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पुलिस

सूची पुलिस

अमेरिकी खुफिया पुलिस सेवा के अधिकारी पुलिस (अंग्रेजी: Police, शुद्ध हिन्दी: आरक्षी या आरक्षक) एक सुरक्षा बल होता है जिसका उपयोग किसी भी देश की अन्दरूनी नागरिक सुरक्षा के लिये ठीक उसी तरह से किया जाता है जिस प्रकार किसी देश की बाहरी अनैतिक गतिविधियों से रक्षा के लिये सेना का उपयोग किया जाता है। .

73 संबंधों: चुतर सिंह हत्याकांड, चौथ का बरवाड़ा, टूटी खिड़कियों का सिद्धांत, एचएएल ध्रुव, दिल्ली पुलिस, दिल्ली बम काण्ड, देवयानी खोब्रागड़े, ध्वनि प्रदूषण, धूप के चश्मे, निखिल कुमार, न्यायालयिक दंत विज्ञान, नोट के लिए वोट कांड, पाठ संदेश, पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार, पुलिस महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, प्राथमिकी, फिरंगी, फॉरेंसिक प्रोफाइलिंग, फोरेंसिक विज्ञान सेवा, फोरेंसिक और वैज्ञानिक सेवाएँ, बड़ा राजन, बनवारी लाल, बन्दी प्रत्यक्षीकरण, बैरॉन हॉसमान, भारत में भ्रष्टाचार, भवनपुरा,जनपद मथुरा, मलाइका गोयल, मिनियापोलिस, मुठभेड़, मॉरिशस, यूरोपीय संघ, राम प्रसाद 'बिस्मिल', राम प्रसाद नौटियाल, रामपाल (हरियाणा), रिवॉल्वर (.32 बोर), रेडियो, रोशन सिंह, लिवोर मोर्टिस, लुबी सर्कुलर रोड, शहीद (1965 फ़िल्म), शेंगेन क्षेत्र, शॉपिंग मॉल, सड़क रोष, सरबजीत सिंह, सार्वजनिक प्रतिष्ठान, सियाचिन ग्लेशियर पदक, जावा मोटरसाइकिल, जांच में सोशल नेटवर्क वेबसाइटों का उपयोग, जूता, ..., जोगिंदर शर्मा, विधि, व्यापम घोटाला, खुदीराम बोस, ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर, आत्महत्या के तरीके, आपदा तत्परता, इण्टरपोल, कर्फ्यू, काकोरी काण्ड, कैमकॉर्डर, अपराध जांच विभाग, अमेदिओ मोदिग्लिआनी, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, अजमल क़साब, अग्निशमक, अंतिम तथ्य, उड़न दस्ता, छावनी, 11 सितम्बर 2001 के हमले, 2012 दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामला, 2016 गुलशन हमला, 2018 के श्रीलंकाई साम्प्रदायिक दंगें सूचकांक विस्तार (23 अधिक) »

चुतर सिंह हत्याकांड

चुतर सिंह हत्याकांड जिसमें २५ जून २०१६ राजस्थान राज्य के जैसलमेर ज़िले के मोकळा गांव का निवासी २१ वर्षीय चुतर सिंह सोढ़ा जो कि जैसलमेर पुलिस के अंतर्गत एक हिस्ट्रीशीटर था उसका पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया, लेकिन राजपूत समाज के अंतर्गत चुतर सिंह का एनकाउंटर न मानकर हत्या माना है। जैसलमेर पुलिस के अनुसार चुतर सिंह पर बाड़मेर में ये एक हिस्ट्रीशीटर थे जिनके खिलाफ १७ मामले दर्ज थे। .

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चौथ का बरवाड़ा

चौथ का बरवाड़ा राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर जिले का एक छोटा सा शहर है और इसी नाम से तहसील मुख्यालय है। यह शहर राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र खण्डार लगता है। यहाँ का चौथ माता का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! चौथ का बरवाड़ा शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ मीणा व गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है ! बरवाड़ा के नाम से मशहूर यह छोटा सा शहर संवत 1451 में चौथ माता के नाम पर चौथ का बरवाड़ा के नाम से प्रसिद्ध हो गया जो वर्तमान तक बना हुआ है ! चौथ माता मंदिर के अलावा इस शहर में मीन भगवान का भव्य मंदिर है ! वहीं चौथ माता ट्रस्ट धर्मशाला सभी धर्मावलंबियों के लिए ठहरने का महत्वपूर्ण स्थान है ! चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले बड़े गाँव इस प्रकार है:- चौथ का बरवाड़ा भगवतगढ़ शिवाड़ झोंपड़ा ईसरदा सारसोपआदि.

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टूटी खिड़कियों का सिद्धांत

इस सिद्धांत के अनुसार टूटी खिड़कियों जैसे छोटी लगने वाली अव्यवस्था से असामाजिक तत्वों को बड़े जुर्म करने का मनोबल मिलता है सन् १९७३ में न्यू यॉर्क में रेल का एक डब्बा - जगह-जगह पर गंदगी और दीवारों पर भद्दे लेख हैं टूटी खिड़कियों का सिद्धांत (अंग्रेज़ी: Broken Windows Theory) अपराध-शास्त्र की एक विचारधारा है जिसके अनुसार शहरों में अव्यवस्था दिखने से असामाजिक तत्वों और अपराधियों को ग़लत काम करने के लिए मनोबल मिलता है और जुर्म बढ़ता है। यह सिद्धांत कहता है कि अगर शहर को सुव्यवस्थित और साफ़-सुथरा रखा जाए तो जुर्म भी कम होने लगते हैं। .

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एचएएल ध्रुव

ध्रुव हैलीकॉप्टर हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित और निर्मित भारत का एक बहूद्देशीय हैलीकॉप्टर है। इसकी भारतीय सशस्त्र बलों को आपूर्ति की जा रही है और एक नागरिक संस्करण भी उपलब्ध है। इसे पहले नेपाल और इज़रायल को निर्यात किया गया था फिर सैन्य और वाणिज्यिक उपयोग के लिए कई अन्य देशों द्वारा मंगाया गया है। सैन्य संस्करण परिवहन, उपयोगिता, टोही और चिकित्सा निकास भूमिकाओं में उत्पादित किये जा रहे हैं। ध्रुव मंच के आधार पर, एच ए एल हल्का लड़ाकू हेलीकाप्टर, एक लड़ाकू हेलीकाप्टर और एचएएल लाइट अवलोकन हेलीकाप्टर, एक उपयोगिता और प्रेक्षण हेलिकॉप्टर विकसित किए गए है। .

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दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था में संलग्न एक संस्थान है। दिल्ली पुलिस विश्व की सबसे बड़ी महानगरीय पुलिस बलों में से एक है। .

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दिल्ली बम काण्ड

दिल्ली बम काण्ड सन् १९१२ में बनायी गयी मास्टर अमीरचन्द, लाला हनुमन्त सहाय, मास्टर अवध बिहारी, भाई बालमुकुन्द और बसन्त कुमार विश्वास द्वारा लार्ड हार्डिंग नामक ब्रिटिश वायसराय को जान से मार डालने की एक क्रान्तिकारी योजना थी जो सफल न हो सकी। लार्ड हार्डिंग तो बच गया किन्तु जिस हाथी पर बैठाकर दिल्ली के चाँदनी चौक क्षेत्र में वायसराय की शानदार शाही सवारी निकाली जा रही थी उसका महावत मारा गया। पुलिस ने इस काण्ड में चारो प्रमुख क्रान्तिकारियों को गिरफ्तार करके उन पर वायसराय की हत्या की साजिश का मुकदमा चलाया। लालाजी को उम्रकैद की सजा देकर अण्डमान भेज दिया गया जबकि अन्य चारो को फाँसी की सजा हुई। लाला हनुमन्त सहाय ने इस फैसले के विरुद्ध अपील की थी जिसके परिणाम स्वरूप उनकी उम्र कैद को सात वर्ष के कठोर कारावास में बदल दिया गया। पुरानी दिल्ली में बहादुरशाह जफर रोड पर दिल्ली गेट से आगे स्थित वर्तमान खूनी दरवाजे के पास जिस जेल में दिल्ली बम काण्ड के इन चार शहीदों को फाँसी दी गयी थी उसके निशान भी मिटा दिये गये। अब वहाँ जेल की जगह मौलाना आजाद मेडिकल कालेज बन गया है। जनता की बेहद माँग पर अब इस मेडिकल कॉलेज के परिसर में चारो शहीदों की मूर्तियाँ स्थापित कर दी गयी हैं। .

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देवयानी खोब्रागड़े

देवयानी खोब्रागड़े (जन्म: 1974, मुंबई, महाराष्ट्र) अमेरिका स्थित न्यूयॉर्क में नियुक्त भारतीय उप महावाणिज्य दूत रह चुकी हैं। वे 1999 बैच की आईएफएस अधिकारी हैं तथा वर्तमान में न्यूयॉर्क में ही संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में कार्यरत हैं। .

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ध्वनि प्रदूषण

लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे ध्वनि प्रदूषण या अत्यधिक शोर किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को कहते हैं, जिससे मानव और जीव जन्तुओं को परेशानी होती है। इसमें यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर मुख्य कारण है। जनसंख्या और विकास के साथ ही यातायात और वाहनों की संख्या में भी वृद्धि होती जिसके कारण यातायात के दौरान होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ने लगता है। अत्यधिक शोर से सुनने की शक्ति भी चले जाने का खतरा होता है। .

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धूप के चश्मे

प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश में धूप का चश्मा पहनना: बड़ा लेंस अच्छी सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन अगल-बगल से "अनचाहे प्रकाश" को रोकने के लिए चौड़ी बनावट वाले की ज़रूरत है। धूप के चश्मे एक प्रकार के सुरक्षात्मक नेत्र पहनावे हैं जिन्हें प्राथमिक रूप से आखों को सूरज की तेज़ रोशनी और उच्च-उर्जा वाले दृश्यमान प्रकाश के कारण होने वाली हानि या परेशानी से बचने के लिए डिजाइन किया गया है। वे कभी-कभी एक दृश्य सहायक के रूप में भी कार्य करते हैं, चूंकि विभिन्न नामों से ज्ञात चश्मे मौजूद हैं, जिनकी विशेषता यह होती है की उनका लेंस रंगीन, ध्रुवीकृत या गहरे रंग वाली होती है। 20वीं सदी के पूर्वार्ध में इन्हें सन चीटर्स के नाम से भी जाना जाता था (अमेरिकी अशिष्ट भाषा में चश्मो के लिए चीटर्स शब्द का इस्तेमाल किया जाता था).

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निखिल कुमार

निखिल कुमार भारत के केरल राज्य के पूर्व राज्यपाल हैं। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें नागालैंड के राज्यपाल के पद से स्थानांतरित करके केरल का राज्यपाल नियुक्त किया था। वे औरंगाबाद, बिहार के रहने वाले है एवं वहाँ से सांसद रह चुके हैं। निखिल कुमार भारतीय पुलिस सेवा के 1963 बैच के अधिकारी है। वे दिल्ली के पुलिस आयुक्त, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के निदेशक, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सीमा सुरक्षा बल में निदेशक रहने के अलावा भारत सरकार के गृह मंत्रालय में विशेष सचिव भी रहे हैं। सेवानिवृत्ति के उपरांत उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का सलाहकार भी बनाया गया था। बाद में वे राजनीति में आये एवं औरंगाबाद से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। .

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न्यायालयिक दंत विज्ञान

न्यायालियिक दंतचिकित्सा (Forensic dentistry), दन्तविज्ञान का वह उपयोग है जिसकी सहायता से पुलिस अपराधी या अभियुक्तों पर आपराधिक न्याय प्रणाली लागू की जाती है। न्यायालियिक दंतचिकित्सक उन जांच संस्थाओं के साथ काम करते हैं जो मानव अवशेष के साथ साथ बाकि नष्ट हुए शरीर से व्यक्ति की जाती, पेशा,उम्र, लिंग आदि का पता लगाते हैं। इस विज्ञान में दांतों के आकार, प्रकार, बनावट एवम अनियमितताओं के आधार पर व्यक्ति की पहचान की जाती है। यह विधि तब अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होती है जब किसी मनुष्य का केवल कंकाल ही प्राप्त होता है! .

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नोट के लिए वोट कांड

वर्ष २००८ में भारतीय संसद में घटित एक घटना जिसमें मनमोहन सिंह सरकार द्वारा विश्वास मत हासिल करने की बहस के दौरान भाजपा के तीन सांसदों ने संसद में एक करोड़ रूपए के नोटों की गड्डियों संसद में दिखाई थी। इन सांसदों का आरोप था कि मनमोहन सरकार ने समाजवादी पार्टी के अमर सिंह के माध्यम से उनके मत को खरीदने की कोशिश की थी। २०११ में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर दिल्ली पुलिस इस मामले पर फिर से सक्रिय हुई और ६ सितंबर २०११ को अमर सिंह तथा भाजपा के दो सांसद तिहाड़ जेल भेज दिए गए। .

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पाठ संदेश

एक एक एलजी लि (VX9900) पर एक पाठ संदेश टाइप उपयोगकर्ता पाठ संदेशन, या पाठन का अभिप्राय एक नेटवर्क पर एक अचल लाइन फोन या मोबाइल फोन तथा अचल या सुवाह्य उपकरण के बीच संक्षिप्त लिखित संदेशों के आदान-प्रदान से है। जबकि मूल शब्द (नीचे देखें) रेडियो टोलीग्राफी से उत्पन्न लघु संदेश सेवा (एसएमएस (SMS)) का उपयोग करते हुए संदेशों के भेजे जाने की बात से व्युत्पन्न हुआ था, तब से छवि, वीडियो और ध्वनि सामग्री युक्त संदेशों को शामिल करने के लिए (एमएमएस (MMS) संदेशों के रूप में जाने जाते हैं) इसका विस्तार किया गया है। पाठ संदेश भेजने वाला प्रेषक (texter) के रूप में जाना जाता है, जबकि बोलचाल की भाषा में खुद इस सेवा के क्षेत्रों के आधार पर कई नाम हैं: उत्तरी अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपीन्स और इंगलैंड में इसे मात्र पाठ (टेक्स्ट), अधिकतर यूरोप में एसएमएस (SMS) और मध्य पूर्व और एशिया में टीएमएस (TMS) या एसएमएस (SMS) कहा जाता है। पाठ संदेशों का उपयोग मोबाइल फोन के लिए उत्पादों और सेवाओं के आदेश देने या प्रतियोगिताओं में भाग लेने जैसे स्वचालित तंत्रों के साथ परस्पर क्रिया करने में किया जा सकता है। विज्ञापनदाता और सेवा प्रदाता पाठ संदेशों का उपयोग मोबाइल फोन प्रयोक्ताओं को प्रोत्साहनों, भुगतान देय तिथियों तथा अन्य सूचनाएं जिन्हें सामान्यतः डाक से, ईमेल से या वॉयसमेल से भेजा जा सकता है, को भेजने में कर सकते हैं। सीधी और संक्षिप्त परिभाषा में, फोन या मोबाइल फोन से पाठ संदेशन में अंग्रेजी वर्णमाला के 26 अक्षर तथा 10 अंक शामिल होने चाहिएं, अर्थात प्रेषक द्वारा प्रेषित या प्राप्तकर्ता द्वारा प्राप्त पाठ या अक्षरांकिक संदेश.

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पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार

पुलिस द्वारा अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके व्यक्तिगत लाभ कमाना ही पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार है। यह भ्रष्टाचार एक विशेष प्रकार का है क्योंकि इसमें कानून का पालन कराने के लिए जिम्मेदार अधिकारी अपनी नैतिक जिम्मेदारी से मुकरते हुए भ्रष्ट आचरण करते हैं। यह विशेष इसलिए है क्योंकि पुलिस के भ्रष्ट आचरण से कानून और व्यवस्था की स्थिति खराबह होती है, मानवाधिकार प्रभावित होते हैं, लोगों का न्याय से विश्वास उठता है। पुलिस द्वारा किए गये भ्रष्टाचार कई तरह के होते हैं, जैसे घूस लेना। .

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पुलिस महानिदेशक

पुलिस महानिदेशक राज्य के पुलिस बल का मुखिया होता है। प्रशानिक दृष्टि से प्रत्येक राज्य को क्षेत्रीय मंडलों में बांटा जाता है, जिसे रेंज कहते है। और प्रत्येक पुलिस रेंज,पुलिस महानिरीक्षक के प्रशासनिक नियंत्रण में होता है। एक रेंज में अनेक जिले हो सकते हैं। जिला पुलिस को मुख्यतः पुलिस डिवीजन, सर्कलों और थानों में विभाजित किया जाता है। नागरिक पुलिस के अलावा राज्य के पास अपनी स्वयं की सशस्त्र पुलिस रखने का अधिकार भी हैं और उनमें अलग से गुप्तचर शाखायें, अपराध शाखायें आदि का प्रावधान भी होता हैं। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर,हैदराबाद, अहमदाबाद, नागपुर,पुणे, भुवनेश्वर,कटक जैसे बड़े महानगरों में पुलिस व्यवस्था का मुखिया,प्रत्यक्ष रूप से पुलिस आयुक्त होता है। विभिन्न राज्यों में उच्च पुलिस अधिकारी पदों पर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) द्वारा भर्ती की जाती है, जिसकी भर्ती परीक्षा में पूरे भारत के अभ्यर्थी शामिल होते हैं। .

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पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो

पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (अंग्रेज़ी:ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एण्ड डवलपमेंट, लघु:बी.पी.आर एण्ड डी) की स्थापना पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के बारे में भारत सरकार के उद्देश्य को पूरा करने के लिए २८ अगस्त, १९७० को की गई थी।- पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो अब यह बहुआयामी एवं परामर्शदाता संगठन है और इसके चार प्रभाग हैं। मूल रूप से संस्थान में दो प्रभाग होते थे: अनुसंधान एवं विकास प्रभाग। बाद में १९७३ में प्रशिक्षण प्रभाग जोड़ा गया। इसके बाद १९८३ में फॉरेन्ज़िक विज्ञान प्रभाग और १९९५ में दिष-सुधार प्रशासन प्रभाग जुड़े। इसके साथ साथ कुछ अन्य विभागों ने संस्थान के कुछ कार्य संभाले, जैसे १९७६ में अपराध विज्ञान एवं फॉरेन्ज़िक विज्ञान ने कुछ संबंधित कार्य संभाला। इस विभाग को बाद में लोक नायक जय प्रकाश नारायण राष्ट्रीय अपराध विज्ञान एवं फॉरेन्ज़िक विज्ञान नाम दिया गया। १९८६ में राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो और २००२ में फॉरेन्ज़िक विज्ञान निदेशालय ने संभाला। .

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प्राथमिकी

धारावाहिक के लिए देखें- एफ आई आर (धारावाहिक) ---- किसी (आपराधिक) घटना के संबंध में पुलिस के पास कार्यवाई के लिए दर्ज की गई सूचना को प्राथमिकी या प्रथम सूचना रपट (F I R) कहा जाता है। प्रथम सूचना रिपोर्ट या एफआईआर (First Information Report या FIR) एक लिखित प्रपत्र (डॉक्युमेन्ट) है जो भारत, पाकिस्तान, एवं जापान आदि की पुलिस द्वारा किसी संज्ञेय अपराध (cognizable offence) की सूचना प्राप्त होने पर तैयार किया जाता है। यह सूचना प्रायः अपराध के शिकार व्यक्ति द्वारा पुलिस के पास एक शिकायत के रूप में दर्ज की जाती है। किसी अपराध के बारे में पुलिस को कोई भी व्यक्ति मौखिक या लिखित रूप में सूचित कर सकता है। FIR पुलिस द्वारा तेयार किया हुआ एक दस्तावेज है जिसमे अपराध की सुचना वर्णित होती है I सामान्यत: पुलिस द्वारा अपराध संबंधी अनुसंधान प्रारंभ करने से पूर्व यह पहला कदम अनिवार्य है I भारत में किसी भी व्यक्ति द्वारा शिकायत के रूप में प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार है। किंतु कई बार सामान्य लोगों द्वारा दी गई सूचना को पुलिस प्राथमिकी के रूप में दर्ज नहीं करती है। ऐसे में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए कई व्यक्तियों को न्यायालय का भी सहारा लेना पड़ा है। .

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फिरंगी

फिरंगी (अंग्रेजी: विदेशी) एक 2017 भारतीय हिंदी अवधि की एक्शन-कॉमेडी नाटक फिल्म है जिसे राजीव ढींगरा ने निर्देशित किया है। यह कपिल शर्मा, जो निर्माता भी हैं, इशिता दत्ता और मोनिका गिल के साथ हैं। यह फिल्म पंजाब और राजस्थान में मुख्य रूप से बनाई गयी है और 1 दिसंबर 2017 को पूरी दुनिया में रिलीज हुई थी। .

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फॉरेंसिक प्रोफाइलिंग

फॉरेंसिक प्रोफाइलिंग आदेश की जानकारी को विकसित करने में सबूत का पता लगाने के अध्ययन है जो पुलिस अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। फॉरेंसिक शब्द का मतलब है जानकारी जो कि सबूत के तौर पर अदालत में इस्तेमाल किया जाता है। फॉरेंसिक प्रोफाइलिंग अलग है अपराधी प्रोफाइलिंग से, अपराधी प्रोफाइलिंग सिर्फ पहचान करता है अपराधी की उसकी मनोवैज्ञानिक प्रोफाइल पर। .

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फोरेंसिक विज्ञान सेवा

फोरेंसिक विज्ञान सेवा (एफएसएस) यूनाइटेड किंगडम में एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है जो पुलिस बलों और इंग्लैंड और वेल्स की सरकारी एजेंसियों के लिए फोरेंसिक विज्ञान सेवाओं, साथ ही अन्य देशों प्रदान किया गया। ब्रिटेन सरकार ने दिसंबर २०१० में एफएसएस के बंद होने की घोषणा की, औचित्य के रूप में अप करने के लिए £2m की मासिक घाटा का हवाला देते हुए। एफएसएस अंत में मार्च २०१२/३१ मे बंद हुआ। एफएसएस अभिलेखागार - मामला फाइलों का एक संग्रह है और इस तरह खुर्दबीन स्लाइड, फाइबर नमूने और डीएनए के नमूने के रूप में बनाए रखा मामले काम के नमूने - पुराने मामलों की समीक्षा अनुमति देने के लिए रखा गया है। .

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फोरेंसिक और वैज्ञानिक सेवाएँ

फोरेंसिक और वैज्ञानिक सर्विसेज (एफएसएस) क्वींसलैंड स्वास्थ्य का हिस्सा है और क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया के राज्य में वैज्ञानिक सेवाएं प्रदान करता है। फोरेंसिक वैज्ञानिक और सेवाओं, सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरे के लिए सरकार की प्रतिक्रिया का हिस्सा हैं। इसके अलावा वे फोरेंसिक, सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करते हैं। .

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बड़ा राजन

राजन महादेव नायर उर्फ़ बड़ा राजन (मलयालमः രാജന് മഹാദേവ് നായര്) (स्वर्गवास 1983 सितम्बर 21) मुंबई अन्डरवर्ल्ड के महान डॉन थे। चेंबूर के तिलक नगर में उनका प्रमुख अड्डा था। बचपन में ही पापी पेट ने राजन भाई को अपराध के जीवन की ओर धकेल दिया। विख्रोली में छोटा राजन भाई के साथ मिलकर उन्होंने सिनेमा टिकट को ब्लैक में बेचने का धंधा शुरु किया। 1970 और 1985 के बीच में बड़ा राजन भाई ने अपने खुद का गैंग खड़ा कर दिया। छोटा राजन उनका प्रमुख लेफ्टिनेंट और जिगरी यार था। जय-वीरू जैसी इस जोड़ी ने अपनी करीबी दोस्ती मौत तक निभाई। मेहनत और लगन से काम कर के राजन भाई ने अपने बिज़नस को आगे बढ़ाया। और अन्डरवर्ल्ड् में प्रतिष्ठा हासिल की। जमीन-संबंधी विवादों को निबटाने में निपुणता प्राप्त करने के साथ-साथ भाई ने पैसे के बदले मशहूर हस्तियों को संरक्षण प्रदान किया। जब माटुंगा के शक्तिशाली तामिल डॉन वरदराजन मुदलियार मद्रास चले गये, तो बड़ा राजन और छोटा राजन भाईलोग ने उनकी विरासत को सम्भाला और आगे बढ़ाया। मुंबई में मुदालियर अन्ना के तस्करी बिज़्नस को राजन् भाई ने करीम लाला और हाजी मस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वियों से बचाया। धीरे धीरे उन्होंने चेम्बूर से घाटकोपर इलाके में अपना प्रभाव जमाया। 1976 में जनसेवा की भावना से बड़ा राजन भाई ने तिलकनगर में सहयाद्रि क्रीड़ा संघ की स्थापना की। हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल देते हुए राजन भाई ने मश्हूर डॉन दाऊद इब्राहिम के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित किया। दाऊद भाई के साथ विश्वासघात करने वाले अमीरज़ादा नवाब खान को मारने की सुपारी राजन भाई ने ली। ब्लैक टिकट बिज़्नस में प्रतिद्वंद्वी डॉन यशवंत जाधव ने राजान भाई को चुनौती दी। कुछ समय पहले यशवंतभाउ के गैंगस्टर दोस्त फिलिप पन्ढारे ने राजन भाई को लोकल ट्रेन में चाकू मारेला था। थोड़े दिनों के बाद राजन भाई के कुछ आदमी - डॉम्निक, बड़ा तम्बी, अशोक कुंटे, पार्लिया, कम्लाकर, संजीव भोंसले और येड़ा बाला - भाई के छोड़कर यश्वन्तभाउ से जा मिले। अभी राजन भाई के दिल पे चोट लगी, उनको बहुत गुस्सा आया। वो डॉम्निक को सबक सिखाने वास्ते ओडियॉन सिनेमा हाल में पहुँचे। इधर पर भोगीलाल नाम के एक आदमी ने डॉम्निक को छुपाने की कोशिश की। राजन भाई का दिमाग सटक गया और उन्होंने भोगीलाल का बेड़ा गर्क कर दिया। इस हाथापाई में पुलिस कांस्टेबल रामचंद्र खरे और गोरखनाथ सकपाल भी घायल हो गए। अगले दो वर्षों के भीतर दोनों गैंग की फ़ाइट में सात लोग मारे गए। अंततः, जब राजन भाई ने मुदालियर अन्ना से शिकायत की तो यश्वन्तभाउ की फट गई। मायूस होकर यश्वन्तभाउ ने लोकप्रसिध्द बदमाश अब्दुल कुंजू की मदद ली। अब्दुल भाई और राजन भाई की पुरानी दुश्मनी थी। कुछ टाइम पहले राजन भाई के लोगों ने ने अब्दुल के कुछ आदमियों की पिटाई की थी - ये आदमी चेम्बूर की शेल कालोनी में एक महिला टाइपिस्ट को परेशान कर रहे थे। यह घटना एक घातक प्रतिद्वंद्विता में विकसित हो गई - अब्दुल और राजन दोनों ने एक दूसरे को मारने की कसम खा ली। अब्दुल भाई ने राजन भाई को मारने की सुपारी अपने पड़ोसी के चंद्रशेखर सफालिका को दी। चंद्रशेखर ने एक एक नौसेना कैडेट के कपड़ों में एस्प्लेनेड अदालत के बाहर बड़ा राजन पीछा किया और एक मोटी किताब की गुहा में छिपाई बंदूक से उन्हें गोली मार दी। इस् तरह 21 सितंबर 1983 को भारत माता के इस महान पुत्र को महानिर्वाण प्राप्त हुआ। 1991 की मलयालम फिल्म अभिमन्यु बड़ा राजन के जीवन से प्रेरित थी। इस फिल्म में मोहनलाल एक मलयाली आप्रवासी है, जो मुंबई अंडरवर्ल्ड सरगना बन जाता है। .

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बनवारी लाल

बनवारी लाल (अंग्रेजी: Banwari Lal, जन्म: ग्राम तिलोकपुर जिला शाहजहाँपुर) ब्रिटिश काल के दौरान उत्तर प्रदेश में गठित क्रान्तिकारी संगठन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन का सक्रिय सदस्य ही नहीं अपितु रायबरेली का जिला संगठनकर्ता भी था। ९ अगस्त १९२५ को काकोरी के समीप हुई ऐतिहासिक डकैती में समूचे हिन्दुस्तान से ४० व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। बनवारी लाल की गिरफ्तारी रायबरेली से हुई थी। काकोरी काण्ड के मुकदमे के दौरान जब उस पर पुलिस ने दबाव डाला तो वह टूट गया और वायदा माफ गवाह (अंगेजी में अप्रूवर) बन गया। बनवारी लाल शाहजहाँपुर सदर तहसील के तिलोकपुर गाँव का रहने वाला था। अप्रूवर बन जाने के कारण काकोरी काण्ड में उसे एक अन्य अभियुक्त रामनाथ पाण्डेय से भी कम सजा हुई थी। जेल से छूटने के बाद वह अपने बाल-बच्चों के साथ अपने गाँव में रहने लगा। कुछ समय बाद जब उसे अपने गाँव के ब्राह्मणों से जान का खतरा महसूस हुआ तो उसने वह गाँव छोड़ दिया और पास के ही दूसरे गाँव केशवपुर में रहने लगा जहाँ उसकी कायस्थ बिरादरी के काफी लोग रहते थे। सन् २००० के आसपास उसकी मृत्यु हो गयी।.

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बन्दी प्रत्यक्षीकरण

बंदी प्रत्यक्षीकरण (लातिनी: habeas corpus, हेबियस कॉर्पस, "(हमारा आदेश है कि) आपके पास शरीर है") एक प्रकार का क़ानूनी आज्ञापत्र (writ, रिट) होता है जिसके द्वारा किसी ग़ैर-क़ानूनी कारणों से गिरफ़्तार व्यक्ति को रिहाई मिल सकती है। बंदी प्रत्यक्षीकरण आज्ञापत्र अदालत द्वारा पुलिस या अन्य गिरफ़्तार करने वाली राजकीय संस्था को यह आदेश जारी करता है कि बंदी को अदालत में पेश किया जाए और उसके विरुद्ध लगे हुए आरोपों को अदालत को बताया जाए। यह आज्ञापत्र गिरफ़्तार हुआ व्यक्ति स्वयं या उसका कोई सहयोगी (जैसे कि उसका वकील) न्यायलय से याचना करके प्राप्त कर सकता है। पुराने ज़माने में पुलिस पर कोई लगाम नहीं थी और वे किसी भी साधारण नागरिक को गिरफ़्तार कर लें तो किसी को भी जवाबदेह नहीं होते थे। बंदी प्रत्यक्षीकरण का सिद्धांत ऐसी मनमानियों पर रोक लगाकर साधारण नागरिकों को सुरक्षा देता है। मूलतः यह अंग्रेज़ी कानून में उत्पन्न हुई एक सुविधा थी जो अब विश्व के कई देशों में फैल गई है। ब्रिटिश विधिवेत्ता अल्बर्ट वेन डाईसी ने लिखा है कि बंदी प्रत्यक्षीकरण के अधिनियमों "में कोई सिद्धांत घोषित नहीं और कोई अधिकार परिभाषित नहीं, लेकिन वास्तव में ये व्यक्तिगत स्वतंत्रता की ज़मानत देने वाले सौ संवैधानिक अनुच्छेदों की बराबरी रखते हैं।" अधिकांश देशों में बंदी प्रत्यक्षीकरण की प्रक्रिया को राष्ट्रीय आपातकाल के समय में निलंबित किया जा सकता है। अधिकांश नागरिक कानून न्यायालयों में, तुलनीय प्रावधान मौजूद हैं, परन्तु उन्हें "बंदी प्रत्यक्षीकरण" नहीं कहा जा सकता है। बंदी प्रत्यक्षीकरण का प्रादेश "असाधारण", "आम कानून", या "परमाधिकार प्रादेश" कहे जाने वालों में से एक है, जो न्यायालय द्वारा राष्ट्र के भीतर अधीन न्यायालयों और सार्वजनिक अधिकारियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से राजा के नाम पर ऐतिहासिक रूप से जारी किया जाता था। अन्य ऐसे परमाधिकार प्रादेशों में सबसे आम है क्वो वारंटो (अधिकारपृच्छा प्रादेश), प्रोहिबिटो (निषेधादेश), मेंडेमस (परमादेश), प्रोसिडेंडो और सरोरि (उत्प्रेषणादेश).

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बैरॉन हॉसमान

बैरॉन हॉसमान बैरॉन हॉसमान (Georges-Eugène Haussmann; फ्रांसीसी उच्चारण: ​; 27 मार्च 1809 – 11 जनवरी 1891) फ्रांस का प्रसिद्ध वास्तुकार था जिसे नैपोलियन तृतीय ने पेरिस में नये पार्क, सड़कें, भवन एवं बड़े पैमाने पर अन्य सार्वजनिक कार्य करने के लिये नियुक्त किया। भारी आलोचना के कारण उसे अपना पद त्यागना पड़ा किन्तु उसकी दृष्टि ने पेरिस को वह कीर्ति दी जिससे १९वीं शताब्दी के अन्त तक पेरिस फ्रांस के लिये गर्व का विषय बन गया। यह नयी राजधानी पूरे यूरोप के लिए ईर्ष्या का विषय बन चुकी थी। पेरिस बहुत सारे ऐसे वास्तुशिल्पीय, सामाजिक और बौद्धिकक प्रयोगों का केन्द्र बन गया जो पूरी सदी तक यूरोप ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर अपना असर डालते रहे। हॉस्मान का नाम सुंदरता और व्यवस्था के नाम पर शहरों के जबरन पुनर्निर्माण का पर्याय बन चुका है। उसने शहर को सुन्दर बनाने और किसी भी तरह के विद्रोह की आशंका को दूर करने के लिए पेरिस के मध्य से गरीबों की बस्तियों को साफ करवा दिया था। सन् 1852 में लुई नेपोलियन तृतीय (नेपोलियन बोनापार्ट का भतीजा) ने खुद को सम्राट घोषित कर दिया। सत्ता सँभालने के बाद उसने पूरे जोश से पेरिस के पुनर्निर्माण का काम शुरू कर दिया। नए पेरिस के निर्माण का काम बैरॉन हॉसमान नामक वास्तुकार को सौंपा गया जो सियाँ का प्रिप़फेक्ट था। 1852 के बाद 17 साल तक हॉसमान पेरिस के पुनर्निर्माण में लगा रहा। शहर भर में सीधी, चौड़ी सड़कें (या, बुलेवर्ड्स / boulevards / छायादार सड़कें) बनाई गईं, खुले मैदान बनाए गए और बड़े-बड़े पेड़ लगा दिए गए। 1870 तक पेरिस की सड़कों में से 20 प्रतिशत हॉसमान की योजना के अनुसार बनाई जा चुकी थीं। पूरे शहर में पुलिस को तैनात किया गया, रात में गश्त शुरू की गई और बस अड्डों व टोंटी के पानी की व्यवस्था की गयी। इतने बड़े पैमाने पर काम करने के लिए बहुत सारे लोगों की जरूरत थी। 1860 के दशक में पेरिस के प्रत्येक पाँच कामकाजी लोगों में से एक निर्माण कार्यों में लगा था। इस पुनर्निर्माण अभियान में पेरिस के बीच रहने वाले 3,50,000 लोगों को उजाड़ दिया गया था। पेरिस के कुछ संपन्न निवासियों को भी लगता था कि उनके शहर को दानवी ढंग से बदल दिया गया है। उदाहरण के लिए, 1860 में गॉनकोर्ट बंधुओं ने अपने लेखन में पुरानी जीवनशैली के खत्म हो जाने और एक उच्चवर्गीय संस्कृति के स्थापित हो जाने पर गहरा दुख व्यक्त किया था। बहुतों का मानना था कि हॉसमान ने एक जैसे दिखने वाले बुलेवर्ड्स और छज्जों से भरा सुनसान, उदास शहर बनाने के लिए सड़क के जीवन और ‘सड़कों को मार डाला’ है। श्रेणी:वास्तुकार श्रेणी:पेरिस.

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भारत में भ्रष्टाचार

सन २०१५ में विश्व के विभिन्न भागों में भ्रष्टाचार का आकलन भारत में भ्रष्टाचार चर्चा और आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है। आजादी के एक दशक बाद से ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा नजर आने लगा था और उस समय संसद में इस बात पर बहस भी होती थी। 21 दिसम्बर 1963 को भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे पर संसद में हुई बहस में डॉ राममनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था वह आज भी प्रासंगिक है। उस वक्त डॉ लोहिया ने कहा था सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है। भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था और प्रत्येक व्यक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। भारत में राजनीतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार बहुत ही व्यापक है। इसके अलावा न्यायपालिका, मीडिया, सेना, पुलिस आदि में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। .

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भवनपुरा,जनपद मथुरा

गांव-भवनपुरा - गोवर्धन से ०३ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित जनपद मथुरा में जिला मुख्यालय से २१ किमी की दूरी पर स्थित है,यहां की किसी भी घर की छत से आप गोवर्धन स्थित श्री गिरिराज जी मंदिर के साक्षात दर्शन कर सकते हैं। यह गांव सडक मार्ग द्वारा जिला मुख्यालय मथुरा उत्तर प्रदेशसे जुडा हुआ है, गांव भवनपुरा हिंदू धर्म इस गांव के लोग सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन बडी ही शालीनता व सहयोग की भावना से करते हैं गांव भवनपुरा के निवासी बडे ही खुशमिजाज व शाकाहारी खानपान के शौकीन हैं,यहां वर्ष भर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन चलते रहते हैं,जैसे ०१ जनवरी के दिन गोपाला महोत्सव का आयोजन किया जाता है यह आयोजन गांव-भवनपुरा की एकता व भाईचारे का प्रतीक हैं इस गांव में भक्ति भाव व भाईचारे की भावना को बनाये रखने के लिये प्रतिदिन सुबह ०४ बजे भगवान श्री कृष्ण नाम का कीर्तन करते हुये गांव की परिक्रमा करते हुये प्रभातफेरी निकाली जाती है जिसमें बडी संख्या में गांव के स्त्री पुरूष भाग लेते हैं,जिससे गांव भवनपुरा का प्रात:काल का वातावरण कृष्णमय हो जाता है जिसके कारण गांव के निवासियों को आनंद की अनुभूति होती है जोकि अविस्मरणीय है,इस प्रभातफेरी का आयोजन बृज के संतों की कृपा से पिछले ३५ वर्षों से किया जा रहा है,अत: इसी प्रभातफेरी की वर्षगांठ के रूप में प्रतिवर्ष गोपाला महोत्सव का आयोजन किया जाता है,इसी दिन ही गांव भवनपुरा के निवासियों की ओर से आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि एकत्रित कर विशाल प्रसाद भंडारेका आयोजन किया जाता है जिसमें समस्त ग्राम वासी इच्छानुसार नये वस्त्र धारण कर बडे हर्षोल्लास के साथ टाट पट्टियों पर बैठकर सामूहिक रूप से प्रसाद ग्रहण करते हैं, यह क्षण वास्तव में ही प्रत्येक ग्रामवासी के लिये अत्यंत आनंद दायक होता है इसके उपरांत अन्य समीपवर्ती गांवों से निमंत्रण देकर बुलवायी गयी कीर्तन मंडलियों द्वारा कीर्तन प्रतियोगिता का रंगारंग आयोजन होता है जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली कीर्तन मंडली को मुख्य अतिथि द्वारा विशेष उपहार देकर व अन्य कीर्तन मंडलियों को भी उपहार वितरित कर सम्मानित किया जाता है रक्षाबंधन पर विशेष खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन गांव भवनपुरा में किया जाता है जिसमें बडी संख्या में गांव के युवा द्वारा और रक्षाबंधन के अवसर पर आने वाले नये पुराने रिश्तेदारों द्वारा बढचढकर प्रतिभाग किया जाता है | गांव भवनपुरामें होली,दीपावली,गोवर्धनपूजा के त्यौहार भी बडे हर्षोल्लास के साथ मनाये जाते हैं,होली के बाद हुरंगा का रंगारंग आयोजन किया जाता है, कुश्ती दंगल- होली से १३ दिवस उपरांत चैत्र माह की त्रियोदशी को गांव में कुश्ती दंगल का आयोजन गांव-भवनपुरा में किया जाता है जिसमें दूर दूर आये हुये से पहलवान अपनी बृज प्रसिद्ध मल्ल विधा के कौशल का परिचय देते हैं इस आयोजन को देखने आसपडोस के गांव कस्बों से भारी संख्या में बालक,युवा,बृद्ध व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित होते हैं,दंगल के दिन ही गांव में विक्रेताओं द्वारा जलेबी सोनहलवा,पान,आईसक्रीम चांट पकौडी,समौसा,आदि की स्टाल व बच्चौं के लिये खिलौनों की दुकान व खेलकूद के लिये तरह तरह के झूले लगाये जाते हैं जिनका कि बच्चे व गांव की महिलायें जमकर लुप्त उठाती हैं तथा दंगल देखने बाद गांव जाने वाले लोग अपने परिवार के लिये जलेबी,सोनहलुवा अनिवार्य रूप से ले जाते हैं इसी दिन ही रात्रि में गांव में नौटंकी का आयोजन किया जाता हैं जिसे आस-पास के गांवों से काफी संख्या में युवा वर्ग के नौजवान एकत्रित होते हैं तथा गांव के युवा वर्ग द्वारा इस आयोजन का जमकर आनंद लिया जाता है, महाशिवरात्रि अर्थात भोला चौदस पर भी गांव-भवनपुरा में विशेष आयोजन होते हैं इस दिन भगवान भोलेनाथ के भक्त ग्रामवासी युवा श्री गंगा जी रामघाट से कांवर लेकर आते हैं इन कावडियों के ग्राम पहुंचनें पर भव्य स्वागत किया जाता है तथा गांव के सभी लोग बैंड बाजे के साथ गांव की परिक्रमा करने के बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं,इस दिन गांव सभी घरों में विशेष पकवान व गाजर का हलवा,खोवा के लड्डू,सिघाडे का हलवा आदि बनते हैं जिन्हें महाशिवरात्रि पर व्रत रखने वाले लोग बडे चाव से खाते हैं, शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा हेतु गांव में ही प्राईमरी स्कूल, जूनियर हाईस्कूल है, इससे आगे की पढाई के लिये निकटवर्ती कस्बा गोवर्धन, अडींग जाना पडता है इन कस्बों के प्रमुख इंटर कालेजों/पी०जी० कालेजों की सूची निम्नलिखित है निकटवर्ती पर्यटन/धार्मिक स्थल- .

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मलाइका गोयल

मलाइका गोयल भारत की एक खिलाड़ी हैं। इन्होंने ग्लासगो में हुए 2014 राष्ट्रमण्डल खेलों में शूटिंग की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में 197.1 के स्कोर के साथ रजत पदक प्राप्त किया। मलाइका गोयल मात्र 16 साल की हैं। उन्होंने 2012 में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में भी रजत पदक जीता था। वे पंजाब के लुधियाना शहर से हैं। मलाइका के पिता पंजाब पुलिस में एसपी (विजिलेंस) हैं। .

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मिनियापोलिस

मिनियापोलिस "झीलों का शहर" और "मिलों का शहर" के रूप में उपनाम सहित हेन्नेपिन काउंटी का काउंटी सीट है, जो अमेरिकी राज्य मिनेसोटा का सबसे बड़ा शहर और अमेरिका का 47वां बड़ा शहर है। इसके नाम का श्रेय शहर के पहले स्कूल टीचर को दिया जाता है, जिन्होंने पानी के लिए डकोटा शब्द mni को, तथा शहर के लिए ग्रीक शब्द polis को जोड़ा.

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मुठभेड़

मुठभेड़ का सामान्य अर्थ एक प्रकार का हिंसात्मक संघर्ष है। यह कभी-कभी दो गैर-क़ानूनी गुटों में, सेनाओं के बीच और साधारण रूप से पुलिस और अपराधियों के बीच होता है। किन्तु 'मुठभेड़' का कानूनी अर्थ है, 'पुलिस या किसी अन्य सशस्त्र बल द्वारा, अपनी रक्षा करने के लिए, किसी गिरोहबाज अपराधी या आतंकवादी को मार गिराना'। 'मुठभेड़' या 'इन्काउण्टर' शब्दों का उपयोग भारत और पाकिस्तान में २०वीं शताब्दी से (विशेष अर्थ में) हो रहा है। १९९० तथा मध्य २००० के दशक में मुम्बई पुलिस ने नगर के कई भूमिगत अपराधियों को मार गिराया था। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद १० माह में ११४२ मुठभेड़ें हुईं। 'मुठभेड़' को लेकर कई बार विवाद भी होता है। कुछ मानवाधिकार संगठन और कुछ अन्य लोग इस प्रकार के मुठभेड़ की घटनाओं को "फ़र्ज़ी मुठभेड़" कहते हैं जबकि पुलिस के अधिकारी घटना-स्थल से प्राप्त वस्तुओं के आधार पर उन्हें सही ठहराते हैं। .

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मॉरिशस

मॉरीशस गणराज्य(अंग्रेज़ी: Republic of Mauritius, फ़्रांसीसी: République de Maurice), अफ्रीकी महाद्वीप के तट के दक्षिणपूर्व में लगभग 900 किलोमीटर की दूरी पर हिंद महासागर में और मेडागास्कर के पूर्व में स्थित एक द्वीपीय देश है। मॉरीशस द्वीप के अतिरिक्त इस गणराज्य मे, सेंट ब्रेंडन, रॉड्रीगज़ और अगालेगा द्वीप भी शामिल हैं। दक्षिणपश्चिम में 200 किलोमीटर पर स्थित फ्रांसीसी रीयूनियन द्वीप और 570 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित रॉड्रीगज़ द्वीप के साथ मॉरीशस मस्कारेने द्वीप समूह का हिस्सा है। मारीशस की संस्कृति, मिश्रित संस्कृति है, जिसका कारण पहले इसका फ्रांस के आधीन होना तथा बाद में ब्रिटिश स्वामित्व में आना है। मॉरीशस द्वीप विलुप्त हो चुके डोडो पक्षी के अंतिम और एकमात्र घर के रूप में भी विख्यात है। .

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यूरोपीय संघ

यूरोपियन संघ (यूरोपियन यूनियन) मुख्यत: यूरोप में स्थित 28 देशों का एक राजनैतिक एवं आर्थिक मंच है जिनमें आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है जो संघ के कई या सभी राष्ट्रो पर लागू होती है। इसका अभ्युदय 1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपिय आर्थिक परिषद के माध्यम से छह यूरोपिय देशों की आर्थिक भागीदारी से हुआ था। तब से इसमें सदस्य देशों की संख्या में लगातार बढोत्तरी होती रही और इसकी नीतियों में बहुत से परिवर्तन भी शामिल किये गये। 1993 में मास्त्रिख संधि द्वारा इसके आधुनिक वैधानिक स्वरूप की नींव रखी गयी। दिसम्बर 2007 में लिस्बन समझौता जिसके द्वारा इसमें और व्यापक सुधारों की प्रक्रिया 1 जनवरी 2008 से शुरु की गयी है। यूरोपिय संघ सदस्य राष्ट्रों को एकल बाजार के रूप में मान्यता देता है एवं इसके कानून सभी सदस्य राष्ट्रों पर लागू होता है जो सदस्य राष्ट्र के नागरिकों की चार तरह की स्वतंत्रताएँ सुनिश्चित करता है:- लोगों, सामान, सेवाएँ एवं पूँजी का स्वतंत्र आदान-प्रदान.

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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राम प्रसाद नौटियाल

लैंसडौन विधान सभा' क्षेत्र से विधायक के रूप में: प्रथम कार्यकाल:- 1951 to 1957, द्वितीय कार्यकाल - 1957 to 1962 राम प्रसाद नौटियाल (1 अगस्त, 1905 - 24 दिसम्बर, 1980) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी तथा राजनेता। .

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रामपाल (हरियाणा)

रामपाल या संत रामपाल (अंग्रेजी:Rampal) एक भारतीय धार्मिक नेता है जो कबीर पंथ के लीडर है। ये सतलोक आश्रम के स्थापक भी है जो कि भारतीय राज्य हरियाणा के हिसार क्षेत्र में स्थित है। .

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रिवॉल्वर (.32 बोर)

.32 बोर रिवॉल्वर (अंग्रेजी:IOF 32 Revolver) भारतीय आयुध निर्माणी, कानपुर द्वारा निर्मित एक छोटा हथियार है जो अब भारत में आम शस्त्र लाइसेंस धारकों के लिये उपलब्ध है। 6 फॉयर वाला यह रिवॉल्वर पूरी तरह से भारतीय आयुध निर्माणी फैक्ट्रियों द्वारा भारत में बनाया जाने लगा है। यह कम दूरी तक मार करने वाला आग्नेय अस्त्र है जिसे स्वयं तोड़कर चैम्बर में बाकी बचे कारतूस के खोखों को बाहर निकालना पड़ता है। इसमें.32 बोर के स्मिथ एण्ड वेसन (लांग रेंज) वाले 7.65 मिलीमीटर के कारतूस प्रयोग किये जाते हैं। यह रिवॉल्वर विदेशी वेब्ले सर्विस रिवॉल्वर (मार्क-IV) की तर्ज पर बनाया गया है। विदेशी वेब्ले स्कॉट कम्पनी का.38 बोर एस० एण्ड डब्लू० मॉडल रिवॉल्वर सिंगापुर की पुलिस द्वारा आज भी प्रयुक्त होता है। इसके बोर को.38 बोर से कुछ कम करके.32 बोर में बनाने के पीछे भारतीय आयुध निर्माणी कम्पनियों का उद्देश्य यही है कि इसे भारत में रहने वाले आम नागरिक आत्म रक्षा के लिये भारतीय शस्त्र अधिनियम के अन्तर्गत लाइसेंस प्राप्त कर खरीद सकें। अमूमन भारत में.38 बोर का रिवॉल्वर प्रोहिबिटेड बोर के अन्तर्गत आता है। कानूनी रूप से आम जनता को इसे अपने पास रखने की मनाही है। भारत में.32 बोर का रिवॉल्वर एन०पी० बोर (नॉन प्रॉहिबिटेड बोर) के अन्तर्गत शामिल किया गया है अत: आम नागरिक उसे शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर खरीद सकता है। .

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रेडियो

कुछ पुराने रेडियो (रिसिवर) 24 दिसम्बर 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वॉयलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, वह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी। इससे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने भारत में तथा गुल्येल्मो मार्कोनी ने सन 1900 में इंग्लैंड से अमरीका बेतार संदेश भेजकर व्यक्तिगत रेडियो संदेश भेजने की शुरुआत कर दी थी, पर एक से अधिक व्यक्तियों को एक साथ संदेश भेजने या ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत 1906 में फेसेंडेन के साथ हुई। ली द फोरेस्ट और चार्ल्स हेरॉल्ड जैसे लोगों ने इसके बाद रेडियो प्रसारण के प्रयोग करने शुरु किए। तब तक रेडियो का प्रयोग सिर्फ नौसेना तक ही सीमित था। 1917 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के बाद किसी भी गैर फौज़ी के लिये रेडियो का प्रयोग निषिद्ध कर दिया गया। .

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रोशन सिंह

रोशन सिंह (जन्म:१८९२-मृत्यु:१९२७) ठाकुर रोशन सिंह (१८९२ - १९२७) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के एक क्रान्तिकारी थे। असहयोग आन्दोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में हुए गोली-काण्ड में सजा काटकर जैसे ही शान्तिपूर्ण जीवन बिताने घर वापस आये कि हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन में शामिल हो गये। यद्यपि ठाकुर साहब ने काकोरी काण्ड में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया था फिर भी आपके आकर्षक व रौबीले व्यक्तित्व को देखकर काकोरी काण्ड के सूत्रधार पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व उनके सहकारी अशफाक उल्ला खाँ के साथ १९ दिसम्बर १९२७ को फाँसी दे दी गयी। ये तीनों ही क्रान्तिकारी उत्तर प्रदेश के शहीदगढ़ कहे जाने वाले जनपद शाहजहाँपुर के रहने वाले थे। इनमें ठाकुर साहब आयु के लिहाज से सबसे बडे, अनुभवी, दक्ष व अचूक निशानेबाज थे। .

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लिवोर मोर्टिस

लिवोर मोर्टिस (लातीनी भाषा में शरीर का नीलापन), ह्य्पोस्तासिस (यूनानी भाषा में खड़े ढाँचे के नीचे), पोस्टमॉर्टम लिविडिटी (लातीनी: मरने के बाद काले और नीले होना) यह तीनों सामान्य शब्द है, और यह मृत्यु के बाद का चौथी अवस्था है। लिवोर मोर्टिस मृत्यु के बाद का बाद का एक ऐसा समय है जिसमें शारीर का सारा रक्त निचले हिस्से में एकत्रित हो जाता है और त्वचा को बैंगनी रंग अथवा लाल रंग का कर देता है। यहाँ पर दिल काम करना बंद कर देता है और रक्त का बहाव की कोई शक्ति नहीं रह जाती है। इस समय भरी लाल रक्त कोशिकाएँ भी गुरुत्वाकर्षण के कारण प्लाविका में डूब जाती हैं। लिवोर मोर्टिस की प्रक्रिया २०-३० मिनट में शुरू हो जाती है और लगभग १-३ घंटो के अंदर ही सारे शारीर पर बैंगनी रंग के पैच (धब्बे) हो जाते हैं। पैच का आकार अगले ३-६ घंटों में बढता है। निश्चित रूप से जीवन के अंतिम संकेत ६-१२ घंटों तक ही दिखाई देते हैं। लिवोर मोर्टिस के रंग की तीव्रता रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा पर निर्भर करती है। रंग का फीका होना शारीर के उन भागों में नही दिखाई देता जो भाग किसी भी वस्तु या भूमी के संपर्क में होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यहाँ की कोशिकाएँ दब जाती हैं और रंग बदलने नहीं देती। .

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लुबी सर्कुलर रोड

लुबी सर्कुलर रोड धनबाद के महत्वपुर्ण के क्षेत्रो में से एक है। यह सड़क हीरापुर मोड़ के पास मेन रोड से सुरु होकर कँबाइन्ड बिल्डींग तक जाती है। यहा जिले कई महत्वपुर्ण कार्यालय और सरकारी अफसरो के आवास स्थान है मसलन जिले से पुलिस कप्तान (एस पी) का सरकारी निवास, महिला कालेज एस एस एल एन टी कालेज, माडा (मिनरल एरिआ डेव्पलमेन्ट आथरिटी) का मुख्य कार्यालय, धनबाद कल्ब, राज्कीय लाईब्ररेरी, कई राजनितिक पार्टीयो का जिला स्तर्रीय कार्यालय। लुबी सर्कुलर रोड में रणधीर वर्मा चोक की तरफ कई बैंक तथा होटल भी है। इसी रोड पर मुर्तिकार पाल की दुकान है, जहां से पुरे जिले को वर्षो से पुजा के लिए मुर्तिया भेजी जाती रही है, श्री पाल की देवी दुर्गा की मुर्ती पुरे धनबाद में प्रसिध्द है।.

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शहीद (1965 फ़िल्म)

शहीद (1965 फ़िल्म) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर हिन्दी भाषा की फिल्म है। भगत सिंह के जीवन पर 1965 में बनी यह देशभक्ति की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है। जिसकी कहानी स्वयं भगत सिंह के साथी बटुकेश्वर दत्त ने लिखी थी। इस फ़िल्म में अमर शहीद राम प्रसाद 'बिस्मिल' के गीत थे। मनोज कुमार ने इस फिल्म में शहीद भगत सिंह का जीवन्त अभिनय किया था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर आधारित यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ प्रामाणिक फ़िल्म है। 13वें राष्ट्रीय फ़िल्म अवार्ड की सूची में इस फ़िल्म ने हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के पुरस्कार के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता पर बनी सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के लिये नर्गिस दत्त पुरस्कार भी अपने नाम किया। बटुकेश्वर दत्त की कहानी पर आधारित सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखन के लिये दीनदयाल शर्मा को पुरस्कृत किया गया था। यह भी महज़ एक संयोग ही है कि जिस साल यह फ़िल्म रिलीज़ हुई थी उसी साल बटुकेश्वर दत्त का निधन भी हुआ। .

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शेंगेन क्षेत्र

शेंगेन क्षेत्र में उन पच्चीस यूरोपीय देशों के प्रदेश शामिल हैं जिन्होंने, लक्ज़मबर्ग के शेंगेन शहर में 1985 में हस्ताक्षरित शेंगेन समझौते को लागू किया है। शेंगेन क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए काफी हद तक एक एकल राष्ट्र की तरह संचालित होता है जहां इस क्षेत्र के अन्दर आने वाले या फिर बाहर जाने वाले लोगों के लिए तो सीमा नियंत्रण होता है, लेकिन यहां कोई आंतरिक सीमा नियंत्रण नहीं है। शेंगेन नियमों को 1999 में एम्स्टर्डम समझौते द्वारा यूरोपीय संघ (EU) क़ानून में शामिल कर लिया गया, हालांकि इस क्षेत्र में आधिकारिक तौर पर तीन गैर-यूरोपीय संघ राष्ट्र, आइसलैंड, नॉर्वे स्विटजरलैंड शामिल हैं और वास्तविक तौर पर तीन सूक्ष्म यूरोपीय राष्ट्र, मोनाको, सैन मैरिनो, और वेटिकन सिटी भी शामिल है। यूरोपीय संघ के दो सदस्यों - आयरलैंड और ब्रिटेन को छोड़कर बाकी सभी सदस्य राष्ट्रों को शेंगेन लागू करने की आवश्यकता है और बुल्गारिया, साइप्रस और रोमानिया को छोड़कर सभी ने इसे पहले से ही लागू कर लिया है। वर्तमान में इस क्षेत्र की जनसंख्या 40 करोड़ से अधिक है और का क्षेत्र इसके अंतर्गत आता है। शेंगेन नियमों को लागू करने के तहत एक शेंगन राष्ट्र को अन्य शेंगेन सदस्यों के साथ सीमा पर नियंत्रण को समाप्त करना और साथ ही गैर सदस्य राज्यों के साथ सीमा पर नियंत्रण को मजबूत बनाना शामिल है। इन नियमों में शामिल है लोगों के अस्थायी प्रवेश पर आम नीति के प्रावधान (शेंगेन वीज़ा सहित), बाह्य सीमा नियंत्रण को सुसंगत करना, पार-सीमा पुलिस और न्यायिक सहयोग.

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शॉपिंग मॉल

टोरंटो, ओन्टारियो, कनाडा के टोरोंटो ईटॉन सेंटर का आंतरिक भाग. मॉल में प्रयुक्त ट्राली की कतार शॉपिंग मॉल, शॉपिंग सेंटर या शॉपिंग परिसर एक या अधिक ऐसे भवन हैं जो व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले दुकानों के कॉम्पलेक्स का रूप धारण करते हैं, जिसमें पार्किंग क्षेत्र के साथ एक इकाई से दूसरी इकाई में आसानी से चल कर जाने के लिए रास्ते होते हैं - पारंपरिक बाज़ार का एक आधुनिक, भीतरी (इनडोर) संस्करण.

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सड़क रोष

भीड़-भाड़ वाला यातायात और चालकों की हताशा सड़क रोष के लिए एक योगदान कारक हो सकता है। सड़क रोष का आशय एक वाहन या अन्य मोटर वाहन के चालक के आक्रामक या क्रुद्ध व्यवहार से है। इस तरह के असभ्य व्यवहार में इशारे, मौखिक अपमान, जानबूझ कर एक असुरक्षित ढंग से या धमकी भरी ड्राइविंग, अथवा खतरा पैदा करना शामिल हो सकते है। सड़क पर रोष व्यक्त करना वाद-विवादों, हमलों और मुठभेड़ो का कारण बनता है जिसका परिणाम चोट और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। इसे एक आक्रामक ड्राइविंग की चरम सीमा के रूप में सोचा जा सकता है। यह शब्द की उत्पत्ति 1980 के दशक के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में विशेष रूप से लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में एक स्थानीय टीवी स्टेशन KTLA पर समाचार-वाचकों द्वारा हुई। यह शब्द 1987-1988 के दौरान उत्पन्न हुआ था जहां लॉस एंजिल्स में 405, 110 और 10 फ्रिवेज्स पर अविवेकपूर्ण फ्रीवे शूटिंग घटित हुई थी। शूटिंग की ये गतिविधियां अपने सदस्यों को AAA मोटर क्लब से इस बात पर प्रतिक्रिया पैदा कराती है कि सड़क पर रोष व्यक्त करना या आक्रामक युक्तियों और भावों के ड्राइवर के साथ कैसा व्यवहार करना है। .

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सरबजीत सिंह

सरबजीत सिंह (1963 - 2 मई 2013) एक भारतीय नागरिक थे जिन्हें पाकिस्तान ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप लगाकर सजा और प्रताड़ना दी। वे १९९० से पाकिस्तान के कोट लखपत जेल, में थे जहाँ उसी जेल के कैदियों ने हमला करके उन्हें मार दिया। .

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सार्वजनिक प्रतिष्ठान

सार्वजनिक प्रतिष्ठान सरकार के द्वारा चालित कम्पनियों के लिए संयुक्त रूप से प्रयुक्त शब्द है। सार्वजनिक प्रतिष्ठान की परिभाषा और सीमा निर्धारण सम्बंधित देश पर निर्भर करता है, लेकिन अधिकतर देशों में पुलिस, सेना, राजमार्ग, परिवहन, प्राथमिक शिक्षा जैसी सुविधाएं सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में समाहित होती हैं। .

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सियाचिन ग्लेशियर पदक

सियाचिन ग्लेशियर पदक पाकिस्तान के साथ भारत की उत्तरी सीमा पर सियाचिन ग्लेशियर पर युद्ध अथवा सेवा के लिए दिया जाता है। अप्रैल 1 9 84 से सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में ऑपरेशन मेघदूत में भाग लेने वाले सैनिकों की सहायता करने के लिए, भारतीय वायु सेना को इस सम्मान से सम्मानित किया गया। .

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जावा मोटरसाइकिल

जावा मोटरसाइकिल (अंग्रेजी में Ideal Jawa) स्वतन्त्र भारत में बनी 250 सीसी क्षमता वाली टू स्ट्रोक रेसिंग मोटरसाइकिल थी। सन् 1960 में मैसूर शहर (वर्तमान कर्नाटक प्रान्त) में फारूक ईरानी द्वारा स्थापित आइडियल जावा (इण्डिया) लिमिटेड ने इसे चेकोस्लोवाकिया की कम्पनी जावा मोटर्स से लाइसेंस लेकर बनाया था। उस समय 250 सीसी मॉडल में ईंधन की खपत के लिहाज से यह सर्वोत्तम मोटरसाइकिल थी जो 3 लीटर पेट्रोल में 100 किलोमीटर की दूरी तय करती थी। 1970 से लेकर 1990 के दशक तक पूरे 30 साल रेसिंग मोटरसाइकिलों में इसका कोई मुकाबला नहीं था। दो स्ट्रोक और दो साइलेंसर वाली यह अनूठी मोटरसाइकिल थी जिसके सभी कलपुर्जे कवर्ड हुआ करते थे। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसके किक स्टार्टर से ही गीयर बदलने का काम हो जाता था। इसके अलावा इसका रखरखाव भी बहुत ही सस्ता और आसान था। अमूमन इसे किसी मोटर मकेनिक के पास ले जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। 1960 से 1974 तक पूरे पन्द्रह साल जावा ब्राण्ड से यह भारत में बनायी गयी बाद में ब्राण्ड और मॉडल बदल कर येज़दी हो गया। परन्तु भारतीय बाजार में ग्लोबलाइजेशन एवं विश्व व्यापार संगठन के कठोर मापदण्डों के कारण सन् 1996 में इसकी निर्माता कम्पनी को इसका उत्पादन बन्द करने के लिये बाध्य होना पड़ा। यद्यपि जावा मोटरसाइकिल बनाने वाली कम्पनी को बन्द हुए बरसों हो चुके हैं फिर भी मैसूरवासियों के लिये आज भी जावा मोटर साइकिल सिर्फ़ एक बाइक ही नहीं बल्कि बहुत कुछ है। जावा शब्द इसके चेकोस्लोवाकियन संस्थापक जानीक फ्रांटिसेक और वांडरर के नाम के पहले दो-दो अक्षरों जा और वा को मिलाकर बनाया गया था। आज भी कर्नाटक प्रान्त में रहने वालों को इस मोटर साइकिल के नाम में मैसूर के एक प्रतापी राजा जायचमाराजेन्द्र वाडियार की स्मृति झलकती है। मैसूर राज्य में आज भी प्रति वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय जावा येज़दी दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें सन् 1945 के चेक जावा मॉडल से लेकर येज़दी 350 तक की सैकड़ों विण्टेज मोटरसाइकिलें सड़कों पर दौड़ती नज़र आती हैं। .

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जांच में सोशल नेटवर्क वेबसाइटों का उपयोग

सामाजिक नेटवर्क सेवाओं में तेजी से कानूनी और आपराधिक जांच में इस्तेमाल किया जा रहा है। सूचना ऐसी इंस्टाग्राम, ऑर्कुट और फेसबुक जैसी साइटों पर पोस्ट पुलिस और विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किया गया है। कुछ स्थितियों में, सामग्री इंस्टाग्राम पर तैनात अदालत में इस्तेमाल किया गया है एक प्रतिवादी के रवैये के आधार पर एक उचित सजा को निर्धारित करने के लिए। .

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जूता

आज दुनिया के सबसे व्यापक रूप से उपलब्ध जूता: पब्लिक स्क्वेर, फेज़, मोरक्को में बिक्री के लिए सैकड़ों इस्तेमाल किये हुए खेल के जूतें, 2007 जूता पैरों में पहनने की एक ऐसी वस्तु है जिसका उद्देश्य विभिन्न गतिविधियां करते समय मानव के पैर की रक्षा करना और उसे आराम पहुंचाना है। जूतों का उपयोग एक सजावट की वस्तु के रूप में भी किया जाता है। समय-समय पर तथा संस्कृति से संस्कृति जूते के डिजाइन व रंग-रूप में अत्यधिक परिवर्तिन हुआ है, मूल स्वरूप में इसे काम के समय पहना जाता था। इसके अतिरिक्त, फैशन ने अक्सर कई डिजाइन तत्वों को निर्धारित किया है, जैसे जूते की एड़ी बहुत ही ऊंची हो या समतल हो। समकालीन जूते शैली, जटिलता और लागत की दृष्टि से व्यापक रूप में भिन्न होते हैं। बुनियादी सैंडल में केवल एक पतला तला और एक सामान्य पट्टा शामिल था। उच्च फैशन जूते महंगी सामग्री से और जटिल निर्माण प्रक्रिया द्वारा बनाए जाते हैं तथा उन्हें हजारों डॉलर प्रति जोड़ी बेचा जा सकता है। अन्य जूते अति विशिष्ट प्रयोजनों के लिए होते हैं, जैसे पर्वतारोहण और स्कीइंग के लिए डिजाइन किए गए जूते (बूट).

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जोगिंदर शर्मा

जोगिंदर नाथ शर्मा (Joginder Sharma) (इनका जन्म;२३ अक्टूबर १९८३, रोहतक, हरियाणा, भारत) में हुआ था। ये एक भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के क्रिकेट खिलाड़ी है तथा वर्तमान में हरियाणा में पुलिस अधिकारी है। ये घरेलू क्रिकेट हरियाणा क्रिकेट टीम के लिए खेलते थे। .

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विधि

विधि (या, कानून) किसी नियमसंहिता को कहते हैं। विधि प्रायः भलीभांति लिखी हुई संसूचकों (इन्स्ट्रक्शन्स) के रूप में होती है। समाज को सम्यक ढंग से चलाने के लिये विधि अत्यन्त आवश्यक है। विधि मनुष्य का आचरण के वे सामान्य नियम होते है जो राज्य द्वारा स्वीकृत तथा लागू किये जाते है, जिनका पालन अनिवर्य होता है। पालन न करने पर न्यायपालिका दण्ड देता है। कानूनी प्रणाली कई तरह के अधिकारों और जिम्मेदारियों को विस्तार से बताती है। विधि शब्द अपने आप में ही विधाता से जुड़ा हुआ शब्द लगता है। आध्यात्मिक जगत में 'विधि के विधान' का आशय 'विधाता द्वारा बनाये हुए कानून' से है। जीवन एवं मृत्यु विधाता के द्वारा बनाया हुआ कानून है या विधि का ही विधान कह सकते है। सामान्य रूप से विधाता का कानून, प्रकृति का कानून, जीव-जगत का कानून एवं समाज का कानून। राज्य द्वारा निर्मित विधि से आज पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। राजनीति आज समाज का अनिवार्य अंग हो गया है। समाज का प्रत्येक जीव कानूनों द्वारा संचालित है। आज समाज में भी विधि के शासन के नाम पर दुनिया भर में सरकारें नागरिकों के लिये विधि का निर्माण करती है। विधि का उदेश्य समाज के आचरण को नियमित करना है। अधिकार एवं दायित्वों के लिये स्पष्ट व्याख्या करना भी है साथ ही समाज में हो रहे अनैकतिक कार्य या लोकनीति के विरूद्ध होने वाले कार्यो को अपराध घोषित करके अपराधियों में भय पैदा करना भी अपराध विधि का उदेश्य है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1945 से लेकर आज तक अपने चार्टर के माध्यम से या अपने विभिन्न अनुसांगिक संगठनो के माध्यम से दुनिया के राज्यो को व नागरिकों को यह बताने का प्रयास किया कि बिना शांति के समाज का विकास संभव नहीं है परन्तु शांति के लिये सहअस्तित्व एवं न्यायपूर्ण दृष्टिकोण ही नहीं आचरण को जिंदा करना भी जरूरी है। न्यायपूर्ण समाज में ही शांति, सदभाव, मैत्री, सहअस्तित्व कायम हो पाता है। .

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व्यापम घोटाला

व्यापम घोटाला भारतीय राज्य मध्य प्रदेश से जुड़ा प्रवेश एवं भर्ती घोटाला है जिस के पीछे कई नेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यवसायियों का हाथ है। मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल अथवा व्यापम (व्यावसायिक परीक्षा मण्डल) राज्य में कई प्रवेश परीक्षाओं के संचालन के लिए जिम्मेदार राज्य सरकार द्वारा गठित एक स्व-वित्तपोषित और स्वायत्त निकाय है। ये प्रवेश परीक्षाएँ, राज्य के शैक्षिक संस्थानों में तथा सरकारी नौकरियों में दाखिले और भर्ती के लिए आयोजित की जाती हैं। इन प्रवेश परीक्षाओं में तथा नौकरियों में अपात्र परीक्षार्थियों और उम्मीदवारों को बिचौलियों, उच्च पदस्थ अधिकारियों एवं राजनेताओं की मिलीभगत से रिश्वत के लेनदेन और भ्रष्टाचार के माध्यम से प्रवेश दिया गया एवं बड़े पैमाने पर अयोग्य लोगों की भर्तियाँ की गयी। इन प्रवेश परीक्षाओं में अनियमितताओं के मामलों को 1990 के मध्य के बाद से सूचित किया गया था और पहली एफआईआर २००९ में दर्ज हुई। इसके लिए राज्य सरकार ने मामले की जाँच के लिए एक समिति कि स्थापना की।समिति ने २०११ में अपनी रिपोर्ट जारी की, और एक सौ से अधिक लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था तथा कई अब भी फरार हैं।। व्यापम घोटाले की व्यापकता सन २०१३ में तब सामने आई जब इंदौर पुलिस ने २००९ की पीएमटी प्रवेश से जुड़े मामलों में 20 नकली अभ्यर्थियों को गिरफ़्तार किया जो असली अभ्यर्थियों के स्थान पर परीक्षा देने आए थे। इन लोगों से पूछताछ के दौरान जगदीश सागर का नाम घोटाले के मुखिया के रूप में सामने आया जो एक संगठित रैकेट के माध्यम से इस घोटाले को अंजाम दे रहा था। जगदीश सागर की गिरफ़्तारी के बाद राज्य सरकार ने २६ अगस्त २०१३ को एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की स्थापना की और बाद की जाँच और गिरफ्तारियों से घोटाले में कई नेताओं, नौकरशाहों, व्यापम अधिकारियों, बिचौलियों, उम्मीदवारों और उनके माता-पिता की घोटाले में भागीदारी का पर्दाफाश हुआ। जून २०१५ तक २००० से अधिक लोगों को इस घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया जा चुका है जिस में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और एक सौ से अधिक अन्य राजनेताओं को भी शामिल हैं। जुलाई २०१५ में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने देश के प्रमुख जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मामले की जाँच स्थानांतरित करने के लिए एक आदेश जारी किया। अगर कांग्रेस पार्टी के बिचारों को प्राथमिकता दी जाए तो व्यापम घोटाले के दोषी लक्ष्मीकांत शर्मा और मुख्य रूप से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह हैं जिनमे से स्वसत्ता के चलते मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है मुख्यमंत्री शिवराजसिंह ने व्यापम घोटाले को दवाने के लिए भोपाल में ही एक फर्जी एनकाउंटर करवा दिया .

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खुदीराम बोस

युवा क्रान्तिकारी '''खुदीराम बोस''' (१९०५ में) खुदीराम बोस (बांग्ला: ক্ষুদিরাম বসু; जन्म: ३-१२-१८८९ - मृत्यु: ११ अगस्त १९०८) भारतीय स्वाधीनता के लिये मात्र १९ साल की उम्र में हिन्दुस्तान की आजादी के लिये फाँसी पर चढ़ गये। कुछ इतिहासकारों की यह धारणा है कि वे अपने देश के लिये फाँसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलन्त तथा युवा क्रान्तिकारी देशभक्त थे। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि खुदीराम से पूर्व १७ जनवरी १८७२ को ६८ कूकाओं के सार्वजनिक नरसंहार के समय १३ वर्ष का एक बालक भी शहीद हुआ था। उपलब्ध तथ्यानुसार उस बालक को, जिसका नम्बर ५०वाँ था, जैसे ही तोप के सामने लाया गया, उसने लुधियाना के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर कावन की दाढी कसकर पकड ली और तब तक नहीं छोडी जब तक उसके दोनों हाथ तलवार से काट नहीं दिये गये बाद में उसे उसी तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया था। (देखें सरफरोशी की तमन्ना भाग ४ पृष्ठ १३) .

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ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर

झोंपड़ा गाँव राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में आने वाली प्रमुख ग्राम पंचायत है ! ग्राम पंचायत का सबसे बड़ा गाँव झोंपड़ा है जिसमें मीणा जनजाति का नारेड़ा गोत्र मुख्य रूप से निवास करता हैं। ग्राम पंचायत में झोंपड़ा, बगीना, सिरोही, नाहीखुर्द एवं झड़कुंड गाँव शामिल है। झोंपड़ा ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 5184 है और ग्राम पंचायत में कुल घरों की संख्या 1080 है। ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी नदी बनास नदी है वहीं पंचायत की सबसे लम्बी घाटी चढ़ाई बगीना गाँव में बनास नदी पर पड़ती है। ग्राम पंचायत का सबसे विशाल एवं प्राचीन वृक्ष धंड की पीपली है जो झोंपड़ा, बगीना एवं जगमोंदा गाँवों से लगभग बराबर दूरी पर पड़ती है। .

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आत्महत्या के तरीके

आत्महत्या का तरीके खोजने वालों को भारत में आसरा नामक संस्था परामर्श देती हैं जिसका दूरभाष क्रमांक 022 2754 6669 है। उस संस्था का अधिकृत जालस्थान www.aasra.info है। आत्महत्या का तरीका ऐसी किसी भी विधि को कहते हैं जिसके द्वारा एक या अधिक व्यक्ति जान-बूझकर अपनी जान ले लेते हैं। आत्महत्या के तरीकों को जीवन लीला समाप्त करने की दो विधियों के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है: शारीरिक या रासायनिक.

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आपदा तत्परता

आपातकालीन प्रबंधन एक अंतःविषयक क्षेत्र का सामान्य नाम है जो किसी संगठन की महत्वपूर्ण आस्तियों की आपदा या विपत्ति उत्पन्न करने वाले खतरनाक जोखिमों से रक्षा करने और सुनियोजित जीवनकाल में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए प्रयुक्त सामरिक संगठनात्मक प्रबंधन प्रक्रियाओं से संबंधित है। आस्तियां सजीव, निर्जीव, सांस्कृतिक या आर्थिक के रूप में वर्गीकृत हैं। खतरों को प्राकृतिक या मानव-निर्मित कारणों के द्वारा वर्गीकृत किया जाता है। प्रक्रियाओं की पहचान के उद्देश्य से संपूर्ण सामरिक प्रबंधन की प्रक्रिया को चार क्षेत्रों में बांटा गया है। ये चार क्षेत्र सामान्य रूप से जोखिम न्यूनीकरण, खतरे का सामना करने के लिए संसाधनों को तैयार करने, खतरे की वजह से हुए वास्तविक नुकसान का उत्तर देने और आगे के नुकसान को सीमित करने (जैसे आपातकालीन निकासी, संगरोध, जन परिशोधन आदि) और यथासंभव खतरे की घटना से यथापू्र्व स्थिति में लौटने से संबंधित हैं। क्षेत्र सार्वजनिक और निजी दोनों में होता है, प्रक्रिया एक सी सांझी होती है लेकिन ध्यान केंद्र विभिन्न होते हैं। आपातकालीन प्रबंधन प्रक्रिया एक नीतिगत प्रक्रिया न होकर एक रणनीतिक प्रक्रिया है अतः यह आमतौर पर संगठन में कार्यकारी स्तर तक ही सीमित रहती है। सामान्य रूप से इसकी कोई प्रत्यक्ष शक्ति नहीं है लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक संगठन के सभी भाग एक सांझे लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें, यह सलाहकार के रूप में या कार्यों के समन्वय के लिए कार्य करता है। प्रभावी आपात प्रबंधन संगठन के सभी स्तरों पर आपातकालीन योजनाओं के संपूर्ण एकीकरण और इस समझ पर निर्भर करता है कि संगठन के निम्नतम स्तर आपात स्थिति के प्रबंधन और ऊपरी स्तर से अतिरिक्त संसाधन और सहायता प्राप्त करने के लिए जिम्मेदार हैं। कार्यक्रम का संचालन करने वाले संगठन के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति को सामान्य रूप से एक आपातकालीन प्रबंधक या क्षेत्र में प्रयुक्त शब्द से व्युत्पन्न पर आधारित (अर्थात् व्यापार निरंतरता प्रबंधक) कहा जाता है। इस परिभाषा के अंतर्गत शामिल क्षेत्र हैं.

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इण्टरपोल

फ्रांस के लियों शहर में स्थित इन्टरपोल का मुख्यालय इण्टरपोल (Interpol) का पूरा नाम है - अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संस्था (International Criminal Police Organization)। यह अन्तरराष्ट्रीय संस्था है जो विभिन्न देशों के पुलिस के बीच सहयोग करके अन्तरराष्ट्रीय अपराधियों को पकड़ती है। .

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कर्फ्यू

वर्तमान समय में कर्फ्यू (Curfew) पुलिस द्वारा घोषित एक आदेश या आज्ञा होती है जिसका उपयोग विशेष परिस्थितियों में, उदाहरणत: दंगा, लूटपाट, आगजनी, हिंसात्मक तथा विध्वंसक कार्यों को रोककर पुन: शांति एवं व्यवस्था स्थापित करने तथा नागरिकों की सुरक्षा के निमित्त किया जाता है। आज के कर्फ़्यू आदेश के साथ विधि का बल है और इसका उल्लंघन दंडनीय है। भारत में यह आदेश दंडविधान संहिता की धारा 144 के अंतर्गत कार्यकारी मैजिस्ट्रेटों द्वारा प्रसारित किया जाता है। कर्फ़्यू आदेश की अवधि में यातायात पर तथा जनता के घरों से बाहर निकलकर घूमने फिरने पर प्रतिबंध रहता है। |जर्मन पत्रिका कर्फ्यू .

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काकोरी काण्ड

काकोरी-काण्ड के क्रान्तिकारी सबसे ऊपर या प्रमुख बिस्मिल थे राम प्रसाद 'बिस्मिल' एवं अशफाक उल्ला खाँ नीचे ग्रुप फोटो में क्रमश: 1.योगेशचन्द्र चटर्जी, 2.प्रेमकृष्ण खन्ना, 3.मुकुन्दी लाल, 4.विष्णुशरण दुब्लिश, 5.सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य, 6.रामकृष्ण खत्री, 7.मन्मथनाथ गुप्त, 8.राजकुमार सिन्हा, 9.ठाकुर रोशानसिंह, 10.पं० रामप्रसाद 'बिस्मिल', 11.राजेन्द्रनाथ लाहिडी, 12.गोविन्दचरण कार, 13.रामदुलारे त्रिवेदी, 14.रामनाथ पाण्डेय, 15.शचीन्द्रनाथ सान्याल, 16.भूपेन्द्रनाथ सान्याल, 17.प्रणवेशकुमार चटर्जी काकोरी काण्ड (अंग्रेजी: Kakori conspiracy) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक मंशा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी जो ९ अगस्त १९२५ को घटी। इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे। इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के मद्देनजर शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने ९ अगस्त १९२५ को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी "आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद व ६ अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड (फाँसी की सजा) सुनायी गयी। इस मुकदमें में १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था। .

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कैमकॉर्डर

कैनन एचडी कैमकॉर्डर कैमकॉर्डर (वीडियो कैम रा रिकॉर्डर) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसमें डिजिटल कैमरा और डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर को एक इकाई में शामिल किया जाता है। प्रतीत होता है कि उपकरण निर्माताओं के पास इस शब्द के उपयोग के लिए कोई सख्त दिशा-निर्देश नहीं है। विपणन सामग्रियों में एक वीडियो रिकॉर्डिंग उपकरण को कैमकॉर्डर के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है लेकिन सुपुर्दगी पैकेज में सामग्री को वीडियो कैमरा रिकॉर्डर के रूप में ही पहचान दी जाएगी.

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अपराध जांच विभाग

अपराध जाँच विभाग (Criminal Investigation Department) या संक्षेप में सीआईडी (CID) ब्रिटेन की राज्य पुलिस और ब्रिटिश राष्ट्रकुल देशों की राज्य पुलिस के अंतर्गत आने वाली एक इकाई होती है जिसके लोग आम पुलिस की तरह वर्दी नहीं पहनते बल्कि सादे कपड़ों में रहकर कार्य करते हैं। यह विशेष शाखा (स्पेशल ब्रांच) से अलग होती है। 1854 में ब्रिटेन के नॉटिंघम बरो पुलिस ने पहली ऐसी शाखा स्थापित की थी और 1878 में चार्ल्स विन्सेंट ने मेट्रोपोलिटन पुलिस सर्विस सीआइडी की स्थापना की। विन्सेंट को सीआइडी का संस्थापक माना जाता है। श्रेणी:पुलिस श्रेणी:अपराध जाँच.

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अमेदिओ मोदिग्लिआनी

अमेदिओ क्लेमेनते मोदिग्लिआनी (12 जुलाई 1884 - 24 जनवरी 1920) एक इतालवी कलाकार थे जो मुख्य रूप से फ्रांस में काम करते थे। वे मुख्य रूप से एक आलंकारिक कलाकार थे, उन्हें मुखौटों-जैसे चेहरे और लम्बे स्वरूपों की विशेषता लिए आधुनिक शैली में चित्रकारी और मूर्तिकारी करने के लिए जाना गया। ट्युबरकुलर मैनिंजाइटिस के कारण पेरिस में उनका निधन हो गया, जिसमें गरीबी, अत्यधिक काम और शराब और नशीले पदार्थों के सेवन ने भी अपनी भूमिका निभाई.

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अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, (उर्दू: اشفاق اُللہ خان, अंग्रेजी:Ashfaq Ulla Khan, जन्म:22 अक्तूबर १९००, मृत्यु:१९२७) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और १९ दिसम्बर सन् १९२७ को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है। .

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अजमल क़साब

अजमल क़साब (पाकिस्तानी आतंकवादी) अजमल क़साब (पूरा नाम: मुहम्मद अजमल आमिर क़साब, उर्दू: محمد اجمل امیر قصاب‎, जन्म: १३ जुलाई १९८७ ग्राम: फरीदकोट, पाकिस्तान - फांसी: २१ नवम्बर २०१२ यरवदा जेल, पुणे) २६/११/२००८ को ताज़ होटल मुंबई पर वीभत्स हमला करने वाला एक पाकिस्तानी आतंकवादी था। मुहम्मद आमिर क़साब उसके बाप का नाम था। वह कसाई जाति का मुसलमान था। "क़साब" (قصاب‎) शब्द अरबी भाषा का है जिसका हिन्दी में अर्थ कसाई या पशुओं की हत्या करने वाला होता है। साधारणतया लोगबाग उसे अजमल क़साब के नाम से ही जानते थे। क़साब पाकिस्तान में पंजाब प्रान्त के ओकरा जिला स्थित फरीदकोट गाँव का मूल निवासी था और पिछले कुछ साल से आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त था। हमलों के बाद चलाये गये सेना के एक अभियान के दौरान यही एक मात्र ऐसा आतंकी था जो जिन्दा पुलिस के हत्थे चढ़ गया। इस अभियान में इसके सभी नौ अन्य साथी मारे गये थे। इसने और इसके साथियों ने इन हमलों में कुल १६६ निहत्थे लोगों की बर्बरतापूर्ण हत्या कर दी थी। पाकिस्तान सरकार ने पहले तो इस बात से इनकार किया कि क़साब पाकिस्तानी नागरिक है किन्तु जब भारत सरकार द्वारा सबूत पेश किये गये तो जनवरी २००९ में उसने स्वीकार कर लिया कि हाँ वह पाकिस्तान का ही मूल निवासी है। ३ मई २०१० को भारतीय न्यायालय ने उसे सामूहिक ह्त्याओं, भारत के विरुद्ध युद्ध करने तथा विस्फोटक सामग्री रखने जैसे अनेक आरोपों का दोषी ठहराया। ६ मई २०१० को उसी न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर मृत्यु दण्ड की सजा सुनायी। २६-११-२००८ को मुम्बई में ताज़ होटल पर हुए हमले में ९ आतंकवादियों के साथ कुल १६६ निरपराध लोगों की हत्या में उसके विरुद्ध एक मामले में ४ और दूसरे मामले में ५ हत्याओं का दोषी होना सिद्ध हुआ था। इसके अतिरिक्त नार्को टेस्ट में उसने ८० मामलों में अपनी संलिप्तता भी स्वीकार की थी। २१ फ़रवरी २०११ को मुम्बई उच्च न्यायालय ने उसकी फाँसी की सजा पर मोहर लगा दी। २९ अगस्त २०१२ को भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी उसके मृत्यु दण्ड की पुष्टि कर दी। बाद में गृह मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास भिजवायी गयी। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा उसे अस्वीकार करने के बाद पुणे की यरवदा केन्द्रीय कारागार में २१ नवम्बर २०१२ को प्रात: ७ बजकर ३० मिनट पर उसे फाँसी दे दी गयी। .

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अग्निशमक

अमेरिका के मिशिगन राज्य में आग-निरोधक वस्त्र धारण किये हुए आग से जूझते अग्निशमक अग्निशमक (firefighters) उन बचाव करमचारियों को कहा जाता है जो किसी स्थान पर लग हानिकारक आग पर नियंत्रण पाने, उसे बुझाने और उस से लोगों और सम्पत्ति को बचाने का काम करते हैं। अग्निशमन के लिए विभिन्न परिस्थितियों में आग पर काबू पाकर उसे बंद करने के लिए बहुत सी तकनीकें सीखनी पड़ती हैं और उन कठिन परिस्थितियों में जाकर उन्हें झेलने के लिए शारीरिक-क्षमता भी ज़रूरी है। आधुनिक शहरी जीवन में पुलिस और डॉक्टरों के साथ-साथ अग्निशमन को भी एक आवश्यक आपातकालीन सेवा समझा जाता है। कभी-कभी अग्निशमक दस्ते ऐसी आपात-स्थितियों में भी सहायता करते हैं जो आग-सम्बन्धी नहीं होती, जैसे कि विमान दुर्घटना या किसी कारख़ाने से ज़हरीले रसायन का चूना।, International Association of Fire Chiefs, pp.

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अंतिम तथ्य

कानून में, अंतिम तथ्य यह है कि तथ्यात्मक विवेचना के बाद एक जूरी द्वारा किए गए साक्ष्य के समापन। एक आम परिभाषा है, "एक परीक्षण में, इस तथ्य का एक निष्कर्ष है जो तार्किक सबूत से परिणाम निकालना जाता है"। यह "निष्कर्ष बारीक तथ्यों के आधार पर सुनवाई के दौरान पहुंचे। एक उदाहरण निष्कर्ष क्योंकि वह उड़ गए एक डबल लाइन पर चले गए थे, फिसल और उसकी गाड़ी का नियंत्रण खो दिया है कि किसी ने लापरवाही के लिए जिम्मेदार होता था। जूरी अंतिम तथ्य यह बाहर कर सकते हैं, जब एक आदमी अपने अपार्टमेंट में प्रवेश करती है, एक औरत के अंदर से चिल्लाती है, और पुलिस उसके हाथ में उसकी बंदूक के साथ अपार्टमेंट उसकी मृत पत्नी पर खड़े आदमी के अंदर मिल जाए, कि वह उसकी हत्या कर दी। .

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उड़न दस्ता

उड़न दस्ता (अंग्रेज़ी में: Flying Squad) एक पुलिस टीम होती है जो परीक्षा केन्द्रों पर नियंत्रण रखती है। इसका काम यह है कि वह सुनिश्चित करे कि परीक्षा में किसी भी तरह की कोई नकल नहीं होनी चाहिए। उड़न दस्ता परीक्षा केन्द्र पर बिना किसी पूर्व सूचना के किसी समय आ सकता है और अपनी जाँच-पड़ताल का काम शुरू कर सकता है। परीक्षा शांतिपूर्ण हो, इसके लिए कई मौकों पर परीक्षा केन्द्रों के अन्दर भी आंतरिक पुलिस भी नियुक्त रहती है। .

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छावनी

सैनिकों या पुलिस के निवासस्थान को छावनी (cantonment) कहते हैं। .

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11 सितम्बर 2001 के हमले

11 सितंबर के हमले (जिन्हें अक्सर सितम्बर 11 या 9/11 कहा जाता है) 11 सितम्बर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर अल-क़ायदा द्वारा समन्वित आत्मघाती हमलों की एक श्रंखला थी। उस दिन सबेरे, 19 अल कायदा आतंकवादियों ने चार वाणिज्यिक यात्री जेट वायुयानों का अपहरण कर लिया। अपहरणकर्ताओं ने जानबूझकर उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग तथा भवनों के अंदर काम करने वाले अन्य अनेक लोग भी मारे गए। दोनों भवन दो घंटे के अंदर ढह गए, पास की इमारतें नष्ट हो गईं और अन्य क्षतिग्रस्त हुईं। अपहरणकर्ताओं ने तीसरे विमान को बस वाशिंगटन डी॰सी॰ के बाहर, आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन में टकरा दिया। अपहरणकर्ताओं द्वारा वाशिंगटन डी॰सी॰ की ओर पुनर्निर्देशित किए गए चौथे विमान के कुछ यात्रियों एवं उड़ान चालक दल द्वारा विमान का नियंत्रण फिर से लेने के प्रयास के बाद, विमान ग्रामीण पेंसिल्वेनिया में शैंक्सविले के पास एक खेत में जा टकराया। किसी भी उड़ान से कोई भी जीवित नहीं बचा। इन हमलों में लगभग 3,000 शिकार तथा 19 अपहरणकर्ता मारे गए। न्यूयॉर्क राज्य स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जून, 2009 तक अग्निशामकों एवं पुलिस कर्मियों सहित, 836 आपातसेवक मारे जा चुके हैं। वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पर हुए हमले में मारे गए 2,752 पीड़ितों में से न्यूयॉर्क शहर तथा पोर्ट अथॉरिटी के 343 अग्निशामक और 60 पुलिस अधिकारी थे। पेंटागन पर हुए हमले में 184 लोग मारे गए थे। हताहतों में 70 देशों के नागरिकों सहित नागरिकों की भारी संख्या थी। इसके अलावा, वहां कम से कम एक द्वित्तीयक मृत्यु हुई थी- चिकित्सा परीक्षक के अनुसार वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ढहने से धूल में प्रकटन के कारण हुए फेफड़ों के रोग की वजह से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका ने आतंक के विरुद्ध युद्ध शुरू करके हमले की प्रतिक्रिया व्यक्त की है: आतंकवाद को आश्रय देने वाले तालिबान को पदच्युत करने के लिए इसने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूएसए (USA) पैट्रियट एक्ट कानून भी बनाया। कई अन्य देशों ने भी अपने आतंकवाद विरोधी कानूनों को मजबूत बनाया तथा कानून प्रवर्तक क्षमताओं का विस्तार किया। कुछ अमेरिकी शेयर बाजार हमले के बाद सप्ताह के शेष दिनों में बंद रहे तथा फिर से खुलने पर भारी घाटा, खासकर एयरलाइन और बीमा उद्योग में, दर्ज किया। अरबों डॉलर के कार्यालय स्थान के नष्ट होने से लोअर मैनहटन की अर्थव्यवस्था को गंभीर हानि का सामना करना पड़ा। पेंटागन को हुए नुकसान के एक वर्ष के अंदर साफ कर दिया गया और मरम्मत कर दी गई तथा भवन के बगल में पेंटागन स्मारक का निर्माण किया गया। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर स्थल पर पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 2006 में, एक नया कार्यालय टॉवर 7 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के स्थल पर पूर्ण हो गया। वर्तमान में नया 1 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर स्थल पर निर्माणाधीन है और 2013 में पूर्ण होने पर 1,776 फुट (541मी) ऊंचाई वाली यह उत्तरी अमेरिका में सबसे ऊंची इमारत हो जाएगी। मूल रूप से तीन और टावर 2007 और 2012 के बीच उस स्थल पर बनाए जाने की उम्मीद की गई थी। 8 नवम्बर 2009 को फ्लाइट 93 नेशनल मेमोरियल की परियोजना प्रारंभ का गई थी और प्रथम चरण का निर्माण 11 सितम्बर 2011 को हमलों की दसवीं सालगिरह के लिए तैयार हो जाने का आशा है। .

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2012 दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामला

दिल्ली के सामूहिक बलात्कार कांड के विरोध में कलकत्ता में हुए प्रदर्शन का एक दृश्य दिल्ली के सामूहिक बलात्कार कांड के विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन हुए उन्हीं में से बंगलौर का एक दृश्य 2012 दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामला भारत की राजधानी दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 को हुई एक बलात्कार तथा हत्या की घटना थी, जो संचार माध्यम के त्वरित हस्तक्षेप के कारण प्रकाश में आयी। इसकी संक्षेप में कहानी इस प्रकार है। "भारत की राजधानी नई दिल्ली में भौतिक चिकित्सा की प्रशिक्षण कर रही एक युवती पर दक्षिण दिल्ली में अपने पुरुष मित्र के साथ बस में सफर के दौरान 16 दिसम्बर 2012 की रात में बस के निर्वाहक, मार्जक व उसके अन्य साथियों द्वारा पहले फब्तियाँ कसी गयीं और जब उन दोनों ने इसका विरोध किया तो उन्हें बुरी तरह पीटा गया। जब उसका पुरुष दोस्त बेहोश हो गया तो उस युवती के साथ उन ने बलात्कार करने की कोशिश की। उस युवती ने उनका डटकर विरोध किया परन्तु जब वह संघर्ष करते-करते थक गयी तो उन्होंने पहले तो उससे बेहोशी की हालत में बलात्कार करने की कोशिश की परन्तु सफल न होने पर उसके यौनांग में व्हील जैक की रॉड घुसाकर उसके अन्तरंगों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। बाद में वे सभी उन दोनों को एक निर्जन स्थान पर बस से नीचे फेंककर भाग गये। किसी तरह उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया। वहाँ बलात्कृत युवती की शल्य चिकित्सा की गयी। परन्तु हालत में कोई सुधार न होता देख उसे 26 दिसम्बर 2012 को सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल ले जाया गया जहाँ उस युवती ने 29 दिसम्बर 2012 को यह शरीर सदा-सदा के लिये त्याग दिया।" 30 दिसम्बर 2012 को उसका शव दिल्ली लाकर पुलिस की सुरक्षा में जला दिया गया। भारत सरकार के इस कृत्य की निन्दा करते हुए सोशल मीडिया में ट्वीटर फेसबुक आदि पर काफी कुछ लिखा गया। इस घटना के विरोध में पूरे देश में उग्र व शान्तिपूर्ण प्रदर्शन हुए उन्हीं में से नई दिल्ली, कलकत्ता और बंगलौर में हुए प्रदर्शनों के कुछ दृश्य भी बानगी के तौर पर यहाँ दिये जा रहे हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि नई दिल्ली में यौन अपराधों की दर अन्य मैट्रोपॉलिटन शहरों के मुकाबले सर्वाधिक (प्रति 18 घण्टे पर लगभग एक बलात्कार) है। इससे पूर्व भारत की एक मात्र महिला राष्ट्र्पति प्रतिभा पाटिल सुप्रीम कोर्ट द्वारा बलात्कार के पाँच मामलों में दी गयी फाँसी की सजा को माफ करके उम्रकैद में बदल चुकी हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी निन्दा हुई है। सम्प्रति जनता के आक्रोश और समय की माँग को देखते हुए भारत की केन्द्र सरकार बलात्कारियों को जीवन भर के लिये नपुंसक बना देने पर विचार कर रही है। .

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2016 गुलशन हमला

2016 गुलशन हमला 1 जुलाई 2016 को स्थानीय समय के अनुसार रात 9:20 बजे बांग्लादेश के राजधानी ढाका के गुलशन क्षेत्र में हुआ था। इसमें नौ हमलावरों ने ढाका के राजनयिक क्षेत्र में स्थित होली आर्टिसन बेकरी पर हमला किया। आतंकियों ने वहां बम भी फेंके और कई दर्जन लोगों को बंधक भी बना लिया। पुलिस के साथ मुठभेड़ में दो पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई। उनके द्वारा हमले के दौरान कथित तौर पर "अल्लाहु अकबर"! कहा गया। 20 विदेशी और 6 बंदूकधारी हमले के दौरान मारे गए। बंदूकधारियों में से एक को पकड़ लिया गया और 13 बंधकों को बांग्लादेश सेना ने छुड़वा लिया। .

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2018 के श्रीलंकाई साम्प्रदायिक दंगें

2018 के श्रीलंकाई साम्प्रदायिक दंगें एक प्रकार के साम्प्रदायिक दंगें हैं जो कि 26 फरवरी को श्रीलंका के अम्पारा से प्रारम्भ हुएं तथा फिर कैंडी जिले में 2 मार्च 2018 को प्रारम्भ हुए तथा 10 मार्च 2010 को खत्म हुए। सिंहली उग्रवादी भीड़ द्वारा मुस्लिम नागरिक, मस्जिदों तथा अन्य सम्पतियों को निशाना बनाया गया तथा इसी प्रकार मुस्लिम उग्रवादी भीड़ द्वारा सिंहली नागरिकों तथा बौद्ध मन्दिरों को निशाना बनाया गया। श्रीलंका सरकार ने स्थिति नियंत्रण में करने के लिये आपातकाल लागू किया तथा दंगों से प्रभावित इलाकों में पुलिस की मदद के लिये श्रीलंका सशत्र बल की तैनाती कर दी गयी। स्थिति 9 मार्च के बाद से नियंत्रण में आयी। इन दंगों में दो मौतें तथा 10 लोगों के घायल होने की खबर है। पुलिस के अनुसार पैतालीस घरों तथा दुकानों को नुकसान हुआ है, जबकि चार धार्मिक स्थलों पर हमले हुये हैं। पुलिस ने दंगा फ़ैलाने के आरोप में 81 लोगों को गिरफ्तार किया है। व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर तथा इन्स्टाग्राम समेत सभी सोशल मिडिया माध्यम को सरकार ने दंगें रोकने के प्रयास के अन्तर्गत प्रतिबन्धित कर दिया। यह प्रतिबन्ध 72 घण्टों का था और 10 मार्च 2018 को यह खत्म हो गया। कैंडी में तीन दिन तक छापा मारने की कार्यवाही के दौरान पुलिस ने मुख्य आरोपी अमित जीवन वीरासिन्हे समेत 81 लोगों को गिरफ्तार किया। हालाँकि कैंडी में 9 मार्च तक फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया था। .

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