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जैन धर्म और भरत चक्रवर्ती

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जैन धर्म और भरत चक्रवर्ती के बीच अंतर

जैन धर्म vs. भरत चक्रवर्ती

जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। . भरत चक्रवर्ती, प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र थे। जैन और हिन्दू पुराणों के अनुसार वह चक्रवर्ती सम्राट थे और उन्ही के नाम पर भारत का नाम "भारतवर्ष" पड़ा। हिन्दू ग्रन्थ, स्कन्द पुराण (अध्याय ३७) के अनुसार: "ऋषभदेव नाभिराज के पुत्र थे, ऋषभ के पुत्र भरत थे, और इनके ही नाम पर इस देश का नाम "भारतवर्ष" पड़ा"| ऋषभो मरुदेव्याश्च ऋषभात भरतो भवेत् भरताद भारतं वर्षं, भरतात सुमतिस्त्वभूत् — विष्णु पुराण (2, 1, 31) ततश्च भारतं वर्षमेतल्लोकेषुगीयते भरताय यत: पित्रा दत्तं प्रतिष्ठिता वनम - विष्णु पुराण (2, 1, 32) .

जैन धर्म और भरत चक्रवर्ती के बीच समानता

जैन धर्म और भरत चक्रवर्ती आम में 7 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तीर्थंकर, नाभिराज, भारत, श्रवणबेलगोला, जैन मन्दिर, आदिपुराण, ऋषभदेव

तीर्थंकर

जैन धर्म में तीर्थंकर (अरिहंत, जिनेन्द्र) उन २४ व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है, जो स्वयं तप के माध्यम से आत्मज्ञान (केवल ज्ञान) प्राप्त करते है। जो संसार सागर से पार लगाने वाले तीर्थ की रचना करते है, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। तीर्थंकर वह व्यक्ति हैं जिन्होनें पूरी तरह से क्रोध, अभिमान, छल, इच्छा, आदि पर विजय प्राप्त की हो)। तीर्थंकर को इस नाम से कहा जाता है क्योंकि वे "तीर्थ" (पायाब), एक जैन समुदाय के संस्थापक हैं, जो "पायाब" के रूप में "मानव कष्ट की नदी" को पार कराता है। .

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नाभिराज

राजा नाभिराज इस काल के चौदहवें और आख़िरी कुलकर थे। इनकी ऊँचाई 525 धनुष (१५७५ मी०) थी। वे जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी के पिता थे। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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श्रवणबेलगोला

श्रवणवेलगोल (कन्नड: ಶ್ರವಣಬೆಳಗೊಳ) हासन जिला में स्थित एक शहर है। यह बंगलुरु से १५८ कि॰मी॰ दूर स्थित है। यह एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ है। कन्नड़ में 'वेल' का अर्थ होता है श्वेत, 'गोल' का अर्थ होता है सरोवर। शहर के मध्य में एक सुंदर श्वेत सरोवर के कारण यहां का नाम बेलगोला और फ़िर श्रवणबेलगोला पड़ा। यह स्थान विंध्यगिरि और चंद्रगिरि के मध्य स्थित है। विंध्यगिरि पर 7 तथा चंद्रगिरि पर 14 जैन मंदिर हैं। एक श्री बाहुबली स्वामी का मंदिर है। चित्र:Gomateswara.jpg|गोमतेश्वर की प्रतिमा ९७८-९९३ ई. File:Jain Inscription.jpg|अंतिम श्रुतकेवाली भद्रबाहु स्वामी और सम्राट चंद्रगुप्त का आगमन दर्शाता शिलालेख (श्रवणबेलगोला) चंद्रगुप्त के विस्तृत राज्य की जानकारी तो हमे तमिल ग्रंथ अहनानूर तथा मुरनानूर से भी प्राप्त होती है .

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जैन मन्दिर

रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान जैन मंदिर जैन धर्म के अनुयायीयों के लिए भगवान की पूजा और दर्शन का स्थान है । .

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आदिपुराण

आदिपुराण जैनधर्म का एक प्रख्यात पुराण है जो सातवीं शताब्दी में जिनसेन आचार्य द्वारा लिखा गया था। इसका कन्नड भाषा में अनुवाद, आदिवाकि पम्पा ने चम्पू शैली में किया था। इसमें जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ के दस जन्मों का वर्णन है। .

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ऋषभदेव

ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हैं। तीर्थंकर का अर्थ होता है जो तीर्थ की रचना करें। जो संसार सागर (जन्म मरण के चक्र) से मोक्ष तक के तीर्थ की रचना करें, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। ऋषभदेव जी को आदिनाथ भी कहा जाता है। भगवान ऋषभदेव वर्तमान अवसर्पिणी काल के प्रथम दिगम्बर जैन मुनि थे। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

जैन धर्म और भरत चक्रवर्ती के बीच तुलना

जैन धर्म 131 संबंध है और भरत चक्रवर्ती 11 है। वे आम 7 में है, समानता सूचकांक 4.93% है = 7 / (131 + 11)।

संदर्भ

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