नारायण पण्डित और नीतिकथा के बीच समानता
नारायण पण्डित और नीतिकथा आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पञ्चतन्त्र, हितोपदेश।
पञ्चतन्त्र
'''पंचतन्त्र''' का विश्व में प्रसार संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है। यद्यपि यह पुस्तक अपने मूल रूप में नहीं रह गयी है, फिर भी उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आस- पास निर्धारित की गई है। इस ग्रंथ के रचयिता पं॰ विष्णु शर्मा है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र लगभग ८० वर्ष थी। पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में बाँटा गया है.
नारायण पण्डित और पञ्चतन्त्र · नीतिकथा और पञ्चतन्त्र ·
हितोपदेश
हितोपदेश भारतीय जन-मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यन्त सरल व सुग्राह्य हैं। विभिन्न पशु-पक्षियों पर आधारित कहानियाँ इसकी खास विशेषता हैं। रचयिता ने इन पशु-पक्षियों के माध्यम से कथाशिल्प की रचना की है जिसकी समाप्ति किसी शिक्षापद बात से ही हुई है। पशुओं को नीति की बातें करते हुए दिखाया गया है। सभी कथाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई प्रतीत होती हैं। .
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नारायण पण्डित और नीतिकथा के बीच तुलना
नारायण पण्डित 3 संबंध है और नीतिकथा 34 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.41% है = 2 / (3 + 34)।
संदर्भ
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