3 संबंधों: नैनोप्रौद्योगिकी, परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र, सूक्ष्मदर्शी।
नैनोप्रौद्योगिकी
नैनोतकनीक या नैनोप्रौद्योगिकी, व्यावहारिक विज्ञान के क्षेत्र में, १ से १०० नैनो (अर्थात 10−9 m) स्केल में प्रयुक्त और अध्ययन की जाने वाली सभी तकनीकों और सम्बन्धित विज्ञान का समूह है। नैनोतकनीक में इस सीमा के अन्दर जालसाजी के लिये विस्तृत रूप में अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों, जैसे व्यावहारिक भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, अर्धचालक भौतिकी, विशाल अणुकणिका रसायन शास्त्र (जो रासायन शास्त्र के क्षेत्र में अणुओं के गैर कोवलेन्त प्रभाव पर केन्द्रित है), स्वयमानुलिपिक मशीनएं और रोबोटिक्स, रसायनिक अभियांत्रिकी, याँत्रिक अभियाँत्रिकी और वैद्युत अभियाँत्रिकी.
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परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र
स्थलाकृतिक प्रतिबिंब परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र (atomic force microscope, AFM), जिसे क्रमवीक्षण बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र (scanning force microscope, SFM) भी कहा जाता है, एक अति-विभेदनशील यंत्र है, जो नैनोमीटर के अंशों से भी सूक्ष्म स्तर तक दिखा सकता है, जो कि प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शीओं की तुलना में १००० गुना बेहतर हैं। प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी उनकी विवर्तन सीमा से सीमित हो जाते हैं। इन्हे अगुआ किया गर्ड बिन्निग और हैन्रिक रोह्रर के बनाये अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र (STM) नें, जिसके लिये उन्हे १९८६ में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बिन्निग, कैल्विन केट और क्रिस्टॉफ गर्बर नें १९८६ में पहले AFM का विकास किया। आज नैनो स्तर पर प्रतिबिंबन, मापन और दक्षप्रयोग में यह यंत्र महत्वपूर्ण भुमिका निभा रहा है। इस यंत्र को सूक्ष्मदर्शी कहना ठीक नहीं है, क्योंकि यह यंत्र एक यांत्रिक अन्वेषिका के प्रयोग से सतह को छूकर प्रतिबिंब बनाता है। पैजोविद्युत तत्वों के प्रयोग से बहुत ही सूक्ष्म स्तर पर नियंत्रण हो पाता है। .
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सूक्ष्मदर्शी
सूक्ष्मदर्शी या सूक्ष्मबीन (माइक्रोस्कोप) वह यंत्र है जिसकी सहायता से आँख से न दिखने योग्य सूक्ष्म वस्तुओं को भी देखा जा सकता है। सूक्ष्मदर्शी की सहायता से चीजों का अवलोकन व जांच किया जाता है वह सूक्ष्मदर्शन कहलाता है। सूक्ष्मदर्शी का इतिहास लगभग ४०० वर्ष पुराना है। सबसे पहले नीदरलैण्ड में सन १६०० के आस-पास किसी काम के योग्य सूक्ष्मदर्शी का विकास हुआ। .
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