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मत्स्य पालन

सूची मत्स्य पालन

श्रीलंका के मत्स्यपालक मछली जलीय पर्यावरण पर आश्रित जलचर जीव है तथा जलीय पर्यावरण को संतुलित रखने में इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह कथन अपने में पर्याप्त बल रखता है जिस पानी में मछली नहीं हो तो निश्चित ही उस पानी की जल जैविक स्थिति सामान्य नहीं है। वैज्ञानिकों द्वारा मछली को जीवन सूचक (बायोइंडीकेटर) माना गया है। विभिन्न जलस्रोतों में चाहे तीव्र अथवा मन्द गति से प्रवाहित होने वाली नदियां हो, चाहे प्राकृतिक झीलें, तालाब अथवा मानव-निर्मित बड़े या मध्यम आकार के जलाशय, सभी के पर्यावरण का यदि सूक्ष्म अध्ययन किया जाय तो निष्कर्ष निकलता है कि पानी और मछली दोनों एक दूसरे से काफी जुड़े हुए हैं। पर्यावरण को संतुलित रखने में मछली की विशेष उपयोगिता है। .

21 संबंधों: धूप के चश्मे, प्यूर्टो बैक्वेरीज़ो मोरेनो, प्रकाश-संश्लेषण, मत्स्य, मत्स्योद्योग, मन्नार द्वीप, मालदीव, मछली, लापतेव सागर, सैल्मन, सूखा, जल प्रक्रमण, जैव विविधता, वानूआतू, व्लादिवोस्तोक, गंगा नदी, गंगा का आर्थिक महत्त्व, कासूमीगौरा झील, कुक्कुट पालन, कृषि, उत्तरजीविता कौशल

धूप के चश्मे

प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश में धूप का चश्मा पहनना: बड़ा लेंस अच्छी सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन अगल-बगल से "अनचाहे प्रकाश" को रोकने के लिए चौड़ी बनावट वाले की ज़रूरत है। धूप के चश्मे एक प्रकार के सुरक्षात्मक नेत्र पहनावे हैं जिन्हें प्राथमिक रूप से आखों को सूरज की तेज़ रोशनी और उच्च-उर्जा वाले दृश्यमान प्रकाश के कारण होने वाली हानि या परेशानी से बचने के लिए डिजाइन किया गया है। वे कभी-कभी एक दृश्य सहायक के रूप में भी कार्य करते हैं, चूंकि विभिन्न नामों से ज्ञात चश्मे मौजूद हैं, जिनकी विशेषता यह होती है की उनका लेंस रंगीन, ध्रुवीकृत या गहरे रंग वाली होती है। 20वीं सदी के पूर्वार्ध में इन्हें सन चीटर्स के नाम से भी जाना जाता था (अमेरिकी अशिष्ट भाषा में चश्मो के लिए चीटर्स शब्द का इस्तेमाल किया जाता था).

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प्यूर्टो बैक्वेरीज़ो मोरेनो

प्यूर्टो बैक्वेरीज़ो मोरेनो प्यूर्टो बैक्वेरीज़ो मोरेनो, (स्पैनिश:Puerto Baquerizo Moreno) ईक्वाडोर के गैलापागोस प्रांत की राजधानी है। यह द्वीपसमूह के सबसे पूर्व में स्थित सैन क्रिस्टोबाल द्वीप के दक्षिणपश्चिमी तट पर स्थित है। शहर का नाम ईक्वाडोर के पूर्व राष्ट्रपति अल्फ्रेडो बैक्वेरीज़ो मोरेनो (1859-1951) के नाम पर रखा गया है। हालांकि प्यूर्टो बैक्वेरीज़ो मोरेनो राजधानी है, लेकिन इसकी जनसंख्या सिर्फ 5600 है जो कि, प्यूर्टो अयोरा के बाद दूसरे स्थान पर है। यहाँ के अधिकतर निवासी मछुआरे हैं। यहाँ के प्राथमिक उद्योगों में शिल्पकारी, मछली पकड़ना, पर्यटन और कृषि है। शहर में पर्यटन का बुनियादी ढांचा प्यूर्टो अयोरा के समान उन्नत नहीं है। श्रेणी:ईक्वाडोर.

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प्रकाश-संश्लेषण

हरी पत्तियाँ, प्रकाश संश्लेषण के लिये प्रधान अंग हैं। सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय उर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने की क्रिया को प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिन्थेसिस) कहते है। प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगो जैसे पत्ती, द्वारा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बनडाइऑक्साइड तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस (O2) बाहर निकालते हैं। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पौधों की हरी पत्तियों की कोंशिकाओं के अन्दर कार्बन डाइआक्साइड और पानी के संयोग से पहले साधारण कार्बोहाइड्रेट और बाद में जटिल काबोहाइड्रेट का निर्माण होता है। इस प्रक्रिया में आक्सीजन एवं ऊर्जा से भरपूर कार्बोहाइड्रेट (सूक्रोज, ग्लूकोज, स्टार्च (मंड) आदि) का निर्माण होता है तथा आक्सीजन गैस बाहर निकलती है। जल, कार्बनडाइऑक्साइड, सूर्य का प्रकाश तथा क्लोरोफिल (पर्णहरित) को प्रकाश संश्लेषण का अवयव कहते हैं। इसमें से जल तथा कार्बनडाइऑक्साइड को प्रकाश संश्लेषण का कच्चा माल कहा जाता है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण जैवरासायनिक अभिक्रियाओं में से एक है। सीधे या परोक्ष रूप से दुनिया के सभी सजीव इस पर आश्रित हैं। प्रकाश संश्वेषण करने वाले सजीवों को स्वपोषी कहते हैं। .

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मत्स्य

मत्स्य के निम्नलिखित अर्थ हैं.

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मत्स्योद्योग

मत्स्योद्योग (fisheries) आर्थिक लाभ के लिये मछली पालने, पकड़ने व उनसे खाद्य और अन्य उत्पादन बनाने के उद्योग को कहते हैं। यह अक्सर समुद्री तटवर्ती क्षेत्रों की अर्थव्यवस्थाओं में बहुत महत्व रखता है। मत्स्योद्योग कई प्रकार के होते हैं और उसकी गतिविधियाँ स्थान, मछली के प्रकार, मछली पालने व पकड़ने के उपकरणों और नौकाओं के अनुसार भिन्न होती हैं। .

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मन्नार द्वीप

मन्नार (மன்னார்) द्वीप, जिसे पहले मनार द्वीप के नाम से जाना जाता था, श्रीलंका के मन्नार जिले का हिस्सा है। यह श्रीलंका की मुख्य भूमि से एक सेतुक के माध्यम से जुड़ा है। १९१४ से १९६४ के बीच, भारत की मुख्यभूमि धनुषकोडी और तलईमन्नार के रास्ते कोलंबो से एक रेलमार्ग और नौकामार्ग के द्वारा जुड़ी थी, पर १९६४ में आये एक भीषण चक्रवात में यह मार्ग नष्ट हो गये और आज तक इन्हें फिर से चालू नहीं किया गया है। यह एक शुष्क और बंजर द्वीप है और मछली पकड़ना यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय है। मन्नार द्वीप और आसन्न रामसेतु .

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मालदीव

मालदीव या (Dhivehi: ދ ި ވ ެ ހ ި ރ ާ އ ް ޖ ެ Dhivehi Raa'je) या मालदीव द्वीप समूह, आधिकारिक तौर पर मालदीव गणराज्य, हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप देश है, जो मिनिकॉय आईलेंड और चागोस अर्किपेलेगो के बीच 26 प्रवाल द्वीपों की एक दोहरी चेन, जिसका फेलाव भारत के लक्षद्वीप टापू की उत्तर-दक्षिण दिशा में है, से बना है। यह लक्षद्वीप सागर में स्थित है, श्री लंका की दक्षिण-पश्चिमी दिशा से करीब सात सौ किलोमीटर (435 mi) पर.

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मछली

अमरीकी प्रान्त जॉर्जिया के मछलीघर में एक विशालकाय ग्रूपर अन्य मछलियों के साथ तिरती हुई। मछली शल्कों वाला एक जलचर है जो कि कम से कम एक जोडा़ पंखों से युक्त होती है। मछलियाँ मीठे पानी के स्त्रोतों और समुद्र में बहुतायत में पाई जाती हैं। समुद्र तट के आसपास के इलाकों में मछलियाँ खाने और पोषण का एक प्रमुख स्रोत हैं। कई सभ्यताओं के साहित्य, इतिहास एवं उनकी संस्कृति में मछलियों का विशेष स्थान है। इस दुनिया में मछलियों की कम से कम 28,500 प्रजातियां पाई जाती हैं जिन्हें अलग अलग स्थानों पर कोई 2,18,000 भिन्न नामों से जाना जाता है। इसकी परिभाषा कई मछलियों को अन्य जलीय प्रणी से अलग करती है, यथा ह्वेल एक मछली नहीं है। परिभाषा के मुताबिक़, मछली एक ऐसी जलीय प्राणी है जिसकी रीढ़ की हड्डी होती है (कशेरुकी जन्तु), तथा आजीवन गलफड़े (गिल्स) से युक्त होती हैं तथा अगर कोई डालीनुमा अंग होते हैं (लिंब) तो वे फ़िन के रूप में होते हैं। alt.

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लापतेव सागर

लाप्टेव सागर (रूसी: море Лаптевых), आर्कटिक महासागर का एक उथला सीमांत समुद्र है। यह साइबेरिया के पूर्वी तट, तैमिर प्रायद्वीप, सेवेर्नाया ज़ेमल्या और नया साइबेरियाई द्वीप समूह के बीच स्थित है। इसकी उत्तरी सीमा आर्कटिक केप से निर्देशांक 79°N और 139°E से गुजरती है और एनिसिय अंतरीप पर अंत होती है। कारा सागर इसके पश्चिम में जबकि पूर्वी साइबेरियाई सागर इसके पूर्व मे स्थित है। इस समुद्र का नाम दो रूसी अन्वेषकों दिमित्री लाप्टेव और खरितोन लाप्टेव के नाम पर रखा गया है, इससे पहले इसे कई अन्य नामों से जाना जाता था और अंतिम प्रचलित नाम नॉर्देंस्क्जोल्ड सागर (रूसी: море Норденшельда) था जिसे स्वीडिश अंवेषक एडॉल्फ एरिक नॉर्देंस्कियोल्ड के नाम पर रखा गया था। इस समुद्र की विशेषताओं में इसकी भीषण जलवायु परिस्थितियां प्रमुख है क्योंकि इसका तापमान वर्ष में नौ महीनों से ज्यादा समय तक 0° सेल्सियस (32° फेरेनहाइट) या उससे नीचे रहता है और अगस्त से सितंबर के बीच के समय को छोड़कर यह जमा रहता है। इसकी अन्य विशेषताओं में इसके पानी की कम लवणता, वनस्पति, जीवों और मानव जनसंख्या की दुर्लभता और इसकी कम गहराई (ज्यादातर स्थानों पर 50 मीटर से कम) है। लाप्टेव सागर के तटों पर हजारों सालों से यूकाग़िर, इवेनी और इवेंकी नामक मूल निवासी रहते आये हैं, जिनका प्राथमिक व्यवसाय मछली पकड़ना, शिकार और रेंडियर पालन है। इस क्षेत्र का रूसी अंवेषण 17 वीं शताब्दी में शुरू हुया। रूसियों ने इसकी शुरुआत दक्षिण से की जहाँ कई बड़ी नदियाँ समुद्र में विसर्जित होती थीं इन नदियों में प्रमुख थीं, लेना नदी, खटांगा नदी, अनाबर नदी, ओलेंयोक नदी और ओमोलोय नदी। समुद्र में कई द्वीप समूह उपस्थित हैं, जिनमें से कई पर मैमथ नामक प्राचीन विशाल हाथी के अच्छी तरह से संरक्षित अवशेष मिलते हैं। क्षेत्र में मुख्य मानवीय गतिविधियों में उत्तरी सागर मार्ग के भीतर खनन और नौगमन शामिल हैं, मछली पकड़ना और शिकार स्थानीय स्तर पर किया जाता है और इसका कोई व्यावसायिक महत्व नहीं है। इलाके की सबसे बड़ी बसावत और बंदरगाह टिक्सी है। .

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सैल्मन

मुख्य पेसिफिक सैल्मन प्रजातियां: सोकाई, चम, कोस्टल, कटथ्रोट ट्राउट, चिनूक, कोहो, स्टीलहेड और पिंक सैल्मोनिडे परिवार की विभिन्न प्रजातियों की मछली के लिए दिया जाने वाला आम नाम है सैल्मन.

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सूखा

अकाल भोजन का एक व्यापक अभाव है जो किसी भी पशुवर्गीय प्रजाति पर लागू हो सकता है। इस घटना के साथ या इसके बाद आम तौर पर क्षेत्रीय कुपोषण, भुखमरी, महामारी और मृत्यु दर में वृद्धि हो जाती है। जब किसी क्षेत्र में लम्बे समय तक (कई महीने या कई वर्ष तक) वर्षा कम होती है या नहीं होती है तो इसे सूखा या अकाल कहा जाता है। सूखे के कारण प्रभावित क्षेत्र की कृषि एवं वहाँ के पर्यावरण पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था डगमगा जाती है। इतिहास में कुछ अकाल बहुत ही कुख्यात रहे हैं जिसमें करोंड़ों लोगों की जाने गयीं हैं। अकाल राहत के आपातकालीन उपायों में मुख्य रूप से क्षतिपूरक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कि विटामिन और खनिज पदार्थ देना शामिल है जिन्हें फोर्टीफाइड शैसे पाउडरों के माध्यम से या सीधे तौर पर पूरकों के जरिये दिया जाता है।, बीबीसी न्यूज़, टाइम सहायता समूहों ने दाता देशों से खाद्य पदार्थ खरीदने की बजाय स्थानीय किसानों को भुगतान के लिए नगद राशि देना या भूखों को नगद वाउचर देने पर आधारित अकाल राहत मॉडल का प्रयोग करना शुरू कर दिया है क्योंकि दाता देश स्थानीय खाद्य पदार्थ बाजारों को नुकसान पहुंचाते हैं।, क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर लंबी अवधि के उपायों में शामिल हैं आधुनिक कृषि तकनीकों जैसे कि उर्वरक और सिंचाई में निवेश, जिसने विकसित दुनिया में भुखमरी को काफी हद तक मिटा दिया है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 9 जुलाई 2009 विश्व बैंक की बाध्यताएं किसानों के लिए सरकारी अनुदानों को सीमित करते हैं और उर्वरकों के अधिक से अधिक उपयोग के अनापेक्षित परिणामों: जल आपूर्तियों और आवास पर प्रतिकूल प्रभावों के कारण कुछ पर्यावरण समूहों द्वारा इसका विरोध किया जाता है।, न्यूयॉर्क टाइम्स, 2 दिसम्बर 2007, दी अटलांटिक .

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जल प्रक्रमण

जल प्रक्रमण (Water treatment) ऐसी प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा जल को किसी विशेष प्रयोग के लिए तैयार या शुद्ध करा जाता है। यह प्रयोग पीना, नहाना, पौधों की सिंचाई, जल खेल, मछली पालन, इत्यादि हो सकता है। इसमें जल से प्रदूषकों व अन्य पदार्थों को निकाला जाता है। .

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जैव विविधता

--> वर्षावन जैव विविधता जीवन और विविधता के संयोग से निर्मित शब्द है जो आम तौर पर पृथ्वी पर मौजूद जीवन की विविधता और परिवर्तनशीलता को संदर्भित करता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (युएनईपी), के अनुसार जैवविविधता biodiversity विशिष्टतया अनुवांशिक, प्रजाति, तथा पारिस्थितिकि तंत्र के विविधता का स्तर मापता है। जैव विविधता किसी जैविक तंत्र के स्वास्थ्य का द्योतक है। पृथ्वी पर जीवन आज लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों के रूप में उपस्थित हैं। सन् 2010 को जैव विविधता का अंतरराष्ट्रीय वर्ष, घोषित किया गया है। .

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वानूआतू

वानूआतू (बिस्लामा में; अंग्रेजी में या), आधिकारिक तौर पर वानूआतू गणराज्य (République de Vanuatu, बिस्लामा रिपब्लिक ब्लोंग वानूआतू), दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीप राष्ट्र है। ज्वालामुखी मूल का यह द्वीपसमूह उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के लगभग पूर्व, न्यू कैलेडोनिया के पूर्वोत्तर, फिजी के पश्चिम और न्यू गिनी के निकट सोलोमन द्वीपों के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। वानूआतू में मेलानेशियाई लोग सबसे पहले आकर बसे थे। यूरोप के लोगों ने 1605 में क्यूरॉस के नेतृत्व में स्पेनिश अभियान के एस्पिरिटू सैंटो में आने पर इन द्वीपों का पता लगाया था। 1880 के दशक में फ्रांस और युनाइटेड किंगडम ने देश के कुछ हिस्सों पर अपना दावा किया और 1906 में वे एक ब्रिटिश-फ्रांसीसी सहस्वामित्व के जरिये न्यू हेब्रिड्स के रूप में इस द्वीपसमूह के संयुक्त प्रबंधन के एक ढाँचे पर सहमत हुए.

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व्लादिवोस्तोक

व्लादिवोस्तोक ज़ोलोतोय रोग खाड़ी के किनारे बसा हुआ है प्रिमोर्स्की क्राय राज्य के दक्षिणी भाग में व्लादिवोस्तोक की स्थिति व्लादिवोस्तोक शहर के केन्द्रीय भाग में स्थित फ़ोकीना मार्ग का नज़ारा व्लादिवोस्तोक (रूसी: Владивосто́к) रूस के सुदूर पूर्व में स्थित एक शहर है और रूस के प्रिमोर्स्की क्राय राज्य की राजधानी है। यह ज़ोलोतोय रोग खाड़ी के मुख पर स्थित है और रूस की चीन व उत्तर कोरिया के साथ लगी सरहदों के पास है। सन् २००२ की जनगणना में इसकी आबादी ५,९४,७०१ गिनी गई थी जो २०१० की जनगणना में थोड़ी-सी घट कर ५,९२,०६९ हो गई। व्लादिवोस्तोक का प्राकृतिक बंदरगाह बहुत बढ़िया माना जाता है और रूस की नौसेना का प्रशान्त महासागर बेड़ा, जिसका ज़िम्मा पूरे प्रशांत महासागर क्षेत्र में रूस के हितों की रक्षा करना है, इसी बंदरगाह को अपना मुख्य अड्डा बनाए हुए है। .

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गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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गंगा का आर्थिक महत्त्व

गंगा में मत्स्य पालन गंगा भारत के आर्थिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। उसके द्वारा सींची गई खेती, उसके वनों में आश्रित पशुपक्षी, उसके जल में पलने वाले मीन मगर, उसके ऊपर बने बाँधों से प्राप्त बिजली और पानी, उस पर ताने गए पुलों से बढ़ता यातायात और उसके जलमार्ग से होता आवागमन और व्यापार तथा पर्यटन उसे भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण साधन साबित करते हैं। गंगा अपनी उपत्यकाओं से भारत और बांग्लादेश की कृषि आधारित अर्थ में भारी सहयोग तो करती ही है, यह अपनी सहायक नदियों सहित बहुत बड़े क्षेत्र के लिए सिंचाई के बारहमासी स्रोत भी हैं। इन क्षेत्रों में उगाई जाने वाली प्रधान उपज में मुख्यतः धान, गन्ना, दाल, तिलहन, आलू एवं गेहूँ हैं। जो भारत की कृषि आज का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। गंगा के तटीय क्षेत्रों में दलदल एवं झीलों के कारण यहां लेग्यूम, मिर्चें, सरसों, तिल, गन्ने और जूट की अच्छी फसल होती है। नदी में मत्स्य उद्योग भी बहुत जोरों पर चलता है। गंगा नदी प्रणाली भारत की सबसे बड़ी नदी प्रणाली है। इसमें लगभग ३७५ मत्स्य प्रजातियाँ उपलब्ध हैं। वैज्ञानिकों द्वारा उत्तर प्रदेश व बिहार में १११ मत्स्य प्रजातियों की उपलब्धता बतायी गयी है। फरक्का बांध बन जाने से गंगा नदी में हिल्सा मछली के बीजोत्पादन में सहायता मिली है। गंगा का महत्व पर्यटन पर आधारित आय के कारण भी है। इसके तट पर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तथा प्राकृति सौंदर्य से भरपूर कई पर्यटन स्थल है जो राष्ट्रीय आज का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। गंगा नदी पर रैफ्टिंग के शिविरों का आयोजन किया जाता है। जो साहसिक खेलों और पर्यावरण द्वारा भारत के आर्थिक सहयोग में सहयोग करते हैं। गंगा तट के तीन बड़े शहर हरिद्वार, इलाहाबाद एवं वाराणसी जो तीर्थ स्थलों में विशेष स्थान रखते हैं। इस कारण यहाँ श्रद्धालुओं की संख्या में निरंतर बनी रहता है और धार्मिक पर्यटन में महत्वपूर्म योगदान करती है। गर्मी के मौसम में जब पहाड़ों से बर्फ पिघलती है, तब नदी में पानी की मात्रा व बहाव अच्छा होता है, इस समय उत्तराखंड में ऋषिकेश - बद्रीनाथ मार्ग पर कौडियाला से ऋषिकेश के मध्य रैफ्टिंग के शिविरों का आयोजन किया जाता है, जो साहसिक खोलों के शौकीनों और पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित कर के भारत के आर्थिक सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। .

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कासूमीगौरा झील

कासूमीगौरा झील (霞ヶ浦) जापान की दूसरी सबसे बड़ी झील हैं, जो टोक्यो की उत्तर-पूर्व में 60 किमी दूर स्थित हैं। आधिकारिक तौर पर, कासूमीगौरा झील 167.63 किमी२ क्षेत्र में फैले जलक्षेत्र को दर्शाता हैं। व्यापक अर्थ में, कासूमीगौरा झील, झील के एक समूह को संदर्भित करता हैं, जिसमें निशिरा (西浦) और दो अन्य छोटे झील, किटौरा (北浦; 35.16 किमी२) और सोतोनासकौरा (外浪逆浦; 5.85 किमी२), और उनसे जुड़ने वाली नदियाँ आदि शामिल हैं। इस हिसाब से झील का कुल क्षेत्र 220 किमी२ हो जाता हैं।) झील के आसपास के लगभग 45% भूमि प्राकृतिक परिदृश्य हैं और 43.5% कृषि भूमि हैं। .

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कुक्कुट पालन

एक विशाल मुर्गी पालन गृह मांस अथवा अण्डे की प्राप्ति के लिये मुर्गी, टर्की, बत्तख आदि जानवरों को पालना कुक्कुट पालन (Poultry farming) कहलाता है। .

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कृषि

कॉफी की खेती कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है। तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक खेती (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है। आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि हॉर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं। प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक, और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांस। रेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और सन (फ्लैक्स) शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तम्बाकू, शराब, अफ़ीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं मिथेन, जैवभार (बायोमास), इथेनॉल और बायोडीजल। कटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं। 2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है। .

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उत्तरजीविता कौशल

उत्तरजीविता कौशल या अतिजीविता कौशल (सर्वाइवल स्किल्स) वे तकनीकें हैं जिनका उपयोग एक व्यक्ति किसी खतरनाक स्थिति (उदाहरण प्राकृतिक आपदा) में अपने आप को या दूसरों को बचाने के लिए कर सकता है (बुशक्राफ्ट भी देखें).

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

नीली क्रान्ति, मत्स्य-पालन, मछली पालन, मछली पकड़ना

निवर्तमानआने वाली
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