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जैन धर्म और श्रवणबेलगोला

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

जैन धर्म और श्रवणबेलगोला के बीच अंतर

जैन धर्म vs. श्रवणबेलगोला

जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। . श्रवणवेलगोल (कन्नड: ಶ್ರವಣಬೆಳಗೊಳ) हासन जिला में स्थित एक शहर है। यह बंगलुरु से १५८ कि॰मी॰ दूर स्थित है। यह एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ है। कन्नड़ में 'वेल' का अर्थ होता है श्वेत, 'गोल' का अर्थ होता है सरोवर। शहर के मध्य में एक सुंदर श्वेत सरोवर के कारण यहां का नाम बेलगोला और फ़िर श्रवणबेलगोला पड़ा। यह स्थान विंध्यगिरि और चंद्रगिरि के मध्य स्थित है। विंध्यगिरि पर 7 तथा चंद्रगिरि पर 14 जैन मंदिर हैं। एक श्री बाहुबली स्वामी का मंदिर है। चित्र:Gomateswara.jpg|गोमतेश्वर की प्रतिमा ९७८-९९३ ई. File:Jain Inscription.jpg|अंतिम श्रुतकेवाली भद्रबाहु स्वामी और सम्राट चंद्रगुप्त का आगमन दर्शाता शिलालेख (श्रवणबेलगोला) चंद्रगुप्त के विस्तृत राज्य की जानकारी तो हमे तमिल ग्रंथ अहनानूर तथा मुरनानूर से भी प्राप्त होती है .

जैन धर्म और श्रवणबेलगोला के बीच समानता

जैन धर्म और श्रवणबेलगोला आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): भद्रबाहु

भद्रबाहु

भद्रबाहु सुप्रसिद्ध जैन आचार्य थे जो दिगंबर और श्वेतांबर दोनों संप्रदायों द्वारा अंतिम श्रुतकेवली माने जाते हैं। भद्रबाहु चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे। भगवान महावीर के निर्वाण के लगभग १५० वर्ष पश्चात् (ईसवी सन् के पूर्व लगभग ३६७) उनका जन्म हुआ था। इस युग में ५ श्रुतकेवली हुए, जिनके नाम है: गोवर्धन महामुनि, विष्णु, नंदिमित्र, अपराजित, भद्रबाहु। .

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जैन धर्म और श्रवणबेलगोला के बीच तुलना

जैन धर्म 131 संबंध है और श्रवणबेलगोला 6 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 0.73% है = 1 / (131 + 6)।

संदर्भ

यह लेख जैन धर्म और श्रवणबेलगोला के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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