4 संबंधों: डायोराइट, मैग्मा, गैब्रो, आग्नेय शैल।
डायोराइट
डायोराइट एक मध्यवर्ती आग्नेय चट्टान है जो मुख्यतः प्लाजियोक्लेज फेल्सपर द्वारा निर्मित एक अंतर्भेदी चट्टान है। .
नई!!: अंतर्भेदी आग्नेय चट्टान और डायोराइट · और देखें »
मैग्मा
मैग्मा चट्टानों का पिघला हुआ रूप है जिसकी रचना ठोस, आधी पिघली अथवा पूरी तरह पिघली चट्टानों के द्वारा होती है और जो पृथ्वी के सतह के नीचे निर्मित होता है। मैग्मा के बाहर निकलने वाले रूप को लावा कहते हैं। मैग्मा के शीतलन द्वारा आग्नेय चट्टानों का निर्माण होता है। जब मैग्मा ज़मीनी सतह के ऊपर आकर लावा के रूप में ठंडा होकर जमता है तो बहिर्भेदी और जब सतह के नीचे ही जम जाता है तो अंतर्भेदी आग्नेय चट्टानों का निर्माण होता है। सामान्यतः ज्वालामुखी विस्फोट में मैग्मा का लावा के रूप में निकलना एक प्रमुख भूवैज्ञानिक क्रिया के रूप में चिह्नित किया जाता है। .
नई!!: अंतर्भेदी आग्नेय चट्टान और मैग्मा · और देखें »
गैब्रो
गैब्रो एक अंतर्भेदी आग्नेय चट्टान है जिसकी रासायनिक संगठन बेसाल्ट के समतुल्य होता है। यह एक रवेदार चट्टान है जो मैग्मा के ज़मीनी सतह के नीचे ही जम जाने से बनती है। .
नई!!: अंतर्भेदी आग्नेय चट्टान और गैब्रो · और देखें »
आग्नेय शैल
ग्रेनाइट (एक आग्नेय चट्टान) चेन्नई मे, भारत. आग्नेय चट्टान (जर्मन: Magmatisches Gestein) की रचना धरातल के नीचे स्थित तप्त एवं तरल चट्टानी पदार्थ, अर्थात् मैग्मा, के सतह के ऊपर आकार लावा प्रवाह के रूप में निकल कर अथवा ऊपर उठने के क्रम में बाहर निकल पाने से पहले ही, सतह के नीचे ही ठंढे होकर इन पिघले पदार्थों के ठोस रूप में जम जाने से होती है। अतः आग्नेय चट्टानें पिघले हुए चट्टानी पदार्थ के ठंढे होकर जम जाने से बनती हैं। ये रवेदार भी हो सकती है और बिना कणों या रवे के भी। ये चट्टानें पृथ्वी पर पायी जाने वाली अन्य दो प्रमुख चट्टानों, अवसादी और रूपांतरित के साथ मिलकर पृथ्वी पर पायी जाने वाली चट्टानों के तीन प्रमुख प्रकार बनाती हैं। पृथ्वी के धरातल की उत्पत्ति में सर्वप्रथम इनका निर्माण होने के कारण इन्हें 'प्राथमिक शैल' भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए भी कहा जाता है कि यही वे पहली चट्टानें हैं जो पिघले हुए चट्टानी पदार्थ से बनती हैंजबकि अवसादी या रूपांतरित चट्टानें इन आग्नेय चट्टानों के टूटने या ताप और दाब के प्रभाव आकार में बदलने से से बनती हैं। इनके दो मुख्य प्रकार हैं। ज्वालामुखी उदगार के समय भूगर्भ से निकालने वाला लावा जब धरातल पर जमकर ठंडा हो जाने के पश्चात आग्नेय चट्टानों में परिवर्तित हो जाता है तो इसे बहिर्भेदी या ज्वालामुखीय चट्टान कहा जाता है। इसके विपरीत जब ऊपर उठता हुआ मैग्मा धरातल की सतह पर आकर बाहर निकलने से पहले ही ज़मीन के अन्दर ही ठंडा होकर जम जाता है तो इस प्रकार अंतर्भेदी चट्टान कहते हैं। चूँकि, ज़मीनी सतह से नीचे बनने वाली आग्नेय चट्टानें धीरे-धीरे ठंडी होकर जमती है, ये रवेदार होती हैं, क्योंकि मैग्माई पदार्थ के अणुओं के एक दूसरे के साथ संयोजित होकर क्रिस्टल या रवे बनाने हेतु काफ़ी समय मिल जाता है। इसके ठीक उलट, जब मैग्मा लावा के रूप में ज्वालामुखी उदगार के समय बाहर निकल कर ठंढा होकर जमता है तो रवे बनने के लिये पर्याप्त समय नहीं मिलता और इस प्रकार बहिर्भेदी आग्नेय चट्टानें काँचीय या गैर-रवेदार (glassy) होती हैं। आग्नेय चट्टानों में परतों और जीवाश्मों का पूर्णतः अभाव पाया जाता है। अप्रवेश्यता अधिक होने के कारण इन पर रासायनिक अपक्षय का बहुत कम प्रभाव पड़ता है, लेकिन यांत्रिक एवं भौतिक अपक्षय के कारण इनका विघटन व वियोजन प्रारम्भ हो जाता है। ग्रेनाइट, बेसाल्ट, गैब्रो, ऑब्सीडियन, डायोराईट, डोलोराईट, एन्डेसाईट, पेरिड़ोटाईट, फेलसाईट, पिचस्टोन, प्युमाइस इत्यादि आग्नेय चट्टानों के प्रमुख उदाहरण है। .
नई!!: अंतर्भेदी आग्नेय चट्टान और आग्नेय शैल · और देखें »