तर्कशास्त्र और २ का वर्गमूल
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तर्कशास्त्र और २ का वर्गमूल के बीच अंतर
तर्कशास्त्र vs. २ का वर्गमूल
तर्कशास्त्र शब्द अंग्रेजी 'लॉजिक' का अनुवाद है। प्राचीन भारतीय दर्शन में इस प्रकार के नामवाला कोई शास्त्र प्रसिद्ध नहीं है। भारतीय दर्शन में तर्कशास्त्र का जन्म स्वतंत्र शास्त्र के रूप में नहीं हुआ। अक्षपाद! गौतम या गौतम (३०० ई०) का न्यायसूत्र पहला ग्रंथ है, जिसमें तथाकथित तर्कशास्त्र की समस्याओं पर व्यवस्थित ढंग से विचार किया गया है। उक्त सूत्रों का एक बड़ा भाग इन समस्याओं पर विचार करता है, फिर भी उक्त ग्रंथ में यह विषय दर्शनपद्धति के अंग के रूप में निरूपित हुआ है। न्यायदर्शन में सोलह परीक्षणीय पदार्थों का उल्लेख है। इनमें सर्वप्रथम प्रमाण नाम का विषय या पदार्थ है। वस्तुतः भारतीय दर्शन में आज के तर्कशास्त्र का स्थानापन्न 'प्रमाणशास्त्र' कहा जा सकता है। किंतु प्रमाणशास्त्र की विषयवस्तु तर्कशास्त्र की अपेक्षा अधिक विस्तृत है। . 200px २ का वर्गमूल (√2) वह संख्या है जिसको स्वयं से गुणा करने पर २ प्राप्त होता है। यह एक अपरिमेय संख्या है। इसका मान लगभग 1.41421 होता है। यदि १ मीटर भुजा वाला एक वर्ग बनाया जाय तो उसके विकर्ण की लम्बाई (मीटर में) का मान २ के वर्गमूल के बराबर होगा। २ के वर्गमूल का दशमलव के ६५ स्थानों तक मान निम्नलिखित है- .
तर्कशास्त्र और २ का वर्गमूल के बीच समानता
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तर्कशास्त्र और २ का वर्गमूल के बीच तुलना
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संदर्भ
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