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पर्यावरण प्रबन्धन

सूची पर्यावरण प्रबन्धन

जैसा कि इस नाम से लग सकता है, पर्यावरण प्रबंधन का तात्पर्य पर्यावरण के प्रबंधन से नहीं है, बल्कि आधुनिक मानव समाज के पर्यावरण के साथ संपर्क तथा उसपर पड़ने वाले प्रभाव के प्रबंधन से है। प्रबंधकों को प्रभावित करने वाले तीन प्रमुख मुद्दे हैं राजनीति (नेटवर्किंग), कार्यक्रम (परियोजनायें) और संसाधन (धन, सुविधाएँ, आदि)। पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता को कई दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है। पर्यावरण प्रबंधन के पीछे एक आम विचार तथा प्रेरणा है कैरीयिंग केपेसिटी (वहन क्षमता) की अवधारणा। आसान भाषा में कहें तो वहन क्षमता का तात्पर्य किसी विशेष पर्यावरणीय तंत्र द्वारा अपने भीतर जीवों की अधिकतम संख्या को धारण करने की क्षमता से है। हालाँकि कई संस्कृतियों को ऐतिहासिक रूप से वहन क्षमता की अवधारणा की समझ थी, लेकिन इसका मूल माल्थूसियन थ्योरी में है। अतः, पर्यावरण प्रबंधन का अर्थ केवल पर्यावरण की खातिर उसके संरक्षण से नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति की खातिर पर्यावरण के संरक्षण से है। उपयुक्त शोषण के इस तत्व, अर्थात प्राकृतिक संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग को ईयू के जल संबंधी दिशा निर्देशों में देखा जा सकता है। .

6 संबंधों: पर्यावरण, पर्यावरण भूगोल, पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण अभियांत्रिकी, प्रबन्धन, संधारणीय विकास

पर्यावरण

पर्यावरण प्रदूषण - कारखानों द्वारा धुएँ का उत्सर्जन पर्यावरण (Environment) शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिल कर हुआ है। "परि" जो हमारे चारों ओर है और "आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं के समुच्चय से निर्मित इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी के अन्दर सम्पादित होती है तथा हम मनुष्य अपनी समस्त क्रियाओं से इस पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं। इस प्रकार एक जीवधारी और उसके पर्यावरण के बीच अन्योन्याश्रय संबंध भी होता है। पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधे आ जाते हैं और इसके साथ ही उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएँ और प्रक्रियाएँ भी। अजैविक संघटकों में जीवनरहित तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएँ आती हैं, जैसे: चट्टानें, पर्वत, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि। .

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पर्यावरण भूगोल

पर्यावरण भूगोल (अंग्रेजी: Environmental geography) पर्यावरणीय दशाओं, उनकी कार्यशीलता और तकनीकी रूप से सबल आर्थिक मानव और पर्यावरण के बीच संबंधों का अध्यययन स्थानिक तथा कालिक (spatio-temporal) सन्दर्भों में करता है। यह एक तरह का संश्लेषणात्मक विज्ञान है और इसे इंटीग्रेटेड भूगोल (समन्वयात्मक भूगोल) के रूप में भी जाना जाता है। भूगोल कि यह शाखा एक प्रकार से भौतिक भूगोल और मानव भूगोल के विभाजन और बढ़ती दूरियों को कम करने का कार्य करती है| भूगोल सदैव ही मानव और उसके पर्यावरण का अध्ययन स्थान के सन्दर्भों में करता रहा है लेकिन 1950-1970 के बीच भौतिक भूगोल और मानव भूगोल के बीच बढती दूरियों ने इसे पर्यावरण के अध्ययन से विमुख कर दिया था और इस दौरान पर्यावरण के झण्डाबरदार जीव विज्ञानी रहे। बाद में तंत्र विश्लेषण और पारिस्थितिकीय उपागम के बढ़ते महत्व को भूगोल में तेजी से स्वीकृति मिली और पर्यावरण भूगोल, भौतिक और मानव भूगोल के बीच एक बहुआयामी संश्लेषण के रूप में उभरा। पर्यावरण भूगोल के अध्ययन का क्षेत्र: (1) पर्यावरण का एक पारितंत्र के रूप में संगठन और उसकी कार्यशीलता, (2) मानव-पारितंत्रीय संबंध विश्लेषण और पर्यावरणीय अवनयन, (3) पर्यावरणीय दशाओं और मानव-पर्यावरण संबंधों का स्थानिक संदर्भ में अध्ययन, तथा (4) पर्यावरण संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े स्थानिक पहलू (5) भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी॰ आइ॰ एस॰) और सुदूर संवेदन तकनीक का पर्यावरणीय अध्ययन में अनुप्रयोग कि दशा और दिशा निर्धारित करना है। अतः प्राकृतिक या भौतिक भूगोल और मानव भूगोल के मध्य समन्वय स्थापित करने और इनके बहु आयामी संश्लेषण के कारण पर्यावरण भूगोल को एक तीसरी नई शाखा के रूप में भी कुछ विद्वानों द्वारा देखा गया है। .

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पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना है। 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय परिवेश है। दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण अर्थात वनस्पतियों,प्राणियों,और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहतें हैं वास्तव में पर्यावरण में वायु,जल,भूमि,पेड़-पौधे, जीव-जन्तु,मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं। .

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पर्यावरण अभियांत्रिकी

औद्योगिक वायु प्रदूषण के स्रोत पर्यावरण इंजीनियरिंग पर्यावरण (हवा, पानी और/या भूमि संसाधनों) में सुधार करने, मानव निवास और अन्य जीवों के लिए स्वच्छ जल, वायु और ज़मीन प्रदान करने और प्रदूषित स्थानों को सुधारने के लिए विज्ञान और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का अनुप्रयोग है। पर्यावरण इंजीनियरिंग में शामिल हैं जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण, पुनरावर्तन, अपशिष्ट निपटान और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे और साथ ही साथ पर्यावरण इंजीनियरिंग कानून से संबंधित ज्ञान.

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प्रबन्धन

व्यवसाय एवं संगठन के सन्दर्भ में प्रबन्धन (Management) का अर्थ है - उपलब्ध संसाधनों का दक्षतापूर्वक तथा प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करते हुए लोगों के कार्यों में समन्वय करना ताकि लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके। प्रबन्धन के अन्तर्गत आयोजन (planning), संगठन-निर्माण (organizing), स्टाफिंग (staffing), नेतृत्व करना (leading या directing), तथा संगठन अथवा पहल का नियंत्रण करना आदि आते हैं। संगठन भले ही बड़ा हो या छोटा, लाभ के लिए हो अथवा गैर-लाभ वाला, सेवा प्रदान करता हो अथवा विनिर्माणकर्ता, प्रबंध सभी के लिए आवश्यक है। प्रबंध इसलिए आवश्यक है कि व्यक्ति सामूहिक उद्देश्यों की पूर्ति में अपना श्रेष्ठतम योगदान दे सकें। प्रबंध में पारस्परिक रूप से संबंधित वह कार्य सम्मिलित हैं जिन्हें सभी प्रबंधक करते हैं। प्रबंधक अलग-अलग कार्यों पर भिन्न समय लगाते हैं। संगठन के उच्चस्तर पर बैठे प्रबंधक नियोजन एवं संगठन पर नीचे स्तर के प्रबंधकों की तुलना में अधिक समय लगाते हैं। kisi bhi business ko start krne se phle prabandh yaani ke managements ki jaroort hoti h .

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संधारणीय विकास

संधारणीय विकास अथवा टिकाऊ विकास (Sustainable Development), विकास की वह अवधारणा है जिसमें विकास की नीतियां बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि मानव की न केवल वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति हो, वरन् अनन्त काल मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित हो सके। इसमें प्राकृतिक पर्यावरण की सुरक्षा पर विशेष बल दिया जाता है। .

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पर्यावरण प्रबंधन

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