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नारायण पण्डित और पञ्चतन्त्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

नारायण पण्डित और पञ्चतन्त्र के बीच अंतर

नारायण पण्डित vs. पञ्चतन्त्र

नारायण पण्डित प्रसिद्ध संस्कृत नीतिपुस्तक हितोपदेश के रचयिता थे। पुस्तक के अंतिम पद्यों के आधार पर इसके रचयिता का नाम नारायण ज्ञात होता है। नारायणेन प्रचरतु रचितः संग्रहोsयं कथानाम् पण्डित नारायण ने पंचतन्त्र तथा अन्य नीति के ग्रंथों की सहायता से हितोपदेश नामक इस ग्रंथ का सृजन किया। स्वयं पं॰ नारायण जी ने स्वीकार किया है-- पंचतन्त्रान्तथाडन्यस्माद् ग्रंथादाकृष्य लिख्यते। इसके आश्रयदाता का नाम धवलचंद्रजी है। धवलचंद्रजी बंगाल के माण्डलिक राजा थे तथा नारायण पण्डित राजा धवलचंद्रजी के राजकवि थे। मंगलाचरण तथा समाप्ति श्लोक से नारायण की शिव में विशेष आस्था प्रकट होती है। उनके समय के बारे में ठीक से ज्ञात नहीं है। कथाओं से प्राप्त साक्ष्यों के विश्लेषण के आधार पर डॉ॰ फ्लीट कर मानना है कि इसकी रचना काल ११ वीं शताब्दी के आस- पास होना चाहिये। हितोपदेश का नेपाली हस्तलेख १३७३ ई. का प्राप्त है। वाचस्पति गैरोलाजी ने इसका रचनाकाल १४ वीं शती के आसपास माना है। इन तथ्यों से नारायण पण्डित का काल ११वीं से १४वीं शताब्दी के आसपास का मालूम होता है। . '''पंचतन्त्र''' का विश्व में प्रसार संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है। यद्यपि यह पुस्तक अपने मूल रूप में नहीं रह गयी है, फिर भी उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आस- पास निर्धारित की गई है। इस ग्रंथ के रचयिता पं॰ विष्णु शर्मा है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र लगभग ८० वर्ष थी। पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में बाँटा गया है.

नारायण पण्डित और पञ्चतन्त्र के बीच समानता

नारायण पण्डित और पञ्चतन्त्र आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): संस्कृत भाषा, हितोपदेश

संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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हितोपदेश

हितोपदेश भारतीय जन-मानस तथा परिवेश से प्रभावित उपदेशात्मक कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यन्त सरल व सुग्राह्य हैं। विभिन्न पशु-पक्षियों पर आधारित कहानियाँ इसकी खास विशेषता हैं। रचयिता ने इन पशु-पक्षियों के माध्यम से कथाशिल्प की रचना की है जिसकी समाप्ति किसी शिक्षापद बात से ही हुई है। पशुओं को नीति की बातें करते हुए दिखाया गया है। सभी कथाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई प्रतीत होती हैं। .

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नारायण पण्डित और पञ्चतन्त्र के बीच तुलना

नारायण पण्डित 3 संबंध है और पञ्चतन्त्र 46 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 4.08% है = 2 / (3 + 46)।

संदर्भ

यह लेख नारायण पण्डित और पञ्चतन्त्र के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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