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आस्तिक (ऋषि)

सूची आस्तिक (ऋषि)

तक्षक को यज्ञाग्नि में गिरने से रोअकते हुए '''आस्तिक ऋषि''' आस्तिक नाग लोक के महाबली थे। वे पिता जरत्कारू और माता मानसा के पुत्र थे। उनके मामा वासुकी जी थे। जनमेजय के सर्प यज्ञ के समय जब आस्तिक मुनि को नाग यज्ञ के बारे में पता चला तो वे यज्ञ स्थल पर आए और यज्ञ की स्तुति करने लगे। यह देखकर जनमेजय ने उन्हें वरदान देने के लिए बुलाया। तब आस्तिक मुनि राजा जनमेजय से सर्प यज्ञ बंद करने का निवेदन किया। पहले तो जनमेजय ने अस्वीकार किया लेकिन बाद में ऋषियों द्वारा समझाने पर वे मान गए। इस प्रकार आस्तिक मुनि ने धर्मात्मा सर्पों को भस्म होने से बचा लिया। धर्म ग्रंथों के अनुसार, सर्प भय के समय जो भी व्यक्ति आस्तिक मुनि का नाम लेता है, सांप उसे नहीं काटते। आस्तिक महाराजा तक्षक का सम्मान करता और उनका पूरा काम करता। उनके कहने पे वो कुछ भी कर सकता था। आस्तिक की दो सादी की पहली तो वो रजा तक्षक की पुत्री मोहिनी और पृथ्वी लोक की मनुष्य जाति कि प्रणाली से सादी की, उसको दो पुत्र हुए पहली मोहनी से संखचुर्ण और दूसरा प्रणाली से अर्जुन। आस्तिक काफी शक्तिसाली नाग था और उसने हजारों वर्षों तक तक्षक व नागलोक की सेवा की। श्रेणी:ऋषि मुनि.

7 संबंधों: तंत्र (सिस्टम), तक्षक, मोहिनी अवतार, यज्ञ, जनमेजय, वासुकी, अर्जुन

तंत्र (सिस्टम)

यह लेख विज्ञान एवं तकनीकी में प्रयुक्त तंत्र या सिस्टम के सम्बन्ध में है। अध्यात्म से संबन्धित तन्त्र अन्यत्र दिया गया है। ---- बन्द संकाय का योजनात्मक प्रदर्शन परस्पर आश्रित या आपस में संक्रिया करने वाली चीजों का समूह, जो मिलकर सम्पूर्ण बनती हैं, निकाय, तंत्र, प्रणाली या सिस्टम (System) कहलातीं हैं। .

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तक्षक

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, तक्षक पाताल के आठ नागों में से एक नाग जो कश्यप का पुत्र था और कद्रु के गर्भ से उत्पन्न हुआ था श्रृंगी ऋषि का शाप पूरा करने के लिये राजा परीक्षित को इसी ने काटा था। इसी कारण राजा जनमेजय इससे बहुत बिगड़े और उन्होंने संसार भर के साँपों का नाश करने के लिये सर्पयज्ञ आरंभ किया। तक्षक इससे डरकर इंद्र की शरण में चला गया। इसपर जनमेजय ने अपने ऋषियों को आज्ञा दी कि इंद्र यदि तक्षक को न छोड़े, तो उसे भी तक्षक के साथ खींच मँगाओ और भस्म कर दो। ऋत्विकों के मंत्र पढ़ने पर तक्षक साथ इंद्र भी खिंचने लगे। तब इंद्र ने डरकर तक्षक को छोड़ दिया। जब तक्षक खिंचकर अग्निकुंड के समीप पहुँचा, तब आस्तीक ने आकर जनमेजय से प्रार्थना की और तक्षक के प्राण बच गए। कुछ विद्धानों का विश्वास है कि प्राचीन काल में भारत में तक्षक नाम की एक जाति ही निवास करती थी। नाग जाति के लोग अपने आपको तक्षक की संतान ही बतलाते हैं। प्राचीन काल में ये लोग सर्प का पूजन करते थे। कुछ पाश्चात्य विद्वानों का मत है कि प्राचीन काल में कुछ विशिष्ट अनायों को हिंदू लोग तक्षक या नाग कहा करते थे। और ये लोग संभवतः शक थे। तिब्बत, मंगोलिया ओरचीन के निवासी अबतक अपने आपको तक्षक या नाग के वंशधर बतलाते हैं। महाभारत के युद्ध के उपरांत धीरे धीरे तक्षकों का अधिकार बढ़ने लगा और उत्तरपश्चिम भारत में तक्षक लोगों का बहुत दिनों तक, यहाँ तक कि सिकंदर के भारत आने के समय तक राज्य रहा। इनका जातीय चिह्न सर्प था। ऊपर परीक्षित और जनमेजय की जो कथा दी गई है, उसके संबंध में कुछ पाश्चात्य विद्वानों का गत है कि तक्षकों के साथ एक बार पांडवों का बड़ा भारी युद्ध हुआ था जिसमें तक्षकों की जीत हुई थी ओर राजा परीक्षित मारे गए थे, और अंत से जनमेजय ने फिर तक्षशिला में युद्ध करके तक्षकों का नाश किया था और यही घटना जनमेजय के सर्पयज्ञ के नाम से प्रसिद्ध हुई है। तक्षक नाग की खशियत तक्षक नाग का जन्म जो की देखने में किसी फूलो की पंखुडियो के तरह दीखता है, और काफी आकरशक भी होता है। यह सांप हवा में १५० किलो मीटर प्रति घंटे के रफ़्तार से उड़ता है, यह सांप में काफी खशियत होता भी होता है, सांपो के महान जानकार लुइ मिकाल की बात माने तो इस सांप का जन्म सिर्फ भारत देशो में ही होता है और यह सांप १२० सांपो से सम्भोग से जन्म लेता है, इसी वजह से इसमें बहुत सारी खाशियत भी होती है, और इस सांप का जन्म प्रत्येक १० - १० सालों में एक बार होता है, और इस सांप का जन्म दाता दो मुह वाला मादा सांप होती है, जिसे रेड सैंड बोआ के नाम से जाना जाता है, इसे धन की देवी लक्ष्मी से भी जोड़ कर देख जाता है, यह सांप को छु लेने से मात्र लोग बहुत सारे बीमारियों से मुक्त हो जाते है। लुइ मिकाल के इस बात को नासा, एवं ब्रिटेन, भारत के कई बड़े जूलॉजिकल विभाग के बड़े - बड़े वैज्ञानिको ने माना है। इस सांप का वजन ५०० ग्राम के ही आस - पास होता है, इस सांप में एक खाश तरह का इरीडियम नामक केमिकल पाया जाता है, जिससे की इसको अन्तरराष्ट्रीय बाजार में १० - १५ करोड़ में ख़रीदा भी जाता है, इस सांप का काला बाजारी ज्यादा इस लिए नहीं हो पता है, की इसकी संख्या अब धरती पर से विलुप्त हो चूका है, लेकिन भारत में यह कहीं कहीं सपेरो के पास देखने को मिल जाया करता है। भारतीय तांत्रिक यह मानते हैं की इस सांप से TT करके सोने और पैसे की बरसात होती है, जो की आमिर बन्ने का साधन भी होता है। भारत के बड़े - बड़े उद्योगपतियों का मन्ना है की इस सांप को पालने से धन का वर्षा भी होता है, और भारत के कई उद्योगपतियों ने जैसे की अम्बानी, मित्तल और बिरला जैसे लोगो ने इस सांप को अपने ऑफिस के चेंबर में पाला हुआ है, जो की साल २०१४ के डिअर डोमेस्टिक एनिमल्स में छपा भी था। इसी वजह से दो मुह बाले सांप को भी ख़रीदा जाता है, जिससे की तक्षक नाग जन्म लेता है, और इसके इरीडियम को कंपनिया अरबो रुपियो का बिज़नस भी कर लेती है, इस तक्षक नाग में पाए जाने बाले यह इरीडियम 100, 000 रूपया प्रति ग्राम के दर से बेचा जाता है, इस 1 ग्राम इरीडियम से कंपनिया ३०० - ४०० ग्राम इरीडियम बनाती है, जिसे की बाजार में 20 - ३० हजार रूपया प्रति ग्राम के दर से बेचा भी जाता है। .

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मोहिनी अवतार

मोहिनी हिन्दू भगवान विष्णु का एकमात्र स्त्री रूप अवतार है। इसमें उन्हें ऐसे स्त्री रूप में दिखाया गया है जो सभी को मोहित कर ले। उसके प्रेम में वशीभूत होकर कोई भी सब भूल जाता है, चाहे वह भगवान शिव ही क्यों न हों। इस अवतार का उल्लेख महाभारत में भी आता है। समुद्र मंथन के समय जब देवताओं व असुरों को सागर से अमृत मिल चुका था, तब देवताओं को यह डर था कि असुर कहीं अमृत पीकर अमर न हो जायें। तब वे भगवान विष्णु के पास गये व प्रार्थना की कि ऐसा होने से रोकें। तब भगवान विष्णु ने मोहिणि अवतार लेकर अमृत देवताओं को पिलाया व असुरों को मोहित कर अमर होने से रोका। कई विभिन्न कथाओं के अनुसार मोहिनी रूप के विवाह का प्रसंग भी आया है, जिसमें शिव से विवाह व विहार का विशेष विवरण आता है। इसके अलावा भस्मासुर प्रसंग भी प्रसिद्ध है। .

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यज्ञ

यज्ञ, योग की विधि है जो परमात्मा द्वारा ही हृदय में सम्पन्न होती है। जीव के अपने सत्य परिचय जो परमात्मा का अभिन्न ज्ञान और अनुभव है, यज्ञ की पूर्णता है। यह शुद्ध होने की क्रिया है। इसका संबंध अग्नि से प्रतीक रूप में किया जाता है। यज्ञ का अर्थ जबकि योग है किन्तु इसकी शिक्षा व्यवस्था में अग्नि और घी के प्रतीकात्मक प्रयोग में पारंपरिक रूचि का कारण अग्नि के भोजन बनाने में, या आयुर्वेद और औषधीय विज्ञान द्वारा वायु शोधन इस अग्नि से होने वाले धुओं के गुण को यज्ञ समझ इस 'यज्ञ' शब्द के प्रचार प्रसार में बहुत सहायक रहे। अधियज्ञोअहमेवात्र देहे देहभृताम वर ॥ 4/8 भगवत गीता शरीर या देह के दासत्व को छोड़ देने का वरण या निश्चय करने वालों में, यज्ञ अर्थात जीव और आत्मा के योग की क्रिया या जीव का आत्मा में विलय, मुझ परमात्मा का कार्य है। अनाश्रित: कर्म फलम कार्यम कर्म करोति य: स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रिय: ॥ 1/6 भगवत गीता .

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जनमेजय

जनमेजय महाभारत के अनुसार कुरुवंश का राजा था। महाभारत युद्ध में अर्जुनपुत्र अभिमन्यु जिस समय मारा गया, उसकी पत्नी उत्तरा गर्भवती थी। उसके गर्भ से राजा परीक्षित का जन्म हुआ जो महाभारत युद्ध के बाद हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठा। जनमेजय इसी परीक्षित तथा मद्रावती का पुत्र था। महाभारत के अनुसार (१.९५.८५) मद्रावती उनकी जननी थीं, किन्तु भगवत् पुराण के अनुसार (१.१६.२), उनकी माता ईरावती थीं, जो कि उत्तर की पुत्री थीं। .

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वासुकी

समुद्रमन्थन के लिये '''वासुकी''' ने रस्सी का काम किया। वासुकी प्रसिद्ध नागराज जिसकी उत्पत्ति प्रजापति कश्यप के औरस और रुद्रु के गर्भ से हुई थी। इसकी पत्नी शतशीर्षा थी। नागधन्वातीर्थ में देवताओं ने इसे नागराज के पद पर अभिषिक्त किया था। शिव का परम भक्त होने के कारण यह उनके शरीर पर निवास था। जब उसे ज्ञात हुआ कि नागकुल का नाश होनेवाला है और उसकी रक्षा इसके भगिनीपुत्र द्वारा ही होगी तब इसने अपनी बहन जरत्कारु को ब्याह दी। जरत्कारु के पुत्र आस्तीक ने जनमेजय के नागयज्ञ के समय सर्पों की रक्षा की, नहीं तो सर्पवंश उसी समय नष्ट हो गया होता। समुद्रमंथन के समय वासुकी ने पर्वत का बाँधने के लिए रस्सी का काम किया था। त्रिपुरदाह के समय वह शिव के धनुष की डोर बना था। श्रेणी:पौराणिक पात्र श्रेणी:हिन्दू धर्म.

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अर्जुन

शिव अर्जुन को अस्त्र देते हुए। महाभारत के मुख्य पात्र हैं। महाराज पाण्डु एवं रानी कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे। द्रौपदी, कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा, नाग कन्या उलूपी और मणिपुर नरेश की पुत्री चित्रांगदा इनकी पत्नियाँ थीं। इनके भाई क्रमशः युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव। .

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