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मत्स्य विभाग, उत्तर प्रदेश

सूची मत्स्य विभाग, उत्तर प्रदेश

प्राकृतिक रूप से खाद्य पदार्थ के रूप में उपलब्ध मछली को संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से भारतीय मछली एक्ट 1897, जो उत्तर प्रदेश गजट की अधिसूचना संख्या 386/1-483-बी एवं 386/1-487 बी वर्ष 1948 को लागू किया गया। बाद में इसे एक विभाग के रूप में वर्ष 1947, में पशुपालन विभाग के साथ मान्यता प्रदान की गया। मत्स्य विभाग क्रियाकलापों में तीव्रता प्रदान करने के उद्देश्य से निदेशक मत्स्य के नियंत्रणाधीन वर्ष 1966 में इसे एक पृथक विभाग के रूप में शासन द्वारा मान्यता प्रदान की गई। प्रदेश में उपलब्ध जल संसाधनों का मत्स्य विकास हेतु उपयोग करते हुए मत्स्य उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करना उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग का मूलभूत उद्देश्य है। मछली, उत्तम प्रोटीनयुक्त पौष्टिक खाद्य पदार्थ है तथा इसका पालन रोजी-रोटी का अच्छा साधन है। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के सीधी जनपदों में मत्स्य पालक विकास अभिकरण स्थापित किये गये हैं जो नील क्रान्ति को गतिमयता दिये जाने हेतु कृत संकल्प हैं। ग्रामीण अंचलों में स्थित तालाबों में पछली पालन को प्रोत्साहित करने के अतिरिक्त बड़े एवं मध्यम आकार के मानव निर्मित जलाशयों एवं विभागीय प्रबन्ध व्यवस्था अन्तर्गत प्राकृतिक झीलों में मत्स्यकी प्रबन्ध व्यवस्था, एक ही वातावरण में साथ-साथ रहकर एक दूसरे को क्षति न पहुँचाते हुए तेजी से बढ़ने वाली पालनयोग्य मत्स्य प्रजातियों के बीज का उत्पादन, रोगार सृजन, लोगों के लिए प्रोटीनयुक्त पौष्टिक खाद्य पदार्थ की उपलब्धता एवं मत्स्य व्यवसाय से आदिकाल से जुड़े हुए मछुआ समुदाय के सामाजिक व आर्थिक उत्थान में मत्स्य विभाग का उल्लेखनीय योगदान है। .

1 संबंध: मत्स्य पालन

मत्स्य पालन

श्रीलंका के मत्स्यपालक मछली जलीय पर्यावरण पर आश्रित जलचर जीव है तथा जलीय पर्यावरण को संतुलित रखने में इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह कथन अपने में पर्याप्त बल रखता है जिस पानी में मछली नहीं हो तो निश्चित ही उस पानी की जल जैविक स्थिति सामान्य नहीं है। वैज्ञानिकों द्वारा मछली को जीवन सूचक (बायोइंडीकेटर) माना गया है। विभिन्न जलस्रोतों में चाहे तीव्र अथवा मन्द गति से प्रवाहित होने वाली नदियां हो, चाहे प्राकृतिक झीलें, तालाब अथवा मानव-निर्मित बड़े या मध्यम आकार के जलाशय, सभी के पर्यावरण का यदि सूक्ष्म अध्ययन किया जाय तो निष्कर्ष निकलता है कि पानी और मछली दोनों एक दूसरे से काफी जुड़े हुए हैं। पर्यावरण को संतुलित रखने में मछली की विशेष उपयोगिता है। .

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