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जलोढ़क

सूची जलोढ़क

जलोढ़: नदी जल द्वारा अपने मार्ग में जमा की गई मिट्टी जलोढ़क, अथवा अलूवियम उस मृदा को कहा जाता है, जो बहते हुए जल द्वारा बहाकर लाया तथा कहीं अन्यत्र जमा किया गया हो। यह भुरभुरा अथवा ढीला होता है अर्थात् इसके कण आपस में सख्ती से बंधकर कोई 'ठोस' शैल नहीं बनाते। जलोढ़क से भरी मिट्टी को जलोढ़ मृदा या जलोढ़ मिट्टी कहा जाता है। जलोढ़ मिट्टी प्रायः विभिन्न प्रकार के पदार्थों से मिलकर बनी होती है जिसमें गाद (सिल्ट) तथा मृत्तिका के महीन कण तथा बालू तथा बजरी के अपेक्षाकृत बड़े कण भी होते हैं। .

9 संबंधों: थारू, दोआब, नर्मदा नदी, बांकुड़ा जिला, मिट्टी के प्रकार, मृदा, आँवला, कासगंज, कासूमीगौरा झील

थारू

परम्परागत वस्त्रों में थारू स्त्रियाँ थारू पुरुष मछली पकड़ने के लिये जातीं थारू स्त्रियाँ थारू, नेपाल और भारत के सीमावर्ती तराई क्षेत्र में पायी जाने वाली एक जनजाति है। नेपाल की सकल जनसंख्या का लगभग 6.6% लोग थारू हैं। भारत में बिहार के चम्पारन जिले में और उत्तराखण्ड के नैनीताल और ऊधम सिंह नगर में थारू पाये जाते हैं। थारुओं का मुख्य निवास स्थान जलोढ़ मिट्टी वाला हिमालय का संपूर्ण उपपर्वतीय भाग तथा उत्तर प्रदेश के उत्तरी जिले वाला तराई प्रदेश है। ये हिन्दू धर्म मानते हैं तथा हिन्दुओं के सभी त्योहार मनाते हैं। .

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दोआब

भारत का प्रसिद्ध दोआब: गंगा-यमुना का दोआब उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप के प्रसिद्ध दोआब दोआब दो नदियों के बीच के क्षेत्र को कहते हैं। यह 'दो' और 'आब' (यानि 'पानी') शब्दों के जोड़ से बना है, जैसे गंगा और यमुना के बीच की भूमि। दुनियाँ में इस प्रकार के अनेक दोआब हैं, जैसे दजला और फरात का दोआब आदि। पर भारत में दोआब विशेष रूप से गंगा और यमुना के मध्य की भूमि को ही कहते हैं, जो उत्तर प्रदेश में शिवालिक पहाड़ियों से लेकर इलाहाबाद में दोनों नदियों के संगमस्थल तक फैला हुआ है। निम्न दोआब, जो इटावा जिले से लेकर इलाहाबाद तक फैला है, अंतर्वेद कहलाता है। .

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नर्मदा नदी

'''नर्मदा''' और भारत की अन्य नदियाँ नर्मदा नदी का प्रवाह क्षेत्र नर्मदा, जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। यह अपने उद्गम से पश्चिम की ओर 1,221 किमी (815.2 मील) चल कर खंभात की खाड़ी, अरब सागर में जा मिलती है। नर्मदा मध्य भारत के मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। महाकाल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। इसकी लम्बाई प्रायः 1310 किलोमीटर है। यह नदी पश्चिम की तरफ जाकर खम्बात की खाड़ी में गिरती है। इस नदी के किनारे बसा शहर जबलपुर उल्लेखनीय है। इस नदी के मुहाने पर डेल्टा नहीं है। जबलपुर के निकट भेड़ाघाट का नर्मदा जलप्रपात काफी प्रसिद्ध है। इस नदी के किनारे अमरकंटक, नेमावर, गुरुकृपा आश्रम झीकोली, शुक्लतीर्थ आदि प्रसिद्ध तीर्थस्थान हैं जहाँ काफी दूर-दूर से यात्री आते रहते हैं। नर्मदा नदी को ही उत्तरी और दक्षिणी भारत की सीमारेखा माना जाता है। .

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बांकुड़ा जिला

बाँकुड़ा भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक प्रशासकीय जिला है। इसके पश्चिम में पुरुलिया, दक्षिण में मेदनीपुर, पूर्व एवं पूर्वोत्तर में हुगली एवं वर्द्धमान जिले स्थित हैं। छोटा नागपुर पठार की पूर्वी श्रेणी यहाँ फैली है। यहाँ की प्रमुख नदी दामोदर उत्तरी सीमा बनाती है। निम्न वार्षिक ताप लगभग २७°सें.

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मिट्टी के प्रकार

विभिन्न प्रकार की मृदा कणों (texture) के आधार पर मिट्टी को कई वर्गों में बांटा जा सकता है। मिट्टी के किसी नमूने में उपस्थित विभिन्न खनिज-कणों के आकार के आधार बनाकर यह वर्गीकरण किया जाता है। मिट्टी के मुख्य घटक हैं- महीन पिसे हुए शैल-कण, मृत्तिका (क्ले), जैविक पदार्थ (जैसे विघटित रूप में पौधों के भाग)आदि। .

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मृदा

पृथ्वी ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मृदा (मिट्टी / soil) कहते हैं। ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्राय: चट्टान (शैल) पाई जाती है। कभी कभी थोड़ी गहराई पर ही चट्टान मिल जाती है। 'मृदा विज्ञान' (Pedology) भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं एवं धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता हैं। पृथऽवी की ऊपरी सतह के कणों को ही (छोटे या बडे) soil कहा जाता है .

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आँवला

आँवला, एक स्वास्थ्यवर्धक फल। आंवले की एक डाली पर पत्ते एवं फल साम्राज्य - पादप विभाग - मैंगोलियोफाइटा वर्ग - मैंगोलियोफाइटा जाति - रिबीस प्रजाति - आर यूवा-क्रिस्पा वैज्ञानिक नाम - रिबीस यूवा-क्रिस्पा आँवला एक फल देने वाला वृक्ष है। यह करीब २० फीट से २५ फुट तक लंबा झारीय पौधा होता है। यह एशिया के अलावा यूरोप और अफ्रीका में भी पाया जाता है। हिमालयी क्षेत्र और प्राद्वीपीय भारत में आंवला के पौधे बहुतायत मिलते हैं। इसके फूल घंटे की तरह होते हैं। इसके फल सामान्यरूप से छोटे होते हैं, लेकिन प्रसंस्कृत पौधे में थोड़े बड़े फल लगते हैं। इसके फल हरे, चिकने और गुदेदार होते हैं। स्वाद में इनके फल कसाय होते हैं। संस्कृत में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी, पंचरसा इत्यादि, अंग्रेजी में 'एँब्लिक माइरीबालन' या इण्डियन गूजबेरी (Indian gooseberry) तथा लैटिन में 'फ़िलैंथस एँबेलिका' (Phyllanthus emblica) कहते हैं। यह वृक्ष समस्त भारत में जंगलों तथा बाग-बगीचों में होता है। इसकी ऊँचाई 2000 से 25000 फुट तक, छाल राख के रंग की, पत्ते इमली के पत्तों जैसे, किंतु कुछ बड़े तथा फूल पीले रंग के छोटे-छोटे होते हैं। फूलों के स्थान पर गोल, चमकते हुए, पकने पर लाल रंग के, फल लगते हैं, जो आँवला नाम से ही जाने जाते हैं। वाराणसी का आँवला सब से अच्छा माना जाता है। यह वृक्ष कार्तिक में फलता है। आयुर्वेद के अनुसार हरीतकी (हड़) और आँवला दो सर्वोत्कृष्ट औषधियाँ हैं। इन दोनों में आँवले का महत्व अधिक है। चरक के मत से शारीरिक अवनति को रोकनेवाले अवस्थास्थापक द्रव्यों में आँवला सबसे प्रधान है। प्राचीन ग्रंथकारों ने इसको शिवा (कल्याणकारी), वयस्था (अवस्था को बनाए रखनेवाला) तथा धात्री (माता के समान रक्षा करनेवाला) कहा है। .

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कासगंज

कासगंज या कासगंज, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, एटा से लगभग ३२ किलोमीटर उत्तर, काली नदी के किनारे स्थित एक क़स्बा है। यह कासगंज ज़िले का मुख्यालय भी है, जिसे २००६ में अलीगढ़ ज़िले से विभक्त कर बनाया गया था, जो अलीगढ़ मंडल में आता है। भारत सरकार की २०११ की जनगणना के अनुसार, कासगंज की कुल आबादी १ लाख से अधिक है, और इसका नगरीय विस्तार लगभग २,२०० वर्ग किलोमीटर पर फ़ैला हुआ है। कासगंज की सबसे विशिष्ट भौगोलिक आकृति है काली नदी जो शहर के दक्षिण से गुज़रती है, तथा, निचली गंगा नहर क़स्बे के पश्चिम से गुज़रती है। .

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कासूमीगौरा झील

कासूमीगौरा झील (霞ヶ浦) जापान की दूसरी सबसे बड़ी झील हैं, जो टोक्यो की उत्तर-पूर्व में 60 किमी दूर स्थित हैं। आधिकारिक तौर पर, कासूमीगौरा झील 167.63 किमी२ क्षेत्र में फैले जलक्षेत्र को दर्शाता हैं। व्यापक अर्थ में, कासूमीगौरा झील, झील के एक समूह को संदर्भित करता हैं, जिसमें निशिरा (西浦) और दो अन्य छोटे झील, किटौरा (北浦; 35.16 किमी२) और सोतोनासकौरा (外浪逆浦; 5.85 किमी२), और उनसे जुड़ने वाली नदियाँ आदि शामिल हैं। इस हिसाब से झील का कुल क्षेत्र 220 किमी२ हो जाता हैं।) झील के आसपास के लगभग 45% भूमि प्राकृतिक परिदृश्य हैं और 43.5% कृषि भूमि हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

जलोढ़ मिट्टी, जलोढ़ मृदा, कछार मिट्टी

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