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अंकन (लिपि)

सूची अंकन (लिपि)

२६शती ईसा पूर्व का सुमेरी अभिलेख अंकन लिपि, क्यूनिफार्म लिपि (Cuneiform script) या कीलाक्षर विश्व में लिखने की प्राचीनतम विधियों में से एक है। छठी-सातवीं सदी ई.पू.

8 संबंधों: प्राचीन इतिहास, सप्तक, सामी भाषाएँ, ईरानी भाषा परिवार, करमानशाह प्रांत, अम्मीसाडुका की शुक्र पटलिका, असूरी भाषा, अक्कादी भाषा

प्राचीन इतिहास

प्राचीन इतिहास अतीत की घटनाओं का समुच्चय है। इसकी शुरआत दर्ज किये गए मानव इतिहास से प्रारंभिक मध्य युग, यहाँ तक कि वैदिक युग तक विस्तृत है। इतिहास की अवधि 5000 साल है जिसकी शुरुआत सुमेरियन क्यूनीफ़ॉर्म लिपि, जो 30 वीं सदी की प्राचीनतम व सुसंगत लेखन पद्दति है, से होती है।, "History" .

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सप्तक

में संगीत, एक सप्तक (आठवें) या सही सप्तक है के अंतराल के बीच एक संगीत पिच और एक अन्य आधे के साथ या इसकी आवृत्तिहै । यह द्वारा परिभाषित किया गया है एएनएसआई की इकाई के रूप में आवृत्ति के स्तर जब लघुगणक का आधार दो है । सप्तक संबंध एक प्राकृतिक घटना है कि किया गया है के रूप में भेजा "साधारण चमत्कार के संगीत", का उपयोग है जो "आम में सबसे संगीत सिस्टम".

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सामी भाषाएँ

प्राचीन काल की सामी भाषाओँ का फैलाव सामी भाषाएँ या सॅमॅटिक भाषाएँ २७ करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओँ का एक भाषा परिवार है जो स्वयं सामी-हामी भाषा-परिवार की एक उपशाखा है। यह भाषाएँ मध्य पूर्व, उत्तर अफ़्रीका और अफ़्रीका के सींग के क्षेत्रों में बोली जाती हैं। सब से अधिक बोली जाने वाली सामी भाषा अरबी है, जिसे २० करोड़ से अधिक लोग अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। इसके आलावा अम्हारिक (२.७ करोड़), तिग्रिन्या (६७ लाख), इब्रानी (५० लाख) और आरामाईक (२२ लाख) कुछ अन्य प्रचलित सामी भाषाएँ हैं।, Anatole Lyovin, Oxford University Press US, 1997, ISBN 978-0-19-508116-9 सामी भाषाओं को इतिहास में बहुत ही जल्दी लिखित रूप में देखा गया था। सन् ३००० ईसापूर्व में सुमेर सभ्यता द्वारा विकसित अंकन लिपि (क्यूनीफ़ॉर्म) का प्रयोग एब्लाई और अक्कादी भाषाओँ के लिए आरम्भ हो गया जो सामी भाषाएँ थीं। सामी भाषाएँ अब इब्रानी, सीरियाई, अरबी और गेएज़ लिपि में लिखी जाती हैं। इनमें अक्सर स्वरों को प्रयोग नहीं किया जाता क्योंकि अधिकतर सामी भाषाओं में अर्थ व्यंजनों से ही आता है। हिन्द-यूरोपीय भाषाओँ (जैसे कि हिन्दी) और सामी भाषाओं में एक बड़ा अंतर यह है कि हिन्द-यूरोपीय भाषाओं में ज़्यादातर हर शब्द की एक जड़ होती है जिसके आगे-पीछे अक्षर जोड़कर उसका अर्थ परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए 'लिख' जड़ में अक्षर जोड़कर 'लिखाई', 'लिखो', 'लिखना', 'लिखा', इत्यादि बनते हैं। सामी भाषाओं में जड़े आम तौर पर तीन व्यंजनों का समूह होती हैं जिनके बीच में स्वर भरकर उनका अर्थ परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए अरबी में: किताब (पुस्तक), कुतुब (पुस्तकें), कातिब (लेखक), कुत्ताब (कई लेखक), कतबा (उसने लिखा), याकतुबू (वह लिखता है)। इसमें क-त-ब के व्यंजनों के बीच में स्वर बदलकर मतलब बदले जा रहें हैं।, Nizar Y. Habash, pp.

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ईरानी भाषा परिवार

ईरानी भाषाओँ का वृक्ष, जिसमें उसकी उपशाखाएँ दिखाई गई हैं आधुनिक ईरानी भाषाओँ का फैलाव ईरानी भाषाएँ हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की एक उपशाखा हैं। ध्यान रहे कि हिन्द-ईरानी भाषाएँ स्वयं हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की एक उपशाखा हैं। आधुनिक युग में विश्व में लगभग १५-२० करोड़ लोग किसी ईरानी भाषा को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं और ऍथ़नॉलॉग भाषाकोष में सन् २०११ तक ८७ ईरानी भाषाएँ दर्ज थीं।, Gernot Windfuhr, Routledge, 2009, ISBN 978-0-7007-1131-4, Raymond Gordon, Jr.

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करमानशाह प्रांत

करमानशाह (फ़ारसी:, ओस्तान-ए-करमानशाह; कुर्दी: Kirmaşan, किरमाशान) ईरान का एक प्रान्त है। १९६९ से १९८६ तक इसे 'करमानशाहान' और १९८६ से १९९५ तक इसे 'बख़्तारान' के नाम से जाना जाता था। .

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अम्मीसाडुका की शुक्र पटलिका

अम्मीसाडुका की शुक्र पटलिका (Venus tablet of Ammisaduqa) (एनिमा अनु एनलिल पटलिका 63), शुक्र के खगोलीय प्रेक्षण के अभिलेख को संदर्भित करता है जो प्रथम सहस्राब्दी ईसा पूर्व से अनगिनत अंकन चाक पटलिकाओं के रूप में संरक्षित हुई चली आ रही है। माना गया है कि यह खगोलीय अभिलेख पहली बार सम्राट अम्मीसाडुका के शासनकाल के दौरान संकलित किए गए जो हाम्मुरबी के बाद के चौथे शासक थे। इस प्रकार, इस पाठ के मूल शायद मध्य सत्रहवीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास के लिए दिनांकित होने चाहिए। अभिलेख ने शुक्र के उदय के समयों तथा सूर्योदय व सूर्यास्त (शुक्र की सूर्य संबंधी उदयता और अस्तता) से पहले या बाद क्षितिज पर अपनी पहली और आखिरी दृश्यता को चंद्र तिथियों के रूप में दर्ज किया। ये प्रेक्षण 21 साल की अवधि के लिए दर्ज किए गए है। .

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असूरी भाषा

असूरी भाषा (Assyrian), सामी परिवार की प्राचीन अक्कादी (Akkadian language) की एक शाखा है (जिसकी दूसरी शाखा बाबुली (Babylonian) है।)। अक्कादी का यह नाम उस अक्काद नगर से पड़ा जो ईसा पूर्व 24वीं सदी में प्रसिद्ध सम्राट् शर्रूकीन की राजधानी था। तभी अक्कादी को राजभाषा का पद मिला। कालांतर में अक्कादी, प्रदेश और काल के अनुसार, असूरी और बाबुली नामक जनबोलियों में विकसित होकर बँट गई। असूरी दजला नदी (इराक) की उपरली घाटी में और बाबुली दजला-फरात के सागरवर्ती दोआब में बोली जाती थी। काल क्रम से अक्कादी के तीन युग माने जाते हैं- 1.

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अक्कादी भाषा

अक्कादी भाषा (Akkadian या Accadian या Assyro-Babylonian) एक मृत सामी भाषा है। यह प्राचीन मेसोपोटामिया में बोली जाती थी। यह अंकन लिपि (cuneiform writing system) में लिखी जाती थी। अक्कादी का यह नाम उस अक्काद नगर से पड़ा जो ईसा पूर्व 24वीं सदी में प्रसिद्ध सम्राट् शर्रूकीन की राजधानी था। तभी अक्कादी को राजभाषा का पद मिला। कालांतर में अक्कादी, प्रदेश और काल के अनुसार, असूरी (Assyrian) और बाबुली (Babylonian) नामक जनबोलियों में विकसित होकर बँट गई। असूरी दजला नदी (इराक) की उपरली घाटी में और बाबुली दजला-फरात के सागरवर्ती दोआब में बोली जाती थी। काल क्रम से अक्कादी के तीन युग माने जाते हैं- 1. प्राचीन काल (लगभग 2000 ई.पू.-लगभग 1500 ई.पू.), 2. मध्यकाल (लगभग 1500 ई.पू.- लगभग 1000 ई.पू.) और 3. उत्तरकाल (लगभग 1000 ई.पू - लगभग 500 ई.पू.)। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

सुमेरियन क्यूनीफ़ॉर्म लिपि, क्यूनिफार्म लिपि, कीलाक्षर

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