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कीर्ति स्तम्भ

सूची कीर्ति स्तम्भ

चित्तौड़गढ़ स्थित '''कीर्ति स्तम्भ कीर्ति स्तम्भ एक स्तम्भ या मीनार है जो राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है। इसे भगेरवाल जैन व्यापारी जीजाजी कथोड़ ने बारहवीं शताब्दी में बनवाया था। यह २२ मीटर ऊँची है। यह सात मंजिला है। इसमें ५४ चरणों वाली सीढ़ी है। इसमें जैन पन्थ से सम्बन्धित चित्र भरे पड़े हैं। कीर्तिस्तम्भ, विजय स्तम्भ से भी अधिक पुराना है। .

4 संबंधों: बप्पा रावल, बलत्कर गण, सिसोदिया (राजपूत), विजय स्तम्भ

बप्पा रावल

बप्पा रावल (713-810) मेवाड़ राज्य के संस्थापक राजा थे। .

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बलत्कर गण

Bhattarakas के Balatkara गण. से "भारत और उसके देशी प्रधानों द्वारा" लुई Rousselet, चार्ल्स Randolph बकसुआ लंदन: चैपमैन और हॉल, 1875 Balatkara गण एक प्राचीन जैन मठवासी आदेश.

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सिसोदिया (राजपूत)

सिसोदिया राजवंश की कुलदेवी सिसोदिया या गेहलोत मांगलिया यासिसोदिया एक राजपूत राजवंश है, जिसका राजस्थान के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। यह सूर्यवंशी राजपूत थे। सिसोदिया राजवंश में कई वीर शासक हुए हैं। 'गुहिल' या 'गेहलोत' 'गुहिलपुत्र' शब्द का अपभ्रष्ट रूप है। कुछ विद्वान उन्हें मूलत: ब्राह्मण मानते हैं, किंतु वे स्वयं अपने को सूर्यवंशी क्षत्रिय कहते हैं जिसकी पुष्टि पृथ्वीराज विजय काव्य से होती है। मेवाड़ के दक्षिणी-पश्चिमी भाग से उनके सबसे प्राचीन अभिलेख मिले है। अत: वहीं से मेवाड़ के अन्य भागों में उनकी विस्तार हुआ होगा। गुह के बाद भोज, महेंद्रनाथ, शील ओर अपराजित गद्दी पर बैठे। कई विद्वान शील या शीलादित्य को ही बप्पा मानते हैं। अपराजित के बाद महेंद्रभट और उसके बाद कालभोज राजा हुए। गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने कालभोज को चित्तौड़ दुर्ग का विजेता बप्पा माना है। किंतु यह निश्चित करना कठिन है कि वास्तव में बप्पा कौन था। कालभोज के पुत्र खोम्माण के समय अरब आक्रान्ता मेवाड़ तक पहुंचे। अरब आक्रांताओं को पीछे हटानेवाले इन राजा को देवदत्त रामकृष्ण भंडारकर ने बप्पा मानने का सुझाव दिया है। कुछ समय तक चित्तौड़ प्रतिहारों के अधिकार में रहा और गुहिल उनके अधीन रहे। भर्तृ पट्ट द्वितीय के समय गुहिल फिर सशक्त हुए और उनके पुत्र अल्लट (विक्रम संवत् १०२४) ने राजा देवपाल को हराया जो डा.

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विजय स्तम्भ

मोटे अक्षरचित्तौड़गढ़ का विजय स्तम्भ विजय स्तम्भ भारत के राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित एक स्तम्भ या टॉवर है। इसे मेवाड़ नरेश राणा कुम्भा ने महमूद खिलजी के नेतृत्व वाली मालवा और गुजरात की सेनाओं पर विजय के स्मारक के रूप में सन् १४४२ और १४४९ के मध्य बनवाया था। यह राजस्थान पुलिस ओर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का प्रतीक चिन्ह है। इसे भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश और हिन्दू देवी देवताओं का अजायबघर कहते हैं। वास्तुकार:- जैता व उसके पुत्र नापा,पुंजा । .

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