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पवन ऊर्जा

सूची पवन ऊर्जा

बहती वायु से उत्पन्न की गई उर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं। वायु एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। पवन ऊर्जा बनाने के लिये हवादार जगहों पर पवन चक्कियों को लगाया जाता है, जिनके द्वारा वायु की गतिज उर्जा, यान्त्रिक उर्जा में परिवर्तित हो जाती है। इस यन्त्रिक ऊर्जा को जनित्र की मदद से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। पवन ऊर्जा (wind energy) का आशय वायु से गतिज ऊर्जा को लेकर उसे उपयोगी यांत्रिकी अथवा विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करना है। .

21 संबंधों: ऊर्जा, नवीकरणीय संसाधन, पवन ऊर्जा सॉफ्टवेयर, पवन टर्बाइन, पवन वेग, पवन उर्जा, पवन उर्जा प्रौद्योगिकी केन्द्र, चेन्नई, पवनचक्की, बायोगैस, भारत में पवन ऊर्जा, समकालीन, संधारणीय ऊर्जा, सुजलॉन एनर्जी, स्थापित ऊर्जा उत्पादन क्षमता के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र, हरित वाहन, जनरल इलेक्ट्रिक, वैकल्पिक ऊर्जा, गतिज ऊर्जा, इलेक्ट्रिक कार (विद्युत् कार), कार्बन फुटप्रिंट, अक्षय ऊर्जा

ऊर्जा

दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .

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नवीकरणीय संसाधन

नवीकरणीय संसाधन अथवा नव्य संसाधन वे संसाधन हैं जिनके भण्डार में प्राकृतिक/पारिस्थितिक प्रक्रियाओं द्वारा पुनर्स्थापन (replenishment) होता रहता है। हालाँकि मानव द्वारा ऐसे संसाधनों का दोहन (उपयोग) अगर उनके पुनर्स्थापन की दर से अधिक तेजी से हो तो फिर ये नवीकरणीय संसाधन नहीं रह जाते और इनका क्षय होने लगता है। उपरोक्त परिभाषा के अनुसार ऐसे संसाधनों में ज्यादातर जैव संसाधन आते है जिनमें जैविक प्रक्रमों द्वारा पुनर्स्थापन होता रहता है। उदाहरण के लिये एक वन क्षेत्र से वनोपजों का मानव उपयोग वन को एक नवीकरणीय संसाधन बनाता है किन्तु यदि उन वनोपजों का इतनी तेजी से दोहन हो कि उनके पुनर्स्थापन की दर से अधिक हो जाए तो वन का क्षय होने लगेगा। सामान्यतया नवीकरणीय संसाधनों में नवीकरणीय उर्जा संसाधन भी शामिल किये जाते हैं जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा इत्यादि। किन्तु सही अर्थों में ये ऊर्जा संसाधन अक्षय ऊर्जा संसाधन हैं न कि नवीकरणीय। .

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पवन ऊर्जा सॉफ्टवेयर

पवन ऊर्जा सॉफ्टवेयर, पवन ऊर्जा संयत्रों के विकास तथा परिचालन में सहायक होते हैं। .

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पवन टर्बाइन

बेल्जियम के उत्तरी सागर में अपतटीय पवन फार्म 5 मेगावॉट टर्बाइन आरई-पॉवर एम5 (REpower M5) का उपयोग करते हुए पवन टर्बाइन एक रोटरी उपकरण है, जो हवा से ऊर्जा को खींचता है। अगर यांत्रिक ऊर्जा का इस्तेमाल मशीनरी द्वारा सीधे होता है, जैसा कि पानी पंप करने लिए, इमारती लकड़ी काटने के लिए या पत्थर तोड़ने के लिए होता है, तो वह मशीनपवन-चक्की कहलाती है। इसके बदले अगर यांत्रिक ऊर्जा बिजली में परिवर्तित होती है, तो मशीन को अक्सर पवन जेनरेटर कहा जाता है। .

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पवन वेग

पवन वेग (विन्ड स्पीड) एक मौलिक वायुमंडलीय राशि है। वायु का प्रवाह, उच्च दाब से निम्न दाब की ओर होता है। अलग-अलग स्थानों का वायुमंडलीय दाब अलग-अलग होता है, जो ताप के अन्तर के कारण होता है। पवन के वेग से कई कार्य प्रभावित होते हैं, जैसे मौसम की भविष्यवाणी, वायुयान तथा जलयानों का संचालन, निर्माण कार्य, कई पादप जातियों के विकास और उपापचय की गति आदि। पवन के वेग को पवनवेगमापी या एनीमोमीटर के द्वारा मापा जाता है। .

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पवन उर्जा

पवन के गतिज ऊर्जा का उपयोग कर पवनचक्कियों द्वारा पैदा की गयी ऊर्जा पवन ऊर्जा कहलाती है। यह एक गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत है। भूमि के वैसे क्षेत्रों में जहाँ साल के ज्यादातर हिस्सों में गतिमान पवन मौजूद है, पवन चक्कियाँ लगाने के लिए आदर्श क्षेत्र है। इसमें जमीन की सतह से कुछ ऊँचाई पर जेनरेटर लगाए जाते हैं जो पवन की उपलब्धता के अनुसार बिजली का उत्पादन होता है। पवन ऊर्जा के उत्पादन में भारत का पाँचवा स्थान है। श्रेणी:विज्ञान.

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पवन उर्जा प्रौद्योगिकी केन्द्र, चेन्नई

भारत के चेन्नई में स्थित पवन उर्जा प्रौद्योगिकी केन्द्र (Centre for Wind Energy Technology) भारत सरकार के अपारम्परिक उर्जा स्रोत मंत्रालय के अधीन स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास संस्था है। यह संस्थान पवन ऊर्जा के क्षेत्र में अन्य अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के सहयोग से पवन टरबाइन (विंड टर्बाइन) की उप-प्रणालियों तथा घटकों के विकास में नवीन उपलब्धियों पर ध्यान देगा। .

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पवनचक्की

एक पवनचक्की पवनचक्की (windmill) वह मशीन है जो हवा के बहाव की उर्जा लेकर विद्युत उर्जा उत्पन्न करती है। यह हवा के रैखिक गति को पंखों की घूर्णीय गति में बदल देती है। इससे पवन टर्बाइन चलाकर विद्युत पैदा की जा सकती है या सीधे पीसने, पल्प बनाने एवं अन्य यांत्रिक कार्य किये जा सकते हैं। .

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बायोगैस

बायोगैसचालित बस (स्वीडेन) जैवगैस या बायोगैस (Biogas) वह गैस मिश्रण है जो आक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक सामग्री के विघटन से उत्पन्न होती है। यह सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की तरह ही नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। बायोगैस स्थानीय उपलब्ध कच्चे पदार्थों एवं कचरा से पैदा की जा सकती है। यह पर्यावरण-मित्र और CO2-न्यूट्रल है। .

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भारत में पवन ऊर्जा

भारत में पवन ऊर्जा का विकास 1990 के दशक में शुरू हुआ और पिछले कुछ वर्षों में इसमें काफी वृद्धि हुई है। हालांकि डेनमार्क, या अमेरिका की तुलना में अपेक्षाकृत नवागन्तुक के रूप में भारत में पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता दुनिया में पांचवें स्थान पर है। "विश्व पवन ऊर्जा रिपोर्ट 2008" रिपोर्ट यथा 31 अक्टूबर 2009, भारत में स्थापित पवन ऊर्जा की क्षमता 11806.69 मेगावाट थी, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु (4900.765 मेगावाट) http://www.tn.gov.in/policynotes/pdf/energy.pdf, महाराष्ट्र (1945.25 मेगावाट), गुजरात (1580.61 मेगावाट), कर्नाटक (1350.23 मेगावाट) राजस्थान (745.5 मेगावाट), मध्य प्रदेश (212.8 मेगावाट), आन्ध्र प्रदेश (132.45 मेगावाट), केरल (46.5 मेगावाट), ओडिशा (2MW), पश्चिम बंगाल (1.1 मेगावाट) और अन्य राज्यों (3.20 मेगावाट) http://www.indianwindpower.com/installed_wind_capacity.php में फैली हुई थी। ऐसा अनुमान है कि 6,000 मेगावाट की अतिरिक्त पवन ऊर्जा को वर्ष 2012 तक भारत में स्थापित किया जाएगा। भारत में स्थापित कुल ऊर्जा क्षमता का 6% पवन ऊर्जा से प्राप्त होता है और देश की ऊर्जा का 1% इससे उत्पन्न होता है। http://www.peopleandplanet.net/doc.php?id.

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समकालीन

समकालीन इतिहास के उस अवधि के बारे में बताता है जो आज के लिए एकदम प्रासंगिक है तथा आधुनिक इतिहास के कुछ निश्चित परिप्रेक्ष्य से संबंधित है। हाल के समकालीन इतिहास की कमजोर परिभाषा विश्व युद्ध-II जैसी घटनाओं को शामिल करती है, लेकिन उन घटनाओं को शामिल नहीं करती जिनके प्रभाव को समाप्त किया जा चुका है। .

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संधारणीय ऊर्जा

संधारणीय ऊर्जा (सस्टेनेबल इनर्जी), ऊर्जा के उस प्रावधान को कहते हैं जो भावी पीढ़ियों की ऊर्जा आवश्यकताओं से समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करती है। अक्षय ऊर्जा स्रोतों में अक्सर सभी नवीकरणीय स्रोत शामिल होते हैं, जैसे वनस्पति पदार्थ, सौर शक्ति, पवन शक्ति, भू-ऊष्मा शक्ति, तरंग शक्ति और ज्वार द्वारा उत्पन्न शक्ति.

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सुजलॉन एनर्जी

किंग सिटी, मिसौरी में ब्लूग्रास रिज विंड फ़ार्म पर एक पुराने गैस पंप के सामने रखे सुजलॉन जनरेटर सुजलॉन एनर्जी भारत में स्थित एक वैश्विक पवन ऊर्जा कम्पनी है। बाजार में हिस्सेदारी के मामले में, यह कंपनी एशिया में चौथी सबसे बड़ी विंड टरबाइन निर्माता है (और दुनिया भर में 8वीं सबसे बड़ी).

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स्थापित ऊर्जा उत्पादन क्षमता के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र

भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की यह सूची स्थापित ऊर्जा उत्पादन क्षमता के आधार पर है जो ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आँकड़ों (३ अप्रैल २००६) के अनुसार है। सभी आँकड़े मेगावॉट (१० लाख वॉट) में हैं। नोट: निजी उत्पादको द्वारा संचालित संयंत्र उपयोगिता में पंजीकृत नहीं हैं इसलिए उनके द्वारा उत्पादित ऊर्जा इसमें सम्मिलित नहीं कि गई है। .

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हरित वाहन

एक प्रकार का हरित वाहन। हरित वाहन ऐसे वाहनों को कहते हैं, जिससे बहुत कम प्रदूषण होता है और पर्यावरण पर बहुत कम दुष्प्रभाव पड़ता है। यह पेट्रोल आदि से चलते हैं, लेकिन इनसे उतना अधिक प्रदूषण नहीं होता है। कुछ हरित वाहन वैकल्पिक स्रोत से चलते हैं। जैसे विद्युत, प्राकृतिक गैस द्वारा आदि। .

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जनरल इलेक्ट्रिक

जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी, या GE, न्यूयॉर्क राज्य में निगमित एक बहुराष्ट्रीय अमेरिकी प्रौद्योगिकी और सेवा समूह है। 2009 में, फोर्ब्स ने GE को दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी के रूप में स्थान दिया। दुनिया भर में कंपनी के 323,000 कर्मचारी हैं। .

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वैकल्पिक ऊर्जा

ऊर्जा के उन सभी स्रोतों को वैकल्पिक ऊर्जा (Alternative energy) कहते हैं जो जीवाश्म ऊर्जा के विकल्प हों। उदाहरण के लिये, पवन ऊर्जा, जलविद्युत, सौर ऊर्जा आदि। .

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गतिज ऊर्जा

गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है। इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है। यदि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा E हो तो उसे विरामावस्था में लाने के लिये E के बराबर ऋणात्मक कार्य करना पड़ेगा। गतिज ऊर्जा (रेखीय गति) .

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इलेक्ट्रिक कार (विद्युत् कार)

निसान लीफ अमेरिका और चुनें बाजारों में 2010 के अंत तक बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएगी तथा इसकी वैश्विक उपलब्धता 2012 में होगी। 1 मित्सुबिशी i MiEV की जनता के लिए बिक्री जापान में अप्रैल 2010 में, हांगकांग में मई 2010 में और ऑस्ट्रेलिया में जुलाई 2010 में प्रारंभ हुई.2 इलेक्ट्रिक कार बैटरी की शक्ति से चलने वाली विद्युत् मोटरों द्वारा संचालित वाहन है। हालांकि बिजली के कारों में सामान्यतः अच्छा त्वरण (शीघ्र गति पकड़ना) होता है तथा उनकी अधिकतम गति भी सर्व-स्वीकृत होती है, परन्तु 2010 में उपलब्ध बैटरियां कार्बन आधारित ईंधन की अपेक्षा कम विशिष्ट ऊर्जा वाली थीं जिसका अर्थ यह हुआ कि न सिर्फ वे वाहन के भार का एक बड़ा हिस्सा होंगी, बल्कि चार्ज होने के पश्चात् अधिक परास भी नहीं देंगी। रिचार्जिंग में भी लम्बा समय लग सकता है। छोटी परास की, रोजाना आवागमन की यात्राओं के लिए इलेक्ट्रिक कार यातायात का एक व्यावहारिक साधन है और इसे बहुत कम खर्च पर रात भर में चार्ज किया जा सकता है, परन्तु लम्बी यात्राओं के लिए यह व्यावहारिक नहीं है। लम्बी दूरी की यात्राओं के लिए विकल्पों के रूप में बैटरी बदलने के स्टेशन जैसी आधारभूत सुविधाओं के विकास का कार्य टोक्यो तथा कुछ अन्य शहरों में आज़माइश के तौर पर चल रहा है। इलेक्टिक कारों में शहरों में प्रदूषण को उल्लेखनीय रूप से कम कर सकने की क्षमता है क्योंकि इससे होने वाले उत्सर्जन शून्य होते हैं। वाहन से उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की कमी इसपर निर्भर करती है कि विद्युत् का उत्पादन कैसे किया जा रहा है। वर्तमान सं.रा. के ऊर्जा मिक्स के साथ इलेक्ट्रिक कार से कार्बन डाई ऑक्साईड के उत्सर्जन में 30% की कमी आएगी.

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कार्बन फुटप्रिंट

कार्बन फुटप्रिंट का अर्थ किसी एक संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा किया गया कुल कार्बन उत्सर्जन होता है। यह उत्सर्जन कार्बन डाइऑक्साइड या ग्रीनहाउस गैसों के रूप में होता है।। हिन्दुस्तान लाइव। २२ दिसम्बर २००९ कार्बन फुटप्रिंट का नाम इकोलॉजिकल फुटप्रिंट विमर्श से निकला है। यह इकोलॉजिकल फुटप्रिंट का ही एक अंश है। उससे भी अधिक यह लाइफ साइकिल असेसमेंट (एल.सी.ए) का हिस्सा है। किसी व्यक्ति, संस्था या वस्तु के कार्बन फुटप्रिंट का आकलन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के आधार पर किया जा सकता है। संभवत: कार्बन फुटप्रिंट का सबसे बड़ा कारण मानव की यात्रा इच्छा ही होती है। इसके साथ ही एक अन्य बड़ा कारण घर में प्रयोग होने वाली विद्युत भी है। वैज्ञानिकों के अनुसार मानव की लगभग सभी आदतें, जिनमें खानपान से लेकर पहने जाने वाले कपड़े तक शामिल हैं, उसके कार्बन फुटप्रिंट का कारण बनते हैं। ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाने के कई तरीके हैं। सौर, पवन ऊर्जा के अधिक इस्तेमाल और पौधा रोपण आदि से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है। कार्बन उत्सर्जन और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का वातावरण में निकास जीवाश्म ईंधन, कच्चे तेल और कोयले के जलने से होता है। क्योटो प्रोटोकॉल में कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैसों पर निश्चित समय-सीमा के अंतर्गत रोक लगाने का मसौदा भी प्रतुत किया गया था। .

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अक्षय ऊर्जा

अक्षय उर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा (अंग्रेजी:Renewable Energy) में वे सारी उर्जा शामिल हैं जो प्रदूषणकारक नहीं हैं तथा जिनके स्रोत का क्षय नहीं होता, या जिनके स्रोत का पुनः-भरण होता रहता है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत उर्जा, ज्वार-भाटा से प्राप्त उर्जा, बायोमास, जैव इंधन आदि नवीनीकरणीय उर्जा के कुछ उदाहरण हैं। .

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