लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

आईआरएनएसएस-१सी

सूची आईआरएनएसएस-१सी

आईआरएनएसएस-1सी एक भारतीय कृत्रिम उपग्रह है जो कि भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (Indian Regional Navigational Satellite System) अथवा इंडियन रीजनल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-आईआरएनएसएस के लिए छोड़े जाने वाले उपग्रहों की श्रंखला में तीसरा है। 1,425 किग्रा वजन वाले इस उपग्रह का सफल प्रक्षेपण 16 अक्टूबर 2014 की सुबह 1 बजकर 32 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केन्‍द्र, श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी सी26 रॉकेट के द्वारा किया गया। आईआरएनएसएस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित, एक क्षेत्रीय स्वायत्त उपग्रह नौवहन प्रणाली है जो पूर्णतया भारत सरकार के अधीन होगी। इसका उद्देश्य देश तथा देश की सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी तक के हिस्से में इसके उपयोगकर्ता को सटीक स्थिति की सूचना देना है। .

6 संबंधों: भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, आईआरएनएसएस-1एच, आईआरएनएसएस-1एफ़, आईआरएनएसएस-1डी, आईआरएनएसएस-1जी

भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली

भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (Indian Regional Navigational Satellite System) अथवा इंडियन रीजनल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-आईआरएनएसएस भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित, एक क्षेत्रीय स्वायत्त उपग्रह नौवहन प्रणाली है जो पूर्णतया भारत सरकार के अधीन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम भारत के मछुवारों को समर्पित करते हुए नाविक रखा है। इसका उद्देश्य देश तथा देश की सीमा से 1500 किलोमीटर की दूरी तक के हिस्से में इसके उपयोगकर्ता को सटीक स्थिति की सूचना देना है। सात उपग्रहों वाली इस प्रणाली में चार उपग्रह ही निर्गत कार्य करने में सक्षम हैं लेकिन तीन अन्य उपग्रह इसकी द्वारा जुटाई गई जानकारियों को और सटीक बनायेगें। हर उपग्रह की कीमत करीब 150 करोड़ रुपए के करीब है। वहीं पीएसएलवी-एक्सएल प्रक्षेपण यान की लागत 130 करोड़ रुपए है। .

नई!!: आईआरएनएसएस-१सी और भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली · और देखें »

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, (संक्षेप में- इसरो) (Indian Space Research Organisation, ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में है। संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है। 1969 में स्थापित, इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से 1962 में स्थापित किया गया। भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, जो 19 अप्रैल 1975 सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया था यह गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था बनाया।इसने 5 दिन बाद काम करना बंद कर दिया था। लेकिन ये अपने आप में भारत के लिये एक बड़ी उपलब्धि थी। 7 जून 1979 को भारत ने दूसरा उपग्रह भास्कर 445 किलो का था, पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। 1980 में रोहिणी उपग्रह पहला भारतीय-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 बन गया जिस्से कक्षा में स्थापित किया गया। इसरो ने बाद में दो अन्य रॉकेट विकसित किये। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान उपग्रहों शुरू करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी),भूस्थिर कक्षा में उपग्रहों को रखने के लिए ध्रुवीय कक्षाओं और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान। ये रॉकेट कई संचार उपग्रहों और पृथ्वी अवलोकन गगन और आईआरएनएसएस तरह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम तैनात किया उपग्रह का शुभारंभ किया।जनवरी 2014 में इसरो सफलतापूर्वक जीसैट -14 का एक जीएसएलवी-डी 5 प्रक्षेपण में एक स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया। इसरो के वर्तमान निदेशक ए एस किरण कुमार हैं। आज भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा है। इसरो एक चंद्रमा की परिक्रमा, चंद्रयान -1 भेजा, 22 अक्टूबर 2008 और एक मंगल ग्रह की परिक्रमा, मंगलयान (मंगल आर्बिटर मिशन) है, जो सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश पर 24 सितंबर 2014 को भारत ने अपने पहले ही प्रयास में सफल होने के लिए पहला राष्ट्र बना। दुनिया के साथ ही एशिया में पहली बार अंतरिक्ष एजेंसी में एजेंसी को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने के लिए इसरो चौथे स्थान पर रहा। भविष्य की योजनाओं मे शामिल जीएसएलवी एमके III के विकास (भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए) ULV, एक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान, मानव अंतरिक्ष, आगे चंद्र अन्वेषण, ग्रहों के बीच जांच, एक सौर मिशन अंतरिक्ष यान के विकास आदि। इसरो को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल 2014 के इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद इसने 29 सितंबर 2015 को एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित किया। जून 2016 तक इसरो लगभग 20 अलग-अलग देशों के 57 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है, और इसके द्वारा उसने अब तक 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।http://khabar.ndtv.com/news/file-facts/in-record-launch-isro-flies-20-satellites-into-space-10-facts-1421899?pfrom.

नई!!: आईआरएनएसएस-१सी और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन · और देखें »

आईआरएनएसएस-1एच

आईआरएनएसएस-1एच,1ए, 1बी, 1सी, 1डी,1ई, 1एफ़ व 1जी के बाद आठवां भारतीय नौवहन (नेविगेशन) उपग्रह है। यह उपग्रह आईआरएनएसएस सीरीज़ का उपग्रह है, जो भारतीय क्षेत्र में नेविगेशन सेवायें प्रदान करने के लिए छोड़ा गया था। वजन के कारण सैटलाइट की रफ्तार में एक किलोमीटर/ सेकंड की कमी आ गई जिस कारण यह विफल रहा। इसरो सैटलाइट सेंटर के पूर्व डायरेक्टर एसके शिवकुमार ने बताया कि लॉन्च वीइकल अपने डिजाइन के अनुसार एक टन ज्यादा वजन लेकर जा रहा था जिसके कारण हीट शील्ड इससे अलग नहीं हो पाया। इस कारण रॉकेट की गति भी प्रभावित हुई। .

नई!!: आईआरएनएसएस-१सी और आईआरएनएसएस-1एच · और देखें »

आईआरएनएसएस-1एफ़

आईआरएनएसएस-1एफ़ भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) के सात उपग्रहों की श्रृंखला में छठा उपग्रह है। इससे पहले आईआरएनएसएस-1ए, आईआरएनएसएस-1बी, आईआरएनएसएस-1सी, आईआरएनएसएस-१डी और आईआरएनएसएस-1ई अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किये जा चुके हैं। यह उपग्रह भारतीय क्षेत्र के लिए नौवहन (नेविगेशन) सेवाएं प्रदान करने के लिए सात उपग्रहों के नक्षत्र का हिस्सा है। यह उपग्रह भू-समकालिक कक्षा में स्थापित किया गया है। इसे पीएसएलवी-एक्सएल सी32 से 10 मार्च 2016 को 16:01 आईएसटी पर छोड़ा गया। इस उपग्रह में दो तरह के पेलोड हैं। नौवहन पेलोड उपयोगकर्ताओं को दिशा सूचक नौवहन संकेत भेजेगा और रेंजिंग पेलोड में सी-बैंड ट्रांसपोंडर है जो उपग्रह के कार्यक्षेत्र का सटीक निर्धारण करने में सहायक है। इसका जीवनकाल 12 साल है। .

नई!!: आईआरएनएसएस-१सी और आईआरएनएसएस-1एफ़ · और देखें »

आईआरएनएसएस-1डी

आईआरएनएसएस-१डी (IRNSS-1D) भारत का एक नौवहन उपग्रह है। यह उपग्रह २८ मार्च २०१५ को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया गया था।यह भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) शृंखला के अन्तर्गत छोड़े जाने वाले ७ उपग्रहों में से चौथा है। इसके पहले आईआरएनएसएस-1ए, आईआरएनएसएस-1बी और आईआरएनएसएस-1सी पहले ही छोड़े जा चुके हैं। .

नई!!: आईआरएनएसएस-१सी और आईआरएनएसएस-1डी · और देखें »

आईआरएनएसएस-1जी

आईआरएनएसएस-1जी 1ए, 1बी, 1सी, 1डी,1ई, व 1एफ़ के बाद सातवाँ भारतीय नौवहन (नेविगेशन) उपग्रह है। यह उपग्रह आईआरएनएसएस सीरीज़ का सातवाँ और आखरी उपग्रह था परन्तु 1ए उपग्रह की परमाणु घड़ी ख़राब होने के बाद आईआरएनएसएस-1एच को आठवे उपग्रह के तौर पर लॉन्च किया गया। यह उपग्रह भारतीय क्षेत्र में नेविगेशन सेवायें प्रदान करेगा। .

नई!!: आईआरएनएसएस-१सी और आईआरएनएसएस-1जी · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

आईआरएनएसएस-1सी

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »