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भारतीय सैन्य अकादमी

सूची भारतीय सैन्य अकादमी

इंडियन मिलिटरी ऐकडमी (भारतीय सैन्य अकादमी) भारतीय सेना के अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए प्रमुख प्रशिक्षण स्कूल है। .

13 संबंधों: देहरादून जिला, देहरादून की प्रमुख इमारतें, बिपिन रावत, भारतीय वानिकी संस्थान, शंकर रॉयचौधरी, सम्मिलित रक्षा सेवा परीक्षा, सुरेश शर्मा, सौरभ कालिया, सैम मानेकशॉ, जोगिन्दर जसवन्त सिंह, विक्रम बत्रा, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड में शिक्षा

देहरादून जिला

यह लेख देहरादून जिले के विषय में है। नगर हेतु देखें देहरादून। देहरादून, भारत के उत्तराखंड राज्य की राजधानी है इसका मुख्यालय देहरादून नगर में है। इस जिले में ६ तहसीलें, ६ सामुदायिक विकास खंड, १७ शहर और ७६४ आबाद गाँव हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ १८ गाँव ऐसे भी हैं जहाँ कोई नहीं रहता। देश की राजधानी से २३० किलोमीटर दूर स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह नगर अनेक प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों के कारण भी जाना जाता है। यहाँ तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग, सर्वे ऑफ इंडिया, भारतीय पेट्रोलियम संस्थान आदि जैसे कई राष्ट्रीय संस्थान स्थित हैं। देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय मिलिटरी कालेज और इंडियन मिलिटरी एकेडमी जैसे कई शिक्षण संस्थान हैं। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अपनी सुंदर दृश्यवाली के कारण देहरादून पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और विभिन्न क्षेत्र के उत्साही व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशिष्ट बासमती चावल, चाय और लीची के बाग इसकी प्रसिद्धि को और बढ़ाते हैं तथा शहर को सुंदरता प्रदान करते हैं। देहरादून दो शब्दों देहरा और दून से मिलकर बना है। इसमें देहरा शब्द को डेरा का अपभ्रंश माना गया है। जब सिख गुरु हर राय के पुत्र रामराय इस क्षेत्र में आए तो अपने तथा अनुयायियों के रहने के लिए उन्होंने यहाँ अपना डेरा स्थापित किया। www.sikhiwiki.org.

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देहरादून की प्रमुख इमारतें

Dehradun ghantaghar देहरादून का मशहूर घर। वन अनुसंधान संस्थान 1906 में इंम्पीरियल फोरेस्ट इंस्टीट्यूट के रूप में स्थापित यह इंडियन काउंसिल ऑफ फोरेस्ट्री रिसर्च एंड एडूकेशन के अंतर्गत एक प्रमुख संस्थान है। इसकी शैली ग्रीक रोमन वास्तुकला है। इसका मुख्य भवन राष्ट्रीय विरासत है जिसका उद्घघाटन 1921 में हुआ था। वन क्षेत्र में अपने शोध कार्य के लिए प्रसिद्ध इस संस्थान को एशिया में अपनी तरह के एक मात्र संस्थान होने का गौरव प्राप्त है। इंडियन मिलिटरी एकेडमी आईएमए की विशेषताओं में से एक है उसके चिटवुड भवन का स्थापत्य। १९३० में निर्मित इस भवन की डिजाइन आर टी रसेल ने तैयार की थी। यह भवन औपनिवेशिक और शुद्ध ब्रिटिश शैली का अनोखा उदाहरण है। इसके गलियारे काफी लंबे हैं और केंद्र में स्थित घंटाघर के साथ इसकी एकल छत है। ड्रिल स्क्वायर भवन के सामने है जो इसे एक तरह की पवित्रता प्रदान करने के साथ-साथ सैन्य संस्थान जैसी फिजा उपलब्ध कराता है। घंटाघर ईट और पत्थर से बना देहारादून का घंटा घर पलटन बाज़ार आनेवाले लोगों में आकर्षण का केंद्र है। इसमें एक मुख्य सीढ़ी है, जिसके सहारे सबसे ऊपरी तल पर पहुँचा जा सकता है। इसमें अर्द्ध गोलाकार खिड़कियाँ हैं। मीनार के शिखर पर सभी 6 आकृतियों में प्रत्येक पर घड़ी रखी हुई है। लाल और पीले रंग की संरचना वाली मीनार के सभी 6 भागों पर सीमेंट की जाली सजाई गई है। सभी 6 दरवाजों के ऊपर खूबसूरत झरोखे लगे हुए हैं। सीएनआई ब्यॉज इंटर कॉलेज ईंटों और पत्थरों की बनी इस संरचना में ईंटों का मुख्य तौर पर उपयोग किया गया है। बिल्डिंग की दीवारों को अंदर से प्लास्टर किया गया है तथा फर्श के लिए बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। मॉरीसन मेमोरियल चर्च राजपुर रोड पर स्थित यह इस क्षेत्र के सबसे पुराने भवनों में से एक है। चर्च के अंदर और बाहर दोनों तरफ से प्लास्टर किया गया है। मुख्य हॉल की फर्श टेराजो की बनी है। छत से लगा खूबसूरत बोर्ड बिल्डिंग की शोभा को और अधिक बढ़ा देता है। छत के रिज पर कई सारे सजावटी बोर्ड हैं जो रिज से लगे हुए हैं। इंटीरियर यानी आंतरिक भाग में उभरा हुआ छततिकोन चर्च के सौन्दर्य को और अधिक बढ़ा देता है। इनामुल्लाह भवन यह एक संतुलित रैखिक गृह-मुख है जो माप के हिसाब से 66 फीट है। इसके केंद्र में एक बहुकोणीय आर्क गेटवे है। इसके ग्राउंड और ऊपर की मंजिल के सामने एक आर्क कोलोनाडो है। भवन के ऊपर बीच-बीच में टरेट ओरनेट पारापेट है। इस भवन का अंत दाईं ओर षडभुजाकार कक्ष के साथ होता है जो इसे सड़क के साथ इसे एक विशिष्टता प्रदान करता है। बाईं ओर अस्तित्व में नहीं है। जामा मस्जिद देहरादून के मुख्य वाणिज्यिक क्षेत्र में स्थित यह मस्जिद इस्लामिक वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। आकार में आयताकार यह मस्जिद पूरब की ओर मुखातिब है। सिलिंडरनुमा बांसुरी के आकार के कॉलम के साथ सजावटी फूलदार डिजाइनों से मेहराब सजा हुआ है। आर्क वाली गैलरी और केंद्रीय स्थित के साथ यह संरचना शानदार भवन निर्माण कला का एक नमूना है। मस्जिद का आंतरिक कोरीडोर गुच्छानुमा आर्क और फूलों वाली डिजाइन तथा लटकती आकृति से युक्त है। आर्क युक्त गैलरी विभिन्न रंगों में रंगी है। श्रेणी:देहरादून श्रेणी:स्थापत्य.

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बिपिन रावत

बिपिन रावत (AVSM, YSM, SM, VSM) भारतीय थलसेना के प्रमुख हैं। उन्हें सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। रावत ने ३१ दिसंबर २०१६ को थल सेनाध्यक्ष के पद का भार ग्रहण किया। .

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भारतीय वानिकी संस्थान

भारतीय वानिकी संस्थान, का एक संस्थान है और भारत में वानिकी शोध के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्थान है। यह देहरादून, उत्तराखण्ड में स्थिर है। इसकी स्थापना १९०६ में की गई थी और यह अपने प्रकार के सब्से पुराने संथानों में से एक है। १९९१ में इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा डीम्ड विश्वविद्यालय घोषित कर दिया गया। भारतीय वानिकी संस्थान ४.५ किमी² के क्षेत्रफल में फैला हुआ है, बाहरी हिमालय की निकटता में। मुख्य भवन का वास्तुशिल्प यूनानी-रोमन और औपनिवेशिक शैली में बना हुआ है। यहाँ प्रयोगशालाएँ, एक पुस्तकालय, वनस्पतिय-संग्राह, वनस्पति-वाटिका, मुद्रण - यंत्र और प्रयोगिक मैदानी क्षेत्र हैं जिनपर वानिकी शोध किया जाता है। इसके संग्रहालय, वैज्ञानिक जानकारी के अतिरिक्त, पर्यटकों के लिए आकर्षण भी है। एफ़आरआई और कॉलेज एरिया प्रांगण एक जनगणना क्षेत्र है, उत्तर में देहरादून छावनी और दक्षिण में भारतीय सैन्य अकादमी के बीच। टोंस नदी इसकी पश्चिमी सीमा बनाती है। देहरादून के घण्टाघर से इस संस्थान की दूरी लगभग ७ किमी है। भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को यहाँ प्रशिक्षण दिया जाता है, क्योंकि भारतीय वानिकी शोध और शिक्षा परिषद जो इस संस्थान का संचालन करता है आईएफ़एस भी चलाता है और इसके अतिरिक्त भारतीय वन्यजीव संस्थान और भारतीय वन प्रबन्धन संस्थान भी संचालित करता है। एफ़आरआई में एक वानिकी संग्रहालय भी है। यह प्रतिदिन प्रातः ९:३० से सांय ५:०० बजे तक खुला रहता है और प्रवेश शुल्क है १५ रू प्रति व्यक्ति और वाहनों के लिए भी नाममात्र का शुल्क है। इस संग्रहालय में छः अनुभाग हैं.

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शंकर रॉयचौधरी

जनरल शंकर रॉयचौधरी, पीवीएसएम, एडीसी (जन्म ६ सितंबर १९३७, कोलकाता) भारतीय सेना के पूर्व सेना प्रमुख और भारतीय संसद के पूर्व सदस्य हैं। .

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सम्मिलित रक्षा सेवा परीक्षा

सम्मिलित रक्षा सेवा परीक्षा (Combined Defence Services Examination (CDS)) का आयोजन संघ लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष में दो बार किया जाता है। इस परीक्षा के माध्यम से भारतीय सैन्य अकादमी, अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी, भारतीय नौसेना अकादमी, तथा भारतीय वायु सेना अकादमी में अधिकारियों की भर्ती की जाती है। श्रेणी:भारत की प्रतियोगी परीक्षाएँ.

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सुरेश शर्मा

लेफ्टिनेंट जनरल सुरेश शर्मा भारत के सीमा सड़क संगठन के महानिर्देशक हैं। इससे पूर्व वे सेना मुख्यालय में महानिर्देशक, काम्बैट इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। उनको भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से इंजीनियर्स कोर में कमीशन दिया गया था। वे बॉस्निया और हर्ज़ेगोविना में संयुक्त राष्ट्र मिशन के मुख्य परिचालन अधिकारी और सलाहकार भी रह चुके हैं। .

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सौरभ कालिया

कैप्टन सौरभ कालिया (1976 – 1999) भारतीय थलसेना के एक अफ़सर थे जो कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तानी सिक्योरिटी फोर्सेज़ द्वारा बंदी अवस्था में मार दिए गए। गश्त लगाते समय इनको व इनके पाँच अन्य साथियों को ज़िन्दा पकड़ लिया गया और उन्हें कैद में रखा गया, जहाँ इन्हें यातनाएँ दी गयीं और फिर मार दिया गया। पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रताड़ना के समय इनके कानों को गर्म लोहे की रॉड से छेदा गया, आँखें फोड़ दी गयीं और निजी अंग काट दिए गए। .

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सैम मानेकशॉ

सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ (३ अप्रैल १९१४ - २७ जून २००८) भारतीय सेना के अध्यक्ष थे जिनके नेतृत्व में भारत ने सन् 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय प्राप्त किया था जिसके परिणामस्वरूप बंगलादेश का जन्म हुआ था। .

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जोगिन्दर जसवन्त सिंह

जनरल जोगिन्दर जसवन्त सिंह पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एडीसी (जन्म: ११ सितम्बर १९४५) भारतीय थल सेना के बाईसवें सेनाध्यक्ष थे। वह ३१ जनवरी २००५ से ३० सितम्बर २००७ तक सेना प्रमुख के रूप में कार्यरत रहे। सिंह को २७ नवंबर २००४ को जनरल एन सी विज की सेवानिवृति के बाद सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, और ३१ जनवरी २००५ को सेवानिवृत्त होने तक वह इस पद पर रहे। उनके बाद जनरल दीपक कपूर थल सेना के अगले सेनाध्यक्ष बने। जोगिन्दर जसवन्त सिंह भारतीय सेना का नेतृत्व करने वाले पहले सिख सिपाही हैं, और चण्डीमन्दिर में स्थित पश्चिमी कमान से आने वाले ग्यारहवें सैन्य प्रमुख हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वह २७ जनवरी २००८ को अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल बने। .

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विक्रम बत्रा

विक्रम बत्रा भारतीय सेना के एक अधिकारी थे जिन्होंने कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए वीरगति प्राप्त की। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।http://www.gallantryawards.gov.in/hi/Awardee/vikram-batra .

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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उत्तराखण्ड में शिक्षा

उत्तराखण्ड के शैक्षणिक संस्थान भारत और विश्वभर के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये एशिया के सबसे कुछ सबसे पुराने अभियांत्रिकी संस्थानों का घर है, जैसे रुड़की का भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (पहले रुड़की विश्वविद्यालय) और पंतनगर का गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवँ प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय। विशेष महत्व के अन्य संस्थान हैं, देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी, इक्फ़ाई विश्वविद्यालय, भारतीय वानिकी संस्थान; पौड़ी स्थित गोविन्द बल्लभ पंत अभियांत्रिकी महाविद्यालय और द्वाराहाट स्थित कुमाऊँ अभियांत्रिकी महाविद्यालय। श्रेणी:उत्तराखण्ड में शिक्षा.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

इण्डियन मिलिट्री अकैडमी, इंडियन मिलिटरी एकेडमी

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