ियों की ऊँची बल्लियों पर बने इस कैफे के नीचे से पानी भी बहता है जो एक मनोरम वातावरण पैदा कर देता है। नाश्ता कर चुकने के बाद आप कैफे के साथ ही बने 'विहार वीथिका' में जा सकते हैं। वहाँ आपको चित्रों तथा कुछ वास्तविक चीजों के माध्यम से जंगलों तथा जंगली जानवरों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलेंगी। छुट्टियों के दिन: - पार्क सभी शुक्रवार बंद रहता है। - इसके अलावा होली तथा रंगपंचमी को भी पार्क बंद रहता है। महत्वपूर्ण जानकारियाँ: - कब जाएँ: उद्यान पूरे साल भर खुला रहता है। - समय: 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक सुबह 7 से शाम 6:30 तक 1 अक्टूबर से 31 मार्च तक सुबह 7 से शाम 6 बजे तक .

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वर्धा

वर्धा जिला: यह भारत के महाराष्ट्र राज्य का जिला है। इस जिले का क्षेत्रफल 2,429 वर्ग मील है। हिंगणघाट तथा पुलगाँव में सूती वस्त्र की मिलें हैं। यह मराठी भाषाभाषी जिला है। वर्धा नगर: नागपुर से 50 मील दूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित यह नगर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आश्रम के कारण प्रसिद्ध है। यह नगर वर्धा जिले का मुख्यालय है। वर्धा नदी - भारत में मध्य प्रदेश राज्य के मध्य सतपुड़ा पर्वतश्रेणी से नागपुर नगर से 70 मील उत्तर-पश्चिम से निकलती है। मुख्यत: दक्षिण-पूर्व दिशा में यह महाराष्ट्र राज्य से होकर महाराष्ट्र-आंध्र प्रदेश सीमा पर, चाँदा जिले (महाराष्ट्र राज्य) के सिवनी स्थान पर, वेनगंगा नदी से मिलती है। इन दोनों के संगम के बाद नदी का नाम प्राणहिता हो जाता है, जो गोदावरी नदी की सहायक नदी है। वर्धा नदी की मुख्य सहायक नदी पेनगंगा है। यह नदी एक कपास उत्पादक क्षेत्र के मध्य से बहती है। वर्धा नदी की कुल लंबाई 290 मील है। .

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वर्धा नदी

मध्यप्रदेश के बैतूल जिला की मुल्ताई तहसील के वर्धन शीखर (811 मीटर ऊँचाई से इसका उद्गम होता हैँ। गहरे चट्टानी क्षेत्र में इसका प्रवाह तेज होता है यह नदी लगभग 13 किलोमीटर तक यह छिंदवाड़ा ज़िला की दक्षिणी सीमा बनाती हैँ। इसके बाद यह नदी महाराष्ट्र राज्य में प्रवेश करती है इस नदी की कुल लम्बाई 525 किलोमीटर तथा अपवाह क्षेत्र 24087 वर्ग किलोमीटर हैँ अंत में यह नदी वैनगंगा नदी में मिल जाती हैं। श्रेणी:भारत की नदियाँ श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ.

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वर्षा वर्मन

वर्षा वर्मन (जन्म-१ जून १९९४), एक पेशेवर भारतीय शूटर और भारतीय शूटिंग टीम की सदस्य हैं। वह वर्तमान में अभी संयुक्त राज्य अमरीका से हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रही हैं। इनचान में हुए २०१४ के एशियाई खेलो में महिला डबल ट्रैप टीम स्पर्धा में इन्होने भारत के लिए कास्य पदक जीता था। वर्षा ने एशियाई खेलो में डबल ट्रैप टीम में जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। वह अभी तक अपने राज्य-मध्य प्रदेश से से पदक जीतने वाली सबसे युवा खिलाडियों में से एक हैं। राष्ट्रमंडल खेलो में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली अपने राज्य की एक एकमात्र खिलाडी हैं। कक्षा १२वी में वर्षा ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से अजमेर क्षेत्र में ९७.२% (#१ स्थान) अंक प्राप्त किये थे व पूरे भारत में चौथा स्थान प्राप्त किया। २०१३ में उन्हें प्रतिष्ठित "एकलव्य पुरस्कार" से सम्मानित किया गया। उनकी सराहनीये प्रदर्शन के लिए २०१५ में "विक्रम पुरस्कार" से सम्मानित किया गया। .

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वार्ली (वार्ली)

वार्ली या वर्ली भारत के मूल निवासी हैं जो अधिकतर महाराष्ट्र के पालघर जिले के डहाणू और तलासरी तालुकों तथा नाशिक और धुले जिलों, गुजरात के वलसाड जिले और दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव के संघ क्षेत्रों में रहते हैं। उनकी मौखिक परंपरा से हमें पता चलता है कि खेती के स्थानांतरण के लिए भूमि की खोज में दक्षिण की ओर सह्याद्री (पश्चिमी घाट के रूप में भी जाना जाता है) की तलहटी में चले गए। .

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वाहनों के घनत्व के आधार पर भारत के राज्य

यह सूची भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों में वर्ष 2011-2012 में प्रति 1,000 लोगों पर पंजीकृत वाहनों की है। यह सूची सड़क परिवहन और राजमार्ग मन्त्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित सड़क परिवहन वार्षिकी 2011-2012 से ली गई है। .

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वाजिद खान

वाजिद खान (जन्म: १० मार्च १९८१, मंदसौर,मध्य प्रदेश, भारत) एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आयरन नेल आर्टिस्ट (कलाकार), चित्रकार, पेटेंट धारक, व अविष्कारक हैं। .

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वागीश शास्त्री

भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी वागीश शास्त्री (जन्म: २४ जुलाई १९३४; बी.पी.टी. वागीश शास्त्री के नाम से भी जाने जाते हैं) अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत व्याकरणज्ञ, उत्कृष्ट भाषाशास्त्री, योगी एवं तांत्रिक हैं। इनका जन्म खुरई, मध्य प्रदेश में २४ जुलाई १९३४ को हुआ था। प्राथमिक शिक्षा वहीं पाकर आगे वृंदावन और बनारस में अध्ययन किया। १९५९ में इन्होंने संस्कृत व्याख्याता के रूप में टीकमणि संस्कृत महाविद्यालय, वाराणसी में कार्य किया। जल्दी ही इनके कार्य देखते हुए इन्हें १९७० मे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में व्याख्याता और फिर निदेशक पद पर चयन हो गया। इस माननीय शैक्षणिक पद पर ये तीन दशक तक रहे। वर्ष 2014-15 के लिए यश भारती सम्मान पाने वाले भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी ‘वागीश शास्त्री’ अपने चाहने वालों के बीच बीपीटी के नाम से जाने जाते हैं। लगभग 30 वर्ष तक संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को अपनी सेवा देने वाले आचार्य वागीश शास्त्री को 1982 में ही काशी पंडित परिषद की ओर से 'महामहोपाध्याय' की पदवी दी गई थी। उन्होंने 40 से अधिक पुस्तकें लिखीं हैं और 300 से ज्यादा पांडुलिपियों का संपादन किया है। काशी परंपरा के संस्कृत के विद्वान डॉ॰ वागीश शास्त्री को साल 2013 में संस्कृत साहित्य में योगदान के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्हें राजस्थान संस्कृत अकादमी की ओर से बाणभट्ट पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वागीश शास्त्री ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘सरस्वती सुषमा’ का लगभग 30 सालों तक संपादन किया था। .

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विटीफीड

विटीफीड (WittyFeed) एक इंटरनेट मीडिया और सूचना-सामग्री (कन्टेन्ट) प्रदाता कम्पनी है। इसका आरम्भ २०१४ में हुआ था। यह इन्दौर से शुरू हुई। सम्प्रति इसमें कुल १०० कर्मचारी हैं और आवागमन (ट्रैफिक) की दृष्टी से यह विश्व की दूसरी और भारत की पहली सबसे बड़ी वाइरल कन्टेन्ट कम्पनी है। सम्प्रति यह अंग्रेजी, हिन्दी और स्पेनी भाषाओं में इसकी सामग्री उपलब्ध करा रही है। यह समाचार, खेल, फैशन, लाइफ स्टाइल, यात्रा, प्रेरणा, स्वास्थ्य इत्यादि सम्बंधित श्रेणियों में सामग्री प्रकाशित करती हैं। विटीफीड विभिन्न् विषयों पर लिखने वाले लेखकों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाता है। यूट्यूब की भांति अपने पंजीकृत उपयोगकर्ताओं (लेखको और ब्लॉगर्स) को मूल सामग्री (फोटो सहित लेख) वेबसाइट पर पोस्ट करने की अनुमति देता हैं और पोस्ट पर अर्जित ट्रैफिक (आवागमन) के अनुसार उपयोगकर्ता (लेखक) को राशि का भुगतान करता हैं। मई २०१७ तक, विटीफीड की वैश्विक अलेक्सा रेटिंग #१७० और भारत में #१८ हैं। .

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विदिशा

विदिशा जिला विदिशा भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर- पूर्व हिस्से में अवस्थित है तथा पश्चिम में मुख्य पठार से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक व पुरातात्विक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र मध्यभारत का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जा सकता है। नगर से दो मील उत्तर में जहाँ इस समय बेसनगर नामक एक छोटा-सा गाँव है, प्राचीन विदिशा बसी हुई है। यह नगर पहले दो नदियों के संगम पर बसा हुआ था, जो कालांतर में दक्षिण की ओर बढ़ता जा रहा है। इन प्राचीन नदियों में एक छोटी-सी नदी का नाम वैस है। इसे विदिशा नदी के रूप में भी जाना जाता है। विदिशा में जन्में श्री कैलाश सत्यार्थी को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। .

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विदिशा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

विदिशा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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विदिशा ज़िला

विदिशा जिलाभारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय विदिशा है। यह विंध्याचल पठार पर मुख्य विंध्याचल पर्वतमाला में स्थित है, जो उत्तर और उत्तर-पूर्व की ओर फैला है। पठार उत्तर की ओर ढलान और यह कई नदियों से घिरा है। अधिकांश विदिशा बेतवा नदी की घाटी में स्थित है जो दक्षिण से उत्तर में बहती है। इस घाटी की सीमा पूर्व में गढ़ी-टेंडा रेंज और पश्चिम में गनीरी-राघोगढ़ रेंज द्वारा की गई है। इन दोनों श्रेणियों में मालवा पठार पर विंध्याचल की सीमाओं का हिस्सा बनता है और दक्षिण से उत्तरी तक का विस्तार होता है। .

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विदिशा का इतिहास

विदिशा भारतवर्ष के प्रमुख प्राचीन नगरों में एक है, जो हिंदू तथा जैन धर्म के समृद्ध केन्द्र के रूप में जानी जाती है। जीर्ण अवस्था में बिखरे पड़े कई खंडहरनुमा इमारतें यह बताती है कि यह क्षेत्र ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि कोण से मध्य प्रदेश का सबसे धनी क्षेत्र है। धार्मिक महत्व के कई भवनों को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने या तो नष्ट कर दिया या मस्जिद में बदल दिया। महिष्मती (महेश्वर) के बाद विदिशा ही इस क्षेत्र की सबसे पुराना नगर माना जाता है। महिष्मती नगरी के ह्रास होने के बाद विदिशा को ही पूर्वी मालवा की राजधानी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसकी चर्चा वैदिक साहित्यों में कई बार मिलता है। .

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विदिशा के दर्शनीय स्थल

विदिशा मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक नगरी है। ऐतिहासिक नगरी होने के कारण विदिशा की प्राचीन इमारते और स्थापत्य दर्शनीय हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ प्राकृतिक स्थल और धार्मिक महत्व के स्थान भी देखने के योग्य हैं। विदिशा के निकटवर्ती छोटे छोटे नगर अपने में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर समेटे हुए हैं। अतः इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए इनको देखना भी रुचिकर है। .

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विदिशा की जलवायु

विदिशा मालवा के उपजाऊ पठारी क्षेत्र के उत्तर- पूर्व हिस्से में अवस्थित है तथा पश्चिम में मुख्य पठार से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक व पुरातात्विक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र मध्यभारत का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जा सकता है। नगर से दो मील उत्तर में जहाँ इस समय बेसनगर नामक एक छोटा- सा गाँव है, प्राचीन विदिशा बसी हुई है। यह नगर पहले दो नदियों के संगम पर बसा हुआ था, जो कालांतर में दक्षिण की ओर बढ़ता जा रहा है। इन प्राचीन नदियों में एक छोटी- सी नदी का नाम वैस है। इसे विदिशा नदी के रूप में भी जाना जाता है। .

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विदिशा की वन संपदा

विदिशा भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। प्राचीन नगर विदिशा तथा उसके आस- पास के क्षेत्र को अपनी भौगोलिक विशिष्टता के कारण एक साथ दशान या दशार्ण (दस किलो वाला) क्षेत्र की संज्ञा दी गई है। यह नाम छठी शताब्दी ई. पू.

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विद्यानंद

आचार्य Vidyanand जी (हिंदी: आचार्य विद्यानंद) (जन्म 22 अप्रैल 1925) के एक वरिष्ठ सबसे प्रमुख विचारक, दार्शनिक, लेखक, संगीतकार, संपादक, क्यूरेटर और एक बहुमुखी जैन साधु समर्पित किया है, जो अपने पूरे जीवन में उपदेश और अभ्यास महान अवधारणा की अहिंसा (अहिंसा) के माध्यम से जैन धर्महै। वह है के शिष्य आचार्य Deshbhushan.

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विनायक सीताराम सर्वते

विनायक सीताराम सर्वते को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये मध्य प्रदेश से हैं। श्रेणी:१९६६ पद्म भूषण.

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विन्ध्याचल पर्वत शृंखला

विंध्याचल पर्वत शृंखला भारत के पश्चिम-मध्य में स्थित प्राचीन गोलाकार पर्वतों की शृंखला है जो भारत उपखंड को उत्तरी भारत व दक्षिणी भारत में बांटती है। (विन्ध्याचल .

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वियोगी हरि

सं.-वियोगी हरि (1895-1988 ई.) प्रसिद्ध गांधीवादी एवं हिन्दी के साहित्यकार थे। ये आधुनिक ब्रजभाषा के प्रमुख कवि, हिंदी के सफल गद्यकार तथा समाज-सेवी संत थे। "वीर-सतसई" पर इन्हें मंगलाप्रसाद पारितोषिक मिला था। उन्होंने अनेक ग्रंथों का संपादन, प्राचीन कविताओं का संग्रह तथा संतों की वाणियों का संकलन किया। कविता, नाटक, गद्यगीत, निबंध तथा बालोपयोगी पुस्तकें भी लिखी हैं। वे हरिजन सेवक संघ, गाँधी स्मारक निधि तथा भूदान आंदोलन में सक्रिय रहे। .

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विरेंद्र कुमार सकलेचा

विरेंद्र कुमार सकलेचा एक भारतीय राजनेता है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। श्रेणी:मध्य प्रदेश श्रेणी:मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रेणी:मुख्यमंत्री श्रेणी:राजनीतिज्ञ.

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विश्वास सारंग

'''विश्वास सारंग''' विश्वास सारंग, (जन्म - 29 दिसम्बर 1971), मध्य प्रदेश के नरेला विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी म.प्र.शासन में सहकारिता, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता व पूर्व सांसद कैलाश नारायण सारंग एवं प्रसून सारंग के कनिष्ठ पुत्र हैं। .

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विशेष न्यायालय विधेयक (मप्र)

विशेष न्यायालय विधेयक मध्य प्रदेश विधान सभा में अभी हाल में ही (अप्रैल २०११) पारित विधेयक है। इसमें भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं और सरकारी मुलाजिमों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए विशेष अदालतें गठित करने का प्रावधान है। इसमें काली कमाई से जुटाई संपत्ति राजसात करने और सजा का भी प्रावधान है। इसके दायरे में पंच, पार्षद से लेकर मुख्यमंत्री और भृत्य से लेकर मुख्य सचिव तक सभी लोकसेवक आएंगे। विशेष अदालतों के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी। लोक सेवकों के विरूद्ध भ्रष्ट आचरण के मामलों में पहले से कानून उपलब्ध हैं। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय दंड संहिता के तहत कार्यवाही की जाती है। यह अनुभव किया गया है कि इन कानूनों के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण में काफी समय लग जाता है। विलंब के कारण प्रकरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और इसका लाभ भ्रष्ट लोकसेवक को मिलता है। .

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विष्णु सदाशिव कोकजे

विष्णु सदाशिव कोकजा विश्व हिन्दू परिषद के नए अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। सन 2003 से 2008 तक वे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे। उन्होंने भारत विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी है। विष्णु सदाशिव कोकजे का जन्म मध्य प्रदेश में 6 सितंबर 1 9 3 9 में हुआ था। उन्होंने इंदौर से एलएलबी पूरा करने के बाद १९६४ में कानून का अभ्यास करना शुरु किया। उन्हें 28 जुलाई १९९० को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्होंने 2001 में 11 महीनों के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया और सितंबर 2002 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। वे 8 मई 2003 को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बने, और 1 9 जुलाई 2008 तक इस पद पर कार्यरत थे। .

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विजय मंदिर, विदिशा

विदिशा के किले की सीमा के अंदर पश्चिम की तरफ अवस्थित इस मंदिर के नाम पर ही विदिशा का नाम भेलसा पड़ा। सर्वप्रथम इसका उल्लेख सन् १०२४ में महमूद गजनी के साथ आये विद्धान अलबरुनी ने किया है। अपने समय में यह देश के विशालतम मंदिरों में से एक माना जाता था। साहित्यिक साक्ष्यों के अनुसार यह आधा मील लंबा- चौड़ा था तथा इसकी ऊँचाई १०५ गज थी, जिससे इसके कलश दूर से ही दिखते थे। दो बाहरी द्वारों के भी चिंह मिले हैं। सालों भर यात्रियों का मेला लगा रहता था तथा दिन- रात पूजा आरती होती रहती थी। .

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विजय घाटे

विजय घाटे(जन्म- अक्टूबर 18, 1964) भारत के एक विख्यात तबला वादक हैं। उन्हें कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2014 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। वे महाराष्ट्र राज्य से हैं। .

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विजयपुर, मध्यप्रदेश

विजयपुर या विजैपुर मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले की एक नगर पंचायत एवं नगर है। यह कुवारी नदी के तट पर बसा हुआ है। यहाँ का दुर्ग प्रसिद्ध है। .

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विजयराघवगढ़

विजयराघवगढ़ भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के कटनी जिले में एक कस्बा एवं नगर पंचायत है। यह एक ऐतिहासिक नगर भी है, यहाँ राजा सरयू प्रसाद सिंह का किला और माँ शारदा का प्रसिद्ध मंदिर है। यह कटनी जिले का सबसे बड़ा नगर और तहसील भी है। .

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विवेक तन्खा

विवेक तन्खा, भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील और संसद के एक सदस्य है । राज्य सभा के लिए, मध्य प्रदेश के सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस.

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विंध्य क्षेत्र

विन्ध्य प्रदेश, भारत का एक भूतपूर्व प्रदेश था जिसका क्षेत्रफल 23,603 वर्ग मील था। भारत की स्वतन्त्रता के बाद सेन्ट्रल इण्डिया एजेन्सी के पूर्वी भाग के रियासतों को मिलाकर १९४८ में इस राज्य का निर्माण किया गया था। इस राज्य की राजधानी रीवा थी। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश एवं दक्षिण में मध्य प्रदेश था। विंध्य क्षेत्र पारंपरिक रूप से विंध्याचल पर्वत के आसपास का पठारी भाग को कहा जाता है। .

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विंध्याचल महा ताप विद्युत गृह

विंध्याचल महा ताप विद्युत गृह (Vindhyachal Super Thermal Power Station) मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थित है। यह राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) का कोयले से चलने वाला विद्युतगृह है। वर्तमान समय में यह भारत का सबसे बड़ा (4760 मेगावाट) तापविद्युतगृह है। यह वाराणसी से लगभग 222 किमी दक्षिण में स्थित है। इस संयंत्र की टाउनशिप का नाम विन्ध्यनगर है। .

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विक्रमादित्य प्रतिमा

विक्रमादित्य प्रतिमा मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में महाकाल मन्दिर के पीछे 'विक्रम टीला' पर स्थित ३० फुट ऊँची विक्रमादित्य की प्रतिमा है। पीतल से निर्मित इस मूर्ति के निर्माण में १ करोड़ रूपए खर्च हुए हैं। इसे उज्जैन नगर निगम और 'सिंहस्थ तैयारी समिति' ने इंदौर के मूर्तिकार महेंद्र कोदवानी से निर्मित कराया है। .

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व्यौहार राममनोहर सिंहा

व्यौहार राममनोहर सिंहा (1929 - 2007) एक भारतीय कलाकार थे जिन्होंने भारतीय संविधान श्रेणी:भारतीय कलाकार.

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वैनगंगा नदी

भारत के राज्य मध्यप्रदेश के सिवनी जिला में वैनगंगा नदी का उदगम स्थल सिवनी से नागपुर रोड पर 10 कि.मी.

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वेणि शंकर झा

वेणि शंकर झा को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन १९७१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये मध्य प्रदेश राज्य से हैं। श्रेणी:१९७१ पद्म भूषण.

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वेणुगंगा

वेणुगंगा नदी मध्य प्रदेश राज्य की महादेव पहाड़ी के पूर्वी भाग से निकलती है और दक्षिण में गोदावरी की सहायक प्राणहिता नदी से मिल जाती है। इसकी घाटी की रचना आद्यमहाकल्पी चट्टानों की है। घाटी अधिक ऊँचा नीचा लगभग १००० फुट ऊँचा भूभाग है। यहाँ भारत का ६० प्रतिशत मैंगनीज़ प्राप्त होता है। कुछ छोटे छोटे कोयला क्षेत्र भी मिलते हैं। दक्षिण में दुर्ग और चाँदा जिलों में उत्तम लोहा प्राप्त होता है। श्रेणी:भारत की नदियाँ श्रेणी:नदी.

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वेद प्रताप वैदिक

डॉ॰ वेद प्रताप वैदिक (जन्म: 30 दिसम्बर 1944, इंदौर, मध्य प्रदेश) भारतवर्ष के वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, पटु वक्ता एवं हिन्दी प्रेमी हैं। हिन्दी को भारत और विश्व मंच पर स्थापित करने की दिशा में सदा प्रयत्नशील रहते हैं। भाषा के सवाल पर स्वामी दयानन्द सरस्वती, महात्मा गांधी और डॉ॰ राममनोहर लोहिया की परम्परा को आगे बढ़ाने वालों में डॉ॰ वैदिक का नाम अग्रणी है। वैदिक जी अनेक भारतीय व विदेशी शोध-संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में ‘विजिटिंग प्रोफेसर’ रहे हैं। भारतीय विदेश नीति के चिन्तन और संचालन में उनकी भूमिका उल्लेखनीय है। अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने लगभग 80 देशों की यात्रायें की हैं। अंग्रेजी पत्रकारिता के मुकाबले हिन्दी में बेहतर पत्रकारिता का युग आरम्भ करने वालों में डॉ॰ वैदिक का नाम अग्रणी है। उन्होंने सन् 1958 से ही पत्रकारिता प्रारम्भ कर दी थी। नवभारत टाइम्स में पहले सह सम्पादक, बाद में विचार विभाग के सम्पादक भी रहे। उन्होंने हिन्दी समाचार एजेन्सी भाषा के संस्थापक सम्पादक के रूप में एक दशक तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया में काम किया। सम्प्रति भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष तथा नेटजाल डाट काम के सम्पादकीय निदेशक हैं। .

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वेसर शैली

बेलूर का चेन्नकेशव मन्दिर वेसर शैली भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। नागर और द्रविड़ शैली के मिश्रित रूप को वेसर या बेसर शैली की संज्ञा दी गई है। यह विन्यास में द्रविड़ शैली का तथा रूप में नागर जैसा होता है। इस शैली के मंदिर विन्ध्य पर्वतमाला से कृष्णा नदी के बीच निर्मित हैं। मध्य भारत तथा कर्णाटक के की मन्दिरों में प्रायः उत्तरी तथा द्रविड दोनों ही शैलियों का सम्मिलित स्वरूप मिलता है। कर्णाटक के चालुक्य मन्दिर वेसर शैली के माने जा सकते हैं। चालुक्यों ने मिश्रित वेसर शैली को प्रोत्साहन दिया था। इन मन्दिरों का रूप कुछ विशिष्ट ही होता है। विमान शिखर छोटा, फ़ैले कलश, मूर्तियों का आधिक्य, अलंकरण परम्परा का बाहुल्य ही इनकी विशेषता है। अधिकांशतः दक्खिन में मिलने वाले इन मन्दिरों के शिल्प को उन्नति के शिखर पर पहुंचाने का प्रयास चालुक्यों और होयसालों ने सर्वाधिक किया है। .

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वॉइस ऑफ़ इंडिया

वॉइस ऑफ़ इंडिया भारत के नोएडा शहर से प्रसारित होने वाले एक टेलीविज़न समाचार चैनल समूह का नाम है। वीओआई के नाम से लोकप्रिय इस चैनल को त्रिवेणी मीडिया लिमिटेड चलाता है। वॉइस ऑफ़ इंडिया के वर्तमान में हिन्दी भाषा के राष्ट्रीय, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लिए न्यूज़ चैनल हैं, जिनमें लोकप्रियता के आधार पर वी ओ आई राजस्थान और मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ पहले नम्बर पर हैं। वॉइस ऑफ़ इंडिया ने जुलाई २००८ में राष्ट्रीय हिन्दी न्यूज़ चैनल की शुरूआत की है और वॉइस ऑफ़ इंडिया मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सितम्बर २००८ में। भविष्य में वॉइस ऑफ़ इंडिया उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड, गुजराती, बांग्ला और मिलेनायर नाम से लाइफ़ स्टाइल चैनल भी ला रहा है। त्रिवेणी मीडिया लिमिटेड के प्रमुख मधुर मित्तल और सुमित मित्तल हैं जो मूल रूप से राजस्थान के धौलपुर के रहने वाले हैं। वी ओ आई समूह के सम्पादक रविशंकर हैं, सह समूह सम्पादक राजेश बादल हैं। मुकेश कुमार और अम्मार ख़ालिद अल्वी त्रिवेणी मीडिया लिमिटेड में सहायक प्रबंध सम्पादक हैं। .

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वीरेन्द्र खरे 'अकेला'

‘अकेला’ जी ने सन्-1990 से ग़ज़ल-गीत लेखन की यात्रा शुरू की जो अनवरत जारी है। ग़ज़ल संग्रह ‘शेष बची चौथाई रात’(1999-अयन प्रकाशन, दिल्ली) के प्रकाशन ने ग़ज़ल के क्षेत्र में उन्हें स्थापित किया और राष्ट्रीय ख्याति दिलाई। दूसरे ग़ज़ल-गीत संग्रह ‘सुब्ह की दस्तक’(2006-सार्थक प्रकाशन दिल्ली) एवं तीसरे ग़ज़ल संग्रह ‘अंगारों पर शबनम’ (2012-अयन प्रकाशन, दिल्ली) ने उनकी साहित्यिक पहचान को और पुख़्तगी देते हुए उन्हें देश के प्रथम पंक्ति के हिन्दी ग़ज़लकारों के बीच खड़ा कर दिया है। प्रकाशित कृतियों के अलावा ‘अकेला’ जी की बहुत सी रचनाएं वसुधा, वागर्थ, कथादेश, महकता आँचल, सृजन-पथ, राष्ट्रधर्म, कादम्बिनी जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में भी समय-समय पर प्रकाशित होकर प्रशंसित होती रही हैं। उन्होंने कवि-सम्मेलनों, मुशायरों, काव्य-गोष्ठियों तथा आकाशवाणी के माध्यम से भी काफी लोकप्रियता हासिल की है। देश की अनेक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा उन्हें पुरस्कृत एवं सम्मानित भी किया गया है। अपनी ग़ज़लों के तीखे तेवरों के कारण वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ बुन्देलखण्ड के दुष्यंत कुमार कहे जाते हैं। उनकी ग़ज़लों में जीवन की सच्ची-तपती-सुलगती आग पूरी तेजस्विता के साथ विद्यमान है। वे देश और समाज में व्याप्त दुख-दर्दों, अभावों, असफलताओं, विसंगतियों और छल-छद्मों को अनूठे अंदाज़ में पेश कर अपने पाठकों में विपरीत परिस्थितियों से लड़ने का हौसला भर देते हैं। वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ ने हिन्दी ग़ज़ल को नए विषय, नई सोच, नए प्रतीक और सम्यक शिल्पगत कसावट देकर इस विधा की उल्लेखनीय सेवा की है और इस क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान क़ायम की है। लेखन के अलावा ‘अकेला’ जी एक रंगकर्मी के रूप में भी सक्रिय रहे हैं। वे भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की ज़िला इकाई-छतरपुर के लम्बे समय से पदाधिकारी हैं और क़िस्सा कल्पनापुर का, ख़ूबसूरत बहू बाजीराव मस्तानी तथा महाबली छत्रसाल आदि नाटकों में महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ अभिनीत कर चुके हैं। ग़ज़ल-संग्रह 'शेष बची चौथाई रात' पर अभियान जबलपुर द्वारा 'हिन्दी भूषण' अलंकरण। मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति मंच सागर द्वारा कपूर चंद वैसाखिया 'तहलका ' सम्मान अ०भा० साहित्य संगम, उदयपुर द्वारा काव्य कृति ‘सुबह की दस्तक’ पर राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान के अन्तर्गत 'काव्य-कौस्तुभ' सम्मान तथा लायन्स क्लब द्वारा ‘छतरपुर गौरव’ सम्मान।.

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वीरेंद्र कुमार

वीरेंद्र कुमार भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। मोदी जी की सरकार मैं राज्यमंत्री बने 2-9-17 को,राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने शपथ दिलाई, 6 बार सांसद रह चुके वीरेंद्र जी को अपनी जनता चौपाल के लिये कार्य कुशलता के लिये जाना जाता है .

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खटिक

खटिक, भारत एवं पाकिस्तान में पायी जाने वाली एक जाति है। भारत में ये पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में पायी जाती है। पाकिस्तान में ये पंजाब प्रान्त में पाये जाते हैं। भारत के अधिकांश खटिक हिन्दू हैं जबकि पाकिस्तान के अधिकांश मुसलमान। हिन्दू खटिक अनुसूचित जाति के हैं जबकि मुसलमान खटिक अनुसूचित जाति में सम्मिलित किये जाने के लिये प्रयत्न कर रहे। समझा जाता है कि 'खटिक' शब्द के मूल में संस्कृत 'खट्टिक' शब्द है जिसका अर्थ कसाई अथवा व्याध (बहेलिया) होता है। किन्तु उत्तर प्रदेश और बिहार के खटिक खेती करते और तरकारी तथा फल बेचने का कार्य करते हैं। महाराष्ट्र में संखार, बकरकसाव, चलनमहाराव एवं ओर चराव नामक इसकी उपजातियाँ कही जाती हैं। बकरकसाव मांस बेचने का काम करते हैं। श्रेणी:जाति.

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खड़िया आदिवासी

खड़िया महिला खड़िया, मध्य भारत की एक जनजाति है। यह जनजाति आस्ट्रालॉयड मानव-समूह का अंग है और इनकी भाषा आस्ट्रिक भाषा परिवार की आस्ट्रोएशियाटिक शाखा के मुंडा समूह में आती है। जनसंख्या की दृष्टि से मुंडा समूह में संताली, मुंडारी और हो के बाद खड़िया का स्थान है। खड़िया आदिवासियों का निवास मध्य भारत के पठारी भाग में है, जहाँ ऊँची पहाड़ियाँ, घने जंगल और पहाड़ी नदियाँ तथा झरने हैं। इन पहाड़ों की तराइयों में, जंगलों के बीच समतल भागों और ढलानों में इनकी घनी आबादी है। इनके साथ आदिवासियों के अतिरिक्त कुछ दूसरी सदान जातियाँ तुरी, चीक बड़ाईक, लोहरा, कुम्हार, घाँसी, गोंड, भोगता आदि भी बसी हुई हैं। खड़िया समुदाय मुख्यतः एक ग्रामीण खेतिहर समुदाय है। इसका एक हिस्सा आहार-संग्रह अवस्था में है। शिकार, मधु, रेशम के कोये, रस्सी और फल तथा जंगली कन्दों पर इनकी जीविका आधारित है। जंगल साफ करके खेती द्वारा गांदेली, मडुवा, उरद, धन आदि पैदा कर लेते हैं। .

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खड़ोतिया

खड़ोतिया, मध्यप्रदेश के इंदौर जिले की देपालपुर तहसील का एक मध्यम आकार का गांव है, जहाँ लगभग 117 परिवार निवास करते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार गांव की जनसंख्या 651 है, जिसमें से 332 पुरुष और 319 महिलाएँ हैं। खड़ोतिया,मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर जिले में स्थित लगभग 770 वर्ष पुराना गाँव है।गांव जिला मुख्यालय इंदौर से 36 किलोमीटर दूर, देपलपुर से 17 किलोमीटर और राज्य की राजधानी भोपाल से 212 किलोमीटर दूर स्थित है।खड़ोतिया मुख्यतः रामसा पीर मंदिर,श्री आदिनाथ केशवर्णा मन्दिर,एवम् होली पर प्रतिवर्ष आयोजित मेले के लिए जाना जाता है। .

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खण्डवा

खंडवा भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। समुद्र तल से 900 मीटर की ऊंचाई पर है। यह जिला नर्मदा और ताप्‍ती नदी घाटी के मध्य बसा है। 6200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले खंडवा की सीमाएं बेतूल, होशंगाबाद, बुरहानपुर, खरगोन और देवस से मिलती हैं। ओमकारेश्‍वर यहां का लोकप्रिय और पवित्र दर्शनीय स्‍थल है। इसे भारत के 12 ज्योतिर्लिगों में शुमार किया जाता है। इसके अलावा घंटाघर, दादा धुनीवाले दरबार, हरसुद,मूँदी, सिद्धनाथ मंदिर और वीरखाला रूक यहां के अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। .

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खरमोर

खरमोर खरमोर (वैज्ञानिक नाम: Sypheotides indicus; अंग्रेजी: Lesser Florican) एक बड़े आकार का लम्बी टाँगों वाला भारतीय पक्षी है। इसे 'चीनीमोर' या 'केरमोर' भी कहते हैं। यह मुख्यतः उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र, नासिक, अहमदनगर से लेकर पश्चिमी घाट तक के भारतीय क्षेत्र में पाया जाता है किन्तु वर्षा ऋतु में यह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात तक फैल जाता है। कभी कभार यह दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ पश्चिमी भागों तक भी पहुँच जाता है। पर भारत के बाहर यह पक्षी अनजाना है। भारत में रतलाम, सरदारपुर सहित कई स्थानों पर खरमोर के अभयारण्य हैं। नर और मादा बहुत कुछ एक से ही होते हैं। इसके सिर, गर्दन और नीचे का भाग काला और ऊपरी हिस्सा हलका सफेद और तीर सदृश काले चित्तियों से भरा रहता है। कान के पीछे कुछ पंख बढ़े हुए रहते हैं। प्रणय ऋतु में नर बहुत चमकीला काले रंग का हो जाता है और सिर पर एक सुंदर कलँगी निकल आती है। मादा नर से कुछ बड़ी होती है। नर का जाड़ों में और मादा का पूरे वर्ष ऊपरी और बगल का भाग काले चिह्नों युक्त हलका बादामी रहता है। इस पक्षी को ऊबड़ खाबड़ और झाड़ियों से भरे मैदान बहुत पसंद हैं; जाड़ों में इसे खेतों में भी देखा जा सकता है। इसका मुख्य भोजन घासपात, जंगली फल, पौधों की जड़ें, नए कल्ले एवं कीड़े मकोड़े हैं। अन्य क्षेत्रीय नाम: .

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खरगौन

खरगौन भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। खरगौन नगर, दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश राज्य, मध्य भारत, नर्मदा नदी की सहायक कुंडा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। .

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खरगोन

कोई विवरण नहीं।

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खरगोन लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

खरगोन लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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खरगोन ज़िला

खरगोन भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य का जिला है। इसका मुख्यालय खारगोन है। .

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खातेगांव

खातेगांव मध्य प्रदेश के देवास जिले के आखिरी छोर पर स्थित प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। पूर्व में इसका नाम हरिगंज था, जो मराठा होल्कर राजघराने के नेमावर जिले से संबद्ध था। खातेगाँव इंदौर बैतूल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 59 ए पर स्थित है, जो सीधा नागपुर से इंदौर को अमरावती और जलगांव होते हुए जोड़ता है। इसके अलावा पास ही स्थिर संदलपुर, जो इसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है, खातेगाँव को दो अन्य अलग मार्गों से जोड़ता है; एक रेहटी के रास्ते भोपाल की ओर, तो दूसरा रेहटी के ही रास्ते सलकनपुर, बुधनी होते हुए होशंगाबाद को जोड़ता है, जो संदलपुर से जबलपुर तक राजमार्ग संख्या 22 कहलाता है। होशंगाबाद से ही यह मार्ग जबलपुर की ओर जाता है और खातेगाँव को जबलपुर से जोड़ता है, दूसरी ओर खातेगाँव से एक मार्ग सतवास होकर सीधे दोनों ओर निमाड़ क्षेत्र से जुड़ जाता है एक सतवास से पुनासा होकर खंडवा तो दूसरा काँटाफोड़, पुंजापुरा, उदयनगर, काटकुट होते हुए बड़वाह सनावद के रास्ते खरगोन की ओर जाता है, मुख्य रूप से इंदौर की ओर जाने वाला मार्ग अधिकतम व्यस्त है क्योंकि इंदौर से कई अन्य मार्गों द्वारा खातेगाँव जुड़ जाता है ! खातेगाँव उपसम्भाग एवं तहसील के साथ ही विकास खंड भी है जो जिला मुख्यालय से 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यही इसकी अजीब वजह है कि जिला मुख्यालय से इतना दूर और आखिरी छोर पर स्थित होने के बाद भी इतना विकासशील होते हुए भी स्वयं जिला नहीं है! खातेगाँव विदिशा लोकसभा के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 173 है, यँहा से सुषमा स्वराज लोकसभा सांसद और आशीष शर्मा क्षेत्रीय विधायक हैं, अविभाजित मध्यप्रदेश के समय एवं वर्ष 2003 तक यह भोपाल संसदीय क्षेत्र में शामिल हुआ करता था परंतु नवीन परिसीमन मे इसे विदिशा में शामिल कर दिया गया जो ना सिर्फ दूर है बल्कि किसी भी आधार पर मेल नहीं खाता! खातेगाँव वर्ष 1952 से ही विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र रहा है .

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खजुराहो

खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनिया भर के आगन्तुक और पर्यटक प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते है। हिन्दू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था। संभोग की विभिन्न कलाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के उभारा गया है। .

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खजुराहो लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

खजुराहो लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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खजुराहो स्मारक समूह

खजुराहो स्मारक समूह जो कि एक हिन्दू और जैन धर्म के स्मारकों का एक समूह है जिसके स्मारक भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के छतरपुर क्षेत्र में देखने को मिलते है। ये स्मारक दक्षिण-पूर्व झांसी से लगभग १७५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्मारक समूह यूनेस्को विश्व धरोहर में भारत का एक धरोहर क्षेत्र गिना जाता है। यहाँ के मन्दिर जो कि नगारा वास्तुकला से स्थापित किये गए जिसमें ज्यादातर मूर्तियाँ कामुक कला की है अर्थात् अधिकतर मूर्तियाँ नग्न अवस्था में स्थापित है। खहुराहो के ज्यादातर मन्दिर चन्देल राजवंश के समय ९५० और १०५० ईस्वी के मध्य बनाए गए थे। एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार खजुराहो में कुल ८५ मन्दिर है जो कि १२वीं शताब्दी में स्थापित किये गए जो २० वर्ग किलोमीटर के घेराव में फैले हुए है। वर्तमान में इनमें से, केवल २५ मन्दिर ही बच हैं जो ६वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं। UNESCO World Heritage Site विभिन्न जीवित मन्दिरों में से, कन्दारिया महादेव मंदिर जो प्राचीन भारतीय कला के जटिल विवरण, प्रतीकवाद और अभिव्यक्ति के साथ प्रचुरता से सजाया गया है।Devangana Desai (2005), Khajuraho, Oxford University Press, Sixth Print, ISBN 978-0-19-565643-5 खजुराहो स्मारक समूह के मन्दिरों को एक साथ बनाया गया था, लेकिन इस क्षेत्र में हिन्दू और जैन के बीच विभिन्न धार्मिक विचारों के लिए स्वीकृति और सम्मान की परंपरा का सुझाव देते हुए, दो धर्मों, हिन्दू धर्म और जैन धर्म को समर्पित किया गया था।James Fergusson, History of Indian and Eastern Architecture,  Updated by James Burgess and R. Phene Spiers (1910), Volume II, John Murray, London .

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खजुराहो विमानक्षेत्र

खजुराहो विमानक्षेत्र खजुराहो, मध्य प्रदेश में स्थित है। इसका ICAO कोडहै VAKJ और IATA कोड है HJR। यह एक नागरिक हवाई अड्डा है। यहां कस्टम्स विभाग उपस्थित नहीं है। इसका रनवे पेव्ड है। इसकी प्रणाली यांत्रिक हाँ है। इसकी उड़ान पट्टी की लंबाई 6000 फी.

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खवासा

खवासा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले का एक ग्राम है। यह ग्राम राष्ट्रीय राजमार्ग ७ पर नागपूर एवं सिवनी में मध्य स्थित है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान इस ग्राम के निकट स्थित है। .

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खवासा का नरभक्षी

खवासा का नरभक्षी नाम से एक बाघ को जाना जाता है जिसने अंग्रेजी शासन के समय मध्य प्रदेश के खवासा नामक ग्राम के आस पास अपना आतंक फैलाया था। यहाँ के एक बाघ को एक अंग्रेज़ ने अपना शिकार बनाने का असफ़ल प्रयास किया जिसके परिणामस्वरूप वह बाघ शारीरिक रूप से अक्षम हो गया और अपने प्राकृतिक शिकार को मारने के भी योग्य न रहा, फ़लस्वरूप उसने मनुष्यों पर हमला करना आरम्भ कर दिया। एक समय ऐसा आया जब इस गाँव में कुछ ही लोग रह गये, जो भय ग्रस्त थे और अपनी संभावित मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहे थे। इस घटना का उल्लेख बी एम क्रोकर लिखित एक अंग्रेजी उपन्यास जंगल टेल्स मे मिलता है। एक शशि नाम की स्त्री ने अपने को बाघ के शिकार के लिए चारे के रूप में प्रस्तुत किया और बाघ मारा गया। यह हृदय विदारक कथा भारतीय वनों, जंगली जानवरों और विदेशी शासकों की शिकार जैसी दानवी प्रवृत्तियों के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और मनोभावों को प्रस्तुत करती है। यह उस स्त्री के बलिदान की करूण कहानी है। .

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खंडवा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

खंडवा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। .

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खंडवा ज़िला

खंडवा भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय खंडवा है। समुद्र तल से 900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मध्य प्रदेश के खंडवा जिले को दक्षिण भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। यह जिला नर्मदा और ताप्‍ती नदी घाटी के मध्य बसा है। 6200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले खंडवा की सीमाएं बेतूल, होशंगाबाद, बुरहानपुर, खरगोन और देवास से मिलती हैं। ओमकारेश्‍वर एवं सिगांजी(मून्दी) यहां का लोकप्रिय और पवित्र दर्शनीय स्‍थल है। ओंकारेश्वर भारत के 12 ज्योतिर्लिगों में शुमार किया जाता है। इसके अलावा घंटाघर, दादा धुनीवाले दरबार, हरसुद,मून्दी, सिद्धनाथ मंदिर और वीरखाला रूक यहां के अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। .

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खुसरो फारामर्ज़ रुस्तमजी

खुसरो फारामर्ज़ रुस्तमजी को प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये मध्य प्रदेश से हैं। श्रेणी:१९७२ पद्म भूषण श्रेणी:1916 में जन्मे लोग श्रेणी:२००३ में निधन.

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खैरीकलां

खैरीकलां भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील में एक गाँव है। यह गाँव बोहानी राजस्व निगम मण्डल के पटवारी हल्का अटठायसा के अंतर्गत आता है। इस गांव का थाना और डाकघर पलोहा बड़ा है। .

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खो-खो

खो-खो खेल खो-खो एक भारतीय मैदानी खेल है। इस खेल में मैदान के दोनो ओर दो खम्भों के अतिरिक्त किसी अन्य साधन की जरूरत नहीं पड़ती। यह एक अनूठा स्वदेशी खेल है, जो युवाओं में ओज और स्वस्थ संघर्षशील जोश भरने वाला है। यह खेल पीछा करने वाले और प्रतिरक्षक, दोनों में अत्यधिक तंदुरुस्ती, कौशल, गति और ऊर्जा की माँग करता है। खो-खो किसी भी तरह की सतह पर खेला जा सकता है। .

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खोह

खोह मध्य प्रदेश के सतना जिले के उंचेहरा तहसील में स्थित एक प्राचीन गाँव है। इस स्थान से गुप्तकालीन ताम्रपत्रों, दानपत्रों पर लिखे आठ से अधिक अभिलेख प्राप्त हुए हैं। इनमें महाराज जयनाथ और महाराज शर्वनाथ के दानपत्र उल्लेखनीय हैं। .

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खोजा गोत्र

खोजा मुख्यतः एक जाट गोत्र है, कुछ राजपूत भी इस गोत्र के हैं। इस गोत्र के लोग प्रमुख रूप से राजस्थान में मारवाड़, अजमेर-मेवाड़, झुन्झुनू क्षेत्रों में एवं पंजाब के कच्छ जिले के निवासी हैं। कुछ लोग मध्य प्रदेश में भोपाल में भी हैं। .

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गढ़वाली लोग

गढ़वाली लोग भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल मण्डल के निवासियों को कहते हैं। इसमें वे सभी लोग सम्मिलित हैं जो गढ़वाली भाषा या सम्बन्धित उपभाषाएँ बोलते हैं और जो उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल के उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी, देहरादून, पौड़ी, रूद्रप्रयाग मनिगुह गांव गढ़वाल का एक थाती गांव है जहाँ पर कुंवर परिवार रहता है आज भी वहां पर पानी के धारे है और हरिद्वार जिलों में रहते हैं। यह लोग कई सदियों से यहाँ के मूल निवासी हैं। यह धैर्यवान लोग तथा पुरानी संस्कृिती से मेल खाते हैं। दस्तावेज साक्ष्य कहता है गढ़वाल क्षेत्र में मानव जाति का निवास कम से कम वैदिक काल से है, आज के गढ़वाल के लोग कई सदियों से प्रवासी हिन्द-आर्य लोगों के विभिन्न तरंगों के वंशज हैं.

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गढ़कालिका मंदिर, उज्जैन

गढ़कालिका मंदिर, मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है। कालजयी कवि कालिदास गढ़ कालिका देवी के उपासक थे। कालिदास के संबंध में मान्यता है कि जब से वे इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने लगे तभी से उनके प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का निर्माण होने लगा। कालिदास रचित 'श्यामला दंडक' महाकाली स्तोत्र एक सुंदर रचना है। ऐसा कहा जाता है कि महाकवि के मुख से सबसे पहले यही स्तोत्र प्रकट हुआ था। यहाँ प्रत्येक वर्ष कालिदास समारोह के आयोजन के पूर्व माँ कालिका की आराधना की जाती है। .

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गणगौर पूजा

गणगौर राजस्थान एवं सीमावर्ती मध्य प्रदेश का एक त्यौहार है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है | इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलायें शिवजी (इसर जी) और पार्वती जी (गौरी) की पूजा करती हैं | पूजा करते हुए दूब से पानी के छांटे देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं। गणगौर राजस्थान में आस्था प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बड़ा उत्सव है। गण (शिव) तथा गौर(पार्वती) के इस पर्व में कुँवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं। विवाहित महिलायें चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक,१८ दिनों तक चलने वाला त्योहार है -गणगौर।यह माना जाता है कि माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं तथा आठ दिनों के बाद ईसर (भगवान शिव)उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं,चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है। गणगौर की पूजा में गाये जाने वाले लोकगीत इस अनूठे पर्व की आत्मा हैं। इस पर्व में गवरजा और ईसर की बड़ी बहन और जीजाजी के रूप में गीतों के माध्यम से पूजा होती है तथा उन गीतों के बाद अपने परिजनों के नाम लिए जाते हैं। राजस्थान के कई प्रदेशों में गणगौर पूजन एक आवश्यक वैवाहिक रस्म के रूप में भी प्रचलित है। गणगौर पूजन में कन्यायें और महिलायें अपने लिए अखंड सौभाग्य,अपने पीहर और ससुराल की समृद्धि तथा गणगौर से हर वर्ष फिर से आने का आग्रह करती हैं। .

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गणेश सिंह

गणेश सिंह भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के सतना से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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गणेशोत्सव

गणेशोत्सव के अवसर पर गणेश की प्रतिमा के पास बैठी हुई हिन्दी फिल्मों की नायिका शिल्पा शेट्टी गणेशोत्सव (गणेश + उत्सव) हिन्दुओं का एक उत्सव है। वैसे तो यह कमोबेश पूरे भारत में मनाया जाता है, किन्तु महाराष्ट्र का गणेशोत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र में भी पुणे का गणेशोत्सव जगत्प्रसिद्ध है। यह उत्सव, हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी (चार तारीख से चौदह तारीख तक) तक दस दिनों तक चलता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी भी कहते हैं। गणेश की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणि’ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं। गणेश हिन्दुओं के आदि आराध्य देव है। हिन्दू धर्म में गणेश को एक विशष्टि स्थान प्राप्त है। कोई भी धार्मिक उत्सव हो, यज्ञ, पूजन इत्यादि सत्कर्म हो या फिर विवाहोत्सव हो, निर्विध्न कार्य सम्पन्न हो इसलिए शुभ के रूप में गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है। महाराष्ट्र में सात वाहन, राष्ट्रकूट, चालुक्य आदि राजाओं ने गणेशोत्सव की प्रथमा चलायी थी। छत्रपति शिवाजी महाराज भ गपश की उपासना करते थे। .

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गरठिया /सिवनी जिला तहसील सिवनी

गरठिया (Garathiya)भारत के राज्य मध्यप्रदेश के अन्तर्गत सिवनी जिले से 16 किलोमीटर ग्राम राहीवाड़ा से पश्चिम दिशा में गुरुधाम दिघोरी मार्ग पर स्थित है यह एक ग्राम पँचायत हैं यह ग्राम पँचायत 3 गाँव से मिलकर बनी है गरठिया,छुहाई,गंगई से मिलकर बनी हैं। यह पँचायत बंडोल पुलिस थाना के अतर्गत आती हैं। .

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गाथा जलप्रपात

गाथा जलप्रपात(झरना) मध्य प्रदेश के पन्ना (जिला) स्थित एक जलप्रपात है। यह भारत के 36वाँ सबसे ऊँचा प्रपात है। .

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गाफिल स्वामी

गाफिल स्वामी (जन्म: २२ जुलाई १९५३, इगलास, अलीगढ) एक भारतीय साहित्यकार, कवि, लेखक एवं पत्रकार हैं। .

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गार नदी

इस नदी का उद्गम सिवनी जिले के लखनादौन में हैँ। यहाँ से निकलकर यह कोयले की सकरी घाटी में प्रवाहित होती हैँ।अन्त में उत्तर की ओर प्रवाहित होते हुए नर्मदा नदीके बाँए तट पर संगम करती हैँ। श्रेणी:भारत की नदियाँ श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ.

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गांधी हॉल, इन्दौर

महात्मा गांधी टाउन हॉल मध्य भारत के राज्य मध्य प्रदेश के नगर इन्दौर की एक ऐतिहासिक इमारत है। यह इमारत ब्रिटिश काल की है और तब समय बताने का कार्य भी करती थी और इसे घंटाघर भी कहते थे। इस इमारत में वर्ष पर्यन्त विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं। इस इमारत का निर्माण १९०४ में किया गया था और तब इसका नाम किंग एडवर्ड हॉल रखा गया था। सन् १९४७ में भारत के स्वतंत्र होने के बाद इसका नाम गांधी हाल कर दिया गया। हॉल में बच्चों के लिए पार्क और एक पुस्तकालय भी है। .

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गिरिजाकुमार माथुर

गिरिजा कुमार माथुर (२२ अगस्त १९१९ - १० जनवरी १९९४) का जन्म ग्वालियर जिले के अशोक नगर कस्बे में हुआ। वे एक कवि, नाटककार और समालोचक के रूप में जाने जाते हैं। उनके पिता देवीचरण माथुर स्कूल अध्यापक थे तथा साहित्य एवं संगीत के शौकीन थे। वे कविता भी लिखा करते थे। सितार बजाने में प्रवीण थे। माता लक्ष्मीदेवी मालवा की रहने वाली थीं और शिक्षित थीं। गिरिजाकुमार की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। उनके पिता ने घर ही अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल आदि पढाया। स्थानीय कॉलेज से इण्टरमीडिएट करने के बाद १९३६ में स्नातक उपाधि के लिए ग्वालियरचले गये। १९३८ में उन्होंने बी.ए. किया, १९४१ में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में एम.ए. किया तथा वकालत की परीक्षा भी पास की। सन १९४० में उनका विवाह दिल्ली में कवयित्री शकुन्त माथुर से हुआ। गिरिजाकुमार की काव्यात्मक शुरुआत १९३४ में ब्रजभाषा के परम्परागत कवित्त-सवैया लेखन से हुई। वे विद्रोही काव्य परम्परा के रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी, बालकृष्ण शर्मा नवीन आदि की रचनाओं से अत्यधिक प्रभावित हुए और १९४१ में प्रकाशित अपने प्रथम काव्य संग्रह 'मंजीर' की भूमिका उन्होंने निराला से लिखवायी। उनकी रचना का प्रारम्भ द्वितीय विश्वयुद्ध की घटनाओं से उत्पन्न प्रतिक्रियाओं से युक्त है तथा भारत में चल रहे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन से प्रभावित है। सन १९४३ में अज्ञेय द्वारा सम्पादित एवं प्रकाशित 'तारसप्तक' के सात कवियों में से एक कवि गिरिजाकुमार भी हैं। यहाँ उनकी रचनाओं में प्रयोगशीलता देखी जा सकती है। कविता के अतिरिक्त वे एकांकी नाटक, आलोचना, गीति-काव्य तथा शास्त्रीय विषयों पर भी लिखते रहे हैं। उनके द्वारा रचित मंदार, मंजीर, नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले आदि काव्य-संग्रह तथा खंड काव्य पृथ्वीकल्प प्रकाशित हुए हैं। भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद की साहित्यिक पत्रिका 'गगनांचल' का संपादन करने के अलावा उन्होंने कहानी, नाटक तथा आलोचनाएँ भी लिखी हैं। उनका ही लिखा एक भावान्तर गीत "हम होंगे कामयाब" समूह गान के रूप में अत्यंत लोकप्रिय है। १९९१ में आपको कविता-संग्रह "मै वक्त के सामने" के लिए हिंदी का साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९९३ में के के बिरला फ़ाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित व्यास सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें शलाका सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। गिरिजाकुमार माथुर की समग्र काव्य-यात्रा से परिचित होने के लिए उनकी पुस्तक "मुझे और अभी कहना है" अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। .

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गिर्द

गिर्द (जिसे गोपक्षेत्र भी कहा जाता है और बाद में ग्वालियर क्षेत्र) मध्य प्रदेश में स्थित है। इसमें सम्मिलित जिले हैं:-.

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गंज बासौदा

गंजबासौदा, मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा जिले की एक तहसील एवं नगर है। यह भोपाल से ९६ किमी उत्तर दिल्ली-मुम्बई मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है। यहाँ की मण्डी और पत्थर का व्यापार प्रसिद्ध है। यहाँ की जनसंख्या 1लाख है।यहां मुख्यतः हिंदू जैन व मुश्लिम समुदाय निवास करते हैं।यहाँ बोलचाल की भाषा बुंदेली है। .

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गंगाधरन नायर

जी० गंगाधरन नायर (जन्म अकतूबर 2, 1946) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत भाषा के विद्वान और आधुनिक युग में सामान्य बोलचाल की संस्कृत की दिशा में पथ प्रदर्शक रहे हैं। उन्होंने संस्कृत व्याकरण में पी० एच० डी० की शिक्षा पूरी की और रूसी और संस्कृत में एम० ए० की डिग्रियाँ प्राप्त की थी। उनके पास संस्कृत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा का चालीस साल से अधिक अनुभव है। उन्होंने पहल की और एम॰ फातिमा बीबी को शोध की दिशा में मार्गदर्शन किया। फ़ातिमा पहली मुसलमान महिला है जिसने वेदान्त में शोध करके पी० एच० डी० की डिग्री प्राप्त की। .

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गंगुलपरा टैंक और जलप्रपात

गंगुलपरा टैंक और जलप्रपात मध्य प्रदेश मे स्थित एक जलप्रपात है। balaghat se 15 km.

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गुड़मार

गुड़मार गुड़मार गुड़मार (वानस्पतिक नाम: Gymnema sylvestre) एक औषधीय पौधा है जो मध्य भारत (मध्य प्रदेश), दक्षिण भारत और श्रीलंका का देशज है॥ यह बेल (लता) के रूप में होता है। इसकी पत्ती को खा लेने पर किसी भी मीठी चीज का स्वाद लगभग एक घंटे तक के लिए समाप्त हो जाता है। इसे खाने के बाद गुड़ या चीनी की मिठास खत्म हो जाती है और वह खाने पर रेत के समान लगती है। इस विशेषता के कारण स्थानीय लोग इसे गुड़मार के नाम से पुकारते हैं। मधुमेह में इसका उपयोग प्रायः किया जाता है। .

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गुना

गुना भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। यह शहर मध्य प्रदेश के उत्तर में स्थित है। ३५ किलोमीटर दूर राजस्थान सीमा है, पार्वती नदी मध्य प्रदेश और राजस्थान को अलग करती है। गुना मालवा का प्रवेश द्वार कहा जाता है और ग्वालियर संभाग में आता है। गुना शहर ७७' देशांतर तथा २५' अक्षांश तथा राष्ट्रीय राजमार्ग ३ (आगरा-मुम्बई) पर स्थित है। कोटा और बीना शहर से रेल मार्ग द्वारा भी यहाँ पहुँचा जा सकता है। शहर में मुख्यतः हिन्दू, मुस्लिम तथा जैन समुदाय के लोग निवास करते हैं।। खेती यहाँ का मुख्य कार्य है। गुना (ग्वालियर संयुक्त राष्ट्र सेना, डॉ राजीव दुआ) प्राचीन अवंती किंगडम चंद Pradyota Mahesena द्वारा स्थापित का हिस्सा था। बाद में Shishusangh अवंत का राज्य है, जो मगध के बढ़ते साम्राज्य के गुना शामिल जोड़ा। 18 वीं सदी में, गुना मराठा नेता रामोजी राव सिंधिया ने विजय प्राप्त की, और शीघ्र ही भारत की आजादी के बाद जब तक ग्वालियर के राज्य का हिस्सा बना रहा था। गुना राज्य के ईसागढ़ जिले के हिस्से के रूप में दिलाई। 1897 में भारतीय रेलवे मिडलैंड एक रेल मार्ग गुना से गुजर निर्माण किया। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति, गुना अपने 16 जिलों में से एक के रूप में 28 मई 1948 को मध्य भारत के नए राज्य का हिस्सा बन गया। 1 नवंबर, 1956 को मध्य भारत मध्य प्रदेश राज्य में विलय कर दिया गया था। गुना के पास बजरंगढ नामक ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ महावीर भगवान की प्राचीन मूर्ति है। स्वतंत्रता से पहले गुना ग्वालियर राज घराने का हिस्सा था। जिस पर सिन्धिया वंश का अधिकार था। कुल क्षेत्रफल ६४८४.६३ वर्ग कि॰मी॰ तथा जनसंख्या ८३८०२६ है। .

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गुना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

गुना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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गुप्तिनंदी

आचार्य Guptinandi जी एक Digambara भिक्षु द्वारा शुरू आचार्य Kunthusagar.

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गुफा मंदिर, भोपाल

गुफा मंदिर भोपाल के प्रमुख पर्यटन स्थलों के शीर्ष में सम्मिलित है तथा शहर के केंद्र से लगभग ५ किलो मीटर की दूरी पर लालघाटी नामक स्थान पर स्थित है और यात्रियों व दर्शकों के मध्य आकर्षण का केंद्र है। गुफा मंदिर की खोज वर्ष १९४९ में श्री महंत नारायणदास जी त्यागी द्वारा की गई थी तथा पुनर्निर्माण कार्य ०२ अप्रैल १९६५ (चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा दिन शुक्रवार संवत २०२२) को उन्हीं के द्वारा किया गया था। .

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गुर्र

श्रेणी:कश्मीर श्रेणी:भारत की मानव जातियाँ श्रेणी:पाकिस्तान की जातियाँ श्रेणी:अफ़्गानिस्तान की जातियाँ.

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गुर्जर

सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति:भारत उपवन, अक्षरधाम मन्दिर, नई दिल्ली गुर्जर समाज, प्राचीन एवं प्रतिष्ठित समाज में से एक है। यह समुदाय गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, गूर्जर और वीर गुर्जर नाम से भी जाना जाता है। गुर्जर मुख्यत: उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान में बसे हैं। इस जाति का नाम अफ़्ग़ानिस्तान के राष्ट्रगान में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं, जैसे कि भारत का गुजरात राज्य, पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात ज़िला और गुजराँवाला ज़िला और रावलपिंडी ज़िले का गूजर ख़ान शहर।; आधुनिक स्थिति प्राचीन काल में युद्ध कला में निपुण रहे गुर्जर मुख्य रूप से खेती और पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। गुर्जर अच्छे योद्धा माने जाते थे और इसीलिए भारतीय सेना में अभी भी इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है| गुर्जर महाराष्ट्र (जलगाँव जिला), दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में फैले हुए हैं। राजस्थान में सारे गुर्जर हिंदू हैं। सामान्यत: गुर्जर हिन्दू, सिख, मुस्लिम आदि सभी धर्मो में देखे जा सकते हैं। मुस्लिम तथा सिख गुर्जर, हिन्दू गुर्जरो से ही परिवर्तित हुए थे। पाकिस्तान में गुजरावालां, फैसलाबाद और लाहौर के आसपास इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है। .

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गुर्जर प्रतिहार राजवंश

प्रतिहार वंश मध्यकाल के दौरान मध्य-उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में राज्य करने वाला राजवंश था, जिसकी स्थापना नागभट्ट नामक एक सामन्त ने ७२५ ई॰ में की थी। इस राजवंश के लोग स्वयं को राम के अनुज लक्ष्मण के वंशज मानते थे, जिसने अपने भाई राम को एक विशेष अवसर पर प्रतिहार की भाँति सेवा की। इस राजवंश की उत्पत्ति, प्राचीन कालीन ग्वालियर प्रशस्ति अभिलेख से ज्ञात होती है। अपने स्वर्णकाल में साम्राज्य पश्चिम में सतुलज नदी से उत्तर में हिमालय की तराई और पुर्व में बगांल असम से दक्षिण में सौराष्ट्र और नर्मदा नदी तक फैला हुआ था। सम्राट मिहिर भोज, इस राजवंश का सबसे प्रतापी और महान राजा थे। अरब लेखकों ने मिहिरभोज के काल को सम्पन्न काल बताते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि गुर्जर प्रतिहार राजवंश ने भारत को अरब हमलों से लगभग ३०० वर्षों तक बचाये रखा था, इसलिए गुर्जर प्रतिहार (रक्षक) नाम पड़ा। गुर्जर प्रतिहारों ने उत्तर भारत में जो साम्राज्य बनाया, वह विस्तार में हर्षवर्धन के साम्राज्य से भी बड़ा और अधिक संगठित था। देश के राजनैतिक एकीकरण करके, शांति, समृद्धि और संस्कृति, साहित्य और कला आदि में वृद्धि तथा प्रगति का वातावरण तैयार करने का श्रेय प्रतिहारों को ही जाता हैं। गुर्जर प्रतिहारकालीन मंदिरो की विशेषता और मूर्तियों की कारीगरी से उस समय की प्रतिहार शैली की संपन्नता का बोध होता है। .

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गुरू घासीदास विश्‍वविद्यालय

गुरु घासीदास विश्‍वविद्यालय भारत का एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसकी स्‍थापना 16 जून 1983 को तत्‍कालीन मध्‍यप्रदेश के बिलासपुर में हुई थी। मप्र के विभाजन के पश्‍चात बिलासपुर छत्तीसगढ़ में शामिल हो गया। जनवरी 2009 में केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश में केंद्रीय विश्‍वविद्यालय अधिनियम 2009 के माध्‍यम से इसे केंद्रीय विश्‍वविद्यालय का दर्जा दिया गया। औपचारिक रूप से गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (GGU), राज्य विधानसभा के अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था, औपचारिक रूप से 16 जून 1983 को उद्घाटन किया गया। यह भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ और राष्ट्रमंडल विश्वविद्यालय संघ का एक सक्रिय सदस्य है। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) से बी+ के रूप में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय है। सामाजिक और आर्थिक रूप से चुनौती वाले क्षेत्र में स्थित विश्वविद्यालय को उचित नाम, महान संत गुरू घासीदास (जन्म 17 वीं सदी में) के सम्मान स्वरूप दिया गया जिन्होने दलितों, सभी सामाजिक बुराइयों और समाज में प्रचलित अन्याय के खिलाफ एक अनवरत संघर्ष छेड़ा था। विश्वविद्यालय एक आवासीय सह सम्बद्ध संस्था है, इसका अधिकार क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर राजस्व डिवीजन है। .

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गुल बर्धन

गुल बर्धन (Gul Bardhan) (1928 - 29 नवंबर 2010) भोपाल, मध्य प्रदेश, भारत स्थित कोरियोग्राफर और थियेटर व्यक्तित्व थी। वह भारतीय पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन के साथ जुडी हुई थी। वह लिटिल बैलेट मंडली की सह-संस्थापक भी थी। लिटिल बैलेट मंडली 1952 में बॉम्बे में गठित एक नृत्य कंपनी थी। 1954 में अपने पति की मृत्यु के बाद, गुल बर्धन लिटिल बैलेट मंडली कंपनी की अध्यक्षता की। बाद में इसे "रंग श्री लिटिल बैलेट मंडली" का नाम दिया गया और जिसने विभिन्न देशों में अपना प्रदर्शन किया। उन्होंने 2010 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और पद्म श्री (भारत का चौथा उच्चतम नागरिक पुरस्कार) सहित कई पुरस्कार प्राप्त किए। .

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गुजरात

गुजरात (गुजराती:ગુજરાત)() पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा जो अन्तर्राष्ट्रीय सीमा भी है, पाकिस्तान से लगी है। राजस्थान और मध्य प्रदेश इसके क्रमशः उत्तर एवं उत्तर-पूर्व में स्थित राज्य हैं। महाराष्ट्र इसके दक्षिण में है। अरब सागर इसकी पश्चिमी-दक्षिणी सीमा बनाता है। इसकी दक्षिणी सीमा पर दादर एवं नगर-हवेली हैं। इस राज्य की राजधानी गांधीनगर है। गांधीनगर, राज्य के प्रमुख व्यवसायिक केन्द्र अहमदाबाद के समीप स्थित है। गुजरात का क्षेत्रफल १,९६,०७७ किलोमीटर है। गुजरात, भारत का अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है। कच्छ, सौराष्ट्र, काठियावाड, हालार, पांचाल, गोहिलवाड, झालावाड और गुजरात उसके प्रादेशिक सांस्कृतिक अंग हैं। इनकी लोक संस्कृति और साहित्य का अनुबन्ध राजस्थान, सिंध और पंजाब, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के साथ है। विशाल सागर तट वाले इस राज्य में इतिहास युग के आरम्भ होने से पूर्व ही अनेक विदेशी जातियाँ थल और समुद्र मार्ग से आकर स्थायी रूप से बसी हुई हैं। इसके उपरांत गुजरात में अट्ठाइस आदिवासी जातियां हैं। जन-समाज के ऐसे वैविध्य के कारण इस प्रदेश को भाँति-भाँति की लोक संस्कृतियों का लाभ मिला है। .

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गुग्गुल

गुग्गुल या 'गुग्गल' एक वृक्ष है। इससे प्राप्त राल जैसे पदार्थ को भी 'गुग्गल' कहा जाता है। भारत में इस जाति के दो प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। एक को कॉमिफ़ोरा मुकुल (Commiphora mukul) तथा दूसरे को कॉ.

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ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर

झोंपड़ा गाँव राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में आने वाली प्रमुख ग्राम पंचायत है ! ग्राम पंचायत का सबसे बड़ा गाँव झोंपड़ा है जिसमें मीणा जनजाति का नारेड़ा गोत्र मुख्य रूप से निवास करता हैं। ग्राम पंचायत में झोंपड़ा, बगीना, सिरोही, नाहीखुर्द एवं झड़कुंड गाँव शामिल है। झोंपड़ा ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 5184 है और ग्राम पंचायत में कुल घरों की संख्या 1080 है। ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी नदी बनास नदी है वहीं पंचायत की सबसे लम्बी घाटी चढ़ाई बगीना गाँव में बनास नदी पर पड़ती है। ग्राम पंचायत का सबसे विशाल एवं प्राचीन वृक्ष धंड की पीपली है जो झोंपड़ा, बगीना एवं जगमोंदा गाँवों से लगभग बराबर दूरी पर पड़ती है। .

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ग्रेनेडियर्स

बाम्बे ग्रेनेडियर्स भारतीय सेना का एक सैन्य-दल है। श्रेणी:भारतीय सेना श्रेणी:भारतीय सेना के सैन्य-दल श्रेणी:भारतीय सेना की रेजिमेंट.

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ग्वालियर

ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक प्रमुख शहर है। भौगोलिक दृष्टि से ग्वालियर म.प्र.

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ग्वालियर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

ग्वालियर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र श्रेणी:ग्वालियर.

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ग्वालियर संभाग

ग्वालियर डिवीजन एक प्रशासनिक उपखंड के मध्य प्रदेश राज्य, मध्य भारत मेंहै। यह भी शामिल है के जिले अशोकनगर, दतिया, गुना, ग्वालियरऔर शिवपुरी.

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ग्वालियर ज़िला

ग्वालियर जिला Village near Harsi dam, Gwalior district, India.jpg Nilgais fighting, Lakeshwari, Gwalior district, India.jpg ग्वालियर जिला भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। यह जिला ग्वालियर के राजस्व संभाग के अन्तर्गत है। यह जिला ग्वालियर राज्य के उत्तरी भाग में २५ ० ३४’ उ० और २६० २१’ उ० अक्षांश तथा ७७० ४०’ पू० और ७८० ५४’ पू० देशांश के बीच स्थित है। यह जिला २००२ वर्गमील क्षेत्र में फैला हुआ है, जो मध्य प्रदेश राज्य के कुल क्षेत्रफल का करिब १.१ प्रतिशत है। ग्वालियर सन १९४८ से १९५६ तक मध्य भारत की राजधानी रहा लेकिन जब मध्य भारत मध्य प्रदेश में जुड़ा तब इसे जिले का स्वरुप दिया गय .

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ग्वालियर का क़िला

ग्वालियर का क़िला ग्वालियर शहर का प्रमुखतम स्मारक है। यह किला 'गोपांचल' नामक पर्वत पर स्थित है। किले के पहले राजा का नाम सूरज सेन था, जिनके नाम का प्राचीन 'सूरज कुण्ड' किले पर स्थित है। इसका निर्माण ८वीं शताब्दी में मान सिंह तोमर ने किया था। विभिन्न कालखण्डों में इस पर विभिन्न शासकों का नियन्त्रण रहा। गुजरी महल का निर्माण रानी मृगनयनी के लिए कराया गया था। वर्तमान समय में यह दुर्ग एक पुरातात्विक संग्रहालय के रूप में है। इस दुर्ग में स्थित एक छोटे से मन्दिर की दीवार पर शून्य (०) उकेरा गया है जो शून्य के लेखन का दूसरा सबसे पुराना ज्ञात उदाहरण है। यह शून्य आज से लगभग १५०० वर्ष पहले उकेरा गया था। .

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गौ अभयारण्य अनुसन्धान एवं उत्पादन केन्द्र सालरिया

गौ अभयारण्य अनुसन्धान एवं उत्पादन केन्द्र मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले के सालरिया ग्राम में स्थित है। यह भारत का प्रथम गौ-अभयारण्य है। यह अभयारण्य कुल ४७२ हेक्टेयर क्षेत्र में बना है। यह सितम्बर २०१७ में उद्घाटित हुआ था। इस अभयारण्य में गायों की नस्लों से लेकर उनके दूध, गोबर, मूत्र तक पर अनुसन्धान होगा। इसमें ६ हजार गायें रखने की व्यवस्था है। अभी ४ हजार से अधिक गाएँ हैं। गो-अभयारण्य बनाने के पीछे गोवंश का संरक्षण, भारतीय गोवंशीय नस्लों का संवर्धन, पंचगव्य से निर्मित वस्तुओं के शोध व उनका उत्पादन, जैविक खाद व कीट नियंत्रक आदि पर शोध व उत्पादन, चारागाह विकास व अनुसंधान केंद्र का उद्देश्य है। अभयारण्य में आवारा, बीमार, दूध नहीं देने वाले आदि मवेशी भी रखे जाएंगे और उनका संरक्षण किया जाएगा। गोबर से बायोगैस, गोमूत्र से दवाएं बनाई जाएंगी। वहीं संकर (हाईब्रीड) नस्लें तैयार होंगी। वर्मी कम्पोस्ट यूनिट से केंचुआ खाद तैयार की जाएगी। .

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गौर

गौर (Bos gaurus, पहले Bibos gauris) दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया मे पाया जाने वाला एक बड़ा, काले लोम से ढका गोजातीय पशु है। आज इसकी सबसे बड़ी आबादी भारत में पाई जाती हैं। गौर जंगली मवेशियों मे से सबसे बड़ा होता है। पालतू गौर 'गायल' या 'मिथुन' कहलाता है। भारत के भिन्न भिन्न भागों में इसका भिन्न भिन्न स्थानीय नाम है, जैसे गौरी गाय, बोदा, गवली इत्यादि। यह बोविडी कुल (Bavidae Family) के शफ गण (Order Ungulate) का एक जंगली स्तनपोषी शाकाहारी पशु है। गवल भारत प्रायद्वीप, असम, बर्मा, मलाया प्रायद्वीप तथा स्याम के पहाड़ी वनों में पाया जाता है। इसका सर्वोत्तम विकास दक्षिण भारतीय पहाड़ियों तथा असम में होता है। किसी समय यह प्राणी श्रीलंका में भी प्राप्य था, किंतु अब वहां से, संभवत: किसी पशुरोग के ही कारण लुप्त हो गया है। यूरोपीय शिकारी गौर को 'बाइसन' (Bison / एक प्रकार का जंगली भैंसा) कहते हैं, परंतु भारतीय गवल को बाइसन कहना ठीक प्रतीत नहीं होता। वस्तुत: यूरोप तथा उत्तरी अमरीका के बाइसन भारतीय गवल से भिन्न होते हैं। पाश्चात्य बाइसनों की सीगें छोटी और रूक्ष दाढ़ियाँ हाती हैं। .

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गौरीशंकर शेजवार

डॉ.गौरीशंकर शेजवार वर्तमान मध्य प्रदेश सरकार में कैैैबिनेट मंत्री हैं | वेे सांची विधानसभा से विधायक तथा भारतीय जनता पार्टी केे राजनेता हैं | .

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गौंडो

गौंडो मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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गृद्धकूट पर्वत

गृद्धकूट पर्वत भारत स्थित एक पहाड़ी है जो धार्मिक, पुरातात्विक और पर्यावरणीय दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। इस पहाड़ी को 'गिद्धराज पर्वत' भी कहते हैं। स्थानीय लोग इसे 'गिद्धहा पहाड़' कहते हैं। यह पहाड़ी मध्य प्रदेश के सतना जिले के रामनगर तहसील के देवराजनगर में स्थित है। यह सतना से ६५ किमी की दूरी पर स्थित है। इसके उत्तर में कैमूर शृंखला की पहाड़ियाँ हैं तथा दक्षिण में मैकाल पहाड़ियाँ। यह स्थान पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस पहाड़ी में चार गुफाएँ हैं जिनमें शिला चित्रण (रॉक पेंटिंग) तथा मुराल पेंटिंग देखे जा सकते हैं। हर वर्ष माघ महीने की वसन्त पंचमी के दिन यहाँ मेला लगता है। हजारों लोग मेले में आते हैं और गंगा में स्नान करते हैं। .

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गृह स्वामित्व के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

भारत के राज्यों की यह सूची प्रतिशत में परिवारों द्वारा उनके घरों के स्वामित्व की है जो 2001 की जनगणना पर आधारित है। श्रेणी:भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से संबंधित सूचियाँ.

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गोटमार मेला

गोटमार मेले का आयोजन महाराष्ट्र की सीमा से लगे मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के पांढुरना कस्बे में हर वर्ष भादो मास के कृष्ण पक्ष में अमावस्या पोला त्योहार के दूसरे दिन किया जाता है। मराठी भाषा बोलने वाले नागरिकों की इस क्षेत्र में बहुलता है और मराठी भाषा में गोटमार का अर्थ पत्थर मारना होता है। शब्द के अनुरूप मेले के दौरान पांढुरना और सावरगांव के बीच बहने वाली नदी के दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं और सूर्योदय से सूर्यास्त तक पत्थर मारकर एक-दूसरे का लहू बहाते हैं। इस घटना में कई लोग घायल हो जाते हैं। इस पथराव में कुछ लोगों की मृत्यु के मामले भी हुए हैं। .

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गोडावण

राजस्थान का राज्य-पक्षी: गोडावण गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड; वैज्ञानिक नाम: Ardeotis nigriceps) एक बड़े आकार का पक्षी है जो भारत के राजस्थान तथा सीमावर्ती पाकिस्तान में पाया जाता है। उड़ने वाली पक्षियों में यह सबसे अधिक वजनी पक्षियों में है। बड़े आकार के कारण यह शुतुरमुर्ग जैसा प्रतीत होता है। यह राजस्थान का राज्य पक्षी है। सोहन चिड़िया, हुकना, गुरायिन आदि इसके अन्य नाम हैं। यह पक्षी भारत और पाकिस्तान के शुष्क एवं अर्ध-शुष्क घास के मैदानों में पाया जाता है। पहले यह पक्षी भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा एवं तमिलनाडु राज्यों के घास के मैदानों में व्यापक रूप से पाया जाता था। किंतु अब यह पक्षी कम जनसंख्या के साथ राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और संभवतः मध्य प्रदेश राज्यों में पाया जाता है। IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों पर प्रकाशित होने वाली लाल डाटा पुस्तिका में इसे 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' श्रेणी में तथा भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में रखा गया है। इस विशाल पक्षी को बचाने के लिए राजस्थान सरकार ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट का विज्ञापन "मेरी उड़ान न रोकें" जैसे मार्मिक वाक्यांश से किया गया है। भारत सरकार के वन्यजीव निवास के समन्वित विकास के तहत किये जा रहे 'प्रजाति रिकवरी कार्यक्रम (Species Recovery Programme)' के अंतर्गत चयनित 17 प्रजातियों में गोडावण भी सम्मिलित है। यह जैसलमेर के मरू उद्यान, सोरसन (बारां) व अजमेर के शोकलिया क्षेत्र में पाया जाता है। यह पक्षी अत्यंत ही शर्मिला है और सघन घास में रहना इसका स्वभाव है। यह पक्षी 'सोन चिरैया', 'सोहन चिडिया' तथा 'शर्मिला पक्षी' के उपनामों से भी प्रसिद्ध है। गोडावण का अस्तित्व वर्तमान में खतरे में है तथा इनकी बहुत कम संख्या ही बची हुई है अर्थात यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर है। यह सर्वाहारी पक्षी है। इसकी खाद्य आदतों में गेहूँ, ज्वार, बाजरा आदि अनाजों का भक्षण करना शामिल है किंतु इसका प्रमुख खाद्य टिड्डे आदि कीट है। यह साँप, छिपकली, बिच्छू आदि भी खाता है। यह पक्षी बेर के फल भी पसंद करता है। राजस्थान में अवस्थित राष्ट्रीय मरु उद्यान में गोडावण की घटती संख्या को बढ़ाने के लिये आगामी प्रजनन काल में सुरक्षा के समुचित प्रबंध किए गए हैं।; राष्ट्रीय मरु उद्यान (डेज़र्ट नेशनल पार्क) 3162 वर्ग किमी.

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गोन्यो

गोन्यो मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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गोपाचल पर्वत

गोपाचल (.

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गोपाल मंदिर झाबुआ

गोपाल मंदिर झाबुआ सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर गुरु भक्तो के अनंत अविभूषित पूज्य रामशंकर जी जानी (बड़े बापजी), पूज्य घनश्याम प्रभु जी जानी (छोटे बापजी) और माँ रविकांता बेन (गोपाल प्रभु) को समर्पित है.

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गोरझामर

गोरझामर भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक शहर है जो सागर जिले की देवरी तहसील में आता है। .

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गोरझामार

गोरझामर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश की देवरी तहसील का एक गाँव है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के गाँव.

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गोरक्षकों द्वारा हिंसा

भारत में गोरक्षकों द्वारा गुंडागर्दी एक ज्वलंत सामजिक समस्या है | पिछले कुछ वर्षों में गोरक्षकों ने कई निर्दोष लोगों की हत्या कर दी है | २०१६ में गोरक्षकों द्वारा निर्दोष दलितों की पिटाई के बाद माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने गोराक्षसों द्वारा हिंसा की आलोचना की | परन्तु इसके बाद भी गोरक्षकों ने अपने उपद्रव को जारी रखा | .

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गोस्वामी हरिकृष्ण शास्त्री

सन 1904 ईस्वी में महापुरा (जयपुर) में जन्मे गोस्वामी हरिकृष्ण शास्त्री साहित्य, न्याय-शास्त्र और वेदांत दर्शन के जाने माने अध्येता विद्वान, तंत्र-विद्या के ज्ञाता, संस्कृत गद्य और पद्य के जाने-माने लेखक और आशुकवि थे। इनके पिता का नाम गोपीकृष्ण गोस्वामी और माता का नाम ऐनादेवी था। इनका विवाह मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में ओरछा राजगुरुओं के परिवार में हुआ। कवि शिरोमणि भट्ट मथुरानाथ शास्त्री के साले गोस्वामी हरिकृष्ण शास्त्री तैलंग ब्राह्मणों के आत्रेय गोत्र में कृष्ण-यजुर्वेद के तैत्तरीय आपस्तम्ब में मूलपुरुष श्रीव्येंकटेश अणणम्मा और शिवानन्द गोस्वामी के वंशज थे। .

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गोहद

गोहद मध्य प्रदेश के भिंड जिले में स्थित एक एतिहासिक स्थान है। यहाँ पर बम्रौलिया गोत्र के जाट राणाओं का शासन रहा है। इनमें महाराजा भीम सिंह राणा और महाराजा छत्र सिंह राणा काफी प्रसिद्द रहे हैं। यहाँ पर राणा राजाओं द्वारा निर्मित अनेक एतिहासिक भवन हैं। इन गोहद के राणाओं ने मराठा सरदारों को समय समय पर अच्छी टक्कर दी। श्रेणी:भिंड जिला.

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गोहद का किला

गोहद का क़िला मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले के गोहद तहसील में स्थित एक दुर्ग या किला है। यह ऐतिहासिक स्थल राज्य के पर्यटन आकर्षणों में से एक है। इस किले का निर्माण जाट राजा महासिंह ने १६वीं शताब्दी में करवाया था। वर्तमान में गोहद दुर्ग जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, किंतु इसके अन्दर स्थित एक महल की इमारत में अनेक सरकारी कार्यालय हैं। इस महल में की गई शानदार नक्काशियाँ आकर्षक हैं। यहां का कछरी महल ईरानी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। .

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गोविन्द नामदेव

गोविन्द नामदेव हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

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गोविन्दगुप्त

गोविंदगुप्त, गुप्तवंशी सम्राट् कुमारगुप्त के छोटे भाई थे। वैशाली से मिली कुछ मिट्टी की मुहरों से उनका महादेवी ध्रुवस्वामिनी और महाराजाधिराज चंद्रगुप्त द्वितीय का पुत्र होना प्रगट होता है। संभवत: अपने पिता के शासनकाल में वह तीरभुक्ति के प्रांतीय शासक थे और वैशाली केंद्र से शासन करते थे, किंतु कुमारगुप्त के शासन में उनका स्थानांतरण पश्चिमी मध्यप्रदेश में हो गया जान पड़ता है। मंदसोर से प्राप्त 467-8 ई. (मालव संवत् 524) के प्रभाकर के एक अभिलेख से भी एक गोविंदगुप्त का पता चलता है। वहाँ भी उन्हें चंद्रगुप्त का ही पुत्र कहा गया है। उसमें गोविंदगुप्त जीवित थे या नहीं तथापि गोविंदगुप्त की शक्ति के प्रति इंद्र को भी ईर्ष्यालु कहा गया है जिससे भंडारकर जैसेकुछ विद्वानों ने उन्हें स्वतंत्र शासक माना है। परंतु जब तक अन्य कोई पुष्ट प्रमाण प्राप्त नहीं होता, हम यह नहीं निश्चित कर सकते कि वैशाली की मुहरों के गोविंदगुप्त और मंदसोर के अभिलेखवाले गोविंदगुप्त एक ही व्यक्ति थे। दोनों के एक होने में सबसे बड़ा व्यवधान समय का प्रतीत होता है। चंद्रगुप्त द्वितीय की अंतिम ज्ञात तिथि 412-413 ई. है। गोविंदगुप्त उनके एक भुक्ति का शासन सँभालते थे, यह उनकी युवावस्था और अनुभव का द्योतक है। उसके बाद भी वह दो पीढ़ियों (कुमारगुप्त और स्कंदगुप्त) तक जीवित रहे, यह असंभव तो नहीं, पर असाधारण अवश्य जान पड़ता है। जो भी हो, 467-8 ई. तक वह काफी वृद्ध हो चुके होंगे और अपने शासन भार को पूर्ववत् वहन करते रहे होंगे, इसमें संदेह किया जा सकता है। श्रेणी:भारत का इतिहास.

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गोविंद नारायण सिंह

गोविन्द नारायण सिंह (25 जुलाई 1920 - 2005)) एक भारतीय राजनेता थे जो 30 जुलाई 1967 से 12 मार्च 1969 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। .

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गोगावा, मध्य प्रदेश

गोगावा मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक जनगणना नगर और अपने ही नाम की तहसील का मुख्यालय है। .

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गोंड (जनजाति)

कुल भारत की जनसंख्या में 42% गोंडवाना जनजाति है गोंड (जनजाति) समुदाय, भारत की एक प्रमुख जनजातीय समुदाय हैं| भारत के कटि प्रदेश - विंध्यपर्वत, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम - में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहनेवाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति, जो संभवत: पाँचवीं-छठी शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तट को पकड़कर मध्य भारत के पहाड़ों में फैल गई। आज भी मोदियाल गोंड जैसे समूह हैं जो गोंडों की जातीय भाषा गोंडी है जो द्रविड़ परिवार की है और तेलुगु, कन्नड़, तमिल आदि से संबन्धित है। गोंड जनजाति समूदाय वाचक है जाति वाचक नहीं। .

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गोंडी भाषा

स्वस्थ्य एवं टीकाकरण सम्बंधित जानकारी गोंडी भाषा में गोंडी भाषा भारत के मध्य प्रदेश के मुख्यतः शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, छत्तीसगढ़*छत्तीसगढ़ बस्तर संभाग की मुख्यभाषा छत्तीसगढ़ीहै, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात आदि में बोली जाने वाली भाषा है। यह दक्षिण-केन्द्रीय द्रविण भाषा है। इसके बोलने वालों की संख्या लगभग २० लाख है जो मुख्यतः गोंड हैं। लगभग आधे गोंडी लोग अभी भी यह भाषा बोलते हैं। गोंडी भाषा में समृद्ध लोकसाहित्य, जैसे विवाह-गीत एवं कहावतें, हैं। .

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गोंडी लिपि

गोंडी सामान्यतः देवनागरी लिपि अथवा तेलुगु लिपि में लिखी जाती है लेकिन इसकी अपनी लिपि भी अस्तित्व में है। सन १९१८ में मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के निवासी मुंशी मंगल सिंह मासाराम ने गोंडी के लिए एक लिपि अभिकल्पित (डिजाइन) की जो ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न अन्य भारतीय लिपियों से चुने हुए वर्णों पर आधारित है। किन्तु यह लिपि बहुत कम प्रयुक्त होती है। श्रेणी:मध्य प्रदेश की भाषाएँ.

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गोआ एक्स्प्रेस २७७९

गोवा एक्सप्रेस वास्को डा गामा से हजरत निजामुद्दीन,नई दिल्ली तक जानेवालि भारतीय रेल द्वारा संचालित एक दैनिक सुपरफास्ट ट्रेन है। इस ट्रेन के संबंधित राज्यों की राजधानियों और नई दिल्ली के बीच सुविधाजनक लिंक उपलब्ध कराने में दूसरे ट्रेनों कि तरह, जैसे कर्नाटक एक्सप्रेस और आंध्र प्रदेश एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों के समान है। वास्को डा गामा (आईआर कोड: वि एस जी) रेलवे स्टेशन पणजी, गोवा के निकटतम है। पंजिम द्वारा रेल कि कोई सुविधा नहीं है। .

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गीत गागर

गीत गागर हिन्दी गीत व नवगीत की पत्रिका है। इस पत्रिका के सम्पादक दिनेश प्रभात हैं। यह पत्रिका भोपाल मध्य प्रदेश से प्रकाशित होती है। श्रेणी:हिन्दी श्रेणी:हिन्दी पत्रिकाएँ श्रेणी:साहित्यिक पत्रिकाएँ.

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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (ओयूपी) दुनिया की सबसे बड़ी विश्वविद्यालय प्रेस है। यह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय का एक विभाग है और इसका संचालन उपकुलपति द्वारा नियुक्त 15 शिक्षाविदों के एक समूह द्वारा किया जाता है जिन्हें प्रेस प्रतिनिधि के नाम से जाना जाता है। उनका नेतृत्व प्रतिनिधियों के सचिव द्वारा किया जाता है जो ओयूपी के मुख्य कार्यकारी और अन्य विश्वविद्यालय निकायों के प्रमुख प्रतिनिधि की भूमिका निभाता है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय सत्रहवीं सदी के बाद से प्रेस की देखरेख के लिए इसी तरह की प्रणाली का इस्तेमाल करता आ रहा है। विश्वविद्यालय ने 1480 के आसपास मुद्रण व्यापार में कदम रखा और बाइबल, प्रार्थना पुस्तकों और अध्ययनशील रचनाओं का प्रमुख मुद्रक बन गया। इसकी प्रेस द्वारा शुरु की गयी एक परियोजना उन्नीसवीं सदी के अंतिम दौर में ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी बन गई और बढ़ती लागतों से निपटने के लिए इसने अपना विस्तार जारी रखा। नतीजतन अपने शैक्षणिक और धार्मिक शीर्षकों से मेल स्थापित करने के लिए ऑक्सफोर्ड ने पिछले सौ सालों में बच्चों की पुस्तकों, स्कूल की पाठ्य पुस्तकों, संगीत, पत्रिकाओं, वर्ल्ड्स क्लासिक्स सीरीज और सबसे ज्यादा बिकने वाली अंग्रेजी भाषा शिक्षण पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन किया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कदम रखने के फलस्वरूप 1896 में न्यूयॉर्क से शुरुआत करने वाली इस प्रेस ने यूनाइटेड किंगडम के बाहर भी अपना कार्यालय खोलना शुरू कर दिया। कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के आगमन और उत्तरोत्तर बढ़ती व्यापारिक दशाओं की वजह से 1989 में ऑक्सफोर्ड में स्थित प्रेस के छापेखाने को बंद कर दिया गया और वोल्वरकोट में स्थित उसकी पूर्व कागज़ की मिल को 2004 में ध्वस्त कर दिया गया। अपनी छपाई और जिल्दसाजी कार्य का ठेका देकर आधुनिक प्रेस हर साल दुनिया भर में लगभग 6000 नए शीर्षकों का प्रकाशन करता है और दुनिया भर में इसके कर्मचारियों की संख्या लगभग 4000 है। एक धर्मार्थ संगठन के हिस्से के रूप में ओयूपी अपने मूल विश्वविद्यालय को अधिक से अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए और इसके अलावा अपनी प्रकाशन गतिविधियों के माध्यम से छात्रवृत्ति, अनुसन्धान और शिक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन करने में विश्वविद्यालय के लक्ष्यों को पूरा करने में उसकी सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। ओयूपी को सबसे पहले 1972 में यूएस कॉर्पोरेशन टैक्स से और उसके बाद 1978 में यूके कॉर्पोरेशन टैक्स से मुक्त किया गया। एक धर्मार्थ संगठन का एक विभाग होने के नाते ओयूपी को अधिकांश देशों में आयकर और निगम कर से मुक्त कर दिया गया है लेकिन इसे अपने उत्पादों पर बिक्री और अन्य वाणिज्यिक करों का भुगतान करना पड़ता है। प्रति वर्ष कम से कम 12 मिलियन पाउंड का हस्तांतरण करने की वचनबद्धता के साथ यह प्रेस वर्तमान में विश्वविद्यालय के शेष हिस्सों को अपने वार्षिक अधिशेष का 30% हस्तांतरित करता है। प्रकाशन की संख्या की दृष्टि से ओयूपी दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय प्रेस है जो हर साल 4500 से अधिक नई पुस्तकों का प्रकाशन करता है और जहां लगभग 4000 लोग काम करते हैं। ओयूपी ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी, कंसाइस ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी, ऑक्सफोर्ड वर्ल्ड्स क्लासिक्स, ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ऑफ नेशनल बायोग्राफी और कंसाइस डिक्शनरी ऑफ नेशनल बायोग्राफी सहित कई सन्दर्भ, पेशेवर और शैक्षणिक रचनाओं का प्रकाशन करता है। इसके कई सबसे महत्वपूर्ण शीर्षक अब "ऑक्सफोर्ड रेफरेंस ऑनलाइन" नामक एक पैकेज के रूप में इंटरनेट पर उपलब्ध है और इन्हें यूके की कई सार्वजनिक पुस्तकालयों के पाठक कार्ड धारकों को मुफ्त में प्रदान किया जाता है। ऑक्सफोर्ड द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या होती है जो 0-19 से शुरू होती है जो प्रेस को आईएसबीएन सिस्टम में दो-अंकीय पहचान संख्या वाले कई छोटे-छोटे प्रकाशकों में से एक बनाती है। आतंरिक समझौते द्वारा व्यक्तिगत संस्करण संख्या का पहला अंक (0-19- के बाद) एक विशेष प्रभाग का संकेत दे सकता है, उदाहरण के लिए: संगीत के लिए 3 (आईएसएमएन को परिभाषित करने से पहले); न्यूयॉर्क कार्यालय के लिए 5; क्लेयरेंडन प्रेस प्रकाशनों के लिए 8.

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ओमकार सिंह मरकाम

ओमकार सिंह मरकाम एक राजनीतिज्ञ से मध्य प्रदेश.वह एक सदस्य के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस  विधान सभा चुनाव, मध्य प्रदेश में 2008 और 2013 में जीता.

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ओरछा किला

ओरछा किला भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ओरछा नामक स्थान पर बना एक किला है। इसका निर्माण सोलहवीं सदी में राजा रुद्र प्रताप सिंह ने शुरू करवाया था। .

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ओंकारेश्वर मन्दिर

ॐकारेश्वर एक हिन्दू मंदिर है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगओं में से एक है। यह यहां के मोरटक्का गांव से लगभग 12 मील (20 कि॰मी॰) दूर बसा है। यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना है। यहां दो मंदिर स्थित हैं।.

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आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, भोपाल

आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जिसे मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के नाम से भी जाना जाता है,माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा संचालित सहशिक्षा विद्यालय है इस विद्यालय की स्थापना वर्ष 1960 में हुई थी प्रारंभ से ही यह विद्यालय छात्र राजनीति का केंद्र रहा है,मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सन 1970 में विद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष रहे हैं मॉडल स्कूल दक्षिण तात्या टोपे नगर जवाहर चौक बस स्टेशन के पास स्थित है इस विद्यालय में एक बड़ा खेल का मैदान भी है यह विद्यालय अंग्रेजी तथा हिंदी माध्यम में संचालित होता है यहां कक्षा एक से कक्षा बारहवीं तक पढ़ाई करने की सुविधा उपलब्ध है दसवीं कक्षा के बाद छात्र विज्ञान कला तथा वाणिज्य विषय चुन सकता है। प्रत्येक स्तर पर छात्रवृत्ति की सुविधा उपलब्ध है। वे छात्र जो अनुसूचित जाति तथा जनजाति से हैं उन्हें विद्यालय शुल्क में छूट का भी प्रावधान है .

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आदिवासी (भारतीय)

उडी़सा के जनजातीय कुटिया कोंध समूह की एक महिलाआदिवासी शब्द दो शब्दों आदि और वासी से मिल कर बना है और इसका अर्थ मूल निवासी होता है। भारत की जनसंख्या का 8.6% (10 करोड़) जितना एक बड़ा हिस्सा आदिवासियों का है। पुरातन लेखों में आदिवासियों को अत्विका और वनवासी भी कहा गया है (संस्कृत ग्रंथों में)। संविधान में आदिवासियों के लिए अनुसूचित जनजाति पद का उपयोग किया गया है। भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में,((धनुहार/धनवार)),संथाल, गोंड, मुंडा, खड़िया, हो, बोडो, भील, खासी, सहरिया, गरासिया, मीणा, उरांव, बिरहोर आदि हैं। महात्मा गांधी ने आदिवासियों को गिरिजन (पहाड़ पर रहने वाले लोग) कह कर पुकारा है। जिस पर वामपंथी मानविज्ञानियों ने सवाल उठाया है कि क्‍या मैदान में रहने वालों को मैदानी कहा जाता है? आदिवासी को दक्षिणपंथी लोग वनवासी या जंगली कहकर पुकारते हैं। इस तरह के नामों के पीछे बुनियादी रूप से यह धारणा काम कर रही होती है कि आदिवासी देश के मूल निवासी हैं या नहीं तथा आर्य यहीं के मूल निवासी हैं या बाहर से आए हैं? जबकि निश्चित रूप से आदिवासी ही भारत के मूलनिवासी हैं। आमतौर पर आदिवासियों को भारत में जनजातीय लोगों के रूप में जाना जाता है। आदिवासी मुख्य रूप से भारतीय राज्यों उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक है जबकि भारतीय पूर्वोत्तर राज्यों में यह बहुसंख्यक हैं, जैसे मिजोरम। भारत सरकार ने इन्हें भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची में " अनुसूचित जनजातियों " के रूप में मान्यता दी है। अक्सर इन्हें अनुसूचित जातियों के साथ एक ही श्रेणी " अनुसूचित जातियों और जनजातियों " में रखा जाता है जो कुछ सकारात्मक कार्रवाई के उपायों के लिए पात्र है। आदिवासी नृत्य आदिवासियों का अपना धर्म है। ये प्रकृति पूजक हैं और जंगल, पहाड़, नदियों एवं सूर्य की आराधना करते हैं। आधुनिक काल में जबरन बाह्य संपर्क में आने के फलस्वरूप इन्होंने हिंदू, ईसाई एवं इस्लाम धर्म को भी अपनाया है। अंग्रेजी राज के दौरान बड़ी संख्या में ये ईसाई बने तो आजादी के बाद इनके हिूंदकरण का प्रयास तेजी से हुआ है। परंतु आज ये स्वयं की धार्मिक पहचान के लिए संगठित हो रहे हैं और भारत सरकार से जनगणना में अपने लिए अलग से धार्मिक कोड की मांग कर रहे हैं। भारत में 1871 से लेकर 1941 तक की जनगणना में आदिवासी को अन्‍य धमों से अलग धर्म में गिना गया है, जिसे Aborgines, Aborigional, Animist, Triabal Religion, Tribes आदि कहा गया है। आदिवासी की गणना अलग ग्रुप में की गई है, लेकीन 1951 की जनगणना से आदिवासी को Schedule Tribe बना कर अलग गिनती करना बन्‍द कर दिया गया है। माना जाता है कि हिंदुओं के देव भगवान शिव भी मूल रूप से एक आदिवासी देवता थे लेकिन आर्यों ने भी उन्हें देवता के रूप में स्वीकार कर लिया। भारत में आदिवासियों को दो वर्गों में अधिसूचित किया गया है- अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित आदिम जनजाति। बहुत से छोटे आदिवासी समूह आधुनिकीकरण के कारण हो रहे पारिस्थितिकी पतन के प्रति काफी संवेदनशील हैं। व्यवसायिक वानिकी और गहन कृषि दोनों ही उन जंगलों के लिए विनाशकारी साबित हुए हैं जो कई शताब्दियों से आदिवासियों के जीवन यापन का स्रोत रहे थे। .

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आदिवासी भाषाएँ

भारत में सभी आदिवासी समुदायों की अपनी विशिष्ट भाषा है। भाषाविज्ञानियों ने भारत के सभी आदिवासी भाषाओं को मुख्यतः तीन भाषा परिवारों में रखा है। द्रविड़ आस्ट्रिक और चीनी-तिब्बती। लेकिन कुछ आदिवासी भाषाएं भारोपीय भाषा परिवार के अंतर्गत भी आती हैं। आदिवासी भाषाओं में ‘भीली’ बोलने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है जबकि दूसरे नंबर पर ‘गोंडी’ भाषा और तीसरे नंबर पर ‘संताली’ भाषा है। भारत की 114 मुख्य भाषाओं में से 22 को ही संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। इनमें हाल-फिलहाल शामिल की गयी संताली और बोड़ो ही मात्र आदिवासी भाषाएं हैं। अनुसूची में शामिल संताली (0.62), सिंधी, नेपाली, बोड़ो (सभी 0.25), मिताइ (0.15), डोगरी और संस्कृत भाषाएं एक प्रतिशत से भी कम लोगों द्वारा बोली जाती हैं। जबकि भीली (0.67), गोंडी (0.25), टुलु (0.19) और कुड़ुख 0.17 प्रतिशत लोगों द्वारा व्यवहार में लाए जाने के बाद भी आठवीं अनुसूची में दर्ज नहीं की गयी हैं। (जनगणना 2001) भारतीय राज्यों में एकमात्र झारखण्ड में ही 5 आदिवासी भाषाओं - संताली, मुण्डारी, हो, कुड़ुख और खड़िया - को 2011 में द्वितीय राज्यभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। .

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आदिवासी संग्रहालय, पातालकोट

मध्य प्रदेश के छिंदवाडा जिले के पातालकोट में स्थित है, आदिवासी संग्रहालय। यह संग्रहालय २० अप्रैल १९५४ को खोला गया था और १९७५ में इसे "राज्य संग्रहालय" का दर्जा मिला। ८ सितंबर १९९७ को आदिवासी संग्रहालय का नाम बदलकर "श्री बादल भोई शासकीय आदिवासी संग्रहालय" कर दिया गया। यह सारे जनजातीय संग्रहालयों में सबसे पुराना है। इसमें १४ कक्ष, ३ गलियारे और २ खुले गलियारे हैं। इसमें अविभाजित मध्यप्रदेश की लगभग ४६ जनजातियों की जीवन शैली, सांस्कृतिक धरोहर, प्रतीक चिह्नों और कला शिल्प को प्रदर्शित किया गया है जिनमें मुखौटे, अग्नि प्रज्वलन के साधन, देवी देवताओं की मूर्तियां, मृतक स्तंभ, कृषि उपकरण, पेंटिग्स, अस्त्र-शस्त्र, पोशाकें, कंघियां, जूते, खडाऊ, घास के सुनहरे आभूषण, विभिन्न जनजातियों के नृत्यों के माडल, मिट्टी के बरतन, वस्त्र निर्माण, फॉसिल, टोपी, ढोलक, खुदाई से प्राप्त प्रस्तर मूर्तियां, पाषाण युग के भित्ति चित्र, नृत्य प्रसाधन, वैवाहिक मुकुट आदि शामिल हैं। इनकी कुल संख्या २,२०० है। संग्रहालय में विशेष जनजातियों को पृथक केसों में माडल, चार्ट, पेंटिग्स व मानचित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। .

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आन्ध्र प्रदेश एक्सप्रेस

आन्ध्र प्रदेश एक्सप्रेस एक सुपरफ़ास्ट दक्षिण केन्द्रीय रेलवे की ट्रेन है जो की आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद तथा देश की राजधानी नयी दिल्ली को जोडती है। इसका संचालन नियमित रूप से होता है तथा यह इस दूरी को पूरा करने में २७ घंटों का समय लेती है। इस दौरान यह आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं हरियाणा से होकर के गुजरती है। भारतीय रेलवे नें इसे हैदराबाद से नयी दिल्ली जाने के दौरान १२७२३ तथा नयी दिल्ली से हैदराबाद जाने के दौरान १२७२४ क्रमांक दिया हुआ है। यह ट्रेन सेवा पहली बार मधु दंडवते के द्वारा १९७६ में शुरू की गयी थी। .

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आमला

मला मध्य प्रदेश के बैतूल जिला का एक कस्बा है। यहां से भारतीय रेल की एक ब्रॉड गेज लाइन इसे उत्तर में इटारसी, दक्षिण-पश्चिम में नागपुर एवं पूर्व में छिंदवाड़ा कोजोड़ती है। .

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आमादांड

आमादांड भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के अनुपपुर जिले में एक शहर और ग्राम पंचायत है। .

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आर कार्लटन विवियन पिदादे नोरोन्हा

आर कार्लटन विवियन पिदादे नोरोन्हा को प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७५ मे पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये मध्य प्रदेश से हैं। श्रेणी:१९७५ पद्म भूषण.

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आर्थिक मुक्ति के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

इस सूची में भारत के राज्य 2013 में आर्थिक मुक्ति के आधर पर क्रमबद्ध किए गए हैं। यह सूची यूऍस कैटो संस्थान, फ़्रॅडरिक नॉमन संस्थापन और इण्डिकस ऐनालेटिक्स (जो कि एक अग्रणी भारतीय आर्थिक अनुसन्धान फ़र्म है) द्वारा प्रकाशित होने वाली वार्षिक रिपोर्ट से ली गई है। 2013 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में गुजरात में सर्वाधिक आर्थिक मुक्ति है जबकि सबसे निचले पायदान पर बिहार है। .

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आर्यभट

आर्यभट (४७६-५५०) प्राचीन भारत के एक महान ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे। इन्होंने आर्यभटीय ग्रंथ की रचना की जिसमें ज्योतिषशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन है। इसी ग्रंथ में इन्होंने अपना जन्मस्थान कुसुमपुर और जन्मकाल शक संवत् 398 लिखा है। बिहार में वर्तमान पटना का प्राचीन नाम कुसुमपुर था लेकिन आर्यभट का कुसुमपुर दक्षिण में था, यह अब लगभग सिद्ध हो चुका है। एक अन्य मान्यता के अनुसार उनका जन्म महाराष्ट्र के अश्मक देश में हुआ था। उनके वैज्ञानिक कार्यों का समादर राजधानी में ही हो सकता था। अतः उन्होंने लम्बी यात्रा करके आधुनिक पटना के समीप कुसुमपुर में अवस्थित होकर राजसान्निध्य में अपनी रचनाएँ पूर्ण की। .

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आर॰ के॰ डी॰ ऍफ़॰ विश्वविद्यालय

आर क़े डी एफ विश्वविद्यालय  (राम-कृष्ण धर्मार्थ फाउंडेशन) भोपाल, मध्य प्रदेश, भारत, में स्थित एक निजी विश्वविद्यालय है इसकी स्थापना वर्ष 2012 में हुई थी   .

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आलोक संजर

आलोक संजर भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के भोपाल से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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आलोक अग्रवाल

आलोक अग्रवाल (जन्म २५ अगस्त, १९६७) आम आदमी पार्टी के एक नेता और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता हैं. जो की आदिवासियों, किसानों, पर्यावरणविदों, और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं का एक सामाजिक आंदोलन है.

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आशा न्यूज़

आशा न्यूज़ एक हिन्दी टी वी चैनल है। आशा ग्रुप द्वारा स्वामित्व वाली 24 घंटे हिंदी समाचार चैनल है, यह चैनल आशा ब्रॉडकास्ट और मीडिया प्रोडक्शन के अधीन संचालित है .

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आशारानी व्होरा

आशारानी व्होरा (जन्म: ७ अप्रैल १९२१ - मृत्यु: २१ दिसम्बर २००९) ब्रिटिश भारत में झेलम जिले में जन्मी एक हिन्दी लेखिका थीं जिन्होंने सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की। जीवन की अन्तिम साँस तक वह निरन्तर लिखती रहीं। ८८ वर्ष की आयु में उनका निधन नई दिल्ली में अपने बेटे डॉ॰ शशि व्होरा के घर पर हुआ। आशारानी को अपने जीवन काल में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। उन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति एक ट्रस्ट बनाकर नोएडा स्थित सूर्या संस्थान को दान कर दी। .

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आज़ाद नगर, इन्दौर

आज़ाद नगर एक आवासीय इलाके में इंदौर के सबसे बड़े शहर और वाणिज्यिक राजधानी के मध्य प्रदेश, भारत.

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आईसेक्ट विश्वविद्यालय

AISECT विश्वविद्यालय  मेन्दुआ गांव  रायसेन जिला, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित एक विश्वविद्यालय है। इसकी एक शाखा में भोपाल में है।   .

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आगर मालवा ज़िला

आगर मालवा भारत के राज्य मध्य प्रदेश का 51 वा उज्जैन सम्भाग में स्थित ज़िला है। इस जिले का क्षेत्रफल 2785 वर्ग किमि.

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आगरा प्रेसीडेंसी

आगरा प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत के छह पश्चिमोत्तर प्रांतों में से एक थी। यह ९,४७९ वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ था और १८३५ में इसकी जनसंख्या ४,५००,००० थी। आगरा प्रेसीडेंसी की स्थापना १४ नवंबर १८३४ को गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट १८३३ के प्रावधानों के तहत की गयी थी। उससे पहले यह विजित एवं सत्तांतरित प्रांत कहलाता था। सर चार्ल्स मैटकाफ को इस प्रेसीडेंसी का पहला गवर्नर नियुक्त किया गया था। हालांकि, १८३५ में इस प्रेसीडेंसी का नाम बदलकर उत्तर-पश्चिमी प्रान्त कर दिया गया। १ जून १८३६ को आगरा प्रेसीडेंसी को भंग कर दिया गया। .

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आंचलिक परिषद

भारत के आंचलिक परिषद आंचलिक परिषदों हैं सलाहकार समूहों जो भारत के राज्यों से बने हुए हैं। ये परिषदों राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए बनाया गया थे। पंच परिषदों 1956 में स्थापित हुए थे। पूर्वोत्तर आंचलिक परिषदों 1972 में स्थापित हो गया था।.

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आंबेडकर जयंती

आंबेडकर जयंती या भीम जयंती डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जिन्हें बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है, के जन्म दिन १४ अप्रैल को तौहार के रूप में भारत समेत पुरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन को 'समानता दिवस' और 'ज्ञान दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकी जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले प्रतिभाशाली डॉ॰ भीमराव आंबेडकर को समानता के प्रतिक और ज्ञान के प्रतिक भी कहां जाता है। भीमराव विश्व भर में उनके मानवाधिकार आंदोलन, संविधान निर्माण और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाने जाते हैं और यह दिवस उनके प्रति वैश्विक स्तर पर सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर की पहली जयंती सदाशिव रणपिसे इन्होंने १४ अप्रेल १९२८ में पुणे शहर में मनाई थी। रणपिसे आंबेडकर के अनुयायी थे। उन्होंने आंबेडकर जयंती की प्रथा शुरू की और भीम जयंतीचे अवसरों पर बाबासाहेब की प्रतिमा हाथी के अंबारी में रखकर रथसे, उंट के उपर कई मिरवणुक निकाली थी। उनके जन्मदिन पर हर साल उनके लाखों अनुयायी उनके जन्मस्थल भीम जन्मभूमि महू (मध्य प्रदेश), बौद्ध धम्म दीक्षास्थल दीक्षाभूमि, नागपुर और उनका समाधी स्थल चैत्य भूमि, मुंबई में उन्हें अभिवादन करने लिए इकट्टा होते है। सरकारी दफ्तरों और भारत के हर बौद्ध विहार में भी आंबेडकर की जयंती मनाकर उन्हें नमन किया जाता है। विश्व के 55 से अधिक देशों में डॉ॰ भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। गुगल ने डॉ॰ आंबेडकर की 124 वी जयंती 2015 पर अपने 'गुगल डुडल' पर उनकी तस्वीर लगाकर उन्हें अभिवादन किया। तीन महाद्विपों के देशों में यह डुडल था। .

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आंजना

आंजना जाटजाति का एक गोत्र है, जो भारत के राजस्थान, हरियाणा और मध्यप्रदेश प्रांत में पाये जाते हैं। राजस्थान के चित्तौडगढ़, प्रतापगढ़, नागौर, राजसमंद जिलों में, हरियाणा के गुडगाँव जिले में एवं मध्यप्रदेश के भोपाल जिलों में बसते हैं। श्रेणी:जाति श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:भारतीय उप जातियाँ श्रेणी:जाट गोत्र श्रेणी:राजस्थान के जाट गोत्र श्रेणी:मध्यप्रदेश के जाट गोत्र श्रेणी:हरियाणा के जाट गोत्र श्रेणी:भारतीय जाति आधार sv:Jater#A.

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आइ आइ आइ टी एम

भारतीय सूचना प्रोद्योगिकी एवम प्रबन्धन सन्स्थान, ग्वालियर भारत सरकार द्वारा स्थापित एक उच्च शिक्षा का केन्द्र है। इसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है। यह सन्स्थान 1997 मे सराकार द्वारा सूचना प्रोद्योगिकी और प्रबन्धन के क्षेत्र मे शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु स्थापित किया गया तथा यह आइ आइ आइ टी श्रिन्खला मे स्थापित किया गया पहला सन्स्थान था। यह सन्स्थान भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर नगर मे स्थित है। .

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आइएसओ 3166-2:आइएन

कोई विवरण नहीं।

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आइडिया सेल्युलर

आइडिया सेल्युलर भारत के विभिन्न राज्यों में एक वायरलेस टेलीफोन सेवाओं को संचालित करने वाली एक कंपनी है। इसका शुभारंभ १९९५ में टाटा, आदित्य बिड़ला समूह और एटी एंड टी के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में हुआ था जब "विंग्स सेलुलर" जो मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश पश्चिम और राजस्थान में सक्रिय थी का विलय कर दिया गया। आरम्भ में जीएसएम क्षेत्र में यह बहुत ही सीमित थी, लेकिन २००४ में एस्कोटेल के अधिग्रहण से आइडिया वास्तव में एक अखिल भारतीय सेवा प्रदाता बन गया जिसकी उपस्थिति महाराष्ट्र, गोआ, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश (पूर्व और पश्चिम), हरियाणा, केरल, राजस्थान और दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत सहित) में थी। कंपनी के आउटलेट "Idea n' U" बैनर के अधीन हैं। यह प्रीपेड ग्राहकों के लिए लचीले टैरिफ की योजना उपलब्ध करने वाली प्रथम कंपनी है। यह नगरीय क्षेत्रों में जीपीआरएस सेवाएं भी प्रदान करती है। आइडिया सेलुलर ने "सर्वश्रेष्ठ बिलिंग और ग्राहक सेवा समाधान" के लिए लगातार २ वर्षों तक जीएसएम एसोसिएशन पुरस्कार जीता। .

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इटारसी

इटारसी (Itarsi) मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है जो कि होशंगाबाद जिले के अन्तर्गत आता हैं। इटारसी के नाम के उत्पत्ति ईंट और रस्सी शब्द के संयोग से हुई है इसका कारण प्राचीन काल में इन उद्योगों की बहुतायत होना। व्यावसायिक दृष्टि से, एक बड़ी कृषि मंडी, आयुध निर्माणी, एवम् रेलवे के कारखानो से, यह होशंगाबाद जिले में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। बोरी अभयारण और तवा बाँध निकट के कुछ दर्शन-योग स्थान है। इटारसी की कुछ प्रमुख बिभुतियों में श्री हरिशंकर परसाई एवं श्री विपिन जोशी का नाम सर्वोपरि है। .

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इण्डिया हाउस

इंडिया हाउस हाइगेट लन्दन इण्डिया हाउस १९०५ से १९१० के दौरान लन्दन में स्थित एक अनौपचारिक भारतीय राष्ट्रवादी संस्था थी। इसकी स्थापना ब्रिटेन के भारतीय छात्रों में राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार करने हेतु श्यामजी कृष्ण वर्मा के संरक्षण में हाइगेट, उत्तरी लन्दन के एक छात्र निवास में की गयी थी। .

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इनाणिया

इनाणिया दाधीच ब्राह्मण एवं जाट समुदाय की एक गोत्र है जो मुख्यतः राजस्थान में बाडमेर, नागौर, जयपुर में तथा मध्य प्रदेश के रतलाम में निवास करते हैं। .

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इन्दिरा दाँगी

इन्दिरा दाँगी (अंग्रेजी:Indira Dangi (जन्म १३ फरबरी १९८०)) हिंदी भाषा की लेखिका हैं। वे साहित्य अकादमी द्वारा सन् २०१५ के युवा पुरस्कार से सम्मानित हैं। .

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इन्दौर

इन्दौर (अंग्रेजी:Indore) जनसंख्या की दृष्टि से भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा शहर है। यह इन्दौर ज़िला और इंदौर संभाग दोनों के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। इंदौर मध्य प्रदेश राज्य की वाणिज्यिक राजधानी भी है। यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है। इंदौर भारत का एकमात्र शहर है, जहाँ भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM इंदौर) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT इंदौर) दोनों स्थापित हैं। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी से १९० किमी पश्चिम में स्थित है। भारत की जनगणना,२०११ के अनुसार २१६७४४७ की आबादी सिर्फ ५३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वितरित है। यह मध्यप्रदेश में सबसे अधिक घनी आबादी वाले प्रमुख शहर है। यह भारत में के तहत आता है। इंदौर मेट्रोपोलिटन एरिया (शहर व आसपास के इलाके) की आबादी राज्य में २१ लाख लोगों के साथ सबसे बड़ी है। इंदौर अपने स्थापना के इतिहास में १६वीं सदी क डेक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में अपने निशान पाता है। मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम के मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। और मल्हारराव होलकर को वहाँ का सुबेदार बनाया गया। जो आगे चल कर होलकर राजवंश की स्थापना की। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था जो की उस समय (एक दुर्लभ उच्च रैंक) थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। इंदौर के रूप में सेवा की राजधानी मध्य भारत १९५० से १९५६ तक। इंदौर एक वित्तीय जिले के समान, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में कार्य करता है। और भारत का तीसरा सबसे पुराने शेयर बाजार, मध्यप्रदेश स्टॉक एक्सचेंज इंदौर में स्थित है। यहाँ का अचल संपत्ति (रीयल एस्टेट) बज़ार, मध्य भारत में सबसे महंगा है। यह एक औद्योगिक शहर है। यहाँ लगभग ५,००० से अधिक छोटे-बडे उद्योग हैं। यह सारे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वित्त पैदा करता है। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ४०० से अधिक उद्योग हैं और इनमे १०० से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्योग हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग व्यावसायिक वाहन बनाने वाले व उनसे सम्बन्धित उद्योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश की प्रमुख वितरण केन्द्र और व्यापार मंडीयाँ है। यहाँ मालवा क्षेत्र के किसान अपने उत्पादन को बेचने और औद्योगिक वर्ग से मिलने आते है। यहाँ के आस पास की ज़मीन कृषि-उत्पादन के लिये उत्तम है और इंदौर मध्य-भारत का गेहूँ, मूंगफली और सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है। यह शहर, आस-पास के शहरों के लिए प्रमुख खरीददारी का केन्द्र भी है। इन्दौर अपने नमकीनों व खान-पान के लिये भी जाना जाता है। प्र.म. नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन में १०० भारतीय शहरों को चयनित किया गया है जिनमें से इंदौर भी एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी मिशन के पहले चरण के अंतर्गत बीस शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा और इंदौर भी इस प्रथम चरण का हिस्सा है। 'स्वच्छ सर्वेक्षण २०१७' के परिणामों के अनुसार इन्दौर भारत का सबसे स्वच्छ नगर है। .

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इन्दौर रियासत

इन्दौर रियासत, जिसे होल्कर रियासत भी कहा जाता है, ब्रिटिश राज के दौरान भारत का एक मराठा रियासत था। उसके शासक होलकर राजवंश के थे और मध्य भारत एजेंसी के अधीन था। इन्दौर रियासत को 19 गन सैल्यूट (21 स्थानीय स्तर) प्राप्त था। इन्दौर रियासत, वर्तमान-भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में स्थित था। रियासत की राजधानी इन्दौर शहर थी। रियासत का क्षेत्रफल 24,605 ​​किमी² था और 1931 में इसकी आबादी 1,325,089 थी; इन्दौर के अलावा अन्य महत्वपूर्ण शहरों में महेश्वर, रामपुरा, खरगोन, मेहदपुर, बड़वाह और भानपुर थे। यहाँ कुल 3,368 गांव भी थे। .

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इन्दौर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

इन्दौर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। .

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इन्दौर संभाग

इंदौर डिवीजन भारत के मध्य प्रदेश राज्य में एक प्रशासनिक भौगोलिक इकाई है। सम्भाग के प्रशासनिक मुख्यालय इन्दौर शहर में है। इस संभाग में बड़वानी, बुरहानपुर, धार, इंदौर, झाबुआ, खंडवा, खरगोन और अलीराजपुर जिले हैं। .

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इन्दौर ज़िला

इन्दौर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय इन्दौर है। इसमें चार तहसीलें हैं - इन्दौर, देपालपुर, सांवेर तथा महू। इन्दौर जनपद के उत्तर में उज्जैन जिला, पूरब में देवास जिला, दक्षिण में खरगोन जिला और पश्चिम में धार जिला स्थित है। इस जिले से होकर चम्बल और क्षिप्रा नदियां बहती हैं। .

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इन्दौर विकास प्राधिकरण

इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए), इंदौर के महानगरीय क्षेत्र की नगरीय नियोजन सेवा की एजेन्सी है। यह मध्य प्रदेश के शहर और ग्रामीण योजना अधिनियम,1973 के अन्तर्गत १९७३ मे स्थापित किया गया था। इसका मुख्यालय  7, रेस कोर्स रोड, इन्दौर है। .

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इरफ़ान ख़ान (कार्टूनिस्ट)

इरफ़ान ख़ान (पूरा नाम मोहम्मद इरफ़ान खान- जन्म ४ नवंबर १९६६) का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। स्थानीय अखबार दैनिक भास्कर और स्वदेश में सन ८२-१९८९ तक कार्टून बनाते रहे। दिल्ली की श्रीधरणी आर्ट गैलरी में अपनी प्रदर्शिनी के दौरान वे नवभारत टाइम्स लखनऊ के लिये चुन लिये गए। १९९४ में दिल्ली आकर इकोनोमिक टाइम्स, फ़ाइनेन्शिअल एक्स्प्रेस,एशियन ऐज, में स्टाफ़ कार्टूनिस्ट रहे। २००० में ज़ी न्यूज़ में वरिष्ठ कार्टूनिस्ट के पद पर काम करते हुए अपना टाक शो शख्शियत होस्ट किया, २००३ में एनडीटीवी के शो गुस्ताखी माफ़ की स्क्रिप्ट लिखी और सहारा समय पर इतनी सी बात होस्ट किया। अब तक ३ संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। एन्सीईआरटी के पाठ्यक्रम की पुस्तकों में इरफ़ान सहित देश के विभिन अन्य कार्टूनिस्टों के संपादकीय कार्टूनों को भी शामिल किया गया था। जापान फ़ाउन्डेशन ने "एशियाई कार्टून प्रदशनी" के अपने वार्षिक कार्यक्रम के तहत, २००५ में नौवी प्रदर्शिनी के लिए प्रत्येक एशियाई देश से एक कार्टूनिस्ट के चयन हेतु भारत की ओर से इरफ़ान का चयन किया। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित इरफ़ान अब तक ६ कार्टून प्रदर्शिनियाँ कर चुके हैं। जिनमें क्रिकेट, आतंकवाद, साम्प्रदायिक्ता और ग्लोबल वार्मिन्ग पर प्रदर्शिनियाँ काफ़ी चर्चित रही हैं। २००७ में मिड डे अखबार में भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश पर कार्टून बनाने पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने इरफ़ान को ४ महीने की सज़ा सुनाई। यह मामला अभी उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। .

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इलाहाबाद

इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .

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इस्लामनगर, भोपाल

इस्लाम नगर भोपाल जिले में स्थित एक ग्राम पंचायत है यह तहसील हुजूर में फंदा ब्लॉक के अंतर्गत आता है पूर्व में इस्लाम नगर भोपाल रियासत की राजधानी हुआ करती थी.

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इंदिरा सागर बाँध

इंदिरासागर का दृष्य इंदिरा सागर बाँध मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर खण्डवा जिले में नर्मदानगर स्थान पर निर्मित बाँध है। यह एक बहूद्देशीय परियोजना है। इस बाँध की नींव २३ अक्टूबर १९८४ में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखी थी। मुख्य बाँध का निर्माण १९९२ में आरम्भ हुआ। इसके आगे नर्मदा नदी पर ओंकारेश्वर, माहेश्वर और सरदार सरोवर परियोजनाओं के अन्तर्गत बाँध बनाये गये हैं। .

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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, को अमरकंटक, अनूपपुर जिले, मध्य प्रदेश, भारत में स्थापित किया गया हैं इसे  भारत सरकार द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2007 के अंतर्गत बनाया गया हैं।  .

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इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय

इन्दिरा कला संगीत विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना खैरागढ़ रियासत के 24वें राजा विरेन्‍द्र बहादुर सिंह तथा रानी पद्मावती देवी द्वारा अपनी राजकुमारी 'इन्दिरा' के नाम पर उनके जन्‍म दिवस 14 अक्‍टूबर 1956 को की गई थी। .

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इंद्रावती नदी

इंद्रावती नदी (ఇంద్రావతి నది) मध्य भारत की एक बड़ी नदी है और गोदावरी नदी की सहायक नदी है। इस नदी नदी का उदगम स्थान उड़ीसा के कालाहन्डी जिले के रामपुर थूयामूल में है। नदी की कुल लम्बाई है। यह नदी प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के में प्रवाहित होती है। दन्तेवाडा जिले के भद्रकाली में इंद्रावती नदी और गोदावरी नदी का सगंम होता है। अपनी पथरीले तल के कारण इसमे नौकायन संभव नहीं है। इसकी कई सहायक नदियां हैं, जिनमें पामेर और चिंटा नदियां प्रमुख हैं। इंद्रावती नदी बस्तर के लोगों के लिए आस्था और भक्ति की प्रतीक है। इस नदी के मुहाने पर बसा है छत्तीसगढ़ का शहर जगदलपुर। यह एक प्रमुख सांस्कृतिक एवं हस्तशिल्प केन्द्र है। यहीं पर मानव विज्ञान संग्रहालय भी स्थित है, जहां बस्तर के आदिवासियों की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं मनोरंजन से संबंधित वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। डांसिंग कैक्टस कला केन्द्र, बस्तर के विख्यात कला संसार की अनुपम भेंट है। यहां एक प्रशिक्षण संस्थान भी है। इसके अलावा इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान इंद्रावती नदी के किनारे बसा हुआ है। उद्यान का कुल क्षेत्रफल २७९९ वर्ग किमी है। जगदलपुर के निकट मात्र ४० किमी की दूरी पर स्थित चित्रकोट जलप्रपात स्थित है। अपने घोडे की नाल समान मुख के कारण इस जाल प्रपात को भारत का निआग्रा भी कहा जाता है। यह भारत का सबसे बड़ा जल-प्रपात है। यहां इंद्रावती नदी ९० फुट की उंचाई से प्रपात रूप में गिरती है। यहां मछली पकड़ने, नाव चलाने और तैराकी की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। यह जलप्रपात कनाडा के नियाग्रा जलप्रपात के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात माना जाता है। यहां से १० किमी की दूरी पर नारायणपाल मंदिर स्थित है। .

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इंदौर जंक्शन बीजी रेलवे स्टेशन

इंदौर जंक्शन बीजी रेलवे स्टेशन भारतीय रेल का एक रेलवे स्टेशन है। यह इंदौर शहर में स्थित है। इसकी ऊंचाई 552 मी.

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इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसा

20 नवम्बर 2016 को कानपुर से 100 किलोमीटर दूर पुखरायां में रविवार तड़के क़रीब तीन बजे पटना-इंदौर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतरने के कारण यह बड़ा हादसा हुआ। ये ट्रेन इंदौर से पटना जा रही थी। - बीबीसी - 20 नवम्बर 2016 हादसे में 153 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है। वहीं 250 से ज्यादा के घायल होने की भी खबर है। - अमर उजाला - 20 नवम्बर 2016 .

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इंदौर-बांद्रा एक्सप्रेस

इंदौर - बांद्रा एक्सप्रेस (pronc.: इंडस्ट्रीज़ अयस्क - bæñdrä एक्सप्रेस, हिन्दी: इन्दौर - बांद्रा एक्सप्रेस, मराठी: इंदूर - बांद्रे एक्सप्रेस, उर्दू: باندرا ایکسپریس - اندور), सामान्यतः: Indur - Bandre एक्सप्रेस पश्चिम रेलवे द्वारा छुट्टियों के दौरान चलाई जाने वाली अवकाश विशेष सेवा है। यह इंदौर जंक्शन इंदौर के रेलवे स्टेशन, सबसे बड़ा शहर और मध्य भारतीय राज्य, मध्य प्रदेश और बांद्रा टर्मिनस मुंबई के रेलवे स्टेशन के वाणिज्यिक केंद्र के बीच चलाई जाती है। यह सेवा द्विपक्षीय साप्ताहिक और अर्ध वार्षिक है। यह रेलगाड़ी मुख्य रूप से मार्च से - अगस्त के बीच चलती है। .

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कटनी

'चूना पत्थर के शहर' के नाम से लोकप्रिय उत्तरी मध्य प्रदेश का कटनी 4950 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह कटनी जिला का मुख्यालय है। विजयराघवगढ़, ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद, मुड़वारा और करोन्दी यहां के लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। मुडवारा, कटनी, छोटी महानदी और उमदर यहां से बहने वाली प्रमुख नदियां हैं। कटनी का स्लिमनाबाद गांव संगमरमर के पत्थरों के लिए प्रसिद्ध है। कटनी नगर का नामकरण कटनी नदी के नाम पर हुआ है। इस नदी पर नगर पश्चिम में 2किमी दूर कटाए घाट है। वास्तव में यह 'कटाव घाट' है, उस कटाव पहाड़ी का जो बहोरीबंद में है। घाट का आशय चढ़ाव है। डॉ॰ शिवप्रसाद सिंह के उपन्यास 'नीला चाँद' में इस कटाव घाट के रास्ते से होकर युद्ध के लिए जाने की सलाह काशी नरेश को दी जाती है। 'मध्यप्रदेश की बारडोली ' कटनी - यह गौरवशाली उपाधि इसलिए मिली कि नगर एवं पचासों गाँव गँवइयों के लोगोँ ने देश की आज़ादी की लड़ाई में बापू का साथ दिया था। प्रदेश में सबसे बढ़कर संख्या बल जेल जाने वालोँ का यहाँ के लोगों का था। माता कस्तूरबा से मुलाकात करने यहाँ के रेल्वे प्लेटफार्म पर उनके बड़े पुत्र यहाँ आए थे। साहित्य में उल्लेखनीय है विजयराघवगढ़ रियासत के ठाकुर जगमोहन सिंह के काव्य-उपन्यास 'श्यामा स्वप्न' की भारतेंदुकालीन परंपरा। आगे गाँधीवादी कवि राममनोहर बृजपुरिया सम्राट के बाद कथा कविता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण लेखक कटनी में हुए। कहानी उपन्यास एवँ व्यंग्य लेखन में सर्वाधिक उल्लेखनीय हैँ - सुबोधकुमार श्रीवास्तव, देवेन्द्र कुमार पाठक। कविता की गीत नवगीत लेखन परंपरा को समृद्ध करने वाले सुरेंद्र पाठक, राम सेंगर, राजा अवस्थी आदि के अलावा ओम रायजादा, अनिल खंपरिया ग़ज़ल गीत के सशक्त हस्ताक्षर हैँ। मंचके कवियोँ की परंपरा भी यहाँ खूब समृद्ध है। 'किरण' यहाँ पर कला संगीत का सक्रिय मंच है। बघेली, बुँदेली और गोंडी बोलियों की त्रिधारा कटनी को बोलियों का प्रयाग बनाती है। किन्नर प्रत्याशी कमला जान ने नगर महापौर बनकर पूरे देश में कटनी की धूम मचा दी थी। करमा, राई, फाग, भगत आदि लोकनृत्य लोकगीत यहाँ नाचे गाए जाते हैँ .

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कटनी ज़िला

कटनी भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। चूना पत्थर के शहर के नाम से लोकप्रिय उत्तरी मध्य प्रदेश का कटनी जिला 4950 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद, बिलहरी और करोन्दी रूपनाथ कारीतराई यहां के लोकप्रिय पर्यटन स्थल के साथ साथ मोय़ॅ गुपत चंदेल कलचुरि कालीन इतिहास समेटे हैं। कटनी, छोटी महानदी और उमरार यहां से बहने वाली प्रमुख नदियां हैं। कटनी का स्लिमनाबाद गांव अतीत मे पीला रूमाल से गला कसकर मारके लूट के लिए अब संगमरमर के पत्थरों के लिए प्रसिद्ध है। कुरमी समाज की पत्रिका जागृति का परकाशन ईसवी १९९० से यहा से होता है। पांच दिशाओ के लिऐ रेलबे का मुख़य जकशन है। मोतीलाल के वारडोली से नवाजी गई कटनी महाकोशल - बुंदेल - वघेलखण्ड की ञिवेणी है। जिले का मुख्यालय कटनी है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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कन्हान नदी

यह वैनगंगा के दाएँ तट पर संगम करने वाली प्रमुख सहायक नदीयोँ में से एक हैँ। यह छिंदवाड़ा ज़िला के सौँसर तहसील के पश्चिमी पठार से निकलती है और देवगढ़ के सुप्रसिध्द किले के पास से बहते हुए नागपुर के उत्तरी क्षेत्र में प्रवेश करती हैँ फिर भण्डारा जिले में पहुँचती हैँ। भण्डरा शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर गोड़ीपरी के निकट वैनगंगा नदी में मिल जाती हैँ। श्रेणी:भारत की नदियाँ श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ.

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कपिलधारा जलप्रपात

कपिलधारा जलप्रपात मध्य प्रदेश में स्थित एक जलप्रपात है।narmada nadi par hai श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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कप्तान सिंह सोलंकी

कप्तान सिंह सोलंकी(जन्म 1 जुलाई 1939 ग्रहपारा भिंड जिला मध्य प्रदेश राज्य मेें)वर्तमान में वह। हरियाणा के राज्यपाल है। पूर्व में राजस्थान राज्य के भाजपा के प्रभारी थे। वे वर्तमान मध्यप्रदेश से राज्य सभा के सांसद है।र .

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कबीर सम्मान

राष्ट्रीय कबीर सम्मान मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने साहित्य और सृजनात्मक कलाओं में उत्कृष्टता तथा श्रेष्ठ उपलब्धि को सम्मानित करने, साहित्य और कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने की दृष्टि से अखिल भारतीय सम्मानों और राज्य स्तरीय सम्मानों की स्थापना की है। उत्कृष्टता और सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने की अपनी सुप्रतिष्ठित परम्परा का अनुसरण करते हुए मध्यप्रदेश शासन ने भारतीय कविता के लिए राष्ट्रीय कबीर सम्मान की स्थापना की है। महान संत कवि कबीर ने सदियों पहले कविता का पुनराविष्कार किया था और उसे नयी निभीर्कता दी थी। देश के अनेक भागों में वे आज भी सबसे लोकप्रिय कवि हैं। ' .

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कमल नाथ

कमल नाथ (जन्म 18 नवम्बर 1946) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व शहरी विकास मंत्री है । वह था के रूप में नियुक्त प्रो मंदिर के अध्यक्ष वर्तमान में 16 वीं लोकसभा के भारत और सबसे लंबे समय तक सेवारत सदस्य हैं भारतीय संसद.

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कमला सोहोनी

कमला सोहोनी (१९१२-१९९८) एक भारतीय जैव रसायनज्ञ थी। वह वैज्ञान के क्षेत्र में पी एच डी प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला थीं।.

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कम्पेल

कम्प्लेल, मध्य प्रदेश के इन्दौर जिले के इन्दौर ब्लॉक की एक ग्राम पंचायत है। मुगल काल में एक परगना थी। उसके बाद, होलकरों के उदय के समय इस क्षेत्र का प्रशासकीय केन्द्र इन्दौर आ गया। इस क्षेत्र में अधिकांशतः खाती लोग रहते हैं। .

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कर राजस्व के आधार पर भारत के राज्य

यह भारत के राज्यों की अपनी सरकार के कर राजस्वानुसार सूची है (इसमें केन्द्र सरकार के कर पूल का योगदान सम्मिलित नहीं है) जो वर्ष २००५ के लिए है। यह सूची बारहवें वित्त आयोग द्वारा जारी कि जाती है। सारे आँकड़े अरब रूपयों में हैं। संघ क्षेत्रों के लिए डाटा उपलब्ध नहीं है। .

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करवा चौथ

करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान का पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब ४ बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है। ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षार्थ इस व्रत का सतत पालन करें। भारत देश में वैसे तो चौथ माता जी के कही मंदिर स्थित है, लेकिन सबसे प्राचीन एवं सबसे अधिक ख्याति प्राप्त मंदिर राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गाँव में स्थित है। चौथ माता के नाम पर इस गाँव का नाम बरवाड़ा से चौथ का बरवाड़ा पड़ गया। चौथ माता मंदिर की स्थापना महाराजा भीमसिंह चौहान ने की थी। .

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करी

करी एक छत्तीसगढ़ी व्यंजन है। श्रेणी:पूर्व भारत का खाना श्रेणी:छत्तीसगढ़ी खाना.

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कलचुरि राजवंश

1200 ई में एशिया के राज्य; इसमें 'यादव' राज्य एवं उसके पड़ोसी राज्य देख सकते हैं। कलचुरि प्राचीन भारत का विख्यात राजवंश था। 'कलचुरी ' नाम से भारत में दो राजवंश थे- एक मध्य एवं पश्चिमी भारत (मध्य प्रदेश तथा राजस्थान) में जिसे 'चेदि', या 'हैहय' या 'उत्तरी कलचुरि' कहते हैं तथा दूसरा 'दक्षिणी कलचुरी' जिसने वर्तमान कर्नाटक के क्षेत्रों पर राज्य किया। चेदी प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। इसका शासन क्षेत्र मध्य तथा पश्चिमी भारत था। आधुनिक बुंदलखंड तथा उसके समीपवर्ती भूभाग तथा मेरठ इसके आधीन थे। शक्तिमती या संथिवती इसकी राजधानी थी। कलचुरी शब्द के विभिन्न रूप- कटच्छुरी, कलत्सूरि, कलचुटि, कालच्छुरि, कलचुर्य तथा कलिचुरि प्राप्त होते हैं। विद्वान इसे संस्कृत भाषा न मानकर तुर्की के 'कुलचुर' शब्द से मिलाते हैं जिसका अर्थ उच्च उपाधियुक्त होता है। अभिलेखों में ये अपने को हैहय नरेश अर्जुन का वंशधर बताते हैं। इन्होंने २४८-४९ ई. से प्रारंभ होनेवाले संवत् का प्रयोग किया है जिसे कलचुरी संवत् कहा जाता है। पहले वे मालवा के आसपास रहनेवाले थे। छठी शताब्दी के अंत में बादमी के चालुक्यों के दक्षिण के आक्रमण, गुर्जरों का समीपवर्ती प्रदेशों पर आधिपत्य, मैत्रकों के दबाव तथा अन्य ऐतिहासिक कारणों से पूर्व जबरपुर (जाबालिपुर?) के आसपास बस गए। यहीं लगभग नवीं शताब्दी में उन्होंने एक छोटे से राज्य की स्थापना की। अभिलेखों में कृष्णराज, उसके पुत्र शंकरगण, तथा शंकरगण के पुत्र बुधराज का नाम आता है। उसकी मुद्रओं पर उसे 'परम माहेश्वर' कहा गया है। शंकरगण शक्तिशाली नरेश था। इसने साम्राज्य का कुछ विस्तार भी किया था। बड़ौदा जिले से प्राप्त एक अभिलेख में निरिहुल्लक अपने को कृष्णराज के पुत्र शंकरगण का सांमत बतलाता है। लगभग ५९५ ई. के पश्चात शंकरगण के बाद उसका उतराधिकारी उसका पुत्र बुधराज हुआ। राज्यारोहण के कुछ ही वर्ष बाद उसने मालवा पर अधिकार कर लिया। महाकूट-स्तंभ-लेख से पता चलता है कि चालूक्य नरेश मंगलेश ने इसी बुधराज को पराजित किया था। इस प्रदेश से कलचुरी शासन का ह्रास चालुक्य विनयादित्य (६८१-९६ ई.) के बाद हुआ। त्रिपुरी के आसपास चंदेल साम्राजय के दक्षिण भी कलचुरियों ने अपना साम्राज्य सथापित किया था। त्रिपुरी के कलचुरियों के वंश का प्रथम व्यक्ति कोकल्स प्रथम था। अपने युग के इस अद्भुत वीर ने भोज प्रथम गुर्जर प्रतीहार तथा उसके सामंतों को दक्षिण नहीं बढ़ने दिया। इनकी निधियों को प्राप्त कर उसने इन्हें भय से मुक्त किया। अरबों को पराजित किया तथा वंग पर धावा किया। इसके १८ पुत्रों का उल्लेख मिलता है किंतु केवल शंकरगण तथा अर्जुन के ही नाम प्राप्त होते हैं। शंकरगण ने मुग्धतुंग, प्रसिद्ध धवल तथा रणविग्रह विरुद्ध धारण किए। इसने राष्ट्रकूट कृष्ण द्वितीय से मिलकर चालुकय विजयादित्य तृतीय पर आक्रमण किया किंतु दोनों को पराजित होना पड़ा। प्रसिद्ध कवि राजशेखर उसके दरबार से भी संबंधित रहे। इसके बाद इसका छोटा भाई युवराज सिंहासनारूढ़ हुआ। विजय के अतिरिक्त शैव साधुओं को धर्मप्रचार करने में सहयता पहुँचाई। युवराज के बाद उसका पुत्र लक्ष्मणराज गद्दी पर बैठा, इसने त्रिपुरी की पुरी को पुननिर्मित करवाया। इसी के राज्यकाल से राज्य में ह्रास होना प्रारंभ हो गया। चालुक्य तैलप द्वितीय और मुंज परमार ने इनकी शक्ति को छिन्न-भिन्न कर दिया। मुंज ने त्रिपुरी पर विजय प्राप्त कर ली। उसके वापस जाने पर मंत्रियों ने युवराज द्वितीय को राजकीय उपाधि नहीं धारण करने दी और उसके पुत्र कोकल्ल द्वितीय को गद्दी पर बैठाया। इसने साम्राज्य की शक्ति को कुछ दृढ़ किया, किंतु उसके बाद धीरे-धीरे राजनीतिक शक्तियों ने त्रिपुरी के कलचुरियों के साम्राज्य का अंत कर दिया। उत्तर में गोरखपुर जिले के आसपास कोकल्ल द्वितीय के जमाने में कलचुरियों ने एक छोटा सा राज्य स्थापित किया। इस वंश का प्रथम पुरुष राजपुत्र था। इसके बाद शिवराज प्रथम, शंकरगण ने राज्य किया। कुछ दिनों के लिए इस क्षेत्र पर मलयकेतु वंश के तीन राजाओं, जयादित्य, धर्मादित्य, तथा जयादिव्य द्वितीय ने राज किया था। संभवत: भोज प्रथम परिहार ने जयादिव्य को पराजित कर गुणांबोधि को राज्य दिया। गुणांबोधिदेव के पुत्र भामानदेव ने महीपाल गुर्जर प्रतिहार की सहायता की थी। उसके बाद शंकरगण द्वितीय मुग्धतुंग, गुणसागर द्वितीय, शिवराज द्वितीय (भामानदेव), शंकरगण तृतीय तथा भीम ने राज किया। अंतिम महाराजधिराज सोढ़देव के बाद इस कुल का पता नहीं चलता। संभवत: पालों ने इनकी शक्ति को छिन्न-भिन्न कर दिया। जेजाकभुक्ति के चंदेलों के राज्य के दक्षिण में कलचुरि राजवंश का राज्य था जिसे चेदी राजवंश भी कहते हैं। कलचुरि अपने को कार्तवीर्य अर्जुन का वंशज बतलाते थे और इस प्रकार वे पौराणिक अनुवृत्तों की हैहय जाति की शाखा थे। इनकी राजधानी त्रिपुरी जबलपुर के पास स्थित थी और इनका उल्लेख डाहल-मंडल के नरेशों के रूप में आता है। बुंदेलखंड के दक्षिण का यह प्रदेश 'चेदि देश' के नाम से प्रसिद्ध था इसीलिए इनके राजवंश को कभी-कभी चेदि वंश भी कहा गया है।ओडिसा के सोहपुर नमक स्थान से 27 कलचुरी सिक्को के साथ2500 कौड़िया प्राप्त हुई है। .

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कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक न्यास

कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक न्यास (अंग्रेजी:KASTURBA GANDHI NATIONAL MEMORIAL TRUST) कस्तूरबा गांधी की स्मृति में स्थापित एक न्यास है। यह मध्य प्रदेश के इन्दौर में स्थित है। यही एकमात्र ऐसा न्यास है, जिसे महात्मा गांधी ने स्वयं स्थापित किया था। १९४४ में कस्तूरबा गांधी के निधन के पश्चात गांधीजी ने अपने जन्मदिवस पर सारे देश से एकत्रित एक करोड़ 75 लाख 30 हजार रुपए की राशि से इस न्यास की स्थापना की थी। इसके पहले अध्यक्ष स्वयं गांधीजी रहे। इस न्यास द्वारा देश भर में ग्रामीण विकास व महिलाओं से संबंधित कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कस्तूरबा ग्राम में अभी तक सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद, पं. जवाहरलाल नेहरू, डॉ॰ ज़ाकिर हुसैन से लेकर इंदिरा गांधी तक विभिन्न कार्यक्रमों में आ चुकी हैं। इन्दौर के हुकुमचंद सेठ ने इसके लिए 400 एकड़ जमीन दान दी थी। .

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कादियान गोत्र

कादियान हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश, भारत में पायी जाने वाली एक जाट गोत्र है। .

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कान्हा बाबा समाधी

कान्हा बाबा समाधी स्थल मध्यप्रदेश, भारत के हरदा जिले के सोडलपुर ग्राम में है। यह कान्हा बाबा की जिन्दा समाधी है। इस समाधी की आयु लगभग ६०० वर्ष की बताई जाती है। सोडलपुर ग्राम और इसके आसपास के क्षेत्र के लोग कान्हा बाबा की पूजा करते हैं। inki yaad me harda me "kanha baba ka Mela" lagta hai.

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कान्हा राष्ट्रीय उद्यान

यह भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं। मध्य प्रदेश अपने राष्ट्रीय पार्को और जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की प्राकृतिक सुन्दरता और वास्तुकला के लिए विख्यात कान्हा पर्यटकों के बीच हमेशा ही आकर्षण का केन्द्र रहा है। कान्हा शब्द कनहार से बना है जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ चिकनी मिट्टी है। यहां पाई जाने वाली मिट्टी के नाम से ही इस स्थान का नाम कान्हा पड़ा। इसके अलावा एक स्थानीय मान्यता यह रही है कि जंगल के समीप गांव में एक सिद्ध पुरुष रहते थे। जिनका नाम कान्वा था। कहा जाता है कि उन्‍हीं के नाम पर कान्हा नाम पड़ा। कान्हा जीव जन्तुओं के संरक्षण के लिए विख्यात है। यह अलग-अलग प्रजातियों के पशुओं का घर है। जीव जन्तुओं का यह पार्क 940वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। रूडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध किताब और धारावाहिक जंगल बुक की भी प्रेरणा इसी स्‍थान से ली गई थी। पुस्तक में वर्णित यह स्थान मोगली, बगीरा, शेरखान आदि पात्रों का निवास स्थल है। सन् १९७३ में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत इस उद्यान का ९१७.४३ वर्ग कि.

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कापालिक शैली

कापालिक शैली छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश की नृत्य-नाटिका पंडवानी की एक शैली होती है। यह शैली गायक गायिका के स्मृति में या "कपाल"में विद्यमान रहती है, अतएव कापालिक शैली कहलाती है। इस शैली की विख्यात गायिक है तीजन बाई, शांतिबाई चेलकने, उषा बाई बारले। तीजनबाई भारत भवन भोपाल में पंडवानी प्रस्तुति के दौरान श्रेणी:पंडवानी श्रेणी:मध्य प्रदेश की संस्कृति.

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कामदगिरि

कामदगिरि, चित्रकूट तीर्थ स्थल का सबसे प्रमुख अंग है और सभी श्रद्धालु-यात्री कामदगिरि की परिक्रमा अवश्य करते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा इसकी परिक्रमा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कामदगिरि के मुख्य देव भगवान कामता नाथ हैं। .

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कायस्थ

कायस्थ भारत में रहने वाले सवर्ण हिन्दू समुदाय की एक जाति है। गुप्तकाल के दौरान कायस्थ नाम की एक उपजाति का उद्भव हुआ। पुराणों के अनुसार कायस्थ प्रशासनिक कार्यों का निर्वहन करते हैं। हिंदू धर्म की मान्यता है कि कायस्थ धर्मराज श्री चित्रगुप्त जी की संतान हैं तथा देवता कुल में जन्म लेने के कारण इन्हें ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों धर्मों को धारण करने का अधिकार प्राप्त है। वर्तमान में कायस्थ मुख्य रूप से बिसारिया, श्रीवास्तव, सक्सेना,निगम, माथुर, भटनागर, लाभ, लाल, कुलश्रेष्ठ, अस्थाना, कर्ण, वर्मा, खरे, राय, सुरजध्वज, विश्वास, सरकार, बोस, दत्त, चक्रवर्ती, श्रेष्ठ, प्रभु, ठाकरे, आडवाणी, नाग, गुप्त, रक्षित, बक्शी, मुंशी, दत्ता, देशमुख, पटनायक, नायडू, सोम, पाल, राव, रेड्डी, दास, मेहता आदि उपनामों से जाने जाते हैं। वर्तमान में कायस्थों ने राजनीति और कला के साथ विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में सफलतापूर्वक विद्यमान हैं। वेदों के अनुसार कायस्थ का उद्गम ब्रह्मा ही हैं। उन्हें ब्रह्मा जी ने अपनी काया की सम्पूर्ण अस्थियों से बनाया था, तभी इनका नाम काया+अस्थि .

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कार्तिक आर्यन

कार्तिक आर्यन (जन्म: 22 नवम्बर 1990) भारतीय हिन्दी अभिनेता हैं, जो कई हिन्दी फिल्मों में कार्य कर चुके हैं। इन्होंने अपने अभिनय सफर की शुरुआत वर्ष 2011 में शुरू की। यह प्यार का पंचनामा नामक एक हिन्दी फिल्म थी, जिसमें यह रजत नामक लड़के का किरदार निभा रहे थे। इस फिल्म में इन्होंने लगभग 5 मिनट बिना रुके अपना संवाद बोला था। जो हिन्दी फिल्म में सबसे लंबा माना जाता है। .

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कालिदास समारोह

कालिदास समारोह एक सांस्कृतिक-साहित्यिक सम्मेलन है जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवप्रबोधिनी एकादशी) को आयोजित होता है। .

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कालिदास सम्मान

कालिदास सम्मान भारत के मध्य प्रदेश की सरकार द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित कला सम्मान है। इसकी स्थापना सन् १९८० में की गयी थी। श्रेणी:नृत्य पुरस्कार श्रेणी:भारतीय संगीत पुरस्कार श्रेणी:मध्य प्रदेश शासन.

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कालिदास अकादमी, उज्जैन

कालिदास अकादमी संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन के सहयोग से उज्जैन में सन् 1978 में स्थापित हुई।महाकवि कालिदास ने नाम पर बनी यह अकादमी शास्त्रीय साहित्य, शास्त्रीय रंगमंच एवं विभिन्न कला-परम्पराओं के गहन अध्ययन, शोध, अनुशीलन, प्रकाशन एवं प्रयोग के सक्रिय केन्द्र के रूप में कार्यरत है।संस्कृत अकादमी का भी इसमें विलय हो चुका है। .

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कालिमंतान

कालिमंतान दक्षिणपूर्व एशिया के बोर्नियो द्वीप के उस भाग को कहते हैं जो इंडोनेशिया के अधीन है। इंडोनेशियाई भाषा में पूरे बोर्नियो को कालिमंतान कहते हैं। .

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कालेर

कारेला (कालेर,कलेर, कालेरा, काल्हेर या कोलेरोन) भारत के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब तथा पाकिस्तान में पायी जाती है। कालेरी गोत्र अफगानिस्तान में पायी जाती है। .

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काली सिन्ध नदी

काली सिँध नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के देवास जिला के बागली गाँव के समीप विँध्याचल से हुआ हैं। यह चम्बल नदी की सहायक नदी हैँ। शाजापुर और नरसिँहगढ़ जिलो में प्रवाहित होते हुए राजस्थान में प्रवेश करती हैँ। यहाँ झालावाड़ तथा कोटा जिलोँ में बहती हुई नौनेरा नामक स्थान पर चम्बल नदी में मिल जाती हैँ। नदी की कुल लम्बाई 150 किलोमीटर हैँ। इसके किनारे बसा प्रमुख नगर देवास हैँ। श्रेणी:भारत की नदियाँ श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ.

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कालीरामणा

कालीरामणा या कालीरमन या कालेरावने हरियाणा और पंजाब की एक जाट गोत्र है। .

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किला

राजस्थान के '''कुम्भलगढ़ का किला''' - यह एशिया के सबसे बड़े किलों में से एक है। शत्रु से सुरक्षा के लिए बनाए जानेवाले वास्तु का नाम किला या दुर्ग है। इन्हें 'गढ़' और 'कोट' भी कहते हैं। दुर्ग, पत्थर आदि की चौड़ी दीवालों से घिरा हुआ वह स्थान है जिसके भीतर राजा, सरदार और सेना के सिपाही आदि रहते है। नगरों, सैनिक छावनियों और राजप्रासादों सुरक्षा के लिये किलों के निर्माण की परंपरा अति प्राचीन काल से चली आ रही है। आधुनिक युग में युद्ध के साधनों और रण-कौशल में वृद्धि तथा परिवर्तन हो जाने के कारण किलों का महत्व समाप्त हो गया है और इनकी कोई आवशकता नहीं रही। .

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किशोर काबरा

डॉ॰ किशोर काबरा (जन्म: २६ दिसम्बर १९३४) हिन्दी कवि हैं। साठोत्तरी हिन्दी-कविता के शीर्षस्थ हस्ताक्षरों में उनका महत्वपूर्ण स्थान है। काबरा जी मूलत: कवि हैं, साथ ही निबन्धकार, आलोचक, कहानीकार, शब्द-चित्रकार, अनुवादक एवं संपादक भी हैं। आपक की गद्य-प्रतिभा लघुकथाओं और प्रबंध-काव्यों तक व्याप्त है। आपका कवित्व कवि-सम्मेलनों के श्रोताओं से लेकर पाठकों की हृदयभूमि तक प्रतिष्ठित है। .

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किशोर कुमार

किशोर कुमार (जन्म: 4 अगस्त, 1929 खंडवा मध्यप्रदेश निधन: 13 अक्टूबर, 1987) भारतीय सिनेमा के मशहूर पार्श्वगायक समुदाय में से एक रहे हैं। वे एक अच्छे अभिनेता के रूप में भी जाने जाते हैं। हिन्दी फ़िल्म उद्योग में उन्होंने बंगाली, हिंदी, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम, उड़िया और उर्दू सहित कई भारतीय भाषाओं में गाया था। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। उसी साल उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस वर्ष के बाद से मध्यप्रदेश सरकार ने "किशोर कुमार पुरस्कार"(एक नया पुरस्कार) हिंदी सिनेमा में योगदान के लिए चालु कर दिया था। .

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किशोर कुमार सम्मान

किशोर कुमार प्रख्यात पार्श्व गायक एवं हरफनमौला कलाकार थे। वे खण्डवा, मध्यप्रदेश के रहने वाले थे। उन्होंने सिनेमा के क्षेत्र में अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय देते हुए न सिर्फ भारत, बल्कि विश्व के अनेक देशों में जो जगह बनायी उससे न सिर्फ यश स्थापित हुआ, बल्कि मध्यप्रदेश के गौरव में श्रीवृद्धि हुई। उन्हीं की स्मृति में राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान स्थापित किया गया है। .

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ककरहानाथ मंदिर

ककरहानाथ मंदिर मध्य प्रदेश के रीवा जिले के सिरमौर तहसील के अन्तर्गत मऊ गांव में हनुमान जी को समर्पित प्रसिद्ध एक मंदिर है। यह मंदिर लगभग १५० वर्ष पुराना है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के हिन्दू मंदिर.

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कछवाहा

कछवाहा(कुशवाहा) वंश सूर्यवंशी राजपूतों की एक शाखा है। कुल मिलाकर बासठ वंशों के प्रमाण ग्रन्थों में मिलते हैं। ग्रन्थों के अनुसार: अर्थात दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का प्रमाण मिलता है। इन्हीं में से एक क्षत्रिय शाखा कछवाहा (कुशवाहा) निकली। यह उत्तर भारत के बहुत से क्षेत्रों में फ़ैली। .

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कुड़ुख

कुड़ुख या 'कुरुख' एक भाषा है जो भारत, नेपाल, भूटान तथा बांग्लादेश में बोली जाती है। भारत में यह बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के उराँव जनजातियों द्वारा बोली जाती है। यह द्रविण परिवार से संबन्धित है। इसको 'उराँव भाषा' भी कहते हैं। छत्तीसगढ़ में बसने वाली उरांव जाति की बोली को कुरुख कहते हैं। इस भाषा में तमिल और कनारी भाषा के शब्दों की बहुतायत है। कुड़ुख भाषा को पश्चिम बंगाल में राजकीय भाषा के रूप में फरवरी २०१८ में स्वीकृति मिली थी। .

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कुनू नदी

यह नदी शिवपुरी के पठार से निकलती है इसकी लम्बाई 180 किलोमीटर हैँ यह नदी सकरी घाटी में प्रवाहित होती हैँ। आखिर मे यह नदी मुरैना के पठार को पारकर चम्बल नदी में मिल जाती हैँ। श्रेणी:भारत की नदियाँ श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ.

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कुमाऊँनी भाषा

कुमांऊँनी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाने वाली एक बोली है। इस बोली को हिन्दी की सहायक पहाड़ी भाषाओं की श्रेणी में रखा जाता है। कुमांऊँनी भारत की ३२५ मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक है और २६,६०,००० (१९९८) से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। उत्तराखण्ड के निम्नलिखित जिलों - अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत, ऊधमसिंह नगर के अतिरिक्त असम, बिहार, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब, तथा हिमाचल प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में भी बोली जाती है। .

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कुमार गन्धर्व सम्मान

कुमार गंधर्व सम्मान मध्यप्रदेश शासन ने संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर की उत्कृष्ट युवा प्रतिभा को सम्मानित और प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 1992-93 से वार्षिक राष्ट्रीय सम्मान स्थापित किया है। इस सम्मान का नाम संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के अद्वितीय गायक पण्डित कुमार गंधर्व की स्मृति में रखा गया है। .

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कुमार गंधर्व

कुमार गंधर्व के नाम से प्रसिद्ध शिवपुत्र सिद्धराम कोमकाली को सन १९७७ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वह मध्य प्रदेश से हैं। .

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कुलदीप सिंह चांदपुरी

ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह MVC, वीएसएम (जन्म 22 नवंबर 1940) भारतीय सेना में एक सेवानिवृत्त अधिकारी है। उन्होंने लोंगावाला के प्रसिद्ध लड़ाई भारतीय सेना का वीरता के साथ नेतृत्व किया जिसके लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। बाॅलिवुड की फिल्म 'बाॅर्डर' लोंगावाला के युद्ध पर आधारित है। इसमें ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह जी का किरदार सन्नी देओल ने निभाया था। .

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कुशाभाऊ ठाकरे

कुशाभाऊ ठाकरे (१५ अगस्त १९२२ - २८ दिसंबर २००३) भारतीय जनता पार्टी से संबंधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वे १९९८ से २००० तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। उअसके पहले वे छह सालोंतक पार्टी के महासचिव थे। .

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कुंडी भंडारा

कुंडी भंडारा या खूनी भंडारा महाराष्ट्र की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में नगरवासियों को पेयजल उपलब्ध करवाने की एक जीवित भू-जल संरचना है। मध्यकालीन भारत की इंजीनियरिंग कितनी समृद्ध रही होगी यह बुरहानपुर के कुंडी भंडारे को देखने से ही पता चलता है। 400 साल पुरानी ये जल यांत्रिकी आधुनिक युग के लिए भी एक कठिन पहेली है। उस समय कैसे सतपुड़ा की पहाड़ियों के पत्थरों को चीरकर नगर की जल आवश्यकताओं को पूरा किया गया होगा, जब न तो आज की तरह मशीनें थीं और न ही भू-गर्भ में बहते पानी के श्रोतों का पता लगाने वाले यंत्र। .

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कुंजीलाल दूबे

कुंजीलाल दूबे को सार्वजनिक उपक्रम के क्षेत्र में सन १९६४ में भारत सरकार द्वारा, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। ये मध्य प्रदेश राज्य से हैं। श्रेणी:१९६४ पद्म भूषण.

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कुंवर चैन सिंह

कुंवर चैन सिंह मध्य प्रदेश में भोपाल के निकट स्थित नरसिंहगढ़ रियासत के राजकुमार थे, जो 24 जून 1824 को अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। 1857 के सशस्त्र स्वाधीनता संग्राम से भी लगभग 33 वर्ष पूर्व की यह घटना कुंवर चैन सिंह को इस अंचल के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में प्रतिष्ठित करती है। मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2015 से सीहोर स्थित कुंवर चैन सिंह की छतरी पर गार्ड ऑफ ऑनर प्रारम्भ किया है। .

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कुंवारी नदी

यह सिन्ध की सहायक नदी है इसका उद्गम शिवपुरी जिला में हैँ। यह मुरैना के पाठर के जल विभाजक द्वारा चम्बल तथा कुनू से पृथक हो जाती हैं। पूर्व में चम्बल नदी के सामान्तर बहती हुई भिण्ड जिले की लहार तहसील के निकट सिन्ध नदी से मिल जाती हैँ। श्रेणी:भारत की नदियाँ श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ.

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कुकड़ी खापा जलप्रपात

कुकड़ी खापा जलप्रपात मध्य प्रदेश मे स्थित एक जलप्रपात है। श्रेणी:भारत के जल प्रपात श्रेणी:मध्य प्रदेश.

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कुकलाह (M.P.22), सिवनी तहसील

कुकलाहभारत के राज्य मध्यप्रदेश के अन्तर्गत सिवनी जिले से 19 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 7 जबलपुर रोड पर श्रीवनी फिल्टर प्लांट से 1 किलोमीटर पूर्व दिशा कलारबाकी रोड पर स्थित हैँ यह ग्राम पँचायत 5 गाँव से मिलकर बनी हैँ कुकलाह, कुकलाह टोला, नारायणगंज, कुर्रामटोला, टोलापिपरिया ऐसे 5 पँचायत से मिलकर यह ग्रामपँचायत बनी हुई हैँ। यह ग्राम पँचायत बंडोल से 2 किलोमीटर की दूरी पर हैँ। .

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क्षिप्रा एक्सप्रेस

शिप्रा एक्सप्रेस (हिन्दी: इंदौर - हावड़ा क्षिप्रा एक्सप्रेस बंगाली: ইন্দোরে - হাওড়া শিপ্রা এক্সপ্রেস, उर्दू:حافظة شبرا إكسبرس - اندر) (के रूप में स्पष्ट Shiprã एक्सप्रेस) एक त्रि-साप्ताहिक सुपर फास्ट एक्सप्रेस ट्रेन की भारतीय रेल, जो  के बीच इंदौर जंक्शन रेलवे स्टेशन के इंदौर, सबसे बड़ा शहर और व्यावसायिक केंद्र के मध्य भारतीय राज्य, मध्य प्रदेश और हावड़ा, के व्यावसायिक केंद्र कोलकाता.

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क्षिप्रा नदी

क्षिप्रा नदी के घाट पर पूर के वक्त में पुजा क्षिप्रा, मध्यप्रदेश में बहने वाली एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक नदी है। यह भारत की पवित्र नदियों में एक है। उज्जैन में कुम्भ का मेला इसी नदी के किनारे लगता है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वरम् भी यहां ही है। यह इंदौर एवं देवास के मध्य क्षिप्रा नामक स्थान से निकलती है।196KM बहने के बाद चंबल मे मिल जाती है। श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ श्रेणी:नदी.

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क्षेत्रफल के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र

श्रेणी:भारत का भूगोल श्रेणी:भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से संबंधित सूचियाँ.

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क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, भोपाल

क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, भोपाल राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय की एक शाखा है। यह पर्यावरण शिक्षा का एक अनौपचारिक केंद्र है, जिसका मुख्य उद्देश्य दीर्घाओं, विभिन्न आंतरिक एवं बाह्य गतिविधियों के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। यह भोपाल में पर्यावरण परिसर में स्थित है। इस संग्रहालय का उद्घाटन वर्ष 29 सितंबर सन 1997 में हुआ था, जिसे भारत सरकार के तत्कालीन पर्यावरण एवं वन मंत्री सैफुद्दीन सोज द्वारा किया गया था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने की थी। यह संग्रहालय मध्य प्रदेश की ही नहीं वरन मध्य भारत की जैव विविधता एवं आसपास उपस्थित जटिल प्राकृतिक ताने-बाने को समझने का अवसर प्रदान करता है। यहां स्थित दीर्घाओं में प्रदर्शो को -प्रतिरूपों, ट्रांसलेट एवं दृश्य श्राव्य माध्यमों के सहयोग से प्रदर्शित किया गया हैं। डायरोमां एवं प्रादर्श, चयनित विषय वस्तुओं के क्रम में प्रस्तुत किए गए हैं। संग्रहालय में जीव विज्ञान संगणक (Computer) कक्ष एवं एक खोज कक्ष भी है जहां बच्चे मनोरंजक तरीके से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त यहां एक अस्थाई प्रदर्शनी स्थल भी है जिसमें समय-समय पर विभिन्न विषयों पर आधारित प्रदर्शनी या आयोजित होती रहती हैं। संग्रहालय प्रतिदिन प्रातः 10.00 से अपराह्न 6.00 तक खुला रहता है (सोमवार तथा राष्ट्रीय अवकाशों को छोड़कर)। संग्रहालय में प्रवेश करते ही ट्राइसेराटोप्स (Triceratops) नामक डायनासोर के परिवार का प्रदर्श दृष्टिगोचर होता है। .

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कृति फौजदार

कृति फौजदार का बचपन बिहार के एक प्राचीन गांव वैशाली, में बीता जो कि जैन धर्म की जन्मभूमि और बुद्ध की कर्म भूमि है। पांचवीं कक्षा तक उन्होंने शिक्षा दो स्कूलों से प्राप्त की, जिसमें एक निजी था, क्योंकि वहां शिक्षा की दर सबसे अच्छा था और दूसरा सरकारी स्कूल था, क्योंकि निजी स्कूल को कहीं से भी मान्यता प्राप्त नहीं थे। पांचवीं कक्षा के बाद आगे की शिक्षा उन्होंने मध्य प्रदेश से अपनी मसी के पास रह कर करी।  आजकल वे कर्नाटक के शहर हसन में मौजूद इसरो में 2013 से बतौर कंप्यूटर वैज्ञानिक काम करती हैं। वे संस्था में मौजूद मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (एमसीएफ) में काम करती हैं जिस पर भू-स्थित उप्ग्रिहों जैसे- इनसेट (INSATs), जीसेट (GSATs) और आईआरऐनएसएस (IRNSSs) के पर्यवेक्षण का उपक्रम है। भू-स्थित उपग्रह जमीन से 36000 किमी ऊपर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। यह उपग्रह पृथ्वी के साथ समकाल में चलते हैं और स्थिर लगते हैं और लंबे समय से स्थिरता बनाए रखने के कारण मौसम और संचार के लिए बहुत अमूल्य साबित होते हैं। मंगल परियोजना में कृति और बाकि  मास्टर कंट्रोल सुविधा टीम ने यह सुनिश्चित करना था कि उपग्रह स्वस्थ  रहे और उस पर सूर्य और चंद्रमा ग्रुत्वकर्षण का कोई बुरा प्रभाव न हो। .

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कृपालु महाराज

कृपालु महाराज (अंग्रेजी: Kripalu Maharaj, संस्कृत: जगद्गुरु कृपालुजी महाराज, जन्म: 22 अक्टूबर 1922, मृत्यु: 15 नवम्बर 2013) एक सुप्रसिद्ध हिन्दू आध्यात्मिक प्रवचन कर्ता थे। मूलत: इलाहाबाद के निकट मनगढ़ नामक ग्राम (जिला प्रतापगढ़) में जन्मे कृपालु महाराज का पूरा नाम रामकृपालु त्रिपाठी था।Singh, K. 28 जनवरी 2007.

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कृष्ण

बाल कृष्ण का लड्डू गोपाल रूप, जिनकी घर घर में पूजा सदियों से की जाती रही है। कृष्ण भारत में अवतरित हुये भगवान विष्णु के ८वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर हैं। कन्हैया, श्याम, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की ८वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। १२५ वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद ही कलियुग का आरंभ माना जाता है। .

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कृष्णराव शंकर पण्डित

कृष्णराव शंकर पण्डित (1893–1989) भारत के एक संगीतकार थे जिन्हें ग्वालियर घराने का प्रमुख गायक माना जाता है। उन्होने संगीत से सम्बन्धित अनेक लेख एवं ८ पुस्तकों की रचना की है। उन्होने शंकर गन्धर्व महाविद्यालय की स्थापना की। .

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कृष्णाराव शंकर पंडित

कृष्णाराव शंकर पंडित को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७३ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये मध्य प्रदेश से हैं। श्रेणी:१९७३ पद्म भूषण.

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कैफ़ भोपाली

कैफ़ भोपाली (کیف بھوپالی) एक भारतीय उर्दू शायर और फ़िल्मी गीतकार थे। वे 1972 में बनी कमाल अमरोही की फिल्म पाक़ीज़ा में मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाये गीत "चलो दिलदार चलो....." से लोकप्रिय हुए। .

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कैमूर की पहाड़ी

कैमूर (पर्वत) भारत की विध्य पर्वतश्रेणी का पूर्वी भाग जो मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के कटंगी के पास (23, 26, उ.अ. से 79, 48 पू. दे.) प्रारंभ होकर सर्वोतरी श्रेणी के रूप में रोहतासगढ क्षेत्र (24 57 उ. अ. से 84 2 पू. दे.) तक चली जाती है। इसकी अधिकतम चौड़ाई लगभग 50 मील है। मध्यप्रदेश के जूलेखी स्थान से उत्तर पूर्व की ओर लगभग 150 मिल तक है। यह पर्वत श्रेणी सोण नदी की घाटी की उत्तरी किनारे पर खड़ी दीवाल के रूप में चली जाती है। इस क्षेत्र में बलुआ पत्थर की प्रधानता है किंतु कहीं-कहीं परिवर्तित चट्टाने भी प्रचुर मात्रा में मिलती है। गोविंदगढ़ के पास लगभग 2,000 ऊँचा भाग उत्तर पश्चिम की ओर चला जाता है। रोहतास गढ़ क्षेत्र के मध्य छोटी किंतु अत्यंत उपजाऊ घाटियाँ स्थित हैं। पहाड़ों की ढालें अत्यंत खड़ी एवं दुर्गम है परंतु बीच बीच में दर्रे हैं। चुनार गढ़, विजय गढ़ तथा रोहतास गढ़ के किलों के कारण इन श्रेणियों का ऐतिहासिक महत्व हैं। विजयगढ़ के पास कंदराओं में प्रागैतिहासिक चित्र एवं प्रस्तरकालिनक हथियार उपलब्ध हुए है। संपूर्ण क्षेत्र भवन निर्माणार्थ बलुआ पत्थर की खदानें है। चूना पत्थर में डालमियानगर, जपला, बनजारी और चुर्क में सीमेंट तथा चूना बनता है। डेहरी-ओन-सोन के दक्षिणी डेहरी रोहतास चुटिया रेलवे के पास बनजारी एवं अमझोर के पास गंधक के खनिज माक्षिक (Pyrites) मिले हैं। .

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कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य

कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य भारत देश में राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर एवं करौली जिले के अंतर्गत ३७६ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थित है। इसे ईस्वी सन १९८३ में वन्य जीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया था। इसमें मुख्य रूप से बघेरा,गोश, रीछ, सुअर, चिंकारा, सांभर, चीतल एवं लोमड़ी आदि वन्य जीव पाये जाते हैं। अभयारण्य राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा को जोड़ता है। अभयारण्य के पश्चिमी किनारे पर बनास नदी और दक्षिण-पूर्व दिशा में चम्बल नदी का प्रवाह है। कैला देवी वन्यजीव अभयारण्य का नाम कैला देवी मंदिर के नाम से पड़ा है। श्रेणी:भारत के अभयारण्य.

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कैलाश चन्द्र पन्त

कैलाश चन्द्र पन्त (जन्मतिथि: 26 अप्रैल 1936), हिन्दी-साहित्यकार, पत्रकार एवं प्रमुख हिन्दीसेवी हैं। उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब नौकरी छोड़कर स्वतंत्र प्रेस डाला और साप्ताहिक पत्र ‘जनधर्म’ निकाला। .

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कैलाश चंद्र जोशी

कैलाश चंद्र जोशी (जन्म: 14 जुलाई 1929) भारतीय जनता पार्टी के एक राजनेता हैं। वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कैलाश चंद्र जोशी म. प्र के प्रथम गैर कॉग्रेसी मुख्यमत्री थे। .

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कैलाश नाथ काटजू

कैलाश नाथ काटजू कश्मीरी मूल के राजनेता हैं और मध्य प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। .

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कैलाश सत्यार्थी

कैलाश सत्यार्थी (जन्म: 11 जनवरी 1954) एक भारतीय बाल अधिकार कार्यकर्ता और बाल-श्रम के विरुद्ध पक्षधर हैं। उन्होंने १९८० में बचपन बचाओ आन्दोलन की स्थापना की जिसके बाद से वे विश्व भर के १४४ देशों के ८३,००० से अधिक बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य कर चुके हैं। सत्यार्थी के कार्यों के कारण ही वर्ष १९९९ में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ द्वारा बाल श्रम की निकृष्टतम श्रेणियों पर संधि सं॰ १८२ को अंगीकृत किया गया, जो अब दुनियाभर की सरकारों के लिए इस क्षेत्र में एक प्रमुख मार्गनिर्देशक है। उनके कार्यों को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों व पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया है। इन पुरस्कारों में वर्ष २०१४ का नोबेल शान्ति पुरस्कार भी शामिल है जो उन्हें पाकिस्तान की नारी शिक्षा कार्यकर्ता मलाला युसुफ़ज़ई के साथ सम्मिलित रूप से प्रदान किया गया है। .

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कैलाश विजयवर्गीय

कैलाश विजयवर्गीय (जन्म मई 13, १९५६, इंदौर, मध्य प्रदेश) वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्यरत हैं।  इंदौर में भारतीय जनता पार्टी से अपना राजनितिक कैरियर प्रारंभ कर वे इंदौर नगर के महापौर बने। बिना कोई चुनाव हारे वे लगातार छः बार विधानसभा के सदस्य चुने गए और वर्तमान में महू से विधायक हैं। पार्टी में केन्द्रीय नेतृत्व के लिए पदोन्नत होने से पहले वे बारह वर्ष तक राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे  वर्ष २०१४ में हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए विजयवर्गीय बीजेपी के चुनाव प्रभारी नियुक्त हुए थे,  उसके बाद ही विधानसभा चुनाव में वहां बीजेपी स्पष्ट बहुमत में आई Iइस जीत से तय लग रहा था कि निकट भविष्य में केन्द्रीय स्तर पर उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका मिल सकती है और जून २०१५ में यह सच सिद्ध हो गया जब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया  हरियाणा में उनके चमकीले प्रदर्शन के बाद जैसी उम्मीद थी,पश्चिम बंगाल में वे पार्टी के नए प्रभारी बनाये गए। .

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के एम चांडी

के एम चांडी (6 अगस्त 1921 – 7 सितम्बर 1998) मध्य प्रदेश, गुजरात तथा पॉन्डिचेरी राज्यों के पूर्व राज्यपाल है। .

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केन नदी

केन यमुना की एक उपनदी या सहायक नदी है जो बुन्देलखंड क्षेत्र से गुजरती है। दरअसल मंदाकिनी तथा केन यमुना की अंतिम उपनदियाँ हैं क्योंकि इस के बाद यमुना गंगा से जा मिलती है। केन नदी जबलपुर, मध्यप्रदेश से प्रारंभ होती है, पन्ना में इससे कई धारायें आ जुड़ती हैं और फिर बाँदा, उत्तरप्रदेश में इसका यमुना से संगम होता है। इस नदी का "शजर" पत्थर मशहूर है। .

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केओटी जलप्रपात

केओटी जलप्रपात मध्य प्रदेश मे स्थित एक जलप्रपात है। जलप्रपात, केओटी जलप्रपात, केओटी.

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कोटर (कस्बा)

कोटर कस्बा एक नगर पंचायत है, जो कि हिन्दुस्तान में मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिले में स्थित है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के गाँव.

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कोठारी गोत्र

कोठारी एक जाट गोत्र है। इस गोत्र के लोग मुख्यतः राजस्थान और मध्य प्रदेश में निवास करते हैं। .

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कोतमा

कोतमा भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के अनुपपुर जिले में एक शहर और नगरपालिका है। .

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कोयला

कोयला एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है जिसको ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में कोयला अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का ३५% से ४०% भाग कोयलें से पाप्त होता हैं। विभिन्न प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है। कोयले से अन्य दहनशील तथा उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किया जाता है। ऊर्जा के अन्य स्रोतों में पेट्रोलियम तथा उसके उत्पाद का नाम सर्वोपरि है। .

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कोरकू भाषा

कोरकू (Korku) भारत के मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र राज्यों में बोली जाने वाली ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की मुण्डा शाखा की एक भाषा है। इसे कोरकू समुदाय के लोग बोलते हैं, जो भारतीय संविधान के तहत एक अनुसूचित जनताति हैं। कोरकूभाषियों के आसपास गोंडी भाषा बोलने वाले बसते हैं, जिनकी संख्या अधिक है। ऐतिहासिक रूप से कोरकू लोगों का निहाली भाषा बोलने वालों के साथ सम्बन्ध रहा है, जो कोरकू बोलने वालों के गावों के भीतर ही विशेष हिस्सों में रहते हैं। .

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कोरकू लोग

कोरकू जनजाति के लोग मध्यप्रदेश में सतपुड़ा पर्वतमाला के जंगलों से लगे छिन्दवाड़ा, बैतूल जिले की भैंसदेही और चिचोली तहसील में, होशंगाबाद जिले की हरदा, टिमरनी और खिड़किया तहसील के गाँवों में निवास करती है। इसके अतिरिक्त कोरकू महाराष्ट्र में अकोला, मेलघाट(धारणी तथा चिखलदरा) तथा मोर्शी तालुका में भी रहते हैं। .

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कोली

https://en.m.wikipedia.org/wiki/Koliya.

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कीर्तिवर्मन चन्देल

कीर्तिवर्मन (शासन: ई. १०६०-११००),मध्य भारत के चन्देल राजवंश के राजा थे। उनका शासन बुन्देलखंड के जेजाकभुक्ति (वर्तमान मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश) में हुआ करता था। उन्होने कल्चुरी वंश के राजा लक्ष्मी-कर्ण को पराजित कर चन्देल वंश की शक्ति पुनरार्जित की थी। .

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अटल बिहरी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान, ग्वालियर

अटल बिहरी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान (Atal Bihari Vajpayee Indian Institute of Information Technology and Management), ग्वालियर स्थित एक विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना १९९७ में हुई थी और २००१ में इसे मानित विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया और इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया। २०१६ में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मन्त्रालय द्वारा घोषित रैंकिग में इस संस्थान को २२वाँ स्थान प्रदान किया गया है। श्रेणी:भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान श्रेणी:ग्वालियर में शिक्षा.

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अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpeyee), (जन्म: २५ दिसंबर, १९२४) भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हैं। वे पहले १६ मई से १ जून १९९६ तथा फिर १९ मार्च १९९८ से २२ मई २००४ तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व प्रखर वक्ता भी हैं। वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुषों में से एक हैं और १९६८ से १९७३ तक उसके अध्यक्ष भी रहे। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है। सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में ६-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते हैं। .

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अटल बिहारी वाजपेयी रीजनल पार्क, इन्दौर

अटल बिहारी वाजपेयी क्षेत्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 2003 में इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा की गई। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से स्थापित यह उद्यान 42 एकड़ के ताल एवं 38 एकड़ के भूमि भाग से मिलकर बना है। इस प्रकार यह उद्यान कुल 80 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। पूर्व में स्थित ताल के पास की खाली भूमि को उद्यान का रूप दिया जाकर इस उद्यान का विकास किया गया है। इसमे ताल के अलावा आसपास शांत तथा हरियाली से पूर्ण स्थल होने के कारण यह उद्यान जैवविविधता संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत ही अनुकूल क्षेत्र बन पड़ा है। परिवार .

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अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी पुस्तकालय, भोपाल

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी पुस्तकालय, भोपाल का सबसे बड़ा हिंदी पुस्तकालय है| इस पुस्तकालय में लगभग सभी विषयों पर हिंदी में प्रकाशित पुस्तकें ग्रन्थ उपलभ्ध है | पुस्तकालय में कुछ पांडुलिपियों को भी सहेजा गया है| पुस्तकालय में ऑनलाइन सुविधा सदस्यों के लिए की गयी है| यह पुस्तकालय भोपाल में स्थित है और सभी शोधार्थियों के लिए लगभग सभी सुविधा उपलब्ध है| .

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अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय

अटल बि‍हारी वाजपेयी हि‍न्‍दी वि‍श्‍ववि‍द्यालय भोपाल में स्थित एक विश्वविद्यालय है। 6 जून 2013 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने इसकी की आधारशि‍ला रखी। यह विश्वविद्यालय तकनीकी, चिकित्सा, कला और वाणिज्य से जुड़े विषयों की शिक्षा प्रदान करेगा। मध्यप्रदेश और भारतवासियों के स्वभाषा और सुभाषा के माध्यम से ज्ञान की परम्परागत और आधुनिक विधाओं में शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्था और हिन्दी को गौरवपूर्ण स्थान दिलाने के लिये मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इसकी स्थापना 19 दिसम्बर 2011 को की गयी। भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रबल पक्षधर रहे हैं। इसीलिये इस विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा गया। भोपाल चूँकि भारतवर्ष के केन्द्र में स्थित है अत: इस विश्वविद्यालय को वहाँ स्थापित किया गया। इस विश्वविद्यालय का प्रमुख उद्देश्य हिन्दी भाषा को अध्यापन, प्रशिक्षण, ज्ञान की वृद्धि और प्रसार के लिये तथा विज्ञान, साहित्य, कला और अन्य विधाओं में उच्चस्तरीय गवेषणा हेतु शिक्षण का माध्यम बनाना है। यह विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश में हिन्दी माध्यम से ज्ञान के सभी अनुशासनों में अध्ययन, अध्यापन एवं शोध कराने वाला प्रथम विश्वविद्यालय है। यहाँ विद्यार्थियों के लिये प्रशिक्षण, प्रमाण‍-‍‍पत्र, पत्रोपाधि, स्नातक, स्नातकोत्तर, एम॰फिल॰, पीएच॰डी॰, डी॰लिट॰ व डी॰एससी॰ जैसे अनेक उपाधि कार्यक्रम प्रस्तावित हैं। 30 जून 2012 को प्रो॰ मोहनलाल छीपा इस विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति नियुक्त किये गये। इससे पूर्व वे महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के कुलपति थे। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 6 जून 2013 को भोपाल के ग्राम मुगालिया कोट में विश्वविद्यालय भवन का शिलान्यास किया। विश्वविद्यालय का भवन 50 एकड़ में बनेगा। अगस्त 2013 से विश्वविद्यालय ने शिक्षण कार्य प्रारम्भ भी कर दिया है। वर्तमान में प्रो.रामदेव भारद्वाज इस विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति हैं दिनांक 8/03/2017 को अंतरराष्ट्रिय महिला दिवस के मौके पर विकिपीडिया की टीम के द्वारा कार्य शाला का आयोजन किया गया। .

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अण्डमानी लोग

वैसे तो अण्डेमान में बसे हुए लोग भारत के प्रत्येक कोने से सबन्धित हैं और आज वे सब के सब अण्डेमान की अपनी हिन्दी बोली बोलते हैं। जिन लोगों ने अण्डेमान की औपनिवेशिक बस्ती को बसाया है उनमें से कुछ का उल्लेख करना आवश्यक प्रतीत होता है - .

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अतुल्य भारत

अतुल्य भारत (Incredible India) भारतीय पर्यटन विभाग एक अभियान है, जो देश विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व करता है। इस अभियान का उद्देश्य है भारतीय पर्यटन को वैश्विक मंच पर पदोन्नत करना। .

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अत्री गोत्र

अत्री (अत्री, अत्रे, अत्रेय, आत्रे, आत्रेय आदि) उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पायी जाने वाली एक ऋषि गोत्र है। इसका उद्भव अत्रि नामक ऋषि से हुआ था। यह गोत्र सबसे ज्यादा ब्राह्माण में होता है, कुछ राजपूतो, जाटों सहित, यादवों में भी पाया जाता है। .

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अदह

एस्बेस्टस की चादरों का से बनी छत अदह (ऐस्बेस्टस) कई प्रकार के खनिज सिलीकेटों के समूह को, जो रेशेदार तथा अदह्य होते हैं, कहते हैं। इसके रेशे चमकदार होते हैं। इकट्ठा रहने पर उनका रंग सफेद, हरा, भूरा या नीला दिखाई पड़ता है, परंतु प्रत्येक अलग रेशे का रंग चमकीला सफेद ही होता है। इस पदार्थ में अनेक गुण हैं, जैसे रेशेदार बनावट, आततन बल, कड़ापन, विद्युत के प्रति असीम रोधशक्ति, अम्ल में न घुलना और अदहता। इन गुणों के कारण यह बहुत से उद्योंगों में काम आता है। .

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अनन्त गोपाल शेवड़े

अनन्त गोपाल शेवड़े (१९११ - १९७९) हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं लघुकथाकार थे। वे मराठी भाषी थे किंतु हिंदी में उन्होंने स्तरीय साहित्य सृजन किया। उनके उपन्यास 'ज्वालामुखी' का भारत की 14 भाषाओं में अनुवाद कराया गया। उनके एक अन्य उपन्यास 'मंगला' को ब्रेल लिपि में भी प्रकाशित किया गया था। अनंत गोपाल शेवड़े के प्रयासों से 1976 में नागपुर में प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हुआ था। उनके 'मृगजाल' नामक उपन्यास पर उन्हें मध्य प्रदेश हिन्दी परिषद का सम्मान प्रदान किया गया। .

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अनन्त कान्हेरे

अनंत लक्ष्मण कान्हेरे (1891 ई. - 11 अप्रैल, 1910) भारत के युवा क्रांतिकारियों में से एक थे। उन्हें देश की आज़ादी के लिए शहीद होने वाले युवाओं में गिना जाता है। अनन्त कान्हेरे का जन्म 1891 ई. में मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पूर्वज महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले के निवासी थे। उनकी आरम्भिक शिक्षा इंदौर में ही हुई थी। इसके बाद अपनी आगे की शिक्षा के लिए वे अपने मामा के पास औरंगाबाद चले गए। .

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अनन्य खरे

अनन्या खरे (अंग्रेजी: Ananya khare) एक भारतीय बॉलीवुड अभिनेत्री है। शाहरुख खान अभिनीत 'देवदास' में उनकी दुष्ट भाभी की भूमिका निभा चुकीं अभिनेत्री अनन्या खरे को इस फिल्म के बाद ज्यादातर नकारात्मक भूमिकाओं के ही प्रस्ताव मिलने लगे। अनन्या 'चांदनी बार' फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी हैं.

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अनिल माधव दवे

अनिल माधव दवे (६ जुलाई, १९५६ - १८ मई, २०१७) मध्य प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य तथा भारत सरकार में पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री थे। इनका जन्म उज्जैन (बड़नगर) में हुआ था। इनके पिता माधव दवे थे और माता पुष्पा देवी थी। .

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अनुपम मिश्र

अंगूठाकार अनुपम मिश्र (१९४८–१९ दिसम्बर 2016) जाने माने लेखक, संपादक, छायाकार और गांधीवादी पर्यावरणविद् थे। पर्यावरण-संरक्षण के प्रति जनचेतना जगाने और सरकारों का ध्यानाकर्षित करने की दिशा में वह तब से काम कर रहे थे, जब देश में पर्यावरण रक्षा का कोई विभाग नहीं खुला था। आरम्भ में बिना सरकारी मदद के अनुपम मिश्र ने देश और दुनिया के पर्यावरण की जिस तल्लीनता और बारीकी से खोज-खबर ली है, वह कई सरकारों, विभागों और परियोजनाओं के लिए भी संभवतः संभव नहीं हो पाया है। उनकी कोशिश से सूखाग्रस्त अलवर में जल संरक्षण का काम शुरू हुआ जिसे दुनिया ने देखा और सराहा। सूख चुकी अरवरी नदी के पुनर्जीवन में उनकी कोशिश काबिले तारीफ रही है। इसी तरह उत्तराखण्ड और राजस्थान के लापोड़िया में परंपरागत जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में उन्होंने महत्वपूर्ण काम किया है। .

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अन्नू कपूर

अन्नू कपूर (उर्दु: ان کپُور) जन्म: २० फरवरी १९५६ भारतीय अभिनेता व टेलीविजन प्रस्तुतकर्ता हैं। .

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अनूप मिश्रा

अनूप मिश्रा भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के मुरैना से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। .

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अनूपपुर ज़िला

अनूपपुर, भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जो मध्य प्रदेश को छत्तीसगढ़ राज्य से मिलाता है। यह जिला से 15 अगस्त 2003 को शहडोल जिले से अलग हुआ था। अनूपपुर रेलवे स्टेशन मध्य प्रदेश का अन्तिम जंक्शन है, इसके बाद जैतहरी, वेन्कटनगर स्टेशन छोटे स्टेशन जो मध्य प्रदेश में हैं। वेन्कटनगर कस्बा मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ दोनो राज्य के मध्य बसा हुआ है। .

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अपराध दर के आधार पर भारत के राज्यों की सूची

भारत के राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों की यह सूची 2012 में घटित संज्ञेय अपराध दर के आधार पर है और यह दर्शाति है कि प्रत्येक राज्य में प्रति 1,00,000 लोगों पर कितने संज्ञेय अपराध घटित हुए। यह आँकड़े राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो द्वारा प्रकाशित 2012 भारत में अपराध रिपोर्ट से लिए गए हैं। इस सूची के अनुसार केरल में सर्वाधिक 455.8 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए जबकि नागालैण्ड सबसे कम अपराध दर वाला प्रदेश है। .

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अब्द

अब्द का अर्थ वर्ष है। यह वर्ष, संवत्‌ एवं सन्‌ के अर्थ में आजकल प्रचलित है क्योंकि हिंदी में इस शब्द का प्रयोग सापेक्षिक दृष्टि से कम हो गया है। शताब्दी, सहस्राब्दी, ख्रिष्टाब्द आदि शब्द इसी से बने हैं। अनेक वीरों, महापुरुषों, संप्रदायों एवं घटनाओं के जीवन और इतिहास के आरंभ की स्मृति में अनेक अब्द या संवत्‌ या सन्‌ संसार में चलाए गए हैं, यथा, १. सप्तर्षि संवत् - सप्तर्षि (सात तारों) की कल्पित गति के साथ इसका संबंध माना गया है। इसे लौकिक, शास्त्र, पहाड़ी या कच्चा संवत्‌ भी कहते हैं। इसमें २४ वर्ष जोड़ने से सप्तर्षि-संवत्‌-चक्र का वर्तमान वर्ष आता है। २. कलियुग संवत् - इसे 'महाभारत सम्वत' या 'युधिष्ठिर संवत्‌' कहते हैं। ज्योतिष ग्रंथों में इसका उपयोग होता है। शिलालेखों में भी इसका उपयोग हुआ है। ई.॰ईपू॰ ३१०२ से इसका आरंभ होता है। वि॰सं॰ में ३०४४ एवं श.सं.

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अभिषेक तिवारी

कार्टूनिस्ट अभिषेक तिवारी का जन्म ३० मार्च १९६८ को मध्यप्रदेश के भिंड में हुआ। ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व) अभिषेक का पहला कार्टून ग्वालियर के हिंदी दैनिक आचरण में १९८५ प्रकाशित हुआ। विभिन्न समाचारपत्रों के लिए स्वतंत्र कार्य करते हुए १९८९ में आचरण से ही अभिषेक ने स्टाफ कार्टूनिस्ट के रूप में कार्य प्रारंभ किया। १९९१ से १९९३ तक दैनिक भास्कर के ग्वालियर संस्करण और फिर १९९३ से १९९६ तक इंदौर संस्करण में स्टाफ कार्टूनिस्ट रहे। १९९६ से १९९७ तक लखनऊ में दैनिक हिंदुस्तान में और फिर १९९७-१९९८ में दैनिक भास्कर के जयपुर संस्करण में कार्टूनिस्ट रहे। १९९८ से अब तक राजस्थान पत्रिका में कार्य करते हुए अभिषेक वर्त्तमान में राजस्थान पत्रिका जयपुर में सीनियर न्यूज़ एडिटर (कार्टून) के पर पर कार्यरत हैं। तिवारी, अभिषेक तिवारी, अभिषेक श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अमय खुरासिया

अमय खुरासिया उच्चारण (मदद·जानकारी) (जन्म १८ मई १९७२, जबलपुर,मध्य प्रदेश में) एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं। वह बाएं हाथ के बल्लेबाज और एक धीमी गति से बाएं हाथ के गेंदबाज है। .

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अमरकंटक

अमरकंटक नर्मदा नदी, सोन नदी और जोहिला नदी का उदगम स्थान है। यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित है। यह हिंदुओं का पवित्र स्थल है। मैकाल की पहाडि़यों में स्थित अमरकंटक मध्‍य प्रदेश के अनूपपुर जिले का लोकप्रिय हिन्‍दू तीर्थस्‍थल है। समुद्र तल से 1065 मीटर ऊंचे इस स्‍थान पर ही मध्‍य भारत के विंध्य और सतपुड़ा की पहाडि़यों का मेल होता है। चारों ओर से टीक और महुआ के पेड़ो से घिरे अमरकंटक से ही नर्मदा और सोन नदी की उत्‍पत्ति होती है। नर्मदा नदी यहां से पश्चिम की तरफ और सोन नदी पूर्व दिशा में बहती है। यहां के खूबसूरत झरने, पवित्र तालाब, ऊंची पहाडि़यों और शांत वातावरण सैलानियों को मंत्रमुग्‍ध कर देते हैं। प्रकृति प्रेमी और धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को यह स्‍थान काफी पसंद आता है। अमरकंटक का बहुत सी परंपराओं और किवदंतियों से संबंध रहा है। कहा जाता है कि भगवान शिव की पुत्री नर्मदा जीवनदायिनी नदी रूप में यहां से बहती है। माता नर्मदा को समर्पित यहां अनेक मंदिर बने हुए हैं, जिन्‍हें दुर्गा की प्रतिमूर्ति माना जाता है। अमरकंटक बहुत से आयुर्वेदिक पौधों में लिए भी प्रसिद्ध है‍, जिन्‍हें किंवदंतियों के अनुसार जीवनदायी गुणों से भरपूर माना जाता है। नर्मदा नदी का विहंगम दृश्य .

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अमरकंटक थर्मल पावर स्टेशन

अमरकंटक थर्मल पावर प्लांट दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) के बिलासपुर - कटनी अनुभाग के अम्लाई रेलवे स्टेशन पर स्थित है, जो भारत के मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले का हिस्सा है। .

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अम्बिका प्रसाद दिव्य

अम्बिका प्रसाद दिव्य श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य (१६ मार्च १९०७ - ५ सितम्बर १९८६) शिक्षाविद और हिन्दी साहित्यकार थे। उनका जन्म अजयगढ़ पन्ना के सुसंस्कृत कायस्थ परिवार में हुआ था। हिन्दी में स्नातकोत्तर और साहित्यरत्न उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में सेवा कार्य प्रारंभ किया और प्राचार्य पद से सेवा निवृत हुए। वे अँग्रेजी, संस्कृत, रूसी, फारसी, उर्दू भाषाओं के जानकार और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। ५ सितम्बर १९८६ ई. को शिक्षक दिवस समारोह में भाग लेते हुये हृदय-गति रुक जाने से उनका देहावसान हो गया। दिव्य जी के उपन्यासों का केन्द्र बिन्दु बुन्देलखंड अथवा बुन्देले नायक हैं। बेल कली, पन्ना नरेश अमान सिंह, जय दुर्ग का रंग महल, अजयगढ़, सती का पत्थर, गठौरा का युद्ध, बुन्देलखण्ड का महाभारत, पीताद्रे का राजकुमारी, रानी दुर्गावती तथा निमिया की पृष्ठभूमि बुन्देलखंड का जनजीवन है। दिव्य जी का पद्य साहित्य मैथिली शरण गुप्त, नाटक साहित्य रामकुमार वर्मा तथा उपन्यास साहित्य वृंदावन लाल वर्मा जैसे शीर्ष साहित्यकारों के सन्निकट हैं। .

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अरनोद

अरनोद, राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की तहसील एवं एक प्राचीन कस्बा है। यह प्रतापगढ-पिप्लोदा मार्ग पर स्थित है। इसकी सीमा, मध्य प्रदेश के नीमच और मंदसौर जिलों से लगती है। श्रेणी:प्रतापगढ़ ज़िला, राजस्थान के गाँव श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अरुण सुभाषचन्द्र यादव

अरुण सुभाषचन्द्र यादव एक भारतीय राजनीतिज्ञ एवं 14वीं और 15वीं लोक सभा के सदस्य थे।  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं13 जनवरी 2014 से १ मई २०१८  मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी (MPCC) के अध्यक्ष रह चुके हैं.

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अरुंधति किरकिरे

अरुंधति किरकिरे (Arundhati Kirkire) (जन्म;२० अगस्त १९८१, इंदौर, मध्य प्रदेश, भारत) एक पूर्व भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी है। किरकिरे भारतीय महिला टीम के लिए २००० से २००५ तक टेस्ट और एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय प्रारूपों में खेला करती थी। ये मुख्य रूप से बल्लेबाजी के लिए जानी जाती है जबकि एक विकेट-कीपर की भी भूमिका निभाती थीं। .

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अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर भारत के राज्य

यह सूची भारत के राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सकल घरेलू उत्पाद के आकार पर आधारित है। .

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अर्जुन रामपाल

अर्जुन रामपाल Arjun Rampal, (जन्म 26 नवम्बर 1972), एक भारतीय अभिनेता हैं, जो बॉलीवुड की फ़िल्मों में दिखाई देते हैं, साथ ही वे एक मॉडल हैं। .

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अर्जुन सिंह

अर्जुन सिंह एक भारतीय राजनेता थे और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इन के समय में 1984 में भोपाल में मिथाइल इसिसैनैत (MIC GAS) हुई। श्रेणी:मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रेणी:इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र श्रेणी:चित्र जोड़ें श्रेणी:राजनेता श्रेणी:1930 में जन्मे लोग श्रेणी:२०११ में निधन.

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अरेरा कॉलोनी

अरेरा कॉलोनी भोपाल शहर, जो की मध्यप्रदेश की राजधानी है उसके सबसे बड़े आवासीय क्षेत्रो में से एक हैं। यह शहर के संभ्रांत आवासीय क्षेत्रो में जाना जाता है। शहर के दक्षिणी भाग में स्थित इस कॉलोनी में हरे भरे पेड़ तथा उद्यान बहुतायत की संख्या में पाए जाते हैं अरेरा कॉलोनी को 8 उपक्षेत्रों में विभक्त किया गया है जिन्हें ई १- ई ८  क्रमांक दिया गया है।    .

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अल्पभार जनसंख्या के आधार पर भारत के राज्य

भारत के राज्यों की यह सूची सामान्य से कम बॉडी मास इंडेक्स (BMI) वाले लोगों के प्रतिशतानुसार है। .

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अलीराजपुर ज़िला

अलीराजपुर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। यह मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में पड़ता है। यह कुछ सालों पहले ही झाबुआ जिले से कुछ क्षेत्रों को विलग करके एक अलग जिला बनाया गया था। इसके नाम को परिवर्तित करके 'आलीराजपुर' करने की माँग भी कुछ समूहों द्वारा की गयी है। .

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अशोक चक्रधर

डॉ॰ अशोक चक्रधर (जन्म ८ फ़रवरी सन् १९५१) हिंदी के विद्वान, कवि एवं लेखक है। हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा के कारण प्रसिद्ध वे कविता की वाचिक परंपरा का विकास करने वाले प्रमुख विद्वानों में से भी एक है। टेलीफ़िल्म लेखक-निर्देशक, वृत्तचित्र लेखक निर्देशक, धारावाहिक लेखक, निर्देशक, अभिनेता, नाटककर्मी, कलाकार तथा मीडिया कर्मी के रूप में निरंतर कार्यरत अशोक चक्रधर जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंदी व पत्रकारिता विभाग में प्रोफेसर के पद से सेवा निवृत्त होने के बाद संप्रति केन्द्रीय हिंदी संस्थानतथा हिन्दी अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं। 2014 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। .

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अशोक आत्रेय

अशोक आत्रेय बहुमुखी प्रतिभा के संस्कृतिकर्मी सातवें दशक के जाने माने वरिष्ठ हिन्दी-कथाकार और (सेवानिवृत्त) पत्रकार हैं | मूलतः कहानीकार होने के अलावा यह कवि, चित्रकार, कला-समीक्षक, रंगकर्मी-निर्देशक, नाटककार, फिल्म-निर्माता, उपन्यासकार और स्तम्भ-लेखक भी हें| .

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अशोकनगर

अशोक नगर, भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक शहर है। यह अशोक नगर जिला का मुख्यालय है। यह नगर चन्देरी सिल्क सारियों के लिये भी जाना जाता है। अशोकनगर (भी अशोक नगर) मध्य भारत राज्य मध्य भारत के अशोकनगर जिले में एक शहर और नगर पालिका परिषद है। यह अशोकनगर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इससे पहले यह गुना जिले का हिस्सा था। अशोकनगर अपने अनाज मंडी और "शरबती गहु" के लिए प्रसिद्ध है, एक प्रकार का गेहूं। निकटतम शहर गुना शहर से 45 किमी दूर है। अशोकनगर को पहले प्रचार के नाम से जाना जाता था। रेलवे लाइन शहर के बीच से गुजरती है। अशोकनगर में एक रेलवे स्टेशन और दो बस स्टेशन हैं। अशोकनगर सड़क और रेलवे द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है अशोकनगर मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित है, सिंध और बेतवा की नदियों के बीच। यह मालवा पठार के उत्तरी भाग के अंतर्गत आता है, हालांकि इसके जिले का मुख्य भाग बुंदेलखंड पठार में स्थित है। जिले की पूर्वी और पश्चिमी सीमाएं अच्छी तरह से नदियों से परिभाषित हैं। बेतवा पूर्वी सीमा के साथ बहती है जो इसे सागर जिले और उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले से अलग करती है। सिंध पश्चिमी सीमा पर बहने वाली मुख्य नदी है अशोकनगर का एक हिस्सा चंदेरी अपने ब्रोकेड और मुस्लिमों के लिए प्रसिद्ध है, खासकर अपनी हाथों से बने चन्द्रियों के लिए। अशोकनगर पश्चिमी मध्य रेलवे के कोटा-बिना रेलवे खंड पर स्थित है। अशोकनगर जिले पूर्व में उत्तर प्रदेश की सीमा तक उत्तर प्रदेश में ललितपुर से करीब 87 किमी दूर है। अशोकनगर राज्य भोपाल की राजधानी से लगभग 190 किमी दूर है, इंदौर से 360 किमी और ग्वालियर से लगभग 250 किमी दूर है। इतिहास यह क्षेत्र ग्वालियर के भारतीय रियासत राज्य के इसागढ़ जिले के हिस्से के रूप में शासन किया गया था। ऐसा माना जाता है कि उज्जैन की जीत से राजा अशोक लौटने पर पचार भूमि पर रात की रुकती हुई थी, इसलिए अशोकनगर नाम का नाम था। जनसांख्यिकी 2001 की जनगणना में, अशोकनगर की जनसंख्या 67,705 थी 2011 की जनगणना में, अशोकनगर की जनसंख्या 844,9 9 9 थी, जिसमें पुरुष और महिलाएं क्रमशः 444,651 और 400,328 थीं। 2001 के अनुसार आबादी की तुलना में जनसंख्या में 22.65 प्रतिशत परिवर्तन हुआ था। भारत की पिछली जनगणना में 2001, अशोकनगर जिले ने 1991 की तुलना में जनसंख्या में 23.20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। प्रारंभिक अनंतिम डेटा 2011 में 147 की तुलना में 2011 में 181 घनत्व का सुझाव देते हैं। अशोकनगर जिले के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल लगभग 4,674 किमी 2 है। 2011 में अशोकनगर की औसत साक्षरता दर क्रमश: 67.90 थी और 2001 की 62.26 के मुकाबले 67.90 थी। अगर लिंग के अनुसार, पुरुष और महिला साक्षरता क्रमश: 80.22 और 54.18 थी, 2001 की जनगणना के लिए, इसी आंकड़े अशोकनगर जिले में 77.01 और 45.24 पर खड़े थे। अशोकनगर जिले में कुल साक्षर 480,957 थे, जिनमें से पुरुष और महिला क्रमशः 299,40 9 और 185,548 थे। 2001 में, अशोकनगर जिले में कुल क्षेत्रफल 344,760 था। अशोकनगर में लिंग अनुपात के संबंध में, यह 9 8 9 के 2001 की जनगणना की तुलना में प्रति 1000 पुरुष था। जनगणना 2011 निदेशालय की नवीनतम रिपोर्टों के मुताबिक भारत में औसत राष्ट्रीय सेक्स अनुपात 940 है। दक्षिण में, अशोकनगर से लगभग 35 किमी दूर प्रसिद्ध ' करीला माता मंदिर' है, जो भगवान राम और सीता माता के पुत्र लव और कुश का जन्मस्थान है। हर साल रंगपंचमी पर एक विशाल मेला का आयोजन किया जाता है जिसमें राय डांस बेदी महिला द्वारा किया जाता है। टुमन एक मशहूर ऐतिहासिक तीर्थयात्री केंद्र है जो त्रिविणी में स्थित है, जिसे माता विंध्यवासिनी मंदिर के लिए जाना जाता है। अशोकनगर जिले में धार्मिक महत्व के कई और अधिक स्थान हैं। चंदेरी अशोकनगर जिले का तहसील है और यह प्रसिद्ध ऐतिहासिक और पर्यटन महल है। चंदेरी के लोगों का मुख्य व्यवसाय हस्तकला है। चंदेरी साड़ियों दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इन्हें कपास और रेशम द्वारा खटका से हाथ मिलाया जाता है। साड़ियां तैयार करने के लिए खतका एक स्वनिर्मित मशीन है। अशोकनगर जिले में एक अन्य प्रसिद्ध स्थान श्री आनंदपुर है, जो श्री आदवीथ परमहंस संप्रदाय का विश्व मुख्यालय है। विश्वभर से चेलों ने वैसासिक और गुरु पौर्णिमा में दो बार एक वर्ष में आनंदपुर को गुरुओं से आशीर्वाद लेने के लिए यात्रा की। कदवेया, जिले का एक छोटा सा गांव प्राचीन शिव मंदिर, गढ़ी और माता मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। पर्यटक चंदेरी चंदेरी किला शहर से ऊपर 71 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मुख्य रूप से चंदेरी के मुस्लिम शासकों द्वारा दुर्ग की दीवारों का निर्माण किया गया। किले का मुख्य दृष्टिकोण तीन दरवाजों की एक श्रृंखला के माध्यम से होता है, जिनमें से सबसे ऊपर हवा पौंड और निम्नतम के रूप में जाना जाता है जिसे खुनी दरवाजा कहा जाता है या रक्त के द्वार कहा जाता है। अजीब नाम इस तथ्य से लिया गया है कि अपराधियों को इस बिंदु पर ऊपरी बंगालों से फेंकने के द्वारा मार डाला गया था और इस प्रकार उनके शरीर को पैरों पर टुकड़ों में डाल दिया गया था। किले के भीतर बंडेला चीफ्स द्वारा निर्मित दो और दो बर्बाद इमारतों हैंवा और नौ-खांदा महल हैं। किले का सबसे सुंदर स्थान उत्तरी रिज पर एक आराम घर है, जहां से देश के नीचे शहर के एक आकर्षक दृश्य प्राप्त किया जा सकता है। चंदेरी फोर्ट दक्षिण की ओर किले के लिए पहाड़ी की ओर से बने कट्टी-घट्टी नामक एक उत्सुक प्रवेश द्वार है। यह 59 मीटर लंबा 12 मीटर चौड़ा और चट्टान के अपने हिस्से के बीच 24.6 मीटर ऊंचा है, एक गेट के आकार में देखा गया है, जिसमें एक बिंदु वाला कमान है, जो लपटों के टावरों से घूमता है। कौशक महल चंदारी चंदेरी के कौशक महल को तावरी-ई-फ़रीशता में जाना जाता है। यह उसमें दर्ज किया गया है, एएच 849 (सीएडी 1445) में। मालवा के महमूद शाह खिलजी चंदेरी से गुजर रहे थे उन्होंने सात मंजिला महल का निर्माण करने का आदेश दिया। कौशिक महल इस आदेश का नतीजा है। यह कुछ भव्यता का भव्य भवन है, हालांकि एक आधा बर्बाद स्थिति में खड़ा है। शहर के दक्षिण, पूर्व और उत्तर में क्रमशः रामनगर, पंचमनगर और सिंघपुर के सुव्यवस्थित महलों हैं। सभी 18 वीं शताब्दी में चंदेरी के बुंदेला चीफों द्वारा निर्मित किए गए हैं। तुमैन- माँ विन्ध्यवासिनी मंदिर अति प्राचीन मंदिर है। यह अशोक नगर जिले से दक्षिण दिशा की ओर तुमैन (तुम्वन) मे स्थित हैं। यहाॅ खुदाई में प्राचीन मूर्तियाँ निकलती रहती है यह राजा मोरध्वज की नगरी के नाम से जानी जाती है यहाॅ कई प्राचीन दाश॔निक स्थलो में वलराम मंदिर,हजारमुखी महादेव मंदिर,ञिवेणी संगम,वोद्ध प्रतिमाएँ,लाखावंजारा वाखर,गुफाएँ, माँ पहाडा वाली मंदिर आदि कई स्थल है तुमैन का प्राचीन नाम तुम्वन था। सन् 1970-72 में पुरातत्व विभाग के द्वारा यहाँ जव खुदाई की गई तव यहाँ 30 फुट नीचे जमीन मे ताँवे के सिक्को से भरा एक घडा मिला कई प्राचीन मूर्तियाँ और मनुष्य के डाॅचे एवं कई प्राचीन अवशेष यहाॅ से प्राप्त हुए। सभी अवशेषो को सागर विश्वविद्यालय मे कुछ गूजरी महल ग्वालियर मे रख दिए है। फिर भी यहाॅ कई प्राचीन मूर्तियाँ है जो तुमैन संग्रहालय मे है।वत॔मान मे आज भी अगर इस ग्राम की खुदाई की जाए तो यहाँ कई सारे प्राचीन अवशेष प्राप्त होगे। तुमैन ञिवेणी नदी  का इतिहास- प्राचीन काल में अलीलपुरी जी महाराज रोज अपनी साधना के अनुसार स्रान करने के लिए पृयाग (इलावाद)जाया करते थे। एकदिन गंगा माई प्रशन्र हो गयी ओर वोली माँगो भक्त क्या चाहिए! माँअगर आप प्रशन्र है तो माँ मेरी कुटिया को पवित्र कर दीजिए गंगाजी तुमैन में गुप्त गंगा  के नाम सेजानी गई ओर तीन नदियों का संगम हुआ उमिॅला,सोवत,अखेवर, आज भी जो लोग इलाहाबाद नहीं जा पाते वे तुमैन ञिवेणी में आकर गोता लगाते हैं तुमैन मे हर वष॔ मकर संक्रांति पर मेले का आयोजन भी होता है तुमैन अपने इतिहास मे मशहूर है इसका लेख कितावो मे भी मिलता है। तुमैन  मंदिरों के लिए भी जानी जाती है यहाँ जहाँ पर करो खुदाई वहां पर निकलती है मूर्तिया। तुमैन गाँव का वडा मंदिर विन्धयवासिनी मंदिर है। यह मंदिर वहुत ही पुराना है इस मंदिर में जो तोड़ फोड़ हुई मुगल साम्राज्य ओरंगजेव के समय पर हुई है। मंदिर का इतिहास वहुत ही पुराना है।विन्धयवासिनी मंदिर या तो उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्थित है या फिर मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले के  10km दूरी पर तुमैन गाँव मे स्थित है। *कविता के माध्यम से इतिहास-  तुम्वन नगरी आय के, कर लीजे दो काम। प्रथम ञिवेणी स्नान कर, दूजे विंन्ध्यवासिनी धाम।। यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना। इसका नाम जगत में ऊॅचा, करके हमे दिखाना।। यहॉ मोरध्वज का राज्य हुआ, विक्रम की वाणी पड़ी सुनाई, ताम्रध्वज के शासन ने यहा नई झलक दिखलाई। मोरध्वज ने अपने जीवन में सत्य धर्म अपनाया।। विक्रम ने भी यहॉ से जा उज्जेन में राज्य बनाया। उन विक्रम के नव-रत्न आज भी करता याद जमाना।। यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना। चौसठ खम्ब विंध्यवासिनी का है मंदिर अति भारी फाटक पर बलदाऊ जी की मूरत वहुत प्यारी। भूतेश्वर का घाट मनोहर,है तोरन दरवाजा।। नदी बागो की शोभा न्यारी,जहाॅ मन्जह सकल समाजा।। ताम्रध्वज का किला मनोहर, जहॉ शिव सहस्त्र अस्थाना। यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना। जब तुम्बन के आस - पास कही पक्के भवन नही थे। बडे़ प्रेम से हम दृढ भवनो में रहते थे।। बने हुये थे चोका चारो, होज भवन अति सुन्दर, रहता था भण्डार कला का हरदम, इसके अंदर। बुद्धि कला कौशल का इसमें भरा हुआ था खजाना। । यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना। विप्र वंश के वेद मंत्र यहॉ गूंजे सबके कानो में। शिव लिंगों के ढे़र रहे त्रिवेणी के मैदानों में घाट वाट चौपाल बने खंधक है भारी। इन्द्र भवन सौ सजी सभी चौपाले सारी।। गन्धर्व सेन को तन भस्म भयो तब नगरी धूल समाना। । यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना। है लाखा बंजारे की बाखर की ताजी गाथा। बैठा देव ने किया नगरी का अब भी ऊचॉ माथा।। सुना रहे है अब रो-रोकर यह सांची सांची गाथा। सब नगरिन से यह नगरी का है, आज भी ऊचॉ माथा।। है देवी दरवार महा तुम दर्शन,,करने आना। यह तुम्बन नगरी मिश्र, इसका इतिहास पुराना।। आनंदपुर "श्री आनंदपुर साहिब", एक शानदार धार्मिक स्थान है, जिला मुख्यालय अशोकनगर से लगभग 30 किमी दूर ईसागर तहसील का हिस्सा है। संस्था "एडवाट मेट" से प्रभावित होती है इस संस्था का संस्थापक श्री एडवाट औरंद जी था। उन्हें महाराज परमहंस दयाल जी के नाम से भी जाना जाता है। जगह अच्छी तरह से हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता से घिरी हुई है। आश्रम "विंध्याचल पर्वत" की सीमाओं के पास स्थित है और यह अपनी शानदार इमारत और प्रदूषण मुक्त वातावरण के आकर्षण का केंद्र है। अनदपुर का विकास 1 9 3 9 में वापस शुरू हुआ और 1 9 64 तक जारी रहा। यह संस्थान 22 अप्रैल, 1 9 54 को "श्री आनंदपुर ट्रस्ट" के रूप में स्थापित किया गया। इसके अधिकांश विकास "श्री चौथे" और "श्री पांचवां पदशै" के दौरान हुए। "श्री आनंद शांति भवन स्मारक का मुख्य भाग शुद्ध सफेद संगमरमर से बनाया गया है। इस स्तंभ को इस स्थान से दूर देखा जा सकता है।" सत्संग भवन "स्मारक का एक बड़ा और आकर्षक स्थान है। यह आकर्षण का केन्द्र है भक्तों के लिए यह जगह शरद ऋतु के मौसम में देखने के लिए एक सुंदरता है जब बगीचे में रंगीन फूलों से भरा होता है। बाकी का घर पर्यटकों के लिए उपलब्ध है जो दूर क्षेत्र से यहां आते हैं। अस्पताल, स्कूल, डाकघर आदि की सुविधा है। प्रसिद्ध टीवी शो "कुच से लॉग कांगेज" की प्रसिद्धि में क्रितिका कामरा इस जगह के हैं। ISSAGARH अशोकनगर तहसील का एक छोटा गांव कडवेया में कई मंदिर हैं। इन मंदिरों में से एक का निर्माण 10 वीं शताब्दी में वास्तुकला की कच्छापघता शैली में किया गया है। इसकी गर्भ-ग्रिह (गर्भगृह), अंतराल और मंडपा है इस मंदिर में 1067 और 1105 ई। के कुछ तीर्थ यात्रियों का रिकॉर्ड है। कडवेया का एक और दिलचस्प लेकिन पुराना मंदिर चन्दल गणित के रूप में जाना जाता है। गांव में एक बर्बाद मठ है, एक बहुत पुराना रिकॉर्ड से उठाया गया था जिसमें कहा गया है कि मस्ताधीश का निर्माण करने के लिए बनाया गया था शैवा पंथ के कुछ सदस्यों को Matta Mourya के रूप में जाना जाता है अकबर के शासनकाल के दौरान कदवेया ग्वालियर के आगरा के सुबा के सरकार में एक महालय का मुख्यालय था। थुबोनजी सिधाधा केेत्रा यहां तीर्थयात्रियों को शांति, अहिंसा और अस्वाभाविक मस्तिष्क की मालिश प्रदान करने वाले 26 बहुत खूबसूरत मंदिरों का एक समूह है। इस पवित्र स्थान थुवनजी को प्रसिद्ध व्यापारी श्री पददाह की अवधि के दौरान ज्ञान में आया था। यह कहा जाता है कि श्री पददाह धातु टिन में काम कर रहा था और जब उसने अपनी धातु टिन डाल दिया, तो इसे चांदी में बदल दिया गया था। इतने सारे चमत्कारी और आकर्षक मूर्तियों के साथ 26 खूबसूरत और विशाल मंदिरों का एक समूह है। मंदिर नं। 15 उनमें से मुख्य हैं, यहां पर बड़े मंदिर के रूप में जाना जाता है, भगवान आसिनाथ के 28 फीट ऊंचे अदभुत महाकाव्य के साथ, पवित्रा पद में स्थित, विक्रम संवत 1672 में स्थापित किया गया है। Atishay: यह कहा जाता है कि रात में कई संगीत वाद्यों की आवाज सुनाई देती है क्योंकि स्वर्ग के देवता प्रार्थना और पूजा के लिए यहां आते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस उच्च संवहनी को पूरा करने के बाद, बहुत से भक्त इस स्थिति में खड़े होने में इसे स्थापित करने में असमर्थ थे, उस रात समारोह के प्रमुख ने एक सपना देखा और अगली सुबह उन्होंने सपने से कोलोसस की पूजा की और फिर अकेले रखा उच्च राजकुमार खड़े सार्वजनिक उपस्थित ने चमत्कार के साथ इस चमत्कार को देखा मंदिर: भगवान पार्श्वनाथ जैन मंदिर - सिर पर एक बहुत ही कलात्मक सर्प हुड के साथ 1864 में वीएस 1864 में स्थापित भगवान पार्श्वनाथ (23 वें तेरथंकर) का एक शानदार 15 फीट ऊंचा कोलोसस है। यह हुड एक खूबसूरत ढंग से अलग-अलग सांपों द्वारा किया जाता है और बृहस्पति के दोनों तरफ में देखा जा सकता है। भगवान शांतीनाथ जैन मंदिर: भगवान शांतीनाथ (16 वीं तीर्थंकर) के 18 फीट ऊंचे खड़े आसन। अजीतनाथ जैन मंदिर (द्वितीय तीर्थंकर) Adinath जैन: मंदिर एक शानदार और विशाल भगवान Adinath के 16 फीट ऊंचा colossus के साथ विशाल है यह 1873 में वी.एस.

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अशोकनगर ज़िला

अशोकनगर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय अशोकनगर है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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अष्टावक्र (महाकाव्य)

अष्टावक्र (२०१०) जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०–) द्वारा २००९ में रचित एक हिन्दी महाकाव्य है। इस महाकाव्य में १०८-१०८ पदों के आठ सर्ग हैं और इस प्रकार कुल ८६४ पद हैं। महाकाव्य ऋषि अष्टावक्र की कथा प्रस्तुत करता है, जो कि रामायण और महाभारत आदि हिन्दू ग्रंथों में उपलब्ध है। महाकाव्य की एक प्रति का प्रकाशन जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया था। पुस्तक का विमोचन जनवरी १४, २०१० को कवि के षष्टिपूर्ति महोत्सव के दिन किया गया। इस काव्य के नायक अष्टावक्र अपने शरीर के आठों अंगों से विकलांग हैं। महाकाव्य अष्टावक्र ऋषि की संपूर्ण जीवन यात्रा को प्रस्तुत करता है जोकि संकट से प्रारम्भ होकर सफलता से होते हुए उनके उद्धार तक जाती है। महाकवि, जो स्वयं दो मास की अल्पायु से प्रज्ञाचक्षु हैं, के अनुसार इस महाकाव्य में विकलांगों की सार्वभौम समस्याओं के समाधानात्मक सूत्र प्रस्तुत किए गए हैं। उनके अनुसार महाकाव्य के आठ सर्ग विकलांगों की आठ मनोवृत्तियों के विश्लेषण मात्र हैं।रामभद्राचार्य २०१०, पृष्ठ क-ग। .

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असद भोपाली

असद भोपाली (जन्म: 10 जुलाई 1921, मृत्यु: 9 जून 1990), बॉलीवुड के एक गीतकार हैं। असद का जन्म भोपाल में 10 जुलाई 1921 को हुआ था। उनके पिता का नाम मुंशी अहमद खान था और असद उनकी पहली संतान थे। उनका जन्म नाम असादुल्लाह खान था। उन्होंने फारसी, अरबी, उर्दू और अंग्रेजी में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की थी। असद अपनी शायरी के चलते धीरे धीरे असद भोपाली के नाम से मशहूर हो गये। 28 साल की उम्र में यह गीतकार बनने के लिए बंबई आ गये, लेकिन अपनी पहचान बनाने के लिए उन्हें पूरे जीवन संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने पहले पहल 1949 की फिल्म "दुनिया" के लिए दो गीत लिखे, जिन्हे मोहम्मद रफी (रोना है तो चुपके चुपके रो) और सुरैया (अरमान लूटे दिल टूट गया) की आवाज में रिकॉर्ड किया गया था। इन्हे प्रसिद्धि इनके बी आर चोपडा की फिल्म अफसाना के गीतों से मिली। असद ने अपने समय के सबसे प्रमुख संगीत निर्देशकों जैसे कि श्याम सुन्दर, हुस्नलाल-भगतराम, सी.

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असंगघोष

असंगघोष (जन्म: 29 अक्तूबर 1962) हिन्‍दी के दलित साहित्‍य के महत्‍वपूर्ण कवि है। उनके अब तक छह कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। .

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असीरगढ़

असीरगढ़ मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित एक गांव है। असीरगढ का ऐतिहासिक क़िला बहुत प्रसिद्ध है। असीरगढ़ क़िला बुरहानपुर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में सतपुड़ा पहाड़ियों के शिखर पर समुद्र सतह से 250 फ़ुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह क़िला आज भी अपने वैभवशाली अतीत की गुणगाथा का गान मुक्त कंठ से कर रहा है। इसकी तत्कालीन अपराजेयता स्वयं सिद्ध होती है। इसकी गणना विश्व विख्यात उन गिने चुने क़िलों में होती है, जो दुर्भेद और अजेय, माने जाते थे। इतिहासकारों ने इसका 'बाब-ए-दक्खन' (दक्षिण द्वार) और 'कलोद-ए-दक्खन' (दक्षिण की कुँजी) के नाम से उल्लेख किया है, क्योंकि इस क़िले पर विजय प्राप्त करने के पश्चात दक्षिण का द्वार खुल जाता था, और विजेता का सम्पूर्ण ख़ानदेश क्षेत्र पर अधिपत्य स्थापित हो जाता था। इस क़िले की स्थापना कब और किसने की यह विश्वास से नहीं कहा जा सकता। इतिहासकार स्पष्ट एवं सही राय रखने में विवश रहे हैं। कुछ इतिहासकार इस क़िले का महाभारत के वीर योद्धा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा की अमरत्व की गाथा से संबंधित करते हुए उनकी पूजा स्थली बताते हैं। बुरहानपुर के 'गुप्तेश्वर  महादेव मंदिर' के समीप से एक सुंदर सुरंग है, जो असीरगढ़ तक लंबी है। ऐसा कहा जाता है कि, पर्वों के दिन अश्वत्थामा ताप्ती नदी में स्नान करने आते हैं, और बाद में 'गुप्तेश्वर' की पूजा कर अपने स्थान पर लौट जाते हैं। .

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अहिरवाड़ा

असीरगढ़ किला अहिरवाड़ा मध्य भारत या आधुनिक मध्य प्रदेश में पार्वती और बेतवा नदियों के बीच स्थित एक ऐतिहासिक क्षेत्र है। अहिरवाड़ा राज्य भिलसा और झांसी शहरों के बीच स्थित था। .

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अहीर

अहीर प्रमुखतः एक भारतीय जाति समूह है,जिसके सदस्यों को यादव समुदाय के नाम से भी पहचाना जाता है तथा अहीर व यादव या राव साहब Rajasthan, Anthropological Survey of India, 1998, आईएसबीएन-9788171547661, पृष्ठ-44,45 शब्दों को एक दूसरे का पर्यायवाची समझा जाता है। अहीरों को एक जाति, वर्ण, आदिम जाति या नस्ल के रूप मे वर्णित किया जाता है, जिन्होने भारत व नेपाल के कई हिस्सों पर राज किया है। .

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अजय सिंह (मध्य प्रदेश राजनेता)

अजय सिंह उर्फ "राहुल भैया एक भारतीय राजनीतिज्ञ मध्य प्रदेश से है । वह प्रतिनिधित्व करता है चुरहट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मध्य प्रदेश विधानसभा जीतने के द्वारा आम चुनाव 2008 के पांचवें समय के लिए.

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अज़ीज़ क़ुरैशी

अज़ीज़ कुरैशी वर्तमान उत्तराखण्ड के राज्यपाल हैं। .

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अजीत जोगी

अजीत प्रमोद कुमार जोगी एक भारतीय राजनेता है तथा प्रथम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। बिलासपुर के पेंड्रा में जन्में अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक की नौकरी की। बाद में वे मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सुझाव पर राजनीति में आये। वे विधायक और सांसद भी रहे। बाद में 1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ बना तो राज्य का पहला मुख्यमंत्री अजीत जोगी को बनाया गया। .

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अवधेश प्रताप सिंह

कैप्टन कुँवर अवधेश प्रताप सिंह (1888 -- 16 जून 1967) भारत के एक राजनेता एवं भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे। वे भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे। १९५२ से १९६० तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। १९४८ में वे रीवा रियासत के प्रधानमन्त्री बने तथा १९४८ से १४ अप्रैल १९४९ तक विंध्य प्रदेश के मुख्य मन्त्री रहे। अवधेश प्रताप सिंह का विवाह महाराज कुमारी के साथ हुआ था। उनके पुत्र गोविन्द नारायण सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्य मन्त्री रहे। उनके सम्मान स्वरूप रीवा विश्वविद्यालय का नामकरण उनके नाम पर किया ग्या है। श्रेणी:भारतीय राजनीतिज्ञ.

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अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय

अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के रीवा में स्थित एक स्वायत्त विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय का नाम कप्तान अवधेश प्रताप सिंह के नाम पर रखा गया है जो भारत के ख्यातनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। यह विश्वविद्यालय सन 1968 में बनाया गया। इसे फरवरी 1972 में यूजीसी से इस मान्यता मिली। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय भारतीय विश्वविद्यालय संघ और सभी विश्वविद्यालयों के राष्ट्रमंडल एसोसिएशन के सदस्य है। .

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अवनि चतुर्वेदी

अवनि चतुर्वेदी भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलटों में से एक है। वह रीवा जिले से है जो मध्य प्रदेश में है। उन्हें अपनी दो साथियों- मोहन सिंह और भावना कंठ के साथ पहली बार लड़ाकू पायलट घोषित किया गया था। इन तीनों को जून 2016 में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन में शामिल किया गया। उन्हें औपचारिक रूप से तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा कमीशन में शामिल किया गया था। .

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अवंतीबाई

रानी अवंतीबाई भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली वीरांगना थीं। 1857 की क्रांति में रामगढ़ की रानी अवंतीबाई रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार थी। 1857 के मुक्ति आंदोलन में इस राज्य की अहम भूमिका थी, जिससे इतिहास जगत अनभिज्ञ है। 1817 से 1851 तक रामगढ़ राज्य के शासक लक्ष्मण सिंह थे। उनके निधन के बाद विक्रमादित्य सिंह ने राजगद्दी संभाली। उनका विवाह बाल्यावस्था में ही मनकेहणी के जमींदार राव जुझार सिंह की कन्या अवंती बाई से हुआ। विक्रमादित्य सिंह बचपन से ही वीतरागी प्रवृत्ति के थे और पूजा-पाठ एवं धार्मिक अनुष्ठानों में लगे रहते। अत: राज्य संचालन का काम उनकी पत्नी रानी अवंतीबाई ही करती रहीं। उनके दो पुत्र हुए-अमान सिंह और शेर सिंह। अंग्रेजों ने तब तक भारत के अनेक भागों में अपने पैर जमा लिए थे। .

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अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी का प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने ही सर्वप्रथम हिंदी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर पुरस्कारों आदि की योजना चलाई। उसके मंगलाप्रसाद पारितोषिक की हिंदी जगत् में पर्याप्त प्रतिष्ठा है। सम्मेलन द्वारा महिला लेखकों के प्रोत्साहन का भी कार्य हुआ। इसके लिए उसने सेकसरिया महिला पारितोषिक चलाया। सम्मेलन के द्वारा हिंदी की अनेक उच्च कोटि की पाठ्य एवं साहित्यिक पुस्तकों, पारिभाषिक शब्दकोशों एवं संदर्भग्रंथों का भी प्रकाशन हुआ है जिनकी संख्या डेढ़-दो सौ के करीब है। सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं। .

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान या एम्स (AIIMS) सार्वजनिक आयुर्विज्ञान महाविद्यालय का समूह है। इस समूह में नई दिल्ली स्थित भारत का सबसे पुराना उत्कृष्ट एम्स संस्थान है। इसकी आधारशिला 1952 में रखी गयी और इसका सृजन 1956 में संसद के एक अधिनियम के माध्‍यम से एक स्‍वायत्त संस्‍थान के रूप में स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के सभी पक्षों में उत्कृष्‍टता को पोषण देने के केन्‍द्र के रूप में कार्य करने हेतु किया गया। एम्स चौक दिल्ली के रिंग रोड पर पड़ने वाला चौराहा है, इसे अरविन्द मार्ग काटता है। सन् 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी श्रंखला में 6 अन्य एम्स संस्थान पूरे भारत में स्थापित किये गये। ताकि दूर दराज के लोगों को बेहतर इलाज की सुविधायें पाई जा सके! 2022 तक हर राज्य में एक AIIMS खोलने का विचार है। .

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अगरिया

अगरिया, भारत की एक जनजाति है। अगरिया लोग मुख्यत: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पाये जाते हैं। इनमें से मिर्जापुर के आसपास पाये जाने वाले अगरिया लोग अंग्रेजी राज के समय लोहे के खनन एवं उसे पिघलाकर धातु बनाने का काम किया करते थे। ये लोग अगरिया भाषा के साथ-साथ हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भी बोलते हैं। गुजरात में भी 'अगरिया' नाम से एक जनजातीय समूह पाया जाता है जो नमक बनाने का काम करते हैं। अन्य अगरिया लोगों से इनका कोई सम्बन्ध है या नहीं, यह पता नहीं है। .

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अग्रहरि

अग्रहरि या अग्रहरी एक भारतीय उपनाम हैं। यह उपनाम वैश्य समुदाय द्वारा इस्तेमाल किया जाता हैं जो अपने आप को पौराणिक सूर्यवंशी सम्राट महाराजा अग्रसेन (४२५० ई.पू. से ६३७ ईसवी) के वंशज मानते हैं। .

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अंतलिखित

अंतलिखित (अंतलिकिद, अंतिआल्किदस्) तक्षशिला का हिंदू ग्रीक राजा। बेसनगर (मध्य प्रदेश) के स्तंभ लेख के अनुसार इस राजा ने अपने दूत दिय-के-पुत्र हेलियोदोरस को शुंगवंश के राजा अथवा भागभद्र के दरबार में भेजा था। यह भागभद्र शुगंराज ओद्रक अथवा भागवत में से कोई हो सकता है। इस अभिलेख में अंतलिखित को तक्षशिला का राजा और उसके ग्रीक दूत को विष्णुभक्त भागवत कहा गया है। अंतलिखित के सिक्के भी अन्य हिंदू ग्रीक राजाओं की भाँति ही ग्रीक और भारतीय दोनों भाषाओं में खुदे मिलते हैं। उसकी मुद्राएँ उसे विजेता भी प्रमाणित करती हैं। अंतलिखित का शासनकाल निश्चित रूप से तो नहीं बताया जा सकता, पर संभवतः वह ईसवी सन् की प्रथम शती में हुआ। वह बाख्त्री के राजा युक्रातिक के राजकुल का अफगानिस्तान और पश्चिमी पंजाब का राजा था। .

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अंबिकापुर

अम्बिकापुर भारत के छत्तीसगढ़ राज्य उत्तर में स्थित है। यह सरगुजा ज़िले का मुख्यालय है। इसका नाम हिन्दुओं की देवी दुर्गा के एक रूप 'अम्बिका' के नाम से बना है। शहर की जनसंख्या लगभग १ लाख़ है। अम्बिकापुर शहर का नाम है और यह सरगुजा जिला का मुख्यालय है। शहर में महामाया देवी का मंदिर है। इस मंदिर की काफी मान्यता है। पहले लोग यहां अपनी मनता पूरी होने पर देवी को बकरे की बलि अर्पित किया करते थे। लेकिन अब यह परंपरा काफी कम हो गई है। यह स्थानीय बोली सरगुजिया है। आदिवासी क्षेत्र होने का कारण यह बरसों से उपेक्षित रहा है। छत्तीसगढ़ एक अलग राज्य बनने के बाद यहां भी विकास होने लगा है। सरगुजा ज़िला की सीमाएं उड़ीसा,झारखण्ड,उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को छूती हैं। .

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अंजू शर्मा

डॉ० अंजू शर्मा (जन्म: ५ अगस्त, १९६०) एक जानीमानी भारतीय लेखिका, शिक्षिका एवं चिकित्सिका हैं। आयुर्विज्ञान पर अब तक इनकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वह चिकित्सा सेवा सम्मान २००९ से पुरस्कृत व सम्मानित हैं। .

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अकबर

जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर (१५ अक्तूबर, १५४२-२७ अक्तूबर, १६०५) तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। अंतरण करने वाले के अनुसार बादशाह अकबर की जन्म तिथि हुमायुंनामा के अनुसार, रज्जब के चौथे दिन, ९४९ हिज़री, तदनुसार १४ अक्टूबर १५४२ को थी। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। बाबर का वंश तैमूर और मंगोल नेता चंगेज खां से संबंधित था अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था। अकबर के शासन के अंत तक १६०५ में मुगल साम्राज्य में उत्तरी और मध्य भारत के अधिकाश भाग सम्मिलित थे और उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था। उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम दोनों उसके प्रशंसक बने। अकबर मात्र तेरह वर्ष की आयु में अपने पिता नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायुं की मृत्यु उपरांत दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा था। अपने शासन काल में उसने शक्तिशाली पश्तून वंशज शेरशाह सूरी के आक्रमण बिल्कुल बंद करवा दिये थे, साथ ही पानीपत के द्वितीय युद्ध में नवघोषित हिन्दू राजा हेमू को पराजित किया था। अपने साम्राज्य के गठन करने और उत्तरी और मध्य भारत के सभी क्षेत्रों को एकछत्र अधिकार में लाने में अकबर को दो दशक लग गये थे। उसका प्रभाव लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर था और इस क्षेत्र के एक बड़े भूभाग पर सम्राट के रूप में उसने शासन किया। सम्राट के रूप में अकबर ने शक्तिशाली और बहुल हिन्दू राजपूत राजाओं से राजनयिक संबंध बनाये और उनके यहाँ विवाह भी किये। अकबर के शासन का प्रभाव देश की कला एवं संस्कृति पर भी पड़ा। उसने चित्रकारी आदि ललित कलाओं में काफ़ी रुचि दिखाई और उसके प्रासाद की भित्तियाँ सुंदर चित्रों व नमूनों से भरी पड़ी थीं। मुगल चित्रकारी का विकास करने के साथ साथ ही उसने यूरोपीय शैली का भी स्वागत किया। उसे साहित्य में भी रुचि थी और उसने अनेक संस्कृत पाण्डुलिपियों व ग्रन्थों का फारसी में तथा फारसी ग्रन्थों का संस्कृत व हिन्दी में अनुवाद भी करवाया था। अनेक फारसी संस्कृति से जुड़े चित्रों को अपने दरबार की दीवारों पर भी बनवाया। अपने आरंभिक शासन काल में अकबर की हिन्दुओं के प्रति सहिष्णुता नहीं थी, किन्तु समय के साथ-साथ उसने अपने आप को बदला और हिन्दुओं सहित अन्य धर्मों में बहुत रुचि दिखायी। उसने हिन्दू राजपूत राजकुमारियों से वैवाहिक संबंध भी बनाये। अकबर के दरबार में अनेक हिन्दू दरबारी, सैन्य अधिकारी व सामंत थे। उसने धार्मिक चर्चाओं व वाद-विवाद कार्यक्रमों की अनोखी शृंखला आरंभ की थी, जिसमें मुस्लिम आलिम लोगों की जैन, सिख, हिन्दु, चार्वाक, नास्तिक, यहूदी, पुर्तगाली एवं कैथोलिक ईसाई धर्मशस्त्रियों से चर्चाएं हुआ करती थीं। उसके मन में इन धार्मिक नेताओं के प्रति आदर भाव था, जिसपर उसकी निजि धार्मिक भावनाओं का किंचित भी प्रभाव नहीं पड़ता था। उसने आगे चलकर एक नये धर्म दीन-ए-इलाही की भी स्थापना की, जिसमें विश्व के सभी प्रधान धर्मों की नीतियों व शिक्षाओं का समावेश था। दुर्भाग्यवश ये धर्म अकबर की मृत्यु के साथ ही समाप्त होता चला गया। इतने बड़े सम्राट की मृत्यु होने पर उसकी अंत्येष्टि बिना किसी संस्कार के जल्दी ही कर दी गयी। परम्परानुसार दुर्ग में दीवार तोड़कर एक मार्ग बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकंदरा के मकबरे में दफना दिया गया। .

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उच्चतम बिन्दु के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र

यह सूची भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों के उच्चतम बिन्दु के आधार पर है। .

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उत्तर प्रदेश

आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .

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उत्तर प्रदेश का भूगोल

उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, जो देश के उत्तर-मध्य भाग में स्थित है। यह काफी बड़े भाग में फैला हुआ है और इसमें समतल जमीन से लेकर उत्तर में ऊँचे पहाड़ भी मौजूद हैं। उत्तर प्रदेश का मौसम भी अलग अलग रहता है और इसका कारण यह है कि इसकी दूरी सागर से काफी दूर है इस कारण वहाँ का बहुत कम प्रभाव ही यहाँ पड़ता है। यहाँ गर्मी में मौसम 49 °C तक बढ़ जाता है और ठंड में -1 °C तक गिर जाता है। .

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उत्तर प्रदेश का इतिहास

उत्तर प्रदेश का भारतीय एवं हिन्दू धर्म के इतिहास मे अहम योगदान रहा है। उत्तर प्रदेश आधुनिक भारत के इतिहास और राजनीति का केन्द्र बिन्दु रहा है और यहाँ के निवासियों ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभायी। उत्तर प्रदेश के इतिहास को निम्नलिखित पाँच भागों में बाटकर अध्ययन किया जा सकता है- (1) प्रागैतिहासिक एवं पूर्ववैदिक काल (६०० ईसा पूर्व तक), (2) हिन्दू-बौद्ध काल (६०० ईसा पूर्व से १२०० ई तक), (3) मध्य काल (सन् १२०० से १८५७ तक), (4) ब्रिटिश काल (१८५७ से १९४७ तक) और (5) स्वातंत्रोत्तर काल (1947 से अब तक)। .

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उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

उत्तर प्रदेश एक भारतीय राज्य है, जिसकी सीमाऐं नेपाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के साथ मिलती हैं। राज्य के उत्तर में हिमालय है और दक्षिण में दक्कन का पठार स्थित है। इन दोनों के बीच में, गंगा, यमुना, घाघरा समेत कई नदियां पूरब की तरफ बहती हैं। उत्तर प्रदेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल है। 2011 के जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 199,581,477 है। उत्तर प्रदेश को 18 मण्डलों के अंतर्गत 75 जिलों में विभाजित किया गया है। 2011 में 199,581,477 की जनसंख्या के साथ उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का 6.88 प्रतिशत मात्र है, लेकिन भारत की 16.49 प्रतिशत आबादी यहां निवास करती है। 2011 तक राज्य में 64 ऐसे नगर हैं, जिनकी जनसंख्या 100,000 से अधिक है। 1,640 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 4,542,184 की जनसंख्या के साथ कानपुर राज्य का सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। .

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उत्तर भारत

उत्तरी भारत में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। यह भारत का उत्तरी क्षेत्र है। प्रधान भौगोलिक अंगों में गंगा के मैदान और हिमालय पर्वतमाला आती है। यही पर्वतमाला भारत को तिब्बत और मध्य एशिया के भागों से पृथक करती है। उत्तरी भारत मौर्य, गुप्त, मुगल एवं ब्रिटिश साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहां बहुत से हिन्दू तीर्थ जैसे पर्वतों में गंगोत्री से लेकर मैदानों में वाराणासी तक हैं, तो मुस्लिम तीर्थ जैसे अजमेर.

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उत्तर भारत बाढ़ २०१३

जून 2013 में, उत्तर भारत में भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा हो गयी। इससे प्रभावित अन्य राज्य हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश हैं। बाढ़ के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ और बहुत से लोग बाढ़ में बह गए और हजारों लोग बेघर हो गये। इस भयानक आपदा में 5000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, .

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उत्तर-पश्चिमी प्रान्त

उत्तर-पश्चिमी प्रांत ब्रिटिश भारत का एक प्रशासनिक क्षेत्र था जो विभिन्न मिलाए गए और जीते गए प्रांतो से मिलकर बना था और किसी ना किसी रूप में १८३६ से १९०२ तक अस्तित्व में रहा, जब यह आगरा और अवध का संयुक्त प्रांत (या उ प्र) के भीतर आगरा प्रांत बना।.

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उदय प्रकाश

उदय प्रकाश (जन्म: १ जनवरी १९५२) चर्चित कवि, कथाकार, पत्रकार और फिल्मकार हैं। आपकी कुछ कृतियों के अंग्रेज़ी, जर्मन, जापानी एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद भी उपलब्ध हैं। लगभग समस्त भारतीय भाषाओं में रचनाएं अनूदित हैं। इनकी कई कहानियों के नाट्यरूपंतर और सफल मंचन हुए हैं। 'उपरांत' और 'मोहन दास' के नाम से इनकी कहानियों पर फीचर फिल्में भी बन चुकी हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। उदय प्रकाश स्वयं भी कई टी.वी.धारावाहिकों के निर्देशक-पटकथाकार रहे हैं। सुप्रसिद्ध राजस्थानी कथाकार विजयदान देथा की कहानियों पर बहु चर्चित लघु फिल्में प्रसार भारती के लिए निर्देशित-निर्मित की हैं। भारतीय कृषि का इतिहास पर महत्वपूर्ण पंद्रह कड़ियों का सीरियल 'कृषि-कथा' राष्ट्रीय चैनल के लिए निर्देशित कर चुके हैं। .

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उन्नाव सूर्य मंदिर

उन्नाव के सूर्य मंदिर का नाम बह्यन्य देव मन्दिर है। यह मध्य प्रदेश के उन्नाव में स्थित है।यह मन्दिर गुर्जर कुषांण वंशीय महाराजा धिराज श्रीमान कनिष्क के समय का है यह मन्दिरऔर मुल्तान का सूर्य मन्दिर ऐक ही समय के हैं। इस मन्दिर को आज समय 2000 बर्ष सै ज्यादा हो चुका है। श्रेणी:सूर्य मंदिर.

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उपदेश अवस्थी

उपदेश अवस्थी (Updesh Awasthee) इनका जन्म १८ अगस्त १९७६,शिवपुरी,मध्यप्रदेश में हुआ ये मूलतः राजस्थानी है। उपदेश अवस्थी एक वरिष्ठ पत्रकार है साथ ही वर्तमान में भोपाल समाचार नामक ऑनलाइन समाचार पोर्टल के सम्पादक भी है। इन्होंने अपने पत्रकारिता कैरियर की शुरुआत १९९४ में स्वदेश समाचार पत्र से की थी इनके अलावा ये दैनिक जागरण,राज एक्सप्रेस तथा प्रदेश टुडे में भी पत्रकारिता कर चुके है। १६ अगस्त २०१२ को इन्होंने अपने खुद के ऑनलाइन समाचार पोर्टल भोपाल समाचार ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की,ये वर्तमान में भोपाल समाचार पोर्टल के सम्पादक है। .

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उमरिया ज़िला

उमरिया भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय उमरि‍या है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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उमा भारती

उमा श्री भारती (जन्म: 3 मई 1959 को एक लोधी राजपूत परिवार में), भारतीय राजनेत्री है और भारत की जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री है। वे मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी है। उन्हें ग्वालियर की महारानी विजयराजे सिंधिया ने उभारा। साध्वी ऋतम्भरा के साथ उन्होंने राम जन्मभूमि आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। इस दौरान उनका नारा था "श्री रामलला घर आयेंगे मंदिर वहीं बनायेंगे"। वह युवावस्था में ही भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गयीं थी। उन्होंने १९८४ में सर्वप्रथम लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु हार गयीं। १९८९ के लोकसभा चुनाव में वह खजुराहो संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनी गयीं और १९९१, १९९६, १९९८ में यह सीट बरक़रार रखी। १९९९ में वह भोपाल सीट से सांसद चुनी गयीं। वाजपेयी सरकार में वह मानव संसाधन विकास, पर्यटन, युवा मामले एवं खेल और अंत में कोयला और खदान जैसे विभिन्न राज्य स्तरीय और कैबिनेट स्तर के विभागों में कार्य किया। २००३ के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में, उनके नेतृत्व में भाजपा ने तीन-चौथाई बहुमत प्राप्त किया और मुख्यमंत्री बनीं। अगस्त २००४ उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जब उनके खिलाफ १९९४ के हुबली दंगों के सम्बन्ध में गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ। .

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उर्मिला सिंह

उर्मिला सिंह (जन्म: 6 अगस्त 1946) ये मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की पूर्व अध्‍यक्ष भी रह चुकी हैं। .

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उष्णकटिबन्धीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर

उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर (TFRI) भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के अधीन आठ क्षेत्रीय संस्थानों में से एक है। संस्थान 1988 में अस्तित्व में आया। संस्थान मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र तथा उड़ीसा सहित मध्य क्षेत्र के उष्णकटिबंधीय वनों की वानिकी तथा पारिस्थितिकी से संबंधित समस्याओं पर अनुसंधान के मुख्य केंद्र के रूप में अपने आप को विशेष बना लिया है। .

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उस्ताद मुश्ताक हुसैन खान

उस्ताद मुश्ताक हुसैन खान को कला के क्षेत्र में सन १९५७ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। ये मध्य प्रदेश राज्य से हैं। श्रेणी:१९५७ पद्म भूषण.

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उस्ताद हाफिज़ अली खाँ

उस्ताद हाफिज़ अली खाँ को कला के क्षेत्र में सन १९६० में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये मध्य प्रदेश राज्य से थे। श्रेणी:१९६० पद्म भूषण.

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उस्ताद अमीर खान

उस्ताद अमीर खान को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन १९७१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये मध्य प्रदेश राज्य से हैं। श्रेणी:१९७१ पद्म भूषण श्रेणी:1912 में जन्मे लोग श्रेणी:१९७४ में निधन.

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उज्जयिनी

उज्जैन का प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर वर्तमान उज्जैन नगर, जो कि भारत के मध्य प्रदेश में स्थित है, उसे प्राचीन काल में उज्जयिओनी कहा जाता था। इसी से वर्तमान नाम उज्जैन पड़ा है। यह सात मोक्षदायिनी नगरियों, सप्तपुरियों में आता है। .

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उज्जैन

उज्जैन का प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन (उज्जयिनी) भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है जो क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है। यह एक अत्यन्त प्राचीन शहर है। यह विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी थी। इसे कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हर १२ वर्ष पर सिंहस्थ कुंभ मेला लगता है। भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंगों में एक महाकाल इस नगरी में स्थित है। उज्जैन मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इन्दौर से ५५ कि॰मी॰ पर है। उज्जैन के प्राचीन नाम अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा आदि है। उज्जैन मंदिरों की नगरी है। यहाँ कई तीर्थ स्थल है। इसकी जनसंख्या लगभग 5.25 लाख है। यह मध्य प्रदेश का पाँचवा सबसे बड़ा शहर है। नगर निगम सीमा का क्षेत्रफल ९३ वर्ग किलोमीटर है। .

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उज्जैन लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

उज्जैन लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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उज्जैन संभाग

उज्जैन डिवीजन के एक प्रशासनिक भौगोलिक इकाई के मध्य प्रदेश राज्य का भारतहै। उज्जैन के प्रशासनिक मुख्यालय है विभाजन.

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उज्जैन ज़िला

उज्जैन भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय उज्जैन है। यह नगर क्षिप्रा तट पर स्थित एक धार्मिक और रमणीय, पवित्र भूमि है, जो अपने गौरवशाली अतीत, कुंभ, महाकाल ज्योतिर्लिंग और ओर अनेक प्रकार के मन्दिरों के कारण प्रसिद्ध है। उज्जैन मे अनेक प्रकार के प्राकृतिक और धर्मिक स्थल दर्शनीय हैं! जिनमें १। महाकाल ज्योतिर्लिग २! हरसिध्दी ३। काल भेरव् ४। सन्दीपनी आश्रम् ५। भर्तहरी गुफा ६। चिन्तामन गणेश् ७। जन्तर-मन्तर ८! शनि मन्दिर ९। सिध्द-वट १०। मंगलनाथ ११ कालियादेह महल १२ गोपाल मंदिर आदि प्रसिद्ध हैं। उज्जैन जिले की तहसील तराना का ग्राम कनासिया फ़ौज़ी गाँव के नाम से प्रसिध्द है। इस गाँव के 800 जवान भारतीय सेना में है। क्षेत्रफल -6091 वर्ग कि.मी.

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उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर

महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है। इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, ऐसी मान्यता है। महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है। १२३५ ई. में इल्तुत्मिश के द्वारा इस प्राचीन मंदिर का विध्वंस किए जाने के बाद से यहां जो भी शासक रहे, उन्होंने इस मंदिर के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया, इसीलिए मंदिर अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त कर सका है। प्रतिवर्ष और सिंहस्थ के पूर्व इस मंदिर को सुसज्जित किया जाता है। .

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ऋषभदेव

ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हैं। तीर्थंकर का अर्थ होता है जो तीर्थ की रचना करें। जो संसार सागर (जन्म मरण के चक्र) से मोक्ष तक के तीर्थ की रचना करें, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। ऋषभदेव जी को आदिनाथ भी कहा जाता है। भगवान ऋषभदेव वर्तमान अवसर्पिणी काल के प्रथम दिगम्बर जैन मुनि थे। .

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छडी पूजा

छडी पूजा एक प्राचीनतम मानवी संस्कृतीक परंपरा है। छडी का उपयोग केवल पवित्रता स्वरूप करते है तो उसे देवक-स्तंभ कहलाया जाता है। छडी का उपयोग ध्वज के रुपमे किया जाता है तो उसे ध्वज स्तंभ कहते हैं। छडी पूजा नॉर्वेजियामे Mære चर्च, इस्रायलमधील Asherah pole कि पूजा ज्यू धर्म कि संस्थापनासे पहले से होती थी। विश्वभर विभीन्न आदीवासी समुदायोमे छडी पूजा परंपरा का निर्वाह दिखाई देता है। भारतीय उपखंडमे बलुचिस्तानकी हिंगलाज माता एवं पहलगाम छडी मूबारक, महाराष्ट्रमे जोतिबा गुडी (छडी) के साथ यात्रा करने की परंपरा है। मध्यप्रदेशराज्य के निमाड प्रांतामे छडी माताकी पूजा एवं छडी नृत्य परंपरा है। राजस्थानमे गोगाजी मंदिरमे छडीयोंकी पूजा की जाती है। डॉ॰ बिद्युत लता रे के मतानुसार ओरीसा राज्याके आदीवासींओमे प्रचलित खंबेश्वरी देवीकी पूजा छडी पूजाका प्रकार है, और खंबेश्वरीची पूजा वैदीक हिंदू धर्म की मुर्तीपुजांसे भी प्राचीन होना संभव है। महाराष्ट्रमे पवित्र छडी को गुढी कहा जाता है। महाराष्ट्रकी गुढी परंपरा के प्रमाण १३वी सदी से मराठी साहित्य में दिखाई देते हैं। चैत्र शुद्ध प्रतिपदाके दिन महाराष्ट्र राज्यमे वर्षारंभादिन के रुपमे मनाते हुए उसी दिन को गुड़ी पड़वा कहते हैं। महाराष्ट्रामे गुडी याने छ्डीकी पूजा की जाती है। .

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छत

टोक्यो में कुछ घरों की छतें वास्तुकला में छत किसी कमरे, मकान, स्थापत्य या अन्य जगह को ऊपर से ढकने के लिए बनाए गए ढाँचे को कहते हैं। छत के द्वारा किसी इमारत की धूप, वर्षा, बर्फ़, हवा-आंधी और अन्य मौसमी तत्वों से, व जानवरों और कीटों से रक्षा की जा सकती है।, David Johnston, Scott Gibson, Taunton Press, 2008, ISBN 978-1-56158-973-9,...

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छतरपुर

छतरपुर भारत के मध्य प्रदेश प्रांत का एक शहर है। विश्व प्रसिद्ध खजुराहो के मंदिर इसी जिले में हैं। छतरपुर नगर, उत्तर-भारत मध्य प्रदेश राज्य, मध्य भारत में स्थित है। इसकी पूर्वी सीमा के पास से सिंघारी नदी बहती है। आरंभ में पन्ना सरदारों द्वारा शासित इस नगर पर 18वीं शताब्दी में कुंवर सोन सिंह का अधिकार हो गया। यह चारों ओर से पहाड़ों से घिरा है और वृक्षों, तालाबों तथा नदियों की बहुतायत के कारण अत्यंत दर्शनीय स्थल है। राव सागर, प्रताप सागर और किशोर सागर यहाँ के तीन महत्त्वपूर्ण तालाब हैं। छतरपुर का एक देशी राज्य था जो अब एक जिला हैं। इसमें मुख्यत: मैदानी भाग था। जिले की समुद्रतट से औसत ऊँचाई ६०० फुट है। केन यहाँ की प्रमुख नदी है। उर्मल और कुतुरी उसकी सहायता नदियाँ हैं। यहाँ पुरातत्व की दृष्टि से महत्व के स्थानों में खुजराहो, १८वीं सदी की इमारतें, छतरपुर से १० मील पश्चिम स्थित राजगढ़ के पास एक किले के अवशेष एवं चंदेलों द्वारा निर्मित अनेक तालाब हैं। कोदो, तिल, जौ, बाजरा, चना, गेहूँ तथा कपास यहाँ के मुख्य कृषिपदार्थ हैं। छतरपुर नगर छतरपुर जिले का प्रधान कार्यालय है। यह बाँदा-सागर-सड़क पर स्थित है। पहले नगर तीन ओर से दीवालों से घिरा था। नगर के केंद्र में रामहल तथा अन्य कई अच्छे मकान हैं। यहाँ एक स्नातकोत्तर डिग्री कालेज तथा कुछ स्कूल हैं। ताँबे के बर्तन, लकड़ी के सामान तथा साबुन निर्माण यहाँ के उद्योगों में प्रमुख हैं। समुद्र की सतह से ऊँचाई १,००० फुट है। नगर के कई तालाबों में रानी ताल प्रमुख हैं। .

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छतरपुर ज़िला

छतरपुर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय chhatarpur है। क्षेत्रफल -8,687 वर्ग कि॰मी॰ जनसंख्या -17,62,375 (2011 जनगणना) "'पुरुष"' - 936,121 महिला - 826,254 साक्षरता - 63.74% एस॰टी॰डी॰ कोड - 07682 जिलाधिकारी - (वर्तमान मे कलेक्टर है रमेश भंडारी) समुद्र तल से उचाई - अक्षांश - उत्तर देशांतर - पूर्व औसत वर्षा - मि॰मी॰ .

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छतरी (स्मारक)

राजाओं के मरणोंपरान्त उनकी याद में स्थापत्य की दृष्टि से विशिष्ट स्मारक बनाये गए, जिन्हें छतरियां तथा देवल के नाम से जाना जाता है। छतरियां ज्यादातर भारतीय राज्य राजस्थान में देखने को मिलती है। जिसमें जयपुर की गैटोर, जोधपुर की जसवंत थड़ा,कोटा का छत्र विलास बाग़, जैसलमेर का बड़ा बाग़ तो इस दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। जैसलमेर के पीले पत्थर से बनी छतरियां सुंदर है। छतरियों में हिन्दू और मुस्लिम दोनों शैलियों का मिश्रण पाया जाता है। सबसे नीचे चौकोर अथवा आठ कोनों का चबूतरा बनाया जाता है। इन चबूतरों के ऊपर दूसरा गोल चबूतरा बनाया जाता है। .

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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन १ नवम्बर २००० को हुआ था। यह भारत का २६वां राज्य है। भारत में दो क्षेत्र ऐसे हैं जिनका नाम विशेष कारणों से बदल गया - एक तो 'मगध' जो बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण "बिहार" बन गया और दूसरा 'दक्षिण कौशल' जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने के कारण "छत्तीसगढ़" बन गया। किन्तु ये दोनों ही क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन काल से ही भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं। "छत्तीसगढ़" तो वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ के प्राचीन मन्दिर तथा उनके भग्नावशेष इंगित करते हैं कि यहाँ पर वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है। .

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छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस

छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस बहुत ही सुप्रसिद्ध एक्सप्रेस है जो की बिलासपुर और अमृतसर को जोड़ती है। इसे छतीसगढ़ एक्सप्रेस के नाम से इसलिए जाना जाता है क्यूंकि यह ट्रेन इस स्थान का प्रतिनिधित्व करती है। इसकी शुरुआत सबसे पहले १९७७ में भोपाल – बिलासपुर छत्तीसगढ़ आँचल एक्सप्रेस के रूप में हुई थी तथा यह बिलासपुर एवं हबीबगंज के बीच चला करती थी। .

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छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल

छत्तीसगढ़ राज्य के मध्यप्रदेश से अलग होने के ठीक एक महीने बाद छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल (सीएसईबी) अस्तित्व में आया। इसके बाद विद्युत अधिनियम 2003 के तहत छग शासन ने ३१ दिसम्बर २००८ को सीएसईबी के विखडन का आदेश जारी कर विद्युत उत्पादन, पारेषण, वितरण और विद्युत व्यापार की चार स्वतंत्र कंपनियों के अलावा पांचवी कंम्पनी होल्डिंग कंपनी बनाई गई। इन कंपनियों ने १ जनवरी २००९ से कार्य करना शुरू कर दिया। .

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छपारा

छपारा भारत के राज्य मध्यप्रदेश के अन्तर्गत सिवनी जिले से 32 किलोमीटर जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रंमाक 7 पर स्थित है यह एक बडी ग्राम पँचायत है यह सिवनी जिले की एक तहसील हैँ वैनगंगा नदी यहाँ से प्रवाहित होती है इसी तहसील के भीमगढ़ में वैनगंगा नदी पर संजय सरोबर बांध बना हैँ। जिसका पीने का पानी सिवनी जिले तक पहुचायाँ जाता हैँ। .

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छिवँकी रेलवे स्टेशन

छिवकी रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद के निकट स्थित है। यहाँ से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लिये अनेकों रेलगाड़ियाँ निकलतीं हैं। श्रेणी:भारत के रेलवे स्टेशन श्रेणी:रेलवे स्टेशन.

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छिंदवाड़ा

छिंदवाडा़ भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। छिंदवाड़ा नगर, दक्षिण-मध्य मध्य प्रदेश राज्य, मध्य भारत, कुलबेहरा की धारा बोदरी के तट पर स्थित है। यह 671 मीटर की ऊँचाई पर सतपुड़ा के खुले पठार पर स्थित है और उपजाऊ कृषि भूमि से घिरा है, जिसमें बीच-बीच में आम के बाग़ हैं और इसके पश्चिमोत्तर में कम ऊँचाई वाले ऊबड़ खाबड़ पहाड़ तथा दक्षिण में नागपुर के मैदानों की ओर ढलान है। पठार के दक्षिणी और पूर्वी हिस्से में चौराई गेहुं के उपजाऊ मैदान हैं। नागपुर का मैदान कपास और ज्वार की खेती का समृद्ध इलाका है और इस समूचे क्षेत्र का सबसे संपन्न और सर्वाधिक आबादी वाला हिस्सा है। वैनगंगा, पेंच और कन्हन नदियाँ इस क्षेत्र को अपवाहित करती हैं। यहाँ की मिट्टी बजरीयुक्त और जल्दी सूखने वाली है। अपेक्षाकृत कम बारिश के बावजूद यहाँ का मौसम विशेष रूप से स्वास्थ्यवर्द्धक और खुशनुमा है। इस नगर का नामकरण 'छिंद', यानी खजूर के वृक्ष के नाम पर हुआ है। .

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छिंदवाड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

छिंदवाड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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छिंदवाड़ा ज़िला

छिंदवाड़ा भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का एक जिला है। इस क्षेत्र में छिन्द (ताड़) के पेड़ बहुतायत में हैँ, इसीलिये इसका नाम छिन्दवाड़ा पड़ा। एक समय यहाँ शेरों की बहुतायत थी, इसलिए इसे पहले 'सिन्हवाडा' भी कहा जाता था|.

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छुईखदान

छुईखदान, मध्य प्रदेश के राजनांदगाँव की एक नगर पंचायत है। यह मध्य प्रदेश का भूतपूर्व राज्य था; इसका क्षेत्रफल 154 वर्ग मील था। यह भूभाग उपजाऊ मैदान हैं। इसमें 107 गाँव थे। छुई खदान नगर प्रधान कार्यालय है। यह दक्षिण-पूर्व रेलवे के राजनाँदगाँव स्टेशन से 31 मील है। कोदो यहाँ की प्रमुख उपज है। गेहूँ एवं धान भी होते हैं। यहाँ कई स्कूल एवं अस्पताल हैं। यहाँ छुई मिट्टी (एक प्रकार की सफेद मिट्टी) की खदानें मिलने के कारण इसका नाम छुई खदान पड़ा। .

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छुईखदान रियासत

छुईखदान का ध्वज इम्पीरियल गजटियर में दर्शित छुईखदान रियासत छुईखदान ब्रितानी काल में भारत की एक छोटी सी रियासत थी। इसे कोंडका भी कहते हैं। भारत की स्वतन्त्रता के बाद यह मध्य प्रदेश में सम्मिलित किया गया था जिसके विभाजन के बाद सम्प्रति यह छत्तीसगढ़ में है। यह राज्य 320 वर्ग मील का था जिसमें से 27,907 एकड़ में खेती होती थी तथा 48,538 एकड़ खेती योग्य था। सन 1870 में इस राज्य में 120 गाँव थे जिनकी कुल जनसंख्या 13,281 थी। 1941 में इस राज्य की जनसंख्या 32,731 थी। इस राज्य की राजधानी छुईखदान थी। .

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छेरिया

छेरिया मध्य प्रदेश का परिद्ध लोक नृत्य है। श्रेणी:मध्य प्रदेश के लोक नृत्य.

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छोटा छिन्दवाड़ा

छोटा छिन्दवाड़ा मध्य प्रदेश का एक नगर है जो जबलपुर से ५५ किमी दूएए पर स्थित है। इसे 'गोटेगाँव' भी कहते हैं। इस नगर से १८ किमी की दूरी पर माँ राजराजेश्वरी का प्रसिद्ध मंदिर है जिसके नाम पर यहाँ 'श्रीधाम' नाम का रेलवे स्टेशन है। यहाँ पर अनेक हिन्दू और जैन मंदिर स्थित हैं। श्रेणी:मध्य प्रदेश के नगर.

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छोटी तवा नदी

यह नदी मध्यप्रदेश के बैतूल जिला की एक छोटी नदी है जो आवना तथा सुक्ता नदियो के मिलने से बनी हैँ। सुक्ता खानदेश से बुरहानपुर में प्रवेश करती है एवं उत्तर में आवना (खण्डवा)से मिलती हैँ। श्रेणी:भारत की नदियाँ श्रेणी:मध्य प्रदेश की नदियाँ.

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१ नवंबर

१ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३०५वॉ (लीप वर्ष मे ३०६ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ६० दिन बाकी है। .

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१ई+११ मी॰²

क्यूबा का क्षेत्रफल लगभग १,००,००० कि.मी२ है। विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के परिमाण के क्रम समझने हेतु यहां १,००,००० वर्ग कि.मी से १०,००,००० वर्ग कि.मी के क्षेत्र दिये गए हैं।.

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१५वीं लोक सभा के सदस्यों की सूची

१५वीं लोक सभा के सदस्यों की सूची अकारादि क्रम से राज्यश: इस लेख में नीचे दी गयी है। ये सभी सांसद भारतीय संसद की १५वीं लोक सभा के लिए अप्रैल - मई, २००९ में हुए आम चुनावों में निर्वाचित हुए थे। .

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१६वीं लोक सभा के सदस्यों की सूची

१६वीं लोक सभा के सदस्यों की सूची राज्यश: इस लेख में दी गयी है। ये सभी सांसद भारतीय संसद की १६वीं लोक सभा के लिए अप्रैल – मई, २०१४ में हुए आम चुनावों में निर्वाचित हुए। इन सांसदों में ५८ प्रतिशत सांसद (३१५ सांसद) ऐसे हैं जो पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुये हैं। .

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१९५७ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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१९५८ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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१९६० में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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१९६१ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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१९६३ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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१९६४ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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१९६६ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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१९७० में पद्म भूषण धारक

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१९७१ में पद्म भूषण धारक

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१९७२ में पद्म भूषण धारक

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१९७३ में पद्म भूषण धारक

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१९७५ में पद्म भूषण धारक

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१९७७ में पद्म भूषण धारक

यह सूची १९७७ में मिले पद्म भूषण धारकों की है ' *.

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१९८४ में पद्म भूषण धारक

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१९९८ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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१९९९ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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२ अगस्त

2 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 214वॉ (लीप वर्ष में 215 वॉ) दिन है। साल में अभी और 151 दिन बाकी है। चाईरोनिया की लड़ाई, 338 BC- 2 अगस्त में होता है। .

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२००२ में पद्म भूषण धारक

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२०१८ इंडियन प्रीमियर लीग

२०१८ इंडियन प्रीमियर लीग जिन्हें आईपीएल ११ के रूप में भी जाना जाता है यह आईपीएल का ११वां संस्करण है जिसे २००८ में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा स्थापित किया गया था और यह एक ट्वेन्टी-ट्वेन्टी लीग है। यह सीजन ७ अप्रैल से २७ मई तक आयोजित किया गया, इस सीजन में २०१३ आईपीएल में सट्टेबाजी के मामले में उनके संबंधित मामले में २०१६ और २०१७ के लिए चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स को निलंबित कर दिया गया था और अब इस सीजन में वापसी की। संस्करण का पहला मुकाबला मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस के बीच ०७ अप्रैल को खेला गया। फाइनल में चेन्नई सुपर किंग्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को ८ विकेट से हराय। इस संस्करण में केन विलियमसन ने सबसे ज्यादा रन बनाये एवं एंड्रयू टाय ने सबसे अधिक विकेट लिए। सुनील नारायण को मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट एवं ऋषभ पंत को एमर्जिंग प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट के ख़िताब से नवाज़ा गया। .

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२२ नवम्बर

२२ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३२६वॉ (लीप वर्ष मे ३२७ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ३९ दिन बाकी हैं। .

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८ दिसम्बर

८ दिसम्बर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३४२वॉ (लीप वर्ष मे ३४३वॉ) दिन है। साल में अभी और २३ दिन बाकी है। .

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2014 भारत - पाकिस्तान बाढ़

सितम्बर 2014 में, मूसलाधार मानसूनी वर्षा के कारण भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर ने अर्ध शताब्दी की सबसे भयानक बाढ़ आई। यह केवल जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित नहीं थी अपितु पाकिस्तान नियंत्रण वाले आज़ाद कश्मीर, गिलगित-बल्तिस्तान व पंजाब प्रान्तों में भी इसका व्यापक असर दिखा। 8 सितम्बर 2014 तक, भारत में लगभग 200 लोगों तथा पाकिस्तान में 190 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। भारत के गृह मंत्रालय के अनुसार 450 गाँव जल समाधि ले चुके हैं। .

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