सामग्री की तालिका
7 संबंधों: एलेक्ट्रॉन नलिका, निर्वात नली, स्पन्द जनक जालक्रम, सूक्ष्मतरंग, सूक्ष्मतरंग चूल्हा, जाइरोट्रॉन, इलेक्ट्रॉन साइक्लोट्रॉन अनुनाद।
एलेक्ट्रॉन नलिका
एलेक्ट्रॉन नलिका (Electron tube) काँच या अन्य पदार्थ का नली से मिलता-जुलता संरचना है। इसमें एक एलेक्ट्रॉन का कोई स्रोत होता है जिससे निकलकर एलेक्ट्रॉन दूसरे प्लेट पर जाते हैं। इन एलेक्ट्रॉनों की संख्या, इनके वेग, इनकी उर्जा आदि को तरह-तरह से नियंत्रित किया जाता है। इस प्रकार बहुत सी युक्तियाँ एलेक्ट्रॉन नलिका का प्रयोग करके बनती हैं। उदाहरण के लिये, टेलिविजन मॉनिटर, कैथोड-किरण नलिका, निर्वात डायोड, ट्रायोड, थाइरेट्रॉन, मैग्नेट्रॉन, क्लाइस्ट्रॉन आदि। कुछ प्रकार की नलियों का उपयोग रेडियो-आवृत्ति-शक्ति (रेडियो फ्ऱीक्वेंसी पावर) उतपन्न करने में किया जाता है जिसका उपयोग रेडियो संग्राही (रिसीवर) तथा रेडियो प्रेषी (ट्रैंसमिटर) में किया जाता है। इन नलियों का उपयोग क्षीण संकेतों के प्रवर्धन (ऐंप्लिफ़िकेशन), ऋजुकरण (रेक्टिफ़िकेशन) तथा परिचयप्राप्तकरण (डिटेक्शन) में होता है। यह कहा जा सकता है कि साधारण इलेक्ट्रान नली की खोज ने ही रेडियो टेलीफोन, ध्वनिचित्र (बोलता सिनेमा), दूरवीक्षण (टेलिविज्हन), रेडियो आदि को जन्म दिया है। .
देखें मैग्नेट्रॉन और एलेक्ट्रॉन नलिका
निर्वात नली
आधुनिक निर्वात नलियाँ (अधिकांशतः लघु आकार वाली) इलेक्ट्रॉनिकी में निर्वात नली एक ऐसी युक्ति है जिसका कार्य निर्वात में विद्युत धारा के प्रवाह पर आधारित है। इसे एलेक्ट्रॉन नली (उत्तरी अमेरिका), तापायनिक वॉल्व (यूके में) या केवल 'ट्यूब' या 'वॉल्व' भी कहते हैं। इनमें एक तप्त फिलामेण्ट (कैथोड) से निकलने वाले एलेक्ट्रॉन निर्वात में गति करके एनोड पर पहुंचते हैं जो कैथोड की अपेक्षा अधिक वोल्टता पर रखा गया होता है। निर्वात नलियों के प्रादुर्भाव ने एलेक्ट्रॉनिकी के जन्म और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। .
देखें मैग्नेट्रॉन और निर्वात नली
स्पन्द जनक जालक्रम
LANL स्थित '''शिव स्टार''' उच्च ऊर्जा वाले फ्यूजन पॉवर प्रयोगों के लिये आवश्यक स्पन्द उत्पन्न करता है। एन डी याग लेजर बनाने में प्रयुक्त पीएफएन स्पन्द जनक जालक्रम (pulse forming network (PFN)) वह विद्युत परिपथ है जो विद्युत ऊर्जा को अपेक्षाकृत अधिक समय तक एकत्र करने के बाद उस ऊर्जा को कम समय की लगभग वर्गाकार स्पन्द (स्क्वायर पल्स) के रूप में देता है। इस तरह की कम समय की वर्गाकार स्पन्द का अनेकों जगह उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये, पीएफएन का उपयोग क्लाइस्ट्रान और मैग्नेट्रान आदि को नैनोसेकेण्ड अवधि के स्पन्द प्रदान करने के लिये किया जाता है, जो राडार, स्पन्दित लेजर, कण त्वरक, फ्लैशट्यूब तथा अन्य उच्च वोल्टता के उपकरणों में प्रयुक्त होतें हैं। .
देखें मैग्नेट्रॉन और स्पन्द जनक जालक्रम
सूक्ष्मतरंग
माइक्रोवेव टॉवर सूक्ष्मतरंगें (माइक्रोवेव) वो विद्युतचुम्बकीय तरंगें हैं जिनकी तरंगदैर्घ्य १ मीटर से लेकर १ मिलीमीटर के बीच हो। दूसरे शब्दों में, इनकी आवृति 300 MHz (मेगाहर्ट्ज) से लेकर 300 GHz बीच होती है। यह परिभाषा व्यापक रूप से दोनों परा उच्च आवृति (UHF) और अत्यधिक उच्च आवृति (EHF) (मिलीमीटर तरंग) को शामिल करती है। भिन्न-भिन्न स्रोत, विभिन्न सीमाओं का उपयोग करते हैं। .
देखें मैग्नेट्रॉन और सूक्ष्मतरंग
सूक्ष्मतरंग चूल्हा
एक सूक्ष्मतरंग चूल्हा मैग्नेट्रॉन का विद्युत परिपथ: इसके लिये उच्च वोल्टता (४०००-५००० वोल्ट) की आवश्यकता होती है।) सूक्ष्मतरंग चूल्हा, या माइक्रोवेव चूल्हा एक रसोईघर उपकरण है जो कि खाना पकाने और खाने को गर्म करने के काम आता है। इस कार्य के लिये यह चूल्हा द्विविद्युतीय (dielectric) उष्मा का प्रयोग करता है। यह खाने के भीतर उपस्थित पानी और अन्य ध्रुवीय अणुओं को सूक्ष्मतरंग विकिरण का उपयोग करके गर्म करता है। यह गर्मी पूरे भोजन मे काफी हद तक समान रूप से फैलती है (मोटी वस्तुओं को छोड़कर)। यह सुविधा किसी भी अन्य उष्मीय तकनीक में उपलब्ध नहीं होती है। मैग्नेट्रॉन इसका मुख्य अवयव है जो सूक्ष्मतरंगे पैदा करता है। सूक्ष्मतरंग चूल्हा खाने को जल्दी, कुशलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से गर्म करता है, लेकिन एक पारंपरिक तंदूर की तरह भोजन को भूनता या सेंकता नहीं है इस कारण यह कुछ खाद्य पदार्थों को पकाने या कुछ प्रभावों को प्राप्त करने के लिए अनुपयुक्त माना जाता है। सूक्ष्मतरंग चूल्हे मे खाना पकाना कई सुरक्षा मुद्दों से जुडा़ है, जैसे चूल्हे के बाहर सूक्ष्मतरंग विकिरण का रिसाव और आग का खतरा क्योंकि यह उच्च तापमान का प्रयोग करता है। एक प्रमुख दृष्टिकोण है कि यह भोजन, की गुणवत्ता को घटाता है शायद इसका कारण इसके साथ जुडा़ शब्द विकिरण है लेकिन वास्तव मे इसमे पका खाना उतना ही सुरक्षित होता है जितना किसी अन्य स्रोत से पका खाना। सूक्ष्मतरंग चूल्हे ने भोजन तैयार करने मे क्रान्तिकारी परिवर्तन किया है और आज यह हर घर की आवश्यकता बन गये हैं। .
देखें मैग्नेट्रॉन और सूक्ष्मतरंग चूल्हा
जाइरोट्रॉन
जाइरोट्रॉन के भाग जाइरोट्रॉन (Gyrotron) अधिक शक्ति वाली रैखिक पुंज निर्वाज नलिका होती है जो तीव्र चुम्बकीय क्षेत्र में इलेक्ट्रानों के साइक्लोट्रॉन-अनुनाद के द्वारा मिलीमीटर-तरंग विद्युतचुम्बकीय तरंगे पैदा करती है। इससे उत्पन्न तरंगों की आवृत्ति लगभग 20 से 250 GHz के बीच होती है। इस तरंग की शक्ति प्रायः दस-बीस किलोवाट से लेकर एक-दो मेगावाट तक होती है। ये पल्स ऑपरेशन या लगातार कार्य करने के लिये डिजाइन किये जा सकते हैं। .
देखें मैग्नेट्रॉन और जाइरोट्रॉन
इलेक्ट्रॉन साइक्लोट्रॉन अनुनाद
इलेक्ट्रॉन साइक्लोट्रॉन अनुनाद (Electron cyclotron resonance या ECR) नामक परिघटना (phenomenon) प्लाज्मा भौतिकी, संघनित पदार्थ भौतिकी (condensed matter physics) तथा त्वरक भौतिकी देखने को मिलती है। इसमें नियत चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान इलेक्ट्रॉनों द्वारा विद्युतचुम्बकीय तरंगों का अनुनादी अवशोषण होता है। इस नाम में 'साइक्लोट्रॉन' आया है जिसका कारण यह है कि यहाँ इलेक्ट्रान की आवृत्ति का सूत्र वही है जो साइक्लोट्रॉन में होती है। प्लाज्मा में इलेक्ट्रॉन साइक्लोट्रॉन अनुनाद का उपयोग करके इलेक्ट्रानों की गतिज ऊर्जा में वृद्धि की जाती है जिससे प्लाज्मा की ऊर्जा में वृद्धि होती है और प्लाज्मा का ताप बढ़ जाता है। मुक्त इलेक्ट्रानों का साइक्लोट्रान अनुनाद ही गाइरोट्रॉन (gyrotron) के कार्य करने का आधार है। यही सिद्धान्त मैग्नेट्रॉन (magnetron) के कार्य का भी आधार है। गाइरोट्रॉन और मैग्नेट्रॉन दोनो ही शक्तिशाली माइक्रोवेव जनित्र हैं। इसके अलावा आवेशित कणों के साइक्लोट्रॉन अनुनाद के अनेकों उपयोग हैं। .