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उइगुर भाषा

सूची उइगुर भाषा

मान्छु में लिखा हुआ है - इसमें उइग़ुर लिखाई 'रोशन अवतरादाक़ी दारवाज़ा' कह रही है, यानि 'रोशन सुन्दर दरवाज़ा' - हिंदी और उइग़ुर में बहुत से समान शब्द मिलते हैं उइग़ुर, जिसे उइग़ुर में उइग़ुर तिलि या उइग़ुरचे कहा जाता है, चीन का शिंच्यांग प्रांत की एक प्रमुख भाषा है, जिसे उइग़ुर समुदाय के लोग अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। उइग़ुर भाषा और उसकी प्राचीन लिपि पूरे मध्य एशिया में और कुछ हद तक भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में भी, बहुत प्रभावशाली रहे हैं। सन् २००५ में अनुमानित किया गया था कि उइग़ुर मातृभाषियों कि संख्या लगभग १ से २ करोड़ के बीच है।, Peter Austin, University of California Press, 2008, ISBN 978-0-520-25560-9,...

59 संबंधों: चाइना रेडियो इण्टरनैशनल, चिंग राजवंश, चग़ताई भाषा, टकलामकान, तारिम द्रोणी, तारिम द्रोणी/आलेख, तारिम नदी, ताशक़ुरग़ान​, ताजिक लोग, तियाँ शान, तुरफ़ान, तुरफ़ान द्रोणी, तुर्की भाषा परिवार, तुंगुसी भाषा-परिवार, पुरानी तुर्की भाषा, पूर्व तुर्किस्तान, बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग, बाईचेंग ज़िला, बोस्तेन झील, बोगदा पर्वत शृंखला, महमूद काश्गरी, मंगोल लिपि, मुज़ताग़ अता, मुज़ार्त नदी, यारकन्द नदी, यारकन्द ज़िला, योरुंगकाश नदी, शायदुल्ला, शिंजियांग, श्याओ'अरजिंग, सुम्गल, स्वर सहयोग, हिन्दूताश दर्रा, हिस्पर मुज़ताग़, जेन्गिश चोकुसु, ईदगाह मस्जिद, काशगर, ख़ितानी भाषा, ख़ोतान, ख़ोतान विभाग, गांसू, गूमा ज़िला, ओग़ुर भाषाएँ, आक़्सू विभाग, इली नदी, इसिक कुल, क़ारग़िलिक ज़िला, कारलूक लोग, काराशहर, काराकाश नदी, काश्गर, ..., काश्गर विभाग, किज़िल गुफ़ाएँ, कज़ाख़ भाषा, कोंगुर ताग़, अलमाती प्रांत, अक्साई चिन, उज़्बेक भाषा, उईग़ुर ख़ागानत, उइग़ुर सूचकांक विस्तार (9 अधिक) »

चाइना रेडियो इण्टरनैशनल

चाइना रेडियो इण्टरनैशनल (सी॰आर॰आई या सीआरआई) (चीनी: 中国国际广播电台), जिसका पुराना नाम रेडियो पेकिंग है, की स्थापना ३ दिसम्बर, १९४१ को हुई थी। चीन के एक मात्र अन्तर्राष्ट्रीय रेडियो के रूप में सीआरआई की स्थापना चीन व दुनिया के अन्य देशों की जनता के बीच मैत्री व पारस्परिक समझ बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। अपनी स्थापना के आरम्भिक दिनों में सीआरआई, जापानी भाषा में प्रतिदिन १५ मिनटों का कार्यक्रम प्रसारित करता था। पर आज ७० वर्षों के बाद यह ५७ विदेशी भाषाओं व चीनी मानक भाषा व ४ बोलियों में दुनिया भर में प्रतिदिन २११ घण्टों की प्रसारण सेवा प्रदान करता है। इसके कार्यक्रमों में समाचार, सामयिक टिप्पणी के साथ साथ आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक व तकनीकी विषय सम्मिलित हैं। १९८४ से सीआरआई की घरेलू सेवा भी प्रारम्भ हुई। तब से सीआरआई अपने एफ़एम ८८.७ चैनल पर प्रति दिन ६ बजे से रात १२ बजे तक ९ भाषाओं में संगीत कार्यक्रम प्रसारित करता रहा है। और इस दौरान इसके एफफेम ९१.५ चैनल तथा एमडब्लू १२५१ किलोहर्ट्ज़ फ़्रीक्वेंसी पर अंग्रेज़ी भाषा के कार्यक्रम भी होते हैं। विदेशों में सीआरआई के २७ ब्यूरो खुले हैं और चीन के सभी प्रान्तों तथा हांगकांग व मकाउ समेत सभी बड़े नगरों में इसके कार्यालय काम कर रहे हैं। १९८७ से अब तक सीआरआई ने दुनिया के दस से अधिक रेडियो स्टेशनों के साथ सहयोग समझौता सम्पन्न किया है। इसके अतिरिक्त सीआरआई का बहुत से रेडियो व टीवी स्टेशनों के साथ कार्यक्रमों के आदान-प्रदान या अन्य सहयोग के लिये घनिष्ट सम्बन्ध भी हैं। सीआरआई को प्रतिवर्ष विभिन्न देशों के श्रोताओं से लाखों चिट्ठियां प्राप्त होती हैं। विदेशी लोगों में सीआरआई, चीन की जानकारी पाने का सब से सुगम और सुविधाजनक माध्यम होने के कारण भी प्रसिद्ध है। १९९८ में सीआरआई का आधिकारिक जालस्थल भी खोला गया। आज वह चीन के पांच मुख्य सरकारी प्रेस जालस्थलों सम्मिलित है। सीआरआई के अपने समाचारपत्र व टीवी कार्यक्रम भी हैं। .

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चिंग राजवंश

अपने चरम पर चिंग राजवंश का साम्राज्य कांगशी सम्राट, जो चिंग राजवंश का चौथा सम्राट था चिंग राजवंश (चीनी: 大清帝國, दा चिंग दिगुओ, अर्थ: महान चिंग; अंग्रेज़ी: Qing dynasty, चिंग डायनॅस्टी) चीन का आख़री राजवंश था, जिसनें चीन पर सन् १६४४ से १९१२ तक राज किया। चिंग वंश के राजा वास्तव में चीनी नस्ल के नहीं थे, बल्कि उनसे बिलकुल भिन्न मान्छु जाति के थे जिन्होंने इस से पहले आये मिंग राजवंश को सत्ता से निकालकर चीन के सिंहासन पर क़ब्ज़ा कर लिया। चिंग चीन का आख़री राजवंश था और इसके बाद चीन गणतांत्रिक प्रणाली की ओर चला गया।, William T. Rowe, Harvard University Press, 2009, ISBN 978-0-674-03612-3 .

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चग़ताई भाषा

मुग़ल सम्राट बाबर की बाबरनामा नामक जीवनी चग़ताई तुर्की में ही लिखी गई थी चग़ताई भाषा (उज़बेक:, अंग्रेज़ी: Chagatai) एक विलुप्त तुर्की भाषा है जो कभी मध्य एशिया के विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती थी। बीसवी सदी तक इसकी बोलचाल तो बंद हो चुकी थी लेकिन इसे एक साहित्यिक भाषा के रूप में फिर भी प्रयोग किया जा रहा था। भारतीय उपमहाद्वीप में मुग़ल साम्राज्य के शुरुआती सम्राटों की मातृभाषा भी चग़ताई तुर्की ही थी और बाबर ने अपनी प्रसिद्ध 'बाबरनामा' जीवनी इसी भाषा में लिखी थी।, Calum MacLeod, Bradley Mayhew, Odyssey, 2008, ISBN 978-962-217-795-6,...

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टकलामकान

अंतरिक्ष से ली गई टकलामकान की एक तस्वीर टकलामकान रेगिस्तान का एक दृश्य नक़्शे में टकलामकान टकलामकान मरुस्थल (उइग़ुर:, तेकलीमाकान क़ुम्लुक़ी) मध्य एशिया में स्थित एक रेगिस्तान है। इसका अधिकाँश भाग चीन द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग प्रांत में पड़ता है। यह दक्षिण से कुनलुन पर्वत शृंखला, पश्चिम से पामीर पर्वतमाला और उत्तर से तियन शान की पहाड़ियों द्वारा घिरा हुआ है। .

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तारिम द्रोणी

तारिम द्रोणी अंतरिक्ष से तारिम द्रोणी की तस्वीर तारिम क्षेत्र में मिला खरोष्ठी में लिखा एक काग़ज़ का टुकड़ा (दूसरी से पाँचवी सदी ईसवी) तारिम द्रोणी या तारिम बेसिन मध्य एशिया में स्थित एक विशाल बंद जलसंभर इलाका है जिसका क्षेत्रफल ९०६,५०० वर्ग किमी है (यानि सम्पूर्ण भारत का लगभग एक-चौथाई क्षेत्रफल)। वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था में तारिम द्रोणी चीनी जनवादी गणराज्य द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग उइग़ुर स्वराजित प्रदेश नाम के राज्य में स्थित है। तारिम द्रोणी की उत्तरी सीमा तियाँ शान पर्वत श्रंखला है और दक्षिणी सीमा कुनलुन पर्वत श्रंखला है। कुनलुन पर्वत श्रंखला तारिम द्रोणी के इलाक़े को दक्षिण में स्थित तिब्बत के पठार से विभाजित करती है। तारिम द्रोणी का अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तानी है और हलकी आबादी वाला है। यहाँ ज़्यादातर लोग उइग़ुर और अन्य तुर्की जातियों के हैं। .

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तारिम द्रोणी/आलेख

तारिम द्रोणी तारिम द्रोणी या तारिम बेसिन मध्य एशिया में स्थित एक विशाल बंद जलसंभर इलाका है जिसका क्षेत्रफल ९०६,५०० वर्ग किमी है (यानि सम्पूर्ण भारत का लगभग एक-चौथाई क्षेत्रफल)। वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था में तारिम द्रोणी चीनी जनवादी गणराज्य द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग उइग़ुर स्वराजित प्रदेश नाम के राज्य में स्थित है। तारिम द्रोणी की उत्तरी सीमा तियाँ शान पर्वत श्रंखला है और दक्षिणी सीमा कुनलुन पर्वत श्रंखला है। कुनलुन पर्वत श्रंखला तारिम द्रोणी के इलाक़े को दक्षिण में स्थित तिब्बत के पठार से विभाजित करती है। द्रोणी या जलसंभर उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नेहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है। भारत में यमुना का जलसंभर वह क्षेत्र है जहाँ यमुना नदी में विलय हो जाने वाले सारे नदी नाले फैले हुए है और जिसके अंत से केवल यमुना नदी ही निकास करती है। बंद जलसंभर ऐसा जलसंभर होता है जिसमें वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी एकत्रित हो कर किसी नदी के ज़रिये समुद्र या महासागर में बहने की बजाय किसी सरोवर, दलदली क्षेत्र या शुष्क क्षेत्र में जाकर वहीँ रुक जाता है। अंग्रेज़ी में "द्रोणी" को "बेसिन" (basin), "जलसंभर" को "वॉटरशॅड" (watershed) या "कैचमेंट" (catchment) और बंद जलसंभर को "एनडोरहेइक बेसिन" (endorheic basin) कहा जाता है। तारिम द्रोणी का अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तानी है और हलकी आबादी वाला है। यहाँ ज़्यादातर लोग उइग़ुर और अन्य तुर्की जातियों के हैं। इस क्षेत्र का उत्तर भारत और पाकिस्तान के साथ गहरा ऐतिहासिक और आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक) सम्बन्ध है। यहाँ पर पाई गई लगभग सारी प्राचीन लिखाई खरोष्ठी लिपि में है, बोले जाने वाली प्राचीन भाषाएँ तुषारी भाषाएँ थीं जो भाषावैज्ञानिक दृष्टि से हिन्द-आर्य भाषाओं की बहनें मानी जाती हैं और जितने भी प्राचीन शव मिले हैं उनमें हर पुरुष का आनुवंशिकी पितृवंश समूह आर१ए१ए है जो उत्तर भारत के ३०-५०% पुरुषों में भी पाया जाता है, लेकिन पूर्वी एशिया की चीनी, जापानी और कोरियाई आबादियों में और पश्चिमी एशिया की अरब आबादियों में लगभग अनुपस्थित है। .

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तारिम नदी

तारिम नदी के जलसम्भर क्षेत्र का नक़्शा तारिम नदी (उईग़ुर:, तारिम दरियासी; चीनी: 塔里木河, तालीमु हे; अंग्रेजी: Tarim River) चीन के शिंजियांग प्रांत की मुख्य नदी है। इसी नदी के नाम पर महान तारिम द्रोणी का नाम पड़ा है, जो मध्य एशिया में कुनलुन पर्वतों और तियान शान पर्वतों के बीच और तिब्बत के पठार से उत्तर में स्थित है। १,३२१ किलोमीटर लम्बा यह दरिया चीन की सबसे लम्बी नदी है जो समुद्र में नहीं बहती, यानि जो एक बन्द जलसम्भर वाली नदी है।, Yue-man Yeung, Jianfa Shen, Chinese University Press, 2004, ISBN 978-962-996-157-2,...

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ताशक़ुरग़ान​

ताशक़ुरग़ान​ (सरिकोली:, तॉशक़ुरग़ॉन​; उइग़ुर:, ताशक़ूरग़ान बाज़िरी; चीनी: 塔什库尔干镇, ताशिकु'एरगन; अंग्रेज़ी: Tashkurgan) मध्य एशिया में चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रान्त के ताशक़ुरग़ान​ ताजिक स्वशासित ज़िले की राजधानी है। पाकिस्तान से पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र से आने वाले काराकोरम राजमार्ग पर यह पहला महत्वपूर्ण चीनी पड़ाव है। इस राजमार्ग पर सरहद पर स्थित ख़ुंजराब दर्रे की चीनी तरफ़ ताशक़ुरग़ान​ है और पाकिस्तानी तरफ़ सोस्त है।, Andrew Burke, pp.

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ताजिक लोग

अफ़्ग़ान सांसद नीलोफ़र इब्राहिमी एक ताजिक हैं ताजिकिस्तान का एक परिवार ईद-उल-फ़ित्र की ख़ुशियाँ मनाते हुए ताजिक (ताजिक: Тоҷик, फ़ारसी:, तॉजिक) मध्य एशिया (विशेषकर ताजिकिस्तान, अफ़्ग़ानिस्तान, उज़बेकिस्तान और पश्चिमी चीन) में रहने वाले फ़ारसी-भाषियों के समुदायों को कहा जाता है। बहुत से अफ़्ग़ानिस्तान से आये ताजिक शरणार्थी ईरान और पाकिस्तान में भी रहते हैं। अपनी संस्कृति और भाषा के मामले में ताजिक लोगों का ईरान के लोगों से गहरा सम्बन्ध रहा है।, Olivier Roy, I.B.Tauris, 2000, ISBN 978-1-86064-278-4 चीन के ताजिक लोग अन्य ताजिक लोगों से ज़रा भिन्न होते हैं क्योंकि वे पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलते हैं जबकि अन्य ताजिक फ़ारसी बोलते हैं।, New World Press, 1989, ISBN 978-7-80005-078-7,...

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तियाँ शान

सूर्यास्त के वक़्त ख़ान तेन्ग्री की चोटी तियान शान (अंग्रेज़ी: Tian Shan या Tien Shan; मंगोल: Тэнгэр уул, तेंगेर उउल; उइग़ुर:, तेन्ग्री ताग़; चीनी: 天山, तियान शान) मध्य एशिया का एक पहाड़ी सिलसिला है। .

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तुरफ़ान

१४४ फ़ुट ऊंची एमीन मीनार अंगूर की लताओं से ढकी चलने की एक सड़क तुरफ़ान (अंग्रेज़ी: Turfan) या तुरपान (उईग़ुर:, अंग्रेज़ी: Turpan, चीनी: 吐魯番) चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग प्रान्त के तुरफ़ान विभाग में स्थित एक ज़िले-स्तर का शहर है जो मध्य एशिया की प्रसिद्ध तुरफ़ान द्रोणी में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) भी है। सन् २००३ में इसकी आबादी २,५४,९०० गिनी गई थी। यह शहर उत्तरी रेशम मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव हुआ करता था।, Julie Hill, AuthorHouse, 2006, ISBN 978-1-4259-7280-6,...

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तुरफ़ान द्रोणी

अंतरिक्ष से तुरफ़ान द्रोणी बोगदा पर्वत शृंखला के चरणों में दिखती है तुरफ़ान द्रोणी (अंग्रेज़ी: Turfan Depression) या तुरपान द्रोणी (उईग़ुर:, तुरपान ओयमानलीक़ी; अंग्रेज़ी: Turpan Depression) चीन द्वारा नियंत्रित मध्य एशिया के शिनजियांग क्षेत्र में स्थित ज़मीन में एक भ्रंश (फ़ॉल्ट​) के कारण बनी एक द्रोणी है। मृत सागर और जिबूती की असल झील के बाद तुरफ़ान द्रोणी में स्थित अयदिंग​ झील (Lake Ayding) पृथ्वी का तीसरा सब से निचला ज़मीनी क्षेत्र है।, www.nasa.gov, Accessed 2009-10-09 यह सूखी झील समुद्र ताल से १५४ मीटर नीचे स्थित है (यानि इसकी ऊँचाई -१५४ मीटर है)। कुछ मापों के हिसाब से यह चीन का सबसे गरम और शुष्क इलाक़ा भी है।, Shanghai Daily तुरफ़ान द्रोणी तुरफ़ान शहर के इर्द-गिर्द और उस से दक्षिण में विस्तृत है। .

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तुर्की भाषा परिवार

विश्व के देश (गाढ़े नीले रंग में) और प्रदेश (हलके नीले रंग में) जहाँ तुर्की भाषाओँ को सरकारी मान्यता प्राप्त है सन् 735 के लगभग तराशे गए एक ओरख़ोन शिलालेख का हिस्सा यूरेशिया में तुर्की भाषाओँ का फैलाव तुर्की भाषाएँ पैंतीस से भी अधिक भाषाओँ का एक भाषा-परिवार है। तुर्की भाषाएँ पूर्वी यूरोप और भूमध्य सागर से लेकर साईबेरिया और पश्चिमी चीन तक बोली जाती हैं। कुछ भाषावैज्ञानिक इन्हें अल्ताई भाषा परिवार की एक शाखा मानते हैं। विश्व में लगभग 16.5 से 18 करोड़ लोग तुर्की भाषाएँ अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं और अगर सभी तुर्की भाषाओँ को बोल सकने वालों की गणना की जाए तो क़रीब 25 करोड़ लोग इन्हें बोल सकते हैं। सब से अधिक बोली जाने वाली तुर्की भाषा का नाम भी तुर्की है, हालाँकि कभी-कभी इसे अनातोल्वी भी कहा जाता है (क्योंकि यह अनातोलिया में बोली जाती है)। .

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तुंगुसी भाषा-परिवार

उत्तर-पूर्वी एशिया में तुंगुसी भाषाओं का विस्तार एवेंकी भाषा में कुछ लिखाई, जो साइबेरिया में बोली जाने वाली एक तुंगुसी भाषा है मांचु भाषा में, जो एक तुंगुसी भाषा है तुंगुसी भाषाएँ (अंग्रेज़ी: Tungusic languages, तुन्गुसिक लैग्वेजिज़) या मांचु-तुंगुसी भाषाएँ पूर्वी साइबेरिया और मंचूरिया में बोली जाने वाली भाषाओं का एक भाषा-परिवार है। इन भाषाओं को मातृभाषा के रूप में बोलने वालुए समुदायों को तुंगुसी लोग कहा जाता है। बहुत सी तुंगुसी बोलियाँ हमेशा के लिए विलुप्त होने के ख़तरे में हैं और भाषावैज्ञानिकों को डर है कि आने वाले समय में कहीं यह भाषा-परिवार पूरा या अधिकाँश रूप में ख़त्म ही न हो जाए। बहुत से विद्वानों के अनुसार तुंगुसी भाषाएँ अल्ताई भाषा-परिवार की एक उपशाखा है। ध्यान दीजिये कि मंगोल भाषाएँ और तुर्की भाषाएँ भी इस परिवार कि उपशाखाएँ मानी जाती हैं इसलिए, अगर यह सच है, तो तुंगुसी भाषाओँ का तुर्की, उज़बेक, उइग़ुर और मंगोल जैसी भाषाओं के साथ गहरा सम्बन्ध है और यह सभी किसी एक ही आदिम अल्ताई भाषा की संतानें हैं।, Martine Irma Robbeets, Otto Harrassowitz Verlag, 2005, ISBN 978-3-447-05247-4 तुंगुसी भाषाएँ बोलने वाली समुदायों को सामूहिक रूप से तुंगुसी लोग कहा जाता है। .

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पुरानी तुर्की भाषा

पुरानी तुर्की भाषा में लिखे बिलगे ख़ागान के शिलालेखों की एक नक़ल जो तुर्की के ग़ाज़ी विश्वविद्यालय में रखी है पुरानी तुर्की भाषा (Old Turkic), जिसे ओरख़ोन तुर्की (Orkhon Turkic) और पुरानी उईग़ुर (Old Uyghur) भी कहते हैं, तुर्की भाषाओँ का सबसे पुराना प्रमाणित रूप है। यह ७वीं से १३वीं सदी ईसवी के गोएकतुर्क (Göktürk) और उईग़ुर लिखाइयों में मिलता है। यह तुर्की भाषाओँ में दक्षिणपूर्वी शाखा की सदस्य मानी जाती है जिसकी आधुनिक सदस्य उईग़ुर भाषा और चग़ताई भाषा हैं। यह बहुत सी लिपियों में लिखी जाती थी, जैसे की रूनी लिपि से देखने में मिलने वाली पुरानी तुर्की लिपि, भारत से उत्पन्न हुई ब्राह्मी लिपि, सोग़्दा से मिली एक लिपि से विकसित हुई प्राचीन उईग़ुर लिपि, इत्यादि।, Lars Johanson, Taylor & Francis, 1998, ISBN 978-0-415-08200-6,...

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पूर्व तुर्किस्तान

पूर्वी तुर्किस्तान (उइग़ुर:, शर्क़ी तुर्किस्तान; अंग्रेज़ी: East Turkestan) मध्य एशिया का एक ऐतिहासिक इलाक़ा है जिसमें तारिम द्रोणी और उइग़ुर लोगों की पारम्परिक मातृभूमि के अन्य क्षेत्र सम्मिलित हैं।, G. Patrick March, pp.

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बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग

बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग (उईग़ुर:, अंग्रेजी: Bayingolin Mongol Autonomous Prefecture) जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रांत का एक प्रशासनिक विभाग है। क्षेत्रफल के हिसाब से यह चीन का सबसे बड़ा और यूरोप के फ़्रान्स देश से भी बड़ा है। इसकी प्रशासनिक राजधानी कोरला है। मंगोल भाषा में 'बायिनग़ोलिन' का मतलब 'समृद्ध नदी' होता है। .

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बाईचेंग ज़िला

चीन के शिंजियांग प्रांत के आक़्सू विभाग (पीला रंग) के अन्दर स्थित बईचेंग ज़िला (गुलाबी रंग) बाईचेंग ज़िला (चीनी: 拜城县, अंग्रेज़ी: Baicheng County) या बाई ज़िला (उइग़ुर) जनवादी गणतंत्र चीन के शिंजियांग राज्य के आक़्सू विभाग का एक ज़िला है। इसका क्षेत्रफल १५,८८९ वर्ग किमी है और सन् २००२ की जनगणना में इसकी आबादी लगभग २ लाख थी। यह ज़िला आक्सू विभाग के उत्तरी क्षेत्र में मुज़ात नदी की घाटी में तियाँ शान पर्वतों से बिलकुल दक्षिण में स्थित है। .

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बोस्तेन झील

बोस्तेन झील (चीनी: 博斯騰湖, बोसितेंग हू, Bosten Lake) या बाग़राश झील (उईग़ुर:, बाग़राश कोली, Baghrash Lake) मध्य एशिया में जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग में स्थित मीठे पानी की एक झील है। यह तारिम द्रोणी के पूर्वोत्तरी छोर पर स्थित है और शिंजियांग प्रान्त की सबसे बड़ी झील है। बोस्तेन झील काराशहर (यान्ची) से २० किमी पूर्व में और बायिनग़ोलिन विभाग की प्रशासनिक राजधानी कोरला से ५७ किमी पूर्वोत्तर में स्थित है। काइदू नदी इस झील में पानी लाती है और झील में पहुँचने वाला ८३% जल इसी एक नदी से आता है। झील में बहुत-सी मछलियाँ रहती है और कुछ स्थानीय निवासी उन्हें व्यावसायिक रूप से पकड़ते हैं। .

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बोगदा पर्वत शृंखला

बोगदा पर्वतों के उत्तरी भाग में तिआनची झील (अर्थ:स्वर्ग झील) बोगदा पर्वत शृंखला (मंगोल: Богд уул, बोग्द ऊल; चीनी: 博格达山, बोगेदा शान; अंग्रेज़ी: Bogda Mountains) तियान शान पर्वत शृंखला की एक पूर्वी शाखा है जो जनवादी गणराज्य चीन की वर्तमान शिनजियांग प्रान्त में उरुम्ची शहर से ६० किमी पूर्व में स्थित है। इसका सबसे ऊँचा पहाड़ ५४४५ मीटर ऊँचा 'बोगदा पर्वत' (चीनी में 'बोगेदा फ़न्ग', मंगोल में 'बोग्द ऊल') है। यह शृंखला शिनजियांग प्रान्त के दाबानचंग रायोन (उईग़ुर:, अंग्रेज़ी: Dabancheng District) और जिम्सार ज़िले (Jimsar County) की सरहद पर खड़ी है और दोनों तरफ़ इन्ही पहाड़ियों के नदी-झरने कृषि के लिए पानी प्रदान करते हैं। शृंखला की उत्तरी तरफ़ तियानची (Tianchi, अर्थ: स्वर्ग झील) नामक एक सुन्दर झील है।, Michael R. Kelsey, Kelsey Pub., 1990, ISBN 978-0-944510-02-5,...

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महमूद काश्गरी

महमूद काश्गरी (उईग़ुर:, अंग्रेज़ी: Mahmud al-Kashgari) ११वीं सदी ईसवी के काल में तुर्की भाषाओँ के एक विद्वान और कोशकर्मी (शब्दकोष निर्माता) थे। वे मध्य एशिया के काश्गर शहर के निवासी थे। उन्होंने १०७४ ईसवी में तुर्की भाषाओँ का पहला सम्पूर्ण शब्दकोश तैयार किया, जिसका नाम 'दीवान-उ-लुग़ात​-उत-तुर्क' था।, Misbah Islam, pp.

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मंगोल लिपि

मंगोल लिपि में गुयुक ख़ान का सन् १२४६ का राजचिह्न इस सिक्के पर मंगोल लिपि में लिखा है कि यह 'रिन्छिन्दोर्जी ग​एख़ातू ने ख़ागान के नाम पर ज़र्ब किया' मंगोल लिपि (मंगोल: ᠮᠣᠩᠭᠣᠯ ᠪᠢᠴᠢᠭ᠌, सिरिलिक लिपि: Монгол бичиг, मोंगयोल बिचिग), जिसे उईग़ुरजिन भी कहते हैं, मंगोल भाषा को लिखने की सर्वप्रथम लिपि और वर्णमाला थी। यह उईग़ुर भाषा के लिए प्रयोग होने वाली प्राचीन लिपि को लेकर विकसित की गई थी और बहुत अरसे तक मंगोल भाषा लिखने के लिए सब से महत्वपूर्ण लिपि का दर्जा रखती थी।, Urgunge Onon, Brill Archive, 1990, ISBN 978-90-04-09236-5,...

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मुज़ताग़ अता

काराकोरम राजमार्ग से मुज़ताग़ अता का नज़ारा इस नक़्शे में मुज़ताग़ अता संख्यांक ४३ है (बाएँ, ऊपर की तरफ़​) मुज़ताग़ अता या मुज़ताग़ाता (उइग़ुर:, अंग्रेज़ी: Muztagh Ata) तिब्बत के पठार के उत्तरी छोर की पहाड़ियों का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। इसकी ऊँचाई ७,५४६ मीटर है और उइग़ुर भाषा में इसके नाम 'मुज़' (बर्फ़), 'ताग़' (पर्वत) और 'अता' (पिता) जोड़कर बना है, यानि इसका पूरा मतलब 'पिता बर्फ़-पर्वत' है। मुज़ताग़ अता को कभी-कभी कुनलुन शान पर्वत-शृंखला का हिस्सा माना जाता है हालांकि भौगोलिक दृष्टि से यह पामीर पर्वतों के ज़्यादा समीप है। अपनी पश्चिमी मुख की आसान ढलान और शिनजियांग के शुष्क वातावरण की वजह से यह विश्व के ७,००० मीटर से ऊँचे पहाड़ों में चढ़ने में सबसे आसान वालों में से एक माना जाता है। यह कोंगुर ताग़ से ज़रा दक्षिण में है, जो कुनलुन शान का सबसे ऊँचा पहाड़ है।, Gyurme Dorje, Footprint Travel Guides, 1999, ISBN 978-1-900949-33-0,...

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मुज़ार्त नदी

तारिम नदी के जलसम्भर क्षेत्र के इस नक़्शे में मुज़ार्त / मुज़ात नदी का मार्ग भी देखा जा सकता है मुज़ार्त नदी (उईग़ुर:, मुज़ार्त दरियासी; अंग्रेज़ी: Muzart River; चीनी: 木扎尔特河), जिसे कभी-कभी मुज़ात नदी भी कहते हैं, जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के आक़्सू विभाग में बहने वाली एक नदी का नाम है। यह तारिम नदी की एक उपनदी है और उसमें बाई तरफ़ से विलय होती है। २०वीं सदी की शुरुआत के कुछ स्रोतों में इसका नाम शाह यार दरिया भी मिलता है। .

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यारकन्द नदी

तारिम नदी के जलसम्भर क्षेत्र का नक़्शा जिसमें यारकन्द नदी नज़र आ रही है यारकन्द नदी (उईग़ुर:, चीनी: 叶尔羌河, अंग्रेजी: Yarkand River) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत में बहने वाली एक नदी है। यह शिनजियांग के काश्गर विभाग में काराकोरम पहाड़ों में उत्पन्न होती है। कुछ दूरी में इसमें शक्सगाम नदी (जिसे केलेचिन नदी और मुज़ताग़ नदी के नामों से भी जाना जाता है) आकर विलय करती है। यहाँ के स्थानीय किरगिज़ लोग इस इलाक़े की यारकन्द नदी को रस्काम नदी के नाम से जानते हैं। आगे चलकर यह नदी तारिम नदी में विलय हो जाती है। अपनी शुरुआत से तारिम नदी में विलय तक यारकन्द नदी लगभग ९७० किमी (६०० मील) लम्बी है।, Jun Ma, EastBridge, 2004, ISBN 978-1-891936-27-2,...

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यारकन्द ज़िला

चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग (पीला रंग) के अन्दर स्थित यारकन्द ज़िला (गुलाबी रंग) यारकन्द शहर में एक सड़क यारकन्द ज़िला (उइग़ुर:, चीनी: 莎车县, अंग्रेज़ी: Yarkand) चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग में स्थित एक ज़िला है। इसका क्षेत्रफल ८,९६९ वर्ग किमी है और सन् २००३ की जनगणना में इसकी आबादी ३,७३,४९२ अनुमानित की गई थी। इसकी राजधानी यारकंद नाम का ही एक ऐतिहासिक शहर है जिसका भारतीय उपमहाद्वीप के साथ गहरा सांस्कृतिक और व्यापारिक सम्बन्ध रहा है। यारकन्द तारिम द्रोणी और टकलामकान रेगिस्तान के दक्षिणी छोर पर स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) क्षेत्र है जो अपना जल कुनलुन पर्वतों से उत्तर की ओर उतरने वाली यारकन्द नदी से प्राप्त करता है। इसके मरूद्यान (ओएसिस) का क्षेत्रफल लगभग ३,२१० वर्ग किमी है लेकिन कभी इस से ज़्यादा हुआ करता था। तीसरी सदी ईस्वी में यहाँ रेगिस्तान के फैलने से यह उपजाऊ इलाक़ा थोड़ा घट गया। यारकन्द में अधिकतर उइग़ुर लोग बसते हैं। यहाँ कपास, गेंहू, मक्की, अनार, ख़ुबानी, अख़रोट और नाशपाती उगाए जाते हैं। इस ज़िले के ऊँचे इलाक़ों में याक और भेड़ पाले जाते हैं। यहाँ की धरती के नीचे बहुत से मूल्यवान खनिज मौजूद हैं, जैसे की पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, सोना, ताम्बा, सीसा और कोयला। .

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योरुंगकाश नदी

योरुंगकाश नदी चीन के शिंजियांग प्रांत की कुनलुन पहाड़ी क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली एक नदी का नाम है। यह २०० किमी तक पूर्व की ओर बहती है और फिर २०० किमी उत्तर की तरफ, जिसके बाद यह प्रसिद्ध ख़ोतान नगर से उत्तर में निकलती है। इसके बाद यह टकलामकान रेगिस्तान में काराकाश नदी के साथ मिलकर फिर रेगिस्तानी रेतों में सूख जाती है, हालाँकि किसी-किसी मौसम में इसको पार करके इसका कुछ पानी तारिम नदी में जाकर विलय हो जाता है। इसके पूरे जलसम्भर का क्षेत्रफल लगभग १४,५७५ वर्ग किमी है। योरुंगकाश और काराकाश नदियाँ ख़ोतान शहर के लिए मुख्य पानी का स्रोत हैं।, Sir Aurel Stein, Archaeological Survey of India, Clarendon Press, 1907,...

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शायदुल्ला

शायदुल्ला या शाहीदुल्लाह (उइग़ुर:; अंग्रेज़ी: Xaidulla या Shahidulla) काराकाश नदी के किनारे स्थित एक स्थान है। यहाँ भारत के लद्दाख़ क्षेत्र से काराकोरम दर्रा पार करके पूर्व तुर्किस्तान में तारिम द्रोणी के शहरों को आने वाले व्यापारिक कारवान ठहरकर खेमे लगाया करते थे। वर्तमान काल में राजनैतिक दृष्टि से यह जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग राज्य के दक्षिणपश्चिमी भाग में पड़ता है और काश्गर से तिब्बत जाने वाली सड़क के किनारे स्थित है। यह मज़ार नामक बस्ती से २५ किमी पूर्व, बाज़ार दारा से १३९ किमी पश्चिम और काराकोरम दर्रे से ११० किमी उत्तर में है।, P. L. Bhola, R.B.S.A. Publishers, 1986,...

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शिंजियांग

चीन का नक़्शा, शिंजियांग गहरे लाल रंग में शिन्जियांग में काराकोरम राजमार्ग के नज़दीक का दृश्य तियांची सरोवर बुरचिन ज़िले में एक नदी शिंजियांग (उइग़ुर:, अंग्रेज़ी: Xinjiang, चीनी: 新疆) जनवादी गणराज्य चीन का एक स्वायत्तशासी क्षेत्र है। ये एक रेगिस्तानी और शुष्क इलाक़ा है इसलिए इस की आबादी बहुत कम है। शिंजियांग की सरहदें दक्षिण में तिब्बत और भारत, दक्षिण-पूर्व में चिंग हई और गांसू, पूर्व में मंगोलिया, उत्तर में रूस और पश्चिम में क़ाज़क़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से मिलती हैं। भारत का अक्साई चिन का इलाका भी, जिसपर चीन का क़ब्ज़ा है, प्रशासनिक रूप से शिंजियांग में शामिल है।, S. Frederick Starr, M.E. Sharpe, 2004, ISBN 978-0-7656-1318-9 शिंजियांग की राजधानी उरुमची नाम का शहर है, जबकि इसका सबसे बड़ा नगर काश्गर है। .

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श्याओ'अरजिंग

श्याओ'अरजिंग लिखाई में चीनी भाषा में मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा का प्रथम अनुच्छेद एक शब्दकोश का अंश जिसमें ऊपर चीनी भाषा में, बीच की पंक्ति में अरबी में और सबसे नीचे श्याओ'अरजिंग लिखाई में चीनी भाषा में शब्द श्याओ'अरजिंग या श्याओजिंग (रोमन: Xiao'erjing; चीनी: 本经, अर्थ: 'बच्चों की लिखाई' या 'कमतर लिखाई') उस लिखावट को कहा जाता है जहाँ चीनी भाषा को अरबी लिपि के प्रयोग से लिखा जाए।, Howard Yuen Fung Choy, BRILL, 2008, ISBN 978-90-04-16704-9 यह चीन के उन मुस्लिम समुदायों द्वारा इस्तेमाल होती है जो चीनी या उस से मिलती भाषाएँ अपनी मातृभाषा के रूप में प्रयोग करते हैं। इनमें पूर्वी और मध्य चीन के हुई लोग प्रमुख हैं, लेकिन पश्चिम चीन के शिनजियांग प्रान्त के दोंगशियांग लोग और चिंग हई और गांसू प्रान्तों के सालार लोग भी हैं। उर्दू, फ़ारसी और अरबी की तरह श्याओ'अरजिंग भी दाएँ से बाएँ लिखी जाती है, लेकिन उन भाषाओँ में जो मात्राओं को न लिखने की प्रथा है (जिसमें पाठक से सन्दर्भ देखकर मात्रा समझ जाने की उपेक्षा की जाती है) वह श्याओ'अरजिंग में नहीं है। उइग़ुर भाषा की तरह श्याओ'अरजिंग में भी इन मात्राओं को लिखने का कड़ा नियम है। संभव है कि चीनी में स्वरों के भारी महत्व की वजह से यह रिवायत शुरू हुई हो। .

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सुम्गल

अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में लद्दाख़ का सुम्गल बस्ती, ख़ोतान क्षेत्र की पूषा बस्ती और उन्हें जोड़ता हुआ हिन्दूताश दर्रा (लाल रंग में) देखा जा सकता है सन् १९११ में बनाए भारतीय भौगोलिक निरीक्षण में ओरल स्टाइन द्वारा बनाये गए इस नक़्शे में सुम्गल और हिन्दूताश दवान देखे जा सकते हैं सुम्गल लद्दाख़ के अक्साई चीन क्षेत्र में काराकाश नदी की वादी में स्थित एक उजड़ी हुई बस्ती है। यह उस क्षेत्र में पड़ता है जिसे भारत अपना अंग मानता है लेकिन जिसपर चीन का क़ब्ज़ा है। चीन ने इसे शिनजियांग प्रान्त का हिस्सा घोषित कर दिया है। लद्दाख़ क्षेत्र के सुम्गल से लगभग उत्तर में हिन्दूताश दर्रा है जिस से कुनलुन पर्वत शृंखला पार करके ऐतिहासिक ख़ोतान क्षेत्र पहुँचा जा सकता है, इसलिए सुम्गल भारत की मुख्यभूमि को ख़ोतान राज्य से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण मार्ग पर एक अहम पड़ाव हुआ करता था। .

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स्वर सहयोग

भाषाशास्त्र में स्वर सहयोग कुछ भाषाओं में देखे जाने वाले ऐसे नियमों को कहते हैं जो यह फ़ैसला करते हैं के कौन से स्वर एक​-दूसरे के पास पाए जा सकते हैं और कौन से नहीं। उदाहरण के लिए तुर्की भाषा में स्वरों को आगे के स्वर और पीछे के स्वरों में बाँटा जाता है और एक शब्द में केवल आगे के या पीछे के स्वर हो सकते है। इन्हें एक ही शब्द में मिलाए जाने पर पाबंदी है। "तुर्की (देश) में" को तुर्की भाषा में "तुऍर्कीये दे" (Türkiye'de) कहेंगे, लेकिन "जर्मनी में" को "अल्मान्या दा" (Almanya'da) कहना होगा, क्योंकि ई (i) और उऍ (ü) के स्वर आगे के हैं और इन्हें 'आ' (a) के साथ मिलाना वर्जित है क्योंकि वह एक पीछे का स्वर है। तुर्की भाषा के अलावा स्वर सहयोग तुर्की भाषा परिवार की क​ई भाषाओं में देखा जाता है, जैसे कि काज़ाख़, किर्ग़िज़ और उईग़ुर में। भारतीय भाषाओं में यह कुछ हद तक तेलुगु और तिब्बती में देखा जाता है। इनके अतिरिक्त यह हंगेरियाई, फ़िनी (फ़िनिश), मोंगोलियाई और कोरियाई में मिलता है। जापानी भाषा के बारे में विद्वानों मे मतभेद है, क्योंकि इसके पुराने ग्रन्थों को देखकर स्वर सहयोग के कुछ चिन्ह तो मिलते हैं लेकिन वे स्पष्ट नहीं हैं। .

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हिन्दूताश दर्रा

अंतरिक्ष से ली गई इस तस्वीर में कंगशेवार​ बस्ती को पूषा बस्ती से जोड़ता हुआ हिन्दूताश दर्रा दर्शाया गया है सन् १८७३ के इस नक्शे में हिन्दूताग़ दर्रा दिखाया गया है हिन्दूताश दर्रा (अंग्रेजी: Hindutash Pass) या हिन्दूताग़​ दर्रा मध्य एशिया में चीन द्वारा नियंत्रित शिनजियांग क्षेत्र में स्थित कुनलुन पर्वतों का एक ऐतिहासिक पहाड़ी दर्रा है। यह काराकाश नदी की घाटी में स्थित कंगशेवार​ नामक एक उजड़ी हुई बस्ती को योरुंगकाश नदी की घाटी में स्थित पूषा नामक शहर से जोड़ता है और आगे चलकर यही सड़क महत्वपूर्ण ख़ोतान तक जाती है।, Sir Aurel Stein, Archaeological Survey of India, B. Blom, 1968,...

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हिस्पर मुज़ताग़

हिस्पर मुज़ताग़ (Hispar Muztagh) काराकोरम पर्वत शृंखला की एक उपशृंखला है। यह पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान खंड के गोजल क्षेत्र में स्थित है। इसके उत्तर में शिमशाल घाटी, दक्षिण में हिस्पर हिमानी (ग्लेशियर) और पश्चिम में हुन्ज़ा घाटी है। बाल्तोरो मुज़ताग़ के बाद यह काराकोरम पर्वतों की दूसरी सबसे ऊँची शृंखला है। हिस्पर मुज़ताग़ का सबसे लम्बा पहाड़ ७,८८५ मीटर (२५,८६९ फ़ुट) ऊँचा 'दिस्तग़िल सर' नामक पर्वत है। उइग़ुर भाषा में 'मुज़' (बर्फ़) और 'ताग़' (पर्वत) जोड़कर बने शब्द का अर्थ बर्फ़ीला-पर्वत होता है। .

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जेन्गिश चोकुसु

जेन्गिश चोकुसु जेन्गिश चोकुसु (Jengish Chokusu; किरगिज़: Жеңиш чокусу, झ़ेन्गिश चोकुसु; रूसी: Пик победы, पीक पोबेदी; उइग़ुर: तोमुर) तियान शान पर्वत शृंखला का सबसे ऊँचा पर्वत है। यह मध्य एशिया में किर्गिज़स्तान और चीन कि सीमा पर इसिक कुल झील से दक्षिण में स्थित है। इसके शिखर की ऊँचाई ७,४३९ मीटर (२४,४०६ फ़ुट) है। हर भाषा में इसके नाम का अर्थ 'विजय शिखर' है और इसलिए इसे कभी-कभी अंग्रेज़ी में भी 'विक्ट्री पीक' (Victory Peak) कहा जाता है।, Laurence Mitchell, Bradt Travel Guides, 2008, ISBN 978-1-84162-221-7,...

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ईदगाह मस्जिद, काशगर

काश्गर की ईदगाह मस्जिद ईदगाह मस्जिद (उइग़ुर:, हेतगाह मॅसचिती; अंग्रेज़ी: Id Kah Mosque, ईद काह मॉस्क) पश्चिमी जनवादी गणतंत्र चीन के शिन्जियांग प्रान्त के काश्गर शहर में स्थित एक मस्जिद है। यह चीन की सबसे बड़ी मस्जिद है, जिसमें १०,००० से २०,००० नमाज़ी समा सकते हैं। रमज़ान के दौरान यहाँ कभी-कभी १ लाख लोगों तक का जमावड़ा हो जाता है। इसका निर्माण सन् १४४२ (अनुमानित) में शक़सिज़ मिर्ज़ा ने करवाया, जो उस समय काश्गर के शासक थे।, Eugene Law, China Intercontinental Press, 2004, ISBN 978-7-5085-0429-2 यहाँ पहले से सन् ९९६ से बने हुए कुछ हिस्से थे जिन्हें मस्जिद में शामिल कर लिया गया। .

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ख़ितानी भाषा

कोरिया से मिला एक आइना जिसमें छोटी ख़ितानी लिपि में लिखावट है सन ९८६ की ऐक शिला जिसमें बड़ी ख़ितानी लिपि में लिखावट है ख़ितानी भाषा मध्य एशिया में बोले जाने वाली एक विलुप्त भाषा थी जिसे ख़ितानी लोग बोला करते थे। यह भाषा सन् ३८८ से सन् १२४३ तक ख़ितानी राज्य व्यवस्था के लिए प्रयोगित थी। भाषा-परिवार के नज़रिए से इसे मंगोल भाषा-परिवार का सदस्य माना जाता है, हालांकि जब यह बोली जाति थी तब आधुनिक मंगोल भाषा अस्तित्व में नहीं थी। यह भाषा पहले ख़ितानियों के लियाओ राजवंश और फिर कारा-ख़ितान की राजभाषा रही। किसी ज़माने में कुछ भाषावैज्ञानिक समझते थे कि इसका मंगोल भाषा होने कि बजाए एक तुन्गुसी भाषा होना अधिक संभव है, लेकिन वर्तमान युग में लगभग सभी विद्वान इस एक मंगोल भाषा मानते हैं। क्योंकि यह भाषा काफ़ी अरसे तक उईग़ुर जैसी तुर्की भाषाओँ के संपर्क में रही, इसलिए इनमें शब्दों का आपसी आदान-प्रदान होता रहा। .

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ख़ोतान

ख़ोतान मस्जिद के सामने का नज़ारा ख़ोतान या होतान (उईग़ुर:, ख़ोतेन; चीनी: 和田, हेतियान; अंग्रेजी: Hotan या Khotan) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित एक शहर है जो ख़ोतान विभाग की राजधानी भी है। इसकी आबादी सन् २००६ में १,१४,००० अनुमानित की गई थी। ख़ोतान तारिम द्रोणी में कुनलुन पर्वतों से ठीक उत्तर में स्थित है। कुनलुन शृंखला में ख़ोतान पहुँचने के लिए तीन प्रमुख पहाड़ी दर्रे हैं - संजु दर्रा, हिन्दु-ताग़ दर्रा और इल्ची दर्रा - जिनके ज़रिये ख़ोतान हज़ारों सालों से भारत के लद्दाख़ क्षेत्र से व्यापारिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध बनाए हुए था।, James Bell, A. Fullarton and co., 1831,...

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ख़ोतान विभाग

चीन के शिंजियांग प्रांत (नारंगी रंग) में स्थित ख़ोतान विभाग (लाल रंग) गूमा (पिशान) ज़िला (५) लोप ज़िला (६) चिरा ज़िला (७) केरीया ज़िला (८) निये (मिनफ़ेंग) ज़िला ख़ोतान विभाग या होतान विभाग (उईग़ुर:, ख़ोतेन विलायती; चीनी: 和田, हेतियान दीचू; अंग्रेजी: Hotan Prefecture, होटान प्रीफ़ॅक्चर) चीन के शिंजियांग प्रांत का एक प्रशासनिक विभाग है।, James A. Millward, Columbia University Press, 2007, ISBN 978-0-231-13924-3 ख़ोतान विभाग का कुल क्षेत्रफल २,४७,८०० लाख वर्ग किमी है (यानी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य से ज़रा बड़ा)। सन् २००३ की जनगणना में इस विभाग की आबादी १८.५ लाख अनुमानित की गई थी (यानी इन्दौर शहर की आबादी से ज़रा कम)। ख़ोतान विभाग की राजधानी ख़ोतान शहर है। इस विभाग का कुछ इलाक़ा भारत के अक्साई चिन क्षेत्र का भाग है, जो १९५० के दशक से चीन के क़ब्ज़े में है लेकिन जिसे भारत अपनी धरती का अंग मानता है।, Theodore Shabad, Taylor & Francis, 1972 .

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गांसू

गांसू (चीनी: 甘肃) उत्तर-पश्चिमी चीन में स्थित एक प्रान्त है। इसका नाम उईग़ुर भाषा के "कांग" (अर्थ: विस्तृत) और "सू" (अर्थ: पानी) शब्दों से उत्पन्न हुआ है। गांसू की राजधानी लानझू शहर है जो इस प्रांत के दक्षिणपूर्व में स्थित है। इस प्रांत की आबादी 2009 में 2.6 करोड़ थी (लगभग हरियाणा के बराबर) और इसका क्षेत्रफल लगभग 454,000 वर्ग किमी है (लगभग उत्तर प्रदेश का दुगना)। यहाँ पर हुई समुदाय के बहुत से लोग रहते हैं, जो नस्ल के तो चीनी हैं लेकिन इस्लाम के अनुयायी हैं। गांसू के दक्षिण-पश्चिमी भाग में बहुत से तिब्बती लोग भी रहते हैं। .

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गूमा ज़िला

गूमा ज़िला (अंग्रेज़ी: Guma County, उइग़ुर) या पीशान ज़िला (अंग्रेज़ी: Pishan County, चीनी: 皮山县) चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के काश्गर विभाग का एक ज़िला है। यह एक रेगिस्तानी इलाक़ा है जिसमें ५३ नख़लिस्तानी (ओएसिस) क्षेत्र गिने गए हैं।, Longjun Ci, pp.

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ओग़ुर भाषाएँ

सन् १८०० के लगभग छपी विश्व की पहली चुवाश भाषा की किताब - चुवाश दुनिया की इकलौती जीवित ओग़ुर भाषा है ओग़ुर​ भाषाएँ (Oghur languages), जिन्हें बुल्गार भाषाएँ (Bulgar languages) भी कहा जाता है, तुर्की भाषा परिवार की एक उपशाखा हैं। यह दक्षिण-पूर्वी यूरोप के वोल्गा बुल्गारिया (Volga Bulgaria) नामक राज्य में बोली जाती थी लेकिन आधुनिक काल में इस शाखा की केवल एक ही भाषा, चुवाश भाषा, जीवित है। ऐतिहासिक नज़रिए से बहुत से ख़ज़र लोग और यूरेशियाई आवार लोग जैसे समुदाय भी ओग़ुर​ भाषाएँ बोलते थे लेकिन यह समय के साथ विलुप्त हो गई।, Arienne M. Dwyer, pp.

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आक़्सू विभाग

चीन के शिंजियांग प्रांत (नारंगी रंग) में स्थित आक़्सू विभाग (लाल रंग) बाईचेंग (७) उचतुरपान (८) आवात (९) कालपिन आक़्सू विभाग (उईग़ुर:, आक़्सू विलायती; चीनी: 阿克苏地区, आकेसू दीचू; अंग्रेजी: Aksu Prefecture, आक्सू प्रीफ़ॅक्चर) चीन के शिंजियांग प्रांत का एक प्रशासनिक विभाग है। इस विभाग का कुल क्षेत्रफल १,३२,५०० वर्ग किमी है। सन् २००३ की जनगणना में इस विभाग की आबादी २१.९ लाख अनुमानित की गई थी। आक़्सू विभाग की राजधानी आक़्सू शहर है। .

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इली नदी

इली नदी का एक दृश्य बलख़श झील जलसम्भर क्षेत्र का नक़्शा जिसमें इली नदी और उसकी उपनदियाँ देखी जा सकती हैं इली नदी (कज़ाख़: Іле, इले; अंग्रेज़ी: Ili River) मध्य एशिया की एक नदी है जो चीन के शिनजियांग प्रांत के इली कज़ाख़ स्वशासित विभाग में तियान शान पहाड़ों से उत्पन्न होकर दक्षिणपूर्वी कज़ाख़स्तान के अलमाती प्रांत से गुज़रकर बलख़श झील के ख़ाली होती है। इसकी कुल लम्बाई १,४३९ किमी है जिसमें से ८१५ किमी कज़ाख़स्तान की भूमि में आता है। बलख़श झील से मिलते हुए इली नदी एक बड़ा नदीमुख (डेल्टा) क्षेत्र बनाती है जिसमें झीलें, दलदली ज़मीन और सरकंडों से भरपूर जलग्रस्त इलाक़े आते हैं। कुल मिलकर इली नदी का जलसम्भर क्षेत्र १,४०,००० वर्ग किमी है। इली नदी स्तेपी की तीन सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है - अन्य दो चुय नदी और तलास नदी हैं। .

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इसिक कुल

अंतरिक्ष से इसिक कुल झील किर्गिज़स्तान के नक़्शे में इसिक कुल (उत्तर-पूर्व में) इसिक कुल (किर्गिज़: Ысык-Көл, रूसी: Иссык-Куль, अंग्रेजी: Issyk Kul) पूर्वी किर्गिज़स्तान के उत्तर तियान शान पर्वतों में स्थित एक बंद जलसम्भर वाली झील है। यह विश्व की दसवीं सबसे बड़ी झील है और कैस्पियन सागर के बाद दुनिया की दूसरी सब से बड़ी खारी झील है। किर्गिज़ भाषा में इसके नाम का अर्थ 'गरम झील' है क्योंकि बर्फ़ से ढके पहाड़ों से घिरे होने के बावजूद भी इसका पानी बर्फ़ में नहीं जम जाता। इसिक कुल का पानी खारा होने के कारण ही यह कभी नहीं जमता (नमकीन पानी ज़्यादा मुश्किल से जमता है)।, Sally Pomme Clayton, Sophie Herxheimer, Frances Lincoln Ltd., 2010, ISBN 978-1-84507-278-0,...

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क़ारग़िलिक ज़िला

चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग (पीला रंग) के अन्दर स्थित क़ारग़िलिक ज़िला (गुलाबी रंग) क़ारग़िलिक ज़िला (उइग़ुर:, चीनी: 叶城县, अंग्रेज़ी: Kargilik) चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग में स्थित एक ज़िला है। इसका क्षेत्रफल २८,६०० वर्ग किमी है और सन् २००२ की जनगणना में इसकी आबादी ३,७०,००० अनुमानित की गई थी। तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग (चीन राष्ट्रीय राजमार्ग २१९) यहीं से शुरू होकर तिब्बत की ओर जाता है। .

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कारलूक लोग

६०० ईसवी के इस नक्शे में कारलूक क्षेत्र पश्चिमी गोएकतुर्क ख़ागानत के अधीन देखा जा सकता है कारलूक या क़ारलूक़ (पुरानी तुर्की: 7px 7px 7px 7px; अंग्रेजी: Karluk या Qarluq) एक ख़ानाबदोश तुर्की क़बीला था जो मध्य एशिया में अल्ताई पहाड़ों से पश्चिम में कारा-इरतिश और तरबगत​ई पर्वतों के क्षेत्र में बसा करता था। इन्हें चीनी लोग गेलोलू (葛邏祿, Gelolu) भी बुलाते थे। कारलूक समुदाय जातीयता के नज़रिए से उईग़ुर लोगों से सम्बंधित थे। तुर्की भाषाओं में एक कारलूक शाखा है, जिसका नाम इन्ही कारलूकों पर पड़ा और जिसमें उईग़ुर भाषा, उज़बेक भाषा और इली तुर्की भाषा शामिल हैं। .

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काराशहर

काराशहर (Karasahr, उईग़ुर) या यान्ची (Yanqi, चीनी: 焉耆), जिसे संस्कृत में अग्नि या अग्निदेश कहते थे, रेशम मार्ग पर स्थित एक प्राचीन शहर है। यह मध्य एशिया में जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त के बायिनग़ोलिन मंगोल स्वशासित विभाग के यान्ची हुई स्वशासित ज़िले में स्थित है। काराशहर काइदू नदी के किनारे बसा हुआ है। .

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काराकाश नदी

तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग से पश्चिमी कुनलुन पर्वतों में काराकाश नदी का नज़ारा काराकाश नदी भारत के अक्साई चिन क्षेत्र के कराकोरम पर्वतों में सुम्दे इलाक़े से उत्पन्न होकर चीन के शिंजियांग प्रांत की कुनलुन पहाड़ी क्षेत्र से गुज़रकर टकलामकान रेगिस्तान में जाने वाली एक नदी का नाम है। वर्तमान में अक्साई चिन पर चीन का क़ब्ज़ा है इसलिए वह इस पूरी नदी को अपना ही मानता है। इस नदी में हरे और सफ़ेद रंग के हरिताश्म (जेड) के मूल्यवान पत्थर मिलते हैं, जिस से इसका नाम भी पड़ा है। कुछ दूरी पर इसके साथ-साथ एक योरुंगकाश नाम की अन्य नदी भी चलती है। यह दोनों नदियाँ प्रसिद्ध ख़ोतान नगर के लिए मुख्य पानी का स्रोत हैं।, Sir Aurel Stein, Archaeological Survey of India, Clarendon Press, 1907,...

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काश्गर

ईद गाह मस्जिद, काशगर काश्गर, कशगार, काशगुर या काशी (उईगुर:, चीनी: 喀什, फारसी) मध्य एशिया में चीन के शिनजियांग प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग ३,५०,००० है। काश्गर शहर काश्गर विभाग का प्रशासनिक केंद्र है जिसका क्षेत्रफल १,६२,००० किमी² और जनसंख्या लगभग ३५ लाख है। काश्गर शहर का क्षेत्रफल १५ किमी² है और यह समुद्र तल से १,२८९.५ मीटर (४,२८२ फ़ुट) की औसत ऊँचाई पर स्थित है। यह शहर चीन के पश्चिमतम क्षेत्र में स्थित है और तरीम बेसिन और तकलामकान रेगिस्तान दोनों का भाग है, जिस वजह से इसकी जलवायु चरम शुष्क है।, S. Frederick Starr, M.E. Sharpe, 2004, ISBN 978-0-7656-1318-9 पुराकाल से ही काश्गर व्यापार तथा राजनीति का केंद्र रहा है और इसके भारत से गहरे सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यापारिक सम्बन्ध रहे हैं। भारत से शिनजियांग का व्यापार मार्ग लद्दाख़ के रस्ते से काश्गर जाया करता था।, Prakash Charan Prasad, Abhinav Publications, 1977, ISBN 978-81-7017-053-2 ऐतिहासिक रेशम मार्ग की एक शाखा भी, जिसके ज़रिये मध्य पूर्व, यूरोप और पूर्वी एशिया के बीच व्यापार चलता था, काश्गर से होकर जाती थी। काश्गर अमू दरिया वादी से खोकंद, समरकंद, अलमाटी, अक्सू, और खोतान मार्गो के बीच स्थित है। .

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काश्गर विभाग

चीन के शिंजियांग प्रांत (नारंगी रंग) में स्थित काश्गर विभाग (लाल रंग) क़ारग़िलिक (८) माकित (९) योपूरग़ा (१०) पेज़िवात (११) मारालबेख़ी (१२) ताश्कोरगान काश्गर विभाग (उईग़ुर:, क़ाश्क़ार विलायती; चीनी: 喀什地区, काशी दीचू; अंग्रेजी: Kashgar Prefecture, काश्गर प्रीफ़ॅक्चर) चीन के शिंजियांग प्रांत का एक प्रशासनिक विभाग है।, James A. Millward, Columbia University Press, 2007, ISBN 978-0-231-13924-3 इसका कुछ इलाक़ा भारत के अक्साई चिन क्षेत्र का भाग है, जो १९५० के दशक से चीन के क़ब्ज़े में है लेकिन जिसे भारत अपनी धरती का अंग मानता है।, Theodore Shabad, Taylor & Francis, 1972 काश्गर विभाग का कुल क्षेत्रफल १,१२,०५७ वर्ग किमी है (यानी भारत के बिहार राज्य से ज़रा बड़ा)। सन् २०१० की जनगणना में इस विभाग की आबादी ३९,७९,३६२ अनुमानित की गई थी (यानी पटना शहर की आबादी का केवल दो-तिहाई)। काश्गर विभाग की राजधानी काश्गर शहर है। .

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किज़िल गुफ़ाएँ

किज़िल गुफ़ाएँ (उईग़ुर:, अंग्रेज़ी: Kizil Caves) या क़िज़िल गुफ़ाएँ (Qizil Caves) जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रान्त में एक बौद्ध गुफ़ाओं का समूह है जहाँ प्राचीनकाल में तारिम द्रोणी में तुषारी लोगों और बौद्ध धर्म से सम्बन्धित चित्र, मूर्तियाँ, लिखाईयाँ व अन्य पुरातन चीज़ें मिली हैं। यह गुफ़ाएँ शिंजियांग प्रान्त के आक़्सू विभाग के बाईचेंग ज़िले में मुज़ात नदी के उत्तरी किनारे पर कूचा से ६५ किमी दूर स्थित हैं। यह इलाक़ा ऐतिहासिक रेशम मार्ग पर स्थित हुआ करता था और तीसरी से आठवी शताब्दी ईसवी के बीच विकसित हुआ। .

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कज़ाख़ भाषा

कज़ाख़स्तान में कज़ाख़ भाषा को बढ़ावा देने का सिरिलिक लिपि में एक विज्ञापन: '(एक) कज़ाख़ को (दूसरे) कज़ाख़ से कज़ाख़ (भाषा) में बात करने दो कज़ाख़ (Қазақ тілі,, क़ाज़ाक़ तिलि) भाषा मध्य एशिया में कज़ाख़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक तुर्की भाषा है। यह तुर्की भाषा-परिवार की पश्चिमी या किपचक शाखा की भाषा है और क़ाराक़ालपाक़ और नोगाई भाषाओँ से मिलती-जुलती है। २००९ की जनगणना के अनुसार इसे कज़ाख़स्तान में लगभग १ करोड़ लोग बोलते हैं और २००० में इसे कज़ाख़स्तान से बाहर बोलने वालों की संख्या ३० लाख अनुमानित की गई थी। कज़ाख़ को कज़ाख़स्तन में राष्ट्रभाषा होने का दर्जा हासिल है। कज़ाख़स्तान के अलावा इसे चीन, मंगोलिया, अफ़्ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युक्रेन, रूस और ईरान के कुछ समुदाय भी बोलते हैं। भौगोलिक दृष्टि से कज़ाख़ तियन शान पर्वतों से लेकर कैस्पियन सागर तक के विशाल क्षेत्र में बोली जाती है। .

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कोंगुर ताग़

कोंगुर ताग़ का नज़ारा कोंगुर ताग़ (उइग़ुर:, मंगोल: Хонгор Таг, अंग्रेज़ी: Kongur Tagh) कुनलुन शान पर्वतमाला का सबसे ऊँचा पहाड़ है। वैसे तो यह ७,६४९ मीटर (२५,०९५ फ़ुट) ऊँचा पर्वत अपने समीपी मुज़ताग़ अता पहाड़ (जो कुनलुन शान का दूसरा सबसे ऊँचा पहाड़ है) के बहुत पास है, लेकिन अधिक दुर्गम स्थल में होने से कम जाना जाता है। आधुनिक काल में काराकोरम राजमार्ग के बन जाने से अब कोंगुर ताग़ तक पहुँचना आसान हो गया है। यह चीन के शिनजियांग प्रांत का सबसे ऊँचा पर्वत भी है। पामीर पर्वतों के नज़दीक होने से कोंगुर ताग़ को कभी-कभी उस पर्वतमाला का हिस्सा भी माना जाता है।, Gyurme Dorje, Footprint Travel Guides, 1999, ISBN 978-1-900949-33-0,...

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अलमाती प्रांत

अलमाती प्रांत (कज़ाख़: Алматы облысы, अंग्रेज़ी: Almaty Province) मध्य एशिया के क़ाज़ाख़स्तान देश का एक प्रांत है। इसकी राजधानी तालदीकोरग़ान नाम का शहर है। अलमाती प्रांत का क्षेत्र क़ाज़ाख़स्तान की राष्ट्रीय राजधानी अलमाती को घेरे हुए है। .

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अक्साई चिन

अक्साई चिन या अक्सेचिन (उईग़ुर:, सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है। ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों (जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है) और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख़ और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था।, Prakash Charan Prasad, Abhinav Publications, 1977, ISBN 978-81-7017-053-2 १९५० के दशक से यह क्षेत्र चीन क़ब्ज़े में है पर भारत इस पर अपना दावा जताता है और इसे जम्मू और कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है। अक्साई चिन जम्मू और कश्मीर के कुल क्षेत्रफल के पांचवें भाग के बराबर है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक ज़िले का हिस्सा बनाया है। .

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उज़्बेक भाषा

लहजा साफ़ दिखता है - 'नादिरा' को 'नोदिरा' (НОДИРА) और 'उज़बेकिस्तान' को 'उज़बेकिस्तोन' (Ўзбекистон) लिखा जाता है उज़बेक भाषा (उज़बेक: Ўзбек тили, उज़बेक तिलि; अरबी-फ़ारसी) मध्य एशिया में और विशेषकर उज़बेकिस्तान में, उज़बेक लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक तुर्की भाषा है। सन् १९९५ में इसे मातृभाषा के रूप में बोलने वालों की संख्या लगभग २ करोड़ अनुमानित की गई थी। हालाँकि यह एक तुर्की भाषा है, फिर भी इसमें फ़ारसी, अरबी और रूसी भाषा का प्रभाव मिलता है। उज़बेक और उइग़ुर भाषा में बहुत समानताएँ हैं, लेकिन उइग़ुर की तुलना में उज़बेक पर फ़ारसी का प्रभाव ज़्यादा गहरा है। सन् १९२७ तक उज़बेक को लिखने के लिए अरबी-फ़ारसी वर्णमाला का प्रयोग किया जाता था, लेकिन उसके बाद उज़बेकिस्तान का सोवियत संघ में विलय होने से वहाँ सिरिलिक लिपि इस्तेमाल करने पर ज़ोर दिया गया। चीन के उज़बेक समुदाय अभी भी अरबी-फ़ारसी लिपि में उज़बेक लिखते हैं। सोवियत संघ का अंत होने के बाद उज़बेकिस्तान में कुछ लोग सन् १९९२ के उपरान्त लैटिन वर्णमाला का भी प्रयोग करने लगे।, Reinhard F. Hahn, Ablahat Ibrahim, University of Washington Press, 2006, ISBN 978-0-295-98651-7 .

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उईग़ुर ख़ागानत

उइग़ुर ख़ागानत ८२० ईसवी में दुनिया के नक़्शे पर उइग़ुर ख़ागानत (ऊपर-दाई तरफ़ ख़ाकी रंग में) उइग़ुर ख़ागानत (उइग़ुर:, उरख़ुन उइग़ुर ख़ानलिक़ी; मंगोल: Уйгурын хаант улс, उइग़ुरिन ख़ान्त उल्स; चीनी: 回鶻, हुइहु; अंग्रेज़ी: Uyghur Khaganate), जिसे तोक़ुज़ ओग़ुज़ देश (Toquz Oghuz Country) भी कहा जाता था, एक तुर्की ख़ागानत (साम्राज्य) था जो ७४४ ईसवी से ८४८ ईसवी (यानि लगभग एक शताब्दी) तक चला। यह ओरख़ोन उइग़ुर क़बीले के सरदारों के अधीन एक क़बीलों का परिसंघ था। .

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उइग़ुर

एक उइग़ुर युवती उइग़ुर (उइग़ुर: ‎) पूर्वी और मध्य एशिया में बसने वाले तुर्की जाति की एक जनजाति है। वर्तमान में उइग़ुर लोग अधिकतर चीनी जनवादी गणराज्य द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग उइग़ुर स्वायत्त प्रदेश नाम के राज्य में बसते हैं। इनमें से लगभग ८० प्रतिशत इस क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिम में स्थित तारिम घाटी में रहते हैं। उइग़ुर लोग उइग़ुर भाषा बोलते हैं जो तुर्की भाषा परिवार की एक बोली है। .

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