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फ़ f देवनागरी वर्णमाला का एक अघोष अर्धओष्ठ्य संघर्षी व्यंजन है। प्रायः इसे अंग्रेजी या फ़ार्सी-अरबी से ली गयी शब्दोँ के लिए प्रयोग किया जाता है। .

6 संबंधों: दन्त्यौष्ठ्य व्यंजन, नुक़्ता, संघर्षी व्यंजन, अघोष द्वयोष्ठ्य संघर्षी, उइगुर भाषा, ऋग्वैदिक भाषा

दन्त्यौष्ठ्य व्यंजन

स्वनविज्ञान में दन्त्यौष्ठ्य व्यंजन (labiodental consonant) ऐसा व्यंजन होता है जिसके उच्चारण के लिए एक होंठ को दांतों से जोड़ा या छुआ जाता है। इसमें "फ़" शामिल है। .

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नुक़्ता

नुक़्ता देवनागरी, गुरमुखी और अन्य ब्राह्मी परिवार की लिपियों में किसी व्यंजन अक्षर के नीचे लगाए जाने वाले बिंदु को कहते हैं। इस से उस अक्षर का उच्चारण परिवर्तित होकर किसी अन्य व्यंजन का हो जाता है। मसलन 'ज' के नीचे नुक्ता लगाने से 'ज़' बन जाता है और 'ड' के नीचे नुक्ता लगाने से 'ड़' बन जाता है। नुक़्ते ऐसे व्यंजनों को बनाने के लिए प्रयोग होते हैं जो पहले से मूल लिपि में न हों, जैसे कि 'ढ़' मूल देवनागरी वर्णमाला में नहीं था और न ही यह संस्कृत में पाया जाता है। अरबी-फ़ारसी लिपि में भी अक्षरों में नुक़्तों का प्रयोग होता है, उदाहरणार्थ '' का उच्चारण 'र' है जबकि इसी अक्षर में नुक़्ता लगाकर '' लिखने से इसका उच्चारण 'ज़' हो जाता है। इन भाषाओं में ज एवं ज़, दोनों ही शब्द उपलब्ध एवं प्रयोग होते हैं, एनके अलावा एक अन्य ज़ भी होता है जिनके लिये निम्न शब्द प्रयोग होते हैं: ज के लिये जीम, ज़ के लिये ज़्वाद (ض)/ज़े (ژ‬)/ ज़ाल(ذ)/ज़ोए (ظ) - ये चार अक्षर होते हैं। यहां ध्यान योग्य ये है कि चार अक्षर ज़ के लिये होने के बावजूद ज के लिये जीम (ج) होता ही है। अतः जीम का प्रयोग भी होता है, जैसे जज़्बा में ज एवं ज़ दोनों ही प्रयुक्त हैं। ऐसे ही बहुत स्थानों पर ग के लिये गाफ़ (گ) एवं ग़ (غ) के लिये ग़ैन का भी प्रयोग होता है। मूल रूप से 'नुक़्ता' अरबी भाषा का शब्द है और इसका मतलब 'बिंदु' होता है। साधारण हिन्दी-उर्दू में इसका अर्थ 'बिंदु' ही होता है।, John T. Platts, pp.

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संघर्षी व्यंजन

संघर्षी व्यंजन (fricative consonant) ऐसा व्यंजन वर्ण होता है जिसमें मुँह के दो उच्चारण स्थानों को पास लाकर एक बहुत ही तंग खोल से हवा को बाहर धलेका जाए। मसलन निचले होंठ को ऊपर के दाँत से जोड़ने से "फ़" की ध्वनि या जिह्वा के पिछ्ले हिस्से को मुँह की छत के पिछले हिस्से से जोड़ने से "ख़" की ध्वनि (ध्यान दें कि बिना बिन्दु वाला ख एक संघर्षी व्यंजन नहीं है)। इसी तरह श, ष, थ़ (बिन्दु वाला), झ़ (बिन्दु वाला) और ज़ भी संघर्षी व्यंजन हैं। संघर्षी व्यंजनों कि विशेषता है कि उनकी ध्वनि को वायु-प्रवाह जारी रखकर लम्बे समय तक बिना रुके शुद्ध रूप से जारी रखा जा सकता है। .

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अघोष द्वयोष्ठ्य संघर्षी

अघोष द्वयोष्ठ्य संघर्षी (voiceless bilabial fricative) एक प्रकार का व्यंजन है। यह हिन्दी व अंग्रेज़ी में नहीं पाया जाता, लेकिन वैदिक संस्कृत में उपस्थित था।, Page 7, Sir Monier Monier-Williams, Clarendon Press, 1864,...

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उइगुर भाषा

मान्छु में लिखा हुआ है - इसमें उइग़ुर लिखाई 'रोशन अवतरादाक़ी दारवाज़ा' कह रही है, यानि 'रोशन सुन्दर दरवाज़ा' - हिंदी और उइग़ुर में बहुत से समान शब्द मिलते हैं उइग़ुर, जिसे उइग़ुर में उइग़ुर तिलि या उइग़ुरचे कहा जाता है, चीन का शिंच्यांग प्रांत की एक प्रमुख भाषा है, जिसे उइग़ुर समुदाय के लोग अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। उइग़ुर भाषा और उसकी प्राचीन लिपि पूरे मध्य एशिया में और कुछ हद तक भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में भी, बहुत प्रभावशाली रहे हैं। सन् २००५ में अनुमानित किया गया था कि उइग़ुर मातृभाषियों कि संख्या लगभग १ से २ करोड़ के बीच है।, Peter Austin, University of California Press, 2008, ISBN 978-0-520-25560-9,...

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ऋग्वैदिक भाषा

उत्तर वैदिक काल से पहले का वह काल जिसमें ऋग्वेद की ऋचाओं की रचना हुई थी इन ऋचाओं की जो भाषा थी वो ऋग्वैदिक भाषा कहलाती है। ऋग्वैदिक भाषा हिंद यूरोपीय भाषा परिवार की एक भाषा है। इसकी परवर्ती पुत्री भाषाएँ अवेस्ता पुरानी फ़ारसी पालि प्राकृत और संस्कृत हैँ। .

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