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चुम्बकीय क्षेत्र

सूची चुम्बकीय क्षेत्र

किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा '''I''', उस चालक के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र '''B''' उत्पन्न करती है। चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धाराओं और चुंबकीय सामग्री का चुंबकीय प्रभाव है। किसी भी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र दोनों, दिशा और परिमाण (या शक्ति) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है; इसलिये यह एक सदिश क्षेत्र है। चुंबकीय क्षेत्र घूमते विद्युत आवेश और मूलकण के आंतरिक चुंबकीय क्षणों द्वारा उत्पादित होता हैं जो एक प्रमात्रा गुण के साथ जुड़ा होता है। 'चुम्बकीय क्षेत्र' शब्द का प्रयोग दो क्षेत्रों के लिये किया जाता है जिनका आपस में निकट सम्बन्ध है, किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। इन दो क्षेत्रों को तथा, द्वारा निरूपित किया जाता है। की ईकाई अम्पीयर प्रति मीटर (संकेत: A·m−1 or A/m) है और की ईकाई टेस्ला (प्रतीक: T) है। चुम्बकीय क्षेत्र दो प्रकार से उत्पन्न (स्थापित) किया जा सकता है- (१) गतिमान आवेशों के द्वारा (अर्थात, विद्युत धारा के द्वारा) तथा (२) मूलभूत कणों में निहित चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा विशिष्ट आपेक्षिकता में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र दो रूपों में देखने को मिलता है, (१) स्थायी चुम्बकों द्वारा लोहा, कोबाल्ट आदि से निर्मित वस्तुओं पर लगने वाला बल, तथा (२) मोटर आदि में उत्पन्न बलाघूर्ण जिससे मोटर घूमती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों का बहुतायत में उपयोग होता है (विशेषतः वैद्युत इंजीनियरी तथा विद्युतचुम्बकत्व में)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, चुम्बकीय सुई के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र में चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग होता है। .

64 संबंधों: चन्द्रमा, चन्द्रशेखर संख्या, चुम्बक, चुम्बकत्व, चुम्बकीय ऊर्जा, चुम्बकीय परिपथ, चुम्बकीय प्रोत्थापन, चुम्बकीय आघूर्ण, चुम्बकीय क्रोड, टेस्ला, एम आर आई, एम्पीयर का नियम, द्रव्यमान वर्णक्रममाप, द्विध्रुवी चुम्बक, नाइट्रोजन, पारगम्यता, पुनर्चक्रण, प्रेरक, प्लाज़्मा (भौतिकी), पीटर ज़ीमान, फैराडे का विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का नियम, बल (भौतिकी), बुध (ग्रह), बृहस्पति (ग्रह), भौतिक विज्ञानी, भौतिक गुण, भौतिकी की शब्दावली, भूगतिकी, माइक्रोफोन, मंगल ग्रह, मंगल का उपनिवेशण, मैग्नेट्रॉन, मैक्सवेल के समीकरण, रदरफर्ड केबल, लोरेन्ट्स शक्ति, शनि (ग्रह), शनि का चुंबकीय क्षेत्र, शुक्र, सामान्य आपेक्षिकता, साइक्लोट्रॉन, सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत, सौर प्रज्वाल, सेंसर, सेकेंड, हार्टमान संख्या, हाल प्रभाव, जूनो (अंतरिक्ष यान), विद्युत, विद्युत चुम्बक, विद्युत धारा, ..., विद्युतचुम्बकीय सिद्धान्त का इतिहास, विद्युत्-क्षेत्र, विशिष्ट आपेक्षिकता, विश्वकद्रु तारामंडल, खगोलभौतिक फौवारा, गाउस का नियम (चुंबकत्व), गॉस (इकाई), गॉस नामकरण, आवेश घनत्व, कण त्वरक, कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण, अनुचुम्बकत्व, अन्तरापृष्ठ पर विद्युतचुम्बकीय क्षेत्र का व्यवहार, अंगिरस तारा सूचकांक विस्तार (14 अधिक) »

चन्द्रमा

कोई विवरण नहीं।

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चन्द्रशेखर संख्या

चन्द्रशेखर संख्या एक विमारहित राशी है जिसे श्यानता के लिए लॉरेंज बल के अनुपात को चुम्बकीय संवहन में निरुपित करने के लिए काम में लिया जाता है। इसका नामकरण भारतीय खगोलभौतिक विज्ञानी सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर के सम्मान में किया गया। इस संख्या का मुख्य फलन चुम्बकीय क्षेत्र का मापन है जब यह निकाय के क्रान्तिक चुम्बकीय क्षेत्र के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होता है। .

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चुम्बक

एक छड़ चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित हुई लौह-धुरि (iron-filings) एक परिनालिका (सॉलिनॉयड) द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय बल रेखाएँ फेराइट चुम्बक चुम्बक (मैग्नेट्) वह पदार्थ या वस्तु है जो चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। चुम्बकीय क्षेत्र अदृश्य होता है और चुम्बक का प्रमुख गुण - आस-पास की चुम्बकीय पदार्थों को अपनी ओर खींचने एवं दूसरे चुम्बकों को आकर्षित या प्रतिकर्षित करने का गुण, इसी के कारण होता है। .

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चुम्बकत्व

भौतिकी में चुम्बकत्व वह प्रक्रिया है, जिसमें एक वस्तु दूसरी वस्तु पर आकर्षण या प्रतिकर्षण बल लगाती है। जो वस्तुएँ यह गुण प्रदर्शित करती हैं, उन्हें चुम्बक कहते हैं। निकल, लोहा, कोबाल्ट एवं उनके मिश्रण आदि सरलता से पहचाने जाने योग्य चुम्बकीय गुण रखते हैं। ज्ञातव्य है कि सब वस्तुएं न्यूनाधिक मात्रा में चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति से प्रभावित होती हैं। चुम्बकत्व अन्य रूपों में भी प्रकट होता है, जैसे विद्युतचुम्बकीय तरंग में चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति। .

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चुम्बकीय ऊर्जा

भौतिकी में, चुम्बकीय ऊर्जा, चुम्बकीय क्षेत्र से सम्बन्धित ऊर्जा है। B चुम्बकीय क्षेत्र में रखे हुए m चुम्बकीय आघूर्ण वाले चुम्बक की स्थितिज ऊर्जा निम्नलिखित है- किसी प्रेरकत्व L में धारा I प्रवाहित हो रही हो तो उसमें संग्रहित ऊर्जा: ऊर्जा को चुम्बकीय क्षेत्र के रूप में भी भण्डारित किया जाता है। \mu पारगम्यता वाले किसी क्षेत्र के ईकाई आयतन में संगृहित चुम्बकीय ऊर्जा: जहाँ B सम्बन्धित बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (टेसला में) है। .

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चुम्बकीय परिपथ

केवल एक लूप वाला चुम्बकीय परिपथ चुंबकीय परिपथ (magnetic circuit) एक या अधिक बंद लूप वाले मार्गों से बना होता है जिनमें चुंबकीय फ्लक्स होता है। यह फ्लक्स प्राय: किसी स्थाई चुम्बक या विद्युत चुम्बक द्वारा पैदा किया जाता है। इन मार्गों में स्थित लौहचुम्बकीय पदार्थों के कारण फ्लक्स इन मार्गों में ही सीमित रहता है तथा मार्ग के बाहर फ्लक्स की मात्रा नगण्य ही रहती है। चुम्बकीय परिपथ का कांसेप्ट विद्युतचुम्बकीय युक्तियों की डिजाइन में बहुत सुविधा प्रदान करता है। यह विभिन्न स्थानों से होकर गुजरने वाले फ्लक्स की मात्रा आदि की गणना में बहुत उपयोगी है। चूंकि विद्युत परिपथ और चुम्बकीय परिपथ में समानता है, इस कारण विद्युत परिपथ के विश्लेषण के सभी औजार (जैसे KCL, KVL, suparposition आदि) चुम्बकीय परिपथ के विश्लेषण में काम आ जाते हैं। .

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चुम्बकीय प्रोत्थापन

चुम्बकीय प्रोत्थापन (Magnetic levitation, maglev, या magnetic suspension) किसी वस्तु को केवल चुम्बकीय बल द्वारा लटकाने की क्रिया है। इस प्रक्रिया में वस्तु पर लगने वाले गुरुत्वीय बल एवं अन्य बलों को चुम्बकीय बल के द्वारा संतुलित किया जाता है जिससे वस्तु बिना किसी आधार के (हवा में) लटकी रहती है या हवा में लटके हुए आगे बढ़ती है। इसके दो मुख्य मुद्दे हैं- उत्थान औ्र स्थायित्व। उत्थान द्वारा वस्तु को गुरुत्वाकर्षण विरोधी चुंबकीय बल द्वारा ऊपर उठाया जाता है। स्थायित्व द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि वस्तु यादृच्छिक रूप से चुंबकीय क्षेत्र से बाहर न चली जाय। इसका उपयोग चुम्बकीय प्रोत्थापित रेलगाड़ियाँ, वस्तुओं के प्रदर्शन आदि में किया जाता है। .

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चुम्बकीय आघूर्ण

किसी चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण (magnetic moment) वह राशि है जो बताती है कि उस चुम्बक को किसी वाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर वह कितना बलाघूर्ण अनुभव करेगा। छद़ चुम्बक, एक लूप जिसमें विद्युत धारा बह रही हो, परमाणु का चक्कर काटता इलेक्ट्रॉन, अणु, ग्रह आदि सभी का चुम्बकीय आघूर्ण होता है। .

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चुम्बकीय क्रोड

चुम्बकीय क्रोड (magnetic core) उच्च पारगम्यता वाले पदार्थ होते हैं जिनका उपयोग चुम्बकीय क्षेत्र को परिरुद्ध (confine) करने एवं उसका मार्ग निर्धारित करने के लिये किया जाता है। चुम्बकीय क्रोड का उपयोग विद्युतचुम्बक, ट्रान्सफॉर्मर, विद्युत मोटर, विद्युत जनित्र, प्रेरक (इण्डक्टर), उपकरणों आदि में होता है। .

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टेस्ला

टेस्ला (tesla) (प्रतीक T), चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक है। यह अन्तराष्ट्रीय इकाई प्रणाली की का एक व्युत्पन्न मात्रक (derived unit) है। श्रेणी:मात्रक श्रेणी:निकोला टेस्ला श्रेणी:चुम्बकीय क्षेत्र के मात्रक श्रेणी:एस आई व्युत्पन्न इकाइयाँ.

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एम आर आई

एम आरा आई की मशीन (३ टेसला चुम्बकीय क्षेत्र) मानव के सिर एम आर आई द्वारा निर्मित छबियाँ चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिम्बन (Magnetic resonance imaging (MRI)) या नाभिकीय चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिम्बन (NMRI), एक चिकित्सा प्रतिबिम्बन की एक तकनीक है। एम आर आई द्वारा शरीर के अंगों का चित्र प्राप्त करने के लिये के लिये प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र तथा रेडियो तरंगों का प्रयोग किया जाता है। इसे चुम्बकीय अनुनाद टोमोग्राफी (MRT) भी कहते हैं। श्रेणी:चिकित्सकीय परीक्षण.

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एम्पीयर का नियम

विद्युत धारा, चुंबकीय क्षेत्र पैदा करती है। इस नियम का प्रतिपादन सन् १८२६ में आन्द्रे मैरी एम्पीयर (André-Marie Ampère) ने किया था। इस नियम में किसी बंद लूप पर समाकलित चुम्बकीय क्षेत्र एवं उस लूप से होकर प्रवाहित हो रही कुल धारा के बीच गणितीय संबंध स्थापित किया गया। जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने सन् १८६१ में इसे विद्युतगतिकीय सिद्धान्त से सिद्ध किया। वर्तमान में यह नियम मैक्स्वेल के चार समीकरणों में से एक है। .

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द्रव्यमान वर्णक्रममाप

द्रव्यमान वर्णक्रममाप (Mass spectrometry) एक विश्लेषणात्मक तकनीक है जिस के द्वारा किसी मिश्रण में उपस्थित पृथक रासायनिक जातियों को पहले आयनित कर के विद्युत आवेश दिया जाता है और फिर उनके द्रव्यमान-से-आवेश अनुपात (mass to charge ratio) के आधार पर अलग-अलग करा जाता है। इस तकनीक के द्वारा किसी भी मिश्रित सामग्री में मौजूद अलग-अलग रासायनों का पता लगाया जा सकता है। .

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द्विध्रुवी चुम्बक

द्विध्रुवी चुम्बक (ऐडवांस फोटॉन सोर्स, यूएसए) द्विध्रुवी चुम्बक का योजनामूलक चित्र: '''पीला''': धारीवाही कुण्डली, '''आसमानी''': लोहे की कोर द्विध्रुवी चुम्बक कण त्वरकों में काम में आने वाला एक विद्युतचुम्बक है जो कुछ दूर तक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करता है। इसका उपयोग गतिमान आवेशित कणों को अपने मार्ग से मोड़ने के लिए किया जाता है। एक के बाद एक करके कई द्विध्रुवी चुम्बकों का प्रयोग करके आवेशित कणपुंज (particle beam) को मोड़कर एक 'वृत्तीय पथ' पर बनाए रखा जा सकता है। .

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नाइट्रोजन

नाइट्रोजन (Nitrogen), भूयाति या नत्रजन एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक N है। इसका परमाणु क्रमांक 7 है। सामान्य ताप और दाब पर यह गैस है तथा पृथ्वी के वायुमण्डल का लगभग 78% नाइट्रोजन ही है। यह सर्वाधिक मात्रा में तत्व के रूप में उपलब्ब्ध पदार्थ भी है। यह एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और प्रायः अक्रिय गैस है। इसकी खोज 1772 में स्कॉटलैण्ड के वैज्ञनिक डेनियल रदरफोर्ड ने की थी। आवर्त सारणी के १५ वें समूह का प्रथम तत्व है। नाइट्रोजन का रसायन अत्यंत मनोरंजक विषय है, क्योंकि समस्त जैव पदार्थों में इस तत्व का आवश्यक स्थान है। इसके दो स्थायी समस्थानिक, द्रव्यमान संख्या 14, 15 ज्ञात हैं तथा तीन अस्थायी समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 13, 16, 17) भी बनाए गए हैं। नाइट्रोजन तत्व की पहचान सर्वप्रथम 1772 ई. में रदरफोर्ड और शेले ने स्वतंत्र रूप से की। शेले ने उसी वर्ष यह स्थापित किया कि वायु में मुख्यत: दो गैसें उपस्थित हैं, जिसमें एक सक्रिय तथा दूसरी निष्क्रिय है। तभी प्रसिद्ध फ्रांसीसी वैज्ञानिक लाव्वाज़्ये ने नाइट्रोजन गैस को ऑक्सीजन (सक्रिय अंश) से अलग कर इसका नाम 'ऐजोट' रखा। 1790 में शाप्टाल (Chaptal) ने इसे नाइट्रोजन नाम दिया। .

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पारगम्यता

निर्वात की पारगम्यता (लाल) की तुलना में लौहचुम्बकीय (भूरा), अनुचुम्बकीय (नीला) एवं प्रतिचुम्बकीय (हरा) पदार्थों की पारगम्यता का सरलीकृत चित्रण लौहचुम्बकीय पदार्थों की पारगम्यता उनमें उपस्थित फ्लक्स घनत्व का फलन होती है। विद्युतचुम्बकत्व के सन्दर्भ में पारगम्यता (permeability) किसी पदार्थ का वह गुण है जो उस पदार्थ में चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किये जाने में उस पदार्थ द्वारा प्रदर्शित 'सहायता' की मात्रा की माप बताता है। इसे ग्रीक वर्ण μ (म्यू) से प्रदर्शित किया जाता है.। .

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पुनर्चक्रण

पुनरावर्तन में संभावित उपयोग में आने वाली सामग्रियों के अपशिष्ट की रोकथाम कर नए उत्पादों में संसाधित करने की प्रक्रिया ताजे कच्चे मालों के उपभोग को कम करने के लिए, उर्जा के उपयोग को घटाने के लिए वायु-प्रदूषण को कम करने के लिए (भस्मीकरण से) तथा जल प्रदूषण (कचरों से जमीन की भराई से) पारंपरिक अपशिष्ट के निपटान की आवश्यकता को कम करने के लिए, तथा अप्रयुक्त विशुद्ध उत्पाद की तुलना में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए पुनरावर्तन में प्रयुक्त पदार्थों को नए उत्पादों में प्रसंस्करण की प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं। पुनरावर्तन आधुनिक अपशिष्ट को कम करने में प्रमुख तथा अपशिष्ट को "कम करने, पुनः प्रयोग करने, पुनरावर्तन करने" की क्रम परम्परा का तीसरा घटक है। पुनरावर्तनीय पदार्थों में कई किस्म के कांच, कागज, धातु, प्लास्टिक, कपड़े, एवं इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। हालांकि प्रभाव में एक जैसा ही लेकिन आमतौर पर जैविक विकृतियों के अपशेष से खाद बनाने अथवा अन्य पुनः उपयोग में लाने - जैसे कि भोजन (पके अन्न) तथा बाग़-बगीचों के कचरों को पुनरावर्तन के लायक नहीं समझा जाता है। पुनरावर्तनीय सामग्रियों को या तो किसी संग्रह शाला में लाया जाता है अथवा उच्छिस्ट स्थान से ही उठा लिया जाता है, तब उन्हें नए पदार्थों में उत्पादन के लिए छंटाई, सफाई तथा पुनर्विनीकरण की जाती है। सही मायने में, पदार्थ के पुनरावर्तन से उसी सामग्री की ताजा आपूर्ति होगी, उदाहरणार्थ, इस्तेमाल में आ चुका कागज़ और अधिक कागज़ उत्पादित करेगा, अथवा इस्तेमाल में आ चुका फोम पोलीस्टाइरीन से अधिक पोलीस्टाइरीन पैदा होगा। हालांकि, यह कभी-कभार या तो कठिन अथवा काफी खर्चीला हो जाता है (दूसरे कच्चे मालों अथवा अन्य संसाधनों से उसी उत्पाद को उत्पन्न करने की तुलना में), इसीलिए कई उत्पादों अथवा सामग्रियों के पुनरावर्तन में अन्य सामग्रियों के उत्पादन में (जैसे कि कागज़ के बोर्ड बनाने में) बदले में उनकें ही अपने ही पुनः उपयोग शामिल हैं। पुनरावर्तन का एक और दूसरा तरीका मिश्र उत्पादों से, बचे हुए माल को या तो उनकी निजी कीमत के कारण (उदाहरणार्थ गाड़ियों की बैटरी से शीशा, या कंप्यूटर के उपकरणों में सोना), अथवा उनकी जोखिमी गुणवत्ता के कारण (जैसे कि, अनेक वस्तुओं से पारे को अलग निकालकर उसे पुनर्व्यव्हार में लाना) फिर से उबारकर व्यवहार योग्य बनाना है। पुनरावर्तन की प्रक्रिया में आई लागत के कारण आलोचकों में निवल आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों को लेकर मतभेद हैं और उनके सुझाव के अनुसार पुनरावर्तन के प्रस्तावक पदार्थों को और भी बदतर बना देते हैं तथा अनुभोदन एवं पुष्टिकरण के पक्षपातपूर्ण पूर्वग्रह झेलना पड़ता है। विशेषरूप से, आलोचकों का इस मामले में तर्क है कि संग्रहीकरण एवं ढुलाई में लगने वाली लागत एवं उर्जा उत्पादन कि प्रक्रिया में बचाई गई लागत और उर्जा से घट जाती (तथा भारी पड़ जाती हैं) और साथ ही यह भी कि पुनरावर्त के उद्योग में उत्पन्न नौकरियां लकड़ी उद्योग, खदान एवं अन्य मौलिक उत्पादनों से जुड़े उद्योगों की नौकरियां को निकृष्ट सकझा जाती है; और सामग्रियों जैसे कि कागज़ की लुग्दी आदि का पुनरावर्तक सामग्री के अपकर्षण से कुछ ही बार पहले हो सकता है जो और आगे पुनरावर्तन के लिए बाधक हैं। पुनरावर्तन के प्रस्तावकों के ऐसे प्रत्येक दावे में विवाद है और इस संदर्भ में दोनों ही पक्षों से तर्क की प्रामाणिकता ने लम्बे विवाद को जन्म दिया है। .

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प्रेरक

प्रेरकत्व का प्रतीक कुछ छोटे आकार-प्रकार के प्रेरकत्व अपेक्षाकृत बड़ा प्रेरकत्व जो पावर सप्लाइयों में प्रयुक्त होते हैं। प्रेरक या इंडक्टर (inductor) एक वैद्युत अवयव है जिसमें कोई विद्युत धारा प्रवाहित करने पर यह चुम्बकीय क्षेत्र के रूप में उर्जा का भंडारण करता है। प्रेरक द्वारा चुम्बकीय उर्जा के भंडारण की क्षमता को इसका प्रेरकत्व (inductance) कहा जाता है और इसे मापने की इकाई हेनरी है। प्रेरक को साधारण भाषा में 'चोक' (choke) और 'कुण्डली' (coil) भी कहते हैं। .

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प्लाज़्मा (भौतिकी)

प्लाज्मा दीप भौतिकी और रसायन शास्त्र में, प्लाज्मा आंशिक रूप से आयनीकृत एक गैस है, जिसमें इलेक्ट्रॉनों का एक निश्चित अनुपात किसी परमाणु या अणु के साथ बंधे होने के बजाय स्वतंत्र होता है। प्लाज्मा में धनावेश और ऋणावेश की स्वतंत्र रूप से गमन करने की क्षमता प्लाज्मा को विद्युत चालक बनाती है जिसके परिणामस्वरूप यह दृढ़ता से विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों से प्रतिक्रिया कर पाता है। प्लाज्मा के गुण ठोस, द्रव या गैस के गुणों से काफी विपरीत हैं और इसलिए इसे पदार्थ की एक भिन्न अवस्था माना जाता है। प्लाज्मा आमतौर पर, एक तटस्थ-गैस के बादलों का रूप ले लेता है, जैसे सितारों में। गैस की तरह प्लाज्मा का कोई निश्चित आकार या निश्चित आयतन नहीं होता जब तक इसे किसी पात्र में बंद न कर दिया जाए लेकिन गैस के विपरीत किसी चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में यह एक फिलामेंट, पुंज या दोहरी परत जैसी संरचनाओं का निर्माण करता है। प्लाज़्मा ग्लोब एक सजावटी वस्तु होती है, जिसमें एक कांच के गोले में कई गैसों के मिश्रण में इलेक्ट्रोड द्वारा गोले तक कई रंगों की किरणें चलती दिखाई देती हैं। प्लाज्मा की पहचान सबसे पहले एक क्रूक्स नली में १८७९ मे सर विलियम क्रूक्स द्वारा की गई थी उन्होंने इसे “चमकते पदार्थ” का नाम दिया था। क्रूक्स नली की प्रकृति "कैथोड रे" की पहचान इसके बाद ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी सर जे जे थॉमसन द्वारा १८९७ में द्वारा की गयी। १९२८ में इरविंग लैंगम्युइर ने इसे प्लाज्मा नाम दिया, शायद इसने उन्हें रक्त प्लाविका (प्लाज्मा) की याद दिलाई थी। .

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पीटर ज़ीमान

पीटर ज़ीमान पीटर ज़ीमान (Pieter Zeeman, १८६५ - १९४३) डच भौतिक वैज्ञानिक थे। 'ज़ेमान प्रभाव' के नाम से विख्यात, भौतिकी की महत्वपूर्ण खोज आपने सन् १८९६ में की थी जिसके लिये इन्हें सन १९०२ के भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इनका जन्म हालैंड के ज़ोनेमी (Zonnemair, Zeeland) नगर में मई २५, सन् १८६५ को हुआ। प्रांरभिक शिक्षा-दीक्षा लाइडेन में हुई। वहीं पर क्रमश: भौतिक विज्ञान के सहायक एवं व्याख्याता पद पर सन् १८९० से १९०० तक कार्य किया। सन् १९०० में इनकी नियुक्ति ऐम्स्टरडम विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर के पद पर हुई। वहीं पर सन् १८०८ में भौतिक संस्था के संचालक नियुक्त हुए। चुंबकीय क्षेत्र में रखने पर परमाणु की अकेली स्प्रेक्ट्रमीय रेखा का अनेक रेखाओं में विभक्त हो जाना ज़ेमान प्रभाव कहलाता है। सर्वप्रथम इस खोज का सैद्धांतिक विश्लेषण लोरेंट्स (Lorentx) ने किया था। सूर्य एवं तारों में चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता इसी प्रभाव के द्वारा ज्योतिर्विदों ने मालूम की थी। गतिमान ठोस माध्यमों में प्रकाश के वेग को भी ज़ेमान ने सफलतापूर्वक नापा था और इस दिशा में उन्होंने क्वार्ट्ज एवं फ्लिंट में फोटोग्राफी द्वारा महत्वपूर्ण प्रयोग किए थे। ज़ेमान को अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए। ये अनेक विज्ञान समितियों के से संबंधित थे। सन् १९०२ में ज़ेमान तथा लोरेंट्स को भौतिकी में सम्मिलित नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। चुंबक-प्रकाशिकी विज्ञान पर आपने अनेक पुस्तके लिखीं है और इन महत्वपूर्ण पुस्तकों का अंग्रेजी एवं जर्मन भाषाओं में अनुवाद किया गया है। .

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फैराडे का विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का नियम

फैराडे का प्रयोग - तार की दो कुंडलियाँ देखिये। फैराडे का विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का नियम या अधिक प्रचलित नाम फैराडे का प्रेरण का नियम, विद्युतचुम्बकत्व का एक मौलिक नियम है। ट्रान्सफार्मरों, विद्युत जनित्रों आदि की कार्यप्रणाली इसी सिद्धान्त पर आधारित है। इस नियम के अनुसार, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त की खोज माइकल फैराडे ने सन् १८३१ में की, और जोसेफ हेनरी ने भी उसी वर्ष स्वतन्त्र रूप से इस सिद्धान्त की खोज की। फैराडे ने इस नियम को गणितीय रूप में निम्नवत् प्रस्तुत किया - जहाँ उत्पन्न विद्युतवाहक बल की दिशा के लिये लेंज का नियम लागू होता है। संक्षेप में लेंज का नियम यही कहता है कि उत्पन्न विद्युतवाहक बल की दिशा ऐसी होती है जो उत्पन्न करने वाले कारण का विरोध कर सके। उपरोक्त सूत्र में ऋण चिन्ह इसी बात का द्योतक है। .

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बल (भौतिकी)

बल अनेक प्रकार के होते हैं जैसे- गुरुत्वीय बल, विद्युत बल, चुम्बकीय बल, पेशीय बल (धकेलना/खींचना) आदि। भौतिकी में, बल एक सदिश राशि है जिससे किसी पिण्ड का वेग बदल सकता है। न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार, बल संवेग परिवर्तन की दर के अनुपाती है। बल से त्रिविम पिण्ड का विरूपण या घूर्णन भी हो सकता है, या दाब में बदलाव हो सकता है। जब बल से कोणीय वेग में बदलाव होता है, उसे बल आघूर्ण कहा जाता है। प्राचीन काल से लोग बल का अध्ययन कर रहे हैं। आर्किमिडीज़ और अरस्तू की कुछ धारणाएँ थीं जो न्यूटन ने सत्रहवी सदी में ग़लत साबित की। बीसवी सदी में अल्बर्ट आइंस्टीन ने उनके सापेक्षता सिद्धांत द्वारा बल की आधुनिक अवधारणा दी। प्रकृति में चार मूल बल ज्ञात हैं: गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत चुम्बकीय बल, प्रबल नाभकीय बल और दुर्बल नाभकीय बल। बल की गणितीय परिभाषा है: जहाँ \vec बल, \vec संवेग और t समय हैं। एक ज़्यादा सरल परिभाषा है: जहाँ m द्रव्यमान है और \vec त्वरण है। .

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बुध (ग्रह)

बुध (Mercury), सौरमंडल के आठ ग्रहों में सबसे छोटा और सूर्य से निकटतम है। इसका परिक्रमण काल लगभग 88 दिन है। पृथ्वी से देखने पर, यह अपनी कक्षा के ईर्दगिर्द 116 दिवसो में घूमता नजर आता है जो कि ग्रहों में सबसे तेज है। गर्मी बनाए रखने के लिहाज से इसका वायुमंडल चुंकि करीब करीब नगण्य है, बुध का भूपटल सभी ग्रहों की तुलना में तापमान का सर्वाधिक उतार-चढाव महसूस करता है, जो कि 100 K (−173 °C; −280 °F) रात्रि से लेकर भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में दिन के समय 700 K (427 °C; 800 °F) तक है। वहीं ध्रुवों के तापमान स्थायी रूप से 180 K (−93 °C; −136 °F) के नीचे है। बुध के अक्ष का झुकाव सौरमंडल के अन्य किसी भी ग्रह से सबसे कम है (एक डीग्री का करीब), परंतु कक्षीय विकेन्द्रता सर्वाधिक है। बुध ग्रह पर की तुलना में सूर्य से करीब 1.5 गुना ज्यादा दूर होता है। बुध की धरती क्रेटरों से अटी पडी है तथा बिलकुल हमारे चन्द्रमा जैसी नजर आती है, जो इंगित करता है कि यह भूवैज्ञानिक रूप से अरबो वर्षों तक मृतप्राय रहा है। बुध को पृथ्वी जैसे अन्य ग्रहों के समान मौसमों का कोई भी अनुभव नहीं है। यह जकडा हुआ है इसलिए इसके घूर्णन की राह सौरमंडल में अद्वितीय है। किसी स्थिर खडे सितारे के सापेक्ष देखने पर, यह हर दो कक्षीय प्रदक्षिणा के दरम्यान अपनी धूरी के ईर्दगिर्द ठीक तीन बार घूम लेता है। सूर्य की ओर से, किसी ऐसे फ्रेम ऑफ रिफरेंस में जो कक्षीय गति से घूमता है, देखने पर यह हरेक दो बुध वर्षों में मात्र एक बार घूमता नजर आता है। इस कारण बुध ग्रह पर कोई पर्यवेक्षक एक दिवस हरेक दो वर्षों का देखेगा। बुध की कक्षा चुंकि पृथ्वी की कक्षा (शुक्र के भी) के भीतर स्थित है, यह पृथ्वी के आसमान में सुबह में या शाम को दिखाई दे सकता है, परंतु अर्धरात्रि को नहीं। पृथ्वी के सापेक्ष अपनी कक्षा पर सफर करते हुए यह शुक्र और हमारे चन्द्रमा की तरह कलाओं के सभी रुपों का प्रदर्शन करता है। हालांकि बुध ग्रह बहुत उज्जवल वस्तु जैसा दिख सकता है जब इसे पृथ्वी से देख जाए, सूर्य से इसकी निकटता शुक्र की तुलना में इसे देखना और अधिक कठिन बनाता है। .

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बृहस्पति (ग्रह)

बृहस्पति सूर्य से पांचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक गैस दानव है जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है तथा यह अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था। इसे जब पृथ्वी से देखा गया, बृहस्पति -2.94 के सापेक्ष कांतिमान तक पहुंच सकता है, छाया डालने लायक पर्याप्त उज्जवल, जो इसे चन्द्रमा और शुक्र के बाद आसमान की औसत तृतीय सर्वाधिक चमकीली वस्तु बनाता है। (मंगल ग्रह अपनी कक्षा के कुछ बिंदुओं पर बृहस्पति की चमक से मेल खाता है)। बृहस्पति एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है और इसका भारी तत्वों से युक्त एक चट्टानी कोर हो सकता है।अपने तेज घूर्णन के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल (भूमध्य रेखा के पास चारों ओर एक मामूली लेकिन ध्यान देने योग्य उभार लिए हुए) है। इसके बाहरी वातावरण में विभिन्न अक्षांशों पर कई पृथक दृश्य पट्टियां नजर आती है जो अपनी सीमाओं के साथ भिन्न भिन्न वातावरण के परिणामस्वरूप बनती है। बृहस्पति के विश्मयकारी 'महान लाल धब्बा' (Great Red Spot), जो कि एक विशाल तूफ़ान है, के अस्तित्व को १७ वीं सदी के बाद तब से ही जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। यह ग्रह एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहीय वलय प्रणाली से घिरा हुआ है। बृहस्पति के कम से कम ६४ चन्द्रमा है। इनमें वो चार सबसे बड़े चन्द्रमा भी शामिल है जिसे गेलीलियन चन्द्रमा कहा जाता है जिसे सन् १६१० में पहली बार गैलीलियो गैलिली द्वारा खोजा गया था। गैनिमीड सबसे बड़ा चन्द्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है। यहाँ चन्द्रमा का तात्पर्य उपग्रह से है। बृहस्पति का अनेक अवसरों पर रोबोटिक अंतरिक्ष यान द्वारा, विशेष रूप से पहले पायोनियर और वॉयजर मिशन के दौरान और बाद में गैलिलियो यान के द्वारा, अन्वेषण किया जाता रहा है। फरवरी २००७ में न्यू होराएज़न्ज़ प्लूटो सहित बृहस्पति की यात्रा करने वाला अंतिम अंतरिक्ष यान था। इस यान की गति बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल कर बढाई गई थी। इस बाहरी ग्रहीय प्रणाली के भविष्य के अन्वेषण के लिए संभवतः अगला लक्ष्य यूरोपा चंद्रमा पर बर्फ से ढके हुए तरल सागर शामिल हैं। .

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भौतिक विज्ञानी

अल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्होने सामान्य आपेक्षिकता का सिद्धान्त दिया भौतिक विज्ञानी अथवा भौतिक शास्त्री अथवा भौतिकीविद् वो वैज्ञानिक कहलाते हैं जो अपना शोध कार्य भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में करते हैं। उप-परवमाणविक कणों (कण भौतिकी) से लेकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तक सभी परिघटनाओं का अध्ययन करने वाले लोग इस श्रेणी में माने जाते हैं। .

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भौतिक गुण

किसी भौतिक प्रणाली के किसी भी मापने योग्य गुण को भौतिक गुण (physical property) कहते हैं जो उस प्रणाली की बहुतिक अवस्था का सूचक है। इसके विपरीत वे गुण जो यह बताते हैं कि कोई वस्तु किसी रासायनिक अभिक्रिया में कैसा व्यवहार करती है, उसका रासायनिक गुण कहलाती है। .

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भौतिकी की शब्दावली

* ढाँचा (Framework).

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भूगतिकी

भूगतिकी (Geodynamics) भूभौतिकी की वह शाखा है जो पृथ्वी पर केन्द्रित गति विज्ञान का अध्ययन करती है। इसमें भौतिकी, रसायनिकी और गणित के सिद्धांतों से पृथ्वी की कई प्रक्रियाओं को समझा जाता है। इनमें भूप्रावार (मैंटल) में संवहन (कन्वेक्शन) द्वारा प्लेट विवर्तनिकी का चलन शामिल है। सागर नितल प्रसरण, पर्वत निर्माण, ज्वालामुखी, भूकम्प, भ्रंशण जैसी भूवैज्ञानिक परिघटनाएँ भी इसमें सम्मिलित हैं। भूगतिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों, गुरुत्वाकर्षण और भूकम्पी तरंगों का मापन तथा खनिज विज्ञान की तकनीकों के प्रयोग से पत्थरों और उनमें उपस्थित समस्थानिकों (आइसोटोपों) का मापन भूगतिकी में ज्ञानवर्धन की महत्वपूर्ण विधियाँ हैं। पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर अनुसंधान में भी भूगतिकी का प्रयोग होता है। .

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माइक्रोफोन

एक माइक्रोफोन (जिसे बोलचाल की भाषा में Mic या Mike कहा जाता है) एक ध्वनिक-से-वैद्युत ट्रांसड्यूसर (en:Transducer) या संवेदक होता है, जो ध्वनि को विद्युतीय संकेत में रूपांतरित करता है। 1876 में, एमिली बर्लिनर (en:Emile Berliner) ने पहले माइक्रोफोन का आविष्कार किया, जिसका प्रयोग टेलीफोन स्वर ट्रांसमीटर के रूप में किया गया। माइक्रोफोनों का प्रयोग अनेक अनुप्रयोगों, जैसे टेलीफोन, टेप रिकार्डर, कराओके प्रणालियों, श्रवण-सहायता यंत्रों, चलचित्रों के निर्माण, सजीव तथा रिकार्ड की गई श्राव्य इंजीनियरिंग, FRS रेडियो, मेगाफोन, रेडियो व टेलीविजन प्रसारण और कम्प्यूटरों में आवाज़ रिकार्ड करने, स्वर की पहचान करने, VoIP तथा कुछ गैर-ध्वनिक उद्देश्यों, जैसे अल्ट्रासॉनिक परीक्षण या दस्तक संवेदकों के रूप में किया जाता है। शॉक माउंट वाला एक न्यूमन U87 कंडेंसर माइक्रोफोन वर्तमान में प्रयोग किये जाने वाले अधिकांश माइक्रोफोन यांत्रिक कंपन से एक विद्युतीय आवेश संकेत उत्पन्न करने के लिये एक विद्युतचुंबकीय प्रवर्तन (गतिज माइक्रोफोन), धारिता परिवर्तन (दाहिनी ओर चित्रित संघनित्र माइक्रोफोन), पाइज़ोविद्युतीय निर्माण (Piezoelectric Generation) या प्रकाश अधिमिश्रण का प्रयोग करते हैं। .

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मंगल ग्रह

मंगल सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है। पृथ्वी से इसकी आभा रक्तिम दिखती है, जिस वजह से इसे "लाल ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है। सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं - "स्थलीय ग्रह" जिनमें ज़मीन होती है और "गैसीय ग्रह" जिनमें अधिकतर गैस ही गैस है। पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है। इसका वातावरण विरल है। इसकी सतह देखने पर चंद्रमा के गर्त और पृथ्वी के ज्वालामुखियों, घाटियों, रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियों की याद दिलाती है। हमारे सौरमंडल का सबसे अधिक ऊँचा पर्वत, ओलम्पस मोन्स मंगल पर ही स्थित है। साथ ही विशालतम कैन्यन वैलेस मैरीनेरिस भी यहीं पर स्थित है। अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल का घूर्णन काल और मौसमी चक्र पृथ्वी के समान हैं। इस गृह पर जीवन होने की संभावना है। 1965 में मेरिनर ४ के द्वारा की पहली मंगल उडान से पहले तक यह माना जाता था कि ग्रह की सतह पर तरल अवस्था में जल हो सकता है। यह हल्के और गहरे रंग के धब्बों की आवर्तिक सूचनाओं पर आधारित था विशेष तौर पर, ध्रुवीय अक्षांशों, जो लंबे होने पर समुद्र और महाद्वीपों की तरह दिखते हैं, काले striations की व्याख्या कुछ प्रेक्षकों द्वारा पानी की सिंचाई नहरों के रूप में की गयी है। इन् सीधी रेखाओं की मौजूदगी बाद में सिद्ध नहीं हो पायी और ये माना गया कि ये रेखायें मात्र प्रकाशीय भ्रम के अलावा कुछ और नहीं हैं। फिर भी, सौर मंडल के सभी ग्रहों में हमारी पृथ्वी के अलावा, मंगल ग्रह पर जीवन और पानी होने की संभावना सबसे अधिक है। वर्तमान में मंगल ग्रह की परिक्रमा तीन कार्यशील अंतरिक्ष यान मार्स ओडिसी, मार्स एक्सप्रेस और टोही मार्स ओर्बिटर है, यह सौर मंडल में पृथ्वी को छोड़कर किसी भी अन्य ग्रह से अधिक है। मंगल पर दो अन्वेषण रोवर्स (स्पिरिट और् ओप्रुच्युनिटी), लैंडर फ़ीनिक्स, के साथ ही कई निष्क्रिय रोवर्स और लैंडर हैं जो या तो असफल हो गये हैं या उनका अभियान पूरा हो गया है। इनके या इनके पूर्ववर्ती अभियानो द्वारा जुटाये गये भूवैज्ञानिक सबूत इस ओर इंगित करते हैं कि कभी मंगल ग्रह पर बडे़ पैमाने पर पानी की उपस्थिति थी साथ ही इन्होने ये संकेत भी दिये हैं कि हाल के वर्षों में छोटे गर्म पानी के फव्वारे यहाँ फूटे हैं। नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर की खोजों द्वारा इस बात के प्रमाण मिले हैं कि दक्षिणी ध्रुवीय बर्फीली चोटियाँ घट रही हैं। मंगल के दो चन्द्रमा, फो़बोस और डिमोज़ हैं, जो छोटे और अनियमित आकार के हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह 5261 यूरेका के समान, क्षुद्रग्रह है जो मंगल के गुरुत्व के कारण यहाँ फंस गये हैं। मंगल को पृथ्वी से नंगी आँखों से देखा जा सकता है। इसका आभासी परिमाण -2.9, तक पहुँच सकता है और यह् चमक सिर्फ शुक्र, चन्द्रमा और सूर्य के द्वारा ही पार की जा सकती है, यद्यपि अधिकांश समय बृहस्पति, मंगल की तुलना में नंगी आँखों को अधिक उज्जवल दिखाई देता है। .

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मंगल का उपनिवेशण

मंगल उपनिवेशण की एक कला अवधारणा. मानव द्वारा मंगल का उपनिवेशण, अटकल और गंभीर अध्ययन का एक केंद्र बिंदु है, क्योंकि उसकी सतही परिस्थितियाँ और जल की उपलब्धता यकीनन मंगल ग्रह को सौरमंडल में पृथ्वी के अलावा अन्य सबसे अधिक मेहमाननवाज ग्रह बनाता है| चंद्रमा को मानव उपनिवेशण के लिए पहले स्थान के रूप में प्रस्तावित किया गया है, लेकिन मंगल ग्रह के पास एक पतला वायुमंडल है, जो इसे मानव और अन्य जैविक जीवन की मेजबानी के लिए सामर्थ्य क्षमता देता है | संभावित उपनिवेशण स्थलों के रूप में, मंगल और चाँद दोनों के साथ नीचे गहरे गुरुत्वीय कूपों में उतरने के साथ साथ लागत और जोखिम का नुकसान भी जुडा है, जो क्षुद्रग्रहों को सौरमंडल में मानव के प्रारंभिक विस्तार के लिए एक और विकल्प बना सकता है| .

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मैग्नेट्रॉन

सूक्ष्मतरंग भट्ठी (माइक्रोवेव ओवेन) में लगने वाला मैग्नेट्रॉन; इसमें हीटसिंक एवं असेम्ब्ली के अन्य साधन भी जुड़े हुए हैं। मैग्नेट्रॉन का कटा हुआ चित्र; इसमें चुम्बक को नहीं दिखाया गया है (निकाल दिया गया है)। मैग्नेट्रॉन अधिक शक्ति की सूक्ष्मतरंगें पैदा करने वाली एक निर्वात नलिका (वैक्युम ट्यूब) है। इसमें एलेक्ट्रॉनों की धारा (स्ट्रीम) पर चुम्बकीय क्षेत्र की संक्रिया से सूक्ष्मतरंगें उत्पन्न की जातीं हैं। आजकल इनका उपयोग माइक्रोवेव ओवेन, एवं रडार के विभिन्न रूपों में प्रयुक्त होती है। .

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मैक्सवेल के समीकरण

जेम्स क्लार्क मैक्सवेल्ल् विद्युत्चुम्बकत्व के क्षेत्र में मैक्सवेल के समीकरण चार समीकरणों का एक समूह है जो वैद्युत क्षेत्र, चुम्बकीय क्षेत्र, वैद्युत आवेश, एवं विद्युत धारा के अन्तर्सम्बधों की गणितीय व्याख्या करते हैं। ये समीकरण सन १८६१ में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल के शोधपत्र में छपे थे, जिसका शीर्षक था - ऑन फिजिकल लाइन्स ऑफ फोर्स। मैक्सवेल के समीकरणों का आधुनिक स्वरूप निम्नवत है: उपरोक्त समीकरणों में लारेंज बल का नियम भी सम्मिलित कर लेने पर शास्त्रीय विद्युतचुम्बकत्व की सम्पूर्ण व्याख्या हो पाती है। .

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रदरफर्ड केबल

रदरफर्ड केबल कण त्वरकों में चुम्बकीय क्षेत्र जनित करने के लिए काम में ली जाने वाली एक अतिचालक केबल है। इसका नामकरण रदरफर्ड प्रयोगशाला के नाम से किया गया जहाँ इस केबल का विकास और निर्माण हुआ। .

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लोरेन्ट्स शक्ति

भौतिक विज्ञान में, विशेष रूप से विद्युत में, लोरेन्ट्स बल एक बिंदु आरोप पर बिजली और चुंबकीय बल के संयोजन विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र के कारण है। प्रभारी क्यू के एक कण एक बिजली के क्षेत्र ई की उपस्थिति और एक चुंबकीय क्षेत्र बी में वेग वी के साथ चलता है, तो यह एक शक्ति का अनुभव होगा। इस बुनियादी फार्मूला पर बदलाव एक वर्तमान ले जाने के तार (कभी कभी कहा जाता लाप्लास बल), एक तार पाश में इलेक्ट्रोमोटिव बल एक चुंबकीय क्षेत्र (प्रेरण के फैराडे के कानून का एक पहलू) के माध्यम से चलती है, और बल एक आरोप पर चुंबकीय बल का वर्णन कण जो प्रकाश की गति (लोरेन्ट्स् बल के relativistic प्रपत्र) के पास यात्रा हो सकती है। लोरेन्ट्स बल की पहली व्युत्पत्ति आमतौर पर 1889 में ओलिवर हेविसैड को जिम्मेदार ठहराया है, हालांकि अन्य इतिहासकारों 1865 कागज जेम्स क्लर्क मैक्सवेल द्वारा में पहले के मूल सुझाव देते हैं। हेंड्रिक लोरेन्ट्स् यह हेविसैड कुछ वर्षों के बाद निकाली गई .

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शनि (ग्रह)

शनि (Saturn), सूर्य से छठां ग्रह है तथा बृहस्पति के बाद सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह हैं। औसत व्यास में पृथ्वी से नौ गुना बड़ा शनि एक गैस दानव है। जबकि इसका औसत घनत्व पृथ्वी का एक आठवां है, अपने बड़े आयतन के साथ यह पृथ्वी से 95 गुने से भी थोड़ा बड़ा है। इसका खगोलिय चिन्ह ħ है। शनि का आंतरिक ढांचा संभवतया, लोहा, निकल और चट्टानों (सिलिकॉन और ऑक्सीजन यौगिक) के एक कोर से बना है, जो धातु हाइड्रोजन की एक मोटी परत से घिरा है, तरल हाइड्रोजन और तरल हीलियम की एक मध्यवर्ती परत तथा एक बाह्य गैसीय परत है। ग्रह अपने ऊपरी वायुमंडल के अमोनिया क्रिस्टल के कारण एक हल्का पीला रंग दर्शाता है। माना गया है धातु हाइड्रोजन परत के भीतर की विद्युतीय धारा, शनि के ग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को उभार देती है, जो पृथ्वी की तुलना में कमजोर है और बृहस्पति की एक-बीसवीं शक्ति के करीब है। बाह्य वायुमंडल आम तौर पर नीरस और स्पष्टता में कमी है, हालांकि दिर्घायु आकृतियां दिखाई दे सकती है। शनि पर हवा की गति, 1800 किमी/घंटा (1100 मील) तक पहुंच सकती है, जो बृहस्पति पर की तुलना में तेज, पर उतनी तेज नहीं जितनी वह नेप्च्यून पर है। शनि की एक विशिष्ट वलय प्रणाली है जो नौ सतत मुख्य छल्लों और तीन असतत चाप से मिलकर बनी हैं, ज्यादातर चट्टानी मलबे व धूल की छोटी राशि के साथ बर्फ के कणों की बनी हुई है। बासठ चन्द्रमा ग्रह की परिक्रमा करते है; तिरेपन आधिकारिक तौर पर नामित हैं। इनमें छल्लों के भीतर के सैकड़ों " छोटे चंद्रमा" शामिल नहीं है। टाइटन, शनि का सबसे बड़ा और सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा है। यह बुध ग्रह से बड़ा है और एक बड़े वायुमंडल को संजोकर रखने वाला सौरमंडल का एकमात्र चंद्रमा है। .

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शनि का चुंबकीय क्षेत्र

शनि का चुंबकीय क्षेत्र (magnetosphere of Saturn), ग्रह के भीतर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा सौर वायु के प्रवाह में बनी एक गुहा है। 1979 में पायनियर 11 अंतरिक्ष यान द्वारा खोजा गया शनि ग्रह का चुम्बकीय क्षेत्र बृहस्पति के बाद सौरमंडल के किसी भी ग्रह से दूसरा सबसे बड़ा है। मेग्नेटोपाउस, शनि के चुम्बकीय क्षेत्र और सौर वायु के बीच की सीमा, ग्रह के केंद्र से लगभग 20 शनि त्रिज्या की दूरी पर स्थित है, जबकि इसकी चुम्बकीय पूंछ अपने पीछे सैकड़ों त्रिज्या फैलती है। .

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शुक्र

शुक्र (Venus), सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है। ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है। इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक पहुँच जाता है और यह छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्जवलता है। चूँकि शुक्र एक अवर ग्रह है इसलिए पृथ्वी से देखने पर यह कभी सूर्य से दूर नज़र नहीं आता है: इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है। शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में संदर्भित किया गया है। शुक्र एक स्थलीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत है और समान आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना के कारण कभी कभी उसे पृथ्वी का "बहन ग्रह" कहा गया है। शुक्र आकार और दूरी दोनों मे पृथ्वी के निकटतम है। हालांकि अन्य मामलों में यह पृथ्वी से एकदम अलग नज़र आता है। शुक्र सल्फ्यूरिक एसिड युक्त अत्यधिक परावर्तक बादलों की एक अपारदर्शी परत से ढँका हुआ है। जिसने इसकी सतह को दृश्य प्रकाश में अंतरिक्ष से निहारने से बचा रखा है। इसका वायुमंडल चार स्थलीय ग्रहों मे सघनतम है और अधिकाँशतः कार्बन डाईऑक्साइड से बना है। ग्रह की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी की तुलना मे 92 गुना है। 735° K (462°C,863°F) के औसत सतही तापमान के साथ शुक्र सौर मंडल मे अब तक का सबसे तप्त ग्रह है। कार्बन को चट्टानों और सतही भूआकृतियों में वापस जकड़ने के लिए यहाँ कोई कार्बन चक्र मौजूद नही है और ना ही ज़ीवद्रव्य को इसमे अवशोषित करने के लिए कोई कार्बनिक जीवन यहाँ नज़र आता है। शुक्र पर अतीत में महासागर हो सकते हैलेकिन अनवरत ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान के साथ वह वाष्पीकृत होते गये होंगे |B.M. Jakosky, "Atmospheres of the Terrestrial Planets", in Beatty, Petersen and Chaikin (eds), The New Solar System, 4th edition 1999, Sky Publishing Company (Boston) and Cambridge University Press (Cambridge), pp.

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सामान्य आपेक्षिकता

सामान्य आपेक्षिकता सिद्धांत या सामान्य सापेक्षता सिद्धांत, जिसे अंग्रेजी में "जॅनॅरल थिओरी ऑफ़ रॅलॅटिविटि" कहते हैं, एक वैज्ञानिक सिद्धांत है जो कहता है कि ब्रह्माण्ड में किसी भी वस्तु की तरफ़ जो गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव देखा जाता है उसका असली कारण है कि हर वस्तु अपने मान और आकार के अनुसार अपने इर्द-गिर्द के दिक्-काल (स्पेस-टाइम) में मरोड़ पैदा कर देती है। बरसों के अध्ययन के बाद जब १९१६ में अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस सिद्धांत की घोषणा की तो विज्ञान की दुनिया में तहलका मच गया और ढाई-सौ साल से क़ायम आइज़क न्यूटन द्वारा १६८७ में घोषित ब्रह्माण्ड का नज़रिया हमेशा के लिए उलट दिया गया। भौतिक शास्त्र पर इसका इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि लोग आधुनिक भौतिकी (माडर्न फ़िज़िक्स) को शास्त्रीय भौतिकी (क्लासिकल फ़िज़िक्स) से अलग विषय बताने लगे और अल्बर्ट आइंस्टीन को आधुनिक भौतिकी का पिता माना जाने लगा। .

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साइक्लोट्रॉन

साइक्लोट्रॉन में आवेशित कण जैसे-जैसे त्वरित होता है, उसके गति-पथ की त्रिज्या बढ़ती जाती है। साइक्लोट्रॉन (Cyclotron) एक प्रकार का कण त्वरक है। 1932 ई. में प्रोफेसर ई. ओ. लारेंस (Prof. E.O. Lowrence) ने वर्कले इंस्टिट्यूट, कैलिफोर्निया, में सर्वप्रथम साइक्लोट्रॉन (Cyclotron) का आविष्कार किया। वर्तमान समय में तत्वांतरण (transmutation) तकनीक के लिए यह सबसे प्रबल उपकरण है। साइक्लोट्रॉन के आविष्कार के लिए प्रोफेसर लारेंस को 1939 ई. में "नोबेल पुरस्कार" प्रदान किया गया। .

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सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत

पेरिस स्थित '''SOLEIL''' (सूर्य) नामक सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत का योजनामूलक चित्र सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत (synchrotron light source) वह मशीन है जो वैज्ञानिक तथा तकनीकी उद्देश्यों के लिये विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे एक्स-किरण, दृष्य प्रकाश आदि) उत्पन्न करती है। यह प्रायः एक भण्डारण वलय (स्टोरेज रिंग) के रूप में होती है। सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश सबसे पहले सिन्क्रोट्रॉन में देखी गयी थी। आजकल सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश, भण्डारण वलयों तथा विशेष प्रकार के अन्य कण त्वरकों द्वारा उत्पन्न की जाती है। सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश प्रायः इलेक्ट्रॉन को त्वरित करके प्राप्त की जाती है। इसके लिये पहले उच्च ऊर्जा की इलेक्ट्रॉन पुंज पैदा की जाती है। इस इलेक्ट्रॉन किरण-पुंज को एक द्विध्रुव चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र से गुजारा जाता है जिसका चुम्बकीय क्षेत्र इलेक्ट्रानों की गति की दिशा के लम्बवत होता है। इससे इलेक्ट्रानों पर उनकी गति की दिशा (तथा चुम्बकीय क्षेत्र) के लम्बवत बल लगता है जिससे वे सरल रेखा के बजाय वृत्तिय पथ पर गति करने लगते हैं। (दूसरे शब्दों में, इनका त्वरण होता है।)। इसी त्वरण के फलस्वरूप सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश उत्पन्न होता है जो अनेक प्रकार से उपयोगी है। चुम्बकीय द्विध्रुव के अलावा, अनडुलेटर, विगलर तथा मुक्त इलेक्ट्रॉन लेजर द्वारा भी सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश पैदा किया जाता है। .

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सौर प्रज्वाल

सौर प्रज्वाल (solar flare) सूरज की सतह के किसी स्थान पर अचानक बढ़ने वाली चमक को कहते हैं। यह प्रकाश वर्णक्रम के बहुत बड़े भाग के तरंगदैर्घ्यों (वेवलेन्थ) पर उत्पन्न होता है। सौर प्रज्वाल में कभी-कभी कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण (coronal mass ejection) भी होता है जिसमें सूरज के कोरोना से प्लाज़्मा और चुम्बकीय क्षेत्र बाहर फेंक दिये जाते हैं। यह सामग्री तेज़ी से सौर मंडल में फैलती है और इसके बादल बाहर फेंके जाने के एक या दो दिन बाद पृथ्वी तक पहुँच जाते हैं। इनसे अंतरिक्ष यानों पर दुष्प्रभाव के साथ-साथ पृथ्वी के आयनमंडल पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिस से दूरसंचार प्रभावित होने की सम्भावना बनी रहती है। .

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सेंसर

हाल प्रभाव पर आधारित सेंसर सेंसर (संवेदक) एक ऐसा उपकरण है जो किसी भौतिक राशि को मापने का कार्य करता है तथा इसे एक ऐसे संकेत में परिवर्तित कर देता है जिसे किसी पर्यवेक्षक या यंत्र द्वारा पढ़ा जा सकता है। उदाहरणस्वरूप, एक पारे से भरा कांच का थर्मामीटर मापित तापमान को एक तरल पदार्थ के विस्तार तथा संकुचन में परिवर्तित कर देता है जिसे एक अंशांकित कांच की नली पर पढ़ा जा सकता है। एक थर्मोकपल तापमान को एक आउटपुट वोल्टेज में परिवर्तित कर देता है जिसे एक वोल्टमीटर द्वारा पढ़ा जा सकता है। सटीकता की दृष्टि से, सभी सेंसरों को ज्ञात मानकों के अनुरूप अंशांकित करने की आवश्यकता है। .

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सेकेंड

सेकेंड (अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली चिन्ह: s), संकेताक्षर में sec., समय की अंतर्राष्ट्रीय मानक इकाई है। अंतर्राष्ट्रीय मानक में समय की अन्य इकाइयाँ सेकेंड की ही व्युत्पन्न हैं। ये इकाइयाँ दस के गुणकों में होती हैं। एक मिलिसेकेंड सेकेंड का एक हज़ारवाँ भाग होता है और 'एक नैनोसेकेंड' सेकेंड का एक अरबवाँ भाग होता है। समय की अधिक प्रयुक्त गैर अंतर्राष्ट्रीय मानक इकाइयाँ जैसे घंटा और मिनट भी सेकेंड पर ही आधारित हैं। मिनट, सेकण्ड.

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हार्टमान संख्या

हार्टमान संख्या (Ha) विद्युत्चुम्बकीय बल और श्यान बल का अनुपात है जिसे सबसे पहले हार्टमान ने काम में लिया। इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया जाता है: जहाँ.

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हाल प्रभाव

जब किसी चालक में किसी दिशा में धारा प्रवाहित करते हुए धारा के लम्बवत दिशा में चुम्बकीय क्षेत्र लगाते हैं एक विद्युतवाहक बल उत्पन्न होता है जो धारा एवं चुम्बकीय क्षेत्र दोनों के लम्बवत होता है। इस प्रभाव को हाल प्रभाव (Hall effect) कहते हैं तथा उत्पन्न विभव को "हाल वोल्टेज" कहा जाता है। इस प्रभाव की खोज एड्विन हाल ने सन् 1879 में की थी। इस प्रभाव के कई उपयोग हैं जैसे- हाल सेंसर इसी प्रभाव पर आधारित है। .

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जूनो (अंतरिक्ष यान)

बृहस्पति के आगे जूनो शोध यान का काल्पनिक चित्र जूनो (अंग्रेज़ी: Juno) अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान परिषद्, नासा, द्वारा हमारे सौर मंडल के पाँचवे ग्रह, बृहस्पति, पर अध्ययन करने के लिए पृथ्वी से ५ अगस्त २०११ को छोड़ा गया एक अंतरिक्ष शोध यान है। लगभग ५ वर्ष लंबी यात्रा के बाद ५ जुलाई २०१६ को यह बृहस्पति तक पहुँचने में सफल रहा। इस अभियान पर लगभग १.१ अरब डॉलर की लागत का अनुमान है। .

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विद्युत

वायुमण्डलीय विद्युत विद्युत आवेशों के मौजूदगी और बहाव से जुड़े भौतिक परिघटनाओं के समुच्चय को विद्युत (Electricity) कहा जाता है। विद्युत से अनेक जानी-मानी घटनाएं जुड़ी है जैसे कि तडित, स्थैतिक विद्युत, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण, तथा विद्युत धारा। इसके अतिरिक्त, विद्युत के द्वारा ही वैद्युतचुम्बकीय तरंगो (जैसे रेडियो तरंग) का सृजन एवं प्राप्ति सम्भव होता है? विद्युत के साथ चुम्बकत्व जुड़ी हुई घटना है। विद्युत आवेश वैद्युतचुम्बकीय क्षेत्र पैदा करते हैं। विद्युत क्षेत्र में रखे विद्युत आवेशों पर बल लगता है। समस्त विद्युत का आधार इलेक्ट्रॉन हैं। इलेक्ट्रानों के हस्तानान्तरण के कारण ही कोई वस्तु आवेशित होती है। आवेश की गति ही विद्युत धारा है। विद्युत के अनेक प्रभाव हैं जैसे चुम्बकीय क्षेत्र, ऊष्मा, रासायनिक प्रभाव आदि। जब विद्युत और चुम्बकत्व का एक साथ अध्ययन किया जाता है तो इसे विद्युत चुम्बकत्व कहते हैं। विद्युत को अनेकों प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है किन्तु सरल शब्दों में कहा जाये तो विद्युत आवेश की उपस्थिति तथा बहाव के परिणामस्वरूप उत्पन्न उस सामान्य अवस्था को विद्युत कहते हैं जिसमें अनेकों कार्यों को सम्पन्न करने की क्षमता होती है। विद्युत चल अथवा अचल इलेक्ट्रान या प्रोटान से सम्बद्ध एक भौतिक घटना है। किसी चालक में विद्युत आवेशों के बहाव से उत्पन्न उर्जा को विद्युत कहते हैं। .

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विद्युत चुम्बक

विद्युत धारा के प्रभाव से जिस लोहे में चुंबकत्व उत्पन्न होता है, उसे विद्युत चुंबक (Electromagnet) कहते हैं। इसके लिये लोहे पर तार लपेटकर उस तार से विद्युत् धारा बहाकर लोहे को चुंबकित किया जा सकता है। (लोहे पर चुंबक रगड़कर लोहे को चुंबकीय किया जा सकता है जो विद्युत चुम्बकत्व नहीं है) .

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विद्युत धारा

आवेशों के प्रवाह की दिशा से धारा की दिशा निर्धारित होती है। विद्युत आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करेण्ट) कहते हैं। इसकी SI इकाई एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे। .

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विद्युतचुम्बकीय सिद्धान्त का इतिहास

एफिल टॉवर पर बिजली (१९०२) विद्युतचुम्बकीय सिद्धान्त का इतिहास उसी समय से शुरू माना जा सकता है जबसे प्राचीन काल में लोगों ने वायुमण्डलीय विद्युत (विशेषतः तड़ित) को समझना शुरू किया। .

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विद्युत्-क्षेत्र

किसी ऋणावेशित अनन्त चादर के ऊपर यदि एक धनावेशित बिन्दु आवेश लटका हो तो वहाँ विद्युत क्षेत्र रेखाएँ इस प्रकार होंगी। यदि किसी स्थान पर स्थित किसी स्थिर आवेशित कण पर बल लगता है तो कहते हैं कि उस स्थान पर विद्युत्-क्षेत्र (electric field) है। विद्युत क्षेत्र आवेशित कणों के द्वारा उत्पन्न होता है या समय के साथ परिवर्तित हो रहे चुम्बकीय क्षेत्र के कारण। विद्युत क्षेत्र की अवधारणा सबसे पहले माइकल फैराडे ने प्रस्तुत की थी। श्रेणी:विद्युत.

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विशिष्ट आपेक्षिकता

विशिष्ट आपेक्षिकता सिद्धांत अथवा आपेक्षिकता का विशिष्ट सिद्धांत (Spezielle Relativitätstheorie, special theory of relativity or STR) गतिशील वस्तुओं में वैद्युतस्थितिकी पर अपने शोध-पत्र में अल्बर्ट आइंस्टीन ने १९०५ में प्रस्तावित जड़त्वीय निर्देश तंत्र में मापन का एक भौतिक सिद्धांत दिया।अल्बर्ट आइंस्टीन (1905) "", Annalen der Physik 17: 891; अंग्रेजी अनुवाद का जॉर्ज बार्कर जेफ़री और विल्फ्रिड पेर्रेट्ट ने 1923 में किया; मेघनाद साहा द्वारा (1920) में अन्य अंग्रेजी अनुवाद गतिशील वस्तुओं की वैद्युतगतिकी गैलीलियो गैलिली ने अभिगृहीत किया था कि सभी समान गतियाँ सापेक्षिक हैं और यहाँ कुछ भी निरपेक्ष नहीं है तथा कुछ भी विराम अवस्था में भी नहीं है, जिसे अब गैलीलियो का आपेक्षिकता सिद्धांत कहा जाता है। आइंस्टीन ने इस सिद्धांत को विस्तारित किया, जिसके अनुसार प्रकाश का वेग निरपेक्ष व नियत है, यह एक ऐसी घटना है जो माइकलसन-मोरले के प्रयोग में हाल ही में दृष्टिगोचर हुई थी। उन्होने एक अभिगृहीत यह भी दिया कि यह सभी भौतिक नियम, यांत्रिकी व स्थिरवैद्युतिकी के सभी नियमों, वो जो भी हों, समान रहते हैं। इस सिद्धांत के परिणामों की संख्या वृहत है जो प्रायोगिक रूप से प्रेक्षित हो चुके हैं, जैसे- समय विस्तारण, लम्बाई संकुचन और समक्षणिकता। इस सिद्धांत ने निश्चर समय अन्तराल जैसी अवधारणा को बदलकर निश्चर दिक्-काल अन्तराल जैसी नई अवधारणा को जन्म दिया है। इस सिद्धांत ने क्रन्तिकारी द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध E.

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विश्वकद्रु तारामंडल

विश्वकद्रु तारामंडल कोर करोली द्वितारा विश्वकद्रु या कैनीज़ विनैटिसाए (अंग्रेज़ी: Canes Venatici) खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १७वी सदी में योहानॅस हॅवॅलियस (Johannes Hevelius) नामक जर्मन खगोलशास्त्री ने की थी। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। इस तारामंडल के तारे धुंधले होने से दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने अपनी ४८ तारामंडलों की सूची में इसे अलग स्थान देने के बजाए इसे आकाश में इसके पड़ोस में स्थित सप्तर्षि तारामंडल का ही भाग बना डाला था। .

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खगोलभौतिक फौवारा

खगोलभौतिक फौवारा (astrophysical jet) एक खगोलीय परिघटना होती है जिसमें किसी घूर्णन करती हुई खगोलीय वस्तु के घूर्णन अक्ष की ऊपरी और निचली दिशाओं में आयनीकृत पदार्थ फौवारों में तेज़ गति से फेंका जाता है। कभी-कभी इन फौवारों में पदार्थ की गति प्रकाश की गति के समीप आने लगती है और यह आपेक्षिक फौवारे (relativistic jets) बन जाते हैं, जिनमें विशिष्ट आपेक्षिकता के प्रभाव दिखने लगते हैं।Morabito, Linda A.; Meyer, David (2012).

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गाउस का नियम (चुंबकत्व)

भौतिकी में चुंबकत्व से संबन्धित गाउस का नियम मैक्सवेल के चार समीकरणों में से एक है। (गाउस का स्थिरविद्युत से संबंधित नियम भी गाउस के चार समीकरणों में शामिल है) इस नियम के अनुसार चुंबकीय क्षेत्र B का डाइवर्जेंस शून्य होता है। इसी को दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि चुंबकीय एकध्रुव (मोनोपोल्स) हो ही नहीं सकते। चुंबकत्व में सबसे मूल या आधारभूत चीज चुंबकीय द्विध्रुव है। .

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गॉस (इकाई)

डॉ गॉस जिन्होंने फिजिक्स के क्षेत्र में बहुत योग दान दिया है। गॉस जिसे G द्वारा निरुपित किया जाता है सीजीएस पद्धति में चुम्बकीय क्षेत्र (B) की इकाई है, जिसे "चुम्बकीय फलक्स घनत्व" और "चुम्बकीय प्रेरण" के रूप में भी जाना जाता है। इसका नामकरन जर्मन गणितज्ञ और वैज्ञानिक कार्ल फ्रेडरिक गॉस के सम्मान में किया गया। एक गॉस, एक मैक्सवेल प्रति वर्ग सेमी के रूप में परिभाषित किया जाता है। सीजीएस निकाय के औपचारिक रूप से व्यापकीकृत अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली है जिसमें B की इकाई टेसला को उपयोग किया जाता है। एक गॉस का मान 1×10−4 टेसला (100 μT) होता है। .

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गॉस नामकरण

कार्ल फ्रेडरिक गॉस (1777–1855) निम्नलिखित विषयों को नाम दिया अर्थात इनका नामकरण गॉस के नाम से किया गया। यहाँ 100 से भी अधिक विषय हैं जो जर्मन गणितज्ञ और वैज्ञानिक के नाम से नामित हैं, जो सभी गणित, भौतिक विज्ञान और खगोल शास्त्र के विषय हैं। .

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आवेश घनत्व

विद्युतचुम्बकत्व में,.

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कण त्वरक

'''इन्डस-२''': भारत (इन्दौर) का 2.5GeV सिन्क्रोट्रान विकिरण स्रोत (SRS) कण-त्वरक एसी मशीन है जिसके द्वारा आवेशित कणों की गतिज ऊर्जा बढाई जाती हैं। यह एक ऐसी युक्ति है, जो किसी आवेशित कण (जैसे इलेक्ट्रान, प्रोटान, अल्फा कण आदि) का वेग बढ़ाने (या त्वरित करने) के काम में आती हैं। वेग बढ़ाने (और इस प्रकार ऊर्जा बढाने) के लिये वैद्युत क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है, जबकि आवेशित कणों को मोड़ने एवं फोकस करने के लिये चुम्बकीय क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है। त्वरित किये जाने वाले आवेशित कणों के समूह या किरण-पुंज (बीम) धातु या सिरैमिक के एक पाइप से होकर गुजरती है, जिसमे निर्वात बनाकर रखना पड़ता है ताकि आवेशित कण किसी अन्य अणु से टकराकर नष्ट न हो जायें। टीवी आदि में प्रयुक्त कैथोड किरण ट्यूब (CRT) भी एक अति साधारण कण-त्वरक ही है। जबकि लार्ज हैड्रान कोलाइडर विश्व का सबसे विशाल और शक्तिशाली कण त्वरक है। कण त्वरकों का महत्व इतना है कि उन्हें 'अनुसंधान का यंत्र' (इंजन्स ऑफ डिस्कवरी) कहा जाता है। .

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कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण

कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण (coronal mass ejection) सूरज के कोरोना से एक असामान्य रूप से बड़ी प्लाज़्मा और उस से सम्बन्धित चुम्बकीय क्षेत्र की मात्रा को अंतरिक्ष में फेंक दिये जाने की परिघटना को कहते हैं। यह अक्सर सौर प्रज्वालों (solar flares) के बाद होता है और सौर उभार (solar prominence) के उमड़ावों के साथ देखा जाता है। इसमें फेंका गया प्लाज़्मा सौर पवन का भाग बन जाता है और कोरोनादर्शी में देखा जा सकता है। .

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अनुचुम्बकत्व

अनुचुम्बकत्व (Paramagnetism) पदार्थों का वह गुण है जिसमें पदार्थ बाहर से आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में ही चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करते हैं। ये पदार्थ वाह्य चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित किये जाते हैम। इनका व्यवहार प्रतिचुम्बकीय पदार्थों के चुम्बकीय व्यवहार के ठीक उल्टा होता है। अधिकांश रासायनिक तत्त्व और कुछ रासायनिक यौगिक अनुचुम्बकीय पदार्थ हैं। अनुचुम्बकीय पदार्थों की आपेक्षिक चुम्बकीय पारगम्यता 1 या इससे अधिक होती है। .

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अन्तरापृष्ठ पर विद्युतचुम्बकीय क्षेत्र का व्यवहार

मैक्सवेल के समीकरण विद्युतचुम्बकीय क्षेत्रों के व्यवहार की व्याख्या करते हैं। विद्युत क्षेत्र, विद्युत विस्थापन क्षेत्र, (electric displacement field), चुम्बकीय क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (magnetic field strength) चार चुम्बकीय क्षेत्र सदिश हैं। सदिश E, D, B और H के अवकलनीय होने के लिये आवश्यक है कि माध्यम सतत हो। किन्तु यदि कहीं अलग-अलग विद्युतशीलता (परमिटिविटी) एवं चुम्बकीय पारगम्यता (परमिएबिलिटी) वाले दो माध्यम मिलते हैं तो उनके अन्तरापृष्ठ (इण्टरफेस) पर विद्युतचुम्बकीय क्षेत्रों का व्यवहार निम्नलिखित प्रकार का होता है- .

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अंगिरस तारा

सप्तर्षि तारामंडल में अंगिरस तारे (ε UMa) का स्थान अंगिरस, जिसका बायर नामांकन "ऍप्सिलन अर्से मॅजोरिस" (ε UMa या ε Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३३वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ८१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७६ है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

धारा का चुंबकीय प्रभाव, चुम्बकीय बल, चुम्बकीय क्षेत्रों, चुंबकीय क्षेत्र

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