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अति तरलता

सूची अति तरलता

हिलियम II सतह से 'रेंगते हुए' अपना 'स्तर' स्वयं ढूंढ़ लेती है। कुछ समय बाद देखेंगे कि चित्र में दिखाये गये दोनों पात्रों में द्रव हिलियम का स्तर एकसमान हो जायेगा। अति तरलता (Superfluidity) पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें पदार्थ ऐसा व्यवहार करता है जैसे वह शून्य श्यानता का द्रव हो। मूलतः यह गुण द्रव हिलियम में पाया गया था किन्तु अति-तरलता का गुण खगोलभौतिकी, उच्च ऊर्जा भौतिकी, तथा क्वाण्टम गुरुत्व के सिद्धान्तों में भी में भी देखने को मिलता है। यह परिघटना बोस-आइंस्टाइन संघनन से सम्बन्धित है। किन्तु सभी बोस-आइंस्टाइन द्राव (condensates) अति तरल नहीं कहे जा सकते हैं और सभी अति तरल बोस-आइंस्टाइन द्राव नहीं होते। श्रेणी:द्रव गतिकी श्रेणी:पदार्थ प्रावस्थाएँ श्रेणी:उदीयमान प्रौद्योगिकी.

4 संबंधों: बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी, भौतिक विज्ञानी, भौतिकी के मूलभूत सिद्धान्तों के खोज का इतिहास, कण सांख्यिकी

बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी

बसु-आइंस्टीन वक्र (ऊपर वाला) तथा फर्मी-डिरैक वक्र (नीचे वाला) क्वांटम सांख्यिकी तथा सांख्यिकीय भौतिकी में अविलगनीय (indistinguishable) कणों का संचय केवल दो विविक्त ऊर्जा प्रावस्थाओं (discrete energy states) में रह रकता है। इसमें से एक का नाम बोस-आइन्स्टाइन सांख्यिकी (Bose–Einstein statistics) है। लेजर तथा घर्षणहीन अतितरल हिलियम के व्यवहार इसी सांख्यिकी के परिणाम हैं। इस व्यवहार का सिद्धान्त १९२४-२५ में सत्येन्द्र नाथ बसु और अल्बर्ट आइंस्टीन ने विकसित किया था। 'अविलगनीय कणों' से मतलब उन कणों से है जिनकी ऊर्जा अवस्थाएँ बिल्कुल समान हों। यह सांख्यिकी उन्ही कणों पर लागू होती है जो जो पाउली के अपवर्जन सिद्धांत के अनुसार नहीं चलते, अर्थात् अनेकों कण एक साथ एक ही 'क्वांटम स्टेट' में रह सकते हैं। ऐसे कणों का चक्रण (स्पिन) का मान पूर्णांक होता है तथा उन्हें बोसॉन (bosons) कहते हैं। यह सांख्यिकी १९२० में सत्येन्द्रनाथ बोस द्वारा प्रतिपादित की गयी थी और फोटानों के सांख्यिकीय व्यवहार को बताने के लिये थी। इसे सन् १९२४ में आइंस्टीन ने सामान्यीकृत किया जो कणों पर भी लागू होती है। .

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भौतिक विज्ञानी

अल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्होने सामान्य आपेक्षिकता का सिद्धान्त दिया भौतिक विज्ञानी अथवा भौतिक शास्त्री अथवा भौतिकीविद् वो वैज्ञानिक कहलाते हैं जो अपना शोध कार्य भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में करते हैं। उप-परवमाणविक कणों (कण भौतिकी) से लेकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तक सभी परिघटनाओं का अध्ययन करने वाले लोग इस श्रेणी में माने जाते हैं। .

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भौतिकी के मूलभूत सिद्धान्तों के खोज का इतिहास

प्रकाश वैद्युत प्रभाव, आइंस्टाइन ब्राउनी गति, आइंस्टाइन नाभिक की खोज अतिचालकता द्रव्य तरंगें (Matter waves) मंदाकिनी Galaxies फोटॉनों के कण-प्रकृति की पुष्टि न्यूट्रॉन की खोज तारों में ऊर्जा-उत्पादन की प्रक्रिया समझी गई म्यूआन न्यूट्रिनो पाया गया सौर न्यूट्रिनो प्रश्न (problem) मिला पल्सर (Pulsars या neutron stars) की खोज चार्म्ड क्वार्क (Charmed quark) का पता चला श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:इतिहास ru:Хронология открытий человечества.

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कण सांख्यिकी

सांख्यिकीय यांत्रिकी में कणों के विशिष्ट वर्णन को कण सांख्यिकी (Particle statistics) कहते हैं। भौतिकी में मुख्य रूप से तीन प्रकार की सांख्यिकी का उपयोग होता है। चिरसंमत सांख्यिकी (मैक्सबेल- बोल्ट्जमैन सांख्यिकी), बोस-आइंस्टाइन और फर्मी-डिरैक सांख्यिकी। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

अतितरलता

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