5 संबंधों: प्रकाश का विद्युतचुम्बकीय सिद्धान्त, पीटर ज़ीमान, भौतिक विज्ञानी, हेंड्रिक लारेंज़, क्वाण्टम संख्या।
प्रकाश का विद्युतचुम्बकीय सिद्धान्त
रूबिडियम-८७ मे ज़ेमान प्रभाव् और चुम्बकीय क्षेत्र मे होनेवाले परिवर्तन। वैद्युत् और चुंबकीय बलों की व्याख्या के लिये फैराडे (Faraday) ने एक प्रकार के सर्वव्यापी ईथर की परिकल्पना बनाई थी और यह बताया था कि इस ईथर की परिकल्पना बनाई थी और यह बताया था कि इसे ईथर की विकृति के कारण ही ये बल पैदा होते हें। मैक्सवेल ने इस विषय की विशद विवेचना करके 1865 ई. में यह परिणाम निकाला कि इन बलों का स्थानांतरण तरंग के रूप में होता है। प्राय: 20 वर्ष तक यह सिद्धांत वैज्ञानिकों द्वारा स्वीकृत नहीं हुआ, क्योंकि आधार केवल गणित था और विद्युतचुंबकीय तरंग प्रयोग द्वारा प्रेक्षित नहीं हो सकी थी। 1887 ई. में हेर्ट्स (Hertz) ने यह कमी भी पूरी कर दी। अब तो ऐसी तरंगें बड़ी सरलता से उत्पन्न की जा सकती हैं। प्रकाशतरंगों की लंबाई अत्यंत छोटी होती है, किंतु इसके अतिरिक्त इनमें और रेडियो की तरंगों में कोई अंतर नहीं है। इसके बाद द्रव्य में इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के द्वारा वर्णविश्लेषण की भी संतोषजनक व्याख्या हो गई। अपवर्तित तथा परावर्तित प्रकाश की तीव्रता तथा ध्रुवण संबंधी नियम तथा क्रिस्टलों में द्विअपवर्तन के नियम भी सही प्राप्त हो गए। इसके अतिरिक्त अब तो प्रकाश पर वैद्युत तथा चुंबकीय क्षेत्र के फ़ैरेडे प्रभाव तथा ज़ेमान प्रभाव (Zeeman effect) तथा वैद्युत क्षेत्र के केर प्रभाव (Kerr effect) की इस सिद्धांत से अच्छी व्याख्या हो जाती है। किंतु ईथर के अस्तित्व के संबंध में बड़ी कठिनाई उपस्थित हो गई। अनेक प्रयोगों से यह प्रमाणित हो गया है कि जब कोई द्रव्य चलता है, तो उसमें आबद्ध ईथर भी उसके साथ साथ चलता है, किंतु कम वेग से। फलत: इस वेग की दिशा में चलनेवाले प्रकाश का वेग कुछ बढ़ जाता है और विपरीत दिशा में चलनेवाले प्रकाश का वेग कुछ घट जाता है। किंतु जब माइकेलसन (Michelson) तथा मॉर्लि (Morley) ने इस तथ्य के आधार पर पृथ्वी की गति का वेग नापने का प्रयत्न अत्यंत सुग्राही विधि से किया तब आशा से विपरीत यह मालूम हुआ कि पृथ्वी की गति का प्रकाश के वेग पर कुछ भी असर नहीं होता। इस प्रयोग की मीमांसा करने में ही आइन्स्टाइन (Einstein) ने 1905 ई. में अपने आपेक्षिकता सिद्धांत का प्रतिपादन किया और वे इस परिणाम पर पहुँचे कि ईथर जैसी कोई वस्तु है ही नही। .
नई!!: जेमान प्रभाव और प्रकाश का विद्युतचुम्बकीय सिद्धान्त · और देखें »
पीटर ज़ीमान
पीटर ज़ीमान पीटर ज़ीमान (Pieter Zeeman, १८६५ - १९४३) डच भौतिक वैज्ञानिक थे। 'ज़ेमान प्रभाव' के नाम से विख्यात, भौतिकी की महत्वपूर्ण खोज आपने सन् १८९६ में की थी जिसके लिये इन्हें सन १९०२ के भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इनका जन्म हालैंड के ज़ोनेमी (Zonnemair, Zeeland) नगर में मई २५, सन् १८६५ को हुआ। प्रांरभिक शिक्षा-दीक्षा लाइडेन में हुई। वहीं पर क्रमश: भौतिक विज्ञान के सहायक एवं व्याख्याता पद पर सन् १८९० से १९०० तक कार्य किया। सन् १९०० में इनकी नियुक्ति ऐम्स्टरडम विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर के पद पर हुई। वहीं पर सन् १८०८ में भौतिक संस्था के संचालक नियुक्त हुए। चुंबकीय क्षेत्र में रखने पर परमाणु की अकेली स्प्रेक्ट्रमीय रेखा का अनेक रेखाओं में विभक्त हो जाना ज़ेमान प्रभाव कहलाता है। सर्वप्रथम इस खोज का सैद्धांतिक विश्लेषण लोरेंट्स (Lorentx) ने किया था। सूर्य एवं तारों में चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता इसी प्रभाव के द्वारा ज्योतिर्विदों ने मालूम की थी। गतिमान ठोस माध्यमों में प्रकाश के वेग को भी ज़ेमान ने सफलतापूर्वक नापा था और इस दिशा में उन्होंने क्वार्ट्ज एवं फ्लिंट में फोटोग्राफी द्वारा महत्वपूर्ण प्रयोग किए थे। ज़ेमान को अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए। ये अनेक विज्ञान समितियों के से संबंधित थे। सन् १९०२ में ज़ेमान तथा लोरेंट्स को भौतिकी में सम्मिलित नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। चुंबक-प्रकाशिकी विज्ञान पर आपने अनेक पुस्तके लिखीं है और इन महत्वपूर्ण पुस्तकों का अंग्रेजी एवं जर्मन भाषाओं में अनुवाद किया गया है। .
नई!!: जेमान प्रभाव और पीटर ज़ीमान · और देखें »
भौतिक विज्ञानी
अल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्होने सामान्य आपेक्षिकता का सिद्धान्त दिया भौतिक विज्ञानी अथवा भौतिक शास्त्री अथवा भौतिकीविद् वो वैज्ञानिक कहलाते हैं जो अपना शोध कार्य भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में करते हैं। उप-परवमाणविक कणों (कण भौतिकी) से लेकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तक सभी परिघटनाओं का अध्ययन करने वाले लोग इस श्रेणी में माने जाते हैं। .
नई!!: जेमान प्रभाव और भौतिक विज्ञानी · और देखें »
हेंड्रिक लारेंज़
हेंड्रिक ऐंतूँ लारेंज़ (Hendrik Antoon Lorentz, सन् १८५३-१९२८) प्रसिद्ध डच भौतिकीविद् थे जिन्हें १९०२ का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया। .
नई!!: जेमान प्रभाव और हेंड्रिक लारेंज़ · और देखें »
क्वाण्टम संख्या
यह इलेक्ट्रान की स्थिति और उर्जा का मान ज्ञात करने के लिए उपयोग किया जाता है। .
नई!!: जेमान प्रभाव और क्वाण्टम संख्या · और देखें »