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कासगंज

सूची कासगंज

कासगंज या कासगंज, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, एटा से लगभग ३२ किलोमीटर उत्तर, काली नदी के किनारे स्थित एक क़स्बा है। यह कासगंज ज़िले का मुख्यालय भी है, जिसे २००६ में अलीगढ़ ज़िले से विभक्त कर बनाया गया था, जो अलीगढ़ मंडल में आता है। भारत सरकार की २०११ की जनगणना के अनुसार, कासगंज की कुल आबादी १ लाख से अधिक है, और इसका नगरीय विस्तार लगभग २,२०० वर्ग किलोमीटर पर फ़ैला हुआ है। कासगंज की सबसे विशिष्ट भौगोलिक आकृति है काली नदी जो शहर के दक्षिण से गुज़रती है, तथा, निचली गंगा नहर क़स्बे के पश्चिम से गुज़रती है। .

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तुलसीदास

गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिंदी साहित्य के महान कवि थे। इनका जन्म सोरों शूकरक्षेत्र, वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तर प्रदेश में हुआ था। कुछ विद्वान् आपका जन्म राजापुर जिला बाँदा(वर्तमान में चित्रकूट) में हुआ मानते हैं। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .

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दया प्रकाश सिन्हा

दया प्रकाश सिन्हा (जन्म: २ मई १९३५, कासगंज, जिला एटा, उत्तर प्रदेश) एक अवकाशप्राप्त आई०ए०एस० अधिकारी होने के साथ-साथ हिन्दी भाषा के प्रतिष्ठित लेखक, नाटककार, नाट्यकर्मी, निर्देशक व चर्चित इतिहासकार हैं। प्राच्य इतिहास, पुरातत्व व संस्कृति में एम० ए० की डिग्री तथा लोक प्रशासन में मास्टर्स डिप्लोमा प्राप्त सिन्हा जी विभिन्न राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं में रहे। साहित्य कला परिषद, दिल्ली प्रशासन के सचिव, भारतीय उच्चायुक्त, फिजी के प्रथम सांस्कृतिक सचिव, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी व ललित कला अकादमी के अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के निदेशक जैसे अनेकानेक उच्च पदों पर रहने के पश्चात सन् १९९३ में भारत भवन, भोपाल के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। नाट्य-लेखन के साथ-साथ रंगमंच पर अभिनय एवं नाट्य-निर्देशन के क्षेत्र में लगभग ५० वर्षों तक सक्रिय रहे सिन्हा जी की नाट्य कृतियाँ निरन्तर प्रकाशित, प्रसारित व मंचित होती रही हैं। अनेक देशों में भारत के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में भ्रमण कर चुके श्री सिन्हा को कई पुरस्कार व सम्मान भी मिल चुके हैं। .

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नंददास

भक्तिकाल में पुष्टिमार्गीय अष्टछाप के कवि नंददास जी का जन्म जनपद- कासगंज के सोरों शूकरक्षेत्र अन्तर्वेदी रामपुर (वर्त्तमान- श्यामपुर) गाँव निवासी भरद्वाज गोत्रीय सनाढ्य ब्राह्मण पं० सच्चिदानंद शुक्ल के पुत्र पं० जीवाराम शुक्ल की पत्नी चंपा के गर्भ से सम्वत्- 1572 विक्रमी में हुआ था। पं० सच्चिदानंद के दो पुत्र थे, पं० आत्माराम शुक्ल और पं० जीवाराम शुक्ल। पं० आत्माराम शुक्ल एवं हुलसी के पुत्र का नाम महाकवि गोस्वामी तुलसीदास था, जिन्होंने श्रीरामचरितमानस महाग्रंथ की रचना की थी। नंददास जी के छोटे भाई का नाम चँदहास था। नंददास जी, तुलसीदास जी के सगे चचेरे भाई थे। नंददास जी के पुत्र का नाम कृष्णदास था। नंददास ने कई रचनाएँ- रसमंजरी, अनेकार्थमंजरी, भागवत्-दशम स्कंध, श्याम सगाई, गोवर्द्धन लीला, सुदामा चरित, विरहमंजरी, रूप मंजरी, रुक्मिणी मंगल, रासपंचाध्यायी, भँवर गीत, सिद्धांत पंचाध्यायी, नंददास पदावली हैं।.

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ब्रज

शेठ लक्ष्मीचन्द मन्दिर का द्वार (१८६० के दशक का फोटो) वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के मथुरा नगर सहित वह भू-भाग, जो श्रीकृष्ण के जन्म और उनकी विविध लीलाओं से सम्बधित है, ब्रज कहलाता है। इस प्रकार ब्रज वर्तमान मथुरा मंडल और प्राचीन शूरसेन प्रदेश का अपर नाम और उसका एक छोटा रूप है। इसमें मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, गोकुल, महाबन, वलदेव, नन्दगाँव, वरसाना, डीग और कामबन आदि भगवान श्रीकृष्ण के सभी लीला-स्थल सम्मिलित हैं। उक्त ब्रज की सीमा को चौरासी कोस माना गया है। सूरदास तथा अन्य व्रजभाषा के भक्त कवियों और वार्ताकारों ने भागवत पुराण के अनुकरण पर मथुरा के निकटवर्ती वन्य प्रदेश की गोप-बस्ती को ब्रज कहा है और उसे सर्वत्र 'मथुरा', 'मधुपुरी' या 'मधुवन' से पृथक वतलाया है। ब्रज क्षेत्र में आने वाले प्रमुख नगर ये हैं- मथुरा, जलेसर, भरतपुर, आगरा, हाथरस, धौलपुर, अलीगढ़, इटावा, मैनपुरी, एटा, कासगंज, और फिरोजाबाद। ब्रज शब्द संस्कृत धातु 'व्रज' से बना है, जिसका अर्थ गतिशीलता से है। जहां गाय चरती हैं और विचरण करती हैं वह स्थान भी ब्रज कहा गया है। अमरकोश के लेखक ने ब्रज के तीन अर्थ प्रस्तुत किये हैं- गोष्ठ (गायों का बाड़ा), मार्ग और वृंद (झुण्ड)। संस्कृत के व्रज शब्द से ही हिन्दी का ब्रज शब्द बना है। वैदिक संहिताओं तथा रामायण, महाभारत आदि संस्कृत के प्राचीन धर्मग्रंथों में ब्रज शब्द गोशाला, गो-स्थान, गोचर भूमि के अर्थों में भी प्रयुक्त हुआ है। ऋग्वेद में यह शब्द गोशाला अथवा गायों के खिरक के रूप में वर्णित है। यजुर्वेद में गायों के चरने के स्थान को ब्रज और गोशाला को गोष्ठ कहा गया है। शुक्लयजुर्वेद में सुन्दर सींगों वाली गायों के विचरण स्थान से ब्रज का संकेत मिलता है। अथर्ववेद में गोशलाओं से सम्बधित पूरा सूक्त ही प्रस्तुत है। हरिवंश तथा भागवतपुराणों में यह शब्द गोप बस्त के रूप में प्रयुक्त हुआ है। स्कंदपुराण में महर्षि शांण्डिल्य ने ब्रज शब्द का अर्थ व्थापित वतलाते हुए इसे व्यापक ब्रह्म का रूप कहा है। अतः यह शब्द ब्रज की आध्यात्मिकता से सम्बधित है। वेदों से लेकर पुराणों तक में ब्रज का सम्बध गायों से वर्णित किया गया है। चाहे वह गायों को बांधने का बाडा हो, चाहे गोशाला हो, चाहे गोचर भूमि हो और चाहे गोप-बस्ती हो। भागवतकार की दृष्टि में गोष्ठ, गोकुल और ब्रज समानार्थक हैं। भागवत के आधार पर सूरदास की रचनाओं में भी ब्रज इसी अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। मथुरा और उसका निकटवर्ती भू-भाग प्राचीन काल से ही अपने सघन वनों, विस्तृत चारागाहों, गोष्ठों और सुन्दर गायों के लिये प्रसिद्ध रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म यद्यपि मथुरा नगर में हुआ था, तथापि राजनैतिक कारणों से उन्हें जन्म लेते ही यमुना पार की गोप-वस्ती में भेज दिया गया था, उनकी वाल्यावस्था एक बड़े गोपालक के घर में गोप, गोपी और गो-वृंद के साथ बीती थी। उस काल में उनके पालक नंदादि गोप गण अपनी सुरक्षा और गोचर-भूमि की सुविधा के लिये अपने गोकुल के साथ मथुरा निकटवर्ती विस्तृत वन-खण्डों में घूमा करते थे। श्रीकृष्ण के कारण उन गोप-गोपियों, गायों और गोचर-भूमियों का महत्व बड़ गया था। पौराणिक काल से लेकर वैष्णव सम्प्रदायों के आविर्भाव काल तक जैसे-जैसे कृश्णोपासना का विस्तार होता गया, वैसे-वैसे श्रीकृष्ण के उक्त परिकरों तथा उनके लीला स्थलों के गौरव की भी वृद्धि होती गई। इस काल में यहां गो-पालन की प्रचुरता थी, जिसके कारण व्रजखण्डों की भी प्रचुरता हो गई थी। इसलिये श्री कृष्ण के जन्म स्थान मथुरा और उनकी लीलाओं से सम्वधित मथुरा के आस-पास का समस्त प्रदेश ही ब्रज अथवा ब्रजमण्डल कहा जाने लगा था। इस प्रकार ब्रज शब्द का काल-क्रमानुसार अर्थ विकास हुआ है। वेदों और रामायण-महाभारत के काल में जहाँ इसका प्रयोग 'गोष्ठ'-'गो-स्थान' जैसे लघु स्थल के लिये होता था। वहां पौराणिक काल में 'गोप-बस्ती' जैसे कुछ बड़े स्थान के लिये किया जाने लगा। उस समय तक यह शब्द प्रदेशवायी न होकर क्षेत्रवायी ही था। भागवत में 'ब्रज' क्षेत्रवायी अर्थ में ही प्रयुक्त हुआ है। वहां इसे एक छोटे ग्राम की संज्ञा दी गई है। उसमें 'पुर' से छोटा 'ग्राम' और उससे भी छोटी बस्ती को 'ब्रज' कहा गया है। १६वीं शताब्दी में 'ब्रज' प्रदेशवायी होकर 'ब्रजमंडल' हो गया और तव उसका आकार ८४ कोस का माना जाने लगा था। उस समय मथुरा नगर 'ब्रज' में सम्मिलित नहीं माना जाता था। सूरदास तथा अन्य ब्रज-भाषा कवियों ने 'ब्रज' और मथुरा का पृथक् रूप में ही कथन किया है, जैसे पहिले अंकित किया जा चुका है। कृष्ण उपासक सम्प्रदायों और ब्रजभाषा कवियों के कारण जब ब्रज संस्कृति और ब्रजभाषा का क्षेत्र विस्तृत हुआ तब ब्रज का आकार भी सुविस्तृत हो गया था। उस समय मथुरा नगर ही नहीं, बल्कि उससे दूर-दूर के भू-भाग, जो ब्रज संस्कृति और ब्रज-भाषा से प्रभावित थे, व्रज अन्तर्गत मान लिये गये थे। वर्तमान काल में मथुरा नगर सहित मथुरा जिले का अधिकांश भाग तथा राजस्थान के डीग और कामबन का कुछ भाग, जहाँ से ब्रजयात्रा गुजरती है, ब्रज कहा जाता है। ब्रज संस्कृति और ब्रज भाषा का क्षेत्र और भी विस्तृत है। उक्त समस्त भू-भाग रे प्राचीन नाम, मधुबन, शुरसेन, मधुरा, मधुपुरी, मथुरा और मथुरामंडल थे तथा आधुनिक नाम ब्रज या ब्रजमंडल हैं। यद्यपि इनके अर्थ-बोध और आकार-प्रकार में समय-समय पर अन्तर होता रहा है। इस भू-भाग की धार्मिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक और संस्कृतिक परंपरा अत्यन्त गौरवपूर्ण रही है। .

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ब्रजभाषा

ब्रजभाषा मूलत: ब्रज क्षेत्र की बोली है। (श्रीमद्भागवत के रचनाकाल में "व्रज" शब्द क्षेत्रवाची हो गया था। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत के मध्य देश की साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने उत्थान एवं विकास के साथ आदरार्थ "भाषा" नाम प्राप्त किया और "ब्रजबोली" नाम से नहीं, अपितु "ब्रजभाषा" नाम से विख्यात हुई। अपने विशुद्ध रूप में यह आज भी आगरा, हिण्डौन सिटी,धौलपुर, मथुरा, मैनपुरी, एटा और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम "केंद्रीय ब्रजभाषा" भी कह सकते हैं। ब्रजभाषा में ही प्रारम्भ में काव्य की रचना हुई। सभी भक्त कवियों ने अपनी रचनाएं इसी भाषा में लिखी हैं जिनमें प्रमुख हैं सूरदास, रहीम, रसखान, केशव, घनानंद, बिहारी, इत्यादि। फिल्मों के गीतों में भी ब्रजभाषा के शब्दों का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। .

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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रत्नावली

रत्नावली एक विदुषी कन्या थी, जिनका जन्म सम्वत्- 1577 विक्रमी में जनपद- कासगंज के सोरों शूकरक्षेत्र अन्तर्वेदी भागीरथी गंगा के पश्चिमी तटस्थ बदरिया (बदरिका) नामक गाँव में हुआ था। विदुषी रत्नावली के पिता का नाम पं० दीनबंधु पाठक एवं माता दयावती थीं। विदुषी रत्नावली का पाणिग्रहण सम्वत्- 1589 विक्रमी में सोरों शूकरक्षेत्र निवासी पं० आत्माराम शुक्ल के पुत्र पं० तुलसीदास जी के साथ हुआ। सम्वत्- 1604 विक्रमी में जब रत्नावली मात्र 27 वर्ष की ही थी, तब तुलसीदास जी इनसे विरक्त होकर सोरों शूकरक्षेत्र त्यागकर चले गए। अंत में पूज्य पतिपरमेश्वर का स्मरण करती हुई सती साध्वी रत्नावली सम्वत्- 1651 विक्रमी में अपनी अलौकिक कान्ति चमकाती हुई सत्यलोक सिधार गई। श्रेणी:हर्षवर्धन श्रेणी:संस्कृत नाटक श्रेणी:संस्कृत ग्रंथ श्रेणी:नाटक.

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राजकीय पालीटेक्निक सोरों कासगंज

राजकीय पॉलिटेक्निक, सोरों (कासगंज), उत्तर प्रदेश का तकनीकी कॉलेज है। ये उत्तर प्रदेश प्राविधिक शिक्षा परिषद के अधीन व अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा सम्बन्धित है। यह कॉलेज पश्चिमी क्षेत्र (दौराला, मेरठ) के अन्तर्गत आता है। इसका शिलान्यास सन १९८३ ईस्वी में तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री नारायण दत्त तिवारी व शिक्षामन्त्री श्री सुनील शास्त्री द्वारा किया गया। .

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सहावर

सहावर उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले की एक तहसील एवं कस्बा है। यह एक नगर पंचायत है। .

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सोरों

सोरों सूकरक्षेत्र भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में कासगंज जनपद का एक नगर है। यहाँ प्रत्येक अमावस्या, सोमवती अमावस्या, पूर्णिमा, रामनवमी, मोक्षदा एकादशी आदि अवसरों पर तीर्थयात्रियों का बड़ी संख्या में आवागमन होता है और गंगा में स्नान कर पुण्य प्राप्त करते हैं। यहाँ अस्थि विसर्जन का विशेष महत्त्व है। यहाँ स्थित कुण्ड में विसर्जित की गईं अस्थियाँ तीन दिन के अन्त में रेणुरूप धारण कर लेती हैं। यह महाकवि गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि है। सोरों सूकरक्षेत्र के तीर्थपुरोहित जगत् विख्यात हैं। इनके पास प्रत्येक परिवार के पूर्वजों का इतिहास हैं। .

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कासगंज

कासगंज या कासगंज, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, एटा से लगभग ३२ किलोमीटर उत्तर, काली नदी के किनारे स्थित एक क़स्बा है। यह कासगंज ज़िले का मुख्यालय भी है, जिसे २००६ में अलीगढ़ ज़िले से विभक्त कर बनाया गया था, जो अलीगढ़ मंडल में आता है। भारत सरकार की २०११ की जनगणना के अनुसार, कासगंज की कुल आबादी १ लाख से अधिक है, और इसका नगरीय विस्तार लगभग २,२०० वर्ग किलोमीटर पर फ़ैला हुआ है। कासगंज की सबसे विशिष्ट भौगोलिक आकृति है काली नदी जो शहर के दक्षिण से गुज़रती है, तथा, निचली गंगा नहर क़स्बे के पश्चिम से गुज़रती है। .

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कासगंज रेलवे स्टेशन

कासगंज रेलवे स्टेशन भारतीय रेल का एक रेलवे स्टेशन है। यह कासगंज शहर में स्थित है। इसकी ऊंचाई मी.

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अमीर ख़ुसरो

अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि शायर, गायक और संगीतकार थे। उनका परिवार कई पीढ़ियों से राजदरबार से सम्बंधित था I स्वयं अमीर खुसरो ने आठ सुल्तानों का शासन देखा था I अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है I वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी, हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखा I उन्हे खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है I वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं। सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था। वे फारसी के कवि भी थे। उनको दिल्ली सल्तनत का आश्रय मिला हुआ था। उनके ग्रंथो की सूची लम्बी है। साथ ही इनका इतिहास स्रोत रूप में महत्त्व है। मध्य एशिया की लाचन जाति के तुर्क सैफुद्दीन के पुत्र अमीर खुसरो का जन्म सन् (६५२ हि.) में एटा उत्तर प्रदेश के पटियाली नामक कस्बे में हुआ था। लाचन जाति के तुर्क चंगेज खाँ के आक्रमणों से पीड़ित होकर बलबन (१२६६ -१२८६ ई0) के राज्यकाल में ‘’शरणार्थी के रूप में भारत में आ बसे थे। खुसरो की माँ बलबनके युद्धमंत्री इमादुतुल मुल्क की पुत्री तथा एक भारतीय मुसलमान महिला थी। सात वर्ष की अवस्था में खुसरो के पिता का देहान्त हो गया। किशोरावस्था में उन्होंने कविता लिखना प्रारम्भ किया और २० वर्ष के होते होते वे कवि के रूप में प्रसिद्ध हो गए। खुसरो में व्यवहारिक बुद्धि की कोई कमी नहीं थी। सामाजिक जीवन की खुसरो ने कभी अवहेलना नहीं की। खुसरो ने अपना सारा जीवन राज्याश्रय में ही बिताया। राजदरबार में रहते हुए भी खुसरो हमेशा कवि, कलाकार, संगीतज्ञ और सैनिक ही बने रहे। साहित्य के अतिरिक्त संगीत के क्षेत्र में भी खुसरो का महत्वपूर्ण योगदान है I उन्होंने भारतीय और ईरानी रागों का सुन्दर मिश्रण किया और एक नवीन राग शैली इमान, जिल्फ़, साजगरी आदि को जन्म दिया I भारतीय गायन में क़व्वालीऔर सितार को इन्हीं की देन माना जाता है। इन्होंने गीत के तर्ज पर फ़ारसी में और अरबी ग़जल के शब्दों को मिलाकर कई पहेलियाँ और दोहे भी लिखे हैं। .

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अलीगढ़ मंडल

अलीगढ़, भारत में उत्तर प्रदेश राज्य का एक मंडल है। इसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चार जिले- अलीगढ़, हाथरस, एटा एवं काशीराम नगर (कासगंज) सम्मिलित हैं।.

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उत्तर प्रदेश

आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .

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उत्तर प्रदेश पुलिस

उत्तर प्रदेश पुलिस भारत के राज्य उत्तर प्रदेश में २३६,२८६वर्ग.कि.मी के क्षेत्र में २० करोड़ जनसंख्या (वर्ष 2011 के अनुसार) में न्याय एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने हेतु उत्तरदायी पुलिस सेवा है। ये पुलिस सेवा न केवल भारत वरन विश्व की सबसे बड़ी पुलिस सेवा है। सेवा के महानिदेशक-पुलिस की कमान की शक्ति १.७० लाख के लगभग है जो 75 जिलों में ३१ सशस्त्र बटालियनों एवं अन्य विशिष्ट स्कंधों में बंटी व्यवस्था का नियामन करती है। इन स्कंधों में प्रमुख हैं: इंटेलिजेंस, इन्वेस्टिगेशन, एंटी-करप्शन, तकनीकी, प्रशिक्षण एवं अपराध-विज्ञान, आदि। .

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2017

उत्तर प्रदेश की सत्तरहवीं विधानसभा के लिए आम चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक सात चरणों में आयोजित हुए। इन चुनावों में मतदान प्रतिशत लगभग 61% रहा। भारतीय जनता पार्टी ने 312 सीटें जीतकर तीन-चौथाई बहुमत प्राप्त किया जबकि सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी गठबन्धन को 54 सीटें और बहुजन समाज पार्टी को 19 सीटों से संतोष करना पड़ा। पिछले चुनावों में समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनायीं थी। 18 मार्च 2017 को भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य एवं दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। .

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उत्तर प्रदेश के राज्य राजमार्गों की सूची

उत्तर प्रदेश राज्य में कुल ३५ राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जिनकी कुल लंबाई ४०६३५ किमी है; और ८३ राज्य राजमार्ग हैं, जिनकी कुल लंबाई ८४३२ किमी है। .

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उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहरों की सूची

उत्तर प्रदेश एक भारतीय राज्य है, जिसकी सीमाऐं नेपाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के साथ मिलती हैं। राज्य के उत्तर में हिमालय है और दक्षिण में दक्कन का पठार स्थित है। इन दोनों के बीच में, गंगा, यमुना, घाघरा समेत कई नदियां पूरब की तरफ बहती हैं। उत्तर प्रदेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल है। 2011 के जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 199,581,477 है। उत्तर प्रदेश को 18 मण्डलों के अंतर्गत 75 जिलों में विभाजित किया गया है। 2011 में 199,581,477 की जनसंख्या के साथ उत्तर प्रदेश भारत का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का 6.88 प्रतिशत मात्र है, लेकिन भारत की 16.49 प्रतिशत आबादी यहां निवास करती है। 2011 तक राज्य में 64 ऐसे नगर हैं, जिनकी जनसंख्या 100,000 से अधिक है। 1,640 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 4,542,184 की जनसंख्या के साथ कानपुर राज्य का सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है। .

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उत्तर प्रदेश के ज़िले

उत्तर प्रदेश भारत का एक राज्य है और प्रशासनिक रूप से कई ज़िलों में बंटा हुआ है। इन ज़िलों को 'विभाग' नामक भौगोलिक व प्रशासनिक समूहों में एकत्रित किया गया है। वर्तमान काल में उत्तर प्रदेश १८ विभागों में बांटा गया है जो आगे स्वयं ७५ ज़िलों में बंटे हैं।, Lalmani Verma, The Indian Express, 01 Dec 2011 .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

कासगंज ज़िला, कांशीराम नगर

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