लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

नन्दकिशोर नौटियाल

सूची नन्दकिशोर नौटियाल

श्री नन्दकिशोर नौटियाल (जन्म:१५ जून सन् १९३१) वरिष्ठ पत्रकार, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष तथा `नूतन सवेरा' के संपादक हैं। वे हिन्दी ब्लिट्ज के सम्पादक भी रह चुके हैं। .

6 संबंधों: नूतन सवेरा, पत्रकार, भोपाल, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, मुम्बई, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

नूतन सवेरा

नूतन सवेरा राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में जाना-माना नाम है। नूतन सवेरा की प्रमुख विशेषता यह है कि इसने हिंदी की गरिमा को कायम रखते हुए ख़बरों और महत्वपूर्ण मुद्दों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया है, ताकि अधिक से अधिक पाठकों तक पहुंचा जा सके। समाज और व्यवस्था में फैले हुए कदाचार, भ्रष्टाचार, ग़ैर ज़िम्मेदारी और कुराज पर प्रहार करते हुए नूतन सवेरा अपने कालमों में राष्ट्रीय उपलब्धियों तथा उसमें योगदान करनेवाले व्यक्तियों और प्रवृत्तियों को आगे बढ़कर उजागर करता है। नूतन सवेरा ने १९९३ में हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में आगाज़ किया। अर्धशती से अधिक के अनुभवी वरिष्ठ पत्रकार तथा संपादक नंदकिशोर नौटियाल के संपादन में नूतन सवेरा हिंदी पत्रकारिता की नयी ऊंचाइयां छू रहा है। नंदकिशोर नौटियाल इससे पहले ३० वर्षों तक हिंदी ब्लिट्ज़ के संपादक रह चुके हैं। इस समय वह महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष हैं। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ट्रस्ट के भी अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके संपादन में नूतन सवेरा देश और समाज की सेवा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। आज नूतन सवेरा नामक वह पौधा वटवृक्ष का रूप धारण कर चुका है जिसकी शाखाएं महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश सहित समस्त हिंदुस्तान में फैली हैं। नूतन सवेरा अख़बार का मुख्य कार्यालय मुंबई में स्थित है।.

नई!!: नन्दकिशोर नौटियाल और नूतन सवेरा · और देखें »

पत्रकार

पत्रकार उस व्यक्ति को कहते हैं जो समसामयिक घटनाओं, लोगों, एवं मुद्दों आदि पर सूचना एकत्र करता है एवं जनता में उसे विभिन्न माध्यमों की मदद से फैलाता है। इस व्यवसाय या कार्य को पत्रकारिता कहते हैं। संवाददाता एक प्रकार के पत्रकार हैं। स्तम्भकार (कॉलमिस्ट) भी पत्रकार हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के सम्पादक, फोटोग्राफर एवं पृष्ठ डिजाइनर आदि भी पत्रकार ही हैं। .

नई!!: नन्दकिशोर नौटियाल और पत्रकार · और देखें »

भोपाल

भोपाल भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है और भोपाल ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। भोपाल को झीलों की नगरी भी कहा जाता है,क्योंकि यहाँ कई छोटे-बड़े ताल हैं। यह शहर अचानक सुर्ख़ियों में तब आ गया जब १९८४ में अमरीकी कंपनी, यूनियन कार्बाइड से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से लगभग बीस हजार लोग मारे गये थे। भोपाल गैस कांड का कुप्रभाव आज तक वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण के अलावा जैविक विकलांगता एवं अन्य रूपों में आज भी जारी है। इस वजह से भोपाल शहर कई आंदोलनों का केंद्र है। भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) का एक कारखाना है। हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने अपना दूसरा 'मास्टर कंट्रोल फ़ैसिलटी' स्थापित की है। भोपाल में ही भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भी है जो भारत में वन प्रबंधन का एकमात्र संस्थान है। साथ ही भोपाल उन छह नगरों में से एक है जिनमे २००३ में भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया था तथा वर्ष २०१५ से यह कार्यशील है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक विश्वविद्यालय जैसे राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय,अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय,मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय,माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय,भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय। इसके अतिरिक्त अनेक राष्ट्रीय संस्थान जैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,भारतीय वन प्रबंधन संस्थान,भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान,राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय भोपाल इंजीनियरिंग महाविद्यालय,गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय तथा अनेक शासकीय एवं पब्लिक स्कूल हैं। .

नई!!: नन्दकिशोर नौटियाल और भोपाल · और देखें »

महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी

महाराष्ट्र में 'हिन्दी अकादमी' स्थापित होनी चाहिए, इसकी प्रेरणा स्व॰ हरिशंकरजी को सर्वप्रथम हुई। उन्होंने नंदकिशोर नौटियाल, महावीर अधिकारी, गिरिजाशंकर त्रिवेदी तथा अन्य हिन्दी सेवियों से संपर्क किया और दो-तीन बार तत्कालीन मुख्य मंत्री स्व॰ वसंतराव दादा पाटिल से चर्चा हुई। दादा ने कुछ करने का आश्वासन दिया, परंतु दुर्भाग्य से महीने भर बाद ही उनकी सरकार गिर गई। मुख्य मंत्री बाबा साहेब भोसले से सदन में सवाल पूछा गया और सदन में र॰ सू॰ गवई, कविवर महानोर आदि के साथ राममनोहर त्रिपाठी को मुख्यमंत्री को आखिर यह आश्वासन देना पड़ा कि अगले सत्र के पहले तक अकादमी घोषित की जाएगी। परिणामस्वरूप हिन्दी अकादमी अस्तित्व में आ गयी पर सालभर यह अकादमी यों ही कागज़ों, अखबारों में चलती रही। फिर विधान परिषद के सदन में त्रिपाठीजी ने यह मसला नये सिरे से उठाया। इसी बीच नागपुर में हिन्दी-सेवी विट्ठल चौधरी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। बम्बई के 'नवभारत टाइम्स', 'हिन्दी ब्लिट्ज़' और नागपुर के 'नवभारत' ने भी हिन्दी अकादमी के पक्ष में लिखा। अंततः एक लंबी लड़ाई के बाद हिन्दी अकादमी बनी, मगर अड़चनें दूर नहीं हुईं। अभी भी काफी अड़चने हैं। मराठीभाषी हिन्दी-साधकों ने हिन्दी के विकास के लिए जो साधना की है, वह अफसरों, नेताओं और बाबुओं को मालूम नहीं, इसीलिए अड़चनें हैं। फिर भी महाराष्ट्र एक ऐसा प्रदेश है, जहाँ मराठी और हिन्दी के अलावा उर्दू, गुजराती और सिंधी भाषा की शासकीय अकादमियाँ बनायी गई। महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी की स्थापना 1982 में तत्कालीन विधायक तथा हिन्दी साहित्यकार-पत्रकार डॉ॰ राममनोहर त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुई, किंतु आवश्यक अनुदान, कर्मचारी और कार्यालय के अभाव में कोई काम नहीं हो सका और त्रिपाठीजी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। पुनः 1986 में प्रा॰ राम मेघे की अध्यक्षता में, जो महाराष्ट्र में शिक्षा मंत्री थे, अकादमी का पुर्नगठन हुआ। 'महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी' का आधारभूत उद्देश्य है हिन्दी के मंच से राष्ट्रीय एकता के लिए काम करना। इस उद्देश्य को दृष्टि में रखकर 'हिन्दी अकादमी' हिन्दी भाषा एवं साहित्य की प्रोन्नति के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित योजनाओं का यथारूप राज्य में कार्यान्वन करती है। प्रारंभ के वर्षों में हिन्दी अकादमी का वार्षिक बजट केवल डेढ़ लाख रुपये था। उसके बाद के वर्षों में 5 लाख रु वार्षिक हुआ और 1990 के वर्षों में आकर यह राशि वार्षिक 11 लाख रु.

नई!!: नन्दकिशोर नौटियाल और महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी · और देखें »

मुम्बई

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .

नई!!: नन्दकिशोर नौटियाल और मुम्बई · और देखें »

अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन

अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी का प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने ही सर्वप्रथम हिंदी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर पुरस्कारों आदि की योजना चलाई। उसके मंगलाप्रसाद पारितोषिक की हिंदी जगत् में पर्याप्त प्रतिष्ठा है। सम्मेलन द्वारा महिला लेखकों के प्रोत्साहन का भी कार्य हुआ। इसके लिए उसने सेकसरिया महिला पारितोषिक चलाया। सम्मेलन के द्वारा हिंदी की अनेक उच्च कोटि की पाठ्य एवं साहित्यिक पुस्तकों, पारिभाषिक शब्दकोशों एवं संदर्भग्रंथों का भी प्रकाशन हुआ है जिनकी संख्या डेढ़-दो सौ के करीब है। सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं। .

नई!!: नन्दकिशोर नौटियाल और अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

नंदकिशोर नौटियाल

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »