तक्षक
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, तक्षक पाताल के आठ नागों में से एक नाग जो कश्यप का पुत्र था और कद्रु के गर्भ से उत्पन्न हुआ था श्रृंगी ऋषि का शाप पूरा करने के लिये राजा परीक्षित को इसी ने काटा था। इसी कारण राजा जनमेजय इससे बहुत बिगड़े और उन्होंने संसार भर के साँपों का नाश करने के लिये सर्पयज्ञ आरंभ किया। तक्षक इससे डरकर इंद्र की शरण में चला गया। इसपर जनमेजय ने अपने ऋषियों को आज्ञा दी कि इंद्र यदि तक्षक को न छोड़े, तो उसे भी तक्षक के साथ खींच मँगाओ और भस्म कर दो। ऋत्विकों के मंत्र पढ़ने पर तक्षक साथ इंद्र भी खिंचने लगे। तब इंद्र ने डरकर तक्षक को छोड़ दिया। जब तक्षक खिंचकर अग्निकुंड के समीप पहुँचा, तब आस्तीक ने आकर जनमेजय से प्रार्थना की और तक्षक के प्राण बच गए। कुछ विद्धानों का विश्वास है कि प्राचीन काल में भारत में तक्षक नाम की एक जाति ही निवास करती थी। नाग जाति के लोग अपने आपको तक्षक की संतान ही बतलाते हैं। प्राचीन काल में ये लोग सर्प का पूजन करते थे। कुछ पाश्चात्य विद्वानों का मत है कि प्राचीन काल में कुछ विशिष्ट अनायों को हिंदू लोग तक्षक या नाग कहा करते थे। और ये लोग संभवतः शक थे। तिब्बत, मंगोलिया ओरचीन के निवासी अबतक अपने आपको तक्षक या नाग के वंशधर बतलाते हैं। महाभारत के युद्ध के उपरांत धीरे धीरे तक्षकों का अधिकार बढ़ने लगा और उत्तरपश्चिम भारत में तक्षक लोगों का बहुत दिनों तक, यहाँ तक कि सिकंदर के भारत आने के समय तक राज्य रहा। इनका जातीय चिह्न सर्प था। ऊपर परीक्षित और जनमेजय की जो कथा दी गई है, उसके संबंध में कुछ पाश्चात्य विद्वानों का गत है कि तक्षकों के साथ एक बार पांडवों का बड़ा भारी युद्ध हुआ था जिसमें तक्षकों की जीत हुई थी ओर राजा परीक्षित मारे गए थे, और अंत से जनमेजय ने फिर तक्षशिला में युद्ध करके तक्षकों का नाश किया था और यही घटना जनमेजय के सर्पयज्ञ के नाम से प्रसिद्ध हुई है। तक्षक नाग की खशियत तक्षक नाग का जन्म जो की देखने में किसी फूलो की पंखुडियो के तरह दीखता है, और काफी आकरशक भी होता है। यह सांप हवा में १५० किलो मीटर प्रति घंटे के रफ़्तार से उड़ता है, यह सांप में काफी खशियत होता भी होता है, सांपो के महान जानकार लुइ मिकाल की बात माने तो इस सांप का जन्म सिर्फ भारत देशो में ही होता है और यह सांप १२० सांपो से सम्भोग से जन्म लेता है, इसी वजह से इसमें बहुत सारी खाशियत भी होती है, और इस सांप का जन्म प्रत्येक १० - १० सालों में एक बार होता है, और इस सांप का जन्म दाता दो मुह वाला मादा सांप होती है, जिसे रेड सैंड बोआ के नाम से जाना जाता है, इसे धन की देवी लक्ष्मी से भी जोड़ कर देख जाता है, यह सांप को छु लेने से मात्र लोग बहुत सारे बीमारियों से मुक्त हो जाते है। लुइ मिकाल के इस बात को नासा, एवं ब्रिटेन, भारत के कई बड़े जूलॉजिकल विभाग के बड़े - बड़े वैज्ञानिको ने माना है। इस सांप का वजन ५०० ग्राम के ही आस - पास होता है, इस सांप में एक खाश तरह का इरीडियम नामक केमिकल पाया जाता है, जिससे की इसको अन्तरराष्ट्रीय बाजार में १० - १५ करोड़ में ख़रीदा भी जाता है, इस सांप का काला बाजारी ज्यादा इस लिए नहीं हो पता है, की इसकी संख्या अब धरती पर से विलुप्त हो चूका है, लेकिन भारत में यह कहीं कहीं सपेरो के पास देखने को मिल जाया करता है। भारतीय तांत्रिक यह मानते हैं की इस सांप से TT करके सोने और पैसे की बरसात होती है, जो की आमिर बन्ने का साधन भी होता है। भारत के बड़े - बड़े उद्योगपतियों का मन्ना है की इस सांप को पालने से धन का वर्षा भी होता है, और भारत के कई उद्योगपतियों ने जैसे की अम्बानी, मित्तल और बिरला जैसे लोगो ने इस सांप को अपने ऑफिस के चेंबर में पाला हुआ है, जो की साल २०१४ के डिअर डोमेस्टिक एनिमल्स में छपा भी था। इसी वजह से दो मुह बाले सांप को भी ख़रीदा जाता है, जिससे की तक्षक नाग जन्म लेता है, और इसके इरीडियम को कंपनिया अरबो रुपियो का बिज़नस भी कर लेती है, इस तक्षक नाग में पाए जाने बाले यह इरीडियम 100, 000 रूपया प्रति ग्राम के दर से बेचा जाता है, इस 1 ग्राम इरीडियम से कंपनिया ३०० - ४०० ग्राम इरीडियम बनाती है, जिसे की बाजार में 20 - ३० हजार रूपया प्रति ग्राम के दर से बेचा भी जाता है। .
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जरत्कारु
जरत्कारु, एक पौराणिक सर्प, सर्पराज वासुकि के बहनोई। इनकी स्त्री का नाम भी जरत्कारु ही था। एक बार ये सांयकाल को सो रहे थे और जरत्कारु ने इन्हें जगा दिया। इसपर रुष्ट होकर उसे छोड़ वे चले गए। वह उस समय गर्भवती थी। उसी गर्भ से आस्तिक नामक सर्प पैदा हुआ जिसने पौराणिक परंपरा के अनुसार जनमेजय के सर्पयज्ञ के समय सपरिवार वासुकि की रक्षा की थी। श्रेणी:पौराणिक पात्र.
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