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प्रियप्रवास

सूची प्रियप्रवास

प्रियप्रवास, अयोध्यासिंह "हरिऔध" की हिन्दी काव्य रचना है। हरिऔध जी को काव्यप्रतिष्ठा "प्रियप्रवास" से मिली। इसका रचनाकाल सन् 1909 से सन् 1913 है। .

7 संबंधों: दूतकाव्य, पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र', महाकाव्य, हिन्दी पुस्तकों की सूची/प, हिन्दी ग्रन्थों की सूची, हिन्दी के दस सर्वश्रेष्ठ, अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

दूतकाव्य

यह लेख संस्कृत के महाकवि भास की रचना 'दूतवाक्य' के बारे में नहीं है। ---- दूतकाव्य, संस्कृत काव्य की एक विशिष्ट परंपरा है जिसका आरंभ भास तथा घटकर्पर के काव्यों और महाकवि कालिदास के मेघदूत में मिलता है, तथापि, इसके बीज और अधिक पुराने प्रतीत होते हैं। परिनिष्ठित काव्यों में वाल्मीकि द्वारा वर्णित वह प्रसंग, जिसें राम ने सीता के पास अपना विरह संदेश भेजा, इस परंपरा की आदि कड़ी माना जाता है। स्वयं कालिदास ने भी अपने "मेघदूत" में इस बात का संकेत किया है कि उन्हें मेघ को दूत बनाने की प्रेरणा वाल्मीकि "रामायण" के हनुमानवाले प्रसंग से मिली है। दूसरी और इस परंपरा के बीज लोककाव्यों में भी स्थित जान पड़ते हैं, जहाँ विरही और विरहिणियाँ अपने अपने प्रेमपात्रों के पति भ्रमर, शुक, चातक, काक आदि पक्षियों के द्वारा संदेश ले जाने का विनय करती मिलती हैं। .

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पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र'

पांडेय बेचन शर्मा "उग्र" (१९०० - १९६७) हिन्दी के साहित्यकार एवं पत्रकार थे। का जन्म उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के अंतर्गत चुनार नामक कसबे में पौष शुक्ल 8, सं.

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महाकाव्य

संस्कृत काव्यशास्त्र में महाकाव्य (एपिक) का प्रथम सूत्रबद्ध लक्षण आचार्य भामह ने प्रस्तुत किया है और परवर्ती आचार्यों में दंडी, रुद्रट तथा विश्वनाथ ने अपने अपने ढंग से इस महाकाव्य(एपिक)सूत्रबद्ध के लक्षण का विस्तार किया है। आचार्य विश्वनाथ का लक्षण निरूपण इस परंपरा में अंतिम होने के कारण सभी पूर्ववर्ती मतों के सारसंकलन के रूप में उपलब्ध है।महाकाव्य में भारत को भारतवर्ष अथवा भरत का देश कहा गया है तथा भारत निवासियों को भारती अथवा भरत की संतान कहा गया है .

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/प

* पंच परमेश्वर - प्रेम चन्द्र.

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हिन्दी ग्रन्थों की सूची

रामचरितमानस - गोस्वामी तुलसीदास सूरसागर - सूरदास साखी - कबीरदास सतसई - बिहारी गोदान - मुंशी प्रेमचन्द कामायनी - जयशंकर प्रसाद प्रिय प्रवास - अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध रश्मिरथी - रामधकठपुतलियों का दौर - शिवकुमार श्रीवास्तव ारी सिंह दिनकर .

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हिन्दी के दस सर्वश्रेष्ठ

हिन्दी के दस सर्वश्रेष्ठ बीसवीं शताब्दी तक के हिन्दी साहित्यकारों एवं हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचनाओं के सन्दर्भ में श्रेष्ठ आलोचकों द्वारा किये गये उल्लेखों-विवेचनों पर आधारित मुख्यतः दस-दस उत्कृष्ट साहित्यकारों या फिर साहित्यिक कृतियों का चयन है, जिन्हें सापेक्ष रूप से श्रेष्ठतर माना गया है। .

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अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (15 अप्रैल, 1865-16 मार्च, 1947) हिन्दी के एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। वे 2 बार हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति रह चुके हैं और सम्मेलन द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किये जा चुके हैं। प्रिय प्रवास हरिऔध जी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह हिंदी खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है और इसे मंगला प्रसाद पारितोषित पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। .

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