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गर्भ

सूची गर्भ

प्रजनन पश्चात गर्भ के अन्दर जीव। .

22 संबंधों: चीता, तिल्ली, थेरिया, नर, प्रजनन ऋतु, प्लैटीपुस, फलज्योतिष, बनगाँव (बिहार ), माता, सत्यवती, सनातन धर्म के संस्कार, स्मरदीपिका, स्वाधिष्ठान चक्र, सूजाक, हिपोक्रीत्ज़ की शपथ, जन्म नियंत्रण, गर्भ काल, गर्भपात, गर्भावस्था, आयुर्विज्ञान, कृत्रिम गर्भपात, 50 साल से ऊपर गर्भधारण

चीता

बिल्ली के कुल (विडाल) में आने वाला चीता (एसीनोनिक्स जुबेटस) अपनी अदभुत फूर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाता है। यह एसीनोनिक्स प्रजाति के अंतर्गत रहने वाला एकमात्र जीवित सदस्य है, जो कि अपने पंजों की बनावट के रूपांतरण के कारण पहचाने जाते हैं। इसी कारण, यह इकलौता विडाल वंशी है जिसके पंजे बंद नहीं होते हैं और जिसकी वजह से इसकी पकड़ कमज़ोर रहती है (अतः वृक्षों में नहीं चढ़ सकता है हालांकि अपनी फुर्ती के कारण नीची टहनियों में चला जाता है)। ज़मीन पर रहने वाला ये सबसे तेज़ जानवर है जो एक छोटी सी छलांग में १२० कि॰मी॰ प्रति घंटे ऑलदो एकोर्डिंग टू चीता, ल्यूक हंटर और डेव हम्मन (स्ट्रुइक प्रकाशक, 2003), pp.

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तिल्ली

प्लीहा या तिल्ली (Spleen) एक अंग है जो सभी रीढ़धारी प्राणियों में पाया जाता है। मानव में तिल्ली पेट में स्थित रहता है। यह पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है तथा रक्त का संचित भंडार भी है। यह रोग निरोधक तंत्र का एक भाग है। प्लीहा शरीर की सबसे बड़ी वाहिनीहीन ग्रंथि (ductless gland) है, जो उदर के ऊपरी भाग में बाईं ओर आमाशय के पीछे स्थित रहती है। इसकी आंतरिक रचना संयोजी ऊतक (connective tissue) तथा स्वतंत्र पेशियों से होती है। इसके अंदर प्लीहावस्तु भरी रहती है, जिसमें बड़ी बड़ी प्लीहा कोशिकाएँ तथा जालक कोशिकाएँ रहती हैं। इनके अतिरिक्त रक्तकरण तथा लसीका कोशिकाएँ भी मिलती हैं। .

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थेरिया

थेरिया (Theria) स्तनधारी प्राणियों का एक उपवर्ग है। इसमें गर्भ में शिशु विकसित करने वाला युथेरिया क्लेड (Eutheria) और धानीप्राणी (मार्सूपियल) सम्मिलित करने वाला मेटाथेरिया क्लेड (Metatheria) दोनों शमिल हैं। ध्यान दें कि प्लैटीपुस जैसे अण्डे देने वाले स्तनधारी थेरिया में नहीं बल्कि एक भिन्न मोनोट्रीम नामक समूह में आते हैं। .

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नर

मानव के नरों को पुरुष (♂) कहा जाता है। एक जीव का लिंग है जो की छोटे मोबाइल गमेट्स पैदा करता हैं जिसे की स्पर्म या शुक्राणु भी कहते हैं। हर एक शुक्राणु एक मादा अंडे के साथ क्रिया कर एक गर्भ के रूप में विकास कर सकता हैं। हर कोई प्रजाति इस पुरुष और स्त्री के पहचान से नहीं जानी जा सकती है। इंसानों और जानवरों में लिंग जहाँ लिंग (अंग) से बताया जा सकता हैं वही अन्य जीवो में यह कई अन्य बातों पर निर्भर करता हैं। .

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प्रजनन ऋतु

प्रजनन ऋतु। प्रजनन ऋतु या प्रजनन काल कुछ वन्य जीवों (पशु एवं पक्षी) के लिए साल का वह समय होता है जिसके अंतर्गत प्रजनन के लिए सबसे अनुकूल हालात, जैसे भोजन एवं पानी की प्रचुरता, उत्पन्न होते हों। प्रजनन ऋतु वाली जीव जगत की कई जातियाँ प्राकृतिक रूप से साल के एक निश्चित समय पर समागम करने के लिए विकसित हुयी हैं जिससे उनको प्रजनन करने में सबसे अधिक सफलता मिले। वन्य जीवों की अलग-अलग प्रजातियों के प्रजनन ऋतुएँ भी उनकी अपनी आवासीय क्षेत्र की ज़रूरतों के मुताबिक तथा भोजन की उपलब्धी के अनुसार पृथक्-पृथक् होती हैं। प्रजनन की शुरुआत और उसकी सफलता में अजैविक घटक जैसे वर्षा और हवायें भी अहम भूमिका अदा करते हैं। कुछ जीवों की कोई प्रजनन ऋतु नहीं होती है और उनकी मादाएँ साल के किसी भी समय गर्भ धारण कर सकती हैं — उदाहरण के लिए मनुष्य। .

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प्लैटीपुस

प्लैटीपुस (Platypus), जो बत्तखमुँह प्लैटीपस (duck-billed platypus) भी कहलाता है, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला एक स्तनधारी प्राणी है। यह स्तनधारियों के मोनोट्रीम गण की पाँच ज्ञात जातियों में से एक है (अन्य चार एकिडना की जातियाँ हैं), जो स्तनधारी होने के नाते अपने शिशुओं को दूध तो पिलाते हैं लेकिन जिनमें माता गर्भ धारण करने की बजाए अण्डे देती है। पूरे स्तनधारी समुदाय में अण्डे देने वाली केवल यही पाँच जातियाँ है। क्रमविकास (एवोल्यूशन) की दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह जातियाँ उस समय का संकेत हैं जब स्तनधारी नये-नये विकसित हो रहे थे और उनमें गर्भ में शिशु विकसित करने की क्षमता उत्पन्न नहीं हुई थी। इसलिए इन्हें जीवित जीवाश्म की श्रेणी में भी डाला जाता है। .

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फलज्योतिष

फलज्योतिष astrology का भारत की परम्परा में नाम है। .

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बनगाँव (बिहार )

बनगाँव भारत के बिहार राज्य के सहरसा जिले के पश्चिम मे अवस्थित एक गाँव है जिसकी पहचान सदियों से रही है। जनसँख्या और क्षेत्रफल के हिसाब से ये गाँव ना सिर्फ राज्य के बल्कि देश के सबसे बड़े गांवों मे एक हैं। २००१ की जनगणना के मुताबिक़ इस गाँव की आबादी ६०००० है हालांकि पिछले दशक जनसख्या मे बढोत्तरी को ध्यान मे रखते हुए ये संख्या वर्तमान मे ७००००-७५००० के मध्य मे हो सकती है। यह गाँव कोसी प्रमंडल के कहरा प्रखंड के अंतर्गत आता है। इस गाँव से तीन किलोमीटर पूर्व मे बरियाही बाजार, आठ किलोमीटर पश्चिम मे माँ उग्रतारा की पावन भूमि महिषी और उत्तर मे बिहरा गाँव अवस्थित है। इस गाँव मे तीन पंचायतें हैं। हर पंचायत के एक मुखिया हैं। सरकार द्वारा समय समय पर पंचायती चुनाव कराये जातें है। इन्ही चुनावों से हर पंचायत के सदस्यों का चुनाव किया जाता है। वक्त के हर पड़ाव पर इस गाँव का योगदान अपनी आंचलिक सीमा के पार राज्य, देश और दुनिया को मिलता रहा है। इन योगदानों मे लोक शासन, समाज सेवा, साहित्य, पत्रकारिता, राजनीति, देशसेवा और भक्ति मे योगदान प्रमुख हैं। भक्ति और समाजसेवा के ऐसे की एक स्तंभ, संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं, जिन्होंने इस गाँव को अपनी कर्मभूमि बनाई, को लोग भगवान की तरह पूजते है। उनका मंदिर गाँव के प्रमुख दार्शनिक स्थलों मे से एक है। गाँव के बोलचाल की भाषा मैथिली है और यहाँ हिंदू तथा इस्लाम धर्मों को माननेवाले सदियों से आपसी सामंजस्य और धार्मिक सहिष्णुता से साथ रहते हैं। .

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माता

माता वह है जिसके द्वारा कोई प्राणी जन्म लेता है। माता का संस्कृत मूल मातृ है। हिन्दी में इस शब्द का प्रयोग प्रायः इष्टदेवी को संबोधित करने के लिये किये जाता है, पर सामान्यरूप से माँ शब्द का प्रयोग ज्यादा होता है। .

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सत्यवती

सत्यवती महाभारत की एक महत्वपूर्ण पात्र है। उसका विवाह हस्तिनापुरनरेश शान्तनु से हुआ। उसका मूल नाम 'मत्स्यगंधा' था। वह ब्रह्मा के शाप से मत्स्यभाव को प्राप्त हुई "अद्रिका" नाम की अप्सरा के गर्भ से उपरिचर वसु द्वारा उत्पन्न एक कन्या थी। इसका ही नाम बाद में सत्यवती हुआ। मछली का पेट फाड़कर मल्लाहों ने एक बालक और एक कन्या को निकाला और राजा को सूचना दी। बालक को तो राजा ने पुत्र रूप से स्वीकार कर लिया किंतु बालिका के शरीर से मत्स्य की गंध आने के कारण राजा ने मल्लाह को दे दिया। पिता की सेवा के लिये वह यमुना में नाव चलाया करती थी। सहस्त्रार्जुन द्वारा पराशर मुनि को मृत मान कर मृतप्रायः छोड़ दिया गया। माता सत्यवती ने मुनिराज की सेवा की व जीवन दान दिया। महर्षि ने प्रसन्न होकर उनका मत्स्यभाव नष्ट किया तथा शरीर से उत्तम गंध निकलने का वरदान दिया अत: वह 'गंधवती' नाम से भी प्रसिद्ध हुई। उसका नाम 'योजनगंधा' भी था। उससे महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ। बाद में राजा शांतनु से उसका विवाह हुआ। .

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सनातन धर्म के संस्कार

हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों (षोडश संस्कार) का उल्लेख किया जाता है जो मानव को उसके गर्भ में जाने से लेकर मृत्यु के बाद तक किए जाते हैं। इनमें से विवाह, यज्ञोपवीत इत्यादि संस्कार बड़े धूमधाम से मनाये जाते हैं। वर्तमान समय में सनातन धर्म या हिन्दू धर्म के अनुयायी गर्भधान से मृत्यु तक १६ संस्कारों में से पसार होते है। .

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स्मरदीपिका

स्मरदीपिका एक कामशास्त्रीय संस्कृत ग्रन्थ है (स्मर.

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स्वाधिष्ठान चक्र

स्वाधिष्ठान चक्र तंत्र और योग साधना की चक्र संकल्पना का दूसरा चक्र है। स्व का अर्थ है आत्मा। यह चक्र त्रिकास्थि (पेडू के पिछले भाग की पसली) के निचले छोर में स्थित होता है। इसका मंत्र वम (ङ्क्ररू) है। .

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सूजाक

सूजाक एक संक्रामक यौन रोग (यौन संचारित बीमारी (एसटीडी)) है। सूजाक नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु से होता है जो महिला तथा पुरुषों में प्रजनन मार्ग के गर्म तथा गीले क्षेत्र में आसानी और बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसके जीवाणु मुंह, गला, आंख तथा गुदा में भी बढ़ते हैं। उपदंश की तरह यह भी एक संक्रामक रोग है अतः उन्ही स्त्री-पुरुषों को होता है जो इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति से यौन संपर्क करते हैं। सूजाक रोग में चूँकि लिंगेन्द्रिय के अंदर घाव हो जाता है और इससे पस निकलता है अतः इसे हिंदी में 'पूयमेह ', औपसर्गिक पूयमेह और ' परमा ' कहते हैं और अंग्रेजी भाषा में गोनोरिया (gonorrhoea) कहते हैं.

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हिपोक्रीत्ज़ की शपथ

हिपोक्रीत्ज़ की शपथ (Hippocratic Oath) ऐतिहासिक रूप से चिकित्सकों एवं चिकित्सा व्यसायियों द्वारा ली जाने वाली शपथ है। माना जाता है कि यह हिपोक्रीत्ज़ द्वारा लिखी गयी है। यह आयोनिक ग्रीक में लिखा गया है। इस शपथ का हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है- .

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जन्म नियंत्रण

गर्भावस्थाभ्रूण या गर्भ का गर्भा स्थान (Womb) से भ्रूण जीवनक्षमता प्राप्ति जीवित रहने में सक्षम हो, बाहर निकलना या जबरन निकालना गर्भपात कहलाता है। एक गर्भपात सहज रूप से हो सकता है, जिस स्थिति में इसे अक्सर गर्भ विफलता कहा जाता है। यह जानबूझकर किया जा सकता है जिस के कारण इसे कृत्रिम गर्भपात के रूप में जाना जाता है। शब्द गर्भपात सबसे सामान्यतः मानव गर्भधारण के कृत्रिम गर्भपात को संदर्भित करता है। भ्रूण के अपने दम पर जीवित रहने में सक्षम हो पाने के बाद समान प्रक्रिया को चिकित्सकीय रूप से एक "गर्भावस्था की देर से समाप्ति" के रूप में जाना जाता है। आधुनिक आयुर्विज्ञान में कृत्रिम गर्भपात के लिए दवाओं या शल्य चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करती है। मिफेप्रिस्टोन और प्रोस्टाग्लैंडीन दो ऐसी दवाएँ हैं जो पहली तिमाही में शल्य चिकित्सा पद्धतियों के जितनी ही प्रभावी हैं। हालांकि दवाओं का प्रयोग दूसरी तिमाही में प्रभावी हो सकता है, शल्य चिकित्सा पद्धतियों से दुष्प्रभाव होने का कम जोखिम प्रतित होता है। गर्भनिरोध, जिसमें गोली और अंतर्गर्भाशयी उपकरण शामिल है, गर्भपात के तुरंत बाद शुरू किया जा सकता है। जब स्थानीय कानून द्वारा अनुमति दी गई हो तो विकसित दुनिया में दवा में सबसे सुरक्षित प्रक्रियाओं के बीच#सुरक्षित| रहने का गर्भपात का एक लंबा इतिहास रहा है। सरल गर्भपात से न तो दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य या शारीरिक स्वास्थ्य की समस्याएँ होती हैं। विश्व स्वास्थ संगठनअनुशंसा करता है कि सुरक्षित और कानूनी गर्भपात का यह समान स्तर विश्व स्तर पर सभी महिलाओं के लिए उपलब्ध हो। हालांकि, विश्व स्तर पर प्रति वर्ष असुरक्षित गर्भपात के कारण लगभग 47,000 मातृ मृत्यु होती हैं और 50 लाख अस्पताल में दाखिले होते हैं। हर साल विश्व स्तर पर अनुमानित 4 करोड़ 40 लाख गर्भपात किए जाते हैं, जिनमें से आधे से थोड़े कम असुरक्षित रूप से कराए जाते हैं। 2003 और 2008 के बीच गर्भपात की दरों में बहुत कम बदलाव आया है, जबकि पिछले दशक में परिवार नियोजन और गर्भनिरोध के संबंध में शिक्षा तक पहुंच बेहतर होने से यह कम होते रहे हैं।, विश्व के चालिस प्रतिशत महिलाओं को कानूनी कृत्रिम गर्भपात तक "कारण के संबंध में बिना किसी प्रतिबंध के" तक पहुंच थी। लेकिन, गर्भावस्था की अवधि के अनुसार इसकी कुछ सीमाएं हैं। कृत्रिम गर्भपात का लंबा इतिहास है। इन्हें विभिन्न तरीकों से निष्पादित किया जाता है, जिसमें हर्बल दवाएं, तेज उपकरणों के प्रयोग,शारीरिक आघात और प्राचीन समय से अन्य पारंपरिक तरीकों का उपयोग शामिल है। गर्भपात से संबंधित कानून, कि कितने समय में वे निष्पादित किए जाते हैं, और उनके सांस्कृतिक और धार्मिक स्थिति के अनुसार दुनिया भर में बहुत कुछ भिन्नता होती है। कुछ संदर्भों में, गर्भपात विशिष्ट परिस्थितियों जैसेकौटुम्बिक व्यभिचार, बलात्कार, भ्रूण के साथ समस्याएं, या सामाजिक आर्थिक कारकों या मां के स्वास्थ्य के लिए जोखिम के आधार पर कानूनन वैध है। विश्व के कई हिस्सों में नैतिक, गर्भपात के नैतिक, और कानूनी मुद्दों पर प्रमुख रूप से सार्वजनिक विवाद होता है। जो लोग गर्भपात के विरुद्ध हैं, वे आम तौर पर यह कहते हैं कि भ्रूण या गर्भ एक इंसान है जिसे जीवन के अधिकार प्राप्त है और वे गर्भपात की तुलना हत्या से कर सकते हैं। जो लोग गर्भपात अधिकारों का समर्थन करते हैं, वे एक महिला के अपने शरीर से संबंधित मामलों को तय करने के अधिकार को महत्व देते हैं और साथ ही साथ आम तौर पर मानवाधिकारों पर ज़ोर देते हैं। .

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गर्भ काल

गर्भ काल या हमल अवधि जंतु जगत की मादा का गर्भ धारण से लेकर शिशु को जन्म देने की अवधि को कहते हैं। यह अवधि हर प्राणी के लिए अलग-अलग होती है। .

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गर्भपात

गर्भपात परिपक्वता अवधि अथवा व्यवहार्यता से पूर्व गर्भ के समापन की अवस्था है जिसमें गर्भाशय से भ्रूण स्वत: निष्काषित हो जाता है या कर दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप गर्भावस्था (pregnancy) की समाप्ति हो जाती है। किसी कारण भ्रूण के स्वतः समाप्त हो जाने को गर्भ विफलता (miscarriage) कहा जाता है। सामान्यतः गर्भपात मानव गर्भ को जबरन समाप्त किये जाने को इंगित करता है। .

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गर्भावस्था

गर्भवती महिला प्रजनन सम्बन्धी अवस्था, एक मादा के गर्भाशय में भ्रूण के होने को गर्भावस्था (गर्भ + अवस्था) कहते हैं, तदुपरांत महिला शिशु को जन्म देती है। आमतौर पर यह अवस्था मां बनने वाली महिलाओं में ९ माह तक रहती है, जिसे गर्भवधी कहते है। कभी कभी संयोग से एकाधिक गर्भावस्था भी अस्तित्व में आ जति है जिस्से जुडवा एक से अधिक सन्तान कि उपस्थिति होती है। .

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आयुर्विज्ञान

आधुनिक गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।आयुर्विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है, जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका निदान करने तथा आयु बढ़ाने से है। भारत आयुर्विज्ञान का जन्मदाता है। अपने प्रारम्भिक समय में आयुर्विज्ञान का अध्ययन जीव विज्ञान की एक शाखा के समान ही किया गया था। बाद में 'शरीर रचना' तथा 'शरीर क्रिया विज्ञान' आदि को इसका आधार बनाया गया। .

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कृत्रिम गर्भपात

गर्भावस्थाभ्रूण या गर्भ का गर्भा स्थान (Womb) से भ्रूण जीवनक्षमता प्राप्ति जीवित रहने में सक्षम हो, बाहर निकलना या जबरन निकालना गर्भपात कहलाता है। एक गर्भपात सहज रूप से हो सकता है, जिस स्थिति में इसे अक्सर गर्भ विफलता कहा जाता है। यह जानबूझकर किया जा सकता है जिस के कारण इसे कृत्रिम गर्भपात के रूप में जाना जाता है। शब्द गर्भपात सबसे सामान्यतः मानव गर्भधारण के कृत्रिम गर्भपात को संदर्भित करता है। भ्रूण के अपने दम पर जीवित रहने में सक्षम हो पाने के बाद समान प्रक्रिया को चिकित्सकीय रूप से एक "गर्भावस्था की देर से समाप्ति" के रूप में जाना जाता है। आधुनिक आयुर्विज्ञान में कृत्रिम गर्भपात के लिए दवाओं या शल्य चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करती है। मिफेप्रिस्टोन और प्रोस्टाग्लैंडीन दो ऐसी दवाएँ हैं जो पहली तिमाही में शल्य चिकित्सा पद्धतियों के जितनी ही प्रभावी हैं। हालांकि दवाओं का प्रयोग दूसरी तिमाही में प्रभावी हो सकता है, शल्य चिकित्सा पद्धतियों से दुष्प्रभाव होने का कम जोखिम प्रतित होता है। गर्भनिरोध, जिसमें गोली और अंतर्गर्भाशयी उपकरण शामिल है, गर्भपात के तुरंत बाद शुरू किया जा सकता है। जब स्थानीय कानून द्वारा अनुमति दी गई हो तो विकसित दुनिया में दवा में सबसे सुरक्षित प्रक्रियाओं के बीच#सुरक्षित| रहने का गर्भपात का एक लंबा इतिहास रहा है। सरल गर्भपात से न तो दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य या शारीरिक स्वास्थ्य की समस्याएँ होती हैं। विश्व स्वास्थ संगठनअनुशंसा करता है कि सुरक्षित और कानूनी गर्भपात का यह समान स्तर विश्व स्तर पर सभी महिलाओं के लिए उपलब्ध हो। हालांकि, विश्व स्तर पर प्रति वर्ष असुरक्षित गर्भपात के कारण लगभग 47,000 मातृ मृत्यु होती हैं और 50 लाख अस्पताल में दाखिले होते हैं। हर साल विश्व स्तर पर अनुमानित 4 करोड़ 40 लाख गर्भपात किए जाते हैं, जिनमें से आधे से थोड़े कम असुरक्षित रूप से कराए जाते हैं। 2003 और 2008 के बीच गर्भपात की दरों में बहुत कम बदलाव आया है, जबकि पिछले दशक में परिवार नियोजन और गर्भनिरोध के संबंध में शिक्षा तक पहुंच बेहतर होने से यह कम होते रहे हैं।, विश्व के चालिस प्रतिशत महिलाओं को कानूनी कृत्रिम गर्भपात तक "कारण के संबंध में बिना किसी प्रतिबंध के" तक पहुंच थी। लेकिन, गर्भावस्था की अवधि के अनुसार इसकी कुछ सीमाएं हैं। कृत्रिम गर्भपात का लंबा इतिहास है। इन्हें विभिन्न तरीकों से निष्पादित किया जाता है, जिसमें हर्बल दवाएं, तेज उपकरणों के प्रयोग,शारीरिक आघात और प्राचीन समय से अन्य पारंपरिक तरीकों का उपयोग शामिल है। गर्भपात से संबंधित कानून, कि कितने समय में वे निष्पादित किए जाते हैं, और उनके सांस्कृतिक और धार्मिक स्थिति के अनुसार दुनिया भर में बहुत कुछ भिन्नता होती है। कुछ संदर्भों में, गर्भपात विशिष्ट परिस्थितियों जैसेकौटुम्बिक व्यभिचार, बलात्कार, भ्रूण के साथ समस्याएं, या सामाजिक आर्थिक कारकों या मां के स्वास्थ्य के लिए जोखिम के आधार पर कानूनन वैध है। विश्व के कई हिस्सों में नैतिक, गर्भपात के नैतिक, और कानूनी मुद्दों पर प्रमुख रूप से सार्वजनिक विवाद होता है। जो लोग गर्भपात के विरुद्ध हैं, वे आम तौर पर यह कहते हैं कि भ्रूण या गर्भ एक इंसान है जिसे जीवन के अधिकार प्राप्त है और वे गर्भपात की तुलना हत्या से कर सकते हैं। जो लोग गर्भपात अधिकारों का समर्थन करते हैं, वे एक महिला के अपने शरीर से संबंधित मामलों को तय करने के अधिकार को महत्व देते हैं और साथ ही साथ आम तौर पर मानवाधिकारों पर ज़ोर देते हैं। .

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50 साल से ऊपर गर्भधारण

अंडदान के क्षेत्र में हाल के वर्षों में हुए तकनीकी विकास के कारण पचास वर्ष से अधिक की महिलाओं के लिए अब गर्भधारण ज्यादा संभव हो पाया है। आमतौर पर एक महिला के गर्भधारण की क्षमता उसके मासिक धर्म के समाप्त होते ही खत्म मानी जाती है, जिसे बारह महीने तक लगातार मासिक धर्म के नहीं होने के तौर पर परिभाषित किया जाता है। रजोनिवृति अवस्था में मासिक धर्म चक्र के अनियमित हो जाता है और अंत में यह पूरी तरह बंद हो जाता है, लेकिन इस अवस्था में भी अगर मासिक धर्म नियमित होता है तो अंडे की गुणवत्ता आम तौर पर चालीस वर्ष की महिलाओं में युवतियों की तुलना में कम हो जाती है, जिससे कि स्वस्थ बच्चा पैदा करने की संभावना भी 42 वर्ष की महिलाओं में कम हो जाती है। इसके विपरीत पुरूषों में आमतौर पर आजीवन इसके लिए जरूरी शारीरिक क्षमता बनी रहती है, हालांकि पैत्रिक दोष की वजह से ज्यादा उम्र के पुरूषों से पैदा हुए बच्चों में आनुवांशिक विसंगतियां आमतौर पर देखी जाती है। पुरषों में इससे जुड़े परिवर्तन 30 साल के बाद होने शुरू होते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में 1997 और 1999 के बीच पचास वर्ष से अधिक की महिलाओं ने 539 बच्चों को जन्म दिया(चार बच्चा प्रति एक लाख पर), इसमें से 194 बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं की उम्र 55 वर्ष से अधिक थी। आज की तारीख तक गर्भ धारण करने वाली सबसे वृद्ध महिला की उम्र 71 साल और सबसे कम की उम्र 5 साल है। मानव निषेचन एवं भ्रूण विज्ञान प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार अंडदान की मदद से इन-विट्रो फर्टीलाइजेशन के द्वारा ब्रिटेन में प्रति वर्ष बीस से अधिक बच्चों को पचास वर्ष से अधिक की महिलाओं ने जन्म दिया है। मारिया डेल कार्मेन बौसाडा दे लारा 66 साल, 358 दिन की सबसे वृद्ध प्रमाणित माता है, जिन्होंने जुड़वा बच्चे को जन्म दिया। वह एड्रियाना इलेस्क्यू से 130 दिन बड़ी हैं जिन्होंने 2005 में एक बच्ची को जन्म दिया था। इन दोनों मामलों में गर्भधारण आईवीएफ के जरिये अंडदान से किया गया था। प्राकृतिक रूप से बच्चा पैदा करने वाली सबसे अधिक उम्र की प्रमाणित महिला ब्रिटेन की डाउन ब्रुक्स है जिनका नाम गिनीज बुक्स ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है। इन्होंने 1997 में 59 साल की उम्र में एस्ट्रोजेन की सहायता से पुत्र को जन्म दिया। .

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